HBSE 12th Class History Important Questions Chapter 7 एक साम्राज्य की राजधानी : विजयनगर

Haryana State Board HBSE 12th Class History Important Questions Chapter 7 एक साम्राज्य की राजधानी : विजयनगर Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class History Important Questions Chapter 7 एक साम्राज्य की राजधानी : विजयनगर

बहुविकल्पीय प्रश्न

निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न के अन्तर्गत कुछेक वैकल्पिक उत्तर दिए गए हैं। ठीक उत्तर का चयन कीजिए

1. विजयनगर साम्राज्य की स्थापना किसके काल में हुई?
(A) अलाऊद्दीन खिलजी
(B) मुहम्मद तुगलक
(C) बाबर
(D) अकबर
उत्तर:
(B) मुहम्मद तुगलक

2. विजयनगर साम्राज्य का पहला शासक था
(A) हरिहर राय
(B) बुक्का राय
(C) कृष्णदेव राय
(D) देवराय प्रथम
उत्तर:
(A) हरिहर राय

3. विजयनगर साम्राज्य के संस्थापक थे
(A) हसन गंगू
(B) कृष्णदेव राय
(C) विजालय
(D) हरिहर राय एवं बुक्का राय
उत्तर:
(D) हरिहर राय एवं बुक्का राय

4. हम्पी के अवशेषों की जानकारी सर्वप्रथम किस व्यक्ति ने दी?
(A) जॉन मार्शल
(B) आर०जी०बैनर्जी
(C) डी०आर० साहनी
(D) कॉलिन मैकेन्जी
उत्तर:
(D) कॉलिन मैकेन्जी

5. ‘गजपति’ की उपाधि किस क्षेत्र के शासक लेते थे?
(A) विजयनगर
(B) बहमनी
(C) उड़ीसा
(D) महाराष्ट्र
उत्तर:
(C) उड़ीसा

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6. किस हथियार के प्रयोग ने पुर्तगालियों को भारत के तटीय क्षेत्रों में शक्तिशाली बनाया?
(A) तलवार
(B) बंदूक
(C) तोपखाना
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(B) बंदूक

7. विजयनगर का पहला राजवंश था
(A) संगम वंश
(B) सुलुव वंश
(C) तुलुव वंश
(D) अराविदु वंश
उत्तर:
(A) संगम वंश

8. तालीकोटा का युद्ध कब लड़ा गया?
(A) 1526 ई० में
(B) 1556 ई० में
(C) 1565 ई० में
(D) 1576 ई० में
उत्तर:
(C) 1565 ई० में

9. विजयनगर के शासकों को कहा जाता था
(A) सुल्तान
(B) राय
(C) सम्राट
(D) महाराजा
उत्तर:
(B) राय

10. संस्कृत साहित्य में यूनानियों तथा उत्तर:पश्चिम से आने वालों को कहा गया है
(A) तुर्क
(B) मलेच्छ
(C) यवन
(D) मंगोल
उत्तर:
(C) यवन

11. विजयनगर साम्राज्य में स्थानीय सैनिक प्रमुखों को कहा जाता था
(A) नायक
(B) विजेता
(C) कुलीन
(D) शहजादा
उत्तर:
(A) नायक

12. 15वीं शताब्दी के प्रारंभ में विजयनगर में किस जलाशय का निर्माण किया गया?
(A) कमल पुरम
(B) शाही जलाशय
(C) विरुपाक्ष
(D) हम्पी जलाशय
उत्तर:
(A) कमल पुरम

13. अब्दुर रज्जाक ने विजयनगर में दुर्गों की कितनी पंक्तियाँ बताई हैं?
(A) 5
(B) 7
(C) 8
(D) 10
उत्तर:
(B) 7

14. शहरी क्षेत्र विजयनगर साम्राज्य में कहाँ स्थित था?
(A) पूर्व में
(B) पश्चिम में
(C) मध्य में
(D) उत्तर:पूर्व में
उत्तर:
(D) उत्तर:पूर्व में

15. डोमिंगो पेस द्वारा ‘विजय का भवन’ किसे कहा गया है?
(A) अस्तबल क्षेत्र को
(B) शाही महल को
(C) महानवमी डिब्बे को
(D) धार्मिक स्थल को
उत्तर:
(C) महानवमी डिब्बे को

16. हम्पी का नाम किस स्थानीय देवी-देवता से माना जाता है?
(A) विरुपाक्ष से
(B) विठ्ठल से
(C) पम्पा देवी से
(D) विष्णु से
उत्तर:
(C) पम्पा देवी से

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17. मंदिरों का प्रवेश द्वार कहलाता था
(A) देव द्वार
(B) शाही द्वार
(C) नगरालय
(D) गोपुरम्
उत्तर:
(D) गोपुरम्

18. धार्मिक केंद्र में सबसे ऊँची इमारत होती थी
(A) गोपुरम्
(B) गर्भ गृह
(C) मंडप
(D) देव स्थल
उत्तर:
(A) गोपुरम्

19. विजयनगर में सबसे बड़ा मंदिर था
(A) विरुपाक्ष का
(B) विष्णु का
(C) विठ्ठल का
(D) जिन्जी का
उत्तर:
(A) विरुपाक्ष का

20. रथ की आकृति वाला मंदिर किस देवता का माना जाता है?
(A) विरुपाक्ष का
(B) विष्णु का
(C) विट्ठल का
(D) पम्पा देवी का
उत्तर:
(C) विठ्ठल का

21. नायकों द्वारा विजयनगर साम्राज्य में कहाँ गोपुरम् बनवाया गया था?
(A) हम्पी में
(B) मदुरई में
(C) धार्मिक केंद्र में
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(B) मदुरई में

22. विजयनगर की खुदाई में मुख्य रूप से शामिल थे
(A) जॉन एम० फ्रिटज
(B) जॉर्ज मिशेल
(C) एम०एस० नागराज
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

23. बाजार का विस्तारपूर्वक वर्णन किया है
(A) अब्दुर रज्जाक ने
(B) डोमिंगो पेस ने
(C) वास्कोडिगामा ने
(D) बरबोसा ने
उत्तर:
(B) डोमिंगो पेस ने

24. विजयनगर का सबसे प्रतापी शासक माना जाता है
(A) हरिहर राय
(B) बुक्का राय
(C) कृष्णदेव राय
(D) देवराय प्रथम
उत्तर:
(C) कृष्णदेव राय

25. विजयनगर का समकालीन दक्षिण भारतीय राज्य कौन-सा था?
(A) वारंगल
(B) काकतिया
(C) चोल
(D) बहमनी
उत्तर:
(D) बहमनी

26. किस मुगल शासक ने विजयनगर के शासक कृष्णदेव राय का वर्णन किया है?
(A) बाबर ने
(B) अकबर ने
(C) जहांगीर ने
(D) शाहजहाँ ने
उत्तर:
(A) बाबर ने

27. विजयनगर साम्राज्य की स्थापना कब हुई?
(A) 1320 ई० में
(B) 1336 ई० में
(C) 1350 ई० में
(D) 1380 ई० में
उत्तर:
(B) 1336 ई० में

28. ‘हम्पी’ क्षेत्र में साम्राज्य होने की बात सबसे पहले कब सामने आई?
(A) 1800 ई० में
(B) 1850 ई० में
(C) 1920-21 ई० में
(D) 1956 ई० में
उत्तर:
(A) 1800 ई० में

29. विजयनगर का वर्तमान नाम है
(A) हम्पी
(B) विजयनगर
(C) विजयवाड़ा
(D) बीजापुर
उत्तर:
(A) हम्पी

30. विजयनगर साम्राज्य काल में घोड़ों के व्यापारियों को कहा जाता था
(A) नगर सेठ
(B) तवरम
(C) अश्वपालक
(D) कुदिरई चेट्टी
उत्तर:
(D) कुदिरई चेट्टी

31. भारत में बंदूक लाने का श्रेय दिया जाता है
(A) अंग्रेज़ों को
(B) फ्रांसीसियों को
(C) पुर्तगालियों को
(D) डचों को
उत्तर:
(C) पुर्तगालियों को

32. विजयनगर साम्राज्य का अन्तिम राजवंश कौन-सा था?
(A) संगम वंश
(B) सुलुव वंश
(C) तुलुव वंश
(D) अराविदु वंश
उत्तर:
(C) तुलुव वंश

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33. तालीकोटा के युद्ध में विजयनगर की सेना का नेतृत्व किसने किया?
(A) हरिहर ने
(B) बुक्का राय ने
(C) कृष्णदेव राय ने
(D) राम राय ने
उत्तर:
(D) राम राय ने

34. 1565 ई० में युद्ध तालीकोटा के किस क्षेत्र में हुआ?
(A) राक्षसी-तांगड़ी में
(B) चन्द्रगिरी में
(C) पेनुकोण्डा में
(D) गोलकुण्डा में
उत्तर:
(A) राक्षसी-तांगड़ी में

35. तालीकोटा की हार के बाद विजयनगर के शासकों ने अपनी राजधानी बनाई
(A) विजयनगर
(B) पेनुकोण्डा
(C) गोलकुण्डा
(D) मैसूर
उत्तर:
(B) पेनुकोण्डा

36. कृष्णदेव राय की मृत्यु के बाद विजयनगर में उत्तराधिकार की समस्या सुलझाने में सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका थी
(A) मुगल शासकों की
(B) विजयनगर के दरबारियों की
(C) बीजापुर के सुल्तान की
(D) जनता की
उत्तर:
(C) बीजापुर के सुल्तान की

37. सैनिक प्रमुख के साथ-साथ प्रशासनिक कार्य करने वाले वर्ग को विजयनगर में क्या नाम दिया जाता था?
(A) राय
(B) अमीर
(C) नायक
(D) अमर-नायक
उत्तर:
(D) अमर-नायक

38. तुंगभद्रा नदी विजयनगर से किस दिशा में थी?
(A) दक्षिण
(B) दक्षिण पूर्व
(C) पश्चिम
(D) उत्तर पूर्व
उत्तर:
(D) उत्तर पूर्व

39. कालीकट का वर्तमान नाम है
(A) कोजीकोड
(B) मालाबर
(C) त्रिअनन्तपुरम
(D) कोलकट्यम
उत्तर:
(A) कोजीकोड

40. विजयनगर के शासक जल प्रबंधन करते थे
(A) राजकीय क्षेत्र के लिए
(B) धार्मिक केंद्र के लिए
(C) कृषि क्षेत्र के लिए
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

41. सुरक्षा दृष्टि से विजयनगर का आश्चर्यजनक पहलू है
(A) मन्दिरों की बेजोड़ सुरक्षा
(B) शाही क्षेत्र की किलेबंदी
(C) कृषि क्षेत्र की किलेबंदी
(D) हथियारों में बंदूक का प्रयोग
उत्तर:
(C) कृषि क्षेत्र की किलेबंदी

42. “लोगों के अन्य आवास छप्पर के हैं, पर फिर भी सुदृढ़ हैं” ये पंक्तियां किस यात्री ने लिखीं?
(A) डोमिंगो पेस मे
(B) बरबोसा ने
(C) अब्दुर रज्जाक ने
(D) नूनिज़ ने
उत्तर:
(B) बरबोसा ने

43. 11000 वर्ग फीट के आधार पर 40 फीट ऊँचे विशाल मंच को पुरातत्वविदों ने क्या नाम दिया है?
(A) महानवमी डिब्बा
(B) शाही केंद्र
(C) कल्याण मंडप
(D) सिंहासन मंडप
उत्तर:
(A) महानवमी डिब्बा

44. राजकीय केंद्र में सबसे सुन्दर भवन किसे माना जाता है?
(A) हजार राम मन्दिर को
(B) कमल महल को
(C) महानवमी डिब्बे को
(D) कल्याण मंडप को
उत्तर:
(B) कमल महल को

45. कमल भवन के नजदीक बहुत बड़ी संख्या में किस पशु की रख-रखाव की व्यवस्था विजयनगर के शासकों ने की?
(A) हाथी
(B) घोड़ा
(C) ऊँट
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) हाथी

46. धार्मिक केंद्र में लोगों की श्रद्धा सबसे अधिक किस मन्दिर में थी?
(A) विठ्ठल
(B) विरुपाक्ष
(C) चन्नकेशव
(D) वृहदेश्वर
उत्तर:
(B) विरुपाक्ष

47. विरुपाक्ष मन्दिर का कौन-सा प्रवेश द्वार सबसे ऊँचा, भव्य व मुख्य है?
(A) पूर्वी
(B) पश्चिमी
(C) उत्तरी
(D) दक्षिणी
उत्तर:
(A) पूर्वी

48. विट्ठल देवता का संबंध किस देवता के साथ जोड़ा जाता है?
(A) सूर्य के साथ
(B) शिव के साथ
(C) विष्णु के साथ
(D) जगन्नाथ के साथ
उत्तर:
(C) विष्णु के साथ

49. हम्पी को राष्ट्रीय महत्त्व स्थल कब घोषित किया गया?
(A) 1952 ई० में
(B) 1968 ई० में
(C) 1976 ई० में
(D) 1986 ई० में
उत्तर:
(C) 1976 ई० में

50. यूनेस्को द्वारा हम्पी को विश्व विरासत में कब शामिल किया गया?
(A) 1960 ई० में
(B) 1968 ई० में
(C) 1976 ई० में
(D) 1986 ई० में
उत्तर:
(D) 1986 ई० में

51. वर्तमान में हम्पी को कौन संरक्षित कर रहा है?
(A) भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग
(B) कर्नाटक पुरातात्विक एवं संग्रहालय विभाग
(C) (A) व (B) दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) (A) व (B) दोनों

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
विजयनगर साम्राज्य की स्थापना किसने की?
उत्तर:
विजयनगर साम्राज्य की स्थापना हरिहर एवं बुक्का ने की।

प्रश्न 2.
विजयनगर साम्राज्य की स्थापना कब हुई?
उत्तर:
विजयनगर साम्राज्य की स्थापना 1336 ई० में हुई।

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प्रश्न 3.
विजयनगर के शासकों को क्या कहा जाता था?
उत्तर:
विजयनगर के शासकों को राय कहा जाता था।

प्रश्न 4.
विजयनगर के पतन में सबसे अधिक भूमिका किस घटना की मानी जाती है?
उत्तर:
विजयनगर के पतन में सबसे अधिक भूमिका तालीकोटा के युद्ध की मानी जाती है।

प्रश्न 5.
विजयनगर साम्राज्य में इटली के किस यात्री ने यात्रा की?
उत्तर:
विजयनगर साम्राज्य में इटली के अब्दुर रज्जाक ने यात्रा की।

प्रश्न 6.
विजयनगर शहर का सबसे अधिक वर्णन किसने किया?
उत्तर:
विजयनगर शहर का सबसे अधिक वर्णन डोमिंगो पेस ने किया।

प्रश्न 7.
विजयनगर साम्राज्य में शाही केंद्र पर बना विशाल मंच क्या कहलाता था?
उत्तर:
विजयनगर साम्राज्य में शाही केंद्र पर बना विशाल मंच ‘महानवमी डिब्बा’ कहलाता था।

प्रश्न 8.
विजयनगर शहर में ‘कमल महल’ के नजदीक बड़ा भवन किस नाम से जाना जाता है?
उत्तर:
विजयनगर शहर में ‘कमल महल’ के नजदीक बड़ा भवन हाथियों का अस्तबल के नाम से जाना जाता है।

प्रश्न 9.
विजयनगर साम्राज्य में सबसे महत्त्वपूर्ण मंदिर किस देवता का था?
उत्तर:
विजयनगर साम्राज्य में सबसे महत्त्वपूर्ण मंदिर विरुपाक्ष देवता का था।

प्रश्न 10.
महाराष्ट्र में किस देवता को ‘विट्ठल देव’ कहा जाता था?
उत्तर:
महाराष्ट्र में विष्णु को ‘विठ्ठल देव’ कहा जाता था।

प्रश्न 11.
विजयनगर में विरुपाक्ष के साथ किस देवी का विवाह उत्सव प्रतिवर्ष मनाया जाता है?
उत्तर:
विजयनगर में विरुपाक्ष के साथ पम्पा देवी का विवाह उत्सव प्रतिवर्ष मनाया जाता है।

प्रश्न 12.
विजयनगर के मानचित्र में किस अंग्रेजी वर्ण को प्रयोग में नहीं लाया गया है?
उत्तर:
विजयनगर के मानचित्र में I (आई) अंग्रेजी वर्ण को प्रयोग में नहीं लाया गया है।

प्रश्न 13.
‘हम्पी’ शहर को यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत में कब शामिल किया गया?
उत्तर:
‘हम्पी’ शहर को यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत में सन् 1986 में शामिल किया गया।

प्रश्न 14.
विजयनगर को विश्व का सबसे समृद्ध शहर कौन बताता है?
उत्तर:
विजयनगर को विश्व का सबसे समृद्ध शहर डोमिंगो पेस बताता है।

प्रश्न 15.
विजयनगर का क्या अर्थ है?
उत्तर:
विजयनगर का अर्थ है-विजय का शहर।

प्रश्न 16.
कॉलिन मैकेन्ज़ी को विजयनगर की प्रारम्भिक जानकारी किससे मिली?
उत्तर:
कॉलिन मैकेन्जी को विजयनगर की प्रारम्भिक जानकारी विरुपाक्ष व पम्पा देवी के पुजारियों से मिली।

प्रश्न 17.
कॉलिन मैकेन्ज़ी भारत का सर्वेयिर कब बना?
उत्तर:
कॉलिन मैकेन्ज़ी भारत का सर्वेयिर 1815 ई० में बना।

प्रश्न 18.
दक्षिण (बहमनी) के शासक क्या कहलाते थे?
उत्तर:
दक्षिण (बहमनी) के शासक सुल्तान कहलाते थे।

प्रश्न 19.
तंजावुर का ऐतिहासिक मन्दिर किस देवता से जुड़ा है?
उत्तर:
तंजावुर का ऐतिहासिक मन्दिर बृहदेश्वर देवता से जुड़ा है।

प्रश्न 20.
कुदिरई चेट्टी कौन थे?
उत्तर:
कुदिरई चेट्टी घोड़ों के व्यापारी थे।

प्रश्न 21.
विजयनगर साम्राज्य के प्रथम राजवंश का नाम बताइए।
उत्तर:
विजयनगर का पहला वंश संगम वंश था।

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प्रश्न 22.
कृष्णदेव राय किस वंश से संबंधित था?
उत्तर:
कृष्णदेव राय तुलुव वंश से संबंधित था।

प्रश्न 23.
विजयनगर का अंतिम वंश कौन-सा था?
उत्तर:
विजयनगर का अंतिम वंश अराविदु वंश था।

प्रश्न 24.
कृष्णदेव राय की मृत्यु के बाद विजयनगर में उत्तराधिकार की समस्या का समाधान किसने करवाया?
उत्तर:
कृष्णदेव राय की मृत्यु के बाद विजयनगर में उत्तराधिकार की समस्या का समाधान बीजापुर के सुल्तान ने करवाया।

प्रश्न 25.
कृष्णदेव राय द्वारा जलाशय बनवाने का वर्णन किस यात्री ने दिया है?
उत्तर:
कृष्णदेव राय द्वारा जलाशय बनवाने का वर्णन डोमिंगो पेस ने दिया है।

प्रश्न 26.
नगर में प्रवेश के लिए बने प्रवेश द्वारों की स्थापत्य कला को विशेषज्ञों ने क्या नाम दिया है?
उत्तर:
नगर में प्रवेश के लिए बने प्रवेश द्वारों की स्थापत्य कला को विशेषज्ञों ने इंडो-इस्लामिक नाम दिया है।

प्रश्न 27.
राजकीय केंद्र में लगभग कितने मन्दिर थे?
उत्तर:
राजकीय केंद्र में लगभग 60 से अधिक मन्दिर थे।

प्रश्न 28.
राजकीय केंद्र में सबसे भव्य मन्दिर कौन-सा है?
उत्तर:
राजकीय केंद्र में सबसे भव्य मन्दिर हजारराम मन्दिर है।

प्रश्न 29.
विजयनगर के शासकों द्वारा सबसे अधिक ऊँची इमारत कौन-सी बनाई जाती थी?
उत्तर:
विजयनगर के शासकों द्वारा सबसे अधिक ऊँची इमारत गोपुरम् बनाई जाती थी।

प्रश्न 30.
हम्पी को राष्ट्रीय महत्त्व का स्थल कब घोषित किया गया?
उत्तर:
हम्पी को राष्ट्रीय महत्त्व का स्थल 1976 ई० में घोषित किया गया।

प्रश्न 31.
हम्पी को विश्व पुरातत्व स्थल कब घोषित किया गया?
उत्तर:
हम्पी को विश्व पुरातत्व स्थल 1986 ई० में घोषित किया गया।

प्रश्न 32.
‘विजयनगर में आप हर वस्तु पा सकते हैं, यह बात किसने कही?
उत्तर:
विजयनगर में आप हर वस्तु पा सकते हैं’ यह बात यात्री डोमिंगो पेस ने कही।

प्रश्न 33.
‘गजपति’ का क्या अर्थ है?
उत्तर:
‘गजपति’ का अर्थ हाथियों का स्वामी है।

प्रश्न 34.
विजयनगर के शासक कौन-सी उपाधि धारण करते थे?
उत्तर:
विजयनगर के शासक ‘हिन्दू सूरतराणा’ की उपाधि धारण करते थे।

अति लघु-उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
विजयनगर साम्राज्य की खोज में कॉलिन मैकेन्ज़ी की क्या भूमिका है?
उत्तर:
कॉलिन मैकेन्जी ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी में अभियंता व पुरातत्वविद था। उसने विरुपाक्ष तथा पम्पा देवी के मंदिरों के पुजारियों से जानकारी प्राप्त की। उसने विजयनगर के क्षेत्र का सर्वेक्षण करवाया तथा रिपोर्ट प्रकाशित की। उसने इसके बाद इस क्षेत्र का मानचित्र भी तैयार करवाया। उसकी रिपोर्ट व मानचित्र ने इतिहासकारों को आकर्षित किया जिसके फलस्वरूप विजयनगर की खोज हुई।

प्रश्न 2.
अमर-नायक कौन थे? उनके क्या कार्य थे?
उत्तर:
अमर शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के समर शब्द से हुई है जिसका अर्थ युद्ध व लड़ाई से लिया जाता है। इससे स्पष्ट है कि अमर-नायक प्रशासन व सेना में प्रमुख व्यक्ति होते थे। वे किसानों, दस्तकारों व व्यापारियों से भू-राजस्व व अन्य कर वसूलते थे। इस वसूली राशि में से एक हिस्सा अपने व्यक्तिगत खर्च, सेना, हाथी व घोड़ों के रख-रखाव के लिए रख लेते थे। शेष राजस्व राशि राय के खजाने में जमा करवाते थे।

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प्रश्न 5.
विजयनगर शहर की आवास व्यवस्था की चर्चा करें।
उत्तर:
विजयनगर में आवास क्षेत्र शहर के किलेबन्द क्षेत्र में था। सारे शहर में एक जैसी बस्ती नहीं थी। शहर में विभिन्न धर्मों के लोग अलग-अलग क्षेत्रों में रहते थे। इस शहर के उत्तर:पूर्व क्षेत्र में साधन-सम्पन्न वर्ग के लोग रहते थे।

प्रश्न 6.
विजयनगर साम्राज्य के शाही स्थल की जानकारी दें।
उत्तर:
विजयनगर साम्राज्य की सारी प्रशासनिक व्यवस्था का संचालन जिस स्थल से होता था उसे शाही स्थल कहा गया है। शाही निवास, दरबार के अति महत्त्वपूर्ण भवनों के अतिरिक्त यहाँ 60 से अधिक मंदिर थे। यह इस बात का प्रमाण है कि शासक इन मन्दिरों व उपासना स्थलों को बनाकर जनता में यह संदेश देना चाहता था कि वह सबका शासक है इसलिए सभी उसे स्वीकार करें। इस तरह शाही स्थल पर मंदिरों का होना शासक द्वारा वैधता को प्राप्त करने का एक तरीका कहा जा सकता है।

प्रश्न 7.
मंदिरों के मंडपों के प्रकार व महत्त्व पर प्रकाश डालें।
उत्तर:
मंदिरों के अंदर विभिन्न तरह के मंडप होते थे। जिनकी पहचान, उत्सव व अनुष्ठान के आधार पर की जाती थी। ताजपोशी तथा शादी उत्सव का मंडप बड़े सभागार में होता था। समाज के कार्यक्रमों व सामान्य अवसरों की परंपराओं, विवाह, दान, सामाजिक कार्यों सभा इत्यादि के लिए मंडप अलग होते थे। कुछ मंडप धार्मिक केंद्र के बाह्य क्षेत्र में भी थे।

प्रश्न 8.
विजयनगर शहर की खुदाई का नेतृत्व किन-किन लोगों द्वारा किया गया?
उत्तर:
विजयनगर के उत्खनन (खुदाई) कार्य को करने वाले जॉन एम. फ्रिट्ज (John M. Fritz), जॉर्ज मिशेल (George Michell) तथा एम.एस. नागराज राव (M.S. Nagraja Rao) थे जो प्रारंभ से अंत तक खुदाई के कार्य से जुड़े रहे। इन्होंने पत्थरों की बीच की जगह, दरवाजों के छज्जों तथा मीनारों के बीच के विभिन्न बिन्दुओं की कल्पना की। .

प्रश्न 9.
डोमिंगो पेस विजयनगर शहर का वर्णन किस तरह करता है?
उत्तर:
डोमिंगो एक विदेशी यात्री था। उसने 16वीं शताब्दी में विजयनगर की यात्रा की। उसने शहर की बनावट, सड़कों व गलियों को बहुत अच्छा बताया। उसने विजयनगर के बाजार के बारे में लिखा कि यहाँ प्रत्येक वस्तु मिलती थी; जैसे कि अनाज, बहुमूल्य धातुएं तथा मोम इत्यादि।

प्रश्न 10.
विजयनगर शहर में कृषि क्षेत्र की किलेबंदी के लाभ व हानियाँ बताएँ।
उत्तर:
विजयनगर के खेतों को किलेबन्दी में लेने का सबसे बड़ा लाभ यह था कि लोगों के साथ-साथ फसलों की भी सुरक्षा हो जाती थी। इससे युद्ध काल में खाद्यान्न का संकट नहीं आता था। लेकिन इस व्यवस्था का दोष यह था कि यह महँगी थी। दूर-दराज तक के क्षेत्रों को किलेबन्दी में काफी खर्च करना पड़ता था।

प्रश्न 11.
विजयनगर के बाजार में मिलने वाली चीज़ों का वर्णन करें।
उत्तर:
विजयनगर का बाजार उपयोगी वस्तुओं की दृष्टि से काफी समृद्ध था। इसमें अनाज, दालें विभिन्न तरह के फल व सब्जियाँ, मांस तथा पशु-पक्षी मिलते थे। विभिन्न तरह के आभूषण, कपड़ा तथा अश्व भी यहाँ मिलते थे।

प्रश्न 12.
विजयनगर के हाथियों के अस्तबल के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
शाही क्षेत्र में हाथियों का अस्तबल बहुत बड़ा था। यह कमल महल के समीप था। इतने बड़े अस्तबल को देखकर यह अनुमान लगाया जाना सरल है कि रायों की सेना में हाथियों की संख्या काफी थी।

प्रश्न 13.
विजयनगर साम्राज्य में शासकों व व्यापारियों के संबंधों पर प्रकाश डालें।
उत्तर:
विजयनगर साम्राज्य को संपन्न बनाने में व्यापारी वर्ग ने अपना योगदान दिया। इन व्यापारियों को शासकों द्वारा संरक्षण दिया गया था। व्यापारी साम्राज्य के लिए अश्व अरब व मध्य-एशिया से आते थे। प्रारंभ से ही राय अश्वों के लिए अरब व्यापारियों पर निर्भर थे। परंतु समय के साथ-साथ यहाँ कुदिरई चेट्टी (घोड़ों के व्यापारियों) का वर्ग पैदा हो गया। इन्होंने राज्य को पर्याप्त मात्रा में घोड़े उपलब्ध करवाए। 1498 ई० में पुर्तगालियों के भारत के पश्चिमी तट पर आने के बाद इन्होंने व्यापारिक प्रतिस्पर्धा में भाग लिया।
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विजयनगर मसालों, रत्नों एवं आभूषणों के बाजार व व्यापार के लिए जाना जाता था। यहाँ की जनता की समृद्धि का ज्ञान उनकी जीवन-शैली, विदेशी वस्तुओं की माँग तथा रत्न व आभूषणों से होता था। इसके कारण व्यापारी लगातार उन्नति के मार्ग पर थे। इसके साथ ही राज्य के राजस्व में भी निरंतर वृद्धि हो रही थी।

प्रश्न 14.
कृष्णदेव राय के व्यापार व व्यापारियों के बारे में क्या विचार थे?
उत्तर:
कृष्णदेव राय विजयनगर का सबसे प्रतापी शासक था। उसने तेलुगु भाषा में ‘अमुक्त मल्यद’ नामक पुस्तक लिखी। इस पुस्तक में उसने व्यापारियों के बारे में लिखा–“एक राजा को अपने बन्दरगाहों को सुधारना चाहिए और वाणिज्य को इस प्रकार प्रोत्साहित करना चाहिए कि घोड़ों, हाथियों, रत्नों, चंदन, मोती तथा अन्य वस्तुओं का खुले तौर पर आयात हो सके। उसके अनुसार शासक को रोज बैठक में बुलाकर, व्यापारियों को तोहफे देकर तथा उचित मुनाफे की स्वीकृति देकर उन्हें अपने साथ जोड़ना चाहिए। कृष्णदेव राय के इस चिन्तन से पता चलता है कि राय व्यापारियों को किस तरह प्रोत्साहित कर, व्यापार को बढ़ावा देना चाहता था।

प्रश्न 15.
हरिहर व बुक्का राय के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
हरिहर व बुक्का राय विजयनगर साम्राज्य के संस्थापक थे। उन्होंने 1336 ई० में इसकी स्थापना की। इस साम्राज्य का प्रथम शासक हरिहर (1336-56) बना तथा उसने राज्य के लिए नियम कानून बनाए। उसकी मृत्यु के पश्चात् बुक्का राय (1356-1377) शासक बना। उसने प्रशासन व राज्य की समृद्धि की ओर ध्यान दिया। उसके समय में ही पड़ोसी राज्य बहमनी के साथ संघर्ष की शुरुआत हुई।

प्रश्न 16.
विजयनगर का पतन कैसे हुआ?
अथवा विजयनगर साम्राज्य के पतन के क्या कारण थे?
उत्तर:
कृष्णदेव राय की मृत्यु के बाद विजयनगर में दरबारी तनाव, गुटबंदी व षड्यंत्रों की शुरुआत हो गई। कृष्णदेव राय के उत्तराधिकारियों को दरबारियों तथा सेनापतियों से चुनौतियों का सामना करना पड़ा। 1542 ई० में विजयनगर साम्राज्य का एक हिस्सा अराविदु वंश के हाथों में आ गया। उन्होंने पेनुकोण्डा को राजधानी बनाया। बहमनी साम्राज्य के तीन राज्यों-बीजापुर, अहमदनगर व गोलकुण्डा की संयुक्त सेना ने 1565 ई० में विजयनगर पर आक्रमण किया। इस तालीकोटा के युद्ध में विजयनगर की हार हुई तथा विजयी सेना ने विजयनगर शहर में भारी लूटमार की, जिससे यह क्षेत्र पूरी तरह उजड़ गया।

प्रश्न 17.
विजयनगर साम्राज्य में नायक कौन थे? उनकी गतिविधियाँ क्या थीं?
उत्तर:
विजयनगर साम्राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत सेना प्रमुखों को नायक कहा जाता था। इन सेना प्रमुखों का किलों पर नियंत्रण होता था। इनके पास शस्त्रधारी सैनिक भी होते थे। ये प्रायः भ्रमणशील होते थे तथा हमेशा उपजाऊ भूमि पर नियंत्रण करना चाहते थे। इनकी भाषा प्रायः तेलुगु या कन्नड़ थी। इन्हें स्थानीय किसानों का समर्थन मिलता रहता था। ये नायक सामान्यतः विद्रोही प्रवृत्ति के होते थे।

प्रश्न 18.
विजयनगर शहर का वृत्तांत देने वाले प्रमुख यात्री कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
विजयनगर शहर का वृत्तांत देने वाले यात्रियों में इटली के निकोलो दे कॉन्ती (Nicolo-De-Konti), फारस के अब्दुर रज्जाक (Abdur Razak) तथा रूस के अफानासी निकितिन (Afanaci Niktian), डोमिंगो पेस (Domingo Pesh) तथा पुर्तगाल के फर्नावो नूनिज़ (Fernao Nuniz) है। इन सभी ने इस शहर में प्रवास किया तथा अलग-अलग पक्षों की जानकारी दी।

HBSE 12th Class history Important Questions Chapter 7 एक साम्राज्य की राजधानी : विजयनगर

प्रश्न 19.
विजयनगर की सुरक्षा व्यवस्था कैसी थी?
उत्तर:
विजयनगर साम्राज्य के रायों ने सुरक्षा व्यवस्था की ओर विशेष ध्यान दिया। नगर की किलेबंदी बेजोड़ थी। फारस का दूत तथा यात्री अब्दुर रज्जाक सुरक्षा व्यवस्था से प्रभावित होकर लिखता है कि यहाँ दुर्गों की सात पंक्तियाँ हैं। इन दुर्गों की पंक्तियों में केवल शहर का आवासी क्षेत्र नहीं है, बल्कि कृषि क्षेत्र, जंगलों व जलाशयों के क्षेत्र को चारदीवारी के अंदर लिया गया है। उसके अनुसार इस दीवार को बनाने के लिए मिट्टी, चूना या किसी अन्य जोड़ने वाली चीज का प्रयोग नहीं किया गया, बल्कि पत्थरों को फानाकार बनाकर आपस में जोड़ा गया। दीवार में आयताकार व वर्गाकार बुर्ज भी बने थे। इस किलेबंदी में सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण बात खेतों की दीवार द्वारा घेराबंदी थी।

प्रश्न 20.
विजयनगर में सड़कों की व्यवस्था की संक्षिप्त जानकारी दें।
उत्तर:
विजयनगर के शासकों ने सड़कों को विशेष महत्त्व दिया। विजयनगर की चारदीवारी के अंदर प्रवेश करने के लिए प्रवेश द्वार थे। ये सुरक्षित तो थे ही साथ में स्थापत्य कला की दृष्टि से भी विशेष थे। प्रत्येक प्रकार की दीवार पर अलग-अलग स्थापत्य कला से प्रवेश द्वार बने थे। किलेबंद बस्ती के प्रवेश द्वार पर मेहराब थी जिसके ऊपर गुंबद था। कला इतिहासकार इसे तुर्की प्रभाव का होने के कारण इंडो-इस्लामिक (हिंद-इस्लामी) संस्कृति बताते हैं।

प्रवेश द्वार से होकर आंतरिक भाग तक पक्की सड़कें थीं। ये सड़कें पहाड़ी व मैदानी दोनों क्षेत्रों में थीं। नगरीय क्षेत्र, धार्मिक व राजकीय क्षेत्र को सड़कों से जोड़ा गया था। इन सड़कों के दोनों ओर बाजार थे। मंदिरों के प्रवेश द्वारों के साथ सड़कों की चौड़ाई थोड़ी अधिक होती थी। सड़कों को पत्थरों द्वारा पक्का किया गया था।

प्रश्न 21.
शाही केंद्र में कौन-कौन से प्रमुख भवन थे?
उत्तर:
शाही केंद्र में शाही महल केंद्र था। विभिन्न अनुष्ठानों का आयोजन स्थल महानवमी डिब्बा भी इसी क्षेत्र में था। सबसे सुंदर भवन कमल (लोटस) महल है। इसकी मेहराबों पर बहुत सुंदर डिज़ाइन बनाए गए हैं तथा इन मेहराबों को दूर से देखने के बाद कमल जैसी आकृति बनती है। शाही क्षेत्र में हाथियों का अस्तबल भवन बहुत बड़ा है। यह कमल महल के समीप था।

प्रश्न 22.
विजयनगर शहर के धार्मिक केंद्र के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
विजयनगर के राय शासकों ने कई मंदिरों का निर्माण विजयनगर शहर के तुंगभद्रा नदी से सटे क्षेत्र में करवाया। एक स्थान पर काफी मात्रा में मंदिर व उपासना स्थल होने के कारण इस क्षेत्र को धार्मिक केंद्र के नाम से जाना जाता था। यह क्षेत्र पहाड़ियों के बीच था। स्थानीय लोक मान्यताओं के अनुसार, ये पहाड़ियाँ बाली व सुग्रीव के राज्य की रक्षा करती थीं। अन्य लोक परंपरा इस क्षेत्र का संबंध स्थानीय मातृदेवी, पम्पा देवी से जोड़ती है।

बरबोसा का उल्लेख
बरबोसा ने विजयनगर की प्रजा के धर्म संबंधी आचरण को लिखा है। प्रस्तुत है उसका एक अंश “राजा ने उन्हें इतनी स्वतंत्रता दी है कि प्रत्येक व्यक्ति  अपने उपासना स्थल, पर आ-जा सके और बिना कोई परेशानी झेले अपने धर्म का पालन कर सके। चाहे वह ईसाई हो या यहूदी मूर हो या कोई अन्य। न केवल शासक बल्कि लोग भी एक दूसरे के साथ बराबरी व न्याय का बर्ताव रखते थे।”

धार्मिक केंद्र में इतने अधिक उपासना स्थलों का मिलना इस  बात की पुष्टि करता है कि विभिन्न आस्थाओं व विचारधाराओं के | लोग आपस में मिल-जुल कर रहते थे तथा शासक भी यह दिखाने का |  प्रयास करता था कि वह किसी एक विशेष मत का शासक नही हैं।

प्रश्न 23.
गोपुरम् क्या थे? इनका क्या महत्त्व था?
उत्तर:
मंदिर के प्रवेश द्वार को गोपुरम् या राजकीय प्रवेश द्वार कहा जाता था। गोपुरम् किसी भी मंदिर एवं शहर की पहचान थे। ये कई मील से देखे जा सकते थे। शासक सबसे अधिक खर्च इसी पर करते थे। गोपुरम् शासक की पहचान तथा प्रतिष्ठा का प्रतीक माना जाता था। इसलिए शासक स्थापत्य कला, तकनीक, ऊँचाई सभी दृष्टिकोणों से इसे विशिष्ट बनाना चाहते थे। विरुपाक्ष मंदिर, जिसका निर्माण शताब्दियों तक चलता रहा था, इसका महत्त्वपूर्ण द्वार पूर्वी क्षेत्र में है, जिसे पूर्वी गोपुरम् कहा जाता है। इसका निर्माण कृष्णदेव राय के द्वारा कराया गया था।

प्रश्न 24. विरुपाक्ष मन्दिर का संक्षिप्त परिचय दें।
उत्तर:
विरुपाक्ष स्थानीय परंपराओं के अनुरूप शिव के रूप में सबसे महत्त्वपूर्ण देवता था। इस मंदिर का देवस्थल, वर्गाकार था तथा दो प्रवेश द्वार थे। मंदिर का अपना एक जलाशय था। मंदिर में दो बड़े सभागार व मंडप थे जिनको स्तंभों वाले बरामदे से जोड़ा गया था। इस मंदिर का मंडप कृष्णदेव राय के द्वारा राज्यरोहण के अवसर पर बनाया गया था। इसके स्तंभों पर चित्रों को विशेष कलात्मक ढंग से उत्कीर्ण किया गया था। मंदिर का देवालय बीच में था। भले ही वह छोटे से क्षेत्र में था लेकिन आस्था व उपासना की दृष्टि से यही सबसे महत्त्वपूर्ण था क्योंकि यह मंदिर का गर्भ गृह था तथा देवता की परंपरागत मूर्ति भी यहीं थी। .

प्रश्न 25.
विट्ठल मन्दिर के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
विट्ठल महाराष्ट्र क्षेत्र में विष्णु के रूप में पूजे जाते थे। महाराष्ट्र के बाद यह देवता कर्नाटक में भी लोकप्रिय हुआ। यह मंदिर सांस्कृतिक समन्वय का प्रतीक था। इसमें भी सभागार, मंडप व देवालय था। इसकी विशेष महत्ता इसका स्थापत्य था। यह मंदिर रथ के आकार पर आधारित था।

प्रश्न 26.
मन्दिर क्षेत्र में सभागार की क्या भूमिका थी?
उत्तर:
मंदिर में सर्वाधिक प्रयोग स्थल सभागार थे। सभागार का आकार उसकी मान्यता व आवश्यकता के अनुरूप था। इन सभागारों में संगीत, नृत्य व नाटक इत्यादि के कार्यक्रम चलते रहते थे। देवताओं की मूर्तियों को स्थापना के समय या विशेष उत्सवों पर बाहर नहीं लाया जाता था। देवी-देवताओं के विवाह उत्सव के अवसर पर सभागारों की छटा बेहद सुंदर होती थी। देवी-देवताओं के सार्वजनिक दर्शन तथा झूला इत्यादि झुलाने के लिए विशिष्ट मूर्तियों का प्रयोग होता था।

प्रश्न 27.
हम्पी का खनन मानचित्र कैसे तैयार किया गया?
उत्तर:
सर्वप्रथम पूरे हम्पी क्षेत्र के फोटोग्राफ लिए गए तथा मानचित्र का निर्माण किया गया। इसके पहले चरण में संपूर्ण क्षेत्र को 25 वर्गाकार भागों में बांटा गया जिन्हें अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षर A से Z का नाम दिया गया। इसमें I (आई) शब्द का प्रयोग नहीं किया गया फिर उस प्रत्येक भाग को 25 भागों में बांटा गया। फिर उन्हें क्रमशः AA, AB, AC या BA, BB, BC की क्रिया अपनाते हुए ZAसे ZZ तक अर्थात् 25 टुकड़ों को आगे 25 छोटे वर्गाकार टुकड़ों में बांटा गया। फिर इन टुकड़ों को अन्य छोटी इकाइयों में आगे-से-आगे विभाजित किया जाता रहा। जब तक प्रत्येक फुट का क्षेत्र मानचित्र के दायरे में नहीं आ गया।

प्रश्न 28.
हम्पी की खनन प्रक्रिया से हमें किस-किस चीज की जानकारी मिल पाई?
उत्तर:
हम्पी की खनन प्रक्रिया द्वारा हम विजयनगर साम्राज्य के युग को समझ सके। इस क्रिया में हम विभिन्न भवनों, मार्गों, क्षेत्रों व जलाशयों के बारे में जानकारी भी ले सके। स्थापत्य कला तथा उसकी विभिन्न शैली तक भी पहुँच सके। इन भवनों के उद्देश्य तथा सांस्कृतिक महत्त्व के साथ-साथ हम निर्माणकर्ताओं की सोच इत्यादि के बारे में भी अनुमान लगा पाए। साम्राज्य की राजधानी की किलेबंदी तथा प्रतिरक्षा के बारे में भी काफी हद तक हमारी समझ बनी है। शासक तथा नायक वर्ग की विभिन्न चीजें व भवनों के आधार पर उनकी जीवन-शैली का अनुमान लगाया जा सका।

प्रश्न 29.
विजयनगर की जानकारी हेतु अभी किन-किन प्रश्नों का जवाब ढूँढ़ना बाकी है?
उत्तर:
विजयनगर की अभी तक शाही परिवार व भवनों के बारे में मिली जानकारी द्वारा हम उस स्थान पर बसे लोगों, उनके आपसी संबंधों, बच्चों के जीवन तथा उनकी गतिविधियों को नहीं जान पाए हैं, शहरी केंद्र के आस-पास ग्रामीण क्षेत्रों व इनके आपसी संबंधों को समझना अभी बाकी है। भवनों को बनाने वाले विशेषज्ञों की सोच, उनकी दैनिक मजदूरी व समाज में उनका स्थान, की स्थिति भी अभी स्पष्ट नहीं है। भवन निर्माण में उनका साथ देने वाले कारीगर, राजगीर, पत्थर काटने वाले व्यक्तियों की जानकारी भी हमारे पास नहीं है, मजदूर, निर्माण सामग्री का स्थल, यातायात व संचार के मुख्य साधन इत्यादि अनेक पक्ष ऐसे हैं जिनकी जानकारी अभी अधूरी है।

लघु-उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
विजयनगर की खोज पर नोट लिखें।
उत्तर:
विजयनगर का नाम वर्तमान में हम्पी है जो दक्षिण के एक ऐतिहासिक साम्राज्य विजयनगर की धरोहर से समृद्ध था। परन्तु समय बीतने के साथ यह विस्मृति के गर्भ में चला गया। कंपनी के एक अभियंता कॉलिन मैकेन्जी ने एक प्राचीन स्थल के बारे में खोज-बीन शुरू की। वहाँ पर विरुपाक्ष तथा पम्पादेवी के दो प्राचीन मंदिर थे। इन्हीं मंदिरों के पुजारियों से उसे इस स्थान के बारे में जानकारी प्राप्त हुई जिसके आधार पर उसने विस्तृत सर्वेक्षण करवाया और उसकी रिपोर्ट को प्रकाशित किया। उसने इस क्षेत्र का प्रथम मानचित्र तैयार किया।

उसकी हम्पी संबंधी रिपोर्ट और मानचित्र ने इतिहासकारों को आकर्षित किया। इस क्षेत्र की खोज के प्रति उनका रुझान बढ़ गया। 1836 ई० में पुरातत्वविदों व अभिलेखज्ञाताओं ने इस क्षेत्र (हम्पी) के मंदिरों तथा अन्य स्थानों से अभिलेख एकत्रित किए। सन् 1856 में छाया चित्रकारों ने यहाँ के भवनों के चित्र संकलित करने आरंभ किए। इस प्रकार परत-दर-परत विस्मृत नगर सामने आने लगे। इतिहासकारों ने उपलब्ध पुरातात्विक सामग्री तथा यात्रियों के वृत्तांत और स्थानीय साहित्य (तेलुगु, तमिल, कन्नड़ व संस्कृत में) के आधार पर इस नगर के इतिहास का पुनर्निर्माण किया।
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प्रश्न 2.
विजयनगर के शासकों व व्यापारियों के बीच संबंधों पर प्रकाश डालें।
उत्तर:
विजयनगर के शासकों के व्यापारियों से संबध काफी अच्छे थे। इस साम्राज्य को संपन्न बनाने में व्यापारी वर्ग ने अपना योगदान दिया। इन व्यापारियों को रायों द्वारा संरक्षण दिया गया था। रायों की सफलता में अश्व सेना की भूमिका महत्त्वपूर्ण थी। इनके अश्व अरब व मध्य-एशिया से आते थे। प्रारंभ में राय अश्वों के लिए अरब व्यापारियों पर निर्भर थे। परंतु समय के साथ-साथ यहाँ कुदिरई चेट्टी (घोड़ों के व्यापारियों) का वर्ग पैदा हो गया। इन्होंने राज्य को पर्याप्त मात्रा में घोड़े उपलब्ध करवाए।

विजयनगर मसालों, रत्नों एवं आभूषणों (रत्नों) के बाजार व व्यापार के लिए जाना जाता था। यहाँ की जनता की समृद्धि का ज्ञान उनकी जीवन-शैली, विदेशी वस्तुओं की माँग तथा रत्न व आभूषणों से होता था। इस जीवन-शैली व माँग के कारण व्यापारी लगातार उन्नति के मार्ग पर थे। इसके साथ ही राज्य के राजस्व में भी निरंतर वृद्धि हो रही थी। कृष्णदेव राय विजयनगर का सबसे प्रतापी शासक कहा जाता है। उसने तेलुगु भाषा में ‘अमुक्त मल्यद’ नामक पुस्तक लिखी। कृष्णदेव राय के चिन्तन से पता चलता है कि राय व्यापारियों को किस तरह प्रोत्साहित कर व्यापार को बढ़ावा देना चाहते थे।

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प्रश्न 3.
कृष्णदेव राय का विजयनगर साम्राज्य के विकास में क्या योगदान था?
उत्तर:
1336 ई० में हरिहर व बुक्का राय दो भाइयों ने विजयनगर साम्राज्य की स्थापना की। इस साम्राज्य का प्रथम शासक हरिहर (1336-56) बना तथा उसने राज्य के लिए नियम कानून बनाए। उसकी मृत्यु के पश्चात् बुक्का (1356-1377) शासक बना। उसने प्रशासन व राज्य की समृद्धि की ओर ध्यान दिया। उसके समय में ही पड़ोसी राज्य बहमनी के साथ संघर्ष की शुरुआत हुई। उसके पश्चात् हरिहर द्वितीय (1377-1405) तथा देवराय प्रथम (1406-22) शासक बने। इन्होंने बहमनी से संघर्ष जारी रखा। साथ ही आर्थिक विकास, कृषि व व्यापार को भी प्रोत्साहन दिया। उनके बाद देवराय द्वितीय (1422-46) शासक बना। उसने इस साम्राज्य की सीमा का खूब विस्तार किया। फारसी यात्री अब्दुर रज्जाक ने उसकी खुले मन से प्रशंसा की है।

इसके बाद इस साम्राज्य में कई कमजोर शासक आए जिनको बहमनी के शासकों ने पराजित कर इनकी सीमा को छोटा कर दिया। विजयनगर अपने चरमोत्कर्ष पर कृष्णदेव राय (1509-29) के शासन काल में पहुँचा। उसने सुलुवों के राज्य को नष्ट कर सत्ता पर अधिकार कर लिया। उसने 1512 ई० में तुंगभद्रा व कृष्णा नदियों के बीच के क्षेत्र रायचूर, दोआब, 1514 ई० में उड़ीसा तथा 1520 ई० में बीजापुर के शासक को पराजित कर साम्राज्य का विस्तार किया। साथ ही उसने आंतरिक दृष्टि से भी राज्य को सुदृढ़ किया। उसका काल शांति, समृद्धि तथा मंदिरों के निर्माण के लिए जाना जाता है।
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प्रश्न 4.
विजयनगर के पतन की स्थितियों को अपने शब्दों में लिखें। ,
उत्तर:
कृष्णदेव राय की मृत्यु के बाद विजयनगर में दरबारी तनाव, गुटबंदी व षड्यंत्रों की शुरुआत हो गई। कृष्णदेव राय के उत्तराधिकारियों को दरबारियों तथा सेनापतियों से चुनौतियों का सामना करना पड़ा। 1542 ई० में विजयनगर साम्राज्य का एक हिस्सा अराविदु वंश के हाथों में आ गया। उन्होंने पेनुकोण्डा को राजधानी बनाया। बाद में उन्होंने राजधानी चन्द्रगिरी (तिरुपति के पास) से 17वीं शताब्दी तक शासन किया। दक्षिण में कई नई शक्तियाँ भी उभरीं जिन्होंने विजयनगर के राजनैतिक समीकरण को काफी कमजोर किया।

अन्ततः बहमनी साम्राज्य के तीन राज्यों-बीजापुर, अहमदनगर व गोलकुण्डा की संयुक्त सेना ने 1565 ई० में विजयनगर पर आक्रमण किया। विजयनगर का नेतृत्व रामराय ने किया। यह युद्ध तालीकोटा (वास्तव में राक्षसी-तांगड़ी क्षेत्र) में हुआ। इस युद्ध में विजयनगर की हार हुई तथा विजयी सेना ने विजयनगर शहर में भारी लूटमार की। जिससे यह क्षेत्र पूरी तरह उजड़ गया तथा अराविदु वंश नाम-मात्र के लिए पेनुकोण्डा व चन्द्रगिरी से शासन चलाता रहा।
अतः विजयनगर के पतन का मुख्य कारण बहमनी राज्यों से उसकी हार थी।

प्रश्न 5.
विजयनगर के राय, नायकों व अमर-नायकों के आपसी संबंधों का वर्णन करें।
उत्तर:
विजयनगर साम्राज्य में शासन का प्रमुख राय होता था। राय अपने साम्राज्य में आंतरिक व बाह्य तौर पर शांति व सुरक्षा के लिए सेना पर निर्भर था। इस साम्राज्य में सेना अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग प्रमुखों के नियंत्रण में होती थी। इन सेना प्रमुखों का किलों पर नियंत्रण होता था। इनके पास शस्त्रधारी सैनिक भी होते थे। ये प्रायः भ्रमणशील होते थे तथा हमेशा उपजाऊ भूमि पर नियंत्रण करना चाहते थे।

इनकी भाषा प्रायः तेलुगु या कन्नड़ थी। इन्हें स्थानीय किसानों का समर्थन मिलता रहता था। सेना के प्रमुखों या सेनापतियों के वर्ग को नायक कहा जाता था। ये नायक सामान्यतः विद्रोही प्रवृत्ति के होते थे। नायक से ही अमर-नायक बना है। अमर-नायक सैनिक प्रमुख तो थे ही, साथ ही उन्हें राय द्वारा प्रशासनिक शक्ति भी दी गई थी। जबकि नायक के पास प्रशासनिक शक्तियाँ नहीं थीं। इस तरह अमर-नायक, नायक की तुलना में अधिक महत्त्वपूर्ण थे। अमर-नायक प्रशासन व सेना में प्रमुख व्यक्ति होते थे। वे किसानों, दस्तकारों व व्यापारियों से भू-राजस्व व अन्य कर वसूलते थे।

इस वसूली राशि में से एक हिस्सा अपने व्यक्तिगत खर्च, सेना, हाथी व घोड़ों के रख-रखाव के लिए रख लेते थे। शेष राजस्व राशि राय के खजाने में जमा करवाते थे। इन्हीं नायकों के सहारे रायों ने साम्राज्य का विस्तार किया तथा आंतरिक तौर पर शांति स्थापित कर समृद्धि का वातावरण बनाया। अमर-नायक व नायक तथा राय में कुछ औपचारिक रिश्ते थे। वे वर्ष में एक बार उपहारों सहित दरबार में उपस्थित होकर स्वामीभक्ति प्रकट करते थे। राय अपनी शक्ति-प्रदर्शन तथा शक्ति संतुलन के लिए इन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानातंरित कर देता था।

प्रश्न 6.
विजयनगर साम्राज्य की राजधानी कौन-सी थी? उसका वृत्तांत किन यात्रियों ने दिया है? किसी एक का वर्णन करें।
उत्तर:
विजयनगर साम्राज्य की राजधानी स्वयं विजयनगर शहर था। इसकी संरचना व स्थापत्य कला की दृष्टि से यह महत्त्वपूर्ण शहर था। यह शहर वे सारी विशेषताएँ रखता था जो किसी भी शक्तिशाली राज्य की राजधानी की जरूरत होती थी। इस शहर के मन्दिर, भवन तथा अन्य अवशेष व्यापक रूप में मिले हैं। नायक व अमर-नायकों के अभिलेख तथा यात्रियों का वृत्तांत ने शहर के बारे में विस्तृत प्रकाश डाला है।

15वीं शताब्दी के यात्रियों में इटली के निकोलो दे कॉन्ती (Nicolo-De-Konti), फारस के अब्दुर रज्जाक (Abdur Razak) तथा रूस के अफ़ानासी निकितिन (Afanaci Niktian) मुख्य हैं। 16वीं शताब्दी के यात्रियों में दुआर्ते बरबोसा (Duarate Barbosa), डोमिंगो पेस (Domingo Pesh) तथा पुर्तगाल के फर्नावो नूनिज़ (Fernao Nuniz) के नाम आते हैं।

इन सभी ने इस शहर में प्रवास किया तथा अलग-अलग पक्षों की जानकारी दी। उदाहरण के लिए डोमिंगो पेस के वृत्तांत को दिया जा सकता है। उसके अनुसार, “इस शहर का परिमाप मैं यहाँ लिख नहीं रहा हूँ, क्योंकि यह एक स्थान से पूरी तरह नहीं देखा जा सकता, पर मैं एक पहाड़ पर चढ़ा जहाँ से मैं इसका एक बड़ा भाग देख पाया। मैं इसे पूरी तरह नहीं देख पाया, क्योंकि यह कई पर्वत शृंखलाओं के बीच स्थित है। वहाँ से मैंने जो देखा वह मुझे रोम जितना विशाल प्रतीत हुआ और देखने में अत्यंत सुन्दर। इसमें पेड़ों के कई उपवन हैं। आवासों के बगीचों में तथा पानी की कई नालियाँ जो इसमें आती हैं। इसमें कई स्थानों पर झीलें भी हैं तथा राजा के महल के समीप ही खजूर के पेड़ों का बगीचा तथा अन्य फल प्रदान करने वाले वृक्ष थे।”

प्रश्न 7.
विजयनगर साम्राज्य की जल आवश्यकताओं को किस प्रकार पूरा किया जाता था?
उत्तर:
विजयनगर में जल प्रबंधन की एक निश्चित योजना थी। इस ओर शासकों ने विशेष ध्यान दिया। विजयनगर प्राकृतिक दृष्टि से पहाड़ियों के बीच था। इसके उत्तर:पूर्व में तुंगभद्रा नदी बहती थी। पहाड़ियों की जल धाराओं से यहाँ एक प्राकृतिक कुण्ड बना है। वहाँ पर शासकों ने बाँधों (जलाशयों) का निर्माण किया। इन बाँधों से पानी लेकर बड़े-बड़े कुण्डों में एकत्रित किया जाता था। इस क्षेत्र में आज भी कमलपुरम् नामक एक जलाशय है जिसका निर्माण 15वीं सदी में किया गया था। इन जलाशयों से कृषि में सिंचाई की जरूरत को पूरा किया।

इसके साथ ही शासकों द्वारा नहर के माध्यम से इस जलाशय का पानी शहर के मुख्य हिस्से ‘राजकीय केंद्र’ तक पहुँचाया गया। इस नहर को संगम वंश के शासकों द्वारा तैयार करवाया गया। यह नहर नगर के शहरी व धार्मिक केंद्र की पानी की आवश्यकता की पूर्ति करती थी। साथ ही यह कृषि क्षेत्र की सिंचाई भी करती थी। शासक विभिन्न जलाशयों का निर्माण करवाना गौरव की बात समझते थे। इसके लिए आर्थिक साधन कहीं बाधा नहीं बनते थे। डोमिंगो पेस ने कृष्णदेव राय द्वारा जलाशय निर्माण पर भी जानकारी दी जिसमें स्पष्ट किया गया है कि 15 से 20 हजार व्यक्ति वहीं कार्य करते थे। जलाशय एक निश्चित योजना के अनुरूप बना था।

प्रश्न 8.
विजयनगर की सुरक्षा व्यवस्था के विभिन्न पक्षों पर प्रकाश डालें।
उत्तर:
विजयनगर साम्राज्य व नगर की किलेबंदी बेजोड़ थी, जिसके बारे में हमें जानकारी फारस के दूत तथा यात्री अब्दुर रज्जाक से मिलती है। वह सुरक्षा व्यवस्था से प्रभावित होकर लिखता है कि यहाँ दुर्गों की सात पंक्तियाँ हैं। इन दुर्गों की पंक्तियों में केवल शहर का आवासी क्षेत्र नहीं है, बल्कि कृषि क्षेत्र, जंगलों व जलाशयों के क्षेत्र को चारदीवारी के अंदर लिया गया है। वह बताता है कि सबसे बाहरी दीवार चारों ओर बनी पहाड़ियों को आपस में जोड़ती है।

उसके अनुसार यह संरचना विशाल तथा शुण्डाकार थी। इस दीवार को बनाने के लिए मिट्टी, चूना या किसी अन्य जोड़ने वाली चीज का प्रयोग नहीं किया गया, बल्कि पत्थरों को फानाकार बनाकर आपस में जोड़ा गया। ये पत्थर खिसकते नहीं थे। दीवारों का आंतरिक भाग मिट्टी व मलबे के मिश्रण से बना था। दीवार में आयताकार व वर्गाकार बुर्ज भी बने थे। उसे इस किलेबंदी में सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण बात खेतों की दीवार द्वारा घेराबंदी लगी।

विजयनगर भारतीय ऐतिहासिक संदर्भ में पहला ऐसा साम्राज्य है जिसने खेतों की भी किलेबंदी की। यह व्यवस्था महँगी जरूर थी, लेकिन इसके परिणाम सुखद थे। कृषि क्षेत्र के बाद दूसरी किलेबंदी नगरीय केंद्र के आंतरिक भाग की होती थी तथा तीसरी शासकीय केंद्र की जिसमें शाही महल, दरबार, सेना व अस्तबल इत्यादि होते थे। इस किलेबंदी की विशेष बात यह होती थी कि ज्यों-ज्यों अंदर की ओर आते थे त्यों-त्यों दीवारों की ऊँचाई बढ़ती जाती थी।

प्रश्न 9. विजयनगर शहर की आवास व्यवस्था कैसी थी? वर्णन करें।
उत्तर:
शहर की आवास व्यवस्था-किलेबंद चारदीवारी के अंदर थी। पुरातत्वविदों को सारे शहर में एक जैसी बस्ती नहीं मिली है बल्कि भवन निर्माण पद्धति के आधार पर उन्हें आसानी से समझा जा सकता है। पुरातत्वविदों ने शहर के उत्तर:पूर्वी कोने को भवन-निर्माण के आधार पर ही मुस्लिम रिहायशी मोहल्ला घोषित किया है। इसी क्षेत्र में अच्छी किस्म की चीनी मिट्टी की वस्तुएँ भी मिली हैं। जो इस बात को प्रमाणित करती हैं कि यहाँ साधन सम्पन्न लोग रहते होंगे। भवन चाहे मंदिर हों या मस्जिद एक जैसे सामान से बने हैं। मंदिर व मस्जिद की मौलिक विशेषताओं को छोड़कर ये सभी हम्पी के मन्दिरों जैसे ही हैं।

शहरी आवास व्यवस्था में पुरातत्वविदों ने एक नई चीज पाई कि इस क्षेत्र में बहुत-से विविध उपासना स्थल मिले हैं। स्थापत्य कला व शहर की बसावट से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि यहाँ कई संप्रदायों के लोग रहते थे जो अपने-अपने उपासना स्थलों में उपासना करते थे। वे इनका रख-रखाव भी करते थे। स्थापत्य अवशेषों में कुओं, बरसात के पानी के जलाशयों तथा मंदिर के जलाशयों का काफी मात्रा में मिलना, इस बात का उदाहरण है कि ये पानी के स्रोत स्थानीय लोगों की जल से संबंधित आवश्यकताओं की पूर्ति करते थे।

प्रश्न 10.
विजयनगर साम्राज्य के शाही आवास पर नोट लिखें।
उत्तर:
विजयनगर साम्राज्य की सारी प्रशासनिक व्यवस्था का संचालन जिस स्थल से होता था उसे शाही स्थल कहा गया है। पुरातत्वविदों ने इसे शाही केंद्र तथा राजकीय केंद्र इत्यादि नाम भी दिए हैं। शाही निवास, दरबार के अति महत्त्वपूर्ण भवनों के अतिरिक्त यहाँ 60 से अधिक मंदिर थे। यह इस बात का प्रमाण है कि शासक इन मन्दिरों व उपासना स्थलों को बनाकर जनता में यह संदेश देना चाहता था कि वह सबका शासक है इसलिए सभी उसे स्वीकार करें। इस तरह शाही स्थल पर मंदिरों का होना शासक द्वारा वैधता को प्राप्त करने का एक तरीका कहा जा सकता है।

विजयनगर के खनन में 30 ऐसे भवन मिले हैं जो आकार में काफी बड़े हैं। इन्हें पुरातत्वविदों ने महलों का नाम दिया है। इन भवनों में धर्म से संबंधित कार्य नहीं किए जाते थे। इन भवनों व उपासना स्थलों के बीच मुख्य अंतर यह था कि उपासना स्थलों में ईंट-पत्थर इत्यादि प्रयोग में लाए गए हैं जबकि इनमें विभिन्न प्रकार की सामग्री का पुनः प्रयोग भी किया गया है। इन भवनों में सामग्री की पवित्रता की अपेक्षा मजबूती पर ध्यान दिया गया है। शाही आवास में महानवमी डिब्बा, सभा मंडप, कमल महल व हाथियों के अस्तबल जैसे भवन थे।
HBSE 12th Class History Important Questions Chapter 7 Img 8

प्रश्न 11.
शाही आवास में राजमहल या महानवमी डिब्बे के अतिरिक्त कौन-कौन से भवन थे? वर्णन करें।
उत्तर:
शाही केंद्र या राजकीय केंद्र राजमहल या महानवमी डिब्बे के अतिरिक्त बहुत-से ऐसे भवन हैं जिनके प्रयोग के बारे में तो निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता। अनुमान आकार, स्थापत्य निर्माण शैली व भवन की स्थिति के अनुरूप लगाए गए हैं। इन भवनों में सबसे सुंदर भवन कमल (लोटस) महल है।

इसकी मेहराबों पर बहुत सुंदर डिज़ाइन बनाए गए हैं तथा इन मेहराबों को दूर से देखने के बाद कमल जैसी आकृति बनती है, इसलिए पुरातत्वविदों, इतिहासकारों व यात्रियों (अंग्रेज) ने इसे यह नाम दिया। इसके उद्देश्य के बारे में स्पष्टता नहीं है, परंतु यह स्वीकार किया जाता है कि शासक यहाँ अपने सलाहकारों को मिलता था। अतः यह एक तरह का परिषदीय भवन था।

विजयनगर में सर्वाधिक मंदिरों वाले स्थल को धार्मिक केंद्र कहा गया है लेकिन राजकीय केंद्र में भी एक अत्यंत दर्शनीय व भव्य स्थल ‘हज़ार राम मंदिर’ है। यह मंदिर केवल शाही परिवार के सदस्यों द्वारा प्रयोग में लाया जाता था। मन्दिर के देवस्थल पर आज मूर्तियाँ नहीं हैं, लेकिन दीवारों पर उत्कीर्ण चित्र सुरक्षित हैं। इन चित्रों में कुछ रामायण के दृश्यों को अभिव्यक्त करते हैं इसलिए इस मंदिर का नाम राम के साथ जोड़ा गया। इसकी दीवारों पर घोड़े व हाथियों के चित्र बने हैं। शाही क्षेत्र में हाथियों का अस्तबल बहुत बड़ा है। यह कमल महल के समीप था।

HBSE 12th Class history Important Questions Chapter 7 एक साम्राज्य की राजधानी : विजयनगर

प्रश्न 12.
गोपुरम् क्या थे? ऐतिहासिक दृष्टि से इनका क्या महत्त्व था?
उत्तर:
मन्दिर का प्रवेश द्वार गोपुरम् कहा जाता था। गोपुरम् किसी भी मंदिर एवं शहर की पहचान थे। ये कई मील से देखे जा सकते थे। शासक सबसे अधिक खर्च इसी पर करते थे। गोपुरम् शासक की पहचान तथा प्रतिष्ठा का प्रतीक माना जाता था। इसलिए शासक स्थापत्य कला, तकनीक, ऊँचाई सभी दृष्टिकोणों से इसे विशिष्ट बनाना चाहते थे। विरुपाक्ष मंदिर, जिसका निर्माण शताब्दियों तक चलता रहा था, इसका महत्त्वपूर्ण द्वार पूर्वी क्षेत्र में है, जिसे पूर्वी गोपुरम् कहा जाता है।

इसका निर्माण कृष्णदेव राय के द्वारा कराया गया था। गोपुरम् की ऊँचाई के समान मंदिर या नगर का कोई और भवन नहीं होता था। उदाहरण के लिए विरुपाक्ष मंदिर के मुख्य गोपुरम् को कह सकते हैं कि यह 15 मंजिलों में बना है जिसमें पहली मंजिल की ऊँचाई 23 फीट है तथा सबसे ऊपरी मंजिल 11 फीट ऊँचाई रखती है।

दीर्घ-उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
विजयनगर साम्राज्य के धार्मिक केंद्र पर नोट लिखो।
उत्तर:
विजयनगर के शासकों ने अधिकतर मंदिरों का निर्माण विजयनगर शहर के तुंगभद्रा नदी से सटे क्षेत्र में करवाया। इस स्थान पर काफी मात्रा में मंदिर व उपासना स्थल होने के कारण इस क्षेत्र को धार्मिक केंद्र के नाम से जाना जाता था। यह क्षेत्र पहाड़ियों के बीच था। स्थानीय लोक मान्यताओं के अनुसार, ये पहाड़ियाँ बाली व सुग्रीव के राज्य की रक्षा करती थीं। अन्य लोक परंपरा इस क्षेत्र का संबंध स्थानीय मातृदेवी, पम्पा देवी से जोड़ती है। परंपरा अनुसार इस देवी ने इन्हीं पहाड़ियों में शिव के एक रूप माने जाने वाले देवता ‘विरुपाक्ष’ से शादी करने के लिए तपस्या की थी जिसमें वह अन्ततः सफल भी रही।
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इसलिए इस क्षेत्र में आज भी विरुपाक्ष मंदिर में इस विवाह को स्मरण करने के लिए विवाह का आयोजन होता है। इन पहाड़ियों में कुछ जैन मंदिर भी मिले हैं। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि यह क्षेत्र कई मतों में विश्वास करने वाले लोगों (हिंदू, मुस्लिम, जैन इत्यादि) की आस्था का केंद्र था लेकिन स्थानीय तौर पर सबसे अधिक महत्त्व विरुपाक्ष के मंदिर को दिया जाता है।

धार्मिक केंद्र में इतने अधिक उपासना स्थलों का मिलना इस बात की पुष्टि करता है कि विभिन्न आस्थाओं व विचारधाराओं के लोग आपस में मिल-जुल कर रहते थे तथा शासक भी यह दिखाने का प्रयास करता था कि वह किसी एक विशेष मत का शासक नही हैं। वह मंदिरों के माध्यम से अपनी सत्ता की राजनैतिक वैधता प्राप्त करता था। वह इन मंदिरों को दान, धन व जमीन दोनों रूपों में देता था।

मंदिर केवल आस्था को ही दिशा नहीं देते थे, बल्कि शिक्षा का केंद्र भी थे। इन स्थानों पर विभिन्न तरह की सामाजिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियाँ भी होती थीं। इन कार्यक्रमों के कारण समाज का एक बड़ा वर्ग इनसे जुड़ा रहता था। शासकों की देखा-देखी नायक भी अपने क्षेत्रों के मंदिरों का निर्माण करवाते व दान देते थे। इसी तरह जनता भी उनकी नकल करती थी। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि विजयनगर का धार्मिक केंद्र एक महत्त्वपूर्ण स्थल था।

प्रश्न 2.
विजयनगर की जानकारी के स्रोत कौन-कौन से हैं? इसके खनन की प्रक्रिया पर प्रकाश डालें।
उत्तर:
विजयनगर की जानकारी के स्रोत हमें विभिन्न रूपों में मिलते हैं। इनमें पुरातात्विक सामग्री, साहित्यिक स्रोत तथा विदेशी यात्रियों के वृत्तांत शामिल हैं। इनमें से अध्ययनकर्ताओं ने फोटोग्राफ, मानचित्र, उपलब्ध भवनों की खड़ी संरचनाएँ व मूर्तियों की ओर विशेष ध्यान दिया है। मैकेन्जी द्वारा प्रारंभ के सर्वेक्षण के पश्चात् जो रिपोर्ट दी गई, उसको अभिलेखों के वर्णन तथा यात्रियों के वृत्तांत के साथ जोड़ा गया। 1976 ई० में हम्पी को राष्ट्रीय महत्त्व का स्थल घोषित करवा दिया।

1980 के दशक में खनन कार्य और अधिक गहन, व्यापक, योजनाबद्ध किया गया। इसके परिणामस्वरूप विजयनगर के अवशेष सामने आए। विजयनगर की जानकारी का मुख्य स्रोत पुरातात्विक सामग्री है। यह पुरातात्विक सामग्री एक खुदाई या खनन प्रक्रिया के बाद ही प्रयोग हो सकी है। संक्षेप में हम इस प्रक्रिया को इस तरह समझ सकते हैं

1. खनन मानचित्र–सर्वप्रथम पूरे क्षेत्र के फोटोग्राफ लिए गए तथा मानचित्र का निर्माण किया गया। इसके पहले चरण में संपूर्ण क्षेत्र को 25 वर्गाकार भागों में बांटा गया। जिन्हें अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षर A से Z का नाम दिया गया। इसमें (I) (आई) अक्षर का प्रयोग नहीं हुआ। फिर उस प्रत्येक भाग को 25 भागों में बांटा गया। फिर उन्हें क्रमशः AA, AB, AC या BA, BB, BC की क्रिया अपनाते हुए ZAसे .ZZ तक अर्थात् 25 टुकड़ों को आगे 25 छोटे वर्गाकार टुकड़ों में बांटा गया फिर इन टुकड़ों को अन्य छोटी इकाइयों में आगे-से-आगे विभाजित किया जाता रहा। जब तक प्रत्येक फुट का क्षेत्र मानचित्र के दायरे में नहीं आ गया।

2. खनन कार्य-पूरे क्षेत्र को इस तरह विभाजित करके खनन कार्य प्रारंभ किया गया। इसके बाद अलग-अलग क्षेत्र को अलग-अलग विशेषज्ञ की देख-रेख में बांटा गया तथा फिर गहन खनन का कार्य प्रारंभ हुआ। अलग-अलग क्षेत्रों में संरचनाएँ बाहर आने लगीं, लेकिन इन्होंने आकार तब लिया जब आपस में इन टुकड़ों को जोड़ दिया गया। फिर यहाँ से देवस्थल, मंडप, विशाल गोपुरम्, शाही स्थल, धार्मिक केंद्र, सड़क, बरामदे, बाजार इत्यादि के अवशेष सामने आए। इन सभी स्थलों की पहचान स्तंभों के आधार पर की गई। प्राप्त अवशेषों में लकड़ी की कोई भी चीज उपलब्ध नहीं हो सकी।

प्रश्न 3.
नायक व अमर नायक व्यवस्था के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
नायक व अमर नायक व्यवस्था (The System of Nayak and Amar Nayak)-विजयनगर साम्राज्य में शासन का प्रमुख राय होता था। राय अपने साम्राज्य में आंतरिक व बाह्य तौर पर शांति व सुरक्षा के लिए सेना पर निर्भर था। इस साम्राज्य में सेना अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग प्रमुखों के नियंत्रण में होती थी। इन सेना प्रमुखों का किलों पर नियंत्रण होता था। इनके पास शस्त्रधारी सैनिक भी होते थे।

ये प्रायः भ्रमणशील होते थे तथा हमेशा उपजाऊ भूमि पर नियंत्रण करना चाहते थे। इनकी भाषा प्रायः तेलुगु या कन्नड़ थी। इन्हें स्थानीय किसानों का समर्थन मिलता रहता था। सेना के प्रमुखों या सेनापतियों के वर्ग को नायक कहा जाता था। ये नायक सामान्यतः विद्रोही प्रवृत्ति के होते थे। अतः इन्हें शक्ति के सहारे ही नियंत्रित किया जाता था।

नायक से ही अमर-नायक बना है। अमर-नायक सैनिक प्रमुख तो थे ही, साथ ही उन्हें राय द्वारा प्रशासनिक शक्ति भी दी गई थी। जबकि नायक के पास प्रशासनिक शक्तियाँ नहीं थीं। इस तरह अमर-नायक, नायक की तुलना में अधिक महत्त्वपूर्ण थे। अमर शब्द फारसी के अमीर शब्द से मिलता-जुलता है जिसका अर्थ ऊँचे पद के कुलीन व्यक्ति से लिया जाता है। मान्यता अनुसार अमर शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के समर शब्द से हुई है जिसका अर्थ युद्ध व लड़ाई से लिया जाता है। इससे स्पष्ट है कि अमर-नायक प्रशासन व सेना में प्रमुख व्यक्ति होते थे।

वे किसानों, दस्तकारों व व्यापारियों से भू-राजस्व व अन्य कर वसूलते थे। इस वसूली राशि में से एक हिस्सा अपने व्यक्तिगत खर्च, सेना, हाथी व घोड़ों के रख-रखाव के लिए रख लेते थे। शेष राजस्व राशि राय के खजाने में जमा करवाते थे। इन्हीं नायकों के सहारे रायों ने साम्राज्य का विस्तार किया तथा आंतरिक तौर पर शांति स्थापित कर समृद्धि का वातावरण बनाया। रायों के भवन निर्माण व स्थापत्य कला के विकास के लिए धन इन्हीं के द्वारा जुटाया गया।

अमर-नायक व नायक तथा राय में कुछ औपचारिक रिश्ते थे। वे वर्ष में एक बार उपहारों सहित दरबार में उपस्थित होकर स्वामीभक्ति प्रकट करते थे। राय अपनी शक्ति-प्रदर्शन तथा शक्ति संतुलन के लिए इन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानातंरित कर देता था। बाद में कई अमर-नायक बहुत शक्तिशाली हो गए थे। उन्होंने अपनी शक्ति को बढ़ाकर स्वतंत्र राज्य स्थापित कर लिए थे। इससे जहाँ रायों की राज्य पर पकड़ कमजोर हुई, वहीं राज्य विघटन की ओर गया।

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