HBSE 12th Class History Important Questions Chapter 14 विभाजन को समझना : राजनीति, स्मृति, अनुभव

Haryana State Board HBSE 12th Class History Important Questions Chapter 14 विभाजन को समझना : राजनीति, स्मृति, अनुभव Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class History Important Questions Chapter 14 विभाजन को समझना : राजनीति, स्मृति, अनुभव

बहुविकल्पीय प्रश्न

निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न के अन्तर्गत वैकल्पिक उत्तर दिए गए हैं। ठीक उत्तर का चयन कीजिए

1. 3 जून, 1947 ई० को निम्नलिखित में से किस योजना की घोषणा की गई थी?
(A) वेवल योजना
(B) कैबिनेट मिशन योजना
(C) क्रिप्स योजना
(D) माउंटबेटन योजना
उत्तर:
(D) माउंटबेटन योजना

2. मुस्लिम सांप्रदायिकता के उदय का कारण था
(A) वहाबी आन्दोलन
(B) सर सैयद अहमद खाँ द्वारा सांप्रदायिक प्रचार
(C) अंग्रेज़ों की ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

3. “चाहे समस्त भारत को आग लग जाए, तब भी पाकिस्तान नहीं बनेगा – पाकिस्तान मेरे शव पर ही बनेगा।”ये शब्द किसने कहे थे?
(A) महात्मा गांधी ने
(B) पंडित जवाहरलाल नेहरू ने
(C) सरदार पटेल ने
(D) मोहम्मद अली जिन्नाह ने
उत्तर:
(A) महात्मा गांधी ने

4. पाकिस्तान का निर्माण कब हुआ था ?
(A) 14 अगस्त, 1947 ई० में
(B) 15 अगस्त, 1947 ई० में
(C) 16 अगस्त, 1947 ई० में
(D) 14 अगस्त, 1948 ई० में
उत्तर:
(A) 14 अगस्त, 1947 ई० में

5. पाकिस्तान का प्रस्ताव कब पास किया गया ?
(A) 23 मार्च, 1941 ई० को
(B) 23 मार्च, 1940 ई० को
(C) 23 मार्च, 1942 ई० को
(D) 23 मार्च, 1943 ई० को
उत्तर:
(B) 23 मार्च, 1940 ई० को

HBSE 12th Class history Important Questions Chapter 14 विभाजन को समझना : राजनीति, स्मृति, अनुभव

6. अखिल भारतीय मुस्लिम लीग की स्थापना हुई
(A) 1906 ई० में
(B) 1907 ई० में
(C) 1908 ई० में
(D) 1909 ई० में
उत्तर:
(A) 1906 ई० में

7. ‘पाकिस्तान’ शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया था ?

(A) रहमत अली
(B) मुहम्मद इकबाल
(C) मुहम्मद अली जिन्नाह
(D) आगा खाँ
उत्तर:
(C) रहमत अली

8. मुस्लिम लीग तथा कांग्रेस में समझौता हुआ
(A) 1916 ई० में
(B) 1917 ई० में
(C) 1918 ई० में
(D) 1920 ई० में
उत्तर:
(A) 1916 ई० में

9. अखिल भारतीय हिन्दू महासभा की स्थापना कब हुई?
(A) 1916 ई० में
(B) 1915 ई० में
(C) 1917 ई० में
(D) 1918 ई० में
उत्तर:
(B) 1915 ई० में

10. लॉर्ड मिण्टो से मिलने वाले शिष्टमण्डल का अध्यक्ष था
(A) सर अहमद मौलवी
(B) सर आगा खाँ
(C) सर सैयद अहमद खाँ
(D) मोहम्मद इकबाल
उत्तर:
(B) सर आगा खाँ

11. ‘भारत के वफादार मुसलमान’ नामक पुस्तक के रचनाकार का नाम था
(A) लॉर्ड मिण्टो
(B) सर सैयद अहमद खाँ
(C) मोहम्मद इकबाल
(D) सर आगा खाँ
उत्तर:
(B) सर सैयद अहमद खाँ

12. भारत के अंतिम अंग्रेज़ वायसराय थे
(A) लॉर्ड माऊंटबेटेन
(B) डॉ० राजेंद्र प्रसाद
(C) डॉ० राधा कृष्णन
(D) लॉर्ड एटली
उत्तर:
(A) लॉर्ड माऊंटबेटेन

13. जिन्ना को ‘कायदे आजम’ किसने कहा था?
(A) पंडित जवाहरलाल नेहरू ने
(B) महात्मा गाँधी ने
(C) सरदार पटेल ने
(D) लॉर्ड वावेल ने
उत्तर:
(B) महात्मा गाँधी ने

14. मुस्लिम लीग का संविधान कहाँ तैयार किया गया?
(A) लाहौर
(B) कलकत्ता
(C) कराची
(D) दिल्ली
उत्तर:
(C) कराची

15. मुस्लिम लीग ने ‘मुक्ति दिवस’ कब मनाया ?
(A) 22 अक्टूबर, 1939 ई० को
(B) 22 दिसम्बर, 1939 ई० को
(C) 22 नवम्बर, 1940 ई० को
(D) 22 दिसम्बर, 1941 ई० को
उत्तर:
(C) 22 दिसम्बर, 1939 ई० को

16. “निर्दोष लोगों की हत्या से विभाजन अच्छा था।” किसने कहा था?
(A) महात्मा गाँधी
(B) पंडित जवाहरलाल नेहरू
(C) लॉर्ड माउंटबेटन
(D) सरदार पटेल
उत्तर:
(D) सरदार पटेल

17. मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान की माँग की
(A) 1941 ई० में
(B) 1946 ई० में
(C) 1940 ई० में
(D) 1947 ई० में
उत्तर:
(C) 1940 ई० में

18. मुस्लिम लीग का संस्थापक किसे माना जाता है ?
(A) मोहम्मद अली जिन्नाह
(B) मोहम्मद इकबाल
(C) सर आगा खान
(D) सर सैयद अहमद खाँ
उत्तर:
(C) सर आगा खान

19. स्वतन्त्र भारत के प्रथम गवर्नर जनरल थे
(A) लॉर्ड माउंटबेटन
(B) पंडित जवाहरलाल नेहरू
(C) सरदार पटेल
(D) लॉर्ड वावेल
उत्तर:
(A) लॉर्ड माउंटबेटन

20. कैबिनेट मिशन ने घोषणा की
(A) 16 मई, 1946 को
(B) 17 मई, 1946 को
(C) 18 मई, 1946 को
(D) 20 मई, 1946 को
उत्तर:
(A) 16 मई, 1946 को

21. कैबिनेट मिशन के सदस्य थे
(A) चार
(B) दो
(C) तीन
(D) पाँच
उत्तर:
(C) तीन

22. 1946 में अंतरिम सरकार के कुल सदस्य निश्चित किए
(A) 12
(B) 11
(C) 13
(D) 14
उत्तर:
(D) 14

23. संविधान सभा के चुनाव हुए
(A) जुलाई, 1946
(B) जुलाई, 1947
(C) अगस्त, 1948
(D) अगस्त, 1946
उत्तर:
(A) जुलाई, 1946

24. किस अधिवेशन में काँग्रेस व मुस्लिम लीग में समझौता हुआ था?
(A) लखनऊ
(B) सूरत
(C) लाहौर
(D) बम्बई
उत्तर:
(A) लखनऊ

25. ‘भारत सरकार अधिनियम’ कब पास हुआ?
(अ) 1892 ई० में
(ब) 1909 ई० में
(स) 1919 ई० में
(द) 1935 ई० में
उत्तर:
(द) 1935 ई० में

26. मुस्लिम लीग ने सीधी कार्रवाई आरंभ करने का निर्णय लिया
(A) 16 अगस्त, 1946 को
(B) 19 अगस्त, 1946 को
(C) 15 अगस्त, 1944 को।
(D) 16 अगस्त, 1945 को
उत्तर:
(A) 16 अगस्त, 1946 को

27. मुस्लिम लीग की स्थापना कहाँ हुई थी?
(A) लाहौर
(B) ढाका
(C) पेशावर
(D) बम्बई
उत्तर:
(B) ढाका

28. ‘मुक्ति दिवस’ किस पार्टी ने मनाया था?
(A) मुस्लिम लीग
(B) समाजवादी
(C) काँग्रेस
(D) हिन्दू महासभा
उत्तर:
(A) मुस्लिम लीग

29. भारत के प्रथम प्रधानमंत्री कौन थे?
(A) सरदार पटेल
(B) महात्मा गाँधी
(C) पंडित जवाहरलाल नेहरू
(D) सरदार बलदेव सिंह
उत्तर:
(C) पंडित जवाहरलाल नेहरू

30. आजाद भारत के प्रथम राष्ट्रपति कौन थे?
(A) पंडित जवाहरलाल नेहरू
(B) डॉ० राजेन्द्र प्रसाद
(C) सरदार पटेल
(D) महात्मा गाँधी
उत्तर:
(C) डॉ० राजेन्द्र प्रसाद

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
1 अक्तूबर, 1906 को शिमला में मुस्लिम प्रतिनिधिमण्डल वायसराय मिण्टो से किसकी अध्यक्षता में मिला था?
उत्तर:
1 अक्तूबर, 1906 को शिमला में मुस्लिम प्रतिनिधिमण्डल वायसराय मिण्टो से सर आगा खाँ की अध्यक्षता में मिला था।

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प्रश्न 2.
भारत में व्यवस्थापिका सभाओं की भारतीयों के प्रतिनिधित्व की बात कब और किसने कही?
उत्तर:
भारत में व्यवस्थापिका सभाओं की भारतीयों के प्रतिनिधित्व की बात सन् 1906 में हाऊस ऑफ कॉमन्स में भारत सचिव मार्ले ने कही।

प्रश्न 3.
मुस्लिम लीग की स्थापना कब और कहाँ की गई?
उत्तर:
मुस्लिम लीग की स्थापना ढाका में, 30 दिसंबर, 1906 को की गई।

प्रश्न 4.
मुस्लिम लीग की स्थापना सभा की अध्यक्षता किसने की थी?
उत्तर:
मुस्लिम लीग की स्थापना सभा की अध्यक्षता नवाब बकरूल-मुल्क ने की।

प्रश्न 5.
मुस्लिम लीग का संस्थापक सामान्यतः किसे माना जाता है?
उत्तर:
मुस्लिम लीग का संस्थापक आगा खाँ को माना जाता है।

प्रश्न 6.
मुस्लिम लीग की स्थापना में किन तीन उच्च-वर्गीय (नवाब । नेताओं की भूमिका रही?
उत्तर:
मुस्लिम लीग की स्थापना में आगा खाँ, मोहसिन उल-मुल्क और बकरूल-मुल्क तीन उच्च-वर्गीय (नवाब) मुस्लिम नेताओं की भूमिका रही।

प्रश्न 7.
‘पंजाब हिंदू सभा’ की स्थापना कब हुई?
उत्तर:
‘पंजाब हिंदू सभा’ की स्थापना 1909 ई० में हुई।

प्रश्न 8.
‘पंजाब हिंद सभा’ की स्थापना में मुख्य भूमिका किसकी थी?
उत्तर:
‘पंजाब हिंदू सभा’ की स्थापना में लाल चंद और यू० एन० मुखर्जी की मुख्य भूमिका थी।

प्रश्न 9.
“एक हिंदू विश्वास में ही नहीं व्यावहारिक जीवन में भी यह अपनाए कि वह पहले हिंदू है और फिर भारतीय।” यह अपील पंजाब के किस हिंदू नेता ने की? –
उत्तर:
यह अपील पंजाब के नेता लाल चंद ने की।

प्रश्न 10.
‘अखिल भारतीय हिंदू सभा’ की स्थापना कब की गई?
उत्तर:
‘अखिल भारतीय हिंदू सभा’ की स्थापना 1915 ई० में की गई।

प्रश्न 11.
पृथक निर्वाचन मण्डल की स्थापना किस भारतीय परिषद् अधिनियम में स्वीकार की गई?
उत्तर:
पृथक् निर्वाचन मण्डल की स्थापना 1909 ई० के मार्ले-मिण्टो अधिनियम में स्वीकार की गई।

प्रश्न 12.
लखनऊ समझौते में कौन-से सांप्रदायिक विचार को स्वीकार करके भारतीय कांग्रेस ने भारी भूल की थी?
उत्तर:
लखनऊ समझौते में पृथक् निर्वाचन-मण्डल सांप्रदायिक विचार को स्वीकार करके भारतीय कांग्रेस ने भारी भूल की थी।

प्रश्न 13.
खिलाफत दिवस कब मनाया गया?
उत्तर:
खिलाफत दिवस 17 अक्तूबर, 1919 को मनाया गया।

प्रश्न 14.
संयुक्त कांग्रेस-लीग योजना कब तैयार की गई जो लखनऊ समझौते के नाम से प्रसिद्ध है?
उत्तर:
संयुक्त कांग्रेस-लीग योजना 1916 ई० में तैयार की गई जो लखनऊ समझौते के नाम से प्रसिद्ध है।

प्रश्न 15.
एम०ए०ओ० कॉलेज, अलीगढ़ की स्थापना कब की गई?
उत्तर:
एम०ए०ओ० कॉलेज, अलीगढ़ की स्थापना 1875 ई० में की गई।

प्रश्न 16.
मुस्लिम लीग की स्थापना अंग्रेजों की किस नीति का परिणाम थी?
उत्तर:
मुस्लिम लीग की स्थापना अंग्रेज़ों की ‘फूट डालो और शासन करो’ नीति का परिणाम थी।

प्रश्न 17.
आगा खाँ के नेतृत्व में मुस्लिम शिष्टमण्डल ने लॉर्ड मिण्टो से कहाँ भेंट की?
उत्तर:
आगा खाँ के नेतृत्व शष्टमण्डल ने लॉर्ड मिण्टो से शिमला में भेंट की।

प्रश्न 18.
लीग का संविधान कहाँ तथा कब तैयार किया गया?
उत्तर:
लीग का संविधान 1907 ई० में, कराची में तैयार किया गया।

प्रश्न 19.
‘नोआखली’ आज किस देश में है?
उत्तर:
‘नोआखली’ बांग्लादेश में है।

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प्रश्न 20.
1916 ई० में कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग ने कौन-सा समझौता किया?
उत्तर:
1916 ई० में कांग्रेस तथा लीग ने लखनऊ समझौता किया।

प्रश्न 21.
प्रथम विश्व युद्ध के उपरान्त अंग्रेज़ी नीति के विरुद्ध मुस्लिम लीग ने कौन-सा महान आंदोलन चलाया?
उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध के उपरान्त अंग्रेज़ी नीति के विरुद्ध मुस्लिम लीग ने खिलाफत आंदोलन चलाया।

प्रश्न 22.
सांप्रदायिकता के आधार पर चुनाव-प्रणाली किस गवर्नर-जनरल ने प्रदान की?
उत्तर:
सांप्रदायिकता के आधार पर चुनाव-प्रणाली लॉर्ड मिण्टो ने प्रदान की।

प्रश्न 23.
“मुसलमानों की अंग्रेजों से मित्रता स्थापित हो सकती है, लेकिन अन्य भारतीय संप्रदायों के साथ नहीं….” ये शब्द किसके हैं?
उत्तर:
ये शब्द प्रिंसीपल बेक के हैं।

प्रश्न 24.
‘मुक्ति दिवस’ कब और किसने मनाया?
उत्तर:
22 दिसंबर, 1939 को कांग्रेस के सभी मंत्रिमण्डलों से त्यागपत्र देने पर लीग ने ‘मुक्ति दिवस’ मनाया।

प्रश्न 25.
मुस्लिम राज्य के लिए ‘पाकिस्तान’ नाम कब और किसने दिया?
उत्तर:
मुस्लिम राज्य के लिए ‘पाकिस्तान’ नाम 1933 ई० में रहमत अली ने दिया।

प्रश्न 26.
‘पाकिस्तान का प्रस्ताव’ कब पास किया गया?
उत्तर:
23 मार्च, 1940 को लीग ने लाहौर प्रस्ताव (पाकिस्तान प्रस्ताव पास किया। \

प्रश्न 27.
जिन्ना को ‘कायदे आज़म’ किसने कहा?
उत्तर:
जिन्ना को ‘कायदे आज़म’ गाँधी जी ने कहा।

प्रश्न 28.
माऊंटबेटेन भारत का वायसराय बनकर कब आया?
उत्तर:
माऊंटबेटेन भारत का वायसराय बनकर 22 मार्च, 1947 को आया।

प्रश्न 29.
सी०आर० फार्मूले पर जिन्ना ने क्या प्रतिक्रिया की?
उत्तर:
सी०आर० फार्मूले को जिन्ना ने अंगहीन कीड़े लगे हुए तथा दीमक खाए हुए पाकिस्तान’ की संज्ञा दी।

प्रश्न 30.
देश का बँटवारा कब स्वीकार कर लिया गया?
उत्तर:
3 जून, 1947 को माऊंटबेटेन योजना के तहत देश का बँटवारा स्वीकार कर लिया गया।

प्रश्न 31.
‘पाकिस्तान का निर्माण कब हुआ?
उत्तर:
‘पाकिस्तान’ का निर्माण 14 अगस्त, 1947 को हुआ।

प्रश्न 32.
मुस्लिम लीग ने कैबिनेट योजना को कब स्वीकार किया?
उत्तर:
मुस्लिम लीग ने कैबिनेट योजना को 6 जून, 1946 को स्वीकार किया।

प्रश्न 33.
कांग्रेस ने कैबिनेट योजना को कब स्वीकार किया?
उत्तर:
कांग्रेस ने कैबिनेट योजना को 25 जून, 1946 को स्वीकार किया।

प्रश्न 34.
संविधान सभा के चुनाव कब कराए गए?
उत्तर:
संविधान सभा के चुनाव जुलाई, 1946 को कराए गए।

प्रश्न 35.
मुस्लिम लीग ने सीधी कार्रवाई (Direct Action) आरंभ करने का फैसला कब किया?
उत्तर:
मुस्लिम लीग ने सीधी कार्रवाई आरंभ करने का फैसला 16 अगस्त, 1946 को किया।

प्रश्न 36.
भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम कब पारित किया गया?
उत्तर:
भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 18 जुलाई, 1947 को पारित किया गया।

प्रश्न 37.
भारत को स्वतंत्रता कब मिली?
उत्तर:
भारत को स्वतंत्रता 15 अगस्त, 1947 को मिली।

प्रश्न 38.
भारतीय नेताओं को विभाजन के लिए किसने सहमत किया?
उत्तर:
भारतीय नेताओं को विभाजन के लिए लॉर्ड माऊंटबेटेन ने सहमत किया।

प्रश्न 39.
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री कौन बने?
उत्तर:
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं० जवाहरलाल नेहरू बने।

प्रश्न 40.
“चाहे समस्त भारत को आग लग जाए, तब भी पाकिस्तान नहीं बनेगा-पाकिस्तान मेरे शव पर ही बनेगा।” किसने कहे?
उत्तर:
ये शब्द महात्मा गाँधी ने कहे।

प्रश्न 41.
“निर्दोष लोगों की हत्या से विभाजन अच्छा था।” ये शब्द किसने कहे?
उत्तर:
ये शब्द सरदार पटेल ने कहे।

प्रश्न 42.
“यदि शरीर के एक अंग में विष फैल जाए तो उसे शीघ्र ही काट देना चाहिए ताकि सारा शरीर खराब न हो जाए।” ये शब्द किसने कहे?
उत्तर:
ये शब्द सरदार पटेल ने कहे।

प्रश्न 43.
लॉर्ड वेवल को भारत का वायसराय कब नियुक्त किया गया?
उत्तर:
लॉर्ड वेवलं को भारत का वायसराय 1943 ई० में नियुक्त किया गया।

प्रश्न 44.
लॉर्ड वेवल ने रेडियो पर अपनी योजना की घोषणा कब की?
उत्तर:
लॉर्ड वेवल ने रेडियो पर अपनी योजना की घोषणा 14 जून, 1945 में की।

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प्रश्न 45.
वेवल योजना के अनुसार, भारत के राजनीतिक दलों का सम्मेलन कहाँ बुलाया गया?
उत्तर:
वेवल योजना के अनुसार, भारत के राजनीतिक दलों का सम्मेलन शिमला में बुलाया गया।

प्रश्न 46.
जुलाई, 1945 के चुनाव में इंग्लैण्ड में कौन-सा दल विजयी रहा?
उत्तर:
जुलाई, 1945 के चुनाव में इंग्लैण्ड में मजदूर दल विजयी रहा।

प्रश्न 47.
1945 ई० में इंग्लैण्ड के प्रधानमंत्री कौन बने?
उत्तर:
1945 ई० में इंग्लैण्ड के प्रधानमंत्री मि० एटली बने।

प्रश्न 48.
बंबई में नौ-सैनिक विद्रोह कब हुआ?
उत्तर:
बंबई में नौ-सैनिक विद्रोह 18 फरवरी, 1946 को हुआ।

प्रश्न 49.
कैबिनेट मिशन भारत कब आया?
उत्तर:
कैबिनेट मिशन 23 मार्च, 1946 को भारत आया।

प्रश्न 50.
कैबिनेट मिशन के कितने सदस्य थे?
उत्तर:
कैबिनेट मिशन के तीन सदस्य थे।

प्रश्न 51.
कैबिनेट मिशन ने अपनी घोषणा कब की?
उत्तर:
कैबिनेट मिशन ने अपनी घोषणा 16 मई, 1946 को की।

प्रश्न 52.
कैबिनेट मिशन द्वारा संविधान सभा के सदस्यों की संख्या कितनी निश्चित की गई?
उत्तर:
कैबिनेट मिशन द्वारा संविधान सभा के सदस्यों की संख्या 389 निश्चित की गई।

प्रश्न 53.
कैबिनेट मिशन ने अंतरिम सरकार के कितने सदस्य निश्चित किए?
उत्तर:
कैबिनेट मिशन ने अंतरिम सरकार के 14 सदस्य निश्चित किए।

प्रश्न 54.
मिशन द्वारा अंतरिम सरकार में भिन्न दलों को किस तरह प्रतिनिधित्व दिया गया?
उत्तर:
कांग्रेस 6, लीग 5, ऐंग्लो इंडियन, पारसी तथा सिक्ख सभी एक-एक।

प्रश्न 55.
‘वन मैन बाउन्ड्री फोर्स’ किसने, किसके लिए कहा है?
उत्तर:
‘वन मैन बाउन्ड्री फोर्स’ माऊंटबेटेन ने महात्मा गाँधी जी के लिए कहा है।

अति लघु-उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
विभाजन से लगभग कितने लोग प्रभावित हुए?
उत्तर:
विभाजन के दौरान भड़की सांप्रदायिक हिंसा, जनसंहार, आगजनी, लूटपाट, अराजकता, अपहरण, बलात्कार आदि घटनाओं से लाखों लोग प्रभावित हुए। अनुमान लगाया जाता है कि लगभग 2 से 2.5 लाख गैर-मुस्लिम तथा इतने ही मुस्लिम दंगों में मारे गए। लगभग 50 हजार महिलाओं का अपहरण हुआ तथा लगभग 1 करोड़ 50 लाख लोगों को अपने स्थानों से पलायन करना पड़ा।

प्रश्न 2.
आम लोगों के लिए विस्थापन का अर्थ क्या था?
उत्तर:
आम लोगों के लिए विस्थापन का अर्थ था-अपनी जड़ों से उखड़ जाना या अपने घरों से उजड़ जाना। एक ही झटके में इन लोगों की संपत्ति, घर, दुकानें, खेत, रोजी-रोटी के साधन उनके हाथों से निकल गए। बचपन की यादें छिन गईं। लाखों लोगों के प्रियजन मारे गए या बिछुड़ गए तथा वे शरणार्थी बन गए।

प्रश्न 3.
आम लोग विभाजन को क्या बता रहे थे?
उत्तर:
आम लोग विभाजन को सरकारी नजरिए से नहीं देख रहे थे। उनके लिए विभाजन एक भयानक अनुभव था और वे उसे ‘मार्शल ला’, ‘मारामारी’, ‘रौला’ या ‘हुल्लड़’ जैसे शब्दों से व्यक्त करते थे।

प्रश्न 4.
पाकिस्तान में हिंदुओं के बारे में किस प्रकार की रूढ़ छवियाँ हैं?
उत्तर:
विभाजन ने भारत और पाकिस्तान दोनों में रूढ़ छवियों का निर्माण किया। पाकिस्तान में हिंदुओं के बारे में रूढ़ छवि है कि हिंदू काले, कायर, बहुदेववादी तथा शाकाहारी होते हैं।

प्रश्न 5.
द्विराष्ट्र का सिद्धांत क्या था?
उत्तर:
मोहम्मद अली जिन्ना ने द्विराष्ट्र का सिद्धांत दिया। इस सिद्धांत के अनुसार हिंदू और मुस्लिम बिल्कुल दो समाज थे। ये दोनों धर्म, दर्शन, सामाजिक प्रथा, साहित्यिक और सांस्कृतिक दृष्टि से अलग-अलग थे। इसीलिए भारत में एक नहीं दो पृथक् राष्ट्र यानी हिंदू और मुस्लिम राष्ट्र मौजूद थे।

प्रश्न 6.
‘फूट डालो और राज करो’ का सिद्धांत क्या है?
उत्तर:
लॉर्ड एलफिंस्टन ने साफ-साफ कहा था कि फूट डालो और राज करो प्राचीन समय में रोमन का आदर्श था और अब यह भारत में हमारा भी होना चाहिए। अंग्रेज़ प्रारंभ से ही समझ गए थे कि थोड़े से ब्रिटिश अधिकारी सामूहिक भारतीयों की ताकत की बराबरी नहीं कर सकते। अतः उन्होंने एक समुदाय को दूसरे के खिलाफ भड़काने का प्रयास किया। इस नीति का प्रयोग करके अंग्रेज़ों ने हिंदुस्तान में हिंदुओं और मुसलमानों में फूट डाली और राज़ किया।

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प्रश्न 7.
मुस्लिम लीग की स्थापना कब हुई? इसके उद्देश्य क्या थे?
उत्तर:
मुस्लिम लीग की स्थापना 30 दिसंबर, 1906 को ढाका में हुई थी। इसका मुख्य उद्देश्य मुसलमानों के राजनीतिक हितों की रक्षा करना और उनमें अंग्रेज़ों के प्रति निष्ठा पैदा करना था।

प्रश्न 8.
हिंदू महासभा पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
हिंदू महासभा की स्थापना 1915 में हुई। इसका प्रभाव उत्तर भारत तक सीमित था। यह पार्टी हिंदुओं के मध्य जाति और समुदाय के भेदभावों को समाप्त करके हिंदू समाज में एकता पैदा करने की कोशिश करती थी। यह मुसलमानों को गैर-समुदायी बताकर अपनी पहचान को परिभाषित करती थी।

प्रश्न 9.
आर्य समाज पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
आर्य समाज की स्थापना स्वामी दयानंद ने 1875 में बंबई में की थी। 19वीं सदी के अंतिम दशकों और 20वीं सदी के प्रारंभिक दशकों का यह उत्तर-भारतीय हिंदू सुधार आंदोलन-पंजाब में सक्रिय था। आर्य समाज ने वैदिक ज्ञान और आधुनिक वैज्ञानिक शिक्षा पर बल दिया। इसने मुसलमानों को पुनः हिंदू बनाने के लिए शुद्धि आंदोलन चलाया।

प्रश्न 10.
मस्जिद के सामने संगीत बजाने से हिंसा क्यों भड़कती थी?
उत्तर:
अकसर हिंदुओं के द्वारा होली जैसे त्योहार पर नमाज़ के वक्त मस्ज़िद के बाहर संगीत बजाए जाने से हिंदू-मुस्लिम हिंसा भड़क उठती थी। इसका कारण यह था कि रूढ़िवादी मुसलमान संगीत बजाए जाने को अपनी नमाज़ या इबादत में खलल मानते थे।

प्रश्न 11.
1937 के चुनावों ने सांप्रदायिकता को बढ़ावा कैसे दिया?
उत्तर:
1937 के चुनाव में कांग्रेस को भारी सफलता मिली, लेकिन मुसलमानों के लिए आरक्षित चुनाव क्षेत्रों में कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। मुस्लिम लीग को भी इन क्षेत्रों में सफलता नहीं मिली। लीग ने यू०पी० में कांग्रेस के सामने साझा सरकार बनाने का प्रस्ताव रखा, परंतु इसे कांग्रेस ने अस्वीकार कर दिया। इसके बाद लीग को लगा कि पृथक् निर्वाचन प्रणाली से उसे सत्ता नहीं मिल सकती। अतः उसने उग्र-सांप्रदायिकता का रुख अपना लिया और 1940 में ‘पाकिस्तान’ का प्रस्ताव पास किया।

प्रश्न 12.
कांग्रेस के मंत्रिमण्डलों पर मुस्लिम लीग ने क्या आरोप लगाया?
उत्तर:
1937 के बाद 7 प्रांतों में तथा 1938 में 2 अन्य प्रांतों में कांग्रेसी मंत्रिमण्डल बने। लीग ने सभी प्रांतों में कांग्रेस के शासन के पूरे 27 महीने के काल में कांग्रेस के खिलाफ जोरदार प्रचार किया और कांग्रेस पर आरोप लगाया कि इस शासन में मुसलमानों पर अत्याचार किए जा रहे हैं। कांग्रेस सांप्रदायिक दंगे रोकने में असफल रही है और उर्दू की कीमत पर देवनागरी लिपि में हिंदुस्तानी को बढ़ावा दे रही है।

प्रश्न 13.
पाकिस्तान का प्रस्ताव क्या था?
उत्तर:
मार्च,1940 में मस्लिम लीग ने लाहौर में पाकिस्तान का प्रस्ताव पास किया। इस प्रस्ताव में कहा गया कि “भौगोलिक दृष्टि से सटी हुई इकाइयों को क्षेत्रों के रूप में चिह्नित किया जाए, जिन्हें बनाने में जरूरत के हिसाब से इलाकों का फिर से ऐसा समायोजन किया जाए कि हिंदुस्तान के उत्तर-पश्चिमी और पूर्वी क्षेत्रों जैसे जिन हिस्सों में मुसलमानों की संख्या ज्यादा है, उन्हें इकट्ठा करके ‘स्वतंत्र राज्य’ बना दिया जाए, जिसमें शामिल इकाइयाँ स्वाधीन और स्वायत्त होंगी।

प्रश्न 14.
यूनियनिस्ट पार्टी पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
यूनियनिस्ट पार्टी की स्थापना 1923 में की गई थी। यह पार्टी पंजाब में हिंदू, मुस्लिम और सिक्ख भू-स्वामियों का प्रतिनिधित्व करती थी। यह पार्टी 1923-47 के बीच पंजाब में काफी ताकतवर रही।

प्रश्न 15.
महासंघ या परिसंघ का क्या अर्थ है?
उत्तर:
आधुनिक राजनीतिक शब्दावली में ‘महासंघ’ या परिसंघ’ का अर्थ है काफी हद तक स्वायत्त और संप्रभु राज्यों का संघ, जिसकी केंद्रीय सरकार के पास केवल सीमित शक्तियाँ होती हैं।

प्रश्न 16.
‘पाकिस्तान’ शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग किसने किया? इसका क्या अर्थ था?
उत्तर:
‘पाकिस्तान’ शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग 1933 में कैम्ब्रिज के छात्र चौधरी रहमत अली द्वारा किया गया। पाकिस्तान या पाकिस्तान (पंजाब, अफगान, कश्मीर, सिंध और ब्लूचिस्तान) का अर्थ है पवित्र स्थान।

प्रश्न 17.
लीग के ‘सीधी कार्रवाई दिवस’ से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
कैबिनेट मिशन की असफलता के बाद लीग ने 16 अगस्त, 1946 को ‘सीधी कार्रवाई दिवस’ घोषित किया तथा ‘लड़कर लेंगे पाकिस्तान’ का नारा दिया। इससे कलकत्ता और अन्य स्थानों पर हिंदू-मुस्लिम दंगे भड़क उठे तथा हजारों लोग मारे गए तथा गृहयुद्ध की स्थिति पैदा हो गई। इन दंगों ने पाकिस्तान का निर्माण अपरिहार्य-सा बना दिया।

प्रश्न 18.
“गाँधीजी एक अकेली फौज थे”, स्पष्ट करें।
उत्तर:
जब अगस्त, 1947 में देश के सभी भागों में दंगे भड़क उठे तो 77 वर्ष के गाँधीजी ने अपने सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों को परखने के लिए एक बार सब कुछ दाँव पर लगा दिया। वे दंगों को रोकने और हिंदू-मुसलमानों में सद्भावना स्थापित करने के लिए अकेले ही पूर्वी बंगाल के नोआखली, बिहार के गाँवों, कलकत्ता आदि स्थानों पर गए। वे जहाँ-जहाँ भी गए, लोगों में बिजली-सा प्रभाव होता था। दंगे शांत हो उठते थे। माऊंटबेटेन ने गाँधीजी के प्रभाव को देखते हुए ‘One man boundary my force’ बताया। इस प्रकार दंगों के समय गाँधीजी ‘एक अकेली फौज’ के रूप में कार्य करते रहे और सद्भावना स्थापित करते रहे।

प्रश्न 19.
मुहाज़िर से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
विभाजन के समय संयुक्त प्रान्त व बिहार से उर्दू भाषी मुस्लिम लोग भारत छोड़कर पाकिस्तान चले गए। इनमें से अधिकांश सिन्ध प्रान्त में व कराची में जाकर बस गए। इन शरणार्थियों को आज भी मुहाज़िर कहा जाता है तथा इनकी अनेक समस्याएँ अभी भी बनी हुई हैं।

लघु-उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
क्या विभाजन को महाध्वंस कहना उपयुक्त है?
उत्तर:
विभाजन को महाध्वंस कहना उपयुक्त है। महाध्वंस एक ऐसी स्थिति होती है जिसमें युद्ध जैसी स्थिति में लगभग सब कुछ नष्ट हो जाता है तथा बड़ी संख्या में लोग मारे जाते हैं। विभाजन के समय भी युद्ध जैसे हालात पैदा हो गए थे। विभाजन सांप्रदायिक हिंसा, जनसंहार, आगजनी, लूटपाट, अराजकता, अपहरण, बलात्कार आदि का पर्याय बन गया था। ‘दंगाई भीड़ों’ ने दूसरे समुदाय के लोगों को निशाना बनाकर मारा। ट्रेनों में सफर कर रहे लोगों पर हिंसक हमले हुए। ट्रेने मौत का पिंजरा बन गईं। यद्यपि हिंसा में पाकिस्तान और हिंदुस्तान में मारे गए लोगों की ठीक-ठीक संख्या बता पाना असंभव है, तथापि अनुमान लगाया जाता है कि 2 लाख से 2.5 लाख गैर-मुस्लिम तथा इतने ही मुस्लिम विभाजन की हिंसा में मारे गए।

यह भी अनुमान लगाया जाता है कि लगभग 1 करोड़ 50 लाख लोग अगस्त, 1947 से अक्तूबर, 1947 के बीच सीमा पार करने पर विवश हुए। पलक झपकते ही इन लोगों की संपत्ति, घर, दुकानें, खेत, रोजी-रोटी के साधन उनके हाथों से निकल गए। वे अपनी जड़ों से उखाड़ दिए गए। लाखों लोगों के प्रियजन मारे गए या बिछुड़ गए या शरणार्थी बन गए। वस्तुतः यह मात्र सम्पत्ति और क्षेत्र का विभाजन नहीं था बल्कि एक महाध्वंस था। 1947 में जो लोग सीमा पार से जिंदा बचकर आ रहे थे, वे विभाजन के फैसले को ‘सरकारी नज़रिए’ से नहीं देख रहे थे। उनके अनुभव भयानक थे और वे उसे ‘मार्शल लॉ’ ‘मारामारी’, ‘रौला’ या ‘हुल्लड़’ जैसे शब्दों से व्यक्त करते थे। वस्तुतः जनहिंसा, आगजनी, लूटपाट, अपहरण, बलात्कार को देखते
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हुए अनेक प्रत्यक्षदर्शियों और विद्वानों ने इसे ‘महाध्वंस’ (होलोकॉस्ट) कहा है। 1947 का हादसा इतना जघन्य था कि ‘विभाजन’ या ‘बँटवारा’ या, ‘तकसीम’ कह देने मात्र से इसके सारे पहलू प्रकट नहीं होते। मानवीय पीड़ा और दर्द का अहसास नहीं होता। महाध्वंस से सामूहिक नरसंहार की भयानकता और अन्य प्रभावों की भीषणता को कुछ हद तक समझा जा सकता है।

प्रश्न 2.
विभाजन ने भारत और पाकिस्तान के बीच में किस प्रकार की रूढ़छवियों का निर्माण किया?
उत्तर:
विभाजन की वजह से दोनों देशों में रूढ़छवियों का निर्माण हुआ। भारत में पाकिस्तान के प्रति नफरत तथा पाकिस्तान में भारत के प्रति नफरत बँटवारे की देन है। इससे दोनों देशों में दुश्मनी के भाव बने रहे हैं। यहाँ तक कि कई बार तो लोग यह भी मान लेते हैं कि भारतीय मुसलमानों की निष्ठा और वफादारी पाकिस्तान के साथ रहती है। इस क्षेत्रातीत (Extra-territorial) निष्ठा जैसी रूढ़ छवि के साथ अन्य आपत्तिजनक और गलत विचार भी गहरे में जुड़े होते हैं। जैसे कि कुछ लोगों को लगता है कि मुसलमान क्रूर, कट्टर और गंदे होते हैं। वे हमलावरों के वंशज हैं। दूसरी ओर ऐसा समझा जाता है कि हिंदू दयालु, उदार और शुद्ध होते हैं और वे सदैव हमले सहते आए हैं।

जहाँ भारत में इस प्रकार की रूढ़छवियाँ हैं वहीं पाकिस्तान में भी इसी प्रकार के विचार प्रचलन में हैं। पत्रकार आर०एम० मर्फी ने अपने अध्ययन में दर्शाया है कि पाकिस्तान में भी रूढ़ छवियां प्रचलन में हैं। उनका कहना है कि कुछ पाकिस्तानियों को लगता है कि मुसलमान निष्पक्ष, बहादुर, एकेश्वरवादी और मांसाहारी होते हैं, जबकि हिंदू काले, कायर, बहुदेववादी तथा शाकाहारी होते हैं। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि इन रूढ़ छवियों में से कुछ का निर्माण विभाजन से पहले ही कुछ हिंदुओं व मुसलमानों में हो चुका था परंतु 1947 के विभाजन तथा उससे जुड़ी बर्बरता ने इन छवियों को मजबूत किया है।

HBSE 12th Class history Important Questions Chapter 14 विभाजन को समझना : राजनीति, स्मृति, अनुभव

प्रश्न 3.
क्या विभाजन एक लंबे इतिहास का अंतिम चरण था?
उत्तर:
कुछ भारतीय और पाकिस्तानी इतिहासकार यह मानते हैं कि विभाजन एक लंबे इतिहास का अंतिम चरण था। इस बात में उनका कहना है कि मोहम्मद अली जिन्ना का यह सिद्धांत ठीक था कि भारत में हिंदू और मुस्लिम दो पृथक् राष्ट्र विद्यमान थे। उनके अनुसार यह विचार मध्यकालीन भारत पर भी लागू होता है। ये इतिहासकार इस बात पर बल देते हैं कि 1947 की घटनाएँ (विभाजन) मध्यकाल तथा आधुनिक काल में हुए हिंदू-मुस्लिम झगड़ों के लंबे इतिहास से जुड़ी हुई हैं।

इस प्रकार वे विभाजन को हिंदू-मुस्लिम झगड़ों का चरम बिंदु मानते हैं। परंतु ये विद्वान इस बात को नजरअंदाज कर देते हैं कि इन दोनों समुदायों में आपसी मेल-जोल का लंबा इतिहास भी रहा है। दोनों समुदायों के मेल-मिलाप से उर्दू भाषा, संगीत, स्थापत्य, रहन-सहन आदि से नई मिली-जुली संस्कृति (Composite Culture) का उदय व विकास हुआ। परंतु जो लोग मात्र हिंदू-मुस्लिम झगड़ों की ही बात करते हैं वे यह आकलन नहीं कर पाते।

प्रश्न 4.
सांप्रदायिकता का अर्थ समझाइए।
उत्तर:
सामान्य भाषा में साम्प्रदायिकता का अभिप्राय राजनीतिक लाभ प्राप्त करने के लिए धर्म का दुरुपयोग करना है। इस विचारधारा के अंतर्गत एक समुदाय की एकता का एकमात्र आधार धर्म को माना जाता है। बिपिन चंद्र जी ने तीन तत्त्वों पर बल दिया है। प्रथम, एक सांप्रदायिक व्यक्ति का विश्वास होता है कि एक ही धर्म को मानने वालों के राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक हित भी समान होते हैं। दूसरा-सांप्रदायिकता को मानने वाले यह भी स्वीकार करते हैं कि एक धर्म मानने वालों के सभी प्रकार के हित एक ही नहीं होते, वरन दूसरे धर्म के मानने वालों के हितों से भिन्न भी होते हैं।

तीसरा, उक्त दोनों तत्त्व मानने वाले सांप्रदायिक लोग यह कहते हैं कि एक धर्मावलम्बियों के हित दूसरों के विरोधी होते हैं। सांप्रदायिकता के इस स्तर पर पहुँचने पर वह फासीवादी हो जाती है तथा युद्ध की भाषा बोलने लगती है। इसका अर्थ है कि सांप्रदायिकता वह राजनीति है जो धार्मिक समुदायों के बीच विरोध और झगड़े पैदा करती है। सांप्रदायिकता किसी भी समुदाय में एकता पैदा करने के लिए आंतरिक भिन्नताओं को दबाती है। उस समुदाय को किसी अन्य समुदाय के खिलाफ लड़ने के लिए प्रेरित करती है।

प्रश्न 5.
अंग्रेजों की ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति विभाजन के लिए किस हद तक जिम्मेदार थी?
उत्तर:
अंग्रेज़ों की ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति को भारत में सांप्रदायिकता के उदय व विकास और अन्ततः विभाजन के लिए जिम्मेदार माना गया है। अंग्रेजों ने हिंदुओं और मुसलमानों में घृणा पैदा करने को राजनीतिक शस्त्र के रूप में प्रयोग किया। इस नीति से वे भारतीय समाज में अपने समर्थक और आधार को बढ़ाते थे तथा आपसी फूट डालकर भारतीयों को एक होने से रोकते थे। 1857 ई० के बाद अंग्रेजों ने मुसलमानों का दमन किया तथा हिंदुओं को साथ लगाया। परंतु 1870 के दशक में जब शिक्षित भारतीयों में राजनीतिक चेतना आने लगी तो उन्होंने मुसलमानों का पक्ष लेना शुरू किया।

उन्हें विशेष रियायतें देने लगे। भारतीयों के मतभेदों को उभारकर उनमें दुर्भावनाएँ पैदा की। अंग्रेज़ों ने कांग्रेस को हिंदू आंदोलन बताया तथा सर सैयद अहमद के साथ मिलकर मुसलमानों को कांग्रेस के आंदोलन से दूर रखने का प्रयास किया। साथ ही उच्चवर्गीय मुसलमानों को अपना संगठन बनाने के लिए प्रेरित किया। 1906 में मुस्लिम लीग का निर्माण करवाया। 1909 के एक्ट में पृथक निर्वाचन प्रणाली प्रारम्भ की। बाद में इसका विस्तार किया। 1940 के बाद तो मुस्लिम लीग को एक प्रकार से भारतीय समस्याओं विशेष रूप से सांप्रदायिक समस्या के हल के लिए वीटो का अधिकार ही दे दिया। इस नीति से भारतीयों में दंगे हुए। स्पष्ट है कि अंग्रेजों की ‘फूट डालो व राज करो’ की नीति भारतं विभाजन के लिए बहुत हद तक जिम्मेदार है।

प्रश्न 6.
पृथक निर्वाचन प्रणाली ने भारतीय राजनीति को कैसे प्रभावित किया? अथवा संविधान सभा में पृथक चुनाव प्रणाली का विरोध क्यों किया गया?
उत्तर:
पृथक् निर्वाचन पद्धति ने भारतीय राजनीति की प्रकृति को अत्यधिक प्रभावित किया और इसका विरोध हुआ। इस प्रणाली का अभिप्राय था कि धर्म के आधार पर पहचान को स्वीकृति प्रदान की गई। अब पृथक निर्वाचन चुनाव क्षेत्रों में सिर्फ मुस्लिम उम्मीदवार ही खड़े हो सकते थे तथा मुस्लिम मतदाता ही मत डाल सकते थे। इसका अर्थ यह भी था कि गैर-मुस्लिम मतदाता मुस्लिम उम्मीदवारों के लिए मतदान नहीं कर सकते थे।

ऐसा करके ब्रिटिश सरकार ने चुनाव प्रचार और राजनीति को धार्मिक दीवारों में बाँध दिया। इस पृथक् निर्वाचन प्रणाली ने इस बात को बढ़ावा दिया कि भारतीय समाज हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच बँटा है। इससे अलगाववाद को बढ़ावा मिला और सांप्रदायिक संगठनों को भी बल मिला। इससे चुनावी राजनीति धार्मिक पहचान को गहरा और पक्का करने लगी। इसने राष्ट्रीय राजनीति को कमजोर किया।

प्रश्न 7.
कैबिनेट मिशन भारत क्यों आया? इसके प्रमुख प्रस्ताव क्या थे?
उत्तर:
15 मार्च, 1946 को ब्रिटिश प्रधानमंत्री एटली ने भारत को जल्दी ही स्वतंत्रता देने की बात कही। अंग्रेज़ भारत से सम्मानजनक ढंग से इंग्लैंड लौट जाना चाहते थे। अतः मार्च, 1946 में कैबिनेट मिशन भारत भेजा गया। इसका लक्ष्य भारत में एक राष्ट्रीय सरकार बनाना तथा भावी संविधान के लिए रास्ता तैयार करना था।

  • प्रस्ताव कैबिनेट मिशन ने 24 मार्च से जून, 1946 तक भारत के सभी नेताओं से वार्ता की तथा पाकिस्तान की माँग को अस्वीकार कर एक भारतीय संघ का प्रस्ताव रखा। इसकी संविधान सभा के लिए चुनाव प्रांतों द्वारा किया जाता था। प्रांतों को तीन भागों में बाँटा गया। ‘क’ समूह में मद्रास, बंबई, संयुक्त प्रांत, बिहार और उड़ीसा को रखा गया। ‘ख’ समूह में पंजाब, सीमा प्रांत और सिंध तथा आसाम और बंगाल को ‘ग’ समूह में रखा गया। प्रांतों में अवशिष्ट (Residual) शक्तियाँ रखी गईं। केंद्र के पास प्रतिरक्षा, विदेशी मामले और संचार व्यवस्था को रखा गया। योजना में यह भी कहा गया कि प्रथम आम चुनाव के बाद कोई भी प्रांत अपने समूह से अलग हट सकता है और 10 वर्ष के बाद प्रांत समूह और केंद्रीय संविधान में परिवर्तन की माँग कर सकता है। इस योजना को कांग्रेस तथा लीग दोनों ने स्वीकार कर लिया।

परंतु कांग्रेस प्रांतों के समूहीकरण को ऐच्छिक मानती थी। 10 जुलाई, 1946 को नेहरू जी ने एक बयान दिया कि कांग्रेस संविधान सभा में सभी अनुबंधों से मुक्त होकर जाएगी। जिन्ना, पहले ही इस योजना से खुश नहीं थे, तत्काल कैबिनेट योजना को अस्वीकार कर दिया।

प्रश्न 8.
वेवल योजना क्यों असफल रही?
उत्तर:
द्वितीय विश्वयुद्ध के समय इंग्लैंड की सरकार और भारतीय नेताओं के मध्य गतिरोध को समाप्त करने के उद्देश्य से वेवल ने सभी भारतीय नेताओं को बातचीत के लिए 14 जून, 1945 को आमंत्रित किया। सभी नेता जेलों से रिहा किए गए। वेवल योजना के तहत शिमला कांफ्रेंस हुई जिसमें वेवल ने मुख्य योजना ‘नई कार्यकारी परिषद्’ के निर्माण को लेकर रखी। नई कार्यकारिणी में वायसराय और मुख्य सेनापति को छोड़कर सभी सदस्य भारतीय होने थे तथा सभी समुदायों को संतुलित प्रतिनिधित्व दिया जाना था। हिंदू-मुस्लिम सदस्यों की संख्या बराबर होनी थी। इस कार्यकारिणी परिषद् ने अंतरिम राष्ट्रीय सरकार के रूप में कार्य करना था। परंतु नई परिषद् के निर्माण को लेकर भारतीय दलों में कोई सहमति नहीं बन पाई।

लीग का कहना था कि वह मुस्लिम समुदाय का एकमात्र प्रतिनिधि है, अतः सिर्फ उसे ही परिषद के मुस्लिम सदस्यों को चुनने का हक दिया जाए। दूसरी ओर, कांग्रेस का कहना था कि वह एक राष्ट्रीय संगठन है अतः उसे हिंदू तथा साथ ही मुस्लिम सदस्यों को चुनने का हक दिया जाए। लीग की हठधर्मिता के कारण गतिरोध पैदा हो गया। ऐसे में 14 जुलाई, 1945 को वेवल ने योजना की असफलता की घोषणा कर दी। इससे कांग्रेस व लीग में कटुता बढ़ी तथा योजना की असफलता से देश में निराशा फैली। इस घटना ने देश को विभाजन की ओर धकेला।

प्रश्न 9.
गाँधी जी द्वारा 1947 के दंगों के समय सद्भावना स्थापित करने के प्रयासों का विवरण दीजिए।
उत्तर:
1947 के दंगों के समय महात्मा गाँधी ही थे जो अपने प्राणों की बाजी लगाकर भी देश में सांप्रदायिक सद्भावना के प्रयासों में लगे थे। 77 वर्ष के बुजुर्ग महात्मा गाँधी ने अहिंसा के अपने सिद्धांत को एक बार फिर परखने के लिए अपना सर्वस्व दाँव पर लगा दिया। उनका विश्वास था कि सत्य और अहिंसा के द्वारा लोगों का हृदय परिवर्तन किया जा सकता है। सचमुच इस संकट की घड़ी में गाँधीजी के नेतृत्व का चरमोत्कर्ष देखा जा सकता है। वे देश की धधकती हुई सांप्रदायिक आग को समाप्त करने के लिए पूर्वी बंगाल के नोआखली से बिहार के गाँवों में निकल पड़े। वे कलकत्ता व दिल्ली में दंगों से झुलसी झुग्गी-झोंपड़ियों तक पहुंचे। उन्होंने लोगों को समझाया कि हिंदू-मुसलमान एक-दूसरे को न मारें। उन्होंने सभी जगहों पर अल्पसंख्यकों को दिलासा दी।

पूर्वी बंगाल में उन्होंने गाँव-गाँव पैदल पहुँचकर वहाँ के मुसलमानों को हिंदुओं की रक्षा के लिए समझाया। दिल्ली में भी दोनों समुदायों में भरोसा और विश्वास बहाल करने की कोशिश की। जहाँ पर गाँधी जी हिंसा को रोकने और सद्भावना की स्थापना के लिए जाते थे वहाँ पर ‘बिजली’ की गति से असर होता था। लोग अपने हथियार गाँधीजी को समर्पित कर देते थे। जहाँ बड़ी सेना भी शांति बहाल करने में सक्षम नहीं होती थी वहाँ गाँधीजी के पहुंचते ही शान्ति स्थापित हो जाती थी।

HBSE 12th Class history Important Questions Chapter 14 विभाजन को समझना : राजनीति, स्मृति, अनुभव

प्रश्न 10.
इज्जत की रक्षा से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
विभाजन के दौरान ऐसे बहुत सारे उदाहरण मिलते हैं जब परिवार के पुरुषों ने ही परिवार की ‘इज्जत’ की रक्षा के नाम पर अपने परिवार की स्त्रियों को स्वयं ही मार दिया या आत्महत्या के लिए प्रेरित किया। इन पुरुषों को भय होता था कि शत्रु उनकी औरतों-माँ, बहन, बेटी को नापाक कर सकता था। इसलिए परिवार की मान-मर्यादा को बचाने के लिए खुद ही उनको मार डाला। उर्वशी बुटालिया ने अपनी पुस्तक दि अदर साइड ऑफ साइलेंस में रावलपिंडी जिले के थुआखालसा नामक गाँव की एक इसी प्रकार की दर्दनाक घटना का विवरण दिया है।

वे बताती हैं कि बँटवारे के समय सिक्खों के इस गाँव की 90 औरतों ने दुश्मनों के हाथों में पड़ने की बजाय ‘अपनी इच्छा से’ एक कुएँ में कूदकर अपनी जान दे दी थी। इस गाँव के लोग इसे आत्महत्या नहीं शहादत मानते हैं और आज भी दिल्ली के एक गुरुद्वारे में हर वर्ष 13 मार्च को उनकी शहादत की याद में कार्यक्रम आयोजित किया जाता है तथा इस घटना को मर्दो, औरतों व बच्चों को विस्तार से सुनाया जाता है। वस्तुतः इस माध्यम से महिलाओं को अपनी बहनों के बलिदान और बहादुरी को अपने दिलों में संजोने और स्वयं को भी उसी साँचे में ढालने के लिए प्रेरित किया जाता है।

प्रश्न 11.
विभाजन के समय मानवता और सदभावना के पक्ष को उजागर करने वाली कोई एक घटना लिखें।
उत्तर:
विभाजन का एक पहलू जहाँ हिंसा, आगजनी, मार-काट से जुड़ा है, वहीं दूसरा पहलू मानवीय मदद और सद्भावना का भी रहा। ऐसी अनेक घटनाएँ दोनों तरफ देखने को मिलती हैं। उदाहरण के लिए एक ऐसी ही घटना का वर्णन डॉ० खुशदेव सिंह ने अपने संस्मरण में किया है। डॉ० खुशदेव सिंह पेशे से डॉक्टर थे तथा तपेदिक के विशेषज्ञ थे। विभाजन के समय वे हिमाचल प्रदेश में धर्मपुर नामक स्थान पर नियुक्त थे। उन्होंने बिना किसी भेदभाव के असंख्य शरणार्थियों (हिंदू, सिक्ख, मुसलमान सहित) को भोजन, आश्रय और सुरक्षा प्रदान की। उनकी मानवता व सहृदयता ने धर्मपुर के लोगों का दिल जीत लिया था।

उन पर वहाँ के लोगों का वैसा ही विश्वास था जैसा दिल्ली और कई स्थानों पर मुसलमानों को गाँधी जी पर था। डॉ० खुशदेव सिंह ने 1947 के बारे में उल्लेख करते हुए संस्मरण लिखा जिसका शीर्षक-लव इज स्ट्रांगर देन हेट, ए रिमेम्बेरेंस ऑफ 1947 (मोहब्बत नफ़रत से ज्यादा ताकतवर होती है : 1947 की यादें हैं) अपनी इस पुस्तक में डॉक्टर साहब ने अपने कुछ राहत कार्यों का विवरण देते हुए स्पष्ट किया है कि यह “एक इंसान होने के नाते बिरादर इंसानों के प्रति अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करते हुए मेरी छोटी-सी कोशिश थी।” उन्होंने 1949 में कराची की दो बार यात्राओं का विवरण बड़े गर्वपूर्वक और हृदयस्पर्शी शब्दों में दिया है।

प्रश्न 12.
व्यक्तिगत स्मृतियों की खूबी का वर्णन करो।
उत्तर:
मौखिक स्रोत के रूप में व्यक्तिगत स्मृतियों की एक महत्त्वपूर्ण खूबी यह है कि इनसे हमें लोगों के अनुभवों और स्मृतियों को गहराई से समझने में सहायता मिलती है। इन स्मृतियों के माध्यम से इतिहासकारों को विभाजन जैसी दर्दनाक घटना के दौरान लोगों को किन-किन शारीरिक और मानसिक पीड़ाओं को झेलना पड़ा, का बहुरंगी एवं सजीव वृत्तांत लिखने में सहायता मिलती है। यहाँ यह उल्लेख करना भी उपयुक्त है कि सरकारी दस्तावेजों में इस तरह की जानकारी नहीं मिलती।

ये दस्तावेज नीतिगत और दलगत या विभिन्न सरकारी योजनाओं से संबंधित होते हैं। इन फाइलों व रिपोर्टों में बँटवारे से पहले की वार्ताओं, समझौतों या दंगों और विस्थापन के आँकड़ों, शरणार्थियों के पुनर्वास इत्यादि के बारे में काफी जानकारी मिलती है। परंतु इनसे देश के विभाजन से प्रभावित होने वाले लोगों के रोजाना के हालात, उनकी अंतपीड़ा और कड़वे अनुभवों के बारे में विशेष पता नहीं लगता। यह तो व्यक्तिगत स्मृतियों से ही जाना जा सकता है।

प्रश्न 13.
मौखिक गवाही प्राप्त करने संबंधी क्या कठिनाइयाँ होती हैं?
उत्तर:
विभाजन जैसे विषय पर मौखिक गवाही प्राप्त करना अत्यंत कठिन कार्य है। साक्षात्कारकर्ता को लोगों की पीड़ा के । अहसास को समझने के लिए अत्यंत सूझ-बूझ और संवेदनशीलता से काम लेना होता है। उदाहरण के लिए सबसे पहली समस्या यह होती है कि विभाजन की पीड़ा से गुजरा व्यक्ति उस कड़वे अनुभव को दोहराना नहीं चाहता यानी बलात्कार की पीड़ा से गुजरने वाली महिला को एक अजनबी के समक्ष अपनी व्यथा पुनः बयान करने के लिए तैयार करना सरल कार्य नहीं। इसके लिए कारकर्ता को पीड़ित महिला से आत्मीय संबंध स्थापित करने चाहिएँ ताकि उपयोगी जानकारी मिल सके।

मौखिक गवाही प्राप्त करने में एक अन्य समस्या याददाश्त से संबंधित होती है। यह महत्त्वपूर्ण है कि कौन किस घटना को किस तरह से कितना याद रखता है। किन बातों को याद रखता है और किन बातों को भुला देता है। यह कुछ हद तक इस बात पर भी निर्भर करता है कि पीच के वर्षों में उनके अनुभव किस प्रकार के रहे हैं। इस दौरान उनके समुदायों और राष्ट्रों के साथ क्या हुआ है। वस्तुतः स्मृतियों के आधार पर इतिहास लेखन कठिन कार्य है।

प्रश्न 14.
1947 में पंजाब में कानून व्यवस्था की क्या स्थिति थी?
उत्तर:
1947 में पंजाब में कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई थी। 3 मार्च, 1947 को लाहौर शहर में दंगा भड़कने के साथ ही पंजाब के अन्य शहरों-रावलपिण्डी, मुल्तान, अमृतसर, गुजरात, कैंप बेल, झेलम आदि में मुसलमानों और गैर-मुसलमानों में दंगे भड़क उठे थे। रावलपिण्डी, अटक और मुल्तान में हिंदुओं और सिक्खों पर जोरदार हमले हुए। गाँवों में सिक्ख किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा। भीड़ ने गाँव-के-गाँव जला डाले। बहावलपुर में तत्कालीन समय में नियुक्त अंग्रेज़ अधिकारी पेंडरेल मून (Penderel Moon) ने प्रशासन की पंगुता को रक्तपात का दोषी बताया।

अराजकता और प्रशासन की अकर्मण्यता का विवरण करते हुए मून ने लिखा था कि जब मार्च, 1947 में पूरे अमृतसर में भयंकर लूटपाट, रक्तपात और आगजनी हो रही थी, तो पुलिस एक भी गोली नहीं चला पाई। मून ने स्थिति का जीवंत विवरण प्रस्तुत करते हुए लिखा-“24 घंटे से भी ज्यादा समय तक दंगाई भीड़ को इस विशाल व्यावसायिकं शहर में बेरोक-टोक तबाही फैलाने दी गई। बेहतरीन बाजारों को जलाकर राख कर दिया गया, जबकि उपद्रव फैलाने वालों पर एक गोली भी नहीं चलाई गई। ……जिला मजिस्ट्रेट ने अपने विशाल पुलिस बल को शहर में मार्च का आदेश दिया और उसका कोई सार्थक इस्तेमाल किए बिना बापस बुला लिया।”

दीर्घ-उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न : भारत विभाजन क्यों हुआ? कोई पाँच कारण बताएँ।
उत्तर:
भारत का विभाजन क्यों हुआ? इसके मौलिक कारण क्या थे? विभाजन के लिए कौन जिम्मेदार था? इत्यादि प्रश्नों पर इतिहासकार और विद्वान् एकमत नहीं हैं। यूरोपीय इतिहासकारों और राजनेताओं के अनुसार भारत में यूरोपीय देशों जैसी राष्ट्रीय एकता थी ही नहीं। उनका कहना था कि हिंदुओं तथा मुसलमानों में पारस्परिक दुश्मनी के कारण भारत का विभाजन हुआ। दूसरी ओर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेताओं (महात्मा गाँधी, जवाहरलाल नेहरू आदि) के अनुसार भारत का विभाजन अंग्रेज़ों की ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति का परिणाम था।

मोहम्मद अली जिन्ना तथा मुस्लिम लीग के अनुसार भारत में दो राष्ट्र-हिंदू और मुस्लिम, विद्यमान थे। डॉ०बी०आर० अंबेडकर ने हिंदुओं की अलगाववादी भावना को विभाजन का प्रमुख कारण बताया है। उनका कहना है कि इस अलगाववादी नीति के कारण ही मुस्लिम लीग की अलग राज्य की माँग सफल हुई और देश का विभाजन हुआ। इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं

1. द्विराष्ट्र का सिद्धांत-कुछ भारतीय और पाकिस्तानी इतिहासकार यह मानते हैं कि मोहम्मद अली जिन्ना का यह सिद्धांत ठीक था कि भारत में हिंदू और मुस्लिम दो पृथक् राष्ट्र विद्यमान थे। उनके अनुसार यह विचार मध्यकालीन भारत पर भी लागू होता है। ये इतिहासकार इस बात पर बल देते हैं कि 1947 की घटनाएँ (विभाजन) मध्यकाल तथा आधुनिक काल में हुए हिंदू-मुस्लिम झगड़ों के लंबे इतिहास से जुड़े हुए हैं। इस प्रकार वे विभाजन को हिंदू-मुस्लिम झगड़ों का चरम बिंदु या अंतिम चरण मानते हैं।

परंतु ये विद्वान् इस बात को नजरअंदाज कर देते हैं कि इन दोनों समुदायों में आपसी मेल-जोल का लंबा इतिहास भी रहा है। यह उल्लेखनीय है कि भारत में मध्यकाल से ही हिंदू-मुसलमानों में आपसी सांस्कृतिक आदान-प्रदान ने दोनों समुदायों के रिश्तों को मजबूत किया था। दोनों समुदायों के मेल-मिलाप से उर्दू भाषा, संगीत, स्थापत्य, रहन-सहन आदि से नई मिली-जुली संस्कृति (Composite Culture) का उदय व विकास हुआ। परंतु जो लोग मात्र हिंदू-मुस्लिम झगड़ों की ही बात करते हैं वे यह आंकलन नहीं कर पाते।

यिक राजनीति-कुछ विद्वानों का यह मानना है कि देश का विभाजन एक ऐसी सांप्रदायिक राजनीति का शिखर था जो 20वीं शताब्दी के प्रारंभिक दशकों में शुरू हुई। इन विद्वानों का तर्क है कि अंग्रेज़ों ने मुसलमानों की आरक्षण की माँग को स्वीकार किया। 1909 के भारत सरकार अधिनियम में मुसलमानों के लिए पृथक् निर्वाचन क्षेत्रों का निर्माण किया तथा आगे (1919, 1935 में) इसका विस्तार किया। इस पृथक् निर्वाचन पद्धति में विभाजन के बीज बो दिए गए। इस व्यवस्था ने सांप्रदायिक राजनीति की प्रकृति को अत्यधिक प्रभावित किया। इसका अभिप्राय था कि धर्म के आधार पर पहचान को स्वीकृति

प्रदान की गई। अब इन चुनाव क्षेत्रों में सिर्फ मुस्लिम उम्मीदवार ही खड़े हो सकते थे तथा मुस्लिम मतदाता ही मत डाल सकते थे। इसका अर्थ यह भी था कि गैर-मुस्लिम मतदाता मुस्लिम उम्मीदवारों के लिए मतदान नहीं कर सकते थे। ऐसा करके ब्रिटिश सरकार ने चुनाव प्रचार और राजनीति को धार्मिक दीवारों में बाँध दिया। इस पृथक् निर्वाचन प्रणाली ने इस बात को बढ़ावा दिया कि भारतीय समाज हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच बँटा है जिनके आपसी हित अलग-अलग हैं।

इससे अलगाववाद को बढ़ावा मिला और सांप्रदायिक संगठनों को भी बल मिला। इससे चुनावी राजनीति धार्मिक पहचान को गहरा और पक्का करने लगी। दूसरी ओर सांप्रदायिकता (Communalism) ने राष्ट्रीय राजनीति को कमजोर किया। महात्मा गाँधी ने पृथक् निर्वाचन मंडल के प्रभाव पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि मिन्टो-मार्ले सुधारों ने हमारा सर्वनाश कर डाला।

3. अंग्रेज़ों की ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति (British Policy of Divide and Rule)-अंग्रेज़ों की ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति को भारत में सांप्रदायिकता के उदय व विकास और अन्ततः विभाजन के लिए जिम्मेदार माना गया है। अंग्रेज़ों ने हिंदुओं और मुसलमानों में घृणा पैदा करने को राजनीतिक शस्त्र के रूप में प्रयोग किया। लॉर्ड एलफिंस्टन ने स्पष्ट कहा था कि ‘फूट डालो और राज करो’ प्राचीन में रोमन का आदर्श था, यह हमारा भी होना चाहिए (Divide impera was the old Roman motto and it should be ours.’)। ब्रिटिश प्रारंभ से ही यह समझ गए थे कि सीमित ब्रिटिश अधिकारी सामूहिक भारतीयों की ताकत की बराबरी नहीं कर सकते। अतः उन्होंने एक समुदाय के साथ विशेष व्यवहार कर तथा दूसरे के प्रति उदासीनता दिखाकर मतभेद के बीज बोए।

इस नीति से वे भारतीय समाज में अपने समर्थक और आधार को बढ़ाते थे तथा आपसी फूट डालकर भारतीयों को एक होने से रोकते थे। 1857 ई० के बाद अंग्रेज़ों ने मुसलमानों का दमन किया तथा हिंदुओं को साथ लगाया। परंतु 1870 के दशक में जब शिक्षित भारतीयों में राजनीतिक चेतना आने लगी तो उन्होंने मुसलमानों का पक्ष लेना शुरू किया। उन्हें विशेष रियायतें देने लगे।

भारतीयों के मतभेदों को उभारकर उनमें दुर्भावनाएँ पैदा की। अंग्रेज़ों ने कांग्रेस को हिंदू आंदोलन बताया तथा सर सैयद अहमद के साथ मिलकर मुसलमानों को कांग्रेस के आंदोलन से दूर रखने का प्रयास किया। साथ ही उच्चवर्गीय मुसलमानों को अपना संगठन बनाने के लिए प्रेरित किया। 1906 में मुस्लिम लीग का निर्माण करवाया। इस नीति पर चलते हुए उन्होंने आगे बहुत से और कदम उठाए।

4. सांप्रदायिक संगठनों की स्थापना (Formation of Communal Organisations)-20वीं सदी के प्रथम दशक के मध्य से साम्प्रदायिक संगठन बनने लगे। सरकार ने उन्हें प्रोत्साहन दिया। 1906 में मुस्लिम लीग की स्थापना हुई। लीग का मुख्य उद्देश्य मुसलमानों के राजनीतिक हितों की रक्षा करना तथा मुसलमानों में अंग्रेज़ सरकार के प्रति निष्ठा पैदा करना था। प्रारंभ के वर्षों में लीग ने पृथक् निर्वाचन प्रणाली की मांग की तथा बंगाल विभाजन का समर्थन किया।

  • इसी समय 1909 ई० में लाल चंद और बी० एन मुखर्जी के प्रयासों से पंजाब हिंदू महासभा की स्थापना हई। इनका मूल मंत्र था कि ‘हिंदू पहले हैं और भारतीय बाद में।’ इन्होंने कांग्रेस का विरोध करना शुरू किया तथा कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह हिंदुओं के हितों को नजरअंदाज कर रही है और मुसलमानों के प्रति तुष्टिकरण की नीति अपना रही है। 1915 में तीय हिंदू सभा की स्थापना हुई जो हिंदू सांप्रदायिकता को संगठित रूप देने की दिशा में अगला कदम था।

5. ‘पाकिस्तान’ प्रस्ताव (‘Pakistan’ Resoution)-1937 के बाद जिन्ना की राजनीति पूरी तरह से उग्र-सांप्रदायिकता की राजनीति थी। उन्होंने कांग्रेस और राष्ट्रीय एकता के विरुद्ध जहर उगलना शुरू कर दिया। उन्होंने दुष्प्रचार किया कि कांग्रेस का आला कमान दूसरे सभी समुदायों और संस्कृतियों को नष्ट करने तथा हिंदू राज्य कायम करने के लिए पूरी तरह दृढ़ प्रतिज्ञ है। उन्होंने मुस्लिम जनता को भयभीत करना शुरू किया कि स्वतंत्र भारत में मुस्लिम और स्लिम और इस्लाम दोनों के ही अस्तित्व को खतरा पैदा हो जाएगा।

1940 में जिन्ना ने अपने ‘द्विराष्ट्रों के सिद्धांत’ को मुस्लिम जनता के समक्ष रखा। इस सिद्धांत की दो मान्यताएँ थीं। पहली मान्यता के अनुसार “हिंदू और मुसलमान बिल्कुल दो समाज थे। धर्म, दर्शन, सामाजिक प्रथा और साहित्यिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से दोनों अलग-अलग थे ……… इसलिए ये दोनों कौमें एक राष्ट्र नहीं बन सकती थीं।” दूसरी मान्यता यह थी कि यदि भारत एक राज्य रहता है तो बहुमत के शासन के नाम पर सदा हिंदू शासन रहेगा। इसका अर्थ होगा इस्लाम के बहुमूल्य तत्त्व का पूर्ण विनाश और मुसलमानों के लिए स्थाई दासता।

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