HBSE 7th Class Social Science Solutions History Chapter 6 नगर, व्यापारी और शिल्पिजन

Haryana State Board HBSE 7th Class Social Science Solutions History Chapter 6 नगर, व्यापारी और शिल्पिजन Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Social Science Solutions History Chapter 6 नगर, व्यापारी और शिल्पिजन

HBSE 7th Class History नगर, व्यापारी और शिल्पिजन Textbook Questions and Answers

फिर से याद करें

Towns Traders And Craftspersons Notes HBSE 7th Class  प्रश्न 1.
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें:
(क) राजराजेश्वर मंदिर ………….. में बनाया गया था।
(ख) अजमेर सुफी संत ……………. से संबंधित है।
(ग) हम्पी …………… साम्राज्य की राजधानी थी।
(घ) हॉलैंडवासियों ने आंध्र प्रदेश में ……………. पर अपनी बस्ती बसाई।
उत्तर:
(क) 999 ई
(ख) ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती।
(ग) विजयनगर।
(घ) मसूलीपट्टनम।

नगर, व्यापारी और शिल्पीजन के प्रश्न उत्तर HBSE 7th Class प्रश्न 2.
बताएँ क्या सही है और क्या गलत
(क) हम राजराजेश्वर मंदिर के वास्तुविद (स्थपति) का नाम एक शिलालेख से जानते हैं।
(ख) सौदागर लोग काफिलों में यात्रा करने की बजाय अकेले यात्रा करना अधिक पसंद करते थे।
(ग) काबुल हाथियों के व्यापार का मुख्य केंद्र था।
(घ) सूरत बंगाल की खाड़ी पर स्थित एक महत्त्वपूर्ण व्यापारिक पत्तन था।
उत्तर:
(क) सही।
(ख) गलत।
(ग) गलत।
(घ) गलत।

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Town Traders And Craftspersons Class 7 HBSE प्रश्न 3.
तंजावूर नगर को जल की आपूर्ति कैसे की जाती थी?
उत्तर:
तंजावूर नगर में जल की आपूर्ति बारह महीने बहने वाली कावेरी नदी तथा कुओं और तालाबों के जल से की जाती थी।

Towns, Traders And Craftspersons Class 7 Questions And Answers HBSE प्रश्न 4.
मद्रास जैसे नगरों में स्थित ‘ब्लैक टाउन्स’ में कौन रहता था?
उत्तर:
ब्लैक टाऊन्स में भारतीय व्यापारी, शिल्पकार, औद्योगिक मजदूर एवं अन्य क्षेत्रों में काम करने वाले मजदूर तथा कर्मचारी रहा करते थे।

Towns Traders And Craftspersons HBSE 7th Class प्रश्न 5.
आपके विचार में मंदिरों के आस-पास नगर क्यों विकसित हुए?
उत्तर:
हमारे विचार में मंदिरों के आस-पास नगर अनेक कारणों से विकसित हुए जिनमें राजा द्वारा नगरों में विशाल और भव्य मंदिर और प्रतिमाओं (मूर्तियों का) स्थापन प्रमुख था। इन मंदिर नगरों में बड़ी संख्या में पर्यटक (Tourists) आया-जाया करते थे। इन नगरों में बड़े हॉट, बाजार लगते थे, शिल्पकार और हस्तकला विशेषज्ञ (शिल्पकार) व्यापारी लोग रहते थे। यहाँ की आबादी लगातार बढ़ती रहती थी।

Towns Traders And Craftspersons Extra Questions HBSE 7th Class प्रश्न 6.
मंदिरों के निर्माण तथा उनके रख-रखाव के लिए शिल्पीजन कितने महत्त्वपूर्ण थे?
उत्तर:
मंदिरों के निर्माण तथा उनके रख-रखाव के लिए शिल्पोजन निम्न कारणों से महत्त्वपूर्ण थे
(i) मंदिरों के निर्माण के लिए शिल्पी काफी महत्त्वपूर्ण थे-शिल्पियों में सुनार, कसेरे, लोहार, राजमिस्त्री और बढ़ाई शामिल थे।
(ii) शिल्पकार मंदिरों को सुंदर बनाने में काफी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। शिल्पकार ही मंदिरों के विभिन्न भागों को निर्मित करते थे।
(iii) मंदिरों को कलात्मक रूप से सजाने का कार्य शिल्पकार ही करते थे।

Towns Traders And Craftspersons Class 7 Extra Questions And Answers HBSE  प्रश्न 7.
लोग दूर-दूर के देशों-प्रदेशों से सूरत क्यों आते थे?
उत्तर:
लोग दूर-दूर के देशों-प्रदेशों से सूरत निम्नलिखित कारणों या कारकों की वजह से आते थे

  1. सूरत मुगल काल में कैंबे (आज के खंबात) और कुछ समय बाद के अहमदाबाद के साथ-साथ, गुजरात में पश्चिमी व्यापार का वाणिज्यिक केंद्र बन गया।
  2. सूरत ओरमुज की खाड़ी से होकर पश्चिम एशिया के साथ व्यापार करने के लिए मुख्य द्वार था।
  3. सूरत को मक्का का प्रस्थान द्वार भी कहा जाता था क्योंकि बहुत से हजयात्री जहाज से यहीं से रवाना होते थे।
  4. सूरत एक सर्वदेशीय नगर था जहाँ सभी जातियों और धर्मों के लोग रहते थे। सत्रहवीं शताब्दी में यहाँ पुर्तगालियों, डचों और अंग्रेजों के कारखाने एवं माल-गोदाम थे।
  5. सूरत में ऐसी अनेक दुकानें थीं जो सूती कपड़ा थोक और फुटकर कीमतों पर बेचती थीं।

Towns, Traders And Craftspersons Class 7 Extra Questions And Answers HBSE  प्रश्न 8.
कलकत्ता जैसे नगरों में शिल्प उत्पादन तंजावूर जैसे नगरों के शिल्प उत्पादन से किस प्रकार भिन्न था?
उत्तर:
तंजावूर कलकत्ता से पहले का विकसित नगर है, इसलिए तंजावूर में शिल्प का उत्पादन कलकत्ता से पहले शुरू हो गया था। दोनों नगरों के लिए शिल्प उत्पादन में काफी भिन्नता थी

  1. कलकत्ता में मुख्यत: शिल्प उत्पादन सूती, रेशमी व जूट उत्पादन तक सीमित था।
  2. तंजावूर में सूती वस्त्रों के अतिरिक्त कांस्य मूर्तियों, धातु के दीपदान, मंदिरों के घंटे, आभूषणों आदि का निर्माण बड़े पैमाने पर होता था, क्योंकि तंजावूर एक मंदिर नगर था।

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Towns, Traders And Craftspersons Class 7 Worksheets With Answers HBSE प्रश्न 9.
इस अध्याय में वर्णित किसी एक नगर की तुल आप अपने परिचित किसी कस्बे या गाँव से करें। क्या दोनों के बीच कोई समानताएँ या अंतर हैं?
उत्तर:
सूरत (नगर) और टेकारी (कस्बा ) की तुलन

सूरत टेकारी (गया) बिहार
(i) सूरत एक व्यापारिक नगर है। यहाँ पर लोगों को आवश्यकता की अधिकांश वस्तुएँ प्राप्त हो जाती हैं। (i) टेकारी एक छोटा-सा कस्बा है, जो ग्रामीण क्षेत्रों की आवश्यकता की पूर्ति करता है।
(ii) सूरत एक महानगर है जिसकी आबादी 28 लाख से अधिक है। (ii) टेकारी की आबादी 20,000 से भी कम है।
(iii) सूरत एक औद्योगिक, प्रशासनिक, व्यापारिक नगर के रूप में विकसित हो चुका है। (iii) टेकारी ग्रामीण क्षेत्र का एक प्रखण्ड है।

Towns Traders And Craftspersons Question Answer HBSE 7th Class प्रश्न 10.
सौदागरों को किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ता था? आपके विचार से क्या वैसी कुछ समस्याएँ आज भी बनी हुई हैं?
उत्तर:
सौदागरों को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ता था:

  1. व्यापारियों को अनेक राज्यों तथा जंगलों में से होकर गुजरना पड़ता था, इसलिए वे आमतौर पर काफिले बनाकर एक साथ यात्रा करते थे।
  2. सौदागर अपने हितों की रक्षा के लिए व्यापार संघ (गिल्ड) बनाते थे।
  3. उन्हें विभिन्न प्रकार के कर चुकाने पड़ते थे।
  4. प्राचीन व मध्यकाल में यातायात के रूप में बैलगाड़ी, घोड़ागाड़ी, नावें आदि प्रमुख थे। अर्थात् यातायात के साधन भी पर्याप्त मात्रा में नहीं थे।
  5. वर्तमान समय में भी सौदागरों को संघ बनाने पड़ते हैं। उन्हें विभिन्न कर चुकाने पड़ते हैं तथा व्यापार के लिए दूर-दूर तक यात्राएँ करनी पड़ती हैं।

Towns Traders And Craftspersons Class 7 Notes HBSE प्रश्न 11.
तंजावूर या हम्पी के वास्तुशिल्प के बारे में कुछ और जानकारी प्राप्त करें और इन नगरों के मंदिरों तथा अन्य भवनों के चित्रों की सहायता से एक स्क्रैपबुक तैयार करें।
उत्तर:
हम्पी: यह विजयनगर साम्राज्य की राजधानी रहने का सौभाग्य प्राप्त कर सका। यह नगर 1336 से 1565 तक विजयनगर साम्राज्य की राजधानी रही। हम्पी की नींव चौदहवीं शताब्दी के मध्य में दो भाइयों जो कालांतर में विजयनगर साम्राज्य के संस्थापक-हक्का एवं बुक्का ने रखी थी।

हम्पी नगर कृष्णा और तुंगभद्रा नदियों की घाटियों में स्थित है। यह नगर हमारे वर्तमान कर्नाटक राज्य में स्थित है। इस प्राचीन ऐतिहासिक राजधानी नगर के खंडहर लगभग 26 वर्ग किलोमीटर में फैले हुए हैं।

हम्पी के शानदार खंडहरों से पता चलता है कि इस शहर की किलेबंदी उच्च कोटि की थी। किले की दीवार के निर्माण में कहीं भी गारे-चूने किसी भी जोड़ने वाले पदार्थ का इस्तेमाल नहीं किया गया था अपितु शिल्प खंडों को परस्पर गुंथा कर किया गया

हम्पी की वास्तुकला विशिष्ट प्रकार की थी। इसके शानदार महलों और विशालद्वारों से संबंधित आज उपलब्ध विभिन्न खंडहर इस राज्य के असाधारण शिल्पकारों की प्रतिभा, कौशल और सृजनात्मक कला की जानकारी देते हैं।

हम्पी की वास्तुकला विशिष्ट प्रकार की थी। यहाँ के शाही भवनों में भव्य मेहराब और गुंबद थे। यहाँ स्तंभों वाले कई विशाल कक्ष थे जिनमें मूर्तियों को रखने के लिए आले बने हुए थे। यहाँ सुनियोजित बाग-बगीचे भी थे जिनमें कमल और टोडों की आकृति वाले मूर्तिकला के नमूने थे। पंद्रहवीं-सोलहवीं शताब्दियों के अपने समृद्धिकाल में हम्पी कई वाणिज्यिक और सांस्कृतिक गतिविधियों से गुंजायमान रहता था। उन दिनों हम्पी के बाजारों में मूरों (मुस्लिम सौदागरों के लिए सामूहिक रूप से प्रयुक्त नाम), चेट्टियों और पुर्तगालियों जैसे यूरोपीय व्यापारियों के एजेंटों का जमघट लगा रहता था।

हम्पी के खंडहर उसकी शान-शौकत, भव्यता एवं संदरता के बारे में अपनी अभिव्यक्ति देते हैं। अधिकांश खंडहर उस सड़क के साथ-साथ विखरे हुए हैं जो (सड़क) कमालपुरा से हम्पी तक जाती है। इस शहर में माल्यवंत रघुनाथ स्वामी का मंदिर है, हम्पी बाजार और विरुपाक्ष का मंदिर भी है। विजयनगर (साम्राज्य) के महान शासक कृष्णदेव राय द्वारा बनवाया गया। विजय का घर, हजारा मंदिर, राजा का महल, कमल पुष्प महल, पुष्करणी, मकबरा एव हाथीखाना आदि इस राजधानी नगर की प्रमुख उल्लेखनीय इमारतें हैं।
HBSE 7th Class Social Science Solutions History Chapter 6 नगर, व्यापारी और शिल्पिजन-1
एक पुर्तगाली यात्री डोमिंगों पेश ने सोलहवीं शताब्दी में हम्पी नगर का वर्णन इस प्रकार किया: “गोवा से आने वाले लोग जिस प्रवेश द्वार से गुप्तरते हैं उस द्वार के भीतर राजा ने एक अत्यंत सुइढ़ प्राचीरबद्ध नगर बसा रखा है जो दीवारों और बुर्जी से सुरक्षित है, ये दीवारें अन्य नगरों की दीवारों जैसी नहीं हैं, बल्कि बहुत मजबूत राजगीरी का ऐसा नमूना है जो अन्य भागों में बहुत कम देखने को मिलेगा, उसके भीतर उसी रीति से बनाए गए भवनों की अत्यंत सुंदर कतारें हैं जिनकी छतें सपाट चपटी हैं।”

हम्पी के मंदिर और सांस्कृतिक गतिविधियाँ: विजयनगर साम्राज्य भारतीय इतिहास में विशेषकर हिंदू संस्कृति के लिए ख्याति प्राप्त कर सका। इस राज्य के भव्य मंदिर सांस्कृतिक गतिविधियों के केंद्र होते थे और देवदासियाँ विरूपाक्ष (शिव) मंदिर के बहु-स्तंभित विशाल कक्षों में देव प्रतिमा, राजा तथा प्रजाजनों के समक्ष नृत्य किया करती थीं। महानवमी पर्व जो आज दक्षिण में नवरात्रि पर्व कहलाता है, उन दिनों हम्पी में एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण पर्व माना जाता था। पुरातत्वविदों ने उस महानवमी मंच को खोज निकाला है जहाँ राजा अपने अतिथियों का स्वागत-सत्कार ‘ करता था और अधीनस्थ व्यक्तियों से नजराने-उपहार लिया करता था। वहीं विराजमान होकर राजा नृत्य एवं संगीत तथा मल्लयुद्ध के कार्यक्रम भी देखा करता था।

हम्पी नगर का विनाश: 1565 में दक्कनी सुल्तानों – गोलकुंडा, बीजापुर, अहमदनगर, बरार और बीदर के शासकों – के हाथों विजयनगर की पराजय के बाद हम्पी का विनाश हो गया।

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Ch 6 Towns Traders And Craftspersons HBSE 7th Class प्रश्न 12.
किसी वर्तमान तीर्थयात्रा केंद्र का पता लगाएँ। बताएँ कि लोग वहाँ क्यों जाते हैं, वहाँ क्या करते हैं, क्या उस केंद्र के आसपास दुकानें हैं और वहाँ क्या खरीदा और बेचा जाता है?
उत्तर:
वर्तमान तीर्थयात्रा केंद्र के रूप में हम अमृतसर के बारे में बताना चाहेंगे। यह शहर स्वर्ण मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ लोग गोल्डन टैंपल (स्वर्ण मंदिर) या हरमंदिर साहब के दर्शन करने और उसके चारों तरफ पवित्र सरोवर में स्नान करने जाते हैं। लोग यहाँ स्नान करने के बाद दरबार साहब में माथा टेकने, कड़ा प्रसाद चढ़ाने, प्रसाद लेने और अन्य भक्ति-कीर्तन आदि सुनने के लिए जाते हैं।

इस केंद्र के आस-पास बहुत बड़ा बाजार और अनेक दुकानें हैं। इन दुकानों में कपड़े, दैनिक जीवन की वस्तुएँ, सिक्ख इतिहास से जुड़ी पुस्तकें और साहित्य, भक्ति और कीर्तन से जुड़े उपकरण, हिंदू धर्म से संबंधित साहित्य, सजावटी सामान, अमृतसर की मशहूर बड़ियाँ, पापड़ आदि बेचे और खरीदे जाते हैं।

कुछ लोग जलियांवाला बाग में 1919 के ऐतिहासिक हत्याकांड से संबंधित शहीद स्थल को देखने जाते हैं। यहाँ एक विशाल म्यूजियम है और जगह-जगह पर कुछ सूचनापट्ट हैं जो बहुत उपयोगी ऐतिहासिक जानकारी देते हैं।

अमृतसर में दुर्गयाना मंदिर भी है। इस शहर से थोड़ी दूर भारत-पाकिस्तान सीमा बाघा बॉर्डर है। इसे भी देखने के लिए कुछ पर्यटक जाते हैं। स्वर्ण मंदिर में एक विशाल संग्रहालय (म्यूजियम) और पुस्तकालय है जिसमें सिक्ख इतिहास से जुड़ी हुई घटनाएँ. वस्तुएँ, उपकरण, अस्त्र-शस्त्र आदि प्रदर्शित किए गए हैं।

अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में यात्रियों के ठहरने के लिए हजारों की संख्या में बने साफ-सुथरे कमरे हैं और एक विशाल हाल है जहाँ सुबह से शाम तक सामूहिक रसोई या लंगर की व्यवस्था है जहाँ श्रद्धालु सेवा करते हैं और गुरु का लंगर खाते हैं।

बहुविकल्पी प्रश्न

Town Traders And Craftspersons Class 7 Questions And Answers HBSE प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनें: .

(i) वास्तुकार कुंजरमल्लन राजराज पेरूपच्चन किस नगर के वास्तुकला शिल्पकला के लिए प्रसिद्ध है?
(क) तंजापूर नगर
(ख) सूरत
(ग) कांचीपुरम
उत्तर:
(क) तंजापूर नगर।

(ii) तंजावूर किस प्रकार के नगर का उदाहरण है?
(क) प्रशासनिक
(ख) मंदिर
(ग) वाणिज्यिक
उत्तर:
(ख) मंदिर।

(iii) किस मिश्रधातु से कांस्य का निर्माण होता है?
(क) ताँबा व टिन
(ख) टिन व इस्पात
(ग) चाँदी व ताँबा
उत्तर:
(क) ताँबा व टिन।

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(iv) निम्न में से कौन-सा तीर्थस्थल नगरों के रूप में विकसित हुआ?
(ख) वृंदावन
(ग) अजमेर
उत्तर:
(ख) वृंदावना

(v) सुप्रसिद्ध रेशम मार्ग से जुड़े हुए क्षेत्र थे:
(क) काबुल
(ख) कांधार
(ग) काबुल तथा कांधार
उत्तर:
(ग) काबुल तथा कांधार।

Towns Traders And Craftspersons Class 7 Questions And Answers HBSE प्रश्न 2.
रिक्त स्थान भरो:
(i) राजराजेश्वर मंदिर के वास्तुकार का नाम मंदिर की …………… पर उत्कीर्ण है।
(ii) बीदर के शिल्पकारों द्वारा ताँबे व चाँदी में जड़ाई का काम ……………….. कहलाता था।
(10 1336 में स्थापित विजयनगर साम्राज्य का केंद्र स्थल ………….. नगर था।
(iv) ……………….मक्का का प्रस्थान द्वार कहलाता था।
(v) सूरत के वस्त्र अपने सुनहरे …………………… के लिए प्रसिद्ध थे।
उत्तर:
(i) दीवारों
(ii) बीदरी
(iii) हम्पी
(iv) सूरत
(v) जरी।

प्रश्न 3.
सही गलत चुनें:
(i) मसूलीपट्टनम कृष्णा नदी के डेल्टा पर स्थित है।
(ii) 18वीं शताब्दी में बंबई, कलकत्ता व मद्रास जैसे नगरों का उदय हुआ।
(iii) गोलकुंडा के कुत्बशाही शासकों ने कपड़ों, मसालों और अन्य चीजों की बिक्री पर ईस्ट इंडिया कंपनी का एकाधिकार लागू किया।
(iv) सूरत से जारी की गई हुडियों को दूर-दूर तक मान्यता प्राप्त थी।
(v) महानवमी पर्व हम्पी का महत्त्वपूर्ण पर्व था।
उत्तर:
(i) मसूलीपट्टनम कृष्णा नदी के डेल्टा पर स्थित है। ✓
(ii) 18वीं शताब्दी में बंबई, कलकत्ता व मद्रास जैसे नगरों का उदय हुआ। ✓
(iii) गोलकुंडा के कुत्बशाही शासकों ने कपड़ों, मसालों और अन्य चीजों की बिक्री पर ईस्ट इंडिया कंपनी का एकाधिकार लागू किया। ✗
(iv) सूरत से जारी की गई हुडियों को दूर-दूर तक मान्यता प्राप्त थी। ✓
(v) महानवमी पर्व हम्पी का महत्त्वपूर्ण पर्व था। ✓

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HBSE 7th Class History नगर, व्यापारी और शिल्पिजन Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
हुंडी से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
हुंडी एक ऐसा दस्तावेज (Document) होता है जिसमें एक व्यक्ति द्वारा जमा कराई गई रकम दर्ज रहती है। हुंडी को कहीं अन्यत्र प्रस्तुत करके जमा की गई राशि प्राप्त की जा सकती है।

प्रश्न 2.
वाणिज्यिक केंद्र का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
एक ऐसा स्थान जहाँ विभिन्न उत्पादन केंद्रों से आने वाला माल भारी मात्रा में खरीदा और बेचा जाता है। उदाहरण के लिए मुंबई एक बहुत बड़ा वाणिज्यिक केंद्र है।

प्रश्न 3.
गुमास्ता किसे कहते हैं? एक उदाहरण दीजिए।
उत्तरः
ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा नियुक्त व्यापारी को गुमास्ता या एजेंट कहते थे। उदाहरण के लिए विलियम मेथवल्ड अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा नियुक्त एक गुमास्ता था जिसने 1620 में मसूलीपट्टनम का बड़ा सुंदर विवरण लिखा है।

प्रश्न 4.
निम्नलिखित को स्पष्ट कीजिए:
(i) व्यापारिक कस्बे
(ii) राजधानी अथवा दरबारी शहर
(iii) तीर्थ स्थान
(iv) बंदरगाह शहर
(v) कलमकारी
उत्तर:
(i) व्यापारिक कस्बे (Trading towns): जहाँ पर व्यापारिक कार्य संपन्न होते हैं।
(ii) राजधानी अथवा दरबारी शहर (Court or capital city): जहाँ शासकों या सरकारों के दरबार/मुख्यालय होते हैं।
(iii) तीर्थ स्थान (Pilgrimage cenires): धार्मिक केंद्र।
(iv) बंदरगाह शहर (Port cities): समुद्रतटीय नगर जहाँ आयात-निर्यात गतिविधियाँ होती हैं।
(v) कलमकारी (Kalamkari): कलम जैसे उपकरण के माध्यम से की गई चित्रकारी।

प्रश्न 5.
मध्ययुगीन नगरों की प्रमुख विशेषता क्या थी?
उत्तर:
मध्ययुगीन कई नगर प्रशासनिक नगर और मंदिर नगर होने के साथ-साथ वाणिज्यिक कार्यकलापों व शिल्प उत्पादन के केंद्र भी थे।

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प्रश्न 6.
तंजावूर के सालीय बुनकर किस प्रकार के कपड़े का निर्माण करते थे?
उत्तर:
तंजावूर व उसके निकटवर्ती नगर डरैयूर के सालीय बुनकर मंदिर के उत्सव के लिए झंडे-झंडियाँ बनाने का कपड़ा, राजा व अभिजात वर्ग के लिए बढ़िया सूती कपड़ा तथा जनसाधारण के लिए मोटा सूती वस्त्र तैयार करते थे।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
तंजावूर को एक महान नगर क्यों मानते थे?
उत्तर:
(i) तंजावूर एक हजार वर्ष पूर्व चोल राजाओं की राजधानी थी।
(ii) वर्ष के बारहों महीनों बहने वाली कावेरी नदी इस सुंदर नगर के पास बहती थी।
(iii) राजराजा चोल द्वारा बनवाया ‘राजराजेश्वर मंदिर’ इसकी प्रसिद्धि एवं भव्यता में चार चाँद लगाता था।
(iv) इस मंदिर के अतिरिक्त तंजावूर नगर में अनेक राजमहल हैं, जिनमें कई मंडप बने हुए थे। राजा लोग इन मंडपों में अपना दरबार लगाते थे।
(v) यह नगर उन बाजारों की हलचल से भरा हुआ रहता था, जहाँ अनाज, मसाले, कपड़े और आभूषणों की बिक्री होती थी।

प्रश्न 2.
वास्कोडिगामा कौन था? वह भारत कैसे और कब पहुँचा?
उत्तर:
वास्कोडिगामा एक साहसिक पुर्तगाली नाविक था जो अटलांटिक महासागर पारकर अफ्रीका के समुद्री तट के साथ-साथ सफर करते हुए हिंद महासागर होकर 1498 में कालीकट, भारत पहुंचा।

प्रश्न 3.
पुर्तगाल की राजधानी का नाम लिखिए। वास्कोडिगामा को भारत की यात्रा करने से क्या हानि और लाभ हुआ?
उत्तर:
लिस्बन पुर्तगाल की वर्तमान राजधानी है। भारत की यात्रा के दौरान वास्कोडिगामा के चार जहाजों में से दो नष्ट हो गए और उसके 170 साथी यात्रियों में से केवल 54 ही जीवित बचे थे।

इन प्रत्यक्ष हानियों के बावजूद भारत और यूरोप के मध्य उसने जो नए व्यापारिक मार्ग खोजे, वे बहुत अधिक लाभकारी सिद्ध हुए। जितना उसकी यात्रा पर कुल खर्च हुआ उससे कई गुना मुनाफा उसने भारतीय माल से कमाया। वास्कोडिगामा की यात्रा के बाद भारत में पुर्तगाली, अंग्रेज, डच और फ्रांसीसी नाविक, धर्म प्रचारक और व्यापारी आए।

प्रश्न 4.
कोलंबस पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
उत्तर:
कोलंबस इटलीवासी और एक साहसी यात्री था। जब 15वीं शताब्दी के अंतिम दशक में भारत पहुँचने के लिए अनेक देशवासियों और नाविकों के द्वारा प्रयास किया जा रहा था तो उन्हीं दिनों कोलंबस ने भी भारत की ओर अपने जहाजों का रुख किया। उसने अटलांटिक महासागर को पार करके पश्चिम की ओर यात्रा करने का निश्चय किया। उसका सोचना था कि चूंकि पृथ्वी गोल है इसलिए वह पश्चिम की ओर से भी भारत पहुंच सकता है। वह 1492 में वेस्टइंडीज के तट पर पहुंचा (वेस्टइंडीज का नाम इसी प्रांति के कारण पड़ा)। उसके पीछे स्पेन और पुर्तगाल के नाविक और विजेता भी वहाँ आते रहे और उन्होंने मध्य और दक्षिणी अमेरिका के बड़े-बड़े भागों को अपने कब्जे में कर लिया और अक्सर उन प्रदेशों की पहले वाली बस्तियों को नष्ट कर दिया।

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दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
लुप्तमोम तकनीक पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए। आपके विचार से इस प्रविधि के प्रयोग के क्या-क्या लाभ घे?
उत्तर:
लुप्तमोम तकनीक: चोलकालीन कांस्य मूर्तियाँ – लुप्तमोम तकनीक से बनाई जाती थीं। इस प्रविधि के अंतर्गत सर्वप्रथम मोम की एक प्रतिमा बनाई जाती थी। इसे चिकनी मिट्टी से पूरी तरह लीप कर सूखने के लिए छोड़ दिया जाता था। जब वह पूरी तरह सूख जाती थी तो उसे गर्म किया जाता था और उसके मिट्टी के आवरण में एक छोटा-सा छेद बना कर उस छेद के रास्ते सारा पिघला हुआ मोम बाहर निकाल लिया जाता था। फिर चिकनी मिट्टी के खाली सांचे में उसी छेद के रास्ते पिघली हुई धातु भर दी जाती थी। जब वह धातु ठंडी होकर ठोस हो जाती थी तो चिकनी मिट्टी के आवरण को सावधानीपूर्वक हटा दिया जाता था और उसमें से निकली प्रतिमा को साफ करके चमका दिया जाता था।

प्रविधि के लाभ:
(i) मेरे विचार से कांस्य मूर्ति बनाने की यह तकनीक बहुत आसान थी। इससे कांस्य बनाने वाले शिल्पकारों को रोजगार मिलता था।

(ii) ताँबे और टिन का व्यापार करने वाले व्यापारियों का व्यापार बढ़ता था।

(iii) ये मूर्तियाँ मंदिरों और अन्य स्थानों की शोभा बढ़ाने के साथ-साथ लोगों में धार्मिक श्रद्धा, आस्था, भक्ति भावना के उदित करने के साथ-साथ मोम के कलाकारों और शिल्पकारों को रोजी-रोटी देती थीं।

(iv) चिकनी मिट्टी के साँचे बनाने वाले शिल्पकारों को रोजी-रोटी और धंधा मिलता था। विदेशों से आने वाले व्यापारी और सौदागर इन मूर्तियों को अपने साथ ले जाते थे। इससे भारत को बहुमूल्य पदार्थ तो मिलते ही थे साथ ही भारतीय संस्कृति और मूर्ति कला का प्रचार भी होता था।

प्रश्न 2.
किस प्रकार अंग्रेज भारतीय उपमहाद्वीप में सर्वाधिक सफल वाणिज्यिक एवं राजनीतिक शक्ति के रूप में उभरे?
उत्तर:
16वीं व 17वीं शताब्दी में यूरोपीय बाजारों में भारतीय कपड़ों व मसालों की मांग बहुत अधिक थी। भारत में तथा अन्य पूर्वी देशों में व्यापार के उद्देश्य से यूरोपीय कंपनियों ने अपनी-अपनी ईस्ट इंडिया कंपनियाँ बनाई। कुछ भारतीय व्यापारियों जैसे मुल्ला, अब्दुल गफूर तथा वीर जी वोरा के पास बड़ी संख्या में जहाज थे। इन्होंने प्रारंभ में यूरोपियन कंपनियों का मुकाबला किया परंतु जब यूरोपियन कंपनियों ने अपनी नौ-शक्ति का प्रयोग किया तब भारतीय व्यापारी उनके एजेंट के रूप में कार्य करने को विवश हो गए। इस प्रकार अंग्रेज भारतीय उपमहाद्वीप में सर्वाधिक सफल वाणिज्यिक एवं राजनीतिक शक्ति के रूप में उभरकर स्थापित हो गए।

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नगर, व्यापारी और शिल्पिजन Class 7 HBSE Notes in Hindi

1. नगर के विभिन्न प्रकार अथवा रूप:

  • मंदिर नगर
  • प्रशासनिक केंद्र
  • वाणिज्यिक शहर
  • पत्तन नगर
  • शिल्प उत्पादन के केंद्र नगर।

2. तंजावूर: लगभग एक हजार वर्ष पूर्व चोल राजाओं की राजधानी।
3. उरेयूर: तंजावूर के समीप स्थित नगर जो सालीय बुनकर मंदिर के उत्सव के लिए विख्यात था।
4. कांसा: एक मिश्रित धातु, जो तांबे और रांगे (टिन) के मेल से बनती है।
5. लुप्तमोम तकनीक: चोलकालीन कांस्य प्रतिमाएँ (मूर्तियाँ) बनाने की एक प्रविधि (या तरीका) जिसमें सबसे पहले मोम की एक प्रतिमा बनाई जाती थी। इसे चिकनी मिट्टी से पूरी तरह लेपकर सूखने के लिए छोड़ दिया जाता था।
6. भिल्ल स्वामिन (भीलसा या विदिशा मंदिर): विदिशा, मध्य प्रदेश।
7. सोमनाथ मंदिर: गुजरात!
8. कांचीपुरम तथा मदुरै मंदिर: तमिलनाडु।
9. तिरुपति मंदिर: आंध्र प्रदेश।
10. वृंदावन: तीर्थ स्थल, उत्तर प्रदेश।
11. तिरुवन्नमलाई: तीर्थस्थल नगर, तमिलनाडु।
12. अजमेर: बारहवीं शताब्दी में चौहान राजाओं की राजधानी और सूफी संत ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह।
13. पुष्कर: अजमेर के समीप ब्रह्मा जी के मंदिर का केवल मात्र स्थल और पवित्र सरोवर जहाँ प्राचीन काल से ही हिंदू तीर्थ यात्री मुख्यतः आते हैं।
14. मंडयिका: मंडी।
15. हट्ट: हाट या बाजार।
16. सामंत: मध्य काल का जमींदार जो किलेबंद घर में रहकर क्षेत्र-विशेष में सैनिक व प्रशासनिक दायित्व निभाता था और किसानों से बेगार लेता था।

HBSE 7th Class Social Science Solutions History Chapter 6 नगर, व्यापारी और शिल्पिजन

17. बंजारा: राजस्थान के घुमक्कड़ छोटे व्यापारी।
18. गिल्ड: व्यापारियों या शिल्पियों का संघ।
19. मणिग्रामम और नानादेशी: यह दोनों आठवीं शताब्दी और बाद के समय में मशहूर व्यापार (व्यापारियों तथा शिल्पियों के) संघ थे जो प्रायद्वीप (दक्षिण भारत) के भीतरी हिस्सों से चीन और दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों से दूर-दूर तक व्यापार करते थे।
20. अलावा, चेट्टियार और मारवाड़ी ओसवाल: यह मध्य – काल में भारत के प्रसिद्ध व्यापारी समूह या समुदाय थे।
21. काबुल: वर्तमान अफगानिस्तान की राजधानी जो सोलहवीं शताब्दी में राजनैतिक और वाणिज्यिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण शहर बन गया था।
22. बीदरी: यह एक शिल्प का नाम था जो दक्षिण के बीदर राज्य के शिल्पकारों द्वारा सुंदर ताँबे और चाँदी में जड़ाई के कामों में बहुत ज्यादा प्रसिद्ध थे।
23. सालियार या कैम्कोलार: मध्यकालीन भारत में प्रसिद्ध और धनी बुनकर समुदाय।
24. हम्पी: 1336 में स्थापित विजयनगर साम्राज्य की राजधानी
25. डोमिंगो पेज: सोलहवीं शताब्दी में पुर्तगाल से विजयनगर साम्राज्य में आया एक पुर्तगाली यात्री।
26. विठ्ठल स्वामी मंदिर: विजयनगर की राजधानी हम्पी में बना रथ मदिर।
27. मूरों: हम्पी के बाजारों में मुस्लिम सौदागरों के लिए सामूहिक रूप में प्रयोग में लाया जाने वाला नाम।
28. देवदासियाँ: बचपन से ही मंदिर के देवता को समर्पित और आराध्य देवों को खुश करने वाली दासियाँ।
29. महानवमी पर्व: जो आज दक्षिण भारत में नवरात्रि पर्व या उत्सव कहलाता है।
30. विजयनगर साम्राज्य की दक्षिणी सुल्तानों द्वारा पराजय और राजधानी हम्पी का विनाश: 15651
31. विजयनगर के विरुद्ध लड़ने वाले पाँच दक्षिणी मुस्लिम राज्य:

  • गोलकुंडा
  • बीजापुर
  • अहमदनगर,
  • बरार
  • बीदर।

32. कैबे या खंबात खाड़ी के समीप स्थित पश्चिम का प्रवेश द्वार: सूरत।
33. ओविंगटन: वह एक अंग्रेज इतिहासकार था जिसने 1689 में सूरत बंदरगाह का रोचक वर्णन लिखा।
34. काहिरा: मिन (उत्तरी अफ्रीका स्थित देश) की राजधानी।
35. अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी ने वर्तमान मुंबई (उस समय बंबई) में अपना मुख्यालय स्थापित किया: 1668!
36. मसूलीपट्टनम: दक्षिण आंध्र में कृष्णा नदी के डेल्टा पर स्थित एक प्राचीन महत्त्वपूर्ण पत्तन और व्यापारिक नगर
37. मसूलीपट्टनम का किला बनवाया: डचों या हॉलैंड के निवासियों ने।
38. वाणिज्य केंद्र: एक ऐसा स्थान जहाँ विभिन्न उत्पादन केंद्रों से आने वाला माल खरीदा और बेचा जाता है।
39. हुंडी: एक ऐसा दस्तावेज, जिसमें एक व्यक्ति द्वारा जमा कराई गई रकम दर्ज रहती है। हुंडी को कहीं अन्यत्र प्रस्तुत करके जमा की गई राशि प्राप्त की जा सकती है।
40. गुमास्ता: ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा नियुक्त व्यापारी।
41. विलियम मेथवल्ड: यह भारत में अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा नियुक्त एक गुमास्ता था जिसने 1620 में आंध्र के मसूलीपट्टनम नामक पत्तन और वाणिज्यिक नगर का सुंदर वर्णन किया है।

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42. अठारहवीं शताब्दी में उदित तीन प्रमुख नगर:

  1. बंबई (मुंबई)
  2. कलकत्ता (कोलकाता)
  3. मद्रास (चेन्नई)।

43. ब्लैक टाउन्स: अंग्रेजों द्वारा बसाए तीन प्रमुख नगरों बंबई, कलकत्ता और मद्रास के वे रिहायशी क्षेत्र जहाँ ब्लैक यानि देसी व्यापारी और शिल्पकार रहा करते थे।
44. वास्कोडिगामा: पुर्तगाल का विख्यात नाविक जो 1498 में कालीकट, भारत पहुंचा था।
45. क्रिस्टोफर कोलंबस: वह इटली वासी साहसिक नाविक था जो 1492 में वेस्टइंडीज पहुंचा था।

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