Haryana State Board HBSE 11th Class Geography Solutions Practical Work in Geography Chapter 2 मानचित्र मापनी Textbook Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 11th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 2 मानचित्र मापनी
बहुविकल्पीय प्रश्न
1. निम्नलिखित में से कौन-सी विधि मापनी की सार्वत्रिक विधि है?
(A) साधारण प्रकथन
(B) निरूपक भिन्न
(C) आलेखी विधि
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) निरूपक भिन्न
2. मानचित्र की दूरी को मापनी में किस रूप में जाना जाता है?
(A) अंश
(B) हर
(C) मापनी का प्रकथन
(D) निरूपक भिन्न
उत्तर:
(B) हर
3. मापनी में ‘अंश’ व्यक्त करता है-
(A) धरातल की दूरी
(B) मानचित्र की दूरी
(C) दोनों दूरियां
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) धरातल की दूरी
अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
मापक किसे कहते हैं?
उत्तर:
मानचित्र पर प्रदर्शित किन्हीं दो बिंदुओं के बीच की दूरी तथा पृथ्वी पर उन्हीं दो बिंदुओं के बीच की वास्तविक दूरी के अनुपात को मापक कहते हैं।
प्रश्न 2.
मापक की हमें क्यों जरूरत पड़ती है?
उत्तर:
किसी भी क्षेत्र के बराबर आकार का मानचित्र नहीं बनाया जा सकता। यद्यपि क्षेत्र के अनुपात में कुछ छोटा मानचित्र बनाया जा सकता है। इसके लिए मापक जरूरी है। दूसरे मानचित्र पर दूरियों को मापने और विभिन्न स्थानों की सापेक्षित स्थिति ज्ञात करने के लिए भी हमें मापक की जरूरत पड़ती है।
प्रश्न 3.
मानचित्र पर मापक को कितने तरीकों से व्यक्त किया जा सकता है?
उत्तर:
तीन विधियों से-
- कथनात्मक मापक
- प्रदर्शक भिन्न (R.E.) और
- रैखिक मापक।
प्रश्न 4.
प्रदर्शक भिन्न (R.F.) क्या होती है?
उत्तर:
यह मापक प्रदर्शित करने वाली भिन्न होती है जिसके बाईं ओर की संख्या अंश तथा दाईं ओर की संख्या हर कहलाती है। अंश (Numerator) का मान (Value) सदा 1 होता है जो मानचित्र की दूरी को दिखाता है और हर (Denominator) धरातल की दूरी को दिखाता है। इन दोनों की इकाई सदा एक-जैसी होती है।
प्रश्न 5.
R.F. को किस मापन-प्रणाली द्वारा व्यक्त किया जाता है?
उत्तर:
प्रदर्शक भिन्न या R.E. की कोई मापन-प्रणाली नहीं होती। यह तो केवल भिन्न (Fraction) के द्वारा व्यक्त होता है।
प्रश्न 6.
प्रदर्शक भिन्न को मापक व्यक्त करने की अन्य विधियों से बेहतर क्यों माना जाता है?
अथवा
प्रदर्शक भिन्न को अंतर्राष्ट्रीय मापक क्यों कहा जाता है?
उत्तर:
R.F. किसी भी मापन-प्रणाली से जुड़ा हुआ नहीं होता। अतः हर देश में इसका प्रयोग हो सकता है, इसलिए यह एक बेहतर विधि है।
प्रश्न 7.
विकर्ण मापक का क्या लाभ है?
उत्तर:
विकर्ण मापक से मानचित्र की छोटी-से-छोटी दूरी भी सरलता से मापी जा सकती है, क्योंकि इस मापक के द्वारा 1 सें०मी० या 1 इंच का 100वां हिस्सा भी दिखाया जा सकता है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
मापक क्या है? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
मापक को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
मापक की परिभाषा एवं अर्थ (Definition and Meaning of Scale)-पृथ्वी अथवा उसके किसी भाग का मानचित्र बनाने से पहले हम तय करते हैं कि मानचित्र की कितनी दूरी से धरातल की कितनी दूरी दिखाई जानी है। इस प्रकार हम मानचित्र की दूरी और धरातल की दूरी के बीच एक संबंध स्थापित करते हैं। यही संबंध मापक को जन्म देता है। मापक वह अनुपात है जिसमें धरातल पर मापी गई दूरियों को छोटा करके मानचित्र में प्रदर्शित किया जाता है। सरल शब्दों में, “मानचित्र पर किन्हीं दो बिंदुओं के बीच की सीधी दूरी तथा पृथ्वी पर उन्हीं दो बिंदुओं के बीच की वास्तविक सीधी दूरी के अनुपात को मापक कहते हैं।” (Scale is the ratio between a distance measured on a map and the corresponding distance on the Earth.) इसे निम्नलिखित सूत्र में भी व्यक्त किया जा सकता है-
उदाहरण के तौर पर, मान लीजिए एक मानचित्र पर A तथा B कोई दो बिंदु हैं, जिनके बीच की दूरी 1 सें०मी० तथा धरातल पर इन्हीं दो बिंदुओं के बीच की दूरी 5 किलोमीटर है; तो उस मानचित्र का मापक 1 सें०मी० : 5 कि०मी० होगा।
प्रश्न 2.
मापक की आवश्यकता को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मापक की आवश्यकता (Necessity of Scale)-
(1) हम सभी जानते हैं कि पृथ्वी के धरातल के आकार के बराबर मानचित्र नहीं बनाया जा सकता। अगर बन भी जाए तो वह निरर्थक होगा। प्रदर्शित.किए जाने वाले क्षेत्र की तुलना में मानचित्र का काफी छोटा होना ही उसकी उपयोगिता और सार्थकता को दर्शाता है। मानचित्र आवश्यकतानुसार आकार वाला होना चाहिए। यह कार्य केवल मापक द्वारा ही हो सकता है।
(2) मापक के अभाव में मानचित्र पर विभिन्न स्थानों की सापेक्षित स्थिति (Relative Position) नहीं दिखाई जा सकती। जो मानचित्र मापक के अनुसार न बना हो वह केवल एक कच्चा रेखाचित्र (Rough Sketch) होता है।
प्रश्न 3.
मापक की विभिन्न पद्धतियों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मापक की पद्धतियाँ (Methods of Measurement)-मापक की दो पद्धतियाँ हैं-
1. मेट्रिक प्रणाली इस प्रणाली के अंतर्गत धरातल पर किन्हीं दो बिंदुओं के बीच की क्षैतिज दूरी को मापने के लिए किलोमीटर, मीटर एवं सेंटीमीटर इत्यादि का प्रयोग किया जाता है। मेट्रिक प्रणाली का उपयोग भारत तथा विश्व के अन्य अनेक देशों में किया जाता है।
2. अंग्रेज़ी प्रणाली-इस दूसरी पद्धति में मील, फल्ग, गज व फुट आदि इकाइयों का प्रयोग किया जाता है। इस प्रणाली का उपयोग संयुक्त राज्य अमेरिका एवं इंग्लैंड दोनों देशों में किया जाता है। रेखीय दूरियों को मापने व प्रदर्शित करने के लिए 1957 से पूर्व इस पद्धति का प्रयोग भारत में भी किया जाता था।
मापक की पद्धतियाँ:
मापक की मेट्रिक प्रणाली
- 1 कि०मी० = 1,000 मीटर
- 1 मीटर = 100 सें०मी०
- 1 सें०मी० = 10 मिलीमीटर
मापक की अंग्रेज़ी प्रणाली
- 1 मील = 8 फर्लांग
- 1 फर्लांग = 220 यरर्ड
- 1 यार्ड = 3 फुट
- 1 फुट = 12 इंच
प्रश्न 4.
एक मानचित्र का कथनात्मक मापक 5 सें०मी० : 1 कि०मी० है। उसका प्रदर्शक भिन्न (R.F.) ज्ञात करें।
क्रिया:
पग 1.
धरातल की दूरी को सें०मी० में परिवर्तित कीजिए, क्योंकि मानचित्र पर दूरी सें०मी० में है। 1 कि०मी० = 1,00,000 सें०मी०।।
पग 2.
R.F = \(\frac{5}{1,00,000}=\frac{1}{20,000}\) (अंश सदैव 1 ही रहता है।)
उत्तर:
R.F. = 1:20,000
प्रश्न 5.
एक मानचित्र का कथनात्मक मापक 1 सें०मी० : 250 मीटर है। उसका प्रदर्शक भिन्न (R.E.) ज्ञात कीजिए। क्रिया : पग 1. धरातल की दूरी को सें०मी० में बदलिए क्योंकि मानचित्र की दूरी सें०मी० में है। 250 मीटर = 100 x 250 = 25,000 सें०मी०
पग 2.
R.F. = \(\frac { 1 }{ 25,000 }\) (अंश सदैव 1 ही रहता है।)
उत्तर:
R.E. = 1:25,000
प्रश्न 6.
एक मानचित्र का कथनात्मक मापक 3.5 सें०मी० : 7 कि०मी० है। उसका प्रदर्शक भिन्न (R.F.) . ज्ञात करें।
क्रिया : पग 1. धरातल की दूरी को सें०मी० में बदलिए, क्योंकि मानचित्र की दूरी सें०मी० में है।
7 कि०मी० = 7 x 1,00,000 सें०मी०
पग 2.
R.E = \(\frac{3.5}{7,00,000}=\frac{1}{2,00,000}\) (अंश सदैव 1 रहता है)
उत्तर:
R.F. = 1:2,00,000
प्रश्न 7.
1 इंच : 8 मील वाले कथनात्मक मापक को प्रदर्शक भिन्न (R.F.) में परिवर्तित कीजिए। क्रिया : पग 1. धरातल की दूरी को इंचों में बदलिए क्योंकि मानचित्र की दूरी इंचों में है।
8 मील = 8 x 63,360 = 5,06,880 इंच
(1 मील = 63,360 इंच)
पग 2.
R.E. = \(\frac{1}{5,06,880}\) (अंश सदैव 1 ही रहता है।)
उत्तर:
R.E. = 1:5,06,880
प्रश्न 8.
एक मानचित्र पर प्रदर्शक भिन्न \(\frac{1}{3,00,000}\) दिया गया है। इसे कि०मी० में दिखाने के लिए कथनात्मक मापक बनाइए।
क्रिया : पग 1. R.F. \(\frac{1}{3,00,000}\) ; इसे मीट्रिक प्रणाली में पढ़िए।
1 सें०मी० : 3,00,000 सें०मी०
पग 2. धरातल की दूरी को कि०मी० में बदलिए।
1 सें०मी० = \(\frac{1}{1,000}\) कि०मी०
3,00,000 सें०मी० = \(\frac{3,00,000}{1,00,000}\) = 3 कि०मी०
उत्तर:
कथनात्मक मापक 1 सें०मी० : 3 कि०मी०।
प्रश्न 9.
यदि प्रदर्शक भिन्न 1:2,53,440 हो तो मील दिखाने के लिए उसे कथनात्मक मापक में परिवर्तित कीजिए।
क्रिया : पग 1. R.F. = \(\frac{1}{2,53,440}\) को ब्रिटिश प्रणाली में पढ़िए।
1 इंच : 2,53,440 इंच।
पग 2. धरातल की दूरी को मीलों में बदलिए।
1 इंच = \(\frac{1}{63,360}\) माल
2,53,440 इंच = \(\frac{2,53,440}{63,360}\)= 4 मील
उत्तर:
कथनात्मक मापक 1 इंच : 4 मील।
प्रश्न 10.
यदि प्रदर्शक भिन्न 1:10,00,000 हो तो मील दिखाने के लिए इसे कथनात्मक मापक में परिवर्तित कीजिए। क्रिया : पग 1. R.F. \(\frac{1}{10,00,000}\) को ब्रिटिश प्रणाली में पढ़िए।
1 इंच : 10,00,000 इंच
पग 2. धरातल की दूरी को मीलों में बदलिए।
1 इंच : \(\frac{1}{63,360}\) मील
10,00,000 इंच : \(\frac{10,00,000}{63,360}\) = 15.78 मील
उत्तर:
कथनात्मक मापक 1 इंच : 15.78 मील।
निबंधात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
मानचित्र पर मापक को प्रदर्शित करने वाली विधियों का वर्णन कीजिए।
अथवा
मानचित्र पर मापक प्रदर्शित करने वाली विधियों के गुण-दोषों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मानचित्र पर मापक को प्रदर्शित करने की विधियां (Methods of Expressing Scale on a Map)-मानचित्र पर मापक को निम्नलिखित तीन विधियों द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है
- कथनात्मक मापक (Statement of Scale)
- प्रदर्शक भिन्न (Representative Fraction)
- रैखिक मापक (Linear Scale)
1. कथनात्मक मापक (Statement of Scale) इस विधि में किसी मानचित्र पर उसके मापक को शब्दों में लिख दिया जाता है; जैसे 1 सेंटीमीटर : 2 किलोमीटर। इसका अर्थ यह हुआ कि मानचित्र पर 1 सेंटीमीटर की दूरी धरातल की 2 किलोमीटर की दूरी को प्रदर्शित कर रही है। कथनात्मक मापक में बाएं हाथ की ओर वाली संख्या सदैव मानचित्र पर दूरी को दिखाती है। इस विधि के अन्य नाम विवरणात्मक मापक तथा शाब्दिक विवेचन विधि भी हैं।
गुण-
- यह एक सरल विधि है जिसे एक साधारण व्यक्ति भी समझ सकता है।
- मापक प्रदर्शित करने की इस विधि में कम समय लगता है और किसी विशेष कुशलता की भी आवश्यकता नहीं पड़ती।
- इस विधि से हमें दूरियों का ठीक-ठीक ज्ञान हो जाता है।
दोष-
- कथनात्मक मापक को पढ़कर केवल वे लोग मानचित्र पर दूरियों की गणना कर सकते हैं, जो उस माप-प्रणाली से परिचित होंगे।
- इस विधि द्वारा सीधे मानचित्र पर दूरियां नहीं मापी जा सकतीं।
- जिन मानचित्रों में मापक शब्दों में व्यक्त किया गया होता है, उनका मूल आकार से भिन्न आकार में मुद्रित करना संभव नहीं होता, क्योंकि इससे उनका मापक अशुद्ध हो जाएगा।
2. प्रदर्शक भिन्न (Representative Fraction)-इस विधि में मापक को एक भिन्न द्वारा प्रदर्शित किया जाता है; जैसे \(\frac{1}{10,00,000}\)। इसका अंश (Numerator) सदा एक (1) होता है जो मानचित्र पर दूरी को दर्शाता है। इस भिन्न का हर (Denominator) धरातल पर दूरी को दर्शाता है। मानचित्र का मापक बदलने पर अंश वही रहता है, लेकिन हर बदल जाता है।
अन्य शब्दों में-
इस विधि की महत्त्वपूर्ण बात यह है कि इसमें अंश और हर एक ही इकाई (Unit) में व्यक्त किए जाते हैं। उपर्युक्त उदाहरण में मानचित्र का मापक 1 : 1,00,000 या 1/1,00,000 है तो इसका अर्थ यह हुआ कि मानचित्र पर दूरी की 1 इकाई धरातल पर 1,00,000 उन्हीं इकाइयों की दूरी को प्रदर्शित करती है। यदि मानचित्र पर यह इकाई 1 सें०मी० है तो धरातल पर यह 1,00,000 सें०मी० दूरी को प्रदर्शित करेगी।
गुण-
(1) इस विधि में किसी मापन-प्रणाली (Measurement System) का प्रयोग नहीं होता, केवल भिन्न का प्रयोग होता है। इसलिए मापक दिखाने की इस विधि का प्रयोग किसी भी देश की मापक प्रणाली के अनुसार किया जा सकता है। मान लो एक मानचित्र पर प्रदर्शक भिन्न = \(\frac{1}{10,00,000}\) लिखा हुआ है तो इसका अभिप्राय अलग-अलग मापन प्रणालियों में अलग-अलग होगा; जैसे-
देश/प्रणाली | मानचित्र पर दूरी | धरातल की दूरी |
भारत व फ्रांस, जहां मेट्रिक प्रणाली है। | 1 सें०मी० | 1,00,000 सें०मी० |
ब्रिटेन, जहां ब्रिटिश प्रणाली है। | 1 इंच | 1,00,000 इंच |
रूस | 1 वर्स्ट | 1,00,000 वसर्ट्रूस |
चीन | 1 चांग | 1,00,000 चांग |
फर्क मामूली है, किंतु महत्त्वपूर्ण है
यह अनुपात (Ratio) है | यह भिन्न (Fraction) है |
1: 50,000 | \(\frac { 1 }{ 50,000 }\) |
संपरिवर्तनीयता (Convertibility) की इसी विशेषता के कारण ही इस R.F. विधि को अंतर्राष्ट्रीय मापक (International Scale) और प्राकृतिक मापक (Natural Scale) कहा जाता है।
(2) यह एक अत्यंत लोकप्रिय विधि है जिसका बहुत अधिक प्रयोग किया जाता है।
दोष-
- इस विधि में किसी मापन-प्रणाली का प्रयोग न करके केवल भिन्न का प्रयोग किया जाता है, जिससे सीधे ही दूरियों का अनुमान नहीं लग सकता।
- फोटोग्राफी द्वारा मानचित्र को छोटा अथवा बड़ा करने पर इसका प्रदर्शक भिन्न बदल जाता है, यद्यपि संख्या वही लिखी रहती है।
यह विधि एक साधारण व्यक्ति की समझ से बाहर है।
3. रैखिक मापक (Linear Scale)-इस विधि में मानचित्र की दूरी को एक सरल रेखा द्वारा प्रदर्शित किया जाता है जिसका अनुपात धरातल की दूरी से होता है। सुविधा के अनुसार इस रेखा को प्राथमिक (Primary) तथा गौण (Secondary) भागों में बांटा जाता है।
गुण-
(1) इस विधि से दूरियों को मापना सरल हो जाता है।
(2) इस विधि का सबसे बड़ा गुण यह है कि यदि मानचित्र को फोटोग्राफी द्वारा बड़ा या छोटा किया जाए तो मानचित्र पर छपा रैखिक मापक भी उसी अनुपात में बड़ा या छोटा हो जाता है। अतः मापक बड़े या छोटे किए गए मानचित्र के लिए शुद्ध रहता है। यह गुण कथनात्मक मापक और प्रदर्शक भिन्न (R.F.) विधियों में नहीं है जिस कारण मूल मानचित्र से भिन्न मापक पर बने मानचित्र में ये दो विधियां उपयुक्त नहीं होती।
दोष-
- इस विधि का प्रयोग भी तभी हो सकता है जब हम उस मापन-प्रणाली से परिचित हों जिसका प्रयोग मापक बनाने के लिए किया गया है।
- इस मापक को बनाने में समय भी लगता है और कुशलता की भी आवश्यकता होती है।
प्रश्न 2.
रैखिक मापक की रचना को विस्तारपूर्वक समझाइए।
उत्तर:
रैखिक मापक की रचना (Drawing of Linear Scale)-रैखिक मापक की रचना करने से पहले हमें एक सरल रेखा को समान भागों में बांटने के तरीके आने चाहिएं क्योंकि इसके बिना शुद्ध रैखिक मापक की रचना नहीं हो सकती। इसके लिए दो विधियां हैं
प्रथम विधि : मान लीजिए AB कोई दी हुई सरल रेखा है जिसे 6 समान भागों में विभाजित करना है।
- A सिरे पर न्यूनकोण (Acute angle) बनाती हुई एक रेखा AC खींचो।
- अब परकार में कोई भी दूरी भर कर AC रेखा में समान अंतर पर.छः बिंदु D, E, F, G H और I अंकित करो।
- बिंदु IB को सरल रेखा द्वारा मिलाओ।
- अब D, E, F, G और 4 बिंदुओं से IB रेखा के समानांतर रेखाएं खींचो।
इस प्रकार AB रेखा 6 समान भागों में बंट जाएगी (चित्र 2.1)।
दूसरी विधि : मान लीजिए AB कोई दी हुई रेखा है जिसे पाँच समान भागों में विभाजित करना है।
- रेखा के दोनों सिरों A और B पर विपरीत दिशाओं में दो समान न्यूनकोण (लंबकोण भी ले सकते हैं) खींचो।
- अब परकार में कोई भी दूरी भर कर बिंदु A से पांच बिंदु C, D, E, F और G अंकित करो।
- इसी प्रकार B बिंदु से भी उतनी ही दूरी पर पांच बिंदु C’, D’, E, F व G’ अंकित करो।
- अब A को G’ से, C को F से, D को E’ से, E को D’ से, F को C’ से तथा G को B से मिला दीजिए।
इस प्रकार AB रेखा के पांच समान भाग बन जाएंगे।
रैखिक मापक की रचना (Drawing of Linear Scale)-जब कथनात्मक मापक अथवा प्रदर्शक भिन्न दिया हुआ है तो हम प्लेन मापक बना सकते हैं। रैखिक मापक की रचना करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए
(1) प्रायोगिक-पुस्तिका (Practical File) में बनाई जाने वाली मापनी (Scale) की लंबाई 12 से 20 सें० मी० या 5 से 8 इंच के बीच ठीक मानी जाती है। वैसे मानचित्र के आकार के अनुसार किसी भी लंबाई की छोटी या बड़ी मापनी बनाई जा सकती है।
(2) मापक द्वारा प्रदर्शित धरातलीय दूरी सदा पूर्णांक संख्या में होनी चाहिए। पूर्णांक संख्या वह संख्या होती है जो 2, 5, 10, 15, 20, 50, 100 अथवा किसी भी अन्य संख्या से पूर्णतः विभाजित हो जाए और उसमें शेष (Remainder) न बचे।
(3) मापक को पहले सुविधानुसार मुख्य भागों (Primary Divisions) में बांटा जाता है। याद रहे प्रत्येक मुख्य भाग भी पूर्णांक संख्या को दर्शाता है।
(4) फिर बाईं ओर के पहले मुख्य भाग को सुविधानुसार गौण भागों (Secondary Divisions) में बांटा जाता है। इनसे मानचित्र पर छोटी दूरियां मापी जाती हैं।
(5) शून्य सदा बाईं ओर के पहले मुख्य भाग को छोड़कर अंकित किया जाता है।
(6) इस शून्य से दाईं ओर (Right Side) मुख्य भागों द्वारा दिखाई गई इकाई तथा बाईं ओर (Left side) गौण भागों द्वारा दिखाई गई इकाई अंकित की जाती है।
(7) वैसे तो विश्वविख्यात कंपनियों द्वारा बने मानचित्रों व एटलसों में मापक की तीन विधियों में से केवल एक विधि का प्रयोग होता है। विद्यार्थी क्योंकि अभी सीखने की अवस्था में हैं तो उन्हें रैखिक मापक के साथ कथनात्मक मापक या R.F. या दोनों ही लिखने चाहिएं।
प्रश्न 3.
1:2,50,000 प्रदर्शक भिन्न वाले मानचित्र के लिए एक रैखिक मापक बनाओ जिससे एक किलोमीटर की दूरी भी मापी जा सके।
क्रिया : प्रदर्शक भिन्न 1:2,50,000
पग 1.
12 सें०मी० रेखा को मुख्य तथा गौण भागों में विभक्त कीजिए।
पग 2.
फिर इस प्रकार मापक को पूरा कीजिए।
PLAIN SCALE
अर्थात् मानचित्र का 1 सें०मी० धरातल के 2,50,000 सें०मी० को प्रदर्शित करता है।
अथवा 1 सें०मी० = 2.5 कि०मी०
(क्योंकि 1,00,000 सें० मी० = 1 कि०मी०)
मान लो हम रैखिक मापक की लंबाई 12 सें० मी० रखना चाहते हैं। इस प्रकार इस लंबाई का मापक 12 x 2.5 = 30 कि०मी० की दूरी को प्रदर्शित करेगा। यह दूरी एक पूर्णांक संख्या है और मापक बनाने के लिए सुविधाजनक भी है। अब एक सरल रेखा 12 सें० मी० लंबी लो और इसे सिखलाई गई विधि से 6 समान भागों में बांटो। इसमें प्रत्येक मुख्य भाग 5 कि०मी०
दूरी को दिखाएगा। बाईं ओर के पहले मुख्य भाग को 5 गौण भागों में बांटो। प्रत्येक गौण भाग 1 कि०मी० को प्रदर्शित करेगा। इसकी दाईं तथा बाईं ओर कि०मी० लिखकर नीचे R.F.लिखो। इसे अंकित और सुसज्जित करके इसका शीर्षक लिखो (चित्र 2.3)।
विद्यार्थी ध्यान दें कि रैखिक मापक का डिज़ाइन जरूरी नहीं कि वैसा हो जैसा ऊपर बताया गया है। इसी R.F. से बने रैखिक मापक को नीचे दिए गए डिजाइनों से भी बनाया जा सकता है। आपने किस प्रकार का रैखिक मापक बनाना है, इसका निर्देश अपने प्राध्यापक महोदय से लें।
प्रश्न 4.
एक मानचित्र का प्रदर्शक भिन्न 1 : 6,33,600 है। इस मानचित्र के लिए एक रैखिक मापक बनाइए जिसमें दो कि०मी० तक की दूरी पढ़ी जा सके।
क्रिया : इस प्रश्न में दूरियां कि०मी० में पूछी गई हैं अतः प्रदर्शन भिन्न का कथनात्मक मापक में परिवर्तन भी मेट्रिक प्रणाली में किया जाएगा।
प्रदर्शक भिन्न 1 : 6,33,600
∴ 1 सें०मी० : 6,33,600 सें०मी०
अथवा 1 सें०मी० : \(\frac { 6,33,600 }{ 1,00,000 }\) = 6.336 कि०मी० (क्योंकि 1,00,000 सें०मी० = 1 कि०मी०)
हम पढ़ चुके हैं कि रैखिक मापक की लंबाई 12 से 20 सें०मी० के बीच होनी चाहिए। यदि हम 12 सें०मी० लंबा मापक लेते हैं तो यह प्रदर्शित करेगा :
6.336 x 12 = 76.032 कि०मी०
परंतु 76.032 एक पूर्णांक संख्या नहीं है। इसकी निकटतम पूर्णांक संख्या 80 है। अब 80 कि०मी० को दर्शाने वाली रेखा की लंबाई ज्ञात करनी होगी।
क्योंकि 6.336 कि०मी० = 1 सें०मी०
1 कि०मी० = \(\frac { 1 }{ 6.336 }\) सेंमी०
80 कि०मी० = \(\frac { 1×80 }{ 6.336 }\) = 12.62 सें०मी०
प्रश्न 5.
किलोमीटर प्रदर्शित करने के लिए एक रैखिक मापक बनाओ जबकि मानचित्र का प्रदर्शक भिन्न 1:20,00,000 . है।
क्रिया: क्योंकि दूरियां कि०मी० में पूछी गई हैं अतः प्रदर्शक भिन्न का कथनात्मक मापक में परिवर्तन भी मेट्रिक प्रणाली में किया जाएगा।
R.F. = 1 : 20,00,000
∴ 1 सें०मी० : 20,00,000 से०मी०
अथवा 1 सेंमी \(\frac { 20,00,000 }{ 1,00,000 }\) = 20 कि०मी० (क्योंकि 1,00,000 सें०मी० = 1 कि०मी०)
यदि हम मापक की लंबाई 15 सेंमी० लेते हैं तो यह 15 x 20 = 300 कि०मी० की दूरी दिखाएगा। अब एक सरल रेखा 15 सें०मी० लो उसके पांच बराबर भाग करो। प्रत्येक मुख्य भाग 60 कि०मी० को प्रदर्शित करेगा। बाईं ओर के प्रथम मुख्य भाग को 6 गौण भागों में बांटो जिसमें प्रत्येक गौण भाग 10 कि०मी० की दूरी दिखाएगा। इसके नीचे प्रदर्शक भिन्न लिख दो (चित्र 2.5)।
प्रश्न 6.
एक मानचित्र का प्रदर्शक भिन्न 1 : 63,360 है। इसके द्वारा एक ऐसा रैखिक मापक बनाओ जिस पर मील और फर्लाग पढ़े जा सकें।
क्रिया: इसमें दूरियां मीलों और फल्गों में पूरी की गई हैं। अतः प्रदर्शक भिन्न का कथनात्मक मापक भी ब्रिटिश प्रणाली में किया जाएगा।
R.F. 1 : 63,360
∴ 1 इंच : 63,360 इंच
अथवा 1 इंच = \(\frac { 63,360 }{ 63,360 }\) = 1 मा
(क्योंकि 63,360 इंच = 1 मील)
हम पढ़ चुके हैं कि रैखिक मापक की लंबाई 5 से 8 इंच के बीच होनी चाहिए। मान लीजिए हम मापक की लंबाई 6 इंच लेते हैं।
6 इंच प्रदर्शित करेंगे 1 x 6 = 6 मील को।
अब 6″ लंबी रेखा लो, उसके 6 बराबर भाग करो। प्रत्येक मुख्य भाग 1 मील को प्रदर्शित करेगा। बाईं ओर के पहले मुख्य भाग के 4 बराबर गौण भाग करो। प्रत्येक गौण भाग 2 फर्लाग को दिखाएगा (क्योंकि 1 मील में 8 फलाँग होते हैं)। इसके नीचे R.F. लिख दो (चित्र 2.6)।
मानचित्र मापनी HBSE 11th Class Geography Notes
→ अंश (Numerator)-भिन्न में रेखा के ऊपर स्थित अंक को अंश कहते हैं। उदाहरण के लिए 1:50,000 के भिन्न में 1 अंश है।
→ निरूपक भिन्न-मानचित्र अथवा प्लान की मापनी को प्रदर्शित करने की एक ऐसी विधि, जिसमें मानचित्र या प्लान पर दिखाई गई दूरी तथा धरातल की वास्तविक दूरी के बीच के अनुपात को भिन्न के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है
→ हर (Denominator)-भिन्न में रेखा के नीचे स्थित अंक को हर कहते हैं। उदाहरण के लिए, 1:50,000 के भिन्न में 50,000 हर है।