Haryana State Board HBSE 10th Class Science Notes Chapter 14 उर्जा के स्रोत Notes.
Haryana Board 10th Class Science Notes Chapter 14 उर्जा के स्रोत
→ ऊर्जा (Energy)-किसी वस्तु द्वारा कार्य करने की क्षमता को उसकी ऊर्जा कहते हैं। ऊर्जा के विविध रूप होते हैं, ऊर्जा को एक रूप से दूसरे रूप में बदला जा सकता है।
→ विद्युत के उपकरणों को चलाने के लिए विद्युत ऊर्जा तथा शारीरिक कार्यों के लिए पेशीय ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
→ प्राचीनकाल में ऊर्जा के प्रमुख स्रोत के रूप में लकड़ी का प्रयोग होता था, पवन और बहते हुए जल की ऊर्जा का भी थोड़ा बहुत प्रयोग होता था।
→ कोयले के उपयोग के द्वारा औद्योगिक क्रान्ति हुई, ऊर्जा की बढ़ती माँग की पूर्ति जीवाश्मी ईंधन, कोयला और पेट्रोलियम पदार्थों के माध्यम से की जाने लगी।
→ जीवाश्म (Fossils)-जीव जन्तुओं व पेड़ पौधों के अवशेष जो लाखों वर्षों से पृथ्वी के अन्दर दबे हुए हैं जीवाश्म कहलाते हैं। जीवाश्मी ईधन को जलाने से अनेक प्रकार का प्रदूषण होता है। |
→ विद्युत संयंत्रों में विशाल मात्रा में जीवाश्मी ईधन को जलाकर जल को गर्म करके भाप बनाई जाती है जिसके द्वारा टरबाइनों को घुमाकर विद्युत उत्पन्न की जाती है।
→ हमारी ऊर्जा की आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए हमें ऊर्जा के उपयोग की दक्षता में सुधार का प्रयास करना चाहिए। साथ ही हमें ऊर्जा के नए वैकल्पिक स्रोतों का परीक्षण तथा उनका प्रयोग करना चाहिये। हमारे पारंपरिक ऊर्जा स्रोत, जैसे-जीवाश्मी ईंधन अत्यन्त सीमित हैं और शीघ्र ही समाप्त हो जाएँगे। जल विद्युत ऊर्जा एक नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत है। जीवाश्मी ईंधन को जलाने से कम ऊष्मा और अधिक धुआँ उत्पन्न होता है। चारकोल अधिक ऊष्मा उत्पन्न कर बिना ज्वाला के जलता है तथा धुआँ भी कम देता है।
→ जैव मात्रा (Bio-mass)-जन्तु एवं पौधों से प्राप्त ऐसे उत्पाद जिनका प्रयोग ईंधन के रूप में किया जाता है जैव मात्रा कहलाते हैं। बायो गैस (Bio gas)—जैव मात्रा के विघटन से उत्पन्न गैस जैव गैस या बायो गैस कहलाती है। बायोगैस को प्रायः गोबर गैस कहते हैं। इसमें 75% मीथेन गैस होती है। जैव गैस संयंत्र से उप-उत्पाद के रूप में स्लरी निकलती है जो एक उत्तम कोटि की खाद है जिसमें प्रचुर मात्रा में नाइट्रोजन तथा फॉस्फोरस होती है।
→ पवन ऊर्जा का उपयोग पवन चक्कियों द्वारा यांत्रिक कार्यों को करने में होता है। जिस स्थान पर अनेक पवन चक्कियाँ लगाई जाती हैं उस क्षेत्र को पवन ऊर्जा फार्म कहते हैं।
→ सौर ऊर्जा, असीमित ऊर्जा का एक विशाल वैकल्पिक स्रोत है। सौर ऊर्जा का एक बहुत छोटा हिस्सा ही पृथ्वी के वायुमण्डल की बाहरी परत तक पहुँच पाता है। इसका लगभग आधा भाग वायुमण्डल से गुजरते समय अवशोषित हो जाता है तथा शेष भाग पृथ्वी की सतह पर पहुँचता है। हमारा देश प्रतिवर्ष 5000 ट्रिलियन किलोवॉट घण्टा सौर ऊर्जा प्राप्त करता है।
→ पृथ्वी के किसी क्षेत्र में प्रतिदिन प्राप्त होने वाली सौर ऊर्जा का औसत परिमाप 4 से 7 kWh/m2, के बीच होता है।। सौर कुकर, सौर जल तापक, सौर सैल, सौर पैनल आदि सभी सूर्य की ऊर्जा पर आधारित यन्त्र हैं। जिनका प्रयोग विद्युत उत्पादन तथा अन्य उपयोगी कार्यों में होता है। सौर सैल बनाने के लिए सिलिकॉन का उपयोग किया जाता है।।
→ ज्वारीय ऊर्जा, तरंग ऊर्जा, सागरीय तापीय ऊर्जा के पूर्ण व्यापारिक दोहन में कुछ कठिनाइयाँ हैं। महासागरों की ऊर्जा की क्षमता अति विशाल है।
→ महासागरीय तापीय ऊर्जा (Ocean Thermal energy)-सूर्य के प्रकाश की गर्मी से सागर के जल में तापान्तर से प्राप्त ऊर्जा महासागरीय तापीय ऊर्जा कहलाती है।
→ तप्त स्थल (Hot spots)-भौमिकीय परिवर्तनों के कारण भू पर्पटी की गहराइयों में तप्त क्षत्रों में पिघली चट्टानें ऊपर धकेल दी जाती हैं जो कुछ क्षेत्रों में एकत्र हो जाती हैं। इन क्षेत्रों को तप्त स्थल कहते हैं।
→ नाभिकीय विखण्डन (Nuclear Fission)-किसी बड़े नाभिक का दो छोटे नाभिकों में विखण्डित होना नाभिकीय विखण्डन कहलाता है। इसमें अपार ऊर्जा मुक्त होती है।
→ हमारे देश में विद्युत उत्पादन क्षमता की केवल 3% आपूर्ति नाभिकीय विद्युत संयंत्रों से होती है। विकसित देश अपनी आवश्यकता की 30% से भी अधिक विद्युत शक्ति की आपूर्ति नाभिकीय विद्युत सयन्त्रों से कर रहे हैं।
→ तारापुर, राणाप्रताप सागर, कलपक्कम, नरौरा, काकरापार तथा कैगा में हमारे देश के नाभिकीय विद्युत संयंत्र स्थापित हैं।
→ प्राकृतिक पर्यावरण में नवीकरणीय ऊर्जा बड़ी मात्रा में उपलब्ध है। इसके भंडार असीमित हैं तथा भंडार खाली होने की बात व्यावहारिक दृष्टि से नगण्य है।