HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 5 कांग्रेस प्रणाली : चुनौतियाँ और पुनर्स्थापना

Haryana State Board HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 5 कांग्रेस प्रणाली : चुनौतियाँ और पुनर्स्थापना Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Political Science Important Questions Chapter 5 कांग्रेस प्रणाली : चुनौतियाँ और पुनर्स्थापना

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पं० जवाहर लाल नेहरू के बाद राजनीतिक उत्तराधिकार पर एक नोट लिखें।
उत्तर:
पं० जवाहर लाल नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री थे। वे इस पद पर 1947 से 1964 तक रहे। मई, 1964 में पं० नेहरू की मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु के समय देश की राजनीतिक एवं आर्थिक परिस्थितियां ठीक नहीं थीं। राजनीतिक तौर पर 1962 में चीन से हार, भारत में पैदा हुई राजनीतिक अस्थिरता तथा आर्थिक स्तर पर भारत में बढ़ती हुई ग़रीबी एवं पड़ने वाला भयंकर अकाल। इन परिस्थितियों में पं० नेहरू का जाना भारत के लिए एक त्रासदी से कम नहीं था।

पं० नेहरू की मृत्यु के पश्चात् उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी को लेकर तरह-तरह के प्रश्न उठने लगे। कुछ विदेशी विद्वानों का यह मत था कि पं० नेहरू की मृत्यु के पश्चात् भारत में लोकतन्त्र समाप्त हो जाएगा तथा पाकिस्तान की तरह सैनिक तानाशाही स्थापित हो जाएगी क्योंकि भारत में पं० नेहरू के पश्चात् ऐसा कोई भी नेता नहीं है, जो पं० नेहरू की तरह प्रजातन्त्र एवं संसदीय प्रणाली में पूरी तरह विश्वास रखता हो तथा उसे चला सकता हो।

परन्तु विदेशी विद्वानों की ऐसी भविष्यवाणियां सच साबित नहीं हुईं, बल्कि पं० नेहरू की मृत्यु के पश्चात् भारतीय लोकतन्त्र और अधिक मज़बूत होकर विश्व परिदृश्य पर उभरा। पं० नेहरू के राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में पहले श्री लाल बहादुर शास्त्री तथा बाद में श्रीमती इन्दिरा गांधी ने सफलतापूर्वक कार्य किया।

1. श्री लाल बहादर शास्त्री-पं० जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु 27 मई, 1964 को हुई और प्रधानमन्त्री का पद रिक्त हो गया, परन्तु प्रधानमन्त्री पद के लिए कांग्रेस में कोई बड़ा घमासान या संघर्ष नहीं हुआ। कांग्रेस के मुख्य नेताओं में प्रधानमन्त्री पद के लिए एकमतता न होने के कारण श्री लाल बहादुर शास्त्री को एक मध्यमार्गी उम्मीदवार के रूप में भारत का प्रधानमन्त्री बनाया गया। इस एक घटना से भारत सहित पूरे विश्व में यह सन्देश पहुंचा कि कांग्रेस पार्टी एक राजनीतिक दल के रूप में परिपक्व हो गई है तथा भारत पं० नेहरू के पश्चात् भी लोकतन्त्र एवं संसदीय प्रणाली में गहरा विश्वास रखता है।

शास्त्री जी नेहरूवादी समाजवादी थे, वे उदारवादी, सरल भाषी परन्तु दृढ़ संकल्पी थे। उन्होंने 9 जून, 1964 को प्रधानमन्त्री के पद का कार्यभार सम्भाला। पं० नेहरू के मन्त्रिमण्डल में वे एक प्रधान समझौताकर्ता, मध्यस्थ तथा समन्वयकार के रूप में जाने जाते थे। पं० नेहरू के आग्रह पर शास्त्री जी ने असम में भाषायी दंगों एवं श्रीनगर में हज़रत बल दरगाह से चोरी हुए एक पवित्र समृति चिह्न से उत्पन्न हुई समस्याओं को कुशलतापूर्वक सुलझाया। शास्त्री जी ने जब देश की बागडोर सम्भाली, उस समय भारत विकट समस्याओं में घिरा हुआ था।

भारत में अकाल पड़ने से खाद्यान्न की कमी अनुभव हो रही थी। अतः शास्त्री जी ने कृषि पर विशेष ध्यान दिया। इसलिए उन्होंने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा दिया। शास्त्री जी की सरल एवं उदार छवि के कारण पाकिस्तान ने अपनी सैनिक शक्ति से भारत को डराने का प्रयास किया तथा 1965 में जम्मू कश्मीर पर भयंकर आक्रमण भी कर दिया।

परन्तु शास्त्री जी की सूझ-बूझ एवं कुशल नेतृत्व से भारत ने न केवल पाकिस्तान का साहसपूर्वक सामना ही किया, बल्कि युद्ध में विजयी होकर उभरे। सोवियत संघ के प्रयासों से 1966 में भारत-पाकिस्तान के बीच ताशकंद में समझौता हुआ और ताशकन्द में ही जनवरी, 1966 में शास्त्री जी की संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गई। शास्त्री जी लगभग 20 महीने ही देश के प्रधानमन्त्री रहे थे, परन्तु इस छोटी सी अवधि में भी उन्होंने देशवासियों पर गम्भीर छाप छोड़ी।

2. श्रीमती इन्दिरा गांधी-शास्त्री जी की असामयिक मृत्यु के पश्चात् देश एवं कांग्रेस के सामने पुनः यह प्रश्न पैदा हो गया कि देश का प्रधानमन्त्री कौन बने। अधिकांश कांग्रेसी नेताओं की यह राय थी कि पं० नेहरू की बेटी श्रीमती इन्दिरा गांधी को देश का प्रधानमन्त्री बनाया जाए क्योंकि पं० नेहरू की बेटी होने के कारण उन्हें देश एवं विदेश में ख्याति एवं सम्मान प्राप्त है। परन्तु कांग्रेस में मोरारजी देसाई इस पक्ष में नहीं थे कि श्रीमती इन्दिरा गांधी को देश का प्रधानमन्त्री बनाया जाए, बल्कि वह स्वयं देश का प्रधानमन्त्री बनना चाहते थे।

अत: उन्होंने मत विभाजन का सुझाव दिया। अतः 19 जनवरी, 1966 को कांग्रेस में नेतृत्व के लिए पहली बार मतदान हुआ। यह देश एवं कांग्रेस के लिए एक ऐतिहासिक दिन था, क्योंकि पं० नेहरू के जीवनकाल में इस प्रकार के मत-विभाजन के विषय में सोचा भी नहीं जा सकता था। इस मत विभाजन में श्रीमती इन्दिरा गांधी के पक्ष में 355 एवं विपक्ष में 169 वोट पड़े। मत विभाजन से स्पष्ट पता चलता है कि अधिकांश कांग्रेसी पं० नेहरू की बेटी श्रीमती इन्दिरा गांधी को ही देश का प्रधानमन्त्री बनाना चाहते थे।

कुछ विद्वानों का यह मत है कि अधिकांश कांग्रेसियों ने श्रीमती गांधी को इसलिए प्रधानमन्त्री बनाया, क्योंकि वे केन्द्र में अपने लिए एक अहानिकारक व्यक्ति को प्रधानमन्त्री के रूप में देखना चाहते थे। इस दृष्टिकोण में श्रीमती गांधी, मोरारजी देसाई के मुकाबले कांग्रेसी नेताओं के लिए कम हानिकारक थीं। 1967 में होने वाले लोकसभा के चुनावों में भी जीतकर श्रीमती गांधी देश की प्रधानमन्त्री बनी रहीं। अपने प्रधानमन्त्रित्व काल में श्रीमती गांधी ने ऐसे कई कार्य किए जिससे कांग्रेस प्रणाली- चुनौ देश प्रगति कर सके।

उन्होंने कृषि कार्यों को बढ़ावा दिया। ग़रीबी को हटाने के लिए कार्यक्रम घोषित किया तथा देश की सेनाओं का आधुनिकीकरण किया तथा 1974 में पोखरण में ऐतिहासिक परमाणु विस्फोट किया। श्रीमती गांधी को 1971 में असामान्य परिस्थितियों का सामना करना पड़ा जब पूर्वी पाकिस्तान के कारण भारत एवं पाकिस्तान के मध्य भयंकर युद्ध शुरू हो गया। परन्तु 1971 का युद्ध भारत एवं श्रीमती गांधी के लिए एक निर्णायक युद्ध साबित हुआ तथा इस युद्ध के जीतने पर विश्व में भारत की प्रतिष्ठा बहुत बढ़ गई। उपरोक्त वर्णन से स्पष्ट है कि पं० नेहरू के बाद भी उनके राजनीतिक उत्तराधिकारियों ने देश को कुशल नेतृत्व प्रदान किया तथा देश को विकास के पथ पर ले गए।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 5 कांग्रेस प्रणाली : चुनौतियाँ और पुनर्स्थापना

प्रश्न 2.
1967 के गैर-कांग्रेसवाद एवं चुनावी बदलाव का वर्णन करें।
उत्तर:
1967 के चौथे आम चुनाव भारतीय राजनीति में ऐतिहासिक महत्त्व रखते हैं। इन चुनावों में पहली बार कांग्रेस को ऐसा अनुभव हुआ कि जनता पर से उसकी पकड़ ढीली हो रही है। इन चुनावों में भारतीय मतदाताओं ने कांग्रेस को वैसा समर्थन नहीं दिया जो पहले तीन आम चुनावों में दिया था। केन्द्र में जहां कांग्रेस मुश्किल से बहुमत प्राप्त कर पाई, वहीं 8 राज्य विधानसभाओं (बिहार, केरल, मद्रास, उड़ीसा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर-प्रदेश तथा पश्चिम का सामना करना पड़ा। परिणामस्वरूप कांग्रेस 8 में से 7 राज्यों में सरकार बनाने में असफल रही।

उत्तर प्रदेश में उसने जोड़-तोड़ करके सरकार बनाई, परन्तु वह अधिक समय तक नहीं चल पाई। केन्द्र में कांग्रेस पार्टी को मुश्किल से ही बहुमत प्राप्त हो पाया था। 1967 के चौथे आम चुनावों में लोकसभा की 520 सीटों के लिए मतदान हुआ, जिसमें विभिन्न दलों की स्थिति इस प्रकार रही
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चौथी लोकसभा की दलीय स्थिति से यह स्पष्ट पता चलता है कि जिस कांग्रेस पार्टी ने पहले तीन आम चुनावों में जिन विरोधी दलों को बुरी तरह से हराया, वे दल चौथे लोक सभा चुनाव में बहुत अधिक सीटों पर चुनाव जीत गए। इसी तरह राज्यों में भी कांग्रेस की स्थिति 1967 के आम चुनाव में ठीक नहीं थी। 16 राज्यों की जिन विधानसभाओं के लिए चुनाव हुए उनमें से 8 राज्य विधानसभाओं में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। 1967 में हुए राज्य विधानसभाओं के चुनावों वाले राज्यों में से कुछ राज्य विधानसभाओं में दलीय स्थिति अग्र प्रकार
से रही
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उपरोक्त दलीय स्थिति (मध्य प्रदेश को छोड़कर) को देखकर यह कहा जा सकता है कि 1967 के चुनाव बहुत बड़े उल्ट फेर वाले रहे। इस चुनाव में केन्द्र में कांग्रेस जहां अपनी सरकार बनाने में सफल रही, वहीं 7 राज्यों में गैर कांग्रेसी सरकारें बनीं। इससे पहली बार भारत में बड़े पैमाने पर गैर-कांग्रेसवाद की लहर चली तथा राज्यों में कांग्रेस का एकाधिकार समाप्त हो गया।

प्रश्न 3.
1969 में कांग्रेस में विभाजन के क्या कारण थे ?
उत्तर:
1969 का वर्ष कांग्रेस पार्टी के आन्तरिक राजनीति के लिए ऐतिहासिक वर्ष रहा। प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गांधी द्वारा भूमि सुधार लागू करना, बैंकों का राष्ट्रीयकरण करना तथा राष्ट्रपति के पद के लिए कांग्रेस के अधिकारिक उम्मीदवार (नीलम संजीवा रेड्डी) के विरुद्ध अपना उम्मीदवार (वी० वी० गिरी) खड़ा करना, जैसी कुछ ऐसी घटनाएं थीं, जिन्हें निजलिंगप्पा तथा सिंडीकेट ने पसन्द नहीं किया। इसीलिए कांग्रेस में धीरे-धीरे आन्तरिक कलह बढ़ती रही, जो आगे चलकर विभाजन के रूप में सामने आई। 1969 में कांग्रेस में विभाजन के मुख्य कारण इस प्रकार थे

1. दक्षिण-पंथी एवं वामपंथी विषय पर कलह (Tussle over drift to Right or Left):
1967 के चौथे आम चुनाव में कांग्रेस को कई राज्य विधानसभाओं में हार का सामना करना पड़ा। अतः कांग्रेस में यह मंथन होने लगा, कि किस तरह कांग्रेस को राज्यों में मज़बूत किया जाए। कांग्रेस के कुछ सदस्यों का यह विचार था कि राज्यों में कांग्रेस को दक्षिण-पंथी विचारधारा वाले दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहिए, जबकि कुछ अन्य कांग्रेसियों का यह मत पा कि कांग्रेस को दक्षिण-पंथी विचारधारा की अपेक्षा वामपंथी विचारधारा वाले दलों के साथ मिलकर चलना चाहिए। इस प्रकार की कलह 1969 में कांग्रेस के विभाजन का एक मुख्य कारण बनी।।

2. राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के विषय में मतभेद (Difference over the candidate of the post of President):
कांग्रेस में 1967 में होने वाले राष्ट्रपति के चुनाव को लेकर भी मतभेद था। श्रीमती इन्दिरा गांधी जहां ज़ाकिर हसैन को राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनाना चाहती थी, वहीं कामराज जैसे कांग्रेसियों ने इसका विरोध किया।

3. युवा तुर्क एवं सिंडीकेट के बीच कलह (Tussle between Yuva Turks and Syndicate):
1969 में कांग्रेस पार्टी के विभाजन का एक कारण युवा तुर्क (चन्द्रशेखर, चरणजीत यादव, मोहन धारीया, कृष्ण कान्त एवं आर० के० सिन्हा) तथा सिंडीकेट (कामराज, एस० के० पाटिल, अतुल्य घोष एवं निजलिंगप्पा) के बीच होने वाली कलह थी। जहां युवा तुर्क बैंकों के राष्ट्रीयकरण एवं राजाओं के प्रिवी पों को समाप्त करने के पक्ष में था, वहीं सिंडीकेट इसका विरोध कर रहा था।

4. 1969 का राष्ट्रपति चुनाव (Election of President 1969):
कांग्रेस के विभाजन का एक अन्य महा पूर्ण कारण 1969 में हुआ राष्ट्रपति का चुनाव था। मई, 1969 में राष्ट्रपति जाकिर हुसैन की मृत्यु के पश्चात् देश का राष्ट्रपति कौन बनेगा, एक विषय पर कांग्रेस में मतभेद थे। 1971 में होने वाले लोकसभा चुनावों के विषय में कांग्रेस एवं दलों का यह अनुमान था कि 1971 के चुनावों में यदि किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता तो उस स्थिति में राष्ट्रपति की भमिका महत्त्वपर्ण हो जायेगी. क्योंकि तब राष्ट्रपति अपने विवेक के आधार पर किस बनाने के लिए आमन्त्रित करेगा।

अत: प्रत्येक राजनीतिक दल अपनी पसन्द का राष्ट्रपति चाहते थे। प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गांधी ने पार्टी की संसदीय बोर्ड की बैठक में जगजीवन राम का नाम राष्ट्रपति पद के लिए उठाया, परन्तु सिंडीकेट ने इसका विरोध किया तथा उन्होंने नीलम संजीवा रेड्डी का नाम राष्ट्रपति पद के लिए अनुमोदित किया, जिसे स्वीकार कर लिया। परन्तु श्रीमती गांधी इससे सन्तुष्ट नहीं हुईं तथा उन्होंने अपनी ही पार्टी के अधिकारिक उम्मीदवार के विरुद्ध अपना उम्मीदवार (वी० वी० गिरी) खड़ा कर दिया तथा वी० वी० गिरी चुनाव जीत भी गए। इस घटना से कांग्रेस के आन्तरिक मतभेद बढ़ गए।

5. मोरारजी देसाई से वित्त विभाग वापिस लेना (Taking away Finance Department from Morarji Desai):
1969 में कांग्रेस के विभाजन का एक अन्य कारण प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गांधी द्वारा मोरारजी देसाई से वित्त विभाग वापिस लेना था। मोरारजी देसाई ने इस पर अपना विरोध दर्ज कराते हुए मन्त्रिमण्डल से त्याग-पत्र दे दिया। सिंडीकेट ने प्रधानमन्त्री की इस कार्यवाही का विरोध किया। मोरारजी देसाई से वित्त विभाग वापिस लेने के बाद मन्त्रिमण्डल ने सर्वसम्मति से बैंकों के राष्ट्रीयकरण के प्रस्ताव को पास कर दिया

6. सिंडीकेट पर दक्षिणपंथियों के साथ गुप्त समझौते का आरोप (Alleged secret deal of the Syndicate with Rightist Parties):
कांग्रेस ने जब राष्ट्रपति पद के लिए नीलम संजीवा रेड्डी को आधिकारिक उम्मीदवार घोषित किया, तो कार्यवाहक राष्ट्रपति वी० वी० गिरी ने भी राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। सिंडीकेट को यह लगा कि वी० वी० गिरी ने श्रीमती इन्दिरा गांधी के कहने पर घोषणा की है, जबकि श्रीमती इन्दिरा गांधी ने ऐसे किसी भी घटनाक्रम से अपने आप को अलग बताया। परन्तु सिंडीकेट को यह आभास हो गया कि राष्ट्रपति चुनावों में कांग्रेस के आधिकारिक उम्मीदवार (नीलम संजीवा रेडी) के लिए राह आसान नहीं है।

अतः निजलिंगप्पा ने इस विषय में जनसंघ तथा स्वतन्त्र पार्टी से बातचीत करनी शुरू की तथा उनसे अनुरोध किया, कि यदि आप नीलम संजीवा रेड्डी के लिए पहली प्राथमिकता नहीं डाल सकते, तो दूसरी प्राथमिकता (Preference) अवश्य डालें। इस पर जगजीवन तथा फखरुद्दीन अली अहमद ने निजलिंगप्पा से यह पूछा कि उन्होंने किस आधार पर उन दलों से बातचीत की। इन दोनों नेताओं ने सिंडीकेट पर दक्षिणपंथियों के साथ गुप्त समझौता करने का आरोप लगाया। इससे कांग्रेस का आन्तरिक वातावरण और खराब हो गया।

7. श्रीमती इन्दिरा गांधी पर साम्यवादियों का साथ देने का आरोप (Alleged Truce of Indira with Communists):
जिस प्रकार जगजीवन राम तथा फखरुद्दीन अली अहमद ने सिंडीकेट पर यह आरोप लगाया कि उन्होंने दक्षिणपंथियों से गुप्त समझौता कर रखा है, वहीं सिंडीकेट ने श्रीमती इन्दिरा गांधी पर यह आरोप लगाया कि वह कांग्रेस में वामपंथ को बढ़ावा दे रही है। इस विषय पर सिंडीकेट एवं श्रीमती इन्दिरा गांधी के समर्थकों के बीच विवाद गहराता जा रहा था।

8. सिंडीकेट द्वारा श्रीमती इन्दिरा गांधी को पद से हटाने का प्रयास (Syndicate tried for removal of Indira from the Post of EM.):
1969 में कांग्रेस के आधिकारिक उम्मीदवार के राष्ट्रपति चुनावों में हार जाने के बाद सिंडीकेट ने प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गांधी को पद से हटाने का प्रयास किया। परन्तु इसके विरोध में 60 से अधिक कांग्रेसी सदस्यों ने निजलिंगप्पा के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाने की बात की। 23 अगस्त, 1969 को हुई संसदीय बोर्ड की बैठक में अधिकांश सदस्यों ने श्रीमती गांधी के पक्ष में विश्वास व्यक्त किया। उपरोक्त घटनाओं के कारण कांग्रेस की आन्तरिक कलह इतनी बढ़ गई कि नवम्बर, 1969 में कांग्रेस का विभाजन हो गया।

प्रश्न 4.
1971 में पांचवें लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत पर एक नोट लिखें।
अथवा
1970 के दशक के प्रारम्भ में इन्दिरा गांधी की सरकार किन कारणों से लोकप्रिय हुई ?
उत्तर:
1971 के पांचवें लोकसभा चुनाव कई पक्षों से ऐतिहासिक थे। श्रीमती गांधी को जहां व्यक्तिगत स्तर पर लोगों का विश्वास जीतना था, वहीं पर अपनी नीतियों के प्रति लोगों की राय भी जाननी थी। 1971 के लोकसभा चुनावों के परिणामों की जब घोषणा की गई, तो श्रीमती गांधी को लोगों का अभूतपूर्व समर्थन मिला। श्रीमती गांधी को लोकसभा की 518 सीटों में से 352 सीटें प्राप्त हुईं। 1971 के पांचवें लोकसभा की दलीय स्थिति इस प्रकार है
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1971 के पांचवें लोकसभा की दलीय स्थिति से साफ पता चलता है कि लोगों ने श्रीमती गांधी को जीताकर उन्हें एक राष्ट्रीय नेता के रूप में स्वीकार कर लिया था। वास्तव में 1971 की कांग्रेस विजय, श्रीमती गांधी की ही विजय मानी जाती है। क्योंकि श्रीमती गांधी ने चुनाव प्रचार में एक तरह से स्वयं को भी एक मुद्दा बना रखा था।

जहां श्रीमती गांधी ने ‘ग़रीबी हटाओ’ का नारा दिया, वहीं उनके विपक्षियों ने ‘इन्दिरा हटाओ’ का नारा दिया। चुनाव परिणामों से स्पष्ट हो गया कि लोगों ने ‘ग़रीबी हटाओ’ के नारे को अधिक पसन्द किया तथा श्रीमती गांधी को पूर्ण बहुमत प्रदान किया। 1971 के पांचवें लोकसभा चुनावों में श्रीमती इन्दिरा गांधी एवं कांग्रेस (आर०) की जीत के निम्नलिखित कारण थे

1. श्रीमती गांधी का चमत्कारिक नेतृत्व (Chrismatic Leadership of Mrs. Gandhi):
1971 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की जीत का सबसे बड़ा कारण श्रीमती गांधी का चमत्कारिक नेतृत्व था। 1969 में कांग्रेस के विभाजन के बाद श्रीमती गांधी ने कांग्रेस को कुशलता से पुनर्जीवित किया तथा देश के विकास के लिए कई नीतियां बनाईं। उन्होंने बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया तथा महाराजाओं के प्रिवी पर्सी को बन्द कर दिया। 1971 के चुनावों में श्रीमती गांधी ने व्यक्तिगत स्तर पर मतदाताओं से सम्पर्क साधा तथा मतदाताओं को अपनी नीतियों एवं कार्यक्रमों से अवगत कराया।

2. समाजवादी नीतियां (Socialistic Policies):
1971 के चुनावों में कांग्रेस की जीत का एक अन्य महत्त्वपूर्ण कारण श्रीमती गांधी द्वारा अपनाई गई समाजवादी नीतियां थीं। उन्होंने प्रत्येक चुनाव रैली में समाजवाद के विषय में बढ़-चढ़ कर बातें की। जब किसी ने उनसे जानना चाहा कि वे समाजवाद पर इतना अधिक जोर क्यों दे रही हैं, तो श्रीमती गांधी का उत्तर था कि लोग यही सुनना पसन्द करते हैं। अतः श्रीमती गांधी ने अपने समाजवादी भाषणों तथा नीतियों से 1971 का चुनाव जीता था।

3. ग़रीबी हटाओ का नारा (Slogan of Garibi Hatao):
1971 में श्रीमती गांधी की जीत का एक सबसे महत्त्वपूर्ण कारण उनके द्वारा दिया गया, ‘ग़रीबी हटाओ’ का नारा था। इस नारे के बल पर श्रीमती गांधी ने अधिकांश ग़रीबों के वोट अपनी झोली में डाल लिए। जहां श्रीमती गांधी ने ‘ग़रीबी हटाओ’ का नारा दिया वहीं उनके विरोधियों ने ‘इन्दिरा हटाओ’ का नारा दिया, जिसे मतदाताओं ने पसन्द नहीं किया और भारी संख्या में लोगों ने कांग्रेस को वोट डालें। ग़रीबी हटाने के लिए श्रीमती गांधी ने चुनाव घोषणा पत्र में नीतियों एवं कार्यक्रमों का वर्णन किया।

4. कांग्रेस दल पर श्रीमती गांधी की पकड़ (Hold of Mrs. Gandhi on Congress Party):
1971 में श्रीमती गांधी की जीत का एक अन्य कारण यह था कि श्रीमती गांधी की अपने दल पर पूरी पकड़ एवं प्रभाव था। 1969 में कांग्रेस पार्टी के विभाजन के पश्चात् श्रीमती गांधी पूरी तरह पार्टी पर छा गईं। कांग्रेस पार्टी में कोई भी नेता उनकी आज्ञा की अवहेलना करने का साहस नहीं कर सकता था।

5. श्रीमती गांधी के पक्ष में वोटों का ध्रुवीकरण (Polarisation of vote in favour of Mrs. Gandhi):
1971 के चुनावों में श्रीमती गांधी की जीत का एक अन्य कारण यह था कि इन चुनावों में वोटों का ध्रुवीकरण श्रीमती गांधी एवं उनकी पार्टी के पक्ष में हुआ। समाज के सभी वर्गों ने श्रीमती गांधी के पक्ष में वोट डाले। यही कारण था, कि श्रीमती गांधी 1971 के चुनावों में प्रथम तीन चुनावों का इतिहास दोहरा सकीं। उपरोक्त वर्णन से स्पष्ट है कि 1971 के चुनावों में श्रीमती गांधी ने मतदाताओं की इच्छाओं को भांप लिया था तथा उसी के अनुसार अपनी नीतियां एवं कार्यक्रम बनाए, जिसके कारण श्रीमती गांधी को इतनी बड़ी चुनावी सफलता मिली।

प्रश्न 5.
‘ग़रीबी हटाओ’ की राजनीति से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
1971 के पांचवें लोकसभा चुनाव कई पक्षों से ऐतिहासिक माने जाते हैं। इन चुनावों में भारी बहुमत से जीतकर श्रीमती गांधी जहां कांग्रेस की निर्विवाद नेता बन गई हैं, वहीं उन्होंने भारतीय राजनीति में एक नये नारे को जन्म दिया, जिसे ‘ग़रीबी हटाओ’ कहा जाता है। चुनाव विश्लेषकों के अनुसार श्रीमती गांधी की चुनावी विजय में इस नारे की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी।

इस नारे के बल पर श्रीमती गांधी ने अधिकांश ग़रीबों के वोट अपनी झोली में डाल लिए। जहां श्रीमती गांधी ने ‘ग़रीबी हटाओ’ का नारा दिया वहीं उनके विरोधियों ने ‘इन्दिरा हटाओ’ का नारा दिया। परन्तु मतदाताओं ने ‘ग़रीबी हटाओ’ के नारे को अधिक पसन्द करते हुए श्रीमती गांधी को भारी बहुमत से विजय दिलाई। श्रीमती गांधी के इस नारे ने जहां मतदाताओं को प्रभावित किया वहां पुनर्गठन के दौर से गुजर रही कांग्रेस में नये रक्त का संचार भी किया। श्रीमती गांधी ने ‘ग़रीबी हटाओ’ के नारे के अन्तर्गत ग़रीबों के निरन्तर विकास की बात कही।

‘ग़रीबी हटाओ’ कार्यक्रम के अन्तर्गत 1970-71 से नीतियां एवं कार्यक्रम बनाये जाने लगे तथा इस कार्यक्रम पर अधिक से-अधिक धन खर्च किया जाने लगा। इससे मतदाताओं को यह आभास हुआ कि कांग्रेस पार्टी वास्तव में ही ग़रीबों की ग़रीबी दूर करना चाहती है, अतः उन्होंने बाकी सभी दलों को हराते हुए श्रीमती गांधी एवं उनके दल को विजयी बनाया।

परन्तु 1971 के चुनावों के पश्चात् भारत एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कुछ ऐसी घटनाएं घटीं कि श्रीमती गांधी के लिए अब ‘ग़रीबी हटाओ’ के अन्तर्गत शुरू किये गए कार्यक्रमों के लिए आबंटित धन में कमी करना आवश्यक हो गया। 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध, बढ़ती हुई महंगाई एवं मुद्रा स्फीति की दर तथा 1973 में विश्व स्तर पर पैदा हुए तेल संकट ने श्रीमती गांधी के ‘ग़रीबी हटाओ’ कार्यक्रम को गहरा आघात पहुंचाया। 1974-1975 में श्रीमती गांधी ने ग़रीबी उन्मूलन के लिए जो धन आबंटित किया था, उनमें एक तिहाई की कटौती कर दी गई। परन्तु इसके साथ ही श्रीमती गांधी ने कुछ अन्य प्रयास भी किए। श्रीमती गांधी ने 1975 में ग़रीबी हटाने के लि शुरुआत की, जिसके द्वारा गरीबी को (विशेषकर ग्रामीण ग़रीबी को) दूर करने का प्रयास किया गया। परन्तु ये उपाय पर्याप्त नहीं थे।

जब श्रीमती गांधी का ‘ग़रीबी हटाओ’ का नारा कमजोर पड़ने लगा, तब जनता ने जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व में श्रीमती गांधी के विरुद्ध आन्दोलन शुरू कर दिया तथा श्रीमती गांधी की राजनीतिक विफलताओं एवं कमजोरियों को लोगों के सामने लाना शुरू कर दिया। दूसरे शब्दों में जय प्रकाश नारायण ने श्रीमती गांधी के लिए राजनीतिक एवं संवैधानिक संकट खड़ा कर दिया।

इसी समय इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उनके निर्वाचन को अवैध घोषित कर दिया। परिस्थितियां इतनी तेजी से बदलने लगीं कि अन्ततः श्रीमती गांधी को आपात्काल की घोषणा करनी पड़ी। केवल पांच साल के अन्दर ही श्रीमती गांधी की ‘गरीबी हटाओ’ की राजनीति असफल हो गई तथा 1977 के चुनावों में लोगों ने श्रीमती गांधी को ऐतिहासिक पराजय का सामना करवाया तथा सत्ता जनता पार्टी को सौंप दी।

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प्रश्न 6.
1960 के दशक की कांग्रेस पार्टी के सन्दर्भ में सिंडीकेट’ से क्या अभिप्राय है ? सिंडीकेट ने कांग्रेस पार्टी में क्या भूमिका निभाई ?
उत्तर:
1960 के दशक में कांग्रेस पार्टी में एक समूह बहुत अधिक शक्तिशाली था, जिसे सिंडीकेट कहा जाता है। सिंडीकेट में अनुभवी कांग्रेसी नेता शामिल थे, जिनमें कामराज, एस० के० पाटिल, अतुल्य घोष एवं निजलिंगप्पा शामिल थे। सिंडीकेट ने कांग्रेस की नीतियों एवं कार्यक्रमों एवं निर्णयों को सर्वाधिक प्रभावशाली ढंग से प्रभावित किया।

मई, 1964 में पं० जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु के पश्चात् किसे देश का प्रधानमन्त्री बनाया जाए, यह बहुत बड़ा प्रश्न था। इस समस्या को हल करने में सिंडीकेट ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। सिंडीकेट ने श्री लाल बहादुर शास्त्री को प्रधानमन्त्री बनवाने में कांग्रेस में सहमति बनाई। जनवरी, 1966 में श्रीमती इन्दिरा गांधी को भारत की प्रधानमन्त्री बनाने में सिंडीकेट ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। अधिकांश कांग्रेसी नेताओं तथा मुख्यमन्त्रियों ने श्रीमती इन्दिरा गांधी को भारत की प्रधानमन्त्री बनना स्वीकार कर लिया, परन्तु मोरारजी देसाई स्वयं प्रधानमन्त्री बनाना चाहते थे।

अत: उन्होंने नेतृत्व के लिए प्रतियोगिता करने का निर्णय किया। सिंडीकेट ने इस बात को सुनिश्चित किया कि मत विभाजन के समय श्रीमती इन्दिरा गांधी की जीत निश्चित हो। अतः सिंडीकेट की सहायता से ही श्रीमती इन्दिरा गांधी कांग्रेस संसदीय दल की नेता चुनी गईं। इस प्रकार श्री जाकिर हुसैन को राष्ट्रपति बनवाने में तथा अलग-अलग राज्यों में मुख्यमन्त्री एवं राज्यपालों के सम्बन्ध में निर्णय लेने में भी इस संगठन ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पं० जवाहर लाल नेहरू के राजनीतिक उत्तराधिकार पर एक नोट लिखें।
उत्तर:
पं०. जवाहर लाल नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री थे। वे इस पद पर 1947 से 1964 तक रहे। मई, 1964 में पं० नेहरू की मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु के समय देश की राजनीतिक एवं आर्थिक परिस्थितियां ठीक नहीं थीं। राजनीतिक तौर पर 1962 में चीन से हार, भारत में पैदा हुई राजनीतिक अस्थिरता तथा आर्थिक स्तर पर भारत में बढ़ती हुई ग़रीबी एवं पड़ने वाला भयंकर अकाल, इन परिस्थितियों में पं० नेहरू का जाना भारत के लिए एक त्रासदी से कम नहीं था। पं० नेहरू की मृत्यु के पश्चात् उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी को लेकर तरह-तरह के प्रश्न उठने लगे।

कुछ विदेशी विद्वानों का यह मत था कि पं० नेहरू की मृत्यु के पश्चात् ऐसा कोई भी नेता नहीं है, जो पं० नेहरू की तरह प्रजातन्त्र एवं संसदीय प्रणाली में पूरी तरह विश्वास रखता हो तथा उसे चला सकता हो। परन्तु विदेशी विद्वानों की ऐसी भविष्यवाणियां सच साबित नहीं हुईं, बल्कि पं० नेहरू की मृत्यु के पश्चात् भारतीय लोकतन्त्र और अधिक मज़बूत होकर विश्व परिदृश्य पर उभरा। पं० नेहरू के राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में पहले श्री लाल बहादुर शास्त्री तथा बाद में श्रीमती इन्दिरा गांधी ने सफलतापूर्वक कार्य किया।

प्रश्न 2.
श्री लाल बहादुर शास्त्री के विषय में आप क्या जानते हैं ?
अथवा
पं० नेहरू के उत्तराधिकारी के रूप में श्री लाल बहादुर शास्त्री पर एक नोट लिखें।
उत्तर:
पं० नेहरू की मृत्यु के पश्चात् कांग्रेस के मुख्य नेताओं में प्रधानमन्त्री पद के लिए एकमतता न होने के कारण श्री लाल बहादुर शास्त्री को एक मध्यमार्गी उम्मीदवार के रूप में भारत का प्रधानमन्त्री बनाया गया। इस एक घटना से श्व में यह सन्देश पहंचा कि कांग्रेस पार्टी एक राजनीतिक दल के रूप में परिपक्व हो गयी है तथा भारत पं० नेहरू के पश्चात् भी लोकतन्त्र एवं संसदीय प्रणाली में गहरा विश्वास रखता है। शास्त्री जी नेहरूवादी समाजवादी थे, वे उदारवादी, सरलभाषी परन्तु दृढ़ संकल्पी थे। उन्होंने 9 जून, 1964 को प्रधानमन्त्री के पद का कार्यभार सम्भाला। पं० नेहरू के मन्त्रिमण्डल में वे एक प्रधान समझौताकर्ता, मध्यस्थ तथा समन्वयकार के रूप में जाने जाते थे।

पं० नेहरू के आग्रह पर शास्त्री जी ने असम में भाषायी दंगों एवं श्रीनगर में हजरत बल दरगाह से चोरी हुए एक पवित्र स्मृति चिह्न से उत्पन्न हुई समस्याओं को कु पूर्वक सुलझाया। शास्त्री जी ने जब देश की बागडोर सम्भाली, उस समय भारत विकट समस्याओं से घिरा हुआ था। भारत में अकाल पड़ने से खाद्यान्न की कमी अनुभव हो रही थी।

अतः शास्त्री जी ने कृषि पर विशेष ध्यान दिया। इसीलिए उन्होंने जय जवान जय किसान का नारा दिया। शास्त्री जी ने अपनी सूझ-बूझ से न केवल 1965 में पाकिस्तान के आक्रमण का सामना ही किया, बल्कि युद्ध में पाकिस्तान को हराया। सोवियत संघ के प्रयासों से 1966 में भारत-पाकिस्तान के बीच ताशकन्द में समझौता हुआ और ताशकन्द में ही जनवरी, 1966 में शास्त्री जी की संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गई। शास्त्री जी लगभग 20 महीने ही देश के प्रधानमन्त्री थे, परन्तु इस छोटी-सी अवधि में भी उन्होंने देशवासियों पर गम्भीर छाप छोड़ी।

प्रश्न 3.
श्री लाल बहादुर शास्त्री के उत्तराधिकारी के रूप में श्रीमती इन्दिरा गांधी पर एक नोट लिखें।
उत्तर:
श्री लाल बहादुर शास्त्री की असामयिक मृत्यु के पश्चात् देश एवं कांग्रेस के सामने पुन: यह प्रश्न पैदा हो गया कि देश का प्रधानमन्त्री कौन बने। अधिकांश कांग्रेसी नेताओं की यह राय थी कि पं० नेहरू की बेटी श्रीमती इन्दिरा गांधी को देश का प्रधानमन्त्री बनाया जाए। परन्तु मोरारजी देसाई भी प्रधानमन्त्री बनने के इच्छुक थे, इसलिए उन्होंने मत विभाजन का सुझाव दिया।

मत विभाजन में श्रीमती गांधी के पक्ष में 355 एवं विपक्ष में 169 वोट पड़े। कुछ विद्वानों का यह मत था कि अधिकांश कांग्रेसियों ने श्रीमती गांधी को इसलिए प्रधानमन्त्री बनाया क्योंकि वे केन्द्र में अपने लिए एक अहानिकारक व्यक्ति को प्रधानमन्त्री के रूप में देखना चाहते थे। इस दृष्टिकोण से श्रीमती गांधी, मोरारजी देसाई के मुकाबले कांग्रेसी नेताओं के लिए कम हानिकारक थीं।

1967 में होने वाले लोकसभा के चुनावों में भी जीतकर श्रीमती गांधी देश की प्रधानमन्त्री बनी रहीं। अपने प्रधानमन्त्रित्व काल में श्रीमती गांधी ने ऐसे कई कार्य किये जिससे देश प्रगति कर सके। उन्होंने कृषि कार्यों को बढ़ावा दिया। ग़रीबी को हटाने के लिए कार्यक्रम घोषित किया तथा देश की सेनाओं का आधुनिकीकरण किया तथा 1974 में पोखरण में ऐतिहासिक परमाणु विस्फोट किया। श्रीमती गांधी को 1971 में असामान्य परिस्थितियों का सामना करना पड़ा, जब पूर्वी पाकिस्तान के कारण भारत एवं पाकिस्तान के मध्य भयंकर युद्ध शुरू हो गया। परन्तु 1971 का युद्ध भारत एवं श्रीमती गांधी के लिए एक निर्णायक युद्ध साबित हुआ तथा इस युद्ध के जीतने पर विश्व में भारत की प्रतिष्ठा बहुत बढ़ गई।

प्रश्न 4.
1967 के गैर-कांग्रेसवाद एवं चुनावी बदलाव का वर्णन करें।
अथवा
1967 में हुए चौथे आम चुनाव पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
1967 के चौथे आम चुनाव भारतीय राजनीति में ऐतिहासिक महत्त्व रखते हैं। इन चुनावों में पहली बार कांग्रेस को यह अनुभव हुआ कि जनता पर से उसकी पकड़ ढीली हो रही है। इन चुनावों में भारतीय मतदाताओं ने कांग्रेस को वैसा समर्थन नहीं दिया जो पहले तीन आम चुनावों में दिया था। केन्द्र में जहां कांग्रेस मुश्किल से बहुमत प्राप्त कर पाई. वहीं 8 राज्य विधानसभाओं (बिहार, केरल, मद्रास, उडीसा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश तथा पश्चिम बंगाल) में हार का सामना करना पड़ा।

लोकसभा की कुल 520 सीटों में से कांग्रेस को केवल 283 सीटें ही मिल पाईं। अत: जिस कांग्रेस पार्टी ने पहले तीन आम चुनावों में जिन विरोधी दलों को बुरी तरह से हराया, वे दल चौथे लोकसभा चुनाव में बहुत अधिक सीटों पर चुनाव जीत गए। इसी तरह राज्यों में भी कांग्रेस की स्थिति 1967 के आम चुनावों में 1967 के आम चुनाव बहुत बड़े उलट-फेर वाले रहे। इससे पहली बार भारत में बड़े पैमाने पर गैर कांग्रेसवाद की लहर चली तथा राज्यों में कांग्रेस का एकाधिकार समाप्त हो गया।

प्रश्न 5.
कांग्रेस में फूट के मुख्य कारण क्या थे ?
उत्तर:
1. दक्षिण पंथी एवं वामपंथी विषय पर कलह-1967 के चौथे आम चुनाव में कांग्रेस को कई राज्य विधानसभाओं में हार का सामना करना पड़ा। अत: कांग्रेस के कुछ सदस्यों का यह विचार था कि राज्यों में कांग्रेस को दक्षिण-पंथी विचारधारा वाले दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहिए, जबकि कुछ अन्य कांग्रेसियों का यह मत था कि कांग्रेस को वामपंथी विचारधारा वाले दलों के साथ मिलकर चलना चाहिए।

2. राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के विषय में मतभेद-कांग्रेस में 1967 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव को लेकर मतभेद था। श्रीमती इन्दिरा गांधी जहां जाकिर हुसैन को राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनाना चाहती थीं, वहीं कामराज जैसे कांग्रेसियों ने इसका विरोध किया।

3. युवा तुर्क एवं सिंडीकेट के बीच कलह-1969 में कांग्रेस पार्टी के विभाजन का एक कारण युवा तुर्क तथा सिंडीकेट के बीच होने वाली कलह थी। जहां युवा तुर्क बैंकों के राष्ट्रीयकरण एवं राजाओं के प्रिवी पों को समाप्त करने के पक्ष में था, वहीं सिंडीकेट इसका विरोध कर रहा था।

4. मोरारजी देसाई से वित्त विभाग वापिस लेना-1969 में कांग्रेस के विभाजन का एक अन्य कारण प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गांधी द्वारा मोरारजी देसाई से वित्त विभाग वापिस लेना था। मोरारजी देसाई ने इस पर अपना विरोध दर्ज कराते हुए मन्त्रिमण्डल से त्याग-पत्र दे दिया। सिंडीकेट ने प्रधानमन्त्री की इस कार्यवाही का विरोध किया।

प्रश्न 6.
1971 में पांचवें लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी की जीत के क्या कारण थे ?
अथवा
1970 के दशक में इन्दिरा गांधी की सरकार किन कारणों से लोकप्रिय हई थी?
उत्तर:
1. श्रीमती गांधी का चमत्कारिक नेतृत्व-1971 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की जीत का सबसे बड़ा कारण श्रीमती गांधी का चमत्कारिक नेतृत्व था। 1969 में कांग्रेस के विभाजन के बाद श्रीमती गांधी ने कांग्रेस को कुशलता से पुनर्जीवित किया। श्रीमती गांधी ने व्यक्तिगत स्तर पर मतदाताओं से सम्पर्क साधा तथा मतदाताओं को अपनी नीतियों एवं कार्यक्रमों से अवगत कराया।

2. समाजवादी नीतियां-1971 के चुनावों में कांग्रेस की जीत का एक अन्य महत्त्वपूर्ण कारण श्रीमती गांधी द्वारा अपनाई गई समाजवादी नीतियां थीं। उन्होंने प्रत्येक चुनाव रैली में समाजवाद के विषय में बढ़-चढ़ कर बातें की। जब किसी ने उनसे जानना चाहा कि वे समाजवाद पर इतना अधिक ज़ोर क्यों दे रही है, तो श्रीमती गांधी का उत्तर था, कि
लोग यही सुनना पसन्द करते हैं।

3. ग़रीबी हटाओ का नारा-1971 में श्रीमती गांधी की जीत का एक सबसे महत्त्वपूर्ण कारण उनके द्वारा दिया गया, ‘ग़रीबी हटाओ’ का नारा था। इस नारे के बल पर श्रीमती गांधी ने अधिकांश ग़रीबों के वोट अपनी झोली में डाल लिए। जहां श्रीमती गांधी ने ‘ग़रीबी हटाओ’ का नारा दिया, वहीं उनके विरोधियों ने ‘इन्दिरा हटाओ’ का नारा दिया, जिसे मतदाताओं ने पसन्द नहीं किया।

4. कांग्रेस दल पर श्रीमती गांधी की पकड़-1971 में श्रीमती गांधी की जीत का एक अन्य कारण यह था कि श्रीमती गांधी की अपने दल पर पूरी पकड़ एवं प्रभाव था। 1969 में कांग्रेस पार्टी के विभाजन के पश्चात् श्रीमती गांधी पूरी तरह पार्टी पर छा गई। कांग्रेस पार्टी में कोई भी नेता उनकी आज्ञा की अवहेलना करने का साहस नहीं कर सकता था।

प्रश्न 7.
‘ग़रीबी हटाओ’ की राजनीति का वर्णन करें।
अथवा
‘ग़रीबी हटाओ’ का अर्थ स्पष्ट करें।
उत्तर:
1971 के चुनावों में श्रीमती गांधी ने ‘ग़रीबी हटाओ’ का नारा दिया। चुनाव विश्लेषकों के अनुसार श्रीमती गांधी की चुनावी विजय में इस नारे की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। श्रीमती गांधी ने जहां ‘ग़रीबी हटाओ’ का नारा दिया, वहीं उनके विरोधियों ने ‘इन्दिरा हटाओ’ का नारा दिया। परन्तु मतदाताओं ने ‘ग़रीबी हटाओ’ के नारे को अधिक पसन्द कांग्रेस प्रणाली-चुनौतियां और पुनर्स्थापना । करते हुए श्रीमती गांधी को भारी बहुमत से विजय दिलाई। ‘ग़रीबी हटाओ’ कार्यक्रम के अन्तर्गत 1970-71 से नीतियां एवं कार्यक्रम बनाये जाने लगे तथा इस कार्यक्रम पर अधिक-से-अधिक धन खर्च किया जाने लगा।

परन्तु 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध एवं विश्व स्तर पर पैदा हुए तेल संकट के कारण श्रीमती गांधी ने ग़रीबी हटाओ कार्यक्रमों के लिए आबंटित धन में कमी करनी शुरू कर दी। जब श्रीमती गांधी का ‘ग़रीबी हटाओ’ का नारा कमजोर पड़ने लगा, तब जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व में लोगों ने श्रीमती गांधी के विरुद्ध आन्दोलन करके राजनीतिक एवं संवैधानिक संकट पैदा कर दिया।

इसी समय इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने श्रीमती गांधी के निर्वाचन को अवैध घोषित कर दिया। परिस्थितियां इतनी तेजी से बदलने लगी कि अन्ततः श्रीमती गांधी को आपात्काल की घोषणा करनी पड़ी। केवल पांच साल के अन्दर ही श्रीमती गांधी की ‘ग़रीबी हटाओ’ की राजनीति असफल हो गई तथा 1977 के चुनावों में लोगों ने श्रीमती गांधी को ऐतिहासिक पराजय का सामना करवाया तथा सत्ता जनता पार्टी को सौंप दी।

प्रश्न 8.
क्या 1969 में कांग्रेस विभाजन को रोका जा सकता था ? यदि विभाजन नहीं होता तो यह किस प्रकार 1970 की राजनीति को प्रभावित करता।
उत्तर:
1969 की तत्कालीन परिस्थितियों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि उस समय कांग्रेस के विभाजन को रोका नहीं जा सकता था, क्योंकि कांग्रेस के दोनों गुटों में तनाव एवं अविश्वास बहुत बढ़ चुका था। परन्तु यदि कांग्रेस का विभाजन न होता, तो कांग्रेस 1970 की राजनीति को और अधिक ढंग से प्रभावित कर सकती थी। उदाहरण के लिए कांग्रेस 1971 के चुनावों में और अधिक प्रभावशाली जीत दर्ज कर सकती थी। श्रीमती इन्दिरा गांधी सम्भवत: इतनी शक्तिशाली एवं सर्वमान्य नेता बन जाती है कि उन्हें आपात्काल लगाने की आवश्यकता न पड़ती तथा जनता पार्टी का इस प्रकार उदय न होता।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित किस सन्दर्भ में हैं
(क) जय जवान, जय किसान
(ख) गरीबी हटाओ
(ग) इन्दिरा हटाओ
(घ) ग्रैंड एलाइंस ?
उत्तर:
(क)जय जवान, जय किसान-जय जवान, जय किसान का नारा भारत के प्रधानमन्त्री श्री लाल बहादुर शास्त्री ने 1960 के दशक में दिया, क्योंकि उस समय भारत को युद्धों का सामना भी करना पड़ रहा था तथा साथ ही भारत में खाद्यान्न संकट भी पैदा हुआ था।

(ख) गरीबी हटाओ-गरीबी हटाओ का नारा श्रीमती इन्दिरा गांधी ने सन् 1971 में दिया ताकि भारत में गरीबी को कम किया जा सके।

(ग) इन्दिरा हटाओ-इन्दिरा हटाओ का नारा सन् 1971 में श्रीमती इन्दिरा गांधी के विरोधी दलों एवं सिंडीकेट ने दिया था, ताकि श्रीमती गांधी को चुनावों में हराकर उनकी शक्ति को कम किया जा सके।

(घ) ग्रैंड एलाइंस-1971 के चुनावों से पहले श्रीमती इन्दिरा गांधी को हराने के लिए विरोधी दलों ने गठबन्धन किया जिसे ग्रैंड एलाइंस कहा गया।

प्रश्न 10.
1960 के दशक को ‘खतरनाक’ दशक क्यों कहा जाता है ?
उत्तर:
1960 के दशक को ‘खतरनाक’ दशक इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इस दशक में भारत को कई पक्षों से समस्याओं का सामना करना पड़ा। राजनीतिक स्तर पर पं० जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु तथा 1966 में उनके उत्तराधिकारी श्री लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु भारत के लिए अपूर्णनीय क्षति थी। इसके साथ-साथ इस दशक में भारत को दो युद्धों का सामना करना पड़ा।

1962 में चीन ने भारत पर आक्रमण किया तथा 1965 में पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण किया। इसी दशक में भारत में भारी खाद्यान्न संकट पैदा हुआ। इसी दशक में भारत में गरीबी, असमानता, साम्प्रदायिकता तथा क्षेत्रीय विवाद भी अनसुलझे थे। इसके अतिरिक्त 1969 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का विभाजन हो गया। इसीलिए 1960 के दशक को खतरनाक दशक कहा जाता है।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 5 कांग्रेस प्रणाली : चुनौतियाँ और पुनर्स्थापना

प्रश्न 11.
‘कांग्रेस प्रणाली’ के पुनर्स्थापन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
1971 के पांचवें लोकसभा की दलीय स्थिति से साफ पता चलता है कि लोगों ने लोगों ने श्रीमती गांधी को जीत दिला कर उन्हें एक राष्ट्रीय नेता के रूप में स्वीकार कर लिया था। वास्तव में 1971 की कांग्रेस विजय, श्रीमती लोगों ने लोगों ने श्रीमती गांधी को राजनीतिक विज्ञान । गांधी की ही विजय मानी जाती है।

क्योंकि श्रीमंती गांधी ने चुनाव प्रचार में एक तरह से स्वयं को भी एक मुद्दा बना रखा था। जहां श्रीमती गांधी ने ‘ग़रीबी हटाओ’ का नारा दिया, वहीं उनके विपक्षियों ने ‘इंदिरा हटाओ’ का नारा दिया। चुनाव परिणामों से स्पष्ट हो गया कि लोगों ने ‘ग़रीबी हटाओ’ के नारे को अधिक पसंद किया गया तथा श्रीमती गांधी को पूर्ण बहुमत प्रदान किया।

1972 में कई राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए जिनमें वे अधिकतर राज्यों में श्रीमती इन्दिरा गांधी की पार्टी ने ही चुनाव जीता। इन दो लगातार जीतों ने कांग्रेस के पुनर्स्थापन में सहायता की। परन्तु कांग्रेस के 1971 से पहले के प्रभुत्व एवं बाद के प्रभुत्व में अन्तर था, जिनका वर्णन इस प्रकार है

(1) श्रीमती गांधी की कांग्रेस पार्टी नये अंदाज में बनी थी तथा इन्दिरा गांधी ने जो कुछ भी किया वह पुरानी कांग्रेस को पुनर्जीवित करने का काम नहीं था।

(2) इन्दिरा गांधी की कांग्रेस पार्टी को उसी प्रकार की लोकप्रियता प्राप्त थी जो लोकप्रियता पुरानी कांग्रेस को अपने शुरुआती दौर में प्राप्त थी। परन्तु नहीं कांग्रेस पुरानी कांग्रेस से कई मायनों में अलग थी। नई कांग्रेस अपने नेता की लोकप्रियता पर निर्भर थी। इस पार्टी का ढांचागत संगठन भी कमज़ोर था। इस पार्टी में कई गुट नहीं थे। इस प्रकार कहा जा सकता है कि इन्दिरा गांधी ने कांग्रेस प्रणाली को पुनर्स्थापित अवश्य किया, परन्तु उसकी प्रकृति को बदलकर।

(3) पुरानी कांग्रेस प्रत्येक तनाव एवं संघर्ष को सहन कर लेती थी, परन्तु नई कांग्रेस में इसका अभाव था।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पं० नेहरू का उत्तराधिकारी कौन बना ?
उत्तर:
पं० नेहरू के उत्तराधिकारी श्री लाल बहादुर शास्त्री बनें। श्री लाल बहादुर शास्त्री एक प्रधान समझौताकर्ता, मध्यस्थ तथा समन्वयकार थे। शास्त्री जी ने ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया। शास्त्री जी ने अपनी सूझ-बूझ से न केवल 1965 में पाकिस्तान के आक्रमण का सामना किया, बल्कि युद्ध में पाकिस्तान को हराया। सोवियत संघ के प्रयासों से 1966 में भारत-पाकिस्तान के बीच ताशकंद में समझौता हआ और ताशकंद में ही 1966 में शास्त्री जी की संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गई।

प्रश्न 2.
श्री लाल बहादुर शास्त्री जी का राजनीतिक उत्तराधिकारी कौन था ?
उत्तर:
श्री लाल बहादुर शास्त्री की उत्तराधिकारी श्रीमती इन्दिरा गांधी बनी। मोरार जी देसाई के आग्रह पर प्रधानमन्त्री पद के लिए कराये गए मत विभाजन में अधिकांश कांग्रेसी नेताओं ने श्रीमती गांधी के पक्ष में मत दिया। प्रधानमन्त्री बनने के बाद श्रीमती गांधी ने कृषि क्षेत्र को बढ़ावा दिया, ग़रीबी को हटाने के लिए कार्यक्रम घोषित किया, देश की सेनाओं का आधुनिकीकरण किया तथा 1974 में पोखरण में ऐतिहासिक परमाणु विस्फोट किया। 1971 में भारत ने पाकिस्तान को युद्ध में हराया, जिसके कारण बांग्लादेश नाम का एक नया देश अस्तित्व में आया।

प्रश्न 3.
लाल बहादुर शास्त्री के काल में भारत को जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ा उनमें से किन्हीं दो के नाम लिखें।
अथवा
कोई दो चुनौतियाँ बताइये जिनका सामना लाल बहादुर शास्त्री के काल में भारत को करना पड़ा ?
उत्तर:

  • भारत में अकाल पड़ने से खाद्यान्न की कमी हो गई थी।
  • भारत को सन् 1965 में पाकिस्तान से युद्ध लड़ना पड़ा।

प्रश्न 4.
भारत में चौथे आम चुनाव कब हुए और उसमें क्या परिणाम निकले ?
अथवा
चौथे आम चुनाव कब हुए थे ?
उत्तर:
भारत में चौथे आम चुनाव 1967 में हुए। इन चुनावों में भारतीय मतदाताओं ने कांग्रेस को वैसा समर्थन नहीं दिया, जो पहले तीन आम चुनावों में दिया था। लोकसभा की कुल 520 सीटों में से कांग्रेस को केवल 283 सीटें ही मिल पाईं। इसके साथ-साथ कांग्रेस को 8 राज्य विधानसभाओं में भी हार का सामना करना पड़ा। इससे पहली बार भारत में गैर कांग्रेसवाद की लहर चली तथा राज्यों में कांग्रेस का एकाधिकार समाप्त हो गया।

प्रश्न 5.
सन् 1969 में कांग्रेस पार्टी में हुए विभाजन का मुख्य कारण क्या था ?
उत्तर:
(1) 1967 के चुनावों में मिली हार के बाद कुछ कांग्रेसी दक्षिणपंथी दलों के साथ जबकि कुछ कांग्रेसी वामपंथी दलों के साथ समझौते का समर्थन कर रहे थे, जिसमें कांग्रेस में मतभेद बढ़ा।

(2) कांग्रेस में 1967 में होने वाले राष्ट्रपति के चुनावों को लेकर मतभेद था। श्रीमती गांधी डॉ. जाकिर हुसैन को राष्ट्रपति बनना चाहती थीं, वही कामराज जैसे कांग्रेसियों ने इसका विरोध किया।

प्रश्न 6.
दल विरोधी अधिनियम कब पास करवाया गया?
उत्तर:
दल विरोधी अधिनियम सन् 1985 एवं 2003 में पास किये गए।

प्रश्न 7.
गरीबी हटाओ का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
गरीबी हटाओ का नारा 1971 के पांचवें लोक सभा चुनाव में श्रीमती इन्दिरा गांधी ने दिया। श्रीमती गांधी ने ‘गरीबी हटाओ’ के नारे के अन्तर्गत ग़रीबों के निरन्तर विकास की बात कही। ‘गरीबी हटाओ’ कार्यक्रम के अन्तर्गत 1970-71 से नीतियां एवं कार्यक्रम बनाये जाने लगे तथा इस कार्यक्रम पर अधिक-से-अधिक धन खर्च किया जाने लगा। इससे मतदाताओं को यह आभास हुआ कि कांग्रेस पार्टी वास्तव में ही गरीबों की गरीबी दूर करना चाहती है, अत: उन्होंने बाकी सभी दलों को हराते हुए श्रीमती गांधी एवं उनके दल को विजयी बनाया।

प्रश्न 8.
1969 में कांग्रेस विभाजन के पश्चात् बने दो राजनीतिक दलों के नाम बताएं।
उत्तर:
1969 में कांग्रेस विभाजन के पश्चात् जो दो दल सामने आए, उनके नाम कांग्रेस (आर) (Congress (R) Requisitioned) तथा कांग्रेस (ओ) (Congress (O)-organisation) थे। कांग्रेस (आर) का नेतृत्व श्रीमती गांधी कर रही थीं, वहीं कांग्रेस (ओ) का नेतृत्व सिंडीकेट कर रहा था।

प्रश्न 9.
सन् 1969 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में इंदिरा गांधी ने किसे अपना उम्मीदवार बनाया था?
उत्तर:
सन् 1969 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में इंदिरा गांधी ने श्री० वी० वी० गिरी को अपना उम्मीदवार बनाया था।

प्रश्न 10.
सन् 1971 में हुए चुनावों में कांग्रेस पार्टी मुख्य रूप से किस पर निर्भर थी ?
उत्तर:
सन् 1971 में हुए चुनाव में कांग्रेस पार्टी मुख्य रूप से श्रीमती इन्दिरा गांधी पर निर्भर थी।

प्रश्न 11.
श्री लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के पश्चात् भारत का प्रधानमंत्री कौन बना ?
उत्तर:
श्री लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के पश्चात् भारत का प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी बनी।

प्रश्न 12.
‘आया राम, गया राम’ का मुहावरा कब और कहां से मशहूर हुआ ?
उत्तर:
‘आया राम, गया राम’ का मुहावरा सन् 1967 से हरियाणा से मशहूर हुआ।

प्रश्न 13.
किन्हीं चार राज्यों के नाम लिखिए जहां, 1967 के चुनावों के बाद पहली बार गैर-कांग्रेसी सरकारें बनीं ?
उत्तर:

  • बिहार
  • पंजाब
  • उड़ीसा
  • राजस्थान।

प्रश्न 14.
सन् 1971 में हुए चुनावों में कांग्रेस पार्टी मुख्य रूप से किस-किस पर निर्भर थी ?
उत्तर:
सन् 1971 में हुए चुनावों में कांग्रेस पार्टी इन्दिरा गांधी पर मुख्य रूप से निर्भर थी।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 5 कांग्रेस प्रणाली : चुनौतियाँ और पुनर्स्थापना

प्रश्न 15.
प्रिवी पर्सेस की समाप्ति पर एक टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय देशी रियासतों के भारत में विलय के समय सरकार ने राज परिवारों को यह आश्वासन दिया था कि रियासतों के तत्कालीन शासक परिवार को निश्चित मात्रा में निजी सम्पदा रखने का अधिकार होगा। इसके साथ ही सरकार की तरफ से उन्हें कुछ विशेष भत्ते भी दिए जाएंगे। ये दोनों चीजें इस बात को आधार मानकर निश्चित की जाएंगी कि जिस राज्य का विलय भारत में किया जाना है, उसका विस्तार, राजस्व और क्षमता कितनी है। इस व्यवस्था को ही ‘प्रिवी पर्स’ कहा गया।

प्रश्न 16.
सन् 1971 में हुए लोकसभा चुनावों के बाद भारत का प्रधानमन्त्री कौन बना ?
उत्तर:
सन् 1971 में हुए लोकसभा चुनावों के बाद भारत का प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गांधी बनीं।

प्रश्न 17.
उन दो नेताओं के नाम लिखें, जिन्होंने निम्नलिखित नारे दिए ?
(1) ‘जय जवान जय किसान’ तथा
(2) ‘गरीबी हटाओ’।
उत्तर:
जय जवान जय किसान का नारा श्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने तथा ग़रीबी हटाओ का नारा श्रीमती इन्दिरा गांधी जी ने दिया था।

प्रश्न 18.
पं० नेहरू जी की मृत्यु के बाद कौन भारत के प्रधानमन्त्री बने ?
उत्तर:
पं० नेहरू जी की मृत्यु के बाद लाल बहादुर शास्त्री भारत के प्रधानमन्त्री बने।

प्रश्न 19.
‘ग्रैंड-एलायंस’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
1967 के चुनावों में मिली असफलता एवं 1969 में राष्ट्रपति के चुनाव को लेकर कांग्रेस में हुए विभाजन के कारण श्रीमती गांधी पूरी क्षमता से अपनी सरकार नहीं चला पा रही थी। अतः 1971 में उन्होंने मध्यावधि चुनाव करवाने की घोषणा की। इस चुनाव में सभी विपक्षी दलों ने मिलकर एक विशाल गठबन्धन बनाया, जिसे ‘ग्रैंड एलायंस’ कहा जाता है।

इस ग्रैंड एलायंस में भारतीय जनसंघ, स्वतन्त्र पार्टी, भारतीय क्रान्ति दल तथा एस० एम० पी० जैसे विरोधी दल शामिल थे। इन दलों ने ‘इन्दिरा हटाओ’ का नारा दिया, जबकि श्रीमती इन्दिरा गांधी ने ‘ग़रीबी हटाओ’ का नारा दिया। चुनावों में मतदाताओं ने श्रीमती गांधी को भारी जनसमर्थन प्रदान किया तथा ‘ग्रैंड एलायंस’ को चुनावों में निराशा हाथ लगी।

प्रश्न 20.
‘आया राम, गया राम’ का मुहावरा किस तरह की राजनीति से सम्बन्धित है?
उत्तर:
आया राम, गया राम’ का मुहावरा दल-बदल की राजनीति से सम्बन्धित है। इस तरह की परिस्थितियों ने भारत में राजनीतिक अस्थिरता पैदा की है।

प्रश्न 21.
सन् 1971 का चुनाव, कांग्रेस पार्टी ने किस चुनाव निशान पर लड़ा था?
उत्तर:
सन् 1971 का चुनाव, कांग्रेस पार्टी ने गाय-बछड़ा, चुनाव निशान पर लड़ा था।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न 

1. पं० जवाहर लाल नेहरू का उत्तराधिकारी बना?
(A) डॉ० राजेन्द्र प्रसाद
(B) श्री लाल बहादुर शास्त्री
(C) डॉ० राधा कृष्ण
(D) श्रीमती इन्दिरा गांधी।
उत्तर:
(B) श्री लाल बहादुर शास्त्री।

2. 1967 के लोकसभा के चुनावों में कांग्रेस को कितनी सीटें मिली थी ?
(A) 283
(B) 330
(C) 350
(D) 400
उत्तर:
(A) 283

3. 1971 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी को सीटें मिली थी ?
(A) 300
(B) 325
(C) 352
(D) 390
उत्तर:
(C) 352

4. लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के बाद भारत का प्रधानमन्त्री कौन बना ?
(A) चौ० चरण सिंह
(B) मोरार जी देसाई
(C) इन्दिरा गांधी
(D) जगजीवन राम।
उत्तर:
(C) इन्दिरा गांधी।

5. कांग्रेस का विभाजन कब हुआ ?
(A) 1968
(B) 1969
(C) 1970
(D) 1971
उत्तर:
(B) 1969

6. युवा तुर्क में कौन शामिल था ?
(A) चन्द्रशेखर
(B) मोहनधारिया
(C) कृष्ण कांत
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

7. सिंडीकेट में कौन शामिल था ?
(A) कामराज
(B) निजलिंगप्पा
(C) एस० के० पाटिल
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

8. 1969 के राष्ट्रपति चुनावों में कांग्रेस पार्टी का उम्मीदवार था
(A) नीलम संजीवा रेड्डी
(B) वी० वी० गिरी
(C) मोरार जी देसाई
(D) श्रीमती इन्दिरा गांधी।
उत्तर:
(A) नीलम संजीवा रेड्डी।

9. 1969 के राष्ट्रपति चुनावों में श्रीमती गांधी ने किस उम्मीदवार का समर्थन किया ?
(A) जगजीवन राम
(B) नीलम संजीवा रेड्डी
(C) वी० वी० गिरी
(D) मोरार जी देसाई।
उत्तर:
(C) वी० वी० गिरी।

10. पांचवीं लोकसभा चुनाव में किस दल को जीत प्राप्त हुई ?
(A) कांग्रेस
(B) स्वतन्त्र दल
(C) जनसंघ
(D) जनता पार्टी।
उत्तर:
(A) कांग्रेस।

11. 1971 के पांचवीं लोकसभा चुनाव में ‘ग़रीबी हटाओ’ का नारा किसने दिया ?
(A) कामराज
(B) श्रीमती इन्दिरा गांधी
(C) श्री० अटल बिहारी बाजपेयी
(D) मोरार जी देसाई।
उत्तर:
(B) श्रीमती इन्दिरा गांधी।

12. कांग्रेस में प्रथम बार फूट पड़ी
(A) 1968 में
(B) 1969 में
(C) 1967 में
(D) 1970 में।
उत्तर:
(B) 1969 में।

13. 1969 में कांग्रेस विभाजन का मुख्य कारण था ?
(A) कांग्रेस में दक्षिणपंथी एवं वामपंथी विषय पर कलह
(B) राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के विषय में मतभेद
(C) युवा तुर्क एवं सिंडीकेट के बीच कलह
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 5 कांग्रेस प्रणाली : चुनौतियाँ और पुनर्स्थापना

14. 1971 के चुनावों में कांग्रेस पार्टी की विजय का कारण था-
(A) श्रीमती गांधी का चमत्कारिक नेतृत्व
(B) कांग्रेस की समाजवादी नीतियां
(C) ग़रीबी हटाओ का नारा
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

15. “जय जवान जय किसान” का नारा किसने दिया था ?
(A) इन्दिरा गांधी
(B) चौ० चरण सिंह
(C) लाल बहादुर शास्त्री
(D) महात्मा गांधी।
उत्तर:
(C) लाल बहादुर शास्त्री।

16. चौथी लोकसभा के चुनाव निम्नलिखित वर्ष में हुए
(A) 1971 में
(B) 1969 में
(C) 1967 में
(D) 1966 में।
उत्तर:
(C) 1967 में।

17. कांग्रेस पार्टी द्वारा ‘गरीबी हटाओ’ का नारा कौन-से लोक सभा चुनाव में प्रमुख था?
(A) 1971
(B) 1977
(C) 1980
(D) 1984
उत्तर:
(B) 1971

18. लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु हुई
(A) 1965 में
(B) 1967 में
(C) 1966 में
(D) 1970 में
उत्तर:
(C) 1966 में।

19. ‘गरीबी हटाओ’ का नारा निम्नलिखित राजनीतिक दल में से किसने दिया था?
(A) कम्युनिस्ट पार्टी
(B) कांग्रेस पार्टी
(C) जनसंघ पार्टी
(D) बहुजन समाज पार्टी।
उत्तर:
(B) कांग्रेस पार्टी।

20. 1967 के चौथे लोकसभा चुनाव में जनसंघ को सीटें मिलीं
(A) 35
(B) 42
(C) 55
(D) 47
उत्तर:
(A) 35

21. स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद कांग्रेस का पहली बार विभाजन किस वर्ष हुआ ?
(A) 1967 में
(B) 1969 में
(C) 1970 में
(D) 1965 में।
उत्तर:
(B) 1969 में।

22. ‘पांचवां आम-चुनाव’ कब हुआ ?
(A) 1967 में
(B) 1969 में
(C) 1971 में
(D) 1972 में।
उत्तर:
(C) 1971 में

23. वर्ष 1971 में भारत में कौन-सा आम चनाव हआ था ?
(A) चौथा
(B) पांचवां
(C) छठा
(D) सातवां।
उत्तर:
(B) पांचवां।

24. प्रीवी पर्स की समाप्ति कब की गई ?
(A) 1971 में
(B) 1972 में
(C) 1973 में
(D) 1974 में।
उत्तर:
(A) 1971 में।

25. श्रीमती इन्दिरा गांधी की मृत्यु कब हुई थी ?
(A) 30 अक्तूबर, 1982
(B) 31 अक्तूबर, 1984
(C) 31 अक्तूबर, 1985
(D) 31 अक्तूबर, 1986
उत्तर:
(B) 31 अक्तूबर, 1984

26. 1967 के चुनावों को ‘गैर-कांग्रेसवाद’ का नाम किसने दिया था ?
(A) राम मनोहर लोहिया
(B) मोरार जी देसाई
(C) जगजीवन राम
(D) चन्द्रशेखर।
उत्तर:
(A) राम मनोहर लोहिया।

27. राम मनोहर लोहिया की मृत्यु कब हुई थी ?
(A) 1935
(B) 1952
(C) 1962
(D) 1967
उत्तर:
(D) 1967

28. ‘आया राम गया राम’ की कहावत किस राज्य से सम्बन्धित है ?
(A) बिहार
(B) हरियाणा
(C) उत्तर-प्रदेश
(D) हिमाचल प्रदेश।
उत्तर:
(B) हरियाणा।

29. भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु हुई
(A) मई 1964 में
(B) मई 1967 में
(C) मई 1962 में
(D) मई 1965 में।
उत्तर:
(A) मई 1964 में।

30. पांचवें आम चुनाव के बाद भारत के प्रधानमन्त्री बने
(A) इन्दिरा गांधी
(B) राजीव गांधी
(C) अटल बिहारी वाजपेयी
(D) चन्द्रशेखर।
उत्तर:
(A) इन्दिरा गांधी।

31. ‘आया राम, गया राम’ का मुहावरा निम्नलिखित किस से सम्बन्धित है
(A) मिश्रित सरकार
(B) जातिवाद
(C) दल बदल
(D) साम्प्रदायिकता।
उत्तर:
(C) दल बदल।

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

(1) 1971 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने ………….. का नारा प्रमुख नारा दिया है।
उत्तर:
ग़रीबी हटाओ

(2) ‘गरीबी हटाओ’ का नारा ………….. राजनैतिक दल ने दिया था।
उत्तर:
कांग्रेस पार्टी

(3) ‘आया राम गया राम’ का मुहावरा ……….. प्रकार की राजनीति से सम्बन्धित है।
उत्तर:
दल-बदल

(4) पांचवें आम चुनाव के बाद …………. भारत के प्रधानमंत्री बने।
उत्तर:
श्रीमती इन्दिरा गांधी

(5) सन् 1969 में ……………….. राष्ट्रीय दल में विभाजन हुआ।
उत्तर:
कांग्रेस

(6) दल-बदल विरोधी अधिनियम वर्ष ……….. में पास हुआ।
उत्तर:
1985 एवं 2003

(7) पं० नेहरू जी की मृत्यु के बाद ………………. भारत के प्रधानमंत्री बने।
उत्तर:
लाल बहादुर शास्त्री

(8) सन् 1971 का चुनाव कांग्रेस पार्टी ने …………. चुनाव निशान पर लड़ा था।
उत्तर:
गाय-बछड़ा

(9) 1967 में श्री मोरार जी देसाई को…………बना दिया गया ?
उत्तर:
उप-प्रधानमंत्री

(10) श्री लाल बहादुर शास्त्री ने ………… का नारा दिया था।
उत्तर:
जय जवान, जय किसान

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 5 कांग्रेस प्रणाली : चुनौतियाँ और पुनर्स्थापना

(11) ‘प्रिवी पर्स’ की समाप्ति सन् ………….. में की गई।
उत्तर:
1971

(12) ‘ग़रीबी हटाओ’ का नारा ………… नेता ने दिया था।
उत्तर:
श्रीमती इन्दिरा गांधी

(13) ‘आया राम गया राम’ का मुहावरा ……….. राज्य में मशहूर हुआ।
उत्तर:
हरियाणा

(14) सन् 1969 में हुए राष्ट्रपति के चुनाव में श्रीमती इन्दिरा गांधी ने ………….. को अपना उम्मीदवार बनाया था।
उत्तर:
श्री०वी०वी० गिरी

(15) पांचवां आम चुनाव सन् ………… में हुआ।
उत्तर:
1971

(16) नेहरू जी की मृत्यु के बाद …………. भारत के प्रधानमंत्री बने।
उत्तर:
श्री लाल बहादुर शास्त्री

(17) सोवियत संघ के ………… नगर में श्री लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु हुई।
उत्तर:
ताशकंद

(18) 1960 के दशक को ……………….. दशक कहा जाता है।
उत्तर:
खतरनाक

एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
चौथे आम चुनाव के बाद केन्द्र में किस दल की सरकार बनी ?
उत्तर:
चौथे आम चुनाव के बाद केन्द्र में कांग्रेस दल की सरकार बनी।

प्रश्न 2.
“जय जवान, जय किसान” का नारा किसने दिया ?
उत्तर:
“जय जवान, जय किसान” का नारा श्री लाल बहादुर शास्त्री ने दिया।

प्रश्न 3.
प्रिवी पर्स की समाप्ति कब की गई ?
उत्तर:
सन् 1971 में।

प्रश्न 4.
सन् 1971 में हुए लोकसभा चुनावों के बाद भारत का प्रधानमंत्री कौन बना था ?
उत्तर:
श्रीमती इन्दिरा गांधी।

प्रश्न 5.
किस वर्ष में इन्दिरा गांधी को अनुशासनहीनता के लिए कांग्रेस पार्टी से निष्कासित किया गया था ?
उत्तर:
सन् 1969 में।

प्रश्न 6.
श्रीमती इंदिरा गांधी ने कौन-सा नारा दिया?
उत्तर:
‘गरीबी हटाओ।

प्रश्न 7.
‘आया राम-गया राम’ का मुहावरा किससे सम्बन्धित है ?
उत्तर:
दल-बदल (हरियाणा) से।

प्रश्न 8.
‘ग़रीबी हटाओ’ का नारा किस नेता ने दिया ?
उत्तर:
श्रीमती इन्दिरा गांधी।

प्रश्न 9.
पं० नेहरू जी की मत्य के बाद भारत के प्रधानमन्त्री कौन बने ?
उत्तर:
श्री लाल बहादुर शास्त्री।

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