HBSE 9th Class Science Notes Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं

Haryana State Board HBSE 9th Class Science Notes Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं Notes.

Haryana Board 9th Class Science Notes Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं

→ स्वास्थ्य किसी व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक तथा सामाजिक जीवन क्षमता की पूर्णरूपेण समन्वयित स्थिति है।

→ सभी जीवों का स्वास्थ्य उनके पर्यावरण पर आधारित होता है।

→ मानव के लिए सामाजिक पर्यावरण व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए अति महत्त्वपूर्ण है।

→ सामुदायिक स्वच्छता भी व्यक्तिगत स्वास्थ्य को प्रभावित करती है।

→ संतुलित आहार व उचित आदतें भी स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक हैं।

→ रोग या व्याधि का शाब्दिक अर्थ बाधित आराम या असुविधा है।

→ कम अवधि वाले रोगों को तीव्र रोग और लंबी अवधि वाले रोगों को दीर्घकालिक रोग कहते हैं।

→ रोग फैलाने वाले कारणों को रोग कारक कहते हैं।

→ रोग दो प्रकार के होते हैं संक्रामक और असंक्रामक।

→ संक्रामक कारक जीवों के अलग-अलग वर्ग से हो सकते हैं। ये एककोशिक सूक्ष्मजीव या बहुकोशिक हो सकते हैं।

→ रोग का उपचार उसके कारक रोगाणु के वर्ग के आधार पर किया जाता है।

→ संक्रामक कारक जल, वायु, शारीरिक संपर्क या रोगवाहकों द्वारा फैलते हैं।

→ रोगों का निवारण सफल उपचार की अपेक्षा अच्छा है।

→ संक्रामक रोगों का निवारण जन-स्वास्थ्य स्वच्छता विधियों से किया जा सकता है जिससे संक्रामक कारक कम हो जाते हैं।

→ टीकाकरण द्वारा संक्रामक रोगों का निवारण किया जा सकता है।

HBSE 9th Class Science Notes Chapter 13 हम बीमार क्यों होते हैं

→ संक्रामक रोगों के निवारण को प्रभावशाली बनाने के लिए जरूरी है कि सार्वजनिक स्वच्छता और टीकाकरण की सुविधा सभी को उपलब्ध हो।

→ टेटनस, डिप्थीरिया, कुकुर खाँसी, चेचक, पोलियो आदि के टीके उपलब्ध हैं।

→ हिपेटाइटिस ‘A’ का टीका भी उपलब्ध है।

→ चेचक के टीके का आविष्कार इंगलिश चिकित्सक एडवर्ड जेनर ने गऊ के चेचक फफोलों से तैयार किया।

→ स्वास्थ्य स्वास्थ्य व्यक्ति की सामाजिक, मानसिक व शारीरिक जीवन की एक समग्र समन्वयित अवस्था है।

→ रोग अच्छे स्वास्थ्य में रुकावट उत्पन्न होना ही रोग है या शरीर के किसी भी अंग में किन्हीं कारणों से कुसंक्रिया का होना रोग कहलाता है।

→ लक्षण-जो हमें शरीर की खराबी या विकार के बारे में सावधान करे, उसे लक्षण कहते हैं।

→ तीव्र रोग-कम अवधि के रोगों को तीव्र रोग कहते हैं।

→ दीर्घकालिक रोग-जो रोग लंबी अवधि या जीवन पर्यंत रहें, उन्हें दीर्घकालिक रोग कहते हैं।

→ रोग का कारक-रोग का कारण, रोग का कारक कहलाता है।

→ संक्रामक रोग जो रोग किसी प्रकार के संपर्क के द्वारा फैलते हैं, उन्हें संक्रामक रोग कहते हैं।

→ असंक्रामक रोग जो रोग संपर्क की बजाय अन्य कारण से हो, असंक्रामक रोग कहलाते हैं।

→ एंटीबायोटिक-ऐसे पदार्थ जो एक जीवधारी से तैयार किए जाएँ और अन्य जीवधारियों के लिए हानिकारक हों, एंटीबायोटिक कहलाते हैं।

→ लैंगिक संचारी रोग-जो रोग लैंगिक संपर्क से फैलें, उन्हें लैंगिक संचारी रोग कहते हैं।

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→ रोगवाहक-जो जंतु रोगाणुओं को रोगी से लेकर अन्य स्वस्थ व्यक्ति तक पहुँचाएँ उन्हें रोगवाहक या वेक्टर कहते हैं।

→ जलोढ़-जल द्वारा फैलने वाले रोगों को जलोढ़ रोग कहते हैं।

→ टीकाकरण-वह प्रक्रिया जिसमें पदार्थ (टीका) को एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में डाला जाता है जिससे उस बीमारी के प्रति हैं।

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