HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 4 सत्ता के वैकल्पिक केंद्र

Haryana State Board HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 4 सत्ता के वैकल्पिक केंद्र Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Political Science Important Questions Chapter 4 सत्ता के वैकल्पिक केंद्र

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
माओ युग के पश्चात् आर्थिक रूप में उभरे चीन की व्याख्या करो।
अथवा
किस आधार पर यह कहा जा सकता है, कि 2040 तक चीन दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति होगा जो अमेरिका से आगे निकल जाएगा ? विश्लेषण कीजिए।
उत्तर:
माओ-त्से-तुंग ने 1949 में साम्यवादी क्रांति द्वारा चीन में साम्यवादी शासन की नींव रखी। इसके पश्चात् साम्यवादी चीन ने बड़ी तेज़ी से अपना विकास किया है तथा अमेरिका के मुकाबले सत्ता के एक महत्त्वपूर्ण विकल्प के रूप में सामने आया है। माओ युग के पश्चात् 1978 से आर्थिक क्षेत्र में चीन की सफलता को एक महाशक्ति के रूप में देखा जा रहा है।

आर्थिक सुधारों को लागू करके चीन ने वर्तमान समय में ऐसी स्थिति प्राप्त कर ली है, कि कई आर्थिक विशेषज्ञों का यह अनुमान है कि 2040 तक चीन की आर्थिक व्यवस्था अमेरिका की आर्थिक व्यवस्था से भी आगे निकल जायेगी। चीन की विशाल जनसंख्या, विशाल क्षेत्र तथा तकनीक उसके आर्थिक विकास के लिए बहुत मददगार साबित हो रहे हैं।

1950 एवं 1960 के दशक में चीन अपना उतना आर्थिक विकास नहीं कर पा रहा था, जितना वह चाहता था, क्योंकि तब यही विशाल जनसंख्या रुकावट बन रही थी, कृषि परम्परागत ढंग से की जा रही थी, जिससे जनसंख्या के लिए पर्याप्त भोजन उपलब्ध नहीं हो पा रहा था। इसके साथ चीन की जनसंख्या लगातार तेजी से बढ़ रही थी जो उसकी आर्थिक विकास की दर में बाधा बन रही थी।

इन सभी बाधाओं को दूर करने के लिए 1970 के दशक में चीनी शासकों ने कुछ महत्त्वपूर्ण निर्णय लिए। 1972 में चीन ने अमेरिका से अपने राजनीतिक एवं आर्थिक सम्बन्ध बनाए। 1973 में तत्कालीन प्रधानमन्त्री चाऊ-एन-लाई ने कृषि, उद्योग, सेना तथा विज्ञान प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आधुनिकीकरण के चार प्रस्ताव पेश किये। 1978 में चीनी नेता देंग श्याओपेंग ने खुले द्वार (Open Door) की नीति की घोषणा करके आर्थिक सुधारों की शुरुआत की।

चीनी नेताओं ने विवेकपूर्ण निर्णय लेते हुए रूसी आर्थिक मॉडल ‘शॉक थेरेपी’ को न अपनाकर चरणबद्ध ढंग से अपनी अर्थव्यवस्था को विश्व बाज़ार के लिए खोला। 1982 एवं 1998 में चीन ने क्रमशः कृषि एवं औद्योगिकीकरण का निजीकरण किया, ताकि विदेशी निवेशकों को आकर्षित किया जा सके।

चीन ने आर्थिक विकास के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्रों की स्थापना की। कृषि एवं उद्योगों के निजीकरण से चीन की आर्थिक व्यवस्था को मजबूती मिली। चीन अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि प्राप्त करते हुए 2001 में विश्व व्यापार संगठन में भी शामिल हो गया। वर्तमान समय में चीन एशिया की एक ऐसी आर्थिक शक्ति बन गया है, कि विश्व के सभी बड़े देश चीन के साथ अपने आर्थिक सम्बन्ध बनाये रखना चाहते हैं। 1997 में आसियान देशों में आए आर्थिक संकट को समाप्त करने में चीनी अर्थव्यवस्था ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

यद्यपि विश्व स्तर पर चीन पिछले कुछ वर्षों से एक आर्थिक शक्ति के रूप में उभरा है, परन्तु फिर भी चीनी अर्थव्यवस्था में कुछ कमियां हैं। उदाहरण के लिए चीन में लगातार बेरोज़गारी बढ़ रही है। महिलाओं की आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति में कोई बहुत आर्थिक सुधार नहीं हुआ है। चीन में अमीरों एवं ग़रीबों में भी बड़ी तेजी से अन्तर बढ़ता जा रहा है।

चीन की आर्थिक स्थिति में जो कमियां हमें दिखाई दे रही हैं, वे कमियां अधिकांश देशों में पाई जाती हैं। इस आधार पर चीन की आर्थिक व्यवस्था में विकास को कम करके नहीं आंका जा सकता। यदि आज अधिकांश देश एवं बहुराष्ट्रीय कम्पनियां चीन के साथ मिलकर व्यापार करना चाहती हैं उद्योग लगाना चाहती हैं, तो इससे स्पष्ट पता चलता है कि वर्तमान समय में चीन ने तेजी से अपना आर्थिक विकास किया है।

प्रश्न 2.
यूरोपीय संघ की रचना एवं विस्तार की व्याख्या करें।
उत्तर:
द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली आदि का यूरोप से सैनिक महत्त्व समाप्त हो गया और यूरोप में केवल एक ही बड़ी शक्ति रह गई-सोवियत संघ । सोवियत संघ ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बड़ी तेजी से पूर्वी देशों को साम्यवादी रंग में रंगना शुरू कर दिया जिसके कारण पश्चिमी यूरोप के पूंजीवादी देशों में भय पैदा हो गया। इसे ध्यान में रखते हुए ब्रिटेन के भूतपूर्व प्रधानमन्त्री चर्चिल ने यूरोपीय समुदाय की व्यवस्था की स्थापना पर बल दिया। अन्य पश्चिमी देशों ने इस पर अपनी सहमति प्रकट कर दी। उन देशों द्वारा सहमति प्रकट करने के दो कारण थे। पहला अपनी सुरक्षा के लिए मिलकर कदम उठाना।

दूसरे सामाजिक व आर्थिक एकीकरण द्वारा अपने को शक्तिशाली व खुशहाल बनाना। सर्वप्रथम इस तरह की सन्धि मार्च, 1946 में इंग्लैंड-फ्रांस के मध्य जर्मन के सम्भावित आक्रमण को ध्यान में रखकर की गई। बाद में बेल्जियम, नीदरलैंड व लक्समबर्ग भी सन्धि में शामिल हो गए। सन्धि पर हस्ताक्षर करने वाले राष्ट्रों ने वचन दिया कि यदि हस्ताक्षर करने वाले सदस्य राष्ट्रों पर कोई देश आक्रमण सा आक्रमण अन्य राष्ट्रों पर भी किया गया आक्रमण समझा जाएगा। ऐसे समय में सन्धि पर हस्ताक्षर करने वाले अन्य देश उसे सैनिक तथा दूसरे तरह की सहायता देंगे। पश्चिमी राष्ट्रों को यह डर बैठ गया था कि सोवियत संघ उनकी सुरक्षा के लिए खतरा है।

इसी सन्धि में पश्चिमी यूरोप की समृद्धि व एकीकरण के लिए इन देशों में सामाजिक तथा आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए तीन समुदायों यूरोपीय कोयला एवं इस्पात समुदाय, यूरोपीय आर्थिक समुदाय तथा यूरोपीय आण्विक ऊर्जा समुदायों की स्थापना की जिनका विस्तृत वर्णन निम्नलिखित है

(क) यूरोपीय कोयला एवं इस्पात समुदाय-इस समुदाय की स्थापना 18 अप्रैल, 1951 में फ्रांस के विदेश मन्त्री शुमा के सुझाव पर की गई। इस समुदाय का मुख्य कार्य हस्ताक्षर करने वाले सदस्य राष्ट्रों के कोयले एवं इस्पात के उत्पादन व वितरण पर नियन्त्रण रखना और इसके मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करके सदस्य राज्यों के कोयले व इस्पात के साधनों की एक सामान्य मण्डी बनाकर उनके उपयोग की सुव्यवस्था करना।

(ख) यूरोपीय आर्थिक समुदाय-1947 में अमेरिकी विदेश मन्त्री मार्शल द्वारा प्रस्तुत योजना के आधार पर ही यूरोपीय राज्यों ने आर्थिक पुनर्निर्माण के लिए 1948 में एक यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन का निर्माण किया। इस पर फ्रांस, पश्चिमी जर्मनी, बेल्जियम, इटली आदि देशों ने हस्ताक्षर किए। इस समुदाय का मुख्य उद्देश्य सदस्य देशों में चुंगी की दीवारों को गिराना तथा खेती-बाड़ी, मज़दूरों, यातायात के सम्बन्ध में नीतियां बनाना है।

विश्व के विभिन्न प्रादेशिक आर्थिक संगठनों में यूरोपीय आर्थिक समुदाय सर्वाधिक सफल रहा है। इस संगठन के सभी सदस्य समृद्ध विकसित देश हैं। अमेरिकी राज्यों के संगठन की भांति कोई एक राष्ट्र इसमें सर्वाधिक शक्तिशाली नहीं है। इसीलिए यह राष्ट्र मिलकर आर्थिक एवं औद्योगिक दृष्टि से अमेरिका व सोवियत संघ से श्रेष्ठ हो गए हैं। जर्मनी के एकीकरण के बाद इसके 12 सदस्य राष्ट्रों ने इसकी अधिक सुदृढ़ता पर बल दिया।

(ग) यूरोपीय आण्विक शक्ति समुदाय-यह संगठन यूरोप में आण्विक शक्ति का शांतिपूर्ण ढंग से प्रयोग का पक्षधर है। इसकी स्थापना जनवरी, 1958 में हुई और इसके चार्टर पर फ्रांस, जर्मनी गणराज्य, इटली, हालैण्ड, बेल्जियम और लक्मसबर्ग ने हस्ताक्षर किए। इस समुदाय का सदस्य बनने के लिए ब्रिटेन ने भी आवेदन किया जिसे अस्वीकार कर दिया गया।

(घ) यूरोपीय मुक्त व्यापार समुदाय-इस प्रादेशिक संगठन की स्थापना ब्रिटेन के प्रयासों से हुई क्योंकि यूरोपीय सामान्य मंडी से ग्रेट ब्रिटेन के आर्थिक हितों को हानि पहुंची थी। इसके अन्तर्गत तट कर कम करने की व्यवस्था की है। इसके अतिरिक्त सदस्य राष्ट्रों को गैर-सदस्य राष्ट्रों से चुंगी लेने का अधिकार प्रदान किया गया है। परन्तु ब्रिटेन को राष्ट्र मण्डल के सदस्य देशों के साथ व्यापार करने की छूट दी गई।

(ङ) यूरोपीय प्रतिरक्षा समुदाय-इस सन्धि का उद्देश्य यूरोप में एक साझी सेना, साझा बजट और राष्ट्रीय हितों से उठा हुआ एक राजनीतिक संगठन बनाना था। इसकी स्थापना मई, 1952 में हुई। इस सन्धि के परिणामस्वरूप सम्भावित साम्यवादी आक्रमण के भय को पूर्णतः खत्म कर दिया गया। परन्तु शीघ्र ही इसको समाप्त कर दिया गया, क्योंकि

  • सोवियत नेता स्टालिन की मत्य से सम्भावित रूसी आक्रमण की आशंका कम हो गई थी,
  • आण्विक हथियारों के आविष्कार ने स्थल सेना के महत्त्व को कम कर दिया।

यूरोपियन संघ का संगठन (Organisation of European Union):
यूरोपियन संघ की स्थापना 1992 में हुई। 1992 में मैस्ट्रिच सन्धि के द्वारा यूरोपीय आर्थिक समुदाय को यूरोपियन संघ में परिवर्तित कर दिया गया। यूरोपियन संघ की संगठनात्मक व्यवस्था इस प्रकार है

1. आयोग (Commission):
यूरोपियन संघ के आयोग में सदस्यों की नियुक्ति सदस्य देश चार वर्ष की अधि के लिए करते हैं। आयोग परिषद् को कार्यवाही के प्रस्ताव भेजता है। आयोग परिषद् द्वारा लिए गए निर्णयों को लागू करता है। आयोग सन्धियों की सुरक्षा का भी कार्य करता है।

2. मन्त्रिपरिषद् (Council of Ministers):
मन्त्रिपरिषद् में निर्णय बहुमत के आधार पर लिए जाते हैं, मन्त्रिपरिषद् का प्रधान पद सदस्य देशों को बारी-बारी से प्राप्त होता है।

3. यूरोपीय संसद् (European Parliament):
यूरोपीय संसद् के सदस्यों का निर्वाचन सदस्य देशों द्वारा प्रत्यक्ष रूप में किया जाता है। यूरोपीय संसद् विभिन्न वैधानिक प्रस्तावों पर सलाह देती है।

4. यूरोपीय न्यायालय (European Court of Justice):
यूरोपीय न्यायालय विभिन्न सन्धियों के विषय में पैदा होने वाले मतभेदों का निपटारा करता है।

5. यूरोपियन संघ की आर्थिक एवं सामाजिक परिषद्-यूरोपियन संघ की आर्थिक एवं सामाजिक परिषद् यूरोपियन संसद् को आर्थिक एवं सामाजिक विषय में सलाह देती है।

6. यूरोपियन निवेश बैंक (European Investment Bank):
यूरोपियन निवेश बैंक का मुख्य उद्देश्य साझे बाजार के सन्तुलित विकास के लिए कार्य करना है। युरोपियन निवेश बैंक विभिन्न कार्यों के लिए धन देकर संघ के हितों की रक्षा करता है।

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प्रश्न 3.
यूरोपीय संघ एक अधिराष्ट्रीय संगठन के रूप में कैसे उभरा ? इसकी सीमाएं क्या हैं ?
उत्तर:
यूरोपीय संघ यूरोप के देशों का एक महत्त्वपूर्ण संगठन है। पिछले कुछ वर्षों में यूरोपीय संघ की शक्तियों में व्यापक वृद्धि हुई है, जिसके कारण यह संगठन एक अधिराष्ट्रीय संगठन के रूप में उभरा है। यूरोपीय संघ ने अपना राजनीतिक और कूटनीतिक प्रभाव स्थापित करने के लिए चौतरफा प्रयास किये हैं। यूरोपीय संगठन यूरोपीय देशों का एक क्षेत्रीय संगठन है। यूरोपीय संघ का अपना झण्डा, गान, स्थापना दिवस तथा मुद्रा दिवस है, जो इसे शक्तिशाली स्थिति प्रदान करते हैं।

यूरोपीय संघ का विश्व राजनीति में आर्थिक, राजनीतिक, कूटनीतिक तथा सैनिक महत्त्व बहुत अधिक है। यूरोपीय संघ की अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। फ्रांस संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद् का स्थायी सदस्य है तथा इसके पास परमाणु हथियार भी हैं। यूरोपीय संघ के पास विश्व की दूसरी सबसे बड़ी सेना है। ये सभी तत्त्व यूरोपीय संघ को एक अधिराष्ट्रीय संगठन के रूप में स्थापित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। परन्तु इसके साथ-साथ यूरोपीय संघ की कुछ सीमाएँ थीं, जिनका वर्णन इस प्रकार है

  • यूरोपीय संघ के अलग-अलग देशों की अलग-अलग विदेश नीति और रक्षा नीति है, जो प्रायः एक-दूसरे के विरुद्ध जाती हैं।
  • यूरोपीय संघ के कई देशों ने अपने यहां यूरो मुद्रा लागू नहीं की। ब्रिटेन की पूर्व प्रधानमन्त्री मारग्रेट थैचर ने ब्रिटेन को यूरोपीय बाजार से अलग रखा।
  • डेनमार्क और स्वीडन ने मास्ट्रिस्ट संधि का विरोध किया।
  • जून, 2016 में इंग्लैण्ड के लोगों ने जनमत संग्रह के द्वारा यूरोपीय संघ से अलग होने का निर्णय किया, जिससे यूरोपीय संघ की प्रगति बाधित हुई।

प्रश्न 4.
‘आसियान’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
आसियान-दक्षिण-पूर्वी एशियाई राष्ट्रों की संस्था (ASEAN-Association of South East Asian Nations) है। इनकी स्थापना वियतनामी संकट, कम्बोडिया संकट व इस क्षेत्र के देशों के पारस्परिक प्रयत्नों से विकास करने की आवश्यकता ने मिलकर दक्षिण-पूर्वी राष्ट्रों को एक क्षेत्रीय संगठन बनाने के लिए प्रेरित किया।

अगस्त, 1967 में इण्डोनेशिया, फिलीपाइन्ज, मलेशिया, थाइलैण्ड तथा सिंगापुर ने इसकी स्थापना की। 1984 में ब्रुनई भी इसका सदस्य बन गया। 1995 में वियतनाम तथा 1997 में लाओस तथा म्यांमार भी इस संगठन के सदस्य बन गए। आगे चल कर कम्बोडिया भी इसका सदस्य बन गया। आसियान दक्षिण-पूर्वी राष्ट्रों द्वारा गठित एक असैनिक, आर्थिक व सांस्कृतिक समुदाय है। इसके गठन के समय इसके निम्नलिखित उद्देश्य स्थापित किए गए

  • सदस्य देशों में आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक तथा प्रशासनिक सहयोग को बढ़ाया जाए।
  • इस क्षेत्र में आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक विकास की गति में तेजी लाई जाए।
  • क्षेत्रीय शान्ति तथा सुरक्षा स्थापित करना।
  • कृषि व्यापार तथा उद्योग के विकास में सहयोग।

आसियान की सर्वोच्च प्रमुख संस्था शिखर सम्मेलन है। इसमें सदस्य राष्ट्रों के राज्याध्यक्ष एवं शासनाध्यक्ष भाग लेते हैं। इसकी दूसरी संस्था मन्त्री सम्मेलन है। इसमें सदस्य राज्यों के विदेश मन्त्री भाग लेते हैं और वर्ष में इसकी एक बार बैठक होना अनिवार्य है। इसका स्थाई सचिवालय इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में है।

इसके प्रशासकीय कार्य महासचिव द्वारा सम्पन्न किए जाते हैं। आसियान की आर्थिक गतिविधियां (Economic Activities of ASEAN)-आसियान दक्षिण पूर्वी देशों का एक महत्त्वपूर्ण आर्थिक संगठन है। 2003 में आसियान का संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 700 बिलियन डालर था, जोकि प्रतिवर्ष औसतन 4% की दर से बढ़ रहा है।

आसियान में विश्व जनसंख्या का 8% भाग शामिल है। आसियान देशों ने अपने क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए 1998 में ‘हनोई सम्मेलन’ में दक्षिण-पूर्वी एशिया में स्वतन्त्र व्यापार (AFTA-Asean Free Trade Area) को समय से पहले ही लागू करने पर सहमति जताई। इसके अन्तर्गत ‘विजन 2020’ के अन्तर्गत क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण, वित्तीय सहयोग तथा व्यापार उदारीकरण के विभिन्न उपायों पर जोर दिया गया।

1996 में भारत को आसियान में पूर्ण वार्ताकार का दर्जा प्राप्त हुआ। भारत का आसियान देशों से लगभग ₹ 30000 करोड़ का व्यापार होता है। यद्यपि आसियान ने आर्थिक क्षेत्र में कुछ महत्त्वपूर्ण सफलताएँ प्राप्त की हैं, परन्तु फिर भी समय-समय पर इसे कुछ समस्याओं का समाना करना पड़ा है। आसियान देश से आतंकवाद से जूझ रहे हैं, इण्डोनेशिया तथा मलेशिया में धार्मिक कट्टरता को बढ़ावा मिल रहा है तथा 1998 की तरह पैदा होने वाले आर्थिक संकट आसियान को निरन्तर चुनौती दे रहे हैं।

प्रश्न 5.
आसियान में भारत की भूमिका का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आसियान में भारत की भूमिका का वर्णन इस प्रकार है

1. भारत आंशिक वार्ताकार के रूप में सन् 1991 में भारत आसियान का आंशिक वार्ताकार भागीदार सदस्य बना था।

2. भारत पूर्ण वार्ताकार के रूप में-1995 में भारत को आसियान में पूर्ण वार्ताकार भागीदार सदस्य बना लिया गया। भारत ने इस स्थिति से लाभ उठाकर आसियान देशों से सम्बन्ध मज़बत किये।

3. दूसरा भारत-आसियान शिखर सम्मेलन 2003-7-8 अक्तूबर, 2003 में बाली (इण्डोनेशिया) में दूसरा भारत-आसियान शिखर सम्मेलन सम्पन्न हुआ। इस सम्मेलन में भारत और आसियान ने मुक्त व्यापार क्षेत्र पर हस्ताक्षर किये। भारत ने आसियान के चार सदस्य देशों कम्बोडिया, लाओस, म्यांमार और वियतनाम के लिए आयात शुल्क में एक तरफ रियायतों की पेशकश की थी।

4. तीसरा भारत-आसियान शिखर सम्मेलन 2004-30 नवम्बर 2004 को तीसरा भारत-आसियान शिखर सम्मेलन लाओस की राजधानी बैन्शियाने में हुआ। इस सम्मेलन में भारत ने आसियान के साथ मिलकर एक एशियाई आर्थिक समुदाय बनाने का सुझाव दिया था, जिसमें चीन, जापान और दक्षिण कोरिया शामिल होंगे।

5. चौथा भारत-आसियान शिखर सम्मेलन 2005-10 दिसम्बर, 2005 को मलेशिया की राजधानी कुआलालम्पुर में चौथा भारत-आसियान शिखर सम्मेलन आयोजित हुआ। इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने आसियान देशों से भारत में चूंजी निवेश करने की अपील की। आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में आसियान देशों के मध्य परस्पर सहयोग का प्रस्ताव रखा।

6. पांचवां भारत-आसियान शिखर सम्मेलन-जनवरी, 2007 में फिलीपींस में पांचवां भारत-आसियान शिखर सम्मेलन आयोजित हआ। इस सम्मेलन में भारत ने भारत-आसियान सम्बन्धों को और मज़बूत करने पर जोर दिया।

7. छठा भारत-आसियान शिखर सम्मेलन-2007-21 नवम्बर, 2007 को सिंगापुर में छठा भारत-आसियान शिखर सम्मेलन आयोजित हुआ। इसमें प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने पर्यावरण सरंक्षण के लिए एक भारत आसियान ग्रीन फंड स्थापित करने का सुझाव दिया था तथा भारत की ओर से इस फंड में 50 लाख डालर देने की घोषणा की थी।

8. सातवां भारत-आसियान शिखर सम्मेलन-अक्तूबर, 2009 में थाइलैण्ड में सातवां भारत-आसियान शिखर सम्मेलन आयोजित हुआ था। इस सम्मेलन में भारत ने आसियान से सम्बन्ध और मजबूत करने के लिए भारत आसियान राउंड टेबल स्थापित करने की बात की।

9. आठवां भारत-आसियान शिखर सम्मेलन-भारत-आसियान के बीच 8वां शिखर सम्मेलन 29 अक्तूबर, 2010 को हनोई में हुआ। इस सम्मेलन में बोलते हुए प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा कि भारत एवं आसियान में व्यापक आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए ‘सेवा एवं निवेश समझौता’ (Service and investment Agreement) आवश्यक है।

10. नौवां भारत-आसियान शिखर सम्मेलन-नवम्बर, 2011 में भारत-आसियान के बीच नौवीं बैठक हई। इस बैठक में भारतीय प्रधानमंत्री ने 2012-15 के लिए भारत-आसियान के 82 सूत्रीय प्लान ऑफ एक्शन के तहत पारस्परिक सहयोग की कई परियोजनाएं प्रस्तावित की।

11. भारत-आसियान शिखर सम्मेलन 2012-नवम्बर, 2012 में भारत-आसियान के बीच 10वीं बैठक नामपेन्ह (कम्बोडिया) में हुई। इस सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए डॉ. मनमोहन सिंह ने आसियान देशों को भारत के ढांचागत क्षेत्र में निवेश का न्यौता देते हुए आग्रह किया कि विश्व की 1/4 आबादी वाले आसियान संगठन के सदस्य देश सेवा क्षेत्र में भारत की विशेषज्ञता का लाभ उठाएं। उन्होंने कहा कि सामुद्रिक सुरक्षा, आतंकवाद से लड़ाई एवं आपदा प्रबन्धन के विषय पर आसियान एवं भारत के हित साझा हैं।

12. 20-21 दिसम्बर, 2012 को भारत में भारत-आसियान यादगारी शिखर सम्मेलन (India-ASEAN Commemorative Summit) हुआ। इस शिखर सम्मेलन का आयोजन भारत-आसियान सम्बन्धों के 20 वर्ष पूर्ण इस अवसर पर भारत एवं आसियान के 10 देशों ने अन्तराष्ट्रीय कानून के आधार पर विवादित समुद्र में समुद्री सुरक्षा एवं आने-जाने की स्वतन्त्रता सम्बन्धी द्विपक्षीय सहयोग को मज़बूत किया। इस अवसर पर सेवा एवं निवेश के क्षेत्र में स्वतंत्र व्यापार समझौते (Free Trade Agreement) पर भी अन्तिम निर्णय लिया गया।

13. भारत-आसियान शिखर-सम्मेलन 2014- भारत-आसियान के बीच 12वां शिखर सम्मेलन नवम्बर, 2014 में म्यामांर में हआ। इस सम्मेलन में बोलते हुए भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आसियान देशों को भारत के आर्थिक विकास के नए सफर में भागीदार बनने का निमन्त्रण दिया।

14. भारत-आसियान शिखर सम्मेलन-2015-भारत-आसियान के बीच 13वां शिखर सम्मेलन 21 नवम्बर, 2015 को मलेशिया में हुआ। इस सम्मेलन में बोलते हुए भारतीय प्रधानमंत्री ने आतंकवाद को पूरी मानवता के लिए खतरा बताया।

15. भारत-आसियान शिखर सम्मेलन-2016- भारत-आसियान के बीच 14वां शिखर सम्मेलन सितम्बर 2016 में लाओस में हुआ। इस सम्मेलन में भारत-आसियान के बीच सहयोग के विभिन्न मुद्दों एवं साझा परियोजनाओं पर चर्चा की गई। भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए आतंकवाद को विश्व समुदाय के लिए खतरा बताया।

16. भारत-आसियान शिखर सम्मेलन-भारत-आसियान के बीच 15वां शिखर सम्मेलन नवम्बर, 2017 में फिलीपीन्स में हुआ था। इस सम्मेलन में क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद एवं आर्थिक विकास पर चर्चा की गई।

17. गणतन्त्र दिवस पर आसियान देश-26 जनवरी, 2018 को भारतीय गणतन्त्र दिवस पर सभी आसियान देशों के अध्यक्षों को मेहमान के रूप में बुलाया गया था। भारत में पहली बार गणतन्त्र दिवस पर मेहमानों को बुलाने में व्यक्तियों की अपेक्षा क्षेत्र को महत्त्व दिया गया।

18. भारत-आसियान के बीच, 16वां शिखर सम्मेलन नवम्बर, 2019 में बैंकाक (थाइलैण्ड) में हुआ। इस सम्मेलन में भारत-आसियान व्यापार, क्षेत्रीय सुरक्षा एवं आतंकवाद पर चर्चा की गई।

प्रश्न 6.
भारत के चीन के साथ बदलते हुए सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
भारत और चीन में पहले गहरी मित्रता थी परन्तु सन् 1962 में चीन ने भारत पर अचानक आक्रमण करके इसको शत्रुता में परिवर्तित कर दिया। आज भी चीन ने भारत की कुछ भूमि पर अपना अधिकार जमाया हुआ है। भारत चीन से सम्बन्ध सुधारने के लिए प्रयत्नशील है परन्तु चीन अभी भी शत्रुतापूर्ण रुख अपनाए हुए है। चीन के प्रति मैत्रीपूर्ण नीति-आरम्भ से ही भारत ने साम्यवादी चीन के प्रति मैत्रीपूर्ण और तुष्टिकरण की नीति अपनाई। पहले उसने चीन को मान्यता दी और फिर संयुक्त राष्ट्र में उसके प्रवेश का समर्थन किया।

29. अप्रैल, 1954 को चीन के साथ एक व्यापारिक समझौता करके भारत ने तिब्बत में प्राप्त बहिर्देशीय अधिकारों (Extra-territorial Rights) को चीन को दे दिया और स्वयं कुछ भी प्राप्त नहीं किया। समझौते के समय दोनों देशों ने पंचशील के सिद्धान्तों के प्रति विश्वास दिलाया। सन् 1955 में बांडुंग सम्मेलन में इन्हीं सिद्धान्तों का विस्तार किया गया। चीन के प्रधानमन्त्री चाऊ-एन-लाई, 1954 में भारत की यात्रा पर आए और पं० नेहरू ने चीन का दौरा किया। इसके पश्चात् भारत और चीन के सम्बन्धों में तनाव आना शुरू हो गया।

1962 का चीनी आक्रमण-चीन ने 20 अक्तूबर, 1962 को भारत पर बड़े पैमाने पर आक्रमण किया। भारत को इस युद्ध में अपमानजनक पराजय का मुंह देखना पड़ा और चीन ने भारत की हजारों वर्ग मील भूमि पर कब्जा कर लिया। इससे पं० नेहरू की शान्तिपूर्ण नीतियों को गहरी चोट पहुंची। कांग्रेस (इ) की सरकार और भारत-चीन सम्बन्ध (Government of Congress (I) and India-China Relations) भारत में सहयोग करने की चीनी नेताओं की इच्छा तथा सम्बन्ध सुधारने के लिए प्रयास-जनवरी, 1980 में श्रीमती गांधी के प्रधानमन्त्री बनने के बाद चीनी नेता कई बार भारत से सम्बन्ध सुधारने की इच्छा व्यक्त कर चुके हैं।

चीन के प्रधानमन्त्री झाओ जियांग ने अपनी पाकिस्तान यात्रा के दौरान 3 जून, 1981 को कहा कि एशिया के दो बड़े देश चीन और भारत को शांतिपूर्वक रहना चाहिए। यह क्षेत्रीय और विश्व के स्थायित्व दोनों के हित में है। 15 अगस्त, 1984 को भारत और चीन में व्यापारिक समझौता हुआ जो कि निश्चय ही महत्त्वपूर्ण घटना है। राजीव गांधी की सरकार और भारत-चीन सम्बन्ध–दिसम्बर, 1988 में प्रधानमन्त्री राजीव गांधी पांच दिन की यात्रा पर चीन पहुंचे। पिछले 34 वर्षों के दौरान किसी भी भारतीय प्रधानमन्त्री की यह पहली चीन यात्रा थी। राजीव गांधी की चीन यात्रा से दोनों देशों के आपसी सम्बन्धों में एक नया अध्याय शुरू हुआ।

11 दिसम्बर, 1991 को चीन के प्रधानमन्त्री ली फंग भारत की यात्रा पर आने वाले पिछले 31 वर्षों में पहले प्रधानमन्त्री हैं। दोनों देशों के प्रधानमन्त्रियों ने पंचशील के सिद्धान्त में आस्था दोहराते हुए इस बात पर बल दिया कि किसी देश को दूसरे देश के आंतरिक मामलों में दखल देने का अधिकार नहीं दिया जा सकता। दोनों नेताओं ने यह विश्वास व्यक्त किया है कि दोनों देशों के सीमा विवाद का ‘उचित’ और ‘सम्मानजनक’ हल निकलेगा और तीन दशक पुराना यह मुद्दा द्विपक्षीय सम्बन्ध मज़बूत बनाने में आड़े नहीं आएगा।

प्रधानमन्त्री पी० वी० नरसिम्हा राव की चीन यात्रा-सितम्बर, 1988 में भारत के प्रधानमन्त्री नरसिम्हा राव चार दिन की सरकारी यात्रा पर चीन गए। वहां पर चार ऐतिहासिक समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए, जिसके कारण भारत व चीन के मध्य सम्बन्धों में सुधारों का एक और अध्याय जुड़ गया।

चीन के राष्ट्रपति च्यांग जेमिन की भारत की यात्रा-28 नवम्बर, 1996 को चीन के राष्ट्रपति च्यांग ज़ेमिन भारत की यात्रा पर आए जिससे दोनों देशों के बीच सम्बन्धों का एक नया युग शुरू हुआ है। चीन के राष्ट्रपति च्यांग जेमिन की पहली भारत यात्रा के दौरान परस्पर विश्वास भावना और सीमा पर शान्ति कायम रखने के उपायों पर विस्तृत विचार-विमर्श के पश्चात् दोनों देशों ने चार महत्त्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए।

परमाणु परीक्षण तथा भारत-चीन सम्बन्ध-11 मई व 13 मई, 1998 को भारत ने पांच परमाणु परीक्षण किये। चीन ने परमाणु परीक्षणों को लेकर भारत की कड़ी निन्दा ही नहीं की बल्कि चीन ने अपने सरकारी न्यूज़ के जरिए फिर से अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा ठोंक कर पुराने विकार को जन्म दे दिया।

चीन ने यहां तक कहा कि भारत से उसके पड़ोसियों को ही नहीं बल्कि चीन को भी खतरा पैदा हो गया है। दलाईलामा की प्रधानमन्त्री वाजपेयी से मुलाकात-अक्तूबर, 1998 में तिब्बत के धार्मिक नेता दलाईलामा ने भारत के प्रधानमन्त्री वाजपेयी से बातचीत की जिस पर चीन ने कड़ी आपत्ति उठाई।

भारतीय राष्ट्रपति की चीन यात्रा-मई, 2000 में भारतीय राष्ट्रपति के० आर० नारायणन चीन की यात्रा पर गए। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग के अनेक विषयों पर बातचीत हुई। चीनी नेता ली फंग की भारत यात्रा-जनवरी, 2001 में चीन के वरिष्ठ नेता ली फंग भारत आए। उन्होंने भारत के प्रधानमन्त्री वाजपेयी से मुलाकात कर क्षेत्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय और द्विपक्षीय महत्त्व के मुद्दों पर विचार-विमर्श किया। चीनी नेता ने भारत की धरती में किसी भी रूप में और किसी भी स्थान में उठने वाले आतंकवाद की निंदा की।

चीन के प्रधानमन्त्री की भारत यात्रा-चीन के प्रधानमन्त्री झू रोंग्ली (Zhu Rongli) ने जनवरी, 2002 में भारत की यात्रा की। रूस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने आतंकवाद का मिलकर सामना करने की बात कही। इसके अतिरिक्त दोनों देशों के बीच अंतरिक्ष, विज्ञान और प्रौद्योगिकी और ब्रह्मपुत्र नदी पर पानी सम्बन्धी सूचनाओं के आदान-प्रदान से सम्बन्धित छ: समझौते किये गये। भारतीय प्रधानमन्त्री वाजपेयी की चीन यात्रा-जून, 2003 में भारतीय प्रधानमन्त्री वाजपेयी की चीन यात्रा से दोनों देशों के सम्बन्धों में और सुधार हुआ। जहां भारत ने तिब्बत को चीन का हिस्सा माना, वहीं पर चीन ने भी सिक्किम को भारत का हिस्सा माना।

चीन ने भारत में 50 करोड़ डालर निवेश करने के लिए एक (कोष) बनाने की घोषणा की। मई, 2004 में चीन ने सिक्किम को अपने नक्शे में एक अलग राष्ट्र दिखाना बन्द करके सिक्किम को भारत का अभिन्न अंग मान लिया। नवम्बर, 2004 में आसियान बैठक में भाग लेने के लिए भारतीय प्रधानमन्त्री डॉ. मनमोहन सिंह लाओस गए। वहां पर उन्होंने चीनी प्रधानमन्त्री वेन जियाबाओ के साथ बातचीत की। बातचीत के दौरान सीमा विवाद सुलझाने पर चर्चा के अतिरिक्त द्विपक्षीय व्यापार, सांस्कृतिक आदान-प्रदान व लोगों की एक-दूसरे के यहां आवाजाही बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया गया।

प्रधानमन्त्री डॉ. मनमोहन सिंह की चीन यात्रा-जनवरी, 2008 में भारतीय प्रधानमन्त्री डॉ. मनमोहन सिंह चीन यात्रा पर गए। इस दौरान दोनों देशों के बीच कई महत्त्वपूर्ण समझौते हुए। अक्तूबर, 2009 में चीन ने भारतीय प्रधानमन्त्री की अरुणाचल प्रदेश यात्रा पर आपत्ति उठाई थी तथा उसे अपने देश का भाग बताया था।

इसी तरह तिब्बतियों के धर्म गुरु दलाई लामा की तवांग यात्रा पर भी चीन ने आपत्ति जताई थी। परन्तु भारत ने इन दोनों आपत्तियों को नकारते हुए अरुणाचल प्रदेश को भारत का अभिन्न अंग बताया था। इसी सन्दर्भ में अक्तूबर, 2009 में दोनों देशों के प्रधानमन्त्री आसियान सम्मेलन के दौरान थाइलैण्ड में मिले। बैठक के दौरान दोनों देशों ने बातचीत द्वारा आपसी विवादों को हल करने की बात कही थी।

भारतीय राष्ट्रपति की चीन यात्रा- भारतीय राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल 26 मई से 31 मई, 2010 तक चीन यात्रा पर गई थीं। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने पारस्परिक सहयोग के तीन समझौतों पर हस्ताक्षर किए। चीनी प्रधानमन्त्री की भारत यात्रा-दिसम्बर, 2010 में चीनी प्रधानमन्त्री भारत यात्रा पर आए। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने 6 समझौतों पर हस्ताक्षर किये तथा 2015 तक द्विपक्षीय व्यापार 100 बिलियन डालर तक ले जाने पर सहमति प्रदान की।

चीनी प्रधानमन्त्री की भारत यात्रा-मई, 2013 में चीनी प्रधानमन्त्री भारत यात्रा पर आए। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने आठ समझौतों पर हस्ताक्षर किए। जुलाई 2014 में ब्राजील में हुए ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान भारतीय प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी एवं चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात हुई। प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस मुलाकात में सीमा विवाद समेत कई मुख्य मुद्दों को चीनी राष्ट्रपति के समक्ष उठाया । मई 2015 में भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने चीन की यात्रा की। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने रेलवे, खनन जैसे क्षेत्रों में 24 समझौतों पर हस्ताक्षर किये।

अक्तूबर 2016 में चीनी राष्ट्रपति शीन जिनपिंग भारत में आयोजित ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारत आए। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने द्विपक्षीय बातचीत में विभिन्न महत्त्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की। म्बर 2017 में भारतीय प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी चीन में आयोजित ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन यात्रा पर गए। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने द्विपक्षीय मुद्दों पर भी चर्चा की। जून 2018 में भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी चीन यात्रा पर गए। इस दौरान दोनों देशों ने महत्त्वपूर्ण द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत की।

अक्तूबर 2019 में चीनी राष्ट्रपति ने भारत की यात्रा की। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने आतंकवाद, परस्पर व्यापार तथा क्षेत्रीय सुरक्षा पर बातचीत की। 15-16 जून, 2020 की रात को गलवान घाटी में भारत एवं चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प में भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए, जबकि चीन के 45-50 सैनिक मारे गए। ये झड़प चीन की साम्राज्यवादी लालसा के कारण हुई, जिससे दोनों देशों के सम्बन्ध खराब हो गए।

संक्षेप में, भारत-चीन सम्बन्ध मैत्रीपूर्ण नहीं हैं, परन्तु उम्मीद है कि जब दोनों देश मतभेद दूर करके और मैत्री बढ़ाने की दिशा में ईमानदारी से आगे बढ़ेंगे तो वे सीमा विवाद का भी स्थायी हल ढूंढ लेंगे। दोनों देशों के आपसी मैत्री और सहयोग को मजबूत करने के वाणिज्य-व्यापार के क्षेत्रों में हुए समझौते से भी काफ़ी बल मिलेगा।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अमेरिका के मुकाबले में सत्ता के किन्हीं चार विकल्पों की चर्चा करें।
उत्तर:
1. यूरोपियन यूनियन-अमेरिका के मुकाबले यूरोपियन यूनियन सत्ता के एक बेहतर विकल्प के रूप में उभरा है, क्योंकि विश्व स्तर पर यूरोपियन यूनियन का आर्थिक, सैनिक, राजनीतिक तथा कूटनीतिक रूप में काफ़ी प्रभाव है।

2. आसियान-अमेरिका के मुकाबले दक्षिण पूर्वी देशों के संगठन आसियान को एक विकल्प के रूप में देखा जाता है। विश्व की 8% जनसंख्या इस संगठन से सम्बन्धित है।

3. चीन-चीन बड़ी तेजी से सैनिक एवं आर्थिक रूप से विकास करके अमेरिका के मुकाबले सत्ता के विकल्प के रूप में उभर रहा है।

4. भारत-1990 के दशक से भारत ने इतनी तेज़ी से अपना आर्थिक विकास किया है कि कई आर्थिक विशेषज्ञों ने आने वाले समय में भारत को भी सत्ता के एक विकल्प के रूप में देखना शुरू कर दिया है।

प्रश्न 2.
चीन के सन्दर्भ में आधुनिकीकरण के चार प्रस्तावों से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
1970 के दशक में चीन ने अपने आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए अमेरिका के साथ अपने सम्बन्धों को सुधारते हुए कई अन्य महत्त्वपूर्ण कदम उठाए। इसी कड़ी में 1973 में प्रधानमन्त्री चाऊ-एन-लाई ने कृषि, उद्योग, सेना और विज्ञान प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आधुनिकीकरण के चार प्रस्ताव रखे। 1978 में चीनी नेता देंग श्याओपेंग ने खुले द्वार (Open door) की नीति की घोषणा करके आर्थिक सुधारों की शुरुआत की।

चीनी नेताओं ने विवेकपूर्ण निर्णय लेते हुए रूसी आर्थिक मॉडल ‘शॉक थेरेपी’ को न अपनाकर चरणबद्ध ढंग से अपनी अर्थव्यवस्था को विश्व बाज़ार के लिए खोला। 1982 एवं 1998 में चीन ने क्रमश: कृषि एवं औद्योगिकीकरण का निजीकरण किया, ताकि विदेशी निवेशकों को आकर्षित किया जा सके।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 4 सत्ता के वैकल्पिक केंद्र

प्रश्न 3.
आपके अनुसार निम्न कार्टून में क्या सन्देश है ? इस कार्टून में दो पहिये किसका प्रतिनिधित्व कर रहे हैं ?
उत्तर:
उपरोक्त कार्टून में चीन के दोहरेपन को इंगित किया गया है, क्योंकि एक तरफ तो वह साम्यवादी विचारधारा वाले देशों का नेता होने की बात करता है, जबकि दूसरी ओर अपनी अर्थव्यवस्था में डालर को आमन्त्रित कर रहा है। कार्टून के दोनों पहियों में से एक साम्यवादी विचारधारा को प्रतिनिधित्व कर रहा है, तो दूसरा पहिया पूंजीवादी विचारधारा का प्रतिनिधित्व कर रहा है।

प्रश्न 4.
भारतीय प्रधानमन्त्री चीन की यात्रा पर जा रहे हैं और आपको उनके लिए एक संक्षिप्त नोट तैयार करने के लिए कहा गया है। आप अपने नोट में सीमा विवाद एवं आर्थिक सहयोग से सम्बन्धित भारत एवं चीन की स्थिति का एक-एक तर्क दें।
उत्तर:
भारत और चीन के सम्बन्ध यद्यपि 1960 के दशक में बहुत अच्छे नहीं रहे, परन्तु वर्तमान परिस्थितियों में दोनों देशों के आपसी सम्बन्धों का विशेष महत्त्व है। भारतीय प्रधानमन्त्री की चीन यात्रा पर कई महत्त्वपूर्ण विषयों पर बातचीत होनी है, जिसमें सीमा विवाद एवं आर्थिक सहयोग शामिल है। भारतीय स्थिति के अनुसार सीमा विवाद में चीन को थोड़ा पीछे हटना चाहिए तथा आर्थिक सहयोग को और अधिक बढ़ावा देना चाहिए। दूसरी तरफ चीन सीमा विवाद में भारत के पक्ष को गलत मानता है तथा आर्थिक क्षेत्र में अपने समान की बिक्री के लिए भारत से अधिक-से अधिक मदद की इच्छा रखता है।

प्रश्न 5.
यूरोपीय संघ के विस्तार की व्याख्या करें।
उत्तर:
यूरोपीय संघ निम्नलिखित चरणों के पश्चात् अपने वास्तविक रूप में सामने आया

1. यूरोपीय कोयला एवं इस्पात समुदाय- इस समुदाय की स्थापना 18 अप्रैल, 1951 में फ्रांस के विदेश मन्त्री शुमां के सुझाव पर की गई। इस समुदाय का कार्य सदस्य राज्यों के कोयले इस्पात के साधनों की एक सामान्य मण्डी बनाकर इनके उपयोग की व्यवस्था करना है।

2. यूरोपीय आर्थिक समुदाय–1947 में अमेरिकी विदेशी मन्त्री मार्शल द्वारा प्रस्तुत योजना के आधार पर ही यूरोपीय राज्यों ने आर्थिक पुनर्निर्माण के लिए 1948 में यूरोपीय आर्थिक समुदाय का निर्माण किया।

3. यूरोपीय मुक्त व्यापार समुदाय- इस संगठन की स्थापना ब्रिटेन के प्रयासों से की गई। 4. यूरोपीय संघ-1992 में अन्ततः यूरोपीय संघ की स्थापना की गई। 1992 में मैस्ट्रिच सन्धि के द्वारा यूरोपीय आर्थिक समुदाय को यूरोपियन संघ में परिवर्तित कर दिया गया।

प्रश्न 6.
आसियान की आर्थिक गतिविधियों को स्पष्ट करते हुए इसके सत्ता के एक विकल्प के रूप में उभरने की व्याख्या करें।
उत्तर:
आसियान दक्षिण-पूर्वी देशों का एक महत्त्वपूर्ण संगठन है। 2003 में आसियान का संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद (G.D.P.) 700 बिलियन डालर था, जो कि प्रतिवर्ष औसतन 4% की दर से बढ़ रहा है। आसियान में विश्व जनसंख्या का 8% भाग शामिल है। आसियान देशों ने अपने क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए 1998 में ‘हनोई सम्मेलन’ में दक्षिण-पूर्व एशिया में स्वतन्त्र व्यापार (AFTA-Asean Free Trade Area) को समय से ही लागू करने पर सहमति जताई।

इसके अन्तर्गत ‘विजन 2020’ के अन्तर्गत क्षेत्रीय आर्थिक समीकरण, वित्तीय सहयोग तथा व्यापार उदारीकरण के विभिन्न उपायों पर जोर दिया गया। 1996 में भारत को आसियान में पूर्णवार्ताकार का दर्जा प्राप्त हुआ। आसियान आर्थिक क्षेत्र में अपनी उपलब्धियों के कारण सत्ता के एक विकल्प के रूप में उभर रहा है।

प्रश्न 7.
‘आसियान’ (ASEAN) के किन्हीं चार प्रमुख उद्देश्यों का वर्णन करें।
उत्तर:
आसियान के चार उद्देश्य निम्नलिखित हैं

  • सदस्य देशों में आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक तथा प्रशासनिक सहयोग को बढ़ाया जाए।
  • इस क्षेत्र में आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक विकास की गति में तेजी लाई जाए।
  • क्षेत्रीय शान्ति तथा सुरक्षा स्थापित करना।
  • कृषि व्यापार तथा उद्योग के विकास में सहयोग।

प्रश्न 8.
यूरोपीय संघ की कोई चार साझी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  • यूरोपीय संघ की साझी मुद्रा, स्थापना दिवस, गान एवं झण्डा है।
  • यूरोपीय संघ का आर्थिक, राजनीतिक, कूटनीतिक एवं सैनिक प्रभाव बहुत अधिक है।
  • फ्रांस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् का स्थायी सदस्य हैं।
  • यूरोपीय संघ आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक मामलों में दखल देने में सक्षम है।

प्रश्न 9.
अमेरिकी डालर के प्रभुत्व के लिए यूरो कैसे ख़तरा बन सकता है ?
उत्तर:
वर्तमान समय में विश्व में डॉलर मुद्रा का प्रचलन ही अधिक है। इससे हमें अमेरिकन अर्थव्यवस्था के प्रभाव का पता चलता है, कि किस तरह अमेरिका ने सम्पूर्ण विश्व पर अपना आर्थिक प्रभुत्व जमा रखा है। परन्तु धीरे धीरे उसके इस आर्थिक प्रभुत्व को कुछ अन्य शक्तियां चुनौती दे रही हैं। उनमें से एक है, यूरोपियन यूनियन । अमेरिकन डॉलर के मुकाबले यूरो मुद्रा का प्रभाव बढ़ता जा रहा है।

2005 में यूरोपियन यूनियन विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी तथा इसका सकल घरेलू उत्पाद लगभग 12000 अरब डालर है, जोकि अमेरिका से ज्यादा था। विश्व व्यापार में भी यूरोपियन यूनियन की भागीदारी अमेरिका के मुकाबले तीन गुना अधिक है। यूरोपियन, यूनियन विश्व व्यापार संगठन में भी एक प्रभावशाली समूह के रूप में कार्य कर रहा है। अतः डॉलर के मुकाबले यूरो का प्रभाव बढ़ता ही जा रहा है।

प्रश्न 10.
द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् यूरोप के सामने आने वाली किन्हीं चार समस्याओं का वर्णन करें।
उत्तर:
द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् यूरोप के सामने निम्नलिखित समस्याएं आईं

  • यूरोप के सामने सबसे बड़ी समस्या अपने आर्थिक पुनर्निर्माण की थी, जोकि विश्व युद्ध में तहस-नहस हो चुकी थी।
  • यूरोपीय देश अपनी पारस्परिक शत्रुता को लेकर असमंजस में थे, कि वे शत्रुता को यहीं छोड़ दें, या उसे आगे बढ़ाएं।
  • यूरोपीय देशों के सामने विश्व स्तर पर अपने आर्थिक एवं राजनीतिक सम्बन्धों को नये ढंग से प्रतिपादित करने की भी समस्या थी।
  • यूरोपीय देशों के सामने यूरोपीय नागरिकों की नष्ट हुई मान्यताओं एवं मूल्यों को भी बहाल करने की समस्या थी।

प्रश्न 11.
यूरोपीय संघ के देशों के बीच पाए जाने वाले कोई चार मतभेद लिखें।
उत्तर:
यूरोपीय संघ के देशों के बीच निम्नलिखित मतभेद पाए जाते हैं

  • यूरोपीय देशों की विदेश एवं रक्षा नीति में परस्पर विरोध पाया जाता है।
  • यूरोप के कुछ देशों में यूरो मुद्रा को लागू करने के सम्बन्ध में मतभेद हैं।
  • इराक युद्ध का ब्रिटेन ने समर्थन किया, जबकि फ्रांस एवं जर्मनी ने विरोध किया।
  • डेन्मार्क तथा स्वीडन जैसे देशों ने मास्ट्रिस्ट सन्धि तथा यूरो मुद्रा के प्रचलन का विरोध किया।

प्रश्न 12.
भारत और आसियान के सम्बन्धों के किन्हीं चार बिन्दुओं की व्याख्या करें।
उत्तर:

  • भारत एवं आसियान परस्पर मुक्त व्यापार सन्धि करने के प्रयास में हैं।
  • भारत ने सिंगापुर एवं थाइलैंड से मुक्त व्यापार सन्धि कर ली है। ये दोनों देश आसियान के सदस्य हैं।
  • भारत आसियान की आर्थिक शक्ति के प्रति आकर्षित हुआ है।
  • हाल के वर्षों में भारत एवं आसियान ने कई व्यापारिक समझौते किए हैं।

प्रश्न 13.
साम्यवादी चीन ने 1949 के पश्चात् अपनी औद्योगिक अर्थव्यवस्था को मज़बूती प्रदान करने के लिए क्या प्रयास किए ? कोई चार प्रयास लिखें।
उत्तर:

  • चीन ने 1949 के पश्चात् अपने घरेलू आर्थिक संसाधनों द्वारा ही अपना औद्योगिक विकास किया है।
  • चीन ने सरकारी नियन्त्रण वाले बड़े उद्योगों को बढ़ावा दिया।
  • चीन में आयात किए हुए सामान को घरेलू स्तर पर तैयार किया।
  • सभी नागरिकों को रोज़गार एवं सामाजिक कल्याण की सुविधाओं का लाभ देने के क्षेत्र में लाया गया।

प्रश्न 14.
साम्यवादी चीन द्वारा 1970 के दशक में किये गए किन्हीं चार आर्थिक सुधारों का वर्णन करें।
अथवा
चीन द्वारा किए गये किन्हीं चार आर्थिक सुधारों का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
साम्यवादी चीन द्वारा 1970 के दशक में निम्नलिखित आर्थिक सुधार किए गए

  • चीन में 1972 में संयुक्त राज्य अमेरिका से सम्बन्ध स्थापित करके राजनीतिक एवं आर्थिक एकांतवास को समाप्त किया।
  • 1973 में चीनी प्रधानमन्त्री चाऊ-एन-लाई ने कृषि, उद्योग, सेना एवं विज्ञान प्रौद्योगिकी के चार प्रस्ताव पेश किए।
  • 1978 में देंग-श्याओ-पेंग ने चीन में आर्थिक सुधारों और खुले द्वार की नीति को अपनाया।
  • चीन ने शॉक थेरेपी को न अपनाकर चरणबद्ध ढंग से अपनी अर्थव्यवस्था को खोला।

प्रश्न 15.
चीन द्वारा किए गए आर्थिक सुधारों के लाभों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए। (H.B. 2018)
उत्तर:

  • चीन द्वारा अपनाई गई आर्थिक नीतियों से गतिहीन हो चुकी अर्थव्यवस्था सम्भल गई।
  • कृषि का निजीकरण करने से कृषि उत्पादनों एवं ग्रामीण आय में वृद्धि हुई।
  • चीन द्वारा अपनाई गई आर्थिक नीतियों से ग्रामीण उद्योगों की संख्या में वृद्धि हुई।
  • कृषि एवं उद्योग दोनों ही क्षेत्रों में चीन की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर तेज़ रही।

प्रश्न 16.
चीन की अर्थव्यवस्था में पाई जाने वाली कोई चार कमियां बताएं।
उत्तर:
चीन की अर्थव्यवस्था में निम्नलिखित कमियां पाई जाती हैं

  • चीन में हुए आर्थिक सुधारों का लाभ सभी वर्गों को समान रूप से प्राप्त नहीं हुआ।
  • चीन में काफ़ी संख्या में महिला बेरोज़गारी पाई जाती है।
  • चीनी अर्थव्यवस्था से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिला तथा पर्यावरण खराब हुआ।
  • चीन द्वारा अपनाई गई अर्थव्यवस्था से ग्रामीण एवं शहरी नागरिकों में आर्थिक असमानता बढ़ी है।

प्रश्न 17.
मैकमोहन रेखा पर एक नोट लिखें।
उत्तर:
मैकमोहन रेखा द्वारा भारत-चीन सीमा का निर्धारण किया गया है। सर हैनरी मैकमोहन 1914 में भारत के विदेश सचिव थे। उन्होंने तिब्बती प्रतिनिधि मण्डल के साथ विचार-विमर्श करके इस सीमा का निर्धारण किया था। चीन इस सीमा निर्धारण के पक्ष में नहीं था, लेकिन उसे सीमा निर्धारण के बाद इसकी सूचना दे दी गई थी।

सन् 1956 तक चीन ने मैकमोहन रेखा से इन्कार करने की स्पष्ट रूप से घोषणा नहीं की थी, परन्तु 1956 के बाद उसने इस रेखा सम्बन्धी अपनी आपत्तियां जतानी शुरू कर दीं। चीन की सरकार ने मैकमोहन रेखा को कभी मान्यता नहीं दी और न ही दे रही है। इसलिए भारत-चीन में सीमा विवाद चला आ रहा है।

प्रश्न 18.
यूरोपीय संघ के मुख्य उद्देश्य क्या हैं ? इनकी व्याख्या कीजिए।
उत्तर:

  • यूरोप को बांटने वाले विवादों को हमेशा के लिए समाप्त करना।
  • यूरोप की प्रतिष्ठा को पुनः स्थापित करना एवं आर्थिक शक्ति तथा सांस्कृतिक परम्परा के अनुसार भूमिका को निभाना।
  • आर्थिक तथा मुद्रा स्थायित्व का प्रबन्ध करना।
  • सदस्य राज्यों की आर्थिक गतिविधियों को समन्वित करना।

प्रश्न 19.
भारत-चीन के मध्य विवाद के कोई दो मुद्दे बताएं।
अथवा
भारत और चीन के बीच तनाव के किन्हीं चार कारणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1. तिब्बत की समस्या- भारत-चीन विवाद की सबसे बड़ी समस्या तिब्बत की समस्या है। चीन ने सदैव तिब्बत पर अपना दावा किया, जबकि भारत इस समस्या को तिब्बतवासियों की भावनाओं को ध्यान में रखकर सुलझाना चाहता है।

2. सीमा विवाद- भारत-चीन के बीच विवाद का एक कारण सीमा विवाद भी है। भारत ने सदैव मैकमोहन रेखा को स्वीकार किया, परन्तु चीन ने नहीं। सीमा विवाद धीरे-धीरे इतना बढ़ गया कि इसने आगे चलकर युद्ध का रूप धारण कर लिया।

3. भारत द्वारा दलाई लामा को राजनीतिक शरण देना।

4. चीन द्वारा भारत की चिन्ताओं की परवाह न करते हुए पाकिस्तान को परमाणु एवं सैनिक सहायता प्रदान करना।

प्रश्न 20.
‘आसियान’ (ASEAN) के किन्हीं चार कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर:

  • आसियान सदस्य देशों में आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं प्रशासनिक सहयोग को बढ़ावा देता है।
  • आसियान सदस्य देशों के हितों की रक्षा करता है।
  • आसियान अपने क्षेत्र में शान्ति एवं व्यवस्था बनाये रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
  • आसियान कृषि व्यापार एवं उद्योगों को प्रोत्साहित कर रहा है।

प्रश्न 21.
विश्व राजनीति में यूरोपीय संघ की भूमिका का वर्णन कीजिए।
उत्तर:

  • यूरोपीय संघ ने विश्व शान्ति के प्रयासों को बढ़ावा दिया है।
  • इसने विश्व राजनीति में से अमेरिकी प्रभुत्व को कम किया है।
  • इसने संयुक्त राष्ट्र संघ को प्रभावशाली बनाया है।
  • इसने यूरो मुद्रा की शुरुआत करके डालर के प्रभाव को कम किया है।

प्रश्न 22.
ब्रेक्सिट (BREXIT) से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
इंग्लैण्ड में 23 जून, 2016 को इस विषय पर मतदान हुआ, कि इंग्लैण्ड को यूरोपीय संघ में रहना चाहिए या नहीं। इस जनगत संग्रह में 52% लोगों ने यूरोपीय संघ से अलग होने के पक्ष में मतदान किया, जबकि 48% लोगों ने यूरोपीय संघ के साथ रहने के पक्ष में मतदान किया। इंग्लैण्ड के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री डेविड कैमरॉन यूरोपीय संघ में रहने के पक्ष में थे।

अत: उन्होंने BREXIT के मुद्दे पर त्याग पत्र दे दिया, तथा श्रीमती थेरेसा में (Smt. Theresha May) को इंग्लैण्ड का नया प्रधानमंत्री बनाया गया। इस प्रकार 43 साल तक यूरोपीय संघ का सदस्य रहने के पश्चात् इंग्लैण्ड ने इससे अलग होने का निर्णय किया। इस घटना को ही ब्रेक्सिट (BREXIT) कहा जाता है।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
यूरोपियन संघ क्या है ?
उत्तर:
यूरोपियन संघ यूरोप के देशों का एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय संगठन है। यूरोपियन संघ का आर्थिक, सैनिक, राजनीतिक तथा कूटनीतिक रूप में विश्व राजनीति में महत्त्वपूर्ण स्थान है और यहां अमेरिका के मुकाबले सत्ता के एक मज़बूत विकल्प के रूप में उभर रहा है।

प्रश्न 2.
आसियान से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
आसियान दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों की संस्था है। इसकी स्थापना वियतनामी संकट, कम्बोडिया संकट व इस क्षेत्र के देशों के पारस्परिक प्रयत्नों से विकास करने की आवश्यकता ने मिलकर दक्षिण-पूर्वी राष्ट्रों को एक क्षेत्रीय संगठन बनाने के लिए प्रेरित किया। अगस्त, 1967 में इण्डोनेशिया, फिलीपीन्स, मलेशिया, थाईलैण्ड तथा सिंगापुर ने इसकी स्थापना की।

प्रश्न 3.
भारत और चीन के आर्थिक सम्बन्धों की व्याख्या करें।
उत्तर:
भारत और चीन के आर्थिक सम्बन्ध राजनीतिक सम्बन्धों की अपेक्षा अधिक अच्छे हैं। 2006 में दोनों देशों के बीच लगभग 18 अरब डालर का व्यापार हो रहा था। आर्थिक सम्बन्धों को बढ़ावा देने के लिए दोनों देशों ने मतभेद को भुलाकर सहयोग का मार्ग चुना है। विश्व स्तर पर चीन एवं भारत ने विश्व व्यापार संगठन में एक जैसी नीतियां अपनाई हैं।

प्रश्न 4.
1978 से पहले एवं बाद में चीन की आर्थिक नीतियों में कोई दो अन्तर बताएं।
उत्तर:
(1) 1978 से पहले चीन ने आर्थिक क्षेत्र में एकान्तवास की नीति अपना रखी थी, जबकि 1978 के पश्चात् चीन ने आर्थिक क्षेत्र में खुले द्वार की नीति अपनाई।
(2) 1978 से पहले चीन में कृषि का निजीकरण नहीं हुआ था, परन्तु 1978 के बाद चीन में कृषि का निजीकरण कर दिया गया।

प्रश्न 5.
यूरोपीय संघ के निर्माण के कोई दो कारण बताएं।
उत्तर:

  • यूरोपीय संघ का निर्माण यूरोप के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए किया गया।
  • यूरोपीय संघ का निर्माण इसीलिए भी किया गया, ताकि अमेरिका की आर्थिक शक्ति का मुकाबला किया जा सके।

प्रश्न 6.
अमेरिका के मुकाबले में सत्ता के किन्हीं दो विकल्पों की चर्चा करें।
उत्तर:
1. यूरोपियन यूनियन-अमेरिका के मुकाबले यूरोपियन यूनियन सत्ता के एक बेहतर विकल्प के रूप में उभरा है।
2. भारत-1990 के दशक से भारत ने इतनी तेजी से अपना आर्थिक विकास किया है कि कई आर्थिक विशेषज्ञों ने आने वाले समय में भारत को भी सत्ता के एक विकल्प के रूप में देखना शुरू कर दिया है।

प्रश्न 7.
यूरोपीय संघ के विस्तार के कोई दो चरण लिखें।
उत्तर:
1. यूरोपीय आर्थिक समुदाय-1947 में अमेरिकी विदेश मन्त्री मार्शल द्वारा प्रस्तुत योजना के आधार पर यूरोपीय राज्यों ने आर्थिक पुनर्निर्माण के लिए 1948 में यूरोपीय आर्थिक समुदाय का निर्माण किया।
2. यूरोपीय कोयला एवं इस्पात समुदाय-इस समुदाय की स्थापना 18 अप्रैल, 1951 में फ्रांस के विदेश मंत्री शुमां के सुझाव पर की गई।

प्रश्न 8.
यूरोपीय संघ और आसियान के किन्हीं दो समान सहयोगी निर्णयों की व्याख्या करें।
उत्तर:

  • यूरोपीय संघ और आसियान जैसे संगठनों ने अपने-अपने क्षेत्र में उत्पन्न होने वाले तनावों को कम करने का प्रयास किया है।
  • यूरोपीय संघ और आसियान ने अपने-अपने क्षेत्रों में आर्थिक विकास के लिए कई प्रकार के आर्थिक निर्णय लिए।

प्रश्न 9.
मार्शल योजना क्या थी ? इसने यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन के गठन का रास्ता कैसे बनाया ?
उत्तर:
मार्शल योजना अमेरिका द्वारा दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनाई गई थी, ताकि यूरोपीय देशों की अर्थव्यवस्था को पुनर्गठित किया जा सके। क्योंकि दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान अधिकांश यूरोपीय देशों की अर्थव्यवस्था ख़राब हो चुकी थी। मार्शल योजना के अन्तर्गत ही 1948 में यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन की स्थापना की गई, जिसके माध्यम से पश्चिमी यूरोप के देशों को आर्थिक मदद दी गई।

प्रश्न 10.
यूरोपीय संघ में कितने सदस्य देश हैं ? सन् 2016 में किस देश में यूरोपीय संघ की सदस्यता छोड़ने के लिए जनमत संग्रह करवाया गया ?
उत्तर:
यूरोपीय संघ में 28 सदस्य देश हैं। सन् 2016 में इंग्लैण्ड में यूरोपीय संघ की सदस्यता छोड़ने के लिए जनमत संग्रह करवाया गया।

प्रश्न 11.
यूरोपीय संघ की मुद्रा का क्या नाम है ? इसका प्रचलन कब शुरू हुआ ?
उत्तर:
यूरोपीय संघ की मुद्रा का नाम यूरो है। इसका 2002 में शुरू हुआ।

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प्रश्न 12.
यूरोपीय कोयला एवं इस्पात समुदाय के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
यूरोपीय कोयला एवं इस्पात समुदाय की स्थापना 18 अप्रैल, 1951 में फ्रांस के विदेश मंत्री शुमां के सुझाव पर की गई। इस समुदाय का मुख्य कार्य हस्ताक्षर करने वाले सदस्य राष्ट्रों के कोयले एवं इस्पात के उत्पादन व वितरण पर नियन्त्रण रखना और इसके मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करके सदस्य राज्यों के कोयले व इस्पात के साधनों की एक सामान्य मण्डी बनाकर उनके उपयोग की सुव्यवस्था करना था।

प्रश्न 13.
यूरोपीय संघ के झण्डे के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
यूरोपीय संघ के झण्डे में सोने के रंग के सितारों का एक घेरा है, जो यूरोप के लोगों की एकता और भाईचारे का प्रतीक है। इस झण्डे में 12 सितारे हैं, क्योंकि यूरोप में 12 की संख्या को पूर्णता, एकता और समग्रता का प्रतीक माना जाता है।

प्रश्न 14.
आसियान के झण्डे की व्याख्या करें।
उत्तर:
आसियान के झण्डे में धान की दस बालियों को दर्शाया गया है, ये दस बालियां दक्षिण पूर्व एशिया के दस देशों को दर्शाती हैं जो आपस में परस्पर मित्रता, एकता एवं भाईचारे का व्यवहार करते हैं। झण्डे में दिया गया गोला (वृत्त) आसियान की एकता का प्रतीक है।

प्रश्न 15.
चीन में खेती एवं उद्योगों का निजीकरण कब किया गया ?
उत्तर:
चीन में खेती का निजीकरण सन् 1982 एवं उद्योगों का निजीकरण सन् 1998 में किया गया।

प्रश्न 16.
‘आसियान’ (ASEAN) के वर्तमान सदस्य देशों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  • कंबोडिया
  • इंडोनेशिया
  • मलेशिया
  • म्यांमार
  • फिलीपींस
  • सिंगापुर
  • थाइलैंड
  • वियतनाम
  • ब्रूनेई
  • लाओस।

प्रश्न 17.
‘आसियान’ (ASEAN) के कोई दो उद्देश्य लिखिए।
उत्तर:

  • आसियान सदस्य देशों में आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक तथा प्रशासनिक सहयोग को बढ़ावा देता है।
  • आसियान का महत्त्वपूर्ण उद्देश्य क्षेत्रीय शान्ति तथा सुरक्षा स्थापित करना है।

प्रश्न 18.
चीन की ‘खुले द्वार की नीति’ को स्पष्ट करें।
उत्तर:
1978 में चीनी नेता श्याओपेंग ने ‘खुले द्वार’ (Open door) की नीति की घोषणा करके आर्थिक सुधारों की शुरुआत की, जिसके फलस्वरूप चीन ने लगातार उन्नति की तथा आगे चलकर एक आर्थिक शक्ति के रूप में उभरा। इससे चीन में तेजी से बदलती प्रवृत्तियों का पता चलता है।

प्रश्न 19.
चीन में विदेशी व्यापार की वृद्धि के कोई दो कारण बताएं।
उत्तर:

  • चीन में विदेशी व्यापार की वृद्धि का एक प्रमुख कारण 1978 में ‘खुले द्वार’ की नीति की घोषणा करना था।
  • चीन ने विदेशी निवेश एवं व्यापार को आकर्षित करने के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्रों (Special Economic Zone-SEZ) का निर्माण किया।

प्रश्न 20.
‘आसियान विजन-2020’ की कोई एक मुख्य बात लिखें।
उत्तर:
‘आसियान विजन -2020’ में अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय में आसियान की एक बर्हिमुखी भूमिका को प्रमुखता दी गई है।

प्रश्न 21.
चीन की नई आर्थिक नीति की कोई दो असफलताएं बताएं।
उत्तर:

  • चीन की नई आर्थिक नीति के अन्तर्गत जारी सुधारों का लाभ सभी क्षेत्रों को नहीं मिल पाया है।
  • चीन में नई आर्थिक नीति से बेरोज़गारी बढ़ी है। चीन में लगभग 10 करोड़ लोग बेरोज़गार हैं।

प्रश्न 22.
‘हिन्दी-चीनी भाई-भाई’ के नारे के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
‘हिन्दी-चीनी भाई-भाई’ का नारा 1950 के दशक में अस्तित्व में आया। इस नारे का उद्देश्य भारत-चीन सम्बन्धों को मजबूत करना था। चीन के प्रधानमन्त्री चाऊ-एन-लाई, की 1954 में भारत यात्रा के दौरान यह नारा और अधिक लोकप्रिय हो गया। परन्तु धीरे-धीरे भारत एवं चीन में सीमा विवाद बढ़ने तथा 1962 में चीन द्वारा भारत पर आक्रमण से यह नारा महत्त्वहीन हो गया।

प्रश्न 23.
चीन की बदलती व्यवस्था के कोई दो कारण लिखें।
उत्तर:
1. विदेशी सम्बन्धों में सुधार-चीन की बदलती व्यवस्था का प्रमुख कारण 1970 के दशक में चीन द्वारा विदेशी सम्बन्धों को बढ़ावा देना था। 1972 में चीन ने अमेरिका से सम्बन्ध बनाकर अपना एकांतवास समाप्त किया।

2. आधुनिकीकरण पर बल-चीन में आधुनिकीकरण पर बहुत बल दिया जा रहा है। इसीलिए 1982 के संविधान में जगह-जगह उन्नत विज्ञान व तकनीक, समाजवादी आधुनिकीकरण, वैज्ञानिक खोज, औद्योगिक अनुसन्धान व खोज आदि शब्दावली का प्रयोग किया गया है।

प्रश्न 24.
द्वि-धवीय व्यवस्था के टूटने के पश्चात् अमेरिका के वैकल्पिक सत्ता के रूप में उभरे किन्हीं दो क्षेत्रीय संगठनों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  • यूरोपीय यूनियन।
  • आसियान।

प्रश्न 25.
संयुक्त मुद्रा किसे कहते हैं ?
उत्तर:
संयुक्त मुद्रा से अभिप्राय ऐसी मुद्रा से है, जिसका प्रचलन दो या दो से अधिक देशों में हो। इस प्रकार की मुद्रा के प्रचलन के लिए सदस्य देश परस्पर समझौता करते हैं, ताकि सम्बन्धित देशों में उस मुद्रा को वैध माना जाए। यूरोप में संयुक्त मुद्रा जिसे ‘यूरो मुद्रा’ कहते हैं, का प्रचलन है।

प्रश्न 26.
चीन के सन्दर्भ में नेपोलियन ने क्या कहा था ?
उत्तर:
चीन के सन्दर्भ में नेपोलियन ने कहा था, कि “वहां एक दैत्य सो रहा है, उसे सोने दो, यदि वह जाग गया तो दुनिया को हिला देगा।”

प्रश्न 27.
‘एशिया का रोगी’ किस देश को कहा जाता था ?
उत्तर:
‘एशिया का रोगी’ चीन देश को कहा जाता था।

प्रश्न 28.
माओ के बाद चीन के उदय का एक कारण लिखें।
उत्तर:
माओ के बाद चीन के उदय का एक प्रमुख कारण चीन द्वारा खुले द्वार की नीति को अपनाना था।

प्रश्न 29.
चीन में साम्यवादी क्रान्ति कब और किसके नेतृत्व में हुई?
उत्तर:
चीन में साम्यवादी क्रान्ति सन् 1949 में माओ-त्से-तुंग के नेतृत्व में हुई।

प्रश्न 30.
भारत और चीन के बीच तनाव के कोई दो कारण लिखें।
अथवा
भारत और चीन के मध्य दो मुख्य विवाद कौन-से हैं ?
उत्तर:

  • भारत और चीन में महत्त्वपूर्ण विवाद सीमा का विवाद है। चीन ने भारत की भूमि पर कब्जा कर रखा है।
  • चीन का तिब्बत पर कब्जा और भारत का दलाई लामा को राजनीतिक शरण देना।

प्रश्न 31.
यूरोपीय संघ की स्थापना कब और किस संधि के द्वारा हुई ?
उत्तर:
यूरोपीय संघ की स्थापना सन् 1992 में मैस्ट्रिच संधि के द्वारा हुई।

प्रश्न 32.
आसियान शैली क्या है ?
उत्तर:
आसियान शैली आसियान सदस्यों के अनौपचारिक और सहयोगपूर्ण कामकाज का स्वरूप है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न 

1. अमेरिका के मुकाबले सत्ता के विकल्प के रूप में उभर कर सामने आया है
(A) यूरोपीय संघ
(B) आसियान
(C) भारत एवं चीन
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

2. आसियान संगठन है
(A) दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों का
(B) यूरोपीय देशों का
(C) दक्षिण एशिया के देशों का ।
(D) उत्तरी अमेरिका के देशों का।
उत्तर:
(A) दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों का।

3. चीन में आधुनिकीकरण के चार प्रस्ताव कब दिये गए ?
(A) 1965
(B) 1973
(C) 1985
(D) 1990.
उत्तर:
(B) 1973.

4. भारत एवं चीन के आर्थिक सम्बन्ध
(A) खराब हैं
(B) अच्छे हैं
(C) नहीं हैं
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(B) अच्छे हैं।

5. SEZ का अर्थ लिया जाता है ?
(A) Service Economic Zone
(B) Several Economic Zone
(C) Special Earth Zone
(D) Special Economic Zone.
उत्तर:
(D) Special Economic Zone.

6. मैस्ट्रिच सन्धि पर हस्ताक्षर कब हुए
(A) 25 अप्रैल, 1994
(B) 25 फरवरी, 2003
(C) 7 फरवरी, 1992
(D) 23 दिसम्बर, 2005.
उत्तर:
(C)7 फरवरी, 1992.

7. जनसंख्या की दृष्टि से चीन का विश्व में कौन-सा स्थान है ?
(A) प्रथम
(B) द्वितीय
(C) चतुर्थ
(D) दसवां।
उत्तर:
(A) प्रथम।

8. मार्शल योजना का संबंध निम्न में से किस देश से है ?
(A) ब्रिटेन
(B) संयुक्त राज्य अमेरिका
(C) भारत
(D) भू० पू० सोवियत संघ ।
उत्तर:
(B) संयुक्त राज्य अमेरिका।

9. एकल यूरोपियन अधिनियम (Single European Act) कब लागू हुआ ?
(A) मई, 1982
(B) जुलाई, 1987
(C) मार्च, 1990
(D) दिसम्बर, 2000.
उत्तर:
(B) जुलाई, 1987.

10. भारत तथा चीन के बीच तनाव का मुख्य कारण है:
(A) नदी जल बंटवारा
(B) घुसपैठ की समस्या
(C) सीमा विवाद
(D) सीमा पार आतंकवाद।
उत्तर:
(C) सीमा विवाद।

11. यूरोपीय संघ की स्थापना कब हुई ?
(A) 1987 में
(B) 1989 में
(C) 1992 में
(D) 1996 में।
उत्तर:
(C) 1992 में।

12. यूरोप में यूरो मुद्रा का प्रचलन कब शुरू हुआ ?
(A) 2000 में
(B) 2001 में
(C) 2002 में
(D) 2003 में।
उत्तर:
(C) 2002 में।

13. भारत-आसियान (ASEAN) के बीच ‘मुक्त व्यापार समझौता’ कब लागू हुआ ?
(A) 1 दिसम्बर, 2009 को
(B) 1 जनवरी, 2010 को
(C) 1 जनवरी, 2009 को
(D) 1 जनवरी, 2009 को।
उत्तर:
(B) 1 जनवरी, 2010 को।

14. यूरोपीय संसद् का पहला प्रत्यक्ष चुनाव कब हुआ ?
(A) सन् 1957 में
(B) सन् 1959 में
(C) सन् 1969 में
(D) सन् 1979 में।
उत्तर:
(D) सन् 1979 में।

15. ‘आसियान’ (ASEAN) की स्थापना कब हुई?
(A) 1961 में
(B) 1965 में
(C) 1967 में
(D) 1969 में।
उत्तर:
(C) 1967 में।

16. चीन में साम्यवादी क्रान्ति कब हुई ?
(A) 1949 में
(B) 1955 में
(C) 1957 में
(D) 1965 में।
उत्तर:
(A) 1949 में।

17. चीन ने ‘मुक्त द्वार’ की नीति कब प्रारम्भ की?
(A) 1968 में
(B) 1978 में
(C) 1984 में
(D) 1988 में।
उत्तर:
(B) 1978 में।

18. चीन में कृषि क्षेत्र का निजीकरण कब किया गया ?
(A) 1954 में
(B) 1972 में
(C) 1995 में
(D) 1982 में।
उत्तर:
(D) 1982 में।

19. चीन में उद्योगों का निजीकरण कब किया गया था ?
(A) 1991 में
(B) 1998 में
(C) 1999 में
(D) 2001 में।
उत्तर:
(B) 1998 में।

20. किस वर्ष चीन विश्व व्यापार संगठन का सदस्य बना ?
(A) 1997 में
(B) 2001 में
(C) 2003 में
(D) 2008 में।
उत्तर:
(B) 2001 में।

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21. इंग्लैण्ड में, यूरोपीय संघ से अलग (BREXIT) होने के लिए जनमत संग्रह कब हुआ था?
(A) 23 जून, 2016
(B) 23 जून, 2015
(C) 23 जून, 2014
(D) 23 जून, 2013.
उत्तर:
(A) 23 जून, 2016.

22. चीन द्वारा तिब्बत को अपने क्षेत्र में शामिल करने का प्रयास कब किया गया था ?
(A) 1950 में
(B) 1960 में
(C) 1970 में
(D) 1980 में।
उत्तर:
(A) 1950 में।

23. चीन ने भारत पर कब आक्रमण किया ?
(A) 1962 में
(B) 1965 में
(C) 1967 में
(D) 1971 में।
उत्तर:
(A) 1962 में।

24. ‘पंचशील समझौता’ किनके बीच हुआ?
(A) भारत-पाकिस्तान
(B) भारत-चीन
(C) भारत-रूस
(D) भारत-बांग्लादेश।
उत्तर:
(B) भारत-चीन।

25. भारतीय प्रधानमन्त्री श्री राजीव गांधी ने चीन यात्रा कब की ?
(A) 1985 में
(B) 1988 में
(C) 1990 में
(D) 1991 में।
उत्तर:
(B) 1988 में।

26. चीन में यातायात का सबसे लोकप्रिय साधन कौन-सा है ?
(A) साइकिल
(B) मोटर साइकिल
(C) कार
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(A) साइकिल।

27. आसियान का उद्देश्य है
(A) सदस्य देशों में आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक एवं प्रशासनिक सहयोग को बढ़ाया जाए
(B) क्षेत्रीय शान्ति एवं सुरक्षा स्थापित की जाए
(C) कृषि, व्यापार एवं उद्योग में विकास एवं सहयोग किया जाए
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

28. ‘आसियान’ (ASEAN) में सम्मिलित सदस्य देशों की संख्या कितनी है?
(A) 8
(B) 10
(C) 12
(D) 15.
उत्तर:
(B) 10.

29. भारत और चीन के मध्य अन्तर्राष्ट्रीय सीमा रेखा कौन-सी है ?
(A) मैकमोहन रेखा
(B) रेडक्लिफ रेखा
(C) नेहरू रेखा
(D) माओ-रेखा।
उत्तर:
(A) मैकमोहन रेखा।

30. जापान की अर्थव्यवस्था का विश्व में कौन-सा स्थान है ?
(A) प्रथम
(B) द्वितीय
(C) तृतीय
(D) दसवां।
उत्तर:
(C) तृतीय।

रिक्त स्थान भरें

(1) 20 अक्तूबर, 1962 को ……………. ने भारत पर आक्रमण किया।
उत्तर:
चीन

(2) चीन ने 1972 में ………………. के साथ दोतरफा संबंध शुरू किये (देश का नाम)।
उत्तर:
अमेरिका

(3) ‘चीन ने खुले द्वार’ की नीति सन् ………… में प्रारंभ की।
उत्तर:
1978

(4) चीन ने भारत पर सन् …………… में आक्रमण किया।
उत्तर:
1962

(5) चीन में सन् 1949 में श्री …………………. के नेतृत्व में साम्यवादी क्रान्ति हुई थी।
उत्तर:
माओ-त्से-तुंग

(6) यूरोपीय संघ के झण्डे में ………. …………. सितारे हैं।
उत्तर:
12

(7) यूरोपीय संघ की स्थापना …………………. वर्ष में हुई।
उत्तर:
1992

(8) 1954 में भारत और चीन के बीच ………………… समझौता हुआ।
उत्तर:
पंचशील

(9) सन् 1992 में यूरोपीय संघ की स्थापना ………………… सन्धि के द्वारा हुई।
उत्तर:
मैस्ट्रिच संधि

(10) आसियान (ASEAN) में शामिल सदस्य देशों की संख्या ……………….. है।
उत्तर:
दस

(11) भारत और चीन के मध्य ………… अन्तर्राष्ट्रीय सीमा रेखा है।
उत्तर:
मैकमोहन रेखा

(12) आसियान (ASEAN) में शामिल सदस्य देशों की संख्या …………. है।
उत्तर:
दस।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर दें

प्रश्न 1.
आसियान (ASEAN) की स्थापना कब हुई ?
उत्तर:
सन् 1967 में।

प्रश्न 2.
जापान की अर्थव्यवस्था का विश्व में कौन-सा स्थान है ?
उत्तर:
जापान की अर्थव्यवस्था का विश्व में तीसरा स्थान है।

प्रश्न 3.
आसियान (ASEAN) में कितने देश सदस्य हैं ?
उत्तर:
आसियान के 10 देश सदस्य हैं।

प्रश्न 4.
यूरोपीय संघ की मुद्रा को किस नाम से जाना जाता है ?
अथवा
यूरोपीय संघ की मुद्रा का क्या नाम है ?
उत्तर:
यूरो मुद्रा।

प्रश्न 5.
चीन में कृषि क्षेत्र का निजीकरण कब किया गया ?
उत्तर:
सन् 1982 में।

प्रश्न 6.
भारत में चीन के मध्य अन्तर्राष्ट्रीय सीमा रेखा’ को किस नाम से जाना जाता है ?
अथवा
भारत और चीन के मध्य भारत द्वारा मान्यता प्राप्त सीमा रेखा कौन-सी है ?
उत्तर:
मैकमोहन रेखा।

प्रश्न 7.
क्या भारत ASEAN (आसियान) का सदस्य देश है ?
उत्तर:
नहीं, भारत आसियान का सदस्य नहीं है।

प्रश्न 8.
चीन में ‘साम्यवादी क्रान्ति’ कब हुई थी ?
उत्तर:
सन् 1949 में।

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प्रश्न 9.
चीन में ‘खुले द्वार की नीति’ की घोषणा कब की गयी थी ?
उत्तर:
सन् 1978.

प्रश्न 10.
जनसंख्या की दृष्टि से विश्व में भारत का कौन-सा स्थान है ?
उत्तर:
जनसंख्या की दृष्टि से विश्व में भारत का दूसरा स्थान है।

प्रश्न 11.
भारत ने पूरब की ओर देखो’ की नीति कब अपनायी ?
उत्तर:
सन् 1991 में।

प्रश्न 12.
‘पंचशील समझौते’ पर किन दो देशों ने हस्ताक्षर किए ?
उत्तर:
भारत एवं चीन ने।

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