HBSE 12th Class History Important Questions Chapter 12 औपनिवेशिक शहर : नगर-योजना, स्थापत्य

Haryana State Board HBSE 12th Class History Important Questions Chapter 12 औपनिवेशिक शहर : नगर-योजना, स्थापत्य Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class History Important Questions Chapter 12 औपनिवेशिक शहर : नगर-योजना, स्थापत्य

बहुविकल्पीय प्रश्न

निम्नलिखित प्रत्येक प्रश्न के अन्तर्गत कुछेक वैकल्पिक उत्तर दिए गए हैं। ठीक उत्तर का चयन कीजिए

1. ईस्ट इंडिया कंपनी को ब्रिटेन के राजा से बंबई मिला
(A) 1661 ई० में
(B) 1639 ई० में
(C) 1690 ई० में
(D) 1680 ई० में
उत्तर:
(A) 1661 ई० में

2. सिविल लाइंस में बसाया गया
(A) राजाओं को
(B) कलर्कों को
(C) गोरों को
(D) गरीबों को
उत्तर:
(C) गोरों को

3. सिक्किम के राजा से दार्जीलिंग छीना गया
(A) 1818 ई० में
(B) 1835 ई० में
(C) 1850 ई० में
(D) 1857 ई० में
उत्तर:
(B) 1835 ई० में

4. हिल स्टेशनों के विकास का उद्देश्य था
(A) सैनिकों को ठहराने के लिए
(B) सीमा की निगरानी करने के लिए
(C) शत्रु पर आक्रमण के लिए
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

5. वायसरॉय जॉन लॉरेंस ने अपनी कौंसिल शिमला में स्थानांतरित की
(A) 1840 ई० में
(B) 1850 ई० में
(C) 1860 ई० में
(D) 1864 ई० में
उत्तर:
(D) 1864 ई० में

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6. कलकत्ता में फँस की झोंपड़ियों को अवैध घोषित किया गया
(A) 1800 ई० में
(B) 1815 ई० में
(C) 1836 ई० में
(D) 1854 ई० में
उत्तर:
(C) 1836 ई० में

7. बंबई में टाउन हॉल का निर्माण हुआ
(A) 1833 ई० में
(B) 1855 ई० में
(C) 1857 ई० में
(D) 1866 ई० में
उत्तर:
(A) 1833 ई० में

8. स्वेज नहर को खोला गया
(A) 1869 ई० में
(B) 1879 ई० में
(C) 1889 ई० में
(D) 1899 ई० में
उत्तर:
(A) 1869 ई० में

9. औपनिवेशिक भारत की वाणिज्यिक राजधानी थी
(A) दिल्ली
(B) कलकत्ता
(C) मद्रास
(D) बंबई
उत्तर:
(D) बंबई

10. मद्रास में औपनिवेशिक काल में अधिकतर इमारतें किस शैली में बनीं?
(A) गुजराती शैली में
(B) इंडो-सारासेनिक शैली में
(C) नव-गॉथिक शैली में
(D) नियोक्लासिक शैली में
उत्तर:
(B) इंडो-सारासेनिक शैली में

11. ताजमहल होटल व गेट वे ऑफ इंडिया की स्थापत्य शैली है
(A) परंपरागत गुजराती शैली
(B) मुगलकालीन शैली
(C) इंडो सारासेनिक शैली
(D) नव-गॉथिक शैली
उत्तर:
(A) परंपरागत गुजराती शैली

12. मद्रास हार्बर का निर्माण पूरा हुआ
(A) 1857 ई० में
(B) 1870 ई० में
(C) 1881 ई० में
(D) 1891 ई० में
उत्तर:
(C) 1881 ई० में

13. अंग्रेज़ों द्वारा कलकत्ता में सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना की गई
(A) 1700 ई० में
(B) 1773 ई० में
(C) 1784 ई० में
(D) 1800 ई० में
उत्तर:
(C) 1784 ई० में

14. औपनिवेशिक सरकार मानचित्र तैयार करवाती थी
(A) शहरों के विकास की योजना के लिए
(B) सत्ता नियंत्रण के लिए
(C) व्यवसायों के विकास के लिए
(D) उपर्युक्त सभी के लिए
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी के लिए

15. 18वीं शताब्दी के पतनोन्मुख नगर था
(A) सूरत
(B) ढाका
(C) मछलीपट्नम
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

16. रेलवे आगमन से नगर अस्तित्व में आया
(A) जमालपुर
(B) बरेली
(C) वाल्टेयर
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

17. अंग्रेजों द्वारा फोर्ट विलियम का निर्माण करवाया गया
(A) कलकत्ता में
(B) दिल्ली में
(C) बंबई में
(D) मद्रास में
उत्तर:
(A) कलकत्ता में

18. ब्रिटिश काल में प्रथम पर्वतीय स्थल कौन-सा बना?
(A) शिमला
(B) दार्जीलिंग
(C) नैनीताल
(D) मनाली
उत्तर:
(A) शिमला

19. ‘गेट वे ऑफ इंडिया’ का निर्माण किसके स्वागत के लिए हुआ?
(A) जॉर्ज पंचम और उनकी पत्नी
(B) जमशेद जी टाटा
(C) प्रेमचन्द रायचन्द
(D) लॉर्ड डलहौजी
उत्तर:
(A) जॉर्ज पंचम और उनकी पत्नी

20. औपनिवेशिक काल में किस शहर को भारत का सरताज कहा जाता था?
(A) दिल्ली को
(B) कलकत्ता को
(C) मद्रास को
(D) बंबई को
उत्तर:
(D) बंबई को

21. तेलुगू कोमाटी से अभिप्राय था
(A) बुनकर समुदाय
(B) व्यावसायिक समुदाय
(C) अधिकारीगण
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) व्यावसायिक समुदाय

22. जनगणना के आँकड़ों को भ्रामक माना जाता है क्योंकि
(A) लोग प्रायः अपनी बीमारी के बारे में सही नहीं बताते
(B) कुछ लोग ऊँची हैसियत का झूठा दावा करते हैं
(C) घर की औरतों के बारे में जानकारी देना अच्छा नहीं मानते
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

23. अंग्रेज़ों की नजर में ‘ब्लैक टाउन’ केंद्र थे
(A) गदंगी के
(B) बीमारियों के
(C) अराजकता के
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

24. मुगलकाल में मदुरै और कांचीपुरम प्रसिद्ध थे
(A) व्यापार के लिए
(B) त्योहारों के लिए
(C) मंदिरों के लिए
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

25. औपनिवेशिक काल में कानपुर प्रसिद्ध था
(A) स्टील उत्पादन के लिए
(B) चीनी मिट्टी के बर्तनों के लिए
(C) सूती, ऊनी व चमड़े की वस्तुओं के लिए
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(C) सूती, ऊनी व चमड़े की वस्तुओं के लिए

26. ‘ब्लैक टाउन’ में रहते थे
(A) गोरे लोग
(B) भारतीय लोग
(C) सैनिक अधिकारी,
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) भारतीय लोग

27. शिमला को राजधानी बनाया
(A) लॉर्ड वेलेज़्ली
(B) जॉन लॉरेंस
(C) लॉर्ड डलहौजी
(D) लॉर्ड कैनिंग
उत्तर:
(B) जॉन लॉरेंस

28. मुगलकाल में राजधानी शहर था
(A) दिल्ली
(B) लाहौर
(C) आगरा
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

29. दक्षिणी भारत का प्रमुख नगर था
(A) मदुरै
(B) कांचीपुरम
(C) हम्पी
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी

30. विक्टोरिया टर्मीनस बना है
(A) गुजराती शैली में
(B) नव-गॉथिक शैली में
(C) इंडो सारासेनिक शैली में
(D) नव शास्त्रीय शैली में
उत्तर:
(B) नव-गॉथिक शैली में

31. औपनिवेशिक काल में भारत पश्चिमी तट पर शहर विकसित हुआ
(A) बंबई
(B) मद्रास
(C) कलकत्ता
(D) मदुरै
उत्तर:
(A) बंबई

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32. अंग्रेज़ी राज के दौरान विकसित हुए शहरों को कहा गया
(A) अंग्रेज़ी शहर
(B) औपनिवेशिक शहर
(C) मुगलकालीन शहर
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) औपनिवेशिक शहर

33. फ्रांसीसियों ने किस स्थान को अपना व्यापारिक केन्द्र बनाया था?
(A) कलकत्ता
(B) मद्रास
(C) गोवा
(D) पांडिचेरी
उत्तर:
(D) पांडिचेरी

34. भारत में पहली रेल लाइन कब बिछाई गई?
(A) 1850 ई० में
(B) 1853 ई० में
(C) 1857 ई० में
(D) 1819 ई० में
उत्तर:
(B) 1853 ई० में

35. ‘गंज’ से क्या अभिप्राय है?
(A) औपनिवेशिक शहर
(B) कस्बे का बाजार
(C) गाँव
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(B) कस्बे का बाजार

36. पुर्तगालियों ने अपना व्यापारिक केन्द्र कहाँ स्थापित किया?
(A) मद्रास में
(B) गोवा में
(C) पांडिचेरी में
(D) बम्बई में
उत्तर:
(B) गोवा में

37. कलकत्ता नगर सुधार पर लॉर्ड वेलेज्ली द्वारा ‘मिनट्स’ कब लिखा गया?
(A) 1803 ई० में
(B) 1853 ई० में
(C) 1911 ई० में
(D) 1857 ई० में
उत्तर:
(A) 1803 ई० में

38. अंग्रेजों ने मद्रासपट्टम नाम व्यापारिक बस्ती कब बसाई?
(A) 1600 ई० में
(B) 1639 ई० में
(C) 1803 ई० में
(D) 1911 ई० में
उत्तर:
(B) 1639 ई० में

39. भारत के लिए नए समुद्री मार्ग की खोज किसने की?
(A) कोलंबस ने
(B) वास्कोडिगामा ने
(C) काउंट-डि-लाली ने
(D) लॉर्ड वेलेज़्ली ने
उत्तर:
(B) वास्कोडिगामा ने

40. अंग्रेजों ने फोर्ट सैन्ट जॉर्ज कहाँ बनवाया?
(A) बम्बई में
(B) मद्रास में
(C) दिल्ली में
(D) आगरा में
उत्तर:
(B) मद्रास में

41. अंग्रेजों ने किस स्थान को व्यापारिक केंद्र बनाया?
(A) मद्रास को
(B) पणजी को
(C) कलकत्ता को
(D) पांडिचेरी को
उत्तर:
(C) कलकत्ता को

42. 1911 ई० से पहले भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की राजधानी कहाँ स्थित थी?
(A) दिल्ली
(B) बम्बई
(C) कलकत्ता
(D) मद्रास
उत्तर:
(C) कलकत्ता

43. गेटवे ऑफ इंडिया का निर्माण कब हुआ था?
(A) 1911 ई० में
(B) 1875 ई० में
(C) 1905 ई० में
(D) 1900 ई० में
उत्तर:
(A) 1911 ई० में

44. भारत में प्रथम रेलगाड़ी कब चलाई गई?
(A) 1857 ई० में
(B) 1853 ई० में
(C) 1843 ई० में
(D) 1856 ई० में
उत्तर:
(B) 1853 ई० में

45. भारत में पहली सूती मिल कहाँ स्थापित की गई?
(A) अमृतसर में
(B) कलकत्ता में
(C) मद्रास में
(D) बम्बई में
उत्तर:
(D) बम्बई में

46. जमशेदपुर किस वस्तु के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हुआ?
(A) चमड़े की वस्तुओं के लिए
(B) स्टील उत्पादन के लिए
(C) काँच के सामान के लिए
(D) रेलवे नगर के रूप में
उत्तर:
(B) स्टील उत्पादन के लिए

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
औपनिवेशिक काल में भारत में कौन-कौन से शहर विकसित हुए?
उत्तर:
औपनिवेशिक काल में भारत के पश्चिमी तट पर बंबई व पूर्वी तट पर मद्रास और कलकत्ता तीन नगर विकसित हुए।

प्रश्न 2.
अंग्रेजी राज में विकसित शहरों को क्या कहा गया?
उत्तर:
अंग्रेजी राज के दौरान विकसित शहरों को औपनिवेशिक शहर कहा गया।

प्रश्न 3.
छोटे शहरों को क्या कहा गया?
उत्तर:
छोटे शहरों को ‘कस्बा’ कहा गया।

प्रश्न 4.
‘ब्लैक टाउन’ शब्द का क्या अर्थ था ?
उत्तर:
सरकारी रिकॉर्ड्स में भारतीय लोगों की बस्ती को ‘ब्लैक टाउन’ कहा जाता था।

प्रश्न 5.
कस्बे की मुख्य विशेषता क्या थी?
उत्तर:
कस्बे की मुख्य विशेषता जनसंख्या नहीं, बल्कि उसकी विशिष्ट आर्थिक व सांस्कृतिक गतिविधियाँ थीं।

प्रश्न 6.
गाँवों का जीवन-निर्वाह मुख्यतया किस पर निर्भर था?
उत्तर:
गाँवों का जीवन-निर्वाह मुख्यतया कृषि, पशुपालन और वनोत्पादों पर निर्भर था।

प्रश्न 7.
शहरों में खाद्यान्न कहाँ से आता था?
उत्तर:
शहरों में खाद्यान्न हमेशा गाँवों से आता था।

प्रश्न 8.
मुगलकालीन शहर मुख्यतया तथा, आगरा, दिल्ली, लाहौर आदि क्यों प्रसिद्ध थे?
उत्तर:
ये शहर प्रशासन व सत्ता के केंद्र के साथ-साथ घनी जनसंख्या व विशाल भवनों वाले शहर थे।

प्रश्न 9.
मुगलकालीन शहरों की मुख्य विशेषता क्या थी?
उत्तर:
मुगलों के शहर कला व स्थापत्य के केंद्र थे। भव्य महल, किले, उद्यान, द्वार व मस्जिद इन शहरों की विशेषता थी।

प्रश्न 10.
मुगलकालीन स्थापत्य कला कैसी थी?
उत्तर:
मुगलकालीन स्थापत्य कला में इस्लामिक, बौद्ध, जैन व हिंदू भवन-निर्माण शैलियों का बेहतर समावेश था।

प्रश्न 11.
‘मनसब’ से क्या अभिप्राय था?
उत्तर:
‘मनसब’ अरबी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है ‘पद’ अर्थात् मनसबदार मुगलकाल में सैनिक व असैनिक दोनों तरह का अधिकारी होता था।

प्रश्न 12.
16वीं व 17वीं शताब्दी में शहर की शांति और व्यवस्था बनाए रखने का काम किसका था?
उत्तर:
16वीं व 17वीं शताब्दी में शहर की शांति व व्यवस्था बनाए रखने का काम कोतवाल का होता था।

प्रश्न 13.
मुगल साम्राज्य की राजनीतिक व्यवस्था कैसी थी?
उत्तर:
मुगल साम्राज्य की राजनीतिक व्यवस्था केंद्रीकृत थी।

प्रश्न 14.
पुर्तगाली यात्री वास्कोडिगामा भारत कब पहुँचा?
उत्तर:
पुर्तगाली यात्री वास्कोडिगामा 1498 ई० में भारत पहुंचा।

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प्रश्न 15.
पुर्तगालियों ने अपनी पहली व्यापारिक बस्ती कहाँ बसाई?
उत्तर:
पुर्तगालियों ने 1510 ई० में पणजी में अपनी पहली व्यापारिक बस्ती बसाई।

प्रश्न 16.
फ्रांसीसियों ने आरंभिक व्यापारिक कार्यालय कहाँ स्थापित किया?
उत्तर:
फ्रांसीसियों ने शुरू में व्यापारिक कार्यालय पांडिचेरी में स्थापित किया।

प्रश्न 17.
डच व्यापारिक कंपनी ने अपना व्यापारिक कार्यालय कहाँ स्थापित किया?
उत्तर:
1605 ई० में डच व्यापारिक कंपनी ने अपना व्यापारिक कार्यालय मछलीपट्टनम में स्थापित किया।

प्रश्न 18.
व्यापारिक कार्यालय को क्या कहा जाता था?
उत्तर:
व्यापारिक कार्यालय को कारखाना कहा जाता था।

प्रश्न 19.
यूरोपीय व्यापारिक कंपनियाँ भारत से किन वस्तुओं का व्यापार करती थीं?
उत्तर:
यूरोपीय व्यापारिक कंपनियाँ भारत से काली मिर्च, मसाले व वस्त्रों का निर्यात करती थीं।

प्रश्न 20.
औपनिवेशिक प्रशासन व सत्ता के केंद्र कौन-से शहर थे?
उत्तर:
औपनिवेशिक प्रशासन व सत्ता के केंद्र मद्रास, कलकत्ता व बंबई शहर थे।

प्रश्न 21.
कौन-कौन से नगर आर्थिक राजधानियों के रूप में विकसित हुए?
उत्तर:
मद्रास, कलकत्ता व बंबई शहर आर्थिक राजधानियों के रूप में विकसित हुए।

प्रश्न 22.
भारतीयों के लिए सबसे पहले निर्वाचन पद्धति किन संस्थाओं में शुरु की गई?
उत्तर:
नगर निगमों, नगरपालिका व देहात के जिला बोर्डों के लिए निर्वाचन पद्धति प्रारंभ की गई।

प्रश्न 23.
सर्वे ऑफ इंडिया की स्थापना किस गवर्नर-जनरल के काल में हुई?
उत्तर:
सर्वे ऑफ इंडिया की स्थापना 1878 ई० में गवर्नर-जनरल लॉर्ड लिटन के काल में हुई।

प्रश्न 24.
भारत में सबसे पहले जनगणना कब एवं किसने करवाई?
उत्तर:
सन् 1872 में भारत में अंग्रेज़ सरकार ने पहली अखिल भारतीय जनगणना करवाने का प्रयास किया।

प्रश्न 25.
भारत में हर दस साल बाद दशकीय जनगणना कब से शुरु की गई?
उत्तर:
सन 1881 से भारत में हर दस साल के बाद दशकीय जनगणना नियमित तौर पर करवाई जाती रही।

प्रश्न 26.
अंग्रेजों ने फोर्ट सेंट जॉर्ज की स्थापना कहाँ की?
उत्तर:
अंग्रेज़ों ने मद्रास में फोर्ट सेंट जॉर्ज की स्थापना की।

प्रश्न 27.
फोर्ट विलियम कहाँ स्थापित किया गया?
उत्तर:
फोर्ट विलियम कलकत्ता में स्थापित किया गया।

प्रश्न 28.
किलेबंद बंदरगाह नगरों को क्या कहा गया?
उत्तर:
किलेबंद बंदरगाह नगरों को ‘प्रेसीडेंसी’ कहा गया।

प्रश्न 29.
भारत में पहली सूती मिल कहाँ स्थापित की गई?
उत्तर:
भारत में पहली सूती मिल बंबई में स्थापित की गई।

प्रश्न 30.
औपनिवेशिक काल में जमशेदपुर क्यों प्रसिद्ध हुआ?
उत्तर:
जमशेदपुर स्टील उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हुआ।

प्रश्न 31.
उन बस्तियों को क्या कहा जाता था जहाँ केवल गोरे लोगों को ही बसाया जाता था?
उत्तर:
ऐसी बस्तियाँ जहाँ केवल गोरे लोगों को ही बसाया जाता था सिविल लाइंस कहा जाता था।

प्रश्न 32.
अंग्रेज़ों ने सिक्किम में कौन-सा हिल स्टेशन छीना?
उत्तर:
1835 ई० में अंग्रेज़ों ने सिक्किम से दार्जीलिंग हिल स्टेशन छीना।

प्रश्न 33.
शिमला को राजधानी कब बनाया गया?
उत्तर:
जॉन लॉरेंस ने 1864 ई० में शिमला को राजधानी बनाया गया।

प्रश्न 34.
कलकत्ता में स्टार थियेटर की स्थापना किसने की?
उत्तर:
विनोदनी दासी ने 1883 ई० में स्टार थियेटर, कलकत्ता की स्थापना की।

प्रश्न 35.
तेलुगू कोमाटी से क्या अभिप्राय था?
उत्तर:
तेलुगू कोमाटी एक समुदाय था जिसने मद्रास में व्यावसायिक सफलता प्राप्त की।

प्रश्न 36.
फोर्ट विलियम (कलकत्ता) के आसपास खाली छोड़े गए मैदान को स्थानीय भाषा में क्या कहा जाता था ?
उत्तर:
फोर्ट विलियम के आसपास खाली जगह को स्थानीय लोग ‘गारेर मठ’ कहते थे।

प्रश्न 37.
कलकत्ता में गवर्नमेंट हाउस का निर्माण किसने करवाया?
उत्तर:
कलकत्ता में गवर्नमेंट हाउस का निर्माण लॉर्ड वेलेज़्ली ने करवाया।

प्रश्न 38.
लॉर्ड वेलेज़्ली ने कलकत्ता नगर नियोजन के लिए प्रशासकीय आदेश कब जारी किया?
उत्तर:
लॉर्ड वेलेज़्ली ने कलकत्ता नगर नियोजन के लिए प्रशासकीय आदेश 1803 ई० में जारी किया।

प्रश्न 39.
कलकत्ता में नगर नियोजन के कार्य के लिए लॉटरी कमेटी की स्थापना कब की गई?
उत्तर:
कलकत्ता में नगर नियोजन के कार्य के लिए 1817 ई० में लॉटरी कमेटी की स्थापना की गई।

प्रश्न 40.
कलकत्ता में घास-फूस की झोंपड़ियों को अवैध कब घोषित किया गया?
उत्तर:
आग लगने की आशंका से बचने के लिए कलकत्ता में 1836 ई० में घास-फूस की झोंपड़ियों को अवैध घोषित किया गया।

प्रश्न 41. ‘लॉटरी कमेटी’ क्या थी?
उत्तर:
‘लॉटरी कमेटी’ कलकत्ता के नगर नियोजन करने वाली समिति थी।

प्रश्न 42.
बंबई में एल्फिस्टन सर्किल का निर्माण कब हुआ?
उत्तर:
1860 ई० में बंबई में एल्फिस्टन सर्किल बनाया गया।

प्रश्न 43.
बंबई में ‘चाल’ बनाने का क्या उद्देश्य था?
उत्तर:
बंबई में ‘चाल’ बनाने का उद्देश्य बढ़ती हुई जनसंख्या को आवास प्रदान करना था।

प्रश्न 44.
इंडो-सारासेनिक स्थापत्य शैली से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
इंडो-सारासेनिक स्थापत्य शैली में भारतीय व यूरोपीय दोनों स्थापत्य शैलियों का मिश्रण किया गया है।

प्रश्न 45.
नवशास्त्रीय (नियोक्लासीकल) शैली क्या थी?
उत्तर:
नवशास्त्रीय शैली में बड़े-बड़े स्तंभों के पीछे रेखागणितीय संरचनाओं का निर्माण किया गया।

प्रश्न 46.
18वीं शताब्दी में भारत में तीन प्रसिद्ध बंदरगाहें कौन-सी थीं?
उत्तर:
बंबई, कलकत्ता व मद्रास 18वीं शताब्दी की प्रसिद्ध बंदरगाहें थीं।

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प्रश्न 47.
भारत में पहली बार जनगणना कब करवाई गई?
उत्तर:
भारत में पहली बार जनगणना का प्रयास 1872 ई० में किया गया।

प्रश्न 48.
अंग्रेज़ों ने भारत में व्यापारिक राजधानी किस शहर को बनाया?
उत्तर:
ब्रिटिश काल में बम्बई भारत की व्यापारिक राजधानी के तौर पर उभरा।

प्रश्न 49.
भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की व्यापारिक गतिविधियों का सबसे पहला केंद्र कौन-सा था?
उत्तर:
पश्चिमी तट पर स्थित सूरत की बंदरगाह भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की व्यापारिक गतिविधियों का पहला केंद्र था।

प्रश्न 50.
मद्रासपट्टम को स्थानीय लोग क्या कहते थे?
उत्तर:
स्थानीय लोग मद्रासपट्टम को चेनापट्नम कहते थे।

प्रश्न 51.
भारत में पहली रेलवे लाइन कब और कहाँ तक बिछाई गई?
उत्तर:
1853 ई० में बम्बई से ठाणे तक पहली रेलवे लाइन बिछाई गई।

प्रश्न 52.
1911 ई० में भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की राजधानी कलकत्ता से बदलकर किस शहर को बनाया गया?
उत्तर:
1911 ई० में कलकत्ता के स्थान पर दिल्ली को भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की राजधानी बनाया गया।

अति लघु-उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
कस्बे के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
कस्बे एक छोटे शहर के रूप में गाँव से अलग होते थे। मुगल काल में कस्बा सामान्यतया किसी स्थानीय विशिष्ट व्यक्ति का केंद्र होता था। इसमें एक छोटा स्थायी बाज़ार होता था, जिसे गंज कहते थे। यह बाजार विशिष्ट परिवारों एवं सेना के लिए कपड़ा, फल, सब्जी तथा दूध इत्यादि सामग्री उपलब्ध करवाता था। कस्बे की मुख्य विशेषता जनसंख्या नहीं थी, बल्कि उसकी विशिष्ट आर्थिक व सांस्कृतिक गतिविधियाँ थीं। उन्हीं के कारण उसे ‘ग्रामीण शहर’ कहा जाता था।

प्रश्न 2.
मुगलकालीन शहरों की जीवन-शैली कैसी थी?
उत्तर:
मुगलकालीन शहरी लोगों की जीवन-शैली गाँव से अलग थी। शहरों में मुख्य तौर पर शासक, प्रशासक तथा शिल्पकार व व्यापारी रहते थे। शहरी शिल्पकार किसी विशिष्ट कला में निपुण होते थे। वे प्रायः संपन्न और सत्ताधारी वर्गों की जरूरतों को पूरा करते थे। शहर में रहने वाले सभी लोगों के लिए खाद्यान्न सदैव गाँव से ही आता था। शासक वर्ग किसानों से राजस्व की वसूली करता था।

प्रश्न 3.
शहर व गाँवों में संबंध कैसे थे?
उत्तर:
शहर और गाँव में स्थायी और अस्थायी संबंध रहते थे। शहर के लोगों के लिए खाद्यान्न गाँव से ही आता था। किसान के उत्पादन का एक भाग शहरों की ओर बहता था। प्रायः यह बहाव एक तरफा ही रहता था। फसल बेचकर नकद कर चुकाने के बाद शहर से गाँव की ओर धन व वस्तुओं का बहाव बहुत ही कम था। ग्रामीण लोगों का शहरों से संपर्क कई तरीकों से रहता था। बड़े शहरों में भी ग्रामीण लोगों का आना-जाना बना रहता था। अकाल या किसी अन्य प्राकृतिक आपदा के समय प्रायः लोग जीवित रहने की उम्मीद में शहर की ओर आते थे। कई बार आक्रमणों के समय भी सुरक्षा के लिए गाँव के लोग किलेनुमा शहरों में आकर शरण लेते थे।

प्रश्न 4.
मुगलकालीन शहरों की क्या विशेषताएँ थीं?
उत्तर:
मुगलों के शहर, कला और स्थापत्य के केंद्र थे। भव्य महल, किले, उद्यान, द्वार व मस्जिद इन शहरों की विशेषता थी। विभिन्न मुगल शासकों ने अपनी-अपनी शक्ति, सामर्थ्य और राजनीतिक स्थितियों के अनुरूप शहरों में भवन निर्माण के क्षेत्र में अपना-अपना योगदान दिया। शासकों की व्यक्तिगत रुचि ने भी इस दिशा में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्रश्न 5.
मुगलकाल में जागीरदार कौन थे?
उत्तर:
मुगलकाल में जागीरदार किसी क्षेत्र का प्रमुख सैनिक था। उसे वेतन में नकद धन नहीं, बल्कि क्षेत्र (जागीर) दिया जाता था। जबकि मनसबदार नकद वेतन प्राप्त करता था।

प्रश्न 6.
मुगलकाल में शहरों में कोतवाल के क्या कर्त्तव्य थे?
उत्तर:
शहर की सामाजिक व वैधानिक व्यवस्था को बनाए रखने का काम शहर के कोतवाल का होता था। वह शहर में एक महत्त्वपूर्ण प्रशासनिक अधिकारी होता था। शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए उसके पास एक सैनिक टुकड़ी होती थी। वह शहर में जल-आपूर्ति की देखभाल, गुलामों की बिक्री पर रोक और ‘गिल्ड-मास्टर’ की नियुक्ति करता था। वह जन्म-मृत्यु संबंधी शहर का रिकॉर्ड भी रखता था। वह माप-तोल की व्यवस्था का भी निरीक्षण करता था ताकि व्यापारी वर्ग हेरा-फेरी न करे। इसके अतिरिक्त वह शहर में आने-जाने वाले लोगों पर नज़र रखता था।

प्रश्न 7.
औपनिवेशिक सत्ता के लिए रिकॉर्डस का क्या महत्त्व था?
उत्तर:
भारत में ब्रिटिश सत्ता मुख्यतः आँकड़ों और जानकारियों के संग्रह पर आधारित थी। ज्ञातव्य है कि ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का लक्ष्य भारत के संसाधनों को अधिकतम स्तर तक निरंतर दोहन करते हुए मुनाफा बटोरना था। इसके लिए वह अपने राजनीतिक नियंत्रण को सुदृढ़ रखना चाहती थी। ये दोनों काम बिना पर्याप्त जानकारियों के संभव नहीं थे। आंकड़ों का सर्वाधिक महत्त्व उनके लिए वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए था।

प्रश्न 8.
सांख्यिकी आँकड़ों का क्या महत्त्व था?
उत्तर:
शहरों की प्रशासनिक व्यवस्था की दृष्टि से शहरी जनसंख्या के उतार-चढ़ाव की जानकारी महत्त्वपूर्ण थी। सड़क निर्माण, यातायात तथा साफ-सफाई इत्यादि के बारे में निर्णय लेने के लिए विविध जानकारियाँ आवश्यक थीं। अतः सांख्यिकी आँकड़े एकत्रित कर सरकारी रिपोर्टों में प्रकाशित किए जाते थे।

प्रश्न 9.
शहरों में नगरपालिकाओं की स्थापना क्यों की गई?
उत्तर:
लोग नागरिक सेवाओं; जैसे सफाई व्यवस्था, सड़क, जल-आपूर्ति की देखभाल के लिए शहरों में नगरपालिकाओं की स्थापना की गई। बड़े औपनिवेशिक शहरों; जैसे मद्रास, कलकत्ता, बम्बई में ‘कार्पोरेशन’ (नगर-निगम) बनाए गए।”

प्रश्न 10.
नगरपालिका रिकॉर्डस किसे कहा जाता था?
उत्तर:
नगरपालिका व नगर-निगमों की विविध तरह की गतिविधियों के फलस्वरूप विशाल मात्रा में आँकड़े अथवा ‘रिकॉर्डस बनाए गए। ये संस्थाएँ इन रिकॉर्डस को ‘रिकॉर्डस रूम’ में सुरक्षित रखती थीं। इन्हें ‘नगरपालिका रिकॉर्डस’ कहा जाता है। शहरों के इतिहास लेखन के लिए ये काफी महत्त्वपूर्ण साक्ष्य उपलब्ध करवाते हैं।

प्रश्न 11.
कंपनी अधिकारियों ने शहरों के मानचित्र क्यों बनवाए?
उत्तर:
किसी स्थान की बनावट व भू-दृश्य को समझने के लिए मानचित्र आवश्यक होते हैं। इसके लिए कंपनी की सेवा में मानचित्र विशेषज्ञ नियुक्त किए जाते थे, जो सटीक वैज्ञानिक औजारों की सहायता से बड़ी सावधानीपूर्वक मानचित्र तैयार करते थे। औपनिवेशिक सत्ता के लिए मानचित्रों के महत्त्व को हम इस तथ्य से भी समझ सकते हैं कि भारत में ब्रिटिश सरकार द्वारा सन् 1878 में लॉर्ड लिटन (गवर्नर-जनरल) के काल में ‘सर्वे ऑफ इण्डिया’ (Survey of India) की स्थापना की गई।

प्रश्न 12.
शहरी मानचित्रों में क्या दर्शाया जाता था?
उत्तर:
शहरों के मानचित्रों में घाट, तालाब, हरियाली के स्थान, नदी-नाले, आवास-बस्तियाँ, बाज़ार, प्रशासनिक कार्यालय, शिक्षण संस्थाएँ, अस्पताल इत्यादि विभिन्न तरह की जानकारियाँ चिह्नित की जाती थीं। निःसंदेह ऐसे मानचित्र औपनिवेशिक शहरों को समझाने के लिए काफी महत्त्वपूर्ण हैं।

प्रश्न 13.
जनगणना आँकड़ों से क्या-क्या जानकारियाँ प्राप्त होती हैं?
उत्तर:
जनगणना आँकड़ों से निम्नलिखित जानकारियाँ प्राप्त होती हैं

  1. जनसंख्या आँकड़ों से लोगों के व्यवसायों के अनुरूप जानकारी प्राप्त होती है।
  2. इनसे आयु, लिंग व जाति संबंधी उपलब्ध सूचनाएँ सामाजिक इतिहास लेखन की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं।
  3. औपनिवेशिक शहरों में ‘श्वेत’ व ‘अश्वेत’ लोगों की संख्या का पता लगाया जा सकता है।
  4. शहरी लोगों के जीवन-स्तर, विभिन्न बीमारियों के दुष्प्रभावों तथा उनसे प्राप्त होने वाले स्रोतों के आँकड़े मिल सकते हैं।

प्रश्न 14.
बंबई अंग्रेजों को कैसे प्राप्त हुई?
उत्तर:
बंबई सात टापुओं पर बसा हुआ था जो पुर्तगालियों के अधीन था। पुर्तगाली राजकुमारी का विवाह ब्रिटेन के राजा के साथ हुआ और बंबई उसे दहेज में मिला। बाद में राजा ने बंबई ईस्ट इण्डिया कंपनी को किराए पर दे दिया।

प्रश्न 15.
अधिकांश लोग जनगणना अधिकारियों को संदेह की दृष्टि से क्यों देखते थे?
उत्तर:
जनगणना अधिकारियों को प्रायः लोग संदेह की दृष्टि से देखते थे। उन्हें लगता था कि कोई नया टैक्स लगाने के लिए अधिकारी जानकारी इकट्ठी कर रहे हैं। कुछ लोग अपने घर की औरतों के बारे में जानकारी देना पसंद नहीं करते थे।

प्रश्न 16.
जनगणना के आँकड़ों की जाँच से औपनिवेशिक शहरों की क्या जानकारी सामने आती है?
उत्तर:
जनगणना आँकड़े ये बताते हैं कि 19वीं सदी व 20वीं सदी के मध्य तक शहरीकरण अत्यधिक धीमा और लगभग स्थिर जैसा रहा। परंपरागत शहरों का पतन हुआ लेकिन अंग्रेज़ों के राजनीतिक नियंत्रण के फलस्वरूप और आर्थिक नीतियों के कारण कलकत्ता, मद्रास व बंबई का विकास तेजी से हुआ। बंदरगाह नगर कुछ ही वर्षों में विशाल शहर बन गए।

प्रश्न 17.
सिविल लाइंस क्या थी? इसकी दो विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
सिविल लाइंस नए शहरी इलाके थे जहाँ गोरे लोगों को बसाया जाता था। यहाँ का प्रबंध भी गोरों के हाथों में ही होता था। अक्सर यहाँ सैनिक अधिकारियों के लिए बंगले बनाए जाते थे। 1857 ई० के विद्रोह के बाद सुरक्षा की दृष्टि से दो सिविल लाइंस बनाई गईं।

प्रश्न 18.
हिल स्टेशन बनाने के आरंभिक उद्देश्य क्या थे?
उत्तर:
अंग्रेज़ों ने सेना की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए हिल स्टेशनों की स्थापना की। ये सैनिकों को ठहराने, सीमा की निगरानी करने तथा शत्रु पर हमला करने के लिए महत्त्वपूर्ण स्थान थे।

प्रश्न 19.
हिल स्टेशन औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था के लिए किस प्रकार महत्त्वपूर्ण थे?
उत्तर:
पर्वतीय स्थल केवल पर्यटन की दृष्टि से ही अंग्रेज़ों के लिए महत्त्वपूर्ण नहीं थे, बल्कि उनकी अर्थव्यवस्था के लिए बड़े महत्त्वपूर्ण थे। पर्वतीय ढलानों पर चाय, कॉफी के बागानों का विकास किया गया। इन बागानों के मालिक गोरे लोग थे। 19वीं सदी के मध्य से चाय बागान उद्योग की शुरुआत हुई थी। जल्दी ही यह उद्योग भारत का सबसे बड़ा बागान उद्योग बन चुका था। भारत संसार का सबसे बड़ा चाय उत्पादक व निर्यातक देश बन गया। 1940 ई० तक भारत में पैदा होने वाली चाय का 8 प्रतिशत निर्यात होने लगा। इसी तरह कॉफी व अन्य पर्वतीय बागान भी अंग्रेजों के लिए विशाल मुनाफे का आधार बन गए।

प्रश्न 20.
कलकत्ता को आधुनिक बनाने के लिए कंपनी सरकार ने कौन-से सुधार लागू किए?
उत्तर:
कलकत्ता को आधुनिक बनाने के लिए कंपनी सरकार ने निम्नलिखित सुधार लागू किए

  1. कंपनी सरकार ने गंदे जल की निकासी के लिए भूमिगत नालियों का प्रबंध किया।
  2. शहर में रोशनी का उचित प्रबंध किया गया।
  3. कलकत्ता निवासियों के पीने के लिए स्वच्छ जल का प्रबंध किया।
  4. शहर की सफाई की देखभाल के लिए तीन कमिश्नरों को नियुक्त किया।

प्रश्न 21.
विनोदिनी दासी की आत्मकथा का क्या नाम था? इसकी रचना कब की गई?
उत्तर:
विनोदिनी दासी ने 1910 ई० से 1913 ई० के बीच अपनी आत्मकथा ‘आमार कथा’ की रचना की। यह एक प्रभावशाली व्यक्तित्व वाली महिला थी। विनोदिनी दासी की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण विशेषता थी कि उन्होंने अभिनेत्री, संस्था निर्माता एवं लेखिका के तौर पर अनेक भूमिकाओं को एक-साथ कुशलतापूर्वक निभाया। उन्होंने 1883 ई० में स्टार थियेटर कलकत्ता की स्थापना की। परन्तु तत्कालीन पितृसत्तात्मक समाज ने सार्वजनिक क्षेत्र में उनकी उपस्थिति की प्रशंसा नहीं की।

HBSE 12th Class history Important Questions Chapter 12 औपनिवेशिक शहर : नगर-योजना, स्थापत्य

प्रश्न 22.
लॉर्ड वेलेज़्ली ने 1803 ई० के प्रशासकीय आदेश में क्या आदेश जारी किया?
उत्तर:
वेलेज़्ली ने अपने कलकत्ता मिनट्स में लिखा, “यह सरकार की बुनियादी जिम्मेदारी है कि वह इस विशाल नगर में सड़कों, नालियों और जल-मार्गों में सुधार की एक सम्पूर्ण व्यवस्था बनाकर तथा इमारतों व सार्वजनिक भवनों के निर्माण व प्रसार के बारे में स्थायी नियम बनाकर और हर तरह की गड़बड़ियों को नियंत्रित कर यहाँ के निवासियों को स्वास्थ्य, सुरक्षा और सुविधा उपलब्ध करवाए।”

प्रश्न 23.
लॉटरी कमेटी ने कलकत्ता के पूर्ण विकास के लिए क्या कार्य किए?
उत्तर:
लॉटरी कमेटी ने कलकत्ता के पूर्ण विकास के लिए एक नया नक्शा तैयार करवाया। कमेटी ने शहर के भारतीय आबादी वाले भाग में सड़क का निर्माण करवाया, नदी के किनारों से अवैध कब्जों को हटवाया, भारतीय भाग वाले हिस्से को साफ-सुथरा बनाने के लिए अनेक झोंपड़ियों को हटाकर गरीब मजदूरों को वहाँ से निकाल दिया। हाँ, मज़दूरों को बसाने के लिए कलकत्ता के बाहरी किनारे पर स्थान दे दिया गया।

प्रश्न 24.
अंग्रेज़ों ने भारत में यूरोपीय स्थापत्य शैलियों को क्यों अपनाया?
उत्तर:
अंग्रेज़ों ने भारत में यूरोपीय स्थापत्य शैलियों को निम्नलिखित कारणों से अपनाया

(1) अंग्रेज़ भारत में बाहर से आए थे। वे यूरोपीय स्थापत्य शैली अपनाकर एक जाना-पहचाना-सा भू-दृश्य बना देना चाहते थे, ताकि विदेश में या उपनिवेश में रहते हुए भी घर जैसा महसूस कर सकें।

(2) यूरोपीय शैली को अपनाकर अंग्रेज भारत में अपनी श्रेष्ठता दिखाना चाहते थे। वस्तुतः यह उनके भारत पर अधिकार और सत्ता का प्रतीक भी थी।

(3) अंग्रेज़ों की सोच यह भी थी कि यूरोपीय शैली की इमारतों से उनमें और भारतीय प्रजा के बीच फर्क व फासला साफ दिखाई देगा। वस्तुतः इस माध्यम से अपनी उच्चता की भावना और भारतीय प्रजा के निम्नता के स्तर को साफ तौर पर उजागर करना चाहते थे।

प्रश्न 25.
अंग्रेज़ों द्वारा भारत में नवशास्त्रीय शैली अपनाने के क्या कारण थे?
उत्तर:
इस शैली के माध्यम से अंग्रेज़ रोम की भव्यता के समान साम्राज्यीय भारत (Imperial India) के वैभव को दिखाने के लिए प्रयोग करना चाहते थे। इस शैली के तहत बड़े-बड़े स्तम्भों का निर्माण रेखा-गणितीय संरचनाओं के आधार पर किया जाता औपनिवेशिक शहर : नगरीकरण, नगर-योजना और स्थापत्य था। इस शैली को भारत के उष्ण-कटिबंधीय जलवायु के अनुकूल भी माना गया। बम्बई का टाउन हॉल (1833 ई०) इसी शैली के आधार पर बनाया गया। बहुत सारी व्यावसायिक इमारतें भी इस आधार पर बनाई गईं। इन इमारतों में एल्फिस्टन सर्कल की इमारतें मुख्य थीं।

प्रश्न 26.
स्थापत्य शैलियाँ व इमारतें इतिहास लेखन में बहुत महत्त्वपूर्ण हैं, कैसे? दो कारण बताओ।
उत्तर:
1. सौंदर्य आदर्शों की अनुभूति-स्थापत्य शैलियों और इमारतों से तात्कालिक सौंदर्यात्मक आदर्शों की अनुभूति होती है। औपनिवेशिक शासक अपने इस सौंदर्यात्मक आदर्शों के माध्यम से भी अपनी श्रेष्ठता की भावना को व्यक्त करते थे।

2. सत्ता प्रभुत्व की अभिव्यक्ति इमारतों में प्रभुत्व की भावना भी निहित होती है। यह हमें उन लोगों की सोच व दृष्टि के बारे में बताती है जो उन्हें बनाने वाले थे। उदाहरण के लिए, जैसा कि हमने देखा, औपनिवेशिक इमारतों में नस्ली भेदभाव स्पष्ट झलकता है।

3. नई स्थापत्य शैलियों का विकास-पश्चिमी स्थापत्य शैलियों से प्रभावित होकर बहुत-से सम्पन्न भारतीयों ने अपने भवनों के निर्माण में यूरोपीय शैलियों को अपनाया। वे उन्हें आधुनिकता और सभ्यता का प्रतीक समझने लगे थे।

प्रश्न 27.
‘व्हाइट टाउन’ शब्द का क्या महत्त्व था?
उत्तर:
अंग्रेज़ों ने अनेक शहरों में अपने रहने के स्थानों की किलेबंदी की। इन किलों में अधिकतर यूरोपीय लोग रहते थे। इसलिए इस क्षेत्र को ‘व्हाइट टाउन’ कहा गया। ये अंग्रेज़ों के नस्ली भेद-भाव की सोच को स्पष्ट करते हैं। भारतीय लोग इन बस्तियों में नहीं रह सकते थे।

प्रश्न 28.
‘गंज’ से क्या अभिप्राय था?
उत्तर:
मुगल काल में कस्बे के स्थायी बाजार व छोटे से बाजार को ‘गंज’ कहा जाता था। यह बाजार विशिष्ट परिवारों एवं सेना के लिए कपड़ा, फल, सब्जी तथा दूध इत्यादि सामग्री उपलब्ध करवाता था।

प्रश्न 29.
औपनिवेशिक शहरों की सामान्य विशेषता क्या थी?
उत्तर:
बम्बई, मद्रास व कलकत्ता तीनों औपनिवेशिक शहरों में अंग्रेज़ों ने अपने व्यापारिक व प्रशासनिक कार्यालय स्थापित किए। तीनों शहर बंदरगाह नगर विकसित हुए।

प्रश्न 30.
मद्रास में अंग्रेज़ों ने अपना प्रभाव कैसे स्थापित किया?
उत्तर:
1611 ई० में अंग्रेज़ों ने मसुलीपट्टम में अपनी फैक्ट्री स्थापित की। 1639 ई० में मद्रासपट्टम नामक स्थान पर एक व्यापारिक बस्ती बनाई। अंग्रेज़ों ने इस स्थान पर बसने का अधिकार स्थानीय तेलुगू सामंतों से खरीदा।

प्रश्न 31.
शहरी जीवन पर नियंत्रण रखने के लिए अंग्रेज़ कौन-कौन से कार्य करते थे?
उत्तर:
शहरी जीवन की गति व दिशा पर नज़र रखने के लिए अंग्रेज़ नियमित रूप से शहर का सर्वेक्षण, सांख्यिकी आँकड़े इकट्ठे करना तथा शहर के मानचित्र या नक्शे तैयार करवाते थे। इन गतिविधियों के माध्यम से वे शहरी जीवन पर अपना नियंत्रण रखते थे।

प्रश्न 32.
‘गेट वे ऑफ इंडिया’ का निर्माण कब व क्यों किया गया?
उत्तर:
1911 ई० में जॉर्ज पंचम व उनकी पत्नी मैरी के स्वागत में ‘गेट वे ऑफ इंडिया’ का निर्माण किया गया।

प्रश्न 33.
औपनिवेशिक काल में विकसित हुए पर्वतीय स्थानों के नाम लिखें।
उत्तर:
शिमला, माउंटआबू, दार्जिलिंग तथा मनाली इत्यादि पर्वतीय स्थान विकसित हुए। इनका आरंभिक उद्देश्य ब्रिटिश सेना की जरूरतों को पूरा करना था।

प्रश्न 34.
‘इण्डो-सारासेनिक’ के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
इण्डो-सारासेनिक स्थापत्य शैली में भारतीय व यूरोपीय दोनों शैलियों का सम्मिश्रण है।

प्रश्न 35.
नियोक्लासिक (नवशास्त्रीय) शैली क्या थी? बम्बई में बनी इसी शैली की कुछ इमारतों के नाम बताएँ।
उत्तर:
नियोक्लासिक शैली में बड़े-बड़े स्तंभों के पीछे रेखागणितीय संरचनाओं का निर्माण किया जाता था। इस शैली में बम्बई में टाउन हॉल एवं एल्फिस्टन सर्कल आदि का निर्माण हुआ।

प्रश्न 36.
स्वेज नहर को कब खोला गया? बम्बई पर इसका क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:
1869 ई० में स्वेज़ नहर को खोला गया। स्वेज़ नहर ने लाल सागर व भूमध्य सागर को मिला दिया जिससे भारत से यूरोप के बीच जलमार्ग की दूरी कम हो गई और बम्बई बंदरगाह से व्यापार में वृद्धि हुई।

प्रश्न 37.
औपनिवेशिक काल में अपनाई गई स्थापत्य शैलियों के नाम लिखें।
उत्तर:
औपनिवेशिक काल में नियोक्लासिक (नवशास्त्रीय), नवगॉथिक व इण्डो-सारासेनिक स्थापत्य शैलियों में इमारतें बनीं।

प्रश्न 38.
वेल्लालार कौन थे?
उत्तर:
वेल्लालार मद्रास की एक स्थानीय ग्रामीण जाति थी। आरंभ में ईस्ट इंडिया कंपनी की नौकरी पाने वालों में इनकी प्रमुख भूमिका थी।

प्रश्न 39.
कलकत्ता में ‘गवर्नमैंट हाउस’ का निर्माण कब व किसने करवाया?
उत्तर:
कलकत्ता में 1803 ई० में लॉर्ड वेलेज्ली ने गवर्नमेंट हाउस का निर्माण करवाया। यह ब्रिटिश सत्ता का प्रतीक था।

प्रश्न 40.
बम्बई के विक्टोरिया टर्मिनस के निर्माण में किस स्थापत्य शैली का प्रयोग किया गया?
उत्तर:
विक्टोरिया टर्मिनस के निर्माण में नव-गॉथिक शैली का प्रयोग किया गया। यह ग्रेट इंडियन पेनिन्स्युलर रेलवे कंपनी का स्टेशन और मुख्यालय हुआ करता था।

प्रश्न 41.
ईस्ट इंडिया कंपनी ने फोर्ट विलियम की स्थापना कहाँ की? इसकी प्रमुख विशेषता लिखो।
उत्तर:
फोर्ट विलियम किला कलकत्ता में बनवाया गया। इसके चारों ओर सुरक्षा की दृष्टि से एक विशाल खाली मैदान छोड़ा गया, जिसे स्थानीय भाषा में ‘गेरार मठ’ कहा जाता है।

लघु-उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
छोटे शहर या कस्बे गाँवों से किस प्रकार भिन्न थे?
उत्तर:
कस्बे एक छोटे शहर के रूप में गाँव से अलग होते थे। मुगल काल में कस्बा सामान्यतया किसी स्थानीय विशिष्ट व्यक्ति का केंद्र होता था। इसमें एक छोटा स्थायी बाज़ार होता था, जिसे गंज कहते थे। यह बाजार विशिष्ट परिवारों एवं सेना के लिए कपड़ा, फल, सब्जी तथा दूध इत्यादि सामग्री उपलब्ध करवाता था। गाँवों में रहने वाले लोगों का जीवन-निर्वाह मुख्यतः कृषि, पशुपालन और जंगल पर निर्भर था। दूसरी ओर, शहरी लोगों के आजीविका के साधन अलग थे। उनकी जीवन-शैली गाँव से अलग थी। शहरों में मुख्य तौर पर शासक, प्रशासक तथा शिल्पकार व व्यापारी रहते थे। शहरी शिल्पकार किसी विशिष्ट कला में निपुण होते थे, क्योंकि वे प्रायः संपन्न और सत्ताधारी वर्गों की जरूरतों को पूरा करते थे। शहर में रहने वाले सभी लोगों के लिए खाद्यान्न सदैव गाँव से ही आता था।

प्रश्न 2.
औपनिवेशिक काल से पहले शहर व गाँव में संबंध स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
शहर और गाँव पूर्ण रूप से पृथक् नहीं थे। उनमें संबंध रहते थे। शहर के लोगों के लिए अनाज गाँव से ही आता था। किसान अपने उत्पाद या तो नकद भूमि कर चुकाने के लिए व्यापारियों को बेचते थे या फिर फसल के हिस्से के रूप में देते थे। दोनों ही रूपों में उनके उत्पादन का एक भाग शहरों की ओर बहता था। प्रायः यह बहाव एक तरफा ही रहता था। शहर से गाँव की ओर धन व वस्तुओं का बहाव बहुत ही कम था, तथापि फेरी वाले और कुछ छोटे व्यापारी कस्बों से सामान गाँवों में बेचने के लिए जाते थे। इससे बाजार का विस्तार और उपभोग की नई शैलियों का सृजन होता था।

ग्रामीण लोगों का शहरों से संपर्क कई तरीकों से रहता था। शहरों में भी ग्रामीण लोगों का आना-जाना बना रहता था। अकाल आदि के समय प्रायः लोग जीवित रहने की उम्मीद में शहर की ओर आते थे। कई बार आक्रमणों के समय भी सुरक्षा के लिए गाँव के लोग शहरों में शरण लेते थे। तीर्थ यात्रा भी ग्रामीण लोगों का संबंध शहरों से जोड़ती थी। तीर्थ यात्री बहुत-से शहरों और कस्बों से गुजरते हुए जाते थे।

प्रश्न 3.
भारत में 16वीं और 11वीं सदी के शहर की आंतरिक व्यवस्था पर प्रकाश डालें।
उत्तर:
16वीं तथा 17वीं शताब्दी के मध्यकालीन शहर औपनिवेशिक शहरों से भिन्न थे। इन शहरों में मुगल सत्ताधारी वर्ग का वर्चस्व होता था। प्रशासकों और अमीरों के साथ-साथ बड़ी संख्या में उनकी सेना रहती थी। अतः इन लोगों के लिए कुछ विशिष्ट सेवाओं की जरूरत पड़ती थी। शिल्पकार अमीर वर्ग के लिए विशिष्ट हस्तशिल्प तैयार करते थे। शहरों में रहने वाले प्रत्येक वर्ग, जाति व समुदाय से यह अपेक्षा रहती थी कि हर व्यक्ति अपने स्थान व कर्तव्य को समझे और उसके अनुरूप कार्य करे।

शहर की सामाजिक व वैधानिक व्यवस्था को बनाए रखने का काम शहर के कोतवाल का होता था। शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए उसके पास एक सैनिक टुकड़ी होती थी। जरूरत पड़ने पर वह फौज़दार (मुगल सैन्य अधिकारी) से भी सैनिक सहायता प्राप्त कर सकता था।

शहर में शांति व्यवस्था बनाए रखने के अतिरिक्त कोतवाल सामाजिक-नैतिक और व्यावसायिक गतिविधियों पर भी नज़र रखता था। वह शहर में जल-आपूर्ति की देखभाल करता था। वह जन्म-मृत्यु संबंधी शहर का रिकॉर्ड रखता था। वह माप-तोल की व्यवस्था का भी निरीक्षण करता था। इसके अतिरिक्त वह शहर में आने-जाने वाले लोगों पर नज़र रखता था।
स्पष्ट है कि मुगल सत्ता की शहर की आंतरिक व्यवस्था को बनाए रखने में वह एक महत्त्वपूर्ण प्रतिनिधि था।

प्रश्न 4.
औपनिवेशिक काल में शहरों की जाँच-पड़ताल में जनगणना के आँकड़े किस सीमा तक उपयोगी सिद्ध हो सकते हैं? स्पष्ट करें।
उत्तर:
सन् 1872 में भारत में अंग्रेज़ सरकार ने पहली अखिल भारतीय जनगणना करवाने का प्रयास किया। तत्पश्चात् सन् 1881 से हर दस साल के बाद दशकीय जनगणना करवाई जाती रही। जनगणना के ये आँकड़े शहरीकरण अथवा उसके रुझानों को समझने के लिए महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं। इनसे निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है

  1. इनसे लोगों के व्यवसायों के अनुरूप जानकारी प्राप्त होती है।
  2. इनसे आयु, लिंग व जाति संबंधी उपलब्ध सूचनाएँ सामाजिक इतिहास लेखन की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं।
  3. शहरी लोगों के जीवन-स्तर, विभिन्न बीमारियों के दुष्प्रभावों तथा उनसे प्राप्त होने वाले स्रोतों के आँकड़े मिल सकते हैं।

इस प्रकार जनसंख्या के आँकड़ों से हमें महत्त्वपूर्ण जानकारियाँ मिल सकती हैं, लेकिन कई बार सटीकता का भ्रम पैदा हो जाता है अर्थात् लगता है कि ये सभी आँकड़े शहर की बिल्कुल सटीक जानकारी उपलब्ध करवा रहे हैं। यहाँ इस बात को ध्यान में रखना चाहिए कि उपलब्ध आँकड़े में भी गलती की संभावना होती है। अतः इतिहासकार को पता लगाना चाहिए कि आँकड़े क्यों और किसने उपलब्ध करवाए हैं। साथ ही उसे जनगणना के तरीके को भी समझना चाहिए।

HBSE 12th Class history Important Questions Chapter 12 औपनिवेशिक शहर : नगर-योजना, स्थापत्य

प्रश्न 5.
ब्रिटिश अधिकारियों ने शहरों व देहातों के मानचित्र बनाने पर जोर क्यों दिया?
उत्तर:
ब्रिटिश अधिकारी यह मानते थे कि किसी स्थान की बनावट व भू-दृश्य को समझने के लिए मानचित्र आवश्यक होते हैं। इसके लिए कंपनी की सेवा में मानचित्र विशेषज्ञ नियुक्त किए जाते थे। वो वैज्ञानिक औजारों की सहायता से बड़ी सावधानीपूर्वक मानचित्र तैयार करते थे। भारत में ब्रिटिश सरकार द्वारा सन् 1878 में लॉर्ड लिटन (गवर्नर-जनरल) के काल में सर्वे ऑफ इण्डिया’ (Survey of India) की स्थापना की गई। बढ़ते हुए शहरों की विकास योजना तैयार करने तथा व्यापारिक संभावनों का पता लगाने के लिए भी अंग्रेज़ शासकों के लिए मानचित्र महत्त्वपूर्ण थे।

इन मानचित्रों में घाट, तालाब, हरियाली के स्थान, नदी-नाले, आवास-बस्तियाँ, बाज़ार, प्रशासनिक कार्यालय, शिक्षण संस्थाएँ, अस्पताल इत्यादि विभिन्न तरह की जानकारियाँ चिह्नित की जाती थीं। निःसंदेह ऐसे मानचित्र औपनिवेशिक शहरों को समझाने के लिए काफी महत्त्वपूर्ण हैं। लेकिन साथ ही हमें ब्रिटिश शासकों की सोच में भेदभाव की नीति भी स्पष्ट हो जाती है। उदाहरण के लिए शहर में गरीब बस्तियों को चिह्नित ही नहीं किया जाता था, क्योंकि शासकों के लिए उनका महत्त्व ही नहीं था।

प्रश्न 6.
औपनिवेशिक शहरों के उदय पर प्रकाश डालें।
उत्तर:
अंग्रेज़ों के राजनीतिक नियंत्रण और आर्थिक नीतियों के चलते कलकत्ता, बम्बई और मद्रास जैसे नए शहरों का उदय हुआ। कुछ वर्षों में ही ये विशाल शहर बन गए। ये शहर शुरु में भारतीय सूती कपड़े, मसाले व अन्य निर्यात उत्पादों के संग्रह डिपो थे। अर्थात् इन बंदरगाह नगरों पर बने गोदामों में भारत के विभिन्न भागों से निर्यात-उत्पादों को लाकर एकत्रित किया जाता था ताकि उन्हें ब्रिटेन भेजा जा सके। इंग्लैंड में हुई औद्योगिक क्रांति ने व्यापार के इस प्रवाह को बदल दिया। अब भारत कच्चे माल का निर्यातक व पक्के माल का आयातक देश बन गया। अर्थात् भारत से रूई, जूट, खाल आदि वस्तुओं का निर्यात होने लगा और ब्रिटेन से कपड़ा भारत में आयात होने लगा।

व्यापार के इस नए प्रवाह के कारण कलकत्ता, बम्बई व मद्रास जैसे शहरों में ब्रिटेन में बनी वस्तुएँ उतरने लगी और वे रेलवे के माध्यम से देश के विभिन्न अंचलों में पहुंचने लगीं। दूसरी ओर, कच्चा माल और अनाज अब इन बंदरगाह शहरों की ओर बहने लगा। इसी प्रकार रेलवे स्टेशनों के आस-पास शहर बने। पर्वतीय क्षेत्र में हिल स्टेशन विकसित हुए।

प्रश्न 7.
भारत में शहरों को रेलवे नेटवर्क’ ने किस प्रकार प्रभावित किया?
उत्तर:
भारत में पहली बार 1853 ई० में रेलगाड़ी बम्बई से ठाणे के बीच चलाई गई। इसके बाद तेजी से रेलवे नेटवर्क का विस्तार किया गया। 19वीं सदी के 7वें दशक में कुल 1300 किलोमीटर रेलमार्ग थे जो 1905 तक बढ़कर 45000 किलोमीटर हो गया था। रेलवे नेटवर्क के इस विस्तार ने भारत में बहुत-से शहरों की कायापलट कर दी। अनाज तथा कपास व जूट इत्यादि कच्चे माल को रेलगाड़ी बंदरगाह नगरों तक लाने लगी। इंग्लैंड से आयातित तैयार माल को दूर-दराज के प्रदेशों तक पहुँचाने लगी। इस

हरेक रेलवे स्टेशन ‘मंडी’ (छोटा बाजार) बनने लगा था। वो आयातित वस्तुओं के वितरण तथा कच्चे माल के संग्रह केंद्र बन गए। इसके परिणामस्वरूप नदियों के किनारे बसे तथा पुराने मार्गों पर पड़ने वाले शहरों का महत्त्व कम होता गया। रेल के कारण आर्थिक गतिविधियों का केंद्र पुराने शहरों से दूर होता गया जो उनके पतन का कारण था। उदाहरण के लिए गंगा के किनारे पर स्थित मिर्जापुर पहले कपास और सूती वस्त्रों के संग्रह का केंद्र होता था परंतु ‘रेलवे नेटवर्क’ के बाद यह शहर अपनी पहचान खोने लगा था।
रेलवे विस्तार के साथ रेलवे कॉलोनियाँ और लोको (रेलवे वर्कशॉप) स्थापित हुए। इससे भी कई नए रेलवे शहर, जैसे कि बरेली, जमालपुर, वाल्टेयर आदि अस्तित्व में आए। पहाड़ी क्षेत्रों में रेल जाने से पर्वतीय पर्यटन शहरों का उदय हुआ।

प्रश्न 8.
भारतीय उद्योगों के प्रति औपनिवेशिक सरकार के दृष्टिकोण को स्पष्ट करें।
उत्तर:
(1) ब्रिटिश सरकार ने नवोदित भारतीय उद्योगों की कोई आर्थिक सहायता नहीं की। उधर बैंकों, वित्तीय कंपनियों तथा बीमा कंपनियों में विदेशी पूँजी का नियंत्रण होने के कारण भारतीय उद्योगपतियों को अंग्रेज़ उद्योगपतियों की तुलना में ऊँची दर पर ब्याज का भुगतान करना पड़ता था।

(2) सरकार की ओर से नवोदित भारतीय उद्योगों को कोई सहायता एवं संरक्षण नहीं मिला। बिना सरकारी संरक्षण के किसी भी देश में औद्योगीकरण संभव नहीं हुआ था।

(3) भारतीय उद्योगपतियों को सहायता पहुँचाने की अपेक्षा सरकार ने विदेशी प्रतियोगियों की सहायता करके भारतीय उद्योग को हानि पहुँचाई। उदाहरण के लिए, रेल के भाड़ों में भेदभाव रखा गया। आंतरिक रेलमार्गों पर माल भाड़े की दर अधिक रखी गई थी।

(4) मुक्त व्यापार नीति (Free Trade Policy) से भी भारत में नवोदित उद्योगों को क्षति पहुँची। उन्हें सरकार की ओर से कोई सहारा भी नहीं मिला।

(5) ब्रिटिश सरकार ने भारत में तकनीकी शिक्षा तथा आधारभूत उद्योगों (इस्पात, मशीन निर्माण, रसायन, तेल और धातु कर्म आदि) को निरुत्साहित किया। परिणामस्वरूप भारतीय उद्योगपतियों को मशीनों के लिए विकसित पूँजीपति देशों पर निर्भर होना पड़ता था। कुशल इंजीनियरों एवं विशेषज्ञों के लिए भी भारतीयों को विकसित देशों पर ही निर्भर रहना पड़ता था।

प्रश्न 9.
सन् 1857 के विद्रोह ने शहरी परिवेश को कैसे प्रभावित किया?
उत्तर:
सन् 1857 के जन-विद्रोह ने भारत में शहरी परिवेश को प्रभावित किया। 1857 के विद्रोह से अंग्रेज़ आतंकित हो गए थे। उन्हें सदैव विद्रोह की आशंका दिखती थी। इसलिए उन्होंने भविष्य में विद्रोह की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए ‘देशियों’ यानी भारतीयों से अलग दूर सुरक्षित बस्तियों में रहने की नीति अपनाई। इस दृष्टि से उन्होंने शहरों की बनावट में निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण परिवर्तन किए
(1) पुराने शहरों अथवा कस्बों के साथ लगते खेतों और चरागाहों को साफ करवाकर नए शहरी क्षेत्र विकसित किए गए। इन्हें ‘सिविल लाइंस’ का नाम दिया गया।

(2) “सिविल लाइंस’ में केवल गोरे लोग निवास करते थे।

(3) सैनिक छावनियों का निर्माण व्यवस्थित तरीके से सुरक्षित स्थानों के रूप में किया गया। इनमें बड़े-बड़े बगीचों में विशाल बंगले, बैरकें, परेड मैदान तथा चर्च आदि बनवाए गए।

(4) छावनियों में कमान ‘गोरे’ अधिकारियों को सौंपी गई। इस प्रकार ये छावनियाँ यूरोपियों के लिए सुरक्षित आश्रय-स्थल शहरी जीवन के मॉडल भी थे।

प्रश्न 10.
औपनिवेशिक काल में पर्वतीय शहर क्यों विकसित हुए?
उत्तर:
पर्वतीय शहर शुरु में सैनिक छावनियाँ बनीं, फिर अधिकारियों के आवास-स्थल और अन्ततः पर्वतीय पर्यटन स्थलों के तौर पर विकसित हुए। प्रारंभ में इनकी स्थापना और बसावट ब्रिटिश सेना की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए की गई थी। इन पर्वतीय शहरों का रणनीतिक दृष्टि से काफी महत्त्व था। विशेषतया यूरोपीय अधिकारियों व सैनिकों को ठहराने, सीमा की सुरक्षा करने तथा शत्रु पर आक्रमण करने के लिए इन शहरों का उपयोग किया गया। धीरे-धीरे ये पर्वतीय शहर ऐसे स्थान बन गए जहाँ सैनिकों को आराम व चिकित्सा के लिए भेजा जाने लगा। वास्तविकता यह थी कि अंग्रेज़ों का ध्यान सेना की सुरक्षा पर था। सैनिकों को बीमारियों से बचाने के लिए पर्वतीय शहरों को भी एक तरह से नई छावनियों के तौर पर ही विकसित किया गया।

पहाड़ी शहरों की जलवायु स्वास्थ्यवर्द्धक थी। इसलिए गर्मियों के दिनों में अंग्रेज़ अपनी राजधानी शिमला बनाते थे। सन् 1864 में गवर्नर-जनरल जॉन लारेंस ने स्थायी रूप से अपने काउंसिल कार्यालय को शिमला में स्थापित कर लिया था। प्रधान सेनापति का आवास भी यहीं बनाया गया। इसके अतिरिक्त अन्य बहुत-से अंग्रेज़ व यूरोपीय अधिकारियों ने अपने निवास स्थल पर्वतीय शहरों पर बनाने शुरु किए। स्पष्ट है कि पर्वतीय शहरों में गोरे लोगों को पश्चिमी सांस्कृतिक जीवन जीने का अवसर मिला। रेलवे नेटवर्क से जोड़ दिए जाने पर ये शहर सम्पन्न वर्गीय भारतीयों के लिए भी महत्त्वपूर्ण हो गए। महाराजा, नवाब, व्यापारी तथा अन्य मध्यवर्गीय लोग इन पर्वतीय शहरों पर पर्यटन के लिए जाने लगे।

प्रश्न 11.
स्थापत्य शैलियाँ ऐतिहासिक दृष्टि से किस प्रकार महत्त्वपूर्ण हैं?
उत्तर:
स्थापत्य शैलियाँ अथवा इमारतें हमारे विचारों को आकार देने में सहायक होती हैं। इतिहास लेखन में इनका बहुत महत्त्व है। इनसे निम्नलिखित बातों का पता चलता है

1. सौंदर्य आदर्शों की अनुभूति स्थापत्य शैलियों और इमारतों से तात्कालिक सौंदर्यात्मक आदर्शों की अनुभूति होती है। औपनिवेशिक शासक अपने इस सौंदर्यात्मक आदर्शों के माध्यम से भी अपनी श्रेष्ठता की भावना को व्यक्त करते थे।

2. सत्ता प्रभुत्व की अभिव्यक्ति इमारतों में प्रभुत्व की भावना भी निहित होती है। यह हमें उन लोगों की सोच व दृष्टि के बारे में बताती हैं जो उन्हें बनाने वाले थे। इमारतों के माध्यम से सत्ता अपने प्रभुत्व का अहसास करवाती है।

3. नई स्थापत्य शैलियों का विकास-पश्चिमी स्थापत्य शैलियों से प्रभावित होकर बहुत-से सम्पन्न भारतीयों ने अपने भवनों के निर्माण में यूरोपीय शैलियों को अपनाया।

4. राष्ट्रीय व क्षेत्रीय पहचान-19वीं सदी के अन्त तक पहुँचते-पहुँचते औपनिवेशिक आदर्शों से अलग हमें राष्ट्रीय व क्षेत्रीयता की पहचान कराने वाली स्थापत्य शैलियों के दर्शन होने लगते हैं। यही वह समय था जब राष्ट्रीय विचारधारा भारत में अपना स्वरूप ग्रहण कर रही थी।

निष्कर्ष के तौर पर कहा जा सकता है कि हम उस युग की स्थापत्य शैलियों के माध्यम से राजनीतिक व सांस्कृतिक टकरावों को समझ सकते हैं।

प्रश्न 12.
औपनिवेशिक शहरों (नए शहरों) में सामाजिक जीवन कैसा था?
उत्तर:
नए शहरों का सामाजिक जीवन पहले के शहरों से बिल्कुल अलग था। शहरों में नए सामाजिक वर्ग सामने आ रहे थे

(1) शहरों में मध्यम वर्ग शिक्षक, वकील, डॉक्टर, इंजीनियर, क्लर्क तथा अकाउटेंट्स आदि थे। शहरों में मेहनतकश कामगारों का एक नया वर्ग उभर रहा था।

(2) यातायात के साधन; जैसे घोड़ागाड़ी, ट्रामों और बसों के आने से लोगों का शहरों में आना-जाना आसान हो गया। घर से दफ्तर या फैक्ट्री जाना एक नए किस्म के अनुभव होने लगे। यातायात सुविधाओं के कारण लोग शहरों के केंद्र से दूर जाकर बस सकते थे।

(3) शहरों में औरतों के लिए भी नए अवसर थे। सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की उपस्थिति बढ़ने लगी थी, यद्यपि सार्वजनिक स्थानों पर औरतों का काम करना अच्छा नहीं मानते थे। उन पर कार्टूनों के माध्यम से व्यंग्य किए गए।

(4) शहरों में कामगार लोगों का जीवन आसान नहीं था। आजीविका की तालाश में लोग गाँवों से शहरों की ओर आ रहे थे। इनमें से अधिकांश पुरुष थे। शहरों में इनके लिए स्थायी नौकरियाँ नहीं थीं। इनके पास पर्याप्त बुनियादी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं थीं।

प्रश्न 13.
मद्रास शहर की बसावट में अंग्रेजों की जातीय श्रेष्ठता साफ झलकती है, कैसे? स्पष्ट करें।
उत्तर:
मद्रास शहर का विकास निःसन्देह अंग्रेजों की जातीय श्रेष्ठता को दर्शाता है
(1) मद्रास में अंग्रेज़ों ने फोर्ट सेंट जॉर्ज किले का निर्माण करवाया। इस किले में अधिकतर यूरोपीय लोग रहते थे। इसीलिए यह क्षेत्र व्हाइट टाउन के रूप में जाना गया।

(2) किले के भीतर रहने का आधार रंग और धर्म था। भारतीयों को इस क्षेत्र में रहने की अनुमति नहीं थी।

(3) यूरोपीय ईसाई होने के कारण पुर्तगालियों, डचों इत्यादि को व्हाइट टाउन में रहने की छूट थी।

(4) संख्या में कम.होते हुए भी अंग्रेज़ शासक थे। शहर का विकास भी इन्हीं लोगों की जरूरतों व सुविधाओं के अनुरूप ही किया जा रहा था।

(5) व्हाइट टाउन से बिल्कुल अलग ब्लैक टाउन बसाया गया, जो किला-क्षेत्र से दूर उत्तर दिशा में जाकर बसाया गया।

(6) ब्लैक टाउन पुराने भारतीय शहरों के समान ही था। इसमें मन्दिर और बाज़ार के आस-पास रिहायशी मकान बनाए गए थे। इसमें तंग और आड़ी-टेढ़ी गलियाँ थीं।

(7) अलग-अलग जातियों के लोग विशेष मोहल्लों में रहते थे।

प्रश्न 14.
बंगाल में अंग्रेज़ों ने अपने शासन के आरंभ में ही नगर-नियोजन के कार्य को अपने हाथों में क्यों ले लिया?
उत्तर:
बंगाल में अंग्रेज़ों द्वारा नगर-नियोजन का काम अपने हाथों में लेने के कारण इस प्रकार थे

(1) बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला ने 1765 ई० में कलकत्ता पर आक्रमण करके किले पर अधिकार कर लिया जिसे अंग्रेज़ माल गोदाम के रूप में प्रयोग करते थे। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अंग्रेज़ों ने फोर्ट विलियम का निर्माण करवाया और इसके इर्द-गिर्द एक विशाल खाली मैदान छोड़ा गया।

(2) लॉर्ड वेलेज़्ली ने 1803 ई० में गवर्नमेंट हाउस का निर्माण करवाया जो अंग्रेज़ी सत्ता का प्रतीक था। इसके अतिरिक्त भारतीय जनसंख्या वाले इलाके संकरी गलियों, गंदे तालाबों तथा जल-निकासी की खस्ता हालत के कारण स्वास्थ्य के लिए हानिकारक थे। वेलेज़्ली ने एक आदेश जारी किया जिसके अनुसार बाजारों, घाटों, कब्रिस्तानों एवं चर्मशोधन इकाइयों को शहर से हटा दिया गया। शहर के सफाई प्रबंध की ओर विशेष ध्यान दिया गया।

प्रश्न 15.
भारत के औपनिवेशिक शहर क्या सही अर्थों में औद्योगिक शहर’ बन सके? स्पष्ट करें।
उत्तर:
रेलवे नेटवर्क’ के माध्यम से भारत में आधुनिक औद्योगिक विकास के अंकुर फूटने लगे। इन शहरों में भारत के विभिन्न ग्रामीण अंचलों से कच्चा माल पहुँचता था। आजीविका की तलाश में कामगार लोग इन शहरों में आ रहे थे अर्थात् यहाँ कच्चा माल भी था और सस्ता श्रम भी उपलब्ध था। ऐसी स्थिति में भारतीय व्यापारियों व उद्यमियों ने कुछ उद्योग लगाने शुरू किए। उदाहरण के लिए, 1853 ई० में बम्बई में कावसजी नाना ने पहली सूती कपड़ा मिल लगाई। भारत में 1905 में 206 सूती कपड़े की मिलें थीं। कलकत्ता के आस-पास जूट मिलें लगाई गईं।

अंग्रेज़ी राज़ के दौरान भारत में औद्योगिक विकास की शुरुआत तो हुई, लेकिन यह विकास बहुत ही धीमा और सीमित रहा। पक्षपातपूर्ण संरक्षणवादी नीतियों ने औद्योगिक विकास को एक सीमा से आगे नहीं बढ़ने दिया। वास्तव में कलकत्ता, बम्बई व मद्रास जैसे विशाल शहर मैनचेस्टर या लंकाशायर ब्रिटिश औद्योगिक शहरों की तरह औद्योगिक नगर नहीं बन सके। इनमें रहने वाले अधिकांश मेहनत करने वाली आबादी औद्योगिक मजदूरों की नहीं थी, बल्कि उस श्रेणी में आती थी, जिसे अर्थशास्त्री तृतीयक क्षेत्र (Tertiary Sector) अर्थात् सेवा-क्षेत्र कहते हैं। इसी चरित्र के कारण इन्हें मुख्यतया औपनिवेशिक शहर कहा गया है।

प्रश्न 16.
भवन निर्माण की इंडो-सारासेनिक शैली के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
इण्डो शब्द भारतीय का परिचायक था। सारासेन शब्द का प्रयोग यूरोपीय लोगों द्वारा मुसलमानों के लिए किया जाता था। इण्डो-सारासेनिक शैली भारतीय और यूरोपीय स्थापत्य शैलियों के तत्त्वों का मिश्रण थी। यह शैली मध्यकालीन भारतीय इमारतों की निर्माण-शैली से प्रभावित थी। मध्यकालीन इमारतों के गुम्बदों, छतरियों, जालियों तथा मेहराबों ने विशेष रूप से अंग्रेज़ शासकों को आकर्षित किया।

इस शैली को अपनाकर अंग्रेज़ शासक स्वयं को भारत का वैध तथा स्वाभाविक शासक भी सिद्ध करना चाहते थे। 1911 ई० में इंग्लैण्ड का राजा जॉर्ज पंचम व उसकी पत्नी मैरी भारत में आए। इस अवसर पर उनके स्वागत के लिए ‘गेट वे ऑफ इण्डिया’ का निर्माण करवाया गया। यह परम्परागत गुज़राती शैली का बेहतर उदाहरण है। इसी समय में, जमशेदजी टाटा ने इस शैली में ताजमहल होटल बनवाया।
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प्रश्न 17.
नव-शास्त्रीय या नियोक्लासिकल शैली के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
नव-शास्त्रीय शैली का संबंध प्राचीन रोमन भवन-निर्माण शैली से था। अंग्रेज़ों ने इस शैली को विशेष तौर पर भारत के अनुकूल माना। इस शैली में बड़े-बड़े स्तम्भों का निर्माण रेखा-गणितीय संरचनाओं के आधार पर किया जाता था। भूमध्यसागरीय क्षेत्रों में पैदा हुई इस शैली को भारत के उष्ण-कटिबंधीय जलवायु के अनुकूल भी माना गया। बम्बई का टाउन हाल (1833 ई०) इसी शैली के आधार पर बनाया गया। बहुत सारी व्यावसायिक इमारतें भी इस आधार पर बनाई गईं। इन इमारतों में एल्फिस्टन सर्कल की इमारतें मुख्य थीं।
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दीर्घ-उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
औपनिवेशिक शहरों का स्वरूप किस प्रकार का था? वर्णन करें।
उत्तर:
16वीं व 17वीं सदी के शहरों की तुलना में इन शहरों की भौतिक संरचना, परिवेश और सामाजिक जीवन भिन्न था। यह अंग्रेज़ों की वाणिज्यिक संस्कृति को प्रतिबिम्बित कर रहे थे। इनमें आधुनिकता परिलक्षित हुई, कहने का अभिप्राय है कि ये आधुनिक औद्योगिक शहर नहीं बन पाए बल्कि औपनिवेशिक शहरों के तौर पर ही विकसित हुए उनका स्वरूप निम्नलिखित प्रकार से था-

1. किलेबंद बंदरगाह नगर (Fortified Port Cities)-नए शहरों में मद्रास, कलकत्ता और बम्बई सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण थे। इन्हें ‘प्रेजीडेंसी शहर’ भी कहा जाता था। इनका विकास ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की व्यापारिक गतिविधियों के चलते उपयोगी बंदरगाहों और संग्रह केंद्रों के रूप में हुआ। 18वीं सदी के अंत तक पहुँचते-पहुँचते ये बड़े नगरों के तौर पर सुस्थापित हो चुके थे। इनमें आकर बसने वाले अधिकांश भारतीय अंग्रेज़ों की वाणिज्यिक गतिविधियों में सहायक बनकर आजीविका कमाने वाले थे। विशेषतः वे निर्यात होने वाले उत्पादों के संग्रह में सहायक थे। बंदरगाह शहरों की बस्तियों में ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपने कारखाने’ यानी वाणिज्यिक कार्यालय स्थापित कर लिए थे।

यह व्यापारिक कंपनियों के बीच व्यापारिक मुनाफे के लिए प्रतिस्पर्धा का दौर था, जो कई बार तीखे संघर्षों में बदल जाती थी। इसलिए अंग्रेज़ों ने अपनी व्यापारिक बस्तियों व ‘कारखानों’ की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इनकी किलेबंदी करवाई। मद्रास में फोर्ट सेंट जॉर्ज, कलकत्ता में फोर्ट विलियम और इसी प्रकार बम्बई में भी दुर्ग बनवाया गया। इन किलों में वाणिज्यिक कार्यालय थे तथा ब्रिटिश लोगों के रहने के लिए निवास थे।

2. नगर संरचना में नस्ली भेदभाव (Racial Differentiation in Towns Structure)-अंग्रेज़ लोग, जैसा कि बताया गया है, दुर्गों के अंदर बनी बस्तियों में रहते थे। जबकि भारतीय व्यापारी, कारीगर और मज़दूर इन किलों से बाहर बनी अलग बस्तियों में रहते थे। अलग रहने की यह नीति शुरू से ही अपनाई गई थी। अंग्रेज़ों और भारतीयों के लिए अलग-अलग मकान (क्वार्टस) बनाए गए थे। सरकारी रिकॉर्डस में भारतीयों की बस्ती को ‘ब्लैक टाउन’ (काला शहर) तथा अंग्रेजों की बस्ती को ‘व्हाइट टाउन’ यानी गोरा शहर बताया गया है। इस प्रकार नए शहरों की संरचना में नस्ल आधारित भेदभाव शुरू से ही परिलक्षित हुआ। यह उस समय और भी तीखा हो गया जब अंग्रेज़ों का राजनीतिक नियंत्रण स्थापित हो गया।

3. सेवाओं के केंद्र (Centre of Tertiary Sector)-19वीं सदी में इंग्लैंड में हुई औद्योगिक क्रांति के साथ-साथ इन शहरों में नए बदलाव नज़र आए। रेलवे नेटवर्क’ के माध्यम से ये शहर भारत के दूर-दराज के अंचलों से जुड़ गए। धीरे-धीरे इनमें आधुनिक औद्योगिक विकास के अंकुर फूटने लगे। इन शहरों में भारत के विभिन्न ग्रामीण अंचलों से कच्चा माल पहुँचता था। आजीविका की तलाश में कामगार लोग इन शहरों में आ रहे थे अर्थात् यहाँ कच्चा माल भी था और मेहनत करने वाले लोग यानी सस्ता श्रम भी उपलब्ध था। अब उद्योग लगाने के लिए उद्यमी और पूँजी की जरूरत थी।

ऐसी स्थिति में उन भारतीय व्यापारियों व उद्यमियों ने कुछ उद्योग लगाने शुरू किए जिनके पास कुछ पूँजी एकत्रित हो चुकी थी। उदाहरण के लिए 1853 में बम्बई में कावसजी नाना ने पहली सूती कपड़ा मिल लगाई। भारत में 1905 में 206 सूती कपड़े की मिलें थीं। कलकत्ता के आस-पास जूट मिलें लगाई गईं। इनमें ब्रिटिश उद्योगपतियों ने भी अपनी पूँजी लगाई। सन् 1901 में भारत में 40 जूट मिलें थीं। पहली जूट मिल 1855 ई० में कलकत्ता के पास रिशरा में स्थापित की गई थी।

निःसंदेह अंग्रेज़ी राज़ के दौरान भारत में औद्योगिक विकास की शुरुआत हुई। लेकिन यह विकास बहुत ही धीमा और सीमित रहा। इसका कारण पक्षपातपूर्ण संरक्षणवादी नीतियाँ थीं। इन नीतियों ने औद्योगिक विकास को एक सीमा से आगे नहीं बढ़ने दिया। फैक्ट्री उत्पादन शहरी अर्थव्यवस्था का आधार नहीं बन सका। वास्तव में कलकत्ता, बम्बई व मद्रास जैसे विशाल शहर मैनचेस्टर या लंकाशायर ब्रिटिश औद्योगिक शहरों की तरह औद्योगिक नगर नहीं बन सके।

इनमें रहने वाले अधिकांश मेहनत करने वाली आबादी औद्योगिक मजदूरों की नहीं थी, बल्कि उस श्रेणी में आती थी, जिसे अर्थशास्त्री तृतीयक क्षेत्र (Tertiary Sector) अर्थात् सेवा-क्षेत्र कहते हैं। आर्थिक विकास के इसी चरित्र के कारण इन्हें मुख्यतः औपनिवेशिक शहर कहा गया है। इनके विकास से समूचे देश की अर्थव्यवस्था में भी आधुनिकीकरण की दिशा में कोई महत्त्वपूर्ण परिवर्तन नहीं हुआ।

HBSE 12th Class history Important Questions Chapter 12 औपनिवेशिक शहर : नगर-योजना, स्थापत्य

प्रश्न 2.
नए शहरों में उभरते सामाजिक जीवन पर नोट लिखें।
उत्तर:
नए शहरों का सामाजिक जीवन पहले के शहरों से बिल्कुल अलग था। इसमें औपनिवेशिक प्रभुत्व के साथ आधुनिकता झलकती थी। जिन्दगी की गति बहुत तेज़ थी। सामान्य भारतीय इन शहरों में भाग-दौड़ और लोगों के व्यवहार में आ रहे परिवर्तनों से आश्चर्यचकित थे। यहाँ हम नए सामाजिक वर्गों के जीवन को रेखांकित कर रहे हैं

1. मध्य वर्ग (Middle Class)-नए शहर मध्य वर्ग के केन्द्र थे। इस वर्ग में शिक्षक, वकील, डॉक्टर, इंजीनियर, क्लर्क तथा अकाउंटेंट्स इत्यादि थे। इन शहरों में इस वर्ग के लोगों की माँग निरन्तर बढ़ती जा रही थी। मध्य वर्ग एक नया सामाजिक समूह था जिसके लिए पुरानी पहचान अधिक महत्त्वपूर्ण नहीं रही थी। इन नए शहरों में पुराने शहरों वाला परस्पर मिलने-जुलने का अहसास खत्म हो चुका था, लेकिन साथ ही मिलने-जुलने के नए स्थल; जैसे कि सार्वजनिक पार्क, टाउन हॉल, रंगशाला और 20वीं सदी में सिनेमा हॉल इत्यादि बन चुके थे। यह स्थल मध्यवर्गीय लोगों के जीवन का हिस्सा बनने लगे।

मध्य वर्ग, समाज में सबसे जागृत वर्ग के तौर पर विकसित हुआ। यह शिक्षित वर्ग था। स्कूल, कॉलेज और पुस्तकालय जैसे नए शिक्षण संस्थान इनकी पहुँच में थे। समाचार-पत्र और पत्रिकाओं में यह लोग अपना मत व्यक्त करते थे। इस वर्ग में से विद्वान लोग स्वयं समाचार-पत्र और पत्रिकाएँ निकालते थे। इससे वाद-विवाद और चर्चा का नया दायरा उत्पन्न हुआ। सामाजिक और राष्ट्रीय महत्त्व के विषय चर्चा के केन्द्र-बिन्दु बने। राष्ट्रीय-चेतना को प्रसारित करने में इस वर्ग के लोगों ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। पुराने रीति-रिवाज़ों, कर्म-काण्डों और जीवन के तौर-तरीकों पर सवाल उठाए गए। 19वीं सदी में सामाजिक-धार्मिक सुधार आंदोलन उठ खड़ा हुआ। स्पष्ट है कि मध्य वर्ग अपनी नई पहचान और नई भूमिकाओं के साथ अस्तित्व में आया।

2. महिलाओं की स्थिति में परिवर्तन (Changes in the Condition of Women)-नए शहरों में नए अर्थतंत्र, यातायात व संचार के साधनों के विकास से औरतों के लिए नए अवसर उत्पन्न हुए। फलतः सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की उपस्थिति बढ़ने लगी। वे घरों में नौकरानी, फैक्टरी में मजदूर, शिक्षिका रंग-कर्मी तथा फिल्मों में कार्य करती हुई दिखाई देने लगीं। उल्लेखनीय है कि सार्वजनिक स्थानों पर कामकाज करने वाली महिलाओं को सम्मानित दृष्टि से नहीं देखा जाता था। शिक्षित कामकाजी महिलाओं के ऊपर पेंटिंग और कार्टूनों के माध्यम से व्यंग्य किए गए। 19वीं सदी के अंतिम वर्षों में बनी कालीघट की पेंटिंग इसका एक उदाहरण है।

इसमें पुरुषों की बेचैनी दिखाई देती है कि कैसे एक नए जमाने की शिक्षित महिला एक जादूगरनी है, जो आदमी को भेड़ बनाकर वश में कर लेती है। अतः स्पष्ट है कि सामाजिक बदलाव सहज रूप से नहीं हो रहे थे। रूढ़िवादी विचारों के लोग पुरानी परम्पराओं और व्यवस्था को बनाए रखने का पुरजोर समर्थन कर रहे थे। वे नहीं चाहते थे कि औरत पढ़-लिखकर काम करने के लिए सार्वजनिक स्थानों पर जाए। वे अभी भी औरत को घर की चारदीवारी के भीतर ही रखना चाहते थे। उन्हें यह डर था कि औरतों के शिक्षित होने से पूरी सामाजिक व्यवस्था ही खतरे में पड़ जाएगी।

यहाँ तक कि औरतों की शिक्षा का समर्थन करने वाले समाज-सुधारक भी महिलाओं को अच्छी गृहिणी बनाने की बात कर रहे थे। वे भी उन्हें माँ और पत्नी की परम्परागत भूमिकाओं में ही देखना चाहते थे। उनका यह असंतोष परम्परागत पितृसत्तात्मक समाज को बनाए रखने का ही प्रयास था। दूसरी ओर, शिक्षित मध्यवर्गीय महिलाएँ पत्र-पत्रिकाओं, आत्म-कथाओं और पुस्तकों के माध्यम से स्वयं को अभिव्यक्त करने का प्रयास कर रही थीं।

3. कामगार लोग (Labouring People)-कामगार लोगों के लिए शहरी जीवन एक संघर्ष था। ये लोग इन नए शहरों की तड़क-भड़क से आकर्षित होकर आए थे या फिर आजीविका के नए अवसरों की तलाश में आए। आने वालों में अधिकांशतः पुरुष थे। इन कामगार लोगों के लिए शहर की महँगाई को देखते हुए अपने परिवार को साथ रख पाना आसान नहीं था। अतः बहुत-से लोग अपने परिवार को पीछे गाँव में ही छोड़कर आए थे। शहर में इनकी नौकरी स्थायी नहीं थी। वेतन कम था और खर्चे ज्यादा थे। खाना काफी महँगा था और मकान का किराया भी आमदनी को देखते हुए बहुत ज्यादा था।

इस प्रकार, मज़दूर यानी कामगार लोगों का जीवन गरीबी से पीड़ित था। ये सामान्यतः झोंपड़-पट्टी में रहते थे। इन्हें जीवन की बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध नहीं थीं। ऐसी विपरीत परिस्थितियों में भी इन लोगों ने अपनी एक अलग जीवंत शहरी संस्कृति’ रच ली थी। वे धार्मिक त्योहारों, मेलों, स्वांगों तथा तमाशों इत्यादि में भाग लेते थे। ऐसे अवसरों पर वे अपने यूरोपीय और भारतीय स्वामियों पर प्रायः कटाक्ष और व्यंग्य करते हुए उनका मज़ाक उड़ाते थे।

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