Class 7

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 15 नीलकंठ

Haryana State Board HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 15 नीलकंठ Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 15 नीलकंठ

HBSE 7th Class Hindi नीलकंठ Textbook Questions and Answers

निबंध से

नीलकंठ पाठ के प्रश्न उत्तर HBSE 7th Class प्रश्न 1.
मोर-मोरनी के नाम किस आधार पर रखे गए?
उत्तर :
मोर की गरदन नीली होने के कारण उसका नाम नीलकंठ रखा गया। मोरनी मोर की छाया के समान रहती थी अत: उसका नाम राधा रखा गया।

नीलकंठ पाठ के शब्दार्थ HBSE 7th Class प्रश्न 2.
जाली के बड़े घर में पहुँचने पर मोर के बच्चों का किस प्रकार स्वागत हुआ ?
उत्तर :
जाली के बड़े घर में पहुंचने पर मोर के बच्चों का सभी पक्षियों ने स्वागत किया। उनके मन में ऐसा कुतूहल जागा जैसे नववधू के आगमन पर परिवार में होता है। लक्का कबूतर नाचना छोड़कर दौड़ पड़ा और उनके चारों ओर घूमकर गुटरगूं करने लगा। बड़े खरगोश ने गंभीर भाव से उनका निरीक्षण किया। छोटा खरगोश उछल-कूद मचाने लगा। तोते एक आँख बंद करके उनका परीक्षण करने लगे।

नीलकंठ पाठ के प्रश्न उत्तर Class 7 HBSE प्रश्न 3.
लेखिका को नीलकंठ की कौन-कौन सी चेष्टाएँ बहुत भाती थीं ?
उत्तर :
लेखिका को नीलकंठ की निम्नलिखित चेष्टाएँ बहुत भाती थीं-

  • जब वह मेघों की साँवली छाया में अपने इंद्रधनुष के गुच्छे जैसे पंखों को मंडलाकार बनाकर नाचता था, तब उसके नृत्य की चेष्टाएँ बहुत अच्छी लगती थीं।
  • जब वह लेखिका की हथेली पर रखे भुने चने हौले-हौले उठाकर खाता था तब उसकी चेष्टाएँ हँसी और विस्मय उत्पन्न करती थी।

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 15 नीलकंठ

नीलकंठ Class 7 HBSE प्रश्न 4.
‘इस आनंदोत्सव की रागिनी में बेमेल स्वर कैसे बज उठा’-वाक्य किस घटना की ओर संकेत कर रहा है ?
उत्तर :
यह वाक्य उस घटना की ओर संकेत कर रहा है जब लेखिका ने बड़े मियाँ से एक अधमरी मोरनी खरीदी और उसे घर ले गई। उसका नाम कुब्जा रखा। उसे नीलकंठ और राधा का साथ रहना नहीं भाया। वह नीलकंठ के साथ रहना चाहती थी जबकि नीलकंठ उससे दूर भागता था। कुब्जा ने राधा के अंडे फोड़कर छितरा दिए। इससे नीलकंठ की प्रसन्नता का अंत हो गया।

पाठ 15 नीलकंठ के प्रश्न उत्तर HBSE 7th Class प्रश्न 5.
वसंत ऋतु में नीलकंठ के लिए जालीघर में बंद रहना असहनीय क्यों हो जाता था ?
उत्तर :
वसंत ऋतु में जब आम के वृक्ष सुनहली मंजरियों से लद जाते थे और अशोक के वृक्ष नए पत्तों से ढंक जाता था जब नीलकंठ जालीघर में अस्थिर हो जाता था। वह वसंत ऋतु में किसी घर में कैद होकर नहीं रह सकता था। उसे पुष्पित और पल्लवित वृक्ष भाते थे। तब वह बाहर निकलने को व्याकुल हो जाता था।

नीलकंठ Class 7 Summary HBSE प्रश्न 6.
जालीघर में रहने वाले सभी जीव एक-दूसरे के मित्र बन गए थे, पर कुब्जा के साथ ऐसा संभव क्यों नहीं हो पाया ?
उत्तर :
जालीघर में रहने वाले सभी जीव एक-दूसरे के मित्र बन गए थे, पर कुब्जा अपने नाम और स्वभाव के अनुरूप ईर्ष्यालु थी। उससे दूसरों का सुख देखा नहीं जाता था। उसने राधा को चोंच मार-मारकर ढकेल दिया तथा उसके अंडे फोड़कर अपने दूंठ जैसे पैरों से सब ओर छित्तरा दिए थे। वह ईर्ष्या के कारण किसी जीव की मित्र नहीं बन पाई।

गोदोहनम् पाठ के प्रश्न उत्तर HBSE 7th Class प्रश्न 7.
नीलकंठ ने खरगोश के बच्चे को किस तरह बचाया ? इस घटना के आधार पर नीलकंठ के स्वभाव क विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर :
एक दिन एक साँप ने खरगोश के बच्चे को पकड़ लिया। साँप ने उसका आधा शरीर मुँह में दबा लिया और आधा बाहर था। नीलकंठ ने उसका ची-चीं का स्वर सुन लिया। उसने नीचे आकर साँप को फन के पास पंजों से दबाया और उस पर चोंच से इतने प्रहार किए कि वह अधमरा हो गया। पकड़ ढीली पड़ते ही खरगोश का बच्चा साँप के मुख से निकल गया।
इस घटना से नीलकंठ के स्वभाव की निम्नलिखित विशेषताएँ उभरती हैं :

  • नीलंकठ परोपकारी था। वह दूसरों का दु:ख नहीं देख सकता था।
  • नीलकंठ साहसी था। उसने खरगोश के बच्चे को बचाने में साहस का परिचय दिया था।
  • वह दयालु स्वभाव का था क्योंकि उसने रातभर खरगोश के बच्चे को अपने पंखों के नीचे रखकर गर्मी प्रदान की।

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निबंध से आगे

1. यह पाठ एक ‘रेखाचित्र’ है। रेखाचित्र की क्या-क्या विशेषताएँ होती हैं? जानकारी प्राप्त कीजिए और लेखिका के लिखे किसी अन्य रेखाचित्र को पढ़िए।
उत्तर :
रेखाचित्र में किसी व्यक्ति या जीव-जंतु का सजीव चित्रण शब्दों के माध्यम से किया जाता है। लेखिका ने अन्य अनेक व्यक्तियों एवं जीव-जंतुओं के रेखाचित्र लिखे हैं, जैसे-पथ के साथी, अतीत की स्मृतियाँ आदि। उन्हें लेकर पढ़ें।

2. वर्षा ऋतु में जब आकाश में बादल घिर आते हैं तब मोर पंख फैलाकर धीरे-धीरे मचलने लगता है-यह मोहक दृश्य देखने का प्रयास कीजिए।

3. पुस्तकालय से ऐसी कहानियों, कविताओं या गीतों को खोजकर पढ़िए जो वर्षा ऋतु और मोर के नाचने से संबंधित हों।
उत्तर :
ये सभी कार्य विद्यार्थी स्वयं करें।

‘वर्षा ऋतु’ से संबंधित कविता
मेघ आए, मेघ आए,
मेघ बड़े बन ठनकर आए।
आकाश में काले-काले बादल उमड़े.
आँधी चली,
धूल आकाश उठाकर भागी।
तभी बिजली चमकी,
झमाझम वर्षा होने लगी।
ताल-तलैयाँ पानी से भर गई
चारों ओर हरियाली छा गई।
वर्षा ऋतु की प्रतीक्षा समाप्त हुई।

HBSE 7th Class Hindi नीलकंठ Important Questions and Answers

अति लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
बड़े मियाँ कहाँ से मोर के बच्चे खरीद कर लाया था?
उत्तर :
बड़े मियाँ शंकरगढ़ के एक चिड़ीमार से मोर के दो बच्चे खरीद कर लाया था।

प्रश्न 2.
घर पहुँचने पर उन बच्चों को घर वालों ने क्या बताया?
उत्तर :
घर पहुंचने पर सब कहने लगे-” तीतर हैं, मोर कहकर ठग लिया है।”

प्रश्न 3.
लेखिका के कमरे का कायाकल्प किसके रूप में होने लगा?
उत्तर :
लेखिका के कमरे का कायाकल्प चिडियाखाने के रूप में होने लगा।

प्रश्न 4.
राधा कौन थी? उसकी क्या विशेषता थी?
उत्तर :
राधा मोरनी थी। वह मोर की सहचारिणी थी।

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प्रश्न 5.
नीलकंठ खरगोश के बच्चों के साथ क्या करता था?
उत्तर :
वह खरगोश के बच्चों को चोंच से उनके कान पकड़कर उठा लेता था और अधर में लटकाए रहता था।

लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
महादेवी जी ने ड्राइवर को किस ओर चलने का आदेश दिया और क्यों?
उत्तर :
महादेवी जी ने स्टेशन से लौटते हुए ड्राइवर को बड़े मियाँ की दुकान की ओर चलने का आदेश दिया। उन्हें चिड़ियों और खरगोशों की दुकान का ध्यान आ गया था। अत: उसी ओर चलने को कहा।

प्रश्न 2.
नीलकंठ कैसे मर गया?
उत्तर :
नीलकंठ के मरने का कुछ पता नहीं चला। उसे न तो कोई बीमारी हुई, न उसे कोई चोट लगी। संभवत: वह राधा का वियोग सहन नही कर पाया। वह सुस्त रहने लगा था। वह भूखा-प्यासा रहता था।

प्रश्न 3.
लेखिका ने बड़े मियाँ को बोलते-बोलते क्यों रोक दिया?
उत्तर :
लेखिका ने बड़े मियाँ को बोलते-बोलते इसलिए रोक दिया क्योंकि जब वे बोलना शुरू करते थे तो रुकने का नाम नहीं लेते थे। सुनने वाला ही थककर उन्हें रोकता था। यही कारण था कि लेखिका ने भी उन्हें रोक दिया।

प्रश्न 4.
लेखिका को अपने कमरे का दरवाजा क्यों बंद रखना पड़ता था?
उत्तर :
मोर के बच्चे लेखिका की मेज पर, कभी कुर्सी पर और कभी सिर पर अचानक आविर्भूत होने लगे। खिड़कियों में तो जाली लगी थी, पर दरवाजा निरंतर बंद रखना पड़ता था।

खुला रहने पर चित्रा (बिल्ली) इन नवागंतुकों का पता लगा सकती थी और तब उसके शोध का क्या परिणाम होता, यह अनुमान करना कठिन नहीं है। वैसे वह चूहों पर भी आक्रमण नहीं करती परंतु यहाँ तो दो सर्वथा अपरिचित पक्षियों की अनाधिकार चेष्टा का प्रश्न था। उसके लिए दरवाजा बंद रहे और ये दोनों (उसकी दृष्टि में) ऐरे-गैरे लेखिका की मेज को अपना सिंहासन बना लें, यह स्थिति चित्रा जैसी अभिमानी माजोरी ‘बिल्ली’ के लिए असा ही कही जाएगी।

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प्रश्न 5.
विदेशी महिलाएं नीलकंठ को ‘परफैक्ट अँटिलमैन’ क्यों कहती थीं?
उत्तर :
विदेशी महिलाएँ नीलकंठ को नृत्य करते देख कर ‘परफैक्ट जेंटिलमैन’ कहती थीं। वे नीलकंठ की मुद्रा को अपने प्रति सम्मानपूर्वक समझकर विस्मयाभिभूत हो उठती थीं।

प्रश्न 6.
लेखिका के चिड़ियाघर में भूचाल जैसी स्थिति कब पैदा हो गई थी और क्यों?
उत्तर :
जब लेखिका के चिड़ियाघर में दो छोटे मोरों को आया देखकर लक्का कबूतर नाचना छोड़कर दौड़ पड़े और उनके चारों ओर घूम-घूम कर ‘गुटरगूं-गुटरगूं’ की रागिनी अलापने लगे। बड़े खरगोश सभ्य सभासदों के समान क्रम से बैठकर गंभीर भाव से उनका निरीक्षण करने लगे। ऊन की गेंद जैसे छोटे खरगोश उनके चारों ओर उछल-कूद मचाने लगे। तोते मानो भलीभांति देखने के लिए एक आँख बंद करके उनका परीक्षण करने लगे। उस दिन लेखिका के चिड़ियाघर में मानो भूचाल आ गया।

प्रश्न 7.
नीलकंठ के रूप-रंग का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए। इस दृष्टि से राधा कहाँ तक भिन्न थी?
उत्तर :
मोर के सिर की कलगी और सघन, ऊँची तथा चमकीली हो गई। उसकी चोंच अधिक बंकिम और पैनी हो गई, गोल आँखों में इंद्रनील की नीलाभ चमक झलकने लगी। उसकी लंबी नील हरित गरदन की हर भंगिमा में धूप छाँही तरंगें उठने-गिरने लगीं। उसके दोनों पंखों में सफेद आलेखन स्पष्ट होने लगे।

उसकी पूंछ लंबी हुई और उसके पंखों पर चंद्रिकाओं के इंद्रधनुषी रंग चमक हो उठे। रंग-रहित पैरों को गर्वीली गति ने उसे एक नई गरिमा से रंजित कर दिया। उसका गरदन ऊँची कर देखना, विशेष भंगिमा के साथ उसे नीची कर दाना चुगना, पानी पीना, टेढ़ी कर शब्द सुनना आदि क्रियाओं में जो सुकुमारता और सौंदर्य था, उसका अनुभव देखकर ही किया जा सकता है। गति का चित्र नहीं आंका जा सकता।

मोरनी का विकास मोर के समान चमत्कारिक तो नहीं हुआ, परंतु अपनी लंबी धूप छाँही गरदन, हवा में चंचल कलगी, पंखों की श्याम-श्वेत पत्रलेखा, मंथर गति आदि से वह भी मोर की उपयुक्त सहचारिणी होने का प्रमाण देने लगी।

प्रश्न 8.
नीलकंठ चिड़ियाघर के अन्य जीव-जंतुओं का मित्र भी था और संरक्षक भी। सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
नीलकंठ ने स्वयं ही अपने आप को चिड़ियाघर के अन्य जीव-जंतुओं का संरक्षक मान लिया था। वह उनका मित्र तो था ही। एक बार साँप ने शिशु खरगोश का आधा हिस्सा अपने मुँह में दबा लिया।

वह चीख भी नहीं सकता था। नीलकंठ ने उसका धीमा स्वर सुन लिया और उसने नीचे उतरकर सांप को फन के पास पंजों से दबाया और चोंच मार-मार कर उसे अधमरा कर दिया। पकड़ ढीली पड़ते ही खरगोश उसके मुंह से निकल आया। मोर रात भर उसे अपने पंखों के नीचे रखकर गरमी देता रहा।

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प्रश्न 9.
कुब्जा राधा से क्यों द्वेष रखती थी? वह उसके प्रति अपना द्वेष किस प्रकार व्यक्त करती थी?
उत्तर :
कुब्जा नीलकंठ का साथ चाहती थी, पर नीलकंठ उससे दूर भागता था। वह राधा के पास रहता था। अतः कुब्जा राधा से द्वेष रखती थी। वह किसी को नीलकंठ के पास नहीं आने देना चाहती थी। इसी बीच राधा ने दो अंडे दिए, जिनको वह पंखों में छिपाए बैठी रहती थी। पता चलते ही कुब्जा ने चोंच मार-मार कर राधा को ढकेल दिया और फिर अंडे फोड़ कर दूंठ जैसे पैरों से सब ओर छितरा दिए।

प्रश्न 10.
नीलकंठ का सुखमय जीवन करुण कथा में कैसे बदल गया?
उत्तर :
कुब्जा के कलह और उसके राधा के प्रति ईर्ष्या-द्वेष से नीलकंठ की प्रसन्नता का अंत हो गया। कई बार वह जाली के घर से निकल भागा। एक बार कई दिन भूखा-प्यासा आम की शाखाओं में छिपा बैठा रहा, जहाँ से बहुत पुचकार कर मैंने उतारा। एक बार मेरी खिड़की के शेड पर छिपा रहा। तीन-चार मास के उपरांत एक दिन नीलकंठ ने अपने प्राण त्याग दिए। उसका सुखमय जीवन करुण कथा में बदल गया।

प्रश्न 11.
नीलकंठ अन्य पक्षियों को सजा भी देता था और प्रेम भी करता था। उदाहरण देकर स्पष्ट करो।
उत्तर :
खरगोश के छोटे बच्चों को नीलकंठ चोंच से उनके कान पकड़कर ऊपर उठा लेता था और जब तक वे आर्तक्रदन न करने लगते उन्हें अधर में लटकाए रखता। कभी-कभी उसकी पैनी चोंच से खरगोश के बच्चों का कर्णवेध संस्कार हो जाता था, पर वे फिर कभी उसे क्रोधित होने का अवसर न देते थे। दंडविधान के समान ही उन जीव-जंतुओं के प्रति उसका प्रेम भी असाधारण था। प्रायः वह मिट्टी में पंख फैलाकर बैठ जाता और वे सब उसकी लंबी पूँछ और सघन पंखों में छुआ-छुऔअल-सा खेलते रहते थे।

प्रश्न 12.
नीलकंठ के मरने के बाद राधा कैसी है?
उत्तर :
राधा अब नीलकंठ की प्रतीक्षा में ही दुकेली है। आषाढ़ में जब आकाश मेघाच्छन्न हो जाता है तब वह कभी ऊँचे झूले पर और कभी अशोक की डाल पर अपनी केका को तीव्रतर कर नीलकंठ को बुलाती रहती है।

प्रश्न 13.
राधा कैसे नाचती थी?
उत्तर :
राधा नीलकंठ के समान नहीं नाच सकती थी, परंतु उसकी गति में भी एक छंद रहता था। वह नृत्यमग्न नीलकंठ की दाहिनी ओर के पंख को छूती हुई बाईं ओर निकल आती थी और बाएँ पंख को स्पर्श कर दाहिनी ओर। इस प्रकार उसकी परिक्रमा में भी एक पूरक ताल-परिचय मिलता था।

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प्रश्न 14.
नीलकंठ और राधा को कौन-सी ऋतु प्रिय थी?
उत्तर :
नीलकंठ और राधा की सबसे प्रिय ऋतु तो वर्षा ही थी। मेघों के उमड़ आने से पहले ही वे हवा में उसकी सजल आहट पा लेते थे और तब उनकी मंद केका की गूंज-अनुगूंज तीव्र से तीव्रतर होती हुई मानो बूंदों के उतरने के लिए सोपान पक्ति बनने लगती थी।

प्रश्न 15.
बड़े मियाँ ने क्या कहकर घायल मोरनी को लेखिका को बेच दिया?
उत्तर :
बड़े मियाँ ने कहा, “देखिए गुरु जी, कमबख्त चिड़ीमार ने बेचारी का क्या हाल कर दिया है! ऐसे कभी चिड़िया पकड़ी जाती है? आप न आई होती तो मैं उसी के सिर इसे पटक देता। पर आपसे भी यह अधमरी मोरनी ले जाने को कैसे कहूँ?” अत: लेखिका ने सात रुपये देकर उस मोरनी को ले लिया।

नीलकंठ गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. बड़े मियाँ …………………… लग रहे थे।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. ये बड़े मियाँ कौन हैं? उनकी क्या आदत है?
2. लेखिका ने बड़े मियाँ से क्या पूछा?
3. पिंजरा कैसा था?
4. पक्षी शावक कैसे लग रहे थे?
उत्तर:
1. बड़े मियाँ चिड़िया वाले के नाम से जाने जाते हैं। वे बोलते बहुत हैं। उनकी आदत है कि वे बीच में रुकते नहीं।
2. लेखिका ने बड़े मियाँ से पूछा-‘मोर के बच्चे कहाँ है?’
3. पिंजरा बहुत संकीर्ण तथा छोटा था।
4. पिंजरे में बैठे पक्षी शावक ऐसे लग रहे थे कि मानो किसी गोल फ्रेम में चित्र जड़ दिए हों।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. यह पाठ किस शैली में रचा गया है?
(क) रेखाचित्र
(ख) संस्मरण
(ग) निबंध
(घ) कहानी
उत्तर :
(क) रेखाचित्र

2. इस पाठ को किसने लिखा है?
(क) महादेव ने
(ख) महादेवी वर्मा ने
(ग) बड़े मियाँ ने
(घ) प्रेमचंद ने
उत्तर :
(ख) महादेवी वर्मा ने

3. बड़े मियाँ के भाषण की तुलना किससे की गई है?
(क) तूफान मेल से
(ख) सामान्य ट्रेन से
(ग) चिड़ीमार से
(घ) ड्राइवर से
उत्तर :
(क) तूफान मेल से

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2. वे दोनों ………………… होने लगे।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. चूहदानी जैसे पिंजड़े से निकलकर बच्चे कहाँ छिप गए?
2 उन्होंने लुका-छिपी में क्या किया?
3. वे दिन में कहाँ रहते और रात को कहाँ प्रकट होते?
4. कभी-कभी वे कहाँ आविर्भूत होने लगे?
उत्तर:
1. चूहेदानी जैसे पिंजड़े से निकलकर उसमें बंद बच्चे कमरे में खो गए। कभी वे मेज़ के नीचे घस जाते तो कमी अलमारी के पीछे।
2. उन्होंने लुका-छिपी से थककर लेखिका की रद्दी कागजों की टोकरी को अपना नया बसेरा बना लिया।
3, वे बच्चे दिन में इधर-उधर गुप्तवास करते और रात में रद्दी की टोकरी में प्रकट होते।
4. कभी वे मेज पर, कभी कुर्सी पर तो कभी लेखिका के सिर पर आविर्भूत होने लगे।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. यह गद्यांश किस पाठ से लिया गया है?
(क) नीलकंठ
(ख) मोर
(ग) तीतर
(घ) रेखाचित्र
उत्तर :
(क) नीलकंठ

2. ‘आविर्भाव’ शब्द का क्या अर्थ है?
(क) भरना
(ख) आना
(ग) प्रकट होना
(घ) भाव-विभोर
उत्तर :
(ग) प्रकट होना

3. लेखिका की टोकरी किस काम आती थी?
(क) सब्जी रखने के
(ख) फल रखने के
(ग) रद्दी कागजों के लिए
(घ) बच्चों के
उत्तर :
(ग) रद्दी कागजों के लिए

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3. दोनों नवागुंतकों ………………………… आ गया।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. दोनों नवागुंतकों ने कैसा कुतूहल जागाया?
2. लक्का कबूतर क्या करने लगे?
3. खरगोश ने क्या किया?
4. तोतों की प्रतिक्रिया क्या रही?
उत्तर:
1. दोनों नवागुंतकों ने लेखिका के घर आकर पहले से रह रहे अन्य पक्षियों में वैसा ही कुतूहल जगाया जैसे नववधू के आगमन पर परिवार में होता है।
2. लक्का कबूतर नाचना छोड़कर दौड़कर आए और नवागुंतकों के चारों ओर घूम-घूम कर ‘गुटरगूं-गुटरगूं’ करके गाने लगे।
3. बड़े खरगोश सभ्य सभासद के समान गंभीर भाव से निरीक्षण करने लगे। छोटे खरगोश उछल-कूद करने लगे।
4. तोते आँखें बंद करके उनका परीक्षण करने लगे।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. ‘नवागंतुक’ का सही संधि-विच्छेद है
(क) नव + आगंतुक
(ख) नव + गुंतक
(ग) न + वागुंतक
(घ) नवागु + तक
उत्तर :
(क) नव + आगंतुक

2. ‘गुटरगूं-गुटरगूं’ कौन करने लगे?
(क) कबूतर
(ख) खरगोश
(ग) तोते
(घ) चिड़िया
उत्तर :
(क) कबूतर

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4. मुझे स्वयं …………….. देने दौड़ा।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. नीलकंठ ने स्वयं को क्या नियुक्त कर लिया था?
2 वह सवेरे ही क्या करने लगता था?
3. वह किसे, कैसे दंड देता था?
उत्तर:
1. नीलकंठ ने स्वयं को अपने आप चिड़ियाघर के जीव-जंतुओं का सेनापति और संरक्षक नियुक्त कर लिया था।
2. नीलकंठ सवेरे ही खरगोश-कबूतर आदि की सेना एकत्रित करके दाने दिए जाने वाले स्थान पर ले जाता
3. जब कोई पशु-पक्षी गड़बड़ी करता हो नीलकंठ अपनी चोंच के प्रहार से उसे दंड देता था।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. नीलकंठ ने स्वयं को क्या नियुक्त कर लिया था?
(क) जीव-जंतुओं का सेनापति
(ख) संरक्षक
(ग) दोनों
(घ) कुछ नहीं
उत्तर :
(क) जीव-जंतुओं का सेनापति

2. नीलकंठ अपने पक्षियों की सेना को कहाँ ले जाता था?
(क) दाना देने के स्थान पर
(ख) पानी पीने के स्थान पर
(ग) घूमने-फिरने के स्थान पर
(घ) कहीं नहीं
उत्तर :
(क) दाना देने के स्थान पर

3. ‘चंचु-प्रहार’ कैसा शब्द है?
(क) तत्सम
(ख) तद्भव
(ग) देशज
(घ) विदेशी
उत्तर :
(क) तत्सम

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5. मोर के …………… हो उठे।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. मोर की कलगी में क्या परिवर्तन आ गया?
2 चोंच और आँखों में क्या बदलाव आया?
3. ग्रीवा के बारे में क्या बताया गया है?
4. पूँछ कैसी हो गई?
उत्तर:
1. मोर के सिर की कलगी पहले से अधिक सघन, ऊँची तथा चमकीली हो गई।
2. मोर की चोंच अधिक बाँकी (टेढ़ी) और पैनी हो गई। आँखों में नीली चमक झलकने लगी।
3. नीली-हरी ग्रीवा (गर्दन) में धूप-छाँही तरंगें उठने लगीं।
4. मोर की पूँछ अधिक लंबी हो गई तथा उसके पंखों पर रंग-बिरंगी चंद्रिकाएँ उभरने लगीं।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. ‘ग्रीवा’ शब्द कैसा है?
(क) तत्सम
(ख) तद्भव
(ग) देशज
(घ) विदेशी
उत्तर :
(क) तत्सम

2. ‘इंद्रधनुषी रंग’-रेखांकित शब्द क्या है?
(क) संज्ञा
(ख) सर्वनाम
(ग) विशेषण
(घ) क्रिया
उत्तर :
(ग) विशेषण

3. ‘आलेखन’ शब्द कैसे बना है?
(क) आ + लेखन
(ख) आलेख + न
(ग) आ + लेख + न
(घ) आले + खन
उत्तर :
(ग) आ + लेख + न

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6. मयूर कलाप्रिय …………………… जाता था।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. मोर कैसा पक्षी है?
2 बाज, चील कैसे पक्षी हैं?
3. नीलकंठ क्या हो गया था?
4. नीलकंठ जब नाचता था तब कैसा दृश्य उपस्थित हो जाता था?
उत्तर:
1. मोर कला प्रेमी तथा वीर पक्षी है।
2. बाज और चील क्रूर स्वभाव के पक्षी हैं। उनके जीवन में क्रूर कर्म करना रहता है।
3. नीलकंठ में उसकी जातिगत विशेषताएँ तो थी ही, इसके साथ-साथ उसका मानवीकरण भी हो गया था।
4. नीलकंठ जब अपने इंद्रधनुषी पंखों को फैलाकर नाचता था तब उसका नृत्य देखते बनता था। वह आगे-पीछे, दाएं-बाएँ घूम-घूमकर नाचता तथा कभी-कभी ठहर जाता था।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. कलप्रिय और वीर किसे कहा गया है?
(क) मोर को
(ख) खरगोश को
(ग) तोता को
(घ) किसी को नहीं
उत्तर :
(क) मोर को

2. ‘मयूर’ शब्द कैसा है?
(क) तत्सम
(ख) तद्भव
(ग) देशज
(घ) विदेशी
उत्तर :
(क) तत्सम

3. ‘अलक्ष्य’ में ‘अ’ क्या है?
(क) उपसर्ग
(ख) प्रत्यय
(ग) मूलशब्द
(घ) अन्य
उत्तर :
(क) उपसर्ग

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 15 नीलकंठ

7. नालकठ आर ……………………… होता जाता।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. वर्षा ऋतु किसे प्रिय थी?
2 मेघों के उमड़ आने से पहले उन्हें क्या मिल जाता था?
3. नीलकंठ के नृत्य का वेग कब बढ़ता जाता था?
उत्तर:
1. वर्षा ऋतु नीलकंठ और राधा को प्रिय थी।
2 मेघों के उमड़ आने से पहले ही वे उसकी सजल आहट पा लेते थे।
3. बादलों की गरजन, बिजली की चमक तथा बूंदों की रिमझिम की तीव्रता के साथ नीलकंठ के नृत्य का वेग बढ़ता जाता था।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. कौन सा शब्द ‘हवा’ का पर्यायवाची नहीं है
(क) समीर
(ख) वायु
(ग) अनिल
(घ) अनल
उत्तर :
(घ) अनल

2. “नृत्य” शब्द कैसा है?
(क) तत्सम
(ख) तद्भव
(ग) देशज
(घ) विदेशी
उत्तर :
(क) तत्सम

3. वर्षा किसकी प्रिय ऋतु थी?
(क) नीलकंठ की
(ख) राधा की
(ग) दोनों की
(घ) किसी की नहीं
उत्तर :
(ग) दोनों की

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नीलकंठ Summary in Hindi

नीलकंठ पाठ का सार

इस रेखाचित्र में महादेवी वर्मा ने अपने पालतू मोर ‘नीलकंठ’ के मीठे-कड़वे अनुभवों का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया है। इस – पाठ के माध्यम से लेखिका के जीव-जंतुओं के प्रति अथाह प्रेम और सहानुभूति का परिचय मिलता है। नीलकंठ सहित उसके सभी साथियों के रूप, स्वभाव, व्यवहार और चेष्टाओं का लेखिका ने जितनी गहनता और सूक्ष्मता से निरीक्षण तथा वर्णन किया है, उससे यह रेखाचित्र अत्यंत जीवंत बन गया है।

यह पाठ रेखाचित्र-शैली में रचा गया है। एक दिन लेखिका महादेवी वर्मा अपने अतिथि को स्टेशन पहुँचाकर लौट रही थी कि वह बड़े मियाँ चिड़ियावाले की दुकान पर जा पहुँची। महादेवी को देखते ही वह बोला सलाम गुरु जी! पिछली बार आने पर आपने मोर के बच्चों के लिए पूछा था।

शंकरगढ़ से एक चिड़ीमार दो मोर के बच्चे पकड़ लाया है, एक मोर है, एक मोरनी। आप पाल लें। मोर के पंजों से दवा बनती है, सो ऐसे ही लोग खरीदने आए थे। आखिर मेरे सीने में भी तो इंसान का दिल है। मारने के लिए ऐसी मासूम चिड़ियों को कैसे दूं। टालने के लिए मैंने कह दिया- “गुरुजी ने मँगवाए हैं। वैसे, यह कमबख्त रोजगार ही खराब है। बस, पकड़ो-पकड़ो, मारो-मारो।”

लेखिका बड़े मियाँ के भाषण के दौरान मोर के बच्चों का निरीक्षण भी करती रही। उसने तीस चिड़ीमार के नाम के तथा पाँच बड़े मियाँ के ईमान के अर्थात् 35 रुपये देकर वे दोनों पक्षी शावक खरीद लिए। घर पर सब उन पक्षियों को तीतर बताने लगे और कहने लगे कि तुम ठग गई हो।

लेखिका ने अपने पढ़ने-लिखने के कमरे में उनका पिंजड़ा रखकर उसका दरवाजा खोला, फिर दो कटोरों में सत्तू की छोटी-छोटी गोलियाँ और पानी रखा। वे दोनों चूहेदानी जैसे पिंजड़े से निकलकर कमरे में मानो खो गए, कभी मेज के नीचे घुस गए तो कभी अलमारी के पीछे। अंत में इस लुका-छिपी से थककर उन्होंने मेरे रद्दी कागजों की टोकरी को अपने नए बसेरे का गौरव प्रदान किया। दो-चार दिन वे इसी प्रकार दिन में इधर-उधर गुप्तवास करते और रात में रद्दी की टोकरी में प्रकट होते रहे।

लेखिका ने उन्हें अन्य जीव-जंतुओं से बचाने के लिए पिंजरे में बंद रखना ही ठीक समझा। लक्का कबूतर, खरगोश, तोते सभी उसके इर्द-गिर्द जमा होने लगे। धीरे-धीरे मोर के दोनों बच्चे बढ़ने लगे। मोर की कलगी सघन, ऊँची और नुकीली हो गई। चोंच पैनी हो गई। उनके रूप-आकार में निरंतर परिवर्तन होते चले गए। मोरनी का विकास उतना चमत्कारी नहीं था पर वह मोर की सहचरिणी होने का सबूत देने लगी थी। नीली गरदन होने के कारण मोर का नाम नीलकंठ रखा गया। मोरनी का नाम राधा रखा गया।

नीलकंठ स्वयं जीव-जंतुओं का सेनापति और संरक्षक बन बैठा। वह सबका ख्याल रखता तथा दोषी को चोंच मारकर दडित करता था। खरगोश के छोटे बच्चों को वह चोंच से कान पकड़कर उठा लेता था। वह जीव-जंतुओं से प्रेम भी बहुत करता था। एक बार एक साँप जाली के भीतर पहुँच गया। एक शिशु खरगोश साँप की पकड़ में आ गया।

नीलकंठ ने खरगोश के मंद स्वर को सुना। वह एक झपट्टे में नीचे आ गया। उसने साँप को फन के पास पंजों से दवाया और फिर चोंच से इतने प्रहार किए कि वह अधमरा हो गया। पकड़ ढीली पड़ते ही खरगोश का बच्चा मुंह से निकल आया और रात भर उसे अपने पंखों से गरमी देता रहा।

मोर कलाप्रिय वीर पक्षी है। वह हिंसक नहीं है। वह नीलकंठ लय-ताल के साथ नाचता था। राधा भी नाचती थी, पर नीलकंठ के समान नहीं। लेखिका को नीलकंठ का नृत्य बहुत अच्छा लगता था। नीलकंठ यह बात जान गया था। अतः अब वह नित्य नृत्य दिखाने लगा। लेखिका के साथ देशी-विदेशी भी होते थे।

कुछ विदेशी महिलाओं ने उसे परफैक्ट जेंटिलमैन की उपाधि दे डाली। वह लेखिका की हथेली से बड़ी कोमलता के साथ चने उठाकर खाता था। वसंत में वह जालीघर में रहना पसंद नहीं करता था। नीलकंठ और राधा की सबसे प्रिय ऋतु वर्षा ही थी। मेघ गर्जना के साथ उनका नृत्य प्रारंभ होता और वर्षा की रिमझिम के साथ नृत्य का वेग भी बढ़ता जाता।

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 15 नीलकंठ

इस सुखद आनंद का अंत करुण कथा में हआ। एक दिन लेखिका बड़े मियाँ से एक घायल मोरनी सात रुपए देकर ले आई। मरहम-पट्टी से वह एक महीने में अच्छी हो गईं। पर वह डगमगाती चलती थी। अत: उसका नाम रखा गया कब्जा। वह कुब्जा नीलकंठ और राधा को एक साथ नहीं देख पाती थी। वह नीलकंठ के साथ रहना चाहती थी, जबकि नीलकंठ उससे दूर भागता था। कुब्जा ने राधा के दो अंडों को चोंच मार-मारकर गिरा दिया और राधा को धकेल दिया। नीलकठ उदास रहने लगा।

वह छिपकर रहने लगा। तीन-चार मास के उपरांत एक दिन लेखिका ने देखा कि वह मरा पड़ा है। वह क्यों मरा, पता नहीं चला। लेखिका उसे अपने शॉल में लपेटकर संगम तक ले गई और गंगा की धारा में प्रवाहित कर आई। नीलकंठ के न रहने पर राधा भी निश्चेष्ट-सी बैठी रहती। कुब्जा उसे दूवती रहती. एक दिन कजली के दाँत उसकी गरदन पर लग गए। उसका जीवन न बचाया जा सका। राधा प्रतीक्षा में ही दुकेली है। वर्षा ऋतु में वह अपने नीलकंठ को बुलाती है।

नीलकंठ शब्दार्थ

अनुसरण = पीछे-पीछे चलना (to follow), संकीर्ण = सँकरा, छोटा (narrow), आविर्भूत = प्रकट (to come out), नवागंतुक = नया-नया आया हुआ, नया अतिथि (new guest), मार्जारी = मादा बिल्ली (female car), इल्ली = तितली के बच्चों को अंडे से निकलने के बाद का रूप (a form of butterfly). बंकिम = टेढ़ा (not stright), इंद्रनील = नीलकांत-नीलम (a precious diamond), द्युति – चमक (shining), दीप्त होना = चमकना (lo glitter), चंचु प्रहार = चोंच द्वारा आक्रमण (attack by beak), आर्तक्रंदन = दर्द-भरी आवाज में रोना (cry), अधर = बीच में (in between), कर्णवेध = कान छेदना (a hole in ear), निश्चेष्ट = बिना प्रयास के (without effort), कार्तिकेय = कृत्तिका नक्षत्र में उत्पन्न शिव के पुत्र, देवताओं के सेनापति (son of shiva), मंजरियाँ = नई कोंपलें, बौर (new buds), मंद्र = गंभीर, धीमा (slow), क्रूर कर्म = कठोर कार्य (hard work), स्तबक = गुलदस्ता, पुष्पगुच्छ (bunch of flowers), कुब्जा = कुब्बड़ वाली, कंस की एक दासी, जो कुबड़ी थी, श्रीकृष्ण ने उसका कुब्बड़ ठीक किया (name of lady), दुकेली = जो अकेली न हो (not lonely), पक्षी-शावक = पक्षी के बच्चे (children of birds), बारहा = बार-बार (again & again), छंद रहता-सा = गति में लय का होना (other), सुरम्य = मनोहर (beautiful), मूंजी = कंजूस (miser), केका = मोर की बोली (voice of peacock)

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HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 17 वीर कुवर सिंह

Haryana State Board HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 17 वीर कुवर सिंह Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 17 वीर कुवर सिंह

HBSE 7th Class Hindi वीर कुवर सिंह Textbook Questions and Answers

निबंध से

वीर कुवर सिंह प्रश्न उत्तर HBSE Vasant 7th Class प्रश्न 1.
वीर कुंवर सिंह के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषताओं ने आपको प्रभावित किया ?
उत्तर :
वीर कुंवर सिंह के व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताओं ने हमें प्रभावित किया है

  • वीर कुंवर सिंह वीर थे। उन्होंने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध वीरतापूर्वक युद्ध किए।
  • वे युद्धकला में पूरी तरह कुशल थे। उन्हें छापामार युद्ध में महारत हासिल थी।
  • वे वीर के अलावा चतुर एवं बुद्धिमान भी थे।
  • उनमें बलिदान एवं त्याग की भावना थी।
  • कुँवर सिंह उदार एवं संवेदनशील व्यक्ति थे।
  • वे समाजसेवी एवं परोपकारी भी थे।

Class 7 Chapter 17 Hindi HBSE  प्रश्न 2.
कुँवर सिंह को बचपन में किन कामों में मजा आता था ? क्या उन्हें उन कामों से स्वतंत्रता सेनानी बनने में कुछ मदद मिली?
उत्तर :
कुंवर सिंह को बचपन में घुड़सवारी करने, तलवारबाजी करने तथा कुश्ती लड़ने में मजा आता था। हाँ, उन्हें इन कामों से स्वतंत्रता सेनानी बनने में मदद मिली। वे घुड़सवारी करके युद्ध करते थे। युद्ध में तलवार चलाना उनके खूब काम आया। इनसे वे निर्भीक एवं कुशल योद्धा बन गए।

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वीर कुवर सिंह HBSE 7th Class प्रश्न 3.
सांप्रदायिक सद्भाव में कुंवर सिंह की गहरी आस्था थी-पाठ के आधार पर कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर :
कुँवर सिंह की सांप्रदायिक सद्भाव में गहरी आस्था थी। उनकी सेना में मुसलमान भी उच्च पदों पर थे। इब्राहीम खाँ तथा किफायत हुसैन उनकी सेना में उच्च पदों पर आसीन थे। इसके अलावा उनके यहाँ हिंदुओं और मुसलमानों के सभी त्योहर एक साथ मिल-जुलकर मनाए जाते थे।

वीर कुवर सिंह Class 7 HBSE प्रश्न 4.
पाठ के किन प्रसंगों से तुम्हें पता चलता है कि कुँवर सिंह साहसी उदार एवं स्वाभिमानी व्यक्ति थे?
उत्तर :
पाठ के निम्नलिखित प्रसंगों से हमें पता चलता है कि कुंवर सिंह साहसी, उदार एवं स्वाभिमानी व्यक्ति थे
1. साहसी :
कुँवर सिंह ने कई स्थानों पर विजय प्राप्त की, पर वे भी जगदीशपुर के पतन को नहीं रोक पाए परन्तु उन्होंने हारकर भी साहस नहीं खोया। वे भावी संग्राम की योजना में जुट गए। वे बूढ़े हो चले थे, पर साहसी बने हुए थे। 23 अप्रैल, 1858 को विजय पताका फहराते हुए जगदीशपुर पहुंच गए।

2. उदार :
कुँवर सिंह बहुत उदार थे। अपनी आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के बावजूद वे निर्धन व्यक्तियों की सहायता करते रहते थे। उन्होंने परोपकार के अनेक काम किए अर्थात् सड़कें बनवाईं, कुएँ खुदवाए तथा तालाब बनवाए।

3. स्वाभिमानी :
कुँवरसिंह स्वाभिमानी व्यक्ति थे। उन्होंने अंग्रेजों से कभी हार नहीं मानी। उन्होंने अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए अपना बाँया हाथ काटकर गंगा मैया को अर्पित कर दिया।

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वीर कुवर सिंह Class 7 Summary HBSE प्रश्न 5.
आमतौर पर मेले मनोरंजन, खरीद-फरोख्त एवं मेलजोल के लिए होते हैं। वीर कुंवर सिंह ने मेले का उपयोग किस रूप में किया?
उत्तर :
प्रायः मेले का उपयोग मनोरंजन, खरीद-फरोख्त तथा मेल-जोल के लिए किया जाता है, पर कुंवर सिंह ने सोनपुर के मेले का उपयोग स्वाधीनता संग्राम की योजना बनाने के लिए किया। यहाँ लोग गुप्त रूप से एकत्रित होकर क्रांति के बारे में योजनाएँ बनाते थे।

निबंध से आगे

वीर कुवर सिंह Question Answer HBSE 7th Class प्रश्न 1.
सन् 1857 के आंदोलन में भाग लेने वाले किन्हीं चार सेनानियों पर दो-दो वाक्य लिखिए।
उत्तर :
1857 में भाग लेने वाले चार स्वतंत्रता सेनानी :
रानी लक्ष्मीबाई : झाँसी की महारानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के साथ डटकर युद्ध किया। उन्होंने अंग्रेजी सेना को कई स्थानों पर हराया और अंत में अपना अमर बलिदान दे दिया।

तात्या टोपे :
इनका मूल नाम रामचंद्र पांडुरंग था। ये झाँसी की रानी की सेना में सेनापति थे। इन्हें 18 अप्रैल, 1859 को फाँसी पर लटका दिया गया था।

बहादुर शाह जफर :
मई, 1857 में विद्रोहियों ने दिल्ली पर कब्जा करके बहादुरशाह द्वितीय को पुनः भारत का सम्राट घोषित कर दिया। 82 वर्षीय बहादुरशाह ने बख्त खाँ के सहयोग से विद्रोह का नेतृत्व किया था। उन्हें अपना शेष जीवन रंगून की जेल में बिताना पड़ा।

नाना साहब धुंधू पंत :
ये पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र थे। इन्होंने 1857 के विद्रोह का नेतृत्व किया था। नाना साहब ने प्रतिज्ञा की थी- “जब तक मेरे शरीर में प्राण हैं, मेरे और अंग्रेजों के बीच जंग जारी है, चाहे मुझे मार दिया जाए, बंदी बना दिया जाए, फाँसी पर लटका दिया जाए. मैं हर बात का जवाब तलवार से दूँगा।”

प्रश्न 2.
सन् 1857 के क्रांतिकारियों से संबंधित गीत विभिन्न भाषाओं और बोलियों में गाए जाते हैं। ऐसे कुछ गीतों को संकलित कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी इन गीतों को संकलित करें।

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HBSE 7th Class Hindi वीर कुवर सिंह Important Questions and Answers

अति लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
1857 के सशस्त्र विद्रोह ने क्या किया?
उत्तर :
इसने ब्रिटिश शासन की जड़ों को हिला दिया।

प्रश्न 2.
11 मई को किसे भारत का शासक घोषित किया गया?
उत्तर :
अंतिम मुगल शासक बहादुरशाह जफ़र को भारत का शासक घोषित किया गया।

प्रश्न 3.
दिल्ली के अतिरिक्त भीषण युद्ध के केंद्र कहाँ-कहाँ थे?
उत्तर :
ये केंद्र थे-कानपुर, लखनऊ, बरेली, बुंदेलखंड, आरा।

प्रश्न 4.
कुंवर सिंह का जन्म कब और कहाँ हुआ?
उत्तर :
कुंवर सिंह का जन्म 1782 ई. में शाहाबाद जिले के जगदीशपुर में हुआ।

प्रश्न 5.
कुंवर सिंह ने कब रियासत की ज़िम्मेदारी सँभाली?
उत्तर :
1827 ई. में पिता की मृत्यु के बाद कुंवर सिंह ने रियासत की जिम्मेदारी संभाली।

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प्रश्न 6.
कुंवर सिंह की मृत्यु कब हुई?
उत्तर :
26 अप्रैल, 1858 को।

लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
1857 के स्वतंत्रता संग्राम का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर :
सन् 1857 में भारतीयों ने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध सशस्त्र विद्रोह किया था। मार्च, 1857 में बैरकपुर में अंग्रेजों के विरुद्ध मंगलपांडे ने बगावत की। उन्हें 8 अप्रैल, 1857 को फाँसी दी गई। 10 मई, 1857 को मेरठ छावनी में भारतीय सैनिकों ने विद्रोह कर दिया। ।। मई को दिल्ली पर कब्जा कर लिया गया। अंतिम मुगल बादशाह बहादुरशाह जफर को भारत का शासक घोषित कर दिया गया। झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों को नाकों चने चबवा दिए। वीर कुंवर सिंह ने अंग्रेजों को कई जगह हराया।

प्रश्न 2.
जुलाई, 1857 में क्या हुआ?
उत्तर :
25 जुलाई, 1857 को दानापुर की टुकड़ी ने भी विद्रोह कर दिया। सैनिक सोन नदी को पार करके आरा की ओर बढ़ गए। वहाँ पहुँचकर उन्होंने जेल की सलाखें तोड़ दी और कैदियों को आजाद कर दिया।

27 जुलाई, 1857 को कुंवर सिंह ने आरा पर विजय प्राप्त कर ली। सिपाहियों ने उन्हें फौजी सलामी दी। कुंवर सिंह बूढ़े हो चले थे, पर वे पूरी हिम्मत से युद्ध में जुटे रहे थे।

प्रश्न 3.
कुंवर सिंह और डगलस की टक्कर का वर्णन कीजिए।
उत्तर :
कुंवर सिंह को अपनी सेना के साथ गंगा पार करनी थी। अंग्रेजी सेना डगलस के नेतृत्व में उनका पीछा कर रही थी। कुंवर सिंह ने यह अफवाह फैला दी कि वह अपनी सेना के साथ हाथियों पर चढ़कर बलिया के पास गंगा पार करेगा। सेनापति डगलस वहीं पहुँच गया, पर कुंवर सिंह ने बलिया की जगह शिवराजपुर नामक स्थान से नावों पर बैठकर गंगा पार कर ली। अंतिम नाव में कुंवर सिंह थे। डगलस की गोली उनकी बाई कलाई को भेदती निकल गई। कुंवर सिंह ने अपना बायाँ हाथ काटकर गंगा मैया को भेंट चढ़ा दिया।

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प्रश्न 4.
आजमगढ़ की ओर जाने का कँवर सिंह का क्या उद्देश्य था?
उत्तर :
कुँवर सिंह का आजमगढ़ आने का उद्देश्य था-इलाहाबाद एवं बनारस पर आक्रमण कर शत्रुओं को परास्त करना और अंततः जगदीशपुर पर अधिकार जमाना। उन्होंने 22 मार्च, 1858 को आजमगढ़ पर कब्जा भी कर लिया। उन्होंने अंग्रेजों को दो बार हराया। वे 23 अप्रैल, 1858 को स्वाधीनता की विजय-पताका फहराते हुए जगदीशपुर तक पहुंच गए।

प्रश्न 5.
बिहार के प्रसिद्ध कवि मनोरंजन प्रसाद सिंह ने कुँवरसिंह का प्रशस्ति गायन किन शब्दों में किया है?
उत्तर :
उन्होंने प्रशस्ति गायन करते हुए लिखा हैचला गया यो कुँअर अमरपुर, साहस से सब अरिंदल जीत। उसका चित्र देखकर अब भी, दुश्मन होते हैं भयभीत। वीर-प्रसविनी-भूमि धन्य वह, धन्यवीर वह धन्य अतीत। गाते थे और गाँवेंगे हम, हरदम उसकी जय का गीत। स्वतंत्रता का सैनिक था, आजादी का दीवाना था, सब कहते हैं कुँअर सिंह भी, बडा वीर मरदाना था।

वीर कुवर सिंह गद्यांशों पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

1. वीर कुँवर …………… भी पड़ा।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. कुंवर सिंह का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
2 उनके माता-पिता के नाम बताइए।
3. कुंवर सिंह की देखभाल ठीक से क्यों नहीं हो पाई?
4. कुंवर सिंह के पिता कैसे व्यक्ति थे?
उत्तर :
1. कुंवर सिंह का जन्म 1782 ई. में बिहार के शाहाबाद जिले के जगदीशपुर में हुआ था।
2. कुंवर सिंह के पिता का नाम साहबजादा सिंह तथा माता का नाम पंचरतन कुँवर था।
3. कुंवर सिंह की देखभाल ठीक से इसलिए नहीं हो पाई क्योंकि कुँवर सिंह के पिता जगदीशपुर रियासत के जमींदार थे। उन्हें अपनी जमींदारी हासिल करने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा था।
4. कुंवर सिंह के पिता वीर होने के साथ-साथ स्वाभिमानी एवं उदार स्वभाव के व्यक्ति थे।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. कुंवर सिंह का जन्म किस राज्य में हुआ था?
(क) बिहार
(ख) शाहाबाद
(ग) उत्तर प्रदेश
(घ) राजस्थान
उत्तर :
(क) बिहार

2. कुंवर सिंह के पिता क्या थे?
(क) राजा
(ख) जमींदार
(ग) जागीरदार
(घ) कुछ नहीं
उत्तर :
(क) राजा

3. कुंवर सिंह के पिता कैसे थे?
(क) वीर
(ख) स्वाभिमानी
(ग) उदार
(घ) ये सभी बातें
उत्तर :
(घ) ये सभी बातें

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2. जगदीशपुर के ………….. बनाते थे।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. इस गद्यांश में किस संत का नामोल्लेख हुआ है और क्यों?
2 उन्होंने कहाँ-कहाँ किस प्रकार की योजनाएं बनाई?
3. सोनपुर का मेला क्यों प्रसिद्ध है?
4. इस मेले का क्रांतिकारी क्या उपयोग करते थे?
उत्तर:
1. इस गद्यांश में ‘बसुरिया बाबा’ नामक सिद्ध संत का उल्लेख हुआ है। उन्होंने ही कुंवर सिंह के मन में देशभक्ति और स्वाधीनता की भावना उत्पन्न की थी।
2. वे बनारस, मथुरा, कानपुर, लखनऊ आदि स्थानों पर रहकर अंग्रेजी शासन के विरुद्ध विद्रोह करने की सक्रिय योजनाएँ बनाते थे। 3. सोनपुर का मेला एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला माना जाता है। यह मेला कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लगता है। यह मेला हाथियों की खरीद-बिक्री के लिए भी प्रसिद्ध है।
4. एक ऐतिहासिक मेले का उपयोग क्रांतिकारी क्रांति की योजना बनाने के लिए एकत्रित होने के लिए करते थे। यहीं वे स्वाधीनता की योजनाएँ बनाते थे।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. बसुरिया बाबा क्या थे?
(क) सिद्ध संत
(ख) सैनिक
(ग) वीर
(घ) अध्यापक
उत्तर :
(क) सिद्ध संत

2. किस स्थान को गुप्त बैठकों के लिए चुना गया?
(क) बिहार को
(ख) सोनपुर के मेले को
(ग) नालंदा को
(घ) पुष्कर मेले को
उत्तर :
(ख) सोनपुर के मेले को

3. मेला किसके क्रय-विक्रय के लिए विख्यात है?
(क) घोड़ों
(ख) ऊँटों
(ग) हाथियों
(घ) सामान
उत्तर :
(ग) हाथियों

3. दानापुर और ……………….. उड़ गए।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न:
1. जगदीशपुर का पतन क्यों हुआ?
2. कुंवर सिंह की सेना के हारने पर कँवर सिंह पर क्या प्रभाव पड़ा?
3. कुंवर सिंह कहाँ से कहाँ जा पहुँचे?
4. कुंवर सिंह की वीरता और यात्रा का अंग्रेजों पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
1. जगदीशपुर के पतन के कई कारण थे –

  • देशी सैनिकों में अनुशासन की कमी
  • स्थानीय जमींदारों का अंग्रेजों का साथ देना
  • आधुनिक शस्त्रों की कमी।

2 कुंवर सिंह की सेना 13 अगस्त को अंग्रेजों से हार गई पर इस हार का कुंवर सिंह पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ा। उनका आत्मबल नहीं टूटा। वे अगली योजना बनाने में जुट गए।
3. कुंवर सिंह सासाराम से मिर्जापुर होते हुए रीवा, कालपी, कानपुर, लखनऊ तक गए। लखनऊ की अशांति को देख कर वे आजमगढ़ की ओर चले गए।
4. कुंवर सिंह की वीरता और उनकी विजय-यात्रा ने अंग्रेजों के होश उड़ा दिए।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. जगदीशपुर का पतन का कारण था
(क) सैनिकों में अनुशासन की कमी
(ख) जमींदारों का अग्रेजों के साथ सहयोग करना
(ग) नए शस्त्रों की कमी
(घ) ये सभी कारण
उत्तर :
(घ) ये सभी कारण

2. अंग्रेजों से परास्त होने पर कुंवर सिंह का आत्मबल
(क) टूट गया
(ख) बढ़ गया
(ग) जाँचा गया
(घ) ठीक रहा
उत्तर :
(ख) बढ़ गया

3. लखनऊ से कुंवर सिंह ने कहाँ प्रस्थान किया?
(क) आजमगढ़
(ख) कानपुर
(ग) मिर्जापुर
(प) कही नहीं
उत्तर :
(क) आजमगढ़

4. ‘वीरता’ में ‘ता’ क्या है?
(क) उपसर्ग
(ख) प्रत्यय
(ग) मूलशब्द
(घ) अन्य
उत्तर :
(ख) प्रत्यय

4. स्वाधीनता सेनानी …………………….. प्रचलित हैं।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. कुंवर सिंह किस विद्या में कुशल थे?
2. उनके रण-कौशल को समझने में कौन असमर्थ थे?
3. उन्होंने अंग्रेजों के साथ क्या किया?
4. क्या बात इतिहास के पृष्ठों पर ऑकत है?
उत्तर:
1. कुंवर सिंह युद्ध कला में अत्यंत कुशल थे। वे छापामार युद्ध में तो बहुत कुशल थे।
2. कुंवर सिंह के रण-कौशल को पूरी तरह समझने में अंग्रेजी सेनापति भी पूरी तरह असमर्थ थे।
3. उन्होंने अंग्रेजों को मौत के घाट उतार दिया। अंग्रेजों को या तो युद्धस्थल से भाग जाना पड़ता था या वे मारे जाते
4. वीर कुंवर सिंह ने अंग्रेजी सेना को जिस तलवार की धर से मौत के घाट उतारा उसकी चमक आज भी भारतीय इतिहास के पृष्ठों पर अंकित है।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. कुंवर सिंह युद्धकला में कैसे थे?
(क) कुशल
(ख) अकुशल
(ग) ठीक-ठीक
(घ) पता नहीं
उत्तर :
(क) कुशल

2. अंग्रेजी सेनानायक क्या समझने में असमर्थ थे?
(क) कुंवर सिंह की चालों को
(ख) युद्ध कला को
(ग) कुंवर सिंह के रण कौशल को
(घ) कुंवर सिंह को
उत्तर :
(ग) कुंवर सिंह के रण कौशल को

3. ‘अंकित’ शब्द में कौन-सा प्रत्यय है?
(क) अंक
(ख) कित
(ग) इत
(घ) त
उत्तर :
(ग) इत

4. ‘मौत के घाट उतारा’ का सही अर्थ है
(क) मार दिया
(ख) नदी घाट पर छोड़ दिया
(ग) घाट के पार भेजा
(घ) मौत के निकट ला दिया।
उत्तर :
(क) मार दिया

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5. वीर कुंवर ……………………… जाती है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. वीर कुंवर सिंह ने क्या-क्या काम किए?
2 कुंवर सिंह के व्यक्तित्व में अन्य क्या-क्या गुण थे?
3. उनकी धर्मनिरपेक्षता किन कामों से पता चलती है?
4. कुंवर सिंह की लोकप्रियता का पता किससे चलता है?
उत्तर:
1. वीर कुंवर सिंह ने निम्नलिखित काम किए-

  • ब्रिटिश हुकूमत से टक्कर ली।
  • आरा स्कूल के लिए जमीन दान दी।
  • गरीबों की आर्थिक मदद की।
  • सड़कें बनवाई।
  • कुएँ खुदवाए।
  • तालाब बनवाए।

2 कुंवर सिंह के व्यक्तित्व में वीरता के अलावा उदारता एवं संवेदनशीलता के गुण विद्यमान थे।
3. कुंवर सिंह की धमनिरपेक्षता इन कामों से पता चलती है-

  • उनकी सेना में हिंदुओं के साथ-साथ मुसलमान भी उच्च पदों पर आसीन थे।
  • उन्होंने पाठशालाओं के साथ मकतब (मदरसे) भी बनवाए।
  • उनके यहाँ हिंदुओं और मुसलमानों के सभी त्योहार एक साथ मिलकर मनाए जाते थे।

4. वीर कुंवर सिंह की लोकप्रियता का पता उन गीतों से मिलता है जो बिहार की लोकभाषाओं में उनकी प्रशस्ति के रूप में गाए जाते हैं।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. ‘सामाजिक’ शब्द में किस प्रत्यय का प्रयोग है?
(क) समाज
(ख) जिक
(ग) इक
(घ) क
उत्तर :
(ग) इक

2. कुंवर सिंह की आर्थिक स्थिति कैसी थी?
(क) अच्छी
(ख) बहुत अच्छी
(ग) बहुत अच्छी नहीं
(घ) सामान्य
उत्तर :
(ग) बहुत अच्छी नहीं

3. कुंवर सिंह किस प्रकार के व्यक्ति थे?
(क) उदार
(ख) संवेदनशील
(ग) परोपकारी
(घ) ये सभी प्रकार
उत्तर :
(घ) ये सभी प्रकार

4. कुंवर सिंह की प्रशस्ति का गायन किन में होता है?
(क) बिहार के लोकगीतों में
(ख) दिल्ली की सभाओं में
(ग) पाठशालाओं में
(घ) जन-जन में
उत्तर :
(क) बिहार के लोकगीतों में

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 17 वीर कुवर सिंह

वीर कुवर सिंह Summary in Hindi

वीर कुवर सिंह पाठ का सार

1857 के स्वतंत्रता सेनानियों में ठाकुर कुँवर सिंह का नाम उल्लेखनीय है। सुभद्रा कुमारी चौहान की कविता ‘खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी’ में भी उनके नाम का उल्लेख है। 1857 के सशस्त्र विद्रोह ने भारत में ब्रिटिश शासन की जड़ों को हिलाकर रख दिया था।

मार्च, 1857 में बैरकपुर में अंग्रेजों के विरुद्ध बगावत करने पर 8 अप्रैल, 1857 को मंगल पांडे को फाँसी दे दी गई थी। 10 मई, 1857 को मेरठ में भारतीय सैनिकों ने दिल्ली ‘के सैनिकों के साथ मिलकर 11 मई को दिल्ली पर कब्जा कर लिया था और अंतिम मुगल शासक बहादुरशाह जफर को भारत का शासक घोषित कर दिया था।

इस विद्रोह की आग दूर-दूर तक फैल गई। दिल्ली के अलावा कानपुर, लखनऊ, बरेली, बुंदेलखंड और आरा में भी भीषण युद्ध हुआ। इस विद्रोह में भाग लेने वाले प्रमुख नेता थे-नाना साहेब, तात्या टोपे, बख्त खान, अजीमुल्ला खाँ, रानी लक्ष्मीबाई, बेगम हजरत महल, कुँवर सिंह, मौलवी अहमदुल्लाह, बहादुर खान और राव तुलाराम। भारत में सांप्रदायिक सद्भाव बढ़ाने में इस आंदोलन की बड़ी भूमिका थी।

वीर कुंवर सिंह के बचपन के बारे में अधिक जानकारी नहीं मिलती। उनका जन्म बिहार में शाहाबाद जिले के जगदीशपुर में सन् 1782 में हुआ था। उनके पिता का नाम साहबजादा सिंह और माता का नाम पंचरतन कुँवर था। उनके पिता जगदीशपुर रियासत के जमींदार थे। उनके पिता वीर एवं स्वाभिमानी तथा उदार स्वभाव के थे।

उनके व्यक्तित्व का असर कुंवर सिंह पर भी पड़ा। कुँवर सिंह की शिक्षा-दीक्षा घर पर ही हुई। उन्होंने हिंदी, संस्कृति एवं फारसी भाषाएँ सीखीं, पर उनका मन पढ़ाई की जगह घुड़सवारी, तलवारबाजी एवं कुश्ती में लगता था। पिता की मृत्यु के बाद 1827 में कुंवर अली ने रियासत की जिम्मेदारी संभाली। उन दिनों ब्रिटिश सरकार के अत्याचार चरम सीमा पर थे। कुंवर सिंह ने ब्रिटिश हकूमत से टक्कर लेने का निश्चय किया।

जगदीशपुर के जंगलों में ‘बसुरिया बाबा’ नाम के एक सिद्ध संत रहते थे। उन्होंने कुंवर सिंह के मन में देशभक्ति और स्वाधीनता की भावना उत्पन्न की थी। उन्होंने अनेक स्थानों पर जाकर विद्रोह की योजनाएँ बनाईं। उन्होंने बिहार के सोनपुर मेले को अपनी गुप्त बैठकों की योजना के लिए चुना। यह मेला कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लगता है। 25 जुलाई, 1857 को दानापुर की सैनिक टुकड़ी ने विद्रोह कर दिया। सैनिक कुंवर सिंह का जयघोष करते हुए आरा पहुँच गए और वहाँ की जेल की सलाखें तोड़ दीं। कैदी आजाद हो गए। 27 जुलाई, 1857 को कुंवर सिंह ने आरा पर विजय प्राप्त की।

आरा क्रांति का महत्त्वपूर्ण केंद्र बन गया। जमींदारों ने अंग्रेजों का साथ दिया। अत: जगदीशपुर के पतन को रोका न जा सका। 13 अगस्त को जगदीशपुर में कुंवर सिंह की सेना हार गई, पर कुंवर सिंह का आत्मबल न टूटा। वे आगे की योजनाएँ बनाने में जुट गए। उन्होंने आजमगढ़ की ओर प्रस्थान किया। इससे अंग्रेजों के होश उड़ गए।

अंग्रेजों और कुँवर सिंह के बीच घमासान युद्ध हुआ। उन्होंने 22 मार्च, 1858 को आजमगढ़ पर कब्जा कर लिया। वे 23 अप्रैल, 1858 को विजय पताका फहराते हुए जगदीशपुर पहुँच गए। लोगों ने विजय-उत्सव मनाते हुए यूनियन जैक को उतार कर अपना झंडा फहरा दिया। इसके तीन दिन बाद ही 26 अप्रैल, 1858 को यह वीर इस संसार से विदा हो गया।

कुँवर सिंह युद्धकला में पूरी तरह कुशल थे। उन्हें छापामार युद्ध में महारत हासिल थी। 1857 में उन्होंने तलवार की जिस धार से अंग्रेजी सेना को मौत के घाट उतारा था, उसकी चमक आज तक भारतीय इतिहास के पृष्ठों पर अंकित है। कहा जाता है एक बार कुंवर सिंह को अपनी सेना के साथ गंगा पार करनी थी। अंग्रेजी सेना उनका पीछा कर रही थी। कँवर सिंह भी कम चतुर नहीं थे। उन्होंने अफवाह फैला दी कि वे अपनी सेना को बलिया के पास हाथियों पर चढ़ाकर पार कराएंगे।

अंग्रेज सेनापति डगलस बलिया के गंगा-तट पर जा पहुँचा। कुँवर सिंह ने बलिया से सात मील दूर शिवराजपुर नामक स्थान पर सेना नावों से पार करा दी। डगलस मन मसोसकर रह गया। अंतिम नाव पर कुँवर सिंह थे। डगलस ने गोलियाँ बरसानी शुरू कर दी। एक गोली उनके बाएँ हाथ की कलाई को भेदती निकल गई। कुंवर सिंह ने बाएँ हाथ को काटकर गंगा मैया को अर्पित कर दिया।

वीर कुंवर सिंह ने अनेक सामाजिक काम भी किए। आरा स्कूल के लिए जमीन दान दी, स्कूल भवन का निर्माण कराया। आर्थिक स्थिति अच्छी न होने पर भी वे गरीबों की सहायता करते थे। उन्होंने आरा-जगदीशपुर सड़क तथा आरा-बलिया सड़क का निर्माण भी कराया। उन्होंने अनेक कुएँ खुदवाए तथा तालाब बनवाए। वे एक संवेदनशील व्यक्ति थे। उनके यहाँ हिंदुओं और मुसलमानों के सभी त्योहार मिलकर मनाए जाते थे। लोकगीतों में उनका गुणगान आज भी किया जाता है।

वीर कुवर सिंह शब्दार्थ

विद्रोह = बगावत (Revolt)। घोषित = घोषणा करना (Declared)। भीषण = भयंकर (Terrible)। निर्मित = बना हुआ (Constructed)। पारिवारिक = परिवार की (Family)। स्वाभिमानी = आत्मसम्मानी (Self respectful)। व्यवस्था = इंतजाम (Arrangement)। गुप्त = छिपा हुआ (Secret)। तत्पर = तैयार (Ready)। विजय = जीत (Victory)। पताका = झंडा (Flag)। रणकौशल = युद्ध कुशलता (Efficiency in war)। चतुर – होशियार (Clever)। जलाशय = तालाब (Pond)। संवेदनशील = संवेदना वाला (Sensitive)। शौर्य = वीरता (Bravery)

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HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 13 एक तिनका

Haryana State Board HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 13 एक तिनका Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 13 एक तिनका

HBSE 7th Class Hindi एक तिनका Textbook Questions and Answers

कविता से

एक तिनका के प्रश्न उत्तर HBSE 7th Class प्रश्न 1.
नीचे दी गई कविता की पंक्तियों को सामान्य वाक्य में बदलिए।
जैसे-एक तिनका आँख में मेरी पड़ा-मेरी आँख में एक तिनका पड़ा।
[ देने लोग कपड़े की लगे-लोग कपड़े की मँठ देने लगे।]
(क) एक दिन जब था मुंडेरे पर खड़ा – ………….
(ख) लाल होकर आँख भी दुखने लगी – ……………
(ग) ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी – ……………
(घ) जब किसी ढब से निकल तिनका गया – ……………
उत्तर :
(क) एक दिन जब था मुंडेरे पर खड़ा – एक दिन मैं मुंडेर पर खड़ा था
(ख) लाल होकर आँख भी दुखने लगी – आँख लाल होकर दुखने लगी
(ग) ऐंठ बेचारी दबे पाँवों भगी – बेचारी ऐंठ दबे पाँव भाग गई
(घ) जब किसी ढब से निकल तिनका गया – जब किसी ढब (उपाय) से तिनका निकल गया

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कविता से आगे

एक तिनका शब्दार्थ HBSE 7th Class प्रश्न 2.
‘एक तिनका’ कविता में किस घटना की चर्चा की गई है, जिससे घमंड नहीं करने का संदेश मिलता है ?
उत्तर :
इस कविता में उस घटना की चर्चा की गई है जब कवि की आँख में एक तिनका गिर गया। उस तिनके के कारण कवि को बहुत बेचैनी का अनुभव हुआ। उसकी आँख लाल हो गई। जब किसी उपाय से तिनका निकला तभी उसे चैन पड़ा। इससे यह संदेश मिलता है कि व्यक्ति को स्वयं पर घमंड नहीं करना चाहिए। एक तुच्छ व्यक्ति या वस्तु भी हमारी परेशानी का कारण बन सकती है।

Ek Tinka HBSE 7th Class प्रश्न 3.
आँख में तिनका पड़ने के बाद घमंडी की क्या दशा हुई ?
उत्तर :
आँख में तिनका पड़ने के बाद घमंडी बेचैन हो गया। उसकी आँख लाल हो गई। उसे तब तक चैन नहीं पड़ा जब तक उसकी आँखों से तिनका निकल नहीं गया।

Ek Tinka Class 7 Summary In Hindi HBSE प्रश्न 4.
घमंडी की आँख से तिनका निकालने के लिए उसके आसपास लोगों ने क्या किया ?
उत्तर :
घमंडी की आँखों से तिनका निकालने के लिए उसके आसपास के लोगों ने कपड़े की मूंठ बनाकर उसकी आँख को सेंक पहुँचाने का उपाय किया जिससे उसके आँख की लाली कम हो सकी और आँख की पीड़ा घटी। इसी उपाय से उसकी आँख में पड़ा तिनका निकल सका।

Ek Tinka Class 7 HBSE प्रश्न 5.
‘एक तिनका’ कविता में घमंडी को उसकी ‘समझ’ ने चेतावनी दी-
ऐंठता तू किसलिए इतना रहा,
एक तिनका है बहुत तेरे लिए।

इसी प्रकार की चेतावनी कबीर ने भी दी है-
तिनका कबहूँ न निदिए, पाँव तले जो होय।
कबहूँ उड़ि आँखिन परै, पीर घनेरी होय।।
इन दोनों में क्या समानता है और क्या अंतर ? लिखिए।
उत्तर :
कबीर ने भी कहा कि हमें कभी भी तिनके (छोटे व्यक्ति) की भी बुराई नहीं करनी चाहिए क्योंकि यदि तिनका हमारी आँख में गिर जाए तो हमें बहुत तकलीफ देता है। छोटे-से-छोटे व्यक्ति या वस्तु का अपना महत्त्व होता है।

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 13 एक तिनका

HBSE 7th Class Hindi एक तिनका Important Questions and Answers

अति लघुत्तरात्मक प्रश्न

एक तिनका’ कविता के प्रश्न उत्तर HBSE 7th Class प्रश्न 1.
इस कविता के रचयिता कौन हैं?
उत्तर :
इस कविता के रचयिता हैं-अयोध्यासिंह उपाध्याय हरिऔधा

Class 7 Chapter 13 Hindi HBSE प्रश्न 2.
कवि छत की मुंडेर पर किस भाव में खड़ा था?
उत्तर :
कवि छत की मुंडेर पर घमंड से भरे हुए भाव में खड़ा था।

Chapter 13 Hindi Class 7 HBSE प्रश्न 3.
कवि की आँख में क्या आ पड़ा?
उत्तर :
कवि की आँख में एक तिनका आ पड़ा।

Ek Tinka Class 7 Pdf HBSE प्रश्न 4.
तिनके से कवि की क्या हालत हो गई?
उत्तर :
तिनके से कवि बेचैन हो गया।

प्रश्न 5.
आस-पास के लोगों ने क्या उपाय किया?
उत्तर :
आस-पास के लोग कपड़े की मूंठ बनाकर आँख को सेंकने लगे।

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 13 एक तिनका

प्रश्न 6.
क्या तिनका आँख से निकल गया?
उत्तर :
हाँ, किसी तरह तिनका आँख से निकल गया।

प्रश्न 7.
तिनका कवि को क्या सिखा गया?
उत्तर :
तिनका कवि को यह सिखा गया कि घमंड करना बेकार है।

लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
“एक तिनका’ कविता का प्रतिपाद्य क्या है?
उत्तर :
‘एक तिनका’ कविता का प्रतिपाद्य यह है कि व्यक्ति को कभी भी स्वयं पर घमंड नहीं करना चाहिए। एक तुच्छ व्यक्ति या वस्तु भी व्यक्ति के घमंड को चूर कर देने में सक्षम है। एक तिनका तक व्यक्ति को परेशानी में डाल सकता है।

एक तिनका काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. मैं घमंडों …………………….. तेरे लिए।

शब्दार्थ : घमंड – अहंकार (Proud)। अचानक = एकदम (Suddenly)। बेचैन = व्याकुल (Restless)। ढब = उपाय (Way)

सप्रसंग व्याख्या:
प्रसंग : प्रस्तुत कविता प्रसिद्ध कवि अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’द्वारा रचित है। इसे हमारी पाठ्यपुस्तक ‘वसंत भाग-2’ में संकलित किया गया है। इस कविता में नीति संबंधी बात बताई गई है।

व्याख्या : कवि बताता है कि एक दिन मैं घमंड की भावना से भरकर अपने आप में ऐंठा हुआ (अकड़ा हुआ) एक मुंडेर पर खड़ा था। तभी अचानक दूर से उड़ता हुआ एक तिनका मेरी आँख में आ गिरा।

इस तिनके ने मुझे बेचैन कर दिया। पहले तो मैं झिझका, फिर परेशान हो गया। तिनके के कारण आँख लाल हो गई और दुखने लगी। मेरे दुख को देखकर लोग कपड़े की मुंठ (गोलाकार रूप) बनाकर मेरी आँख को सेंकने लगे। तब मेरी अकड़ स्वतः ही भाग गई अर्थात् मेरा घमंड चकनाचूर हो गया।

उस समय किसी उपाय से मेरी आँख का तिनका तो निकल गया, पर मुझे अपनी भूल का अहसास हो गया। तब मेरी बुद्धि ने मुझे ताना मारते हुए कहा कि भला तू किसलिए ऐंठता था अर्थात् तेरा घमंड करना बेकार था। तेरे (अर्थात् कवि के) घमंड को चूर करने के लिए तो एक तिनका ही काफी है अर्थात् एक तुच्छ व्यवित या वस्तु भी हमें कष्टकर स्थिति में डाल सकती है। अत: व्यक्ति को स्वयं पर घमंड नहीं करना चाहिए।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. कवि कहाँ, किस मनः स्थिति में खड़ा था?
2 अचानक क्या हुआ?
3. तिनके ने कवि की हालत क्या कर दी?
4. तिनका कैसे निकला?
5. कवि को क्या बात समझ आ गई?
उत्तर:
1. कवि घमंड में भरा हुआ एक दिन छत की मुँडेर पर खड़ा था।
2. अचानक एक तिनका उड़कर कवि की आँख में गिर गया।
3. तिनके ने कवि को बेचैन कर दिया। उसकी आँख दुखने लगी।
4. कुछ लोगों ने कपड़े की मुंठ बनाकर कवि की आँख पर लगाई तब जाकर तिनका निकल पाया।
5. कवि को यह बात समझ आ गई कि आदमी को परेशान करने के लिए एक तिनका ही काफी है। अत: उसे किसी बात का घमंड नहीं करना चाहिए।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. इस कविता के रचयिता कौन हैं?
(क) अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’
(ख) कबीर
(ग) मैथिलीशरण गुप्त
(घ) रहीम
उत्तर :
(क) अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’

2. ‘ढब’ कैसा शब्द है?
(क) तत्सम
(ख) तद्भव
(ग) देशज
(घ) विदेशी
उत्तर :
(ग) देशज

3. इस कविता से क्या शिक्षा मिलती है?
(क) तिनका निकाल दो
(ख) घमंड मत करो
(ग) लोगों की मदद लो
(घ) तिनका बहुत है
उत्तर :
(ख) घमंड मत करो

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एक तिनका Summary in Hindi

एक तिनका कवि-परिचय

प्रश्न : अयोध्यासिंह उपाध्याय ‘हरिऔध’ के जीवन एवं साहित्य का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर :
अयोध्यासिंह उपाध्याय का जन्म 1865 ई. में निजामाबाद जिला आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश) में हुआ था। इनके पिता का नाम श्री भोलासिंह था। आप वहीं तहसीली स्कूल में अध्यापक रहे तथा बाद में बीस वर्षों तक कानूनगो का काम बड़ी सच्चाई और ईमानदारी के साथ किया। 1923 से 1941 ई. तक आप काशी हिंदू विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग के अवैतनिक प्राध्यापक रहे। 1945 ई. में हरिऔध जी स्वर्ग सिधार गए।

रचनाएँ :
हरिऔध जी बहुमुखी प्रतिभा संपन्न व्यक्ति थे। प्रिय प्रवास, वैदेही वनवास, रस कलश, चुभते चौपदे, चोखे चौपदे, परिजात आदि आपके प्रमुख काव्य ग्रंथ हैं। हरिऔध जी के काव्य के विषय हैं-लोकमंगल, समाज चेतना, प्रकृति चित्रण, करुणा एवं मानवीयता। उन्होंने ‘प्रियप्रवास’ तथा ‘वैदेही वनवास’ में श्रीकृष्ण तथा श्रज्ञी राम को एक नए रूप में हमारे सामने प्रस्तुत किया है।

हरिऔध जी शब्द शिल्पी व भाषा के जादूगर हैं। उनका खड़ी बोली तथा ब्रजभाषा दोनों पर पूरा अधिकार था। उन्होंने जहाँ संस्कृत के तत्सम शब्दों का भरपूर प्रयोग किया है वहाँ प्रचलित उर्दू के शब्दों का भी प्रयोग करके भाषा को एक नई शक्ति दी है।

एक तिनका कविता का सार

यह एक लघु कविता है। इसमें व्यक्ति को अहंकारी न बनने की प्रेरणा दी गई है। व्यक्ति को स्वयं को बहुत बड़ा नहीं समझना चाहिए। हर छोटी वस्तु का अपना महत्त्व होता है। एक तुच्छ प्रतीत होने वाला तिनका भी हमें परेशान कर सकता है। वह यदि आँख में पड़ जाए तो हमें बेचैन कर देता है। एक तिनका व्यक्ति को उसकी हैसियत बता देता है। एक बार एक तिनका कवि की आँख में जा पड़ा। वह बेचैन हो उठा, आँख भी लाल होकर दुखने लगी। लोग कपड़े की मूंठ बनाकर आँख को सेंकने लगे। सारी ऐंठ जाती रही। जब तिनका घमंड करना व्यर्थ है।

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HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 12 कंचा

Haryana State Board HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 12 कंचा Textbook Exercise Questions and Answers.

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HBSE 7th Class Hindi कंचा Textbook Questions and Answers

कहानी से

पाठ 12 कंचा के प्रश्न उत्तर HBSE प्रश्न 1.
कंचे जब जार से निकलकर अप्पू के मन की कल्पना में समा जाते हैं, तब क्या होता है ?
उत्तर :
कंचा जब जार से निकलकर अप्पू के दिमाग में घुस आता है तो वह ये खेल दिखाता है उसके देखते-देखते जार बड़ा होने लगा। वह आसमान सा बड़ा हो गया तो वह भी उसके भीतर आ गया। वह कंचे चारों तरफ बिखेरता मजे में खेलता रहा। जब अप्पू के दिमाग में कंचा घुस जाता है तब मास्टर जी के द्वारा बना रेलगाड़ी का बॉयलर भी उसे कांच का जार नजर आता है। उसमें हरी लकीरवाले सफेद गोल कंचे भरे लगने लगे। वह इनसे जार्ज के साथ खेलने की कल्पना से खुश था।

कंचा पाठ के शब्दार्थ HBSE 7th Class प्रश्न 2.
दुकानदार और ड्राइवर के सामने अप्पू की क्या स्थिति है ? वे दोनों उसको देखकर पहले परेशान होते हैं, फिर हँसते हैं। कारण बताइए।
उत्तर :
दुकानदार ड्राइवर तथा माँ अप्पू की अजीब हरकतों एवं मन:स्थिति को देखकर खीझते हैं और परेशान होते हैं। दुकानदार को लगता है कि अप्पू कचों के जार को गिरा कर तोड़ देगा। ड्राइवर उसे बीच सड़क पर कंचे चुगता देखता है। वह हार्न की आवाज भी नहीं सुन रहा था। माँ भी अप्प के बस्ते में कंचे-हो-कचे देखती है। ये तीनों व्यक्ति पहली बार में उसकी दशा देखकर परेशान होते हैं, फिर वस्तुस्थिति समझकर हँसते हैं। बाद में वे उसकी दशा को समझ जाते हैं। तीनों जान जाते हैं कि अप्पू का कंचों के साथ बहुत लगाव है।

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 12 कंचा

कंचा पाठ के प्रश्न उत्तर HBSE 7th Class प्रश्न 3.
“मास्टर जी की आवाज़ अब कम ऊंची थी। वे रेलगाड़ी के बारे में बता रहे थे।” मास्टर जी की आवाज़ धीमी क्यों हो गई होगी ? लिखिए।
उत्तर :
जब मास्टर जी ने कक्षा के बच्चों को रेलगाड़ी का पाठ पढ़ाना शुरू किया था तब उनकी आवाज ऊँची थी। वे रेलगाड़ी के बारे में काफी बातें कह चुके तब उनकी आवाज कुछ धीमी हो गई। अब वे समझाने की मुद्रा में थे अत: उनकी आवाज धीमी हो गई होगी।

कहानी से आगे

1. कंचे, गिल्ली-डंडा, गेंदतड़ी (पिट्ठ) जैसे गली-मोहल्लों के कई खेल ऐसे हैं जो बच्चों में बहुत लोकप्रिय हैं। आपके इलाके में ऐसे कौन-कौन से खेल खेले जाते हैं ? उनकी एक सूची बनाइए।
उत्तर :

  • कंचे खेलना, गुल्ली-डंडा, गेंद खेलना। किसी एक खेल को खेले जाने की विधि का वर्णन भी कीजिए।
  • गुल्ली-डंडा : एक जगह गड्ढा सा बना लिया जाता है। उस पर गुल्ली रख दी जाती है। एक नुकीले डंडे से उसे ऊपर की ओर उछाला जाता है। कोई बच्चा उसे लपकता है और खिलाड़ी को आउट कर देता है।

HBSE 7th Class Hindi कंचा Important Questions and Answers

अति लघुत्तरात्मक प्रश्न

7th Class HBSE Hindi Chapter 12 कंचा प्रश्न 1.
अप्पू को दुकान के जारों में रखे कंचे ही क्यों आकर्षित करते हैं, अन्य चीजें क्यों नहीं?
उत्तर :
अन्य चीजें तो उसके पिताजी ला देते थे, कंचे उसने पहली बार देखे थे।

प्रश्न 2.
कंचों को देखकर सबसे पहले अप्पू क्या सोचता है?
उत्तर :
पहले ये कंचे दुकान में नहीं थे। शायद दुकानदार ने इन्हें तुरंत ही यहाँ रखा है।

प्रश्न 3.
कंचे का सबसे अच्छा खिलाड़ी कौन है?
उत्तर :
लड़कों के बीच जॉर्ज ही कंचों का अच्छा खिलाड़ी है।

प्रश्न 4.
मास्टर जी किसके बारे में समझा रहे थे?
उत्तर :
मास्टर जी रेलगाड़ी के हर एक हिस्से के बारे में समझा रहे थे।

प्रश्न 5.
पानी रखने की खास जगह को अंग्रेजी में क्या कहते हैं?
उत्तर :
बॉयलर।

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 12 कंचा

लघुत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
इस कहानी का शीर्षक ‘कंचा’ क्यों रखा गया है?
उत्तर :
इस कहानी में चर्चा का मुख्य विषय ‘कंचा’ ही है। कहानी का मुख्य पात्र अप्पू का मन कंचों में उलझ जाता है। वह हर समय कंचों के बारे में ही सोचता रहता है। सारी कहानी कंचे के इर्द-गिर्द ही घूमती है। अत: इस कहानी का शीर्षक ‘कंचा’ रखा गया है।

प्रश्न 2.
कंचा खरीदने में अप्यू किसकी मदद लेना चाहता है और क्यों?
उत्तर :
कंचा खरीदने में अप्पू जार्ज की मदद लेना चाहता है। जॉर्ज कंचों के खेल का सबसे अच्छा खिलाड़ी माना जाता है। उसे कोई हरा नहीं पाता। जार्ज हारे हुए खिलाड़ी की बंद मुट्ठी’ के जोड़ों की हड्डी को तोड़ देता है।

प्रश्न 3.
माँ ने अप्पू के बस्ते में क्या पाया?
उत्तर :
माँ को अप्पू के बस्ते में कंचे-ही-कंचे मिले। उसे यह देखकर हैरानी हुई। वह सोचने लगी कि यह इतने कंचे कहाँ से लाया?

प्रश्न 4.
इस कहानी के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है?
उत्तर :
इस कहानी के माध्यम से लेखक बालमन की कामना को दर्शाना चाहता है। बालक के मन में जो बात एक बार बैठ जाए, उसे वह पूरी करके रहता है। बालक का मन भोला होता है।

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प्रश्न 5.
जॉर्ज के कंचा खिलाड़ी के बारे में क्या बताया गया है?
उत्तर :
जॉर्ज कंचे का अच्छा खिलाड़ी है। चाहे कितना भी बड़ा लड़का उसके साथ कंचा खेले, उससे मात खाएगा। हारे हुए खिलाड़ी को अपनी बंद मुट्ठी जमीन पर रखनी पड़ती थी। तब जॉर्ज कंचा चलाकर बंद मुट्ठी के जोड़ों की हड्डी तोड़ता है।

प्रश्न 6.
मास्टर जी पाठ पढ़ाते हुए क्या समझा रहे थे?
उत्तर :
मास्टर जी पाठ में रेलगाड़ी के बारे में समझा रहे थे। वे बता रहे थे कि इसे भाप की गाड़ी भी कहते हैं क्योंकि यह यंत्र भाप की गाडी से चलता है। भाप का मतलब पानी से निकलती भाप से है। यह गाड़ी छुक-छुक करती है।

कंचा गद्यांशों पर अर्थग्रहण सम्बन्धी प्रश्न

1. वह चलते-चलते ……………….. रखा होगा।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. कौन, कहाँ पहुँचा?
2 उसने वहाँ क्या देखा?
3. उसका ध्यान किसने आकृष्ट किया?
4. कंचे कैसे थे?
उत्तर :
1. अप्पू नामक लड़का स्कूल की ओर जाते-जाते रास्ते में एक दुकान के सामने जा पहुंचा।
2. वहाँ उसने देखा कि एक अलमारी में काँच के बड़े-बड़े जार कतार में रखे हैं। उन जारों में चॉकलेट, पिपरमेंट और बिस्कुट थे। उसकी नज़र उन पर नहीं थी।
3. अप्पू का ध्यान एक नए जार ने आकृष्ट किया। उस जार में कंचे भरे थे। वह जार नया-नया ला कर रखा गया था।
4. जार के कंचे हरी लकीरवाले बढ़िया सफेद गोल थे। वे बड़े आँवले जैसे दिखाई देते थे।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. दुकान के सामने कौन पहुँचा?
(क) अप्पू
(ख) रामन
(ग) जॉर्ज
(घ) कोई लड़का
उत्तर :
(क) अप्पू

2. लड़के की नजर किस जार पर थी?
(क) चॉकलेट
(ख) बिस्कुट
(ग) पिपरमेंट
(घ) कंचे
उत्तर :
(घ) कंचे

3. जार में कैसे कंचे हैं?
(क) हरी लकीर वाले
(ख) गोल
(ग) आँवले जैसे
(घ) ये सभी
उत्तर :
(घ) ये सभी

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 12 कंचा

2. अरे हाँ! ………… में भी

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. जॉर्ज कौन है? वह स्कूल क्यों नहीं आया?
2. मास्टर जी कौन सा पाठ पढ़ा रहे थे?
3. मास्टर जी किस मुद्रा में बच्चों को समझा रहे थे?
4. मास्टरजी ने रेलगाड़ी के बारे में क्या बताया?
उत्तर :
1. जाज अप्पू की कक्षा में ही पढ़ता है। वह कंचे का सबसे अच्छा खिलाड़ी है। उसे आज बुखार है इसलिए वह स्कूल नहीं आया।
2. मास्टर जी ‘रेलगाड़ी’ का पाठ पढ़ा रहे थे।
3. मास्टर जी के हाथ में बेंत थी। उस बेंत से वे मेज़ को ठोककर ऊंची आवाज़ में बच्चों को पाठ समझा रहे थे।
4. मास्टर जी ने बच्चों को रेलगाड़ी के बारे में यह बताया कि इसे भाप की गाड़ी भी कहते हैं क्योंकि इसका यंत्र (इंजन) भाप की शक्ति से चलता है। भाप पानी से निकलती है। यह घरों के चूल्हों पर भी निकलती है।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. जॉर्ज को क्या है?
(क) बुखार
(ख) पेटदर्द
(ग) सिरदर्द
(घ) कुछ नहीं
उत्तर :
(क) बुखार

2. पुस्तक में कौन-सा पाठ खुला था?
(क) रेलगाड़ी का
(ख) भाप का
(ग) यंत्रों का
(घ) चूल्हे का
उत्तर :
(क) रेलगाड़ी का

3. मास्टर जी बीच-बीच में क्या कर रहे थे?
(क) बेंत से मेज़ ठोक रहे थे
(ख) ऊँची आवाज़ में बोल रहे थे
(ग) रेलगाड़ी के बारे में बता रहे थे
(घ) ये सभी काम कर रहे थे।
उत्तर :
(घ) ये सभी काम कर रहे थे।

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 12 कंचा

3. रोते-रोते …………….. समाप्त किया।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. कौन रो रहा था और क्यों?
2. बेंच पर खड़े-खड़े किसने, क्या सोचा?
3. कंचे किस प्रकार के थे?
4. मास्टर जी ने बच्चों से क्या पूछा?
उत्तर :
1. अप्पू रो रहा था। उसे मास्टर जी ने सभी के सामने बेंच पर खड़ा कर दिया था। सभी बच्चे उस पर हँस रहे थे।
2. बेंच पर खड़े-खड़े अप्पू ने सोचा कि सब को कंचे – दिखा दूंगा। जॉर्ज के आने पर ही वह कंचे खरीदेगा। इन हँसने वालों में से किसी को कंचे खेलने के लिए नहीं बुलाएगा।
3. कंचे खूबसूरत थे। वे हरी लकीरवाले सफेद गोल कंचे थे। ये आँवले जैसे बड़े थे।
4. मास्टर जी ने बच्चों से कहा कि यदि पाठ के बारे में किसी बच्चे को कोई भी शक हो तो वह पूछ ले। इसके बाद पाठ समाप्त हो गया।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. रामन, मल्लिका किसकी हँसी उड़ा रहे थे?
(क) जॉर्ज की
(ख) अप्पू की
(ग) कंचों को
(घ) सभी की
उत्तर :
(ख) अप्पू की

2. अप्पू जॉर्ज के आने पर क्या खरीदेगा?
(क) कंचे
(ख) किताबें
(ग) पेंसिले
(घ) कुछ नहीं
उत्तर :
(क) कंचे

3. अप्पू किसके बारे में सोच रहा था?
(क) बच्चों के बारे में
(ख) कंचों के बारे में
(ग) मास्टर जी के बारे में
(घ) अपने बारे में
उत्तर :
(ख) कंचों के बारे में

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 12 कंचा

4. दफ्तर में ………………. पैसे-दस पैसे।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. दफ्तर के बाहर भीड़ क्यों थी?
2 क्लर्क बाबू ने क्या कहा?
3. किस-किसने फीस जमा की?
4. अप्पू क्या सोच रहा था?
उत्तर :
1. दफ्तर के बाहर फीस जमा करने वालों की भीड़ जमा थी।
2. क्लर्क बाबू ने यह कहा सभी बच्चे एक-एक करके आएँ।
3. रामन, मल्लिका तथा अन्य बच्चों ने फीस जमा कराई।
4. अप्पु यह सोच रहा था कि मैं जॉर्ज को साथ ले जाकर दुकानदार से कंचे खरीद कर लाऊँगा। पता नहीं यह देगा भी या नहीं।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. दफ्तर में भीड़ किनकी थी?
(क) फीस जमा करने वालों की
(ख) किताबें खरीदने वालों की
(ग) नौकरी पाने वालों की
(घ) बच्चों की
उत्तर :
(क) फीस जमा करने वालों की

2. दूर कौन खड़ा था?
(क) अप्पू
(ख) रामन
(ग) जार्ज
(घ) अन्य
उत्तर :
(क) अप्पू

3. अप्पू अभी भी किसके बारे में सोच रहा था?
(क) फीस के बारे में
(ख) कंचों के बारे में
(ग) लड़कों के बारे में
(घ) किसी के बारे में
नहीं
उत्तर :
(ख) कंचों के बारे में

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5. कागज की ……………. रहे हैं।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. कागज़ की पोटली में क्या था?
2. पोटली को लिए कौन, कहाँ चला जा रहा था?
3. उसका जी क्या चाहता था?
4. पोटली खुलने पर क्या हुआ?
उत्तर :
1. कागज की पोटली (पुड़िया) में कंचे थे। ये व कंचे थे जो अप्पू ने दुकानदार से खरीदे थे।
2. कंचों की पोटली लिए हुए अप्पू नीम के पेड़ों की छाँव के नीचे चला जा रहा था।
3. अप्पू का जी हो रहा था कि उसे कंचों का पूरा जार मिल जाता तो कितना अच्छा होता। वह जार को छूना चाहता था।
4. कागज़ की पोटली खुलने पर सारे कंचे बिखर गए और सड़क के बीचोंबीच फैल गए।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. अब कंचे कहाँ थे?
(क) कागज़ की पोटली में
(ख) जेब में
(ग) जार में
(घ) मुँह में
उत्तर :
(क) कागज़ की पोटली में

2. अप्पू का जी क्या चाहता था?
(क) पूरा जार उसे मिल जाता
(ख) उसे सारे कंचे मिल जाते
(ग) कंचों को छूना चाहता था
(घ) ये सभी काम
उत्तर :
(क) पूरा जार उसे मिल जाता

3. अप्पू को क्या शक हुआ?
(क) क्या मेरे पास पूरे कंचे हैं?
(ख) क्या सभी कंचों में लकीर होगी?
(ग) क्या जॉर्ज मुझे कंचे देगा?
(घ) क्या कोई मेरे कंचे छीन लेगा?
उत्तर :
(ख) क्या सभी कंचों में लकीर होगी?

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कंचा Summary in Hindi

कंचा कहानी का सार

अप्पू नीम के पेड़ों की छाया के नीचे से होते हुए सियार की कहानी का मजा लेता आ रहा था। उसका बस्ता झूल रहा था। कहानी में सियार कौए से बोलता है-‘कौए. तुम्हारा गाना सुनने के लिए तरस रहा हूँ, गाओ।’ कौआ मुँह खोलता है और उसके मुँह में दबा रोटी का टुकड़ा नीचे गिर जाता है। सियार उसे उठाकर ‘भाग जाता है। कौआ बड़ा बुद्ध निकला।

अप्पू चलते-चलते एक दुकान के सामने जा पहुँचा। वहाँ एक जार में हरी लकीर वाले सफेद कंचे भरे हुए थे। लड़के को वे कंचे बड़े खूबसूरत लगे। उसके दिल-दिमाग पर वे कंचे छाने लगे। दुकानदार ने उससे पूछा कि क्या कंचा चाहिए ? तो लड़का ‘न’ में सिर हिला देता है। वह चाहता तो कंचा ले सकता था। स्कूल की घंटी सुनकर वह बस्ता थामे हुए दौड़ पड़ा। वह चुपचाप पीछे की बेंच पर बैठ गया। रामन अगली बेंच पर, तीसरी बेंच पर मल्लिका और अम्मु हैं। लड़कों में जार्ज कंचे का सबसे अच्छा खिलाड़ी है। जार्ज को बुखार है अत: वह आज नहीं आया। मास्टर जी के आने पर उसने पुस्तक खोलकर सामने रख ली। पृष्ठ 37 पर रेलगाड़ी का पाठ था।

मास्टर जी बेंत से मेज को ठोकते हुए रेलगाड़ी के बारे में बता रहे थे कि यह भाप की शक्ति से चलती है। अप्पू ने सोचा कि रेलगाड़ी तो उसने भी देखी है। अप्पू की अभी भी काँच के कंचे याद आ रहे थे। वह उन्हीं के बारे में सोच रहा था। मास्टर जी ने उसे टोका भी और पूछा कि मैं अभी किसके बारे में बता रहा था। अप्पू ने कहा-‘कंचा’। मास्टर जी ने उसे बेंच पर खड़ा कर दिया। सब उसकी हँसी उड़ा रहे थे। अप्पू के दिल-दिमाग में अभी भी कंचे थे। हरी लकीर वाले गोल, आँवले जैसे कंचे। मास्टर जी ने पाठ समाप्त किया। कई छात्रों ने अपनी शंका का समाधान कर लिया। अप्पू सोच रहा था कि कंचों में कितने पैसे लगेंगे।

फिर मास्टर जी ने कहा कि जो फीस लाए हैं वे ऑफिस में जाकर जमा करा दें। बहुत से छात्र फीस जमा कराने गए। अप्पू के पिता ने उसे डेढ़ रुपया फीस जमा कराने के लिए दिया था। वह बेंच से उतरा, पर मास्टर जी ने उसको रोक दिया। वह बेंच पर चढ़कर रोने लगा। फिर वह दफ्तर गया। वहाँ भीड़ थी। अप्पू दूर खड़ा रहा। वह अभी भी जार्ज के साथ जाकर कंचे लेने की बात सोच रहा था। वह पैसों का हिसाब लगा रहा था। उसने फीस जमा नहीं की। वह बस्ता कंधे पर लटकाए चलने लगा।

कंचों की दुकान नजदीक आ रही थी। दुकानदार भी उसके इंतजार में था। दुकानदार जार का ढक्कन खोलने लगा तो अप्पू ने पूछा-कंचे अच्छे तो हैं ? दुकानदार ने कहा-बढ़िया, फर्स्टक्लास कंचे हैं। तुम्हें कितने कंचे चाहिए ? अप्पू ने एक रुपया पचास पैसे दिखाए। दुकानदार इतने पैसे देखकर चौंका। पहले कभी किसी लड़के ने इतनी बड़ी रकम से कंचे नहीं खरीदे थे। अप्पू कागज की पोटली छाती से चिपकाए नीम के पेड़ों की छाँव में चलने लगा। कंचे उसकी हथेली में थे। उसने पोटली को हिलाकर देखा। उसने पोटली खोलकर देखना चाहा तो सारे कंचे बिखर गए। वह उन्हें चुनने लगा। वह कंचे बस्ते में डालने लगा। एक कार सड़क पर ब्रेक लगा रही थी, पर अप्पू कंचे चुनने में व्यस्त था। अप्पू ने ड्राइवर को कंचा दिखाया, वह बहुत खुश हुआ।

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 12 कंचा

अप्पू घर लौट आया। माँ शाम की चाय तैयार करके उसकी राह देख रही थी। अप्पू माँ के गले लग गया। माँ ने देखा कि बस्ते में कंचे ही कंचे थे। माँ समझ गई कि फीस के पैसों से अप्पू ने कंचे खरीद लिए हैं। माँ की पलकें भीग गईं। अप्पू ने पूछा-क्या कंचे अच्छे नहीं हैं ? माँ ने उसका मन रखने के लिए कहा-बहुत अच्छे लगते हैं। दोनों हँस पड़े। अब अप्पू के दिल से खुशी छलक रही थी।

कंचा शब्दार्थ

केंद्रित = एक स्थान पर ध्यान (Centred)। नौ-दो ग्यारह होना = भाग जाना (Run away)। आकृष्ट आकर्षित (Attract)! निषेध = नकारना, मना करना (Forebidden)। स्पर्श = छूना (To touchy। यंत्र = मशीन (Machine)। भूचाल भूकंप (Earthquake)। सुबकता = रोता (Weeping)। शंका = शक (Doubt) चिकोटी = चुटकी (Pinching)।धीरज-धैर्य(Patience)। सटाए = चिपकाए (To stick)। अहसास = अनुभव (Feeling)। समाप्त – खत्म (Finished)। इंतजार = बाट देखना (Wait)।

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HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 11 रहीम की दोहे

Haryana State Board HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 11 रहीम की दोहे Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 11 रहीम की दोहे

HBSE 7th Class Hindi रहीम की दोहे Textbook Questions and Answers

दोहे से

रहीम के दोहे Class 7 व्याख्या HBSE प्रश्न 1.
पाठ में दिए गए दोहों की कोई पंक्ति कथन है और कोई कथन को प्रमाणित करनेवाला उदाहरण। इन दोनों प्रकार की पंक्तियों को पहचान कर अलग-अलग लिखिए।
उत्तर :
वास्तविकता का वर्णन करने वाले दोहे कहि रहीम संपति सर्ग, बनत बहुत बहु रीति। विपति कसौटी जे कसे, तेई साँचे मीत।। अन्य सभी दोहे उदाहरण के माध्यम से संदेश देते हैं खैर खून खाँसी खुसी, और प्रीति मदपान। रहिमन दा न दवें, जानत सकल जहाना। जाल परे जल जात बहि, तजि मीनन को मोह। रहिमन मछरी नीर को, तऊ न छाँड़ति छोह।। तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियत न पान। कहि रहीम परकाज हित, संपति-संचहि सुजान।। थोथे बादर पवार के, ज्यों रहीम पहरात। धनी पुरुष निर्धन भए, करें पाछिली बात।। धरती की-सी रीत है, सीत घाम औं मेह जैसी परे सो सहि रहे. त्यों रहीम यह देह।

पाठ 11 रहीम के दोहे HBSE 7th Class प्रश्न 2.
रहीम ने क्वार के मास में गरजनेवाले बादलों की तुलना ऐसे निर्धन व्यक्तियों से क्यों की है जो पहले कभी धनी थे और बीती बातों को बताकर दूसरों को प्रभावित करना चाहते हैं? दोहे के आधार पर आप सावन के बरसने और गरजनेवाले बदलों के विषय में क्या कहना चाहेंगे?
उत्तर :
रहीम ने आश्विन (क्वार) के महीने में आकाश में छाने वाले बादलों की तुलना निर्धन हो गए व्यक्तियों से इसलिए की है क्योंकि दोनों बड़बड़ा कर रह जाते हैं, कुछ कर नहीं पाते। बादल बरस नहीं पाते, निर्धन व्यक्ति का धन लौटकर नहीं आता।

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 11 रहीम की दोहे

दोहों से आगे

Chapter 11 Rahim Ke Dohe HBSE 7th Class प्रश्न 1.
नीचे दिए गए दोहों में बताई गई सच्चाइयों को यदि हम अपने जीवन में उतार लें तो उनके क्या लाभ होंगे? सोचिए और लिखिए :
(क) तरुवर फल ………………. सहि सुजान।।
(ख) धरती की-सी ………” यह देह।।
उत्तर :
(क) हम परोपकारी बन जाएँगी, लालच त्याग देंगे।
(ख) यदि हम इस दोहे के वर्णित यथार्थ को जीवन में स्वीकार कर लें तो हम कभी दुःखी नहीं रहेंगे। हम हर स्थिति में संतुष्ट रहेंगे।

HBSE 7th Class Hindi रहीम की दोहे Important Questions and Answers

अति लघुत्तरात्मक प्रश्न

रहीम के दोहे Class 7 HBSE  प्रश्न 1.
सच्चा मित्र कब साथ नहीं छोड़ता?
उत्तर :
सच्चा मित्र विपत्ति काल में साथ नहीं छोड़ता।

Class 7 Hindi Chapter 11 Hindi प्रश्न 2.
परोपकार की शिक्षा किन-किनके उदाहरण से मिलती है?
उत्तर :
तरुवर (पेड़) और सरवर (तालाब) के उदाहरण से।

रहीम के दोहे HBSE 7th Class प्रश्न 3.
किस मास के गरजने वाले बादल व्यर्थ हैं?
उत्तर :
क्वार मास के गरजने वाले बादल व्यर्थ हैं।

रहीम की दोहे प्रश्न उत्तर HBSE 7th Class प्रश्न 4.
धरती हमें क्या शिक्षा देती है?
उत्तर :
धरती हमें सहनशीलता की शिक्षा देती है।

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 11 रहीम की दोहे

लघुत्तरात्मक प्रश्न

रहीम के दोहे Class 7 HBSE प्रश्न 1.
रहीम ने सच्चे मित्र की क्या पहचान बताई है?
उत्तर :
रहीम ने सच्चे मित्र की यह पहचान बताई है कि वह विपत्ति की घड़ी में हमारे साथ खड़ा रहता है। जो मित्र विपत्ति की कसौटी पर खरा उतरता है, वही सच्चा मित्र है।

प्रश्न 2.
रहीम के दोहों से अनुप्रास अलंकार के उदाहरण छाँट कर लिखिए।
उत्तर :
अनुप्रास अलंकार के उदाहरण :

  1. बनत बहुत बहु रोति। (‘व’ वर्ण की आवृत्ति)
  2. खैर खून खाँसी खुसी (‘ख’ वर्ण की आवृत्ति)
  3. जाल पर जल जात (‘ज’ वर्ण की आवृत्ति)
  4. छाँडति छोह (‘छ’ वर्ण की आवृत्ति)
  5. संपत्ति संचहि सुजान (‘स’ वर्ण की आवृत्ति)।

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रहीम की दोहे दोहों की सप्रसंग व्याख्या

1. कहि रहीम ……….. साँचे मीत॥

शब्दार्थ : संपत्ति सगे = धन होने पर अपने (Wealth)। बहुत रीत = तरह-तरह से (Different type)। विपत्ति = मुसीबत (Trouble)। कसौटी = जाँच (Test)। कसे = जो कसा जाए,खरा उतरे (Tested)।

सप्रसंग व्याख्या:
प्रसंग : प्रस्तुत दोहा रहीमदास द्वारा रचित है।

व्याख्या : रहीम कहते हैं कि जब धन मनुष्य के पास रहता है तब अनेक प्रकार के लोग सगे-संबंधी और रिश्तेदार बनने लगते हैं पर ऐसे लोगों को सच्चा मित्र नहीं कहा जा सकता। सच्चा मित्र तो वही होता है, जो मुसीबत रूपी कसौटी पर खरा उतरता है। जैसे खरा सोना कसौटी के पत्थर पर खरा उतरता है, उसी प्रकार सच्चा मित्र हर विपत्ति की घड़ी में साथ निभाता है।

विशेष : ‘विपत्ति-कसौटी’ में रूपक अलंकार है। ‘बनत बहुत बहु’ में अनुप्रास अलंकार है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. लोग कब सगे बनने का प्रयास करते हैं?
2. सच्चा मित्र कौन होता है?
उत्तर:
1. जब किसी के पास धन-सम्पत्ति होती है तब लोग उसके सगे बनने का प्रयास करते हैं।
2. सच्चा मित्र वह होता है जो विपत्ति की कसौटी पर खरा उतरता है अर्थात् मुसीबत के समय काम आता है।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. ‘संपत्ति सगे’ में किस अलंकार का प्रयोग है?
(क) अनुप्रास
(ख) पुनरुक्ति
(ग) यमक
(घ) श्लेष
उत्तर :
(क) अनुप्रास

2. साँचा मीत किसे कहा गया है?
(क) विपति की कसौटी पर खरा उतरने वाला
(ख) सच बोलने वाला
(ग) संपत्ति हड़पने वाला
(घ) मिलने वाला
उत्तर :
(क) विपति की कसौटी पर खरा उतरने वाला

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 11 रहीम की दोहे

2. खैर खून ………………… सकल जहान॥

शब्दार्थ : खैर – कत्था (Catechu)। बैर – शत्रुता (Enmity)। प्रीति = प्रेम (Love)। मदपान = शराब पीना (Drinking alcohol)। दाबै ” दबाने से (To press)। सकल = सारा (Whole)। जहान = संसार (I World)!

सप्रसंग व्याख्या:
प्रसंग : प्रस्तुत दोहा रहीमदास द्वारा रचित है। इसमें नीति संबंधी बात बताई गई है।

व्याख्या : रहीमदास बताते हैं कि कत्था, खून, खाँसी, खुशी, शत्रुता और प्रेम तथा शराब पीना दबाने या छिपाने से दबते-छिपते नहीं हैं। इनको सारा संसार जान ही जाता है। पान में कत्थे का रंग लाली लाता ही है. खून दिख जाता है, खाँसी रोकी या छिपाई नहीं जा सकती, बैर-प्रीति भी प्रकट होकर रहती है. शराबी की चाल भी उसका पता बता देती है। इनको दबाया नहीं जा सकता।

विशेष : ‘ख’ वर्ण की आवृत्ति के कारण अनुप्रास अलंकार का प्रयोग हुआ है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. किस-किसको दबाया नहीं जा सकता?
2 ‘जानत सकल जहान’ का क्या अर्थ है?
उत्तर:
1. कत्था, खून, खाँसी, खुशी, बैर-प्रीति और मदिरा सेवन को दबाया नहीं जा सकता।
2. इसका अर्थ है– इस बात को सारा संसार जानता है।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. ‘खैर खून खाँसी खुसी’ में किस अलंकार का प्रयोग है?
(क) पुनरुक्ति
(ख) अनुप्रास
(ग) यमक
(घ) श्लेष
(ख) अनुप्रास

2. ‘जहान’ शब्द किस भाषा का है?
(क) हिंदी का
(ख) उर्दू का
(ग) पंजाबी का
(घ) अंग्रेजी का
उत्तर :
(ख) उर्दू का

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 11 रहीम की दोहे

3. जाल परे ………………… छाँड़ति छोह॥

शब्दार्थ : तजि – त्यागना (To leave)। मीन – मछली (Fish)। नीर – पानी (Water)। छाँड़ति – छोड़ती (To leave)।

सप्रसंग व्याख्या:
प्रसंग : प्रस्तुत दोहा रहीमदास द्वारा रचित है।

व्याख्या : जब नदी या तालाब के पानी में जाल पड़ता है तब पानी तो मछलियों का मोह त्याग कर बह जाता है लेकिन मछली तब भी पानी का मोह नहीं त्यागती। वह या तो पानी में ही रहती है या पानी के बिना अपने प्राण त्याग देती है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. ‘जल को मछलियों से कोई मोह नहीं होता’-कैसे?
2. मछलियाँ किसके प्रति अपना लगाव नहीं छोड़ पाती?
उत्तर:
1. जल को मछलियों से कोई मोह (लगाव) नहीं होता, इसका प्रमाण है, जाल में मछलियों के फंसते ही जल उन्हें छोड़कर आगे बह जाता है।
2. मछलियाँ जल के प्रति अपना मोह नहीं छोड़ पाती। वे जल के लिए तड़पती रहती हैं और जल से बाहर होते ही अपने प्राण त्याग देती हैं।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. ‘छाँडति छोह’ में किस अलंकार का प्रयोग है?
(क) अनुप्रास
(ख) यमक
(ग) श्लेष
(घ) पुनरुक्ति
उत्तर :
(क) अनुप्रास

2. इस दोहे के रचयिता हैं
(क) रहीम
(ख) कबीर
(ग) तुलसी
(घ) सूर
उत्तर :
(क) रहीम

4. तरूवर फल ………… संचहि सुजान।

शब्दार्थ: तरुवर = वृक्ष (Tree)। सरवर – नदी (River)। पान = पानी (IWater)। परकाज = दूसरों का काम, परोपकार (For others)। संचहि . जोड़ता है (Collects)। सुजान – चतुर, बुद्धिमान (Intelligent)

सप्रसंग व्याख्या:
प्रसंग : प्रस्तुत दोहा रहीमदास द्वारा रचित है और हमारी पाठ्यपुस्तक ‘वसंत भाग-2’ में संकलित है।

व्याख्या : रहीमदास परोपकार का महत्त्व बताते हुए कहते हैं कि वृक्ष कभी अपने फल नहीं खाते और नदियाँ कभी अपना पानी स्वयं नहीं पीतीं। वे इन्हें दूसरों को ही देती हैं। इसी प्रकार बुद्धिमान लोग दूसरों की भलाई के लिए ही धन-संपत्ति का संग्रह करते हैं।

विशेष : ‘संपति-संचहि सुजान’ में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न
1. तरुवर क्या नहीं करते?
2. तालाब क्या करता है?
3. बुद्धिमान लोग किसके लिए सम्पत्ति जोड़ते हैं?
उत्तर:
1. तरुवर अर्थात् पेड़ अपने फल नहीं खाते।
2 तालाब अपना पानी कभी नहीं पीते।
3. बुद्धिमान दूसरों की भलाई करने के लिए सम्पत्ति जोड़ते

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. इस दोहे से हमें किसकी शिक्षा मिलती है?
(क) परोपकार की
(ख) धन जोड़ने की
(ग) फल खाने की
(घ) पानी पीने की
उत्तर :
(क) परोपकार की

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 11 रहीम की दोहे

5. थोथे बादर …………. पाछिली बात।

शब्दार्थ : थोथे = खाली (Empty)। घहरात = घहराते हैं (To make noise)। पाछिली – पिछली (Previous)।

सप्रसंग व्याख्या:
प्रसंग : प्रस्तुत दोहा रहीमदास द्वारा रचित है।
व्याख्या : रहीमदास बताते हैं कि जिस प्रकार क्वार के महीने में खाली बादल केवल घहरा कर रह जाते हैं, बरस नहीं पाते, उसी प्रकार धनी व्यक्ति यदि गरीब हो जाए तो पिछली बातों याद को करके ही रह जाता है। वह कुछ कर नहीं पाता।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. कवि ने क्वार मास के बादलों को कैसा बताया है?
2. यदि धनी पुरुष निर्धन हो जाए तो वह क्या करता है?
उत्तर:
1. कवि ने क्वार मास के बादलों को थोथा अर्थात् बेकार गरजने वाला बताया है।
2 यदि कोई धनी पुरुष निर्धन हो जाए तो वह पिछली बातों का जिक्र करता रहता है, जो व्यर्थ है।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. ‘थोथे बादर’ में रेखांकित शब्द क्या है?
(क) संज्ञा
(ख) सर्वनाम
(ग) विशेषण
(घ) क्रिया
उत्तर :
(ग) विशेषण

2. ‘पाछिली’ शब्द कैसा है?
(क) तत्सम
(ख) तद्भव
(ग) देशज
(घ) विदेशी
उत्तर :
(ग) देशज

6. धरती की ……………. यह देह॥

शब्दार्थ : रीत = नियम (Rule)। सीत – सर्दी (Winter)। घाम = धूप, गर्मी (Summer)। मेह – वर्षा (Rain)। देह = शरीर (Body)।

सप्रसंग व्याख्या:
प्रसंग : यह दोहा रहीमदास द्वारा रचित है। दो चीजों की समानता बताते हुए रहीम कहते हैं

व्याख्या : जिस प्रकार यह धरती सर्दी, गर्मी और वर्षा सभी ऋतुओं को सह लेती है उसी प्रकार हमारा शरीर भी सभी प्रकार के कष्टों को सहन कर लेता है। जिस पर जैसी विपत्ति पड़ती है, उसे सह लेता है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. धरती क्या-क्या सह लेती है?
2. हमारा शरीर भी कैसा है?
उत्तर:
1. धरती शीत (सर्दी), घाम (धूप) और मेह (वर्षा) आदि ऋतुओं के प्रभाव को सह लेती है।
2. हमारा शरीर भी सभी प्रकार की स्थितियों को सहने वाला है।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. ‘घाम’ शब्द कैसा है?
(क) तत्सम
(ख) तद्भव
(ग) देशज
(घ) विदेशी
उत्तर :
(क) तत्सम

2. इए दोहे के रचयिता हैं
(क) रहीम
(ख) कबीर
(ग) तुलसी
(घ) सूरदास
उत्तर :
(ग) तुलसी

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 11 रहीम की दोहे

अपूर्व अनुभव Summary in Hindi

रहीम की दोहे कवि-परिचय

जीवन-परिचय :
रहीम का पूरा नाम अब्दुर्रहीम खानखाना था। रहीम अपने समय के वीर योद्धा, कुशल राजनीतिज्ञ और सहृदय कवि थे। इनका जन्म सन् 1556 ई. में लाहौर (पश्चिम पंजाब, पाकिस्तान) में हुआ था। ये अकबर के संरक्षण बैरमखाँ के पुत्र थे। रहीम अकबर के दरबार के नवरत्नों में से एक थे। ये अकबर के प्रधान सेनापति और मंत्री भी थे। ये वीर योद्धा थे और बड़े कौशल से सेना का संचालन करते थे। इनकी दानशीलता भी काफी प्रसिद्ध थी। कहते हैं अंत समय तक इनके यहाँ से किसी याचक को निराश नहीं लौटना पड़ा। सन् 1627 में इनकी मृत्यु हो गई। इनका मकबरा दिल्ली में बना हुआ है।

अध्ययन और ज्ञानार्जन में रुचि होने पर भी इन्हें युद्ध-क्षेत्र में ही अपने जीवन का अधिकतर समय व्यतीत करना पड़ा। इन्होंने अपने जीवन में अनेक उतार-चढाव देखे। अपनी बहादुरी और पराक्रम के लिए सूबेदारी और जागीरें भी मिलीं, सम्राट जहाँगीर के कोप के कारण दारिद्र्य भी भोगना पड़ा। अरबी, तुर्की, फारसी तथा संस्कृत के ये पंडित थे। हिंदी काव्य के ये मर्मज्ञ थे और हिंदी कवियों का बड़ा सम्मान करते थे।

रचनाएँ :
रहीम ने अनेक काव्य-ग्रंथों का प्रणयन किया है जिनमें से ‘रहीम सतसई’, ‘शृंगार सतसई’, ‘मदनाष्टक’, ‘रहीम रत्नावली’, ‘रासपंचाध्यायी’ तथा ‘बरवै नायिका भेद वर्णन’ प्रमुख हैं। इनकी रचनाओं का पूर्ण संग्रह ‘रहीम रत्नावली’ के नाम से प्रकाशित हुआ है। इन्होंने फारसी भाषा में भी ग्रंथों की रचना की है।

विशेषताएँ :
रहीम बड़े लोकप्रिय कवि थे। इनके नीति के दोहे तो सर्वसाधारण की जिह्वा पर रहते हैं। इनके दोहों में कोरी नीति की नीरसता नहीं है। उनमें मार्मिकता तथा कवि हृदय की सच्ची संवेदना भी मिलती है। दैनिक जीवन की अनुभूतियों पर आधारित दृष्टांतों के माध्यम से इनका कथन सीधे हृदय पर चोट करता है। इनकी रचना में नीति के अतिरिक्त भक्ति तथा शृंगार की भी सुंदर व्यंजना हुई है।

अगर रहीम जन-साधारण में अपने दोहों के लिए प्रसिद्ध थे, तो उन्होंने कवित्त, सवैया, सोरठा तथा बरवै छंदों में भी सफल काव्य रचना की है। रहीम का ब्रज और अवधी भाषाओं पर समान अधिकार था। इनकी भाषा सरल, स्पष्ट तथा प्रवाहपूर्ण है। इनकी रचना में भारतीय जीवन के सजीव चित्र अंकित हैं। रहीम ने खड़ी बोली में भी कुछ पद्य लिखे हैं।

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HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 9 चिड़िया की बच्ची

Haryana State Board HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 9 चिड़िया की बच्ची Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 9 चिड़िया की बच्ची

HBSE 7th Class Hindi चिड़िया की बच्ची Textbook Questions and Answers

कहानी से

चिड़िया की बच्ची प्रश्न उत्तर HBSE 7th Class प्रश्न 1.
किन बातों से ज्ञात होता है कि माधवदास का जीवन संपन्नता से भरा था और किन बातों से ज्ञात होता है कि वह सुखी नहीं था?
उत्तर :
निम्नलिखित बातों से ज्ञात होता है कि माधवदास का जीवन संपन्नता से भरा था –

  • माधवदास ने संगमरमर की नई कोठी बनवाई है।
  • उसके पास धन की कोई कमी नहीं है।
  • वह चिड़िया से कहता है
  • मेरे पास बहुत-सा सोना-मोती है। सोने के एक बहुत सुंदर घर मैं तुम्हें बना दूंगा, मोतियों की झालर उसमें लटकेगी।
  • मेरी कोठियों पर कोठियाँ हैं, बगीचों पर बगीचे हैं।

निम्नलिखित बातों से प्रतीत होता है कि वह सुखी नहीं था :

  • खयाल-ही-खयाल में संध्या को स्वप्न की भांति गुजार देते हैं।
  • जी भरकर भी कुछ खाली सा रहता है।
  • मेरा महल भी सूना है। वहाँ कोई भी चहकता नहीं।
  • मेरा दिल वीरान है। वहाँ कब हँसी सुनने को मिलती है?

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 9 चिड़िया की बच्ची

चिड़िया की बच्ची Class 7 HBSE प्रश्न 2.
माधवदास क्यों बार-बार चिड़िया से कहता है कि यह बगीचा तुम्हारा ही है? क्या माधवदास नि:स्वार्थ मन से ऐसा कह रहा था? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
माधवदास चिड़िया से यार-बार ऐसा इसलिए कहता है क्योंकि उसे चिड़िया बहुत सुंदर और प्यारी लगी। उसे देखकर उसका मन प्रफुल्लित हो गया। वह उसे देखते रहना चाहता था। इससे उसके मन का एकाकीपन दूर होता था। माधवदास का ऐसा कहना पूरी तरह से नि:स्वार्थ मन से नहीं था। चिड़िया को देखने से उसके मन को संतुष्टि कर अनुभव हो रहा था। वह अपने मन के सुख के लिए चिड़िया को अपने बगीचे में रखना चाहता था।

Chidiya Ki Bacchi Summary In Hindi HBSE 7th Class प्रश्न 3.
माधवदास के बार-बार समझाने पर भी चिड़िया सोने के पिंजरे और सुख-सुविधाओं को कोई महत्त्व नहीं दे रही थी। दूसरी तरफ माधवदास की नज़र में चिड़िया की जिद का कोई तुक न था। माधवदास और चिड़िया के मनोभावों के अंतर क्या-क्या थे? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर :
चिड़िया और माधवदास के मनोभावों में भारी अंतर था। माधवदास अभी भी अपनी धन-दौलत को सभी कुछ समझ रहा था। उसका विचार था कि सोने, चाँदी, महल आदि से सभी को वश में किया जा सकता है।

जबकि चिड़िया प्रकृति-प्रेमी है। उसे अपनी स्वच्छंदता प्यारी है। वह धन-दौलत को कुछ नहीं समझती। उसे अपनी माँ की गोद सबसे मूल्यवान और प्यारी प्रतीत होती है। यही कारण है कि चिड़िया माधवदास के बार-बार समझाने पर भी सोने के पिंजरे और सुख-सुविधाओं के लालच में नहीं आती।

चिड़िया की बच्ची शब्दार्थ HBSE 7th Class प्रश्न 4.
कहानी के अंत में नही चिड़िया का सेठ के नौकर के पंजे से भाग निकलने की बात पड़कर तुम्हें कैसा लगा? चालीस-पचास या इससे कुछ अधिक शब्दों में अपनी प्रतिक्रिया लिखिए।
उत्तर :
कहानी के अंत में चिड़िया सेठ के नौकर के पंजे के चंगुल से भाग निकलती है और उड़कर सीधी माँ की गोद में जाकर सुबकने लगती है। इस बात को पढ़कर हमें बहुत अच्छा लगा। हाँ, यदि सेठ का नौकर उसे पकड़कर पिंजरे में डाल देता तो हमें बहुत बुरा लगता। उसके भाग निकलने से उसकी स्वच्छंदता कायम रहती है। पक्षी को बंधन में रहना कतई पसंद नहीं होता। वह किसी भी लोभ में नहीं फँसता। उसे तो प्रकृति में स्वच्छंद उड़ान भरना प्रिय लगता है। वह घोंसले में रहकर और माँ का सान्निध्य पाकर खुश रहता है।

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 9 चिड़िया की बच्ची

चिड़िया की बच्ची HBSE 7th Class प्रश्न 5.
‘माँ मेरी बाट देखती होगी’-नन्ही चिड़िया बार-बार इसी बात को कहती है। आप अपने अनुभव के आधार पर बताइए कि हमारी जिंदगी में माँ का क्या महत्त्व है?
उत्तर :
हमारी जिंदगी में भी माँ का बहुत महत्त्व है। जिस प्रकार चिड़िया बार-बार माँ के पास जाने की रट लगाए रहती है, उसी प्रकार हम भी अपनी माँ के पास जाने की चाह रखते हैं। माँ हमें जन्म देती है, हमारा पालन-पोषण करती है, हमें सभी सुख-सुविधाएं उपलब्ध कराती है तथा दु:ख की घड़ी में हमें ढाढस बंधाती है। हम माँ के ऋण से उऋण नहीं हो सकते। माँ हमारे सुख की सच्ची साथी होती है।

चिड़िया की बच्ची प्रश्न उत्तर Class 7 HBSE प्रश्न 6.
इस कहानी का कोई और शीर्षक देना हो तो आप क्या देना चाहेंगे और क्यों?
उत्तर :
हम कहानी का शीर्षक ‘सुखी कौन? देना चाहेंगे। इसका कारण यह है कि सुखी धन-दौलत में नहीं मिलता। सुखी वह है जो प्रकृति की गोद में रहकर स्वच्छंद जीवन बिताता है। सेठ सुख नहीं है जबकि चिड़िया सुखी है।

कहानी से आगे

1. इस कहानी में आपने देखा कि वह चिड़िया अपने घर से दूर आकर भी फिर अपने घोंसले तक वापस पहुँच जाती है। मधुमक्खियों, चींटियों, ग्रह-नक्षत्रों तथा प्रकृति की अन्य विभिन्न चीजों में हमें एक अनुशासनबद्धता देखने को मिलती है। इस तरह के स्वाभाविक अनुशासन का रूप आपको कहाँ-कहाँ देखने को मिलता है? उदाहरण देकर बताइए।
उत्तर :
इस प्रकार का स्वाभाविक अनुशासन का रूप हमें प्रकृति के विभिन्न रूपों में मिलता है
‘सूर्य’ अपने नियत समय पर निकलता है और छिपता है। वह एक दिन के लिए भी छुट्टी नहीं करता। ‘चंद्रमा की भी यही स्थिति है।
‘ऋतु-चक्र’ भी अनुशासन का पालन करता है।

2. सोचकर लिखिए कि यदि सारी सुविधाएँ देकर एक कमरे में आपको सारे दिन बंद रहने को कहा जाए तो क्या आप स्वीकार करेंगे? आपको अधिक प्रिय क्या होगा-“स्वाधीनता’ या ‘प्रलोभनोंवाली पराधीनता’? ऐसा क्यों कहा जाता है कि पराधीन व्यक्ति को सपने में भी सुख नहीं मिल पाता। नीचे दिए गए कारणों को पढ़ें और विचार करें
उत्तर :
(क) क्योंकि किसी को पराधीन बनाने की इच्छा रखनेवाला व्यक्ति स्वयं दुखी होता है, वह किसी को सुखी नहीं कर सकता।
(ख) क्योंकि पराधीन व्यक्ति सुख के सपने देखना ही नहीं चाहता।
(ग) क्योंकि पराधीन व्यक्ति को सुख के सपने देखने का भी अवसर नहीं मिलता।
हमें अपनी स्वाधीनता पसंद है। हम किसी भी कीमत पर पराधीनता को स्वीकार नहीं करेंगे। यह बिल्कल सही है कि पराधीन व्यक्ति को सपने में भी सुख नहीं मिल पाता।

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HBSE 7th Class Hindi चिड़िया की बच्ची Important Questions and Answers

अति लघुत्तरात्मक प्रश्न

चिड़िया की बच्ची Class 9 HBSE 7th Class प्रश्न 1.
सेठ का नाम क्या था?
उत्तर :
सेठ का नाम माधवदास था।

चिड़िया की बच्ची Questions And Answers HBSE 7th Class प्रश्न 2.
सेठ ने क्या काम किया था?
उत्तर :
सेठ ने अपनी नई कोठी बनवाई थी।

चिड़िया की बच्ची पाठ के शब्दार्थ HBSE 7th Class प्रश्न 3.
सेठ में क्या-क्या गुण थे?
उत्तर :
सेठ में कोई व्यसन नहीं था। ये कला प्रेमी थे तथा सुंदर अभिरुचि वाले व्यक्ति थे।

पाठ 9 चिड़िया की बच्ची के प्रश्न उत्तर HBSE 7th Class प्रश्न 4.
सेठ माधवदास को चिड़िया कैसी लगी?
उत्तर :
सेठ माधवदास को चिड़िया बहुत सुंदर पर मनमानी लगी।

Chidiya Ki Bacchi Ke Prashn Uttar 7th Class प्रश्न 5.
सेठ के प्रस्ताव का चिड़िया पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर :
सेठ के प्रस्ताव पर चिड़िया सकुथा गई।

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 9 चिड़िया की बच्ची

चिड़िया की बच्ची के प्रश्न उत्तर HBSE 7th Class प्रश्न 6.
सेठ चिड़िया को क्या देना चाहता था?
उत्तर :
सेठ चिड़िया को सुंदर घर तथा काफी धन देना चाहता था।

चिड़िया की बच्ची पाठ के प्रश्न उत्तर HBSE 7th Class प्रश्न 7.
चिड़िया को सबसे प्यारी कौन लगती थी?
उत्तर :
चिड़िया को अपनी माँ सबसे प्यारी लगती थी।

लघुत्तरात्मक प्रश्न

Chapter 9 Chidiya Ki Bacchi HBSE 7th Class प्रश्न 1.
एक दिन संध्या के समय सेट माधवदास ने अपने बगीचे में क्या दृश्य देखा?
उत्तर :
एक दिन सेठ जी ने देखा कि संध्या समय उनके देखते-देखते सामने की गुलाब की डाली पर एक चिड़िया आन बैठी। चिड़िया बहुत सुंदर थी। उसकी गरदन लाल थी और गुलाबी होते-होते किनारों पर जरा-जरा नीली पड़ गई थी। पंख ऊपर से चमकदार स्याह थे। उसका नन्हा-सा सिर तो बहुत प्यारा लगता था और शरीर पर चित्र-विचित्र चित्रकारी थी। चिड़िया को मानो माधवदास की सत्ता का कुछ पता नहीं था और मानो तनिक देर का आराम भी उसे नहीं चाहिए था। कभी पर हिलाती थी, कभी फुदकती थी। वह खूब खुश मालूम होती थी। अपनी नन्ही-सी चोंच से प्यारी-प्यारी आवाज निकाल रही थी।

पाठ 9 चिड़िया की बच्ची HBSE 7th Class प्रश्न 2.
माधवदासने चिड़िया को क्या-क्या प्रलोभन दिए?
उत्तर :
माधवदास ने चिड़िया को ये प्रलोभन दिए –

  • मैं तुम्हें एक सुंदर घर बनवाकर दूंगा।
  • उसमें मोतियों की झालर लटकेगी।
  • तुम्हें सोना-मोती दूंगा।
  • यह बगीचा उसी का होगा।

प्रश्न 3.
चिड़िया ने सेठ के प्रस्ताव को ठुकराते हुए क्या कहा?
उत्तर :
चिड़िया ने सेठ के प्रस्ताव को ठुकराते हुए यह कहा कि उसकी समझ में सेठ की बातें नहीं आती। उसकी माँ के घोंसले के बाहर बहुत-सी धूप बिखरी रहती है। उसकी माँ उसे प्यार करती है।

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प्रश्न 4.
चिड़िया को अंत में क्या बोध हुआ तथा वह कहाँ जा पहुँची?
उत्तर :
चिड़िया को अंत में किसी व्यक्ति के कठोर, स्पर्श का बोध हुआ। जैसे ही किसी ने उसके शरीर को छुआ वह चीखी और चिंचिया कर उड़ गई। वह उड़ती हुई एक ही साँस में माँ के पास पहुँच गई तथा माँ की गोद में सिसकने लगी।

चिड़िया की बच्ची गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. माधवदास ने …………………….. मिलती है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. माधवदास ने किसका निर्माण करवाया?
2. माधवदास किस स्वभाव के व्यक्ति हैं?
3. वे शाम को कहाँ, किस प्रकार बैठते हैं?
4. उन्हें किसमें तृप्ति मिलती है?
उत्तर:
1. माधवदास ने एक संगमरमर की कोठी और उसके सामने सुहावने बगीचे का निर्माण करवाया।
2. माधवदास कला-प्रेमी और सुंदर अभिरुचि वाले हैं।
3. वे शाम को कोठी के बाहर चबूतरे पर तख़्त डलवाकर मसनद के सहारे गलीचे पर बैठते हैं।
4. उन्हें प्रकृति की छटा निहारने में तृप्ति मिलती है।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. माधवदास की कोठी किससे बनी है?
(क) लाल पत्थर से
(ख) संगमरमर से
(ग) सीमेंट से
(घ) सफेद पत्थरों से
उत्तर :
(ख) संगमरमर से

2. माधवदास के पास धन की
(क) कमी है
(ख) कमी नहीं है
(ग) दिक्कत है
(घ) स्थिति पता नहीं
उत्तर :
(ख) कमी नहीं है

3. उनके पास समय
(क) काफी है
(ख) कम है
(ग) अच्छा है
(घ) पता नहीं
उत्तर :
(क) काफी है

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 9 चिड़िया की बच्ची

2. उस दिन …………………. होती थी।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. उस दिन संध्या को क्या हुआ?
2 चिड़िया कैसी थी?
3. चिड़िया को क्या पता नहीं था?
4. वह कैसी मालूम देती थी?
उत्तर:
1. उस दिन संध्या के समय एक चिड़िया गुलाब की डाली पर आ बैठी।
2. चिड़िया बहुत सुंदर थी। उसकी गरदन लाल थी। उसके पंख चमकदार थे; शरीर पर चित्रकारी थी।
3. चिड़िया को माधवदास की सत्ता का कुछ पता नहीं था।
4. चिड़िया बहुत खुश मालूम देती थी।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. चिड़िया कहाँ आ बैठी थी?
(क) गुलाब की डाली पर
(ख) नीम की डाली पर
(ग) कदंव के पेड़ पर
(घ) पीपल के पेड़ पर
उत्तर :
(क) गुलाब की डाली पर

2. चिड़िया की गरदन कैसी थी?
(क) लाल
(ख) गुलाबी
(ग) नीली
(घ) स्याह
उत्तर :
(क) लाल

3. चिड़िया क्या कर रही थी?
(क) पर हिला रही थी
(ख) कभी फुदकती थी
(ग) दोनों काम
(घ) कुछ नहीं
उत्तर :
(ग) दोनों काम

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 9 चिड़िया की बच्ची

3, माधवदास ने ………………. न रहो?

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. माधवदास ने चिड़िया से क्या कहा?
2. माधवदास का महल कैसा है?
3. माधवदास ने चिड़िया से क्या प्रार्थना की?
उत्तर:
1. माधवदास ने चिड़िया से कहा-तुम बड़ी भोली हो। तुम्हें देखकर मेरा मन खुश हो जाता है।
2. माधवदास का महल सूना है। वहाँ कोई भी.चहकता नहीं।
3. माधवदास ने चिड़िया से अपने महल में ही रहने की प्रार्थना की।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. ‘भोली चिड़िया’ में रेखांकित शब्द क्या है?
(क) संज्ञा
(ख) विशेषण
(ग) क्रिया
(घ) सर्वनाम
उत्तर :
(ख) विशेषण

2. ‘तुम प्यारी हो।’-रेखांकित शब्द क्या है?
(क) संज्ञा
(ख) सर्वनाम
(ग) विशेषण
(घ) क्रिया
उत्तर :
(ख) सर्वनाम

3. माधवदास कौन है?
(क) एक सेठ
(ख) एक कला प्रेमी
(ग) दोनों
(घ) कोई नहीं
उत्तर :
(ग) दोनों

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4. तुम सेठ ………………. होना चाहिए?

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. चिड़िया क्या नहीं जानती?
2. चिड़िया ने माँ के बारे में क्या कहा?
3. मालामाल किसे कहते हैं?
उत्तर:
1. चिड़िया यह नहीं जानती कि सामने वाला व्यक्ति सेठ है। वह सेठ को भी नहीं जानती।
2. चिड़िया ने कहा कि उसकी माँ उसे बहुत प्यार करती है और वह उसकी प्रतीक्षा करती होगी।
3. मालामाल धनी व्यक्ति को कहते हैं।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. चिड़िया स्वयं को कैसा बताती है?
(क) समझदार
(ख) अनसमझ
(ग) प्यारी
(घ) मूर्ख
उत्तर :
(ख) अनसमझ

2. क्या चिड़िया मालामाल होना चाहती थी?
(क) हाँ
(ख) नहीं
(ग) पता नहीं
(घ) कुछ-कुछ
उत्तर :
(ख) नहीं

3. चिड़िया की राह कौन देख रही होगी?
(क) माँ
(ख) सखी
(ग) पड़ोसन
(घ) कोई नहीं
उत्तर :
(क) माँ

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5. इतने में ……………. सुबकने लगी।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. चिड़िया को क्या बोध हुआ?
2. कठोर स्पर्श पर चिड़िया ने क्या प्रतिक्रिया दी?
3. वह उड़ती हुई कहाँ जा पहुँची?
उत्तर:
1. चिड़िया को बोध हुआ कि किसी का कठोर स्पर्श उसके शरीर को छू रहा है।
2. उस कठोर स्पर्श से चिड़िया चीखी और चिचियाई।
3. यह चिड़िया उड़ती हुई एक साँस में माँ की गोद में जा गिरी।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. ‘कठोर स्पर्श’ में रेखांकित शब्द क्या है?
(क) संज्ञा
(ख) सर्वनाम
(ग) विशेषण
(घ) क्रिया
उत्तर :
(ग) विशेषण

2. यह कठोर स्पर्श किसका हो सकता है?
(क) सेठ का
(ख) माधवदास का
(ग) नौकर का
(घ) किसी का भी
उत्तर :
(ग) नौकर का

3. माँ की गोद में चिड़िया क्या करने लगी?
(क) रोने
(ख) सुबकने
(ग) हँसने
(घ) सोने
उत्तर :
(ख) सुबकने

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चिड़िया की बच्ची Summary in Hindi

चिड़िया की बच्ची पाठ का सार

एक सेठ थे-माधवदास। उन्होंने संगरमरमर की नई कोठी ‘बनवाई और उसमें सुहावना बगीचा भी लगाया। उन्हें कला से बहुत प्रेम था। उनके पास धन की कोई कमी न थी। उन्हें बगीचे में फूल-पौधे और फव्वारों से उछलता पानी देखना बहुत अच्छा लगता था। वे मित्रों से विनोद-चर्चा अथवा हुक्के की नली को मुँह में दयाए संध्या को स्वप्न की भाँति गुजार देते थे।

एक दिन की बात है कि वे मसनद के सहारे बैठे थे। मन कुछ खाली-सा था। तभी सामने गुलाब की डाली पर एक चिड़िया आ बैठी। वह बड़ी रंग-बिरंगी और प्यारी लग रही थी। माधवदास को वह चिड़िया बड़ी अच्छी लगी। उसने चिड़िया से कहा, “आओ, तुम बड़ी अच्छी आईं। यह बगीचा तुम लोगों के बिना सूना लगता है।

सुनो चिड़िया, तुम खुशी से यह समझो कि यह बगीचा मैंने तुम्हारे लिए ही बनवाया है। तुम बेखटके यहाँ आया करो।” चिड़िया तो घबरा गई। वह बोली.-“मुझे मालूम नहीं था कि यह बगीचा आपका है। मैं अभी चली जाती हूँ। पलभर साँस लेने के लिए मैं यहाँ टिक गई थी।” सेठ माधवदास ने उससे बार-बार आग्रह किया वह यहीं रहे और इस संगमरमर की कोठी तथा बगीचे को अपना ही समझे।

चिड़िया इसके लिए तैयार न हुई। वह बार-बार यही कहती रही कि मैं अपनी माँ के पास जा रही हूँ। अब साँझ हो गई है। मेरी । माँ मेरी बाट देख रही होगी। सेठ ने उसे अपना परिचय दिया और कहा कि वह जो कुछ माँगेगी, वही उसे मिलेगी। चिड़िया को सेठ से कुछ भी नहीं चाहिए था। वह मालामाल नहीं होना चाहती थी।

वह सोने को भी नहीं जानती थी। सेठ को लगा कि चिड़िया नादान है। सेठ ने एक बटन दबा दिया। उसकी आवाज सनकर कोठी के भीतर से एक दास झपटकर बाहर आया। सेठ ने दास को इशारा कर दिया और वह चिड़िया को पकड़ने का उपाय करने लगा। चिड़िया के मन के भीतर चैन नहीं था।

वह सेठ से कहने लगी-” सेठ मुझे डर लगता है। माँ मेरी दूर है। रात हो जाएगी तो राह नहीं सूझेगी।” तभी चिड़िया को लगा कि कोई कठोर स्पर्श उसके शरीर को छू गया है। वह चीखकर एकदम उड़ी। वह नौकर के फैले पंजे से निकल गई और एक ही साँस में माँ के पास जा पहुँची। वह माँ की गोद में गिरकर सुबकने लगी। माँ ने उसे छाती से चिपकाकर पूछा-“क्या है मेरी बच्ची?” चिड़िया बस सुबकंती रही। वह पलक मींचकर माँ की छाती से चिपककर सो गई।

चिड़िया की बच्ची शब्दार्थ

सुहावना = सुदर (Beautiful)। व्यसन = बुरी आदत (Addiction)। अभिरुचि = अच्छी रुचि (Good taste)। रकाबी = तश्तरी (Plate)। निहारते – देखते (To see)। गुजारना – बिताना (To spend)। प्रकाश = रोशनी (Light)। स्वच्छंदता – आजादी (Freedom)। सकुचाना = झिझकना (To hesitate)। भयभीत = डरी हुई (Feared)। प्रफुल्लित = प्रसन्न चित्त (Cheerful)। वीरान = सुनसान (Lonely)। मालामाल = धनी (Rich)। किस्मत = भाग्य (Luck)। अनगिनती = जिनकी गिनती न हो सकी Countless): देह = शरीर (Body)। राह = रास्ता (Parh)। ढाढस = तसल्ली (Solace)। तृप्ति = संतुष्टि (Satisfaction)।

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HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 10 अपूर्व अनुभव

Haryana State Board HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 10 अपूर्व अनुभव Textbook Exercise Questions and Answers.

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HBSE 7th Class Hindi अपूर्व अनुभव Textbook Questions and Answers

पाठ से

Class 7 Hindi Chapter 10 Apoorv Anubhav HBSE प्रश्न 1.
यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ाने के लिए तोत्तो-चान ने अथक प्रयास क्यों किया ? लिखिए।
उत्तर :
यासुकी-चान पोलियोग्रस्त था अतः स्वयं पेड़ पर नहीं चढ़ सकता था। वह तोत्तो-चान की मदद से ही पेड़ पर चढ़ सका। इसके लिए तोत्ता-चान को भारी परिश्रम करना पड़ा।

पहले तो वह चौकीदार की झोपड़ी से एक सीढ़ी लाई। उसे पेड़ के सहारे लगा दिया। पर यासुकी-चान के हाथ-पैर इतने कमजोर थे कि वह पहली सीढ़ी पर भी नहीं चढ़ पाया। फिर तोत्तो-चान चौकीदार की झोपड़ी से एक तिपाई-सीढ़ी खींचकर लाई। बहुत प्रयास के बाद वह ऊपर तो पहुँच गया। फिर तोतो-चान ने उसकी पोलियोग्रस्त उँगलियों में अपनी उँगलियाँ फंसाकर ऊपर खींचा। इस प्रकार यासुकी-चान पेड़ की द्विशाखा तक पहुँचने में सफल हो सका।

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 10 अपूर्व अनुभव

अपूर्व अनुभव पाठ के शब्दार्थ HBSE 7th Class प्रश्न 2.
दृढ़ निश्चय और अथक परिश्रम से सफलता पाने के बाद तोत्तो-चान और यासुकी-चान को अपूर्व अनुभव मिला, इन दोनों के अपूर्व अनुभव कुछ अलग-अगल थे। दोनों में क्या अंतर रहे ? लिखिए।
उत्तर :
पेड़ से बच्चों का नाता गहरा था। वे एक-एक पेड़ को अपनी निजी संपत्ति मानते थे। वे उन पर चढ़ते थे और आनंदित होते थे। बाग के पेड़ों पर वे खूब मजा लेते थे। बाग में उनकी गतिविधियों को देखकर यासुकी-चान को अपनी अपंगता पर हताशा होती होगी। उसके मन में उदासी छा जाती होगी। वह अपनी विवशता पर दुःखी होता होगा।

अपूर्व अनुभव के प्रश्न उत्तर Class 7 HBSE प्रश्न 3.
पाठ में खोजकर देखिए-कब सुरज का ताप यासुकी-चान और तोत्तो-चान पर पड़ रहा था, वे दोनों पसीने से तरबतर हो रहे थे और कब बादल का एक टुकड़ा उन्हें छाया देकर कड़कती धूप से बचाने लगा था। आपके अनुसार इस प्रकार परिस्थिति के बदलने का कारण क्या हो सकता है?
उत्तर :
जब यासुकी-चान और तोत्तो-चान एक सीढ़ी के द्वारा पेड़ की द्विशाखा तक जा पहुँचे तब उन पर सूरज का ताप पर पड़ रहा था। उन्हें काफी पसीना आ रहा था। वे दोनों पसीने से तरबतर हो रहे थे। जब तोत्तो-चान अपनी पूरी ताकत से यासुकी-चान को खींच रही थी तभी बादल का एक बड़ा टुकड़ा बीच-बीच में छाया कर उन्हें कड़कती धूप से बचाने लगा।
यह मौसम का बदलाव था।

अपूर्व अनुभव का सारांश HBSE 7th Class प्रश्न 4.
“यासुकी-चान के लिए पेड़ पर चढ़ने का यह ……..” अंतिम मौका था।” इस अधूरे वाक्य को पूरा कीजिए और लेखिका ने ऐसा क्यों लिखा होगा?
उत्तर :
लेखिका ने ऐसा इसलिए लिखा होगा क्योंकि यासुकी-चान के लिए स्वयं अपने बूते पर चढ़ना लगभग असंभव था। उसे हर बार तोत्तो-चान जैसा सहयोगी मिल पाना कठिन था। एक बार पेड़ पर चड़ने पर ही उसे घोर परिश्रम करना पड़ा था।

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पाठ से आगे

Apoorv Anubhav Question Answer Class 7 HBSE प्रश्न 1.
तोत्तो-चान ने अपनी योजना को बड़ों से इसलिए छिपा लिया कि उसमें जोखिम था, यासुकी-चान के गिर जाने की संभावना थी। फिर भी उसके मन में यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने की दृढ़ इच्छा थी। ऐसी दृढ़ इच्छाएँ बुद्धि और कठोर परिश्रम से अवश्य पूरी हो जाती हैं। आप किस तरह की सफलता के लिए तीव्र इच्छा और बुद्धि का उपयोग कर कठोर परिश्रम करना चाहते हैं ?
उत्तर :
हम जोखिम भरा काम करना पसंद करेंगे क्योंकि कुछ पाने के लिए जोखिम तो उठाना ही पड़ता है।

Class 7 Hindi Chapter 10 Apoorv Anubhav Question Answer  प्रश्न 2.
हम अकसर बहादुरी के बड़े-बड़े कारनामों के बारे में सुनते रहते हैं, लेकिन ‘अपूर्व अनुभव’, कहानी एक मामूली बहादुरी और जोखिम की आर हमारा ध्यान खींचती है। यदि आपको अपने आसपास के संसार में कोई रोमांचकारी अनुभव प्राप्त करना हो तो कैसे प्राप्त करेंगे?
उत्तर :
एक बार की बात है कि हम एक नदी के किनारे पिकनिक पर गए हुए थे तभी एक लड़का पानी में उतर गया। पानी की लहर उसे बहाकर दूर तक ले गई। वह चिल्लाने लगा-बचाओ-बचाओ। मैंने उसकी आवाज सुन ली। मैं दौडकर उस तक गया। मैं तैरना जानता था। अत: कपड़े उतारकर नदी के पानी में कूद गया। मैंने उस तक पहुँचकर उसका हाथ पकड़ लिया और अपनी ओर खींचने लगा। यद्यपि मैं भी घबरा रहा था, पर उसे किनारे तक खींच लाया। उसके पेट में पानी भर गया था अत: उसे जमीन पर लिटाकर कमर पर दबाव डाला। इससे उसके मुंह के रास्ते पेट का पानी निकल गया। थोड़ी देर में वह ठीक हो गया।
तब तक अध्यापक एवं अन्य साथी आ गए थे। सभी ने मेरी प्रशंसा की। मुझे अपने साहस पर हैरानी हो रही थी।

HBSE 7th Class Hindi अपूर्व अनुभव Important Questions and Answers

अति लघुत्तरात्मक प्रश्न

अपूर्व अनुभव पाठ के प्रश्न उत्तर HBSE 7th Class प्रश्न 1.
तोत्तो-चान ने किसको क्या निमत्रंण दिया?
उत्तर :
तोते-चान ने यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ने का निमंत्रण दिया।

अपूर्व अनुभव प्रश्न उत्तर HBSE 7th Class प्रश्न 2.
बच्चे किसे अपनी निजी सम्पत्ति मानते थे?
उत्तर :
बच्चे अपने-अपने पेड़ को अपनी निजी सम्पत्ति मानते थे।

अपूर्व अनुभव के प्रश्न उत्तर HBSE 7th Class प्रश्न 3.
यासुकी-चान किस रोग से ग्रस्त था?
उत्तर :
यासुकी-चान पोलियो रोग से ग्रस्त था।

पाठ 10 अपूर्व अनुभव HBSE 7th Class प्रश्न 4.
तोत्तो-चान को यासुकी-चान कहाँ मिला?
उत्तर :
उसे यासुकी-चान मैदान में क्यारियों के पास मिला।

Apurv Anubhav Class 7 HBSE प्रश्न 5.
तोत्तो-चान यासुकी-चान को कहाँ ले गई?
उत्तर :
तोत्तो-चान यासुकी-चान को अपने पेड़ की ओर ले गई।

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 10 अपूर्व अनुभव

अपूर्व अनुभव HBSE 7th Class प्रश्न 6.
यासुकी-चान बिना सहारे के सीढ़ी पर क्यों नहीं चढ़ पाया?
उत्तर :
यासुको-चान के हाथ-पैर बहुत कमजोर थे।

अपूर्व अनुभव शब्दार्थ HBSE 7th Class प्रश्न 7.
तोत्तो-चान को चौकीदार के घर से क्या मिल गया?
उत्तर :
उसे वहाँ से एक तिपाई सीढ़ी मिल गई।

लघुत्तरात्मक प्रश्न

अपूर्व अनुभव पाठ का सारांश HBSE 7th Class प्रश्न 1.
तोत्तो-चान कौन थी? उसकी हार्दिक इच्छा क्या थी?
उत्तर :
तोत्तो-चान एक जापानी लड़की थी। उसकी यह हार्दिक इच्छा थी कि उसका अपंग साथी यासुकी-चान उसके पेड़ पर आकर उसकी चीजों एवं दुनिया को देखे।

प्रश्न 2.
तोत्तो-चान के चरित्र की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर :
तोत्तो-चान एक सहृदय बालिका है। उसके मन में अपने साथी के लिए असीम प्यार एवं सम्मान की भावना है। वह उसे भी वह खुशी देना चाहती हैं जो दूसरे बालकों को मिलती है। तोत्तो-चान परोपकारी है। वह दूसरों का भला करती है। तोत्तो-चान परिश्रमी है। वह परिश्रमपूर्वक सीढ़ी तथा तिपाई झोंपड़ी से खींचकर ले आती है।

प्रश्न 3.
यासुकी-चान किसी पेड़ को अपना क्यों नहीं कह पाता?
उत्तर :
यासुकी-चान पोलियोग्रस्त है। उसके हाथ-पैर काम नहीं करते। अत: वह किसी भी पेड़ पर चढ़ नहीं पाता। यही कारण है कि वह किसी पेड़ को अपना नहीं कह पाता। कोई पेड़ उसकी निजी संपत्ति नहीं बन सकता।

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अपूर्व अनुभव गद्यांशों पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

1. बच्चे अपने ……………………….. जरूर डाँटते।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. बच्चे अपने पेड़ को क्या मानते थे ?
2. किसी दूसरे के पेड़ पर चढ़ने से पूर्व क्या करना पड़ता था?
3. कोन, किस कारण पंड़ पर नहीं चढ़ पाता था ?
4. किसने, किसको, कहाँ आमंत्रित किया था?
उत्तर :
1. बच्चे अपने-अपने पेड़ को अपनी निजी संपत्ति मानते थे।
2 किसी दूसरे के पेड़ पर चढ़ने से पूर्व उस पेड़ के स्वामी से शिष्टतापूर्वक पूछना पड़ता था-“माफ कीजिए, क्या मैं अंदर आ जाऊँ ?”
3. यासुकी-चान किसी पेड़ पर नहीं चढ़ पाता था क्योंकि उसको पोलियो था। वह किसी पेड़ को अपनी संपत्ति भी नहीं मानता था।
4. तोत्तो-चान ने यासुकी चान को अपने पेड़ पर आमंत्रित किया था।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. बच्चे किसे अपनी सम्पत्ति मानते थे?
(क) स्वयं को
(ख) अपने पेड़ को
(ग) अपनी जगह को
(घ) किसी को नहीं
उत्तर :
(ख) अपने पेड़ को

2. थासुकी-चान को क्या रोग था?
(क) पोलियो
(ख) अंधापन
(ग) बहरापन
(घ) हकलापन
उत्तर :

3. यासुकी-चान को किसके लिए आमंत्रित किया गया था?
(क) खाना खाने के लिए
(ख) पेड़ पर चढ़ने के लिए
(ग) आपस में मिलने के लिए
(घ) कहीं चलने के लिए
उत्तर :
(ख) पेड़ पर चढ़ने के लिए

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2. यासुकी-चान ……………… क्या करे वह?

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. तोत्तो-चान ने पेड़ पर चढ़ने का क्या उपाय किया था?
2. क्या यासुकी-चान सीढ़ी पर चढ़ गया? क्यों?
3. तोत्तो-चान ने क्या प्रयास किया?
4. दोनों की क्या दशा थी?
उत्तर :
1. तोत्तो-चान चौकीदार के छप्पर से एक सीढ़ी पेड़ तक घसीट लाई थी और उसे तने के सहारे लगा दिया था ताकि द्विशाखा तक पहुँचा जा सके।
2. नहीं, यासुकी-चान पहली सीढ़ी पर भी बिना सहारे के नहीं चढ़ पाया। पोलियो के कारण उसके हाथ-पैर बहुत कमजोर थे।
3. तोत्तो-चान यासुकी-धान को पीछे से धकियाने लगी, जिससे वह सौढ़ी पर चढ़ सके।
4. यासुकी-चान ने अपना पैर सीढ़ी से हटा लिया। वह हताशा में सिर झुकाकर खड़ा हो गया। तोत्तो-चान ने भी समझ लिया कि यह काम उतना आसान नहीं है जितना उसने समझा था।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. यासुकी-चान का कौन-सा अंग कमजोर था?
(क) मस्तिष्क
(ख) हाथ-पैर
(ग) आँखें
(घ) कोई नहीं
उत्तर :
(ख) हाथ-पैर

2. पेड़ से नीचे कौन उतर आया?
(क) यासुकी-चान
(ख) तोत्तो-चान
(ग) वायु चान
(घ) माओ चान
उत्तर :
(ख) तोत्तो-चान

3. यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़ाने का काम कैसा था?
(क) आसान
(ख) कठिन
(ग) पक्का
(घ) ठीक
उत्तर :
(ख) कठिन

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3. यासुकी-चान ……………. रही थी।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. किसकी क्या इच्छा थी?
2. तोत्तो-चान किस प्रयास में लगी थी?
3. तोत्तो-चान ने क्या उपाय किया?
4. तोतो-चान किस बात पर हैरान थी?
उत्तर :
1. तोत्तो-चान की यह हार्दिक इच्छा थी कि यासुकी-चान उसके पेड़ पर चढ़े।
2. जय तोत्तो-चान ने यासुकी-चान का उदास-लटका चेहरा देखा तो वह उसे हँसाने के प्रयास में लग गई। उसने अपना गाल फुलाकर तरह-तरह के चेहरे बनाए।
3. तोत्तो-चान चौकीदार के छप्पर की चोर दौड़ी गई। वहाँ उसे एक तिपाई-सीढ़ी मिल गई इसे थामे रहना भी जरूरी नहीं था।
4. तोत्तो-चान इस बात पर हैरान थी कि उसमें इतनी शक्ति कहाँ से आ गई कि वह तिपाई-सीढ़ी को यहाँ तक खींच लाने में सफल हो सकी। यह तिपाई-सीढ़ी द्विशाखा तक पहुंच गई।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. ‘यह उसकी हार्दिक इच्छा थी’-किसकी?
(क) यासुकी-चान की
(ख) तोत्तो-चान की
(ग) दोनों की
(घ) किसी की नहीं
उत्तर :
(ख) तोत्तो-चान की

2. उदास कौन था?
(क) यासुकी-चान
(ख) तोत्तो-चान
(ग) कोई नहीं
(घ) सभी
उत्तर :
(क) यासुकी-चान

3. तोत्तो-चान को चौकीदार के छप्पर से क्या वस्तु मिली?
(क) तिपाई-सीढ़ी
(ख) चारपाई
(ग) कुरसी
(घ) स्टूल
उत्तर :
(क) तिपाई-सीढ़ी

4. तिपाई की ऊपरी सीढ़ी कहाँ तक पहुँच गई?
(क) छत तक
(ख) द्विशाखा तक
(ग) पेड़ तक
(घ) घर तक
उत्तर :
(ख) द्विशाखा तक

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4. काफी मेहनत …………. लड़ाते रहे।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. किसकी, किस मेहनत के बाद यासुको-चान पेड़ की द्विशाखा पर पहुंच पाया था?
2. तोत्तो-चान ने यासुकी-चान से क्या कहा?
3. यासुकी-चान ने किस मुद्रा में क्या पूछा?
4. यासुकी-चान को पेड़ पर चढ़कर क्या अनुभूति हुई?
उत्तर :
1. तोत्तो-चान ने यासुकी-चान की पोलियोग्रस्त उँगलियों में अपनी उँगलियाँ फंसाकर उसे पूरी ताकत से ऊपर खींचा था। तभी वह पेड़ की द्विशाखा पर पहुंच पाया था।
2. तोत्तो-चान ने यासुकी-चान के सम्मान में सिर झुकाकर कहा कि मेरे पेड़ पर तुम्हारा स्वागत है।
3. यासुकी-चान ने मुसकराते हुए तोत्तो-चान से पूछा कि क्या वह अंदर आ सकता है ?
4. यासुकी-चान ने पेड़ पर चढ़कर दुनिया की नई झलक देखी। इसे उसने पहले कभी नहीं देखा था। उसे पेड़ पर चढ़ने का विचित्र अनुभव हुआ।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. तोत्तो-चान ने यासुकी-चान का स्वागत कहाँ किया?
(क) अपने पेड़ पर
(ख) जमीन पर
(ग) तिपाई पर
(घ) सीढ़ी पर
उत्तर :
(क) अपने पेड़ पर

2. यासुकी-चान ने क्या पूछा?
(क) क्या पेड़ पर स्वागत है?
(ख) क्या मैं अंदर आ सकता हूँ?
(ग) क्या मैं पेड़ पर चढ़ सकता हूँ?
(घ) क्या ऐसे चढ़ा जाता है?
उत्तर :
(ख) क्या मैं अंदर आ सकता हूँ?

3. यासुकी-चान ने पेड़ पर क्या देखा?
(क) दुनिया की नई झलक
(ख) पेड़ों का दृश्य
(ग) नीला आसमान
(घ) सभी कुछ
उत्तर :
(क) दुनिया की नई झलक

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अपूर्व अनुभव Summary in Hindi

अपूर्व अनुभव पाठ का सार

इस कहानी में दो पात्र हैं-एक बालिका तोत्ता-चान और उससे एक साल बड़ा लड़का यासुकी-चान। यासुकी-चान को पोलियों था अतः वह किसी पेड़ पर नहीं चढ़ पाता था। सभागार में शिविर लगने के दो दिन बाद तोखे चान को एक साहसपूर्ण काम करने का दिन आया। उसने अपंग यासुकी-चान को अपने पेड़ पर चढ़ने का न्योता दिया। तोमोए में प्रत्येक बच्चा बाग के एक-एक पेड़ को अपने खुद के चढ़ने का पेड़ मानता था। तोत्ता-चान अक्सर खाने की छुट्टी के समय या स्कूल के बाद पेड़ के ऊपर चढ़ी मिलती थी।

सभी बच्चे अपने-अपने पेड़ को निजी संपत्ति मानते थे। किसी दूसरे के पेड़ पर चढ़ने से पूर्व पूछना पड़ता था। यासुकी-चान पोलियोग्रस्त होने के कारण किसी पेड़ को अपना नहीं मान पाता था। घर से निकलते समय तोत्तो चान ने झूठ बोला था कि वह यासुकी-चान के घर डेनेनचोफु जा रही है पर उसने रॉकी को सच बता दिया था। जब तोत्तो-चान स्कूल पहुँची तो उसे यासुकी-चान मैदान में क्यारियों के पास मिला। जैसे ही यासुकी चान ने तोत्तो चान को देखा, वह पैर घसीटता हुआ उसकी ओर आया।

तोत्ता-चान यासुकी-चान को अपने पेड़ की ओर ले गई। वह चौकीदार के छप्पर से एक सीढ़ी घसीट लाई और उसे तने के सहारे ऐसे लगा दिया, जिससे वह द्विशाखा तक पहुँच जाए। उसने सीढ़ी को पकड़ लिया और यासुकी-चान को ऊपर चढ़ने की कोशिश करने को कहा, पर उसके हाथ-पैर इतने कमजोर थे कि वह बिना सहारे के पहली सीढ़ी भी नहीं चढ़ पाया।

वह सिर झुकाकर खड़ा हो गया। तोत्तो-चान कोई और उपाय सोचने लगी। वह चौकीदार के छप्पर से एक तिपाई-सीढ़ी खींच लाई। वह सीढ़ी द्विशाखा तक पहुँच रही थी। यासुकी-चान ने घबराकर तिपाई-सीढ़ी की ओर देखा। उसे पसीना आ रहा था। उसने निश्चय के साथ पाँव उठाकर पहली सीढ़ी पर रखा। तोत्तो-चान उसकी मदद कर रही थी।

यासुको-चान पूरी शक्ति के साथ जूझ रहा था और आखिर वह ऊपर पहुँच गया, पर तभी सारी मेहनत बेकार होती लगने लगी। तोत्तो चान तो सीढ़ी पर से द्विशाखा पर छलांग लगाकर पहुँच गई, पर यासुकी-चान को सीढ़ी से पेड़ पर लाने की हर कोशिश बेकार रही। तोत्तो चान की रुलाई छूटने को थी, क्योंकि वह चाहती थी कि वह यासुकी-चान को अपने पेड़ पर आमंत्रित कर तमाम नई-नई चीजें दिखाए।

तोत्तो चान ने यासुकी-चान की पोलियो से पिचकी और अकड़ी उँगलियों को अपने हाथ में थाम लिया और बोली-“तुम लेटे रहो, मैं तुम्हें पेड़ पर खींचने की कोशिश करती हूँ।” यह कहकर वह पूरी ताकत से यासुकी-चान को खींचने लगी। काफी मेहनत के बाद दोनों आमने-सामने पेड़ की द्विशाखा पर थे। तोत्तो ने सम्मान से सिर झुकाकर कहा-“मेरे पेड़ पर तुम्हारा स्वागत है।” यासुकी-चान ने मुस्कराते हुए पूछा-“क्या मैं अंदर आ सकता हूँ?”

उस दिन यासुकी-घान ने दुनिया की एक ऐसी नई झलक देखी जैसी उसने पहले कभी नहीं देखी थी। वे दोनों गप्पें लड़ाते रहे। यासुकी-चान ने उमंग में भरकर बताया कि उसकी बहन अमेरिका में है। उसने एक चीज टेलीविजन के बारे में बताया है। वह कहती है कि इसमें वह सूमो-कुश्ती भी देख सकेगा। तोत्तो-चान सोचती रही कि सूमो पहलवान किसी डिब्बे में कैसे
समा सकता है।

अपूर्व अनुभव शब्दार्थ

उदास = निराश, दु:खी होना (Sad)। छप्पर = झोंपड़ी के ऊपर घास-पूस की छत (Hut), तिपाई = तीन पाँवों/पैरों वाली (Stool)। धामे = पकड़े (Caught)। तरबतर = लथपथ, डूबे हुए (Drenched)। तमाम = समस्त, सारी (Total)। जोखिम = खतरा (Danger)। भरोसा = विश्वास (Belief) झिझकता हुआ = हिचक या संकोच के साथ धीरे-धीरे (Hesitated)। सम्मान से = आदर के साथ (With regard)। झलक = तस्वीर (Picture)। सूमों = (जापानी पहलवान जो कुश्ती लड़ते हैं उन्हें सूमों बोला जाता है।) (A wrestler)। ताकना = देखना (To see)। आमंत्रित = बुलाया हुआ (Invited) स्थिर = टिका हुआ (Stable)। संपत्ति = प्रापर्टी (Property)। हताशा = निराशा (Distress)। हैरान = आश्चर्यचकित (Surprised)। सभागार = बैठक करने का बड़ा कक्ष (Meeting Place)। शिविर = किसी निश्चित उद्देश्य से एकत्र होना (Camp)। द्विशाखा = दो शाखाएँ (Two wigs)। निजी = अपनी (Own)। सूना = खाली-खाली, सुनसान (Empty place)। उत्तेजित = जोश में आना (Excited)। भेद = अंतर (Difference)।

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HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 8 शाम एक किशान

Haryana State Board HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 8 शाम एक किशान Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 8 शाम एक किशान

HBSE 7th Class Hindi शाम एक किशान Textbook Questions and Answers

कविता से

शाम एक किसान शब्दार्थ HBSE Class 7 प्रश्न 1.
इस कविता में शाम के दृश्य को किसान के रूप में दिखाया गया है-यह एक रूपक है। इसे बनाने के लिए पाँच एकरूपताओं की जोड़ी बनाई गई है। उन्हें उपमा कहते हैं। पहली एकरूपता आकाश और सोफे में दिखाते हुए कविता में ‘आकाश का साफा’ वाक्यांश आया है। इसी तरह तीसरी एकरूपता नदी और चादर में दिखाई गई है, मानों नदी चादर-सी हो। अब आप दूसरी, चौथी और पाँचवी एकरूपताओं को खोजकर लिखिए।

  • इस प्रकार की दूसरी एकरूपता दिखाने वाली उपमाओं को कविता से खोजकर सूची बनाइए।

उत्तर :
एकरूपता दिखाने वाली उपमाएँ
1. पहाड़ – किसान
2. नदी – चादर
3. पलाश का जंगल – दहकती अँगीठी
4. अंधकार – भेड़ों का गल्ला।

शाम एक किसान कविता का सारांश HBSE Class 7 प्रश्न 2.
शाम का दृश्य अपने घर की छत या खिड़की से देखकर बताइए
(क) शाम कब से शुरू हुई ?
(ख) तब से लेकर सूरज डूबने में कितना समय लगा?
(ग) इस बीच आसमान में क्या-क्या परिवर्तन आए?
उत्तर :
(क) सायं छह बजे शुरू हुई।
(ख) आधे घंटे का समय लगा।
(ग) आसमान में लालिमा छा गई, आकाश पीला-पीला हो गया और अंत में सूरज आँखों से ओझल हो गया।

शाम एक किसान के प्रश्न उत्तर HBSE Class 7 प्रश्न 3.
मोर के बोलने पर कवि को लगा जैसे किसी ने कहा हो-‘सुनते हो’। आगे दिए गए पक्षियों की बोली सुनकर उन्हें भी एक या दो शब्दों में बाँधिए –
कबूतर, कौआ, मैना, तोता, चील, हंस.
उत्तर:

  1. कबूतर-गुटरगूं
  2. कौआ-काँव-काँव
  3. चील-चें-चें

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 8 शाम एक किशान

कविता से आगे

Class 7 Hindi Chapter 8 HBSE प्रश्न 1.
इस कविता को चित्रित करने के लिए किन-किन रंगों का प्रयोग करना होगा ?
उत्तर :
पीला, सुनहरा, सफेद, लाल रंगों का प्रयोग करना होगा।

शाम एक किसान कविता की व्याख्या HBSE Class 7 प्रश्न 2.
शाम के समय ये क्या करते हैं, पता लगाइए और लिखिए
पक्षी, खिलाड़ी, फलवाले, माँ, पेड़-पौधे, पिताजी, किसान, बच्चे.
उत्तर :

  1. पक्षी : घोंसलों की ओर लौट जाते हैं।
  2. खिलाड़ी : खेलना बंद कर देते हैं।
  3. फल वाले : फल बेचते हैं।
  4. माँ : बच्चों के लिए खाना पकाने की तैयारी करती है।
  5. पेड़-पौधे : सोने लगते हैं।
  6. पिताजी : घर लौट आते हैं।
  7. किसान : खेतों से लौट आते हैं। गाय-भैंसों का दूध निकालते हैं।
  8. बच्चे : गृह कार्य करते हैं।

शाम एक किसान के शब्दार्थ HBSE Class 7 प्रश्न 3.
हिंदी के एक प्रसिद्ध कवि सुमित्रानंदन पंत ने संध्या का वर्णन इस प्रकार किया है
संध्या का झुटपुट, कौओं का झुटपुट, चहक रही है चिड़ियाँ, टी वी टी टुर-टुर,
ऊपर दी गई कविता और सर्वेश्वरदयाल की कविता में आपको क्या मुख्य अंतर लगा ? लिखिए।
उत्तर :
सर्वेश्वर दयाल सक्सेना ने संध्याकालीन दृश्य का किसान के रूप में रूपक बाँधकर प्रस्तुत किया है जबकि कवि पंत ने संध्याकाल में विभिन्न पक्षियों की आवाजों को सुनवाया है।

HBSE 7th Class Hindi शाम एक किशान Important Questions and Answers

अति लघुत्तरात्मक प्रश्न

शाम एक किसान प्रश्न उत्तर HBSE Class 7 प्रश्न 1.
कविता में पहाड़ को किस रूप में दर्शाया गया है?
उत्तर :
कविता में पहाड़ को साफा बाँधे किसान के रूप में दर्शाया गया है।

शाम एक किसान कविता के प्रश्न उत्तर HBSE Class 7 प्रश्न 2.
इस किसान के घुटनों पर क्या है?
उत्तर :
इस किसान के घुटनों पर चादर है।

शाम एक किसान Question Answer HBSE Class 7 प्रश्न 3.
किसे अंगीठी बताया गया है और क्यों?
उत्तर :
पलाश के जंगल को अँगीठी बताया गया है क्योंकि पलाश के लाल-लाल फूल आग की तरह दहकते प्रतीत होते हैं।

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 8 शाम एक किशान

शाम एक किसान व्याख्या HBSE Class 7 प्रश्न 4.
‘भेड़ों के गल्ले-सा’ किसे कहा गया है?
उत्तर :
अंधकार को भेड़ों के गल्ले-सा कहा गया है।

Chapter 8 Shaam Ek Kisan HBSE Class 7 प्रश्न 5.
मोर की आवाज़ कैसी लगी?
उत्तर :
जैसे किसी के कहा हो-‘सुनते हो?’

लघुत्तरात्मक प्रश्न

Shaam Ek Kisan Class 7th HBSE प्रश्न 1.
किसको किस रूप में चित्रित किया गया है ?
पहाड़, नदी, पलाश के जंगल को, डूबते सूरज को, आकाश को
उत्तर :

  1. पहाड़ को : किसान के रूप में
  2. नदी को : चादर के रूप में
  3. पलाश के जंगल को : दहकती अँगीठी के रूप में।
  4. डूबते सूरज को : चिलम के रूप में।
  5. आकाश को : किसान के साफे के रूप में।

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 8 शाम एक किशान

शाम एक किसान HBSE Class 7 प्रश्न 2.
चिलम औंधी क्यों हो गई?
उत्तर :
सूरज चिलम के रूप में था। अंधकार होते ही सूरज डूब गया और इसके साथ चिलम का आकार भी गायब हो गया। इससे ऐसा लगा कि किसान की चिलम औंधी हो गई है।

शाम एक किशान काव्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

1. आकाश का …………… गल्ले-सा।

शब्दार्थ: आकाश = आसमान (Sky)सूरज = सूर्य (Sun), बहकना = जलना (To burn)

सप्रसंग व्याख्या:
प्रसंग :
प्रस्तुत पक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘वसंत भाग-2’ में संकलित कविता ‘शाम : एक किसान’ से ली गई हैं। इस कविता के रचयिता सर्वेश्वरदयाल सक्सेना हैं। इसमें कवि ने जाई की शाम में पहाड़ को एक किसान के रूप में चित्रित किया है।

व्याख्या :
कवि जाड़े की शाम के प्राकृतिक दृश्य का चित्रण करते हुए कहता है कि इस दृश्य में पहाड़ एक किसान की तरह दिखाई देता है। आकाश उसके सिर के साफे के समान है। सूरज चिलम के समान प्रतीत होता है जिसे वह दम लगाकर खींचता – है। पहाड़ के नीचे नदी बहती रहती है और यह नदी पहाड़ रूपी किसान के घुटनों पर पड़ी चादर के समान प्रतीत होती है। सर्दी भगाने के लिए इस किसान के पास अंगीठी दहक रही है। पलाश के लाल-लाल फूलों को अंगीठी का रूप दिया गया है। पूरब दिशा में क्षितिज पर होता अंधकार झुंड में बैठी भेड़ों जैसा प्रतीत होता है। पश्चिम दिशा में डूबता सूरज इस पहाड़ रूपी किसान की चिलम है। यह पूरा दृश्य शांत है।

विशेष :
1. प्रकृति का मनोहारी चित्रण किया गया है।
2. ‘भेड़ों का गल्ला-सा’ में उपमा अलंकार है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. कॉन, किस रूप में बैठा है?
2. नदी किसके समान प्रतीत होती है?
3. किसे दहकती अंगीठी बताया गया है?
4. अंधकार कैसा लग रहा है?
उत्तर:
1. पहाड़ एक किसान के रूप में बैठा है। उसने सिर पर साफा बाँध रखा है तथा चिलम पी रहा है।
2 पहाड़ के नीचे की नदी किसान के घुटनों पर पड़ी चादर के समान प्रतीत होती है।
3. पलाश के लाल-लाल फूलों को दहकती अंगीठी बताया गया है।
4. अंधकार दूर सिमटा भेड़ों के गल्ले के समान लग रहा है।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. इस कविता के रचयिता कौन है?
(क) सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
(ख) सुमित्रानंदन पंत
(ग) रघुवरदयाल सक्सेना
(घ) मैथिलीशरण गुप्त
उत्तर :
(ख) सुमित्रानंदन पंत

2. पहाड़ किस रूप में है?
(क) किसान के रूप में
(ख) साफा बाँधे हुए
(ग) चिलम खींचता
(घ) ये सभी रूप
उत्तर :
(घ) ये सभी रूप

3. कौन-सी अंगीठी दहक रही है?
(क) पलाश के जंगल की
(ख) कोयले की
(ग) लकड़ी की
(घ) प्रकृति की
उत्तर :
(क) पलाश के जंगल की

4. ‘भेड़ों के गल्ले-सा’ में कौन-सा अलंकार है?
(क) अनुप्रास
(ख) उपमा
(ग) रूपक
(घ) यमक
उत्तर :
(ख) उपमा

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 8 शाम एक किशान

2. अचानक – बोला …………………….. छा गया।

सप्रसंग व्याख्या
प्रसंग :
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘वसंत भाग-2’ में संकलित कविता ‘शाम : एक किसान’ से ली गई हैं। इस कविता के रचयिता सर्वेश्वरदयाल सक्सेना है। इसमें कवि ने जाडे की शाम में पहाड़ को एक किसान के रूप में चित्रित किया है।

व्याख्या :
कवि जाड़े की संध्या का चित्रण करते हुए बताता है कि अभी तक सारा वातावरण शांत था। अचानक मोर बोल उठता है, मानो किसी ने आवाज़ लगाई हो-‘सुनते हो?’ इसके बाद प्रकृति में सारा दृश्य घटना में बदल जाता है–चिलम उलट जाती है, आग बुझ जाती है, धुआँ उठने लगता है.सूरज डूब जाता है, शाम ढल जाती है और रात का अँधेरा छा जाता है।

विशेष : संध्याकालीन वातावरण का सजीव चित्रण किया गया है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न :
1. इस कविता के रचयिता कौन हैं?
2 इस कविता में किस वातावरण का चित्रण है?
3. दृश्य में क्या परिवर्तन आ जाता है?
उत्तर:
1. इस कविता के रचयिता सर्वेश्वरदयाल सक्सेना हैं।
2. इस कविता में जाड़े की एक संध्या के वातावरण का चित्रण है।
3. मोर के बोलते ही अर्थात् संध्या के होते ही सारा प्राकृतिक वातावरण बदल जाता है-सूरज डूब जाता है, रात का अंधेरा छाने लगता है। लगता है, चिलम औंधी हो गई है, आग बुझ गई है।

बहुविकल्पी प्रश्न सही उत्तर चुनकर लिखिए

1. अचानक कौन बोल उठा?
(क) मोर
(ख) किसान
(ग) तांता
(घ) किसान की पत्नी
उत्तर :
(क) मोर

2. “चिलम औंधी होना’ किसका प्रतीक है?
(क) सूरज डूबने का
(ख) सूरज चमकने का
(ग) दिन छपने का
(घ) रात होने का
उत्तर :
(क) सूरज डूबने का

3. कौन-सा शब्द ‘सूरज’ का पर्यायवाची नहीं है
(क) रवि
(ख) दिनकर
(ग) भास्कर
(घ) शशि
उत्तर :
(घ) शशि

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 8 शाम एक किशान

शाम एक किशान Summary in Hindi

शाम एक किशान कवि-परिचय

प्रश्न : कवि सर्वेश्वरदयाल सक्सेना के जीवन एवं साहित्य का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर :
जीवन एवं साहित्यिक परिचय :
आधुनिक हिंदी साहित्य की नई कविता के कवियों में श्री सर्वेश्वर दयाल सक्सेना का नाम अग्रगण्य है। आपका जन्म 15 सितंबर, 1927 को उत्तर ‘प्रदेश स्थित बस्ती में हुआ। आपने एंग्लों संस्कृत विद्यालय, बस्ती से हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की और क्वीस कॉलेज वाराणसी में प्रवेश लिया।

तत्पश्चात् आपने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम. ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की। शिक्षा क्षेत्र में अध्यापन करने के उपरांत आपने आकाशवाणी में सहायक प्रोड्यूसर के रूप में कार्य किया। सर्वेश्वरदयाल सक्सेना ने कुछ दिन दिनमान के प्रमुख उपसंपादक पद पर भी कार्य किया। बाद में बच्चों की पत्रिका ‘पराग’ का संपादन कार्य भी किया। आपका देहावसान 25 सितंबर, 1984 को हुआ।

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना ‘तीसरा तारसप्तक’ के कवि हैं। छायावाद के उपरांत नई कविता के कवियों में महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं। सुमित्रानंदन पंत ने सक्सेना जी की साहित्य कला दृष्टि की सराहना की है तथा उन्हें सहज-प्रयत्न कवि और नए कवियों में कलाबोध का पारखी बताया है। उनके काव्य में रोमानियत और सम-सामयिकता पाई जाती है। वे समष्टि चेतना और व्यष्टि चेतना के प्रति सजग हैं। आपने कविता के नए-नए विषयों की ओर ध्यान दिया है। सक्सेना जी ने जीवन के विविध पक्षों को अपनी कविता में नए रंग-ढंग से व्यक्त किया है।

भाषा-शैली :
सर्वेश्वर दयाल सक्सेना खड़ी बोली के कवि हैं। उन्हें छंदमुक्त कविता अभीष्ट है। आपकी भाषा सरल और स्पष्ट है। कविता में कहीं-कहीं तीखे व्यंग्य पाए जाते हैं। कविता में बिंब योजना और प्रतीकात्मकता विशेष रूप से परिलक्षित होती है। भाषा प्रसाद गुण युक्त है। भाषा में तत्सम शब्दों के साथ स्थानीय शब्दों का अदभुत समन्वय है तथा कल्पना की प्रधानता है। चित्रात्मकता के साथ मानवीकरण उनकी अनूठी विशेषता है।

रचनाएँ : सर्वेश्वरदयाल सक्सेना बहुमुखी प्रतिभा के धनी साहित्यकार हैं। आपकी साहित्यिक कृतियाँ निम्न प्रकार हैं

काव्य कृतियाँ : काठ की घंटियाँ, बाँस का पुल, एक सूनी नाव, गर्म हवाएँ, जंगल का दर्द, खूटियों पर टंगे लोग आदि।

नाटक : बकरी, कल फिर भात आएगा, लड़ाई, अब गरीबी हटाओ, राज-बाज बहादुर और रानी रूपमती आदि।

उपन्यास : पागल कुत्तों का मसीहा, सोया हुआ जल। लेख संग्रह : चरचे और चरखे आदि।

HBSE 7th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 8 शाम एक किशान

शाम एक किशान कविता का सार

‘शाम : एक किसान’ शीर्षक कविता सर्वेश्वरदयाल सक्सेना द्वारा रचित है। इस कविता में कवि ने जाड़े की शाम के दृश्य को एक किसान के रूप में दर्शाया है। यह कविता एक रूपक है। इस कविता में शाम के दृश्य और किसान के बीच एकरूपता दिखाई गई है।

जिस प्रकार किसान सिर पर साफा बाँधकर चिलम खींचता या पीता है, उसी प्रकार पहाड़ (जो एक किसान के रूप में है) आकाश रूपी साफा बाँधकर और सूरज की चिलम को खींचता दिखाई देता है। जिस प्रकार किसान के घुटनों पर चादर पड़ी रहती है उसी प्रकार शाम के घुटनों पर नदी पड़ी रहती है। सर्दी भगाने के लिए किसान अँगीठी जलाता है।

शाम की अँगीठी है-पलाश के जंगल। इनमें लाल-लाल फूल आग की तरह दहकते हैं। अंधकार भेड़ों के गल्ले के समान दूर छिपकर बैठा रहता है। तभी अचानक बोल उठा, मानो कोई आवाज़ दे रहा हो। उस समय वह चिलम उल्टी हो गई, धुआँ उठने लगा और सूरज डूब गया तथा चारों ओर अंधेरा छा गया।

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HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 7 सड.कल्पः सिद्धिदायकः

Haryana State Board HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 7 सड.कल्पः सिद्धिदायकः Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 7 सड.कल्पः सिद्धिदायकः

सड.कल्पः सिद्धिदायकः Class 7 Question Answer प्रश्न 1.
उच्चारणं कुरुत-
HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 7 सड.कल्पः सिद्धिदायकः-1
उत्तर
छात्राः स्वयमेव उच्चारणं कुर्वन्तु।

Sanskrit Class 7 HBSE प्रश्न 2.
उदाहरणम् अनुसृत्य रिक्तस्थानानि पूरयत
HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 7 सड.कल्पः सिद्धिदायकः-2
उत्तर
HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 7 सड.कल्पः सिद्धिदायकः-3

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 7 सड.कल्पः सिद्धिदायकः

HBSE 7th Class Sanskrit सड.कल्पः सिद्धिदायकः प्रश्न 3.
प्रश्नानाम् उत्तराणि एकपदेन लिखत
(क) निर्भयं नंकः स्वयमेव रक्षति?
(ख) पार्वती तपस्यार्थ कत्र अगच्छत?
(ग) कः अशिवं चरति ?
(घ) शिवनिन्दां श्रुत्वा का क्रुद्धा जाता?
(ङ) वटुरूपेण तपोवनं कः प्राविशत् ?
उत्तर:
(क) ईश्वरः
(ख) कानने
(ग) शिवः
(घ) पार्वती
(ङ) शिवः।

HBSE 7th Class Sanskrit Ruchira Chapter 7 प्रश्न 4.
कः/का कं/कां प्रति कथयति –

कः/काकम्/काम्
यथा-वत्से! क्व कठिनं तपः ?मातापार्वतीम्
(क) अम्ब ! पतिरूपेण शिवं प्राप्तुं तपस्यां करिष्यामि।…………………………
(ख) अत्रैव व्रतादिकं कुरु।…………………………
(ग) अयि पार्वति! सत्यमेव त्वं शिवं पतिमिच्छसि ?…………………………
(घ) अपसर, अरे वाचाल !…………………………
(ङ) पार्वति ! प्रीतोस्मि तव तपस्यया।…………………………

उत्तर

कः/काकम्/काम्
यथा-वत्से! क्व कठिनं तपः ?मातापार्वतीम्
(क) अम्ब ! पतिरूपेण शिवं प्राप्तुं तपस्यां करिष्यामि।पार्वतीमातरम् प्रति
(ख) अत्रैव व्रतादिकं कुरु।मातापार्वतीम् प्रति
(ग) अयि पार्वति! सत्यमेव त्वं शिवं पतिमिच्छसि ?वटु:पार्वतीम् प्रति
(घ) अपसर, अरे वाचाल !पार्वतीवटुम्
(ङ) पार्वति ! प्रीतोस्मि तव तपस्यया।शिवःपार्वतीम्।

प्रश्न 5.
प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत
(क) वटुं दृष्ट्वा पार्वती सादरं किम् अवदत् ?
(ख) वटुः पार्वतीं किम् अपृच्छत् ?
(ग) नारदवचनप्रभावात् पार्वती किं कर्तुम् ऐच्छत् ?
उत्तर:
(क) वटुं दृष्ट्वा पार्वती सादरम् अवदत्-‘वटो! स्वागतं ते। उपविशतु भवान्।’
(ख) वटुः पार्वतीम् अपृच्छत्-‘हे तपस्विनि ! किमर्थं कठिनं तपः समाचरसि ? स्वकीयाम् तनुं च मलिनां करोषि।’
(ग) नारदवचनप्रभावात् पार्वती तपस्यां कर्तुम् ऐच्छत्।

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 7 सड.कल्पः सिद्धिदायकः

प्रश्न 6.
मञ्जूषातः पदानि चित्वा समानार्थकानि पदानि लिखत –
मञ्जूषा
माता, दृष्ट्वा, कानने, जन्तवः।
वने …………
पशवः ……………….
जननी ……………….
नयनानि ……………….
विलोक्य ……………….
उत्तर
वने – कानने
पशवः – जन्तवः
जननी – माता
नयनानि – नेत्राणि
विलोक्य – दृष्ट्वा

प्रश्न 7.
उदाहरणानुसारं पदरचनां कुरुत
I यथा – वसति स्म = अवसत्।
(क) पश्यति स्म = …………….
(ख) लिखति स्म = …………….
(ग) चिन्तयति स्म = …………….
(घ) वदति स्म = …………….
(ङ) गच्छति स्म = …………….
उत्तर
(क) पश्यति स्म = अपश्यत्
(ख) लिखति स्म = अलिखत्
(ग) चिन्तयति स्म = अचिन्तयत्
(घ) वदति स्म = अवदत्
(ङ) गच्छति स्म = अगच्छत्

II
यथा- अलिखत् = लिखति स्म
(क) ………. = कथयति स्म
(ख) …………….. = नयति स्म
(ग) ……………… = पठति स्म
(घ) ………….. = धावति स्म
(ङ) …………….. = हसति स्म
उत्तर
(क) अकथयत् = कथयति स्म
(ख) अनयत् = नयति स्म
(ग) अपठत् = पठति स्म
(घ) अधावत् = धावति स्म
(ङ) अहसत् = हसति स्म

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 7 सड.कल्पः सिद्धिदायकः

ध्यातव्यम् –

‘स्म’ इत्यस्य प्रयोगः।
यदा वर्तमानकालिकैः धातुभिः सह ‘स्म’ इत्यस्य प्रयोग: भवति तदा ते धातवः भूतकालिकक्रियाणाम् अर्थ प्रकटयन्ति।

यथा-पठति स्म = पढ़ता था।
गच्छति स्म = जाता था।

ध्यातव्य –
‘स्म’ का प्रयोग
जब वर्तमानकालिक धातुओं के साथ ‘स्म’ का प्रयोग होता है तब वे धातुएँ भूतकालिक क्रियाओं का अर्थ प्रकट करती हैं; जैसे-
पठति स्म = पढ़ता था।
गच्छति स्म = जाता था।

मूलपाठः

1. नारदवचनप्रभावात् पार्वती शिवं पतिरूपेण इच्छन्ती तपस्यां कर्तुम् इच्छति स्म। सा स्वसङ्कल्पं मात्रे न्यवेदयत्। तच्छ्रुत्वाद पार्वत्याः माता चिन्ताकुला अभवत्।

पुत्र्याः कोमलतनुं दृष्ट्वा जननी आदिशत्- “वत्स्! क्व कठिन तपः क्व च तव कोमलं शरीरम् ? कथम् आतपात् शीतात् वा आत्मनं रक्षिष्यसि ? तर्हि तपः मा चर। सुखेन स्वगृहे एव वस। अत्रैव व्रतादिक कुरु। एतेनैव तव मनोरथपूर्तिः भविष्यति।”
HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 7 सड.कल्पः सिद्धिदायकः-4
परन्तु पार्वती अकथयत्-“अम्ब! शिवं पतिरूपेण प्राप्तुं तपस्यामेव करिष्यामि इति मे सङ्कल्पः। ईश्वर मम रक्षा करिष्यति। तपस्यार्थं कोऽपि न गृहे वसति।” एवमुक्त्वा दृढनिश्चया सा पितृगृहं परित्यज्य कानने निर्मितां स्वपर्णकुटीम् अगच्छत् शिवं च अनन्यमनसा अपूजयत्, चिरं तपस्यां च समाचरत्। कानने हिंसा: पशवः विचरन्ति स्म। तथापि पार्वती निर्भया वसति स्म। यतो हि निर्भयं जनम् ईश्वरः स्वयमेव रक्षति।
HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 7 सड.कल्पः सिद्धिदायकः-5
हिन्दी-अनुवाद :
नारद मुनि के वचनों के प्रभाव से पार्वती ने शिव को पति के रूप में पाने की इच्छा करते हुए तपस्या करने की इच्छा (प्रकट) की। उसने अपना संकल्प माता को बताया। यह सुनकर पार्वती की माँ चिन्ता से व्याकुल हो गई।

पुत्री के कोमल शरीर को देखकर माँ ने आदेश दिया “हे पुत्री! कहाँ (तो) कठोर तप और कहाँ तुम्हारा कोमल शरीर ? या धूप और सर्दी से कैसे अपनी रक्षा करोगी? तो (इसलिए) तप मत करो। सुख से अपने घर में ही रहो। यहाँ ही व्रत आदि करो। इसी से तुम्हारी मनोकामना पूर्ण हो जाएगी।”

परन्तु पार्वती ने कहा-“हे माँ! शिव को पति के रूप में पाने के लिए तपस्या ही करूँगी, यह मेरा संकल्प है। ईश्वर मेरी रक्षा करेंगे। तपस्या के लिए कोई भी घर में नहीं रहता है।” यह कहकर दृढ निश्चय वाली वह (पार्वती) पिता का घर छोडकर वन में बनी हुई अपनी पत्तों की कुटिया में चली गई और एकाग्रचित्त होकर शिव की पूजा की और लम्बे समय तक तपस्या की। वन में हिंसक पशु घूमते थे। फिर भी पार्वती निर्भया होकर रहती थीं क्योंकि निर्भय व्यक्ति की ईश्वर स्वयं रक्षा करता है।

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 7 सड.कल्पः सिद्धिदायकः

2. कतिचित् मासाः गताः। एकदा कश्चित् वटुः तपोवनं प्राविशत्। वटुं दृष्ट्वा पार्वती आसनात् उत्थाय तमुपगम्य सादरम् अवदत्-“वटो, स्वागतं ते। उपविशतु भवान्।” ।
वटुः कुशलं पृष्ट्वा कौतूहलेन अपृच्छत्-“हे तपस्विनि! किमर्थं कठिनं तपः समाचरसि ? स्वकीयां तनुं च मलिनां करोषि?” पार्वती न किञ्चित् वदति स्म। तत्सखी एव तस्याः सङ्कल्पस्य प्रयोजनं वटवे निवेदयति स्म।

तत् श्रुत्वा वटुः अपृच्छत्-“अयि पार्वति! किं सत्यमेव त्वं शिवं पतिमिच्छसि यो हि अशिवं चरति, श्मशाने वसति? यस्य त्रीणि नेत्राणि, यस्य वसनं गजचर्म, यस्य अङ्गरागः चिताभस्म, यस्य परिजनाश्च भूतगणाः, किं तमेव शिवं पतिम् इच्छसि ?”
शिवनिन्दा श्रुत्वा पार्वती क्रुद्धा जाता। सा अवदत् – “अपसर अरे वाचाल! त्वं महेश्वरस्य परमार्थस्वरूपमेव न जानासि। जनाः अनादिकालात् सङ्कल्पसिद्धये शिवमेव पूजयन्ति। तत् नोचितं त्वया सह सम्भाषणम्।”
एवमुक्त्वा यदा सा प्रस्थानाय उद्यता, तावदेव शिवः वटोः रूपं परित्यज्य तस्याः मार्गम् अवरुध्य अवदत्-“पार्वति! प्रीतोऽस्मि तव सङ्कल्पेन तपस्यया च।”
HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 7 सड.कल्पः सिद्धिदायकः-6
हिन्दी-अनुवाद :
कुछ महीने बीत गए। एक बार कोई ब्रह्मचारी तपोवन में आया। ब्रह्मचारी को देखकर पार्वती ने आसन से उठकर उसके पास जाकर आदर सहित कहा-“हे ब्रह्मचारी! तुम्हारा स्वागत है। बैठिये आप।” ब्रह्मचारी ने कुशलता पूछकर जिज्ञासा से पूछा-“हे तपस्विनी! किसलिए कठोर तप कर रही हो? क्यों अपने कोमल शरीर को मैला कर रही हो?” पार्वती ने कुछ नहीं कहा। उसकी सखी ने ही उसके संकल्प का प्रयोजन उसे बता दिया।

यह सुनकर ब्रह्मचारी ने पूछा-“हे पार्वती! क्या सचमुच तुम शिव को पति (के रूप में) चाहती-हो, जो कि अमंगल आचरण करता है ? श्मशान में रहता है ? जिसके तीन नेत्र हैं, जिसका वस्त्र हाथी का चमड़ा है। जिसका सौन्दर्य प्रसाधन चिता की राख है। जिसके सेवक भूत-गण हैं, क्या तुम उसी शिव को पति (के रूप में) चाहती हो?”

शिव की निन्दा सुनकर पार्वती क्रोधित हो गई। वे बोलीं-“दूर हटो, अरे वाचाल! तुम शिव के दिव्य रूप को ही नहीं जानते हो। लोग अनादि काल से संकल्प की सिद्धि के लिए शिव को ही पूजते हैं। तो तेरे साथ बात करना उचित नहीं है।”

यह कहकर जब वे जाने के लिए तैयार हुईं, तभी शिव ने ब्रह्मचारी का रूप त्यागकर उनका मार्ग रोककर कहा-“हे पार्वती! मैं तुम्हारे संकल्प और तपस्या से प्रसन्न हूँ।”

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 7 सड.कल्पः सिद्धिदायकः

सन्धिच्छेदः
न्यवेदयत् = नि + अवदेयत्। तच्छ्रुत्वा . तत्+ श्रुत्वा। चिन्ताकुला – चिन्ता + आकुला। अत्रैव = अत्र + एव। व्रतादिकम् – व्रत + आदिकम्। एतेनैव = एतेन + एव। तपस्यार्थम्-तपस्या + अर्थम्। यतोहि = यतः + हि। कश्चित् – क: चित्। तपोवनम् – तपः + वनम्। किञ्चित् = किम् + चित्। परिजनाश्च परिजना:+च। परमार्थ-परम+अर्थ। नोचितम्-न + उचितम्। तावदेव = तावत् + एव। प्रीतोऽस्मि – प्रीतः + अस्मि

संयोगः
तपस्यामेव-तपस्याम् एव। समाचरत्-सम्+ आचरत्। स्वयमेव = स्वयम् + एव। किमर्थम् – किम् + अर्थम्। समाचरसि – सम् + आचरसि। सत्यमेव = सत्यम् + एव। पतिमिच्छसि – पतिम् + इच्छसि। तमेव = तम् + एव। स्वरूपमेव – स्वरूपम् + एव। अनादि – अन् + आदि। एवमुक्त्वा = एवम् + उक्त्वा ।

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HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 8 त्रिवर्णः ध्वजः

Haryana State Board HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 8 त्रिवर्णः ध्वजः Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 8 त्रिवर्णः ध्वजः

त्रिवर्णः ध्वजः Class 7 Question Answer प्रश्न 1.
शुद्धकथनस्य समक्षम् ‘आम्’ अशुद्धकथनस्य समक्षं ‘न’ इति लिखत
(क) अस्माकं राष्ट्रस्य ध्वजे त्रयः वर्णाः सन्ति।
(ख) ध्वजे हरितवर्णः शान्तेः प्रतीकः अस्ति।
(ग) ध्वजे केशरवर्णः शक्त्याः सूचकः अस्ति।
(घ) स्वतन्त्रतायाः आन्दोलने लक्षाधिकाः जनाः स्वप्राणान् अत्यजन्।
(ङ) अस्माकं ध्वजः अनेकत्वे एकत्वस्य सूचकः।
उत्तरम्:
(क) अस्माकं राष्ट्रस्य ध्वजे त्रयः वर्णाः सन्ति। [आम्]
(ख) ध्वजे हरितवर्णः शान्तेः प्रतीकः अस्ति। [न]
(ग) ध्वजे केशरवर्णः शक्त्याः सूचकः अस्ति। [आम्]
(घ) स्वतन्त्रतायाः आन्दोलने लक्षाधिकाः जनाः स्वप्राणान् अत्यजन्। [आम्]
(ङ) अस्माकं ध्वजः अनेकत्वे एकत्वस्य सूचकः। [आम्]

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 8 त्रिवर्णः ध्वजः

HBSE 7th Class Sanskrit त्रिवर्णः ध्वजः प्रश्न 2.
अधोलिखितेषु पदेषु प्रयुक्तां विभक्तिं वचनंच लिखत-
HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 8 त्रिवर्णः ध्वजः-1
HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 8 त्रिवर्णः ध्वजः-2

HBSE 7th Class Sanskrit Ruchira Chapter 8 प्रश्न 3.
एकपदेन उत्तरत
(क) अस्माकं ध्वजे कति वर्णाः सन्ति?
(ख) त्रिवर्णे ध्वजे शक्त्याः सूचकः कः वर्णः?
(ग) अशोकचक्रं कस्य द्योतकम् अस्ति?
(घ) त्रिवर्णः ध्वजः कस्य प्रतीकः?
उत्तरम्:
(क) केशर-श्वेत-हरिता:
(ख) केशर:
(ग) सत्य-धर्म-अंिंसानाम् धर्मस्य
(घ) स्व्नाभिमानस्य/एकत्वस्य।

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 8 त्रिवर्णः ध्वजः

प्रश्न 4.
एकवाक्येन उत्तरत
(क) अस्माकं ध्वजस्य श्वेतवर्णः कस्य सूचकः अस्ति?
(ख) स्वतन्त्रतायाः आन्दोलने कस्य महती भूमिका आसीत्?
(ग) अस्माभिः कस्य मानसम्मानरक्षा करणीया?
(घ) ध्वजस्य श्वेतपट्टिका कस्याः सूचिका अस्ति?
उत्तरम्:
(क) अस्माकं ध्वजस्य श्वेतवर्णः शान्तेः सूचकः अस्ति।
(ख) स्वतन्त्रतायाः आंदोलने ध्वजस्य महती भूमिका आसीत्।
(ग) अस्माभिः ध्वजस्य मानसम्मानरक्षा करणीया।
(घ) ध्वजस्य श्वेतपट्टिका सात्त्विकतायाः निर्मलतायाः च सूचिका अस्ति।

प्रश्न 5.
अधोलिखितवाक्येषु रेखाङ्कितपदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत
(क) अस्माकं त्रिवर्णध्वजः विश्वविजयी भवेत्।
(ख) स्वधर्मात् प्रमादं वयं न कुर्याम।
(ग) एतत् सर्वम् अस्माकं नेतृणां सबुद्धेः सत्फलम्।
(घ) शत्रूणां समक्षं विजयः सुनिश्चितः भवेत्।
उत्तरम्:
(क) अस्माकं कः विश्वविजयी भवेत्?
(ख) स्वधर्मात् किं वयं न कुर्याम?
(ग) एतत् सर्वम् अस्माकं नेतृणां कस्याः सत्फलम्?
(घ) केषाम् समक्षं विजयः सुनिश्चितः भवेत्?

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 8 त्रिवर्णः ध्वजः

प्रश्न 6.
उदाहरणानुसारं समुचितैः पदैः रिक्तस्थानानि पूरयत-
HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 8 त्रिवर्णः ध्वजः-3
उत्तरम्:
HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 8 त्रिवर्णः ध्वजः-4

मूलपाठः

1. (केचन बालकाः काश्चन बालिकाश्च स्वतन्त्रतादिवसस्य ध्वजारोहणसमारोहे सोत्साह’ गच्छन्तः परस्पर संलपन्ति।)
देवेशः – अद्य स्वतन्त्रता-दिवसः। अस्माकं विद्यालयस्य प्राचार्यः ध्वजारोहणं करिष्यति। छात्राश्च सांस्कृतिककार्यक्रमान् प्रस्तोष्यन्ति। अन्ते च मोदकानि मिलिष्यन्ति।।
डेविडः – शुचे! जानासि त्वम् ? अस्माकं ध्वजस्य किं नाम ?
शुचिः – अरे! कः एतादृशः भारतीयः यः अस्य ध्वजस्य विषये न जानाति ? अस्माकं देशस्य ध्वजः त्रिवर्णः इति।
सलीमः – रुचे! अस्य नाम त्रिवर्णः कथम् ?
रुचिः – अस्मिन ध्वजे त्रयः वर्णाः सन्ति.अतः त्रिवर्णः। किं त्वम् एतेषां वर्णानां नामानि जानासि?
सलीमः – अरे! केशरवर्णः, श्वेतः, हरितः च एते त्रयः वर्णाः।
देवेशः – अस्माकं ध्वजे एते त्रयः एव वर्णाः कथं गृहीताः?
सलीमः – एतेषां त्रयाणां वर्णानाम् अत्र विशेषः अभिप्रायः।
देवेशः – कः विशेषः?
सलीमः – शृणु, केशरवर्णः शौर्यस्य, श्वेतः शान्तेः, हरितश्च समृद्धेः सूचकाः सन्ति। स्वयं च अयं ध्वजः अनेकत्वे द्योतकः।

शब्दार्थाः
HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 8 त्रिवर्णः ध्वजः-5
हिन्दी-अनुवाद : (कुछ बालक तथा कुछ बालिकाएँ स्वतन्त्रता दिवस के ध्वजारोहण समारोह में उत्साहपूर्वक जाते हुए परस्पर बातें करते हैं।
देवेश – आज स्वतन्त्रता दिवस है। हमारे विद्यालय के प्रधानाचार्य ध्वजारोहण करेंगे और छात्र सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे और अन्त में लड्डू मिलेंगे।
डेविड – शुचि! क्या तुम जानती हो? हमारे ध्वज का नाम क्या है ?
शुचि – अरे! कौन ऐसा भारतीय है जो हमारे ध्वज के विषय में नहीं जानता है ? हमारे देश का ध्वज तिरंगा है, ऐसा।
सलीम – रुचि इसका नाम तिरंगा क्यों है ?
रुचि – इस ध्वज में तीन रंग हैं, इसलिए यह तिरंगा है। क्या तुम इन रंगों के नाम जानते हो?
सलीम – अरे! केसरिया, सफेद और हरा ये तीन रंग हैं।
देवेश – हमारे ध्वज में ये तीन रंग क्यों लिए गए हैं ?
सलीम- इन तीन रंगों का यहाँ विशेष अभिप्राय है।
देवेश – क्या विशेष?
सलीम – सुनो, केसरिया रंग वीरता (बलिदान) का, सफेद रंग शान्ति का तथा हरा रंग समृद्धि का सूचक है और यह स्वयं अनेकता में एकता का प्रतीक है।

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 8 त्रिवर्णः ध्वजः

2. शुचिः – किम् एतासां पट्टिकानाम् अन्यदपि महत्त्वम्?
डेविडः – आम्! कथं न ? ध्वजस्य उपरि स्थिता केशरपट्टिका अग्निशिखा इव ऊर्जास्वितायाः उत्साहस्य च सूचिका। मध्ये स्थिता श्वेतपट्टिका सात्त्विकताया: निर्मलतायाः च द्योतिका। अधः स्थिता हरितपट्टिका समृद्धेः प्रगतेश्च सङ्कोतिका।
तेजिन्दरः – शुचे! ध्वजस्य मध्ये स्थितस्य चक्रस्य किमपि महत्त्वम् अस्ति ?
शुचिः – अथ किम् इंदम् अशोकचक्रं सत्यस्य, धर्मस्य अहिंसायाश्च द्योतकम्।
प्रणवः – किं न जानासि ? स्वतन्त्रतायाः आन्दोलने अस्य ध्वजस्य महती भूमिका आसीत्।
शुचिः – का सा ध्वजस्य भूमिका ?
देवेशः – एनं ध्वजम् आश्रित्य एव स्वतन्त्रतायाः आन्दोलनम् अभवत्।
डेविडः – देशस्य स्वतन्त्रताय लक्ष्मीबाई, महात्मागान्धी, पं. जवाहरलालनेहरू, सुभाषाचन्द्रबोसः, आजादः चन्द्रशेखरः, भगतसिंहः, सरोजिनी नायडू, अरुणा आसफ अली इत्यादयः आजीवन संघर्षम् अकुर्वन्। लक्षाधिकाः च जनाः स्वान् प्राणान् अपि अत्यजन्।
तेजिन्दरः – अस्माकं त्रिवर्णः ध्वजः स्वाभिमानस्य प्रतीकः। सर्वैः अपि भारतीयः अस्य सम्मानः करणीयः। अतः अस्माकं सङ्कल्पः स्यात् यत् अस्य राष्ट्रध्वजस्य सम्मानरक्षार्थं वयं सर्वे स्व-स्व-कर्तव्ये तत्पराः भवेम। जयतु त्रिवर्णः ध्वजः, जयतु भारतम्।

शब्दार्थाः
HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 8 त्रिवर्णः ध्वजः-6
हिन्दी-अनुवाद :
शुचि – क्या इन पट्टियों का दूसरा भी महत्त्व है ? डेविड – हाँ, क्यों नहीं ? ध्वज के ऊपर स्थित केसरिया पट्टी अग्निशिखा की तरह ऊर्जा और उत्साह की सूचिका है। बीच में सफेद पट्टी सात्त्विकता तथा निर्मलता की सूचक है। नीचे स्थित हरी पट्टि समृद्धि और प्रगति की द्योतक (प्रतीक) है। तेजिन्दर – शुचि! ध्वज के बीच में स्थित चक्र का भी कुछ महत्त्व है?
शुचि – और क्या। यह अशोक चक्र सत्य, धर्म और अहिंसा का द्योतक है।
प्रणव – क्या नहीं जानती हो ? स्वतन्त्रता-आन्दोलन में इस ध्वज की महान् भूमिका थी।
शुचि – ध्वज की क्या भूमिका थी?
देवेश – इस ध्वज का सहारा लेकर ही स्वतन्त्रता-आन्दोलन हुआ था।
डेविड – देश की स्वतन्त्रात के लिए लक्ष्मीबाई, महात्मा गान्धी, पं. जवाहरलाल नेहरू, सुभाषचन्द्र बोस, आजाद चन्द्रशेखर, भगतसिंह, सरोजिनी नायडू, अरुणा आसफ अली इत्यादि ने आजीवन संघर्ष किया और लाखों से अधिक लोगों ने अपने प्राण भी त्याग दिए।
तेजिन्दर – हमारा तिरंगा झण्डा स्वाभिमान का प्रतीक है। सभी भारतीयों को इसका सम्मान करना चाहिए। अत: हमारा संकल्प हो कि इस राष्ट्रध्वज के सम्मान की रक्षा के लिए हम सब अपने-अपने कर्तव्य के पालन में जुट जाएँ। तिरंगे झण्डे की जय हो, भारत की जय हो।

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 8 त्रिवर्णः ध्वजः

सन्धिच्छेदः
काश्चन – काः + चन। बालिकाश्च – बालिकाः + च। ध्वजारोहणम् = ध्वज + आरोहणम्। सोत्साहम् – स + उत्साहम्। छात्राश्च – छात्रा: + च। हरितश्च – हरितः + च। अन्यदपि – अन्यत् + अपि। प्रगतेश्च – प्रगते: + च। अहिंसायाश्च = अहिंसायाः + च। इत्यादय = इति + आदयः। लक्षाधिकाः = लक्ष्रा + अधिकाः। रक्षार्थम् = रक्षा + अर्थम्।

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HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 4 हास्यबालकविसम्मेलनम्

Haryana State Board HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 4 हास्यबालकविसम्मेलनम् Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 4 हास्यबालकविसम्मेलनम्

हास्यबालकविसम्मेलनम् प्रश्न उत्तर HBSE 7th Class Sanskrit प्रश्न 1.
उच्चारणं कुरुत-
उपरि – अधः – उच्चैः
नीचैः – बहिः – अलम्
कदापि – अन्तः – पुनः
कुत्र – कदा – एकदा
उत्तर:
स्वयं उच्चारण कीजिए।

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 4 हास्यबालकविसम्मेलनम्

हास्यबालकविसम्मेलनम् अनुवाद HBSE 7th Class Sanskrit प्रश्न 2.
मञ्जूषात: अव्ययपदानि चित्वा वाक्यानि पूरयत
मञ्जूषा
अलम् अन्तः बहिः अधः उपरि
(क) वृक्षस्य ………………………………………………. खगाः वसन्ति।
(ख) ………………………………………………. विवादेन।
(ग) वर्षाकाले गृहात् ……………………………………………… .
(घ) मञ्चस्य ………………………………………………. श्रोतारः उपविष्टाः सन्ति ।
(ङ) छात्रा: चलच्चित्रगृहस्य ………………………………………………. प्रविशन्ति।
उत्तर:
(क) उपरि
(ख) अलम्
(ग) बहिः
(घ) अधः
(ङ) अन्तः।

हास्यबालकविसम्मेलनम् HBSE 7th Class Sanskrit प्रश्न 3.
अशुद्धं पदं चिनुत
(क) गमन्ति, यच्छन्ति, पृच्छन्ति, धावन्ति।
(ख) रामेण, गृहेण, सर्पेण, गजेणा।
(ग) लतया, सुप्रिया, रमया, निशया।
(घ) लते, रमे, माते, प्रिये।
(ङ) लिखति, गर्जति, फलति, सेवति।
उत्तर
(क) गमन्ति, यच्छन्ति, पृच्छन्ति, धावन्ति। – गमन्ति
(ख) रामेण, गृहेण, सर्पेण, गजेणा। – गजेण
(ग) लतया, सुप्रिया, रमया, निशया। – सुप्रिया
(घ) लते, रमे, माते, प्रिये। – माते
(ङ) लिखति, गर्जति, फलति, सेवति। – सेवति।

Sanskrit Class 7 Chapter 4 हास्यबालकविसम्मेलनम् प्रश्न 4.
मञ्जूषातः समानार्थक पदानि चित्वा लिखत-
मञ्जूषा
प्रसन्नतायाः, चिकित्सकम्, लब्ध्वा, कुटिलः, दक्षाः
(क) प्राप्य …………
(ख) कुशलाः ……….
(ग) हर्षस्य …………
(घ) वक्र: …………
(ङ) वैद्यम् …………
उत्तर
(क) प्राप्य – लब्ध्वा
(ख) कुशलाः – दक्षाः
(ग) हर्षस्य – प्रसन्नतायाः
(घ) वक्र: – कुटिलः
(ङ) वैधम् – चिकित्सकम्

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 4 हास्यबालकविसम्मेलनम्

प्रश्न 5.
अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि एकपदेन लिखत
(क) मञ्चे कति बालकवयः उपविष्टाः सन्ति?
(ख) के कोलाहलं कुर्वन्ति ?
(ग) गजाधरः कम् उद्दिश्य काव्यं प्रस्तौति?
(घ) तुन्दिलः कस्य उपरि हस्तम् आवर्त्तयति?
(ङ) लोके पुनः पुनः कानि भवन्ति ?
(च) दशमः ग्रहः कः?
उत्तर:
(क) चत्वारः
(ख) श्रोतारः
(ग) आधुनिक वैद्यम्
(घ) तुन्दस्य
(ङ) शरीराणि
(च) जामाता।

प्रश्न 6.
मञ्जूषातः पदानि चित्वा कथायाः पूर्तिं कुरुत-
मञ्जूषा
नासिकायामेव वारंवारम् खड्गेन दूरम् मित्रता मक्षिका व्यजनेन उपाविशत् छिन्ना सुप्तः प्रियः
प्रियः पुरा एकस्य नृपस्य एकः ………………. वानरः आसीत्। एकदा नृपः ………………. आसीत्। वानरः ………… तम् अवीजयत्। तदैव एका ………………. नृपस्य नासिकायाम् ……………….। यद्यपि वानरः ………………. व्यजनेन तां निवारयति स्म तथापि सा पुनः पुनः नृपस्य ……………. उपविशति स्म। अन्ते सः मक्षिकां हन्तुं ………………. प्रहारम् अकरोत्। मक्षिका तु उड्डीय ………………. गता, किन्तु खड्गप्रहारेण नृपस्य नासिका ………………. अभवत्। अतएवोच्यते-“मुर्खजनैः सह ………………. नोचिता।”
HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 4 हास्यबालकविसम्मेलनम्-1
उत्तर
पुरा एकस्य नृपस्य एकः प्रियः वानरः आसीत्। एकदा नृपः सुप्तः आसीत्। वानरः व्यजनेन तम् अवीजयत्। तदैव एका मक्षिका नृपस्य नासिकायाम् उपाविशत्। यद्यपि वानरः वारंवारं व्यजनेन तां निवारयति। स्म तथापि सा पुनः पुनः नृपस्य नासिकायामेव उपविशति स्म। अन्ते सः मक्षिका हन्तुं खड्गेन प्रहारम् अकरोत्। मक्षिका तु उड्डीय दूरं गता, किन्तु खड्गप्रहारेण नृपस्य नासिका छिन्ना अभवत् । अतएवोच्यते-“मूर्खजनैः सह मित्रता नोचिता।”

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 4 हास्यबालकविसम्मेलनम्

प्रश्न 7.
विलोमपदानि योजयत
अधः – नीचैः
अन्तः – सुलभम्
दुर्बुद्धे! – उपरि
उच्चैः – बहिः
दुर्लभम् – सुबुद्धे!
उत्तर:
अधः – उपरि
अन्तः – बहिः
दुर्बुद्धे! – सुबुद्धे!
उच्चैः – नीचैः
दुर्लभम् – सुलभम्

ध्यातव्यम्

अस्मिन् पाठे अधः, अन्तः, बहिः, नीचैः, पुनः इत्यादीनि अव्ययपदानि सन्ति। एषां त्रिषु लिङ्गेषु, त्रिषु वचनेषु सर्वासु विभक्तिषु च एकमेव रूपं भवति, विकारो न जायते।

उक्तञ्च-
सदृशं त्रिषु लिङ्गेषु सर्वासु च विभक्तिषु।
वचनेषु च सर्वेषु यन्न व्येति तदव्ययम्॥

ध्यातव्य-
इस पाठ में ‘अधः, अन्तः, बहिः, नीचैः, पुनः इत्यादि अव्यय-पद हैं। इनका तीनों लिंगों, तीनों वचनों और सभी विभक्तियों में एक ही रूप होता है, विकार (बदलाव) नहीं होता है।
कहा भी गया है-तीनों लिंगों, सभी विभक्तियों और सभी वचनों में जो समान रहता है, बदलता नहीं, वह अव्यय है।

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 4 हास्यबालकविसम्मेलनम्

मूलपाठः

1.(विविध-वेशभूषाधारिणः चत्वारः बालकवयः मञ्चस्य उपरि उपविष्टाः सन्ति। अधः श्रोतारः हास्यकविताश्रवणाय उत्सुकाः सन्ति कोलाहलं कुर्वन्ति च)
सञ्चालकः – अलं कोलाहलेन। अद्य परं हर्षस्य अवसरः यत् अस्मिन् कविसम्मेलने काव्यहन्तारः कालयापकाश्च भारतस्य हास्यकविधुरन्धराः समागताः सन्ति। एहि, करतलध्वनिना वयम् एतेषां स्वागतं कुर्मः।
गजाधरः – सर्वेभ्योऽरसिकेभ्यो नमो नमः। प्रथमं तावद् अहम् आधुनिक वैद्यम् उद्दिश्य स्वकीयं काव्यं श्रावयामिवैद्यराज! नमस्तुभ्यं यमराजसहोदर ।। यमस्तु हरति प्राणान् वैद्यः प्राणान् धनानि च ॥ 1 ॥
कालान्तकः- अरे! वैद्यस्तु सर्वत्र परन्तु न ते मादृशाः कुशलाः जनसंख्यानिवारणे। ममापि काव्यम् इदं शृण्वन्तु भवन्तःचिता प्रज्वलिता दृष्ट्वा वैद्यो विस्मयमागतः । नाहं गतो न मे भ्राता कस्येवं हस्तलाघवम् ॥ 2 ॥ (सर्वे पुनः हसन्ति)
तुन्दिलः, – (तुन्दस्य उपरि हस्तम् आवर्तयन्) तुन्विलोऽह भोः। ममापि इदं काव्यं श्रूयताम, जीवने धार्यतां चपरानं प्राप्य दुर्बुद्धे! मा शरीरे दयां कुरु । परानं दुर्लभं लोके शरीराणि पुनः पुनः ॥ 3 ॥ (सर्वे पुनः अट्टहासं कुर्वन्ति)
अन्वयः
1. यमराजसहोदर! वैद्यराज! तुभ्यं नमः। यमः तु प्राणान् (एव) हरति। नैद्यः प्राणान् धनानि च।
2. प्रज्ज्वलितां चितां दृष्ट्वा वैद्यः विस्मयम आगतः। न अहं गतः न मे भ्राता, इदं हस्तलाघवं कस्य (अस्ति)?
3. दुर्बुद्धे! पर-अन्नं प्राप्य शरीरे दयां मा कुरु। लोके परान्नं दुर्लभम्, शरीराणि (तु) पुनः पुनः (लभन्ते)।
HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 4 हास्यबालकविसम्मेलनम्-2
हिन्दी-अनुवाद :
(विविध वेषभूषा धारण किए हुए चार बाल-कवि मञ्च के ऊपर बैठे हैं। नीचे श्रोतागण हास्यकविता सुनने के लिए उत्सुक हैं और शोर कर रहे हैं।)
सञ्चालक – कोलाहल मत कीजिए। आज हर्ष का महान् अवसाद है कि इस कवि-सम्मेलन में काव्य की हत्या करने वाले और समय का विनाश करने वाले श्रेष्ठ हास्य कवि आए हुए हैं। आइए, तालियों से उनका स्वागत करते हैं।
गजाधर – सभी नीरसों (अरसिकों) को नमस्कार, नमस्कार। पहले तो मैं आधुनिक वैद्य (डॉक्टर) पर अपनी कविता सुनाता हूँ- (1) “हे यमराज के सगे भाई वैद्यराज! तुम्हें नमस्कार है। यमराज तो केवल प्राण हरता है। वैद्य प्राण और धन दोनों को नष्ट करता है।” (सभी जोर से हँसते हैं।)
कालान्तक – अरे! वैद्य तो सब जगह हैं परन्तु वे जनसंख्या को मिटाने में मेरी तरह कुशल नहीं हैं। मेरी भी यह कविता सुनिए आप- (2) “जलती हुई चिता को देखकर वैद्य आश्चर्यचकित हो गया। (उसने सोचा) न मैं इसके (मृत के घर) यहाँ गया था और न मेरा भाई। फिर यह हाथ की सफाई किसकी है?”
तुन्दिल – (तोंद के ऊपर हाथ फेरते हुए) अरे मैं तुन्दिल हूँ। मेरी भी कविता सुनिए और इसे जीवन में धारण कीजिए- (3) “हे दुर्बुद्धि (मन्दमति)! दूसरे का अन्न (भोजन) पाकर (अपने) शरीर पर दया मत कर। संसार में दूसरे का अन्न मिलना कठिन है, शरीर तो बार-बार (मिलते हैं)।” (सभी फिर से अट्टहास करते हैं।)

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 4 हास्यबालकविसम्मेलनम्

2. धुन्धः – अरे! भवन्त जानन्ति एव यद् आधुनिकाः वैज्ञानिकाः प्लूटो-ग्रहं न स्वीकुर्वन्ति। तेषां मते अष्ट एव ग्रहाः, किन्तु मन्मतेन दश ग्रहाः सन्ति।
श्रोसारः – अयि! कविधुरन्धर! कस्तावत् दशमो ग्रहः? अस्माभिः कदापि न श्रुतम्। तस्य च कः प्रभावः ?
धुन्धः – सावधानमनसा शृण्वन्तु भवन्तः दशमग्रहस्य वैशिष्ट्यम्सदा वक्रः सदा क्रूरः सदा मानधनापहः। कन्याराशिस्थितो नित्यं जामाता दशमो ग्रहः ॥ 4 ॥ (काव्यपाठश्रवणेन उत्प्रेरितः एकः बालकोऽपि आशुकविता रचयति सहासं श्रावयति च)
बालकः – श्रूयताम्, श्रूयतां भोः! ममापि काव्यम् गजाधरं यम नौमि तुन्दिलं चान्नलोलुपम्। दशमं च ग्रहं धुन्धं कालान्तक तथैव व ॥ 5 ॥ (काव्यं श्रावयित्वा ‘हा हा हा’ इति कृत्वा हसति। अन्ये चाऽपि हसन्ति, बहि: निष्क्रम्य सर्वे गृहं च गच्छन्ति।)

अन्वयः 4. सदा वक्रः, सदा क्रूरः, सद मान-धनापहः, नित्यं कन्याराशि-स्थित: जामाता दशम: ग्रहः।
5. गजाधर, यम, तुन्दिलम्, अन्नलोलुपं च नौमि। तथा एव च दशमं ग्रहं धुन्ध, कालान्तकं च (नौमि)।
शब्दार्थाः

हिन्दी-अनुवाद :
धुन्ध : अरे! आप सब जानते ही हैं कि आधुनिक वैज्ञानिक प्लूटो को ग्रह नहीं मानते हैं। उनके मत से आठ ही ग्रह हैं किन्तु मेरे मत से ग्रह दश हैं।
श्रोतागण : अरे! श्रेष्ठकवि! कौन है वह दसवाँ ग्रह ? हमने कभी भी नहीं सुना और उसका प्रभाव क्या है ?
धुन्ध : सावधान मन से सुनिए आप लोग दसवें ग्रह की विशेषता-
(4) हमेशा कुटिल (वक्री), सदैव निर्दय, हमेशा यान और धन का अपहरण करने वाला, सदा कन्या राशि पर रहने वाला दसवाँ ग्रह जमाई है।
(काव्यपाठ सुनने से प्रेरित एक बालक भी तात्कालिक कविता रचता है और हँसी सहित सुनाता है।)

‘बालक : सुनिए, अरे। सुनिए, मेरी भी कविता- (5) “मेरी गजाधर को, यमराज को, तुन्दिल को, अन्न (भोजन) के लालची को नमन करता हूँ और उसी तरह दसवें ग्रह धुन्ध को कालान्तक को (नमन करता हूँ।” (कविता सुनाकर ‘हा हा हा’ करके हँसता है और दूसरे भी हंसते हैं। बाहर निकलकर सभी घर जाते हैं।)

HBSE 7th Class Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 4 हास्यबालकविसम्मेलनम्

सन्धिच्छेदाः
कालयापकाश्च = कालयापकाः + च। स्वागतम् = सु + आगतम्। सर्वेभ्योऽरसिकेभ्यो नमो नमः = सर्वेभ्यः + अरसिकेभ्यः + नमः + नमः। तावद् अहम् – तावत् + अहम्। नमस्तुभ्यम् = नमः + तुभ्यम्। यमस्तु – यमः + तु। वैद्यस्तु – वैद्यः + तु। ममापि = मम + अपि। वैद्यो विस्मयम् – वैद्यः । विस्मयम्। नाहम् = न + अहम्। गतो न = गतः + न। कस्येदम् – कस्य + इदम्। तुन्दिलोऽहम् = तुन्दिल: + अहम्। परान्नम् – पर + अन्नम्। मन्मतेन = मत् + मतेन! कस्तावत् – क: + तावत्। कदापि – कृदा + अपि। मानधनापहः – मानधन + अपहः। राशिस्थितो नित्यम् = राशिस्थितः + नित्यम्। दशमो ग्रहः – दशमः + ग्रहः। बालकोऽपि = बालक: + अपि। चान्नलोलुपम् – च + अन्नलोलुपम्। तथैव = तथा + एव। चापि च + अपि।

संयोगः – विस्मयमागतः – विस्मयम् + आगतः।

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