HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 5 समकालीन दक्षिण एशिया

Haryana State Board HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 5 समकालीन दक्षिण एशिया Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Political Science Important Questions Chapter 5 समकालीन दक्षिण एशिया

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पाकिस्तान एवं नेपाल में लोकतन्त्रीकरण एवं इसके उलटाव की चर्चा करें।
उत्तर:
पाकिस्तान एवं नेपाल दक्षिण एशिया के दो महत्त्वपूर्ण देश हैं। इन देशों का दुर्भाग्य यह रहा है कि यहाँ कभी भी लम्बे समय तक लोकतन्त्र कायम नहीं रह पाया है। लोकतन्त्र की स्थापना के कुछ वर्षों के बाद ही इन दोनों देशों में क्रमशः सैनिक तानाशाही एवं राजशाही कायम हो जाती है।

1. पाकिस्तान में लोकतन्त्रीकरण एवं इसके उलटाव (Democratisation and its reversals in Pakistan) 1947 में पाकिस्तान के निर्माण के समय लोकतान्त्रिक पद्धति में विश्वास जताया गया, परन्तु शीघ्र ही इस प्रक्रिया में बाधा पहुंची जब अयूब खान ने पाकिस्तान में सैनिक तानाशाही लागू कर दी। तब से लेकर वर्तमान समय तक पाकिस्तान में कभी लोकतन्त्र सफलतापूर्वक कायम नहीं रह पाया। अयूब खान के बाद याहया खान तथा जिया उल हक ने पाकिस्तान में सैनिक तानाशाही को बनाये रखा। पाकिस्तान में लोकतन्त्र को कुछ हद तक सफलता 1990 के दशक में मिली, जब पहले नवाज़ शरीफ तथा बाद में बेनजीर भुट्टो ने लोकतान्त्रिक ढंग से चुनाव जीतकर अपनी-अपनी सरकारें बनाईं।

इन दोनों सरकारों के बनने से यह आशा बंधने लगी थी कि पाकिस्तान अब लोकतन्त्र के मार्ग पर बिना किसी बाधा के चलता रहेगा परन्तु यह आशा ज्यादा समय तक कायम नहीं रह पाई, क्योंकि अक्तूबर, 1999 में पाकिस्तानी सेना के जनरल परवेज मुशर्रफ ने नवाज शरीफ सरकार को हटाकर सत्ता अपने हाथों में ले ली। परवेज मुशर्रफ ने लोकतान्त्रिक ढांचे को समाप्त करके सम्पूर्ण शक्तियाँ अपने हाथों में ले लीं। उनके द्वारा समय-समय पर दिए गए बयानों से यह पता चलता है कि वह लम्बे समय तक पाकिस्तान के शासक बने रहना चाहते थे।

2007 के अन्त में मुशर्रफ ने सेना प्रमुख का पद छोड दिया तथा जनवरी, 2008 में चुनाव करवाने की घोषणा की परन्तु दिसम्बर, 2007 में बेनजीर भुट्टो की एक चुनाव रैली में हत्या कर दी गई। इससे पाकिस्तान में पुनः लोकतन्त्र की बहाली को एक ज़ोरदार झटका लगा। जनवरी में करवाए जाने वाले चुनावों को 18 फरवरी, 2008 को करवाये जाने की घोषणा की गई। इन चुनावों में मुस्लिम लीग एवं पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी को संयुक्त रूप से बहुमत प्राप्त हुआ तथा पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता सैयद यूसफ रजा गिलानी को प्रधानमन्त्री बनाया गया।

18 अगस्त, 2008 को परवेज मुशर्रफ ने लगातार बढ़ते दबाव के कारण राष्ट्रपति पद से त्याग-पत्र दे दिया। 6 सितम्बर, 2008 को पाकिस्तान के नये राष्ट्रपति का चुनाव हुआ। इस चुनाव में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता आसिफ अली जरदारी भारी बहुमत से राष्ट्रपति निर्वाचित हुए। इस प्रकार जनवरी, 2008 से लेकर सितम्बर, 2008 तक पाकिस्तान में पुनः लोकतन्त्र को स्थापित करने की प्रक्रिया चलती रही। अब पाकिस्तानी राजनीतिक दलों एवं नेताओं पर यह दायित्व है, कि वे अपने यहां लोकतान्त्रिक जड़ों को और मज़बूत करें।

2. नेपाल में लोकतन्त्रीकरण एवं इसके उलटाव (Democratisation and its reversals in Nepal) नेपाल भारत का एक महत्त्वपूर्ण पड़ोसी देश है। नेपाल में भी समय-समय पर लोकतन्त्र की स्थापना की गई, परन्तु वहां पर प्रायः लोकतन्त्र का उलटाव होता रहा है। 1959 में नेपाल में लोकतान्त्रिक व्यवस्था की स्थापना की गई, परन्तु 1962 में नेपाल नरेश महेन्द्र ने लोकतान्त्रिक व्यवस्था को समाप्त करके शासन सत्ता पर अपना अधिकार जमा लिया। नेपाल में लोकतान्त्रिक व्यवस्था की स्थापना को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों, छात्र संघों तथा श्रम संगठनों ने अनेक निरन्तर आन्दोलन जारी रखा। अन्ततः 1991 में नेपाल में पुनः लोकतान्त्रिक सरकार की स्थापना हुई।

परन्तु इस बार भी नेपाल में लोकतान्त्रिक व्यवस्था स्थिर होकर कार्य नहीं कर पाई। इसी दौरान नेपाल नरेश वीरेन्द्र एवं उसके परिवार की अज्ञात परिस्थितियों में सामूहिक हत्या कर दी गई। राजा वीरेन्द्र के पश्चात् उनके भाई ज्ञानेन्द्र नेपाल नरेश बने, इनके समय में नेपाल में लोकतन्त्र ठीक तरह से नहीं चल पाया तथा इन्होंने नेपाल में संसद् को भंग करके शासन की सभी शक्तियां अपने हाथ में ले लीं, जिसके विरोध में नेपाल में व्यापक विरोध आन्दोलन हुए। अन्ततः अप्रैल, 2006 में नेपाल नरेश को आपात्काल की घोषणा वापस लेनी पड़ी। संसद् को पुनः बहाल करना पड़ा तथा गिरिजा प्रसाद कोइराला को देश का प्रधानमन्त्री नियुक्त किया।

नेपाल के सात राजनीतिक दलों ने मिलकर नये संविधान की रचना की तथा 28 मई, 2008 को पिछले 240 वर्षों से चले आ रहे राजतंत्र को सदैव के लिए समाप्त कर दिया। 15 अगस्त, 2008 को संविधान सभा में प्रधानमन्त्री के निर्वाचन के लिए चुनाव हुआ। इस चुनाव में सी० पी० एन० (एम०) के नेता पुष्प कमल दहल ‘प्रचण्ड’ प्रधानमन्त्री चुने गए। प्रचण्ड राजशाही समाप्त होने के पश्चात् नेपाल के प्रथम प्रधानमन्त्री बने। परन्तु मई, 2009 में प्रचण्ड ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। उनके स्थान पर सी० पी० एन०-यू० एम० एल० गठबन्धन ने माधव कुमार को नेपाल का प्रधानमन्त्री बनाया।

परंतु माओवादियों के विरोध के कारण माधव कुमार नेपाल को जन, 2010 में अपने पद से त्याग-पत्र देना पड़ा। नेपाल में नवम्बर, 2013 में लोकतान्त्रिक ढंग से चुनाव हुए। इन चुनावों के परिणामों के आधार पर नेपाली कांग्रेस पार्टी के नेता श्री सुशील कोइराला नेपाल के प्रधानमन्त्री बने। 20 सितम्बर, 2015 संविधान लागू किया गया। यद्यपि वर्तमान समय में नेपाल में लोकतान्त्रिक व्यवस्था बहाल हुई है, परन्तु इसे लम्बे समय तक बनाये रखने की आवश्यकता है।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 5 समकालीन दक्षिण एशिया

प्रश्न 2.
भारत और श्रीलंका के बीच सहयोग और विवाद के क्षेत्रों का परीक्षण कीजिए।
अथवा
भारत के श्रीलंका के साथ पारस्परिक सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत और श्रीलंका के सम्बन्ध लगभग दो हज़ार वर्षों से अधिक पुराने हैं। भारत पर ब्रिटिश शासन स्थापित होने पर श्रीलंका भी इंग्लैण्ड के अधीन हो गया। 1962 में जब चीन ने भारत पर आक्रमण किया तब श्रीलंका ने भारत का समर्थन नहीं किया, जिससे भारतीयों की भावना को ठेस पहुंची। यद्यपि तब से लेकर अब तक दोनों के बीच सम्बन्धों में परिवर्तन आया है और सम्बन्ध सुधरे हैं परन्तु फिर भी दोनों देशों के बीच कुछ विषयों पर मतभेद पाया जाता है। दोनों देशों के बीच पाए जाने वाले विवाद और सहयोग का वर्णन इस प्रकार है

विवाद का विषय
1. श्रीलंका में भारतीय वंशजों की समस्या-भारत और श्रीलंका में तनाव का कारण श्रीलंका में बसे लाखों भारतीयों की समस्या रही है। श्रीलंका की स्वतन्त्रता के समय लगभग 10 लाख भारतीय मूल के नागरिक वहां रह रहे थे। श्रीलंका में 1949 में नागरिक अधिनियम पास कर दिया गया। लगभग सभी भारतीय मूल के निवासियों (8.2 लाख) ने इस अधिनियम के अन्तर्गत नागरिकता के लिए प्रार्थना की परन्तु अक्तूबर, 1964 तक केवल एक लाख 34 हजार व्यक्तियों को ही नागरिकता प्राप्त हुई। श्रीलंका सरकार ने जिन भारतीयों को नागरिकता प्रदान नहीं की थी उन्हें तुरन्त भारत चले जाने के लिए कहा। परन्तु सरकार का कहना था कि जो व्यक्ति कई पीढ़ियों से वहां रहे हैं उनको निकालना गलत है और वे वहीं के नागरिक हैं न कि भारत के। यह समस्या अब भी पूरी तरह से हल नहीं हुई है।

2. तमिल समस्या- भारत और श्रीलंका के सम्बन्धों में तनाव का महत्त्वपूर्ण कारण तमिल समस्या है। 1984 में म्भीर हो गई कि दोनों देशों के सम्बन्धों में काफ़ी तनाव रहा। तमिल समस्या से निपटने के लिए प्रधानमन्त्री राजीव गांधी ने शान्ति सेना भी भेजी। लेकिन आज भी यह समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है। तमिल शरणार्थी-मार्च, 1990 में श्रीलंका से कई हज़ार शरणार्थी भारत आए हैं। इन शरणार्थियों की समस्या आज भी बनी हुई है।

सहयोग के विषय
1. कच्चा टीबू द्वीप:
कच्चा टीबू द्वीप की समस्या को हल करने के लिए जून, 1974 में दोनों देशों के बीच एक समझौता हुआ, जिसके अनुसार कच्चा टीबू द्वीप श्रीलंका को दे दिया गया।

2. संयक्त आयोग की स्थापना:
दोनों देशों के विदेश मन्त्रियों ने जलाई, 1991 में संयक्त आयोग के गठन के समझौते पर हस्ताक्षर किए। 17 फरवरी, 1992 में संयुक्त आयोग की दो दिवसीय बैठक के बाद भारत और श्रीलंका ने व्यापार, आर्थिक और प्रौद्योगिक के क्षेत्र में आपसी सहयोग का दायरा बढ़ाने का फैसला किया।

3. द्विपक्षीय मुक्त व्यापार क्षेत्र:
दिसम्बर, 1998 में श्रीलंका के राष्ट्रपति चन्द्रिका कुमार तुंगा और भारतीय प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी के बीच दोनों देशों के मध्य एक मुक्त व्यापार क्षेत्र स्थापित करने का समझौता हुआ। इस समझौते के परिणामस्वरूप जहां दोनों देशों का व्यापार बढ़ेगा वहां इन देशों के आपसी सम्बन्ध भी मजबूत होंगे। जून, 2002 में श्रीलंका के प्रधानमन्त्री श्री रानिल विक्रमसिंघे चार दिन की सरकारी यात्रा पर भारत आए। श्री विक्रमसिंघे की इस यात्रा के दौरान भारत ने श्रीलंका को 3 लाख टन गेहूँ उपलब्ध कराने की पेशकश और साथ ही भारतीय उत्पादों की खरीद के लिए 10 करोड़ डॉलर की साख सुविधा की सहमति भी प्रदान की। इससे दोनों देशों के सम्बन्धों में सहयोग उत्पन्न हुआ।

2 जून, 2005 को श्रीलंका की राष्ट्रपति चन्द्रिका कुमार तुंगा भारत यात्रा पर आईं। उन्होंने भारतीय प्रधानमन्त्री डॉ० मनमोहन से द्विपक्षीय, क्षेत्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व के मुद्दों पर बातचीत की। अगस्त, 2008 में भारतीय प्रधानमन्त्री डॉ. मनमोहन सिंह 15वें सार्क सम्मेलन में भाग लेने के लिए श्रीलंका की यात्रा पर गए। इस यात्रा के दौरान भारतीय प्रधानमन्त्री श्रीलंका के राष्ट्रपति राजपाक्षे से मिले। इस बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने लिट्टे की समस्या सहित द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत की।

जून, 2011 में श्रीलंका के राष्ट्रपति महिन्द्रा राजपाक्षे भारत यात्रा पर आए तथा दोनों ने सुरक्षा एवं विकास से सम्बन्धित सात समझौतों पर हस्ताक्षर किये। मई, 2014 में भारतीय प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए श्रीलंका के राष्ट्रपति श्री महिन्द्रा राजपाक्षे भारत आए। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत की।

मार्च 2015 में भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने श्रीलंका की यात्रा की। इस यात्रा के दौरान उन्होंने श्रीलंका के लोगों को वीजा ऑन अराइवल देने की घोषणा की। अक्तूबर, 2016 में श्री लंका के राष्ट्रपति श्री सेना भारत हुए बिम्स्टेक सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारत आए। इस दौरान दोनों देशों ने द्विपक्षीय मुद्दों पर भी बातचीत की। मई 2017 में भारतीय प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी ने श्रीलंका की यात्रा की। इस दौरान दोनों देशों ने महत्त्वपूर्ण द्विपक्षीय मुद्दों चर्चा की।

अक्तूबर 2018 में श्रीलंका के प्रधानमन्त्री ने भारत की यात्रा की। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने बुनियादी स्तर के चलाए जाने वाले कार्यक्रमों को गति प्रदान करने पर सहमति प्रकट की। जून, 2019 में भारतीय प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी ने श्रीलंका की यात्रा की। इस दौरान दोनों देशों ने द्विपक्षीय व्यापार, क्षेत्रीय सुरक्षा एवं आतंकवाद पर चर्चा की। नवम्बर 2019 में श्री लंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने भारत की यात्रा की। इस दौरान दोनों देशों ने द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत की। फरवरी 2020 में श्रीलंका के प्रधानमंत्री ने भारत की यात्रा की। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने द्विपक्षीय सहयोग एवं सुरक्षा पर बातचीत की।

प्रश्न 3.
भारत तथा पाकिस्तान के सम्बन्धों का परीक्षण कीजिए।
उत्तर:
15 अगस्त, 1947 को भारत स्वतन्त्र हुआ, परन्तु साथ ही भारत का विभाजन भी हुआ और पाकिस्तान का जन्म हुआ। पाकिस्तान का जन्म ब्रिटिश शासकों की ‘फूट डालो और शासन करो’ की नीति का परिणाम था। पाकिस्तान भारत का पड़ोसी देश है, जिसके कारण भारत-पाक सम्बन्धों का महत्त्व है। विस्थापित, सम्पत्ति, देशी रियासतों की संवैधानिक स्थिति, नहरी पानी, सीमा-निर्धारण, वित्तीय और व्यापारिक समायोजन, जूनागढ़, हैदराबाद तथा कश्मीर और कच्छ के विवादों के लिए भारत और पाकिस्तान में युद्ध होते रहे हैं और तनावपूर्ण स्थिति बनी रही है।

कश्मीर विवाद (Kashmir Controversy)-स्वतन्त्रता से पूर्व कश्मीर भारत के उत्तर-पश्चिमी कोने में स्थित एक देशी रियासत थी। पाकिस्तान ने पश्चिमी सीमा प्रान्त के कबाइली लोगों (Tribesmen) को प्रेरणा और सहायता देकर कश्मीर पर आक्रमण करवा दिया। इस पर जम्मू-कश्मीर के राजा हरी सिंह ने 22 अक्तूबर, 1947 को कश्मीर को भारत में शामिल करने की प्रार्थना की। 27 अक्तूबर को भारत सरकार ने इस प्रार्थना को स्वीकार कर लिया। भारत ने पाकिस्तान से कबाइलियों को मार्ग न देने के लिए कहा परन्तु पाकिस्तान पूरी सहायता देता रहा। इस पर लॉर्ड माऊंटबेटन के परामर्श पर भारत सरकार ने 1 जनवरी, 1948 को संयुक्त राष्ट्र चार्टर की 34वीं और 38वीं धारा के अनुसार सुरक्षा परिषद् से पाकिस्तान के विरुद्ध शिकायत की और अनुरोध किया कि वह पाकिस्तान को आक्रमणकारियों की सहायता बन्द करने को कहें।

कश्मीर और संयुक्त राष्ट:
परन्तु सुरक्षा परिषद् कश्मीर विवाद का कोई समाधान करने में असफल रही। 21 अप्रैल, 1948 को सुरक्षा परिषद् ने 5 सदस्यों को भारत और पाकिस्तान के लिए संयुक्त आयोग (U.N.C.I.P.) की नियुक्ति की और 1 जनवरी, 1949 को कश्मीर में युद्ध विराम हो गया। सन् 1965 का पाक आक्रमण-सन् 1965 में भारत को दो बार पाकिस्तान के आक्रमण का शिकार होना पड़ा पहली बार अप्रैल में कच्छ के रणक्षेत्र में और दूसरी बार सितम्बर में कश्मीर में।

सितम्बर, 1965 में पाकिस्तानी सेनाओं ने अन्तर्राष्ट्रीय सीमा का उल्लंघन करके छम्ब क्षेत्र पर आक्रमण कर दिया। अन्त में सुरक्षा परिषद् के 20 सितम्बर के प्रस्ताव का पालन करते हुए दोनों पक्षों ने 22-23 सितम्बर की सुबह 3-30 बजे युद्ध बन्द कर दिया। इस समय तक भारतीय सेनाएँ लाहौर के दरवाजे तक पहंच चुकी थीं। ताशकन्द समझौता-10 जनवरी, 1966 को सोवियत संघ के प्रधानमन्त्री श्री कोसिगन के प्रयत्न से दोनों देशों में ताशकन्द समझौता हो गया जिसके द्वारा भारत के प्रधानमन्त्री तथा पाकिस्तान के राष्ट्रपति इस बात पर सहमत हो गए कि दोनों देशों के सभी सशस्त्र सैनिक 25 फरवरी, 1966 से पूर्व उस स्थान पर वापस बुला लिए जाएंगे जहां वे 5 अगस्त, 1965 से पूर्व थे तथा दोनों पक्ष युद्ध विराम रेखा पर युद्ध-विराम शर्तों का पालन करेंगे।

1969 में अयूब खां के हाथ से सत्ता निकल कर जनरल याहिया खां के हाथों में आ गई। याहिया खां ने भारत के साथ अमैत्रीपूर्ण नीति का अनुसरण किया। 1971 का युद्ध-1971 में पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बंगला देश) में जनता ने याहिया खां की तानाशाही के विरुद्ध स्वतन्त्रता का आन्दोलन आरम्भ कर दिया। याहिया खां ने आन्दोलन को कुचलने के लिए सैनिक शक्ति का प्रयोग किया। भारत ने बंगला देश के मुक्ति संघर्ष में उसका साथ दिया। मुक्ति संघर्ष के समय लगभग एक करोड़ शरणार्थियों को भारत में आना पड़ा। इससे भारत की आर्थिक व्यवस्था पर बड़ा बोझ पड़ा।

पाकिस्तान ने 3 दिसम्बर, 1971 को भारत पर आक्रमण कर दिया। भारत ने पाकिस्तान को सबक सिखाने का निश्चय किया और पाकिस्तान के आक्रमण का डटकर मुकाबला किया। 5 दिसम्बर को श्रीमती इन्दिरा गांधी ने भारतीय संसद् में बंगला देश गणराज्य के उदय की सूचना दी। 16 दिसम्बर, 1971 में ढाका में जनरल नियाज़ी ने आत्म-समर्पण के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कर दिए और लगभग 1 लाख सैनिकों ने आत्म-समर्पण कर दिया।

शिमला सम्मेलन-3, जुलाई 1972 को दोनों देशों के बीच एक समझौता हुआ, जो शिमला समझौते के नाम से प्रसिद्ध हुआ। शिमला समझौते के पश्चात् द्वि-पक्षीय वार्तालाप के सिद्धान्तों को प्रोत्साहन दिया गया। मार्च, 1977 में जनता सरकार की स्थापना के पश्चात् भारत-पाक सम्बन्धों में और सुधार हुआ। श्रीमती गांधी सरकार और भारत-पाक सम्बन्ध श्रीमती इन्दिरा गांधी ने जनवरी, 1980 में प्रधानमन्त्री बनने पर भारत-पाक सम्बन्ध को सुधारने पर बल दिया, परन्तु सोवियत सेना के अफ़गानिस्तान में होने से स्थिति काफ़ी खराब हो गई। जनवरी-फरवरी, 1982 में पाकिस्तान के विदेश मन्त्री आगाशाह भारत आए और उन्होंने युद्ध-वर्जन सन्धि का प्रस्ताव पेश किया जिस पर श्रीमती इन्दिरा गांधी ने भारत-पाक में सहयोग बढ़ाने के लिए संयुक्त आयोग की स्थापना का सुझाव दिया।

श्री राजीव गांधी की सरकार और भारत-पाक सम्बन्ध सहयोग के प्रयास-1985 में भारत और पाकिस्तान के कई मन्त्रियों और अधिकारियों की एक-दूसरे के देशों में यात्राएं हुईं। व्यापार, कृषि, विज्ञान, तकनीकी और संस्कृति के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए कुछ समझौते भी हुए। प्रधानमन्त्री राजीव गांधी की पाकिस्तान यात्रा-29 दिसम्बर, 1988 को प्रधानमन्त्री राजीव गांधी दक्षेस (दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए पाकिस्तान गए और उनकी पाकिस्तान की प्रधानमन्त्री बेनजीर भुट्टो से भारत-पाक सम्बन्धों पर भी बातचीत हुई।

31 दिसम्बर, 1988 को भारत और पाकिस्तान ने आपसी सम्बन्ध सद्भावनापूर्ण बनाने के उद्देश्य से शिमला समझौते के करीब 16 वर्ष बाद तीन समझौतों पर हस्ताक्षर किए जिनमें एक-दूसरे के परमाणु संयन्त्रों पर आक्रमण नहीं करने सम्बन्धी समझौता काफ़ी महत्त्वपूर्ण है। राष्टीय मोर्चा सरकार और भारत-पाक सम्बन्ध दिसम्बर, 1989 में वी० पी० सिंह के नेतृत्व में राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार बनी। इस सरकार के अल्पकालीन कार्यकाल में भारत-पाक सम्बन्धों में कोई उल्लेखनीय प्रगति नहीं हुई।

नरसिम्हा राव की सरकार और भारत-पाक सम्बन्ध राष्ट्रमण्डल शिखर सम्मेलन में भाग लेने आए भारत और पाक के प्रधानमन्त्री ने 17 अक्तूबर, 1991 को हरारे में बातचीत की। 1 जनवरी, 1992 को भारत और पाकिस्तान द्वारा यह समझौता लागू कर दिया गया, जिससे एक-दूसरे के आण्विक ठिकानों और सुविधाओं पर हमला न करने की व्यवस्था की गई थी। पाक परमाणु कार्यक्रम-पाक परमाणु कार्यक्रम में भारत काफी समय से चिन्तित है। पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम से चिन्तित होकर भारत ने भी मई, 1998 में पांच परमाणु परीक्षण किए जिसके मुकाबले में पाकिस्तान ने छः परमाणु परीक्षण किए।

बस सेवा के लिए भारत-पाक समझौता-17 फरवरी, 1999 को भारत और पाकिस्तान ने नई दिल्ली और लाहौर के बीच बस सेवा प्रारम्भ करने के लिए एक समझौता किया। 20 जनवरी, 1999 को भारत-पाक सम्बन्धों में एक नया अध्याय उस समय खुला जब भारतीय प्रधानमन्त्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी स्वयं बस से लाहौर तक गए। ऐतिहासिक लाहौर घोषणा के अन्तर्गत भारत व पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर सहित सभी विवादों को गम्भीरता से हल करने पर सहमत हुए और दोनों ने एक-दूसरे के आन्तरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने का विश्वास व्यक्त किया।

कारगिल मुद्दा-पाकिस्तान ने लाहौर घोषणा को रौंदते हुए भारत के कारगिल व द्रास क्षेत्र में व्यापक घुसपैठ करवाई। अनंत धैर्य के पश्चात् 26 मई, 1999 को भारत ने पाकिस्तान के इस विश्वासघात का करारा जवाब दिया। 12 अक्तूबर, 1999 को पाकिस्तान में सेना ने शासन पर अपना कब्जा कर लिया। लेकिन पाकिस्तान के जनरल परवेज़ मुशर्रफ ने भी भारत के साथ सम्बन्धों में मधुरता का कोई संकेत नहीं दिया। आगरा शिखर वार्ता-पाकिस्तान के शासक परवेज मुशर्रफ भारत के आमन्त्रण पर जुलाई, 2001 में भारत आए। भारत में दोनों देशों के बीच शिखर वार्ता हुई, जिसमें कश्मीर समस्या का समाधान, प्रायोजित आतंकवाद, एटमी लड़ाई का खतरा, सियाचिन से सेना की वापसी, व्यापार की सम्भावनाएं, युद्धबन्दियों की रिहाई एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान मुख्य मुद्दे थे, परन्तु मुशर्रफ के अड़ियल रवैये के कारण यह वार्ता विफल रही।

भारतीय संसद् पर हमला-13 दिसम्बर, 2001 को पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठनों लश्कर-ए-तोइबा एवं जैश-ए-मोहम्मद ने भारतीय संसद् पर हमला किया जिससे दोनों देशों के सम्बन्ध बहुत खराब हो गये तथा दोनों देशों ने सीमा पर फौजें तैनात कर दी, परन्तु विश्व समुदाय के हस्तक्षेप एवं पाकिस्तान द्वारा लश्कर-ए-तोइबा एवं जैश-ए-मोहम्मद पर पाबन्दी लगाए जाने से दोनों देशों में तनाव कुछ कम हुआ।
प्रधानमन्त्री वाजपेयी की इस्लामाबाद यात्रा-जनवरी, 2004 में भारतीय प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी चार दिन के लिए ‘दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन’ (सार्क) के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद गए।

अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमन्त्री वाजपेयी ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति व प्रधानमन्त्री से मुलाकात की। इस शिखर सम्मेलन से दोनों देशों के बीच तनाव में कमी आई और दोनों ने विवादित मुद्दों को बातचीत द्वारा हल करने पर सहमति व्यक्त की। मुम्बई पर आतंकवादी हमला—26 नवम्बर, 2008 को पाकिस्तानी समर्थित आतंकवादियों ने मुम्बई के होटलों पर कब्जा करके कई व्यक्तियों को मार दिया। भारत ने पाकिस्तान में चल रहे आतंकवादी शिविरों को बन्द करने की मांग की, जिसे पाकिस्तान ने नहीं माना, इससे दोनों देशों के सम्बन्ध और अधिक खराब हो गए। भारत एवं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुलाई 2009 में मिस्र में 15वें गुट-निरपेक्ष आन्दोलन के दौरान मिले तथा दोनों नेताओं ने परस्पर द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत की। इस बैठक के दौरान दोनों देशों ने विवादित मुद्दों को परस्पर बातचीत द्वारा हल करने की बात को दोहराया था।

25 फरवरी, 2010 को भारत एवं पाकिस्तान के विदेश सचिवों की नई दिल्ली में बातचीत हुई। इस बातचीत के दौरान भारत ने पाकिस्तान को वांछित आतंकवादियों को भारत को सौंपने को कहा। – अप्रैल, 2010 में भारत एवं पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री सार्क सम्मेलन के दौरान भूटान में मिले। इस बातचीत के दौरान दोनों नेताओं ने विवादित मुद्दों को बातचीत द्वारा हल करने पर सहमति जताई। नवम्बर 2011 में भारत एवं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री मालद्वीप मे 17वें सार्क शिखर सम्मेलन के दौरान मिले। इस बैठक में दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय सम्बन्धों पर बातचीत की।

दिसम्बर, 2012 में पाकिस्तान के आन्तरिक मंत्री श्री रहमान मलिक भारत यात्रा पर आए। इस दौरान दोनों देशों ने वीजा नियमों को और सरल बनाया। सितम्बर, 2013 में संयुक्त राष्ट्र अधिवेशन के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह एवं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने द्विपक्षीय मुलाकात की। इस दौरान दोनों देशों ने सभी विवादित मुद्दों को बातचीत द्वारा हल करने पर सहमति जताई। मई, 2014 में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ श्री नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए भारत आए। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत की।

जुलाई, 2015 में भारत एवं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान रूस के शहर उफा में मुलाकात की। इस बैठक में दोनों नेताओं ने आतंकवाद एवं द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत की। 25 दिसम्बर, 2015 को भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अचानक पाकिस्तान पहुंच कर दोनों देशों के सम्बन्धों में सुधार लाने का प्रयास किया। 2016 में पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने पठानकोट एवं उरी में आतंकवादी हमले किये, जिससे दोनों देशों के सम्बन्ध और अधिक खराब हो गए। भारत ने 29 सितम्बर, 2016 को सर्जीकल स्ट्राईक करके कई पाकिस्तानी समर्थित आतंकवादियों को मार गिराया।

नवम्बर, 2018 में भारत-पाकिस्तान ने करतारपुर कॉरिडोर को बनाने की घोषणा की। यह कॉरिडोर 9 नम्वम्बर, 2019 को खोला गया। करतारपुर साहब सिक्खों का पवित्र तीर्थ स्थल है, जहां गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन के 18 साल बिताए थे। नवम्बर 2018 में सिख समुदाय के लिए भारत एवं पाकिस्तान द्वारा करतारपुर कॉरिडोर खोलने के लिए बनी सहमति एक अच्छा कदम बताया जा सकता है।

14 फरवरी, 2019 को पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने पुलवामा में आंतकी हमला करके भारत के 40 सैनिक शहीद कर दिये, जिसके जवाब में भारत ने 26 फरवरी, 2019 को पाकिस्तान में स्थित आतंकवादी अड्डे बालाकोट में हवाई हमला करके 250 से 300 आतंकवादी मार गिराये। उपर्युक्त विवरण के आधार पर यह स्पष्ट्र रूप से कहा जा सकता है कि भारत और पाकिस्तान के सम्बन्ध न तो सामान्य थे, और न ही सामान्य हैं। समय के साथ-साथ दोनों देशों में कटुता बढ़ती जा रही है। यह खेद का विषय है कि दोनों देशों में इस कड़वाहट को दोनों देशों के पढ़े-लिखे नागरिक भी दूर करने में असफल रहे। वास्तव में दोनों देशों में मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध तब तक स्थापित नहीं हो सकते जब तक कि दोनों देशों के बीच अनेक विवादास्पद मुद्दों को हल नहीं किया जाता।

प्रश्न 4.
पाकिस्तान के साथ भारत के सम्बन्धों को किस प्रकार सुधारा जा सकता है ?
उत्तर:
भारत एवं पाकिस्तान दक्षिण एशिया के दो महत्त्वपूर्ण और पड़ोसी देश हैं। इन दोनों के सम्बन्ध अधिकांशतः तनावपूर्ण ही रहे हैं, इनके सम्बन्धों को निम्नलिखित ढंग से सुधारा जा सकता है

1. राजनीतिक स्तर पर प्रयास-भारत व पाकिस्तान दोनों राजनीतिक स्तर पर प्रयास करके आपसी सम्बन्धों को सुधार सकते हैं। दोनों देशों को सभी विवादित मुद्दों का शांतिपूर्ण हल खोजना चाहिए। पाकिस्तान को भारत विरोधी आतंकवादी गतिविधियां बन्द कर देनी चाहिएं। दोनों देशों के नेताओं को एक-दूसरे देश की अधिक-से-अधिक यात्राएं करके आपसी विश्वास बढ़ाना चाहिए। दोनों देशों को राजनीतिक समझौते करने चाहिएं। बस-सेवा, रेल सेवा तथा वायु सेवा की शुरुआत इसी प्रकार के समझौते हैं।

2. आर्थिक स्तर पर प्रयास-दोनों देशों को आपसी सम्बन्ध सुधारने के लिए न केवल राजनीतिक स्तर पर ही प्रयास करने चाहिए बल्कि आर्थिक स्तर पर भी प्रयास करने चाहिएं। दोनों देशों को मिलकर भारतीय उपमहाद्वीप में पाई जाने वाली बेरोज़गारी तथा ग़रीबी को दूर करने के प्रयास करने चाहिएं। दोनों देशों को एक-दूसरे की आर्थिक ज़रूरतों को पूरा करना चाहिए।

3. सामाजिक स्तर पर प्रयास- भारत और पाकिस्तान को अपने सम्बन्ध सुधारने के लिए सामाजिक स्तर पर प्रयास करने चाहिएं। दोनों देशों में एक-दूसरे के सगे-सम्बन्धी रहते हैं। दोनों सरकारों को चाहिए कि वे समय-समय इन लोगों को आपस में मिलने की सुविधा प्रदान करें, ताकि दोनों देशों में तनाव कम हो। इस स्तर पर दोनों सरकारों ने कुछ कदम उठाएं भी हैं, जैसे रेल सेवा, बस सेवा तथा वायु सेवा की पुनः शुरुआत इसी प्रकार के प्रयासों में शामिल हैं।

4. सांस्कृतिक स्तर पर प्रयास-दोनों देशों की सरकारों को अपने सांस्कृतिक सम्बन्ध भी सुधारने चाहिएं। दोनों देशों के बीच साहित्य-कला, संस्कृति तथा खेल गतिविधियों का आदान-प्रदान होना चाहिए। दोनों देशों को वीज़ा की सुविधा को और आसान बनाना चाहिए, ताकि कोई भी इच्छुक कलाकार, साहित्य प्रेमी, बुद्धिजीवी या पत्रकार को वीज़ा लेने में परेशानी न हो।

5. तकनीकी तथा चिकित्सा सेवा का आदान-प्रदान-दोनों देश तकनीकी ज्ञान तथा चिकित्सा के क्षेत्र में भी साथ काम करके आपसी सम्बन्ध सुधार सकते हैं। पिछले कुछ समय में कई पाकिस्तानी बच्चों तथा व्यक्तियों का सफल इलाज भारत में किया गया है। इसी तरह पाकिस्तान तकनीकी क्षेत्र में भी भारत की मदद ले सकता है। उपरोक्त प्रयासों का यदि ईमानदारी से पालन किया जाए तो यकीनी तौर पर भारत-पाकिस्तान के सम्बन्ध सुधर सकते हैं।

प्रश्न 5.
भारत तथा बांग्लादेश के बीच मधुर एवं तनावपूर्ण सम्बन्धों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
बांग्लादेश के अस्तित्व और उसकी स्वतन्त्रता का श्रेय भारत को है। 1971 में बांग्लादेश स्वतन्त्र देश बना। इससे पूर्व बांग्लादेश पाकिस्तान का हिस्सा तथा पूर्वी पाकिस्तान कहलाता था। बांग्लादेश की स्वतन्त्रता के लिए भारत के जवानों ने अपने प्राणों की आहुति दी। 6 दिसम्बर, 1971 को भारत ने बांग्लादेश को मान्यता दे दी।

1971 की मैत्री सन्धि:
शेख मुजीबुर्रहमान 12 जनवरी, 1972 को बांग्लादेश के प्रधानमन्त्री बने। फरवरी, 1972 में जब वे भारत आए तो उन्होंने कहा था, “भारत और बांग्लादेश की मित्रता चिरस्थायी है, उसे दुनिया की कोई ताकत तोड़ नहीं सकती।” 19 मार्च, 1972 को भारत और बांग्लादेश में 25 वर्ष की अवधि के लिए मित्रता और सहयोग की सन्धि हुई। इस सन्धि की महत्त्वपूर्ण बातें इस प्रकार थीं

  • आर्थिक, तकनीकी, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक क्षेत्रों में दोनों देश एक-दूसरे के साथ सहयोग करेंगे।
  • दोनों देश एक-दूसरे की अखण्डता व सीमाओं का सम्मान करेंगे।
  • दोनों देश एक-दूसरे के आन्तरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे।
  • दोनों देश किसी तीसरे देश को कोई ऐसी सहायता नहीं देंगे जो दोनों में किसी देश के हित के विरुद्ध हो।
  • दोनों देश उपनिवेशवाद का विरोध करेंगे।

बांग्लादेश को संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बनाने में भारत की सहायता-बांग्लादेश ने 9 अगस्त, 1972 को संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बनने के लिए प्रार्थना-पत्र भेजा। भारत के प्रयास के फलस्वरूप और रूस से सहयोग से बांग्लादेश . संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बन गया। शेख मुजीबुर्रहमान की भारत यात्रा-1974 में शेख मुजीबुर्रहमान ने भारत यात्रा की तथा 1975 में गंगा जल के . बंटवारे से सम्बन्धित विवाद को बातचीत द्वारा समाप्त करने की कोशिश की।

सम्बन्धों में परिवर्तन-15 अगस्त, 1975 को बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान की परिवार सहित हत्या कर दी गई। शेख की हत्या के बाद भारत-बांग्लादेश के सम्बन्धों में तेजी से परिवर्तन आ गया। नवम्बर, 1975 में जनरल ज़ियाउर्रहमान राष्ट्रपति बने। तब से बांग्लादेश में भारत-विरोधी प्रचार तेज़ हो गया।

जनता सरकार और भारत-बांग्लादेश देश सम्बन्ध-मार्च, 1977 में भारत में जनता पार्टी की सरकार बनी और दोनों देशों के सम्बन्धों में सुधार की किरण दिखाई दी। अक्तूबर, 1977 में फरक्का समझौता हुआ। जुलाई, 1983 में भारत तथा बांग्लादेश में तीस्ता (Teesta) नदी में जल-वितरण को लेकर एक तदर्थ समझौता हुआ। अक्तूबर, 1983 में बांग्लादेश के मुख्त मार्शल-ला प्रशासक जनरल इरशाद की दो दिवसीय भारतीय यात्रा से दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग के एक नए अध्याय का सूत्रपात हुआ।

नवम्बर, 1985 में भारत तथा बांग्ला देश ने फरक्का के पानी के बंटवारे के सम्बन्ध में अगले तीन वर्षों के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह 1982 के समझौते पर आधारित था। चकमा शरणार्थियों की समस्या-बांग्लादेश से अप्रैल, 1990 में लगभग 60 हजार चकमा शरणार्थी भारत आ चुके हैं। चकमा शरणार्थियों की वापसी के लिए कई बार बातचीत हुई परन्तु अभी तक कोई समझौता नहीं हुआ है। इसका कारण यह है कि बांग्लादेश की सरकार चकमा शरणार्थियों की सुरक्षा को विश्वसनीय गारण्टी नहीं देती।

तीन बीघा गलियारे का हस्तांतरण-26 मई, 1992 को बांग्लादेश की प्रधानमन्त्री बेगम खालिदा ज़िया भारत आईं। दोनों देशों में तीन बीघा पर एक समझौता हुआ जिसके अन्तर्गत 26 जून, 1992 को भारत ने तीन बीघा गलियारा बांग्लादेश को पट्टे पर सौंप दिया। परन्तु गलियारे पर प्रशासनिक अधिसत्ता भारत की ही रहेगी।

गंगा जल पर भारत व बांग्लादेश के बीच समझौता-12 दिसम्बर, 1996 को भारत और बांग्लादेश में फरक्का गंगा जल बंटवारे पर एक ऐतिहासिक समझौता हुआ जिससे पिछले दो दशकों से चले आ रहे विवाद का अन्त हो गया। इस समझौते से गंगा में पानी की कमी के मौसम में भी दोनों को बराबर मात्रा में पानी देने की व्यवस्था की गई है। ये समझौता 30 वर्षों के लिए किया गया।

प्रधानमन्त्री शेख हसीना वाजिद की भारत यात्रा-जून, 1998 में बांग्लादेश की प्रधानमन्त्री शेख हसीना वाजिद भारत आईं और उन्होंने प्रधानमन्त्री वाजपेयी से बातचीत की। दोनों देशों के प्रधानमन्त्रियों ने इस बात पर जोर दिया कि द्विपक्षीय समस्याओं का हल द्विपक्षीय वार्ता द्वारा होना चाहिए। जनवरी, 1999 में बांग्लादेश की प्रधानमन्त्री शेख हसीना वाजिद तीन दिन की यात्रा पर भारत आईं। प्रधानमन्त्री शेख हसीना वाजिद ने कहा कि उसकी सरकार पाकिस्तानी खुफिया एजेन्सी और भारत के आतंकवादियों को पड़ोसी देशों में गुप्त गतिविधियां चलाने के लिए अपने देश का इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं देगी।

19 जून, 1999 को भारत व बांग्लादेश के सम्बन्धों में सुधार लाने के लिए दोनों देशों के बीच बस सेवा प्रारम्भ की गई। स्वयं भारतीय प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी कोलकाता से चली इस बस की अगुवाई के लिए ढाका पहुंचे। अपनी इस बांग्लादेश की यात्रा के दौरान भारतीय प्रधानमन्त्री ने बांग्लादेश को ₹200 करोड़ का कर्ज देने का समझौता किया। इसके अतिरिक्त भारत ने बांग्लादेश से ‘प्रशुल्क रहित आयात’ के लिए भी सैद्धान्तिक रूप से स्वीकृति प्रदान की।

भारत और बांग्लादेश ने 9 अप्रैल, 2000 को अगरतला और ढाका के बीच एक नई बस सेवा चलाने का निर्णय किया। सन् 2000 में दोनों देशों के बीच आर्थिक सम्बन्ध और मजबूत हुए। भारत ने कुछ चुनिंदा बांग्ला देशी वस्तुओं को बिना किसी तटकर के देश में प्रवेश की इजाजत दी। जून, 2005 में दोनों देशों के विदेश सचिवों में अनेक समस्याओं पर बातचीत हुई और दोनों देशों के सम्बन्धों में सुधार हुआ। अप्रैल, 2008 में भारत व बांग्लादेश के बीच 43 वर्षों के पश्चात् कोलकाता तथा ढाका के मध्य ‘मैत्री एक्सप्रेस’ रेलगाड़ी चलाई गई। बांग्लादेश में 29 दिसम्बर, 2008 को आम चुनाव हुए।

इन चुनावों में शेख हसीना की पार्टी को जबरदस्त चुनावी सफलता मिली तथा शेख हसीना देश की प्रधानमन्त्री बनी। शेख हसीना के बांग्लादेश की प्रधानमन्त्री बनने से भारत-बांग्लादेश सम्बन्ध और अधिक घनिष्ठ होने की आशा बढ़ी है। बांग्लादेशी प्रधानमंत्री की भारत यात्रा-जनवरी, 2010 में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत यात्रा पर आईं।

इस यात्रा के दौरान भारत ने बांग्लादेश को 250 मेगावाट बिजली देने की घोषणा की तथा बांग्लादेश के 300 छात्रों को प्रतिवर्ष छात्रवृत्ति देने की घोषणा की। दूसरी ओर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने घोषणा की, कि वह अपने क्षेत्र का प्रयोग भारत विरोधी गतिविधियों के लिए नहीं होने देंगी। 6-7 सितम्बर, 2011 को भारतीय प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने बांग्ला देश की यात्रा की इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने पारस्परिक सहयोग के 4 समझौतों पर हस्ताक्षर किए।

जून, 2015 में भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने बांग्लादेश की यात्रा की। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने 22 समझौतों पर हस्ताक्षर किये। अक्तूबर, 2016 में बांग्लादेश की प्रधानमन्त्री शेख हसीना बिम्स्टेक में भाग लेने के लिए भारत आई। इस दौरान दोनों देशों ने द्विपक्षीय मुद्दों पर भी बातचीत की। अप्रैल 2017 में बांग्ला देश की प्रधानमन्त्री शेख हसीना भारत यात्रा पर आई। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने 22 समझौतों पर हस्ताक्षर किए। मई 2018 में बंगलादेशी प्रधानमंत्री भारत यात्रा पर आई।

इस दौरान दोनों देशों ने रोहिंय्या मुद्दे सहित द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत की। अक्तूबर, 2019 में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने भारत की यात्रा की। इस दौरान दोनों देशों ने 7 महत्त्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किये। संक्षेप में भारत ने बांग्लादेश को हर परिस्थिति व समय पर सहायता दी है, लेकिन भारत को बांग्लादेश से वैसा सहयोग प्राप्त नहीं हुआ जिसकी भारत आशा रखता है। 17 दिसम्बर, 2020 को भारत एवं बांग्ला देश के प्रधानमन्त्रियों ने आभासी (Virtual) मुलाकात की। इस दौरान दोनों देशों ने आपसी सम्बन्धों एवं कोरोना महामारी पर चर्चा की।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 5 समकालीन दक्षिण एशिया

प्रश्न 6.
भारत और नेपाल के पारस्परिक सम्बन्धों का मूल्यांकन कीजिए।
अथवा
भारत और नेपाल के आपसी सम्बन्धों में विवाद और सहयोग के मुख्य मुद्दों का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
नेपाल, भारत और चीन के बीच तिब्बत क्षेत्र में स्थित है और चारों ओर से पहाड़ों से घिरा हुआ है। भारत और नेपाल धर्म, संस्कृति और भौगोलिक दृष्टि से एक-दूसरे के जितने करीब हैं, उतने विश्व के शायद ही कोई अन्य देश हों। नेपाल की अर्थव्यवस्था बहुत हद तक भारत पर निर्भर करती है। दोनों देशों के बीच खुली सीमा है। आवागमन पर कोई रोक नहीं है। सन् 1950 से 1960 तक दोनों देशों के सम्बन्ध बहुत मित्रतापूर्ण रहे। कश्मीर के प्रश्न पर नेपाल ने भारत का समर्थन किया तथा उसे भारत का अभिन्न अंग बताया। भारत ने आर्थिक क्षेत्र से नेपाल की बहुत सहायता की। 1952 में प्रारम्भ किया गया भारतीय सहायता कार्यक्रम धीरे-धीरे आकार तथा क्षेत्र में फैलता गया। नेपाली वित्त मन्त्रालय के एक वक्तव्य के अनुसार सन् 1951 से जुलाई, 1964 के बीच नेपाल द्वारा प्राप्त की गई विदेशी सहायता में संयुक्त राज्य अमेरिका तथा सोवियत संघ के बाद भारत का तीसरा स्थान है।

दोनों देशों में तनावपूर्ण काल-1960 में नेपाल महाराजा ने संसद् को भंग कर नेताओं को जेल में डाल दिया। इस पर भारत के प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरू ने नेपाल के महाराजा की आलोचना करते हुए कहा कि, “नेपाल से लोकतन्त्र समाप्त हो गया।” इससे दोनों देशों के सम्बन्ध मैत्रीपूर्ण नहीं रहे। सहयोग का काल-1975 में नेपाल नरेश भारत आए जिससे दोनों देशों में पुनः अच्छे सम्बन्ध स्थापित हो सके। दिसम्बर, 1977 में प्रधानमन्त्री मोरारजी देसाई ने नेपाल की यात्रा की और दोनों देशों में मित्रता बढ़ी। जनवरी, 1980 में श्रीमती इन्दिरा गांधी के पुनः सत्ता में आने पर भारत-नेपाल सम्बन्धों में सुधार हुआ। 3 फरवरी, 1983 को नेपाल के प्रधानमन्त्री भारत आए और दोनों देशों में मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध स्थापित हुए। भारत ने सड़क निर्माण, बिजली, संचार, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्रों में नेपाल की भरपूर मदद की है। 1987 में दोनों देशों ने संयुक्त आयोग के गठन पर समझौता किया।

तनावपूर्ण सम्बन्ध-भारत-नेपाल व्यापार तथा पारगमन सन्धि नवीकरण न होने से दोनों देशों के सम्बन्धों में कटुता आ गई। भारत एक समन्वित सन्धि के पक्ष में था जबकि नेपाल मार्च, 1989 तक जारी व्यवस्था के तहत दो अलग सन्धियाँ करने के लिए जोर देता रहा। 5 दिसम्बर, 1991 को नेपाल के प्रधानमन्त्री गिरिजा प्रसाद कोइराला भारत की दो दिन की यात्रा पर आए। यात्रा की समाप्ति पर 6 दिसम्बर, 1991 को दोनों देशों के बीच पांच सन्धियों पर हस्ताक्षर किए गए।

प्रधानमन्त्री नरसिम्हा राव की नेपाल यात्रा-19 अक्तूबर, 1992 को भारत के प्रधानमन्त्री नरसिम्हा राव तीन दिन की यात्रा पर नेपाल गए। भारत और नेपाल के विभिन्न क्षेत्रों में आपसी सहयोग बढ़ाने, भारत को नेपाल के उदार शो पर निर्यात वद्धि करने और विपल जल संसाधनों का दोनों देशों से साझे हित में प्रयोग करने पर सहमति व्यक्त की। इसके अलावा दोनों देशों में आपसी हित के कई मुद्दों पर बातचीत हुई। नेपाल के प्रधानमन्त्री की भारत यात्रा-अप्रैल, 1995 में नेपाल के प्रधानमन्त्री मनमोहन अधिकारी भारत की यात्रा पर आए और उनकी इस यात्रा से दोनों देशों के सम्बन्धों में सुधार हुआ।

नेपाल के प्रधानमन्त्री की भारत यात्रा-फरवरी, 1996 में नेपाल के प्रधानमन्त्री श्री शेर बहादुर दोऊबा भारत की यात्रा पर आए। नेपाल और भारत के मध्य आपसी सहयोग में कई समझौते हुए। नेपाल के प्रधानमन्त्री श्री दोऊबा ने कहा कि उनका देश शीघ्र ही नेपाल भारत के मध्य सम्पन्न 1950 की सन्धि की समीक्षा के लिए एक आयोग गठित करेगा। महाकाली सन्धि-29 फरवरी, 1996 को भारत और नेपाल ने सिंचाई और बिजली उत्पाद के लिए महाकाली नदी के पानी का उपयोग करने के लिए एक सन्धि पर हस्ताक्षर किए।

नेपाल के प्रधानमन्त्री की भारत यात्रा-दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने तथा अन्य विषयों पर बातचीत करने के उद्देश्य से अगस्त, 2000 में नेपाल के प्रधानमन्त्री गिरिजा प्रसाद कोइराला भारत की यात्रा पर आए। भारत की सुरक्षा चिन्ता को देखते हुए नेपाली प्रधानमन्त्री ने भारत को यह आश्वासन दिया कि वह अपनी भूमि से भारत के विरुद्ध कोई भी आतंकवादी गतिविधि नहीं चलने देगा और आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष में भारत का साथ देगा।। – नेपाल में आपातकाल एवं भारतीय प्रधानमन्त्री द्वारा मदद का आश्वासन-24 नवम्बर, 2001 को नेपाल में माओवादियों ने 50 सुरक्षा कर्मियों की हत्या कर दी, जिस कारण नेपाल में आपात्काल लागू कर दिया गया। 30 नवम्बर, 2001 को भारतीय प्रधानमन्त्री वाजपेयी ने नेपाल को हर सम्भव सहायता देने की बात की।

1 फरवरी, 2005 को नरेश ज्ञानेन्द्र ने शेर बहादुर दोऊबा सरकार को बर्खास्त करके सत्ता की कमान अपने हाथ में ले ली जिस पर भारत ने नेपाल को सैन्य सप्लाई रोक दी। 29 अप्रैल, 2005 को नरेश ज्ञानेन्द्र ने आपात्काल को हटा दिया और अनेक नेताओं को रिहा कर दिया। भारत ने नेपाल को आंशिक रूप से सैन्य सप्लाई बहाल करने की घोषणा की और नेपाल में शीघ्र ही बहुदलीय लोकतन्त्र की बहाली की उम्मीद जताई। 28 मई, 2008 को नेपाल में राजतन्त्र को सदैव के लिए समाप्त कर दिया गया तथा 15 अगस्त, 2008 को सी०पी०एन० (एम०) के नेता पुष्प कमल दहल ‘प्रचण्ड’ को प्रधानमंत्री चुना गया। सितम्बर, 2008 में नेपाली प्रधानमंत्री ‘प्रचण्ड’ भारत यात्रा पर आए, जिससे दोनों देशों के सम्बन्धों में और सुधार आया।

नेपाली राष्ट्रपति की भारत यात्रा-जनवरी, 2010 में नेपाल के राष्ट्रपति श्री राम बरन यादव भारत यात्रा पर आए। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग के चार समझौतों पर हस्ताक्षर किए। जनवरी-फरवरी-2011 में नेपाल के राष्ट्रपति पुनः भारत की 10 दिवसीय यात्रा पर भारत आए तथा भारतीय प्रधानमन्त्री से द्वि-पक्षीय मुद्दों पर बातचीत की, जिसमें भारत-नेपाल मैत्री सन्धि के नवीनीकरण का मुद्दा भी शामिल था।

मई, 2014 में भारतीय प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए नेपाल के प्रधानमन्त्री श्री सुशील कोइराला भारत यात्रा पर आए। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत की। अगस्त, 2014 में भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने नेपाल की यात्रा की। इस यात्रा के दौरान उन्होंने नेपाल को ₹ 61 अरब की मदद देने की घोषणा की।

अक्तूबर, 2016 में नेपाल के प्रधानमन्त्री पुष्प कमल ‘दहल प्रचण्ड’ बिम्स्टेक सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारत आए। इस दौरान दोनों देशों ने द्विपक्षीय मुद्दों पर भी बातचीत की। अगस्त 2017 में नेपाली प्रधानमन्त्री भारत यात्रा पर आए। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने 8 महत्त्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किये। अगस्त 2018 में भारतीय प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी ने बिम्स्टेक सम्मेलन में भाग लेने के लिए नेपाल की यात्रा की। इस दौरान दोनों देशों ने द्विपक्षीय मुद्दों पर भी बातचीत की। 17 अगस्त, 2020 को भारत एवं नेपाल के प्रधानमन्त्रियों के बीच आभासी (Virtual) मुलाकात हुई। इस दौरान दोनों देशों ने द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की।

प्रश्न 7.
दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (दक्षेस) की पृष्ठभूमि एवं इसकी स्थापना के लिए किए गए प्रयासों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) दक्षिण एशिया के आठ देशों-भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, मालदीव, अफगानिस्तान और श्रीलंका का एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन है। 14वें सार्क सम्मेलन में जोकि 2007 में भारत में हुआ था, अफगानिस्तान को सार्क का आठवां सदस्य बनाया गया था। इस संगठन की स्थापना आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, तकनीकी और वैज्ञानिक क्षेत्रों में आपसी सहयोग द्वारा दक्षिणी एशिया के लोगों के कल्याण के लिए की गई थी।

सार्क की स्थापना (Establishment of SAARC):
द्वितीय महायुद्ध के बाद विश्व दो गुटों-पूंजीवादी गुट और साम्यवादी गुट में बंट गया था। पूंजीवादी गुट का नेतृत्व अमेरिका जबकि साम्यवादी गुट का नेतृत्व सोवियत संघ करने लगा। विश्व में आर्थिक सहयोग और सुरक्षात्मक उद्देश्यों को लेकर क्षेत्रीय संगठन बनने लगे। आपसी संगठन बनाने की यह प्रक्रिया पूरे यूरोप और धीरे-धीरे विश्व भर में फैलने लगी। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बहुत-से देश स्वतन्त्र हुए थे। ये देश सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, वैज्ञानिक, शैक्षणिक आदि क्षेत्रों में अत्यन्त पिछड़े हुए थे। एक ओर ये नव-स्वतन्त्र देश महाशक्तियों की गुटीय राजनीति से अलग रहना चाहते थे और दूसरी ओर सामाजिक-आर्थिक विकास के लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते थे।

इस दृष्टि से पिछड़े देशों (तीसरी दुनिया) में क्षेत्रीय संगठन बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई। विशेषतया एशिया में क्षेत्रीय संगठन बनाने की प्रक्रिया 1967 में आसियान (ASEAN) की स्थापना से प्रारम्भ हुई जिसमें-ब्रुनेई, इण्डोनेशिया, फिलीपीन्स, मलेशिया, सिंगापुर, दारुस्सलाम और थाइलैंड शामिल हुए। तुर्की, ईरान और पाकिस्तान ने भी विकास के लिए क्षेत्रीय सहयोग की व्यवस्था की। जुलाई, 1975 में व्यापारिक उद्देश्यों के लिए बांग्लादेश, भारत, फिलीपीन्स, लाओस, श्रीलंका, थाइलैंड आदि देशों ने समझौता किया।

दक्षिण एशियाई देशों में सामाजिक, जातीय, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक मूल्यों की सामान्य सांझ है और तीव्र विकास की इच्छा भी है लेकिन इनमें कई बातों पर आपसी अविश्वास की भावना भी देखी जा सकती है। विशेष रूप से इन देशों के सुरक्षात्मक हित, विभिन्न राजनीतिक संस्कृति भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद और इस क्षेत्र में भारत की विशेष स्थिति अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं। 70 के दशक के अंत में बांग्लादेश के दिवंगत राष्ट्रपति जिआउर्रहमान ने एक विचार दिया था कि दक्षिण एशिया के सात देशों को मिलकर इस क्षेत्र की समस्याओं पर विचार करना चाहिए और आर्थिक विकास के लिए प्रयास करना चाहिए।

आपसी सहयोग की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग के लिए बांग्लादेश कार्यकारी पत्र (Bangladesh Working paper on South Asian Regional Cooperation) जारी किया गया जिसमें सहयोग के 11 प्रमुख बिन्दुओं पर बल दिया गया। ये 11 प्रमुख बिन्दु थे दूर संचार, यातायात, जहाजरानी, शैक्षणिक व सांस्कृतिक सहयोग, वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग, कृषि अनुसंधान, पर्यटन, संयुक्त उपक्रम, बाजार प्रोत्साहन मौसम विज्ञान।

दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संघ की स्थापना करने वाली घोषणा के अनुच्छेद 10 की पहली धारा में कहा गया है कि ‘सारे निर्णय सर्वसम्मति से होंगे।’ दूसरी धारा में से कहा गया है कि सार्क के दो सदस्यों के ‘द्विपक्षीय’ मामलों पर विचार नहीं किया जाएगा। सार्क कोई राजनीतिक संघ या मंच नहीं है। इस संघ का उद्देश्य सामूहिक सहयोग है। सभी सदस्य एक-दूसरे की सम्प्रभुता को मान्यता देते हैं और कोई देश किसी दूसरे के आन्तरिक मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा और सभी सदस्य सामूहिक हित के लिए काम करेंगे।

राजनीतिक विज्ञान अनेक अध्ययनों के पश्चात् 1-2 अगस्त, 1983 को दिल्ली में सात देशों-भारत, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, मालदीव और बांग्लादेश के विदेश मंत्रियों की एक बैठक हई। इस बैठक में सातों देशों के विदेश मन्त्रियों ने दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। समझौते की उद्घोषणा में कहा गया कि दक्षिणी एशिया में आपसी सहयोग लाभदायक, वांछनीय और आवश्यक है और इससे क्षेत्र के लोगों के जीवन को सुधारने में मदद और प्रोत्साहन मिलेगा।

अन्ततः दक्षिणी एशियाई देशों के शासनाध्यक्षों का प्रथम शिखर सम्मेलन बांग्ला देश की राजधानी ढाका में हुआ जिसमें 8 दिसम्बर, 1985 को सार्क घोषणा-पत्र (Charter) को स्वीकार किया गया। इस प्रकार औपचारिक रूप से दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) अस्तित्व में आया। इस संगठन की स्थापना में भारत की भूमिका अत्यन्त महत्त्वपूर्ण रही। इसके प्रथम शिखर सम्मेलन के अन्त तक भारत का योगदान इसमें विशेष स्थान रखता है। इसका प्रमुख कारण यह है कि भारत दक्षिणी एशिया का एक प्रमुख देश है और सार्क की सफलता या असफलता बहुत सीमा तक भारत के सक्रिय सहयोग पर ही निर्भर करती है।

निष्कर्ष (Conclusion):
इस प्रकार स्पष्ट है कि सार्क दक्षिणी एशिया के आठ देशों का एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय संगठन है। यह एक राजनीतिक संगठन नहीं है। यह सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, तकनीकी व वैज्ञानिक हितों की पूर्ति के लिए आपसी सहयोग पर आधारित अन्तर्राष्ट्रीय संगठन है। इस संगठन का उदय भी अन्तर्राष्ट्रीय घटनाओं से प्रेरित है। सार्क की स्थापना में भारत की सक्रिय भागीदारी रही है।

प्रश्न 8.
सार्क के लक्ष्य और सिद्धान्त क्या हैं ?
उत्तर:
सार्क दक्षिण एशिया के आठ देशों भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल, मालदीव, अफगानिस्तान और भूटान का एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन है। अप्रैल, 2007 में दिल्ली में 14वें सार्क सम्मेलन में अफगानिस्तान को सार्क का आठवां सदस्य बनाया गया था। इस संगठन की स्थापना भी बदलते हए अन्तर्राष्टीय वातावरण के सन्दर्भ में हई।

इस संगठन की स्थापना बांग्लादेश के दिवंगत शासनाध्यक्ष जिआउर्रहमान की पहल पर हई। इसके लिए 1-2 अगस्त, 1983 को नई दिल्ली में इन सात देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक हुई। इस बैठक में सदस्य देशों ने आपसी सहयोग के कुछ मुद्दों पर एक सहमति पत्र तैयार किया। इस सहमति पत्र के आधार पर दिसम्बर, 1985 में ढाका में सार्क देशों के शासनाध्यक्षों का प्रथम शिखर सम्मेलन हुआ। इस शिखर सम्मेलन में 8 दिसम्बर को सार्क का घोषणा-पत्र स्वीकार किया गया।

सार्क के सिद्धान्त (Principles of SAARC):
दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) की स्थापना करने वाली घोषणा के अनुच्छेद 10 की पहली धारा में कहा गया है कि सारे निर्णय सर्वसम्मति से होंगे। दूसरी धारा में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि सार्क के दो सदस्यों के ‘द्वि-पक्षीय’ मामलों पर विचार नहीं किया जाएगा। सार्क सदस्य देशों की प्रभुसत्ता, समानता, क्षेत्रीय अखण्डता और राजनीतिक स्वतन्त्रता का सम्मान करता है और किसी दूसरे देश के आन्तरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगा। सार्क एक राजनीतिक संघ या मंच नहीं है। इसका उद्देश्य आपसी सहयोग द्वारा विकास करना है। इसके लिए सदस्य देश आपसी सहयोग को प्राथमिकता देंगे।

सार्क के उद्देश्य (Objectives of the SAARC):
दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) के चार्टर में इसके निम्नलिखित उद्देश्यों का वर्णन किया गया है

  • दक्षिण एशियाई देशों के लोगों का कल्याण और जीवन में गुणात्मकता लाना।
  • आर्थिक वृद्धि, सामाजिक प्रगति और सांस्कृतिक विकास।
  • सामूहिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना।
  • अन्य देशों के साथ सहयोग करना।
  • आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, तकनीकी और वैज्ञानिक क्षेत्रों में आपसी सहयोग को बढ़ावा देना।
  • अन्य क्षेत्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग करना।
  • अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों में आपसी सहयोग को मजबूत बनाना।
  • एक-दूसरे की समस्याओं के लिए आपसी विश्वास, समझबूझ और सहृदयता विकसित करना।

निष्कर्ष (Conclusion):
इस प्रकार स्पष्ट है कि सार्क एक ऐसा संगठन है जो सदस्य देशों की प्रभुसत्ता, स्वतन्त्रता, समानता व अखण्डता में विश्वास रखते हुए क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देने के लिए आपसी सहयोग की अपेक्षा रखता है। सार्क क्षेत्रीय विकास एवं कल्याण के लिए बनाया गया संगठन है। यह कोई सैनिक या राजनीति गठबन्धन नहीं है। सार्क के घोषणा पत्र में यह स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि इसमें द्वि-पक्षीय मामलों पर बहस नहीं की जाएगी। किन्तु इसकी बैठकों में कई बार द्वि-पक्षीय मामले उठाने का भी प्रयास किया गया है। आमतौर पर पाकिस्तान की ओर से यह प्रयास अधिक होता है। भारत ने सदैव इसका विरोध किया है। सार्क क्षेत्रीय सहयोग के लिए बनाया गया है और यदि यह निर्धारित सिद्धान्तों का पालन करे तो घोषित उद्देश्यों को प्राप्त कर सकता है।

प्रश्न 9.
सार्क की महत्त्वपूर्ण गतिविधियां क्या रही हैं ? उनमें भारत की भूमिका क्या है ?
अथवा
दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) द्वारा अपने अस्तित्व में किए गए मुख्य कार्य कौन-से हैं ? इनमें भारत की भूमिका क्या रही है ?
उत्तर:
सार्क दक्षिण एशिया के आठ देशों का एक सहयोग संगठन है। इस संगठन का उद्देश्य इन देशों के बीच अधिकाधिक क्षेत्रों में सहयोग स्थापित करना है ताकि समस्याएं एक-दूसरे की सहायता से हल हो सकें। दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संघ की स्थापना करने वाली घोषणा के अनुच्छेद 10 की पहली धारा में कहा गया है कि ‘सारे निर्णय सर्वसम्मति से होंगे।

दूसरी धारा में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि सार्क के दो सदस्यों के द्विपक्षीय’ मामलों पर विचार नहीं किया जाएगा।’ सार्क कोई राजनीतिक संघ या मंच नहीं है। इस संघ का उद्देश्य सामूहिक सहयोग है। सभी सदस्य एक-दूसरे को सम्प्रभुता को मान्यता देते हैं और कोई देश किसी दूसरे के आन्तरिक मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा और सभी सदस्य सामूहिक हित के लिए काम करेंगे।

प्रथम शिखर सम्मेलन-दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संघ का प्रथम शिखर सम्मेलन 1985 में ढाका में हआ। इस सम्मेलन में सभी सदस्यों ने पारस्परिक सहयोग के लिए अपनी वचनबद्धता पर सहमति प्रकट की। द्वितीय शिखर सम्मेलन-द्वितीय शिखर सम्मेलन नवम्बर, 1986 में भारत में बंगलौर में हुआ।

इन देशों ने 1990 तक सार्वभौमिक प्रतिरक्षण, सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा, मातृ-शिशु पोषाहार, साफ़ सुरक्षित पेय जल की व्यवस्था और 2000 से पूर्व समुचित आवास के लक्ष्य निर्धारित किए। तृतीय शिखर सम्मेलन-सार्क का तीसरा शिखर सम्मेलन नवम्बर, 1987 में काठमांडू में हुआ। इस सम्मेलन में तीन ऐतिहासिक निर्णय लिए गए

  • आतंकवाद को समाप्त करने का समझौता हुआ।
  • दक्षिण एशियाई खाद्य सुरक्षा भण्डार की स्थापना का निर्णय किया गया।
  • तीसरा महत्त्वपूर्ण निर्णय सार्क क्षेत्र के पर्यावरण की रक्षा के उपाय करने के लिए पर्यावरण सम्बन्धी अध्ययन करना है।

चौथा शिखर सम्मेलन-सार्क का चौथा सम्मेलन श्रीलंका की अशान्त स्थिति के कारण वहां न होकर 29 सितम्बर, 1988 को पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में हुआ। इस सम्मेलन का विशेष महत्त्व है क्योंकि यह सम्मेलन पाकिस्तान में लोकतन्त्र की बहाली के बाद हुआ। इस सम्मेलन में महत्त्वपूर्ण निर्णय लिए गए

(1) इस सम्मेलन में यह निर्णय लिया गया कि सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश, राष्ट्रीय संसदों के सदस्य एक विशेष सार्क पत्र दस्तावेज़ पर किसी भी देश की यात्रा कर सकेंगे तथा उन्हें वीज़ा लेने की ज़रूरत नहीं होगी।

(2) नशीले पदार्थों के ग़लत प्रयोग को रोकने हेतु जोरदार अभियान जारी रखने का संकल्प किया।

(3) इस सम्मेलन की एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि ‘सार्क 2000’ का निर्माण है। ‘सार्क 2000’ एक क्षेत्रीय योजना की अवधारणा है। इस योजना द्वारा शताब्दी के अन्त तक इस क्षेत्र के एक अरब से ज्यादा लोगों की आवास, शिक्षा और साक्षरता की आवश्यकताएं पूरी की जा सकें।

(4) संयुक्त राष्ट्र की घोषणा के अनुसार वर्ष 1989 को ‘बालिका वर्ष’ के रूप में मनाने का आह्वान किया ग

(5) परमाणु निःशस्त्रीकरण का भी निर्णय लिया गया।

(6) शिखर सम्मेलन के निर्णय के अनुसार इस क्षेत्र का कोई भी देश सार्क का सदस्य बन सकता है, यदि वह इसके घोषणा-पत्र के सिद्धान्तों एवं उद्देश्यों में विश्वास रखता है। कोलम्बो सम्मेलन-21 दिसम्बर, 1991 को सार्क का सम्मेलन कोलम्बो में हुआ। सार्क के सातों देश क्षेत्र में व्यापार को उदार बनाने पर सहमत हो गए। सातों सदस्य देशों ने नि:शस्त्रीकरण की सामान्य प्रवृत्तियों का स्वागत किया। घोषणा-पत्र में मानव अधिकारों की रक्षा की बात कही गई है।

ढाका शिखर सम्मेलन-12 दिसम्बर, 1992 को सार्क का शिखर सम्मेलन ढाका (बांग्लादेश) में होना था, परन्तु भारत के आग्रह पर स्थगित कर दिया गया और 13 जनवरी, 1993 को शिखर सम्मेलन होना निश्चित किया गया।13 जनवरी को भी यह सम्मेलन न हो सका। यह सम्मेलन 10 और 11 अप्रैल को ढाका में हुआ। इस सम्मेलन में दक्षेस राष्ट्रों के नेताओं ने सातों राष्ट्रों के बीच एक ‘महाबाज़ार’ का निर्माण करने तथा दक्षिण एशिया के स्वतन्त्र व्यक्तित्व पर विशेष बल दिया।

नई दिल्ली सम्मेलन-2 मई, 1995 को सार्क का आठवां शिखर सम्मेलन भारत की राजधानी नई दिल्ली में आरम्भ हुआ। इस सम्मेलन की मुख्य उपलब्धि आपसी सहयोग के क्षेत्र में दक्षिण एशियाई वरीयता व्यापार व्यवस्था (साप्टा) पर सदस्य राष्ट्रों की सहमति है। सभी सदस्य राज्यों ने वर्ष 1995 को ‘दक्षेस ग़रीबी उन्मूलन वर्ष’ मनाने का फैसला किया। नौवां शिखर सम्मेलन-मई, 1997 में मालदीव की राजधानी माले में सार्क का नौवां शिखर सम्मेलन हुआ। माले शिखर सम्मेलन में सन् 2001 तक दक्षेस में मुक्त व्यापार क्षेत्र (SAFTA) स्थापित करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया।

दक्षेस का दसवां शिखर सम्मेलन-दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन का दसवां शिखर सम्मेलन तीन दिन के लिए कोलम्बो में 28 जुलाई, 1998 को प्रारम्भ हुआ और 31 जुलाई को समाप्त हुआ। दक्षेस ने सदस्य देशों की सभी क्षेत्रों में स्मृद्धि के लिए व्यापक आर्थिक और सामाजिक कार्यसूची की घोषणा की। सदस्य देशों ने परमाणु हथियारों को पूरी तरह से नष्ट करने और प्रभावशाली अन्तर्राष्ट्रीय नियन्त्रण के तहत विश्वभर में परमाणु नि:शस्त्रीकरण को बढ़ावा देने की आवश्यकता की अपनी वचनबद्धता को दोहराया।

दक्षेस का 11वां शिखर सम्मेलन-दक्षेस का 11वां शिखर सम्मेलन नेपाल की राजधानी काठमांडू में भारत एवं पाकिस्तान के तनाव के बीच 5 एवं 6 फरवरी, 2002 को हुआ। इस सम्मेलन में अनेक महत्त्वपूर्ण निर्णय लिये गये, जैसे कि आतंकवाद को समाप्त करने एवं दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार क्षेत्र (साफ्टा) को शीघ्र लागू करने के फैसले लिए। इसके अतिरिक्त महिलाओं की खरीद-फरोख्त पर रोक और एड्स के मुकाबले के लिए सामूहिक पहल की बात भी दक्षेस घोषणा में कही गई।

12वां सार्क शिखर सम्मेलन, जनवरी-2004:
‘दक्षेस’ देशों का 12वां शिखर सम्मेलन 4 जनवरी, 2004 को इस्लामाबाद (पाकिस्तान) में हुआ। इस सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया। सम्मेलन के अन्त में 11 पृष्ठों का एक साझा घोषणा-पत्र (इस्लामाबाद घोषणा-पत्र) जारी किया गया। इस सम्मेलन की प्रमुख बातें निम्नलिखित रहीं

  • दक्षिणी एशियाई मुक्त व्यापार व्यवस्था’ (साफ्टा) को मन्जूरी दी गई। यह समझौता 1 जनवरी, 2006 से लागू होगा।
  • दक्षिणी एशिया से ग़रीबी, पिछड़ापन आदि दूर करने के लिए सामाजिक घोषणा-पत्र जारी किया गया।
  • 1987 में किए गए आतंकवाद निरोधक सार्क समझौते की समीक्षा की गई तथा आतंकवाद पर प्रभावी रोकथाम लगाने पर सहमति हुई।
  • दक्षेस पुरस्कार आरम्भ करने का निर्णय लिया गया।

13वां सार्क शिखर सम्मेलन:
सार्क का 13वां शिखर सम्मेलन नवम्बर, 2005 में ढाका में हुआ। इस सम्मेलन में एक जुट होकर आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष करने की घोषणा की गई।

14वां सार्क शिखर सम्मेलन:
सार्क का 14वां शिखर सम्मेलन अप्रैल, 2007 में भारत में हुआ। इस सम्मेलन में अफगानिस्तान को सार्क का आठवां सदस्य बनाया गया।

15वां सार्क शिखर सम्मेलन:
सार्क का 15वां शिखर सम्मेलन अगस्त, 2008 में श्रीलंका में हुआ। इस सम्मेलन में सार्क क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने एवं आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष करने की घोषणा की गई।

16वां सार्क शिखर सम्मेलन:
सार्क का 16वां शिखर सम्मेलन 28-29 अप्रैल, 2010 को भूटान की राजधानी थिम्पू में हुआ। सम्मेलन के दौरान 2011-2020 के दशक को ‘डिकेड ऑफ़ इन्ट्रीजनल कनेक्टिविटी इन सार्क के रूप में मानने का निर्णय लिया गया। सम्मेलन में आतंकवाद की आलोचना करते इसे समाप्त करने के लिए पारस्परिक सहयोग पर जोर दिया गया।

17वां सार्क शिखर सम्मेलन:
सार्क का 17वां शिखर सम्मेलन 10-11 नवम्बर, 2011 को मालदीव में हुआ। इस सम्मेलन में राष्ट्रों के आपसी व्यापार, आपदा प्रबन्धन, समुद्री दस्युओं से निपटने की समस्या व वैश्विक आर्थिक संकट के मुद्दों पर चर्चा हुई।

18वां सार्क शिखर सम्मेलन:
सार्क का 18वां शिखर सम्मेलन 26-27 नवम्बर, 2014 में नेपाल में हुआ। शिखर सम्मेलन के घोषणा-पत्र में 36 बिन्दुओं पर 15 साल के भीतर सहमति बनाते हुए आगे बढ़ने पर जोर दिया गया है। इसमें सार्क देशों में आतंकवाद, उग्रवाद और धार्मिक अतिवाद नियंत्रण के लिए तंत्र विकसित करने का उल्लेख किया गया है। साथ ही वीजा सरलीकरण एवं जन-सम्पर्क बढ़ाने पर जोर दिया गया है।

भारत की भूमिका:

  • सार्क का दूसरा सम्मेलन 1986 में श्री राजीव गांधी की अध्यक्षता में बैंगलौर में हुआ।
  • 1987 में भारत ने सार्क को ₹ 150 लाख की मदद दी।
  • सार्क द्वारा संरक्षित अन्न भण्डार कायम करने के लिए भारत ने 1,53,200 टन खाद्यान्न का योगदान दिया।
  • 1992 में दिल्ली में सार्क का प्रथम सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन हुआ।
  • पहली दक्षेस विदेश मन्त्रियों की बैठक 1996 को दिल्ली में हुई।
  • सार्क व्यापार मेले का आयोजन भी भारत में किया गया।
  • भारत ने सार्क देशों के समक्ष द्विपक्षीय मुक्त व्यापार का प्रस्ताव रखा।
  • भारत, नेपाल एवं भूटान के साथ मुक्त व्यापार कर रहा है।

लघु उत्तरीय प्रश्न 

प्रश्न 1.
दक्षिण एशिया से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
दक्षिण एशिया, एशिया महाद्वीप के दक्षिण में स्थित है। इसके उत्तर में हिमालय पर्वत, दक्षिण में हिन्द महासागर, पश्चिम में अरब सागर तथा पूर्व में बंगाल की खाड़ी स्थित है। इस क्षेत्र में भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल तथा श्रीलंका को शामिल किया जाता है। अफ़गानिस्तान तथा म्यांयार को भी प्रायः दक्षिण एशिया में ही मान लिया जाता है।

प्रश्न 2.
‘सार्क’ (SAARC) की स्थापना पर एक टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
सार्क दक्षिण एशिया के आठ देशों का एक सहयोग संगठन है। इस संगठन की स्थापना 1-2 अगस्त, 1983 को सात देशों के विदेश मन्त्रियों की नई दिल्ली की बैठक में की गई। दक्षेस का प्रथम शिखर सम्मेलन 7-8 दिसम्बर, 1985 को ढाका में हुआ। इस प्रकार औपचारिक रूप से सार्क की स्थापना हुई। दक्षेस के सदस्य हैं भारत, मालदीव, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, भूटान और नेपाल। अप्रैल, 2007 में दिल्ली में हुए 14वें सार्क शिखर सम्मेलन में अफगानिस्तान को सार्क का आठवां सदस्य बनाया गया था।

प्रश्न 3.
सार्क के मुख्य उद्देश्य क्या हैं ?
अथवा
सार्क (SAARC) के मुख्य उद्देश्यों का वर्णन करें।
उत्तर:

  • दक्षिण एशिया के राज्यों में सहयोग बढ़े और एक-दूसरे के विकास में सकारात्मक सहायता प्रदान करें।
  • दक्षेस के राज्य अपनी आपसी समस्याओं का समाधान शान्तिपूर्ण ढंग से करें।
  • क्षेत्र की अधिक-से-अधिक सामाजिक और सांस्कृतिक उन्नति करना।
  • दक्षिण एशिया के देशों में सामूहिक आत्म-विश्वास पैदा करना।
  • अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों में आपसी सहयोग को मज़बूत करना।
  • अन्य क्षेत्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों में सहयोग करना।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 5 समकालीन दक्षिण एशिया

प्रश्न 4.
दक्षेस (SAARC) का क्या अर्थ है ? इसके महत्त्व का वर्णन करें।
उत्तर:
सार्क दक्षिण एशिया के आठ देशों का एक सहयोग संगठन है। इस संगठन की स्थापना अगस्त, 1983 में सात देशों के विदेश मन्त्रियों की नई दिल्ली में बैठक की गई। दक्षेस का प्रथम शिखर सम्मेलन दिसम्बर, 1985 में ढाका (बांग्ला देश) में हुआ। इस प्रकार 1985 में सार्क की औपचारिक स्थापना हो गई। सार्क का मुख्य उद्देश्य दक्षिण एशिया के राष्ट्रों की समस्याओं को शान्तिपूर्ण ढंग से निपटाना है और इन राष्ट्रों में राजनीतिक, सामाजिक तथा आर्थिक क्षेत्रों में विकास करना है।

महत्त्व:

  • सार्क के कारण दक्षिण एशिया के देश एक-दूसरे के समीप आए हैं और कुछ सामान्य समस्याओं को हल करने में सार्क सफल रहा है।
  • क्षेत्र के बाहर के देशों का हस्तक्षेप काफ़ी कम हो गया है।

प्रश्न 5.
दक्षिण एशियाई अधिमानिक व्यापार व्यवस्था (SAPTA) पर संक्षिप्त नोट लिखिए।
उत्तर:
दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) के सभी सदस्य देशों ने प्रारम्भ से ही व्यापारिक उद्देश्यों के लिए आपस में सहयोग करने पर बल दिया है। विशेषतया 90 के दशक में एशियाई क्षेत्र के देशों के लिए आर्थिक एवं व्यापारिक क्षेत्रों में सहयोग करना और भी आवश्यक था क्योंकि इस दौरान यूरोप व विश्व के भागों में व्यापारिक उद्देश्यों के लिए क्षेत्रीय संगठन बन रहे थे।

इससे दक्षिणी एशिया के देशों को उनके साथ व्यापार करने में अनेक बाधाओं का सामना करना पड़ रहा था। इस दृष्टि से 1993 में ढाका शिखर सम्मेलन में सार्क देशों ने आपस में एक ‘सुपर बाज़ार’ स्थापित करने पर बल दिया। इस सम्मेलन में सदस्य देशों ने ‘दक्षिण एशियाई वरीयता व्यापार व्यवस्था’ (साप्टा) पर हस्ताक्षर किए।

दिसम्बर, 1995 तक सभी सदस्य देशों ने साप्टा को स्वीकृति प्रदान कर दी और यह अस्तित्व में आया। ‘साप्टा’ के अन्तर्गत देशों ने आपसी व्यापार पर से विभिन्न वस्तुओं पर से मात्रात्मक एवं गुणात्मक प्रतिबन्ध हटा लिए हैं। अनेक व्यापारिक बाधाओं को हटा लिया गया है। इससे सार्क देशों के बीच सहयोग बढ़ने में सहायता मिली है।

प्रश्न 6.
दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र (SAFTA) पर टिप्पणी लिखिए।
अथवा
‘साफ्टा’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
‘साफ्टा’ का उद्देश्य सार्क देशों के मध्य व्यापारिक सहयोग को बढ़ाकर एक ‘दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार क्षेत्र’ (साफ्टा) की स्थापना करना है। मुक्त व्यापार क्षेत्र से अभिप्राय सदस्य देशों के बीच ऐसे व्यापार से है जो कस्टम और प्रशुल्क के प्रतिबन्धों से मुक्त हो अर्थात् ऐसा क्षेत्र जिसमें वस्तुओं का स्वतन्त्र आवागमन हो। ‘साफ्टा’ की स्थापना इसी उद्देश्य के लिए की गई थी।

यह भी आशा की गई थी कि 21वीं शताब्दी के शुरू होने से पहले ‘साप्टा’ का स्थान साफ्टा ले लेगा। सार्क के 10वें शिखर सम्मेलन (ढाका) में यह निर्णय लिया गया कि ‘साफ्टा’ के सम्बन्ध में एक विशेषज्ञ समिति की स्थापना की जाए जो 2001 की एक सन्धि तक पहुंचने के लिए अपना निष्कर्ष दे। जनवरी, 2004 में इस्लामाबाद (पाकिस्तान) में हुए 12वें सार्क शिखर सम्मेलन में सदस्य देशों ने दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र (साफ्टा) समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते के लागू होने से यह आशा की जा सकती है कि इससे दक्षिण एशिया की अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।

प्रश्न 7.
सार्क देशों के सम्मुख उपस्थित किन्हीं चार समस्याओं का वर्णन कीजिए।
अथवा
दक्षेस (सार्क) की किन्हीं चार प्रमुख समस्याओं का वर्णन करें।
अथवा
दक्षेस (सार्क) के सामने मुख्य समस्याएं क्या हैं ? उनका वर्णन कीजिए।
उत्तर:

  • सार्क की सफलता में सदैव भारत-पाक के कटु सम्बन्ध रुकावट पैदा करते हैं।
  • सार्क के सदस्य देश भारत जैसे बड़े देश पर पूर्ण विश्वास नहीं रख पा रहे हैं।
  • सार्क के अधिकांश देशों में आन्तरिक अशान्ति एवं अस्थिरता इसके मार्ग में रुकावट है।
  • सार्क देशों में अधिक मात्रा में अनपढ़ता, बेरोज़गारी तथा भूखमरी पाई जाती है, जोकि इसकी सफलता में बाधा पैदा करती है।

प्रश्न 8.
सार्क के सचिवालय की रचना का वर्णन करें।
उत्तर:

  • सार्क के चार्टर के अनुच्छेद 8 में सचिवालय की व्यवस्था की गई है। 16 जनवरी, 1987 को बैंगलौर (बंगलुरु) में हुए दूसरे सार्क सम्मेलन में सचिवालय की स्थापना की घोषणा की गई।
  • सार्क का सचिवालय नेपाल की राजधानी काठमाण्डू में बनाया गया है।
  • सार्क का एक महासचिव होता है, जोकि दो वर्ष के लिए सदस्य राष्ट्रों में से ही चुना जाता है।
  • सचिवालय अपने कार्यों को सात विभागों के माध्यम से सम्पन्न करता है।

प्रश्न 9.
‘शिमला समझौते’ पर एक संक्षिप्त लेख लिखें।
उत्तर:
दिसम्बर, 1971 में भारत ने पाकिस्तान को युद्ध में ऐतिहासिक मात दी। इस युद्ध के पश्चात् 3 जुलाई, 1972 को भारत-पाकिस्तान ने शिमला में एक समझौते पर हस्ताक्षर किये, जिसे शिमला समझौता कहा जाता है। इस समझौते की प्रमुख शर्ते इस प्रकार हैं

  • दोनों राष्ट्र अपने पारस्परिक झगड़ों को द्विपक्षीय बातचीत और मान्य शान्तिपूर्ण ढंगों से हल करने के लिए दृढ़-संकल्प हैं।
  • दोनों राष्ट्र एक-दूसरे की राष्ट्रीय एकता, क्षेत्रीय अखण्डता, राजनीतिक स्वतन्त्रता और सार्वभौम समानता का सम्मान करेंगे।
  • दोनों राष्ट्र एक-दूसरे की क्षेत्रीय अखण्डता और राजनीतिक स्वतन्त्रता के विरुद्ध बल प्रयोग या धमकी का प्रयोग नहीं करेंगे।
  • दोनों देशों द्वारा परस्पर विरोधी प्रचार नहीं किया जाएगा।
  • दोनों देश परस्पर सामान्य सम्बन्ध स्थापित करने के लिए प्रयत्न करेंगे।

प्रश्न 10.
दक्षिण एशिया में आर्थिक वैश्वीकरण के कोई चार प्रभाव लिखें।
उत्तर:

  • आर्थिक वैश्वीकरण के कारण दक्षिण एशिया में आर्थिक सुधार की प्रक्रिया शुरू हुई।
  • आर्थिक वैश्वीकरण के कारण इस क्षेत्र में सूचना क्रान्ति एवं प्रौद्योगिकी का विकास एवं विस्तार हुआ।
  • आर्थिक वैश्वीकरण के कारण इस क्षेत्र में निजी क्षेत्र को बढ़ावा मिला।
  • आर्थिक वैश्वीकरण के कारण इस क्षेत्र में विदेशी निवेश बढ़ा है।

प्रश्न 11.
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के कोई चार कारण बताइए।
उत्तर:
(1) कश्मीर के विषय में दोनों के विचार परस्पर विरोधी हैं तथा कश्मीर की समस्या का समाधान असम्भव प्रतीत होता है।

(2) पाकिस्तान अधिक मात्रा में अमेरिका से सैनिक सहायता प्राप्त करता है, जिसका भारत ने सदा विरोध किया है।

(3) पाकिस्तान भारत को आरम्भ से ही अपना राजनीतिक शत्रु मानता है तथा पाकिस्तान शासक स्वयं को शासन गद्दी पर सुशोभित रखने के लिए भारत विरोधी प्रचार करके पाकिस्तानी लोगों की भावनाओं को प्रायः उत्तेजित करते रहते हैं।

(4) पाकिस्तान की भारत के प्रति आतंकवादी गतिविधियां दोनों देशों में तनाव का कारण बनी रहती हैं।

प्रश्न 12.
दक्षेस (सार्क) की समस्याओं को दूर करने के लिये कोई चार सुझाव दीजिये।
अथवा
दक्षेस (SAARC) को सफल बनाने के लिए कोई चार सुझाव दीजिए।
उत्तर:

  • दक्षेस देशों को विश्वास बहाली प्रक्रिया के अन्तर्गत प्रतिरक्षा पर होते व्यय को कम करना चाहिए।
  • क्षेत्र में सांस्कृतिक सम्पर्क के कार्यक्रमों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
  • टकराव एवं द्वेष पैदा करने वाले मुद्दों को हल करने का प्रयास करना चाहिए।
  • दक्षेस देशों में व्याप्त ग़रीबी, भुखमरी, अशिक्षा, अन्धविश्वास एवं सामाजिक कुरीतियों इत्यादि को दूर करना चाहिए।

प्रश्न 13.
पाकिस्तान में लोकतन्त्र की असफलता के किन्हीं चार कारणों का वर्णन करें।
उत्तर:
पाकिस्तान में लोकतन्त्र की असफलता के निम्नलिखित कारण हैं

  • पाकिस्तान में लोकतन्त्र के मार्ग में सेना ने सदैव बाधा उत्पन्न की है।
  • पाकिस्तान में धार्मिक कट्टरता ने भी लोकतन्त्र को सफलतापूर्वक कार्य नहीं करने दिया।
  • पश्चिमी देशों ने अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए पाकिस्तान में लोकतन्त्र को सफल नहीं होने दिया।
  • पाकिस्तान में लोकतन्त्र की असफलता का एक अन्य कारण उसकी आन्तरिक ढांचागत संरचना है।

प्रश्न 14.
पाकिस्तान में सैनिक शासन की व्याख्या करें।
उत्तर:

  • पाकिस्तान में संविधान निर्माण के पश्चात् सैनिक शासक जनरल अयूब खान ने शासन पर अपना अधिकार जमा लिया।
  • अयूब खान के पश्चात् जनरल याहिया खान ने शासन सम्भाल लिया।
  • 1977 में जनरल जिया उल हक ने लोकतान्त्रिक सरकार को हटाकर शासन प्रणाली की बागडोर अपने हाथों में ले ली।
  • 1999 में जनरल परवेज मुशर्रफ ने प्रधानमन्त्री नवाज शरीफ का तख्ता पलट कर अपनी तानाशाही स्थापित कर ली।

प्रश्न 15.
बांग्लादेश में सैनिक शासन की व्याख्या करें।
उत्तर:
सन् 1975 में शेख मुजीबुर्रहमान ने संविधान में संशोधन करके संसदीय शासन प्रणाली की जगह अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली को अपनाया। उन्होंने अपनी अवामी लीग पार्टी को छोड़ कर बाकी सभी पार्टियों को समाप्त कर दिया। परन्तु अगस्त, 1975 में सेना ने उनके खिलाफ बगावत करके उन्हें जान से मार दिया। इसके पश्चात् सैनिक शासक जियाउर्रहमान बांग्लादेश के शासक बने, परन्तु कुछ समय पश्चात् उनकी भी हत्या कर दी गई तथा उनके स्थान पर लेफ्टीनेंट जनरल एच० एम० इरशाद ने बांग्लादेश में सैनिक शासन कायम किया। जनरल इरशाद 1990 तक बांग्लादेश पर शासन करते रहे।

प्रश्न 16.
भारत सरकार किन कारणों से बांग्लादेश सरकार से अप्रसन्न रहती है ?
उत्तर:
भारत सरकार निम्नलिखित कारणों से बांग्लादेश सरकार से नाराज़ रहती है

  • भारत में अवैध रूप से लाखों बांग्लादेशी रह रहे हैं, जिन पर बांग्लादेश की सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही है।
  • बांग्लादेश में भारत विरोधी कट्टरपंथी बढ़ते जा रहे हैं।
  • बांग्लादेश सरकार द्वारा भारतीय सेना को अपने क्षेत्र के प्रयोग की मनाही करना।
  • भारत एवं म्यांमार के बीच प्राकृतिक गैस समझौते को पूरा न होने देना।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न 

प्रश्न 1.
दक्षिण एशिया को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
दक्षिण एशिया सात देशों भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल तथा श्रीलंका का एक समूह है, जोकि एक ही भू-राजनीतिक धरातल पर स्थित है, परन्तु प्रत्येक देश अपनी विविधताओं एवं संस्कृतियों के कारण अपना विशिष्ट एवं विभिन्न स्थान रखता है।

प्रश्न 2.
सार्क (दक्षेस) से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
सार्क दक्षिण एशिया के आठ देशों का एक सहयोग संगठन है। इस संगठन की स्थापना 1985 में ढाका में की गई। सार्क में भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल, श्रीलंका तथा अफगानिस्तान शामिल हैं। इस संगठन की स्थापना का मुख्य उद्देश्य सदस्य में आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है।

प्रश्न 3.
दक्षेस (SAARC) के कोई दो उद्देश्य लिखिए।
अथवा
‘सार्क’ (SAARC) की स्थापना के कोई दो उद्देश्य लिखिए।
उत्तर:

  • सार्क का मुख्य उद्देश्य यह है कि दक्षिण एशिया के राज्यों में सहयोग बढ़े और एक-दूसरे के विकास में सकारात्मक सहायता प्रदान करें।
  • सार्क का एक अन्य महत्त्वपूर्ण उद्देश्य यह है कि सार्क के सदस्य देश अपनी आपसी समस्याओं का समाधान शांतिपूर्ण ढंग से करें।

प्रश्न 4.
सार्क (SAARC) का क्षेत्रीय सहयोग के साधन के रूप में क्या प्रभाव पड़ा है ?,
उत्तर:

  • सार्क के कारण दक्षिण एशियाई देश एक-दूसरे के समीप आए हैं और कुछ सामान्य समस्याओं को हल करने में सार्क सफल रहा है।
  • क्षेत्र के बाहर के देशों का हस्तक्षेप काफ़ी कम हो गया है।
  • सार्क ने एक संरक्षित अन्न भण्डार की स्थापना की है जो सदस्य राष्ट्रों की आत्म-निर्भरता का सूचक है।

प्रश्न 5.
सीमा पारीय आतंकवाद पर नोट लिखिए।
उत्तर:
भारत पाकिस्तान की ओर से सीमा पारीय आतंकवाद से लम्बे समय से ग्रसित हैं। पाकिस्तान भारत को अस्थिर करने के लिए अपने यहां आतंकवादियों को प्रशिक्षित करके, उन्हें सीमा पार अर्थात् भारत भेज देता है, जो भारत आकर निर्दोष लोगों की हत्याएं करते हैं।

प्रश्न 6.
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के कोई दो कारण लिखें।
उत्तर:
भारत और पाकिस्तान में कभी भी मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध नहीं रहे। इन दोनों में तनाव के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं

(1) भारत-पाक सम्बन्धों में तनाव का एक महत्त्वपूर्ण कारण कश्मीर का मामला है। पाकिस्तान के नेताओं ने कई बार कश्मीर के मामले को संयुक्त राष्ट्र में उठाया है जिसे भारत नापसंद करता है।

(2) भारत और पाकिस्तान में तनावपूर्ण सम्बन्धों का एक कारण यह है कि पाकिस्तान पिछले कई वर्षों से पंजाब और कश्मीर के आतंकवादियों की सभी तरह से सहायता कर रहा है।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 5 समकालीन दक्षिण एशिया

प्रश्न 7.
फरवरी, 1996 में भारत और नेपाल के बीच हुई सन्धि का महत्त्व लिखें।
उत्तर:
फरवरी, 1996 में भारत और नेपाल में महाकाली घाटी के समन्वित विकास के लिए एक महत्त्वपूर्ण सन्धि पर हस्ताक्षर करके विकास का मार्ग प्रशस्त किया। इस सन्धि से दोनों देशों के बीच चला आ रहा विवाद समाप्त हो गया। इस सन्धि के बाद उम्मीद की जा रही है कि सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रों में दोनों देशों में अधिक समीपता आएगी। आर्थिक क्षेत्रों में भी दोनों देशों का विकास होगा।

प्रश्न 8.
‘सार्क’ देशों की एकजुटता में आने वाली किन्हीं दो बाधाओं या समस्याओं का उल्लेख करें।
उत्तर:

  • सार्क देशों की एकजुटता में सदा ही भारत-पाकिस्तान के कटु सम्बन्ध बाधा पैदा करते हैं।
  • सार्क के सदस्य देश भारत जैसे बड़े देश पर विश्वास नहीं कर पाते।

प्रश्न 9.
मार्च, 1972 में भारत और बांग्लादेश के बीच हुई 25 वर्ष की सन्धि की कोई दो बातें बताइए।
उत्तर:

  • दोनों देश एक-दूसरे की अखण्डता का सम्मान करेंगे।
  • दोनों देश एक-दूसरे के आन्तरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे।

प्रश्न 10.
‘शिमला समझौता’ कब और किन के बीच हुआ ?
उत्तर:
शिमला समझौता 3 जुलाई, 1972 को भारत एवं पाकिस्तान के बीच हुआ।

प्रश्न 11.
सार्क को प्रभावशाली बनाने के लिए भारत द्वारा किए गए कोई दो प्रयास बताएँ।
उत्तर:

  • भारत ने 1987 में सार्क को 150 लाख रुपये की मदद दी।
  • भारत ने सार्क द्वारा संरक्षित अन्न भण्डार कायम करने के लिए 153200 टन खाद्यान्न का योगदान दिया।

प्रश्न 12.
दक्षिण एशियाई अधिमानिक व्यापार व्यवस्था (SAPTA) की व्याख्या करें।
उत्तर:
दक्षिण एशियाई अधिमानिक व्यापार व्यवस्था (SAPTA) जनवरी, 1996 में अस्तित्व में आया। साप्टा के अन्त में सार्क देशों ने आपसी व्यापार पर से विभिन्न वस्तुओं पर से मात्रात्मक एवं गुणात्मक प्रतिबन्ध हटा लिए हैं। इसके अन्तर्गत सार्क देशों ने अनेक व्यापारिक बाधाओं को हटा लिया, जिससे इन देशों में आर्थिक सहयोग को बढ़ावा मिला।

प्रश्न 13.
दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र (SAFTA) की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
‘साफ्टा’ का उद्देश्य सार्क देशों के मध्य व्यापारिक सहयोग को बढ़ाकर एक ‘दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार क्षेत्र’ की स्थापना करना है। मुक्त व्यापार क्षेत्र से अभिप्राय सदस्य देशों के बीच ऐसे व्यापार से है, जो कस्टम और प्रशुल्क के प्रतिबन्धों से मुक्त हों अर्थात् ऐसा क्षेत्र जिसमें वस्तुओं का स्वतन्त्र आवागमन हो।

प्रश्न 14.
भारत एवं श्रीलंका के बीच किन्हीं दो समान विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर:

  • भारत एवं श्रीलंका दोनों ही इंग्लैण्ड के उपनिवेश रहे हैं तथा दोनों देशों को दूसरे विश्व युद्ध के बाद स्वतन्त्रता प्राप्त हुई।
  • स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् दोनों ही देशों ने सफलतापूर्वक लोकतान्त्रिक व्यवस्था की स्थापना की।

प्रश्न 15.
नेपाल की शासन व्यवस्था की व्याख्या करें। नेपाल एवं बांग्लादेश की शासन व्यवस्थाओं का उदाहरण देते हुए बताएं कि दक्षिण एशियाई लोग किस प्रकार की शासन व्यवस्था चाहते हैं ?
उत्तर:
नेपाल में 2006 तक संवैधानिक राजतन्त्र था तथा राजा ही सभी शक्तियों का स्वामी था तथा राजा ने कई बार सरकार को बर्खास्त करके कार्यपालिका शक्तियां भी अपने हाथों में ले ली थीं। परंतु नेपाल के नागरिकों राजनीतिक दलों ने 2008 में वहां पर प्रजातान्त्रिक शासन व्यवस्था की स्थापना की। नेपाल एवं बांग्लादेश के उदाहरणों से स्पष्ट है कि दक्षिण एशियाई लोग लोकतान्त्रिक व्यवस्था चाहते हैं।

प्रश्न 16.
(क) SAFTA और (ख) SAARC का पूरा नाम लिखें। सार्क की स्थापना का मुख्य कारण क्या है ?
उत्तर:
(क) SAFTA-South Asia Free Trade Agreement.
(ख) SAARC-South Asian Association for Regional Cooperation. सार्क की स्थापना का कारण-सार्क की स्थापना का मुख्य कारण दक्षिण एशिया के देशों का आर्थिक विकास करना है।

प्रश्न 17.
भारत के कोई चार पड़ोसी देशों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  • चीन
  • पाकिस्तान
  • नेपाल
  • बांग्लादेश।

प्रश्न 18.
बांग्लादेश की स्थापना कब हुई ? इसका मुख्य कारण क्या था ?
उत्तर:
बांग्लादेश की स्थापना सन् 1971 में हुई। 1971 से पहले बांग्लादेश पाकिस्तान का ही एक भाग था। 1971 में पाकिस्तानी शासकों के तानाशाही रवैये के विरुद्ध बांग्लादेशियों ने आन्दोलन किया जिसे पाकिस्तान सरकार ने दबाने का भरपूर प्रयास किया। परन्तु भारत ने पाकिस्तान को युद्ध में हराकर बांग्लादेश राज्य की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्रश्न 19.
शान्ति सेना क्या थी, इसे सफलता क्यों नहीं मिली ?
उत्तर:
1987 में भारत-श्रीलंका के बीच हुए समझौते के अनुसार भारत ने लिट्टे के विरुद्ध अपनी सेनाएं भेजी, जिसे शांति सेना कहा जाता है। परन्तु धीरे-धीरे श्रीलंका में ही इस शांति सेना का विरोध होने लगा, परिणामस्वरूप 1989 से शान्ति सेना वापस भारत आने लगी।

प्रश्न 20.
श्रीलंका में जातीय संघर्ष के कोई दो कारण लिखिये।
उत्तर:

  • श्रीलंका में बहुसंख्यक सिंहलियों ने धर्म और भाषा के आधार पर एक नए राज्य के निर्माण के प्रयास शुरू किये गए, जिसका तमिलों ने विरोध किया।
  • श्रीलंका सरकार की तमिलों के प्रति भेदभाव तथा उपेक्षा की नीति ने भी जातीय संघर्ष को बढ़ाया।

प्रश्न 21.
दक्षिण एशिया में शान्ति की स्थापना के दो उपाय लिखिए।
उत्तर:
दक्षिण एशिया में निम्नलिखित ढंग से शान्ति स्थापना की जा सकती है

1. राजनीतिक स्थिरता-दक्षिण एशिया के अधिकांश देशों में राजनीतिक अस्थिरता पाई जाती है। अत: दक्षिण एशिया में शान्ति स्थापना के लिए आवश्यक है कि इन देशों में राजनीतिक स्थिरता पैदा की जाए।

2. आतंकवाद की समाप्ति-प्रायः सभी दक्षिण एशियाई देश आतंकवाद से प्रभावित हैं। अत: दक्षिण एशिया में शान्ति स्थापना के लिए आतंकवाद की समाप्ति आवश्यक है।

प्रश्न 22.
पाकिस्तान की स्थापना कब हुई थी ? इसका मुख्य कारण क्या था ?
उत्तर:
पाकिस्तान की स्थापना सन् 1947 में हुई। इसकी स्थापना का मुख्य कारण मुस्लिम लीग की हठधर्मिता एवं जिन्नाह का द्वि-राष्ट्र का सिद्धान्त था।

प्रश्न 23.
पाकिस्तान में लोकतन्त्रीकरण के मार्ग की कोई दो कठिनाइयां लिखिये।
उत्तर:

  • पाकिस्तान में सेना का प्रभाव बहुत अधिक है।
  • पाकिस्तान में धार्मिक कट्टरता अधिक पाई जाती है।

प्रश्न 24.
फरक्का समस्या का संबंध किन दो देशों से है ?
उत्तर:
फरक्का समस्या का संबंध भारत एवं बांग्लादेश से है।

प्रश्न 25.
‘सार्क’ (SAARC) के प्रारम्भिक सदस्य देशों की संख्या कितनी थी? इनके नाम लिखें।
उत्तर:
सार्क प्रारम्भिक सदस्य देशों की संख्या सात थी, जिसमें भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालद्वीप, नेपाल तथा श्रीलंका शामिल हैं।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. निम्नलिखित में से कौन-सा देश दक्षिण एशिया के देशों में शामिल हैं
(A) भारत
(B) पाकिस्तान
(C) श्रीलंका
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

2. सार्क एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय संगठन है
(A) यूरोप का
(B) दक्षिण एशिया का
(C) अफ्रीका का
(D) दक्षिण अमेरिका।
उत्तर:
(B) दक्षिण एशिया का।

3. 14वें सार्क सम्मेलन में किस देश को सार्क में शामिल किया गया ?
(A) अफ़गानिस्तान
(B) भारत
(C) चीन
(D) पाकिस्तान।
उत्तर:
(A) अफ़गानिस्तान।

4. वर्तमान में नेपाल किस प्रकार का राष्ट्र है ?
(A) हिन्दू राष्ट्र
(B) मुस्लिम राष्ट्र
(C) ईसाई राष्ट्र
(D) धर्म-निरपेक्ष राष्ट्र।
उत्तर:
(D) धर्म-निरपेक्ष राष्ट्र।

5. भारतीय संसद् पर आतंकवादी हमला कब हुआ ?
(A) 13 दिसम्बर, 1999 को
(B) 11 जनवरी, 2001 को
(C) 13 दिसम्बर, 2001 को
(D) 11 जनवरी, 2002 को।
उत्तर:
(C) 13 दिसम्बर, 2001 को।

6. सार्क की स्थापना कब की गई थी ?
(A) 1990
(B) 1985
(C) 1980
(D) 1979.
उत्तर:
(B) 1985.

7. ‘सार्क’ (SAARC) का प्रथम शिखर सम्मेलन निम्नलिखित देश में हुआ
(A) भारत में
(B) पाकिस्तान में
(C) बांग्लादेश में
(D) श्रीलंका में।
उत्तर:
(C) बांग्लादेश में।

8. ‘सार्क’ (SAARC) का मुख्यालय स्थित है
(A) नई दिल्ली (भारत) में
(B) कराची (पाकिस्तान) में
(C) काठमांडू (नेपाल) में
(D) कोलम्बो (श्रीलंका) में।
उत्तर:
(C) काठमांडू (नेपाल) में।

9. परवेज मुशर्रफ ने किस वर्ष प्रधानमन्त्री नवाज शरीफ का तख्ता पलट किया था ?
(A) 1999 में
(B) 2000 में
(C) 2001 में
(D) 2002 में।
उत्तर:
(A) 1999 में।

10. नेपाल में लोगों ने किस वर्ष राजतन्त्र के विरुद्ध सफल आन्दोलन किया ?
(A) 2007 में
(B) 2005 में
(C) 2006 में
(D) 2004 में।
उत्तर:
(C) 2006 में।

11. दक्षिण एशियाई देशों में सबसे लोकप्रिय खेल कौन-सा है ?
(A) हॉकी
(B) फुटबाल
(C) क्रिकेट
(D) बॉक्सिंग।
उत्तर:
(C) क्रिकेट।

12. मालदीव कब गणतन्त्र बना ?
(A) 1968 में
(B) 1969 में
(C) 1970 में
(D) 1971 में।
उत्तर:
(A) 1968 में।

13. श्रीलंका ने किस वर्ष स्वतन्त्रता प्राप्त की?
(A) 1947 में
(B) 1957 में
(C) 1948 में
(D) 1958 में।
उत्तर:
(C) 1948 में।

14. 1965 में भारत पर किस देश ने आक्रमण किया था ?
(A) पाकिस्तान
(B) चीन
(C) अमेरिका
(D) इरान।
उत्तर:
(A) पाकिस्तान।

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15. बांग्लादेश की स्थापना हुई :
(A) सन् 1950 में
(B) सन् 1965 में
(C) सन् 1971 में
(D) सन् 1981 में।
उत्तर:
(C) सन् 1971 में।

16. 1971 में बांग्लादेश के मुद्दे पर किस देश ने भारत पर आक्रमण किया ?
(A) श्रीलंका
(B) पाकिस्तान
(C) अमेरिका
(D) जापान।
उत्तर:
(B) पाकिस्तान।

17. निम्नलिखित में से कौन-सा भारत का पड़ोसी देश है ?
(A) पाकिस्तान
(B) अमेरिका
(C) इंग्लैण्ड
(D) रूस।
उत्तर:
(A) पाकिस्तान।

18. निम्न में से एक भारत का पड़ोसी देश नहीं है?
(A) पाकिस्तान
(B) चीन
(C) जापान
(D) बांग्लादेश।
उत्तर:
(C) जापान।

19. भारत का विभाजन कब हुआ ?
(A) 1919
(B) 1945
(C) 1949
(D) 1947.
उत्तर:
(D) 1947.

20. भारत के विभाजन से कौन-सा नया देश अस्तित्व में आया ?
(A) रूस
(B) जर्मनी
(C) पाकिस्तान
(D) जापान।
उत्तर:
(C) पाकिस्तान।

21. सन् 1971 में भारत-पाक युद्ध के समय भारत का प्रधानमन्त्री कौन था ?
(A) जवाहर लाल नेहरू
(B) इन्दिरा गांधी
(C) मोरारजी देसाई
(D) चरण सिंह।
उत्तर:
(B) इन्दिरा गांधी।

22. शिमला समझौता कब हुआ ?
(A) सन् 1962 में
(B) सन् 1972 में
(C) सन् 1974 में
(D) सन् 1976 में।
उत्तर:
(B) सन् 1972 में।

23. ‘शिमला समझौता’ किनके बीच हुआ था?
(A) भारत-चीन के
(B) चीन-पाकिस्तान के
(C) भारत-पाकिस्तान के
(D) भारत-रूस के।
उत्तर:
(C) भारत-पाकिस्तान के।

24. “भूटान अथवा नेपाल पर कोई भी आक्रमण भारत पर आक्रमण माना जायेगा।”यह किसका कथन है ?
(A) श्रीमती इन्दिरा गांधी
(B) सरदार पटेल
(C) पं० नेहरू
(D) राजगोपालाचार्य।
उत्तर:
(C) पं० नेहरू।

25. ‘सार्क’ (SAARC) की स्थापना कब हुई?
(A) 1982 में
(B) 1985 में
(C) 1986 में
(D) 1990 में।
उत्तर:
(B) 1985 में।

26. ‘कच्छथीव द्वीप’ विवाद का मसला किन देशों के मध्य है ?
(A) भारत-पाकिस्तान
(B) भारत-बांग्लादेश
(C) भारत-श्रीलंका
(D) भारत-नेपाल।
उत्तर:
(C) भारत-श्रीलंका।

27. सार्क के अब तक कितने सम्मेलन हो चुके हैं ?
(A) 10
(B) 11
(C) 12
(D) 18.
उत्तर:
(D) 18.

28. 18वां सार्क सम्मेलन कहां पर हुआ ?
(A) नेपाल
(B) पाकिस्तान
(C) भारत
(D) भूटान।
उत्तर:
(A) नेपाल।

29. सार्क का उद्देश्य है
(A) दक्षिण एशियाई देशों में सहयोग बढ़े
(B) दक्षेस के राज्य समस्याओं का समाधान शान्तिपूर्ण ढंग से करें
(C) दक्षिण एशिया के देशों में सामूहिक आत्मविश्वास पैदा करना
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

30. ‘सार्क’ (SAARC) के गठन का प्रारम्भिक विचार किस नेता ने दिया ?
(A) राजीव गांधी
(B) जिया उर-रहमान ने
(C) बेनजीर भुट्टो ने
(D) जी० पी० कोइराला ने।
उत्तर:
(B) जिया उर-रहमान ने।

31. सन् 1966 में भारत और पाकिस्तान के बीच कौन-सा समझौता हुआ ?
(A) लाहौर समझौता
(B) ताशकन्द समझौता
(C) शिमला समझौता
(D) आगरा समझौता।
उत्तर:
(B) ताशकन्द समझौता।

32. निम्नलिखित देशों में से सार्क (SAARC) का सदस्य है ?
(A) भारत
(B) इंग्लैण्ड
(C) अमेरिका
(D) रूस।
उत्तर:
(A) भारत।

33. निम्नलिखित देशों में से ‘सार्क’ (SAARC) का सदस्य नहीं है ?
(A) भारत
(B) पाकिस्तान
(C) बांग्लादेश
(D) चीन।
उत्तर:
(D) चीन।

34. साफ्टा को कब लागू करने का निर्णय लिया गया ?
(A) 1 जनवरी, 2002
(B) 1 जनवरी, 2003
(C) 1 जनवरी, 2004
(D) 1 जनवरी, 2006.
उत्तर:
(D) 1 जनवरी, 2006.

35. वर्तमान में ‘सार्क’ (SAARC) में कितने देश हैं ?
(A) छह
(B) सात
(C) आठ
(D) नौ।
उत्तर:
(C) आठ।

36. सार्क का 14वां शिखर सम्मेलन किस देश में हुआ ?
(A) भारत में
(B) पाकिस्तान में
(C) श्रीलंका में
(D) अफ़गानिस्तान में।
उत्तर:
(A) भारत में।

37. निम्न में से एक देश ‘सार्क’ का सदस्य नहीं है ?
(A) भारत
(B) पाकिस्तान
(C) भूटान
(D) चीन।
उत्तर:
(A) चीन।

38. अब नेपाल किस प्रकार का राष्ट्र है ?
(A) धर्म निरपेक्ष राष्ट्र
(B) मुस्लिम राष्ट्र
(C) हिन्दू राष्ट्र
(D) ईसाई राष्ट्र।
उत्तर:
(A) धर्म निरपेक्ष राष्ट्र।

39. फरक्का समस्या का सम्बन्ध है
(A) भारत-श्रीलंका से
(B) भारत-बांग्लादेश से
(C) भारत-भूटान से
(D) भारत-चीन से।
उत्तर:
(B) भारत-बांग्लादेश से।

रिक्त स्थान भरें

(1) सन् 2006 से, नेपाल एक ……………….. राज्य है।
उत्तर:
लोकतन्त्रीय,

(2) श्रीलंका ने अंग्रेजों से सन् …………….. में स्वतन्त्रता प्राप्त की।
उत्तर:
1948

(3) कच्चा टीबू द्वीप विवाद का मसला भारत और ………… के बीच है।
उत्तर:
श्रीलंका

(4) पाकिस्तान के वर्तमान प्रधानमन्त्री ………….. हैं।
उत्तर:
इमरान खान

(5) चकमा शरणार्थी समस्या भारत और ………….. के मध्य है।
उत्तर:
बांग्लादेश

(6) पाकिस्तान की स्थापना का मुख्य कारण भारत का ………… था।
उत्तर:
विभाजन

(7) मई 2014 में पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री श्री …………….. भारत आए।
उत्तर:
नवाज शरीफ

(8) नेपाल में सन् ……………. में लोकतन्त्र की स्थापना हुई।
उत्तर:
2006

(9) सार्क (SAARC) का सचिवालय …………… में स्थित है।
उत्तर:
काठमाण्डू।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर दें

प्रश्न 1.
सार्क (SAARC) के किस सदस्य देश में आज भी राजतंत्र मौजूद है ?
अथवा
किस सार्क (SAARC) देश में वर्तमान में भी राजतंत्र है ?
उत्तर:
भूटान में।

प्रश्न 2.
वर्तमान में SAARC (दक्षेस) के कुल कितने देश सदस्य हैं ?
उत्तर:
वर्तमान में दक्षेस के कुल आठ देश सदस्य हैं।

प्रश्न 3.
बांग्लादेश की स्थापना कब हुई ?
अथवा
बांग्लादेश कब अस्तित्व में आया ?
उत्तर:
बांग्लादेश की स्थापना सन्1971 में हुई।

प्रश्न 4.
दक्षिण एशिया का कौन-सा देश सैनिक तानाशाही से प्रभावित रहा है ?
उत्तर:
पाकिस्तान।

प्रश्न 5.
अमेरिका ने किस वर्ष अफगानिस्तान पर हमला किया ?
उत्तर:
अमेरिका ने अफगानिस्तान पर सन् 2001 में हमला किया।

प्रश्न 6.
भारतीय संसद् पर आतंकवादी हमला कब हुआ ?
उत्तर:
भारतीय संसद् पर आतंकवादी हमला दिसम्बर, 2001 में हुआ।

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प्रश्न 7.
चकमा शरणार्थी समस्या किन दो देशों के मध्य बनी हुई है ?
उत्तर:
भारत-बांग्लादेश के बीच।

प्रश्न 8.
जनसंख्या की दृष्टि से विश्व में भारत का कौन-सा स्थान है ?
उत्तर:
जनसंख्या की दृष्टि से विश्व में भारत का दूसरा स्थान है।

प्रश्न 9.
भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान में स्थित आतंकवादी ठिकाने बालाकोट पर कब हमला किया ?
उत्तर:
26 फरवरी, 2019 को।

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