Haryana State Board HBSE 9th Class Science Notes Chapter 15 खाद्य संसाधनों में सुधार Notes.
Haryana Board 9th Class Science Notes Chapter 15 खाद्य संसाधनों में सुधार
→ हमारे भोजन में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेटस, वसा, विटामिन और खनिज लवण होते हैं।
→ हमें भोजन पौधों और जंतुओं से प्राप्त होता है।
→ हरित और श्वेत क्रांति से खाद्य उत्पादन बढ़ा है।
→ संपूषणीय जीवन-यापन के लिए मिश्रित खेती, अंतराफसलीकरण तथा संघटित कृषि प्रणालियों को अपनाया जाना आवश्यक है।
→ फसल के लिए 16 पोषक आवश्यक हैं। हवा से कार्बन तथा ऑक्सीजन, पानी से हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन एवं मिट्टी से शेष 13 पोषक प्राप्त होते हैं, इन 13 पोषकों में से 6 पोषकों की मात्रा अधिक चाहिए, इन्हें वृहत् पोषक कहते हैं। इनमें से 7 पोषक तत्त्व कम मात्रा में चाहिए, इन्हें सूक्ष्म पोषक कहते हैं।
→ फसल के लिए पोषकों के मुख्य स्रोत खाद तथा उर्वरक हैं।
→ मिश्रित फसल में दो अथवा दो से अधिक फसलों को एक ही खेत में एक साथ उगाते हैं।
→ अब दो अथवा दो से अधिक फसलों को निर्दिष्ट कतार पैटर्न में उगाते हैं, उसे अंतराफसलीकरण कहते हैं।
→ एक ही खेत में विभिन्न फसलों को पूर्व नियोजित क्रमवार उगाएँ तो उसे फसल-चक्र कहते हैं।
→ कंपोस्ट या वर्मीकंपोस्ट और हरी खाद जैविक खादें हैं।
→ उर्वरक रासायनिक विधियों द्वारा तैयार किए जाते हैं।
→ फसल संरक्षण भी फसल उत्पादन वृद्धि में सहायक कारक है।
→ पशुधन के प्रबंधन को पशुपालन कहते हैं।
→ पशुपालन के दो उद्देश्य हैं दूध देने हेतु तथा कृषि कार्य हेतु।
→ कुक्कुट पालन देशी मुर्गियों को बढ़ाने के लिए करते हैं। मुर्गी पालन के अंतर्गत अंडों का उत्पादन तथा मुर्गों के मांस के लिए ब्रौलर उत्पादन आता है।
→ कुक्कुट पालन उत्पादन को बढ़ाने के लिए उन्नत किस्म की नस्लों के लिए भारत (देशी) तथा विदेशी नस्लों में संकरण कराते हैं।
→ समुद्र तथा अंतः स्रोतों से मछलियाँ प्राप्त कर सकते हैं।
→ मछली उत्पादन बढ़ाने के लिए उनका संवर्धन समुद्र तथा अंतःस्थली पारिस्थितिक तंत्रों में कर सकते हैं। समुद्री मछलियों को पकड़ने के लिए प्रतिध्वनि गंभीरता मापी तथा सैटेलाइट द्वारा निर्देशित जाल का प्रयोग करते हैं।
→ मछली फार्मिंग में प्रायः मिश्रित मछली संवर्धन तंत्र अपनाते हैं।
→ मधुमक्खी पालन मधु तथा मोम को प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
→ वृहत् पोषक-जिन पोषकों की अधिक मात्रा में आवश्यकता हो, उन्हें वृहत् पोषक कहते हैं। (इनकी संख्या 6 है।)
→ सूक्ष्म पोषक-जिन पोषकों की कम मात्रा में आवश्यकता हो, उन्हें सूक्ष्म पोषक कहते हैं। (इनकी संख्या 7 है।)
→ खाद-जिन पदार्थों से पौधों का पोषण होता है, उन्हें खाद कहते हैं।
→ कंपोस्ट खाद-जैविक पदार्थों को गलाने-सड़ाने से जो पदार्थ बनते हैं, उन्हें कंपोस्ट खाद कहते हैं।
→ वर्मीकंपोस्ट-जिस कंपोस्ट को केंचुए के द्वारा निरस्तीकरण से बनाया जाता है, उसे वर्मीकंपोस्ट कहते हैं।
→ हरी खाद-हरे पौधों के गलने-सड़ने से जो खाद बनती है, उसे हरी खाद कहते हैं।
→ उर्वरक कृत्रिम प्रक्रियाओं से तैयार खाद को उर्वरक कहते हैं।
→ सिंचाई-फसलों को आवश्यकतानुसार पानी उपलब्ध कराना सिंचाई कहलाता है।
→ मृदा अपरदन-मृदा की ऊपरी सतह का किन्हीं कारणों से कट जाना या बह जाना मृदा अपरदन कहलाता है।
→ मिश्रित फसल-दो या दो से अधिक फसलों को एक साथ एक ही खेत में उगाना मिश्रित फसल कहलाता है।
→ अंतराफसलीकरण-दो या दो से अधिक फसलों को एक साथ एक ही खेत में विशेष ढंग से उगाना अंतराफसलीकरण कहलाता है।
→ फसल-चक्र-किसी खेत में क्रमवार पूर्व नियोजित सुनियोजित ढंग से विभिन्न फसलों को उगाना फसल-चक्र कहलाता है।
→ खरपतवार-कृषि योग्य भूमि में उगे अनावश्यक पौधे खरपतवार कहलाते हैं।
→ पीड़क-फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले जंतुओं को पीड़क कहते हैं।
→ पीड़कनाशी-जिन रसायनों से पीड़कों को नष्ट किया जाता है, उन्हें पीड़कनाशी कहते हैं।
→ पशुपालन-पशुधन के प्रबंधन को पशुपालन कहते हैं।
→ दुधारू पशु-दूध देने वाले पशुओं को दुधारू पशु कहते हैं।
→ ड्राफ्ट पशु-बोझा ढोने वाले पशुओं को ड्राफ्ट पशु कहते हैं।
→ डेयरी पशु-दूध देने वाले डेयरी पशु कहलाते हैं।
→ कुक्कुट पालन-अंडे व मांस के लिए मुर्गियों, बत्तखों, बटेरों आदि को पालना कुक्कुट पालन कहलाता है।
→ लेअर-अंडे देने वाली मुर्गी लेअर कहलाती है।
→ ब्रौलर केवल मांस के लिए पाली जाने वाली मुर्गियों को ब्रौलर या ब्रौला कहते हैं।
→ मत्स्य पालन मछली, प्रॉन, मोलस्क को उपयोगिता के लिए पालना मत्स्य पालन कहलाता है।
→ मधुमक्खी पालन-शहद व मोम प्राप्त करने के लिए मधुमक्खियों को पालना मधुमक्खी पालन कहलाता है।