HBSE 7th Class Social Science Solutions History Chapter 7 जनजातियाँ, खानाबदोश और एक जगह बसे हुए समुदाय

Haryana State Board HBSE 7th Class Social Science Solutions History Chapter 7 जनजातियाँ, खानाबदोश और एक जगह बसे हुए समुदाय Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Social Science Solutions History Chapter 7 जनजातियाँ, खानाबदोश और एक जगह बसे हुए समुदाय

HBSE 7th Class History जनजातियाँ, खानाबदोश और एक जगह बसे हुए समुदाय Textbook Questions and Answers

फिर से याद करें

जनजातियां खानाबदोश और एक जगह बसे हुए समुदाय प्रश्न उत्तर HBSE 7th Class Social Science प्रश्न1.
निम्न का मिलान कीजिए:

गढ़खेल चौरासी
टंडा कारवां
श्रमिक (मजदूर) गढ़ कटंगा
प्रजातीय कबीला अहोम राज्य
सिबसिंह पाइक
दुर्गावती गढ चौरासी

उत्तर:

टंडा कारवां
श्रमिक (मजदूर) पाइक
प्रजातीय कबीला खेल
सिबसिंह अहोम राज्य
दुर्गावती गढ़ कटंगा

HBSE 7th Class Social Science History Chapter 7 प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :
(क) वर्णों के भीतर पैदा होती नयी जातियाँ कहलाती थीं।
(ख) ………………………… अहोम लोगों के द्वारा लिखी गई ऐतिहासिक कृतियाँ थीं।
(ग) …………………….. ने इस बात का उल्लेख किया है कि गढ़ कटंगा में 70,000 गाँव थे।
(घ) बड़े और ताकतवर होने पर जनजातीय राज्यों ने …………………….. और ……………………. को भूमि-अनुदान दिए।
उत्तर:
(क) उपजातियाँ
(ख) बुरांजिस (Buranjis)
(ग) अकबरनामा
(घ) कवि, विद्वान।

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प्रश्न 3.
सही या गलत बताइये:
(क) जनजातीय समाजों के पास समृद्ध वाचिक परंपराएँ थीं।
(ख) उपमहाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी भाग में कोई जनजातीय समुदाय नहीं था।
(ग) गोंड राज्यों में अनेक नगरों को मिलाकर चौरासी बनता था।
(घ) भील उपमहाद्वीप के उत्तर-पूर्वी भाग में रहते थे।
उत्तर:
(क) सही
(ख) गलत
(ग) गलत
(घ) गलत।

प्रश्न 4.
खानाबदोश पशुचारकों और एक जगह बसे हुए खेतिहरों के बीच किस तरह का विनिमय होता था?
उत्तर:
खानाबदोश पशुचारकों और एक जगह बसे हुए खेतिहर लोगों के मध्य ऊन, घी आदि के बदले अनाज, वस्त्र, बर्तनों एवं अन्य उत्पादनों का विनिमय होता था। आइए समझें

प्रश्न 5.
अहोम राज्य का प्रशासन कैसे संगठित था?
उत्तर:
अहोम प्रशासन का संगठन निम्न प्रकार से संगठित था:

  • अहोम समाज कुलों में विभाजित था। बाद में कुलों में एकता भंग हो गई।
  • 17वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध तक अहोम प्रशासन केंद्रीकृत हो चुका था।
  • एक कुल (खेल) के नियंत्रण में प्रायः कई गाँव होते थे। किसान को अपने ग्राम समुदाय के द्वारा जमीन दी जाती थी। समुदाय की सहमति के बगैर राजा तक इसे वापस नहीं ले सकता था।

प्रश्न 6.
वर्ण आधारित समाज में क्या परिवर्तन आए?
उत्तर:
1. भारतीय उपमहाद्वीप के बड़े हिस्से में समाज वर्ण के नियमों के अनुसार पहले से ही विभाजित था। ब्राह्मणों द्वारा सुझाए गए यह नियम बड़े-बड़े राज्यों के राजाओं द्वारा मंजूर किए गए थे। इससे समाज में ऊँच और नीच तथा अमीर और गरीब के मध्य फासला बढ़ा।

2. देश में कुछ भागों में ऐसे कई समाज थे जो ब्राह्मणों द्वारा सुझाए गए सामाजिक नियमों और कर्मकांडों को नहीं मानते थे और न ही वे अनेक असमान वर्गों में विभाजित थे। प्रायः ऐसे समाजों को जनजातियों कहा जाता था। कुछ जनजातियाँ खानाबदोश थीं।

3. विशेषज्ञता प्राप्त शिल्पियों – सुनार, लोहार, बढ़ई और राजमिस्त्री-को भी ब्राह्मणों द्वारा जातियों के रूप में मान्यता दे दी गई। वर्णों की बजाय जाति समाज के संगठन का आधार बनी।

4. शासकों के रूप में राजपूत गोत्रों के उदय के उदाहरण का जनजातीय लोगों ने अनुसरण किया। धीरे-धीरे ब्राह्मणों के समर्थन से कई जनजातियों जाति व्यवस्था का भाग बन गई।

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प्रश्न 7.
एक राज्य के रूप में संगठित हो जाने के बाद जनजातीय समाज कैसे बदला?
उत्तर:
एक राज्य के रूप में संगठित हो जाने के बाद जनजातीय समाज में कई तरह से बदलाव आए।
(i) हूण, चंदेल, चालुक्य और कुछ दूसरी वंश परंपराओं में से कुछ पहले जनजातियों में आते थे और बाद में कई कुल रालपूत मान लिए गए। धीरे-धीरे उन्होंने पुराने शासकों की जगह ले ली, विशेषतः कृषि वाले क्षेत्रों में।
शासकों के रूप में राजपूत गोत्रों के उदय के उदाहरण का जनजातीय लोगों ने अनुसरण किया। धीरे-धीरे ब्राह्मणों के समर्थन से कई जनजातियाँ, जाति व्यवस्था का हिस्सा बन गई लेकिन केवल प्रमुख जनजातीय परिवार ही शासक वर्ग में शामिल हो सके। आइए चर्चा करें

प्रश्न 8.
क्या बंजारा लोग अर्थव्यवस्था के लिए महत्त्वपूर्ण थे?
उत्तर:

  1. बंजारा लोग सबसे महत्त्वपूर्ण व्यापारी खानाबदोश थे। उनका कारवाँ टांडा कहलाता था।
  2. सुल्तान अलाउद्दीन खलजी ने बंजारों का प्रयोग राजधानी दिल्ली के बाजारों तक अनाज की दुलाई के लिए किया।
  3. मुगल बादशाह जहाँगीर ने अपने संस्मरणों में लिखा कि बंजारे विभिन्न क्षेत्रों में अपने बैलों पर अनाज ले जाकर शहरों में बेचते थे।
  4. सैन्य अभियानों के दौरान भी बंजारे मुगल सेना के लिए खाद्यान्नों की ढुलाई का काम करते थे। किसी भी विशाल सेना के लिए एक लाख (1.00 000) बैल अनाज ढोते थे।
  5. बंजारों के बारे में सत्रहवीं सदी के शुरू में भारत आने वाले एक अंग्रेज व्यापारी पीटर मंडी ने वर्णन किया है कि वे लोग सस्ता अनाज उपलब्ध कराते थे।

प्रश्न 9.
गोंड लोगों का इतिहास अहोमों के इतिहास से किन मायनों में भिन्न था? क्या कोई समानता भी थी?
उत्तर:
गोंड लोगों के इतिहास एवं अहोमों के इतिहास में कई मायनों में अंतर था, जैसे :

  1. गोंड, गोंडवाना प्रदेश की प्रमुख जनजाति थी, जबकि अहोम ब्रह्मपुत्र घाटी में निवास करने वाली प्रमुख जनजाति थी।
  2. गोंड यहाँ के मूल निवासी थे, जबकि अहोम म्यानमार से आकर बसे थे।
  3. गोंड आग्नेय अस्त्रों का प्रयोग नहीं जानते थे, जबकि अहोम उच्च स्तरीय बारूद और तोपों के निर्माण में सक्षम थे।
  4. गोंडवाना राज्य अहोम राज्य की तुलना में बड़ा था।

गोंड इतिहास एवं अहोम इतिहास में समानताएँ:

  1. गोंड और अहोम दोनों ही जनजातियाँ थीं।
  2. दोनों ही जनजातियों ने अपने-अपने साम्राज्य स्थापित किए।
  3. दोनों ही राज्यों को मुगलों ने पराजित किया।

आइए करके देखें

प्रश्न 10.
एक मानचित्र पर इस अध्याय में उल्लेखित जनजातियों के इलाकों को चिह्नित करें। किन्हीं दो के संबंध में यह चर्चा करें कि क्या उनके जीविकोपार्जन का तरीका अपने-अपने इलाकों की भौगोलिक विशेषताओं और पर्यावरण के अनुरुप था।
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उत्तर:
हाँ, जनजातियों के जीविकोपार्जन के तरीकों पर उनके अपने-अपने इलाकों की भौगोलिक परिस्थितियों और पर्यावरण का अनुकूल प्रभाव था। वे विभिन्न प्रकार के मवेशी पशु चराते थे। उनसे दूध, माँस, ऊन, चमड़े और खालें आदि प्राप्त करते थे और उन्हें स्थायी रूप से बसे लोगों को अनाज, बर्तनों, उपयोगी उपकरणों के बदले में बेचा करते थे।

प्रश्न 11.
जनजातीय समूहों के संबंध में मौजूदा सरकारी नीतियों का पता लगाएँ और उनके बारे में एक बहस का आयोजन करें।
उत्तर:
मौजूदा सरकारें जनजातियों के संबंध में निम्न नीतियाँ अपनाए हुए हैं:

  1. जनजातियों के सामाजिक रीति-रिवाजों, परम्पराओं, आस्थाओं में प्राय: सरकार कोई हस्तक्षेप नहीं करती।
  2. जनजातियों को अपनी संस्कृतियों और पहचान को बनाए रखने की पूरी छूट है।
  3. जनजातियों को संसद, राज्य विधान सभाओं, स्थानीय निकायों में स्थान आरक्षित कर दिए गए हैं। सरकारी नौकरियों में कुछ प्रतिशत स्थान उनके लिए आरक्षित हैं।
  4. जनजातीय क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली, जलआपूर्ति जैसी मौलिक सुविधाएँ दी जा रही हैं।
  5. उन्हें कृषि, वन संरक्षण संबंधी अनुकूल और आवश्यक जानकारियाँ दी जाती हैं।

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प्रश्न 12.
उपमहाद्वीप में वर्तमान खानाबदोश पशुचारी समूहों के बारे में और पता लगाएँ। वे कौन से जानवर रखते हैं? वे प्रायः किन इलाकों में जाते रहते हैं?
उत्तर:
उपमहाद्वीप में वर्तमान खानाबदोश पशुचारिक समूह, भेड़-बकरियों या गाय, भैंस, ऊँट आदि मवेशी पालते हैं। वे प्रायः सर्दियों के दिनों में नीचे मैदानी इलाकों में उतरकर आ जाते हैं। कुछ जनजातियाँ छोटे-स्तर पर व्यापार करती हैं। वे अखरोट, मेवे, मसाले, ऊन, ऊनी वस्त्र, शाल, जानवरों की खालें और उपयोगी वस्तुएँ बेचती हैं। वे प्राय: अपने जानवरों के साथ ऐसे इलाकों में जाते हैं जहाँ उन्हें पानी और घास के मैदान या चारा आसानी से मिल सके।

बहुविकल्पी प्रश्न

प्रश्न 1.
उचित विकल्प चुनें :
(i) जनजातियों का इतिहास लिखने के लिए इतिहासकार स्रोत सामग्री के रूप में प्रयुक्त करते हैं:
(क) अभिलेख
(ख) वाचिक परंपराएँ
(ग) सिक्के
उत्तर:
(ख) वाचिक परंपराएँ।

(ii) 13वीं व 14वीं शताब्दी के काल में पंजाब में सबसे प्रभावशाली जनजाति थी:
(क) गक्खर
(ख) बलोच
(ग) खोखर
उत्तर:
(ग) खोखर।

(iii) सबसे महत्त्वपूर्ण व्यापारी खानाबदोश जनजाति थी:
(क) भील
(ख) कोल
(ग) बंजारा
उत्तर:
(ग) बंजारा।

(iv) किस सुल्तान ने नगर के बाजारों तक अनाज की. ढुलाई के लिए बंजारों का प्रयोग किया?
(क) सुल्तान अलाउद्दीन खलजी
(ख) मोहम्मद तुगलक
(ग) जहाँगीर
उत्तर:
(क) सुल्तान अलाउद्दीन खलजी।

(v) गोंड राज्य किसमें विभाजित था?
(क) कुल
(ख) चौरासी गाँव
(ग) गढ़
उत्तर:
(ग) गढ़।

प्रश्न 2.
रिक्त स्थान भरो:
(i) ……………. ने कमाल खान गक्खर को मनसबदार बनाया था।
(ii) बंजारों का कारवाँ …………………… कहलाता था।
(iii) गढ़ कटंगा के गोंड राजा अमन दास ने ….. की उपाधि धारण की।
(iv) अहोम राज्य के लिए जिन लोगों से जबरन काम लिया जाता था, वे ……………… कहलाते थे।
(v) अहोम समाज, कुलों में विभाजित था, जिन्हें कहा जाता था।
उत्तर\:
(i) अकबर
(ii) टांडा
(ii) संग्राम शाह
(iv) पाइक
(v) खेल।

प्रश्न 3.
सही गलत चुनें।
(i) बलोच उत्तर-पश्चिम में एक विशाल व शक्तिशाली जनजाति थी।
(ii) राजा मानसिंह बादशाह अकबर के सेनापति थे।
(iii) घुमंतू व्यापारियों की श्रृंखलाएं भारत को बाहरी दुनिया से जोड़ती थीं।
(iv) खानाबदोश एवं भ्रमणशील समूह, दोनों उस जगह कभी लौटकर नहीं आते जहाँ उन्होंने पिछले साल दौरा किया था।
(v) सिब सिंह के काल में अहोम समाज का मुख्य धर्म बौद्ध धर्म था।
उत्तर:
(i) √
(ii) √
(iii) √
(iv) X
(0) X

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HBSE 7th Class Civics जनजातियाँ, खानाबदोश और एक जगह बसे हुए समुदाय Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जनजातियाँ किन्हें कहा जाता है?
उत्तर:
उपमहाद्वीप के कई समाज ब्रह्मणों द्वारा सुझाए गए सामाजिक नियमों और कर्मकांडों को नहीं मानते थे। न ही वे कई असमान वर्गों में विभाजित थे। अक्सर ऐसे समाजों को जनजातियाँ कहा जाता रहा है।

प्रश्न 2.
खानाबदोश और भ्रमणशील समूह से क्या अभिप्राय है? संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
खानाबदोश घुमंतू लोग होते हैं। उनमें से कई पशुचारी होते हैं जो अपनी खड़ और पशुवं के साथ एक चारागाह से दूसरे चारागाह घूमते रहते है। इसी तरह दस्तकार, फेरीवाले और नृतक, गायक और एवं अन्य तमाशबीन भ्रमणशील समूह अपना काम-धंधा करते करते एक जगह से दूसरी जगह की यात्रा पर रहते हैं। खानाबदोश और अमणशील समूह, दोनों अक्सर उस जगह लौट कर आते हैं जहाँ उन्होंने पिछले साल दौरा किया था।

प्रश्न 3.
स्थानांतरीय कृषि का अर्थ समझाइए।
उत्तर:
किसी वनप्रांत के पेडों और झाडियों को पहले काटा और जलाया जाता है। उसकी राख में ही फसल बो दी जाती है। जब यह जमीन अपनी उर्वरता खो देती है, तब जमीन का दूसरा टुकड़ा साफ किया जाता है और इसी तरह से फसल उगाई जाती है। उत्तर-पूर्व भारत में इसे ‘झूम’ कहते हैं।

प्रश्न 4.
वर्ण व्यवस्था पर आधारित समाज व्यवस्था का मुख्य दोष क्या था?
उत्तर:
वर्ण व्यवस्था पर आधारित समाज व्यवस्था का मुख्य दोष यह था कि इसने अमीर-गरीब, ऊँच-नीच के अंतर को बढ़ाया।

प्रश्न 5.
जनजातीय समाज जातिगत समाज से किस प्रकार भिन्न थे?
उत्तर:
जातिगत समाज ब्राह्मणों द्वारा सुझाए गए कर्मकांडों व सामाजिक नियमों में विश्वास रखते थे। जनजातीय समाज इन्हें नहीं मानते थे और न ही वह जातिगत समाज की तरह असमान वर्गों में विभाजित थे।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जनजातियों की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
जनजाति समूह की विशेषताएं:
(i) प्रत्येक जनजाति के सदस्य नातेदारी के बंधन से जुड़े होते थे। कई जनजातियाँ खेती से अपना जीविकोपार्जन करती थीं। कुछ दूसरी जनजातियों के लोग शिकारी, संग्राहक या पशुपालक थे। प्राय: वे अपने निवास स्थान के प्राकृतिक संसाधनों का पूरा-पूरा इस्तेमाल करने के लिए गतिविधियों का मिला-जुला रूप अपनाते थे। कुछ जनजातियाँ खानाबदोश थीं और वे एक जगह से दूसरी जगह घूमती रहती थीं।

(ii) जनजातीय समूह संयुक्त रूप में भूमि और चारागाहों पर नियंत्रण रखते थे और अपने खुद के बनाए नियमों के आधार पर परिवारों के बीच इनका बंटवारा करते थे।

(iii) इस महाद्वीप के विभिन्न हिस्सों में कई बड़ी जनजातियाँ फली-फूलीं। सामान्यतः ये जंगलों, पहाड़ों, रेगिस्तानों और दूसरी दुर्गम जगहों पर निवास करती थीं।

प्रश्न 2.
शेष समाज और जनजातियों के मध्य संपर्क एवं उसके प्रभावों का वर्णन करें।
उत्तर:
(i) कभी-कभी जाति विभाजन पर आधारित अधिक शक्तिशाली समाजों के साथ उनका टकराव होता था। कई मायनों में इन जनजातियों ने अपनी आजादी को बरकरार रखा और अपनी विशिष्ट संस्कृति को बचाया।

(ii) लेकिन जाति-आधारित और जनजातीय समाज दोनों अपनी विविध किस्म की जरूरतों के लिए एक दूसरे पर निर्भर भी रहे। टकराव और निर्भरता के इस संबंध ने दोनों तरह के समाजों को धीरे-धीरे बदलने का काम भी किया।

प्रश्न 2.
खानाबदोश और घुमंतू लोग कैसे रहते थे?
उत्तर:
खानाबदोश चरवाहे अपने जानवरों के साथ दूर-दूर तक घूमते थे। उनका जीवन दूध और अन्य पशुचारी उत्पादों पर निर्भर था। वे खेतिहर गृहस्थों से अनाज, कपड़े, बर्तन और ऐसी ही चीजों के लिए ऊन, घी इत्यादि का विनिमय भी करते थे। कुछ खानाबदोश अपने जानवरों पर सामानों की ढुलाई का काम भी करते थे। एक जगह से दूसरी जगह आते-जाते वे सामानों की खरीद-फरोख्त करते थे।

HBSE 7th Class Social Science Solutions History Chapter 7 जनजातियाँ, खानाबदोश और एक जगह बसे हुए समुदाय

प्रश्न 3.
मंगोल जनजाति पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
इतिहास में सबसे प्रसिद्ध पशुचारी और शिकारी-संग्राहक जनजाति मंगोलों की थी। वे मध्य एशिया के घास के मैदानों (स्टेपी) और थोड़ा उत्तर की ओर के वन प्रांतों में बसे हुए थे। 1206 में चंगेज खान ने मंगोल और तुर्की जनजातियों में एकता पैदा कर उन्हें एक शक्तिशाली सैन्य बल में बदल डाला। अपनी मृत्यु के समय (1227) वह एक सुविस्तृत प्रदेश का शासक था। उसके उत्तराधिकारियों ने एक विशाल साम्राज्य खड़ा किया। अलग-अलग समय में इसके अंतर्गत रूस, पूर्वी यूरोप और चीन तथा मध्य-पूर्व का खासा बड़ा हिस्सा शामिल था। मंगोलों के पास सुसंगठित सैन्य एवं प्रशासनिक व्यवस्थाएँ थीं। ये विभिन्न जातीय और धार्मिक समूहों के समर्थन पर आधारित थीं।

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जनजाति लोग कौन थे? उनके बारे में जानकारी देने का क्या स्रोत है? उनके विभिन्न प्रभाव क्षेत्रों का विवरण दीजिए।
उत्तर:
जनजाति लोग और उनकी जानकारी के स्रोत : समकालीन इतिहासकारों और मुसाफिरों ने जनजातियों के बारे में बहुत कम जानकारी दी है। कुछ अपवादों को छोड़ दें, तो जनजातीय लोग भी लिखित दस्तावेज नहीं रखते थे लेकिन समृद्ध रीति-रिवाजों और वाचिका मौखिक परंपराओं का वे संरक्षण करते थे। ये परम्पराएँ हर नयी पीढ़ी को विरासत में मिलती थीं। आज के इतिहासकार जनजातियों का इतिहास लिखने के लिए इन वाचिक परंपराओं को इस्तेमाल करने लगे हैं।

विभिन्न जनजातियाँ और उसके प्रभाव क्षेत्र एवं गतिविधियाँ:
(i) जनजातीय लोग भारत के लगभग हर क्षेत्र में पाये जाते थे। किसी भी एक जनजाति का इलाका और प्रभाव समय के साथ-साथ बदलता रहता था। कुछ शक्तिशाली जनजातियों का बड़े इलाकों पर नियंत्रण था। पंजाब में खोखर जनजाति तेरहवीं और चौदहवीं सदी के दौरान बहुत प्रभावशाली थी। यहाँ बाद में गक्खर लोग ज्यादा महत्त्वपूर्ण हो गए। उनके मुखिया, कमाल खान गक्खर, को बादशाह अकबर ने मनसबदार बनाया था। मुल्तान और सिंध में मुगलों द्वारा अधीन कर लिए जाने से पहले लंगाह और अरघुन लोगों के कई किलों पर कब्जा किया और जनजाति को अपना अधीनस्थ बना लिया। इस क्षेत्र में रहने वाली महत्त्वपूर्ण जनजातियों में मुंडा और संताल थे, यद्यपि ये उड़ीसा और बंगाल में भी रहते थे।

(ii) कर्नाटक और महाराष्ट्र की पहाड़ियाँ कोली, बेराद तथा कई दूसरी जनजातियों के निवास स्थान थे। कोली लोग गुजरात के कई इलाकों में भी रहते थे। कुछ और दक्षिण में भी कोरागा, वेतर, मारवार और दूसरी जनजातियों की विशाल आबादी थी।

(iii) भीलों की बड़ी जनजाति पश्चिमी और मध्य भारत में फैली हुई थी। सोलहवीं सदी का अंत आते-आते उनमें से कई एक जगह बसे हुए खेतिहर और यहाँ तक कि जमींदार बन चुके थे। तब भी भीलों के कई कुल शिकारी-संग्राहक बने रहे। मौजूदा छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में गोंड लोग बड़ी तादाद में फैले हुए थे।

प्रश्न 2.
गोंडों और मुगलों के संबंधों का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
उत्तर:
गोंड राजा दलपत की मृत्यु कम उम्र में ही हो गई थी। रानी दुर्गावती बहुत योग्य थी और उसने अपने पाँच साल के पुत्र बीर नारायण के नाम पर शासन की कमान संभाली। उसके समय में राज्य का और अधिक विस्तार हुआ। 1565 में आसिफ खान के नेतृत्व में मुगल सेनाओं ने गढ़ कटंगा पर हमला किया। रानी दुर्गावती ने इसका जमकर सामना किया। उसकी हार हुई और उसने समर्पण करने की बजाय मर जाना बेहतर समझा। उसका – पुत्र भी लड़ता हुआ मारा गया।

जनजातियाँ, खानाबदोश और एक जगह बसे हुए समुदाय Class 7 HBSE Notes in Hindi

  1. जनजातियाँ : उपमहाद्वीप के जो अनेक समाज ब्राह्मणों द्वारा सुझाए गए सामाजिक नियमों और कर्मकांडों को नहीं मानते थे और न ही वे असमान वर्गों में विभाजित थे। अक्सर ऐसे समाजों को जनजातियाँ कहा जाता रहा है।
  2. खानाबदोश : वे लोग या जातियाँ जो एक जगह से दूसरी जगह अपने जानवरों के साथ घूमती रहती हैं।
  3. कुल : परिवारों या घरों के एक ऐसे समूह को कुल कहते हैं जो एक ही पूर्वज की सन्तान होने का दावा करते हैं। जनजातीय संगठन प्रायः नातेदारी या कुल संबंधी निष्ठा पर आधारित होते हैं।
  4. बंजारा : वे लोग जो सबसे छोटे लेकिन सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण खानाबदोश (घुमक्कड़) व्यापारी थे तथा कारवाँ (टांडा) बना कर अनाज, हल्दी, हींग आदि ढोते थे।
  5. पीटर मंडी : सत्रहवीं सदी के आरंभ में भारत आने वाला एक अंग्रेज व्यापारी।
  6. रथकार : रथ बनाने वाले लोग।
  7. गोंड : गोंडवाना नामक विशाल वन प्रदेश में रहने वाले जनजाति समुदाय के लोग।
  8. स्थानांतरीय कृषि : बदल-बदलकर (भूमि पर) खेती करने की प्रणाली।
  9. राय : राजा।
  10. गढ़ : राज्यों की विभाजित इकाई जो किसी खास गोंड (जनजाति) के कुल के नियंत्रण में होता था।
  11. चौरासी : चौरासी गाँवों की इकाइयों में विभाजित भू-क्षेत्र।
  12. बरहोती : चौरासी का उपविभाजन बरहोतों (इकाइयों) में होता था, जो बारह-बारह गाँवों को मिलाकर बनती थौं।
  13. संग्रामशाह : गढ़ कटंगा के गोंड राजा अमन दास ने संग्रामशाह की उपाधि धारण की।।
  14. आसिफ खान : मुगल सेनाओं का सेनानायक जिसने 1565 में गढ़ कटंगा (राज्य) पर हमला किया था।
  15. अहोम लोगों का मूल देश : सम्भवतः म्यानमार (बर्मा)।
  16. पाइक : अहोम राज्य में जिन लोगों से जबरन काम (राज्य के लिए ही) लिया जाता था, वे पाइक कहलाते थे।
  17. खेल : अहोम समाज कुलों में विभाजित था जिन्हें खेल कहा जाता था।
  18. सिबसिंह : अहोम जाति का प्रसिद्ध राजा (1714-1744) जिसके काल में हिन्दू धर्म प्रधान धर्म बन गया।
  19. बुरंजी : ये अहोम समाज की प्रसिद्ध ऐतिहासिक कृतियों (रचनाएँ) हैं जो पहले अहोम भाषा में और फिर असमिया में लिखी गई थीं।
  20. मंगोल : मंगोलिया की प्रसिद्ध पशुचारी और शिकारी-संग्राहक जनजाति जो मध्य एशिया के घास के मैदानों (स्टेपी) और थोड़ा उत्तर में बसे हुए थे।

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