HBSE 7th Class Social Science Solutions History Chapter 10 अठारहवीं शताब्दी में नए राजनीतिक गठन

Haryana State Board HBSE 7th Class Social Science Solutions History Chapter 10 अठारहवीं शताब्दी में नए राजनीतिक गठन Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Social Science Solutions History Chapter 10 अठारहवीं शताब्दी में नए राजनीतिक गठन

HBSE 7th Class History अठारहवीं शताब्दी में नए राजनीतिक गठन Textbook Questions and Answers

फिर से याद करें

अठारहवीं शताब्दी में नए राजनीतिक गठन प्रश्न उत्तर HBSE Class 7 प्रश्न 1.
निम्नलिखित में मेल बैठाएँ :

(i) सूबेदार एक राजस्व कृषक
(ii) फौजदार उच्व अभिजात
(iii) इजारादार प्रांतीय सूबेदार
(iv) मिसल मराठा कृषक योद्धा
(v) चौथ एक मुगल सैन्य कमांडर
(vi) कुनबी सिख योद्धाओं का समूह
(vii) उमरा मराठों द्वारा लगाया गया कर

उत्तर:

(i) सूबेदार प्रांतीय सूबेदार
(ii) फौजदार एक मुगल सैन्य कमांडर
(iii) इजारादार एक राजस्व कृषक
(iv) मिसल सिख योद्धाओं का समूह
(v) चौथ मराठों द्वारा लगाया गया कर
(vi) कुनबी मराठा कृषक योद्धा
(vii) उमरा उच्च अभिजात

Class 7 History Chapter 10 Question Answer In Hindi HBSE प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें :
(क) औरंगजेब ने …………… में एक लंबी लड़ाई लड़ी।
(ख) उमरा और जागीरदार मुगल ………… के शक्तिशाली अंग थे।
(ग) आसफजाह को ………………. में दक्कन की सबेदारी का कार्यभार सौंपा गया।
(घ) अवध राज्य का संस्थापक ………………..
उत्तर:
(क) दक्कन
(ख) प्रशासन
(ग) 18वीं शताब्दी
(घ) बुरहान-उल-मुल्क सआदत खाँ

HBSE 7th Class Social Science Solutions History Chapter 10 अठारहवीं शताब्दी में नए राजनीतिक गठन

अठारहवीं शताब्दी में नए राजनीतिक गठन HBSE Question Answer In Hindi Class 7 प्रश्न 3.
बताएँ सही या गलत:
(क) नादिरशाह ने बंगाल पर आक्रमण किया।
(ख) सवाई राजा जयसिंह इन्दौर का शासक था।
(ग) गुरु गोविन्द सिंह सिखों के दसवें गुरु थे।
(घ) पुणे अठारहवीं शताब्दी में मराठों की राजधानी बना।
उत्तर:
(क) गलत
(ख) गलत
(ग) सही
(घ) सही।

आइए चर्चा करें

HBSE 7th Class Social Science Chapter 10 अठारहवीं शताब्दी में नए राजनीतिक गठन प्रश्न 4.
सआदत खाँ के पास कौन-कौन से पद थे?
उत्तर:

  1. सूबेदारी
  2. फौजदारी
  3. दीवानी।

प्रश्न 5.
अवध और बंगाल के नवाबों ने जागीरदारी प्रणाली को हटाने की कोशिश क्यों की?
उत्तर:
अवध और बंगाल के नवाबों ने जागीरदारी प्रथा को निम्न कारणों से हटाने को कोशिश की :

  1. राजस्व के पुनर्निर्धारण के लिए।
  2. अपने विश्वस्त लोगों की नियुक्ति के लिए।
  3. दोनों नवाब मुगल शासन के प्रभाव को कम करना चाहते थे।
  4. जमींदारों द्वारा की जाने वाली धोखाधड़ी को रोकने के लिए।

प्रश्न 6.
अठारहवीं शताब्दी में सिखों को किस प्रकार संगठित किया गया?
उत्तर:
(i) 1708 में गुरु गोबिंद सिंह की मृत्यु के बाद बंदा बहादुर के नेतृत्व में खालसा ने मुगल सत्ता के खिलाफ विद्रोह किए। उन्होंने बाबा गुरु नानक और गुरु गोबिंद सिंह के नामों वाले सिक्के गढ़कर अपने शासन को सार्वभौम बताया। सतलुज और यमुना नदियों के बीच के क्षेत्र में उन्होंने अपने प्रशासन की स्थापना की।

(ii) 1715 में बंदा बहादुर को बंदी बना लिया गया और 1716 में उसे मार दिया गया।

(iii) अठारहवीं शताब्दी में कई योग्य नेताओं के नेतृत्व में सिखों ने अपने आपको पहले जत्थों में और बाद में मिस्लों में संगठित किया। इन जत्थों और मिस्लों की संयुक्त सेनाएँ दल खालसा कहलाती थीं।

(iv) गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा को प्रेरित किया था कि शासन उनके भाग्य में है (राज करेगा खालसा)। अपने सुनियोजित संगठन के कारण खालसा पहले मुगल सूबेदारों के खिलाफ और फिर अहमदशाह अब्दाली के खिलाफ सफल विरोध प्रकट कर सका।

(v) अहमदशाह अब्दाली ने मुगलों से पंजाब का समृद्ध प्रांत और सरहिंद की सरकार को अपने कब्जे में कर लिया था। खालसा ने 1765 में अपना सिक्का गढ़कर सार्वभौम शासन की घोषणा की। यह महत्त्वपूर्ण है कि सिक्के पर उत्कीर्णं शब्द वही थे जो बंदा बहादुर के समय खालसा के आदेशों में पाए जाते हैं।

(vi) अठारहवीं शताब्दी के अंतिम भाग में सिख इलाके सिंधु से यमुना तक फैले हुए थे, यद्यपि ये विभिन्न शासकों में बँटे हुए थे। इनमें से एक शासक महाराजा रणजीत सिंह ने विभिन्न सिख समूहों में फिर से एकता कायम कर 1799 में लाहौर को अपनी राजधानी बनाया।

HBSE 7th Class Social Science Solutions History Chapter 10 अठारहवीं शताब्दी में नए राजनीतिक गठन

प्रश्न 7.
मराठा शासक दक्कन के पार विस्तार क्यों करना चाहते थे?
उत्तर:
मराठा शासक दक्कन के पार विस्तार निम्नलिखित कारणों की वजह से चाहते थे।

  1. वे पूरे दक्षिण को अपनी सत्ता के अधीन लाकर प्रायद्वीप की सर्वोच्च शक्ति बनना चाहते थे।
  2. व दक्षिण में चौथ और सरदेशमुखी वसूली और उन्हें लगाने का वैध अधिकार प्राप्त करना चाहते थे।
  3. वे विघटित और पतन की ओर बढ़ रहे मुगल साम्राज्य के पतन को और तीव्र करना चाहते थे।

प्रश्न 8,
आसफजाह ने अपनी स्थिति को मजबूत बनाने के लिए क्या-क्या नीतियाँ अपनाईं?
उत्तर:
(i) निजाम-उल-मुल्क आसफजाह ने हैदराबाद के स्वतंत्र राज्य की स्थापना की। उसने अपने राजनैतिक और वित्तीय प्रशासन संबंधी अनुभव का पूरा लाभ उठाया।

(ii) दक्कन में होने वाले उपद्रवों और मुगल दरबार में चल रही प्रतिस्पर्धा का फायदा उठाकर उसने सत्ता हथियाई तथा उस क्षेत्र का वस्तुतः शासक बन गया।

(iii) आसफजाह अपने लिए कुशल सैनिकों तथा प्रशासकों को उत्तरी भारत से लाया था और वे दक्षिण में नए अवसर पाकर प्रसन्न थे। उसने मनसबदार नियुक्त किए और इन्हें जागीरें प्रदान की।

(iv) यद्यपि वह अभी भी मुगल सम्राट का सेवक था, फिर भी वह काफी आजादी से शासन चलाता था। न तो वह दिल्ली से कोई निर्देश लेता था और न ही दिल्ली उसके काम-काज में कोई हस्तक्षेप करती थी। मुगल बादशाह तो केवल निजाम द्वारा पहले से लिए गए निर्णयों की पुष्टि कर दिया करते थे।

(v) हैदराबाद राज्य पश्चिम की ओर मराठों के विरुद्ध और पठारी क्षेत्र के स्वतंत्र तेलगु सैन्य नायकों के साथ युद्ध करने में सदा संलग्न रहता था।

प्रश्न 9.
क्या आपके विचार से आज महाजन और बैंकर उसी तरह का प्रभाव रखते हैं, जैसा कि वे अठारहवीं शताब्दी में रखा करते थे?
उत्तर:
हमारे विचार में आज महाजन और बैंकर उस तरह का प्रभाव नहीं रखते, क्योंकि 18वीं सदी में महाजन और बैंकर निम्न तरीके से राज्य को प्रभावित करते थे :

  • राज्य ऋण प्राप्त करने के लिए स्थानीय सेठ, साहूकारों और महाजनों पर निर्भर रहता था।
  • साहूकार महाजन लोग लगान वसूल करने वाले इजारेदारों को पैसा उधार देते थे, बदले में बंधक के रूप में ज़मीन रख लेते थे।
  • साहूकार महाजन जैसे कई नए सामाजिक समूह राज्य की राजस्व प्रणाली के प्रबंध को भी प्रभावित करने लगे थे।

प्रश्न 10.
क्या अध्याय में उल्लेखित कोई भी राज्य आपके अपने प्रांत में विकसित हुए थे? यदि हाँ, तो आपके विचार से अठारहवीं शताब्दी का जन-जीवन आगे इक्कीसवीं शताब्दी के जन जीवन से किस रूप में भिन्न था?
उत्तर:
मैं, पंजाब में रहता हूँ। स्वतंत्रता से पूर्व पंजाब में कई देशी राज्य थे और वे अंग्रेजी सरकार के हाथों की कठपुतली मात्र थे। आजकल भारत एक लोकतंत्र है। हमने अपने लोगों को अनेक नागरिक, राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, धार्मिक एवं सामाजिक अधिकार संविधान के माध्यम से प्रदान किये हैं।

18वीं शताब्दी में हमें एक निरंकुश राजा या शासक की नीतियों तथा निर्देशों का ही पालन करना होता था। उसकी आज्ञा ही हमारे लिए सर्वोच्च एवं अंतिम आज्ञा होती थी। आज देश के नागरिकों के रूप में अंतिम सत्ता देश की जनता के पास है।

आइए करके देखें

प्रश्न 11.
अवध, बंगाल या हैदराबाद में से किसी एक की वास्तुकला और नए क्षेत्रीय दरबारों के साथ जुड़ी संस्कृति के बारे में कुछ और पता लगाएँ।
उत्तर:
(i) बंगाल के नवाबों ने हिंदुओं और मुसलमानों को रोजगार के समान अवसर दिए। उन्होंने सबसे ऊंचे नागरिक ओहदों और कई फौजी ओहदों पर बंगालियों को रखा जिनमें अधिकतर हिंदू थे। इजारेदारों को चुनते समय मुर्शिद कुली खाँ ने स्थानीय जमींदार और महाजनों को प्राथमिकता दी जिनमें अनेक हिंदू थे। इस प्रकार उसने बंगाल में एक नए भू-अभिजात वर्ग को जन्म दिया।

(ii) बंगाल के नवाबों की तरह अवध के नवाबों ने भी हिंदुओं और मुसलमानों के बीच कोई भेदभाव नही किया। उसके अनेक सेनापति और उच्च अधिकारी हिंदू थे। उसने हठीले जमींदारों, सरदारों और सामंतों को उनके धर्म का बिना कोई ख्याल किए दबा दिया। उसके सैनिकों को अच्छे वेतन मिलते थे। वे हथियारों से सुसज्जित और सुप्रशिक्षित थे। सआदत खाँ का प्रशासन कार्यकुशल था। उसने भी जागीरदारी प्रथा को जारी रखा।

नवाबों की सरकार के तहत लंबे समय तक लगातार शांति और सामंतों की आर्थिक समृद्धि के परिणामस्वरूप अवध दरबार के इर्द-गिर्द एक विशिष्ट लखनवी संस्कृति कालक्रम में विकसित हुई। लखनऊ बीते जमाने से ही अवध का एक महत्त्वपूर्ण शहर था। 1775 के बाद यह अवध के नवाबों का निवास स्थान बन गया। यह जल्दी ही कला और साहित्य को संरक्षण प्रदान करने की दृष्टि से दिल्ली का प्रतिद्वंद्वी हो गया। यह हस्तशिल्प के एक महत्त्वपूर्ण केंद्र के रूप में भी विकसित हुआ। स्थानीय सरदारों और जमींदारों के लिए एक हानिकारक परिणाम यह हुआ कि अनेक पुराने जमींदारों को निकाल बाहर किया गया और उनकी जगह पर अभी-अभी पनपे इजारेदार आ गए।

(iii) हैदराबाद के निजामों ने अपनी स्वतंत्रता की खुलेआम घोषणा कभी नहीं की, मगर उसने व्यवहार में स्वतंत्रता शासक के रूप में काम किया। उसने दिल्ली की केंद्रीय सरकार से बिना पूछे लड़ाइयाँ लड़ीं, सुलह किए, खिताब बांटे और जागीरें तथा ओहदे दिए। उसने हिंदुओं के प्रति सहनशीलता की नीति अपनाई। उदाहरण के लिए, एक हिंदू, पूरनचंद, उसका दीवान था। उसने दक्कन में मुगलों के नमूने पर जागीरदारी प्रथा चलाकर सुव्यवस्थित प्रशासन स्थापित कर अपनी सत्ता को मजबूत बनाया। उसने बड़े उपद्रवी जमींदारों को अपनी सत्ता मानने के लिए मजबूर किया और शक्तिशाली मराठों को अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर रखा। उसने राजस्व व्यवस्था को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के लिए भी कोशिश की। मगर 1748 में उसके मरने के बाद हैदराबाद उन्हीं विघटनकारी शक्तियों का शिकार हो गया जो दिल्ली में सक्रिय थीं।

प्रश्न 12.
राजपूतों, जाटों, सिक्खों अथवा मराठों में से किसी एक के अठारहवीं शताब्दी के दौरान, कार्यकलापों के बारे में कुछ और कहानियों का पता लगाएँ।
उत्तर:
राजपूत राज्य:
(i) प्रमुख राजपूत राज्यों ने मुगल सत्ता की बढ़ती हुई कमजोरी का फायदा उठाकर अपने को केंद्रीय नियंत्रण से वस्तुत: स्वतंत्र कर लिया।

(ii) राजपूताना के राज्य पहले की तरह विभाजित रहे। उनमें जो बड़े थे उन्होंने अपने कमजोर पड़ोसियों-राजपूत और गैर-राजपूत दोनों के इलाकों को हथियाकर अपना विस्तार किया।

(iii) अठारहवीं सदी का सबसे श्रेष्ठ राजपूत शासक आमेर का सवाई जयसिंह (1618-1743) था। वह एक विख्यात राजनेता, कानून-निर्माता और सुधारक था। परंतु सबसे अधिक, वह विज्ञान-प्रेमी के रूप में चमका।

(iv) जयसिंह की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि वह एक महान खगोलशास्त्री भी था। उसने दिल्ली, जयपुर, उज्जैन और मथुरा में बिल्कुल सही और आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित पर्यवेक्षणशालाएँ बनाई। उसने युक्लिड के रेखागणित के तथ्य तथा त्रिकोणमिति की बहुत सारी कृतियों और लघुगणकों को बनाने और उनके इस्तेमाल संबंधी नेपियर की रचना का अनुवाद संस्कृत में कराया।

(v) जयसिंह एक समाज-सुधारक भी था। उसने एक कानून लागू करने की कोशिश की जिससे कि लड़की की शादी में किसी राजपूत को अत्यधिक खर्च करने के लिए मजबूर न होना पड़े। लड़की की शादी में भारी खर्च के कारण ही लड़कियों को जन्म लेते ही मार दिया जाता था। इस असाधारण राजा ने जयपुर पर 1699-1743 तक, 44 वर्षों तक शासन किया।

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बहुविकल्पी प्रश्न

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनें:
(i) निजाम-उल-मुल्क आसफजाह ने स्थापना की थी:
(क) हैदराबाद की
(ख) अवध की
(ग) बंगाल की
उत्तर:
(क) हैदराबाद की।

(ii) पानीपत की तीसरी लड़ाई कब शुरू हुई?
(क) 1761
(ख) 1661
(ग) 1768
उत्तर:
(क) 1761

(ii) उज्जैन को किस मराठा सरदार का संरक्षण प्राप्त था?
(क) होल्कर
(ख) गायकवाड़
(ग) सिंधिया
उत्तर:
(ग) सिंधिया।

(iv) सिक्ख कितनी मिस्लों में संगठित थे?
(क) 12
(ख) 25
(ग) 118
उत्तर:
(क) 12

(v) मराठों के आक्रमण से सुरक्षा प्रदान किए जाने के उद्देश्य से चुकाया जाने वाला कर था :
(क) सरदेशमुखी
(ख) जजिया
(ग) चौथ
उत्तर:
(ग) चौथा

प्रश्न 2.
रिक्त स्थान भरो:
(i) बंगाल में ……………. का साहूकार घराना अत्यंत समृद्ध था।
(ii) खालसा पंथ की स्थापना …………….. ने की।
(iii) जत्थों व मिसलों की संयुक्त सेना को …………………. कहते थे।
(iv) अत्यंत गतिशील कृषक-पशुचारक ……………. की सेना के मुख्य आधार थे।
(v) ……………… में जाटों ने एक विशाल बाग-महल बनवाया।
उत्तर:
(i) जगत सेठ
(ii) गुरु गोबिंद सिंह
(iii) दल खालसा
(iv) मराठों
(v) दीग।

प्रश्न 3.
सही गलत छाँटो :
(i) अंबर के राजा जयसिंह ने जयपुर में अपनी नई राजधानी स्थापित की।
(ii) 1765 में खालसा ने अपना सिक्का गढ़कर सार्वभौम शासन की घोषणा की।
(iii) जाट समृद्ध व्यापारी वर्ग था।
(iv) औरंगजेब के उत्तराधिकारी सशक्त थे।
(v) अहमदशाह अब्दाली के आक्रमणों के याद नादिरशाह ने दिल्ली पर आक्रमण किया।
उत्तर:
(i) √
(ii) √
(iii) X
(iv) X
(v) X

HBSE 7th Class Geography अठारहवीं शताब्दी में नए राजनीतिक गठन Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्नलिखित तिथियाँ ऐतिहासिक दृष्टि से क्यों महत्त्वपूर्ण हैं?
(क) 1707
(ख) 1761
(ग) 1739
उत्तर:
(क) 1707 में अतिम महान मुगल सम्राट औरंगजेब का निधन हुआ।
(ख) 1761 में मराठों और अहमदशाह अब्दाली के बीच में पानीपत की तीसरी लड़ाई हुई जिसमें मराठे हारे।
(ग) 1739 में ईरान के शाह नादिरशाह ने भारत पर आक्रमण किया और मुगलों की राजधानी (दिल्ली) को लगभग एक महीने तक लूटा।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों की व्याख्या कीजिए :
(क) चौथ
(ख) सरदेशमुखी
(ग) वजीर
(घ) स्वराज्य
(ङ) मिस्ला
उत्तर:
(क) चौथ : मुगल साम्राज्य को दिए जाने वाले लगान का एक-चौथाई भाग जिसे मराठे अतिरिक्त कर के रूप में उन लोगों से वसूल करते थे जो उनके राज्य के बाहर रहते थे। ऐसा करके वे लोग मराठों के आक्रमण तथा उनकी लूटमार से बचना चाहते थे।

(ख) सरदेशमुखी : सरदेशमुखी कुल लगान का दसवाँ भाग था जो मराठे सारे क्षेत्र से वसूल करते थे।

(ग) वजीर : मुगल साम्राज्य के मुख्यमंत्री को वजीर कहते थे।

(घ) स्वराज्य : महाराष्ट्र का वह हिस्सा जहाँ शिवाजी ने अपना राज्य स्थापित किया था। मराठों ने वहाँ पर अपना नियमित और स्थायी शासन कायम किया। स्वराज्य के बाहर के क्षेत्रों में मराठे लूटमार करते थे।

(ङ) मिसल : 18वीं शताब्दी में सिक्खों के बीच एकता आने लगी। सिक्खों ने अपने आपको बारह मिस्लों या राजनीतिक इकाइयों के रूप में संगठित किया जो उनकी शक्ति व एकता का प्रतीक थी। प्रत्येक मिस्ल अपने नेता के प्रति निष्ठावान थी। बाद में रणजीत सिंह ने इन मिस्लों को जीतकर शक्तिशाली सिक्ख साम्राज्य की नींव रखी।

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प्रश्न 3.
अवध एक महत्त्वपूर्ण राज्य क्यों था?
उत्तर:
अवध एक महत्त्वपूर्ण राज्य था क्योंकि यह बहुत समृद्ध था। यह गंगा नदी के उपजाऊ मैदान में फैला हुआ था। उत्तरी भारत तथा बंगाल के बीच व्यापार का मुख्य मार्ग वहीं से होकर गुजरता था।

प्रश्न 4.
सिक्खों द्वारा स्थापित राखी व्यवस्था क्या थी?
उत्तर:
सिक्खों ने राखी व्यवस्था की स्थापना की। राखी व्यवस्था के अंतर्गत किसानों से उनकी उपज का 20 प्रतिशत कर के रूप में लेकर बदले में उन्हें संरक्षण प्रदान किया जाता था।

प्रश्न 5.
गुरु के प्रस्ताव से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
दल खालसा, बैसाखी व दीवाली के पर्वो पर अमृतसर में मिलता था। इन बैठकों में जो सामूहिक निर्णय लिए जाते थे उन्हें गुरु का प्रस्ताव कहते थे।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सूबाई राज्य सदा लड़ाई में क्यों लगे रहते थे?
उत्तर:
सूबाई राज्य सदा लड़ाई में लगे रहते थे। इसके मुख्य कारण निम्नलिखित थे:
1. परवर्ती मुगल शासकों पर सरदारों का प्रभुत्व : औरंगजेब की मृत्यु के पश्चात् गद्दी पर बैठने वाले सभी शासक कमजोर थे। इस समय उनकी इस कमजोरी का लाभ उठाकर सरदारों ने वास्तविक शक्ति पर अपना अधिकार कर लिया। ये सरदार कई गुटों में बँटे हुए थे। प्रत्येक गुट अपनी स्वतंत्र सत्ता स्थापित करने का इच्छुक था। उन्होंने बादशाह को भू-राजस्व देना भी बन्द कर दिया। अपने आपको उन्होंने स्वतंत्र शासक घोषित कर दिया। इससे मुगल साम्राज्य की प्रतिष्ठा को धक्का लगा।

2. सूबेदारों के आपसी झगड़े : प्रत्येक सूबेदार अपने पड़ोसी सूबेदार को हटाकर अपने क्षेत्र का विस्तार करना चाहता था। इस कारण भी शक्तिशाली मुगल साम्राज्य का विघटन होने लगा।

3. स्थानीय सरदारों का विद्रोह : स्थानीय सरदारों ने भी सत्ता को प्राप्त करने के लिए सूबेदारों के विरुद्ध विद्रोह किए।

प्रश्न 2.
नादिरशाह और अहमदशाह अब्दाली के आक्रमणों का भारत की राजनैतिक स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
नादिरशाह तथा अहमदशाह अब्दाली के आक्रमणों के भारत की राजनैतिक स्थिति पर निम्नलिखित प्रभाव पड़े :
1. मुगल साम्राज्य का बिखरना : ईरान के बादशाह नादिरशाह ने 1739 ई. में मुगल सेनाओं को करनाल में बुरी तरह हराया। इस पराजय ने मुगल साम्राज्य की कमजोरी का विश्व में ढोल पीट दिया। उसने दिल्ली को भी जी भर लूटा। उसने देश को आर्थिक दृष्टि से कंगाल तथा दरिद्र बना दिया। इस पराजय के बाद मुगल साम्राज्य छोटे-छोटे राज्यों में बँट गया।

2. मराठा-शक्ति का पतन : 1761 ई. में अहमदशाह अब्दाली ने मराठों को पानीपत की तीसरी लड़ाई में बुरी तरह पराजित कर दिया। इस पराजय के बाद उनकी शक्ति लगभग समाप्त हो गई। इस पराजय के बाद मराठे अपनी पूर्व-प्रतिष्ठा को कभी भी प्राप्त न कर सके। मराठा सरदारों का भारत में हिंदू राज्य स्थापित करने का स्वप्न अधूरा रह गया।

3. यूरोपीय शक्तियों का उभरना : भारत की आन्तरिक कमजोरी का लाभ उठाकर यूरोप की व्यापारिक कम्पनियाँ विशेषकर ईस्ट इंडिया कंपनी ने धीरे-धीरे देश की राजनीति में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे वे भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की स्थापना करने में सफल हो गए।

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प्रश्न 3.
मराठों की विजय की क्या मुख्य विशेषताएँ थी?
उत्तर:
मराठों की विजय की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित थीं :
1. मातृभूमि से प्रेम : मराठों को अपनी मातृभूमि से बहुत प्रेम था। वे अपनी मातृभूमि (महाराष्ट्र) के लिए अपना सब कुछ बलिदान करने को सदा तैयार रहते थे।

2. गुरिल्ला युद्ध पद्धति : मराठों की विजय का एक मुख्य कारण उनकी गुरिल्ला युद्ध पद्धति थी। वे छापामार नीति को अपनाए हुए थे। वे युद्ध करके पर्वतों में छिप जाते थे। अचानक ही शत्रु पर धावा बोल देते थे। ऐसा करके वे उनकी सम्पत्ति तथा अन्य सामान लूटकर छिप जाते थे।

3. चौध तथा संरदेशमुखी लेना : मराठे स्वराज्य से बाहर के क्षेत्र से ‘चौथ’ तथा ‘सरदेशमुखी’ नामक कर वसूल करते थे। चौथ राजस्व का एक-चौथाई तथा सरदेशमुखी राजस्व का दसवाँ हिस्सा होता था।

4. पेशवा की शक्ति : शिवाजी की मृत्यु के बाद पेशवा का पद बड़ा शक्तिशाली बन गया। उसके नेतृत्व में मराठों ने अपनी शक्ति को संगठित कर मराठा साम्राज्य की शक्ति एवं प्रतिष्ठा को काफी बढ़ा लिया।

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
औरंगजेब की मृत्यु के बाद केन्द्रीय सरकार का पतन क्यों हुआ?
अथवा
मुगल साम्राज्य के पतन के क्या कारण थे?
उत्तर:
औरंगजेब की मृत्यु के बाद केन्द्रीय सरकार का पतन निम्नलिखित कारणों से हुआ :
1. अयोग्य उत्तराधिकारी : औरंगजेब के शासनकाल में मुगल साम्राज्य की सीमाएँ काफी विस्तृत हो गई थीं। उसमें विद्रोह होने लगे। औरंगजेब जो कि शक्तिशाली शासक था उसने इन विद्रोहों को सख्ती से दबा दिया किंतु उसके उत्तराधिकारी अयोग्य, दुर्बल तथा बुद्धिहीन थे, इसलिए वे मुगल साम्राज्य के विघटन को रोक न सके।

2. मुगल सरदारों की गुटबन्दी तथा ईष्या : परवर्ती मुगल शासकों के समय शासन को वास्तविक सत्ता सरदारों के हाथों में आ गई। ये सरदार कई गुटों में बंटे हुए थे। इनमें तूरानी, ईरानी, अफगान तथा हिन्दुस्तानी सरदार मुख्य थे। प्रत्येक गुट दरबार में अपना प्रभुत्व स्थापित करना चाहता था।

3. दुर्बल तथा अयोग्य शासक : औरंगजेब की मृत्यु के बाद गद्दी पर बैठने वाले सभी शासक दुर्बल, अयोग्य तथा डरपोक थे। ये मनवबदारों के शक्तिशाली वर्ग पर नियंत्रण नहीं रख पाएं।

4. नादिरशाह का आक्रमण : 1739 ई ईरान के बादशाह नादिरशाह ने मुगल सेनाओं को करनाल में बुरी तरह पराजित किया। दिल्ली में कल्लेआम हुआ। उसने दिल्ली की धन-सम्पत्ति को जी भरकर लूटा। इससे मुगल साम्राज्य की शक्ति व मान-मर्यादा मिट्टी में मिल गई।

5. सूबेदारों व प्रान्तीय शासकों के विद्रोह : औरंगजेब की मृत्यु के पश्चात् केन्द्रीय शासन की कमजोरी का लाभ उठाकर प्रान्तीय शासकों तथा सूबेदारों ने अपने स्वतंत्र होने की घोषणा कर दी। परिणामस्वरूप बंगाल, अवध, हैदराबाद तथा रुहेलखंड आदि प्रान्त स्वतंत्र हो गए।

6. औरंगजेब की धार्मिक नीति : औरंगजेब एक कट्टर सुन्नी मुसलमान था। उसने अपनी कट्टरता के कारण हिन्दुओं के सैनिक वर्ग-राजपूतों, मराठों, सिक्खों तथा जाटों आदि को अपना शत्रु बना लिया। इसके अतिरिक्त उसने हिन्दुओं के मंदिरों तथा मूर्तियों को तुड़वाकर अपनी हिंदू जनता की सहानुभूति को खो दिया। इससे मुगल साम्राज्य का विघटन अवश्यम्भावी हो गया।

प्रश्न 2.
पानीपत की तीसरी लड़ाई कब और किस-किस के बीच हुई ? इस युद्ध के परिणाम मराठों के लिए क्यों भयंकर सिद्ध हुए?
उत्तर:
पानीपत की तीसरी लड़ाई 1761 ई. में अहमदशाह अब्दाली तथा मराठों के बीच हुई। अब्दाली इनमें विजयी रहा। . अहमदशाह अब्दाली ने पंजाब पर अधिकार करके अपने पुत्र तैमूरशाह को वहाँ का सूबेदार बना दिया लेकिन 1758 ई. में पेशवा के भाई रघोबा ने अब्दाली के पुत्र तैमूरशाह तथा उसके सेनापति को लाहौर से भगा दिया। इस प्रकार दिल्ली तथा पंजाब में भी मराठों ने प्रभाव जमाना शुरू कर दिया। इससे अहमदशाह अब्दाली तथा मराठों के बीच संघर्ष अवश्यम्भावी हो गया। मराठों ने अपनी लूटमार की नीति के कारण जाट, सिक्ख तथा अन्य जातियों को अपने विरुद्ध कर लिया था। इस कारण कोई भी उनकी सहायता के लिए तैयार नहीं था। जबकि अब्दाली ने मराठों के विरुद्ध अवध के नवाब तथा रुहेलों का समर्थन प्राप्त कर लिया। मराठे इस युद्ध में बुरी तरह पराजित हो गए। इस युद्ध म उनक हजारो सनिक मारे गए।

परिणाम:

  • इससे मराठों के उत्तरी भारत में अपने आधिपत्य को भारी धक्का लगा।
  • इससे मराठों की एकता समाप्त हो गई। यद्यपि कुछ समय पश्चात् उन्होंने अपने खोए हुए प्रदेश पुनः प्राप्त कर लिए परंतु वे अधिक समय तक उन्हें अपने अधिकार में न रख सके।
  • उनका भारत में हिन्दू राज्य स्थापित करने का स्वप्न अधूरा रह गया।
  • इस युद्ध के पश्चात् अंग्रेजों के भारत में अपने अधिकार जमाने का कार्य सरल हो गया। अब कोई भी ऐसी शक्ति शेष बची हुई नहीं थी जो अंग्रेजों का विरोध कर सके।

अठारहवीं शताब्दी में नए राजनीतिक गठन Class 7 HBSE Notes in Hindi

1. ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को इलाहाबाद की संधि द्वारा सत्ता प्राप्त हुई : 1765

2. औरंगजेब की मृत्यु हुई : 1707

3. नादिरशाह का भारत पर आक्रमण हुआ : 1739

4. मराठों और अहमदशाह अब्दाली के बीच पानीपत की तीसरी लड़ाई : 1761

5. परवर्ती मुगल सम्राट : औरंगजेब के बाद के मुगल सम्राट।

6. औरंगजेब ने दक्षिण भारत में लड़ाई शुरू की और उसका अंत हुआ : 1679-1707

7. अहमदशाह अब्दाली के पाँच बार भारत पर आक्रमणों का काल : 1748-1761

8. मुगल सम्राट फरुखसियर का कार्यकाल : 1713-1719

9. आलमगीर द्वितीय का कार्यकाल : 1754-1759

HBSE 7th Class Social Science Solutions History Chapter 10 अठारहवीं शताब्दी में नए राजनीतिक गठन

10. अहमदशाह का कार्यकाल : 1748-1754

11. वे दो मुगल सम्राट जिन्हें उनके अभिजातों ने अंधा कर दिया:

  • अहमदशाह
  • शाहआलम द्वितीय!

12. मुगल साम्राज्य के उत्तराधिकारी तीन राज्य :

  • अवध
  • बंगाल
  • हैदराबाद।

13. निजाम-उल-मुल्क आसफशाह : हैदराबाद राज्य का संस्थापक।

14. बुरहान-उल-मुल्क सआदत खौं : अवध राज्य का संस्थापक।

15. अवध राज्य की राजधानी : लखनऊ।

16. मुर्शिद कुली खाँ : बंगाल का संस्थापक।

17. इजारेदार : सबसे ऊँची बोली लगाकर राज्य से राजस्व वसूल करने का ठेका प्राप्त करने वाला जमींदार।

18. अलीवर्दी खीं : 1740 से 1756 तक बंगाल का नवाब और सिराजुद्दौला का नाना।

19. 18वीं शताब्दी के दो महत्त्वपूर्ण राजपूत राज्य:

  • अंबर (जयपुर)
  • जोधपुर (मारवाड़)।

20. खालसा : इसका शाब्दिक अर्थ है शुद्ध (Pure)। गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा पंथ की स्थापना 1699 में की थी। मिसलों की संयुक्त सेनाएँ भी खालसा कहलाती थीं।

21. बंदा बहादुर : गुरु गोविंद सिंह की मृत्यु के बाद 1708 से 1716 तक सिखों का नेता।।

22. मिसल : सिखों की राजनैतिक इकाई। रणजीत सिंह से पहले इनकी कुल संख्या 12 थी।

23. गुरुमत्ता : इसका शाब्दिक अर्थ है गुरु के प्रस्ताव। अठारहवीं शताब्दी में मिस्लों के काल में खालसा अर्थात् मिसलों की संयुक्त सेनाएँ बैसाखी और दीवाली के मौके पर अमृतसर में बैठक किया करती थी। इन बैठकों में जो सामूहिक फैसले लिए जाते थे उन्हें गुरुमत्ता कहते थे।

24. राखी की व्यवस्था : सिखों की यह व्यवस्था जिसके अंतर्गत किसानों से उनकी उपज का 20 प्रतिशत कर के रूप में लेकर बदले में उन्हें संरक्षण प्रदान किया जाता था।

25. राज करेगा खालसा : गुरु गोविंद सिंह जी ने अपने खालसा संगठन के सदस्यों को प्रेरित किया कि उनकी किस्मत में शासन करना है क्योंकि वे अनुशासनबद्ध और सुसंगठित हैं।

26. खालसा द्वारा सार्वभौम शासन की घोषणा : 1765

27. महाराजा रणजीत सिंह की दो उपलब्धियाँ:

  • सभी मिस्लों को अपने अधीन कर सिक्ख राज्य की स्थापना की।
  • 1799 में लाहौर को अपनी राजधानी बनाया और कई प्रदेशों को जीता।

28. मराठा राजा शिवाजी का जीवन काल : 1627-1680

29. देशमुख : मराठों के योद्धा और शक्तिशाली परिवार।

30. कुनबी : मराठों के बहुत ज्यादा गतिशील कृषक-पशुचारक समूह।

31. चितपावन ब्राह्मण : मराठों के वे परिवार जो शिवाजी के उत्तराधिकारियों के काल में मराठा राज्य के पेशवा अर्थात् प्रधानमंत्री बने।

32. मराठा साम्राज्य के विस्तार का स्वर्ण काल : 1720-1761

33. मराठों ने मालवा और गुजरात मुगलों से छीना : 1720 के दशक में।

34. मुगलों ने मराठों को दक्षिण के प्रायद्वीप का अधिपति माना और उन्हें चौथ और सरदेशमुखी कर वसूली की छूट दे दी : 1730 का दशका

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35. चौथ : जमींदारों द्वारा वसूले जाने वाले भू-राजस्व का 25 प्रतिशत। दक्कन में इनको मराठा वसूलते थे।

36. सरदेशमुखी : दक्कन में मुख्य राजस्व संग्रहकर्ता को दिए जाने वाले भू-राजस्व का 9-10 प्रतिशत हिस्सा।

37. पानीपत की तीसरी लड़ाई के बाद मराठों के चार प्रमुख सैन्य सरदार:

  • सिंधिया
  • होल्कर
  • गायकवाड़
  • भोसलें।

38. दो जाट नेता:

  • चूड़ा मल
  • सूरज मला

39. जाटों का राज्य विस्तार : आगरा और मथुरा के मध्य क्षेत्र और राजस्थान के भरतपुर में उनका प्रमुख केन्द्र था।

40. फ्रांसीसी क्रांति का वर्ष : 1789

41. फ्रांसीसी क्रांति का पूर्ण कालांश : 1789-1794

42. अमेरिका का स्वतंत्रता वर्ष : जुलाई 1776

43. अमेरिकी स्वतंत्रता युद्ध का कालांश : 1776-1781
(ग) गुरु गोविन्द सिंह सिखों के दसवें गुरु थे।

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