Haryana State Board HBSE 11th Class Physics Important Questions Chapter 1 भौतिक जगत Important Questions and Answers.
Haryana Board 11th Class Physics Important Questions Chapter 1 भौतिक जगत
बहुविकल्पीय प्रश्न:
प्रश्न 1.
सबसे क्षीण मूल बल है:
(a) गुरुत्वीय बल
(b) विद्युत् चुम्बकीय बल
(c) प्रबल नाभिकीय बल
(d) क्षीण नाभिकीय बल
उत्तर:
(a) गुरुत्वीय बल
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प्रश्न 2.
जगदीश चन्द्र बोस की प्रमुख खोज है:
(a) X – किरण
(b) इलेक्ट्रॉन
(c) अति लघु रेडियो तरंगें
(d) जड़त्व का नियम
उत्तर:
(c) अति लघु रेडियो तरंगें
प्रश्न 3.
जब निकाय पर बाह्य बल शून्य है, तो संरक्षित भौतिक राशि है:
(a) यांत्रिक ऊर्जा
(b) रेखीय संवेग
(c) कोणीय संवेग
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(b) रेखीय संवेग
प्रश्न 4.
β-क्षय उत्सर्जन के साथ कौन-सा कण उत्सर्जित होता है?
(a) न्यूट्रिनो
(b) इलेक्ट्रॉन
(c) प्रोटॉन
(d) न्यूट्रॉन
उत्तर:
(a) न्यूट्रिनो
प्रश्न 5.
X- किरणों के आविष्कारक थे:
(a) न्यूटन
(b) आइंस्टीन
(c) रोजन
(d) गोल्डस्टीन
उत्तर:
(c) रोजन
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प्रश्न 6.
दो कारों की टक्कर में संरक्षित राशि होगी:
(a) गतिज ऊर्जा
(b) कुल यान्त्रिक ऊर्जा
(c) रेखीय संवेग
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(c) रेखीय संवेग
प्रश्न 7.
बोसॉन है:
(a) अर्द्ध-पूर्णांक चक्रण वाले कण
(b) पूर्णांक चक्रण वाले कण
(c) गैसों के कण
(d) अनावेशित कण
उत्तर:
(b) पूर्णांक चक्रण वाले कण
प्रश्न 8.
दो प्रोटॉनों के बीच का वैद्युत् बल उनके बीच लगे गुरुत्वाकर्षण बल का कितने गुना होता है:
(a) 1014
(b) 1017
(c) 1034
(d) 1036
उत्तर:
(d) 1036
अति लघु उत्तरीय प्रश्न:
प्रश्न 1.
प्रकृति के मूल बलों में अल्प परास का सबसे प्रबल बल कौन-सा है?
उत्तर:
नाभिकीय बल।
प्रश्न 2.
सूर्य के परितः ग्रहों की गति में कौन सी राशि संरक्षित रहती है?
उत्तर:
कोणीय वेग।
प्रश्न 3.
वैज्ञानिक व्यवहार क्या है?
उत्तर:
वैज्ञानिक विधियों के प्रयोग से समस्याएँ हल करने का व्यवहार, वैज्ञानिक व्यवहार कहलाता है।
प्रश्न 4.
विज्ञान का मूलभूत लक्ष्य क्या है?
उत्तर:
विज्ञान का मूलभूत लक्ष्य हमारे चारों ओर के वातावरण में होने वाली प्राकृतिक परिघटनाओं का विश्लेषण तथा सत्य की खोज करना है।
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प्रश्न 5.
प्रकृति के चार मूलभूत बलों के नाम दीजिए।
उत्तर:
- गुरुत्वाकर्षण बल,
- विद्युत् चुम्बकीय बल
- प्रबल नाभिकीय बल
- दुर्बल नाभिकीय बल।
प्रश्न 6.
द्रव्यमान ऊर्जा तुल्यता का सम्बन्ध लिखिए।
उत्तर:
E = mc2, यहाँ
c → प्रकाश का वेग।
प्रश्न 7.
भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले प्रथम वैज्ञानिक का क्या नाम है?
उत्तर:
सर सी०वी० रमन (रमन प्रभाव के लिए)।
प्रश्न 8.
नाभिक में धनावेशित कण किस मूल बल के कारण बँधे रहते हैं?
उत्तर:
नाभिकीय बल।
लघु उत्तरीय प्रश्न:
प्रश्न 1.
भौतिक विज्ञान क्या है?
उत्तर:
भौतिकी अर्थात् भौतिक विज्ञान शब्द की उत्पत्ति यूनानी (ग्रीक) शब्द ‘फुसिस’ (Pheusis / Fusis) से हुई है जिसका तात्पर्य है ‘प्रकृति’। वेदों में भी ‘प्राकृतिक’ (Natural) के लिए अधिकांशतः “भौतिक” (Physical) शब्द का उपयोग किया गया है। इसी से ‘भौतिकी’ या ‘भौतिक विज्ञान’ शब्द की उत्पत्ति हुई है। इस प्रकार ” भौतिकी अर्थात् भौतिक विज्ञान, विज्ञान की वह शाखा है जिसके अन्तर्गत प्रकृति और प्राकृतिक घटनाओं का अध्ययन किया जाता है।” [Physics is the branch of Science which deals with the study of nature and natural phenomena] चूँकि प्रकृति में ब्रह्माण्ड की सभी सजीव तथा निर्जीव वस्तुएँ समाहित हैं, जो द्रव्य तथा ऊर्जा से मिलकर बनी हैं; अत: दूसरे शब्दों में, विज्ञान की उस शाखा को जिसमें द्रव्य तथा ऊर्जा और उनकी पारस्परिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है, भौतिक विज्ञान कहते हैं।
प्रश्न 2.
भौतिकी की हमारे आम जीवन में क्या भूमिका है?
उत्तर:
आपसी सम्पर्क तथा आदान-प्रदान सुलभ होने से सभी देशों की सभ्यता, रहन-सहन और सोचने-विचारने के तरीकों में बहुत परिवर्तन हुआ है। इस प्रकार भौतिक विज्ञान ने अन्तर्राष्ट्रीय एवं विश्व-बन्धुत्व के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। शक्ति के साधनों का विकास- मानव का अस्तित्व तथा विकास शक्ति के साधनों पर निर्भर है।
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प्रश्न 3.
न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण नियम लिखिए।
उत्तर:
1. गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational Force ): गुरुत्वाकर्षण बल दो पिण्डों के बीच उनके द्रव्यमानों के कारण लगने वाला आकर्षण बल है। यह सार्वत्रिक बल है। न्यूटन के अनुसार, “दो द्रव्य पिण्डों के मध्य आरोपित गुरुत्वाकर्षण बल उनके द्रव्यमानों के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती व इनके मध्य दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।” यह संरक्षी बल है।
माना दो पिण्ड m1 व m2 हैं, जिनके बीच की दूरी हो तो गुरुत्वाकर्षण बल
F = G \(\frac{m_1 m_2}{r^2}\)
G सार्वत्रिक नियतांक कहलाता है जिसका मान 6.67 x 10-11 N- m2 kg-2 होता है।
पृथ्वी के परित: चन्द्रमा तथा मानव निर्मित उपग्रहों की गति, सूर्य के परितः पृथ्वी तथा ग्रहों की गति और पृथ्वी पर गिरते पिण्डों की गति गुरुत्व बल द्वारा ही नियन्त्रित होती है। गुरुत्वीय बल का क्षेत्र कण ‘ग्रेविटोन’ कहलाता है।
प्रश्न 4.
भौतिकी तथा प्रौद्योगिकी के बीच सम्बन्ध बताइए।
उत्तर:
विज्ञान एवं उसमें भी विशेष रूप से भौतिकी का अनुप्रयोगात्मक स्वरूप ही प्रौद्योगिकी है। भौतिकी के सिद्धान्तों एवं नियमों का उपयोग करके बहुत-सी युक्तियाँ विकसित की गई हैं तथा यंत्र और उपकरण बनाये गये हैं। जिनके उपयोग से मानव जीवन अत्यन्त ही लाभान्वित और उन्नत हुआ है।
इससे सम्बन्धित अनेकों उदाहरण हैं, जिनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं:
- गुरुत्वाकर्षण के नियमों एवं गति के अध्ययन से अन्तरिक्षयानों तथा कृत्रिम उपग्रहों का प्रक्षेपण संभव हो सका, जिससे मनुष्य का चन्द्रमा तक जाना संभव हो सका है
- ऊष्मागतिकी के नियमों के अध्ययन से ही ऊष्मीय इंजन तथा प्रशीतक (Refrigerator ) का विकास संभव हुआ है।
- फैराडे के विद्युत् चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त के आधार पर ही विद्युत् ऊर्जा का उत्पादन (हाइड्रोइलेक्ट्रिक संयंत्रों तथा थर्मल पावर संयंत्रों द्वारा) किया जाता है। यह विद्युत् ऊर्जा आधुनिक प्रौद्योगिकी का मूल आधार है।
- प्रकाश विद्युत् प्रभाव का उपयोग करके सौर बैटरी, सौर-कार, सौर लैम्प आदि का निर्माण सम्भव हो सका।
- नाभिकीय विखण्डन की प्रक्रिया के आधार पर परमाणु ऊर्जा का उत्पादन तथा परमाणु बम, नाभिकीय पनडुब्बियों आदि का निर्माण किया जाता है।
- इलेक्ट्रॉनिक्स के ज्ञान से टेलीविजन, कम्प्यूटर आदि का विकास संभव हुआ है।
प्रश्न 5.
भौतिकी तथा समाज के बीच सम्बन्ध बताइए।
उत्तर:
भौतिक विज्ञान में होने वाले तरह-तरह की खोजों, नए-नए नियमों एवं अवधारणाओं के सूत्रपात से नए नए साधनों और उपकरणों का आविष्कार हुआ। इन उपकरणों का प्रयोग समाज ही करता है, जिससे उसका जीवन सुगम होता है। उसका श्रम,धन और समय बचता है। इसलिए भौतिकी में हुई शोध, खोज और अविष्कारों का फल सकारात्मक रूप में समाज को मिलता है और समाज स्वयं को विकास के रास्ते पर ले जाता है, इसलिए समाज एवं भौतिकी में गहरा संबंध है।
- ऊर्जा के नए स्रोतों की खोज बहुत बड़ी है। समाज के लिए महत्व।
- परिवहन के तीव्र साधन किसके लिए कम महत्वपूर्ण नहीं हैं। समाज।
प्रश्न 6.
ऊर्जा संरक्षण नियमों का कथन एक उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विभिन्न बलों से नियन्त्रित होने वाली किसी भी भौतिक घटना में कई राशियाँ समय के साथ बदलती रहती हैं, लेकिन कुछ विशिष्ट भौतिक राशियाँ समय के साथ नहीं बदलती, जैसे- द्रव्यमान, ऊर्जा, संवेग, आदेश आदि । ये प्रकृति की संरक्षी भौतिक राशियाँ हैं। इन राशियों का संरक्षित
रहना कई प्रकार के संरक्षण नियमों का आधार है ऐसी ज्ञात 14 संरक्षी भौतिक राशियों में से कुछ संरक्षण नियम निम्नलिखित हैं-
1. द्रव्यमान-ऊर्जा संरक्षण का नियम (Law of Conservation of Mass Energy): बाह्य संरक्षी बलों के अन्तर्गत होने वाली गति कुल यांत्रिक ऊर्जा (अर्थात् गतिज ऊर्जा स्थितिज ऊर्जा) संरक्षित रहती है। उदाहरण के लिए, गुरुत्व के अन्तर्गत मुक्त रूप से गिरते पिण्ड की गतिज ऊर्जा तथा स्थितिज ऊर्जा समय के साथ परिवर्तित होती रहती है। लेकिन उनका योग नियत रहता है। संरक्षी बलों के लिए यांत्रिक ऊर्जा संरक्षण का नियम विलगित निकाय के ऊर्जा संरक्षण के सामान्य नियम पर लागू नहीं होता है।
ऊर्जा संरक्षण का सामान्य नियम सभी बलों के लिए तथा ऊर्जा के सभी रूपों के परस्पर एक-दूसरे में परिवर्तन के लिए सत्य है। इसी प्रकार आइन्सटीन के सापेक्षवाद के सिद्धान्त के पूर्व अवधारणा सर्वमान्य थी कि द्रव्य अविनाशी है। रासायनिक अभिक्रियाओं के विश्लेषण एवं अध्ययन में यह नियम अभी भी लागू होता है। नाभिकीय अभिक्रियाओं में द्रव्य का ऊर्जा में तथा ऊर्जा का द्रव्य में रूपान्तरण होता है। आइंस्टीन के द्रव्य ऊर्जा समीकरण E = mc2 के अनुसार यदि किसी द्रव्य के m द्रव्यमान का ऊर्जा में पूर्णतः रूपान्तरण होने पर E ऊर्जा उत्पन्न होती है। अतः नाभिकीय अभिक्रियाओं में ऊर्जा संरक्षण का नियम तथा द्रव्यमान संरक्षण का नियम अलग-अलग लागू नहीं होता, अपितु द्रव्यमान-ऊर्जा संरक्षण का नियम लागू होता है।
2. रेखीय संवेग संरक्षण का नियम (Law of Conservation of Linear Conservation): इस नियम के अनुसार, “किसी विलगित निकाय का कुल रेखीय संवेग संरक्षित रहता है।” संवेग एक सदिश राशि है। यद्यपि संवेग संरक्षण के नियम की व्युत्पत्ति न्यूटन के गति के नियमों से की जा सकती है तथा संरक्षण का नियम प्रकृति का एक सार्वत्रिक नियम है। और वहाँ भी लागू रहता है जहाँ न्यूटन के गतिविषयक नियम लागू नहीं होते।
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प्रश्न 7.
विभिन्न मूल बलों के एकीकरण के प्रयासों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भौतिक विज्ञान की महत्वपूर्ण उपलब्धि विभिन्न सिद्धान्तों तथा प्रभाव क्षेत्रों तथा मूल बलों को एकीकरण की ओर ले जाती है। प्रकृति के विभिन्न बलों एवं प्रभाव क्षेत्रों के एकीकरण में प्रगति में महत्वपूर्ण प्रयास निम्नलिखित हैं:
- सन् 1687 में आइजेक न्यूटन ने खगोलीय तथा पार्थिव यांत्रिकी को एकीकृत किया। उन्होंने यह दर्शाया कि दोनों प्रभाव क्षेत्रों पर समान गति के नियम तथा गुरुत्वाकर्षण लागू होते हैं।
- सन् 1820 में हेंस क्रिश्चियन ऑस्टेंड ने यह दर्शाया कि वैद्युत् तथा चुम्बकीय परिघटनाएँ एक एकीकृत प्रभाव क्षेत्र हैं।
- सन् 1830 में माइकल फैराडे ने विद्युत् चुम्बकत्व के अविक्षेप रूप को प्रस्तुत किया।
- सन् 1873 में जेम्स क्लॉर्क मैक्सवेल ने विद्युत् चुम्बकत्व तथा प्रकाशिकी को एकीकृत किया तथा यह दर्शाया कि प्रकाश विद्युत् चुम्बकीय तरंगें हैं।
प्रश्न 8.
भौतिकी की तकनीकी से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
वह विधि जिसमें द्रव्य, ऊर्जा तथा उनकी अन्तर क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है तथा भौतिकी के सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया जाता है, भौतिकी की तकनीक कहलाती है। इसे वैज्ञानिक विधि (Scientific method) भी कहते हैं।
अनुसंधान कार्यों के लिए वैज्ञानिकों द्वारा अपनायी जाने वाली सुविचारित, सुव्यवस्थित, क्रमबद्ध तथा तर्कसंगत विधि को वैज्ञानिक विधि कहते हैं।
वैज्ञानिक विधि के मुख्य चरण निम्नलिखित हैं:
- क्रमबद्ध प्रेक्षण (Systematic Obervation): किसी प्रश्न या समस्या के हल या समाधान के लिए योजनाबद्ध तरीके से प्रयोग किये जाते हैं, जिनसे ये क्रमबद्ध प्रेक्षण लेते हैं। इस प्रेक्षणों से आँकड़े एकत्र किये जाते हैं और फिर उनका गहन अध्ययन और विश्लेषण किया जाता है।
- परिकल्पना (Hypothesis): प्राप्त प्रेक्षणों एवं आँकड़ों की व्याख्या करने के लिए वैज्ञानिकों द्वारा कुछ परिकल्पनाएँ प्रस्तुत की जाती हैं।
- परिकल्पनाओं का परीक्षण (Testing of Hypothesis): परिकल्पनाएँ बनाने के उपरान्त इन परिकल्पनाओं का परीक्षण किया जाता है। इसके लिए वैज्ञानिकों द्वारा परिकल्पनाओं के आधार पर कुछ निष्कर्ष निकाले जाते हैं और भविष्यवाणियाँ (Predictions) की जाती हैं। इन भविष्यवाणियों का नये प्रयोगों द्वारा सत्यापन किया गया है।
- अन्तिम सिद्धान्त (Final Theory): यदि प्राप्त निष्कर्षों तथा भविष्यवाणियों का प्रयोगों द्वारा सत्यापन हो जाता है, तो इसे अन्तिम सिद्धान्त मान लिया जाता है। सत्यापन न होने की स्थिति में परिकल्पनाओं में आवश्यकतानुसर संशोधन किये जाते हैं अथवा नई परिकल्पनाएँ बनाई जाती हैं तथा उनका पुनः परीक्षण किया जाता है। परिकल्पनाएँ बनाने और उनका परीक्षण करने का यह क्रम तब तक जारी रखा जाता है जब तक कि प्रयोगों द्वारा सत्यापित अंतिम सिद्धान्त प्राप्त न हो जाये।