Haryana State Board HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 2 दो ध्रुवीयता का अंत Important Questions and Answers.
Haryana Board 12th Class Political Science Important Questions Chapter 2 दो ध्रुवीयता का अंत
निबन्धात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
विश्व राजनीति में उभरी नई हस्तियों की व्याख्या करें।
उत्तर:
1990 के दशक में विश्व राजनीति में बहुत महत्त्वपूर्ण परिवर्तन आए। 1991 में शीत युद्ध की समाप्ति के पश्चात् द्वि-ध्रुवीय विश्व व्यवस्था समाप्त हो गई तथा विश्व तेज़ी से एक ध्रुवीय होता चला गया, जिसके प्रभाव को कम करने के लिए कुछ प्रयास भी किये, यूरोपीय संघ की स्थापना इसी प्रकार का प्रयास माना जा सकता है। इसके साथ 1991 में शीत युद्ध की समाप्ति के पश्चात् विश्व राजनीति में कुछ नई हस्तियां या राज्य उभरे जिनका वर्णन इस प्रकार है
1. रूस (Russia):
शीत युद्ध की समाप्ति पर रूस, सोवियत संघ के उत्तराधिकारी के रूप में उभर कर सामने आया, यद्यपि रूस न तो सोवियत संघ के समान सैनिक रूप से शक्तिशाली था और न ही आर्थिक रूप से। अत: रूस को अपनी आर्थिक व्यवस्था को ठीक करके अपना विकास करना था। इसके लिए रूस ने अपने सैनिक खर्चों में कमी करना शुरू किया।
परन्तु इसका एक परिणाम यह निकला कि रूस में बेरोजगारी बढ़ने लगी तथा रूस की आर्थिक व्यवस्था संकट में पड़ गई जिसके परिणामस्वरूप 1992 में रूस में आर्थिक सुधारों को लागू करने की बात की जाने लगी। रूस में समय-समय पर कुछ ऐसी घटनाएं होती रहीं, जिससे रूस को आर्थिक एवं राजनीतिक हानि उठानी पड़ी है।
उदाहरण के लिए 1994 एवं 1999 में चेचन्या विद्रोह, 2000 में परमाणु पनडुब्बी कुर्सक् की जलसमाधि, 2002 में चेचन विद्रोहियों द्वारा मास्को की रंगशाला में लोगों को बन्दी बनाना तथा 2004 में चेचन विद्रोहियों द्वारा ही बेसलान में 1100 स्कूली बच्चों, शिक्षकों तथा अभिभावकों को बन्दी बनाना इत्यादि इसमें शामिल हैं।
इन घटनाओं से रूस की आर्थिक व्यवस्था को काफ़ी हानि पहुंची तथा विश्व स्तर पर भी रूस के महत्त्व में कमी आई। इसके साथ-साथ रूस के अमेरिका के सम्बन्ध भी उतार व चढ़ाव वाले रहे। शीत युद्ध की समाप्ति के पश्चात् रूस को विश्वास था कि वह अब अपने आर्थिक विकास पर जोर देगा, विश्व राजनीति में पुनः शक्तिशाली बन कर उभरेगा, भारत के साथ अपने सम्बन्धों को और अधिक सुदृढ़ करेगा। कुछ कठिनाइयों के बावजूद भी वर्तमान राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने इन सभी आशाओं को आगे बढ़ाया है।
2. बलकान युद्ध (Balkan States):
बलकान राज्यों में अल्बानिया, बुल्गारिया, बोसनिया तथा हरजेगोविनिया, यूनान, क्रोशिया, मान्टेनीग्रो, मेसेडोनिया तथा तुर्की शामिल हैं। बलकान को प्रायः बलकान प्रायद्वीप भी कह दिया जाता है, क्योंकि यह तीन दिशाओं से पानी से घिरा हुआ है। दक्षिण तथा पश्चिम में भूमध्य सागर की शाखाएं तथा पूर्वी भाग की ओर काला सागर स्थित है। 1980 के दशक में बलकान क्षेत्र में कई महत्त्वपूर्ण परिवर्तन आए, जिनसे निपटने के लिए इस क्षेत्र के देशों ने 1988 में बेलग्रेड में एक बैठक आयोजित की।
इस सभा में सभी देशों ने विस्तृत आर्थिक सहयोग के लिए आपस में हाथ मिलाए। 1990 में युगोस्लाविया के विखण्डन ने बलकान राज्यों की एकता को कम करने का काम किया। शीत युद्ध की समाप्ति के पश्चात् नाटो ने बलकान क्षेत्र में अपने प्रभाव को जमाने का प्रयास किया। शीत युद्ध की समाप्ति के पश्चात् बलकान क्षेत्र में भी साम्यवाद के स्थान पर राष्ट्रवाद की विचारधारा बढ़ती जा रही थी।
यद्यपि यूगोस्लाविया संकट ने बलकान क्षेत्र में अस्थिरता पैदा की, परन्तु फिर भी शीत युद्ध की समाप्ति के पश्चात् बलकान देशों ने विश्व स्तर पर अपनी एक नई पहचान बनाई है तथा स्वयं को विश्व की लोकतान्त्रिक विचारधारा के साथ जोड़ दिया है।
3. केन्द्रीय एशियाई राज्य (Central Asian States):
शीत युद्ध एवं द्वि-ध्रुवीय विश्व व्यवस्था की समाप्ति का प्रभाव केन्द्रीय एशियाई राज्यों पर भी पड़ा। सोवियत संघ के विघटन से केन्द्रीय एशिया में कुछ नये राज्यों का उदय हुआ। इनमें उजबेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, कजाखिस्तान, किरघिस्तान तथा ताजिकिस्तान शामिल हैं।
इस क्षेत्र में शीत युद्ध के पश्चात् अमेरिका ने प्राय: सभी देशों से अपने सम्बन्धों को मधुर बनाने के प्रयास किये। अमेरिका ने इस क्षेत्र में लोकतान्त्रिक संस्थाओं के निर्माण पर जोर दिया। शीत युद्ध की समाप्ति के पश्चात् इस क्षेत्र में स्थायित्व, आर्थिक विकास, परमाणु हथियारों पर रोक तथा मानवाधिकारों पर बल दिया गया। इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए अमेरिका ने इस क्षेत्र के देशों को अपना सहयोग दिया।
प्रश्न 2.
भारत-रूस सम्बन्धों की व्याख्या कीजिए। (Explain Indo-Russia relations.)
उत्तर:
सन् 1991 में भूतपूर्व सोवियत संघ का विघटन हो गया और उसके 15 गणराज्यों ने स्वयं को स्वतन्त्र राज्य घोषित कर दिया। रूस भी इन्हीं में से एक है। फरवरी, 1992 में भारतीय प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने रूस के राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन को विश्वास दिलाया कि भारत के साथ रूस के सम्बन्ध में कोई गिरावट नहीं आएगी और वे पहले की ही तरह मित्रवत् और सहयोग पूर्ण बने रहेंगे।
आज भारत और रूस में घनिष्ठ सम्बन्ध हैं। रूस के राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन तीन दिन की ऐतिहासिक यात्रा पर 27 जनवरी, 1993 को दिल्ली पहुंचे। राष्ट्रपति येल्तसिन और प्रधानमन्त्री नरसिम्हा राव वार्ता में मुख्यत: आर्थिक एवं व्यापारिक विवादों के समाधान और द्विपक्षीय सहयोग के लिए एजेंडे पर विशेष जोर दिया गया।
दोनों देशों के बीच 10 समझौते हुए जिनमें रुपया-रूबल विनिमय दर तथा कर्जे की मात्रा व भुगतान सम्बन्धी जटिल समस्याओं पर हुआ समझौता विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। दोनों देशों में 20 वर्ष के लिए मैत्री एवं सहयोग की सन्धि हुई। यह सन्धि 1971 की सन्धि से इस रूप से भिन्न है कि इसमें सामरिक सुरक्षा सम्बन्धी उपबन्ध शामिल नहीं है। लेकिन 14 उपबन्धों वाली इस नई सन्धि में यह प्रावधान अवश्य रखा गया है कि दोनों देश ऐसा कोई काम नहीं करेंगे जिससे एक-दूसरे के हितों पर आंच आती है। वाणिज्य तथा आर्थिक सम्बन्धों के संवर्धन के लिए चार समझौते सम्पन्न हुए। इन समझौतों से व्यापार में भारी वृद्धि की आशा की गई है।
भारत रूस समझौतों से रूस को निर्यात करने वाले भारतीय व्यापारियों की परेशानी भी दूर हो गई है। भारतीय सेनाओं के लिए रक्षा कलपुर्जो की नियमित सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए रूसी राष्ट्रपति द्वारा प्रस्तुत त्रिसूत्रीय फार्मूला दोनों देशों ने स्वीकार कर लिया। इस सहमति से भारत को रूस की रक्षा उपकरणों और प्रौद्योगिकी प्राप्त होगी और संयुक्त उद्यमों में भी उसकी भागीदारी होगी। राजनीतिक स्तर पर राष्ट्रपति येल्तसिन तथा प्रधानमन्त्री नरसिम्हा राव की सहमति भारत की सबसे बड़ी राजनीतिक सफलता है।
रूसी राष्ट्रपति ने कश्मीर के मामले पर भारत की नीति का पूर्ण समर्थन किया और यह वचन दिया कि रूस पाकिस्तान को किसी भी तरह की तकनीकी तथा सामरिक सहायता नहीं देगा। रूस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में भी कश्मीर के मुद्दे पर भारत को समर्थन प्रदान करेगा। सुरक्षा परिषद् की स्थायी सदस्यता के लिए भी रूस भारत के दावे का समर्थन करेगा।
भारत के प्रधानमन्त्री की रूस यात्रा-29 जून, 1994 को भारत के प्रधानमन्त्री श्री पी० वी० नरसिम्हा राव रूस की यात्रा पर गए। भारत और रूस के मध्य वहां आपसी सहयोग व सैनिक सहयोग के क्षेत्र में 11 समझौते हुए। प्रधानमन्त्री राव की इस यात्रा से भारत और रूस के मध्य नवीनतम तकनीक के आदान-प्रदान के क्षेत्र पर बल दिया गया। रूस के प्रधानमन्त्री की भारत यात्रा-दिसम्बर, 1994 में रूस के प्रधानमन्त्री विक्टर चेरनोमिर्दीन भारत की यात्रा पर आए। भारत और रूस के बीच आठ समझौते हुए। इन समझौतों में सैनिक और तकनीकी सहयोग भी शामिल हैं। इन समझौतों का भविष्य की दृष्टि से अत्यधिक महत्त्व है।
प्रधानमन्त्री एच० डी० देवगौड़ा की रूस यात्रा-मार्च, 1997 में भारत के प्रधानमन्त्री एच०डी० देवगौड़ा रूस गए। उन्होंने रूस के राष्ट्रपति येल्तसिन और प्रधानमन्त्री चेरनोमिर्दिन से बातचीत कर परम्परागत मित्रता बढ़ाने के लिए कई उपायों पर द्विपक्षीय सहमति हासिल की। रूस ने भारत को परमाणु रिएक्टर देने के पुराने निर्णय को पुष्ट किया।
परमाणु परीक्षण-11 मई, 1998 को भारत ने तीन और 13 मई को दो परमाणु परीक्षण किए। अमेरिका ने भारत के विरुद्ध आर्थिक प्रतिबन्ध लगाए जिसकी रूस ने कटु आलोचना की। 21 जून, 1998 को रूस के परमाणु ऊर्जा मन्त्री देवगेनी अदामोव और भारत के परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष डॉ० आर० चिदम्बरम ने नई दिल्ली में तमिलनाडु के कुरनकुलम में अढाई अरब की लागत से बनने वाले परमाणु ऊर्जा संयन्त्र के सम्बन्ध में समझौता किया।
रूस के प्रधानमन्त्री की भारत यात्रा-दिसम्बर, 1998 में रूस के प्रधानमन्त्री प्रिमाकोव भारत की यात्रा पर आए। 21 दिसम्बर, 1998 को दोनों देशों ने आपसी सहयोग के सात समझौतों पर हस्ताक्षर किए। दोनों देशों के रक्षा सहयोग की अवधि सन् 2000 से 2010 तक बढ़ाने का निर्णय किया। रूसी प्रतिरक्षा मन्त्री की भारत यात्रा-मार्च, 1999 को रूस के प्रतिरक्षा मन्त्री मार्शल इगोर दमित्रियेविच सर्गियेव (Marshall Igor Dmitrievich Suergeyev) पांच दिन के लिए भारत की यात्रा पर आए।
22 मार्च, 1999 को रूसी प्रतिरक्षा मन्त्री ने भारत के साथ एक महत्त्वपूर्ण रक्षा समझौता किया जिसके अन्तर्गत भारतीय सेना अधिकारियों को रूस के सैनिक शिक्षण संस्थाओं में प्रशिक्षण दिया जाएगा। भारतीय प्रतिरक्षा मन्त्री जार्ज फर्नांडीज़ ने इस रक्षा समझौते को भारत और मास्को के बीच दीर्घकालीन समझौता बताया।
रूस के राष्ट्रपति की भारत यात्रा-अक्तूबर, 2000 में रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन भारत की यात्रा पर आए। अपनी यात्रा के दौरान रूसी राष्ट्रपति ने भारत के साथ क्षेत्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय विषयों के अलावा के अनेक विषयों पर बातचीत की। दोनों देशों ने अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद, विघटनवाद, संगठित मज़हबी अपराध और मादक पदार्थों की तस्करी के खिलाफ़ सहयोग करने पर भी सहमति जताई। दोनों देशों ने आपसी हित के 17 विभिन्न विषयों पर समझौते किए। इनमें सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण समझौता सामरिक भागीदारी का घोषणा-पत्र रहा।
भारत के प्रधानमन्त्री की रूस यात्रा-नवम्बर, 2001 में भारत के प्रधानमन्त्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी रूस यात्रा पर गए। वाजपेयी एवं रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने शिखर वार्ता करके ‘मास्को घोषणा पत्र’ जारी किया जिसमें आतंकवाद के खिलाफ लड़ने की बात कही गई। रूस ने सुरक्षा परिषद् में भारत की स्थायी सदस्यता के दावे का भरपूर समर्थन किया। इसके अतिरिक्त अन्य कई क्षेत्रों में भी दोनों देशों के बीच समझौते हुए।
रूस के राष्ट्रपति की भारत यात्रा-दिसम्बर, 2004 में रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने भारत की यात्रा की। भारत एवं रूस ने आतंकवाद से एकजुट तरीके से निपटने एवं आर्थिक व्यापारिक सहयोग बढ़ाने के सामरिक महत्त्व के एक संयुक्त घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर किये। रूस ने संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद् में स्थायी सदस्यता के लिए भारत का वीटो सहित समर्थन किया। रूस के राष्ट्रपति की भारत यात्रा-दिसम्बर, 2008 में रूस के राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव भारत यात्रा पर आए तथा भारत के साथ अपने सम्बन्धों को और प्रगाढ़ बनाया।
भारतीय प्रधानमन्त्री की रूस यात्रा-भारत के प्रधानमन्त्री डॉ. मनमोहन सिंह दिसम्बर, 2009 में भारत-रूस वार्षिक शिखर बैठक में भाग लेने के लिए रूस यात्रा पर गये। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने असैन्य परमाणु समझौता किया। रूसी प्रधानमन्त्री की भारत यात्रा-मार्च, 2010 में रूसी प्रधानमन्त्री श्री ब्लादिमीर पुतिन भारत यात्रा पर आए। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने सुरक्षा एवं सहयोग के पाँच समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
रूसी राष्ट्रपति की भारत यात्रा-दिसम्बर, 2010 में भारत-रूस वार्षिक शिखर वार्ता में भाग लेने के लिए रूस के राष्ट्रपति दमित्री मेदवेदेव भारत यात्रा पर आए। इस यात्रा के दौरान दोनों दोनों दोनों देशों ने 30 समझौतों पर हस्ताक्षर किये। भारतीय प्रधानमन्त्री की रूस यात्रा-दिसम्बर, 2011 में भारतीय प्रधानमन्त्री डॉ. मनमोहन सिंह ने रूस की यात्रा की।
इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने पारस्परिक सहयोग के चार विभिन्न समझौतों पर हस्ताक्षर किये। रूसी राष्ट्रपति की भारत यात्रा-दिसम्बर, 2012 में रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन भारत-रूस वार्षिक शिखर वार्ता में भाग लेने के लिए भारत यात्रा पर आए। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने रक्षा एवं सहयोग के 10 समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
भारतीय प्रधानमन्त्री की रूस यात्रा-3 अक्तूबर, 2013 में भारतीय प्रधानमन्त्री डॉ. मनमोहन सिंह ने रूस की यात्रा की। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने कुडनकुलम बिजली परियोजना, राकेट, मिसाइल, नौसैना, प्रौद्योगिकी और हथियार प्रणाली के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने का फैसला किया। दिसम्बर, 2014 में रूसी राष्ट्रपति श्री ब्लादिमीर पुतिन ने भारत की यात्रा की। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने 20 समझौतों पर हस्ताक्षर किये।
दिसम्बर, 2015 में भारतीय प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी ने रूस की यात्रा की। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने सुरक्षा, व्यापार एवं स्वच्छ ऊर्जा जैसे 16 महत्त्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए। अक्तूबर, 2016 में रूसी राष्ट्रपति श्री ब्लादिमीर पुतिन भारत यात्रा पर आए। उन्होंने भारत में हुए ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लिया तथा भारत के साथ 16 समझौतों पर भी हस्ताक्षर किये। – जून 2017 में भारतीय प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी ने रूस की यात्रा की। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने 5 महत्त्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किये। अक्तूबर 2018 में रूसी राष्ट्रपति श्री ब्लादिमीर पुतिन वार्षिक शिखर वार्ता के लिए भारत यात्रा पर आए। इस दौरान दोनों देशों ने आठ महत्त्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किये।
सितम्बर, 2019 में भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने रूस की यात्रा की। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने 15 समझौतों पर हस्ताक्षर किये। निःसन्देह भारत और रूस में मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध स्थापित हो चुके हैं। सभी विवाद हल हो चुके हैं, गतिरोध दूर हो चुके हैं और नए सम्बन्ध स्थापित हो चुके हैं। दोनों देशों के बीच एक नई समझदारी हुई है जो नई विश्व-व्यवस्था में योगदान कर सकती है। रूस पुरानी मित्रता को निरन्तर निभा रहा है और यह निर्विवाद है कि भारत और रूस के बीच विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ने से दोनों देशों की ताकत बढ़ेगी।
प्रश्न 3.
सोवियत संघ के विघटन के मुख्य कारण क्या थे ?
उत्तर:
सोवियत संघ के विघटन के निम्नलिखित कारण थे
(1) सोवियत संघ राजनीतिक और आर्थिक रूप से कमजोर हो चुका था।
(2) उपभोक्ता वस्तुओं की कमी ने सोवियत संघ के नागरिकों में असंतोष भर दिया।
(3) सोवियत संघ के लोग मिखाइल गोर्बाचेव के सुधारों की धीमी गति से सन्तुष्ट नहीं थे।
(4) सोवियत संघ में कम्युनिस्ट पार्टी का शासन लगभग 70 सालों तक रहा है। परन्तु वह किसी के प्रति उत्तरदायी नहीं थी। इस कारण सोवियत संघ के नागरिक इस पार्टी से छुटकारा पाना चाहते थे।
(5) सोवियत संघ ने समय-समय पर अत्याधुनिक एवं हथियार बनाकर अमेरिका की बराबरी करने का प्रयास किया, परन्तु धीरे-धीरे उसे इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ी।
(6) अत्यधिक खर्चों के कारण सोवियत संघ बुनियादी ढांचे एवं तकनीकी क्षेत्र में पिछड़ता गया।
(7) सोवियत संघ राजनीतिक एवं आर्थिक तौर पर अपने नागरिकों के समक्ष पूरी तरह सफल नहीं हो पाया।
(8) 1979 में अफ़गानिस्तान में सैनिक हस्तक्षेप के कारण सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था और भी कमज़ोर हो गई।
प्रश्न 4.
द्वि-ध्रवीयकरण के लाभ तथा हानियाँ लिखो।
अथवा
द्वि-ध्रुवीयकरण के लाभ लिखिए।
उत्तर:
द्वि-ध्रुवीयकरण के लाभ
1. विचारधाराओं को प्रोत्साहन-द्वि-ध्रुवीय विश्व का एक लाभ यह है कि इस विश्व व्यवस्था के अन्तर्गत विचारधाराओं को बहुत महत्त्व एवं प्रोत्साहन दिया जाता है। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दोनों गुटों ने अर्थात् अमेरिका तथा सोवियत संघ ने अपनी-अपनी विचारधाराओं को प्रोत्साहित किया। जहां अमेरिका ने पूंजीवादी विचारधारा को बढ़ावा दिया, वहीं सोवियत संघ ने साम्यवादी विचारधारा को प्रोत्साहन दिया।
2. शक्ति में समानता-द्वि-ध्रुवीय विश्व में दोनों गुटों की शक्ति लगभग समान होती है। दोनों गुटों में शक्ति बराबर होने से सदैव संघर्ष की शक्ति बनी रहती है।
3. शान्ति स्थापना में सहायक-द्वि-ध्रुवीय विश्व का एक महत्त्वपूर्ण लाभ यह है कि इसके द्वारा विश्व में शान्ति स्थापना में सहायता मिलती है। द्वि-ध्रुवीय विश्व में जो प्रतिस्पर्धा पैदा होती है या जो संघर्ष पैदा होता है, वह केवल दोनों गुटों तक ही सीमित रहता है। शेष विश्व इस संघर्ष से अछूता रहता है।
द्वि-धुवीयकरण की हानियाँ
1. शस्त्रीकरण को बढावा-द्वि-ध्रुवीय विश्व का सबसे पहला दोष या हानि यह है कि इस व्यवस्था के कारण शस्त्रीकरण को बढ़ावा मिलता है। दोनों गुटों में एक-दूसरे से अधिक शक्तिशाली होने के लिए सदैव प्रतिस्पर्धा चलती रहती है। इसके लिए दोनों गुट सभी तरह के हथकण्डे अपनाते हैं, जिससे शस्त्रीकरण एक महत्त्वपूर्ण साधन है। शस्त्रीकरण से विश्व में शस्त्र दौड़ को बढ़ावा मिलता है तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सदैव तनाव बना रहता है।
2. युद्धों को बढ़ावा-द्वि-ध्रुवीय विश्व के कारण सदैव युद्ध का खतरा मंडराता रहता है। द्वि-ध्रुवीय विश्व में दोनों गुट सदैव एक-दूसरे से आगे निकलने के प्रयास में रहते हैं। इसके लिए दोनों गुट एक-दूसरे को सदैव हानि पहुंचाने की कोशिश में लगे रहते हैं जिससे सदैव युद्ध की सम्भावना बनी रहती है।
3. अशान्त वातावरण-द्वि-ध्रुवीय में जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि सदैव शस्त्रीकरण को बढ़ावा मिलता है, युद्ध की सम्भावना बनी रहती है। इन सभी स्थितियों में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अशान्त वातावरण की स्थिति रहती है, लोगों में सदैव भय एवं आतंक व्याप्त रहता है।
प्रश्न 5.
उत्तर साम्यवादी राज्यों से आपका क्या अभिप्राय है ? लोकतान्त्रिक राजनीति व पूंजीवाद को अपनाने के मुख्य तीन कारण लिखिए।
उत्तर:
1990 के दशक में शीत युद्ध की समाप्ति एवं सोवियत संघ के विघटन से कई नये राज्य विश्व राजनीति में उभर कर सामने आए, जो पहले सोवियत संघ का हिस्सा रहे थे। इन्हें ही उत्तर-साम्यवादी राज्य कहा जाता है। इन दोनों में तथा सोवियत गुट के कुछ अन्य साम्यवादी देशों में धीरे-धीरे लोकतांत्रिक राजनीति और पूंजीवाद का प्रवेश ने लगा। उदाहरण के लिए पूर्वी जर्मनी तथा पश्चिमी जर्मनी जब एक हए तब पूर्वी जर्मनी में जोकि शीत युद्ध के समय सोवियत संघ के साथ था, में लोकतान्त्रिक एवं पूंजीवाद की हवा चलने लगी थी। निम्नलिखित कारणों से इन देशों ने लोकतान्त्रिक राजनीति एवं पूंजीवाद को अपनाया
(1) उत्तर साम्यवादी देशों को यह लग रहा था कि उनके आर्थिक पिछड़ेपन का कारण उनकी शासन व्यवस्था थी। इसी कारण इन उत्तर साम्यवादी देशों ने अपने देश में लोकतान्त्रिक व्यवस्था के साथ आर्थिक सुधारों को लागू किया।
(2) उत्तर-साम्यवादी राज्यों ने अपने राज्य में लोकतान्त्रिक व्यवस्था को अपनाने के लिए इसे अपनाया। (3) इन राज्यों ने अपने देशों में राजनीतिक स्थिरता के लिए इस व्यवस्था को अपनाया।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
द्वि-ध्रुवीय विश्व के अर्थ की व्याख्या करें।
उत्तर:
द्वितीय महायुद्ध के बाद एक महत्त्वपूर्ण घटना यह घटी कि अधिकांश महाशक्तियाँ कमज़ोर हो गईं और केवल अमेरिका और रूस ही ऐसे देश बचे जो अब भी शक्तिशाली कहला सकते थे। इस प्रकार युद्ध के उपरान्त शक्ति का एक नया ढांचा (New Power Structure) विश्व स्तर पर उभरा जिसमें केवल दो ही महाशक्तियां थीं जो अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में प्रभावशाली थीं। ये शक्तियां थीं-सोवियत रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका।
दो गुटों, ब्लाक या कैम्प (Block or Camp) में बंटे विश्व को द्वि-ध्रुवीय विश्व का नाम एक अंग्रेज़ी इतिहासकार टायनबी (Toynbee) ने दिया था। उन दिनों में टायनबी ने लिखा था, “विश्व के सभी देश कुछ न कुछ मात्रा में अमेरिका या रूस पर आश्रित हैं। कोई भी पूर्णत: इन दोनों से स्वतन्त्र नहीं है।” यही द्वि-ध्रुवीय विश्व है। नार्थऐज और ग्रीव के अनुसार, “द्वितीय महायुद्ध के पश्चात् अन्तर्राष्ट्रीय व्यवस्था में जो प्रमुख परिवर्तन आया वह था अमेरिका और रूस का महाशक्तियों के रूप में उदय होना और साथ ही साथ यूरोप विश्व कूटनीति के केन्द्र के रूप में पतन होना।”
मॉर्गेन्थो के अनुसार, द्वितीय महायुद्ध के बाद “संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत रूस की अन्य देशों की तुलना में शक्ति इतनी अधिक बढ़ गई थी कि वह स्वयं ही एक-दूसरे को सन्तुलित कर सकते थे। इस प्रकार शक्ति सन्तुलन बहुध्रुवीय से द्वि-ध्रुवीय में बदल गया था।” इस प्रकार द्वितीय महायद्ध के बाद कई वर्षों तक ये दो महाशक्तियाँ ही विश्व स्तर पर प्रभत्वशाली बनी रहीं और समस्त अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति का केन्द्र बिन्दु थीं। शक्ति संरचना का यह रूप ही द्वि-ध्रुवीय या द्वि-केन्द्रीय विश्व या व्यवस्था के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
प्रश्न 2.
द्वितीय विश्व के बिखराव के कोई चार कारण लिखें।
अथवा
द्वि-ध्रुवीय व्यवस्था की समाप्ति के लिये उत्तरदायी कोई चार कारण लिखें।
अथवा
द्वि-ध्रुवीय व्यवस्था की समाप्ति हेतु उत्तरदायी किन्हीं चार कारणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
द्वि-ध्रुवीय विश्व के पतन के निम्नलिखित कारण थे
1. अमेरिकी गुट में फूट-द्वि-ध्रुवीय विश्व के पतन का एक प्रमुख कारण अमेरिकी गुट में फूट पड़ना था। फ्रांस तथा इंग्लैंड जैसे देश अमेरिका पर अविश्वास करने लगे थे।
2. सोवियत गुट में फूट-जिस प्रकार अमेरिकी गुट में फूट द्वि-ध्रुवीय विश्व के पतन का एक कारण बनी, वहीं सोवियत गुट में पड़ी फूट ने भी द्वि-ध्रुवीय विश्व व्यवस्था को पतन की ओर धकेला।
3. सोवियत संघ का पतन-द्वि-ध्रुवीय विश्व के पतन का एक महत्त्वपूर्ण कारण सोवियत संघ का पतन था। एक गुट के पतन से द्वि-ध्रुवीय विश्व व्यवस्था स्वयमेव ही समाप्त हो गई।
4. गुट-निरपेक्ष आन्दोलन की भूमिका-द्वि-ध्रुवीय विश्व के पतन में गुट-निरपेक्ष आन्दोलन की भूमिका भी थी। गट-निरपेक्ष आन्दोलन ने अधिकांश विकासशील देशों को दोनों गटों से अलग रहने की सलाह दी।
प्रश्न 3.
उत्तर साम्यवादी शासन व्यवस्थाओं में लोकतान्त्रिक राजनीति एवं पूंजीवाद के प्रवेश का वर्णन करें।
उत्तर:
1990 के दशक में शीत युद्ध की समाप्ति एवं सोवियत संघ के विघटन से कई नये राज्य विश्व राजनीति में उभर कर सामने आए, जो पहले सोवियत संघ का हिस्सा रहे थे। इन दोनों में तथा सोवियत गुट के कुछ अन्य साम्यवादी देशों में धीरे-धीरे लोकतान्त्रिक राजनीतिक और पूंजीवाद का प्रवेश होने लगा। उदाहरण के लिए पूर्वी जर्मनी तथा पश्चिमी जर्मनी जब एक हुए तब पूर्वी जर्मनी में जोकि शीत युद्ध के समय सोवियत संघ के साथ था में लोकतान्त्रिक एवं पूंजीवाद की हवा चलने लगी थी।
उत्तर साम्यवादी देशों को यह लग रहा था कि उनके आर्थिक पिछड़ेपन का कारण उनकी शासन व्यवस्था थी। इसी कारण इन उत्तर साम्यवादी देशों ने अपने देश में लोकतान्त्रिक व्यवस्था के साथ आर्थिक सुधारों को लागू किया। चीन जैसे साम्यवादी देश ने भी 1990 के दशक में पश्चिम आधारित आर्थिक व्यवस्था को धीरे-धीरे अपने राज्य में लागू किया। उत्तर साम्यवादी देशों में लोकतान्त्रिक राजनीति एवं पूँजीवाद को बढ़ावा देने में अमेरिका ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रश्न 4.
भारत के उत्तर साम्यवादी देशों के साथ सम्बन्धों का वर्णन करें।
उत्तर:
भारत ने शीत युद्ध की समाप्ति एवं सोवियत संघ के विघटन के पश्चात् उत्तर-साम्यवादी देशों से अपने सम्बन्धों को नई दिशा देने के लिए कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए। सोवियत संघ से अलग होने वाले 15 गणराज्यों से . अपने सम्बन्ध बनाने के लिए भारतीय प्रधानमन्त्री, राष्ट्रपति एवं अन्य महत्त्वपूर्ण नेताओं ने इन देशों की यात्राएं की तथा कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
भारत ने तुर्कमेनिस्तान, कजाखिस्तान, ताजिकिस्तान, उजबेकिस्तान तथा किरगिस्तान से राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक तथा कूटनीतिक सहयोग के लिए एक विशेष ढांचे का निर्माण किया। 1993 में भारतीय प्रधानमन्त्री पी० वी० नरसिम्हा राव ने उजबेकिस्तान तथा कजाखिस्तान की यात्रा करके उनके साथ आर्थिक एवं सांस्कृतिक सम्बन्धों को मजबूत किया। इसी तरह भारत ने मध्य पूर्व के अन्य उत्तर साम्यवादी देशों तथा यूरोप एवं एशिया के उत्तर साम्यवादी देशों से अपने सम्बन्ध मज़बूत बनाए।
प्रश्न 5.
द्वि-ध्रुवीय विश्व के विकास के क्या कारण थे ?
उत्तर:
द्वि-ध्रुवीय विश्व के विकास के निम्नलिखित कारण थे
1. शीत युद्ध का जन्म-द्वि-ध्रुवीय विश्व के विकास का एक महत्त्वपूर्ण कारण शीत युद्ध था। शीत युद्ध के कारण ही विश्व अमेरिकन एवं सोवियत गुट के रूप में दो भागों में विभाजित हो गया था।
2. सैनिक गठबन्धन-द्वि-ध्रुवीय विश्व का एक कारण सैनिक गठबन्धन था। सैनिक गठबन्धन के कारण अमेरिका एवं सोवियत संघ में सदैव संघर्ष चलता रहता था।
3. पुरानी महाशक्ति का पतन-दूसरे विश्व युद्ध के बाद इंग्लैण्ड, फ्रांस, जर्मनी, इटली तथा जापान जैसी पुरानी महाशक्तियों का पतन हो गया तथा विश्व में अमेरिका एवं सोवियत संघ दो ही शक्तिशाली देश रह गए थे इस कारण विश्व द्वि-ध्रुवीय हो गया।
4. अमेरिका की विश्व राजनीति में सक्रिय भूमिका-द्वि-ध्रुवीय विश्व का एक अन्य कारण अमेरिका का विश्व राजनीति में सक्रिय भाग लेना भी था।
प्रश्न 6.
सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था की किन्हीं चार विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर:
- सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था भी अमेरिका की ही भान्ति अन्य देशों से बहुत आगे थी।
- सोवियत संघ की संचार प्रणाली बहुत अधिक विकसित एवं उन्नत थी।
- सोवियत संघ के पास ऊर्जा संसाधन के विशाल भण्डार थे, जिसमें खनिज तेल, लोहा, इस्पात एवं मशीनरी शामिल हैं।
- सरकार ने अपने नागरिकों को सभी प्रकार की बुनियादी सुविधाएं प्रदान कर रखी थी, जिसमें स्वास्थ्य सुविधाएं, शिक्षा, चिकित्सा सुविधा तथा यातायात सुविधा शामिल हैं।
प्रश्न 7.
सोवियत प्रणाली की कोई चार विशेषताएं लिखिए।
उत्तर:
- सोवियत संघ की राजनीतिक प्रणाली समाजवादी व्यवस्था पर आधारित थी।
- सोवियत प्रणाली आदर्शों एवं समतावादी समाज पर बल देती है।
- सोवियत प्रणाली पूंजीवादी एवं मुक्त व्यापार के विरुद्ध थी।
- सोवियत प्रणाली में कम्युनिस्ट पार्टी को अधिक महत्त्व दिया जाता था।
प्रश्न 8.
सोवियत संघ में पाई जाने वाली नौकरशाही की व्याख्या करें।
उत्तर:
- सोवियत संघ में नौकरशाही धीरे-धीरे तानाशाही एवं सत्तावादी होती चली गई।
- नौकरशाही के उदासीन व्यवहार से नागरिकों की दिनचर्या मश्किल होती गई।
- सोवियत संघ की नौकरशाही किसी के भी प्रति उत्तरदायी नहीं थी।
- नौकरशाही में धीरे-धीरे भ्रष्टाचार भी बढ़ता गया।
प्रश्न 9.
मिखाइल गोर्बाचेव के समय में सोवियत संघ में घटित होने वाली किन्हीं चार घटनाओं का वर्णन करें।
उत्तर:
- गोर्बाचेव के समय कई साम्यवादी देश लोकतान्त्रिक ढांचे में ढलने लगे थे।
- गोर्बाचेव द्वारा शुरू की गई सुधारों की प्रक्रिया से कई साम्यवादी नेता असन्तुष्ट थे।
- गोर्बाचेव के साथ सोवियत संघ में धीरे-धीरे राजनीतिक एवं आर्थिक संकट गहराने लगा।
- पूर्वी यूरोप की कई साम्यवादी सरकारें एक के बाद एक गिरने लगीं।
प्रश्न 10.
सोवियत संघ के विघटन के कोई चार कारण लिखिए।
उत्तर:
- सोवियत संघ राजनीतिक और आर्थिक रूप से कमज़ोर हो चुका था।
- उपभोक्ता वस्तुओं की कमी ने सोवियत संघ के नागरिकों में असंतोष भर दिया।
- सोवियत संघ के लोग मिखाइल गोर्बाचेव के सुधारों की धीमी गति से सन्तुष्ट नहीं थे।
- सोवियत संघ में कम्युनिस्ट पार्टी का शासन लगभग 70 सालों तक रहा है। परन्तु वह किसी के प्रति उत्तरदायी नहीं थी। इस कारण सोवियत संघ के नागरिक इस पार्टी से छुटकारा पाना चाहते थे।
प्रश्न 11.
सोवियत संघ के विघटन के विश्व राजनीति पर पड़ने वाले कोई चार प्रभाव लिखें।
अथवा
सोवियत संघ के विघटन के कोई चार परिणाम लिखिए।
उत्तर:
सोवियत संघ के पतन के निम्नलिखित चार परिणाम निकले
- सोवियत संघ के पतन से द्वितीय विश्व युद्ध से जारी शीत युद्ध समाप्त हो गया।
- सोवियत संघ के पतन से खतरनाक एवं परमाणु हथियारों की होड़ समाप्त हो गई।
- पूंजीवादी अर्थव्यवस्था के समर्थक अमेरिका का प्रभाव पहले से और अधिक बढ़ गया।
- विश्व बैंक तथा अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसी पूंजीवादी समर्थक आर्थिक संस्थाएं विभिन्न देशों की प्रभावशाली सलाहकार बन गईं।
प्रश्न 12.
शॉक थेरेपी के अन्तर्गत किये गए किन्हीं चार कार्यों का उल्लेख करें।
उत्तर:
शॉक थेरेपी के अन्तर्गत निम्नलिखित कार्य किये गए
- शॉक थेरेपी द्वारा साम्यवादी अर्थव्यवस्था को समाप्त करके सम्पत्ति का निजीकरण करना था।
- शॉक थेरेपी के अन्तर्गत मुक्त व्यापार को बढ़ावा दिया गया।
- शॉक थेरेपी के अन्तर्गत सोवियत संघ के आर्थिक गठबन्धनों को समाप्त करके इन देशों को पश्चिमी देशों से जोड़ दिया गया।
- शॉक थेरेपी के अन्तर्गत सामूहिक खेती को निजी खेती में बदल दिया गया।
प्रश्न 13.
शॉक-थेरेपी के कोई चार परिणाम लिखिये ।
उत्तर:
शॉक थेरेपी के निम्नलिखित परिणाम निकले
- शॉक थेरेपी के कारण नागरिकों के लिए आजीविका कमाना कठिन हो गया।
- शॉक थेरेपी के कारण रूसी मुद्रा रूबल का काफ़ी अवमूल्यन हो गया।
- शॉक थेरेपी के कारण मुद्रा स्फीति के बढ़ने से महंगाई कई गुना बढ़ गई।
- शॉक थेरेपी के कारण सोवियत संघ की औद्योगिक व्यवस्था कमजोर हो गई तथा उसे औने-पौने दामों में निजी हाथों में बेच दिया गया।
प्रश्न 14.
भारत को रूस के साथ अच्छे सम्बन्ध रखकर प्राप्त होने वाले लाभ बताएं ।
उत्तर:
भारत को रूस के साथ अच्छे सम्बन्ध रखकर निम्नलिखित लाभ हुए हैं
- रूस ने सदैव अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर मुद्दे पर भारत का साथ दिया है।
- भारत को रूस से सदैव अत्याधुनिक हथियार प्राप्त हुए हैं, जो भारतीय सेना को शक्तिशाली बनाने में सहायक हुए हैं।
- भारत रूस के माध्यम से काफ़ी हद तक अपनी ऊर्जा की आवश्यकताएं पूरी करता है।
- रूस ने भारत को परमाणु क्षेत्र में भी हर सम्भव सहयोग दिया है।
प्रश्न 15.
भारत-सोवियत संघ के आर्थिक सम्बन्धों की व्याख्या करें।
उत्तर:
भारत-सोवियत संघ के मध्य आर्थिक सम्बन्धों का वर्णन इस प्रकार है
- सोवियत संघ ने विशाखापट्टनम, बोकारो तथा भिलाई के इस्पात करखानों को आर्थिक एवं तकनीकी सहायता प्रदान की है।
- सोवियत संघ ने भारत को सदैव कम मूल्यों पर हथियार दिये हैं।
- सोवियत संघ ने भारत की सार्वजनिक कम्पनियों को भी हर तरह की सहायता प्रदान की है।
- सोवियत संघ ने भारत के साथ उस समय रुपये के माध्यम से भी व्यापार किया जब भारत के पास विदेशी मुद्रा की कमी थी।
प्रश्न 16.
द्वि-ध्रुवीयकरण के चार लाभ लिखें।
उत्तर:
- विचारधाराओं को प्रोत्साहन-द्वि-ध्रुवीय विश्व का एक लाभ यह है कि इस विश्व व्यवस्था के अन्तर्गत विचारधाराओं को बहुत महत्त्व एवं प्रोत्साहन दिया जाता है।
- शान्ति स्थापना में सहायक-द्वि-ध्रुवीय विश्व का एक महत्त्वपूर्ण लाभ है कि इसके द्वारा विश्व में शान्ति स्थापना में सहायता मिलती है।
- शक्ति की समानता-द्वि-ध्रुवीय विश्व में दोनों गुटों की शक्ति लगभग समान होती है।
- तनावों को कम करने में सहायक-द्वि-ध्रुवीयकरण अन्तर्राष्ट्रीय तनावों को कम करने में सहायक होती है।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
“द्वि-ध्रुवीयता’ से क्या तात्पर्य है ?
अथवा
“द्वि-ध्रुवीय विश्व व्यवस्था” से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
द्वि-ध्रुवीय व्यवस्था का अर्थ यह है कि विश्व का दो गुटों में बंटा होना। द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् विश्व पूंजीवादी तथा साम्यवादी दो गुटों में बंट गया। पूंजीवादी गुट का नेता अमेरिका एवं साम्यवादी गुट का नेता सोवियत संघ था। नार्थ ऐज और ग्रीव के अनुसार, “द्वितीय महायुद्ध के पश्चात् अन्तर्राष्ट्रीय व्यवस्था में जो प्रमुख परिवर्तन आया वह था, अमेरिका और रूस का महाशक्तियों के रूप में उदय होना और साथ ही यूरोप विश्व कूटनीति के केन्द्र के रूप में पतन होगा।”
प्रश्न 2.
द्वितीय महायुद्ध से निकली शक्ति संरचना की कोई दो विशेषताएं लिखें।
उत्तर:
- द्वितीय महायुद्ध के पश्चात् विभिन्न राष्ट्रों की शक्ति स्थिति में परिवर्तन आया था, जिसके कारण शक्ति की एक नई संरचना का उदय हुआ।
- द्वितीय महायुद्ध के पश्चात् लगभग सभी साम्राज्यवादी देश शक्तिहीन हो चुके थे, जिससे उनके अधीन अधिकांश देश स्वतन्त्र हो गए।
प्रश्न 3.
द्वि-ध्रुवीय विश्व के कोई दो लाभ लिखें।
उत्तर:
1. विचारधाराओं को प्रोत्साहन-द्वि-ध्रुवीय विश्व का एक लाभ यह है कि इस विश्व व्यवस्था के अन्तर्गत विचारधाराओं को बहुत महत्त्व एवं प्रोत्साहन दिया जाता है।
2. शान्ति स्थापना में सहायक-द्वि-ध्रुवीय विश्व का एक महत्त्वपूर्ण लाभ है कि इसके द्वारा विश्व में शान्ति स्थापना में सहायता मिलती है।
प्रश्न 4.
द्वि-ध्रुवीय व्यवस्था की कोई दो हानियाँ बताइए।
उत्तर:
1. शस्त्रीकरण को बढ़ावा-द्वि-ध्रुवीय विश्व की सबसे बड़ी हानि यह है कि इसमें शस्त्रीकरण को बढ़ावा मिलता है, जिससे अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर सदैव तनाव बना रहता है।
2. युद्धों को बढ़ावा-द्वि-ध्रुवीय विश्व व्यवस्था में दोनों गुट एक-दूसरे को सदैव हानि पहुंचाने की कोशिश में लगे रहते हैं, जिससे सदैव युद्ध की सम्भावना बनी रहती है।
प्रश्न 5.
द्वि-ध्रुवीय विश्व के पतन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
शीत युद्ध के दौरान विश्व दो गुटों में बंटा था, एक गुट अमेरिका का था तथा दूसरा गुट सोवियत संघ का था। लगभग सम्पूर्ण विश्व इन दो गुटों में था। इसलिए विश्व को द्वि-ध्रुवीय कहा जाता था। परन्तु 1991 में सोवियत संघ का विघटन हो जाने से विश्व का एक ध्रुव समाप्त हो गया। इसी को द्वि-ध्रुवीय का पतन कहा जाता है।
प्रश्न 6.
द्वि-ध्रुवीय व्यवस्था के पतन के कोई दो कारण लिखिए।
उत्तर:
1. सोवियत संघ का पतन-द्वि-ध्रुवीय विश्व के पतन का एक कारण सोवियत संघ का पतन था। एक गुट के पतन से द्वि-ध्रुवीय विश्व व्यवस्था अपने आप समाप्त हो गई।
2. गुट-निरपेक्ष आन्दोलन की भूमिका-द्वि-ध्रुवीय विश्व के पतन में गुट-निरपेक्ष आन्दोलन की भी भूमिका थी। गुट-निरपेक्ष आन्दोलन के अधिकांश विकासशील देशों को दोनों गुटों से अलग रहने की सलाह दी।
प्रश्न 7.
मध्य एशियाई देशों के नाम लिखें।
उत्तर:
मध्य एशियाई देशों मे उजबेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, कजाखिस्तान, किरघिस्तान तथा ताजिकिस्तान शामिल हैं।
प्रश्न 8.
बलकान राज्यों के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
बलकान का अर्थ टूटन या विभाजन होता है। 20वीं शताब्दी के आरम्भ में अनेकों बड़े-बड़े साम्राज्यों का विघटन हुआ, जिसके कारण कई छोटे-बड़े राज्य अस्तित्व में आए। बलकान राज्यों में अल्बानिया, बुल्गारिया, बोसनिया, हरजेगोविनिया, यूनान, क्रोशिया, मान्टेनीग्रो, मेसेडोनिया तथा तुर्की शामिल हैं। बलकान क्षेत्र को यूरोप के दंगल का अखाड़ा माना जाता रहा है।
प्रश्न 9.
बलकान को प्रायः बलकान प्रायद्वीप क्यों कहा जाता है ?
उत्तर:
बलकान को प्राय: बलकान प्रायद्वीप इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यह तीन दिशाओं से पानी से घिरा हुआ है। इसके दक्षिण तथा पश्चिम में भूमध्य सागर की शाखाएं तथा पूर्वी भाग की ओर काला सागर स्थित है।
प्रश्न 10.
रूस में राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन की भूमिका का वर्णन करें।
उत्तर:
सोवियत संघ के पतन के पश्चात् रूस इसके उत्तराधिकारी के रूप में सामने आया तथा इसके प्रथम राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन बने। येल्तसिन ने रूस की आर्थिक एवं राजनीतिक व्यवस्था को ठीक करने के लिए कदम उठाए। बोरिस येल्तसिन ने भारत जैसे अपने अन्य मित्र देशों से अच्छे सम्बन्ध बनाए रखे तथा अमेरिका एवं पश्चिमी यूरोप से भी अपने सम्बन्ध सुधारने के प्रयास किए।
प्रश्न 11.
रूस में ब्लादिमीर पुतिन की भूमिका का वर्णन करें।
उत्तर:
ब्लादिमीर पतिन 2000 में येल्तसिन के स्थान पर रूस के राष्टपति बने। पतिन ने चेचन विद्रोहियों के विरुद्ध कडा रुख अपनाया। उन्होंने रूस की आर्थिक व्यवस्था को ठीक किया तथा अमेरिका के साथ मिलकर हथियारों में कमी करने का प्रयास किया। ब्लादिमीर पुतिन के शासनकाल में रूस पुनः शक्ति केन्द्र के रूप में उभर रहा है।
प्रश्न 12.
विश्व राजनीति में उभरी किन्हीं दो हस्तियों की व्याख्या करें।
उत्तर:
1. रूस-शीत युद्ध की समाप्ति पर रूस, सोवियत संघ के उत्तराधिकारी के रूप में उभर कर सामने आया। कुछ कठिनाइयों के बावजूद वर्तमान राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने रूसी आशाओं को आगे बढ़ाया है।
2. केन्द्रीय एशियाई राज्य-शीत युद्ध एवं सोवियत संघ की समाप्ति से केन्द्रीय एशिया में कुछ नये राज्यों का उदय हुआ, जिसमें उजबेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, कजाखिस्तान, किरघिस्तान तथा ताजिकिस्तान शामिल हैं।
प्रश्न 13.
ब्लादिमीर लेनिन के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
ब्लादिमीर लेनिन रूस के बोल्शेविक साम्यवादी दल का संस्थापक था। उसके नेतृत्व में 1917 में जार के विरुद्ध क्रान्ति हुई थी। लेनिन ने रूस की खराब हुई आर्थिक व्यवस्था को ठीक किया तथा रूस में साम्यवादी शासन को मज़बूत किया। लेनिन ने रूस में मार्क्सवाद के विचारों को व्यावहारिक रूप प्रदान किया।
प्रश्न 14.
द्वितीय विश्व किसे कहते हैं ?
उत्तर:
द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् विश्व दो गुटों में बंट गया। एक गुट का नेतृत्व पूंजीवादी देश संयुक्त राज्य अमेरिका कर रहा था। इस गुट के देशों को पहली दुनिया भी कहा जाता है। दूसरे गुट का नेतृत्व साम्यवादी सोवियत संघ कर रहा था, इस गुट के देशों को ही दूसरी दुनिया कहा जाता है।
प्रश्न 15.
बर्लिन की दीवार के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
शीत युद्ध के दौरान जर्मनी दो भागों में बंट गया था। पश्चिमी जर्मनी संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रभाव में था जबकि पूर्वी जर्मनी साम्यवादी सोवियत संघ के प्रभाव में थे। सन् 1961 में दोनों भागों के बीच में एक दीवार बना दी गई, जिसे बर्लिन की दीवार कहते थे। यह दीवार पूर्वी जर्मनी तथा पश्चिमी जर्मनी को बांटती थी। 9 नवम्बर, 1989 को इस दीवार को तोड़कर जर्मनी का एकीकरण कर दिया गया।
प्रश्न 16.
सोवियत प्रणाली के कोई दो दोष लिखिए।
उत्तर:
- सोवियत साम्यवादी व्यवस्था धीरे-धीरे सत्तावादी हो गई थी, इसमें नौकरशाही का प्रभाव बढ़ गया था।
- सोवियत साम्यवादी व्यवस्था में केवल एक ही दल साम्यवादी दल का ही शासन था, जोकि किसी के प्रति भी उत्तरदायी नहीं था।
प्रश्न 17.
जोजेफ स्टालिन के समय में सोवियत संघ द्वारा प्राप्त कोई दो उपलब्धियां लिखें।
उत्तर:
- जोजेफ स्टालिन के शासनकाल के समय सोवियत संघ एक महाशक्ति के रूप में स्थापित हुआ।
- जोजेफ स्टालिन के शासनकाल में सोवियत संघ में औद्योगीकरण को बढ़ावा दिया गया।
प्रश्न 18.
सोवियत संघ की अर्थव्यवस्था में गतिरोध क्यों आया ? कोई दो कारण दें।
उत्तर:
- सोवियत संघ ने लगातार अपने संसाधनों को परमाणु एवं सैनिक कार्यों में खर्च किया, जिससे सोवियत संघ में आर्थिक संसाधनों की कमी हो गई।
- सोवियत संघ के पिछलग्गू देशों का आर्थिक भार भी सोवियत संघ पर ही पड़ता था जिससे धीरे-धीरे सोवियत संघ आर्थिक तौर पर कमज़ोर होता चला गया।
प्रश्न 19.
सोवियत संघ में राजनैतिक गतिरोध पैदा करने में कम्युनिस्ट पार्टी किस प्रकार जिम्मेदार थी, कोई दो कारण लिखें।
उत्तर:
- कम्युनिस्ट पार्टी ने सोवियत संघ में लगभग 70 साल शासन किया, परन्तु वे किसी के प्रति भी जवाबदेह नहीं थी।
- कम्युनिस्ट पार्टी के गैर-ज़िम्मेदार एवं अक्षम होने के कारण धीरे-धीरे सोवियत संघ में भ्रष्टाचार फैलने लगा।
प्रश्न 20.
1917 की रूसी क्रान्ति के कोई दो कारण लिखें।
उत्तर:
- रूस के तत्कालीन शासक जार के उदासीन व्यवहार एवं पूंजीवादी प्रणाली का समर्थन करने के कारण क्रान्ति हुई।
- रूस में आदर्शवादी एवं समतामूलक समाज की स्थापना के लिए क्रान्ति हुई।
प्रश्न 21.
सोवियत संघ के विघटन के कोई दो कारण लिखिये।
अथवा
भूतपूर्व सोवियत संघ के पतन के कोई दो कारण लिखिए।
उत्तर:
- सोवियत संघ के पतन का एक महत्त्वपूर्ण कारण तत्कालीन सोवियत संघ के राष्ट्रपति गोर्बाचेव द्वारा चलाये गए राजनीतिक एवं आर्थिक सुधार कार्यक्रम थे।
- सोवियत संघ के पतन का दूसरा तत्कालिक कारण सोवियत संघ के गणराज्यों में प्रजातान्त्रिक एवं उदारवादी भावनाएं पैदा होना है।
प्रश्न 22.
सोवियत संघ के पतन के कोई दो सकारात्मक परिणाम लिखिए।
उत्तर:
- सोवियत संघ के पतन के कारण शीत युद्ध भी समाप्त हो गया।
- सोवियत संघ के पतन के साथ ही खतरनाक अस्त्रों-शस्त्रों की होड़ भी समाप्त हो गई।
प्रश्न 23.
अमेरिका के एकमात्र महाशक्ति होने के काई दो दुष्परिणाम लिखें।
उत्तर:
- अमेरिका के एकमात्र महाशक्ति होने के कारण वह अनावश्यक रूप से कई क्षेत्रों में राजनीतिक एवं सैनिक हस्तक्षेप करने लगा।
- अमेरिका के एकमात्र महाशक्ति होने के कारण विश्व के अधिकांश आर्थिक संगठनों पर अमेरिका का प्रभुत्व स्थापित हो गया।
प्रश्न 24.
‘इतिहास की सबसे बड़ी गैराज सेल’ के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
सोवियत संघ के पतन के पश्चात् अस्तित्व में आये गणराज्यों ने ‘शॉक थेरेपी’ की विधि द्वारा अपनी अर्थव्यवस्था को ठीक करने का प्रयास किया। परन्तु ‘शॉक थेरेपी’ के परिणामस्वरूप लगभग पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को लाभ की अपेक्षा हानि हुई। रूस में राज्य नियन्त्रित औद्योगिक ढांचा ढहने लगा। लगभग 90% उद्योगों को निजी कम्पनियों को बेचा गया, इसे ही इतिहास की सबसे बड़ी गैराज सेल’ कहा जाता है।
प्रश्न 25.
‘शॉक थेरेपी’ के सामाजिक कल्याण की योजनाओं पर पड़ने वाले कोई दो प्रभाव लिखें।
उत्तर:
- ‘शॉक थेरेपी’ के प्रयोग के परिणामस्वरूप सामाजिक कल्याण की पुरानी संस्थाओं को बन्द कर दिया गया, जिससे लोगों को मदद मिलनी बन्द हो गई।
- लोगों को दी जा रही विभिन्न सुविधाओं को बन्द कर दिया गया।
प्रश्न 26.
सोवियत संघ की भारत को कोई दो राजनीतिक देनों का वर्णन करें।
उत्तर:
- सोवियत संघ ने कश्मीर के मुद्दे पर सदैव भारत का साथ दिया है।
- सोवियत संघ ने 1971 के युद्ध में भारत की मदद की, जिसके कारण बंगला देश नामक एक नया देश अस्तित्व में आया।
प्रश्न 27.
सोवियत संघ द्वारा भारत को दी जाने वाली सैनिक सहायता का वर्णन करें।
उत्तर:
सोवियत संघ ने सदैव ही भारत को सैनिक सहायता प्रदान की है। सोवियत संघ ने समय-समय पर भारत को लड़ाकू जहाज़, युद्धपोत, टैंक तथा अन्य प्रकार की आधुनिक तकनीक प्रदान की है। सोवियत संघ ने कई प्रकार के हथियार एवं मिसाइल संयुक्त रूप से भी तैयार किये हैं। दोनों देशों ने समय-समय पर संयुक्त सैनिक अभ्यास किए। सोवियत संघ ने भारत की सेना को आधुनिक बनाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
प्रश्न 28.
सोवियत संघ एवं भारत के कोई दो सांस्कृतिक सम्बन्ध बताएं।
उत्तर:
- सोवियत संघ तथा भारत के लेखकों एवं साहित्यकारों ने समय-समय पर एक-दूसरे की यात्रा की, जिससे दोनों देशों के सांस्कृतिक सम्बन्धों में मजबूती आई है।
- भारतीय संस्कृति विशेषकर हिन्दी फिल्में सोवियत संघ में काफी लोकप्रिय हैं।
प्रश्न 29.
सोवियत प्रणाली की कोई दो मुख्य विशेषताएँ लिखिये।
उत्तर:
- सोवियत राजनीतिक प्रणाली की धुरी कम्युनिस्ट पार्टी थी।
- सोवियत राजनीतिक प्रणाली में किसी अन्य दल या विरोधी दल को जगह नहीं दी गई थी।
प्रश्न 30.
शॉक थेरेपी के कोई दो परिणाम लिखिये।
उत्तर:
- शॉक थेरेपी के कारण सम्बन्धित देशों की अर्थव्यवस्था नष्ट हो गई।
- शॉक थेरेपी के परिणामस्वरूप रूस में लगभग 90 प्रतिशत उद्योगों को निजी हाथों एवं कम्पनियों को बेच दिया गया।
प्रश्न 31.
तृतीय विश्व के देशों से आपका क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
तृतीय विश्व से अभिप्राय उन देशों से है, जो लम्बी पराधीनता के पश्चात् स्वतन्त्र हुए, इन देशों में अधिकांशतः एशिया, अफ्रीका तथा दक्षिण अमेरिका के देशों को शामिल किया जाता है। तृतीय विश्व के देशों में भारत, श्रीलंका, पाकिस्तान, ब्राजील, मैक्सिको, क्यूबा, घाना तथा नाइजीरिया इत्यादि देशों को शामिल किया जाता है।
प्रश्न 32.
शॉक थेरेपी किन दो मुख्य सिद्धान्तों पर आधारित थी ?
अथवा
शॉक थेरेपी के कोई दो मुख्य सिद्धान्त लिखिए।
उत्तर:
- मुक्त व्यापार
- निजी सम्पत्ति एवं निजी स्वामित्व।
प्रश्न 33.
‘शॉक थेरेपी’ मॉडल किसके द्वारा निर्देशित था ?
उत्तर:
‘शॉक थेरेपी’ मॉडल विश्व स्तर की अन्तर्राष्ट्रीय मौद्रिक संस्थाएं जैसे कि विश्व बैंक, अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष इत्यादि द्वारा निर्देशित था।
प्रश्न 34.
बर्लिन की दीवार कब बनी और कब विध्वंस हुई ?
उत्तर:
बर्लिन की दीवार सन् 1961 में बनी और 1989 में विध्वंस हुई थी।
वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1. द्वि-ध्रुवीय विश्व के पतन का मुख्य कारण था
(A) शीत युद्ध की समाप्ति
(B) सोवियत संघ का पतन
(C) गुट-निरपेक्ष आन्दोलन की भूमिका
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।।
2. सोवियत संघ में किस दल की प्रधानता थी ?
(A) अनुदार दल की
(B) लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी
(C) साम्यवादी दल
(D) डेमोक्रेटिक पार्टी।
उत्तर:
(C) साम्यवादी दल।
3. मिखाइल गोर्बाचोव ने सोवियत संघ में लागू की
(A) पैट्राइस्का
(B) ग्लासनोस्त
(C) उपरोक्त दोनों
(D) कोई नहीं।
उत्तर:
(C) उपरोक्त दोनों।
4. भारत एवं रूस के सम्बन्ध किस प्रकार के रहे हैं
(A) अच्छे रहे हैं
(B) खराब रहे हैं
(C) गतिहीन रहे हैं
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(A) अच्छे रहे हैं।
5. रूस के वर्तमान राष्ट्रपति हैं
(A) बोरिस येल्तसिन
(B) ब्लादिमीर पुतिन
(C) प्रिमाकोव
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(B) ब्लादिमीर पुतिन
6. बर्लिन की दीवार कब बनाई गई थी ?
(A) 1950
(B) 1955
(C) 1961
(D) 1965.
उत्तर:
(C) 1961.
7. ‘बर्लिन की दीवार’ को कब गिराया गया?
(A) 1979 में
(B) 1961 में
(C) 1986 में
(D) 1989 में।
उत्तर:
(D) 1989 में।
8. निम्न में से कौन-सा समय लेनिन के जीवन काल से सम्बन्धित है ?
(A) 1920 से 1974 तक
(B) 1935 से 1995 तक
(C) 1930 से 1970 तक
(D) 1870 से 1924 तक।
उत्तर:
(D) 1870 से 1924 तक।
9. पूर्व सोवियत संघ का विघटन कब हुआ ?
(A) सन् 1990 में
(B) सन् 1991 में
(C) सन् 1992 में
(D) सन् 1993 में।
उत्तर:
(B) सन् 1991 में।
10. जर्मनी का एकीकरण कब हुआ ?
(A) सन् 1930 में
(B) सन् 1990 में
(C) सन् 1993 में
(D) सन् 1995 में।
उत्तर:
(B) सन् 1990 में।
11. यूरोपियन संघ ने यूरोपियन संविधान कब पारित किया ?
(A) 1994
(B) 1997
(C) 1995
(D) 2005.
उत्तर:
(A) 1994.
12. मिखाइल गोर्बाचोव ने कब अपने पद से त्याग-पत्र दिया ?
(A) 25 दिसम्बर, 1991
(B) 1 जनवरी, 1990
(C) 12 मार्च, 1990
(D) 16 जून, 1991.
उत्तर:
(A) 25 दिसम्बर, 1991.
13. वर्साय सन्धि औपचारिक रूप से कब समाप्त हुई ?
(A) जुलाई, 1991 में
(B) जुलाई, 1992 में
(C) जून, 1993 में
(D) जून, 1990 में।
उत्तर:
(A) जुलाई, 1991 में।
14. शीत युद्ध का सबसे महत्त्वपूर्ण प्रतीक है
(A) बर्लिन दीवार
(B) अफगान संकट
(C) वियतनाम युद्ध
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(A) बर्लिन दीवार।
15. रूस में साम्यवादी क्रान्ति कब हुई ?
(A) 1907 में
(B) 1947 में
(C) 1917 में
(D) 1957 में।
उत्तर:
(C) 1917 में।
16. मिखाइल गोर्बाचोव किस वर्ष सोवियत संघ की साम्यवादी पार्टी के महासचिव चुने गए थे ?
(A) मार्च, 1985
(B) मार्च, 1980
(C) मार्च, 1979
(D) मार्च, 1977
उत्तर:
(A) मार्च, 1985.
17. भारत व सोवियत संघ में मित्रता संधि किस वर्ष में हुई ?
(A) सन् 1966 में
(B) सन् 1970 में
(C) सन् 1971 में
(D) सन् 1972 में।
उत्तर:
(C) सन् 1971 में।
18. सोवियत संघ से अलग होने वाली घोषणा करने वाला पहला सोवियत गणराज्य कौन-सा था ?
(A) उक्रेन
(B) कजाखिस्तान
(C) तुर्कमेनिस्तान
(D) लिथुआनिया।
उत्तर:
(D) लिथुआनिया।
19. बोरिस येल्तसिन कब रूस के राष्ट्रपति बने थे ?
(A) 1991 में
(B) 1992 में
(C) 1993 में
(D) 1994 में।
उत्तर:
(A) 1991 में।
20. रूसी संसद् ने कब सोवियत संघ से अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की ?
(A) जून, 1990
(B) जून, 1994
(C) जून, 1995
(D) जून 1993.
उत्तर:
(A) जून, 1990.
21. प्रथम विश्व किन देशों को कहा जाता है ?
(A) पूँजीवादी देशों को
(B) साम्यवादी देशों को
(C) विकासशील देशों
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(A) पूँजीवादी देशों को।
22. निम्न में से कौन दूसरे-विश्व के देश कहे जाते हैं ?
(A) गुलाम देश
(B) नव स्वतन्त्र देश
(C) दूसरे विश्व युद्ध के बाद के गरीब देश
(D) पूर्व सोवियत संघ और सोवियत गुट के देश।
उत्तर:
(D) पूर्व सोवियत संघ और सोवियत गुट के देश।
23. तीसरे विश्व के देशों में किसे शामिल किया जाता है ?
(A) पूँजीवादी देशों को
(B) साम्यवादी देशों को
(C) विकासशील देशों को
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(C) विकासशील देशों को।
24. प्रथम विश्व में किस देश को शामिल किया जाता है
(A) अमेरिका
(B) ब्रिटेन
(C) फ्रांस
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।।
25. द्वितीय विश्व में कौन-से देश शामिल थे ?
(A) सोवियत संघ
(B) पोलेण्ड
(C) हंगरी
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।
26. तीसरे विश्व में शामिल देश है
(A) भारत
(B) ब्राजील
(C) घाना
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।
27. प्रथम विश्व का नेतृत्व किसके हाथों में था ?
(A) अमेरिका
(B) सोवियत संघ
(C) भारत
(D) इंग्लैंड।
उत्तर:
(A) अमेरिका।
28. द्वितीय विश्व का नेतृत्व किसके हाथ में था ?
(A) अमेरिका
(B) सोवियत संघ
(C) भारत
(D) फ्रांस।
उत्तर:
(B) सोवियत संघ।
29. द्वितीय विश्व के बिखराव का कारण है
(A) स्टालिन की आक्रामक नीतियां
(B) चीन की आकाक्षाएं
(C) गुट निरपेक्ष आन्दोलन की भूमिका
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।
30. बल्कान (Balkan) का शाब्दिक अर्थ है
(A) सम्बन्ध
(B) टूटन
(C) सन्धि
(D) युद्ध।
उत्तर:
(B) टूटन।
31. कोमीकॉन (COMECON) का सम्बन्ध निम्न में से किस देश से है ?
(A) ब्रिटेन से
(B) संयुक्त राज्य अमेरिका से
(C) भूतपूर्व सोवियत संघ से
(D) जापान से।
उत्तर:
(C) भूतपूर्व सोवियत संघ से।
32. सोवियत राजनीतिक प्रणाली मुख्यतः आधारित थी।
(A) पूंजीवादी व्यवस्था पर
(B) समाजवादी व्यवस्था पर
(C) उदारवादी व्यवस्था पर
(D) लोकतांत्रिक व्यवस्था पर।
उत्तर:
(B) समाजवादी व्यवस्था पर ।
रिक्त स्थान भरें
(1) …………..ने 1985 में सोवियत संघ में सुधारों की शुरूआत की।
उत्तर:
गोर्बाचोव,
(2) …………… पार्टी का पूर्व सोवियत संघ की राजनीतिक व्यवस्था पर दबदबा था।
उत्तर:
साम्यवादी,
(3) सोवियत संघ ने सन् …………… में अफ़गानिस्तान में हस्तक्षेप किया।
उत्तर:
1979,
(4) गोर्बाचोव ने पैट्राइस्का एवं …………… की व्यवस्था लागू की।
उत्तर:
ग्लासनोस्ट।
एक शब्द/वाक्य में उत्तर दें
प्रश्न 1.
सोवियत संघ का विघटन कब हुआ ?
अथवा
सोवियत संघ का विघटन किस वर्ष में हुआ ?
उत्तर:
सन् 1991 में।
प्रश्न 2.
किस दल का पूर्व सोवियत संघ की राजनीतिक व्यवस्था पर नियत्रंण था ?
अथवा
द्वि-ध्रुवीय व्यवस्था के दौर में सोवियत संघ में किस दल का प्रभुत्व था ?
उत्तर:
साम्यवादी दल।
प्रश्न 3. भारत-सोवियत संघ के बीच ‘मित्रता सन्धि’ किस वर्ष में हुई थी ?
अथवा
भारत-सोवियत संघ मित्रता सन्धि किस वर्ष में हुई ?
उत्तर:
सन् 1971 में।
प्रश्न 4.
‘दूसरी दुनिया के देश किन्हें कहा गया ?
उत्तर:
भूतपूर्व सोवियत संघ एवं उसके सहयोगी देशों को दूसरी दुनिया के देश कहा गया।
प्रश्न 5.
सत्तावादी समाजवादी व्यवस्था से लोकतन्त्रीय पूंजीवादी व्यवस्था का संक्रमण विश्व बैंक तथा अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से प्रभावित हुआ। इस संक्रमण को क्या कहा जाता है ?
उत्तर:
इस संक्रमण को शॉक थेरेपी कहा जाता है।
प्रश्न 6.
रूस में साम्यवादी क्रांति किस वर्ष में हुई ?
उत्तर:
सन् 1917 में।
प्रश्न 7.
किसी एक बालकन देश का नाम बताइए।
उत्तर:
बुल्गारिया।
प्रश्न 8.
सोवियत संघ के विघटन के समय उसका राष्ट्रपति कौन था ?
उत्तर:
मिखाइल गोर्बाचेव।
प्रश्न 9.
बोरिस येल्तसिन कौन था ?
उत्तर:
बोरिस येल्तसिन रूस का प्रथम राष्ट्रपति था।
प्रश्न 10.
बर्लिन की दीवार कब गिरी ?
उत्तर:
सन् 1989 में।
प्रश्न 11.
द्वि-ध्रुवीय विश्व के पतन का कोई एक कारण बताइए।
उत्तर:
द्वि-ध्रुवीय विश्व के पतन का एक महत्त्वपूर्ण कारण सोवियत संघ का पतन था।
प्रश्न 12.
बर्लिन की दीवार का गिरना किस बात का प्रतीक था ?
उत्तर:
शीत युद्ध की समाप्ति का।