Haryana State Board HBSE 6th Class Social Science Solutions History Chapter 9 खुशहाल गाँव और समृद्ध शहर Textbook Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 6th Class Social Science Solutions History Chapter 9 खुशहाल गाँव और समृद्ध शहर
HBSE 6th Class History खुशहाल गाँव और समृद्ध शहर Textbook Questions and Answers
कल्पना करो:
प्रश्न तुम बेरिगाजा में रहते हो और पत्तन देखने निकले हो। तुमको क्या-क्या देखने को मिला?
उत्तर :
मैंने यहाँ नावों के कई बेड़ों को आते-जाते देखा। यहाँ यूनान, स्पेन, पुर्तगाल और अरब के व्यापारी इन बेड़ों में शराब, ताँबा, टिन, सीसा, मूंगा, पुखराज, कपड़े, सोने और चांदी के सिक्के भरकर ला रहे थे। इन्हें समुद्र तट पर उतारा जा रहा था। हजारों लोगों का जमघट था। लोगों की अलग-अलग किस्म की वेशभूषा देखने को मिली। भाषा भी लोग अलग-अलग बोल रहे थे। बेरिंगाजा असल में भृगुकच्छ बंदरगाह है लेकिन यूनानियों ने इसका नाम बेरिंगाजा रख दिया है।
बंदरगाह के दूसरे छोर पर मैंने देखा कि खाली नावों में हिमालय की जड़ी-बूटियाँ, हाथी दाँत का सामान, गोभेद, कानिलियन, सूती और रेशमी कपड़ा तथा इत्र जैसी चीजें लादी जा रही हैं। यह बंदरगाह इस समय गुजरात राज्य में है और अब इसे भडौंच कहा जाता है।
आओ याद करें :
खुशहाल गाँव और समृद्ध शहर Class 6th History HBSE प्रश्न 1.
खाली जगहों को भरो:
(अ) तमिल में बड़े भूस्वामी को ………….. कहते थे।
(ब) ग्राम-भोजकों की जमीन पर प्रायः ………….. द्वारा खेती की जाती थी।
(स) तमिल में हलवाहों को ………….. कहते थे ।
(द) अधिकांश गृहपति ………….. भूस्वामी होते थे।
उत्तर :
(अ) बेल्लालर
(ब) दास और दैनिक श्रमिकों
(स) उझावर
(द) स्वतंत्र एवं आत्मनिर्भर।।
खुशहाल गाँव और समृद्ध शहर class 6 HBSE History प्रश्न 2.
ग्राम-भोजकों के काम बताओ। वे शक्तिशाली क्यों थे?
उत्तर :
गाँव का मुखिया ग्राम भोजक था, जो गाँव के झगड़ों को निपटाता था। सरकारी लगान एवं कर की वसूली करता था और कभी-कभी अपराधी सिद्ध हुए लोगों को दण्डित भी करता था। उसका पद आनुवांशिक होने, राजस्व वसूली. न्याय करने, दण्डित करने आदि का प्राधिकार रहने के कारण हम उसको शक्तिशाली व्यक्ति कह सकते हैं। दास, कर्मकार, श्रमिक आदि -उसकी सेवा करते थे एवं कृषि-कार्य का बोझ भी उन्हीं के कंधों पर था।
HBSE 6th Class Social Science खुशहाल गाँव और समृद्ध शहर प्रश्न 3.
गाँव तथा शहरों दोनों में रहने वाले शिल्पकारों की सूची बनाओ।
उत्तर :
1. मूर्ति शिल्पी
2. टोकरी बुनने वाले
3. लोहार
4. स्वर्णकार
5. खदान श्रमिक
6. कृषि-दास.
7. भवन-शिल्पी
8. बढ़ई (काष्ठ-शिल्पी)
9. भांडकार (कुम्हार एवं ठठेरे)
10. जुलाहे
11. बुनकर
12. जलयान एवं नाव बनाने वाले
13. गंधी (इत्र आदि सुंगधित द्रव्य बनाने और बेचने वाले)
14. सिक्के डालने वाले (मुद्रा शिल्पी)।
प्रश्न 4.
सही जवाब ढूंढो :
(क) वलयकूप का उपयोग …………..
(i) नहाने के लिए
(ii) कपड़े धोने के लिए
(iii) सिंचाई के लिए
(iv)जल निकास के लिए किया जाता था।
उत्तर :
(iv)जल निकास के लिए किया जाता था।
(ख) आहात सिक्के …………..
(i) चाँदी
(ii) सोना
(iii) टिन
(iv) हाथीदाँत के बने होते थे।
उत्तर :
(i) चाँदी
(ग) मथुरा महत्त्वपूर्ण …………..
(i) गाँव
(ii) पत्तन ।
(iii) धार्मिक केन्द्र
(iv) जंगल क्षेत्र
उत्तर :
(iii) धार्मिक केन्द्र
(घ) श्रेणी …………..
(i) शासकों
(ii) शिल्पकारों
(iii) कृषकों
(iv) पशुपालकों का संघ होता था।
उत्तर :
(ii) शिल्पकारों
आओ चर्चा करें :
प्रश्न 5.
एन.सी.आर.टी की पाठ्यपुस्तक पर दिखाए गए लोहे के औजरों में कौन खेती के लिए महत्त्वपूर्ण होंगे? अन्य औजार किस काम में आते होंगे ?
उत्तर :
हल की लोहे की फाल। इससे खेतों की जुताई की जाती थी। सँडसी का प्रयोग किसी चीज को पकडकर गर्म करने आग से उतारने, कीलों को खींचकर बाहर निकालने आदि में होता होगा। दराँती का प्रयोग घास काटने, फसल काटने, पेड़ों की पत्ते काटने एवं लकड़ी काटने में होता होगा।
प्रश्न 6.
अपने शहर की जल निकास व्यवस्था की तुलना तुम उन शहरों की व्यवस्था से करो, जिनके बारे में तमने पढ़ा है। इनमें तुम्हें क्या-क्या समानताएँ और अंतर दिखाई दिए ?
उत्तर :
छात्रों को इस प्रश्न का उत्तर अपने निवास के आस-पास वाले स्थानों का निरीक्षण करके देना है। यदि वे गाँव में रहते हैं तो लिखेंगे कि वहाँ साधारण कुल्या खोदकर प्रत्येक घर की नाली को गाँव के किसी बड़े नाले तक पहुँचाया जाता है। यह नाली खुली रहती है तथा वर्षाकाल में टूटती रहती है। यदि वे शहर में रहते हैं तो यहाँ नालियों के भूगत रहने का उल्लेख करेंगे। इसमें एक बस्ती की नाली को दूसरी के साथ जोड़ते हुए एक जाल सा तैयार किया जाता है। सीमेंट निर्मित बड़े-बड़े नल छिपाए जाते हैं। प्रत्येक 50 मीटर की दूरी पर पक्के सीमेंट की एक हौदी बनाई जाती है। इसके ऊपर लोहे या सीमेंट-कंक्रीट का एक ढक्कन रखा जाता है। बस्ती के समूचे नाली-जाल का अन्त में बस्ती से दूर किसी बड़े नाले के साथ जोड़ दिया जाता है।
इस पाठ में वर्णित नाली प्रबंध छल्लेदार कुंओं (Ring Well) का है। यह एक दूसरे के ऊपर रखे हुए गोलाकार बर्तन (हाँडी) की तरह था। इनका प्रयोग शौचादि करने एवं कूड़ा-करकट को डालने में किया जाता था। ये पृथ्वी में गहराई पर गाड़े गए थे। ये मिट्टी के बने हुए थे। इसका अर्थ है कि उस काल में नाली प्रबंध निकास वाला नहीं बल्कि भूगत-अवशोषण (सुरक्षा-कुंड) वाला था। ऐसा आवृत्त और भू-गत नाली प्रबंध, कई गांवों एवं शहरों में आज भी दिखाई पड़ता है। दोनों में समानता यह है कि इनका प्रयोग मल-जल का व्ययन करने में होता है। गंदगी को विसंक्रमित करने तथा बस्ती से दूर रखने का कार्य दोनो व्यवस्थाओं में होता है।
आओ करके देखें:
प्रश्न 7.
अगर तुमने किसी शिल्पकार को काम करते हुए देखा है तो कुछ वाक्यों में उसका वर्णन करो (संकेत : उन्हें कच्चा माल कहाँ से मिलता है, किस तरह के औजारों का प्रयोग करते हैं, तैयार माल का क्या होता है, आदि)
उत्तर :
टोकरी बुनने वाले : कच्चा माल अर्थात् बाँस को जंगलों से लाते हैं। कुछ दिन इसको सूखने दिया जाता है। अब आरी से इसके डंडों को लम्बाई में बारीकी से चीरा जाता है और बाँस की बारीक खप्पचियों को क्रमश: एक-दूसरे में फंसाकर, ग्रंथियाँ लगाकर, बाटकर वह टोकरी आदि वस्तुएँ या चटाई तैयार कर ली जाती है। इस कार्य के लिए हमको दराँती, आरी, पैमाना, रस्सी के टुकड़े आदि उपकरणों की आवश्यकता रहती है। पूरा परिवार इस कार्य को आपस में बाँट लेता है। यह गृह-उद्योग या शिल्प का एक प्राथमिक रूप है। इस तरह बनाए गए माल (टोकरी, डिब्बा, संदूक, बाल्टी आदि) को बाजार में ले जाकर बेच दिया जाता है। आकर्षक बनाने के लिए इन्हें विविध रंगों में रंगते भी हैं।
प्रश्न 8.
अपने शहर या गांव के लोगों के कार्यों की एक सूची बनाओ। मथुरा में किए जाने वाले कार्यों में से ये कितने समान और कितने भिन्न हैं ?
उत्तर :
आधुनिक पुरुष और महिलाओं द्वारा नगर एवं गाँव में किए जाने वाले कार्य :
1. खेती
2. पशुपालन
3. मुर्गी पालन
4. दुग्धशाला उद्योग
5. कारोबार
6. व्यापार
7. टोकरियाँ बुनना
8. खाद्य संग्रहण
9. जड़ी-बूटी उद्योग
10. फलोद्यान (बागवानी)
11. मत्स्यपालन
12. उत्खनन (खदानों में)
13. सड़क एवं पुल निर्माण
14. भवन निर्माण
15. मूर्ति शिल्प
16. हथकरघा उद्योग
17. हस्तकला आदि।
मथुरा में रहने वाले ऐतिहासिक लोगों द्वारा किए गए कार्य :
1. लोहारगिरी
2. सुनारगिरी
3. जुलाहे
4. टोकरी बुनने वाले
5. फूलों की माला गूंथने वाले (माली)
6. सुगंधित द्रव्य बनाने वाले (गंधी)
7. बागवानी
8. पुष्पोद्यान
9. कृषि
10. व्यापार (घरेलू एवं विदेशी)
11. मूर्ति शिल्प
12. भवन निर्माण शिल्प (वास्तुकला)
13. लेखक आदि।
समानताएँ और असमानताएँ :
उक्त तालिकाओं से स्पष्ट होता है कि आज भी पुरूष और महिलाओं द्वारा ये सभी कार्य किए जाते हैं। अन्तर केवल कार्य में प्रयोग किए जाने वाले औजारों एवं उपकरणों का दिखाई पड़ता है। आज विद्युत या वाष्प चालित यंत्र/ औजार बन गए हैं। बीजों की प्रजातियों में संकरण किया गया है और पहले की तुलना में अधिक आकर्षक चीजें बड़े पैमाने पर बनाई जाने लगी हैं। गृह उद्योग या कुटीर उद्योग जैसे लघु उद्योग अब दम तोड़ रहे हैं तथा उनका स्थान बड़े-बड़े उद्योगों ने ले लिया है।
सूचना एवं प्रौद्योगिकी में प्रगति के कारण कार्य-विधि और साधनों (औजारों) में परिवर्तन हुआ है अन्यथा कार्यों में लगभग समानता है। सरकारी स्तर पर कटीर उद्योग-धन्धों को पनरूज्जीवित करने के प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन बड़े पैमाने पर उत्पादन करने वाली मशीनों के इस युग में व्यष्टि या परिवार स्तर पर किए जाने वाले कार्य अलाभप्रद रह गए हैं। बड़े पैमाने पर निर्मित वस्तुएँ सस्ती कीमत पर उपलब्ध रहने के कारण उचित लाभांश नहीं मिल पाता है। संस्थानिक विशेष स्तर के प्रयास की आवश्यकता है।
HBSE 6th Class History खुशहाल गाँव और समृद्ध शहर Important Questions and Answers
अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
मौर्यकाल में बड़े जमींदार कैसे बने होंगे?
उत्तर :
इस युग में ग्रामीण स्तर पर राजकार्य में सहायता देने वाले लोगों को बड़े-बड़े कृषि-क्षेत्र स्वामित्व में दिए गए थे। साम्राज्य स्तर पर सबसे बड़ा कार्य कर-वसूली का था, जिसको बड़े जमींदार अपने-अपने गाँव से करते थे।
प्रश्न 2.
ग्रामभोजक और वेल्लालर में क्या अन्तर हैं ?
उत्तर :
दोनों शब्द बड़े जमींदारों के लिए प्रयोग होते हैं। अन्तर केवल उत्तर भारत की संस्कृत भाषा और दक्षिण भारत में तमिल भाषा (द्रविड समूह की एक भाषा) का है।
प्रश्न 3.
दक्षिण भारत में उझावर, कदाईसियार तथा आदिमई किन्हें कहा जाता था ?
उत्तर :
उझावर-साधारण कृषक को, खेतीहर मजदूर को-कदाईसियार और दासों को आदिमई कहा जाता था।
प्रश्न 4.
उत्तर भारत में गृहपति और दास-कर्मकार किसको कहा जाता था?
उत्तर :
क्रमशः छोटी कृषि-जोत (Land Holding) वाले परन्तु स्वतंत्र किसान को गृहपति और कृषि-दास खेतीहर मजदूर एवं बंधुआ मजदूर थे।
प्रश्न 5.
संगम-साहित्य से आप क्या समझते हो?
उत्तर :
तमिल (द्रविड़ भाषा समूह की एक भाषा) में लिखे गए ग्रंथ संगम साहित्य हैं। कृषि श्रम, शिल्प (मूर्ति निर्माण, काष्ठ कला, भवन निर्माण आदि) कार्य व्यवसाय में लगे हुए सामान्य जन एक समूह या सभा में बैठकर तत्कालीन समाज की घटनाओं का विवरण साहित्य की कविता विद्या (faculty) में उच्चारित करते थे।
प्रश्न 6.
पुरातत्वविदों ने नगरों के बारे में जानकारी किन-किन साधनों से जुटाई है ?
उत्तर :
तत्कालीन ग्रंथों में वर्णित कहानियों, उपाख्यानों, विदेशी यात्रियों के यात्रावृत्त या संस्मरणों अथवा विवरणों तथा मूर्ति शिल्प के मग्नावशेषों से।
प्रश्न 7.
पुरातत्वविदों का इतिहास को क्या योगदान
उत्तर :
ऐतिहासिक घटनाओं के प्रमाणों को पुरातत्वविद् ही जुटाते हैं। पुरातत्व स्थलों का पता लगाना, प्राचीन ग्रंथों को पढ़ना, सामाजिक, राजनैतिक, धार्मिक और सांस्कृतिक परिवर्तनों का अध्ययन, दर्शन, प्रेक्षण तथा प्रयोग करना यथा-पुरातत्व स्थलों को खोदना, भग्नावशेषों का अध्ययन करना आदि कार्य पुरातत्वविद् ही करते हैं।
प्रश्न 8.
जातक कथाओं में किन विषयों को लिया जाता है?
उत्तर :
पर्यावरण, पारिस्थितिकी तंत्र, जलवायु, वनस्पति, जीव-जंतु, पर्वत, गिरि, श्रृंग, पुरातन भवन आदि को बौद्ध धर्म के -सिद्धांतों को मनोकौशल से जनप्रिय बनाया गया है।
प्रश्न 9.
‘मूषक श्रेष्ठि कथा’ को आप किस सीमा तक सही मानते हैं ?
उत्तर :
अन्तर्जात गुणों के बोध, आर्थिक नियमों एवं उच्चावच की जानकारी, संयोगों की सन्धि कराने की कला वाली व्यष्टि की बुद्धि सीमा तक। वस्तुतः वह बालक भूख के मूल-प्रेरण से ही व्यवसाय प्रबंधन को सीखा होगा।
प्रश्न 10.
गोल-कूप क्या थे ? इनका किस कार्य में उपयोग होता था?
उत्तर :
मिट्टी के बने विशेष पात्र (घड़े के ऊपर घड़ा क्रम में)। इनका प्रयोग शौचादि में होता था। गहराई में गड़े हुए इन पात्रों में मल-जल बिना दुर्गंध सड़ जाता था एवं द्रव को मिट्टी द्वारा सोख लिया जाता था। यह एक तरह का नाली-प्रबंधन था।
प्रश्न 11.
मूर्ति-शिल्प का प्रयोग कहाँ हुआ है ?
उत्तर :
भवनों के जंगलों, स्तंभों तथा फाटकों को सजाने में।
प्रश्न 12.
भारतीय यूनानी कौन थे ?
उत्तर :
आज से लगभग 1800 वर्ष पहले उत्तर-पश्चिम भारत में शासन करने वाले यूनान के बैक्ट्रिया प्रदेश के वासी। इन्हें बैक्ट्रिया-यूनानी (यवन) भी कहा जाता है।
प्रश्न 13.
कण्व कौन थे ?
उत्तर :
शुंगवंश के अन्तिम शासक को पराजित करके सिंहासन पर बैठने वाला राजवंश। इसके शासक वासुदेव, भूमिमित्र, नारायण और सुशर्मा थे।
प्रश्न 14.
बारीगज क्या हैं ?
उत्तर :
भड़ौच नामक बंदरगाह जिसको यूनानियों ने बारीगज नाम दिया था। इसका नाम भृगुकच्छ भी था। यह आधुनिक गुजरात
प्रश्न 15.
नमक के सौदागर यात्रा कैसे करते थे ?
उत्तर :
बैलगाड़ी में सवार होकर।
प्रश्न 16.
मथुरा नगर की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर :
1. चारों ओर से किलेबन्दी वाला नगर
2. व्यापार और यात्रा का केन्द्र
3. मूर्ति शिल्प में अग्रणी तथा
4. धार्मिक नगर।
प्रश्न 17.
मंदिर और मठों को वान देने वाले लोग कौन थे?
उत्तर :
राजा, रानी, अधिकारी, व्यापारी और शिल्पी लोग।
प्रश्न 18.
मथुरा में शिल्पी कौन-कौन थे ?
उत्तर :
1. सुनार
2. लोहार
3. जुलाहे.
4. दस्तकार,
5. माला गूंथने वाले और
6. गंधी (इत्र और सुगंधित द्रव्य बेचने वाले)।
प्रश्न 19.
“श्रेणी” बैंक का कार्य कैसे करती थी ?
उत्तर :
यह धनी महिला और पुरुषों का एक संघ था। वे धन जमा करते थे तथा शिल्पियों को कर्ज देते थे। मूल धन के व्याज का एक अंश वापस लौटा दिया जाता था। या मठ अथवा मंदिर बनाने वाली संस्थाओं को दान दिया जाता था।
प्रश्न 20.
सूत कातने और वस्त्र तैयार करने के काम में कौन-कौन से लोग लगाए गए थे? .
उत्तर :
भिन्न-भिन्न योग्यता वाली महिलाएँ, भिक्षुणियों, वेश्याओं की माताएँ, राज-सेवा से निवृत महिलाएँ तथा सेवा-निवृत देवदासियाँ।
प्रश्न 21.
वस्त्र बनाने में प्रयुक्त कच्चा माल क्या था ?
उत्तर :
ऊन, पेड़ों की छाल, सूत, सन(जूट) और क्षुमा।
प्रश्न 22.
अरिकामेडू कहाँ है ?
उत्तर :
आधुनिक पांडिचेरी संघ राज्य क्षेत्र में।
प्रश्न 23.
इस बात का पता कैसे चलता है कि अरिकामेड़ बंदरगाह से भूमध्य सागर क्षेत्रों का माल आयात किया जाता था ?
उत्तर :
यहाँ पर दुहत्थे (दोनों पार्श्व भागों में मूठ वाले) घड़े पाए गये हैं जिसका उपयोग शराब या तेल रखने में किया जाता था। इसी तरह मुहर लगे लाल-चमकीले बर्तन पाए गए हैं जो इटली में प्रयोग किए जाते थे। इटली के एरेटाइन शहर के नाम से इन्हें एरेटाईन मिट्टी के बर्तन कहा जाता है।
प्रश्न 24,
बर्तनों पर मुहर कैसे लगाई जाती होगी?
उत्तर :
मुहर लगाने के साँचे में गीली मिट्टी को दबाकर।
प्रश्न 25.
अरिकामेडू में अन्य कौन-कौन सी चीजें पाई गई हैं?
उत्तर :
रोम के दीए, काँच का सामान तथा कीमती रत्न आदि।
प्रश्न 26.
तमिल भाषा में सीखने के लिए प्रयुक्त लिपि कौन सी थी?
उत्तर :
ब्राह्मी लिपि।
प्रश्न 27.
अरिकामेडू में पाए गए रंगीन छोटे हौज क्या दर्शाते हैं ?
उत्तर :
ये उस काल में वस्त्रों की रंगाई के लिए बनाए गए हौज होंगे।
प्रश्न 28.
रोम साम्राज्य का तत्कालीन विस्तार बताइए।
उत्तर :
रोम साम्राज्य समूचे यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और पश्चिम एशिया तक विस्तृत था।
प्रश्न 29.
रोम नगर में स्नान, फव्वारे/झरने और शौच कार्य हेतु जलापूर्ति कैसे की गई थी?
उत्तर :
कुल्याएँ (कृत्रिम जल प्रणाली) खोदकर।
प्रश्न 30.
अखाड़े और कुल्याएँ आज तक सुरक्षित कैसे रही होंगी?
उत्तर :
इन्हें ईंटों/पत्थरों की प्रत्येक पंक्ति के बीच कोलतार (डामर) की लेप लगाकर जल-प्रतिरोधी बनाया गया था।
लघु उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
संगम साहित्य किसे कहते हैं ? यह किस भाषा में रचा गया ?
उत्तर :
संगम साहित्य : यह आठ ग्रंथों का संग्रह है और इसमें दो हजार कविताएँ हैं। तमिल भाषा की ब्राह्मी लिपि में ये लिखे गए हैं। कवि, चारण, भाट तथा घूमने-फिरने वाले गवैयों ने परस्पर-मिलकर एक सभा में इनकी रचना की थी इसलिए इस कविता संग्रह को संगम-साहित्य कहते हैं।
प्रश्न 2.
रोम के व्यापारी दक्षिण भारत के राज्यों हेतु लाभप्रद कैसे थे?
उत्तर :
1. भारत में मसालों, वस्त्रों, हीरे-मोती तथा भोग-विलास की वस्तुओं (सुधियों) का प्रचुर उत्पादन/ विनिर्माण होता था जबकि इनकी माँग रोम में अधिक थी। इस कारण इन वस्तुओं की ऊँची कीमत मिल जाती थी।
2. रोम के व्यापारी माल की कीमत सोने में देते थे।
3. तत्कालीन रोम साम्राज्य का विस्तार भूमध्य सागर के सभी देशों तक हो चुका था इसलिए इन वस्तुओं की दक्षिण भारतीयों को बहुत बड़ी बाजार मिल गई थी।
4. भारतीयों को रोम साम्राज्य के देशों में जाने की भी जरूरत नहीं थी क्योंकि रोम के जहाज स्वयं ही मालाबार तट और तमिलनाडु के पूर्वी तट पर आते रहते थे।
प्रश्न 3.
हिन्द यवन राजा कौन थे? उन्होंने कहाँ शासन किया ?
उत्तर :
हिन्द यवन या इंडोग्रीक राजा यूनान के मूल निवासी थे। यूनान का वह नगर बैक्ट्रिया था। इन्हें बैक्ट्रिया-यूनानी भी कहा जाता है। इन्होंने भारत में पंजाब के कुछ हिस्सों और काबुल की घाटी पर अपना अधिकार कर लिया। इस युग की जानकारी इन शासकों द्वारा जारी किए गए सिक्कों से प्राप्त होती है। मिनांडर जैसे कुछ बैक्ट्रिया शासकों ने बौद्ध धर्म भी स्वीकार कर लिया था। इनकी’ संस्कृति वस्तुतः भारत और यूनानी संस्कृतियों का मिश्रण थी।
प्रश्न 4.
कला की मथुरा और गांधार शैलियों का क्या तात्पर्य है? इनकी समानताएँ और भिन्नताएँ लिखिए।
उत्तर :
मथुरा शैली :
मथुरा में रहने वाले कुछ भारतीयों ने शिल्प कला सीखने में विशेष परिश्रम किया और गौतम बुद्ध की जीवंत मूर्तियाँ बनाई थी। यह मूर्ति शिल्प विशुद्ध भारतीय था।
गांधार शैली :
पश्चिम एशिया का कनिष्क जब भारत में प्रविष्ट हुआ तो यूनान की मूर्तिकला उत्तर भारत में पहुंच गई थी। कनिष्क ने गौतम बुद्ध के जीवन से संबंधित विविध चित्रों को यूनानी शैली में ही उत्कीर्ण कराया है। भारत में प्रयुक्त इस यूनानी कला को गांधार शैली कहते हैं।
समानता :
दोनों शैलियों के कलाकारों ने गौतम बुद्ध और उनके जीवन से जुड़ी हुई विविध घटनाओं प्रसंगों/ संदर्भो के चित्र भी उत्कीर्ण किए हैं।
भिन्नता :
मथुरा शैली विशुद्ध भारत की शिल्प-शैली (कला) थी जबकि कुषाणों आदि के शासन काल में बनाई गई मूर्तियों में यूनानी मूर्तिकला का प्रभाव (गांधार शैली) दिखाई देता है। यह मिश्रण भारतीय आत्मा परन्तु यूनानी कलेवर (शरीर) जैसा था।
प्रश्न 5.
शक कौन थे?
उत्तर :
मध्य एशिया की खानाबदोश (यायावर) जाति को शक कहा जाता था। ये आरंभ में हिल्मद नदी की घाटी में बसे और जनसंख्या बढ़ने पर हिंदुकुश दरें या सुलेमान पर्वत को पार करके भारत में आ गए थे। इन्होंने नासिक, मथुरा, उज्जैन जैसे नगरों में राज्य किया। ये भारतीयों के साथ रच-बस गए और हिन्दू तथा जैन धर्मो को अपना लिया था।
प्रश्न 6.
स्तूप और विहारों का क्या महत्त्व था? सुस्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
ये बौद्ध धर्म में दक्षिण भिक्षु और भिक्षुणियों के पूजा स्थल और निवास स्थान थे। स्तूप अर्ध गोलाकार टीले होते थे। इनमें महात्मा बुद्ध अथवा बौद्ध भिक्षुओं के अवशेष रखे जाते थे। इनकी पूजा की जाती थी। उदाहरणार्थ-साँची, अमरावती के स्तूप, विहार बहुत बड़े पहाड़ों को लोगों द्वारा काटकर बनाई गई गुफाएँ थीं। ये स्तूपों के नजदीक ही बनाए जाते थे। इनमें बौद्ध भिक्षु निवास करते थे। उदाहरणार्थ-सारनाथ, कार्ले और बेदसा के विहार, सारनाथ के विहार भवनयुक्त पक्की ईंटों के बनाए गए थे। इन्हें धनी व्यापारियों और शासक द्वारा दान में दी गई धनराशि से बनाया गया था।
प्रश्न 7.
चैत्य, स्तूप और विहार का अर्थ क्या है? ऐसे कुछ स्थलों के नाम बताएँ जहाँ ये पाए जाते हैं?
उत्तर :
चैत्य : ये एक तरह के गुफा मंदिर हैं। एक बहुत बड़े कक्ष को चारों ओर खंभों पर बनाया जाता है।
स्तूप : ये अर्ध-गोलाकार टीले होते थे। इनमें बुद्ध या बौद्ध भिक्षुओं के अवशेष रखे जाते थे।
विहार : ये चैत्यों और स्तूपों के पास निर्मित भवन होते थे। ये वस्तुत: बौद्ध-भिक्षुओं के निवास स्थल हैं।
प्रश्न 8.
यूनानियों तथा यवनों के संपर्क में आने से भारतीय संस्कृति तथा व्यापार पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर :
भारतीय संस्कृति पर प्रभाव :
भारतीय प्रतिनिधियों ने यूनान की नक्षत्र या खगोल विद्या को सीखा। यूनानियों के प्रभाव से चिकित्सा के क्षेत्र में भी भारतीय खोज करने लगे। सुश्रुत तथा चरक इसी काल के आयुर्वेद विशेषज्ञ थे। उन्होंने क्रमशः शरीरशास्त्रम एवं चरकसंहिता जैसे चिकित्सा ग्राथों को लिखा। इस तरह विज्ञान, नक्षत्र-विद्या और चिकित्सा की भारतीय संस्कृति का मानो प्रभात हुआ।
व्यापार पर प्रभाव :
यूनानी ही थे जिन्होंने भारत के साथ व्यापार की दिशा में पहल की। उनके जलयान मालाबार तट और अरिकामेडू बंदरगाह तक आते थे। इस तरह भारतीय माल भूमध्य सागर क्षेत्र के नगरों तथा बंदरगाहों में पहुंचने लगा। तक्षशिला, मथुरा और उज्जैन जैसे नगरों का समृद्ध बना, इसी व्यापार प्रगति का परिणाम है।
प्रश्न 9.
महलों, बाजारों और सामान्य लोगों के घरों की जानकारी कहाँ से एकत्रित की गई होगी? सुस्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
महलों, बाजारों और सामान्य लोगों के घरों की जानकारी को देने में समर्थ उस काल में लिखी गई पुस्तकें ही बनी। पुस्तकों को भले ही किसी भी विषय में लिखा गया हो, इनमें तत्कालीन समाज की दशा, रहन-सहन, जीवन-स्तर आदि का प्रत्यक्ष या परोक्ष उल्लेख अवश्य रहता है।
आयुर्वेदाचार्य चरक की यह उक्ति विचारणीय है कि वात, पित्त या कफ में किसी एक, किन्हीं दो या फिर सभा के सयुक्त असतुलन (विकार) से व्यक्ति रागा बनता है और ऐसे असंतुलन का कारण अनुचित खान-पान, संगत, साहचर्य, सहवास आदि होता है। उस समय के रोगों की पृष्ठभूमि में उन्होंने लोगों के निवास स्थान, बाजारों आदि का वर्णन किया है। इस अवधि में इंडिका, अर्थशास्त्र, चरकसंहिता, शरीरशास्त्रम, संगम साहित्य आदि ग्रंथ लिखे गए थे। ‘इंडिका’ एक यात्रा-अभिलेख या संस्मरण है जो मैगस्थनीज ने लिखा है। एक अज्ञात यूनानी मल्लाह ने अपनी डायरी में लिखा है कि वह किन-किन बंदरगाहों पर जाता था, वहाँ कैसे-कैसे लोग मिलते थे ? बंदरगाहों के आस-पास के नगरों और गाँवों की दशा कैसे है? आदि-आदि।
प्रश्न 10.
एक यूनानी मल्लाह ने अपनी डायरी में गुजरात के भड़ौच (भृगुकच्छ) बंदरगाह का क्या वर्णन किया है ?
उत्तर :
वह कहता है कि भड़ौच बंदरगाह कच्छ की सँकरी खाड़ी में स्थित है। (भड़ौच बंदरगाह अब कांदला बंदरगाह है)। इसका नाम यूनानी भाषा में बारिंगज रखा गया था। इस बंदरगाह में हिमालय की जड़ी-बूटियाँ, हाथीदांत का सामान, मसाले, पत्थर, मोती, मलमल, मणियाँ तथा रत्नों का निर्यात होता था और यूनान के व्यापारियों से दोहत्थे कलश (आरटाइन, मृभांड), मदिरा पात्र, मदिरा, ताँबा, टिन, सीसा, मूंगा, पुखराज, वस्त्र, सोने और चाँदी के सिक्के आदि खरीदते थे। यूनान के व्यापारी राजा के लिए विशेष उपहार लाते थे। चाँदी के बर्तन, गायक,कमनीय महिलाएँ, विशुद्ध मदिरा और बारीक वस्त्र (मलमल) उपहार की वस्तुएँ थीं।
खुशहाल गाँव और समृद्ध शहर Class 6 HBSE Notes in Hindi
1. लोहे का उपयोग कब से प्रारंभ हुआ? : लगभग 3000 वर्ष पूर्व।
2. सर्वाधिक औजार और हथियार कहाँ मिले हैं ? : महापाषाणी कब्रगाहों में।
3. जुताई के लिए लोहे की फाल का प्रयोग कबसे हुआ? : लगभग 2500 वर्ष पूर्व।
4. गाँवों की सहायता के बिना राजा और राज्य क्यों नहीं बन सकते? : गाँव ही प्राथमिक कार्यों से उत्पादन करते हैं और भोजन की आपूर्ति करते हैं।
5. सिंचाई के कौन-कौन से साधन प्रयोग किए जाने लगे ? : नहरें, कुएँ, तालाब और कृत्रिम झीलें।
6. तमिल भाषी क्षेत्र के जमींदारों, हरवाहों तथा भूमिहीन श्रमिकों का नाम क्या था ? : वेल्लालर, उझावर और कदाईसियार तथा आदिमई।
7. उत्तर भारत में बड़े जमींदार, छोटे जमींदार और भूमिहीन श्रमिकों को क्या कहा जाता था ? ग्रामभोजक, गृहपति, दास, कर्मकार।
8. तमिल भाषा की पहली कृति क्या है? : संगम साहित्य।
9. संगम क्या थे ? : पांड्य शासकों द्वारा आयोजित गोष्ठियाँ, सभा या गोष्ठी।
10, जातक कथाएँ किसने लिखी ? : बौद्ध मठों में रहने वाले भिक्षुओं ने।
11. मूषक श्रेष्ठि कथा किसमें पाई जाती है ? : जातक ग्रंथों में।
12. मूर्तिकला का प्रयोग किस हेतु किया जाता था ? : जंगले, खंभे तथा भवनों के फाटकों को सजाने के लिए।
13. “अरसर” कौन थे? : शासकों के अधीन वर्ग।
14. श्रोणि : विश्व श्रम संगठन (W.H.O.), कर्मचारी संघ/परिसंघ/सम्मेलन।
15. धर्मशास्त्र : सामाजिक नियमों/ सदाचार-सद्व्यवहार के नियमों, उनसे प्रेरित कार्य का स्पष्टीकरण, विविध कार्यों का प्रतिफलन/ परिणाम नि:सरण आदि पर लिखे गए ग्रंथ।
16. किलेबन्दी वाले नगर किस काल में बने ? : महाजनपद काल में।
17. सामान्य नागरिकों के घरों, बाजारों और महलों के अवशेष नगण्य मात्रा में क्यों मिले हैं ?: शायद अनुवर्ती काल में पत्थर, ईंट आदि सामग्रियों का रूपांतरण करके पहले के स्थानों पर पुनः नए भवन बनाए गए होंगे। जन-सामान्य के घर घास-फस, खरपतवार आदि के बने थे अतः कालांतर में सड़ गए होंगे।
18. भड़ौच बंदरगाह में आयातित माल कौन-कौन सा था ? : शराब, ताँबा, टिन, सीसा, पुखराज, कांस्य, सोने और चाँदी के सिक्के।
19. भड़ौच से नियंतित माल : जड़ी-बूटियाँ, हाथी-दांत, गोमेद ईंधन, सूत. रेशम और सुगन्धित द्रव्य (इत्र, केवड़ा, गुलाब आदि।)
20. विदेशी व्यापारी राजाओं को नजराने में क्या देते थे ? : चाँदी के बर्तन, गायक-वृन्द, सुन्दर महिलाएं, विशेष मदिरा और बारीक वस्त्र (उदाहरणार्थ-मलमल का कपड़ा)।
21. आहत मुद्राएँ कौन-कौन सी धातुओं में पाई गई हैं ? : चाँदी या ताँबे में।
22. नमक के बदले खाने-पीने की अन्य चीजों को पाने के लिए नमक के सौदागरों को क्या करना पड़ता था? : चावल बैलगाड़ी पर लादकर समुद्र तट तक लाना पड़ता था। बैलगाड़ियों में नमक लादकर रेगिस्तान पार करके सौदागर उत्तर भारत में जाता था।
23. मथुरा नगर कब बसा? : आज से लगभग 2500 वर्ष पहले।
24. मथुरा की अवस्थिति बताइए? : उत्तर-पश्चिम से पूर्व और उत्तर से दक्षिण की ओर जाने वाले व्यापारिक मार्ग के चौराहे
25. मथुरा क्यों प्रसिद्ध है ? : मूर्ति कला के लिए, बौद्ध मठों, जैन मंदिरों तथा भगवान कृष्ण की जन्म नगरी के कारण।
26. मथुरा में रहने वाले लोगों के व्यवसाय क्या थे ? : सुनार, लोहार, जुलाहे. टोकरी बुनने वाले (गूंधने वाले) और गंधी (इत्र बेचने तथा बनाने वाले)।
27. “श्रेणि” क्या करते थे? : शिल्प और व्यापार के ये संगठन प्रशिक्षण देते थे। कच्ची सामग्री का उपापन (स्थानीय स्रोतों से खरीदकर इकट्ठा करना) करते थे तथा निर्मित माल का वितरण (विपणन) करते थे। ये एक तरह के बैंक भी थे।
28. कताई और बुनाई के नियम किसमें वर्णित हैं ? : अर्थशास्त्र के आँठवें अध्याय में।