HBSE 9th Class Science Solutions Chapter 7 जीवों में विविधता

Haryana State Board HBSE 9th Class Science Solutions Chapter 7 जीवों में विविधता Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Science Solutions Chapter 7 जीवों में विविधता

HBSE 9th Class Science जीवों में विविधता Intext Questions and Answers
(पृष्ठ संख्या-91)

प्रश्न 1.
हम जीवधारियों का वर्गीकरण क्यों करते हैं?
उत्तर:
संसार में विभिन्न तरह के पेड़-पौधे और जंतु पाए जाते हैं। उदाहरण के लिए, संसार में जहाँ पर बैक्टीरिया सूक्ष्मदर्शी से देखे जाने वाले सूक्ष्मजीव पाए जाते हैं, वहीं पर दूसरी ओर, नीले व्हेल जैसे 30 मीटर लंबे जीव भी पाए जाते हैं। जबकि कैलिफोर्निया में 100 मीटर लंबे रेडवुड पेड़ भी पाए जाते हैं। इनकी आयु, संरचना आदि भी भिन्न-भिन्न होती है। कुछ जीवों की संरचना सरल तथा कुछ जीवों की संरचना जटिल होती है। इसलिए जीवन के इन विभिन्न रूपों के अध्ययन को सरल बनाने के लिए इनकी समानताओं तथा असमानताओं के आधार पर इनका वर्गीकरण किया जाता है।

प्रश्न 2.
अपने चारों ओर फैले जीव रूपों की विभिन्नता के तीन उदाहरण दें।
उत्तर:

  1. संसार में एक तरफ बैक्टीरिया जैसे सूक्ष्मदर्शी से देखे जाने वाले सूक्ष्मजीव पाए जाते हैं तो दूसरी तरफ 30 मीटर लंबी नीली व्हेल पाई जाती है।
  2. कैलिफोर्निया में 100 मीटर लंबे रेडवुड के पेड़ पाए जाते हैं जबकि लाइकेन केवल छोटे से धब्बों के रूप में भी दिखाई देते हैं।
  3. कछुआ 300 वर्ष तक जीवित रहता है, जबकि कुछ कीट जैसे मच्छर का जीवन केवल कुछ ही दिनों का होता है।

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(पृष्ठ संख्या-92)

प्रश्न 1.
जीवों के वर्गीकरण के लिए सर्वाधिक मूलभूत लक्षण क्या हो सकता है?

  1. उनका निवास स्थान,
  2. उनकी कोशिका संरचना।

उत्तर:
2. उनकी कोशिका संरचना।

प्रश्न 2.
जीवों के प्रारंभिक विभाजन के लिए किस मूल लक्षण को आधार बनाया गया?
उत्तर:
यूनानी विचारक एरिस्टोटल ने जीवों के वर्गीकरण उनके स्थल, जल एवं वायु में रहने के आधार पर किया था।

प्रश्न 3.
किस आधार पर जंतुओं और वनस्पतियों को एक-दूसरे से भिन्न वर्ग में रखा जाता है?
उत्तर:
जंतुओं और वनस्पतियों को कोशिका में पाई जाने वाली कोशिका भित्ति के आधार पर वर्गीकृत किया गया है। वनस्पतियों में कोशिका भित्ति पाई जाती है, जबकि जंतुओं में नहीं पाई जाती।

(पृष्ठ संख्या-93)

प्रश्न 1.
आदिम जीव किन्हें कहते हैं? ये तथाकथित उन्नत जीवों से किस प्रकार भिन्न हैं?
उत्तर:
पृथ्वी पर सबसे पहले विकसित जीवों को आदिम जीव कहते हैं; जैसे अमीबा। दूसरे प्रकार के जीव अर्थात् निम्न जीवों से विकसित जीवों को उन्नत जीव कहते हैं।

प्रश्न 2.
क्या उन्नत जीव और जटिल जीव एक होते हैं?
उत्तर:
हाँ, उन्नत और जटिल जीव एक ही होते हैं क्योंकि पुराने जीवों में जटिलताओं के साथ विकास हुआ। अतः सरल जीव उन्नत जीवों में बदल गए।

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(पृष्ठ संख्या-96)

प्रश्न 1.
मोनेरा अथवा प्रोटिस्टा जैसे जीवों के वर्गीकरण के मापदंड क्या हैं?
उत्तर:
मोनेरा अथवा प्रोटिस्टा जैसे जीवों के वर्गीकरण का आधार कोशिकीय संरचना, पोषण के स्रोत व तरीके और शारीरिक संगठन हैं।

प्रश्न 2.
प्रकाश-संश्लेषण करने वाले एककोशिक यूकैरियोटी जीव को आप किस जगत में रखेंगे?
उत्तर:
प्लांटी।

प्रश्न 3.
वर्गीकरण के विभिन्न पदानुक्रमों में किस समूह में सर्वाधिक समान लक्षण वाले सबसे कम जीवों को और किस समूह में सबसे ज्यादा संख्या में जीवों को रखा जाएगा?
उत्तर:
सबसे कम – जाति (स्पीशीज)
सबसे अधिक – जगत (किंगडम)

(पृष्ठ संख्या-99)

प्रश्न 1.
सरलतम पौधों को किस वर्ग में रखा गया है?
उत्तर:
थैलोफाइटा वर्ग में।

प्रश्न 2.
टेरिडोफाइटा और फैनरोगैम में क्या अंतर है?
उत्तर:
टेरिडोफाइटा-ये निम्न वर्ग के पौधे हैं। इनका शरीर जड़, तने व पत्तों में विभक्त होता है। उनमें संवहन तंत्र पाया जाता है। इनके जननांग बहुकोशिक होते हैं। इनमें निषेचन के बाद भ्रूण बनता है; जैसे फर्नस। फैनरोगैम-ये उच्च-कोटि के पौधे हैं। इनमें जड़, तना, पक्षी, फल, फूल व बीज पाए जाते हैं। इनमें लैंगिक जनन द्वारा बीज बनते हैं; जैसे गेहूँ, सरसों आदि।

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प्रश्न 3.
जिम्नोस्पर्म और एंजियोस्पर्म एक-दूसरे से किस प्रकार भिन्न हैं?
उत्तर:

जिम्नोस्पर्म (अनावृतबीजी) एंजियोस्पर्म (आवृतबीजी)
1. इनमें बीज ढके हुए नहीं होते। 1. इनके बीज ढके हुए होते हैं।
2. इनके बीज फल के बाहर होते हैं। 2. इनके बीज फलाभित्ति के अंदर होते हैं।
3. ये अधिकतर पर्वतीय पौधों में पाए जाते हैं।
उदाहरण-पाइनस (चीड़), साइकस।
3. ये प्रायः सभी वर्ग के मैदानी पौधों में होते हैं। उदाहरण-मटर, गेहूँ।

(पृष्ठ संख्या-105)

प्रश्न 1.
पोरीफेरा और सीलेंटरेटा वर्ग के जंतुओं में क्या अंतर है?
उत्तर:
पोरीफेरा और सीलेंटरेटा वर्ग के जंतुओं में निम्नलिखित अंतर हैं

पोरीफेरा सीलेंटरेटा
1. ये अत्यंत सरल बहुकोशीय जंतु हैं। 1. ये जटिल बहुकोशीय जंतु हैं।
2. पूरा शरीर छिद्रमय होता है। 2. इनका शरीर छिद्रमय नहीं होता।
3. ये फूलदान के आकार के चपटे, गोल व शाखित होते हैं। 3. इनके शरीर में टेंटाकलस पाए जाते हैं।
4. ये स्थिर होते हैं। 4. ये स्थिर या जल में तैरते हुए पाए जाते हैं।
5. इनमें कंकाल स्पैंजिन तंतुओं का बना होता है। उदाहरण-साइकॉन, स्पांजिल़ा । 5. इनका बाह्य कंकाल चूने का बना होता है। उदाहरण-हाइड्रा, फाइसेलिया।

प्रश्न 2.
एनीलिडा के जंतु, आर्थोपोडा के जंतुओं से किस प्रकार भिन्न हैं?
उत्तर:
एनीलिडा और आर्थोपोडा के जंतुओं में निम्नलिखित अंतर हैं

एनीलिडा (सखंड कृमि) आर्थोपोडा (संधिपाद कृमि)
1. इसमें जीवों की संख्या कम है। 1. यह सबसे बड़ा जंतु संघ है।
2. इनमें बाह्य कंकाल नहीं पाया जाता। 2. इनमें बाह्य कंकाल पाया जाता है।
3. इनमें खुला परिसंचरण नहीं होता। 3. इनमें खुला परिसंचरण तंत्र पाया जाता है।
4. इनकी आँखें संयुक्त नहीं होती। 4. इनकी आँखें संयुक्त होती हैं।
5. इनमें शरीर सिर, धड़ और वक्ष में नहीं बँटा होता। 5. इनका शरीर सिर, धड़, वक्ष में बँटा होता है।
6. ये द्विलिंगी होते हैं।
उदाहरण-केंचुआ, जोंक, नेरीस।
6. ये एकलिंगी होते हैं।
उदाहरण-तितली, मक्खी, मकड़ी, झींगा आदि।

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प्रश्न 3.
जल-स्थलचर और सरीसृप में क्या अंतर है?
उत्तर:
जल-स्थलचर और सरीसृप जंतुओं में अंतर निम्नलिखित हैं

जल-स्थलचर जंतु सरीसृप जंतु
1. ये अलवण जल और नमी वाले स्थानों पर पाए जाते हैं। 1. ये प्रायः स्थलीय होते हैं।
2. इनकी त्वचा शल्क रहित होती है। 2. इनकी त्वचा पर शल्क पाए जाते हैं।
3. इनमें श्वसन क्लोम, फेफड़ों और त्वचा द्वारा होता है। 3. इनमें श्वसन केवल फेफड़ों द्वारा होता है।
4. इनमें नेत्र गोलक इधर-उधर घुमाया जा सकता है। 4. इनमें ऐसा नहीं होता।
5. ये असम रक्त प्राणी हैं। उदाहरण-मेंढक, बूफो, हाइला आदि । 5. ये शीत रक्त प्राणी हैं। उदाहरण-छिपकली, गिरगिट, साँप, आदि ।

प्रश्न 4.
पक्षी वर्ग और स्तनपायी वर्ग के जंतुओं में क्या अंतर हैं?
उत्तर:
पक्षी वर्ग और स्तनपायी वर्ग के जंतुओं में निम्नलिखित अंतर हैं

पक्षी वर्ग स्तनपायी
1. इनके शरीर पर पंख पाए जाते हैं। 1. इनके शरीर पर बाल पाए जाते हैं।
2. पक्षी अंडे देते हैं। 2. ये बच्चों को जन्म देते हैं।
3. इसकी चोंच में दाँत नहीं होते। 3. इनके मुँह में दाँत होते हैं।
4. इनका शरीर धारा रेखीय होता है। 4. इनमें ऐसा नहीं होता।
5. इसकी हड्डियाँ खोखली होती हैं। 5. इसकी हड्डियाँ ठोस होती हैं।
6. इनके फेफड़ों में वायुकोष पाए जाते हैं। उदाहरण-तोता, कबूतर, कौआ। 6. इनके फेफड़ों में वायुकोष नहीं पाए जाते।उदाहरण-मनुष्य, गाय, चमगादड़।

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HBSE 9th Class Science जीवों में विविधता Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
जीवों के वर्गीकरण से क्या लाभ हैं?
उत्तर:
जीवों के वर्गीकरण से निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं

  • वर्गीकरण से जीवों का अध्ययन सरल हो जाता है।
  • वर्गीकरण से जीवों के विभिन्न समूहों के बीच संबंधों के बारे में जानकारी मिलती है।
  • वर्गीकरण से जीवों की समानता और विभिन्नताओं के बारे में जानकारी मिलती है।
  • यह जीव विज्ञान की अन्य शाखाओं के लिए आधार का कार्य करता है।
  • वर्गीकरण जीवों की एकदम स्पष्ट तस्वीर प्रस्तुत करता है।

प्रश्न 2.
वर्गीकरण में पदानुक्रम निर्धारण के लिए दो लक्षणों में से आप किस लक्षण का चयन करेंगे?
उत्तर:
जीवों के वर्गीकरण में कोशिकीय संरचना और कार्य वर्गीकरण के आधारभूत लक्षण हैं। इन्हीं लक्षणों का पदानुक्रम विकास होता है। जीवों के अंगों द्वारा कार्य करने का लक्षण ही वर्गीकरण का प्रमुख लक्षण हो सकता है।

प्रश्न 3.
जीवों के पाँच जगत में वर्गीकरण के आधार की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
व्हिटेकर द्वारा प्रस्तुत जीवों के पाँच जगत में वर्गीकरण के आधार की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
1. मोनेरा-इन एककोशीय प्रोकैरियोटिक जीवों में कोशिका भित्ति पाई जाती है। ये स्वपोषी अथवा विषमपोषी दोनों प्रकार के हो सकते हैं। उदाहरण-जीवाणु, नील-हरित शैवाल, माइकोप्लाज्मा।

2. प्रोटिस्टा-ये एककोशीय यूकैरियोटिक स्वपोषी और विषमपोषी दोनों प्रकार के होते हैं। इनमें गमन के लिए सीलिया, फ्लैजेला पाए जाते हैं।
उदाहरण-पैरामीशियम एककोशिक शैवाल, प्रोटोजोआ, डाइएटम आदि।

3. पंजाई या कवक-ये विषमपोषी यूकैरियोटिक जीव हैं। ये गले, मरे, सड़े कार्बनिक पदार्थों से पोषण प्राप्त करते हैं। इन्हें मृतजीवी भी कहते हैं। इनमें काइटिन नामक जटिल शर्करा की बनी हुई कोशिका भित्ति होती है। उदाहरण-यीस्ट, मशरूम, एगेरिकस आदि।

4. प्लांटी-ये कोशिका भित्ति वाले बहुकोशिक यूकैरियोटिक जीव स्वपोषी होते हैं, जो प्रकाशसंश्लेषण क्रिया में पर्णहरिम का उपयोग करते हैं।
उदाहरण-सभी हरे पौधे।

5. एनिमेलिया-ये सभी बहुकोशिकीय यूकैरियोटिक विषमपोषी जीव होते हैं इनमें कोशिका भित्ति नहीं पाई जाती।

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प्रश्न 4.
पादप जगत के प्रमुख वर्ग कौन-से हैं? इस वर्गीकरण का क्या आधार है?
उत्तर:
पादप जगत के प्रमुख वर्ग:

  • थैलोफाइटा,
  • ब्रायोफाइटा,
  • टेरिडोफाइटा,
  • जिम्नोस्पर्म,
  • एंजियोस्पर्म।

इनके वर्गीकरण का आधार पादपं शरीर के प्रमुख घटकों का विकसित एवं विभेदित होना या नहीं होना है। वर्गीकरण का अगला स्तर पादप शरीर में जल और अन्य पदार्थों को संवहन करने वाले विशिष्ट ऊतकों की उपस्थिति के आधार पर होता है और तीसरी वर्गीकरण प्रक्रिया का आधार पौधों द्वारा बीजों को धारण करना या न करना है।

प्रश्न 5.
जंतुओं और पौधों के वर्गीकरण के आधारों में मूल अंतर क्या है?
उत्तर:
अधिकतर पौधों का शरीर भोजन बनाने की क्षमता के अनुसार विकसित होता है जबकि जंतुओं का शरीर बाहर से भोजन ग्रहण करने के अनुसार विकसित होता है। यही जंतुओं और पौधों के वर्गीकरण का मुख्य आधार है क्योंकि पौधे स्वपोषी और जंतु परपोषी कहलाते हैं।

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प्रश्न 6.
वर्टीब्रेटा (कशेरुक प्राणी) को विभिन्न वर्गों में बाँटने के आधार की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
सभी कशेरुकाओं में निम्नलिखित लक्षण पाए जाते हैं

  1. नोटोकार्ड,
  2. पृष्ठनलीय कशेरुक दंड एवं मेरुरज्जु,
  3. त्रिकोरिक शरीर,
  4. युग्मित क्लोम थैली,
  5. देहगुहा।

सभी कशेरुकी जंतु द्विपार्श्वसममिति त्रिकोरिक, देहगुहा वाले जंतु हैं, इन्हें पाँच वर्गों में बाँटा गया है

1. मत्स्य:

  • ये जलीय जंतु हैं जो मीठे और लवणीय दोनों प्रकार के जल में पाए जाते हैं,
  • ये अंडे देने वाले असमतापी जीव हैं,
  • इनका शरीर शल्कों से ढका होता है,
  • इनका शरीर धारारेखीय होता है,
  • श्वसन के लिए इनमें गलफड़े पाए जाते हैं,
  • इनका हृदय द्विकक्षीय होता है,
  • इनके शरीर पर पंख पाए जाते हैं।

उदाहरण-टॉरपीडो, रोहू, शार्क, ट्यूना, स्कॉलियोडॉन, समुद्री घोड़ा, ऐनाबस।

2. ऐंफिबिया (उभयचर वर्ग):

  • ये अलवण जल और नमी वाले स्थानों पर पाए जाते हैं,
  • शरीर शल्क रहित होता है,
  • इनमें दो जोड़ी पंचांगुलि पाद होते हैं,
  • श्वसन क्लोम, फेफड़ों या त्वचा द्वारा होता है,
  • इनका हृदय तीन कक्षीय होता है।
    उदाहरण-मेंढक, टोड, हाइला।

3. रेप्टीलिया वर्ग (सरीसृप वर्ग):

  • ये अधिकतर स्थलीय होते हैं,
  • इनकी त्वचा पर शल्क होते हैं,
  • श्वसन केवल फेफड़ों द्वारा होता है,
  • हृदय तीन कक्षीय होता है (कुछ में चार कक्षीय; जैसे मगरमच्छ में),
  • ये एकलिंगी होते हैं।
    उदाहरण हेमिडैक्टाइलस (छिपकली), कैमेलिऑन (गिरगिट), ड्रैको (उड़न छिपकली)।

4. एवीज़ वर्ग (पक्षी वर्ग):

  • ये विश्वव्यापी हैं,
  • अग्रपाद पंखों में परिवर्तित हैं,
  • शरीर पंखों में ढका होता है,
  • कंकाल खोखला होता है,
  • इनकी चोंच में दाँत नहीं होते,
  • श्वसन फेफड़ों द्वारा होता है। फेफड़ों में वायुकोष पाए जाते हैं,
  • हृदय चार कक्षीय है।
    उदाहरण-कबूतर, मोर, चिड़िया, शुतुरमुर्ग आदि।

5. मैमेलिया वर्ग (स्तनपायी):

  • ये प्रायः स्थलीय होते हैं,
  • इनके शरीर पर बाल पाए जाते हैं,
  • श्वसन केवल फेफड़ों द्वारा होता है,
  • हृदय चार कक्षीय है,
  • ये स्तनों द्वारा अपने बच्चों को दूध पिलाते हैं,
  • ये एकलिंगी होते हैं।
    उदाहरण-कंगारू, चूहा, व्हेल, गिलहरी, हाथी, खरगोश, चमगादड़, चिपैंजी, मनुष्य आदि।

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