HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 11 वायुमंडल में जल

Haryana State Board HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 11 वायुमंडल में जल Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Geography Important Questions Chapter 11 वायुमंडल में जल

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

भाग-I : सही विकल्प का चयन करें

1. वायुमंडल में जलवाष्प का अनुपात कितना होता है?
(A) 0 – 4%
(B) 4 – 8%
(C) 8 – 12%
(D) 12 – 16%
उत्तर:
(A) 0 – 4%

2. कोहरे में अधिकतम दृश्यता कितनी होती है?
(A) एक कि०मी० से कम
(B) 2 कि०मी० से अधिक
(C) 3 कि०मी० से अधिक
(D) 4 कि०मी० से अधिक
उत्तर:
(A) एक कि०मी० से कम

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3. ओसांक पर वायु की सापेक्ष आर्द्रता कितनी होती है?
(A) 25%
(B) 50%
(C) 75%
(D) 100%
उत्तर:
(D) 100%

4. सापेक्ष आर्द्रता को किस इकाई में मापा जाता है?
(A) मीटर में
(B) कि०मी० में
(C) प्रतिशत में
(D) सें०मी० में
उत्तर:
(C) प्रतिशत में

5. मौसमी घटनाओं के लिए वायुमंडल का सबसे महत्त्वपूर्ण घटक कौन-सा है?
(A) ऑक्सीजन
(B) धूलकण
(C) नाइट्रोजन
(D) जलवाष्प
उत्तर:
(D) जलवाष्प

6. शीतोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में सामान्यतः किस प्रकार की वर्षा होती है?
(A) संवहनीय
(B) चक्रवातीय
(C) पर्वतीय
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) चक्रवातीय

7. निम्नलिखित में से कौन-से बादल अधिक वर्षा करते हैं?
(A) कपासी
(B) कपासी वर्षा
(C) वर्षा-स्तरी
(D) पक्षाभ-स्तरी
उत्तर:
(C) वर्षा-स्तरी

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8. प्रायः समुद्री किनारों और झीलों के तटों पर पाया जाने वाला कोहरा होता है
(A) वाताग्री कोहरा
(B) अभिवहन कोहरा
(C) विकिरण कोहरा
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) अभिवहन कोहरा

9. ‘4 बजे वाली वर्षा’ किसे कहा जाता है?
(A) यूरोप में सायंकाल में होने वाली स्थानीय वर्षा को
(B) पवनाभिमुखी ढालों पर होने वाली पर्वतकृत वर्षा को
(C) वाताग्री वर्षा को
(D) भूमध्य रेखीय प्रदेशों में होने वाली संवहनीय वर्षा को
उत्तर:
(D) भूमध्य रेखीय प्रदेशों में होने वाली संवहनीय वर्षा को

10. जलवृष्टि व हिमवृष्टि के मिले-जुले रूप को कहते हैं-
(A) ओलावृष्टि
(B) हिमवृष्टि
(C) सहिम वृष्टि
(D) वर्षा
उत्तर:
(C) सहिम वृष्टि

11. बिना तरल अवस्था में आए वाष्प का हिम में बदलना कहलाता है-
(A) ऊर्ध्वपातन
(B) द्रवण
(C) संघनन
(D) परिवर्तन
उत्तर:
(A) ऊर्ध्वपातन

12. सांध्यकालीन सर्वाधिक रंगीन मेघ है-
(A) कपासी
(B) पक्षाभ
(C) स्तरी
(D) बर्फीले
उत्तर:
(A) कपासी

13. एलनीनो, के दौरान असामान्य रूप से बाढ़ की स्थितियाँ उत्पन्न होती हैं
(A) इक्वेडोर में
(B) उत्तरी पीरू में
(C) मध्य चिली में
(D) उपर्युक्त सभी में
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी में

14. एलनीनो के दौरान असामान्य रूप से सूखे की स्थितियाँ उत्पन्न होती हैं-
(A) इंडोनेशिया में
(B) ऑस्ट्रेलिया में
(C) उत्तर:पूर्वी दक्षिण अमेरिका में
(D) उपर्युक्त सभी में
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी में

15. निम्नलिखित में से किसे उच्च बादलों में शामिल नहीं किया जाता?
(A) पक्षाभ
(B) पक्षाभ स्तरी
(C) स्तरी कपासी
(D) पक्षाभ कपासी
उत्तर:
(C) स्तरी कपासी

16. किसी स्थान की वर्षा निर्भर करती है-
(A) पर्वतों की दिशा पर
(B) समुद्री जल के वाष्पीकरण पर
(C) ग्रीष्मकाल की अवधि पर
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) पर्वतों की दिशा पर

17. वायुमंडल की कौन-सी प्रक्रिया ठोस पदार्थों के अभाव में नहीं हो सकती है?
(A) संतृप्तीकरण
(B) संघनन
(C) वाष्पीकरण
(D) उपर्युक्त सभी में
उत्तर:
(B) संघनन

18. यदि किसी स्थान के तापमान में अचानक वृद्धि हो जाए तो वहाँ की सापेक्षिक आर्द्रता-
(A) बढ़ेगी
(B) घटेगी
(C) समान रहेगी
(D) घटती-बढ़ती रहेगी
उत्तर:
(B) घटेगी

19. जलवाष्प की मात्रा समान रहने पर वायु के ताप में कमी होने पर सापेक्षिक आर्द्रता-
(A) बढ़ेगी
(B) घटेगी
(C) समान रहेगी
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) बढ़ेगी

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20. ओस किस प्राकृतिक घटना का उदाहरण है?
(A) वाष्पीकरण
(B) सूर्य की तिरछी किरणें
(C) संघनन
(D) वाष्पोत्सर्जन
उत्तर:
(C) संघनन

21. भारत में अधिकतर वर्षा कौन-सी होती है?
(A) पर्वतकृत वर्षा
(B) चक्रवातीय वर्षा
(C) संवहनीय वर्षा
(D) वाताग्री वर्षा
उत्तर:
(A) पर्वतकृत वर्षा

22. सर्दियों में उत्तर:पश्चिमी भारत में होने वाली वर्षा किस प्रकार की होती है?
(A) पर्वतकृत
(B) चक्रवातीय
(C) संवहनीय
(D) वाताग्री
उत्तर:
(B) चक्रवातीय

भाग-II : एक शब्द या वाक्य में उत्तर दें

प्रश्न 1.
जलवाष्प का प्रमुख स्रोत कौन-सा है?
उत्तर:
महासागर।

प्रश्न 2.
जलीय चक्र को ऊर्जा कहाँ से मिलती है?
उत्तर:
सूर्य से।

प्रश्न 3.
सापेक्ष आर्द्रता को किस इकाई में मापा जाता है?
उत्तर:
प्रतिशत में।

प्रश्न 4.
ओसांक पर वायु की सापेक्ष आर्द्रता कितनी होती है?
उत्तर:
100 प्रतिशत।

प्रश्न 5.
वायुमण्डलीय आर्द्रता को किस यन्त्र से मापते हैं?
उत्तर:
हाइग्रोमीटर से।

प्रश्न 6.
भारत में अधिकतर वर्षा कौन-सी होती है?
उत्तर:
पर्वतकृत वर्षा।

प्रश्न 7.
पवनविमुखी पर्वतीय ढाल पर स्थित शुष्क प्रदेश को क्या कहते हैं?
उत्तर:
वृष्टिछाया प्रदेश।

प्रश्न 8.
कोहरे में अधिकतम दृश्यता कितनी होती है?
उत्तर:
एक किलोमीटर से कम।

प्रश्न 9.
वायुमण्डल में जलवाष्प का अनुपात कितना होता है?
उत्तर:
शून्य से 4 प्रतिशत तक।

प्रश्न 10.
महासागर के अतिरिक्त जलवाष्प के अन्य स्रोत कौन-कौन-से हैं?
उत्तर:
सागर, झीलें, नदियाँ।

प्रश्न 11.
विकिरण कोहरा प्रायः कहाँ पाया जाता है?
उत्तर:
विस्तृत मैदानी भागों में।

प्रश्न 12.
वर्षा को मापने वाले यन्त्र का नाम बताएँ।
उत्तर:
रेन गेज या वर्षा-मापी यन्त्र।

अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
आर्द्रता को व्यक्त करने की तीन विधियाँ कौन-सी हैं?
उत्तर:

  1. निरपेक्ष आर्द्रता
  2. विशिष्ट आर्द्रता और
  3. सापेक्ष आर्द्रता।

प्रश्न 2.
सापेक्ष आर्द्रता ज्ञात करने का सूत्र बताइए।
उत्तर:
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प्रश्न 3.
कोहरे के प्रकार कौन-कौन से हैं?
उत्तर:

  1. विकिरण
  2. अभिवहन तथा
  3. वाताग्री।

प्रश्न 4.
संघनन के कौन-कौन-से रूप होते हैं?
उत्तर:
ओस, पाला, कोहरा, कुहासा और बादल।

प्रश्न 5.
वाष्पीकरण को नियन्त्रित करने वाले कारकों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  1. तापमान
  2. स्वच्छ आकाश
  3. वायु की शुष्कता
  4. पवनों की गति
  5. जल के तल का विस्तार।

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प्रश्न 6.
वाष्पीकरण में क्या होता है?
उत्तर:
जल द्रव अवस्था से गैस (जलवाष्प) में बदल जाता है।

प्रश्न 7.
संघनन या द्रवीकरण क्या है?
उत्तर:
जल की गैसीय अवस्था से तरलावस्था या ठोसावस्था में बदलने की प्रक्रिया द्रवीकरण कहलाती है।

प्रश्न 8.
ओसांक क्या होता है?
उत्तर:
वह तापमान जिस पर वायु अपने में विद्यमान जलवाष्प से संतृप्त हो जाती है।

प्रश्न 9.
संघनन कितने तापमान पर होता है?
उत्तर:
संघनन तब होता है जब वायु का ताप ओसांक या ओसांक से नीचे गिर जाता है।

प्रश्न 10.
आर्द्रताग्राही कण या संघनन केन्द्र क्या होते हैं?
उत्तर:
वायु में विद्यमान ठोस कण जिनके चारों ओर संघनन की प्रक्रिया आरम्भ होती है।

प्रश्न 11.
आर्द्रताग्राही कण कौन-कौन से होते हैं?
उत्तर:
समुद्री नमक के कण, धूएँ की कालिख के कण व धूलकण इत्यादि।

प्रश्न 12.
तापमान ओसांक से नीचे किन दो कारणों से गिरता है?
उत्तर:

  1. वायु के ठण्डा होने से
  2. वायु की सापेक्ष आर्द्रता बढ़ने पर।

प्रश्न 13.
अभिवहन कोहरा कहाँ पाया जाता है?
उत्तर:
सागरीय किनारों व झीलों के तटों पर।

प्रश्न 14.
वाताग्री कोहरा कहाँ पाया जाता है?
उत्तर:
वायुराशियों को अलग करने वाले वातानों पर।

प्रश्न 15.
4 बजे वाली वर्षा कौन-सी होती है और कहाँ होती है?
उत्तर:
संवहनीय वर्षा; यह भूमध्य रेखीय प्रदेशों में होती है।

प्रश्न 16.
भारत में स्थित किसी एक वृष्टिछाया प्रदेश का नाम बताएँ।
उत्तर:
दक्कन पठार जो पश्चिमी घाट का वृष्टिछाया प्रदेश है।

प्रश्न 17.
सर्दियों में उत्तर-पश्चिमी भारत में होने वाली वर्षा किस प्रकार की वर्षा होती है?
उत्तर:
सर्दियों में उत्तर-पश्चिमी भारत में होने वाली चक्रवातीय वर्षा होती है।

प्रश्न 18.
कौन-सा प्राकृतिक प्रदेश अधिकतर सर्दियों में वर्षा प्राप्त करता है?
उत्तर:
भूमध्य सागरीय प्रदेश अधिकतर सर्दियों में वर्षा प्राप्त करता है।

प्रश्न 19.
ऊर्ध्वपातन क्या होता है?
उत्तर:
बिना तरलावस्था में आए वाष्प का हिम में बदलना या हिम का वाष्प में बदलना ऊर्ध्वपातन कहलाता है।

प्रश्न 20.
गुप्त ऊष्मा क्या होती है?
उत्तर:
वस्तु की अवस्था (State) बदलने पर ऊष्मा का खर्च होना या मुक्त होना गुप्त ऊष्मा कहलाता है, क्योंकि इस प्रक्रिया में वस्तु के तापमान में कोई अन्तर नहीं होता।

प्रश्न 21.
वाष्पोत्सर्जन क्या होता है?
उत्तर:
भूमि तथा वनस्पति से होने वाला वाष्पन। इसमें जलाशयों (नदी, झील, तालाब), मिट्टियों, शैलों के पृष्ठों और पौधों से वाष्प के रूप में नमी की क्षति भी सम्मिलित है।

प्रश्न 22.
ऊँचे बादलों के कोई दो उदाहरण दें।
उत्तर:

  1. पक्षाभ
  2. पक्षाभ कपासी।

प्रश्न 23.
मध्य बादलों के कोई दो उदाहरण दें।
उत्तर:

  1. स्तरी मध्य
  2. कपासी मध्य।

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प्रश्न 24.
कम ऊँचाई वाले बादलों के कोई दो उदाहरण दें।
उत्तर:

  1. स्तरी वर्षा मेघ
  2. कपासी वर्षा मेघ

प्रश्न 25.
वर्षण के कौन-कौन-से रूप होते हैं?
उत्तर:
हिमपात, सहिम वर्षा, ओला वृष्टि और वर्षा।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
आर्द्रता किसे कहते हैं?
अथवा
वायुमण्डलीय आर्द्रता क्या होती है? यह कितने प्रकार की होती है?
उत्तर:
आर्द्रता का अर्थ-वायुमण्डल में गैस रूप में उपस्थित अदृश्य जलवाष्प की मात्रा को वायुमण्डल की आर्द्रता कहा जाता है। वायुमण्डल में जलवाष्प बहुत ही कम अनुपात में (शून्य से 4 प्रतिशत तक) होता है। जलवाष्प वाष्पीकरण क्रिया द्वारा महासागरों, सागरों, नदियों तथा झीलों आदि से प्राप्त होता है। स्थान और समय की दृष्टि से जलवाष्प की मात्रा सदा एक-जैसी नहीं रहती बल्कि बदलती रहती है।

वायुमण्डलीय आर्द्रता के प्रकार-वायुमण्डलीय आर्द्रता तीन प्रकार की होती है-

  • निरपेक्ष आर्द्रता
  • विशिष्ट आर्द्रता तथा
  • सापेक्ष आर्द्रता।

प्रश्न 2.
आर्द्रता अथवा जलवाष्प का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
1. वायुमण्डल में उपस्थित जलवाष्प की मात्रा द्रवण और वर्षण के सभी रूपों का स्रोत है। वर्षा, हिमपात, कोहरा व बादल जैसी मौसमी घटनाएँ जलवाष्प के कारण ही सम्भव होती हैं।

2. जलवाष्प सूर्य से आने वाली ऊष्मा (Incoming Solar Radiation) व पृथ्वी के विकिरण द्वारा निकलने वाली ऊष्मा का कुछ अंश अवशोषित करके पृथ्वी पर ताप की दशाओं को नियन्त्रित करता है।

3. जलवाष्प का वायुमण्डल में लम्बवत् वितरण एवं मात्रा गुप्त ऊष्मा की मात्रा को निर्धारित करते हैं जो तूफानों और विक्षोभों के विकास में मदद करती है।

4. वायुमण्डल में विद्यमान जलवाष्प की मात्रा मौसम के अनुसार मानव शरीर के ठण्डा होने की दर को प्रभावित करती है। जल का वाष्पन प्राकृतिक जलीय चक्र (Hydrologic Cycle) का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है।

प्रश्न 3.
प्राकृतिक जलीय चक्र में जलवाष्प की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
पृथ्वी पर जल का प्राथमिक स्रोत महासागर हैं। वायुमण्डल को अपने जलवाष्प का अधिकांश भाग पृथ्वी के तीन-चौथाई भाग पर व्याप्त महासागरों, झीलों, नदियों, हिम क्षेत्रों व हिमनदों से प्राप्त होता है। इन स्रोतों के अतिरिक्त गिरती हुई वर्षा की बूंदों तथा नम भूमियों (Swamps and Wet Lands) से वाष्पीकरण द्वारा, पेड़-पौधों की पत्तियों से बाष्पोत्सर्जन द्वारा तथा जीव-जन्तुओं द्वारा साँस लेने की क्रिया से उत्पन्न जलवाष्प वायुमण्डल में जा मिलता है। जलवाष्प संघनित होकर बादलों का रूप धारण करते हैं। पवनों द्वारा बादलों के रूप में यह आर्द्रता एक स्थान से दूसरे स्थान तक स्थानान्तरित होती है।

अनुकूल परिस्थितियाँ होने पर संघनित जलवाष्प वर्षा और हिम के रूप में भू-पृष्ठ पर गिरता है जो वृष्टि संयोग से महासागरों पर होती है उसका तो एक चक्र तभी पूरा हो जाता है और दूसरा आरम्भ भी हो जाता है। जो वर्षा स्थलखण्डों पर होती है उसका चक्र कुछ देर से पूरा होता है। ऐसे जल का कुछ भाग मिट्टी सोख लेती है व कुछ भाग पौधे अवशोषित कर लेते हैं जिसे वे बाद में वाष्पोत्सर्जन क्रिया द्वारा वायुमण्डल में छोड़ देते हैं।

शेष जल भूमिगत जल और धरातलीय प्रवाह के रूप में अन्ततः महासागरों में पुनः पहुँच जाता है और जलीय चक्र का फिर से हिस्सा बन जाता है। इस प्रकार भूमण्डलीय ताप सन्तुलन की तरह जलीय चक्र के माध्यम से प्रकृति में भूमण्डलीय जल सन्तुलन बना रहता है।

प्रश्न 4.
वाष्पीकरण क्या है? वाष्पीकरण की मात्रा और दर किन कारकों पर निर्भर करती है?
उत्तर:
वाष्पीकरण-जल के तरलावस्था अथवा ठोसावस्था से गैसीय अवस्था में परिवर्तन होने की प्रक्रिया को वाष्पीकरण कहते हैं। वाष्पीकरण की दर तथा मात्रा निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करती है

  • तापमान भूतल पर तापमान (Temperature) के बढ़ने से वाष्पीकरण की क्रिया तेजी से होती है तथा तापमान के घटने से इस क्रिया की दर में कमी आ जाती है।
  • शुष्कता-शुष्क (Aridity) वायु में जलवाष्प अधिक मात्रा में समा सकते हैं, परन्तु आर्द्र वायु की जलवाष्प ग्रहण करने की क्षमता कम होती है।
  • वायु परिसंचरण-चलती वायु में वाष्पीकरण अधिक मात्रा में होता है।
  • जल के स्रोत-महासागरों तथा सागरों पर महाद्वीपों की तुलना में बहुत अधिक वाष्पीकरण होता है।

प्रश्न 5.
संघनन क्या है और यह कब और कैसे होता है? अथवा संघनन का अर्थ स्पष्ट कीजिए तथा संघनन की प्रक्रिया को नियन्त्रित करने वाले कारकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
संघनन-जल के गैसीय अवस्था से तरलावस्था या ठोसावस्था में बदलने की प्रक्रिया को संघनन या द्रवीकरण कहते हैं। जैसे-जैसे आर्द्र हवा ठण्डी होने लगती है, वैसे-वैसे उसकी जलवाष्प धारण करने की क्षमता भी घटती जाती है। एक समय ऐसा आता है जिसमें एक विशेष ताप पर वह वायु संतृप्त हो जाती है, जिस तापमान पर वायु अपने में विद्यमान जलवाष्प से संतृप्त हो जाती है, उस तापमान को ओसांक (Dew Point) कहा जाता है। ओसांक पर वायु की सापेक्ष आर्द्रता 100 प्रतिशत होती है। संघनन तब होता है जब वायु का ताप ओसांक से भी नीचे गिर जाता है।

ऐसा दो कारणों से हो सकता है-

  • वायु के ठण्डा होने से
  • वायु की सापेक्ष आर्द्रता बढ़ने पर।

उपर्युक्त दोनों घटनाएँ नीचे दी गई चार परिस्थितियों में से किसी-न-किसी एक के साथ जुड़कर सम्भव होती हैं-

  • जब वायु का तापमान घटकर ओसांक तक पहुँच जाए किन्तु उसका आयतन वही रहे।
  • जब वायु का आयतन ऊष्मा की मात्रा बढ़ाए बिना ही बढ़ जाए।
  • जब वायु की आर्द्रता धारण करने की क्षमता, तापमान और वायु के आयतन के संयुक्त रूप से घटने के कारण घट जाए और वायु में उपस्थित आर्द्रता की मात्रा से भी कम हो जाए।
  • जब वाष्पीकरण द्वारा वायु में आर्द्रता की अतिरिक्त मात्रा मिल जाए। जलवाष्प के संघनन की सबसे अनुकूल स्थिति तापमान के घटने से उत्पन्न होती है।

प्रश्न 6.
ओस किसे कहते हैं?
अथवा
ओस कैसे बनती है?
उत्तर:
ओस-जाड़े की रातों में जब आकाश स्वच्छ होता है तो तीव्र भौमिक विकिरण से धरातल ठण्डा हो जाता है। ठण्डे धरातल पर ठहरी वायुमण्डल की आर्द्र निचली परतें भी ठण्डी होने लगती हैं। धीरे-धीरे यह वायु ओसांक तक ठण्डी हो जाती है। इससे वायु में विद्यमान जलवाष्प संघनित हो जाता है और नन्हीं-नन्हीं बूंदों के रूप में घास व पौधों की पत्तियों पर जमा हो जाता है। वाष्प से बनी जल की इन बूंदों को ओस कहते हैं।

प्रश्न 7.
ओस पड़ने के लिए किन-किन दशाओं का होना आवश्यक है?
उत्तर:
ओस पड़ने के लिए निम्नलिखित दशाओं का होना आवश्यक है-

  1. रातें ठण्डी और लम्बी हों, ताकि भूतल से देर तक विकिरण हो और भूतल पर ठहरी वायु ठण्डी होकर ओसांक तक पहुँचे।
  2. आकाश मेघ-विहीन हो, ताकि भू-तल से होने वाली ऊष्मा का विकिरण निर्बाध गति से सम्पन्न हो सके। तभी भूतल और उसके सम्पर्क में आई हवा ठण्डी हो पाएगी।
  3. वायु शान्त हो, ताकि वह ठण्डे भूतल पर अधिक देर तक ठहरकर स्वयं भी ठण्डी हो जाए। इससे ओसांक जल्दी प्राप्त होगा।
  4. वायु में सापेक्ष आर्द्रता का प्रतिशत ऊँचा हो, ताकि थोड़ा-सा तापमान गिरते ही वायु संतृप्त (Saturate) हो जाए।
  5. ओसांक हिमांक से ऊपर हो, ताकि जलवाष्प जल के बिन्दुओं में परिवर्तित हो जाएँ। यदि ओसांक हिमांक (0°C) से नीचे गिर जाएगा तो वाष्प के जम जाने से पाला पड़ेगा, ओस नहीं।

प्रश्न 8.
कोहरा और कुहासा (धुंध) कैसे बनते हैं?
उत्तर:
कोहरा और कुहासा (Fog and Mist) वास्तव में बादल होते हैं जो पृथ्वी के धरातल के पास बनते हैं। जब भू-तल के निकट वायु के ठण्डा होने से वायु की सापेक्ष आर्द्रता 100 प्रतिशत से बढ़ जाए तो वाष्प-कण संघनित होकर जल के अति सूक्ष्म कणों या हिमकणों में परिवर्तित होकर हवा की निचली परतों में लटके हुए ठोस कणों के चारों ओर एकत्रित हो जाते हैं। इससे जाता है और दृश्यता कम हो जाती है। कोहरे और कुहासे में केवल दृश्यता के विस्तार का अन्तर है। कोहरा घना होता है जिसमें एक किलोमीटर से परे दिखाई नहीं पड़ता। सघन कोहरे (Thick Fog) में तो 200 मीटर तक देख पाना कठिन होता है। कुहासा (धुन्ध) कुछ हल्का होता है जिसमें एक से दो किलोमीटर तक की चीजें दिखाई देती हैं।

प्रश्न 9.
मेघ कैसे बनते हैं? औसत ऊँचाई के आधार पर मेघों के तीन प्रकार बताइए।
उत्तर:
मेघों का बनना-मेघ काफ़ी ऊँचाई पर वायु में लटके हुए ठोस कणों पर संघनित हुए जल बिन्दुकों या हिमकणों के विशाल समूह होते हैं। मेघ ऊपर उठती हुई गर्म व आर्द्र वायुराशियों के रुद्धोष्म प्रक्रिया द्वारा ठण्डे होने पर उसके तापमान के ओसांक से नीचे गिरने से बनते हैं। इस दृष्टि से मेघ वायुमण्डल की ऊँचाइयों पर बनने वाला कोहरा माना जा सकता है। अतः मेघों का निर्माण वायु में उपस्थित महीन धूलकणों के केन्द्रकों के चारों ओर जलवाष्प के संघनित होने से होता है।

औसत ऊँचाई के आधार पर मेघों के प्रकार-औसत ऊँचाई के आधार पर मेघों के तीन प्रकार निम्नलिखित हैं-
1. निचले मेघ इनकी ऊँचाई भूतल से 2,000 मीटर होती है। निचले मेघ निम्नलिखित तरह के होते हैं-

  • स्तरीय कपासी मेघ
  • स्तरी मेघ
  • कपासी मेघ
  • वर्षा स्तरी मेघ
  • वर्षा कपासी मेघ आदि।

2. मध्यम ऊँचाई वाले मेघ-इनकी ऊँचाई भू-तल से 2,000 मीटर से 6,000 मीटर तक होती है। मध्यम ऊँचाई वाले मेघ निम्नलिखित तरह के होते हैं-

  • मध्य स्तरी मेघ
  • मध्यम कपासी मेघ आदि।

3. ऊँचे मेघ–इनकी ऊँचाई भू-तल से 6,000 मीटर से 12,000 मीटर तक होती है। ऊँचे मेघ निम्नलिखित तरह के होते हैं-

  • पक्षाभ मेघ
  • पक्षाभ स्तरी मेघ
  • पक्षाभ कपासी मेघ आदि।

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प्रश्न 10.
संवहनीय वर्षा कैसे होती है?
उत्तर:
भूतल के गर्म हो जाने पर उसके सम्पर्क में आने वाली वायु भी गर्म हो जाती है। वायु गर्म होकर फैलती है और हल्की हो जाती है। हल्की होकर वायु ऊपर की ओर उठती है। इससे संवहनी धाराएँ उत्पन्न हो जाती हैं। ऊपर जाकर वायु ठण्डी हो जाती है और उसमें अधिक जलवाष्प का संघनन होने लगता है। बादलों की गर्जन व बिजली की चमक के साथ मूसलाधार वर्षा होती है। भूमध्य रेखीय प्रदेशों में होने वाली वर्षा इसी प्रकार की संवहनीय वर्षा होती है।

प्रश्न 11.
पर्वत-कृत वर्षा कैसे होती है?
उत्तर:
आर्द्रता से भरी हुई गर्म पवनें जब किसी पर्वत या पठार के सहारे ऊपर उठती हैं तो वे ठण्डी हो जाती हैं। वायु के संतृप्त होने पर जलवाष्प का संघनन व बाद में वर्षा होने लगती है। इस प्रकार की वर्षा को पर्वतकृत वर्षा कहते हैं। भारत में अधिकतर वर्षा इसी प्रकार की होती है।

प्रश्न 12.
चक्रवाती अथवा वाताग्री वर्षा कैसे होती है?
उत्तर:
ऐसी वर्षा चक्रवातों के कारण होती है। शीतोष्ण कटिबन्धों में जब भिन्न-भिन्न तापों व आर्द्रता वाली वायुराशियाँ टकराती हैं तो ठण्डी वायुराशि गर्म वायुराशि को ऊपर की ओर धकेल देती है। इसके परिणामस्वरूप वायु में भीषण उथल-पुथल और तूफानी दशाएँ उत्पन्न हो जाती हैं और वातानों पर वर्षा होने लगती है। इस प्रकार की वर्षा को वाताग्री अथवा चक्रवाती वर्षा कहते हैं।

प्रश्न 13.
विशिष्ट आर्द्रता (Specific Humidity) क्या होती है? इसका प्रयोग कब किया जाता है?
उत्तर:
विशिष्ट आर्द्रता वायु के प्रति इकाई भार में जलवाष्प के भार को विशिष्ट आर्द्रता कहते हैं। इसे ग्राम प्रति किलोग्राम द्वारा व्यक्त किया जाता है। आता को व्यक्त करने का यह कुछ बेहतर तरीका है क्योंकि इस पर तापमान और वायुदाब के परिवर्तन का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। विशिष्ट आर्द्रता का प्रयोग किसी विशाल वायुराशि के आर्द्रता सम्बन्धी लक्षणों का वर्णन करने के लिए किया जाता है; जैसे

  • सर्दियों में आर्कटिक प्रदेशों में अत्यधिक ठण्डी, शुष्क वायु की विशिष्ट आर्द्रता 0.2 ग्राम प्रति किलोग्राम होती है।
  • भूमध्यरेखीय खण्ड में अत्यधिक उष्ण एवं आर्द्र वायु की विशिष्ट आर्द्रता 18 ग्राम प्रति किलोग्राम होती है।

प्रश्न 14.
विश्व में वर्षा के वार्षिक वितरण के बारे में संक्षेप में लिखें।
उत्तर:
सम्पूर्ण विश्व में वर्षा समान रूप से नहीं होती। विश्व के कई मरुस्थली क्षेत्र ऐसे हैं जहाँ वर्षा बहुत कम होती है। दूसरी ओर भारत में मौसिनराम (चेरापूंजी के निकट), मेघालय में लगभग 1140 सें०मी० औसत वार्षिक वर्षा होती है। वर्षा की दृष्टि से विश्व को निम्नलिखित भागों में बाँट सकते हैं-
1. विषुवतीय अत्यधिक वर्षा वाली पेटियाँ यहाँ औसत वर्षा 200 सें०मी० से अधिक है। यह क्षेत्र भूमध्य रेखा से 1° अक्षांश उत्तर और दक्षिण के मध्य स्थित है। यहाँ प्रतिदिन दोपहर के बाद वर्षा होती है।

2. उष्ण कटिबन्धीय प्रदेश-इन प्रदेशों में महाद्वीपों के पूर्वी क्षेत्रों में पर्याप्त वर्षा होती है, परन्त पश्चिमी क्षेत्रों में वर्षा 25 सें०मी० से कम होती है। इसलिए उष्ण कटिबन्ध के पश्चिम में मरुस्थल पाए जाते हैं।

3. शीतोष्ण कटिबन्धीय प्रदेश इन क्षेत्रों में चक्रवाती वर्षा होती है। यहाँ औसत वर्षा 100 सें०मी० से 125 सें०मी० तक होती है।

4. शीत कटिबन्धीय प्रदेश-यहाँ वर्षा हिमपात के रूप में होती है। यहाँ वर्षा 25 सें०मी० से कम होती है।

प्रश्न 15.
हिमपात तथा सहिम वृष्टि किसे कहते हैं?
उत्तर:
हिमपात-जब वायुमण्डल में जलवाष्प संघनन की प्रक्रिया द्वारा वायु का तापक्रम हिमांक बिन्दु से नीचे चला जाता है तो ऐसी स्थिति में वृष्टि ठोस रूप में होती है, जिसे हिमपात (Snowfall) कहते हैं। षट्कोण के आकार के बर्फ के टुकड़े रुई के समान धरातल पर गिरते हैं तो इन्हें हिमलव या हिमतूल (Snow Flakes) कहते हैं। इनका निर्माण हिम क्रिस्टलों के जुड़ने से होता है।

सहिम वृष्टि या कारकापात-जमाव बिन्दु के तापमान के साथ जब वायु की एक परत सतह के नजदीक आधी जमी हुई परत पर गिरती है तब सहिम वृष्टि (Sleet) होती है। दूसरे शब्दों में इस प्रकार की वर्षा में जल की बूंदें और हिमकण साथ-साथ बरसती हैं।

निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
वायु की आर्द्रता से क्या अभिप्राय है? निरपेक्ष और सापेक्ष आर्द्रता की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
वायु की आर्द्रता (Humidity of Wind) वायु में उपस्थित जलवाष्प को वायु की आर्द्रता कहते हैं। वायु में आर्द्रता वाष्पीकरण द्वारा प्राप्त होती है। समुद्रों, झीलों, नदियों, तालाबों तथा अन्य जलाशयों से सदा जल का वाष्पीकरण होता रहता है। वाष्पीकरण द्वारा जितना भी जल वाष्पीय अवस्था में वायुमण्डल में प्रवेश करता है वह वायुमण्डल में आर्द्रता उत्पन्न करता है। वायुमण्डल में औसत आर्द्रता 2% होती है यद्यपि यह लगभग शून्य से 4% तक पायी जा सकती है।

वायु की जलवाष्प को शोषित करने की एक निश्चित सीमा होती है। यह सीमा तापमान के बढ़ने पर बढ़ जाती है। किसी निश्चित तापमान पर एक घन मीटर वायु कितने जलवाष्प की मात्रा का शोषण कर सकती है उसे वायु की वाष्प शोषण करने की क्षमता कहते हैं। जब वायु अपनी पूरी क्षमता जितना जलवाष्प अपने अन्दर शोषित कर ले तो वह संतृप्त वायु (Saturated Air) कहलाती है। इससे अधिक जलवाष्प की उपस्थिति में संघनन (Condensation) होना आरम्भ हो जाता है। एक घन मीटर वायु द्वारा विभिन्न तापमानों पर अधिकतम जलवाष्प को सम्भालने की क्षमता को निम्नलिखित तालिका से ज्ञात किया जा सकता है-

निरपेक्ष आर्द्रता तापमान सापेक्ष आर्द्रता
10 ग्रा० प्रति घन मीटर 15° 15%
10 ग्रा० प्रति घन मीटर 10° 62.5%
16. ग्रा० प्रति घन मीटर 15° 80%

1. निरपेक्ष आर्द्रता (Absolute Humidity)-वायु के किसी आयतन में निश्चित समय पर उपस्थित जलवाष्प की मात्रा को निरपेक्ष आर्द्रता कहते हैं। इसे प्रायः ग्रेन प्रति घन फुट अथवा ग्राम प्रति घन मीटर में प्रकट किया जाता है। उदाहरणतः यदि किसी समय एक घन मीटर में 15 ग्राम जलवाष्प है तो निरपेक्ष आर्द्रता 15 ग्राम प्रति घन मीटर होगी। यह वाष्पीकरण की मात्रा पर निर्भर टर होगी। यह वाष्पीकरण की मात्रा पर निर्भर करती है। भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर जाने पर निरपेक्ष आर्द्रता घटती जाती है। इसी प्रकार समुद्र से दूरी बढ़ने पर भी निरपेक्ष आर्द्रता घटती है।

2. सापेक्ष आर्द्रता (Relative Humidity)-किसी निश्चित तापमान पर वायु के किसी आयतन में उपस्थित जलवाष्प की मात्रा तथा उसी तापमान पर उसी वायु को संतृप्त करने के लिए आवश्यक जलवाष्प की मात्रा के अनुपात को सापेक्ष (आपेक्षिक) आर्द्रता (Relative Humidity) कहते हैं। इसको प्रतिशत में प्रकट किया जाता है।

प्रश्न 2.
संघनन किसे कहते हैं? संघनन के विभिन्न रूपों के नाम बताते हुए किसी एक का वर्णन करें। अथवा बादल के विभिन्न रूपों का वर्णन करें।
उत्तर:
संघनन का अर्थ (Meaning of Condensation)-जिस क्रिया द्वारा वायु में उपस्थित जलवाष्प गैस अवस्था से द्रव अवस्था में परिवर्तित होता है, उसे संघनन कहते हैं। (Change of water vapour into water is called condensation)। वाय होने से जलवाष्प की शोषण करने की क्षमता कम हो जाती है। अतः तापमान कम हो जाने पर वायु में पहले से ही उपस्थित जलवाष्प की मात्रा से वायु संतृप्त हो जाती है। जिस तापमान पर वायु संतृप्त हो जाती है उसे ओसांक (Dew Point) कहते हैं। वायुमण्डल में सूक्ष्म धूल के कण, धुआँ तथा समुद्री नमक के महीन कण संघनन के केन्द्र होते हैं इन्हें संघनन केन्द्रक कहा जाता है। इन्हीं के द्वारा संघनन की प्रक्रिया होती है। संघनन की प्रक्रिया के लिए निम्नलिखित तत्त्व उत्तरदायी हैं

  • जब तापमान में कमी आ जाती है तो वह ओसांक बिन्दु तक पहुँच जाता है।
  • जब वायु की आर्द्रता धारण करने की क्षमता घटकर विद्यमान आर्द्रता की मात्रा से कम हो जाए।
  • जब वाष्पीकरण द्वारा वायु में आता की मात्रा में अतिरिक्त वृद्धि हो जाए।

संघनन के रूप (Forms of Condensation)-संघनन द्वारा निम्नलिखित स्वरूप विकसित होते हैं-

  • ओस
  • तुषार या पाला
  • कुहासा एवं कोहरा
  • बादल या मेघ

बादल या मेघ (Clouds)-वायुमण्डल में ऊँचाई पर जलकणों या हिमकणों के जमाव एवं संघनन को बादल कहते हैं। मेघों का निर्माण वायु के ऊपर उठने वाली वायु के ठण्डा होने से होता है। मेघ कोहरे का बड़ा रूप है जो वायुमण्डल में वायु के रुद्धोष्म प्रक्रिया द्वारा उसका तापमान ओसांक बिन्दु से नीचे आने से बनते हैं। बादलों की आकृति उनकी निर्माण प्रक्रिया पर आधारित है, लेकिन उनकी ऊँचाई, आकृति, रंग, घनत्व तथा प्रकाश के परावर्तन के आधार पर बादलों को निम्नलिखित चार रूपों में वर्गीकृत किया जा सकता है
1. पक्षाभ बादल (Cirrus Clouds) इस प्रकार के बादल आकाश में सबसे अधिक ऊँचाई पर रेशों की भाँति दिखाई देते हैं। ये सफेद रुई के समान बिखरे होते हैं। इनमें से सूर्य की किरणें आसानी से पार हो जाती हैं। जब ये बादल आकाश में झुण्ड के रूप में एकत्रित हो जाते हैं तो चक्रवात के आने की सम्भावना होती है।

2. कपासी बादल (Cumulus Clouds) कपास के ढेर के समान फैले हुए बादलों को कपासी बादल कहते हैं। कभी-कभी ये बादल लहरदार आकृति में भी देखने को मिलते हैं। इनकी ऊँचाई भी पक्षाभ बादलों के समान अधिक होती है। ये चपटे आधार वाले होते हैं।

3. स्तरी बादल (Startus Clouds)-दो विपरीत स्वभाव वाली पवनों के आपस में मिलने से इस प्रकार के बादलों का निर्माण होता है। ये आकाश में चादर की भाँति 2 कि०मी० की ऊँचाई तक फैले होते हैं। इनका निर्माण शीतोष्ण कटिबन्ध में शीत ऋतु में होता है।

4. वर्षा बादल (Nimbus Clouds) ये काले तथा घने रूप में कम ऊँचाई पर फैले होते हैं। इनसे पर्याप्त वर्षा होती है और वर्षा से पूर्व घने रूप में ये काली छटा के रूप में आकाश में फैल जाते हैं।

HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 11 वायुमंडल में जल

प्रश्न 3.
वर्षा के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वर्षा के तीन प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं-

  • संवहनीय वर्षा
  • पर्वतीय वर्षा
  • चक्रवातीय वर्षा।

1. संवहनीय वर्षा (Convectional Rainfall) धरातल पर सूर्यातप के कारण वायु गर्म एवं हल्की होकर वायुमण्डल में उठती है और ऊपर जाकर फैलती है। फैलने से वायु के ठण्डी होने से उसका संघनन आरम्भ हो जाता है जिसके फलस्वरूप वर्षा होती है, इसे संवहनीय वर्षा कहते हैं। वायु के गर्म होकर ऊपर उठने से वायुमण्डल में संवहनीय धाराएँ चलने लगती हैं, इसलिए इसे संवहनीय वर्षा कहते हैं। विषुवतीय प्रदेशों में प्रतिदिन सुबह के समय धरातल गर्म होने से हवाएँ गर्म एवं हल्की होकर ऊपर उठती हैं, जिससे संवहनिक धाराएँ चला करती हैं और प्रतिदिन दोपहर बाद वर्षा होती है। भूमध्य रेखीय प्रदेशों में तापक्रम एवं आर्द्रता की अधिकता के कारण प्रत्येक दिन इस प्रकार की वर्षा होती है।

2 पर्वत-कृत वर्षा अथवा पर्वतीय वर्षा (Orographic Rainfall) जब गर्म वायु किसी समुद्री भाग के ऊपर से गुजरती है तो उसकी आर्द्रता ग्रहण करने की क्षमता अधिक होती है और वह पर्याप्त आर्द्रता के साथ आगे बढ़ती है। जब उसके मार्ग में कोई पर्वत श्रेणी अथवा पर्वत चोटी आ जाती है, तो वह गर्म तथा आर्द्र हवा पर्वत के सहारे ऊपर चढ़ती है और ऊँचाई पर संघनन के कारण पर्वताभिमुखी ढाल पर (Windward Slope) पर्याप्त वर्षा करती है, लेकिन जैसे-जैसे ये हवाएँ पर्वत शिखर को पार करके पवनविमुखी ढाल की ओर उतरती हैं तो उनकी आर्द्रता समाप्त हो जाती है और ये शुष्क हो जाती हैं, इसलिए वर्षा नहीं करतीं। अतः दूसरी ओर का ढाल (पवनविमुखी) (Leeward Slope) वृष्टि छाया प्रदेश में आ जाता है। अरब सागर से वाष्प भरी हवाएँ मुम्बई में अधिक वर्षा करती हैं, लेकिन महाबलेश्वर पर्वत को पार करने के बाद उनकी आर्द्रता कम हो जाती है, इसलिए पुणे में मुम्बई की अपेक्षा बहुत कम वर्षा होती है।

3. चक्रवातीय वर्षा (Cyclonic Rainfall)-दो विपरीत स्वभाव वाली वायुराशियों के अभिसरण (Convergence) के कारण चक्रवाती वर्षा होती है। मध्य अक्षांशों (शीतोष्ण कटिबन्धों) में जब उष्ण कटिबन्धीय क्षेत्रों से गर्म एवं आर्द्र हवाएँ और ध्रुवीय क्षेत्रों की ठण्डी एवं भारी हवाएँ आती हैं तो गर्म तथा उष्ण हवाएँ हल्की होने के कारण शीतल एवं भारी हवाओं के ऊपर चली जाती हैं तथा वायुमण्डल में ऊँचाई पर जाने से संघनन द्वारा वर्षा करती हैं, उसे चक्रवातीय वर्षा कहते हैं। शीत ऋतु में उत्तरी-पश्चिमी भारत में इस प्रकार की वर्षा होती है।

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