Haryana State Board HBSE 9th Class Science Notes Chapter 5 जीवन की मौलिक इकाई Notes.
Haryana Board 9th Class Science Notes Chapter 5 जीवन की मौलिक इकाई
→ जीवों की संरचनात्मक और क्रियात्मक इकाई को कोशिका कहते हैं।
→ सर्वप्रथम कोशिका का आविष्कार सन् 1665 में रॉबर्ट हुक ने किया।
→ कोशिका का अध्ययन सूक्ष्मदर्शी यंत्र से किया जाता है।
→ अमीबा व पैरामीशियम एककोशिक जीव हैं।
→ बहुकोशिक जीव एक कोशिक जीव से ही विकसित हुए।
→ ल्यूवेनहक ने 1674 में सूक्ष्मदर्शी द्वारा बैक्टीरिया की खोज की।
→ रॉबर्ट ब्राउन ने 1891 में कोशिका केंद्रक का पता लगाया।
→ जे.ई. पुरोकज ने सन् 1839 में जीवद्रव्य की खोज की।
→ एम. स्लीडन (1898) तथा टी० स्वान (1839) ने कोशिका सिद्धांत के बारे में बताया।
→ विरचो ने 1855 में कोशिका सिद्धांत को आगे बढ़ाया।
→ 1940 में इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की खोज के बाद कोशिका की जटिल संरचना का अध्ययन किया गया।
→ बहुकोशिक जीवों में श्रम विभाजन का गुण पाया जाता है।
→ सभी जंतु कोशिकाओं में प्लैज्मा झिल्ली पाई जाती है।
→ पादप कोशिकाओं में कोशिका भित्ति पाई जाती है।
→ कोशिका झिल्ली में विसरण का गुण पाया जाता है।
→ परासरण विसरण की एक विशिष्ट विधि है।
→ केंद्रक कोशिका के कार्यों पर नियंत्रण करता है।
→ बैक्टीरिया में अस्पष्ट केंद्रक क्षेत्र को केंद्रकाय कहते हैं।
→ कोशिका झिल्ली से घिरे पदार्थ को कोशिका द्रव्य कहते हैं।
→ कोशिका द्रव्य और केन्द्रक को मिलाकर जीवद्रव्य बनता है।
→ अंतर्द्रव्यीजालिका झिल्ली युक्त नलिकाओं का एक बड़ा तंत्र होता है।
→ गॉल्जी उपकरण का विवरण कैमिलो गॉल्जी ने दिया।
→ लाइसोसोम कोशिका के अपशिष्ट पदार्थों का उत्सर्जन करता है।
→ माइटोकॉन्ड्रिया कोशिका का ‘पावर हाऊस’ कहलाता है।
→ प्लैस्टिड केवल पादप कोशिकाओं में पाए जाते हैं।
→ रसधानियाँ ठोस अथवा तरल पदार्थों का संग्रह करने वाली थैलियाँ होती हैं।
→ कोशिका-जीवों की संरचनात्मक और क्रियात्मक इकाई को कोशिका कहते हैं।
→ एककोशिक जीव-जिन जीवों का शरीर केवल एक कोशिका से बना हो, एककोशिक जीव कहलाते हैं।
→ बहुकोशिक जीव-बहुत सारी कोशिकाओं से मिलकर बने जीव को बहुकोशिक जीव कहते हैं।
→ श्रम विभाजन-शरीर के विभिन्न अंग विभिन्न कार्य करते हैं, इसे श्रम-विभाजन कहते हैं।
→ प्लैज्मा झिल्ली-कोशिका में वसा और प्रोटीन से बने आवरण को जो कोशिका को बाहर से घेरे रखता है, प्लैज्मा झिल्ली कहते हैं।
→ परासरण-जल के अणुओं की गति जब वर्णात्मक पारगम्य झिल्ली द्वारा हो, उसे परासरण कहते हैं।
→ अवशोषण-कोशिकाओं द्वारा लवणों और जल को अवशोषित करना, अवशोषण कहलाता है।
→ एंडोसाइटोसिस-एककोशिक जीवों में कोशिका के बाह्य पर्यावरण से भोजन व अन्य पदार्थ ग्रहण करना, एंडोसाइटोसिस कहलाता है।
→ केंद्रक-कोशिका के मध्य गोलाकार संरचना, जो कोशिका के कार्यों पर नियंत्रण करती है, केंद्रक कहलाती है।
→ केंद्रकाय-कोशिका में अस्पष्ट केंद्रक क्षेत्र को केंद्रकाय कहते हैं।
→ असीमकेंद्रक-जिन कोशिकाओं में कोशिकांग न पाए जाए और एक गुणसूत्र वाली छोटे आकार की कोशिका असीमकेंद्रक कहलाती हैं।
→ ससीमकेंद्रक-जिन कोशिकाओं में कोशिकांग पाए जाए और एक-से-अधिक गुणसूत्र वाली बड़े आकार की कोशिका ससीमकेंद्रक कहलाती हैं।
→ कोशिका द्रव्य-कोशिका में कोशिका झिल्ली से घिरे पदार्थ को कोशिका द्रव्य कहते हैं।
→ जीवद्रव्य-कोशिका द्रव्य और केंद्रक सहित दोनों को मिलाकर जीवद्रव्य कहलाता है।
→ अंतर्द्रव्यीजालिका-झिल्ली युक्त नलिकाओं का बना एक बड़ा तंत्र अंतर्द्रव्यीजालिका कहलाता है।
→ गॉल्जी उपकरण-झिल्ली युक्त पुटिका को गॉल्जी उपकरण कहा जाता है।
→ लाइसोसोम-शक्तिशाली पाचनकारी एंजाइम जो एक झिल्ली से घिरे हों, लाइसोसोम कहलाते हैं।
→ माइटोकांड्रिया कोशिका में ऊर्जा उत्पन्न करने वाला अंगक, माइटोकांड्रिया कहलाता है।
→ रसधानियाँ-ठोस अथवा तरल पदार्थों की संग्राहक थैलियों को रसधानियाँ कहते हैं।