Haryana State Board HBSE 11th Class Chemistry Solutions Chapter 13 हाइड्रोकार्बन Textbook Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 11th Class Chemistry Solutions Chapter 13 हाइड्रोकार्बन
प्रश्न 1.
मेथेन के क्लोरीनीकरण के दौरान ऐथेन कैसे बनती है ? आप इसे कैसे समझाएँगे।
उत्तर:
जब मेथेन का क्लोरीनीकरण होता है तो मुक्त मूलक बनता है यह मुक्त मूलक आपस में मिलकर ऐथेन बनाता है एवं प्रृंखला समापन पद का कार्य करता है।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित यौगिकों के I.U.P.A.C. नाम लिखिए-
उत्तर:
प्रश्न 3.
निम्नलिखित यौगिकों, जिनमें द्विआबन्ध तथा त्रिआबन्ध की संख्या दशाई गई है, के सभी सम्भावित स्थिति समावयवियों के संरचना सूत्र एवं I.U.P.A.C. नाम दीजिए-
(क) C4H8 (एक द्विआबन्ध)
(ख) C5H8 (एक त्रिआबन्ध)
उत्तर:
प्रश्न 4.
निम्नलिखित यौगिकों के ओजोनी- अपघटन के पश्चात् बनने वाले उत्पादों के नाम लिखिए-
(i) पेन्ट-2-ईन
(ii) 3, 4-डाईमेथिल-हेप्ट-3-ईन
(iii) 2-एथिल ब्यूट-1-ईन
(iv) 1-फेनिल ब्यूट-1-ईन
उत्तर:
प्रश्न 5.
एक ऐल्कीन ‘A’ के ओजोनी अपघटन से पेन्टेन-3ओन तथा ऐथेनेल का मिश्रण प्राप्त होता है। ‘A’ का I.U.P.A.C. नाम तथा संरचना दीजिए।
उत्तर:
ऐल्कीन ‘A’ 3 -ऐथिल पेन्ट-2-ईन है। इसकी संरचना तथा होने वाली ओजोनी अपघटन अभिक्रिया निम्नलिखित है-
प्रश्न 6.
एक ऐल्कीन A में तीन C-C, आठ C-H सिग्मा-आबन्ध तथा एक C-C पाई आबन्ध हैं। A ओजोनी अपघटन से दो अुण एल्डिहाइड, जिनका मोलर द्रव्यमान 44 है, देता है। A का आई. यू. पी. ए. सी. नाम लिखिए।
उत्तर:
एल्डिहाइड, जिसका मोलर द्रव्यमान 44 है एवं जो ओजोनी अपघटन से प्राप्त होता है, CH3CHO (ऐथेनेल) है। चूँकि एक ही एल्डिहाइड ऐथेनेल के दो मोल, ऐल्कीन ‘A ‘ से बनते है, अतः ऐल्कीन का अणुसूत्र है-
प्रश्न 7.
एक ऐल्कीन, जिसके ओजोनी अपघटन से प्रोपेनेल तथा पेन्टेन-3-ओन प्राप्त होते हैं, का संरचनात्मक सूत्र क्या है?
उत्तर:
ऐल्कीन का नाम 3 -ऐथिल हेक्स-3-ईन है। इसका संरचनात्मक सूत्र तथा ओजोनी अपघटन अभिक्रिया निम्नलिखित है-
प्रश्न 8.
निम्नलिखित हाइड्रोकार्बनों के दहन की रासायनिक अभिक्रिया लिखिए-
(1) ब्यूटेन,
(2) पेन्टीन,
(3) हेक्साइन,
(4) टॉलूईन।
उत्तर:
प्रश्न 9.
हेक्स-2-ईन की समपक्ष (सिस) तथा विपक्ष (ट्रांस) संरचनाएँ बनाइये। इनमें से कौन-से समावयव का क्वथनांक उच्च होता है और क्यों ?
उत्तर:
यहाँ समपक्ष का क्वथनांक उच्च होता है, जोकि उच्च द्विध तुव-आघूर्ण के कारण होता है। द्विध्रुव आघूर्ण अधिक होने के कारण तुवणता अधिक होती है जिससे अधिक बान्डर-वाल्स आकर्षण बल उत्पन्न हो जाता है।
प्रश्न 10.
बेन्जीन में तीन द्वि-आबन्ध होते हैं, फिर भी यह अत्यधिक स्थायी है, क्यों ?
उत्तर:
बेन्जीन में अनुनाद पाया जाता है एवं यह विभिन्न अनुनादी संरचना को प्रदर्शित करता है। केकुले ने उपरोक्त दिखाई गयी संरचनाओं को दिया। चूँक अनुनाद के कारण बेन्जीन में सभी बन्धों की लम्बाई एकसमान होती है और वह द्वि-आबन्ध एवं एकल आबन्ध के मध्य की होती है। जिसके कारण इन संरचनाओं का स्थायित्व बढ़ जाता है और यह अधिक स्थायी हो जाता है।
प्रश्न 11.
किसी निकाय द्वारा ऐरोमैटिकता प्रदर्शित करने के लिए आवश्यक शर्तें क्या हैं?
उत्तर:
ऐरोमैटिकता प्रदर्शित करने के लिए निम्न गुण होने आवश्यक हैं-
- वे चक्रीय एवं समतलीय होने चाहिए।
- इनमें एक या इससे अधिक द्विबन्ध उपस्थित होने चाहिए। द्विबन्ध उपस्थित होने के बावजूद ये योगात्मक अभिक्रियाओं की तुलना में प्रतिस्थापना
अभिक्रियाओं को प्राथमिकता देते हैं। - ये समतलीय होने चाहिए।
- वलय में (4n + 2)π इलेक्ट्रॉन होने चाहिए। जहाँ n एक पूर्णांक है।
- यौगिक में अनुनाद प्रदर्शित करने की क्षमता होनी चाहिए।
प्रश्न 12.
इनमें से कौन से निकाय ऐरोमैटिक नहीं हैं? कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
इसमें (4n + 2)π इलेक्ट्रॉन = 6π इलेक्ट्रॉन
परन्तु ये इलेक्ट्रॉन विस्थानीकृत नहीं होते हैं अतः यह ऐरोमैटिक नहीं हैं।
इसमें (4n + 2)π इलेक्ट्रॉन = 6 होने चाहिए। परन्तु इसमें केवल 4π इलेक्ट्रॉन हैं अतः यह ऐरोमैटिक नहीं है।
इसमें (4n + 2)π इलेक्ट्रॉन = 6 होने चाहिए, परन्तु इसमें 8π इलेक्ट्रॉन है। अतः यह ऐरोमैटिक नहीं है।
प्रश्न 13.
बेन्जीन को निम्न में परिवर्तित कैसे करोगे-
(1) p – नाइट्रोबेन्जीन
(2) m – नाइट्रोक्लोरो बेन्जीन
(3) p – नाइट्रोटॉलूईन
(4) ऐसीटोफिनोन
उत्तर:
प्रश्न 14.
ऐल्केन CH3 – CH2 – C(CH3)2 – CH2 – CH(CH3)2 में 1°, 2° तथा 3° कार्बन परमाणुओं की पहचान कीजिए तथा प्रत्येक कार्बन से आबन्धित कुल हाइड्रोजन परमाणुओं की संख्या भी बताइए।
उत्तर:
अगर कार्बन परमाणु तीन हाइड्रोजन से जुड़ा हो तो उसे 1° कार्बन परमाणु कहते हैं।
अगर कार्बन परमाणु दो हाइड्रोजन से जुड़ा हो तो उसे 2° कार्बन परमाणु कहते हैं।
अगर कार्बन परमाणु एक हाइड्रोजन से जुड़ा हो तो उसे 3° कार्बन परमाणु कहते हैं।
प्रश्न 15.
क्वथनांक पर ऐल्केन की श्वृंखला के शाखन का क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर:
आण्विक द्रव्यमान बढ़ने के साथ-साथ ऐल्केनों के क्वथनांक बढ़ जाते हैं क्योंकि वान्डरवाल का आकर्षण बल बढ़ जाता है। जैसे-जैसे ऐल्केन को शृंखला में वृद्धि होती है इनका क्वथनांक कम हो जाता है क्योंकि शृंखलाओं की संख्या बढ़ने से अणु की आकृति लगभग गोल हो जाती है। इन गोलाकार अणुओं में कम आपसी सम्पर्क स्थल तथा दुर्बल आन्तराण्विक आकर्षण बल होता है।
उदाहरण-
क्वथनांक CH3CH2CH2CH2CH3>
प्रश्न 16.
प्रोपीन पर HBr के संकलन से 2 -ब्रोमोप्रोपेन बनता है, जबकि बेंजॉयल परॉक्साइड की उपस्थिति में यह अभिक्रिया 1-ब्रोमोप्रोपेन देती है। क्रियाविधि की सहायता से इसका कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रथम स्थिति-
इस स्थिति में क्रियाविधि निम्नानुसार दर्शाई जा सकती है-
प्रश्न 17.
1, 2-डाइमेथिलबेन्जीन (o-जाइलीन) के ओजोनी अपघटन को फलस्वरूप निर्मित उत्पादों को लिखिए। यह परिणाम बेन्जीन को केकुले संरचना की पुष्टि किस प्रकार करता है?
उत्तर:
O-जाइलीन का ओजोनीकरण निम्न प्रकार होता है-
उपरोक्त लिखित सभी उत्पाद वलय में एकान्तर क्रम में उपस्थित द्विआबन्धी की उपस्थिति के कारण हैं। चूँकि दोनों दी गई o-जाइलीन की सरचना ककुले को अनुनाद संरचना है जिससे भिन्न उत्पाद बन रहे हैं। अतः ओजोनीकरण से हम केकुले की संरचना की पुष्टि कर सकते हैं।
प्रश्न 18.
बेन्जीन, n-हैक्सेन तथा ऐथाइन को घटते हुए अम्लीय व्यवहार के क्रम में व्यवस्थित कीजिए एवं इस व्यवहार का कारण भी बताइए।
उत्तर:
अम्लीय व्यवहार – ऐथाइन > बेन्जीन n हेक्सेन
एथाइन में कार्बन sp संकरित है, जो कि सर्वाधिक s-प्रकृति होने के कारण अत्यधिक विद्युत ऋणी है और यह इलेक्ट्रॉनों के साझे युग्म को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है, जिसके कारण सरलता से H+ को मुक्त भी कर सकता है। अतः सर्वाधिक अम्लीय प्रकृति का होता है। बेन्जीन में कार्बन sp2 संकरित है या कम विद्युत ऋणी है, अतः कम सरलता से H+ मुक्त करेगा, जबकि n-हेक्सेन में कार्बन sp3 संकरित होने के कारण न्यूनतम विद्युत ऋणी है और सरलता से H+ को मुक्त नहीं करेगा। अतः n-हेक्सेन सबसे कम अम्लीय व्यवहार प्रदर्शित करता है।
प्रश्न 19.
बेन्जीन इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ सरलतापूर्वक क्यों प्रदशित करती हैं, जबकि उसमें नाभिकरनेहीं प्रतिस्थापन कठिन होता है।
उत्तर:
बेन्जीन में वलय के तल के ऊपर तथा नीचे 6π इलेक्ट्रॉनों का इलेक्ट्रॉन अभ्र (electron cloud) होता है। यह इलेक्ट्रॉनों का धनी स्रोत होता है। जब यह इलेक्ट्रॉनरागियों को अपनी ओर आकर्षित करता है, परिणामस्वरूप बेंजीन आसानी से इलेक्ट्रॉनरागी प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ देती है, जबकि नाभिकरागी प्रतिस्थापन कठिनाई से होता है।
प्रश्न 20.
आप निम्नलिखित यौगिकों को बेन्जीन में कैसे परिवर्तित करेंगे?
(1) ऐथाइन
(2) सेथीन
(3) हेक्सेन।
उत्तर:
प्रश्न 21.
उन सभी ऐल्कीनों की संरचनाएँ लिखिए, जो हाइड्रोजनीकरण करने पर 2-मेथिल ब्यूटेन देती हैं।
उत्तर:
प्रश्न 22.
निम्नलिखित यौगिकों को उनकी इलेक्ट्रॉनस्नेही (E+) के प्रति घटती आपेक्षित क्रियाशीलता के क्रम में व्यवस्थित कीजिए-
(क) क्लोरोबेन्जीन , 2, 4-डाइनाइट्रोक्लोरोबेन्जीन , p-नाइट्रोक्लोरोबेन्जीन
(ख) टॉलूईन, p-H3C-C6H4-NO2, p-O2N-C6H4-NO2
उत्तर:
(क) इलेक्ट्रॉनस्नेही प्रतिस्थापन के प्रति घटती क्रियाशीलता का सही क्रम निम्नलिखित है-
व्याख्या- NO2 समूह एक आक्रय समूह है एव यह बन्जान वलय पर इलेक्ट्रॉन स्नेही प्रतिस्थापन को अक्रिय कर देता है। अतः NO2-समूह की अधिक संख्या में उपस्थिति इलेक्ट्रॉन स्नेही प्रतिस्थापन को कम कर देती है।
(ख) घटती क्रियाशीलता का सही क्रम निम्नलिखित है-
व्याख्या-मेथिल समूह एक सक्रिय समूह है जबकि NO2 – समूह एक अक्रिय समूह है अतः उपरोक्त क्रम सही है।
प्रश्न 23.
बेन्जीन, m-डाईनाइट्रोबेन्जीन तथा टॉलूईन में से किसका नाइट्रीकरण आसानी से होता है और क्यों ?
उत्तर:
टॉलूईन का नाइट्रीकरण आसानी से होता है क्योंकि मेथिल समूह एक सक्रिय या इलेक्ट्रॉन विमुक्तन समूह होता है एवं यह बेन्जीन वलय पर इलेक्ट्रॉन घनत्व बढ़ा देता है।
प्रश्न 24.
बेन्जीन के ऐथिलीकरण में निर्जल AlCl3 के स्थान पर कोई दूसरा लुइस अम्ल सुझाइए।
उत्तर:
FeCl3 (फेरिक क्लोराइड) ।
प्रश्न 25.
क्या कारण है कि वुर्ट्ज अभिक्रिया विषम कार्बन परमाणु वाले विशुद्ध ऐल्केन बनाने के लिए प्रयुक्त नहीं की जाती ? उदाहरण देकर स्पष्ट करें।
उत्तर:
विषम संख्या कार्बन परमाणु वाले ऐल्केन बनाने के लिए दो भिन्न हैलो ऐल्केन की आवश्यकता होती है जिसमें एक सम संख्या एवं एक विषम संख्या कार्बन परमाणु वाला हैलो ऐल्केन होता है।
उदाहरण:
परन्तु यहाँ पेन्टेन के साथ-साथ कुछ अन्य ऐल्केन भी बनेगे। उदाहरण-ब्रोमोऐथेन, ब्यूटेन देता है तथा 1 -ब्रोमोप्रोपेन हेक्सेन देता है।
अतः ब्यूटेन, पेन्टेन तथा हेक्सेन का मिश्रण प्राप्त होगा। इस मिश्रण से प्रत्येक घटक को पृथक् करना अत्यधिक कठिन कार्य होगा।