Haryana State Board HBSE 6th Class Social Science Solutions Civics Chapter 9 शहरी क्षेत्र में आजीविका Textbook Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 6th Class Social Science Solutions Civics Chapter 9 शहरी क्षेत्र में आजीविका
HBSE 6th Class Civics शहरी क्षेत्र में आजीविका Textbook Questions and Answers
शहरी क्षेत्र में आजीविका प्रश्न उत्तर HBSE 6th Class Social Science प्रश्न 1.
नीचे लेबर चौक पर आने वाले मजदूरों की जिंदगी का विवरण दिया गया है। इसे पढ़िए और आपस में चर्चा कीजिए कि लेबर चौक पर आने वाले मजदूरों के जीवन की क्या स्थिति है? लेबर चौक पर जो मजदूर रहते हैं उनमें से ज्यादातर अपने रहने की स्थायी व्यवस्था नहीं कर पाते और इसलिए वे चौक के पास फुटपाथ पर सोते हैं या फिर पास के रात्रि विश्राम गृह (रैन बसेरा) में रहते हैं। इसे नगरनिगम चलाता है और इसमें छः रुपया एक बिस्तर का प्रतिदिन किराया देना पड़ता है। सामान की सुरक्षा का कोई इंतजाम न रहने के कारण वे वहाँ के चाय या पान-बौड़ी वालों की दुकानों को बैंक के रूप में इस्तेमाल करते हैं। उनके पास वे पैसा जमा करते हैं और उनसे उधार भी लेते हैं। वे अपने औजारों को रात में उनके पास हिफाजत के लिए छोड़ देते हैं। दुकानदार मजदूरों के सामान की सुरक्षा के साथ जरूरत पड़ने पर उन्हें कर्ज भी देते हैं। स्रोतः हिन्दू ऑन लाइन, अमन सेठी
उत्तर:
ये श्रमिक स्थाई आजीविका वाले नहीं हैं। उन्हें मुश्किल से एक या दो दिन के लिए कार्य मिलता है और दूसरे कार्य के मिलने तक खाली रहते हैं। पास में रुपए रहने पर ये रैन-बसेरे में छः रुपए प्रति रात्रि देकर सोते हैं अन्यथा पटरी पर पड़े रहते हैं। ये हमारे समाज के पूर्णतः उपेक्षित लोग हैं जिनका कोई घर-बार या अपने-पराये नहीं होते हैं। जीवन जीना इनकी विवशता है अत: येन-केन प्रकारेण जीवित रहने की कोशिश करते हैं। पटरी के दुकानदार ही इनके अपने हैं जो इनके औजारों और कमाए गए धन के बैंक हैं। समाज को इन लोगों से कोई सहानुभूति नहीं है। देश की दयनीय और तिरष्कृत मानवता की ये जीती-जागती तस्वीर या नमूने हैं।
(टिप्पणी : छात्रों को सुझाव दिया जाता है कि वे स्वयं अपने विचार प्रकट करें क्योंकि प्रत्येक के विचार अलग-अलग होते हैं। यह केवल संकेत-मात्र है।)
शहरी क्षेत्र में आजीविका HBSE 6th Class Social Science प्रश्न 2.
निम्नलिखित तालिका को पूरा कीजिए और उनका काम किस तरह से अलग है? इसका वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1. बच्चू माँझी:
- सड़क
- कोई सुरक्षा नहीं
- कोई नहीं
- स्वनियोजित।
2. हरप्रीत, वंदना:
- बाजार/शोरूम
- 50000 रुपए मासिक
- पूर्णतः सुरक्षित एवं सुनिश्चित
- स्वनियोजित।
3. निर्मला:
- कारखाना|
- 3600 रुपए मासिक
- कोई नहीं
- परनियोजित (नौकरी)।
4. सुधा :
- स्थायित्व और पूर्ण सुरक्षित
- कई अवकाश, चिकित्सा सुविधाएँ, सेवानिवृत्ति पश्चात् पेंशन
- परनियोजित (नौकरी)।
HBSE Social Science Class 6 Question Answer शहरी क्षेत्र में आजीविका प्रश्न 3.
एक स्थायी और नियमित नौकरी अनियमित काम से किस तरह अलग है?
उत्तर:
स्थायी कार्य या नौकरी:
- सुनिश्चित आमदनी रहने से व्यक्ति कई निजी योजनाएँ बना सकता है। अपने आश्रितों का दायित्व कुशलता से निभा पाता
- आकस्मिक विपत्ति और जीवन की अनिश्चितताओं के | अवसर पर कार्य के छिनने का भय नहीं रहता।
- दुर्घटना घटित होने, बीमार या अस्वस्थ होने पर उचित उपचार कराने की सामर्थ्य रहती है।
- वृद्धावस्था में किसी पर आश्रित नहीं रहना पड़ता है।
- पर्याप्त अवकाश रहने से गृहस्थी और सामाजिक कार्यों को करने की स्वतंत्रता रहती है।
- बड़ा संगठन/संस्था होने से लोगों के साथ आत्मीय संबंध बन जाते हैं जिससे कष्ट में भी मानसिक वेदना कम हो जाती है। उदाहरणार्थ : इस अध्याय की सुधा।
- लगातार एक ही कार्य करते रहने से उसमें दक्षता आ जाती है।
अनियमित या अस्थाई कार्य:
- आर्थिक स्थिति को असंतुलित कर देते हैं।
- व्यष्टि स्तर पर विशेष सतर्क और क्रियाशील बनाए रखने में सहायक हैं।
- मनुष्य को एक स्थान से दूसरे स्थान पर प्रवास करने को विवश करते हैं।
- किसी संगठन या समूह की सामान्य सहानुभूति या संवेदना नहीं मिल पाती है।
- आत्म-नियत्रित और आत्मानुशासित बनाते हैं।
- सामाजिक प्रास्थिति नहीं बन पाती है।
- भविष्य असुरक्षित और अनिश्चित रहता है।
HBSE 6th Class Social Science शहरी क्षेत्र में आजीविका प्रश्न 4.
सुधा को अपने वेतन के अलावा और कौन-से लाभ मिलते हैं?
उत्तर:
सुधा को अपने मासिक वेतन के साथ ही निम्नलिखित प्रसुविधाएं भी मिलती हैं :
- बुढ़ापे के लिए भविष्य निधि में निवेश होता रहता है।
- रविवार, राष्ट्रीय अवकाश और अर्जित अवकाश तथा चिकित्सा अवकाश एवं प्रतिपूर्ति का लाभ मिलता है।
- घर से कार्यालय और कार्यालय से घर तक पहुँचने के लिए प्रवहण-भत्ता भी मिलता है। वेतन के साथ मिलने वाले उक्त लाभों को कर्मचारी की प्रसुविधाएँ कहा जाता है।
प्रश्न 5.
नीचे दी गई तालिका में अपने परिचित बाजार की दुकानों या दफ्तरों के नाम भरें कि वे किस प्रकार की चीजें या सेवाएं मुहैया कराते हैं?
दुकान या दफ्तरों के नाम चीज़ों/ सेवाओं के प्रकार
(i) …………………. (i) ………………….
(ii) …………………. (ii) ………………….
(iii) …………………. (iii) ………………….
(iv) …………………. (iv) ………………….
(v) …………………. (v) ………………….
(vi) …………………. (vi) ………………….
उत्तर:
दुकान या कार्यालय का नाम चीजों/ सेवाओं के प्रकार
(i) नगर निगम | स्वच्छता स्वास्थ्य और सुरक्षा |
(ii) विद्युत कार्यालय | प्रकाश व्यवस्था |
(iii) जल-निगम | प्रेय जल की आपूर्ति |
(iv) सर्राफ़ा बाजार | आभूषण |
(v) परचून की दुकान | दैनिक खाने-पीने का सामान |
(vi) सब्जी मंडी | शाक-सब्जियाँ |
HBSE 6th Class Civics शहरी क्षेत्र में आजीविका Important Questions and Answers
अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
ग्रामीण क्षेत्रों और शहरी क्षेत्रों की आजीविका/दिनचर्या में क्या अंतर है?
उत्तर:
ग्रामीण क्षेत्रों की आजीविका मुख्यत: कृषि आधारित रहती है जबकि शहरों की आजीविका कृषि से भिन्न कार्यों वाली होती है।
प्रश्न 2.
शहरों की आजीविका मुख्यतः किन कार्यों पर आधारित रहती है?
उत्तर:
द्वितीयक कार्य/व्यवसाय पर। अर्थात् यहाँ ग्रामीणों द्वारा उत्पादित चीजों का प्रसंस्करण, उनके मूल्य में बढ़ोत्तरी के कार्य और कई तरह की सेवाएं प्रदान की जाती हैं।
प्रश्न 3.
शहर के भिन्न-भिन्न भागों को लिखिए।
उत्तर:
गली-कूचे, सड़कें, बाजार, कारखाने, कार्यालय (सरकारी/अर्ध-सरकारी और गैर-सरकारी)।
प्रश्न 4.
इस अध्याय में मुख्यतः शहर के किन-किन क्षेत्रों का उल्लेख है?
उत्तर:
गली-कूचों की दुकानें, पटरी के लोग और उनके क्रिया-कलाप, कारखाने, मुख्य बाजार और कार्यालय क्षेत्र।
प्रश्न 5.
आप ऐसा क्यों सोचते हैं कि छोटे कारखाने और कार्यशालाओं में अस्थाई कामगार रखे जाते हैं?
उत्तर:
छोटे कारखाने बाहर से काम मिलने की दशा में ही बलाए जाते हैं तथा कार्य की प्रकृति अनियमित होती है। इसीलिए वहाँ पर निर्मला जैसी महिलाओं और अन्य व्यक्तियों को अस्थाई काम पर रखा जाता है।
प्रश्न 6.
निर्मला जैसे लोगों की कार्य दशाओं यथा-कार्य के घंटे, कार्य-स्थल की दशाएँ, आय तथा कार्य उपलब्ध रहने का समय आदि का उल्लेख करें।
उत्तर:
निर्मला जैसे अस्थाई कामगारों को प्रतिदिन बारह घंटे से अधिक काम करना पड़ता है। जिस स्थान पर वे कार्य करते हैं वहाँ अत्यधिक शोर और भीड़-भाड़ रहती है। एक ही कमरे में कई लोग एक-साथ काम करते हैं, मजदूरी न्यूनतम रहती है और मजदूरी के अलावा अन्य किसी तरह की प्रसुविधाएँ नहीं रहती हैं। यहाँ इन कर्मचारियों की वर्ष में एक या दो बार छंटनी कर दी जाती है क्योंकि काम केवल छ: महीने या तीन महीने रहता है।
प्रश्न 7.
बच्चू माँझी जैसे लोग अपना गाँव छोड़कर शहर क्यों चले आते हैं?
उत्तर:
गाँव में पर्याप्त भूमि न रहने और परिवार का निर्वाह करने लिए आमदनी के अन्य साधन न रहने के कारण।
प्रश्न 8.
शहर में बच्च मांझी जैसे पटरी/सड़क पर काम करने वाले लगभग कितने लोग रहते हैं?
उत्तर:
शहर की कुल जनसंख्या का बारह प्रतिशत अर्थात् प्रति एक सौ लोगों में बारह लोग पटरी पर काम करने वाले हैं।
प्रश्न 9.
बच्चू माँझी अपने परिवार के साथ क्यों नहीं रह सकता है?
उत्तर:
उसके बच्चे बिहार के एक गांव में रहते हैं, जहाँ भरण-पोषण का कोई साधन नहीं है। अत: बच्चू मांझी उनके लिए कई सौ किलोमीटर दूर शहर आया है। यहाँ भी उसकी आमदनी इतनी नहीं है कि बच्चों को साथ रखकर उनका पालन-पोषण कर सके।
प्रश्न 10.
बच्चू माँझी जैसे लोगों को कार्य में एक दिन का अवकाश लेने के लिए दो-बार सोचना पड़ता है। क्यों?
उत्तर:
बच्चू माँझी एक मामूली रिक्शाचालक है। दिन भर में वह अधिकतम 100 रुपए कमाता है। कमरे का किराया आदि देने के बाद उसके पास केवल 40 रुपए रोज की बचत हो पाती है जिसको वह महीने में एक बार गाँव भेजता है। इसीलिए अस्वस्थ्य होने पर भी वह प्रतिदिन कार्य में लगा रहता है।
प्रश्न 11.
पटरियों पर काम करने वाले गली में ही अपना कच्चा घर बनाने को क्यों विवश हैं?
उत्तर:
दैनिक आय न्यूनतम होने और किराए पर कमरा लेने की सामर्थ्य न रहने के कारण।
प्रश्न 12.
हमारे देश के शहरी क्षेत्रों में लगभग कितने दुकानदार ऐसे हैं जो अपने माल की पटरी पर बिक्री करते हैं?
उत्तर:
एक करोड़ लोग।
प्रश्न 13.
सरकार पटरी के दुकानदारों पर प्रतिबन्ध लगाने वाले कानून में क्या संशोधन करना चाहती है?
उत्तर:
एक ऐसा संशोधन जिससे यातायात भी अवरुद्ध न हो और इन निर्धन लोगों को भी उनकी आजीविका से वंचित न रहना पड़े।
प्रश्न 14.
तहबाजारी निरोधक कानून में संशोधन करने के लिए जो निर्णायक समिति बनाई जा रही है उसके सदस्य कौन बनाए जाएँ?
उत्तर:
कानूनविद्, जनप्रतिनिधि (शहरी विकास मंत्री आदि), समाज के संभ्रान्त लोग, निगम पार्षद और तहबाजारी/पटरी विक्रेता संघ के प्रतिनिधि।
प्रश्न 15.
कस्बों और नगरों में चलते-फिरते दुकानदारों के लिए क्या सुझाव दिए गए हैं?
उत्तर:
उनके लिए एक अलग क्षेत्र बनाया जाए ताकि यातायात अवरुद्ध न हो तथा किसी तरह की कानून और व्यवस्था के अवरोध उत्पन्न न हों।
प्रश्न 16.
त्योहार के अवसर पर बाजारों की स्थिति कैसी हो जाती है?
उत्तर:
पूर्णतः अनियंत्रित। विक्रेता सड़कों पर भी अपनी दुकानें लगा देते हैं, जिससे कई तरह की जन-असुविधाएँ उत्पन्न होती हैं।
प्रश्न 17.
बाजार के किसी दुकानदार से पूछिए कि क्या पिछले बीस वर्ष में उसके कारोबार में किसी तरह के परिवर्तन आए हैं?
उत्तर:
मैं “सर्व श्री रवीन्द्र शू एक्सपोर्टस” के मालिक सुरेश खन्ना से मिला और पूछा कि आज वह इतने संभ्रान्त दुकानदार कैसे बने? उन्होंने बताया कि आज से बीस वर्ष पूर्व उनके पिता मुरादाबाद में एक बाजार के चौराहे पर जूते सिला करते थे। उन्होंने बहुत परिश्रम किया और तीन वर्ष बाद जूतों की एक दुकान खरीद ली। अपने बेटे को कॉलेज कराने के बाद चर्म-शिल्प का कोर्स कराया। उसने धीरे-धीरे केरल में जूते बनाने का एक संयंत्र खोल लिया और अब उसकी जूतों का निर्यात करने वाली एक कंपनी है जिसमें पाँच सौ से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। यह कम्पनी प्रतिवर्ष चौदह से बीस करोड़ रुपए का कारोबार करती है।
प्रश्न 18.
लेबर चौक पर कौन-कौन से लोग बैठे रहते हैं?
उत्तर:
ये दैनिक मजदूरी पर घरों की सफेदी करने वाले, नलसाज, गली खोदने वाले, बोझा ढोने वाले कुली, ट्रकों में माल लादने और उतारने वाले मजदूर हैं। ये अपने-अपने औजारों के साथ चौक पर इसलिए बैठते हैं कि जरूरतमंद व्यक्ति इन्हें काम पर लगा सके और इनकी रोजी-रोटी चले।
प्रश्न 19.
कारखानों की स्थिति बताइए।
उत्तर:
शहर के एक अति-व्यस्त इलाके में कारखाने खुले रहते हैं। यह क्षेत्र बाजार से हटकर है। यहाँ छोटे-छोटे कमरों में दस से बीस कर्मचारी कार्य करते हैं। चारों ओर मशीनों का शोर और लोगों की भीड़-भाड़ रहती है।
प्रश्न 20.
कारखानों के रोजगार की दशा बताइए।
उत्तर:
यहाँ अस्थाई कर्मचारी रखे जाते हैं जिन्हें कार्य पूरा होने पर निकाल दिया जाता है। कम से कम बारह घंटे काम करवाया जाता है और मामूली वेतन दिया जाता है। अवकाश एवं चिकित्सा आदि सुविधाएँ बिल्कुल नहीं रहती हैं।
लघु उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
हरप्रीत और वंदना ने एक शोरूम क्यों खोला? शोरूम चलाने के लिए उन्हें क्या-क्या करना पड़ता है?
उत्तर:
हरप्रीत और वदना ने बचपन से देखा कि उनके माता-पिता एक छोटी दुकान में काम करते हैं। उनकी बातचीत से उन्हें दुकान का अच्छा अनुभव स्वतः ही मिल गया था। यही कारण है कि कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने और बाजार का अध्ययन करने के बाद उन्होंने सिले-सिलाए वस्त्रों का शोरूम खोला। शो-रूम चलाने के लिए वे मुंबई, अहमदाबाद, लुधियाना, त्रिपुरा, नोएडा और गुड़गाँव से वस्त्रों को थोक-भाव में मैंगवाते हैं। बिक्री बढ़ाने के लिए वे समाचार-पत्रों, दूरदर्शन और रेडियो में विज्ञापन भी देते हैं।
प्रश्न 2.
गलियों में सामान बेचने वालों और बाजार में विक्रेताओं में क्या-क्या अंतर हैं?
उत्तर:
गलियों में सामान बेचने वाले:
- हाथगाड़ी, साइकिल आदि में चलते-फिरते बिक्री करते हैं।
- नगर-निगम एवं पुलिस को प्रति सप्ताह एक निश्चित रकम देनी पड़ती है।
- केवल छोटी-छोटी चीजें यथा-खिलौने, पतंग, टॉफी, सब्जियाँ, शृंगार का सामान आदि बेचते हैं।
बाजार के विक्रेता:
- बड़े-बड़े शोरूम में चीजों को सजाकर बेचते हैं।
- नगर निगम से बेचने की अनुज्ञा (Licence) लेते हैं।
- प्रतिमाह बिजली-पानी, बाजार-संगठन आदि को निर्धारित शुल्क देते हैं।
- एक बाजार में एक ही किस्म की चीजें बेचते हैं।
- बिक्री के लिए कर्मचारी भी नियुक्त करते हैं।
- खरीदे गए सामान की रसीद देनी पड़ती है और बिक्री बाद की सेवा भी प्रदान करते हैं।
प्रश्न 3.
स्वरोजगार और नौकरी में क्या अंतर है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इन दोनों के बीच विभेद को निम्नलिखित शीर्षों से दर्शाना उचित रहेगा :
(i) आत्म-संतुष्टि और आत्म-निर्भरता : स्वरोजगार में व्यक्ति आत्मनिर्भर बनता है। उसकी कार्य-कुशलता में दिन-प्रतिदिन निखार आता है। वह प्रगति करके कुछ अन्य लोगों को भी रोजगार देने में समर्थ हो जाता है तथा इस तरह समाज-सेवा करता है। जहाँ तक नौकरी या परनियोजन का संबंध है, इसमें व्यक्ति कार्य-कुशल नहीं बन पाता और उसके जीवन में एक बासीपन और बोझिलता बनी रहती है। ऐसा व्यक्ति आत्मनिर्भरता और आत्म-संतुष्टि कदापि नहीं पाता।
(ii) जोखिमों को झेलने की क्षमता : इस दृष्टि से भी स्वरोजगार वाला अथवा स्वनियोजित व्यक्ति नौकरी करने वालों से अधिक सक्षम होता है। अपने कारोबार की प्रत्येक जोखिम को वह अपने बल पर झेलना सीख सीख जाता है और धीरे-धीरे ही सही, अपने कारोबार का विस्तार करके समाजोपयोगी व्यक्तित्व का निर्माण करता है।
(iii) संकल्प एवं निर्णय शक्ति : इस दृष्टि से स्वनियोजित व्यक्ति नौकरी करने वालों से कई गुना अधिक सक्षम होता है। उसके निर्णय अकाट्य होते हैं। वह पूर्णतः स्वतंत्र बुद्धि और विवेक के अनुसार कार्य करने की सामर्थ्य रखता है जबकि परनियोजित व्यक्ति हमेशा पराधीन रहता है। उसके अपने कोई निर्णय नहीं होने एवं संकल्प भी स्थिर नहीं रह सकते।
(iv) यथार्थ ज्ञान और कार्य-कुशलता : स्वनियोजित व्यक्ति को जीवन का यथार्थ ज्ञान मिलता है क्योंकि अपने द्वारा किए गए प्रत्येक कार्य के लिए वह अकेला जिम्मेदार रहता है अत: संयमी, आत्मनिष्ठ, परोपकारी और शालीन व्यक्तित्व का स्वामी होता है।
निष्कर्ष : उक्त दृष्टि से.स्वरोजगार श्रेष्ठ है, परंतु इसके लिए संकल्पशक्ति, धैर्यवान और परिस्थितियों से अविचलित मनोबुद्धि परमावश्यक है। येन-केन प्रकारेण सुख-भोग और समृद्धि पाने की झूठी लालसा व्यक्ति को स्वनियोजित नहीं होने देती। नौकरी करने वाले में आत्यविश्वास की भी कमी पाई जाती है।
प्रश्न 5.
गलियों के किनारे और पुलों के नीचे रहने वाले लोग कौन हैं? वे क्या काम करते हैं?
उत्तर :
दूर-दूर के गाँवों से रोजगार की तलाश में शहर आकर मेहनत-मजदूरी करने वाले लोग ही इन स्थानों पर रहते हैं। दिन भर किसी निर्माण कार्य में ईंट ढोकर, ट्रकों में सामान लादकर अथवा किसी घर में सफेदी और रंगरोगन का कार्य करके ये अपना जीवन येन-केन प्रकारेण बिताते हैं। गली के किसी कोने में ऐसे पाँच या छः लोग अपने खाने-पीने का सामान और भाँडे-बर्तन रख देते हैं तथा दोपहर या रात को जब काम से वापस लौटते हैं तो इन्हीं स्थानों पर खाना पकाकर खाते और इनके आस-पास ही किसी दरी या चादर को बिछाकर लेट जाते हैं। कई बार रात को पुलिस वाले भी इन्हें पीटकर भगा देते हैं। ऐसी दशा में वे किसी अन्य जगह पर जाकर सो जाते हैं।
शहरी क्षेत्र में आजीविका Class 6 HBSE Notes in Hindi
1. शहरी आजीविका का क्या अर्थ है? : शहर में रहने वाले लोगों की दिनचर्या और कार्य करने के ढंग।
2. हमारे देश में दस लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहर कितने हैं? : पैंतीस।
3. शहर की मुख्य गलियों का दृश्य क्या है ? : सब्जी विक्रेता, फूल विक्रेता, रिक्शाचालक, स्कूली बच्चे, खिलौने विक्रेता आदि दिखाई पड़ते हैं।
4. रिक्शाचालकों का क्या कार्य है ? : लोगों को उनकी इच्छित जगह पर पहुँचाना और मजदूरी लेना।
5. गलियों में अलग-अलग कार्य से आजीविका चलाने वाले लोगों की संख्या कितनी है? : प्रत्येक शहर की कुल जनसंख्या का लगभग बारह प्रतिशत।
6. फुटपाथ अथवा सड़कों पर कार्य करने वाले लोगों की कार्य-प्रकृति कैसी है? : स्वनियोजित है इसलिए कई जोखिमें सहते
7. फुटपाथ पर बेची जाने वाली खाद्य वस्तुएँ कहाँ तैयार की जाती है? : लोगों के अपने घरों में।
8. क्या सड़कों पर खोमचे आदि खोलने की अनुमति देना उचित है ? : कदापि नहीं। इससे यातायात अवरुद्ध होता है।
9. सड़कों की आजीविका को सामान्य लाभ के कार्य और लोगों का रोजी-रोटी कमाने का अधिकार कौन संगठन मान रहे हैं ? : ऐसे संगठन जो शहर के स्वच्छ कलेवर को पसंद नहीं करते हैं।
10. गली के विक्रेताओं पर प्रतिबंध लगाने वाले कानून में संशोधन का विचार क्यों बन रहा है?: लोगों की रोजी-रोटी को ध्यान में रखकर।
11. ऐसा कैसे हो सकता है कि यातायात भी अवरुद्ध न हो और लोग अपनी छिट-पुट दुकानदारी भी कर सकें?: जब इन विक्रेताओं के लिए अलग क्षेत्र घोषित किया जाए।
12. निगम की निर्णायक समिति में फुटपाथ के विक्रेताओं को सदस्य बनाया जाना क्यों आवश्यक है?: इससे एक सही निर्णय लिया जा सकेगा।
13. बाजार में कौन-कौन सी चीजें दिखाई पड़ती हैं ? : उपभोक्ता वस्तुएँ एवं सेवाएँ और उन्हें प्रदान करने वाले लोग।
14. आधुनिक लोग सिले-सिलाए वस्त्र पहनना क्यों पसंद करते हैं ? : पाश्चात्य फैशन के प्रभाव से।
15. शोरूम के लिए वस्त्रों की खरीद कहाँ से की जाती है ? : मुंबई, अहमदाबाद, लुधियाना और त्रिपुरा से।
16. शोरूम चलाने के लिए क्या करना पड़ता है ? : दूरदर्शन, रेडियो और समाचार पत्रों में विज्ञापन दिए जाते हैं।
17. बसों में भीड़ क्यों रहती है ? : शहरों में जनसंख्या आधिक्य के कारण।
18. चौराहों पर बैठे हुए लोग कौन हैं ? : दैनिक मजदूरी पर कार्य करने वाले लोग।
19. चौराहों पर बैठे मजदूरों की क्या पहचान है ? : वे समूह में अपने-अपने कार्य में प्रयुक्त औजारों को साथ लिए रहते हैं।
20. कारखानों में कार्य की दशाएँ कैसी रहती हैं ? : न्यूनतम मजदूरी, कार्य के अधिक घंटे, आशिक रोजगार, पूर्णतः असुरक्षित और अनिश्चित कार्य।
21. कारखानों के श्रमिकों की संख्या कब बढ़ाई जाती है ? : जब बाहर से कार्य की माँग अधिक रहती है।
22. कॉल सेंटर क्या हैं ? : उपभोक्ता/ग्राहकों की शिकायतों को सुनने तथा उन्हें कई तरह की सेवाएं प्रदान करने वाली संस्थाएँ।
23. कॉल सेंटरों में क्या-क्या रहता है ? : कम्प्यूटर, दूरभाष का सैट और निरीक्षण गृह/स्थल।
24. कॉल-सेंटरों में कार्य करने के लिए क्या योग्यता अपेक्षित है ? : अंग्रेजी में कुशलता से बातचीत करने की।
25. कंपनियाँ क्या हैं ? : विविध उपभोक्ता वस्तुओं को बड़े पैमाने पर बनाने और बेचने वाली संस्थाएँ।
26. कंपनियां अपने कर्मचारियों को क्या-क्या सुविधाएँ देती हैं ? : सेवानिवृत्ति के पश्चात् पेंशन, राष्ट्रीय अवकाश, चिकित्सा अवकाश, अर्जित अवकाश, स्थायित्व और नियमित सेवा का लाभ।