Haryana State Board HBSE 10th Class Maths Notes Chapter 1 वास्तविक संख्याएँ Notes.
Haryana Board 10th Class Maths Notes Chapter 1 वास्तविक संख्याएँ
→ यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका- दो धनात्मक पूर्णाक a और b दिए होने पर, ऐसी अद्वितीय पूर्ण संख्याएँ q और r विद्यमान होती हैं कि a = bq + r, 0 ≤ r < b है।
→ यूक्लिड विभाजन एल्गोरिम द्वारा- दो धनात्मक पूर्णाकों, c और d(c > d) का HCF ज्ञात करने के लिए नीचे दिए हुएं चरणों का अनुसरण किया जाता है-
चरण I-c और के लिए यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका से हम ऐसे q और r ज्ञात करते हैं कि c = dq + r, 0 ≤ r < d हो।
चरण II-यदि r = 0 है, तो d पूर्णाको c और d का HCF है। यदि r ≠ 0 है, तो और के लिए, यूक्लिड विभाजन प्रमेविका का प्रयोग पुनः कीजिए।
चरण III-इस प्रक्रिया को तब तक जारी रखिए, जब तक शेषफल 0न प्राप्त हो जाए। इसी स्थिति में, प्राप्त भाजक ही वांछित HCF है।
→ अंकगणित की आधारभूत प्रमेय- प्रत्येक भाज्य संख्या को अभाज्य संख्याओं के एक गुणनफल के रूप में व्यक्त (गुणनखडित) किया जा सकता है तथा यह गुणनखंडन अभाज्य गुणनखंडों के आने वाले क्रम के बिना अद्वितीय होता है।
→ यदि p कोई अभाज्य संख्या है और p, a2 को विभाजित करता है तो p, a को भी विभाजित करेगा, जहाँ a एक धनात्मक पूर्णाक है।
→ किन्हीं दो धनात्मक पूर्णांकों a और b के लिए HCF(a, b) × LCM(a, b) = a × b होता है।
→ परिमेय और अपरिमेय संख्याएँ मिलकर वास्तविक संख्याएँ बनाती हैं।
→ \(\sqrt{2}\), \(\sqrt{3}\), \(\sqrt{5}\) तथा व्यापक रूप में \(\sqrt{p}\) अपरिमेय संख्याएँ हैं, जहाँ पर p एक अभाज्य संख्या है।
→ यदि x एक परिमेय संख्या हो जिसका दशमलब प्रसार सांत हो, तो हम x को \(\frac{p}{q}\) के रूप में व्यक्त कर सकते हैं, जहाँ p औरq सहअभाज्य होते हैं तथा q का अभाज्य गुणनखंडन 2n5m के रूप का होता है, जहाँ n, m प्रणेतर पूर्णाक होते हैं।
→ माना x = \(\frac{p}{q}\) एक ऐसी परिमेय संख्या है कि q का अभाज्य गुणनखंडन 2n5m के रूप का है, (जहाँ n, m ऋणेतर पूर्णाक है) तो x का दशमलव प्रसार सांत होगा।
→ माना x = \(\frac{p}{q}\) एक ऐसी परिमेय संख्या है कि q का अभाज्य गुणनखंडन 2n5m के रूप का नहीं है, (जहाँ n, m ऋणेतर पूर्णाक है) तो x का दशमलव प्रसार असांत आवर्ती होगा।
→ किन्हीं तीन संख्याओं p, q तथा r के लिए LCM होगा-
→ किन्हीं तीन संख्याओं P, q तथा r के लिए HCF होगा-
→ एक परिमेय संख्या और एक अपरिमेय संख्या का योग या अंतर एक अपरिमेय संख्या होती है।
→ एक शून्येतर परिमेय संख्या और एक अपरिमेय संख्या का गुणनफल या भागफल एक अपरिमेय संख्या होती है।