HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 6 रेखाएँ और कोण

Haryana State Board HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 6 रेखाएँ और कोण Notes.

Haryana Board 9th Class Maths Notes Chapter 6 रेखाएँ और कोण

→ रेखाखंड- एक रेखा का वह भाग जिसके दो अंत बिंदु हों, उसे एक रेखाखंड कहते हैं।

→ किरण- रेखा का वह भाग जिसका एक अंत बिंदु हो, उसे एक किरण कहते हैं ।

→ सरेख बिंदु- यदि तीन या अधिक बिंदु एक ही रेखा पर स्थित हों तो उन्हें संरेख बिंदु (Collinear Points) कहते हैं।

→ असरेख बिंदु- यदि तीन या अधिक बिंदु एक ही रेखा पर स्थित न हों तो उन्हें असरेख बिंदु (Non-Collinear Points) कहते हैं।

→ कोण- जब दो किरणें एक ही अंत बिंदु से प्रारंभ होती हों तो एक कोण बनता है। कोण को बनाने वाली दोनों किरणें कोण की भुजाएँ कहलाती हैं तथा वह उभयनिष्ठ अंत बिंदु कोण का शीर्ष कहलाता है।

→ न्यून कोण- 0° से 90° के बीच के कोण को न्यून कोण कहा जाता है।

→ समकोण- 90° के कोण को समकोण कहा जाता है।

→ अधिक कोण- 90° से 180° के बीच के कोण को अधिक कोण कहा जाता है।

→ ऋजु कोण- 180° के कोण को ऋजु कोण या सरल कोण कहा जाता है।

HBSE 9th Class Maths Notes Chapter 6 रेखाएँ और कोण

→ प्रतिवर्ती कोण- 180° से अधिक परंतु 360° से कम माप के कोण को प्रतिवर्ती कोण कहा जाता है।

→ पूरक कोण यदि दो कोणों का योग एक समकोण के बराबर हो तो ऐसे कोण पूरक कोण कहलाते हैं ।

→ संपूरक कोण यदि दो कोणों का योग 180° हो तो ऐसे कोण संपूरक कोण कहलाते हैं।

→ आसन्न कोण- ऐसे दो कोण जिनमें एक उभयनिष्ठ शीर्ष हो, एक उभयनिष्ठ भुजा हो, अन्य दो भुजाएँ उभयनिष्ठ भुजा के विपरीत दिशा में हों, उन्हें आसन्न कोण कहते हैं; जैसे आकृति में ∠ABD और ∠DBC आसन्न कोण हैं।
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आकृति

→ रैखिक युग्म- यदि दो आसन्न कोणों का योग 180° हो तो उन्हें रैखिक युग्म कहा जाता है; जैसे ∠ABD और ∠DBC रैखिक युग्म हैं।
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आकृति

→ शीर्षाभिमुख कोण- दो सरल रेखाओं के परस्पर काटने से आमने-सामने बने कोण शीर्षाभिमुख कोण कहलाते हैं तथा ये समान होते हैं; जैसे ∠AOD और ∠COB शीर्षाभिमुख कोण हैं।
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आकृति

→ यदि दो आसन्न कोणों का योग 180° हो तो उनकी उभयनिष्ठ भुजाएँ एक रेखा बनाती हैं।

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→ महत्त्वपूर्ण प्रमेय-

  • यदि दो रेखाएँ परस्पर प्रतिच्छेद करती हों तो शीर्षाभिमुख कोण बराबर होते हैं।
  • यदि एक तिर्यक रेखा दो समांतर रेखाओं को प्रतिच्छेद करे, तो एकांतर अंतः कोणों का प्रत्येक युग्म बराबर होता है।
  • यदि एक तिर्यक रेखा दो रेखाओं को इस प्रकार प्रतिच्छेद करे कि एकांतर अंतः कोणों का एक युग्म बराबर है, तो दोनों रेखाएँ परस्पर समांतर होती हैं।
  • यदि एक तिर्यक रेखा दो समांतर रेखाओं को प्रतिच्छेद करे, तो तिर्यक रेखा के एक ही ओर के अंतः कोणों का प्रत्येक युग्म संपूरक होता है।
  • यदि एक तिर्यक रेखा दो रेखाओं को इस प्रकार प्रतिच्छेद करे कि तिर्यक रेखा के एक ही ओर के अंतः कोणों का एक युग्म संपूरक है, तो दोनों रेखाएँ परस्पर समांतर होती हैं।
  • वे रेखाएँ जो एक ही रेखा के समांतर हों, परस्पर समांतर होती हैं।
  • किसी त्रिभुज के कोणों का योग 180° होता है।
  • यदि एक त्रिभुज की एक भुजा बढ़ाई जाए तो इस प्रकार बना बहिष्कोण दोनों अंतः अभिमुख (विपरीत) कोणों के योग के बराबर होता है।

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