Haryana State Board HBSE 11th Class History Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य Important Questions and Answers.
Haryana Board 11th Class History Important Questions Chapter 5 यायावर साम्राज्य
निबंधात्मक उत्तरों वाले प्रश्न
प्रश्न 1.
12वीं शताब्दी में यायावरिता के स्वरूप का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मंगोल मध्य एशिया के आधुनिक मंगोलिया प्रदेश में रहने वाला एक यायावर समूह था। 12वीं शताब्दी में चंगेज़ खाँ के उत्थान से पूर्व मंगोल यायावरिता के स्वरूप की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित थीं
1. प्रमुख व्यवसाय (Chief occupations):
12वीं शताब्दी में यायावरी कबीलों का प्रमुख व्यवसाय पशुपालन था। उस समय मंगोलिया में अनेक अच्छी चरागाहें थीं। अल्ताई पहाड़ों की बर्फीली चोटियों से निकलने वाले सैंकड़ों झरनों तथा ओनोन (Onon) एवं सेलेंगा (Selenga) नदियों के पानी के कारण यहाँ हरी घास प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होती थी।
मंगोल जिन पशुओं का पालन करते थे उनमें प्रमुख थे घोड़े एवं भेड़ें। इनके अतिरिक्त वे गायों, बकरियों एवं ऊँटों का पालन भी करते थे। इन पशुओं का प्रयोग वे दूध, माँस एवं ऊन प्राप्त करने के लिए तथा सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ढोने के लिए करते थे। घोड़ों का प्रयोग वे घुड़सवारी के लिए करते थे। मंगोल घोड़ों पर सवार होकर ही युद्धों में भाग लेते थे।
कुछ मंगोल शिकार संग्राहक (hunter gatherers) थे। वे जंगली जानवरों का शिकार करते थे एवं मछलियाँ पकडते थे। वे साइबेरियाई वनों में रहते थे। वे पशुपालक लोगों की तुलना में अधिक गरीब होते थे। उस समय मंगोलिया की भौगोलिक परिस्थितियाँ कृषि के अनुकूल नहीं थीं। अतः यायावरी कबीले कृषि कार्य नहीं करते थे। इस कारण यायावरी कबीलों की अर्थव्यवस्था घनी जनसंख्या वाले क्षेत्रों का भरण-पोषण करने में समर्थ नहीं थी। अतः यहाँ कोई नगर नहीं उभर पाया।
2. निवास स्थान (Dwellings):
यायावरी कबीले चरागाहों की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान पर घूमते रहते थे। अतः वे किसी स्थान में स्थाई रूप से नहीं रहते थे। मंगोल गोलाकार तंबुओं में रहते थे जिसे वे जर (ger) कहते थे। जनसाधारण लोगों के तंबू छोटे आकार के होते थे। धनी लोगों के तंबुओं का आकार बड़ा होता था। ये तंबु सन के बने होते थे। इन तंबुओं का प्रवेश द्वार दक्षिण की ओर होता था। इसका कारण यह था कि मंगोलिया में शीत हवाएँ उत्तर की ओर से आती थीं। तंबू को दो भागों में बाँटा जाता था। एक भाग मेहमानों के लिए होता था। दूसरा भाग घर के सदस्यों के लिए होता था।
3. समाज (Society):
यायावरी समाज की मूल इकाई परिवार थी। उस समय परिवार पितृपक्षीय (patriarchal) होते थे। परिवार का सबसे बुजुर्ग व्यक्ति इसकी देखभाल करता था। धनी परिवार बहुत विशाल होते थे। उनके पास अधिक संख्या में पशु एवं चारागाहें होती थीं। इस कारण उनके अनेक अनुयायी होते थे तथा स्थानीय राजनीति में उनकी उल्लेखनीय भूमिका होती थी।
प्राकृतिक आपदाओं जैसे भीषण शीत ऋतु के दौरान एकत्रित की गई शिकार एवं अन्य सामग्रियों के समाप्त हो जाने की स्थिति में अथवा वर्षा न होने पर घास के मैदानों के सूख जाने की स्थिति चारागाहों की खोज में भटकना पड़ता था।
इस कारण वे लटपाट करने के लिए बाध्य हो जाते थे। अतः परिवारों के समूह अपनी रक्षा हेतु अधिक शक्तिशाली कुलों से मित्रता कर लेते थे तथा परिसंघ का गठन कर लेते थे। अधिकांश परिसंघ छोटे एवं अल्पकालिक होते थे। उस समय परिवार में पुत्र का होना बहुत आवश्यक माना जाता था।
उस समय मंगोल समाज में बहु-विवाह (polygamy) प्रथा प्रचलित थी। उस समय स्त्रियाँ समाज में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती थीं। वे न केवल घरेलू कार्य करती थीं अपितु आवश्यकता पड़ने पर रणभूमि में दुश्मनों से लोहा लेती थीं।
4. भोजन (Diet) :
यायावरी लोगों का प्रमुख भोजन माँस एवं दूध था। मंगोल घोड़े का माँस खाने के बहुत शौकीन थे। वे गायों, भेड़ों एवं बकरियों का माँस भी खाते थे। इनके अतिरिक्त वे कुत्तों, लोमड़ियों, खरगोशों तथा चूहों का माँस भी खाते थे। वे सामान्य तौर पर पकाए हुए अथवा उबले हुए माँस का प्रयोग करते थे। कभी-कभी वे कच्चा माँस भी खा जाते थे। बचे हुए माँस को वे चमड़े के थैले में रख लेते थे।
वे खाने के बर्तनों की सफाई की ओर बहुत कम ध्यान देते थे। वे घोड़ी का दूध पीने के बहुत शौकीन थे। इसे कुम्मी (kumiss) कहा जाता था। धनी लोग शराब पीने के भी शौकीन थे। इसे. चीन से मंगवाया जाता था। इसके सेवन को बहुत सम्मानजनक समझा जाता था।
5. पोशाक (Dress):
यायावरी लोग सूती, रेशमी एवं ऊनी वस्त्र पहनते थे। वे सूती एवं रेशमी वस्त्रों का चीन से आयात करते थे। ऊनी वस्त्र वे स्वयं बनाते थे। जनसाधारण के वस्त्र सामान्य प्रकार के होते थे। धनी लोग बहुमूल्य वस्त्रों को धारण करते थे। सर्दियों से बचाव के लिए वे फर के कोट एवं टोप पहनते थे। स्त्रियों के वस्त्र एवं उनके सिर पर डालने वाला टोप विशेष प्रकार से बना होता था।
6. मृतकों का संस्कार (Disposal of the Dead):
यायावरी लोग रात्रि के समय अपने मृतकों का संस्कार करते थे। वे शवों को जमीन में दफ़न करते थे। मंगोल मृत्यु के पश्चात् जीवन में विश्वास रखते थे। अतः वे शवों के साथ खाने-पीने की वस्तुएँ एवं बर्तनों आदि को भी रखते थे। धनी व्यक्तियों के साथ अनेक बहुमूल्य वस्तुएँ, उसके घोड़ों, नौकरों एवं स्त्रियों को भी दफ़न किया जाता था। प्रायः शवों को उस स्थान पर दफ़न किया जाता था जिसका चुनाव उसने अपने जीवनकाल में किया हो अथवा जो स्थान उसे सबसे अधिक प्रिय हो।
7. व्यापार (Trade):
स्टेपी क्षेत्र अथवा मंगोलिया में संसाधनों की बहुत कमी थी। अतः यायावरी कबीले व्यापार के लिए अपने पड़ोसी देश चीन पर निर्भर करते थे। उनका व्यापार वस्तु-विनिमय (barter) पर आधारित था। यह व्यवस्था दोनों पक्षों के लिए लाभकारी थी। यायावर कबीले चीन से कृषि उत्पाद एवं लोहे के उपकरणों का आयात करते थे। इनके बदले वे घोड़ों, फर एवं शिकारी जानवरों का निर्यात करते थे।
कभी-कभी दोनों पक्ष अधिक लाभ कमाने हेतु सैनिक कार्यवाही कर बैठते थे एवं लूटपाट में भी सम्मिलित हो जाते थे। इस संघर्ष में यायावरों को कम हानि होती थी। इसका कारण यह था कि वे लूटपाट कर संघर्ष क्षेत्र से दूर भाग जाते थे। चीन को इन यायावरी आक्रमणों से बहुत क्षति पहुँचती थी। अतः चीनी शासकों ने अपनी प्रजा की रक्षा के लिए ‘चीन की महान् दीवार’ को अधिक मज़बूत किया।
प्रश्न 2.
चंगेज़ खाँ कौन था? उसके प्रारंभिक जीवन एवं उत्थान के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
चंगेज़ खाँ यायावर साम्राज्य अथवा मंगोलों का सबसे महान् एवं प्रसिद्ध शासक था। चंगेज़ खाँ के प्रारंभिक जीवन के बारे में हमें अधिक जानकारी प्राप्त नहीं है। प्राप्त स्रोतों के आधार पर हमें जो जानकारी प्राप्त हुई है उसका संक्षिप्त वर्णन अग्रलिखित अनुसार है
1. जन्म एवं माता-पिता (Birth and Parents):
चंगेज़ खाँ का जन्म कब हुआ इस संबंध में इतिहासकारों में मतभेद हैं। अधिकांश इतिहासकारों का कथन है कि चंगेज़ खाँ का जन्म 1162 ई० में हुआ। कुछ इतिहासकारों का विचार है कि चंगेज खाँ का जन्म 1167 ई० में हुआ। चंगेज़ खाँ का जन्म मंगोलिया के उत्तरी भाग में ओनोन नदी के निकट हुआ था। उसके पिता का नाम येसूजेई (Yesugei) था। वह एक छोटे से कबीले कियात (Kiyat) का मुखिया था। वह बोरजिगिद (Borjigid) कुल से संबंधित था।
चंगेज खाँ की माता का नाम ओलुन-के (Oelun-eke) था। वह ओंगीरत (Onggirat) कबीले से संबंधित थी। चंगेज खाँ का बचपन का नाम तेमुजिन (Temujin) था। कहा जाता है कि जिस समय बालक का जन्म हुआ उस समय उसका पिता येसूजेई अपने एक विरोधी तातार (Tatar) कबीले के मुखिया तेमुजिन को पराजित कर वापस लौटा था। अत: मंगोलियाई परंपरा के अनुसार नव जन्मे बालक का नाम तेमुजिन रखा गया।
2. तेमुजिन की कठिनाइयाँ (DImculties of Temujin):
तेमुजिन की अल्पायु में उसके पिता येसूजेई की धोखे से तातार कबीले द्वारा हत्या कर दी गई थी। येसूजेई की हत्या का समाचार सुनकर तेमुजिन की माँ ओलुन इके पर दुःखों का पहाड़ टूट पड़ा। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह अपने पाँच बच्चों को लेकर कहाँ जाए। कियात कबीले के लोग तेमुजिन को अपना मुखिया स्वीकार करने को तैयार नहीं थे क्योंकि वह स्वयं अभी एक बच्चा था।
इस संकट के समय में ओलुन-इके ने अपना धैर्य न खोया। वह शिकार कर एवं जंगली फल खाकर अपना एवं अपने बच्चों का गुजारा करती रही। वह तेमुजिन को अपने कबीले की गौरव गाथाएँ सुनाकर एक नई प्रेरणा स्रोत उत्पन्न करती रही।
3. तेमुजिन के बहादुरी भरे कारनामे (Acts of Bravery of Temujin):
तेमुजिन जब युवा हुआ तो उसमें अदम्य उत्साह था। एक बार उसके विरोधी कबीले वालों ने तेमुजिन पर अचानक आक्रमण कर उसे बंदी बना लिया। निस्संदेह यह तेमुजिन के लिए सबसे विकट स्थिति थी।
ऐसे समय में तेमुजिन ने अपना धैर्य न खोया। एक दिन जब कबीले के लोग रंगरलियों में मस्त थे तो यह स्वर्ण अवसर देखकर तेमुजिन वहाँ से भागने में सफल हुआ। वह वापस अपने परिवार के सदस्यों के साथ आ मिला। यह घटना उसके जीवन में एक नया मोड़ सिद्ध हुई। एक दिन कुछ चोरों ने तेमुजिन के परिवार के आठ घोड़ों को चुरा लिया।
जब तेमुजिन को इसका पता चला तो वह फौरन अपने घोड़े पर अकेला ही उनके पीछे हो लिया। रास्ते में बोघूरचू (Boghurchu) नामक एक युवक उसके साथ हो लिया। इन दोनों ने चोरों को घेर लिया तथा अत्यंत बहादुरी से अपने घोड़ों को छुड़वा लिया। इस प्रकार बोधूरचू तेमुजिन का प्रथम मित्र बना। वे सदैव एक विश्वस्त साथी के रूप में एक-दूसरे के साथ रहे। जब तेमुजिन 18 वर्ष का हुआ तो उसका विवाह बोरटे के साथ हो गया। इस विवाह के कारण तेमुजिन की स्थिति कुछ सुदृढ़ हुई।
तेमुजिन ने जमूका (Jamuqa) को जो कि जजीरात (Jajirat) कबीले से संबंधित था को अपना सगा भाई (आंडा anda) बनाया। इसके पश्चात् तेमुजिन तुगरिल खाँ (Tughril Khan) अथवा ओंग खाँ (Ong Khan) से आशीर्वाद लेने उसके दरबार में पहुंचा।
वह कैराईट (Kereyite) कबीले का मुखिया था तथा तेमुजिन के पिता का सगा भाई (आंडा) बना था। तुगरिल खाँ ने उसका गर्मजोशी से स्वागत किया। इसी समय के दौरान मेरकिट (Merkit) कबीले के मुखिया ने तेमुजिन के कैंप पर आक्रमण कर दिया तथा उसकी पत्नी बोरटे को बंदी बनाकर अपने साथ ले गया।
इस संकट के समय में जमूका एवं तुगरिल खाँ ने तेमुजिन की बहुमूल्य सहायता की। अत: वह अपनी पत्नी बोरटे को मेरकिट कबीले के चंगुल से छुड़ाने में सफल रहा। प्रसिद्ध इतिहासकार जॉर्ज वर्नडस्की के अनुसार, “मेरकिटों के विरुद्ध अभियान के दौरान तेमुजिन ने बहुत बहादुरी दिखायी तथा उसने अनेक नए मित्र बनाए। वास्तव में यह उसके जीवन में एक नया मोड़ प्रमाणित हुई।”
4. तेमुजिन का चंगेज खाँ बनना (Temujin became Genghis Khan):
अपनी आरंभिक सफलताओं न का साहस बढ़ गया था। इसी समय जमूका, तेमुजिन एवं तुगरिल खाँ के मध्य बढ़ते हुए मैत्रीपूर्ण संबंधों के कारण ईर्ष्या करने लगा। उसने तेमुजिन के सभी विरोधी कबीलों के साथ गठजोड़ आरंभ कर दिया था। तेमुजिन इसे सहन करने को तैयार नहीं था। अतः उसने तुगरिल खाँ के सहयोग से जमूका को कड़ी पराजय दी।
निस्संदेह यह तेमुजिन की एक महान् सफलता थी। इसके पश्चात् तेमुजिन ने शक्तिशाली तातार, नेमन एवं कैराईट कबीलों को पराजित किया। स्वयं तुगरिल खाँ जो बाद में तेमुजिन का शत्रु बन गया था उससे पराजित हुआ।
इस कारण तेमुजिन स्टेपी क्षेत्र की राजनीति में सबसे प्रभावशाली व्यक्ति के रूप में उभरा। तेमुजिन की इन महान् उपलब्धियों को देखते हुए कुरिलताई (quriltai) जो कि मंगोल सरदारों की एक सभा थी, ने 1206 ई० में उसे चंगेज़ खाँ (सार्वभौम शासक) की उपाधि से सम्मानित किया।
प्रश्न 3.
चंगेज खाँ की विजयों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। उसकी सफलता के क्या कारण थे?
उत्तर:
1206 ई० में चंगेज़ खाँ मंगोलों का नया शासक बना। उसने सर्वप्रथम अपनी स्थिति को सुदृढ़ बनाने की ओर ध्यान दिया। इस उद्देश्य से चंगेज़ खाँ ने अपनी एक विधि संहिता यास (Yasa) को लागू किया। इसके पश्चात् उसने एक शक्तिशाली सेना का गठन किया। इस सेना के सहयोग से चंगेज खाँ ने महान् सफलताएँ प्राप्त की। इन सफलताओं का संक्षिप्त वर्णन निम्नलिखित अनुसार है
1. उत्तरी चीन की विजय (Conquest of Northern China):
चंगेज़ खाँ ने सर्वप्रथम अपना ध्यान चीन की ओर दिया। उस समय चीन तीन राज्यों में विभाजित था। प्रथम राज्य उत्तर-पश्चिमी प्रांत था। यहाँ तिब्बती मूल के सी सिआ (Hsi Hsia) लोगों का शासन था। दूसरे राज्य में चीन का उत्तरी क्षेत्र आता था। यहाँ चिन राजवंश का शासन था। तीसरे राज्य में चीन का दक्षिणी क्षेत्र सम्मिलित था। यहाँ शंग राजवंश का शासन था।
चीन पर आक्रमण करने से पूर्व चंगेज़ खाँ ने अपनी सेना को संबोधित करते हुए कहा, “चीन के शासकों ने हमारे पूर्वजों एवं मेरे संबंधियों का बहुत अपमान किया है। अब वह महान् परमात्मा मुझे यह भरोसा दिलाता है कि विजय हमारी होगी। चीन के इस राज्य में उसने मुझे अवसर एवं शक्ति दी है ताकि मैं अपने पूर्वजों के अपमान का बदला ले सकूँ।
चीन के विरुद्ध चंगेज़ खाँ का अभियान एक लंबे समय तक चला। 1209 ई० में चंगेज़ खाँ ने सर्वप्रथम सी सिआ लोगों को सुगमता से पराजित कर दिया। 1215 ई० में चंगेज़ खाँ ने पीकिंग (Peking) पर कब्जा करने में सफलता प्राप्त की। इसके पश्चात् चंगेज़ खाँ ने पीकिंग में भयंकर लूटमार मचाई। चिन शासक को भी बाध्य होकर अपनी एक पुत्री का विवाह चंगेज़ खाँ से करना पड़ा। चंगेज़ खाँ की यह विजय उसके लिए बहुत निर्णायक सिद्ध हुई।
2. करा खिता की विजय (Conquest of Qara Khita):
चंगेज़ खाँ ने उत्तरी चीन की विजय के पश्चात् अपना ध्यान करा खिता की विजय की ओर किया। इस उद्देश्य से उसने 1218 ई० में 20,000 सैनिकों को मंगोल सेनापति जेब (Jeb) की अधीनता में करा खिता भेजा। उस समय करा खिता में कुचलुग (Kuchlug) का शासन था।
जेब ने सुगमता से कुचलुग को पराजित कर करा खिता पर अधिकार कर लिया। इस विजय के कारण मंगोल साम्राज्य की सीमाएँ अमू दरिया (Amu Darya), तूरान (Turan) एवं ख्वारज़म (Khwarazm) राज्य तक फैल गईं।
3. ख्वारज़म शाह के विरुद्ध अभियान (The Campaign against the Khwarazm Shah):
1200 ई० में मुहम्मद (Muhammad) ख्वारज़म का नया शाह बना था। उसने अपने शासनकाल में अनेक क्षेत्रों पर अधिकार कर अपने साम्राज्य का काफी विस्तार कर लिया था। ऐसे शक्तिशाली साम्राज्य से टक्कर लेना चंगेज़ खाँ के लिए कोई सहज कार्य न था। 1218 ई० में चंगेज़ खाँ ने चार सदस्यों का एक व्यापारिक मंडल मुहम्मद के पास भेजा।
जब यह मंडल ख्वारजम साम्राज्य के ओट्रार (Otrar) नामक स्थान पर ठहरा तो वहाँ के गवर्नर इनाल खाँ (Inal Khan) ने मुहम्मद के इशारे पर इन सदस्यों का वध कर दिया तथा उनका सामान लूट लिया। जब यह समाचार चंगेज़ खाँ को मिला तो उसने मुहम्मद को संदेश भेजा कि वह इनाल खाँ के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही करे तथा उसे बंदी बनाकर उसके दरबार में भेजे। मुहम्मद ने ऐसा करने से इंकार कर दिया। परिणामस्वरूप चंगेज़ खाँ आग बबूला हो गया। उसने मुहम्मद को एक अच्छा सबक सिखाने का निर्णय किया।
उसने लगभग एक लाख सैनिकों की विशाल सेना के साथ ख्वारज़म साम्राज्य पर 1219 ई० में आक्रमण कर दिया। मंगोल सेना ने जिस ओर रुख किया वही भयंकर तबाही मचा दी। लाखों की संख्या में लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया एवं अनेक नगरों एवं गाँवों का ऐसा विनाश किया गया कि जिसे सुनकर रूह भी काँप उठे। 1219 ई० से 1222 ई० के दौरान मंगोल सेना ने ओट्रार (1219 ई०), बुखारा (1220 ई०), समरकंद (1220 ई०), बल्ख (1221 ई०), मर्व (1221 ई०), निशापुर (1221 ई०) एवं हेरात (1222 ई०) पर कब्जा कर लिया। मुहम्मद ने मंगोल सेना का सामना करने का साहस न किया।
वह एक स्थान से दूसरे स्थान पर भागता रहा। उसका पीछा करते हुए मंगोल सेनाएँ अज़रबैजान (Azerbaizan) तक चली गईं। यहाँ मंगोल सेना ने क्रीमिया (Crimea) में रूसी सेना को कड़ी पराजय दी। मुहम्मद का पुत्र जलालुद्दीन भाग कर भारत आ गया। चंगेज़ खाँ उसका पीछा करता हुआ 1221 ई० में भारत आ पहुँचा। यहाँ की भयंकर गर्मी के कारण एवं चंगेज़ खाँ के ज्योतिषी द्वारा दिए गए अशुभ संकेतों के कारण चंगेज़ खाँ ने वापस मंगोलिया लौटने का निर्णय किया।
4. साम्राज्य का विस्तार (Extent of the Empire):
चंगेज़ खाँ की 1227 ई० में मृत्यु हो गई थी। अपनी मृत्यु से पूर्व उसने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना कर ली थी। उसका साम्राज्य अब फ़ारस से लेकर पीकिंग तक तथा साईबेरिया से लेकर सिंध तक फैला था। यह साम्राज्य इतना विशाल था कि किसी भी यात्री को मंगोल साम्राज्य की यात्रा एक सिरे से दूसरे सिरे तक करने के लिए दो वर्ष का समय लग जाता था। चंगेज़ खाँ ने कराकोरम (Karakoram) को मंगोल साम्राज्य की राजधानी घोषित किया था।
चंगेज़ खाँ की गणना विश्व के महान् विजेताओं में की जाती है। उसने 20 वर्ष के अल्प काल में एक विशाल साम्राज्य की स्थापना कर सबको स्तब्ध कर दिया था। उसकी सफलता के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे
1) चंगेज़ खाँ स्वयं जन्मजात सेनापति था। वह जिस ओर रुख करता सफलता उसके कदम चूमती थी।
2) चंगेज़ खाँ ने एक शक्तिशाली सेना का गठन किया था। यह सेना बहुत अनुशासित थी। इस सेना का मुकाबला करना कोई सहज कार्य न था।
3) चंगेज़ खाँ का जासूसी विभाग अत्यंत कुशल था। उनके द्वारा दी गई जानकारी उसके लिए बहुत बहुमूल्य सिद्ध होती थी।
4) चंगेज़ खाँ मनोवैज्ञानिक युद्ध (psychological warfare) के महत्त्व को भली-भाँति जानता था। अत: जब भी किसी स्थान के लोग उसकी सेना का मुकाबला करने का साहस करते तो उसकी सेना वहाँ इतना विनाश करती जिसे सुनकर लोग थर-थर काँपने लगते थे। अतः लोग बिना लड़ाई किए ही उसके समक्ष आत्म-समर्पण कर देते थे।
5) मंगोल सैनिक घुडसवारी एवं तीरंदाजी में इतने कशल थे कि शत्र भौचक्के रह जाते थे।
6) चंगेज़ खाँ आमतौर पर शीत ऋतु में अपने अभियान आरंभ करता था। इस ऋतु में नदियाँ बर्फ के कारण जम जाती थीं। अत: इन नदियों को पार करना सुगम हो जाता था।
7) चंगेज़ खाँ ने शत्रु दुर्गों को नष्ट करने के लिए घेराबंदी यंत्र (siege engine) एवं नेफ़था (naphtha) बमबारी का व्यापक प्रयोग किया। इनके युद्ध में घातक प्रभाव होते थे। राहुल सांकृत्यायन के अनुसार,
“यद्यपि चंगेज़ ख़ाँ अनपढ़ था किंतु वह साइरस, डेरियस तथा सिकंदर से महान् सेनापति था तथा उसके कारनामों ने नेपोलियन तथा हिटलर को भी मात कर दिया था।”
प्रश्न 4.
मंगोल प्रशासन की प्रमुख विशेषताएँ क्या थीं?
अथवा
मंगोल प्रशासन के सैनिक एवं नागरिक प्रशासन के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
चंगेज़ खाँ यद्यपि अपना संपूर्ण जीवन युद्धों में ही उलझा रहा इसके बावजूद वह एक कुशल प्रशासक भी प्रमाणित हुआ। उसने अपनी सेना को शक्तिशाली बनाया। उसने नागरिक प्रशासन में भी अनेक उल्लेखनीय सुधार किए। उसका प्रशासन इतना अच्छा था कि यह लगभग उसी रूप में उसके उत्तराधिकारियों के समय में भी जारी रहा।
I. सैनिक प्रशासन
चंगेज़ खाँ एक महान् योद्धा था। अत: उसने मंगोल साम्राज्य के विस्तार एवं इसकी सुरक्षा के लिए सैनिक प्रशासन की ओर विशेष ध्यान दिया। मंगोलों के सैनिक प्रशासन की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित थीं
1. भर्ती (Recruitment):
चंगेज़ खाँ के समय सभी स्वस्थ व्यक्तियों के लिए सेना में भर्ती होना अनिवार्य था। केवल पुरोहितों, डॉक्टरों एवं विद्वानों को इसमें छूट दी गई थी। अधिकारियों की भर्ती का कार्य केवल चंगेज़ खाँ के हाथों में था। प्रायः ऊँचे और बहुत ही विश्वसनीय अधिकारियों के पुत्रों को अफसर पद पर नियुक्त किया जाता था।
2. संगठन (Organization) :
चंगेज़ खाँ की सेना पुरानी दशमलव पद्धति के अनुसार गठित की गई थी। यह 10, 100, 1000 एवं 10,000 सैनिकों की इकाइयों में विभाजित थी। 10 सैनिकों की इकाई को पलाटून, 100 सैनिकों की इकाई को कंपनी, 1000 सैनिकों की इकाई को ब्रिगेड तथा 10,000 सैनिकों की इकाई को तुमन कहा जाता था। चंगेज़ खाँ से पूर्व एक इकाई में एक ही कुल (clan) अथवा कबीले (tribe) के सैनिक होते थे। चंगेज़ खाँ ने इस प्रथा को समाप्त कर दिया। उसकी इकाइयों में विभिन्न कुलों एवं कबीलों के सैनिकों को सम्मिलित किया जाता था।
3. रचना (Composition):
चंगेज़ खाँ की सेना में विभिन्न मंगोल जनजातियों के लोग सम्मिलित थे। उसने विभिन्न देशों के लोगों को जिन्हें उसने अपने अधीन किया, को भी सेना में भर्ती किया। इसमें उसकी सत्ता को स्वेच्छा से स्वीकार करने वाले तुर्की मूल के उइगुर (Uighurs) लोग सम्मिलित थे। यहाँ तक कि चंगेज़ खाँ ने अपनी सेना में कैराईटों (Kereyits) को भी सम्मिलित किया। कैराईट चंगेज़ खाँ के कट्टर शत्र थे।
4. प्रशिक्षण (Training):
चंगेज़ खाँ ने सैनिकों के प्रशिक्षण पर विशेष बल दिया। उसने संपूर्ण सेना को अपने चार पुत्रों के अधीन किया। वे विशेष कप्तानों को नियुक्त करते थे जिन्हें नोयान (noyans) कहा जाता था। इनके अतिरिक्त सैनिकों को प्रशिक्षण देने में ऐसे व्यक्तियों ने भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई जिन्हें चंगेज़ खाँ अपना सगा भाई (आंडा) कहता था।
5. अनुशासन (Discipline):
चंगेज़ खाँ सेना में अनुशासन को विशेष महत्त्व देता था। उसने सेना में अनुशासन बनाए रखने के उद्देश्य से अनेक नियम बनाए थे। इनका उल्लंघन करने वाले सैनिकों को मृत्यु दंड दिया जाता था। ये नियम थे-
- युद्ध के आरंभ होने पर छुट्टी पर गए सभी सैनिक तुरंत रिपोर्ट करें।
- सभी सैनिकों के लिए आवश्यक था कि वे अपने अधिकारियों के आदेश का पालन करें।
- कोई भी सैनिक अपनी इकाई को छोड़कर किसी दूसरी इकाई में नहीं जा सकता था।
- युद्ध में जाने से पहले सभी सैनिकों को अपने हथियारों का निरीक्षण कर लेना चाहिए।
- कोई भी सैनिक अपने अधिकारियों की अनुमति के बिना लूटपाट न करे।
- अधिकारियों द्वारा अनुमति मिलने पर ही लूटपाट आरंभ की जाए। लूट के धन से अधिकारियों एवं खाँ का हिस्सा दिया जाना चाहिए।
6. सेना की कुल संख्या (Total Strength of the Army):
चंगेज़ खाँ की सेना की कुल संख्या के बारे में इतिहासकारों में मतभेद हैं। इसका कारण यह है कि आरंभ में उसकी सेना की संख्या कम थी। जैसे-जैसे उसके साम्राज्य का विस्तार होता गया वैसे-वैसे उसके सैनिकों की संख्या में बढ़ोत्तरी होती चली गई। अनुमानतयः यह 1 लाख से 1.5 लाख के मध्य थी।।
7. हथियार एवं सामान (Arms and Equipments):
उस समय घुड़सवार सेना का युग था। अतः प्रत्येक सैनिक के पास एक से अधिक घोड़े होते थे। ये घोड़े बहुत फुर्तीले थे। प्रत्येक घोड़ा एक दिन में सहजता से 100 मील दौड़ सकता था। हल्के घुड़सवार (light cavalry) सैनिकों के पास दो धनुष (bows) एवं दो तरकस (quivers) होते थे जिनमें अनेक तीर रखे जाते थे। मंगोल सैनिक तीरअंदाज़ी में बहुत कुशल थे।
उनके द्वारा छोड़े गए तीर 200 से 300 गज की दूरी तक तबाही मचाने की समर्था रखते थे। उनके तीर इतने नुकीले होते थे कि वे लोहे में भी सुराख कर सकते थे। ये तीर शत्रु सेना में तहलका मचा देते थे। भारी घुड़सवार (heavy cavalry) सैनिक तलवारों एवं भालों से लैस होते थे। मंगोल सैनिक इन्हें चलाने में बहुत दक्ष थे। इनके अतिरिक्त मंगोल सैनिक शत्रु के दुर्गों का विनाश करने के लिए घेराबंदी यंत्र (siege engine) एवं नेफ़था बमबारी (naphtha bombardment) का प्रयोग करते थे।
प्रत्येक मंगोल सैनिक लोहे का टोप (helmet) छाती एवं भुजाओं पर लोहे के कवच (armour) डालते थे। वे चमड़े के भारी बूट डालते थे। वे सर्दियों में फर का कोट एवं फर का टोप पहनते थे। प्रत्येक सैनिक के पास एक चमड़े का बैग होता था। इसमें कुछ खाने-पीने का सामान, व रखे जाते थे। घोड़ों की सुरक्षा के लिए उन्हें चमड़े का कवच पहनाया जाता था।
8. लड़ाई का ढंग (Mode of warfare):
कोई भी अभियान आरंभ करने से पूर्व मंगोल खानों द्वारा कुरिलताई की सभा का आयोजन किया जाता था। इसमें युद्ध के उद्देश्यों एवं योजना के संबंध में विस्तृत चर्चा की जाती थी। इस सभा में सभी कप्तान सम्मिलित होते थे तथा वे खाँ से विशेष निर्देश प्राप्त करते थे। युद्ध आरंभ होने से पूर्व मंगोल जासूसों द्वारा शत्रु देश में झूठी अफ़वाहें फैलाई जाती थीं। इसका उद्देश्य शत्रु सैनिकों के मनोबल को नीचा करना था। शत्रु देश के सैनिकों को बिना लड़ाई के आत्म-समर्पण करने अथवा विनाश की चेतावनी दी जाती थी।
मंगोल सैनिक जिस प्रदेश पर आक्रमण करना होता था उसे चारों ओर से घेरा डाल लेते थे। यदि किसी स्थान पर शत्रु सेना का सामना करना पड़ता तो मंगोल सैनिक वहाँ से पीछे भागने का नाटक करते। शत्रु सेना उन्हें भगौड़ा समझ कर उनका पीछा करती। निश्चित स्थान पर पहुँचने पर मंगोल सैनिक शत्रु सेना पर टूट पड़ते एवं उन्हें कड़ी 167 पराजय देते। इसके पश्चात् मंगोल वहाँ इतनी भयंकर लूटमार करते कि उनका नाम सुनते ही लोग भयभीत हो जाते थे। इससे मंगोलों की विजय का काम सुगम हो जाता था। प्रसिद्ध इतिहासकार जॉर्ज वनडस्की के अनुसार,
“13वीं शताब्दी में मंगोल सेना युद्ध का एक शक्तिशाली यंत्र थी। निस्संदेह यह उस समय के विश्व में सर्वोत्तम थी।”
II. नागरिक प्रशासन
मंगोल यायावर समाज से संबंधित थे। इसलिए उनका नागरिक प्रशासन न तो अधिक उत्तम था एवं न ही अच्छी प्रकार संगठित । इसके बावजूद यह उस समय की परिस्थितियों के अनुकूल था। मंगोलों के नागरिक प्रशासन की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं
1. खाँ की स्थिति (Position of Khan):
मंगोल साम्राज्य में खाँ (सम्राट) की स्थिति सर्वोच्च थी। उसे असीम शक्तियाँ प्राप्त थीं। उसके द्वारा राज्य की सभी आंतरिक एवं बाह्य नीतियाँ तैयार की जाती थीं। राज्य की समस्त सेना उसके अधीन होती थी तथा उसके निर्देश अनुसार कार्य करती थी। राज्य के सभी उच्च पदों की नियुक्ति चाहे वे सैनिक हों अथवा असैनिक उसके द्वारा की जाती थी।
उसे किसी देश के साथ युद्ध करने अथवा उससे संधि करने का अधिकार प्राप्त था। वह प्रजा पर कोई भी नया कर लगा सकता था अथवा पुराने करों को हटा सकता था अथवा उन्हें कम या अधिक कर सकता था। उसके मुख से निकला प्रत्येक शब्द प्रजा के लिए कानून होता था। कोई भी व्यक्ति इसका उल्लंघन नहीं कर सकता था। ऐसा करने पर उसे मृत्यु दंड दिया जाता था। यद्यपि खाँ की शक्ति किसी तानाशाह से कम नहीं थी किंतु उसकी शक्तियों पर कुरिलताई द्वारा कुछ अंकुश ज़रूर लगाया जाता था।
2. नागरिक प्रशासकों की भूमिका (Role of Civil Administrators):
चंगेज़ खाँ स्वयं अनपढ़ था तथा वह यायावर समाज से संबंधित था। उसने अपनी बहादुरी से एक विशाल साम्राज्य की स्थापना कर ली थी। इसमें विभिन्न जातियों एवं सभ्य समाजों से संबंधित लोग थे। ऐसे लोगों पर शासन करना कोई सुगम कार्य न था। इस कार्य में मंगोल उसकी सहायता करने में असमर्थ थे।
अतः चंगेज़ खाँ ने अपने अधीन किए गए सभ्य समाजों में से नागरिक प्रशासकों को भर्ती किया। चंगेज़ खाँ उनकी भर्ती के समय केवल उनकी योग्यता को प्रमुख रखता था। वह उनकी जाति अथवा धर्म को कोई महत्त्व नहीं देता था। इन नागरिक प्रशासकों ने मंगोल साम्राज्य की नींव को सुदृढ़ करने एवं उसे संगठित करने में प्रशंसनीय भूमिका निभाई।
यहाँ तक कि इन्होंने मंगोल शासकों को प्रशासन के प्रति अपनी नीतियाँ बदलने में काफी सीमा तक प्रभाव डाला। इनमें चीनी मंत्री ये-लू-चुत्साई (Yeh-lu-Chut sai) तथा इल-खानी शासक गज़न खाँ के वज़ीर रशीदुद्दीन (Rashiduddin) के नाम उल्लेखनीय हैं।
3. उलुस (Ulus):
मंगोल प्रशासन की एक उल्लेखनीय विशेषता चंगेज़ खाँ द्वारा उलुस का गठन करना था। इसके अनुसार चंगेज़ खाँ ने नव-विजित क्षेत्रों पर शासन करने का उत्तरदायित्व अपने चारों पुत्रों को दे दिया। उलुस से भाव किसी निश्चित भू-भाग से नहीं था क्योंकि इनमें लगातार परिवर्तन होता रहता था। उलुस में चंगेज़ खाँ के पुत्रों की स्थिति उप-शासक जैसी थी।
उनके अधीन अलग-अलग सैन्य टुकड़ियाँ (तामा) थीं। वे अपने अधीन क्षेत्रों से लोगों को सेना में भर्ती कर सकते थे। उन्हें लोगों पर नए कर लगाने का अधिकार दिया गया था। इसके चलते बाद में जोची ने दक्षिणी रूस में गोल्डन होर्ड (Golden Horde) एवं तोलूई के वंशजों ने चीन में युआन वंश एवं ईरान में इल-खानी वंशों की स्थापना की।
4. याम (Yam) :
चंगेज़ खाँ की एक बहुमूल्य देन याम की स्थापना करना था। याम एक प्रकार की सैनिक चौकियाँ थीं। मंगोल साम्राज्य में प्रत्येक 25 मील की दूरी पर ऐसी चौकियाँ स्थापित की गई थीं। इन चौकियों में घुड़सवार संदेशवाहक तथा फुर्तीले घोड़े सदैव तैनात रहते थे।
घुड़सवार संदेशवाहक सभी प्रकार के सरकारी संदेशों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाते थे। इन यामों में ठहरने वाले यात्रियों की सुविधा के लिए उनके खाने पीने का पूरा इंतजाम किया जाता था। यात्रियों की सुरक्षा के लिए सरकार की तरफ से एक प्रकार के पास जारी किए जाते थे।
इन पासों को फ़ारसी में पैज़ा (paiza) तथा मंगोल भाषा में जेरेज़ (gerege) कहते थे। प्रत्येक याम में यात्रियों को इन पासों के अनुसार सुविधाएँ दी जाती थीं। इन चौकियों के कारण सड़क मार्गों को सुरक्षित बनाया जाता था। इस सुविधा के लिए व्यापारी सरकार को बाज़ (baz) नामक कर देते थे। इस व्यवस्था को बनाए रखने के लिए मंगोल सरकार को अपने पशुओं का दसवाँ हिस्सा देते थे। इसे कुबकुर (kubcur) कहा जाता था।
इस संस्था का उद्देश्य मंगोल साम्राज्य के दूरस्थ स्थानों पर नियंत्रण रखना एवं संपूर्ण साम्राज्य की महत्त्वपूर्ण घटनाओं की जानकारी प्राप्त करना था। याम संस्था अपने उद्देश्य में काफी सीमा तक सफल रही। जॉर्ज वर्नडस्की के अनुसार,
“यह (याम) बहुत ही लाभकारी तथा भली-भाँति संचालित संस्था थी।”
5. यास (Yasa):
मंगोल प्रशासन चलाने में यास की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। यास वे विधि नियम थे जिन्हें चंगेज़ खाँ के शासनकाल में 1206 ई० में कुरिलताई द्वारा पारित किया गया था। इन नियमों को 1218 ई० में अंतिम रूप दिया गया था। ये नियम उसके उत्तराधिकारियों के समय में भी जारी रहे। ये नियम मंगोल सेना, शिकार, डाक प्रणाली, नैतिक एवं सामाजिक व्यवस्था से संबंधित थे।
इन नियमों को मंगोलों ने पराजित लोगों पर भी लागू किया। वास्तव में यास ने मंगोलों को एक सूत्र में पिरोने, उनकी अपनी कबीलाई पहचान बनाए रखने, जटिल शहरी समाजों पर शासन करने तथा एक विश्वव्यापी मंगोल साम्राज्य की स्थापना में प्रशंसनीय योगदान दिया।
6. प्रजा का सुख (Welfare of the Subjects) :
मंगोल प्रशासन की एक अन्य विशेषता यह थी कि मंगोल शासक अपनी प्रजा के सुख का सदैव ध्यान रखते थे। इसमें कोई संदेह नहीं कि चंगेज़ खाँ एवं अन्य मंगोल शासकों ने अनेक प्रदेशों को विजित करने के उद्देश्य से वहाँ भयंकर विनाश किया।
किंतु इन प्रदेशों को अपने साम्राज्य में सम्मिलित करने के पश्चात् वहाँ नगरों का पुनः निर्माण किया तथा शांति व्यवस्था स्थापित करने के उद्देश्य से अनेक पग उठाए। मंगोल शासकों ने सड़क मार्गों को सुरक्षित बनाया। उन्होंने व्यापारियों को बहुत प्रोत्साहन दिया। लोगों पर बहुत कम कर लगाए गए थे।
7. धार्मिक नीति (Religious Policy):
मंगोल शासकों का धर्म में बहुत विश्वास था। वे मुख्य रूप से तेंगरी (Tengri) भाव सूर्य देवता की उपासना करते थे। वे इसे सर्वशक्तिमान् मानते थे। वे इसे प्रसन्न करने के लिए जानवरों एवं विशेषतः घोड़ों की बलियाँ देते थे। वे पवित्र धार्मिक लोगों जिन्हें शामन (shamans) कहा जाता था का विशेष सम्मान करते थे। मंगोल शासकों की विशेषता थी कि उन्होंने सभी धर्मों ईसाई, मुस्लिम, यहूदी, बौद्ध एवं ताओ आदि के प्रति सहनशीलता की नीति अपनाई।
उन्होंने सब धर्मों के लोगों को अपने रीति-रिवाजों का पालन करने की पूर्ण छूट दी थी। उनके साम्राज्य में नौकरियाँ बिना किसी धार्मिक मतभेद के योग्यता के आधार पर दी जाती थीं। निस्संदेह यायावर समाज के शासकों द्वारा अपनाई गई धार्मिक सहनशीलता की नीति उस युग की एक महान् उपलब्धि थी। प्रसिद्ध इतिहासकार डॉक्टर जे० जे० सांडर्स के अनुसार,
“एशिया के महाद्वीप में कभी भी इतनी धार्मिक स्वतंत्रता नहीं दी गई तथा विभिन्न मिशनरियों ने अपने धर्म का प्रचार करने का इतना प्रयास कभी नहीं किया।”
क्रम संख्या | वर्ष | घटना |
1. | 1162 ई० | तेमुजिन का जन्म। |
2. | 1206 ई。 | कुरिलताई द्वारा तेमुजिन को चंगेज़ खाँ घोषित करना। चंगेज़ खाँ द्वारा यास की घोषणा। |
3. | 1209 ई० | चीन के उत्तर-पश्चिमी प्राँत के सी-सिआ लोगों को पराजित करना। |
4. | 1215 ई० | चंगेज़ खाँ द्वारा पीकिंग पर अधिकार करना। |
5. | 1218 ई。 | चंगेज़ खाँ द्वारा करा रिता की विजय। |
6. | 1219 ई० | चंगेज़ खाँ द्वारा ओट्रार पर अधिकार। |
7. | 1220 ई० | चंगेज़ खाँ द्वारा बुखारा एवं समरकंद पर अधिकार। |
8. | 1221 ई० | चंगेज़ खाँ द्वारा बल्ख, मर्व एवं निशापुर पर अधिकार। |
9. | 1222 ई० | चंगेज़ खाँ द्वारा हेरात पर अधिकार। |
10. | 1227 ई० | चंगेज़ खाँ की मृत्यु। |
11. | 1229-41 ई。 | ओगोदेई का शासनकाल। |
12. | 1234 ई。 | ओगोदेई द्वारा चीन पर अधिकार। |
13. | 1236-42 ई० | चंगेज़ खाँ के पोते बाटू द्वारा रूस, हंगरी, पोलैंड एवं ऑस्ट्रिया पर अधिकार। |
14. | 1246-48 ई० | गुयूक का शासनकाल। |
15. | 1251-59 ई० | मोंके का शासनकाल। |
16. | 1254 ई० | फ्राँस के शासक लुई नौवें के राजदूत विलियम का मोंके के दरबार में पहुँचना। |
17. | 1258 ई० | मंगोलों का बगदाद पर अधिकार एवं अब्बासी वंश का अंत। |
18. | 1260-94 ई० | कुबलई खाँ का शासनकाल। |
19. | 1260 ई० | कुबलई खाँ द्वारा चीन में यूआन वंश की स्थापना। |
20. | 1275-92 ई० | वेनिस यात्री माक्को पोलो द्वारा चीन की यात्रा। |
21. | 1295-1304 ई० | गज़न खाँ का शासनकाल। |
संक्षिप्त उत्तरों वाले प्रश्न
प्रश्न 1.
मंगोल कौन थे ? उनके समाज की प्रमुख विशेषताएँ क्या थी ?
उत्तर:
मंगोल मध्य एशिया में रहने वाला एक यायावर समूह था। ये लोग मूलतः घुमक्कड़ थे। वे पशुपालक एवं शिकार संग्राहक थे। उनका समाज विभिन्न कबीलों में विभाजित था। इन कबीलों में आपसी लड़ाइयाँ चलती रहती थीं। लूटमार करना उनकी जीवन शैली का एक अभिन्न अंग था। वे चरागाहों की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान घूमते रहते थे। वे तंबुओं में निवास करते थे। उनके परिवार पितृपक्षीय थे। अतः परिवार में पुत्र का होना आवश्यक समझा जाता था।
उस समय धनी परिवार बहुत विशाल होते थे। उस समय बहु-विवाह का प्रचलन था। उनका प्रमुख भोजन माँस एवं दूध था। वे सूती, रेशमी एवं ऊनी वस्त्र पहनते थे। मंगोल अपने मृतकों का रात्रि के समय संस्कार करते थे। वे शवों को जमीन में दफ़न करते थे तथा उनके साथ कुछ आवश्यक वस्तुएँ भी रखते थे। क्योंकि उस समय स्टेपी क्षेत्र में संसाधनों की बहुत कमी थी इसलिए मंगोलों ने चीन के साथ व्यापारिक संबंध स्थापित किए थे।
प्रश्न 2.
मंगोल और बेदोइन समाज की यायावरी विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए, यह बताइए कि आपके विचार में किस तरह ऐतिहासिक अनुभव एक-दूसरे से भिन्न थे ? इन भिन्नताओं से जुड़े कारणों को समझाने के लिए आप क्या स्पष्टीकरण देगें?
उत्तर:
मंगोल स्टेपी क्षेत्र के यायावर कबीले थे। यह क्षेत्र बहुत मनोरम एवं पहाड़ी था। दूसरी ओर बेदोइन अरब के रेगिस्तानी क्षेत्रों में रहते थे। वे अपने लिए भोजन एवं पशुओं के लिए चारे की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान आते-जाते रहते थे। उनका मुख्य भोजन खजूर एवं मुख्य पशु ऊँट था। इसके विपरीत मंगोल यायावरों के पास हरी-भरी विशाल चरागाहें थीं। उनके पास पानी की कोई कमी नहीं थी।
उनके प्रदेश में ओनोन तथा सेलेंगा जैसी नदियाँ तथा बर्फीली पहाड़ियों से निकलने वाले सैकड़ों झरने भी थे। उनके मुख्य पशु घोड़े एवं भेड़ें थीं। वे शिकारी संग्राहक थे। उनका मुख्य व्यवसाय व्यापार करना था। दूसरी ओर बेदोइन शिकारी संग्राहक नहीं थे। वे मुख्यतः पशुपालक थे। उनकी भिन्नता का मुख्य कारण उनके प्रदेश की भौगोलिक भिन्नताएँ थीं।
प्रश्न 3.
मंगोलों के लिए व्यापार क्यों इतना महत्त्वपूर्ण था ?
उत्तर:
स्टेपी क्षेत्र अथवा मंगोलिया में संसाधनों की बहुत कमी थी। अतः यायावरी कबीले व्यापार के लिए अपने पड़ोसी देश चीन पर निर्भर करते थे। उनका व्यापार वस्तु-विनिमय पर आधारित था। यह व्यवस्था दोनों पक्षों के लिए लाभकारी थी। यायावर कबीले चीन से कृषि उत्पाद एवं लोहे के उपकरणों का आयात करते थे। इनके बदले वे घोड़ों, फर एवं शिकारी जानवरों का निर्यात करते थे। कभी-कभी दोनों पक्ष अधिक लाभ कमाने हेतु सैनिक कार्यवाही कर बैठते थे एवं लूटपाट में भी सम्मिलित हो जाते थे। इस संघर्ष में यायावरों को कम हानि होती थी।
इसका कारण यह था कि वे लूटपाट कर संघर्ष क्षेत्र से दूर भाग जाते थे। चीन को इन यायावरी आक्रमणों से बहुत क्षति पहुँचती थी। अत: चीनी शासकों ने अपनी प्रजा की रक्षा के लिए ‘चीन की महान् दीवार’ को अधिक मज़बूत किया।
प्रश्न 4.
चंगेज़ खाँ पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
चंगेज़ खाँ ने यायावर साम्राज्य की स्थापना में उल्लेखनीय भूमिका निभाई। उसका जन्म 1162 ई० में हुआ था। उसका बचपन का नाम तेमुजिन था। उसके पिता का नाम येसूजेई था तथा वह कियात कबीले का मुखिया था। उसकी माता का नाम ओलुन-इके था। तेमुजिन का विवाह बोरटे के साथ हुआ था। उसके बचपन में ही उसके पिता की एक विरोधी कबीले द्वारा हत्या कर दी गई थी। इसलिए उसे अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
इसके बावजूद तेमुजिन ने अपना धैर्य न खोया। इस संकट के समय उसे बोघूरचू, जमूका तथा तुगरिल खाँ ने बहुमूल्य सहयोग दिया। तेमुजिन ने अनेक शक्तिशाली कबीलों को पराजित कर अपने नाम की धाक जमा दी। उसकी सफलताओं को देखते हुए कुरिलताई ने 1206 ई० में तेमुजिन को चंगेज़ खाँ की उपाधि से सम्मानित किया।
चंगेज़ खाँ ने 1227 ई० तक शासन किया। अपने शासनकाल के दौरान चंगेज़ खाँ ने उत्तरी चीन एवं करा खिता को विजित किया। उसने ख्वारज़म के शाह मुहम्मद को पराजित कर उसके अनेक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया। उसने कराकोरम को मंगोल साम्राज्य की राजधानी घोषित किया। चंगेज़ खाँ ने मंगोल साम्राज्य की सुरक्षा एवं विस्तार के उद्देश्य से अपनी सेना को शक्तिशाली बनाया।
उसने नागरिक प्रशासन में भी अनेक उल्लेखनीय सुधार किए। उसकी महान् सफलताओं को देखते हुए उसे आज भी मंगोलिया के इतिहास में महान् राष्ट्र-नायक के रूप में स्मरण किया जाता है।
प्रश्न 5.
मंगोल कबीलों की मुख्य विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
(1) मंगोल कबीले नृजातीय और भाषायी संबंधी के कारण आपस में जुड़े हुए थे। परंतु उपलब्ध आर्थिक संसाधनों के अभाव के कारण उनका समाज अनेक पितृपक्षीय वंशों में विभाजित था।
(2) धनी-परिवार विशाल होते थे। उनके पास अधिक संख्या में पशु और चरण भूमि होती थी। स्थानीय राजनीति में भी उनका अधिक दबदबा होता था। इसलिए उनके अनेक अनुयायी होते थे।
(3) समय-समय पर आने वाली प्राकृतिक आपदाओं जैसे कि भीषण शीत-ऋतु के दौरान उनके द्वारा एकत्रित शिकार-सामग्रियाँ तथा अन्य खाद्य भंडार समाप्त हो जाते थे। वर्षा न होने पर घास के मैदान भी सूख जाते थे। इसलिए उन्हें चरागाहों की खोज में भटकना पड़ता था।
(4) मंगोल कबीलों में आपसी संघर्ष भी होता था। पशुधन प्राप्त करने के लिए वे लूटपाट भी करते थे।
(5) प्रायः परिवारों के समूह आक्रमण करने अथवा अपनी रक्षा करने के लिए शक्तिशाली कुलों से मित्रता कर लेते थे और परिसंघ बना लेते थे।
प्रश्न 6.
चंगेज़ खाँ की सफलता के प्रमुख कारण क्या थे ?
उत्तर:
चंगेज़ खाँ की सफलता के प्रमुख कारण निम्नलिखित थे
1) चंगेज़ खाँ स्वयं जन्मजात सेनापति था। वह जिस ओर रुख करता सफलता उसके कदम चूमती थी। अतः उसका नाम सुनते ही शत्रु की रूह कॉप जाती थी।
2) चंगेज़ खा ने एक शक्तिशाली सेना का गठ यह सेना बहुत अनुशासित थी। इस सेना का मुकाबला करना कोई सहज कार्य न था।
3) चंगेज़ खाँ का जासूसी विभाग अत्यंत कशल था। उसके जासस कोई भी युद्ध आरंभ होने से पूर्व उसके शत्र के संबंध में प्रत्येक छोटी से-छोटी जानकारी उपलब्ध करवाते थे। यह जानकारी उसके लिए बहुत बहमुल्य सिद्ध होती थी।
4) चंगेज़ खाँ मनोवैज्ञानिक युद्ध के महत्त्व को भली-भाँति जानता था। अतः जब भी किसी स्थान के लोग उसकी सेना का मुकाबला करने का साहस करते तो उसकी सेना वहाँ इतना विनाश करती जिसे सुनकर लोग थर-थर काँपने लगते थे। अतः लोग बिना लड़ाई किए ही उसके समक्ष आत्म-समर्पण कर देते थे।
5) मंगोल सैनिक घुड़सवारी एवं तीरंदाज़ी में इतने कुशल थे कि शत्रु भौचक्के रह जाते थे।
6) चंगेज़ खाँ ने शत्रु दुर्गों को नष्ट करने के लिए घेराबंदी यंत्र एवं नेफ़था बमबारी का व्यापक प्रयोग किया। इनके युद्ध में घातक प्रभाव होते थे।
प्रश्न 7.
यास से आपका क्या अभिप्राय है ? इसके प्रमुख नियम क्या हैं ?
उत्तर:
यास वे विधि नियम थे, जिन्हें चंगेज़ खाँ के शासनकाल में कुरिलताई द्वारा पारित किया गया था। इसके प्रमुख नियम निम्नलिखित थे
1) लोगों को एक परमात्मा में विश्वास रखना चाहिए जो कि स्वर्ग एवं पृथ्वी का स्वामी है। वह ही जीवन एवं मृत्यु, अमीरी तथा ग़रीबी देता है।
2) धार्मिक नेताओं, परामर्शदाताओं, पुरोहितों, मस्जिदों की देखभाल करने वालों, डॉक्टरों एवं शवों को स्नान कराने वालों को राज्य की तरफ से मुफ्त भोजन दिया जाना चाहिए।
3) जो भी व्यक्ति कुरिलताई से मान्यता प्राप्त किए बिना अपने आपको खाँ घोषित करता है उसे मृत्यु दंड दिया जाना चाहिए।
4) जिन कबीलों ने मंगोलों की अधीनता स्वीकार कर ली हो उनके मुखिया महत्त्वपूर्ण उपाधियाँ धारण नहीं कर सकते।
5) जो कोई शासक अथवा कबीला मंगोलों की अधीनता स्वीकार नहीं करता उसके साथ किसी प्रकार का कोई समझौता न किया जाए।
6) सभी धर्मों का सम्मान किया जाए। सभी धर्मों के पुरोहितों को सभी प्रकार के करों से मुक्त रखा जाए।
7) किसी चलते हुए दरिया में वस्त्र धोकर अथवा मलमूत्र द्वारा गंदा करने पर कड़ा प्रतिबंध था। ऐसा करने वालों को मृत्यु दंड दिया जाता था।
प्रश्न 8.
चंगेज़ खाँ ने सेना में अनुशासन बनाए रखने के लिए कौन-से नियम बनाए ?
उत्तर:
चंगेज़ खाँ सेना में अनुशासन को विशेष महत्त्व देता था। वह अनुशासनहीन सेना को एक भीड़ मात्र समझता था। उसने सेना में अनुशासन बनाए रखने के उद्देश्य से अनेक नियम बनाए थे। इनका उल्लंघन करने वाले सैनिकों को मृत्यु दंड दिया जाता था। ये नियम थे
- युद्ध के आरंभ होने पर छुट्टी पर गए सभी सैनिक तुरंत रिपोर्ट करें।
- सभी सैनिकों के लिए आवश्यक था कि वे अपने अधिकारियों के आदेश का पालन करें।
- कोई भी सैनिक अपनी इकाई को छोड़कर किसी दूसरी इकाई में नहीं जा सकता था।
- युद्ध में जाने से पहले सभी सैनिकों को अपने हथियारों का निरीक्षण कर लेना चाहिए।
- कोई भी सैनिक अपने अधिकारियों की अनुमति के बिना लूटपाट न करे।
- अधिकारियों द्वारा अनुमति मिलने पर ही लूटपाट आरंभ की जाए। लूट के धन से अधिकारियों एवं खाँ का हिस्सा दिया जाना चाहिए।
प्रश्न 9.
चंगेज़ खाँ के सैनिक प्रशासन की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
- चंगेज़ खाँ के समय सभी स्वस्थ व्यक्तियों के लिए सेना में भर्ती होना अनिवार्य था। केवल पुरोहितों, डॉक्टरों एवं विद्वानों को इसमें छूट दी गई थी।
- चंगेज़ खाँ की सेना पुरानी दशमलव पद्धति के अनुसार गठित की गई थी। यह 10,100, 1000 एवं 10,000 सैनिकों की इकाइयों में विभाजित थी।
- चंगेज़ खाँ की सेना में विभिन्न मंगोल जनजातियों के लोग सम्मिलित थे।
- चंगेज़ खाँ ने सैनिकों के प्रशिक्षण पर विशेष बल दिया। उसने विशेष कप्तानों को नियुक्त किया था, जिन्हें नोयान कहा जाता था।
- चंगेज़ खाँ सेना में अनुशासन को विशेष महत्त्व देता था। वह अनुशासनहीन सेना को एक भीड़ मात्र समझता था। उसने सेना में अनुशासन बनाए रखने के उद्देश्य में अनेक नियम बनाए थे।
प्रश्न 10.
चंगेज़ खाँ को मंगोलों का सबसे महान् शासक क्यों माना जाता था ?
उत्तर:
चंगेज़ खाँ को निम्नलिखित कारणों से मंगोलों का सबसे महान शासक माना जाता था
- उसने मंगोलों को एक झंडे के अधीन एकत्रित किया।
- उसने लंबे समय से चली आ रही कबीलाई लड़ाइयों का अंत किया।
- उसने मंगोलों को चीनियों द्वारा किए जा रहे शोषण से मुक्ति दिलवाई।
- उसने एक महान् साम्राज्य की स्थापना की।
- उसके व्यापार द्वारा मंगोलों को समृद्ध बनाया।
- उसने एक शक्तिशाली सेना का गठन किया।
प्रश्न 11.
याम से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
चंगेज़ खाँ की एक बहुमूल्य देन याम की स्थापना करना था। याम एक प्रकार की सैनिक चौकियाँ थीं। मंगोल साम्राज्य में प्रत्येक 25 मील की दूरी पर ऐसी चौकियाँ स्थापित की गई थीं। इन चौकियों में घुड़सवार संदेशवाहक तथा फुर्तीले घोड़े सदैव तैनात रहते थे। घुड़सवार संदेशवाहक सभी प्रकार के सरकारी संदेशों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाते थे।
प्रत्येक घुड़सवार अपने घोड़े के गले में एक घंटी बाँध कर रखता था। जब वह किसी याम के निकट पहुँचता तो इस घंटी की आवाज़ सुन कर संदेशवाहक अपने घोड़े के साथ आगे गंतव्य तक बढ़ने के लिए तैयार हो जाता।
इन यामों में ठहरने वाले यात्रियों की सुविधा के लिए उनके खाने-पीने का पूरा इंतजाम किया जाता था। यात्रियों की सुरक्षा के लिए सरकार की तरफ से एक प्रकार के पास जारी किए जाते थे। इन पासों को फ़ारसी में पैजा तथा मंगोल भाषा में जेरेज़ कहते थे। ये पास तीन प्रकार-सोने, चाँदी एवं लोहे के होते थे। प्रत्येक याम में यात्रियों को इन पासों के अनुसार सुविधाएँ दी जाती थीं। इन चौकियों के कारण सड़क मार्गों को सुरक्षित बनाया जाता था।
प्रश्न 12.
उलुस से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
मंगोल प्रशासन की एक उल्लेखनीय विशेषता चंगेज़ खाँ द्वारा उलुस का गठन करना था। इसके अनुसार चंगेज़ खाँ ने नव-विजित क्षेत्रों पर शासन करने का उत्तरदायित्व अपने चारों पुत्रों को दे दिया। उसके सबसे ज्येष्ठ पुत्र जोची को रूसी स्टेपी का प्रदेश दिया गया। उसके दूसरे पुत्र चघताई को तूरान का स्टेपी क्षेत्र तथा पामीर पर्वत का उत्तरी क्षेत्र दिया गया। चंगेज़ खाँ ने संकेत दिया कि उसका तीसरा पुत्र ओगोदेई उसका उत्तराधिकारी होगा।
उसके सबसे छोटे पुत्र तोलुई को मंगोलिया का क्षेत्र दिया गया। उलुस से भाव किसी निश्चित भू-भाग से नहीं था क्योंकि इनमें लगातार परिवर्तन होता रहता था। उलुस में चंगेज़ खाँ के पुत्रों की स्थिति उप-शासक जैसी थी। उनके अधीन अलग-अलग सैन्य टुकड़ियाँ (तामा) थीं। वे अपने अधीन क्षेत्रों से लोगों को सेना में भर्ती कर सकते थे। उन्हें लोगों पर नए कर लगाने का अधिकार दिया गया था।
प्रश्न 13.
मंगोलों की हरकारा पद्धति क्या थी?
उत्तर:
चंगेज़ खाँ द्वारा स्थापित एक फुर्तीली संचार व्यवस्था को हरकारा पद्धति कहा जाता था। इस कारण राज्य के दूर स्थित स्थानों में आपसी संपर्क बना रहता था। निश्चित की गई दूरी पर निर्मित सैनिक, चौकियों में स्वस्थ एवं बलवान घोड़े एवं घुड़सवार तैनात रहते थे। इस संचार पद्धति के संचालन के लिए मंगोल यायावर अपने घोड़ों अथवा अन्य पशुओं का दसवां भाग प्रदान करते थे। इसे कुबकुर कर कहते थे। यायावर लोग यह कर अपनी इच्छा से प्रदान करते थे। इससे उन्हें अनेक लाभ प्राप्त होते थे। चंगेज़ खाँ की मृत्यु के पश्चात् मंगोलों ने इस पद्धति में और भी सुधार किए। इस कारण महान् खाँनों को अपने विस्तृत साम्राज्य के सुदूर स्थानों में होने वाली घटनाओं पर निगरानी रखने में सहायता मिलती थी।
प्रश्न 14.
विजित लोग अपने मंगोल शासकों को पसंद नहीं करते थे । क्यों?
उत्तर:
विजित लोग अपने मंगोल शासकों को निम्नलिखित कारणों से पसंद नहीं करते थे
- मंगोलों ने अपने युद्धों के दौरान अनेक भव्य नगरों को नष्ट कर दिया था।
- मंगोलों ने कृषि भूमि को भारी हानि पहुँचाई थी।
- उनके आक्रमणों के दौरान विजित क्षेत्रों के व्यापार को व्यापक पैमाने पर क्षति पहुंची थी।
- इन युद्धों के कारण दस्तकारी वस्तुओं का उत्पादन लगभग ठप्प हो गया था।
- इन युद्धों के दौरान बड़ी संख्या में लोग मारे गए थे तथा कइयों को दास बना लिया गया था।
- इन युद्धों के दौरान समाज के प्रत्येक वर्ग के लोगों को भारी कष्टों का सामना करना पड़ा था।
प्रश्न 15.
कुबलई खाँ पर एक संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर:
कुबलई खाँ ने 1260 ई० में पीकिंग में यूआन वंश की स्थापना की घोषणा की। कुबलई खाँ ने 1294 ई० तक शासन किया। कुबलई खाँ एक योग्य एवं महान् शासक प्रमाणित हुआ। उसने सर्वप्रथम उत्तरी चीन में अपनी स्थिति को सुदृढ़ किया। उसने अपनी सेना को शक्तिशाली बनाया। उसके पश्चात् उसने अरिक बुका को पराजित किया। 1280 ई० में कुबलई खाँ ने दक्षिण चीन के शुंग शासक को पराजित करने में सफलता प्राप्त की।
निस्संदेह यह कुबलई खाँ की एक महान् सफलता थी। इसके पश्चात् उसने बर्मा, चंपा एवं कंबोडिया के शासकों को पराजित किया। कुबलई खाँ ने न केवल अपने साम्राज्य का विस्तार ही किया अपितु इसे अच्छी प्रकार से संगठित भी किया। उसने चीन में प्रचलित परंपराओं को जारी रखा। उसने अनेक नई सड़कों का निर्माण किया एवं पुरानी की मुरम्मत करवाई। उसने सड़कों के किनारे छाया वाले वृक्ष लगवाए। उसने यात्रियों की सुविधा के लिए सराएँ बनवाईं।
उसने शिक्षा को प्रोत्साहित किया। उसने सिविल सर्विस में उल्लेखनीय सुधार किए। उसने राज्य की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के उद्देश्य से अनेक कदम उठाए। उसने 1282 ई० में कागज़ की मुद्रा का प्रचलन किया। उसने अकालों से निपटने के लिए भी अनेक प्रयास किए। यद्यपि कुबलई खाँ का झुकाव बौद्ध धर्म की ओर था किंतु उसने अन्य धर्मों के प्रति सहनशीलता की नीति अपनाई।
अति संक्षिप्त उत्तरों वाले प्रश्न
प्रश्न 1.
मंगोल कौन थे ?
उत्तर:
मंगोल मध्य एशिया के आधुनिक मंगोलिया प्रदेश में रहने वाला एक यायावर समूह था। यह समूह विभिन्न कबीलों में विभाजित था। इनमें प्रमुख थे मंगोल, तातार, नेमन एवं खितान । मंगोल पशुपालक एवं शिकार संग्राहक थे।
प्रश्न 2.
खानाबदोश या यायावर साम्राज्य से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
खानाबदोश या यायावर लोग मूलतः घुमक्कड़ होते हैं। ये सापेक्षिक तौर पर एक अविभेदित आर्थिक जीवन एवं प्रारंभिक राजनैतिक संगठन के साथ परिवारों के समूह में संगठित होते हैं।
प्रश्न 3.
मंगोलों का सबसे बहुमूल्य स्रोत किसे माना जाता है ? इसका रचयिता कौन था ?
उत्तर:
- मंगोलों का सबसे बहुमूल्य स्रोत ‘मंगोलों का गोपनीय इतिहास’ को माना जाता है।
- इसका रचयिता ईगोर दे रखेविल्ट्स था।
प्रश्न 4.
मंगोलों के समय में स्टेपी क्षेत्र में कोई नगर क्यों नहीं उभर पाया ?
उत्तर:
- मंगोलों ने कृषि को नहीं अपनाया था।
- मंगोलों की पशुपालक एवं शिकार संग्राहक अर्थव्यवस्थाएँ भी घनी आबादी वाले क्षेत्रों का भरण-पोषण करने में असमर्थ थीं।
प्रश्न 5.
मंगोलों के धनी परिवारों के अनेक अनुयायी क्यों होते थे ?
उत्तर:
- उनके पास अधिक संख्या में पश एवं चारण भमि होती थी।
- वे स्थानीय राजनीति में काफी प्रभावशाली होते थे।
प्रश्न 6.
मंगोल कबीलों को चरागाहों की खोज में क्यों भटकना पड़ता था ?
उत्तर:
- शीत ऋतु में मंगोल कबीलों द्वारा एकत्रित की गई खाद्य सामग्री समाप्त हो जाती थी।
- वर्षा न होने से घास मैदान सूख जाते थे।
प्रश्न 7.
मंगोलों के निवास स्थान को क्या कहा जाता था ? इसकी कोई दो विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर:
- मंगोलों के निवास स्थान को जर (तंबू) कहा जाता था।
- इसका प्रवेश द्वार दक्षिण की ओर होता था ताकि उत्तर से आने वाली शीत हवाओं से बचा जा सके।
- जर को दो भागों में बाँटा जाता था। एक भाग मेहमानों के लिए एवं दूसरा घर के सदस्यों के लिए होता था।
प्रश्न 8.
मंगोल कृषि कार्य क्यों नहीं करते थे ?
उत्तर:
- उस समय स्टेपी क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियाँ कृषि के अनुकूल नहीं थीं।
- वहाँ केवल सीमित काल में ही कृषि करना संभव था।
प्रश्न 9.
12वीं शताब्दी में मंगोल समाज की कोई दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
- उस समय परिवार पितृपक्षीय होते थे।
- उस समय समाज में बहु-विवाह प्रणाली प्रचलित थी।
प्रश्न 10.
मंगोल अपने मृतकों का संस्कार कैसे करते थे ?
उत्तर:
मंगोल अपने मृतकों के शवों को जमीन में दफनाते थे। वे उनके साथ दैनिक आवश्यकताओं की वस्तुएँ एवं बर्तनों आदि को भी दफनाते थे। धनी लोगों के शवों के साथ अनेक बहुमूल्य वस्तुओं, घोड़ों, नौकरों एवं स्त्रियों आदि को भी दफ़न किया जाता था।
प्रश्न 11.
मंगोल कौन थे ? मंगोलों के लिए व्यापार क्यों इतना महत्त्वपूर्ण था ?
अथवा
मंगोलों के लिए व्यापार क्यों इतना महत्त्वपूर्ण था ?
अथवा
मंगोलों के लिए व्यापार क्यों इतना महत्त्वपूर्ण था ? कोई दो कारण लिखिए।
उत्तर:
मंगोल स्टेपी क्षेत्र में रहते थे। इस क्षेत्र में संसाधनों की बहुत कमी थी। उनके लिए व्यापार जीविका का एकमात्र साधन था। अतः मंगोलों के लिए व्यापार बहुत महत्त्वपूर्ण था।
प्रश्न 12.
मंगोल चीन से किन वस्तुओं का आयात-निर्यात करते थे ?
अथवा
चीन से मंगोलों को कौन-सी वस्तुएँ निर्यात की जाती थीं?
उत्तर:
- मंगोल चीन से कृषि उत्पादों एवं लोहे के उपकरणों का आयात करते थे।
- मंगोल चीन को घोड़े, फर एवं शिकारी जानवरों का निर्यात करते थे।
प्रश्न 13.
वाणिज्यिक क्रियाकलापों में मंगोलों को कभी-कभी तनाव का सामना क्यों करना पड़ता था ?
उत्तर:
कभी-कभी व्यापार करने वाले दोनों पक्ष अधिक लाभ कमाने की होड़ में सैनिक कार्यवाही कर देते थे एवं लूटपाट में सम्मिलित हो जाते थे। इस कारण उन्हें तनाव का सामना करना पड़ता था।
प्रश्न 14.
चीन की महान् दीवार क्यों बनवाई गई थी ?
उत्तर:
चीन की महान् दीवार इसलिए बनवाई गई थी क्योंकि यायावर कबीले चीन पर बार-बार आक्रमण करते रहते थे। इन आक्रमणों से चीन की सुरक्षा के लिए यह दीवार बनवाई गई थी।
प्रश्न 15.
चंगेज़ खाँ कौन था ?
उत्तर:
- चंगेज़ खाँ मंगोलों का सबसे महान् नेता था।
- उसने 1206 ई० से 1227 ई० तक शासन किया।
प्रश्न 16.
चंगेज़ खाँ का जन्म कब हुआ ? उसका प्रारंभिक नाम क्या था ?
उत्तर:
- चंगेज़ खाँ का जन्म 1162 ई० में हुआ।
- उसका प्रारंभिक नाम तेमुजिन था।
प्रश्न 17.
चंगेज़ खाँ के पिता का नाम क्या था ? वह किस कबीले का मुखिया था ?
उत्तर:
- चंगेज खाँ के पिता का नाम येसूजेई था।
- वह कियात कबीले का मुखिया था।
प्रश्न 18.
चंगेज़ खाँ का नाम तेमुजिन क्यों रखा गया था ?
उत्तर:
चंगेज़ खाँ का नाम तेमुजिन इसलिए रखा गया था क्योंकि उसके जन्म के समय उसके पिता येसूजेई ने तातार कबीले के मुखिया तेमुजिन को पराजित किया था। अतः मंगोलियाई परंपरा के अनुसार नव-जन्में बालक का नाम तेमुजिन रखा गया।
प्रश्न 19.
आंडा (anda) से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
आंडा से अभिप्राय ऐसे व्यक्तियों से है जिन्हें मंगोल सौगंध के आधार पर अपना सगा भाई बना लेते थे।
प्रश्न 20.
तेमुजिन को चंगेज़ खाँ की उपाधि से कब तथा किसने सम्मानित किया था ? इससे क्या भाव था ?
उत्तर:
- तेमुजिन को चंगेज़ खाँ की उपाधि से 1206 ई० में कुरिलताई ने सम्मानित किया था।
- इससे भाव था सार्वभौम शासक।
प्रश्न 21.
खाँ की उपाधि से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
खाँ की उपाधि से अभिप्राय है सार्वभौम शासक। कुरिलताई ने तेमुजिन को चंगेज़ खाँ की उपाधि से 1206 ई० में सम्मानित किया था।
प्रश्न 22.
कुरिलताई से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
कुरिलताई प्रतिष्ठित मंगोल सरदारों के कबीले की एक सभा थी।
प्रश्न 23.
कुरिलताई के कोई दो प्रमुख कार्य बताएँ।
उत्तर:
- उत्तराधिकार संबंधी निर्णय लेना।।
- राज्य के भविष्य एवं अभियानों संबंधी निर्णय लेना।
प्रश्न 24.
चंगेज़ खाँ की कोई दो महत्त्वपूर्ण विजयें बताएँ।
उत्तर:
- उत्तरी चीन की विजय।
- ख्वारज़म की विजय।
प्रश्न 25.
चंगेज़ खाँ ने पीकिंग पर कब अधिकार किया ? उस समय वहाँ किस राजवंश का शासन था ?
उत्तर:
- चंगेज़ खाँ ने पीकिंग पर 1215 ई० में अधिकार किया।
- उस समय वहाँ चिन राजवंश का शासन था।
प्रश्न 26.
चंगेज खाँ ने खारजम पर आक्रमण कब किया ? इसका तात्कालिक कारण क्या था ?
उत्तर:
- चंगेज़ खाँ ने ख्वारज़म पर 1219 ई० में आक्रमण किया था।
- इसका तात्कालिक कारण यह था कि ओट्रार के गवर्नर ने वारज़म शाह के इशारे पर चंगेज़ खाँ के एक व्यापारिक मंडल के चार सदस्यों की हत्या कर दी थी।
प्रश्न 27.
यदि इतिहास नगरों में रहने वाले साहित्यकारों के लिखित विवरणों पर निर्भर करता है तो यायावर समाजों के बारे में हमेशा प्रतिकूल विचार ही रखे जाएँगे। क्या आप इस कथन से सहमत हैं ?
उत्तर:
हाँ, मैं इस कथन से सहमत हूँ। इसका कारण यह है कि यायावर नगरों में भयंकर लूटमार करते थे तथा उन्हें नष्ट कर देते थे।
प्रश्न 28.
क्या आप इसका कारण बताएँगे कि फ़ारसी इतिवृत्तकारों ने मंगोल अभियानों में मारे गए लोगों की इतनी बढ़ा-चढ़ा कर संख्या क्यों बताई है ?
उत्तर:
फ़ारसी इतिवृत्तकारों ने मंगोल अभियानों में मारे गए लोगों की संख्या इतनी बढ़ा-चढ़ा कर इसलिए बताई है क्योंकि वे मंगोलों को क्रूर हत्यारा दर्शाना चाहते थे।
प्रश्न 29.
चंगेज़ खाँ की मृत्यु कब हुई ?
उत्तर:
चंगेज़ खाँ की मृत्यु 1227 ई० में हुई।
प्रश्न 30.
चंगेज़ खाँ का साम्राज्य कहाँ से कहाँ तक फैला हुआ था ? उसकी राजधानी का नाम क्या था ?
उत्तर:
- चंगेज़ खाँ का साम्राज्य फ़ारस से लेकर पीकिंग तक तथा साईबेरिया से लेकर सिंध तक फैला था।
- उसकी राजधानी का नाम कराकोरम था।
प्रश्न 31.
चंगेज़ खाँ की सफलता के दो प्रमुख कारण क्या थे ?
उत्तर:
- चंगेज़ खाँ स्वयं एक महान् सेनापति था।
- चंगेज़ खाँ ने एक शक्तिशाली सेना का गठन किया था।
प्रश्न 32.
चंगेज़ खाँ की अलोकप्रियता के दो कारण लिखिए।
अथवा
चंगेज़ खाँ द्वारा विजित लोगों को अपने नवीन यायावर शासकों से कोई लगाव न था। इसके कोई दो कारण बताएँ।
अथवा
क्या कारण था कि 13वीं शताब्दी में चीन, ईरान और पूर्वी यूरोप के अनेक नगरवासी स्टेपी के गिरोहों को भय और घृणा की दृष्टि से देखते थे ?
उत्तर:
- मंगोलों ने अपने युद्धों के दौरान अनेक नगरों का विनाश कर दिया था।
- मंगोलों ने युद्धों के दौरान लाखों की संख्या में लोगों को मौत के घाट उतार दिया था।
प्रश्न 33.
यास से क्या अभिप्राय है ? इसका प्रचलन कब और किसने किया ?
अथवा
यांस से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
- यास से अभिप्राय है विधि संहिता।
- इसका प्रचलन 1206 ई० में चंगेज़ खाँ ने किया।
प्रश्न 34.
यास क्या था? इसके दो सैनिक नियम क्या थे?
उत्तर:
- यास चंगेज़ खाँ की विधि संहिता थी।
- युद्ध आरंभ होने की स्थिति में छुट्टी पर गए सभी सैनिक तुरंत रिपोर्ट करें।
- कोई भी सैनिक अपने कमांडर की अनुमति के बिना लूटमार नहीं कर सकता।
प्रश्न 35.
यास के कोई दो महत्त्वपूर्ण नियम बताएँ।
उत्तर:
- जो भी व्यक्ति कुरिलताई से मान्यता प्राप्त किए बिना अपने आपको खाँ घोषित करता है उसे मृत्यु दंड दिया जाना चाहिए।
- सभी धर्मों का सम्मान किया जाना चाहिए तथा उनके पुरोहितों को सभी प्रकार के करों से मुक्त रखा जाना चाहिए।
प्रश्न 36.
यास के बारे में परवर्ती मंगोलों का चिंतन किस तरह चंगेज़ खाँ की स्मृति के साथ जुड़े हुए उनके तनावपूर्ण संबंधों को उजागर करता है ?
उत्तर:
परवर्ती मंगोल यास को चंगेज़ खाँ की विधि संहिता कह कर पुकारते थे। वे स्वयं का यास लागू करना चाहते थे। इससे उनके तनावपूर्ण संबंध उजागर होते हैं।
प्रश्न 37.
चंगेज़ खाँ के सैनिक प्रशासन की कोई दो प्रमुख विशेषताएँ लिखें।
उत्तर:
- उसने अपनी सेना को दशमलव पद्धति के अनुसार गठित किया।
- उसकी सेना में न केवल विभिन्न मंगोल जनजातियों अपितु विभिन्न देशों के लोग सम्मिलित थे।
प्रश्न 38.
मंगोलों के नागरिक प्रशासन की कोई दो विशेषताएँ लिखें।
उत्तर:
- मंगोल प्रशासन में खाँ की स्थिति सर्वोच्च थी।
- मंगोलों ने अपने नागरिक प्रशासकों को योग्यता के आधार पर भर्ती किया था।
प्रश्न 39.
उलुस से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
उलुस का गठन चंगेज़ खाँ ने किया था। इसके अधीन चंगेज़ खाँ ने अपने पुत्रों को नव-विजित क्षेत्रों पर शासन करने का अधिकार दिया था। उलुस से भाव किसी निश्चित क्षेत्र से नहीं था क्योंकि इसमें लगातार परिवर्तन होता रहता था। उलुस में चंगेज़ खाँ के पुत्रों की स्थिति उप-शासकों जैसी थी।
प्रश्न 40.
ये-लू-चुत्साई कौन था ?
उत्तर:
ये-लू-चुत्साई एक चीनी मंत्री था। उसे मंगोलों ने 1215 ई० के आक्रमण के दौरान बँदी बना लिया था। उसने मंगोल प्रशासन को एक नया स्वरूप देने में उल्लेखनीय भूमिका निभाई।
प्रश्न 41.
याम (yam) से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
याम की स्थापना चंगेज़ खाँ ने की थी। यह एक प्रकार की सैनिक चौकियाँ थीं। यहाँ से घुड़सवार संदेशवाहक सरकारी संदेशों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाते थे। इन यामों में यात्रियों के ठहरने का पूरा प्रबंध था।
प्रश्न 42.
कुबकुर से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
कुबकुर एक प्रकार का कर था। इसके अधीन मंगोल यायावर अपने पशु समूहों से अपने घोड़े अथवा अन्य पशुओं का दसवाँ हिस्सा सरकार को देते थे। मंगोल इन पशुओं का प्रयोग अपनी संचार व्यवस्था को बनाए रखने के लिए करते थे।
प्रश्न 43.
पैज़ा (paiza) से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
पैज़ा एक प्रकार के पास थे जिन्हें यात्रियों की सुरक्षा एवं सुविधा के लिए मंगोल सरकार द्वारा जारी किया जाता था। ये पास तीन प्रकार सोने, चाँदी एवं लोहे के होते थे। इसे यात्री अपने माथे पर बाँधते थे। इन पासों के आधार पर ही इन यात्रियों एवं व्यापारियों को यामों में सुविधाएँ दी जाती थीं।
प्रश्न 44.
मंगोलों के धार्मिक जीवन की कोई दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:
- मंगोलों का प्रमुख देवता तेंगरी था। वे उसे सर्वशक्तिमान समझते थे।
- मंगोल शासकों ने विभिन्न धर्मों के प्रति सहनशीलता की नीति अपनाई।
प्रश्न 45.
चंगेज़ खाँ का उत्तराधिकारी कौन था ? उसका शासनकाल क्या था ?
उत्तर:
- चंगेज़ खाँ का उत्तराधिकारी ओगोदेई था।
- उसने 1229 ई० से 1241 ई० तक शासन किया।
प्रश्न 46.
ओगोदेई की कोई दो प्रमुख सफलताएँ लिखिए।
उत्तर:
- उसने उत्तरी चीन में अपनी स्थिति को सुदृढ़ किया।
- उसने ईरान के शासक जलालुद्दीन को कड़ी पराजय दी।
प्रश्न 47.
ओगोदेई के कोई दो प्रमुख प्रशासनिक सुधार बताएँ।
उत्तर:
- उसने मंगोल साम्राज्य में अनेक न्यायालयों की स्थापना की।
- उसने करों को नियमित कर मंगोल अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ किया।
प्रश्न 48.
बाटू कौन था ?
उत्तर:
बाटू चंगेज़ खाँ का पोता था। उसने 1236 ई० से 1242 ई० तक अपने अभियानों के दौरान रूस, हंगरी, पोलैंड एवं ऑस्ट्रिया पर अधिकार कर मंगोल साम्राज्य के विस्तार में प्रशंसनीय योगदान दिया। उसने दक्षिण रूस में सुनहरा गिरोह की स्थापना की।
प्रश्न 49.
मोंके कौन था ?
उत्तर:
मोंके चंगेज़ खाँ का पोता एवं तोलूई का पुत्र था। वह 1251 ई० से 1259 ई० तक मंगोलों का महान् खाँ रहा। वह चंगेज़ खाँ के उत्तराधिकारियों में सबसे योग्य प्रमाणित हुआ।
प्रश्न 50.
कुबलई खाँ कौन था ?
उत्तर:
कुबलई खाँ चीन में मंगोलों का एक प्रसिद्ध शासक था। उसने 1260 ई० से 1294 ई० तक शासन किया। उसने दक्षिण चीन को अपने अधीन किया। उसने शिक्षा को प्रोत्साहित किया एवं अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाया। उसकी राजधानी का नाम पीकिंग था।
प्रश्न 51.
प्रसिद्ध वेनिस यात्री मार्को पोलो ने चीन की यात्रा कब की तथा वह किसके दरबार में रहा ?
अथवा
मार्को पोलो कौन था ?
उत्तर:
- प्रसिद्ध वेनिस यात्री मार्को पोलो ने चीन की यात्रा 1275 ई० से 1292 ई० तक की।
- वह कुबलई खाँ के दरबार में रहा।
- उसने कुबलई खाँ के शासनकाल के बारे में महत्त्वपूर्ण प्रकाश डाला है।
प्रश्न 52.
हुलेगु ने बग़दाद पर कब अधिकार किया ? उसने किस खलीफ़ा का वध किया ? वह किस वंश से संबंधित था ?
उत्तर:
- हुलेगु ने बग़दाद पर 1258 ई० में अधिकार किया।
- उसने खलीफ़ा अल-मुस्तासिम का वध किया।
- वह अब्बासी वंश से संबंधित था।
प्रश्न 53.
फ़ारसी का प्रसिद्ध इतिहासकार जुवाइनी किस शासक का दरबारी इतिहासकार था ? उसकी रचना का नाम क्या था ?
उत्तर:
- फ़ारसी का प्रसिद्ध इतिहासकार जुवाइनी हुलेगु का दरबारी इतिहासकार था।
- उसकी रचना का नाम हिस्ट्री ऑफ़ द कनकरर ऑफ़ द वर्ल्ड था।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
मंगोल कौन थे ?
उत्तर:
मध्य एशिया का एक यायावर समूह।
प्रश्न 2.
बर्बर शब्द यूनानी भाषा के किस शब्द से उत्पन्न हुआ है ?
उत्तर:
बारबोस।
प्रश्न 3.
मंगोल कहाँ का रहने वाला एक यायावर समूह था ?
उत्तर:
मध्य एशिया का।
प्रश्न 4.
मंगोलों का गोपनीय इतिहास का लेखक कौन था ?
उत्तर:
ईगोर दे रखेविल्ट्स।।
प्रश्न 5.
मंगोल जिन तंबुओं में रहते थे उन्हें क्या कहा जाता था ?
उत्तर:
जर।
प्रश्न 6.
मंगोलों का सर्वाधिक प्रसिद्ध नेता कौन था ?
उत्तर:
चंगेज़ खाँ।
प्रश्न 7.
चंगेज़ खाँ का जन्म कब हुआ था ?
उत्तर:
1162 ई० में।
प्रश्न 8.
चंगेज़ खाँ किस कुल से संबंधित था ?
उत्तर:
बोरजिगिद।
प्रश्न 9.
चंगेज खाँ के बचपन का नाम क्या था ?
उत्तर:
तेमुजिन।
प्रश्न 10.
मंगोलों के किस शासक को समुद्री खाँ की उपाधि दी गई थी ?
उत्तर:
चंगेज़ खाँ।
प्रश्न 11.
मंगोलों द्वारा बुखारा पर आधिपत्य कब स्थापित किया गया ?
उत्तर:
1221 ई०।
प्रश्न 12.
मंगोलों ने हिरात पर अपना अधिकार कब स्थापित किया ?
उत्तर:
1222 ई०।
प्रश्न 13.
चंगेज़ खाँ ने पीकिंग पर कब अधिकार किया था ?
उत्तर:
1215 ई० में।
प्रश्न 14.
चंगेज़ खाँ ने यास का प्रचलन कब किया था ?
उत्तर:
1206 ई० में।
प्रश्न 15.
चंगेज़ खाँ ने सैनिकों के प्रशिक्षण के लिए किन्हें नियुक्त किया था ?
उत्तर:
नोयान को।
प्रश्न 16.
ये-लू-चुत्साई कौन था ?
उत्तर:
एक चीनी मंत्री।
प्रश्न 17.
मंगोल साम्राज्य में व्यापारी अपनी सुरक्षा के लिए कौन-सा कर देते थे ?
उत्तर:
बाज़।
प्रश्न 18.
चंगेज़ खाँ का उत्तराधिकारी कौन था ?
उत्तर:
ओगोदेई।
प्रश्न 19.
मंगोलों ने बग़दाद पर कब अधिकार कर लिया था ?
उत्तर:
1258 ई० में।
प्रश्न 20.
पीकिंग में यूआन वंश का संस्थापक कौन था ?
उत्तर:
कुबलई खाँ ने।
प्रश्न 21.
इल-खानी वंश का संस्थापक कौन था ?
उत्तर:
हुलेगु।
प्रश्न 22.
हिस्ट्री-ऑफ़ द कनकरर ऑफ़ द वर्ल्ड का लेखक कौन था ?
उत्तर:
जुवाइनी।
प्रश्न 23.
मंगोलों ने अब्बासी वंश का अंत कब किया ?
उत्तर:
1258 ई०।
प्रश्न 24.
चीन में यूआन राजवंश का अंत कब हुआ ?
उत्तर:
1368 ई०।
प्रश्न 25.
गजन खाँ किस वंश का शासक था ?
उत्तर:
इल-खानी।
प्रश्न 26.
मंगोलों ने गोल्डन होर्ड की स्थापना कहाँ की थी ?
उत्तर:
दक्षिण रूस में।
रिक्त स्थान भरिए
1. चंगेज़ खाँ का जन्म .. ……………. ई० में हुआ।
उत्तर:
1162
2. चंगेज़ खाँ का प्रारंभिक नाम …………….. था।
उत्तर:
तेमुजिन
3. मंगोलों द्वारा चंगेज़ खाँ को …………….. तथा …………….. उपाधि से नवाजा गया।
उत्तर:
समुद्री खाँ, सार्वभौम शासक
4. मंगोलों का महानायक …………….. को घोषित किया गया।
उत्तर:
चंगेज़ खाँ
5. मंगोलों द्वारा निशापुर पर आधिपत्य …………….. ई० में किया गया।
उत्तर:
122
6. मंगोलों ने बग़दाद पर अधिकार व अब्बासी खिलाफ़त का अंत …………….. ई० में किया।
उत्तर:
1258
7. चीन में 1368 ई० में …………….. राजवंश का अंत हो गया।
उत्तर:
यूआन
8. मंगोलों द्वारा पीकिंग को ……………. ई० में लूटा गया।
उत्तर:
1215
9. ईरान में 1295-1304 ई० तक ……………. का शासन काल रहा।
उत्तर:
गज़न खाँ
10. गज़न खाँ सिंहासन पर …………….. ई० में बैठा।
उत्तर:
1295 ई०
11. जोची की मृत्यु …………….. ई० में हुई थी।
उत्तर:
1227
12. चंगेज़ खाँ के बड़े पुत्र जोची के पुत्र का नाम …………….. था।
उत्तर:
बाटू
बहु-विकल्पीय प्रश्न
1. 13वीं-14वीं शताब्दी में स्थापित विश्व का सबसे महत्त्वपूर्ण खानाबदोश साम्राज्य था
(क) मंगोल
(ख) हूण
(ग) हुआंग डी
(घ) गोवांग।
उत्तर:
(क) मंगोल
2. मंगोल कहाँ के निवासी थे ?
(क) मध्य एशिया के
(ख) भूमध्यसागर के
(ग) टुंड्रा के
(घ) चीन के।
उत्तर:
(क) मध्य एशिया के
3. यायावर से आपका क्या अभिप्राय है ?
(क) लुटेरे
(ख) कबीला
(ग) घुमक्कड़
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(ग) घुमक्कड़
4. मंगोलों का प्रमुख व्यवसाय क्या था ?
(क) कृषि
(ख) पशुपालन
(ग) व्यापार
(घ) शिकार।
उत्तर:
(ख) पशुपालन
5. मंगोल निम्नलिखित में से किस जानवर को सबसे अधिक महत्त्व देते थे ?
(क) ऊँट
(ख) भेड़
(ग) घोड़ा
(घ) गाय।
उत्तर:
(ग) घोड़ा
6. मंगोलों के समय में स्टेपी क्षेत्र में कोई नगर क्यों नहीं उभर पाया ?
(क) मंगोलों ने कृषि को नहीं अपनाया था
(ख) मंगोलों की अर्थव्यवस्था घनी आबादी वाले क्षेत्रों का भरण-पोषण करने में असमर्थ थी
(ग) मंगोलों का निवास स्थाई नहीं था
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(घ) उपरोक्त सभी।
7. मंगोलों ने कृषि कार्य को क्यों नहीं अपनाया ?
(क) क्योंकि वे कृषि को पसंद नहीं करते थे
(ख) क्योंकि वे अपनी सभी खाद्य वस्तुएँ चीन से मंगवाते थे
(ग) क्योंकि मंगोलिया की भौगोलिक परिस्थितियाँ कृषि के अनुकूल नहीं थीं
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(ग) क्योंकि मंगोलिया की भौगोलिक परिस्थितियाँ कृषि के अनुकूल नहीं थीं
8. 12वीं शताब्दी में यायावरी समाज में धनी परिवार विशाल क्यों होते थे ?
(क) उनके पास बड़ी संख्या में पशु एवं चारण भूमि होती थी
(ख) उनके बड़ी संख्या में अनुयायी होते थे
(ग) उनका स्थानीय राजनीति में बहुत दबदबा होता था
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(घ) उपरोक्त सभी।
9. मंगोलों को चरागाहों की खोज में क्यों भटकना पडता था ?
(क) क्योंकि मंगोलिया में चरागाहों की बहत कमी थी
(ख) वर्षा न होने पर घास के मैदान सूख जाते थे
(ग) क्योंकि मंगोल बड़ी संख्या में पशुपालन का कार्य करते थे
(घ) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(ख) वर्षा न होने पर घास के मैदान सूख जाते थे
10. मंगोलों के लिए व्यापार क्यों महत्त्वपूर्ण था ?
(क) क्योंकि इनसे राज्य को काफी धन प्राप्त होता था
(ख) क्योंकि इससे व्यापारी बहुत प्रसन्न थे।
(ग) क्योंकि मंगोलिया में संसाधनों की बहुत कमी थी
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ग) क्योंकि मंगोलिया में संसाधनों की बहुत कमी थी
11. मंगोल साम्राज्य की स्थापना किसने की थी?
(क) रोमानोव
(ख) माँचू
(ग) तैमूर लंग
(घ) चंगेज़ खाँ।
उत्तर:
(घ) चंगेज़ खाँ।
12. चंगेज खाँ कौन था ?
(क) चीनियों का प्रसिद्ध नेता
(ख) मंगोलों का प्रसिद्ध नेता
(ग) ईरानियों का प्रसिद्ध नेता
(घ) जापानियों का प्रसिद्ध नेता।
उत्तर:
(ख) मंगोलों का प्रसिद्ध नेता
13. चंगेज़ खाँ का जन्म कब हुआ ?
(क) 1160 ई० में
(ख) 1162 ई० में
(ग) 1165 ई० में
(घ) 1167 ई० में।
उत्तर:
(ख) 1162 ई० में
14. चंगेज़ खाँ का वास्तविक नाम क्या था ?
(क) तेमुजिन
(ख) माँचू
(ग) तातार
(घ) कगान।
उत्तर:
(क) तेमुजिन
15. कुरिलताई से क्या भाव है ?
(क) मंगोल सरदारों की सभा
(ख) मंगोलिया का प्रसिद्ध पर्वत
(ग) मंगोलिया की प्रसिद्ध नदी
(घ) मंगोलिया का प्रसिद्ध नेता।
उत्तर:
(क) मंगोल सरदारों की सभा
16. चंगेज़ खाँ मंगोलों का शासक कब बना ?
(क) 1203 ई० में
(ख) 1205 ई० में
(ग) 1206 ई० में
(घ) 1209 ई० में।
उत्तर:
(ग) 1206 ई० में
17. चंगेज़ खाँ ने पीकिंग पर कब अधिकार किया था ?
(क) 1206 ई० में
(ख) 1209 ई० में
(ग) 1213 ई० में
(घ) 1215 ई० में।
उत्तर:
(घ) 1215 ई० में।
18. चंगेज खाँ की राजधानी का नाम क्या था ?
(क) कराकोरम
(ख) बुखारा
(ग) पीकिंग
(घ) हेरात।
उत्तर:
(क) कराकोरम
19. यास से आपका क्या अभिप्राय है?
(क) विधि संहिता
(ख) मंगोल प्राँत
(ग) मंगोल सेनापति
(घ) मंगोल हरकारा पद्धति।
उत्तर:
(क) विधि संहिता
20. यास का प्रचलन किसने किया ?
(क) ओगोदेई ने
(ख) अल-मुस्तासिम ने
(ग) चंगेज़ खाँ ने
(घ) जुवाइनी ने।
उत्तर:
(ग) चंगेज़ खाँ ने
21. ये-लू-चुत्साई कौन था ?
(क) फ़ारसी का प्रसिद्ध इतिहासकार
(ख) एक चीनी मंत्री
(ग) मंगोलों का प्रसिद्ध नेता
(घ) तातारों का प्रसिद्ध नेता।
उत्तर:
(ख) एक चीनी मंत्री
22. पैजा अथवा जेरेज़ क्या था ?
(क) यात्रियों को दिया जाने वाला पास
(ख) सेना का एक महत्त्वपूर्ण पद
(ग) प्रांत का मुखिया
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(क) यात्रियों को दिया जाने वाला पास
23. चंगेज़ खाँ की मृत्यु कब हुई थी?
(क) 1206 ई० में
(ख) 1226 ई० में
(ग) 1227 ई० में
(घ) 1237 ई० में।
उत्तर:
(ग) 1227 ई० में
24. चंगेज़ खाँ के बाद मंगोलिया का शासक कौन बना ?
(क) ओगोदेई
(ख) जोची
(ग) तोलुई
(घ) चघताई।
उत्तर:
(क) ओगोदेई
25. ओगोदेई ने चीन पर कब अधिकार कर लिया था ?
(क) 1231 ई० में
(ख) 1232 ई० में
(ग) 1234 ई० में
(घ) 1241 ई० में।
उत्तर:
(ग) 1234 ई० में
26. बाटू कौन था ?
(क) चंगेज़ खाँ का पोता
(ख) कुबलई खाँ का पोता
(ग) तैमूर का पुत्र
(घ) मोंके का पुत्र।
उत्तर:
(क) चंगेज़ खाँ का पोता
27. मोंके कौन था ?
(क) चंगेज़ खाँ का पोता
(ख) ओगोदेई का पोता
(ग) जमूका का पुत्र
(घ) ओंग खाँ का पुत्र।
उत्तर:
(क) चंगेज़ खाँ का पोता
28. मंगोलों के किस नेता ने बग़दाद पर अधिकार कर लिया था ?
(क) चंगेज़ खाँ
(ख) ओगोदेई
(ग) जोची
(घ) हुलेगु।
उत्तर:
(घ) हुलेगु।
29. यूआन वंश का संस्थापक कौन था ?
(क) चंगेज़ खाँ
(ख) ओगोदेई
(ग) बाटू
(घ) कुबलई खाँ।
उत्तर:
(घ) कुबलई खाँ।
30. कुबलई खाँ की राजधानी का नाम क्या था ?
(क) कराकोरम
(ख) पीकिंग
(ग) शंघाई
(घ) बगदाद।
उत्तर:
(ख) पीकिंग
31. कुबलई खाँ के दरबार में कौन-सा महान् यात्री पहुंचा था ?
(क) मार्कोपोलो
(ख) कोलंबस
(ग) ह्यनसांग
(घ) वास्कोडिगामा।
उत्तर:
(क) मार्कोपोलो
32. इल-खानी वंश का संस्थापक कौन था ?
(क) ओगोदेई
(ख) कुबलई खाँ
(ग) हुलेगु
(घ) जोची।
उत्तर:
(ग) हुलेगु
33. जुवाइनी की प्रसिद्ध रचना का नाम क्या था ?
(क) हिस्ट्री ऑफ़ द कनकरर ऑफ़ द वर्ल्ड
(ख) मंगोलों का गोपनीय इतिहास
(ग) हिस्ट्री ऑफ़ द मंगोलस
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(क) हिस्ट्री ऑफ़ द कनकरर ऑफ़ द वर्ल्ड
34. गज़न खाँ किस वंश का प्रसिद्ध शासक था ?
(क) सी सिया
(ख) तातार
(ग) इल-खानी
(घ) यूआन।
उत्तर:
(ग) इल-खानी
35. गोल्डन होर्ड की स्थापना कहाँ की गई थी?
(क) रूसी स्टेपी क्षेत्र में
(ख) मंगोलिया में
(ग) ईरान में
(घ) जापान में।
उत्तर:
(क) रूसी स्टेपी क्षेत्र में
यायावर साम्राज्य HBSE 11th Class History Notes
→ मंगोल मध्य एशिया में रहने वाला एक यायावर समूह था। ये लोग मूलतः घुमक्कड़ थे। वे पशुपालक एवं शिकार संग्राहक थे। उनका समाज विभिन्न कबीलों में विभाजित था। इन कबीलों में आपसी लड़ाइयाँ चलती रहती थीं। लूटमार करना उनकी जीवन शैली का एक अभिन्न अंग था।
→ वे चरागाहों की तलाश में एक स्थान से दूसरे स्थान घूमते रहते थे। वे तंबुओं में निवास करते थे। उनके परिवार पितृपक्षीय थे। अतः परिवार में पुत्र का होना आवश्यक समझा जाता था। उस समय धनी परिवार बहुत विशाल होते थे।
→ उस समय बहु-विवाह का प्रचलन था। उनका प्रमुख भोजन माँस एवं दूध था। वे सूती, रेशमी एवं ऊनी वस्त्र पहनते थे। मंगोल अपने मृतकों का रात्रि के समय संस्कार करते थे। वे शवों को जमीन में दफ़न करते थे तथा उनके साथ कुछ आवश्यक वस्तुएँ भी रखते थे।
→ क्योंकि उस समय स्टेपी क्षेत्र में संसाधनों की बहुत कमी थी इसलिए मंगोलों ने चीन के साथ व्यापारिक संबंध स्थापित किए थे। मंगोलों एवं चीनियों द्वारा की जाने वाली लूटमार के कारण इनके संबंधों में आपसी दरार भी उत्पन्न हो जाती थी।
→ चंगेज़ खाँ ने यायावर साम्राज्य की स्थापना में उल्लेखनीय भूमिका निभाई। उसका जन्म 1162 ई० में हुआ था। उसका बचपन का नाम तेमुजिन था। उसके पिता का नाम येसूजेई था तथा वह कियात कबीले का मुखिया था।
→ उसकी माता का नाम ओलुन-इके था। तेमुजिन का विवाह बोरटे के साथ हुआ था। उसके बचपन में ही उसके पिता की एक विरोधी कबीले द्वारा हत्या कर दी गई थी। इसलिए उसे अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। इसके बावजूद तेमुजिन ने अपना धैर्य न खोया।
→ इस संकट के समय उसे बोघूरचू, जमुका तथा तुगरिल खाँ ने बहुमूल्य सहयोग दिया। तेमुजिन ने अनेक शक्तिशाली कबीलों को पराजित कर अपने नाम की धाक जमा दी। उसकी सफलताओं को देखते हुए कुरिलताई ने 1206 ई० में तेमुजिन को चंगेज़ खाँ की उपाधि से सम्मानित किया।
→ चंगेज़ खाँ ने 1227 ई० तक शासन किया। अपने शासनकाल के दौरान चंगेज़ खाँ ने उत्तरी चीन एवं करा खिता को विजित किया। उसने ख्वारज़म के शाह मुहम्मद को पराजित कर उसके अनेक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों पर अधिकार कर लिया।
→ उसने कराकोरम को मंगोल साम्राज्य की राजधानी घोषित किया। चंगेज़ खाँ ने मंगोल साम्राज्य की सुरक्षा एवं विस्तार के उद्देश्य से अपनी सेना को शक्तिशाली बनाया। उसने नागरिक प्रशासन में भी अनेक उल्लेखनीय सुधार किए। उसकी महान् सफलताओं को देखते हुए उसे आज भी मंगोलिया के इतिहास में महान् राष्ट्र-नायक (national hero) के रूप में स्मरण किया जाता है।
→ चंगेज़ खाँ की मृत्यु के पश्चात् ओगोदेई (1229-41 ई०), गुयूक (1246-48 ई०) एवं मोंके (1251-59 ई०) ने शासन किया। उन्होंने मंगोल साम्राज्य के विस्तार एवं संगठन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। मोंके की मृत्यु के पश्चात् मंगोल साम्राज्य अनेक वंशों में विभाजित हो गया था।
→ इनमें चीन में कुबलई खाँ द्वारा स्थापित किया गया यूआन वंश, ईरान में हुलेगु द्वारा स्थापित किया गया इल-खानी वंश एवं दक्षिण रूस में बाटू द्वारा स्थापित किया गया गोल्डन होर्ड वंश उल्लेखनीय थे। स्टेपी निवासियों का अपना साहित्य लगभग न के बराबर था।
→ अतः यायावरी समाज के बारे हमारा ज्ञान मुख्य तौर पर इतिवृत्तों (chronicles), यात्रा वृत्तांतों (travelogues) तथा नगरीय साहित्यकारों के दस्तावेजों (documents produced by city based literateurs) से प्राप्त होता है। इन लेखकों की यायावरों के जीवन संबंधी सूचनाएँ अज्ञात एवं पूर्वाग्रहों (biased) से ग्रस्त हैं।
→ इनमें यायावर समुदायों को आदिम बर्बर (primitive barbarians) एवं मंगोलों को स्टेपी लुटेरों के रूप में पेश किया गया। मंगोलों पर सबसे बहुमूल्य शोध कार्य 18वीं एवं 19वीं शताब्दी में रूसी विद्वानों ने किया।
→ इनमें बोरिस याकोवालेविच ब्लाडिमीरस्टॉव (Boris Yakovlevich Vladimirtsov) एवं वैसिली ब्लैदिमिरोविच बारटोल्ड (Vasily Vladimirovich Bartold) के नाम उल्लेखनीय हैं। हमें पारमहाद्वीपीय (transcontinental) मंगोल साम्राज्य के विस्तार से संबंधित महत्त्वपूर्ण जानकारी चीनी, मंगोलियाई, फ़ारसी, अरबी, इतालवी, लातीनी, फ्रांसीसी एवं रूसी स्रोतों से मिलती है।
→ मंगोलों के इतिहास पर बहुमूल्य प्रकाश डालने वाले दो महत्त्वपूर्ण स्रोत ईगोर दे रखेविल्ट्स (Igor de Rachewiltz) की रचना मंगोलों का गोपनीय इतिहास (The Secret History of the Mongols) तथा मार्को पोलो (Marco Polo) का यात्रा वृत्तांत (travels) हैं।