HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 8 देशी जनता को सभ्य बनाना राष्ट्र को शिक्षित करना

Haryana State Board HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 8 देशी जनता को सभ्य बनाना राष्ट्र को शिक्षित करना Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 8th Class Social Science Solutions History Chapter 8 देशी जनता को सभ्य बनाना राष्ट्र को शिक्षित करना

HBSE 8th Class History देशी जनता को सभ्य बनाना राष्ट्र को शिक्षित करना Textbook Questions and Answers

आइए कल्पना करें

कल्पना कीजिए कि अंग्रेजी शिक्षा पर महात्मा गाँधी और मैकॉले के बीच चर्चा चल रही है और आप ध्यान से चर्चा सुन रहे हैं। आप एक पन्ने में लिखें कि दोनों क्या कह रहे हैं।
उत्तर:
1. सर्वप्रथम लार्ड मैकाले ने जो शिक्षा आयोग के अध्यक्ष थे उन्होंने महात्मा गाँधी से कहा कि मुझे तो भारत एक असभ्य देश नजर आता है और उसे सभ्य बनाने की आवश्यकता है। मेरे विचार से पूर्व (यानी सारे एशिया की, जिसमें भारत भी शामिल) के सार ज्ञान को किसी भी तरह से जो इंग्लैंड ने उत्पन्न किया है उससे तुलना के लायक भी नहीं है। वह उसके समक्ष कहीं ठहर ही नहीं सकता। कौन इस सत्य से इंकार कर सकता है। मैकाले ने तर्क दिया कि, ‘एक अलमारी जो अच्छे यूरोपीय रचनाओं से भरी हो, वह इतनी मूल्यवान एवं योग्य है कि पूरे भारत का आदिकाल से लेकर अब तक तथा अरैविया (Arabia) का साहित्य मिलाकर भी उसके समक्ष योग्य नहीं है।

2. लार्ड मैकाले ने इससे आगे कहा अंग्रेजी सरकार भारत में जन-धन को व्यर्थ ही बर्बाद कर रही है और करेगी यदि वह आंग्ल या भारत की प्राचीन भाषाओं, साहित्य आदि को शिक्षा पर खर्च करती है क्योंकि वह किसी भी काम का नहीं, उसका कोई भी मूल्य नहीं है।

मोहनदास करमचंद गाँधी की राय अथवा विचारों के बिदु:
1. महात्मा गाँधी ने तर्क देते हुए कहा कि औपनिवेशिक शिक्षा ने भारतवासियों के मस्तिष्क में हीन भावना को उत्पन्न किया है। इसने उन्हें केवल पश्चिमी सभ्यता को श्रेष्ठतर मानने की अवधारणा वाला ही बनाया है और पश्चिमी शिक्षा ने भारतवासियों के उस स्वाभिमान को बर्बाद कर दिया है जो उन्हें अपनी संस्कृति पर हुआ करता था। इस शिक्षा में एक विष था, महात्मा गाँधी ने कहा, यह पाप से भरा हुआ था, इसने भारतवासियों को गुलाम बना कर रख लिया है, इसके माध्यम से कोई भी कुरीति उनमें घर कर सकती है।

2. मोहनदास करमचंद गाँधी ने पश्चिमी विद्वानों और लोगों की इस धारणा एवं विश्वास को गलत बताया और उसका जोरदार शब्दों में विरोध किया कि हर चीज केवल पश्चिम से ही आई है तथा पश्चिम ही सब कुछ जानता है। पश्चिम ने ही सब कुछ खोजा है और वही पूर्व को सभ्य बना सकता है। जिन भारतीयों ने पश्चिमी शिक्षा की संस्थाओं में शिक्षा प्राप्त की है, उन्होंने अंग्रेजी शासन की प्रशंसा करनी शुरू कर दी है। महात्मा गाँधी एक ऐसी शिक्षा चाहते थे जो भारतवासियों को अपना आत्मसम्मान एवं स्वाभिमान की भावना पुनः प्राप्त करने में सहायता कर सके। राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान उन्होंने विद्यार्थियों से जोर देकर कहा कि वे अंग्रेजों को दिखा दें कि भारतवासी अब और ज्यादा गुलाम नहीं बने रहना चाहते।

3. मैकाले के अन्य तर्क : एक बार फिर लार्ड मैकाले ने | पूरी ताकत एवं धैर्य के साथ जोर देते हुए कहा कि भारतवासियों nको अंग्रेजी भाषा पढ़ाने की आवश्यकता है। उसने कहा कि अंग्रेजी भाषा का ज्ञान भारतवासियों को दुनिया के सबसे श्रेष्ठ साहित्य पढ़ने का अवसर देगा जो इस भाषा में लिखा गया है। साथ ही साथ यही भाषा उन्हें (भारतीयों) को पश्चिम में विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी |व दर्शन के क्षेत्र में हुए विकास से भी जागरूक (या अवगत) कराएगी। अंग्रेजी की शिक्षा देने से भी लोग सभ्य बनेंगे तथा उनकी रुचियाँ, मूल्य एवं संस्कृति बदलने में बड़ी भारी मदद मिलेगी।

4. अब फिर महात्मा गाँधी जी ने भारतीय भाषाओं का समर्थन करते हुए कहा कि मातृभाषा ज्ञान का स्वाभाविक माध्यम है। बच्चों को ज्ञान प्राप्ति एक प्राकृतिक एवं स्वाभाविक वातावरण में सर्वांगीण विकास हेतु केवल भारतीय भाषाओं के माध्यम से ही शिक्षा दी जानी चाहिए। अंग्रेजी में शिक्षा दिये जाने की परिस्थिति उत्पन्न कर भारतीयों को पंगु बनाया गया। इससे उन्हें उनके अपने सामाजिक वातावरण से ही दूर कर दिया गया तथा उन्हें अपने ही देश में अजनबी बना दिया गया। अंग्रेजी शिक्षा यह नहीं सिखाती कि सर्वसाधारण से किस तरह से संपर्क बनाया जाए।

फिर से याद करें

देशी जनता को सभ्य बनाना राष्ट्र को शिक्षित करना के प्रश्न उत्तर HBSE 8th Class प्रश्न 1.
निम्नलिखित के जोड़े बनाएँ :
(1) विलियम जोन्स – (क) अंग्रेजी शिक्षा को प्रोत्साहन
(ii) रवीन्द्रनाथ टैगोर – (ख) प्राचीन संस्कृतियों का सम्मान
(iii) थॉमस मैकॉले – (ग) गुरु
(iv) महात्मा गाँधी – (घ) प्राकृतिक परिवेश में शिक्षा
(v) पाठशालाएँ – (ङ) अंग्रेजी शिक्षा के निरुद्ध
उत्तर:
(i) विलियम जॉन्स — (ख) प्राचीन संस्कृतियों का सम्मान
(ii) रवीन्द्रनाथ टैगोर – (घ) प्राकृतिक परिवेश में शिक्षा |
(iii) टॉमस मैकॉले – (क) अंग्रेजी शिक्षा को प्रोत्साहन
(iv) महात्मा गाँधी – (3) अंग्रेजी शिक्षा के विरुद्ध
(v) पाठशालाएँ – (ग) गुरु। प्रश्न

HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 8 देशी जनता को सभ्य बनाना राष्ट्र को शिक्षित करना

देशी जनता को सभ्य बनाना राष्ट्र को शिक्षित करना के प्रश्न उत्तर HBSE 8th Class प्रश्न 2.
निम्नलिखित में से सही या गलत बताएँ :
(क) जेम्स मिल प्राच्यवादियों के घोर आलोचक थे। ( )
(ख) 1854 के शिक्षा संबंधी डिस्पैच में इस बात पर जोर दिया गया था कि भारत में उच्च शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी होना चाहिए। ( )
(ग) महात्मा गाँधी मानते थे कि साक्षरता बढ़ाना ही शिक्षा का सबसे महत्त्वपूर्ण उद्देश्य है। ( )
(घ) रवीन्द्रनाथ टैगोर को लगता था कि बच्चों पर सख्त अनुशासन होना चाहिए। ( )
उत्तर:
(क) सत्य
(ख) सत्य
(ग) असत्य
(घ) असत्य

आइए विचार करें

देशी जनता को सभ्य बनाना राष्ट्र को शिक्षित करना Notes HBSE 8th Class प्रश्न 3.
विलियम जोन्स को भारतीय इतिहास, दर्शन और कानून का अध्ययन क्यों जरूरी दिखाई देता था?
उत्तर:
विलियम जोंस ने भारतीय इतिहास, दर्शन एवं कानून के अध्ययन को निम्नलिखित कारणों से आवश्यक समझा:
(i) वह प्राचीन भारत एवं पश्चिमी जगत दोनों ही संस्कृतियों का गहरा सम्मान करते थे। उन्होंने महसूस किया कि प्राचीनकाल में भारतीय संस्कृति और सभ्यता ने भव्यता को प्राप्त किया था, लेकिन धीरे-धीरे कालांतर में इसमें पतन आता चला गया।

(ii) अतीत काल में जो धार्मिक एवं कानूनी पाठयपुस्तकें लिखी गयीं प्राचीन भारत को जानने एवं समझने के लिए उनका अध्ययन करना आवश्यक है क्योंकि वे ही पुस्तकें हिंदुओं और मुसलमानों के वास्तविक विचारों एवं कानूनों को हमारे सामने ला सकती हैं और केवल इन्हीं रचनाओं के नए अध्ययन भावी भारत के विकास के लिए मूलभूत आधार तैयार कर सकते हैं।

(iii) विलियम जोंस ने प्राचीन पुस्तकों की तलाश करनी शुरू कर दी। उनके अर्थों को समझा, उनका अनुवाद किया तथा उनके अध्ययन से जो भी जानकारियाँ उसने प्राप्त की उन्हें अन्य लोगों को भी बताया।

(iv) उसका यह विश्वास था कि उसके द्वारा लिए गये परियोजन कार्य (प्रोजेक्ट वर्क्स) से न केवल अंग्रेजों को जानने में ही मदद मिलेगी बल्कि इससे भारतवासियों को भी अपने ही अतीत, अपनी विरासत एवं महान उपलब्धियों को जानने, समझने में भी मदद मिलेगी। इस तरह से इस प्रक्रिया में अंग्रेज तो भारतीय संस्कृति के संरक्षक तथा भारतवासी महान स्वामी बन सकेंगे।

देशी जनता को सभ्य बनाना राष्ट्र को शिक्षित करना Question Answer HBSE 8th Class प्रश्न 4.
जेम्स मिल और टॉमस मैकॉले ऐसा क्यों सोचते थे कि भारत में यूरोपीय शिक्षा अनिवार्य है ?
उत्तर:
1. जेम्स मिल एवं थोमस मैकाले दोनों ही अंग्रेज अधिकारी थे और वे भारतीय शिक्षा व्यवस्था के महान आलोचक थे। उन्होंने प्राच्य शिक्षा की अवधारणा की आलोचना की।

2. उन्होंने पश्चिम के ज्ञान की सभी लोगों के लिए वकालत की जिसमें भारतीय भी शामिल थे। उन्होंने कहा कि पूर्व का ज्ञान (अर्थात् उसमें भारत भी शामिल है) अशुद्धियों से भरपूर है तथा उसमें अवैज्ञानिक विचार हैं।

3. उन्होंने जोरदार तर्क दिया कि पूर्व का साहित्य गंभीर नहीं | (non-serious) है एवं वह हल्का -फुल्का अथवा सतही ही है।

4. जेम्स मिल ने घोषणा की कि अंग्रेजों के प्रयास वे नहीं होने चाहिए कि वे उन्हें केवल वह पढ़ायें (अध्ययन करायें) जो मूलनिवासी (natives) चाहते थे अथवा जिसकी वे इज्जत करते थे ताकि वे खुश हो सकें एवं ‘उनके दिलों में वे (अंग्रेज) एक स्थान बना सकें।’
शिक्षा का उद्देश्य केवल वही पढ़ाना होना चाहिए जो लाभकारी एवं व्यावहारिक है। इसलिए भारतीयों को उस विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की प्रगति से परिचित कराया जाना चाहिए जो अब तक पश्चिम ने प्राप्त कर ली है। उन्हें आदि कविता संग्रहों एवं धार्मिक साहित्य से ही परिचित कराने की बजाय, यही करना चाहिए।

5. 1830 के दशक आते-आते प्राच्यवादियों पर हमले और भी तेज हो गये। जो भी आलोचक थे उनमें से सबसे बड़े आलोचक थे थोमस बाबिंगटन मैकाले (Thomas Babington Macualay)| उनकी नजर में भारत एक असभ्य देश था जिसे सभ्य बनाने की जरूरत थी। उनके विचारानुसार पूर्वी ज्ञान की किसी भी इंग्लैंड (या पश्चिम) द्वारा जाने गये (या उत्पन्न किये) ज्ञान से तुलना नहीं की जा सकती।

6. मैकाले ने घोषणा की कि ‘दुनिया में कोई भी व्यक्ति इस तथ्य से इंकार नहीं कर सकता कि यूरोपीय पुस्तकालय की केवल एक अलमारी भारत तथा अरेजिया के संपूर्ण प्राचीन साहित्य से कहीं अधिक मूल्यवान एवं श्रेष्ठ या महत्त्वपूर्ण है।

प्रश्न 5.
महात्मा गाँधी बच्चों को हस्तकलाएँ क्यों सीखाना चाहते थे ?
उत्तर:
महात्मा गाँधी बच्चों को हस्तकलाएँ इसलिए सिखाना या पढ़ाना चाहते थे क्योंकि इसके माध्यम से बच्चों का सर्वांगीण (all round development) विकास होगा जो शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य है। उन्होंने तर्क दिया कि लोगों को अपने ही हाथों से काम करना होगा इसलिए हस्तकला को सीखना हर एक के लिए लाभकारी है। हस्तकलाएँ बच्चों की मदद करती हैं कि विभिन्न चीजें किस तरह से कार्य करती हैं। इससे उनका मस्तिष्क विकसित होगा तथा उनमें समझने की योग्यता आयेगी।

प्रश्न 6.
महात्मा गाँधी ऐसा क्यों सोचते थे कि अंग्रेजी शिक्षा ने भारतीयों को गुलाम बना लिया है?
उत्तर:
महात्मा गाँधी सोचते थे कि अंग्रेजी शिक्षा ने भारतवासियों को दास बना लिया है क्योंकि औपनिवेशिक शिक्षा एक तरह से भारतवासियों में हीनता की भावना उत्पन्न कर रही है। इसने उनमें यह विचार पैदा किया है कि वे हर क्षेत्र में, हर ढंग से केवल पश्चिम को ही बढ़िया या श्रेष्ठतर माने/समझें। पश्चिमी सभ्यता भारतीय सभ्यता से श्रेष्ठ है। इसने भारतीयों में स्वाभिमान तथा अपने देश, समाज तथा सभ्यता पर गर्व करने की भावना को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है।

अंग्रेजी शिक्षा में तो भारतीयों के लिए विष विद्यमान है, महात्मा गाँधी जी ने कहा। यह पापपूर्ण है, यह भारतीयों को दास बनाती है। इसने उन पर एक बुराई की छाया डाल दी है। पश्चिम की चमक-दमक से प्रभावित होना, हर उस चीज की प्रशंसा करना जो भी पश्चिम से आयी है, ऐसा करते-करते एक तरह से भारतीयों ने तो अंग्रेजी शासन की ही बड़ाई करनी शुरू कर दी है। (जो दमनकारी है, दासता की जननी है तथा भारतीय जीवन के हर पहलू का शोषण करने वाली है।) महात्मा गाँधी एक ऐसी शिक्षा चाहते थे जो भारतीयों के अपने आत्मसम्मान, स्वाभिमान को दिलाने में सहायक हो सके।

भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के दौरान गाँधी जी ने उस समय के विद्यार्थियों से जोर देकर कहा कि वे ब्रिटिश सरकार की शिक्षा संस्थाओं का बहिष्कार करें तथा राष्ट्रीय शिक्षा संस्थाएँ एवं संगठनों में भर्ती हों ताकि उनमें स्वदेश प्रेम, स्वामिान, आत्म-विश्वास एवं आत्मसम्मान उत्पन्न हो सके। उनका ऐसा करने मात्र से वे अंग्रेजों को बता देंगे कि भारतवासी अब और ज्यादा समय के लिए ब्रिटिश दासता में रहने की इच्छा नहीं रखते।

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आइए करके देखें

प्रश्न 7.
अपने घर के बुर्जुगों (महा अभिभावकों) से पता करें कि स्कूल में उन्होंने कौन-कौन सी चीजें पढ़ी थी?
उत्तर:
विद्यार्थियों के लिए स्वाध्याय।

प्रश्न 8. अपने स्कूल या आस-पास के किसी अन्य स्कूल के इतिहास का पता लगाएं।
उत्तर:
स्वयं करें। अपने विद्यालय के प्राचार्य (प्रधानाचार्य) अथवा हैडमास्टर साहब अथवा उस व्यक्ति से संपर्क कीजिए जो आपके विद्यालय के इतिहास की जानकारी रखता हो। वे जो बिंदु बताएँ उन्हें नोट कीजिए तथा संक्षेप में उन्हें अपनी भाषा में लिखिए।

HBSE 8th Class History देशी जनता को सभ्य बनाना राष्ट्र को शिक्षित करना Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में औपनिवेशिक अथवा ब्रिटिश राज के क्या उद्देश्य थे?
उत्तर:

  • भारत में क्षेत्रीय विजय प्राप्त करना अर्थात भारतीय भू-भाग को गुलाम बनाना।
  • जहाँ तक संभव हो भारतीय राजस्व (या राज्य की आय) पर अपना ही नियंत्रण स्थापित करना।
  • उनके मस्तिष्क में एक सांस्कृतिक उद्देश्य भी था। वे भारत को सभ्य बनाना चाहते थे। वे भारतीय भाषा, साहित्य कलाशैली, सोचने के ढंग,रीति-रिवाजों एवं मूल्यों के साथ-साथ धर्म भी बदलना चाहते थे।

प्रश्न 2.
हेनरी थोमस कोलेबुक कौन था?
उत्तर:
हेनरी थोमस कोलेब्रुक संस्कृत भाषा का एक विद्वान था एवं वह हिंदू धर्म के धार्मिक ग्रंथों में गहरी रुचि रखता था तथ उन्हें अध्ययन करना चाहता था।

प्रश्न 3.
1781 में कलकत्ता (अब कोलकाता) में मदरसा स्थापित करने का क्या उद्देश्य था?
उत्तर:
1781 में कलकत्ता शहर में अंग्रेजों या ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा स्थापित मदरसे का उद्देश्य अरबी (Arabic) या अरबिया, परसियन (फारसी) एवं इस्लामिक कानून के अध्ययन को प्रोत्साहित करना था।

प्रश्न 4.
1791 में बनारस में हिंदू कॉलेज क्यों स्थापित | किया गया था?
उत्तर:
1791 में बनारस में हिंदू कॉलेज की स्थापना इसलिए की गयी ताकि प्राचीन भारतीय संस्कृत ग्रंथों के अध्ययन को प्रोत्साहित किया जाये जो देश के प्रशासन में सहायक या लाभकारी था। याद रहे इससे हिंदू कानूनों एवं अर्थ को समझने में भी मदद मिलती।

प्रश्न 5.
1835 के मैकाले के शिक्षा प्रपत्र की प्रमुख सिफारिशें क्या थी?
उत्तर:
इस प्रपत्र में मैकाले ने कहा था कि भविष्य में सरकार धनराशि पश्चिमी ढंग की अंग्रेजी भाषा के माध्यम से देने पर व्यय करेगी।

प्रश्न 6.
भारत की 19वीं शताब्दी की शिक्षा की मुख्य कमियाँ क्या थीं?
उत्तर:
19वीं शताब्दी तक भारत में दी जा रही शिक्षा प्रमुख रूप से स्वरूप (nature) में धार्मिक ही थी (मंदिरों तथा मदरसों एवं क्रिश्चियन स्कूलों में दी जा रही शिक्षा)। इनसे बहुत कम ही पाठ्यक्रमों को उच्च स्तरीय बनाने एवं उस ज्ञान (या जानकारी) को जो विज्ञान, प्रौद्योगिकी, दर्शन आदि के क्षेत्र में विदेशों में प्राप्त किया जा चुका था, कोई भी स्थान नहीं दिया गया था। अध्ययन की विधि को भी वैज्ञानिक नहीं बनाया गया था।

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प्रश्न 7.
अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी की शिक्षा क्षेत्र में गतिविधियों के बारे में दो वाक्य लिखें।
उत्तर:
1. ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने महिलाओं, सर्वसाधारण के लिए विज्ञान तथा तकनीकी को शिक्षा एवं प्रौद्योगिक प्रशिक्षण को बढ़ावा देने के लिए कुछ भी नहीं किया था।

2. 19वीं शताब्दी के दूसरे दशक के मध्य यानी 1813 तक इस करोड़ों की जनसंख्या के देश में मात्र केवल एक लाख रुपए व्यय करने का लक्ष्य रखा गया था जो ऊँट के मुँह में जीरे के समान था। लेकिन 1854 में वुड डिस्पेच में पहली बार सर्वसाधारण की शिक्षा के उत्तरदायित्व को उठाने के लिए ब्रिटिश सरकार को कहा गया।

प्रश्न 8.
भारत में ब्रिटिश शिक्षा के दो प्रमुख उद्देश्यों को लिखें।
उत्तर:
(i) ब्रिटिश सरकार चाहती थी कि भारतीयों को केवल रंग एवं रूप में ही भारतीय रहने दिया जाये तथा उनके विचार, रुचि, सोच एवं मूल्यों की प्राथमिकता पूर्णतया पश्चिमी या अंग्रेजों जैसी ही हो। कंपनी किसी सीमा तक इस उद्देश्य से सफल भी रही।

(ii) इस शिक्षा का उद्देश्य यह था कि कंपनी के कार्यालयों | में बाबुओं (clerks) की एक लंबी फौज तैयार हो सके जो कम वेतन पर भी बड़े फक्र से अपनी सेवाएं देने के लिए तैयार हो सके। अंग्रेज वस्तुतः ऐसा कर भी सके।

प्रश्न 9.
आधुनिक शिक्षा की दो कमियों का उल्लेख करें।
उत्तर:

  • इस शिक्षा ने बच्चों के बहुमुखी विकास, मातृभाषा, जनसाधारण एवं लड़कियों की शिक्षा की अनदेखी की।
  • इस शिक्षा में विज्ञान तथा तकनीकी शिक्षा की ओर उचित ध्यान नहीं दिया गया।

प्रश्न 10.
विलियम केरे (William Carey) कौन था?
उत्तर:
विलियम करे स्काटलैंड से आया ईसाई मिशनरी से संबंधित कार्यकर्ता था। उसने भारत के सिरामपुर में एक मिशन की स्थापना की थी जो उस समय डेनिश ईस्ट इंडिया कंपनी (Danish East India Company) के अधीन था। इस मिशन ने 1800 ई. में एक छापाखाना (प्रिंटिंग प्रेस) तथा 1818 में एक कॉलेज स्थापित किया।

प्रश्न 11.
भारत में शिक्षा देने वाले स्थान के लिए प्रयोग किये जाने वाले तीन प्रसिद्ध शब्दों को लिखें।
उत्तर:

  • पाठशाला या विद्यालय
  • मदरसा तथा
  • स्कूल।

प्रश्न 12.
फ्रानकोइस सोलवयन (Francois Solyn) कौन था? वह भारत में कब आया? उसने यहाँ क्या किया था?
उत्तर:

  • कौन (Who) : फ्रानकोइस सोलवयन एक डच (हालैंड निवासी) था। वह एक चित्रकार था।
  • कब (When) : वह भारत में 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में आया था।
  • कार्य (Work) : उसने अपनी पेंटिंग्स (चित्रों) में लोगों के दिन-प्रतिदिन के जीवन को चित्रित किया।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न 

प्रश्न 1.
मैकाले के प्रपत्र (मिनट्स) के उपरांत अंग्रेजी सरकार ने क्या महत्त्वपूर्ण निर्णय, घोषणाएँ एवं कदम उठाए
उत्तर:
(i) मैकाले के प्रपत्र का अनुसरण करते हुए सरकार ने अंग्रेजी शिक्षा अधिनियम 1835 को लागू किया। इसमें यह निर्देश दिया गया कि उच्च शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी भाषा होगी एवं आदि या प्राच्य संस्थाओं को सरकार की तरफ से प्रोत्साहन देने की नीति को रोक दिया गया। इसका प्रतिकूल प्रभाव कलकत्ता मदरसा तथा बनारस संस्कृत कॉलेज पर पड़ा।

(ii) इन संस्थाओं को अब ‘अंधकार फैलाने वाले मंदिरों के रूप में देखा जाने लगा तथा वे स्वयं में ही पतन की ओर उन्मुख होते जाएंगे।

(iii) स्कूलों के लिए अब अंग्रेजी की पाठ्यपुस्तके सरकार द्वारा तैयार की जाने लगीं।

प्रश्न 2.
बुड डिस्पैच क्या था?
उत्तर:
चार्ल्स वुड की नियुक्ति 1850 के दशक में की गयी थी। शिक्षा से संबंधित सिफारिशों को लागू करने के लिए वुड डिस्पैच 1854 जारी किया गया। ऐसा माना गया कि भारत में पाश्चात्य शिक्षा प्रसार के साथ ही ब्रिटिश सौदागरों तथा उद्योगपतियों को आर्थिक लाभ पहुंचेगा। इसमें कहा गया कि शिक्षा के प्रसार को निम्न स्तर के लोगों तक पहुँचाया जाये ताकि भारतवासियों को यह समझ में आ सके कि ब्रिटेन के साथ व्यापार एवं वाणिज्य बढ़ने से भारतवासियों को भारी लाभ होगा। वे (भारतीय) इस स्थिति में भी पहुंचेंगे कि जो संस्थान विकसित किये जा रहे हैं उनकी क्या महत्ता है। उन्हें यूरोपीय ढंग की जीवनशैली से परिचय कराया जायेगा। यह शिक्षा उनकी रुचियों एवं आकांक्षाओं में भी परिवर्तन लायेगी जिससे भारत में ब्रिटिश मालों (वस्तुओं) की मांग उत्पन्न होगी और जिन वस्तुओं की भारतवासी बड़ाई करेंगे (उनकी प्रशंसा करेंगे) उनका उत्पादन सारे यूरोपीय देशों में भी बढ़ेगा।

प्रश्न 3.
शांतिनिकेतन की स्थापना की क्या पृष्ठभूमि थी?
उत्तर:
जब गुरु रबिंद्रनाथ टैगोर एक बालक थे तो वे स्कूल जाने से घृणा किया करते थे। उन्होंने स्कूल को एक दम घोंटने वाला तथा दमनकारी संस्था पाया। उन्हें स्कूल एक जेल जैसा दिखाई देता था क्योंकि वहाँ वह ऐसा बिल्कुल भी नहीं कर सकता था जैसा करना उसे सुहाना लगता था। इसलिए जब अन्य बच्चे अपने अध्यापकों को ध्यान से सुनते थे, तो टैगोर का मस्तिष्क कहीं और घूम रहा होता था।

विद्यालय के दिनों में टैगोर को जो अनुभव कलकत्ता में मिला था उसने उनके विचारों को शिक्षा के बारे में बदल दिया। बड़ा होने पर, वह चाहते थे कि वे एक स्कूल की स्थापना करें जहाँ बच्चा खुश रहे, जहाँ वह मुक्त हो तथा कुछ रचनात्मक कार्य कर सके। जहाँ वह अपने विचारों एवं इच्छाओं को अपनी इच्छानुसार अभिव्यक्त कर सके या उन्हें शक्ल दे सके। इसलिए सन् 1901 में रबिंद्रनाथ टैगोर ने कलकत्ता के पास ही शांतिनिकेतन की स्थापना की ताकि वह शिक्षा संबंधी अपने दर्शन, विचार एवं संस्कारों को व्यावहारिक जामा पहना सकें।

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प्रश्न 4.
बाल केंद्रित शिक्षा के बारे में टैगोर के क्या विचार थे एवं इससे भी बढ़कर वह इसके अध्यापक की भूमिका क्या हो, इस बारे में क्या विचार रखते थे?
उत्तर:
1. रबिंद्रनाथ टैगोर की इच्छा थी कि शिक्षा की प्रक्रिया बाल केंद्रित ही होनी चाहिए। उनकी अपनी भूमिका (एक गरु या अध्यापक के रूप में) संपूर्ण प्रक्रिया में मात्र एक अन्वेषक या सुपरवाइजर जैसी ही होनी चाहिए। अध्यापक को महसूस करना चाहिए कि बचपन को स्वयं शिक्षा पाने के लिए समझ की आवश्यकता होती ही है, वे चाहते थे कि स्कूलों या कक्षाओं में जटिल पाबंदीपूर्ण अनुशासन नहीं होना चाहिए जो हमारे देश में बचपन से ही बच्चों को ऐसा करने के लिए सिखाया जाता है।

2. अध्यापकों को कल्पना एवं सोच वाला होना चाहिए, उसे बच्चे को समझना चाहिए तथा उसे जानने की इच्छा को बढ़ावा देने के कार्य में मदद करनी चाहिए।

प्रश्न 5.
टैगोर एवं महात्मा गाँधी के शैक्षिक विचारों की तुलना करें।
उत्तर:
कई अर्थों में तो टैगोर तथा गाँधी जी शिक्षा के बारे में विचार एक जैसे ही थे। जो भी उनमें कुछ भेद भी थे, जो निम्नलिखित थे।
1. गाँधीजी पश्चिमी सभ्यता के बहुत बड़े आलोचक थे और पश्चिमी लोग जो मशीनों तथा प्रौद्योगिकी की ही पूजा-अर्चना (यानी गुणगान) करते थे उनसे वह बिल्कुल भी सहमत नहीं थे जबकि टैगोर जो भी भारतीय परंपरा से सर्वश्रेष्ठ था उसे आधुनिक पश्चिमी सभ्यता के तत्वों के साथ मिश्रित कर देना चाहते थे।

2 . गाँधीजी प्रारंभिक शिक्षा हस्तकला या क्राफ्ट पर आधारित करके देशप्रेम, स्वावलंबी, स्व-सम्मानीय बनाते हुए न केवल मात्र पढ़ने तथा लिखने तक ही सीमित रखना चाहते थे बल्कि वह उसे मानव व्यक्तित्व के तीनों पहलू-मस्तिष्क, शरीर एवं आत्मा के विकास या बालक के बहुआयामी विकास की प्रक्रिया बनाना चाहते थे। दूसरी ओर टैगोर ने शांतिनिकेतन में कला, संगीत तथा नृव्य के साथ-साथ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी शिक्षा पर भी जोर दिया।

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न 

प्रश्न 1.
विलियम जोंस कौन था? आप भारत में उसकी गतिविधियों एवं कार्यों के बारे में क्या जानते हैं?
उत्तर:
विलियम जोंस:
1. जोस सन् 1793 में कलकत्ता (अब कोलकाता) में पहुंचा था। उसे सर्वोच्च न्यायालय का कनिष्ठ (जूनियर) न्यायाधीश नियुक्त किया गया था, जिस न्यायालय भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी ने स्थापित किया था।

2. कानून में विशेषज्ञ होने के साथ-साथ वह एक भाषाविद् anguist) या भाषा-प्रवीण भी था। (वह व्यक्ति जिसने कई माओं का अध्ययन किया हो तथा एक विद्वान की भाँत उन्हें मता भी हो, लिग्विस्टि या भाषा-प्रवीण कहलाता है।)

3. आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में विलियम जोंस ने यूनानी एवं लैटिन भाषाओं का अध्ययन किया था। वह फ्रांसीसी एवं अंग्रेजी भी जानता था। उसने एक मित्र से अरबी (भाषा) को ग्रहण किया तथा फारसी भी सीखी।

4. कलकत्ता में रहते हुए विलियम जोंस ने एक पंडित के पास अनेक घंटे प्रतिदिन व्यतीत किये जिसने उसे संस्कृत भाषा से संबंधित सभी बातें जैसे भाषा, व्याकरण एवं कविताओं का अध्ययन कराया। शीघ्र ही उसने प्राचीन भारत की धार्मिक पुस्तकों जो कानून पर लिखी गयी थीं का अध्ययन किया। इसके साथ-साथ उसने प्राचीन भारतीय दर्शन, धर्म, राजनीति, नैतिकता, अंकगणित, औषधि विज्ञान एवं अन्य विज्ञानों पर रचनाओं का भी अध्ययन किया।

5. विलियम जोंस ने यह भी पाया कि उसकी ही भांति कुछ अन्य अंग्रेज अधिकारीगण भी जो उस समय कलकत्ता शहर में रह रहे थे, ऐसी ही रुचि ले रहे थे।

6. हेनरी थोमस कोलेब्रुक एवं नाथनाइल हालहेद जैसे अंग्रेज भी प्राचीन भारत की विरासत की खोज करने में व्यस्त थे। वे भारतीय भाषाओं का अध्ययन कर रहे थे तथा संस्कृत एवं फारसी की रचनाओं का अंग्रेजी में अनुवाद भी कर रहे थे। उनके साथ-साथ, विलियम जोंस ने बंगाल में एशियाटिक सोसाइटी की स्थापना की एवं उसने एक जरनल (पत्रिका) भी शुरू की जिसे एशियाटिक अनुसंधान कहा जाता था।

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प्रश्न 2,
19वीं शताब्दी में भारत में ईसाई मिशनरियों द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में क्या भूमिका निभायी गई थी?
उत्तर:
19वीं शताब्दी में भारत में ईसाई मिशनरियों ने शिक्षा के क्षेत्र में निम्नलिखित भूमिकाएं निभायी थीं:
1. 19वीं शताब्दी में भारत में जो भी ईसाई मिशनरियाँ कार्यरत थीं, उन्होंने व्यावहारिक शिक्षा के पक्ष में जो भी तर्क दिये जा रहे थे उसकी जोरदार आलोचना की। मिशनरियों ने जोर देकर कहा कि शिक्षा का प्रयोग लोगों के नैतिक चरित्र को सुधारने के लिए ही किया जाना चाहिए और यह कार्य भारत में सिर्फ ईसाई शिक्षा के माध्यम से ही किया जा सकता है।

2. 1813 तक, ईस्ट इंडिया कंपनी ने ईसाई मिशनरियों की गतिविधियों का विरोध किया था। उसे यह डर सता रहा था कि कहीं ईसाई मिशनरियों की गतिविधियों से स्थानीय लोगों में प्रतिक्रिया न भड़क उठे तथा वे भारत में अंग्रेजों की उपस्थिति से संदेहप्रद ही न हो जायें।

3. जब ईसाई मिशनरियाँ ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के नियंत्रण में आये हुए भू-भाग या क्षेत्र में अपने मिशन के कार्यालय या केंद्र स्थापित करने में सफल नहीं रहीं तो उन्होंने सेरामपुर (Serampur) में मिशन स्थापित करने का निर्णय लिया। यह भू-भाग उस समय डेनिस ईस्ट इंडिया कंपनी (Danish East India Compary) के नियंत्रण में था। 1800 ई. में एक छापाखाना (प्रिंटिंग प्रेस) लगाया गया एवं 1818 में एक कॉलेज की स्थापना की।

4. 19वीं शताब्दी की समाप्ति पर, संपूर्ण भारत में अनेक स्थानों पर ईसाई मिशनरियों के स्कूल स्थापित किए गए।

5. 1857 के बाद, जो भी हो, अंग्रेजी सरकार ने भारत में ईसाई मिशनरियों को सीधे एवं प्रत्यक्ष रूप से मदद करने में कुछ हिचकिचाहट की। उसके दिमाग में यह भावना थी कि यदि वह स्थानीय रीति-रिवाजों, परंपराओं, विश्वासों एवं धार्मिक विचारों में हस्तक्षेप करेगी तो आदिवासियों (मूल निवासियों) की राय ब्रिटिश विरोधी हो जायेगी तथा अंग्रेजी, सरकार के विरुद्ध लोगों का क्रोध फूट पड़ेगा।

देशी जनता को सभ्य बनाना राष्ट्र को शिक्षित करना Class 8 HBSE Notes

1. भाषाविद् (Linguist) : वह व्यक्ति जिसने अनेक भाषाओं का अध्ययन किया हो और अनेक भाषाओं को जानता हो उसे लिंगुइस्ट अथवा भाषाविद् कहते हैं।

2. मदरसा (Madrasa) : शिक्षा की जगह के लिए अरबी (भाषा) का एक शब्द/किसी भी तरह का स्कूल या कॉलेज, मदरसा कहलाता है।

3. पूर्वदेशीय भाषाओं के ज्ञाता (Orientalists) : एशिया के विद्वान स्तर की भाषा एवं संस्कृति को जानने वाले लोग।

4. मुंशी (Munshi) : वह व्यक्ति जो फारसी (या किसी अन्य भाषा) को पढ़ना, लिखना एवं पढ़ाना जानता हो।

5. देशी भाषा (Vernacular) : यह शब्द (पद) प्राय: स्थानीय भाषा अथवा लिपि के संदर्भ में प्रयोग किया जाता है. इसकाप्रयोग मानक भाषाओं से जिन भाषाओं को भिन रखना होता है उन्हीं के लिए किया जाता है। भारत जैसे औपनिवेशिक देश में अंग्रेजों ने इस शब्द का प्रयोग देश में आने वाली दैनिक भाषाओं को अंग्रेजी से पृथक करने के लिए, उन्हीं के लिए (स्थानीय भारतीय भाषाओं) ही प्रयोग किया। ‘अंग्रेजी’ औपनिवेशिक शासकों की अपनी भाषा थी।

6. हंटर कमीशन (आयोग) (Hunter Commission): शिक्षा संबंधी वह आयोग जिसे अंग्रेजी सरकार ने 1854 में शिक्षा संबंधी मामलों के लिए नियुक्त किया था। इस आयोग के अध्यक्ष हंटर थे।

7. वुड की चिट्ठी (या प्रपत्र) (Wood’s Despatch) : 1854 में जो ब्रिटिश सरकार द्वारा आयोग नियुक्त किया गया था उसकी सिफारिशों के आधार पर ही भारत में भावी शिक्षा कार्यक्रम को कैसे विकसित किया जायेगा, उस प्रपत्र को वुड की चिट्ठी या वुड डिस्पेच कहा जाता है। वुड डिस्पेच को ‘अंग्रेजी शिक्षा’ का मैग्ना कार्टा (Magna Carta) कहा जाता है।

8. भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम (The Indian University Act) : इसको लार्ड कर्जन ने 1904 में बनाया था तथा इसका अध्यक्ष टी. रलैफ (T. Raleigh) था।

HBSE 8th Class Social Science Solutions History Chapter 8 देशी जनता को सभ्य बनाना राष्ट्र को शिक्षित करना

9. नई तालीम (Nai Talim) : देश में जो नई शिक्षा योजना महात्मा गाँधी ने लागू की थी, उसे नई तालीम कहा गया है।

10. रेशम की खेती (Sericulture) : रेशम के कौड़ों को पालना. रेशम की खेती या सेरीक्लचर कहलाता है।

11. नई शिक्षा योजना (New Education System) : भारत में ब्रिटिश शासन काल में जो आधुनिक ढंग की शिक्षा शुरू की गयी थी, उसे नई शिक्षा योजना कहा जाता है। इसमें अंग्रेजी भाषा तथा साहित्य का अध्ययन भी शामिल था।

12. मूलनिवासी (Indigenous) : किसी देश के आदिवासी।

13. प्रगतिशील भारतवासी (Progressive Indians) : वे भारतवासी जो नये परिवर्तनों को बड़ी आसानी एवं स्वेच्छा से अंगीकार कर लेते थे।

14. बहिष्कार (Boycott): किसी भी सामाजिक या आर्थिक उत्सव या कार्यक्रम में सहयोग करने से मना करना ही बहिष्कार कहलाता है।

15. गुरु (Guru): टीचर या अध्यापक।

16. पाठशाला : स्कूल या विद्यालय।

HBSE 8th Class Social Science Solutions

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