Class 12

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 2 Lost Spring

Haryana State Board HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 2 Lost Spring Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 2 Lost Spring

HBSE 12th Class English Lost Spring Textbook Questions and Answers

Question 1.
What could be some of the reasons for the migration of people from villages to cities? (गाँव से शहर की तरफ लोगों के आने के क्या कारण हो सकते हैं ?) [H.B.S.E. March, 2019 (Set-B)]
Answer:
More and more villagers keep migrating to cities. There are many reasons for the migration of people from villages to cities. They come to cities looking for work. With the increase in population, pressure on land is also increasing. The land for agriculture is limited. It cannot accommodate the growing families. So they come to cities for their livelihood. Sometimes, natural calamities also force people to leave villages and come to cities. Another reason is the mechanisation of farming.

Because of use of machines on the farms, less labour is required. So the surplus labour comes to cities in search of employment. Another reason is that due to modernisation, the social set up of the villages has been disturbed. The rural crafts are disappearing. The villages are no long self-sufficient. Lastly, cities have better facilities like good markets, hospitals, schools and colleges. That is why people form the villages are migrating to cities.

(अधिक-से-अधिक ग्रामीण शहरों की ओर विस्थापन करते आ रहे हैं। गाँवों से शहरों की ओर लोगों के विस्थापन करने के पीछे बहुत-से कारण हैं। वे शहरों में काम की तलाश में आते हैं। जनसंख्या में वृद्धि होने के कारण, भूमि पर दबाव बढ़ता जा रहा है। कृषि के लिए भूमि सीमित है। वह बढ़ते हुए परिवारों को समायोजित नहीं कर सकती है। इसलिए लोग रोजी-रोटी की तलाश में शहरों में आते हैं। कई बार, प्राकृतिक आपदाएँ भी लोगों को गाँव छोड़कर शहर आने के लिए मजबूर कर देती हैं। दूसरा कारण है कृषि का मशीनीकरण हो जाना।

क्योंकि खेतों में मशीनों के प्रयोग के कारण, मजदूरों की कम जरूरत पड़ती है। इसलिए फालतू श्रमिक रोजगार की तलाश में शहरों में आ जाते हैं। एक और कारण है, आधुनिकीकरण के कारण, गाँवों का सामाजिक ढाँचा बिगड़ गया है। ग्रामीण हस्त-शिल्प लुप्त होती जा रही हैं। अब गाँव स्वयं में स्वावलम्बी नहीं रहे हैं। अंतिम बात यह है कि शहरों में अच्छी सुविधाएँ उपलब्ध हैं जैसे कि अच्छे बाज़ार, अस्पताल, स्कूल और कॉलेज। यही कारण है कि लोग गाँवों से शहरों की ओर विस्थापन कर रहे हैं।)

Question 2.
Would you agree that promises made to poor children are rarely kept? Why do you think this happens in the incidents narrated in the text? [H.B.S.E. March, 2019 (Set-C)] (क्या आप इस बात से सहमत हैं कि गरीब बच्चों से किए गए वायदे कभी पूरे नहीं किए जाते? आपके विचार में पाठ में वर्णित घटनाओं में ऐसा क्यों होता है ?)
Answer:
Yes, the promises made to the poor children are rarely kept. When we see a poor child, we are filled with pity and want to help him. We may give him a little help at that moment. But we often make promises to them our temporary sense of pity at their plight. However, most of these promises are impracticable. In this lesson, Saheb is a poor ragpicker. The author feels pity for him. She asks him to join a school. Saheb replies that there is no school in the neighbourhood.

The author tells him half jokingly that she would start a school and would give him admission in it. This is not the real or serious promise. However, like other poor children, Saheb takes this promise seriously. After a few days, he asks the author whether her school is ready. The author herself knows that such promises cannot be fulfilled. She says, “But promises like mine abound in every corner of this bleak world.” In this way, promises made to poor children for their welfare are generally not serious promises. These promises are not meant to be fulfilled.

(हाँ, गरीब बच्चों के साथ किए गए वायदों को कभी-कभार ही पूरा किया जाता है। जब हम किसी गरीब बच्चे को देखते हैं तो दया से भर जाते हैं और हम उसकी मदद करना चाहते हैं। उसी क्षण हम उसकी कुछ मदद कर सकते हैं। लेकिन उनकी दुर्दशा को देखकर जो अस्थायी दया हमारे मन में आती है उसकी वजह से उनके साथ हम कुछ वायदे कर देते हैं। लेकिन इनमें से ज्यादातर वायदे व्यावहारिक नहीं होते। इस अध्याय में, साहेब एक गरीब कबाड़ बीनने वाला है। लेखिका को उस पर दया आती है। वह उसको स्कूल में दाखिला लेने के लिए कहती है।

साहेब कहता है कि पड़ोस में कोई स्कूल नहीं है। लेखिका उसके साथ मज़ाक करती हुई कहती है कि वह उसके लिए स्कूल खोलेगी और उसको स्कूल में दाखिला देगी। यह कोई सच्चा और गम्भीर वायदा नहीं है। लेकिन अन्य गरीब बच्चों की तरह, साहेब इस वायदे को गम्भीरता से लेता है। कुछ दिनों के बाद, वह लेखिका से पूछता है कि क्या उसका स्कूल तैयार हो गया है। लेखिका स्वयं भी जानती है कि ऐसे वायदों को पूरा नहीं किया जा सकता है। वह कहती है, “लेकिन मेरे जैसे वायदे तो उसकी अंधेरी दुनिया में बहुत पड़े हैं। इस तरह से, गरीब बच्चों से उनके कल्याण के लिए किए गए वायदे प्रायः गंभीर वायदे नहीं होते। ये वायदे पूरे करने के लिए नहीं होते।”)

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 2 Lost Spring

Question 3.
What forces conspire to keep the workers in the bangle industry of Firozabad in poverty? (कौन-सी शक्तियाँ षड्यन्त्र करके फिरोज़ाबाद के चूड़ी उद्योग के मजदूरों को गरीब रखती हैं ?) Or [2020 (Set-C)]
The bangle makers of Firozabad make beautiful bangles and make everyone happy but they live and die in squalor. Elaborate. [H.B.S.E. March, 2019 (Set-B)] (फिरोज़ाबाद के चूड़ी बनाने वाले लोग खूबसूरत चूड़ियाँ बनाते हैं और प्रत्येक को खुश रखते हैं परन्तु वे गन्दगी में ही जीते और मरते हैं। विस्तार से बताओ।) Or Write a brief note about the town of firozabad. [H.B.S.E. March, 2020 (Set-B)] (फिरोज़ाबाद नगर पर एक संक्षिप्त नोट लिखें।)
Answer:
Firozabad is a famous city of Uttar Pradesh. It is famous for its bangles and bangle industry. Many families in Firozabad have spent generations working around furnaces, grinding glass, welding it and making bangles. Apart from the elders, there are about 20,000 children working in these factories. They work in miserable conditions. The author feels pity for these workers. She comes across a child named Mukesh. She visits his house and finds that they live in great poverty and misery.

They work in very dim lights. Many of them lose their eyesight before they become adults. Mukesh’s grandfather had become blind with the dust from polishing the glass of bangles. They have fallen into the trap of middleman who exploit them. The author asks a group of young men why they don’t organize themselves into cooperative. When they try to get organized, they are hauled up by the police, beaten and dragged to jail. Thus, the middleman and police conspire to keep the workers of Firozabad in poverty.

(फिरोज़ाबाद उत्तर प्रदेश का एक प्रसिद्ध शहर है। यह अपनी चूड़ियों और चूड़ी उद्योग के लिए प्रसिद्ध है। फिरोज़ाबाद के बहुत-से परिवारों ने अपनी कई पीढ़ियाँ काँच गलाने की भट्टियों, काँच को घिसाने, उसे जोड़ने और उससे चूड़ियाँ बनाने के काम में गुजार दी हैं। बड़ों के साथ-साथ लगभग 20,000 बच्चे भी इन उद्योगों में काम कर रहे हैं। वे दयनीय हालातों में काम कर रहे हैं। लेखिका को इन कामगारों पर दया आती है। उसे मुकेश नाम का एक बच्चा मिलता है। वह उसके घर जाती है और देखती है कि वे अत्यधिक गरीबी और दयनीय स्थिति में रहते हैं। वे अति मद्धम प्रकाश में काम करते हैं।

उनमें से बहुत-से तो वयस्क होने से पहले ही अपनी आँखों की रोशनी खो देते हैं। मुकेश का दादा भी चूड़ियों को पॉलिश करने से उठी धूल की वजह से अंधा हो गया था। वे उस बिचौलिए के चंगुल में फँस गए हैं जो कि उनका शोषण कर रहा है। लेखिका नवयुवकों के एक समूह से पूछती है कि वे अपने आप को एक सहकारी समिति के रूप में संगठित क्यों नहीं करते हैं। जब वे संगठित होने का प्रयास करते हैं तो उनको पुलिस के द्वारा धमकाया जाता है, पीटा जाता है और जेल में घसीटा जाता है। इस तरह से, बिचौलिया और पुलिस फिरोजाबाद के कामगारों को गरीबी की स्थिति में बने रहने को मजबूर करते हैं।)
Think As You Read

Question 1.
What is Saheb looking for in the garbage dumps? Where is he and where has he come from? (कूड़े के ढेर में साहेब क्या ढूँढ रहा है ? वह कहाँ है और कहाँ से आया है ?)[H.B.S.E. 2017 (Set-D), 2018 (Set-B)]
Answer:
Saheb is a ragpicker. He scrounges the garbage dumps for bits of paper, rags, plastic items, etc. He makes a living by selling these things. He tells the author that sometimes he finds a rupee, even a ten-rupee note in the garbage. He is living in Seemapuri, which is at the outskirts of Delhi. He has come from Dhaka, in Bangladesh.

(साहेब एक कबाड़ बीनने वाला है। वह कागज़ के टुकड़ों, फटे-पुराने कपड़ों, प्लास्टिक की चीजों इत्यादि को कूड़े के ढेरों में खोज रहा है। वह इन चीजों को बेचकर आजीविका कमाता है। वह लेखिका को बताता है कि कई बार तो उसे कूड़े के ढेर से एक रुपया मिल जाता है और कभी-कभी तो दस रुपए का नोट भी मिल जाता है। वह सीमापुरी में रह रहा है, जो कि दिल्ली की बाहरी सीमा पर स्थित है। वह बांग्लादेश, ढाका से आया है।)

Question 2.
What explanations does the author offer for the children not wearing footwear? (बच्चों के जूते न पहनने का लेखिका क्या कारण बताती है ?)
Answer:
The author sees Saheb and other poor children without footwear. One explanation is that it has become a tradition for them to remain barefoot. But the author feels that it is only an excuse to explain away a continuous state of poverty. Because of their poverty, they cannot afford to buy shoes.

(लेखिका साहेब और अन्य गरीब बच्चों को बिना जूतों के देखती है। इस बात की एक व्याख्या तो यह है कि उन्हें नंगे पाँव रहने की आदत पड़ गई है। लेकिन लेखिका महसूस करती है कि गरीबी की निरन्तर बनी रहने वाली दशा में यह तो केवल एक बहाना है। अपनी गरीबी की वजह से, वे जूते नहीं खरीद सकते हैं।)

Question 3.
Is Saheb happy working at the tea-stall? Explain. (क्या चाय की दुकान में काम करके साहेब खुश है? व्याख्या करो।)
Answer:
One day the author finds that Saheb has left rag-picking and is now working at a tea-stall. He gets Rs 800 per month with meals. But his face doesn’t show the carefree look. He doesn’t seem to be happy working at the tea stall. He is no longer his own master.

(एक दिन लेखिका देखती है कि साहेब ने कूड़ा बीनने का काम छोड़ दिया है और वह चाय की एक दुकान पर काम कर रहा है। उसे भोजन के साथ 800 रुपए मासिक मिलते हैं। लेकिन उसके चेहरे पर पुराने दिनों की तरह बेफिक्री के संकेत नहीं थे। ऐसा लगता था कि वह चाय की दुकान पर काम करके खुश नहीं था। अब वह अपनी मर्जी का मालिक नहीं रहा था।)

Question 4.
What makes the city of Firozabad famous? [H.B.S.E. March, 2017, 2018 (Set-A)] (फिरोजाबाद शहर क्यों प्रसिद्ध है ?)
Answer:
The city of Firozabad is famous for its bangles. Many families in this town are engaged in this business. (फ़िरोज़ाबाद शहर अपनी चूड़ियों के लिए प्रसिद्ध है। इस शहर में बहुत-से परिवार इस व्यवसाय में लगे हुए हैं।)

Question 5.
Mention the hazards of working in the glass bangles industry. [H.B.S.E. 2017 (Set-C)] (काँच की चूड़ियों के उद्योग में काम करने के खतरे बताइए।)
Answer:
The workers in the glass bangle industry work in dark cells without air and light. They cannot bear the daylight. They go blind before they are old. The dust from polishing the glass bangles makes the bangle makers blind. Thus working in the glass bangles industry is hazardous and unhealthy.

(काँच की चूड़ियाँ बनाने के कारखानों में काम करने वाले कारीगर बिना हवा और प्रकाश वाली अंधेरी कोठरियों में काम करते हैं। वे सूर्य के प्रकाश को सहन नहीं कर सकते। बुढ़ापा आने से पहले ही वे अंधे हो जाते हैं। काँच की चूड़ियों पर की जाने वाली पॉलिश की धूल इन चूड़ियाँ बनाने वालों को अंधा कर देती है। अतः काँच की चूड़ियाँ बनाने वाले कारखानों में काम करना खतरनाक और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।)

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 2 Lost Spring

Question 6.
How is Mukesh’s attitude to his situation different from that of his family? (अपनी हालत के प्रति मुकेश का दृष्टिकोण अपने परिवार से भिन्न क्यों है ?) [H.B.S.E. March, 2019 (Set-A)]
Answer:
Mukesh belongs to a family of bangle makers. Their work is hazardous and their life is poor and miserable. But they have accepted their destiny. However, Mukesh’s attitude is different. He does not want to follow the occupation of his family. He wants to become a motor mechanic.
(मुकेश चूड़ियाँ बनाने वाले एक परिवार से सम्बन्ध रखता है। उनका काम खतरनाक है और उनका जीवन गरीबी वाला और कष्टकारक है। लेकिन उन्होंने अपनी किस्मत के साथ समझौता कर लिया है। लेकिन, मुकेश का दृष्टिकोण भिन्न है। वह अपने परिवार के व्यवसाय को नहीं अपनाना चाहता। वह एक मोटर मैकेनिक बनना चाहता है।)

Talking About The Text

Question 1.
How, in your opinion, can Mukesh realise his dream? (आपके विचार में मुकेश अपना सपना कैसे पूरा कर सकता है ?)
Answer:
Mukesh is a poor boy. He belongs to a family of bangle makers. Like other bangle makers of Firozabad, Mukesh’s family also leads a life of utter poverty and misery. Mukesh also works in a bangle factory. But he has his own dream. He does not want to spend all his life in bangle-making. He wants to become a motor mechanic. He dreams of driving a car one day.

Mukesh seems to be determined. He can realise his dream by his willpower and determination. He has to take courage and leave the work of bangle-making. He should contact a garage owner and convince him to take him as an apprentice. With his determination, he can prove his worth and win the confidence of the owner. Thus he can become a good mechanic. If he wants to be a taxi driver, he has to learn to drive. After clearing the driving test, he can have a driving license. In this way, Mukesh can realise his dreams.

(मुकेश एक गरीब लड़का है। वे चूड़ी बनाने वाले एक परिवार से सम्बन्ध रखता है। फ़िरोज़ाबाद के अन्य चूड़ी बनाने वालों की भांति, मुकेश का परिवार भी गम्भीर गरीबी और कष्टों से भरा जीवन व्यतीत कर रहा है। मुकेश भी एक चूड़ी उद्योग में काम करता है। लेकिन उसका अपना एक सपना है। वह अपना सारा जीवन चूड़ी बनाने में नहीं गुजारना चाहता। वह एक मोटर मैकेनिक बनना चाहता है। वह एक दिन कार चलाने का सपना देखता है। मुकेश दृढ़-निश्चय वाला दिखाई पड़ता है। वह अपनी इच्छा शक्ति और दृढ़ निश्चय के सहारे अपने सपने को पूरा कर सकता है।

उसे हिम्मत करनी है और चूड़ी बनाने के काम को छोड़ना है। उसे किसी गैराज के मालिक से सम्पर्क करना चाहिए और उसे उसको एक प्रशिक्षु के रूप में रखने के लिए मनाना चाहिए। अपने दृढ़-निश्चय के साथ, वह अपनी योग्यता का प्रदर्शन कर सकता है और मालिक का विश्वास जीत सकता है। इस तरह से वह एक अच्छा मैकेनिक बन सकता है। यदि वह एक टैक्सी चालक बनना चाहता है तो उसे वाहन चलाना सीखना होगा। चालक परीक्षा पास करने के उपरांत, वह चालक लाइसेंस हासिल कर सकता है। इस तरह से, मुकेश अपने सपने को पूरा कर सकता है।)

Question 2.
Mention the hazards of working in the glass bangles industry. (काँच की चूड़ियों के उद्योग में काम करने के खतरे बताओ।)
Answer:
Working in the glass bangles industry is hazardous to health. Adults, as well as children, work in the unhealthy conditions. They work in very dim light. As a result they lose their eyesight by the time they become adults. They have to work on the furnaces with high temperature, in dark cells without enough air and light. They have to grind glass and have to inhale the fine glass particles. The author comes across a child named Mukesh who works in a glass bangle industry. His grandfather became blind with the dust from polishing glass.

(काँच की चूड़ियों के कारखाने में काम करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। बड़े और बच्चे सभी अस्वस्थ स्थितियों में काम करते हैं। वे अति मद्धम प्रकाश में काम करते हैं। जब तक वे बड़े होते हैं तो वे अपनी आँखों की रोशनी खो देते हैं। उन्हें ऊँचे तापमान वाली भट्टियों पर (अंधेरे वाले कमरों में जहाँ पर्याप्त हवा और प्रकाश नहीं होता) काम करना पड़ता है। उन्हें काँच को घिसाना पड़ता है और काँच के महीन कण उनके शरीर के अन्दर चले जाते हैं। लेखिका एक बच्चे से मिलती है जिसका नाम मुकेश है जो काँच की चूड़ियाँ बनाने वाले एक कारखाने में काम करता है। उसका दादा काँच को पॉलिश करने से उठी धूल की वजह से अंधा हो गया था।)

Question 3.
Why should child labour be eliminated and how? (बाल श्रम को क्यों और कैसे समाप्त करना चाहिए ?)
Answer:
Child labour is one of the great evils of India. Millions of children are engaged in labour at an age at which they should be in schools.

The twin factors responsible for child labour are:

  • poverty and
  • the lack of a social security network.

Poverty has an obvious relationship with child labour. Poor families need money to survive, and children are a source of additional income. The problem of illiteracy is also one of the reasons of the problem of child labour. It has been observed that the overall condition of the education system can be a powerful influence on the supply of child labour.

The concept of compulsory education, where all school-aged children are required to attend school, combats the force of poverty that pulls children out of school. The law relating to compulsory education will not only force children to attend school but also contribute more funds to the primary education system, instead of higher education.

The problem of child labour has social, economical, and political aspects. It cannot be eliminated by focusing on one aspect only, for example only by compulsory education, or by blind enforcement of child labour laws. The government must ensure that the needs of the poor are fulfilled before eliminating child labour. If poverty is eradicated, the need for child labour will automatically diminish. No matter how hard the government tries, child labour always will exist unless we all work honestly in this direction.

(बाल श्रम भारत की बड़ी बुराइयों में से एक है। लाखों बच्चे उस उम्र में श्रम पर लगे होते हैं जिस उम्र में उन्हें स्कूल में होना चाहिए था। बाल श्रम के दो कारण हैं-(1) गरीबी और (2) सामाजिक सुरक्षा के ढाँचे की कमी। गरीबी का तो बाल श्रम से प्रत्यक्ष सम्बन्ध है। गरीब परिवारों को अपना गुजारा करने के लिए धन की जरूरत होती है और बच्चे अतिरिक्त आय का एक स्रोत हैं। अनपढ़ता की समस्या भी बाल श्रम की समस्या का एक बड़ा कारण है। ऐसा देखा गया है कि शिक्षा व्यवस्था की संपूर्ण स्थिति बालश्रम की पूर्ति पर एक बहुत बड़ा प्रभाव डालती है।

अनिवार्य शिक्षा का विचार, जहाँ पर स्कूल जाने की आयु के सभी बच्चे स्कूलों में होने चाहिए, गरीबी की स्थिति जो बच्चों को स्कूलों से बाहर रहने के लिए बाध्य करती है, से लड़ता है। अनिवार्य शिक्षा से सम्बन्धित कानून न केवल बच्चों को स्कूल में उपस्थित रहने के लिए बाध्य करेगा, बल्कि (उच्च शिक्षा की अपेक्षा) प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था के लिए अधिक धन की व्यवस्था में योगदान करेगा। बाल श्रम की समस्या के सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक पहलू हैं। केवल किसी एक पहलू पर ध्यान केंद्रित करके इस समस्या को दूर नहीं किया जा सकता, उदाहरण के लिए केवल अनिवार्य शिक्षा के द्वारा या फिर बाल श्रम के कानूनों का कठोरता से पालन करके। सरकार को यह बात सुनिश्चित करनी चाहिए कि बाल श्रम को समाप्त करने से पहले गरीबों की सभी जरूरतों को पूरा किया जा सके। यदि गरीबी को दूर कर दिया जाता है, तो बाल श्रम की जरूरत अपने आप ही समाप्त हो जाएगी। चाहे सरकार कितनी अधिक कोशिश क्यों न कर ले, बाल श्रम की समस्या तब तक बनी रहेगी जब तक कि इसके लिए हम सभी ईमानदारी से प्रयास नहीं करेंगे।)

Thinking About Language

Although this text speaks of factual events and situations of misery it transforms these situations with an almost poetical prose into a literary experience. How does it do so? Here are some. literary devices:
Hyperbole is a way of speaking or writing that makes something sound better or more exciting than
it really is. For example: Garbage to them is gold. A Metaphor as you may know, compares two things or ideas that are not very similar.

A metaphor describes a thing in terms of a single quality or feature of some other thing, we can say that a metaphor “transfers” a quality of one thing to another. For example: The road was a ribbon of light. Contrast refers to a difference between people and things that can be seen clearly when they are compared or put close together.

For example: His dream looms like a mirage amidst the dust of streets that fill his town, Firozabad, famous for its bangles. Simile is a word or phrase that compares one thing with another using the words “like” or “as”. For example: As white as snow. Carefully read the following phrases and sentences taken from the text. Can you identify the literary device in each example?
1. Saheb-e-Alam which means the lord of the universe is directly in contrast to what Saheb is in reality.
2. Drowned in an air of desolation.
3. Seemapuri, a place on the periphery of Delhi yet miles away from it, metaphorically.
4. For the children it is wrapped in wonder; for the elders it is a means of survival.
5. As her hands move mechanically like the tongs of a machine, I wonder if she knows the sanctity of the bangles she helps make.
6. She still has bangles on her wrist, but not light in her eyes.
7. Few airplanes fly over Firozabad.
8. Web of poverty.
9. Scrounging for gold.
10. And survival in Seemapuri means rag-picking. Through the years, it has acquired the proportions of
a fine art.
11. The steel canister seems heavier than the plastic bag he would carry so lightly over his shoulders.
Answer:
1. contrast
2. metaphor
3. contrast
4. contrast
5. simile
6. contrast
7. metaphor
8. metaphor
9. hyperbole
10. simile
11. contrast

Things To Do

The beauty of the glass bangles of Firozabad contrasts with the misery of people who produce them. This paradox is also found in some other situations, for example, those who work in gold and diamond mines or carpet weaving factories and the products of their labour, the lives of construction workers and the buildings they build.

Look around and find examples of such paradoxes.
Write a paragraph of about 200 to 250 words on any one of them. You can start by making notes. Here is an example of how one such paragraph may begin :
You never see the poor in this town. By day they toil, working cranes and earthmovers, squirreling deep into the hot sand to lay the foundations of chrome. By night they are banished to bleak labour camps at the outskirts of the city.

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 2 Lost Spring

They Make Houses For Others

A house is one of the basic needs of man. We build houses for our comfort. Our house gives us protection from the scorching heat or the cold winter. It also provides safety to our possessions. The rich people make good and luxury houses. The masons and labourers who make these houses do not live in luxury. We often see the labourers carrying bricks on their heads in the intense heat of June or in the chilling cold of December. Often they do not have proper clothes to protect them from the weather.

They do not have any holiday to enjoy. They work for all the seven days of the week from morning till evening. Their clothes are torn. They have no security of job. They do not know whether they will get work the next day or not. Their job depends on the pleasure of the owner or the availability of work. They help in making fabulous and comfortable houses. But they themselves live in huts where there is no light, water and sanitation. This is a paradox that they enable us to enjoy the luxuries of a big house.

But often they do not have even a small room for them to live in. Because of their poverty, they cannot send their children to school. So, often their children have also to work in order to earn some extra money. The same is the case of workers who make bricks at the brick kilns. They also lead very miserable and poor lives. They too don’t have any security of jobs. Our government should come forward and do something for the welfare of such workers.

HBSE 12th Class English The Lost Spring Important Questions and Answers

Short Answer Type Questions
Answer the following questions in about 20-25 words : 
Question 1.
Where has Saheb come from? [H.B.S.E. 2017 (Set-B)] (साहेब कहाँ से आया है ?) or Does Saheb remember his native?
[H.B.S.E. 2018 (Set-D)] (क्या साहेब अपने जन्म स्थान को याद करता है?)
Answer:
No, Saheb has no memory of his native land. Saheb’s family belonged to Dhaka, in Bangladesh. He, along with his family, left his home long ago. His house in Dhaka was set amidst the green fields. But there were many storms that swept away their homes and fields. That is why they had to leave. His family came to Seemapuri where Saheb started working as a ragpicker.

(नहीं, साहेब को अपने जन्म स्थान की याद नहीं आती। साहेब का परिवार बांग्लादेश में, ढाका से सम्बन्ध रखता था। उसने अपने परिवार के साथ बहुत पहले अपने घर को छोड़ दिया था। ढाका में उसका घर हरे खेतों के बीच में स्थित था। लेकिन वहाँ कई बार तूफान आते थे जो उनके घरों और खेतों को तहस-नहस कर देते थे। इसी वजह से उन्हें वहाँ से जाना पड़ा। उसका परिवार सीमापुरी में आ गया जहाँ साहेब ने एक कबाड़ बीनने वाले के रूप में काम करना शुरू कर दिया।)

Question 2.
Where does the author encounter Saheb every morning? (लेखिका साहेब को हर प्रातः कहाँ देखती है ?)
Answer:
Saheb is a ragpicker. The author encounters him every morning searching the garbage dumps for bits of papers and rags. He is one of the army of ragpickers who can be seen scrounging the garbage. Most of these boys are migrants from Bangladesh and have settled in Seemapuri in Delhi.

(साहेब एक कबाड़ बीनने वाला है। लेखिका का हर रोज उससे सामना होता है जब वह कागज के टुकड़ों या चीथड़ों के लिए कूड़े के ढेरों को कुरेदता रहता था। वह कबाड़ बीनने वालों के बड़े समूह का एक सदस्य था जो कूड़े को कुरेदते रहते थे। इनमें से अधिकतर लोग बांग्लादेश के विस्थापित हैं और वे दिल्ली की सीमापुरी में आकर बस गए हैं।)

Question 3.
Give an account of the background of Saheb and his fellow ragpickers. (साहेब एवं उसके साथी कूड़ा बीनने वालों की दशा का वर्णन करो।)
Answer:
Saheb belongs to a community of ragpickers who scrounge the dumps of garbage for paper and rags. He is one of more than 10,000 persons who are engaged in this profession. Most of them migrated to India from Bangladesh in 1971. They were compelled to leave their homes because of many storms which destroyed their homes and lands. They are living in Seemapuri on the outskirts of Delhi.

(साहेब कबाड़ बीनने वाले समुदाय से सम्बन्ध रखता है जो कि कागज के टुकड़ों और चीथड़ों के लिए कूड़े के ढेरों को कुरेदते रहते हैं। वह उन दस हजार से भी अधिक लोगों में से एक है जो इस व्यवसाय में लगे हुए हैं। उनमें से अधिकतर लोग 1971 में बांग्लादेश से विस्थापित होकर भारत आए थे। वे अपने घरों को छोड़ने के लिए बाध्य हो गए थे क्योंकि बहुत से तूफानों ने उनके घरों और खेतों को तबाह कर दिया था। वे दिल्ली की बाहरी सीमा पर स्थित सीमापुरी में रह रहे हैं।)

Question 4.
What happens when the author asks Saheb to go to school? (जब लेखिका साहेब से स्कूल जाने को कहती है तो क्या होता है ?)
Answer:
Saheb spends his time scrounging the garbage dumps for bits of paper and rags. He tells the author that he has nothing else to do. She tells him to go to school. Saheb replies that there is no school in his neighbourhood. At this the author asks him he would come if she started a school. Saheb says that he would be glad to come.

(साहेब कागज के टुकड़ों और फटे-पुराने कपड़ों की तलाश में कूड़े के ढेरों को कुरेदता रहता है। वह लेखिका को बताता है कि उनके पास करने के लिए इसके अलावा और कोई अन्य काम नहीं है। वह उसे स्कूल जाने के लिए कहती है। साहेब उत्तर देता है कि उसके पड़ोस में कोई स्कूल ही नहीं है। इस पर लेखिका उसे कहती है कि यदि उसने स्कूल खोल दिया तो क्या वह आएगा। साहेब कहता है कि वह स्कूल में आकर अति प्रसन्न होगा।)

Question 5.
What hollow promise does the author make to Saheb? (लेखिका साहेब से क्या खोखला वायदा करती है ?)
Answer:
Saheb tells the author that he cannot join a school as there is no school in his neighbourhood. At this the author asks him whether he would come if she started a school. Saheb becomes happy. A few days later, he asks her if she has started a school. Now the author feels embarrassed at having made a hollow promise to a poor boy.

(साहेब लेखिका को बताता है कि वह स्कूल में दाखिला नहीं ले सकता है क्योंकि उसके पड़ोस में कोई स्कूल नहीं है। इस पर लेखिका उससे पूछती है कि यदि वह स्कूल खोल देती है तो क्या वह उस स्कूल में दाखिला लेगा। साहेब प्रसन्न हो जाता है। कुछ दिनों के बाद, वह उससे पूछता है कि क्या उसने स्कूल शुरू कर दिया है। अब लेखिका को उस बच्चे के साथ खोखला वायदा करने की वजह से शर्मिंदा होना पड़ता है।)

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 2 Lost Spring

Question 6.
What is ironical about Saheb’s full name? (साहेब के पूरे नाम के बारे में विडम्बनात्मक क्या है ?)
Answer:
The author often comes across a poor ragpicker named Saheb. His full name is ‘Saheb-e-Alam’, which means “Lord of the Universe.’ This name is quite ironical. He is a poor boy who earns his living by scrounging the dumps of garbage for bits of paper and rags. His life is full of poverty and misery.

(लेखिका की मुलाकात प्रायः साहेब नाम के एक गरीब कूड़ा बीनने वाले बच्चे के साथ हो जाती थी। उसका पूरा नाम है ‘साहेब-ए-आलम’ जिसका अर्थ है-‘ब्रह्मांड का मालिक’ । यह नाम पूरी तरह से व्यंग्यात्मक है। वह एक गरीब बालक है जिसको कूड़े के ढेरों में कागज के टुकड़ों और फटे-पुराने कपड़ों को तलाश कर अपनी रोजी-रोटी कमानी पड़ती है। उसका जीवन गरीबी और कष्टों से भरा हुआ था।)

Question 7.
What story did a man from Udipi once tell the author? (उडिपी के व्यक्ति ने लेखिका को एक बार क्या कहानी सुनाई ?)
Answer:
Once a man from Udipi told the author that as a young boy he would go to school past a temple. His father was a priest at that temple. He would stop briefly at the temple and prayed to the goddess for a pair of shoes. Finally the goddess granted his prayer and he got a pair of shoes.

(एक बार उडिपी के एक व्यक्ति ने लेखिका को बताया कि जब वह एक लड़का था तो वह मंदिर के पास से गुजरकर स्कूल जाया करता था। उसके पिता जी उस मंदिर में पुजारी थे। वह थोड़ी देर के लिए मंदिर में रुक जाया करता था और देवी से जूतों की जोड़ी के लिए प्रार्थना करता था। अंततः देवी ने उसकी प्रार्थना को स्वीकार कर लिया और उसे एक जोड़ी जूते मिल गए।)

Question 8.
What did the author observe when she went to Udipi thirty years later? (जब लेखिका तीस साल बाद उडिपी गई तो उसने क्या देखा ?)
Answer:
The author again visited Udipi thirty years later. She went to the temple. She saw that there was a new priest in that temple. She saw a young boy. He was dressed in a grey uniform and was wearing socks and shoes. Now young boys like the priest’s son wore shoes.

(लेखिका तीस साल बाद फिर से उडिपी जाती है। वह मंदिर में जाती है। उसने देखा कि मंदिर में नया पुजारी आ गया था। उसने एक युवा लड़के को देखा। उसने स्लेटी रंग की एक कमीज पहनी हुई थी और उसने जुराबें और जूते पहने हुए थे। अब जवान लड़के पुजारी के लड़के की तरह जूते पहनते थे।)

Question 9.
The author says, “Seemapuri is on the periphery of Delhi, yet miles away from it, metaphorically.” What does she mean to say? (लेखिका कहती है, “सीमापुरी दिल्ली की सीमा पर है, मगर रूपक के तौर पर इससे मीलों दूर है।” वह ऐसा क्यों कहती है?)
Answer:
Seemapuri is a settlement of thousands of ragpickers. It is on the periphery of Delhi. It is a dirty colony, where people live in poverty and misery. The houses are made of mud, tins and tarpaulin. The streets are full of dirt and sewerage. There is a complete contrast between the modern Delhi and Seemapuri. That is why, metaphorically, it is far away from Delhi.

(सीमापुरी हजारों कबाड़ियों की एक बस्ती है। यह दिल्ली की बाहरी सीमा पर स्थित है। यह एक मंदी बस्ती है, जिसमें लोग गरीबी और कष्टों भरा जीवन जीते हैं। मकान मिट्टी, टिन और तिरपाल से बने हुए हैं। गलियाँ, गंदगी और गंदे पानी से भरी हुई हैं। आधुनिक दिल्ली और सीमापुरी की स्थितियों में पूरा विरोधाभास है। अतः रूपक दृष्टि से, सीमापुरी अभी दिल्ली से बहुत दूर है।)

Question 10.
Describe the miserable condition of the ragpickers of Seemapuri. (सीमापुरी के कूड़ा बीनने वालों की दुःखद अवस्था का वर्णन करो।)
Answer:
The ragpickers of Seemapuri lead a life of misery and poverty. They live in dirty conditions. Their houses are made of mud with roofs of tin and tarpaulin. There is no sewerage system, or draining. They don’t have running water. Children are without shoes and are dressed in tattered clothes. Survival in Seemapuri means ragpicking.

(सीमापुरी के कबाड़ बीनने वाले एक कष्टों भरा और गरीबी वाला जीवन व्यतीत करते हैं। वे गंदी स्थितियों में रहते हैं। उनके घर मिट्टी से बने होते हैं और उनकी छतें टिन और तिरपाल की होती हैं। यहाँ पर मल-निकासी और पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है। उनके पास जल का कोई स्रोत नहीं है। बच्चों के पास जूते नहीं हैं और वे फटे-पुराने कपड़े पहनते हैं। सीमापुरी में रहने का अर्थ है कबाड़ी के रूप में काम करना।)

Question 11.
Why does the author say that survival in Seemapuri means ragpicking? (लेखिका ऐसा क्यों कहती है कि सीमापुरी में जीवित रहने का अभिप्राय है, कूड़ा बीनना?)
Answer:
Seemapuri is a dirty colony on the outskirts of Delhi. It is a colony of ragpickers. More than ten thousand people are engaged in this job. Most of them have migrated from Bangladesh. They lead miserable and poor lives. They have no other means of earning their livelihood. So they have to scrounge the garbage dumps for bits of paper and rags. That is why the author says that survival in Seemapuri means ragpicking.

(सीमापुरी दिल्ली की बाहरी सीमा पर स्थित एक गंदी बस्ती है। यह एक कबाड़ बीनने वालों की बस्ती है। यहाँ के दस हजार से ज्यादा लोग इस काम में लगे हुए हैं। उनमें से अधिकतर बांग्लादेश से आए हैं। वे बहुत ही दयनीय और गरीबी भरा जीवन जीते हैं। उनके पास अपनी आजीविका कमाने का और कोई साधन नहीं है। इसलिए वे कागज़ के टुकड़ों और चीथड़ों के लिए कूड़े के ढेरों को कुरेदते रहते हैं। यही वजह है कि लेखिका कहती है-सीमापुरी में जिंदा रहने का अर्थ है कबाड़ी के रूप में काम करना।)

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 2 Lost Spring

Question 12.
How did Saheb get a pair of shoes? (साहेब को एक जोड़ी जूते कैसे मिले ?)
Answer:
One morning the author saw that Saheb was standing by the fenced gate of the tennis club. Two young men were playing tennis. Saheb was also wearing tennis shoes. These were the discarded shoes of a rich boy. Perhaps he had discarded them as there was a hole in one of them. In this way, Saheb got a pair of shoes.

(एक दिन लेखिका ने देखा कि साहेब टेनिस क्लब के जंगले वाले गेट के पास खड़ा था। दो नौजवान टेनिस खेल रहे थे। साहेब ने भी टेनिस वाले जूते पहने हुए थे। ये एक अमीर लड़के द्वारा पहनकर त्यागे हुए जूते थे। शायद उसने उन जूतों को इस वजह से त्याग दिया था क्योंकि उनमें से एक जूते के तलवे में छिद्र हो गया था। इस तरह से साहेब को वे जूते मिले।)

Question 13.
“Saheb is no longer his own master.” Why does the author feel so? (“साहेब अपना मालिक आप नहीं रहा।” लेखिका को ऐसा महसूस क्यों हुआ ?)
Ans. Saheb gets a job in a tea stall. The author sees him on his way to the milk booth. He is carrying a steel canister on his head. Now he gets Rs 800 per month and all his meals. But he has lost his carefree look. The bag in which he picks the rags was his. But the canister belongs to the tea shop owner. So, the author feels that Saheb is no longer his own master.

(साहेब को एक चाय की दुकान में नौकरी मिल जाती है। लेखिका उसे दूध की दुकान की ओर जाते हुए देखती है। उसने अपने सिर पर स्टील का डिब्बा उठा रखा है। अब उसको 800 रुपए महीना वेतन और भोजन मिलता है। लेकिन अब उसने अपनी बेपरवाह जिंदगी को खो दिया है। जिस बोरी में वह कबाड़ इकट्ठा किया करता था वह बोरी उसकी अपनी थी। लेकिन वह कनस्तर चाय की दुकान के मालिक का था। इसलिए लेखिका को लगता है कि साहेब अपनी मर्जी का मालिक नहीं रहा था।)

Question 14.
Who is Mukesh? Describe his background. (मुकेश कौन है ? उसकी पृष्ठभूमि का वर्णन करो।)
Answer:
Mukesh is a poor boy of Firozabad. He belongs to a family of bangle makers. He is one of the 20,000 young people engaged in bangle-making. He and his family lead a poor and miserable life. They work by glass furnaces with high temperature. His family lives in half-built hut. The street is.choked with garbage.
(मुकेश फिरोज़ाबाद का एक गरीब लड़का है। वह चूड़ी बनाने वालों के एक परिवार से सम्बन्ध रखता है। वह उन बीस हजार लोगों में से एक है जो चूड़ी बनाने के काम में लगे हुए हैं। वह और उसका परिवार एक गरीबीपूर्ण और कष्टों भरा जीवन जी रहे हैं। वे उच्च तापमान वाली काँच की भट्टियों के पास काम करते हैं। उसका परिवार एक अधूरी बनी झोंपड़ी में रहता है। उनकी गली कूड़े से भरी पड़ी है।)

Question 15.
Describe the conditions in which the bangle makers of Firozabad work. (उन परिस्थितियों का वर्णन करो जिनमें फिरोजाबाद के चूड़ी बनाने वाले काम करते हैं।)
Answer:
More than 20,000 persons are engaged in bangle making work in Firozabad. They work in miserable conditions. They work near glass furnaces with high temperature. They make bangles in small rooms without proper light or air. Because of dim light and because of the dust rising from polishing the glass, most of the children lose their eyesight before they become adults.
(फिरोजाबाद में बीस हजार से अधिक लोग चूड़ी बनाने के काम में लगे हुए हैं। वे कष्टकारी स्थितियों में काम करते हैं। वे उच्च तापमान वाली शीशे की भट्टियों के पास काम करते हैं। वे छोटे-छोटे कमरों में जहाँ उचित हवा और प्रकाश की कमी होती है वहाँ चूड़ियाँ बनाते हैं। मद्धम प्रकाश और काँच पर की जाने वाली पॉलिश की धूल की वजह से, अधिकतर बच्चे वयस्क (बड़े) होने से पहले ही अपनी आँखों की रोशनी खो देते हैं

Question 16.
What for is Firozabad known? (फिरोजाबाद किस लिए प्रसिद्ध है ?)
Answer:
Firozabad is known for its bangles industry. The glass-blowing industry of Firozabad employs more than twenty thousand workers, most of whom are children. In Firozabad, families have spent generations working around furnaces, welding glass, making bangles for women.
(फिरोज़ाबाद अपने चूड़ी उद्योग की वजह से प्रसिद्ध है। फिरोज़ाबाद के काँच पिघलाने वाले उद्योगों में बीस हजार से भी अधिक श्रमिक काम करते हैं, जिनमें से अधिकतर बच्चे हैं। फिरोजाबाद में परिवारों ने भट्टियों के पास काम करते हुए, काँच को जोड़ने में, महिलाओं के लिए काँच की चूड़ियाँ बनाने में कई पीढ़ियाँ गुज़ार दी हैं।)

Question 17.
What has Mukesh’s father achieved after years of hard labour? (कई सालों के कठिन परिश्रम के बाद मुकेश के पिता ने क्या पाया है ?) Or Why is Mukesh’s Father a failed man?[H.B.S.E. March, 2018 (Set-C)] (मुकेश के पिता एक असफल व्यक्ति क्यों हैं?)
Answer:
Mukesh’s family is engaged in bangle-making. His father started his career as a tailor. But soon he became a bangle maker. But even many years of hard labour as a bangle maker, his life is still poor and miserable. He has failed to renovate his house. Nor has he been able to send his two sons to school. He has only been able to teach them the art of bangle-making.
(मुकेश का परिवार चूड़ी बनाने के काम में लगा हुआ है। उसके पिता ने एक दर्जी के रूप में अपना व्यवसाय शुरू किया था। लेकिन शीघ्र ही वह चूड़ी बनाने के काम में लग गया। लेकिन चूड़ी बनाने वाले के रूप में काम करते हुए सालों की कठोर मेहनत के बावजूद भी, उसका जीवन अभी भी गरीबी और कष्टों से भरा हुआ है। वह अपने घर की मुरम्मत भी नहीं कर सका है। वह अपने दो बेटों को स्कूल भी नहीं भेज सका है। वह तो उनको केवल चूड़ी बनाने की कला का ही ज्ञान दे सका है।)

Question 18.
Describe the kind of bangles made in Firozabad. (फिरोजाबाद में बनाई गई चूड़ियों का वर्णन करो।)।
Answer:
Firozabad is known for its bangles industry. The town produces all kinds of bangles for Indian women. In the factories of Firozabad, bangles of all sizes and colours are made. These bangles can be sunny gold and paddy green. One may have royal blue, pink or purple bangles.
(फिरोज़ाबाद अपने चूड़ी उद्योग की वजह से जाना जाता है। इस शहर में भारतीय महिलाओं के लिए सभी तरह की चूड़ियों का निर्माण किया जाता है। फिरोज़ाबाद के कारखानों में सभी आकारों और रंगों की चूड़ियों का निर्माण किया जाता है। ये चूड़ियाँ चमकीले सुनहरी रंग की और गहरे हरे रंग की होती थीं। कोई रॉयल ब्लू, गुलाबी या बैंगनी रंग की चूड़ियाँ ले सकता है।)

Question 19.
What does the author think when she sees Savita helping to make bangles? (जब लेखिका सविता को चूड़ियाँ बनाने में सहायता करती देखती है तो क्या सोचती है ?)
Answer:
The author sees Savita is sitting alongside an elderly woman. She is joining with solder pieces of glass and thus helping to make bangles. The author wonders whether Savita knows the sanctity of bangles she helps make. She finds that Savita does not know that bangles symbolize an Indian woman’s ‘suhaag’.
(लेखिका देखती है कि सविता एक वृद्ध महिला के पास बैठी है। वह काँच जोड़ने की मशीन के साथ काँच के टुकड़ों को जोड़ रही है और इस तरह से चूड़ियाँ बनाने में मदद कर रही है। लेखिका हैरान होती है कि क्या वह उन चूड़ियों की पवित्रता को जानती है जिनको बचाने में वह सहायता कर रही है। उसे पता लगता है कि सविता इस बात को नहीं जानती है कि चूड़ियाँ एक भारतीय महिला के सुहाग की निशानी होती हैं।)

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 2 Lost Spring

Question 20.
Why don’t the bangle makers of Firozabad organise themselves into a cooperative? (फिरोज़ाबाद के चूड़ी निर्माता स्वयं को सहकारी संस्था में संगठित क्यों नहीं करते ?)
Answer:
The author asks some bangle makers as to why they don’t organize themselves into a cooperative. They reply that they are caught in a vicious circle. The sahukars, the middlemen and the police all conspire to keep them poor. If they try to make a cooperate, the police hauls them up and beats them on false charges. These forces will never let them organise into a cooperative.

(लेखिका कुछ चूड़ी बनाने वालों से पूछती है कि वे स्वयं को एक सहकारी संस्था के अन्तर्गत संगठित क्यों नहीं कर लेते हैं। वे उत्तर देते हैं कि वे तो एक जाल में फंस चुके हैं। साहूकार, बिचौलिए और पुलिस सभी मिलकर उन्हें गरीब बनाए रखने के लिए प्रयासरत हैं। यदि वे एक सहकारी संस्था बनाने का प्रयास करते हैं, तो पुलिस उनको धमकाती है और झूठे आरोप लगाकर उन्हें पीटती है। ये ताकतें कभी-भी उन्हें एक सहकारी संस्था के अन्तर्गत संगठित नहीं होने देती हैं।)

Question 21.
What is the ambition of Mukesh? (मुकेश की महत्त्वाकांक्षा क्या है ?) Or How can Mukesh realise his dreams? [H.B.S.E. March, 2018 (Set-C)] (मुकेश को अपने सपनों का एहसास कैसे होता है?)
Answer:
Mukesh is a bangle maker of Firozabad. But he is different from others. He does not want to make bangles all his life. His ambition is to become a motor mechanic. He dreams of driving a car one day. He is determined and hopeful. The author feels that one day he will be able to realise his dream.

(मुकेश फिरोज़ाबाद का एक चूड़ी निर्माता है। लेकिन वह अन्य चूड़ी निर्माताओं से अलग है। वह अपना सारा जीवन चूड़ी बनाने में ही नहीं बिताना चाहता। उसका सपना एक मोटर मैकेनिक बनना है। वह एक दिन कार चलाने का सपना देखता है। वह दृढ़ निश्चय वाला और आशावान है। लेखिका को भी लगता है कि एक दिन वह अपने सपने को पूरा करने में सफल रहेगा।)

Long Answer Type Questions
Answer the following questions in about 80 words

Question 1.
What does the writer want Saheb to do? Why has she to feel embrassed about it later ? (लेखिका साहेब से क्या करने को कहती है ? बाद में उसे इसके बारे में क्यों शर्मिंदा होना पड़ा ?)
Answer:
Saheb is a ragpicker. The author encounters him every morning searching the garbage dumps for bits of papers and rags. He is one of the army of ragpickers who can be seen scrounging the garbage. Most of these boys are migrants from Bangladesh and have settled in Seemapuri in Delhi. Saheb spends his time scrounging the garbage dumps for bits of paper and rags. He tells the author that he has nothing else to do. She tells him to go to school. Saheb replies that there is no school in his neighbourhood. At this the author asks him if he would come if she started a school. Saheb says that he would be glad to come. A few days later, Saheb sees the writer. He comes running to her and asks her if she has started a school. Now the author feels embarrased at having made a hollow promise to a poor boy.

(साहेब एक कबाड़ बीनने वाला लड़का है। लेखिका की उससे प्रतिदिन मुलाकात होती थी जब वह कूड़े के ढेरों में कागज के टुकड़ों और चीथड़ों की तलाश कर रहा होता था। वह कबाड़ बीनने वालों के समूह में से मात्र एक था जो कूड़े के ढेरों को कुरेदते रहते थे। इनमें से अधिकतर लड़के बांग्लादेश से आए शरणार्थी थे और वे दिल्ली के सीमापुरी में आकर बस गए थे। साहेब कागज के टुकड़ों और फटे पुराने कपड़ों की तलाश में कूड़े के ढेरों को कुरेदते रहने में अपना समय बिताता है। वह लेखिका को बताता है कि उसके पास इसके अतिरिक्त करने के लिए कोई और काम नहीं है। वह उससे स्कूल जाने के लिए कहती है। साहेब उत्तर देता है कि उसके पड़ोस में कोई स्कूल नहीं है। इस पर लेखिका उससे पूछती है कि यदि उसने स्कूल खोल दिया तो क्या वह आएगा। साहेब कहता है कि वह स्कूल में आकर अति प्रसन्नता महसूस करेगा। कुछ दिनों के पश्चात्, साहेब लेखिका को देखता है। वह दौड़कर उसके पास आता है और पूछता है कि क्या उसने स्कूल शुरू कर दिया है। अब लेखिका को एक गरीब बच्चे के साथ झूठा वायदा करने पर शर्म आती है।)

Question 2.
Reproduce briefly the story related to the man from Udipi ? (उडिपी से आए हुए आदमी से संबंधित कहानी का संक्षेप में वर्णन करो।)
or
“It is his Karam, his destiny that made Mukesh’s grandfather go blind.” How did Mukesh disprove this belief by choosing a new vocation and making his own destiny? [H.B.S.E. March, 2018 (Set-A)] (यह उसका कर्म, उसका भाग्य है जिसने मुकेश के दादा को अंधा बनाया?)
Answer:
The writer once goes on a visit to Udipi. There she met a man from Udipi. The man told the author that as a young boy he would go to school past a temple. His father was a priest at that temple. He would stop briefly at the temple and prayed to the goddess for a pair of shoes. Finally the goddess granted his prayer and he got a pair of shoes. The author again visited Udipi thirty years later. She went to the temple. She saw that there was a new priest in that temple. She saw a young boy. He was dressed in a grey uniform and was wearing socks and shoes. Now young boys like the priest’s son wore shoes. But many others like the ragpickers in her neighbourhood were still without shoes.

(एक बार लेखिका उडिपी की यात्रा पर जाती है। वहाँ उसकी मुलाकात उडिपी के एक आदमी से होती है। उस आदमी ने लेखिका को बताया कि जब वह लड़का था तो वह एक मंदिर के पास से गुजर कर स्कूल जाता था। उसके पिताजी उस मंदिर के पुजारी थे। वह थोड़ी देर के लिए उस मंदिर में रुक कर देवी माँ से एक जोड़ी जूतों के लिए प्रार्थना करता था। अंततः देवी माँ ने उसकी प्रार्थना स्वीकार कर ली और उसे एक जोड़ी जूते मिल गए। लेखिका तीस साल बाद फिर से उडिपी गई। वह मंदिर में गई। उसने देखा कि उस मंदिर में अब एक नया पुजारी था। उसने एक युवा लड़के को देखा। उसने स्लेटी रंग की वर्दी पहन रखी थी और जूते तथा जुराबें पहन रखे थे। अब युवा लड़के भी पुजारी के बेटे जैसे जूते पहनने लगे थे। लेकिन उसके पड़ोस में रहने वाले बहुत-से कबाड़ बीनने वाले अभी भी बिना जूतों के हैं।)

Question 3.
What is ironical about Saheb’s name? Describe the life of Saheb and the life of the other ragpickers of Seemapuri.
(साहेब के नाम के बारे में विडम्बनात्मक क्या है ? साहेब एवं सीमापुरी के अन्य कूड़ा बीनने वालों के जीवन का वर्णन करो।)
Answer:
Sahebis a poor ragpicker. He is one of the numerous ragpickers of Seemapuri which is on the periphery of Delhi. Saheb’s full name is ‘Saheb-e-Alam’ which means ‘Lord of the Universe. This is highly ironical. He leads a very poor and miserable life. He moves barefoot as he has no money to buy shoes. He earns his living by scrounging garbage dumps for pits of paper and rags. He does not know what his name means.

Saheb and the other ragpickers of Seemapuri lead a miserable and poor life. They live in dingy huts made of mud with roofs of tin and tarpaulin. They live amidst dirty and unhygienic surroundings. There is no sewerage, no drainage and no running water in their colony. They move around without shoes in the scorching heat. There is no development and no progress. For these poor people survival means rag-picking. For these poor children, garbage is wrapped in wonder. It is their source of livelihood.

(साहेब एक गरीब कबाड़ बीनने वाला है। वह दिल्ली की बाहरी सीमा पर स्थित सीमापुरी में रहने वाले असंख्य कबाड़ियों में से एक है। साहेब का पूरा नाम ‘साहेब-ए-आलम’ है जिसका अर्थ होता है इस ‘सृष्टि का मालिक’ । यह बात अत्यंत व्यंगात्मक है। वह एक अति गरीबी भरा और कष्टों वाला जीवन व्यतीत कर रहा है। वह नंगे पाँव घूमता है क्योंकि उसके पास जूते खरीदने के लिए धन नहीं है। वह कूड़े के ढेरों में कागज के टुकड़ों और चीथड़ों को ढूँढकर अपनी आजीविका कमाता है। वह नहीं जानता है कि उसके नाम का क्या अर्थ है।

साहेब और सीमापुरी के अन्य कबाड़ बीनने वाले सभी गरीबी और कष्टों भरा जीवन व्यतीत करते हैं। वे मिट्टी की बदबूदार झोंपड़ियों जिनकी छतें टिन और तिरपाल से बनी हुई थीं, में रहते हैं। वे गंदे और अस्वास्थ्यकर माहौल में रहते हैं। उनके यहाँ मल-निकासी और जल-निकासी का कोई साधन नहीं है और उनके यहाँ ताजा पानी भी नहीं आता है। वे झुलसाने वाली तपत में भी बिना जूतों के घूमते हैं। उनके क्षेत्र में कोई विकास और प्रगति नहीं है। इन गरीब लोगों के लिए जिंदा रहने का अर्थ है कबाड़ बीनना। इन गरीब बच्चों के लिए कूड़ा अजूबे में लिपटी हुई चीज है। यह उनकी आजीविका का एक साधन है।)

Question 4.
Describe the life of the ragpickers of Seemapuri. Why does the author say that Seemapuri is on the periphery of Delhi, yet miles away from it, metaphorically? (सीमापुरी के कूड़ा बीनने वालों के जीवन का वर्णन करो। लेखिका ऐसा क्यों कहती है कि सीमापुरी दिल्ली की सीमा पर है, फिर भी रूपक के तौर पर दिल्ली से मीलों दूर है?)
Or
How does the writer describe seemapuri, a place on the periphery of Delhi? (H.B.S.E. 2020 (Set-A)] (लेखक सीमापुरी, जो दिल्ली की सीमा पर स्थित है, का वर्णन कैसे करता है?)
Answer:
The ragpickers of Seemapuri lead a life of poverty and misery. There are more than ten thousand ragpickers in Seemapuri. Most of them came here from Bangladesh in 1971. They have been living here for more than thirty years. They don’t have identity and permits. But they do have ration cards which enable them to buy grain and cast their votes at the time of elections. For them food is more important than identity. As children grow up in Seemapuri, they become a part of the barefoot army of ragpickers.

Here survival means rag-picking. These young ragpickers appear in the morning with their bags on their shoulders. They scrounge the garbage dumps for bits of paper, rags, plastic items or other things which they can sell to the Kabariwallah. A garbage dump for them is wrapped in wonder. Sometimes, a ragpicker may find a rupee, a ten rupee note or even a silver coin.

Seemapuri is on the periphery of Delhi. Yet the author says that it is metaphorically miles away from Delhi. She means to say that the glitter and development of Delhi has not touched Seemapuri. The poor ragpickers live in huts made of mud, with roofs of tin and tarpaulin. There is no disposal system for sewage, no draining and no running water. It is unimaginable that Seemapuri is part of Delhi, the capital of India. Here we find no signs of development, only squalor and poverty.

(सीमापुरी के कबाड़ बीनने वाले एक गरीबी और कष्टों भरा जीवन व्यतीत करते हैं। सीमापुरी में कबाड़ बीनने वाले लोगों की संख्या दस हजार से भी अधिक है। इनमें से अधिकतर यहाँ पर बांग्लादेश से 1971 में आए थे। वे यहाँ पर तीस वर्षों से भी अधिक लंबे समय से रह रहे हैं। उनके पास कोई परिचय पत्र या अनुमति पत्र नहीं है। लेकिन उनके पास राशन कार्ड है जिसकी मदद से वे अनाज खरीद सकते हैं और चुनाव के समय अपना वोट डाल सकते हैं।

उनके लिए पहचान से अधिक महत्वपूर्ण भोजन है। जैसे ही सीमापुरी के बच्चे बड़े होते हैं, वे नंगे पाँव वाले कबाड़ियों के दल का हिस्सा बन जाते हैं। यहाँ पर जिंदा रहने का अर्थ कबाड़ बीनना। ये कबाड़ बीनने वाले अपने कंधों पर थैले लादकर सुबह-सुबह बाहर निकल पड़ते हैं। वे कागज के टुकड़ों, फटे-पुराने कपड़ों, प्लास्टिक की चीजों या अन्य चीजों के लिए कूड़े के ढेरों को कुरेदते रहते हैं जिनको वे कबाड़ीवाले को बेच देते हैं। उनके लिए कूड़े का ढेर अजूबे में लिपटी चीज है। कई बार तो किसी कबाड़ बीनने वाले को वहाँ से एक रुपए का सिक्का, दस रुपए का नोट यहाँ तक कि चाँदी का सिक्का भी मिल जाता है।

सीमापुरी दिल्ली की बाहरी सीमा पर स्थित है। लेकिन फिर भी लेखिका कहती है कि यह लाक्षणिक रूप में दिल्ली से मीलों दूर है। उसका यह कहने का अर्थ है कि यह दिल्ली की चमक-दमक और विकास से अछूता है। गरीब कबाड़ बीनने वाले मिट्टी की बनी झोंपड़ियों में रहते हैं, जिनक छतें टिन और तरपाल से बनी होती हैं। उनके यहाँ मल निकासी और गंदे जल की निकासी की या ताजे पानी के आने की कोई व्यवस्था नहीं है। यह बात अकल्पनीय है कि सीमापुरी भारत की राजधानी दिल्ली का एक हिस्सा है। यहाँ पर हमें विकास का कोई चिह्न नज़र नहीं आता, सिवाय गंदगी और गरीबी के।)

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 2 Lost Spring

Question 5.
Do you think the poor ragpickers remain barefoot because of tradition or lack of money? (क्या आप सोचते हैं गरीब कूड़ा बीनने वाले परम्परा के कारण नंगे पाँव रहते हैं, या पैसे की कमी के कारण ?)
Answer:
The author comes across Saheb, a ragpicker of Seemapuri. He is part of many ragpickers settled in Seemapuri. They live in poor and dirty conditions. Saheb and other ragpickers are barefoot. The author calls them an “army of barefoot boys.” She asks one of them why he is not wearing shoes. He replies that his mother did not bring the shoes down from the shelf. Some boys tell them that it is a tradition with them to remain barefoot. But the author thinks that this is only an excuse to explain away the perpetual poverty which compels them to remain barefoot. She remembers a story, which a man from Udipi told her.

As a young boy he would go to school past a temple. His father was a priest in that temple. He was poor and could not afford shoes. He would stop briefly in the temple and pray for shoes. Thirty years later, the author visited the same temple. She saw a young boy dressed in gray uniform, wearing socks and shoes. But the boys of Seemapuri are too poor to afford shoes. Some days later, she finds Saheb wearing discarded tennis shoes. This shows that the ragpickers are barefoot not because of any tradition but because of their poverty.

(लेखिका की मुलाकात सीमापुरी के एक कबाड़ बीनने वाले साहेब से होती है। वह सीमापुरी में रहने वाले कबाड़ बीनने वालों में से एक हैं। वे गरीबी वाली और गंदी स्थितियों में रहते हैं। साहेब और अन्य कबाड़ बीनने वाले नंगे पाँव रहते हैं। लेखिका उनको “नंगे पाँव लड़कों की सेना” कहकर सम्बोधित करती है। वह उनमें से एक से पूछती है कि उसने जूते क्यों नहीं पहन रखे हैं। वह उनमें से एक से पूछती है कि उसने जूते क्यों नहीं पहन रखे हैं। वह उत्तर देता है कि उसकी माँ ने शेल्फ़ से जूते नीचे नहीं उतारे हैं। कुछ लड़के उसको बताते हैं कि उनके यहाँ तो बिना जूतों के ही रहना एक परंपरा सी बन गई है। परन्तु लेखिका सोचती है कि यह उनका अपनी चिरस्थायी गरीबी को समझाने का एक बहाना है, जो उन्हें नंगे पाँव रहने पर मजबूर करती है।

उसे एक कहानी याद आती है जो उडिपी के एक आदमी ने उसे सुनाई थी। जब वह छोटा था तो वह एक मंदिर के पास से गुजर कर स्कूल जाता था। उसके पिता जी उस मंदिर में पुजारी थे। वे गरीब थे और उसे जूते नहीं दिला सकते थे। वह थोड़ी देर मंदिर में रुक जाया करता था और जूतों के लिए प्रार्थना करता था। तीस साल के बाद, लेखिका फिर से उस मंदिर में गई। उसने एक युवा लड़के को देखा जिसने स्लेटी रंग की वर्दी पहन रखी थी और जूते तथा जुराबें पहन रखे थे। लेकिन सीमापुरी के बालक तो इतने गरीब हैं कि वे जूते नहीं खरीद सकते हैं। कुछ दिनों के बाद, वह साहेब को टेनिस खेलने के पुराने जूते पहने हुए देखती है। इस बात से पता चलता है कि कूड़ा बीनने वाले अपनी गरीबी की वजह से नंगे पाँव रहते हैं, न कि किसी परंपरा की वजह से।)

Question 6.
Who is Mukesh? What is his ambition? Describe the author’s visit to the house of Mukesh? (मुकेश कौन है ? उसकी महत्त्वाकांक्षा क्या है ? लेखिका के मुकेश के घर आगमन का वर्णन करो।)
Or
“It is his Karam, his destiny that made Mukesh’s grandfather go blind.” How did Mukesh disprove this belief by choosing a new vocation and making his own destiny. [H.B.S.E. March 2018 (Set-A)] (यह उसका कर्म, उसका भाग्य है, जिसने मुकेश के दादा को अंधा बनाया। मुकेश ने एक नए पेशे को अपनाकर तथा अपना स्वयं का भाग्य बनाकर इस धारणा को कैसे गलत साबित किया?)
Or
What did the writer see when Mukesh took her to his home ?[H.B.S.E. March, 2019, 2020 (Set-D)] (जब मुकेश लेखक को अपने घर ले गया तो लेखक ने क्या देखा?)
Answer:
Mukesh is a young bangle maker of Firozabad. His family has been doing this job for generations. Like the other families of bangle makers, Mukesh’s family is also very poor. They think that their destiny is fixed and they will spend their lives making bangles only. But Mukesh seems to be different. He is determined that one day he will leave this job. He wants to become a motor mechanic. He dreams of driving a car one day. The author thinks that Mukesh can achieve his aim as he seems determined.

The author visits Mukesh’s home. He lives in a stinking lane, choked with garbage. The houses in the streets are just hoveled with crumbling walls and no windows. They are crowded with families of humans and animals. Then they enter Mukesh’s home. It is a half-built rough hut. In one part of it, the roof is covered with dry grass. There is firewood stove. A frail woman is cooking the evening meal for the family. She is the wife of Mukesh’s elder brother.

Mukesh’s father is a poor bangle maker. He has been making bangles for many long years. Yet he has not been able to renovate the house and to send his two sons to schools. He could just teach them the art of bangle-making. Mukesh’s grandfather had gone blind with the dust from polishing the glass of bangles.

(मुकेश फिरोजाबाद का चूड़ी बनाने वाला एक छोटा लड़का है। उसका परिवार कई पीढ़ियों से यह काम कर रहा है। चूड़ियाँ बनाने वाले अन्य परिवारों की तरह मुकेश का परिवार भी गरीब है। वे सोचते हैं कि उनका भाग्य तो तय कर दिया गया है और वे तो केवल मात्र चूड़ियाँ बनाकर ही अपना जीवन व्यतीत करेंगे। लेकिन मुकेश का विचार भिन्न है। उसे पक्का यकीन है कि एक दिन वह उस काम को छोड़ देगा। वह एक मोटर मैकेनिक बनना चाहता है। वह एक दिन कार चलाने का सपना देखता है। लेखिका सोचती है कि मुकेश अपने लक्ष्य को हासिल कर सकता है क्योंकि उसका इरादा पक्का है।

लेखिका मुकेश के घर जाती है। वह एक बदबूदार गली में रहता है जो कि कूड़े से भरी पड़ी है। गलियों में बने घर मात्र सिर्फ छप्पर ही हैं जिनकी टूटी-फूटी दीवारें हैं और उनमें कोई खिड़की भी नहीं है। उन घरों में इन्सानों और पशुओं की भीड़ भरी हुई है। तब वे मुकेश के घर में प्रवेश करते हैं। उसका घर एक आधी बनी झोंपड़ी के समान है। इसके एक भाग में, छत सूखे घास से बनी हुई है। इसमें लकड़ी का चूल्हा रखा हुआ है। एक कमजोर-सी महिला परिवार के लिए रात्रि भोजन तैयार कर रही है। वह मुकेश के बड़े भाई की पत्नी है। मुकेश का पिता एक गरीब चूड़ी बनाने वाला है। वह पिछले बहुत-से सालों से चूड़ियाँ बना रहा है। लेकिन फिर भी वह अपने घर की मुरम्मत नहीं करवा सका है और न ही अपने दो बेटों को स्कूल भेज सका है। वह तो उनको केवल मात्र चूड़ियाँ बनाने की कला ही सिखा पाया है। मुकेश का दादा काँच को पॉलिश करते समय उठी धूल की वजह से अंधा हो चुका था।)

The Lost Spring MCQ Questions with Answers

Multiple Choice Questions

1. Who is the writer of extract ‘Lost Spring’?
(A) Najees Jung
(B) Anees Jung
(C) Janees Aung
(D) Ganesh Gunj
Answer:
(B) Anees Jung

2. Who is Saheb?
(A) a shopkeeper
(B) a soldier
(C) a ragpicker
(D) a student
Answer:
(C) a ragpicker

3. From where did Saheb come?
(A) Dhaka
(B) Dhamaka
(C) Jorhat
(D) Chittagong
Answer:
(A) Dhaka

4. Why did Saheb and his family come to India leaving Bangladesh?
(A) they liked India
(B) they were expelled from there
(C) because of communal violence there
(D) because storms destroyed their homes and fields
Answer:
(D) because storms destroyed their homes and fields.

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 2 Lost Spring

5. What is Saheb’s full name?
(A) Saheb-e-Alam
(B) Alam-e-Saheb
(C) Laheb-e-Salam
(D) Maheb-e-Lalam
Answer:
(A) Saheb-e-Alam

6. What is the meaning of ‘Saheb-e-Alam’?
(A) great ragpicker
(B) chief of pick-pockets
(C) Lord of the Universe
(D) Lord of the pirates
Answer:
(C) Lord of the Universe.

7. Saheb’s name means “Lord of the Universe, but he leads a life of ………………………………..
(A) wealth and power
(B) opulence
(C) prosperity
(D) poverty and misery
Answer:
(D) poverty and misery

8. Why does Saheb remain barefoot?
(A) his feet are beautiful
(B) he hates shoes
(C) he is so poor that he cannot buy shoes and chappals
(D) his employer forbids him to wear shoes
Answer:
(C) he is so poor that he cannot buy shoes and chappals

9. Where does Saheb live?
(A) Seemapuri
(B) Peemasuri
(C) Maujpur
(D) Paujmur
Answer:
(A) Seemapuri

10. The houses in Seemapuri are made of ………………………………….
(A) bricks and concrete
(B) asbestos sheets
(C) mud, tin, and tarpaulin
(D) plywood
Answer:
(C) mud, tin and tarpaulin

11. For the people of Saheb’s colony what is more important than identity?
(A) gold
(B) Silver
(C) coats
(D) food
Answer:
(D) food

12. Where do Saheb and other such people pitch their tents?
(A) in a good colony
(B) wherever they find food
(C) by the bank of a river
(D) near a theatre
Answer:
(B) wherever they find food.

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 2 Lost Spring

13. What is Saheb watching from the fenced gate of a club?
(A) two young men playing tennis
(B) two women dancing
(C) two dogs quarreling dog
(D) a gardener planting flowers
Answer:
(A) two young men playing tennis

14. Later, Saheb is found wearing shoes. Who gave them the shoes?
(A) the writer
(B) a policeman
(C) a doctor
(D) a rich boy
Answer:
(D) a rich boy

15. Why did a rich boy give the tennis shoes to Saheb?
(A) he liked Saheb
(B) he hated his shoes
(C) there was a hole in one of them
(D) Saheb bought them from him.
Answer:
(C) there was a hole in one of them

16. Where does Saheb work after leaving the work of being a ragpicker?
(A) a factory
(B) in a tea stall
(C) on a farm
(D) in a school
Answer:
(B) in a tea stall

17. The writer describes the life of another poor boy. What is his name?
(A) Mukesh
(B) Sukesh
(C) Ramesh
(D) Sumesh
Answer:
(A) Mukesh

18. Where does Mukesh’s family work?
(A) in a school
(B) on a farm
(C) in a club
(D) in a bangle factory
Answer:
(D) in a bangle factory

19. Where does Mukesh live?
(A) in Ferozepur
(B) in Faridabad
(C) in Aurangabad
(D) in Firozabad
Answer:
(D) in Firozabad

20. What is Firozabad famous for?
(A) bangles
(B) sandals
(C) cloth
(D) electronics
Answer:
(A) bangles

21. What does Mukesh want to become?
(A) a doctor
(B) a motor mechanic
(C) teacher
(D) writer
Answer:
(B) a motor mechanic

22. What does the writer say about the street in which Mukesh’s house is situated?
(A) a fine street
(B) a wide street
(C) a street with civic amenities
(D) a stinking lane, choked with garbage
Answer:
(D) a stinking lane, choked with garbage.

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 2 Lost Spring

23. In what kind of house does Mukesh live?
(A) in a big house
(B) in a bungalow
(C) in a half-built rough hut
(D) in a flat
Answer:
(C) in a half-built rough hut

24. What’s Mukesh’s father?
(A) a doctor
(B) a poor bangle maker
(C) a teacher
(D) a leader
Answer:
(B) a poor bangle maker

25. What do the bangles symbolize in Indian culture?
(A) ‘Suhaag’
(B) corruption
(C) chastity
(D) farming
Answer:
(A) ‘Suhaag

The Lost Spring Important Passages for Comprehension

Seen Comprehension Passages
Read the following passages and answer the questions given below:

Type (i)
Passage 1.
“Why do you do this?” I ask Saheb whom I encounter every morning scrounging for gold in the garbage dumps of my neighbourhood. Saheb left his home long ago. Set amidst the green fields of Dhaka, his home is not even a distant memory. There were many storms that swept away their fields and homes, his mother tells him. That’s why they left, looking for gold in the big city where he now lives. “I have nothing else to do,” he mutters, looking away.

Word-meanings :
Encounter = come across (भेंट करना);
scrounging = searching for something (किसी चीज़ को खोजना);
dumps = heaps (ढेर)।

Questions :
(i) Name the chapter from which these lines have been taken?
(A) The Last Lesson
(B) Lost Spring
(C) Deep Water
(D) The Rattrap
Answer:
(B) Lost Spring

(ii) Name the author of these lines.

(A) Alphonse Daudet
(B) Saheb
(C) Anees Jung
(D) none of these
Answer:
(C) Anees Jung

(iii) Who is Saheb?
(A) a school-going boy
(B) the son of a king
(C) a ragpicker boy
(D) the writer’s son
Answer:
(C) a ragpicker boy

(iv) Which city did Saheb’s family belong to?
(A) Dhaka
(B) Kolkata
(C) Patna
(D) Chennai
Answer:
(A) Dhaka

(v) What was Saheb scrounging for in the heaps of garbage?
(A) books
(B) food
(C) toys
(D) rags
Answer:
(D) rags

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 2 Lost Spring

Passage 2
After months of knowing him, I ask him his name. “Saheb-e-Alam,” he announces. He does not know what it means. If he knew its meaning – lord of the universe – he would have a hard time believing it. Unaware of what his name represents, he roams the streets with his friends, an army of barefoot boys who appear like the morning birds and disappear at noon. Over the months, I have come to recognize each of them.

Word-meanings :
Roam = wanders (घूमना);
barefooted = without shoes (बिना जूतों के);
disappear = go out of sight (नज़र न आना)।

Questions :
(i) Name the chapter from which these lines have been taken?
(A) The Last Lesson
(B) Lost Spring
(C) Deep Water
(D) The Rattrap
Answer:
(B) Lost Spring

(ii) Name the author of these lines.
(A) Alphonse Daudet
(B) Saheb
(C) Anees Jung
(D) none of these
Answer:
(C) Anees Jung

(iii) What is the meaning of ‘Saheb-e-Alam’?
(A) Lord of the state
(B) Lord of the universe
(C) Lord of the land
(D) none of the above
Answer:
(B) Lord of the universe

(iv) Who does Saheb roam with?
(A) his parents
(B) his brother
(C) his classmates
(D) his friends
Answer:
(D) his friends

(v) Did Saheb know the meaning of his name?
(A) Yes
(B) No
(C) Maybe
(D) May not be
Answer:
(B) No

Passage 3
I remember a story a man from Udipi once told me. As a young boy he would go to school past an old temple, where his father was a priest. He would stop briefly at the temple and pray for a pair of shoes. Thirty years later I visited his town and the temple, which was now drowned in an air of desolation. In the backyard, where lived the new priest, there were red and white plastic chairs. A young boy dressed in a grey uniform, wearing socks and shoes, arrived panting and threw his school bag on a folding bed.

Looking at the boy, I remembered the prayer another boy had made to the goddess when he had finally got a pair of shoes, “Let me never lose them.” The goddess had granted his prayer. Young boys like the son of the priest now wore shoes. But many others like the ragpickers in my neighbourhood remain shoeless. [H.B.S.E. 2017 (Set-A)]

Word-meanings :
Desolation = ruin (विनाश);
panting = breathing heavily (ज़ोर-से साँस लेना)।

Questions :
(i) Name the chapter from which these lines have been taken?
(A) The Last Lesson
(B) Lost Spring
(C) Deep Water
(D) The Rattrap
Answer:
(B) Lost Spring

(ii) Name the author of these lines.
(A) Alphonse Daudet
(B) Saheb
(C) Anees Jung
(D) None of these
Answer:
(C) Anees Jung

(iii) What was the young boys father?
(A) Priest
(B) Farmer
(C) Teacher
(D) Soldier
Answer:
(A) Priest

(iv) What did the boy pray for?
(A) A pair of shirts
(B) Books
(C) Money
(D) A pair of boots
Answer:
(D) A pair of boots

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 2 Lost Spring

(v) Who does “I’ refer to in the first line?
(A) Anees Jung
(B) Saheb
(C) Saheb’s father
(D) None of the above
Answer:
(A) Anees Jung

Passage 4
My acquaintance with the barefoot ragpickers leads me to Seemapuri, a place on the periphery of Delhi yet miles away from it, metaphorically. Those who live here are squatters who came from Bangladesh back in 1971. Saheb’s family is among them. Seemapuri was then a wilderness. It still is, but it is no longer empty. In structures of mud, with roofs of tin and tarpaulin, devoid of sewage, drainage or running water, live 10,000 ragpickers.

Word-meanings :
Acquaintance = introduction (परिचय);
squatters = illegal settlers (गैर-कानूनी स्थापित होना)।

Questions :
(i) Name the chapter from which these lines have been taken?
(A) The Last Lesson
(B) Lost Spring
(C) Deep Water
(D) The Rattrap
Answer:
(B) Lost Spring

(ii) Name the author of these lines.
(A) Alphonse Daudet
(B) Saheb
(C) Anees Jung
(D) none of these
Answer:
(C) Anees Jung

(iii) Where is Seemapuri situated?
(A) in the center of Delhi
(B) on the periphery of Delhi
(C) outside Delhi
(D) all of the above
Answer:
(B) on the periphery of Delhi

(iv) Who lived in Seemapuri?
(A) Farmers
(B) Politicians
(C) Traders
(D) Ragpickers
Answer:
(D) Ragpickers

(v) What change has come in Seemapuri over the years?
(A) It is no longer a wilderness
(B) Here structures of mud, with roofs of tin and tarpaulin have appeared here
(C) About 10,000 ragpickers live here
(D) all of the above
Answer:
(D) all of the above

Passage 5
“I, sometimes, find a rupee, even a ten-rupee note,” Saheb says, his eyes lighting up. When you can find a silver coin in a heap of garbage, you don’t stop scrounging, for there is hope of finding more. It seems that for children garbage has a meaning different from what it means to their parents. For the children it is wrapped in wonder, for the elders, it is a means of survival.

Word-meanings :
Garbage = rubbish (कूड़ा);
scrounging = searching for something (किसी चीज को खोजना);
wrapped = covered (लिपटा) ।

Questions :
(i) This passage has been taken from :
(A) The Last Lesson
(B) Deepwater
(C) Lost Spring
(D) The Rattrap
Answer:
(C) Lost Spring

(ii) Who, sometimes, finds a rupee, even a ten-rupee note?
(A) The writer
(B) The story-teller
(C) Saheb
(D) His parents
Answer:
(C) Saheb

(iii) What does a heap of garbage stand for the children’s parents?
(A) A source of water
(B) A means of survival
(C) Both (A) and (B)
(D) neither (A) and (B)
Answer:
(B) A means of survival

(iv) The word “garbage’ means :
(A) rubbish
(B) expensive material
(C) rare material
(D) useful material
Answer:
(A) rubbish

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 2 Lost Spring

(v) The writer of the passage is :
(A) Alphonse Daudet
(B) Anees Jung
(C) W. Douglas
(D) none of these
Answer:
(B) Anees Jung

Type (ii)
Passage 6
They have lived here for more than thirty years without an identity, without permits but with ration cards that get their names on voters’ lists and enable them to buy grain. Food is more important for survival than an identity. “If at the end of the day we can feed our families and go to bed without an aching stomach, we would rather live here than in the fields that gave us no grain,” say a group of women in tattered saris when I ask them why they left their beautiful land of green fields and rivers.

Wherever they find food, they pitch their tents that become transit homes. Children grow up in them, becoming partners in survival. And survival in Seemapuri means rag-picking. Through the years, it has acquired the proportions of a fine art. Garbage to them is gold. It is their daily bread, a roof over their heads, even if it is a leaking roof. But for a child, it is even more.

Word-meanings:
Identity = recognition (पहचान);
aching = paining (पीड़ा);
survival = living (जीवन)।

Questions :
(i) Name the chapter and its author.
(ii) Where have the rag-pickers lived for more than thirty years?
(iii) Why have the people left their green field’s behind?
(iv) What is gold to the ragpickers?
(v) Find words from the passage which mean the same as :
(a) painting,
(b) living.
Answers :
(i) Chapter: Lost Spring-Stories of Stolen Childhood.
Author: Anees Jung.
(ii) The ragpickers have lived for more than thirty years in Seemapuri.
(iii) The people have left their green fields behind because that gave no grain to them.
(iv) Garbage is gold to the ragpickers.
(v) (a) aching, (b) survival.

Passage 7
Saheb too is wearing tennis shoes that look strange over his discolored shirt and shorts. “Someone game them to me,” he says in the manner of an explanation. The fact that they are discarded shoes of some rich boy, who perhaps refused to wear them because of a hole in one of them, does not bother him. For one who had walked barefoot, even shoes with a hole is a dream come true. But the game he is watching so intently is out of his reach. [H.B.S.E. March 2018 (Set-B)]

Word-meanings :
Discard = given up/in disuse (छाड़ना);
intently = attentively (आभलाषा)।

Questions :
(i) Name the chapter from which the above lines have been taken.
(ii) Name the author of the chapter.
(iii) What looks strange?
(iv) Why did some rich boy discard the shoes?
(v) What is a dream come true for Saheb?
Answers:
(i) Lost Spring
(ii) Anees Jung
(iii) Tennis shoes that Saheb was wearing look strange.
(iv) Some rich boys discarded them because of a hole in one of them.
(v) Dream of wearing a shoe come true for Saheb.

Passage 8
Savita, a young girl in a drab pink dress, sits alongside an elderly woman, soldering pieces of glass. As her hands move mechanically like the tongs of a machine, I wonder if she knows the sanctity of the bangles she helps make. It symbolises an Indian woman’s suhag, auspiciousness in marriage. It will dawn on her suddenly one day when her head is draped with a red veil, her hands dyed red with henna, and the red bangles rolled onto her wrists. She will then become a bride. [H.B.S.E. March 2018 (Set-D)]

Word-meanings :
Drab = dull (नीरस);
soldering = welding (धातु जाड़न का टाका);
dyed = coloured (रग किया)।

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 2 Lost Spring

Questions :
(i) Name the chapter from which the above lines have been taken.
(ii) Name the author of the chapter.
(iii) What is Savita wearing?
(iv) What sanctity is attached to bangles?
(v) What job is Savita doing?
Answers:
(i) Lost Spring
(ii) Anees Jung
(iii) Savita is wearing a pink dress.
(iv) Bangles symboliseS an Indian woman’s suhag.
(v) Savita is soldering pieces of glass.

The Lost Spring Summary in English and Hindi

The Lost Spring Introduction to the Chapter
Anees Jung is one of the famous writers of India. She was born in Rourkela. But she spent her childhood in Hyderabad. She got her education in Hyderabad and in USA. Anees Jung began her literary career as writer and columnist for major newspapers of India. This lesson has been taken from her book ‘Lost Spring, Stories of Stolen Childhood. This lesson presents a depressing picture of modern India. She gives a realistic description of the grinding poverty and pathetic condition of poor and innocent children like Saheb of Seemapuri and Mukesh of Firozabad. Saheb is a ragpicker in Seemapuri, near Delhi. Mukesh works as a labourer in a bangle making factory of Firozabad in Uttar Pradesh. Like many others in India, the childhood of Saheb and Mukesh is full of abject poverty and misery.

(अनीस जंग भारत के प्रसिद्ध लेखकों में से एक हैं। उनका जन्म राऊरकेला में हुआ था, लेकिन उन्होंने अपना बचपन हैदराबाद में बिताया। उन्होंने अपनी शिक्षा हैदराबाद और संयुक्त राज्य अमेरिका में प्राप्त की। अनीस जंग ने अपना साहित्यिक सफर भारत के प्रसिद्ध समाचार-पत्रों के लिए एक लेखक और स्तंभकार के रूप में शुरू किया। यह पाठ उनकी पुस्तक ‘Lost Spring Stories of Stolen Childhood’ से लिया गया है।

यह पाठ आधुनिक भारत की विषाद भरी तस्वीर का प्रदर्शन करता है। वे कष्टकारक गरीबी और सीमापुरी के साहेब और फिरोज़ाबाद के मुकेश जैसे (निर्दोष) बच्चों की करुणाजनक स्थिति का वास्तविक चित्रण करती हैं। साहेब दिल्ली के निकट सीमापुरी में एक कबाड़ इकट्ठा करने वाला है। मुकेश उत्तर प्रदेश के फिरोज़ाबाद में चूड़ियों का निर्माण करने वाली एक फैक्टरी में श्रमिक है। भारत में अन्य बहुत-से लोगों की तरह साहेब और मुकेश का बचपन भी दयनीय गरीबी और कष्टों से भरा हुआ है।)

The Lost Spring Summary

“Sometimes I find a rupee in the garbage” : Saheb is a ragpicker. Anees Jung sees him daily scrounging the garbage dumps. He came from Dhaka, which is in Bangladesh. He has no memory of his home. His family came away from Bangladesh because storms destroyed their homes and fields. Anees Jung asks him his full name. His full name is ‘Saheb-e-Alam,’ which means “Lord of the Universe”. This name is ironical as he is not the lord of even his own life. He leads a life of utter poverty and misery. He roams the streets with other ragpickers. Like them, he is also barefoot. They live in a state of perpetual poverty and cannot afford shoes or chappals.

Like many other families of ragpickers, Saheb’s family lives in Seemapuri. This is a dirty colony on the periphery of Delhi. About 10,000 ragpickers live there in miserable conditions. The colony shows no signs of development. The houses are made of mud and have roofs of tin and tarpaulin. The colony is devoid of sewage drainage or running water. They have lived for more than thirty years. They have no identity or permits. But they have ration cards that enable them to buy grain or to cast votes. For them food is more important than identity. Wherever they find food, they pitch their tents and become a transit camp.

One morning, the writer sees Saheb standing by the fenced gate of a club. He is watching two young men playing tennis. He tells her that he likes the game. Saheb is also wearing tennis shoes. These were given to him by a rich boy because there is a hole in one of the shoes. Now Saheb works in a tea stall. He gets 800 rupees plus meals. The writer observes that Saheb’s face has lost its carefree look. He is no longer his own master.
“I want to drive a car.”

Now the writer describes the life of another poor boy. His name is Mukesh. His family works in a bangle factory. He lives in a dusty street of Firozabad. This town is famous for its bangles. It is the center of India’s glass-blowing factory. Like other poor families of the town, Mukesh’s family has been making bangles for generations. But Mukesh has dreams in his eyes. He wants to be a motor mechanic. He says that he wants to learn to drive a car.

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 2 Lost Spring

The author says that more than 20,000 children work in the bangle factories of Firozabad. They do not know that it is illegal for children to work in the glass furnaces with high temperatures. They work in dark cells without air and light. They live in miserable conditions. The author visits Mukesh’s home. He lives in a stinking lane, choked with garbage. The houses in the streets are just hovels with crumbling walls and no windows. They are crowded with families of humans and animals.

Then they enter: Mukesh’s home. It is a half-built rough hut. In one part of it, the roof is covered with dry grass. There is firewood stove. A frail woman is cooking the evening meal for the family. She is the wife of Mukesh’s elder brother. Mukesh’s father is a poor bangle maker. He has been making bangles for many long years. Yet he has not been able to renovate the house and to send his two sons to schools. He could just teach them the art of bangle-making. Mukesh’s grandfather had gone blind with the dust from polishing the glass of bangles.

There is great poverty in the families of these bangle makers. But they cannot give up their profession. They are born in the caste of bangle makers. They have nothing but bangles in their houses. In dark hutments, boys and girls sit with their fathers and mothers, welding pieces of coloured glass into circles of bangles. They work by flickering oil lamps.

The author meets a young girl in a dull pink dress, sitting alongside an elderly woman. The girl’s name is Savita. She is welding the pieces of glass. Her hands move mechanically while doing so. The author wonders whether she knows the sanctity of bangles. They symbolise an Indian woman’s ‘suhaag’. They stand for auspiciousness in marriage. Perhaps she will realise it one day when she herself becomes a bride.

These poor people have no money to do any other work except carry on the business of making bangles. Years of mind-numbing toil have killed all initiative and the ability to dream. The author asks some young men why they do not organise themselves into a cooperative. They say that even they make an attempt to do, they will be hauled up by the police, beaten and dragged to jail for doing something illegal.

The author realises that there are two distinct worlds. One is the world of the family, caught in a web of poverty. The other is the world of moneylenders, the middlemen and the policeman, the bureaucrats and the politicians. They all exploit the poor bangle makers. Mukesh’s eyes are full of hope. The author asks him if he dreams of flying an aeroplane. He says ‘no’ and is content to dreams of cars which he sees moving down the streets of his town. The child accepts his destiny as his father had accepted it.

(“कई बार मुझे कबाड़ में से एक रुपया मिल जाता है।” साहेब कबाड़ बीनने वाला है। अनीस जंग उसे हररोज कूड़े के ढेर के पास खोजबीन करते हुए देखती है। वह ढाका से आया था जो कि बंगलादेश में है। उसे अपने घर की कोई याददाश्त नहीं है। उसका परिवार बंगला देश से पलायन कर आया था क्योंकि तूफान में उनका घर और खेत नष्ट हो चुके थे। अनीस जंग उससे उसका पूरा नाम पूछती है। उसका पूरा नाम है ‘साहिब-ए-आलम’ जिसका अर्थ है ‘दुनिया का मालिक’। यह नाम व्यंग्यात्मक है क्योंकि वह तो खुद अपने जीवन का भी मालिक नहीं है। वह पूर्ण गरीबी और कष्टों भरा जीवन व्यतीत करता है। वह कबाड़ बीनने वाले दूसरे लड़कों के साथ गलियों में घूमता है। उनकी तरह वह भी नंगे पाँव है। वे कभी समाप्त न होने वाली गरीबी की स्थिति में रहते हैं और जूते या चप्पलें भी नहीं जुटा सकते हैं।

कबाड़ इकट्ठा करने वालों के अन्य बहुत-से परिवारों की तरह, साहेब का परिवार भी सीमापुरी में रहता है। यह दिल्ली की परिधि पर बसी एक गंदी बस्ती है। लगभग 10,000 कबाड़ इकट्ठा करने वाले वहाँ दयनीय स्थिति में रहते हैं। कॉलोनी में विकास का कोई संकेत नहीं है। मकान मिट्टी से बने हुए हैं और उनकी छतें टिन और तिरपाल से बनी हुई हैं। कॉलोनी मल निकासी और जलापूर्ति रहित है। वे तीस सालों से अधिक से यहाँ रह रहे हैं।

उनका कोई पहचान-पत्र या अनुमति पत्र नहीं है। लेकिन उनके पास राशन-कार्ड है। जिससे वे अनाज प्राप्त कर सकते हैं और वोट डाल सकते हैं। उनके लिए पहचान-पत्र की अपेक्षा राशन अधिक जरूरी है। जहाँ कहीं भी उन्हें भोजन मिल जाता है वे अपने तंबू गाड़ देते हैं और एक अस्थायी कैंप बना लेते हैं। एक सुबह लेखिका साहेब को एक क्लब में गेट के पास खड़े देखती है। वह दो नवयुवकों को टेनिस खेलते हुए देख रहा है। वह उसे बताता है कि वह उस खेल को पसंद करता है।

साहेब ने भी टेनिस के जूते पहन रखे हैं। उसको ये एक अमीर लड़के के द्वारा दिए गए थे क्योंकि एक जूते में सुराख हो गया था। अब साहेब एक चाय की दुकान पर काम करता है। उसे भोजन के साथ 800 रुपये मिलते हैं। लेखिका देखती है कि साहेब के चेहरे के चिंतामुक्त भाव खो गए हैं। अब वह अपनी मर्जी का मालिक नहीं रहा है।

“मैं कार चलाना चाहता हूँ।” अब लेखिका एक-दूसरे गरीब लड़के का वर्णन करती है। उसका नाम मुकेश है। उसका परिवार एक चूड़ियों के कारखाने में काम करता है। वह फिरोजाबाद की एक धूलभरी गली में रहता है। यह कस्बा अपनी चूड़ियों के कारण प्रसिद्ध है। यह भारत के काँच उद्योग का केंद्र है। कस्बे के अन्य गरीब परिवारों की भाँति, मुकेश का परिवार भी कई पीढ़ियों से चूड़ियाँ बनाने का काम कर रहा है। लेकिन मुकेश की आँखों में सपने हैं। वह एक मोटर मकैनिक बनना चाहता है। वह कहता है कि वह कार चलाना सीखना चाहता है।

लेखिका कहती है कि फिरोज़ाबाद के चूड़ियाँ बनाने वाले कारखानों में 20,000 से अधिक बच्चे काम कर रहे हैं। वे यह नहीं जानते हैं कि इतने उच्च तापमान पर काँच पिघलाने वाले इन उद्योगों में बच्चों का भारी काम करना उनके लिए गैर-कानूनी है। वे बिना हवा और प्रकाश के अंधेरे कमरों में काम करते हैं। वे दयनीय परिस्थितियों में रहते हैं। लेखिका मुकेश के घर जाती है। वह एक बदबूदार गली में रहता है जो कि कबाड़ से भरी पड़ी है। उस गली के घर जीर्ण-शीर्ण दीवारों वाले छप्पर है और उनमें खिड़कियाँ नहीं हैं। उनमें मनुष्यों और पशुओं की भीड़ है। तब वे मुकेश के घर में प्रवेश करते हैं। यह एक आधी-अधूरी बनी भद्दी-सी झोपड़ी है। इसके एक भाग में, छत सूखी घास से ढकी हुई है। इसमें लकड़ी से चलने वाला चूल्हा रखा है।

एक दुबली-पतली महिला परिवार के लिए शाम का भोजन पका रही है। वह मुकेश के बड़े भाई की पत्नी है। मुकेश का पिता एक गरीब चूड़ी निर्माता है। वह बहुत सालों से चूड़ियाँ बना रहा है। लेकिन फिर भी वह अपने घर की मुरम्मत नहीं करवा सका और न ही अपने दो बेटों को स्कूल भेज सका। वह उन्हें केवल चूड़ियाँ बनाने की कला ही सिखा पाया। मुकेश के दादा जी चूड़ियों के काँच पर पॉलिश करते हुए धूल के कारण अंधे हो गए थे।

इन चूड़ी निर्माताओं के परिवारों में बहुत अधिक गरीबी है। लेकिन वे अपना पेशा नहीं छोड़ सकते हैं। उनका जन्म चूड़ी निर्माताओं की जाति में हुआ है। उनके घरों में चूड़ियों के सिवाय कुछ भी नहीं मिलता है। अंधेरी झोंपड़ियों में लड़के और लड़कियाँ अपने माता-पिता के साथ बैठकर रंगीन काँच के टुकड़ों को गोल चूड़ियों के रूप में जोड़ते हैं। वे तेल के दिए जलाकर काम करते हैं।

लेखिका एक छोटी लड़की से मिलती है जिसने फीके गुलाबी रंग की पोशाक पहन रखी थी और वह एक वृद्ध महिला के पास बैठी थी। लड़की का नाम सविता है। वह काँच के टुकड़ों को जोड़ रही है। ऐसा करते हुए उसके हाथ मशीन की तरह चल रहे हैं। लेखिका हैरान होती है कि क्या उस लड़की को चूड़ियों की पवित्रता का पता है। ये एक भारतीय महिला के ‘सुहाग’ का प्रतीक हैं। ये शादी में शुभ मानी जाती हैं। शायद उसे इसके बारे में एक दिन पता चल जाएगा जब वह दुल्हन बनेगी।

इन गरीब लोगों के पास चूड़ी बनाने के इस पेशे को जारी रखने के सिवाय और कोई काम करने के लिए धन नहीं है। मन को चेतना शून्य कर देने वाले वर्षों के परिश्रम ने उनकी सभी रुचियों और स्वप्नों को मार दिया है। लेखिका कुछ नवयुवकों से पूछती है कि वे स्वयं को एक सहकारी समिति के रूप में संगठित क्यों नहीं करते हैं। वे कहते हैं कि यदि वे ऐसा करने का प्रयास भी करते हैं तो पुलिस उन्हें खींच लेगी और उनकी पिटाई करके उन्हें गैर-कानूनी कार्य करने के जुर्म में जेल में डाल देगी। लेखिका महसूस करती है कि दो भिन्न-भिन्न प्रकार का संसार है। एक संसार तो गरीबी के जाल में फंसे हुए परिवारों का है। दूसरा संसार साहूकारों, मध्यमवर्ग के लोगों और पुलिस वालों, अधिकारियों और राजनीतिज्ञों का है।

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 2 Lost Spring

वे सभी गरीब चूड़ी निर्माताओं का शोषण करते हैं। मुकेश की आँखें आशा से भरी हैं। लेखिका उससे पूछती है कि क्या वह हवाई जहाज उड़ाने का स्वप्न देखता है। वह कहता है “नहीं” और वह तो कार चलाने के सपने से ही संतुष्ट है जो कि उसे अपने कस्बे में गली से नीचे की ओर आती हुई जान पड़ती है। बच्चा अपने भाग्य को स्वीकार कर लेता है जैसे उसके पिता ने स्वीकार कर लिया था।)

The Lost Spring Word Meanings

[Page 13] :
Garbage (rubbish) = कूड़ा-कर्कट;
encounter (come across) = भेंट करना;
scrounging (searching for something)=किसी चीज़ को खोजना;
dumps (heaps)=ढेर;
amidst (in the middle of) =के बीच में;
distant (faroff) =से दूर;
swept away (washed away) = तहस-नहस करना;
else (any other thing) =अन्य वस्तु;
mutters (grumbles)= दुःख व्यक्त करना;
glibly (easily)= आसानी से;
hollow (empty) खाली;
sound (seem) = प्रतीत होना।

[Page 14] :
Broadly (widely)= चौड़ा ;
embarrassed (confused) = व्याकुल;
abound (in plenty)= प्रचुरता में;
bleak (dark, cheerless)= अंधेरा, उदास;
hard time (difficult time)= मुश्किल समय;
unaware (ignorant)= उपेक्षा करना;
represents (stands for)= पक्ष लेना;
roams (wanders) = घूमना;
barefoot (without shoes) = बिना जूतों के;
disappear (go out of sight)= नज़र न आना;
match (equal)= बराबर;
shuffles (keeps shifting)= बदलते रहना ;
lack (shortage)= कमी;
owned (possess) = अधिकार रखना;
tradition (custom)=रिवाज़;
wonder (surprise) = हैरान ।

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 2 Lost Spring

(Page 15) :
Excuse (pretext) = बहाना;
perpetual (never ending) = निरन्तर;
drowned (submerged)= डुबा देना;
Falt; briefly (for a short period)= संक्षेप में;
desolation (ruin) = विनाश;
panting (breathing heavily)= जोर से सांस लेना;
ragpickers (those who pickrags)= कूड़ा बीनने वाले;
acquaintance (introduction)= परिचय;
periphery (border) = सीमा रेखा;
metaphorically (symbolically) = लाक्षणिक रूप से;
squatters (illegal settlers)= गैर-काननी स्थापित होना;
wilderness (desolate area)= निर्जन स्थान;
tarpaulin (coarse waterproof cloth) = तिरपाला;
devoid (without)= रहित;
sewage (slush)= कीचड़;
identity (recognition)= पहचान;
grain (corn)= अनाज;
survival (living)= जीवन;
aching (paining)= पीड़;
tattered (torn to pieces) = फटा-पुराना;
transit (passing, temporary)= अस्थायी;
proportions(forms) = भाग, अंश |

[Page 16]:
Heap (mound)= मिट्टी का टीला;
wrapped (covered)= ढका हुआ;
fenced (having a fence around) = चारदीवारी;
content(satisfied)= सन्तुष्ट;
swing(to sway)= झूलना;
discarded (given up/in disuse) = छोड़ना;
intently (attentively)= अभिलाषा;
canister (tin) =

[Page 17]:
Insists (stresses)= मिट्टी का टीला;
announce (declare)= ढका हुआ;
mirage (false appearance)=झूठा दिखाना;
furnace (hearth)= भट्ठी;
illegal (against the law)= नियम के विरुद्ध;
dingy (dark and dirty) = काला और गन्दा;
slog (toil) = कठिन परिश्रम;
beam (brighten) = चमकीला;
volunteers (offers himself) = स्वयं सेवक;
stinking (foul smelling) = गन्दी दुर्गन्ध;
choked (blocked) = रोकना;
hovels (sheds) = छप्पर;
crumbling (falling) = गिरना;
wobbly (unstable)= अस्थिर;
primeval(very ancient) = आदियुगीन;
thatched (having a roofofstraw) = छप्पर;
vessel (utensil)= बर्तन;
spinach (a leafy vegetable) = पालक;
platters (large plates) = बड़ी थालियाँ;
frail (delicate)= कमज़ोर ।

[Page 18] :
Command (order) = आदेशः
bahu (daughter-in-law) = पुत्रवधू;
veil (face cover) = घूँघट;
impoverished (very poor)= बहुत गरीब;
despite (in spite of)= बावजूद;
renovate (repair) = मुरम्मत करना;
implies means) = अभिप्राय, अर्थ;
spirals (coils) = चक्कर;
mound heap = ढेर:
unkempt (messy/untidy) = कंघी न किया हुआ/अस्त-व्यस्त;
shanty (hut)=झोंपड़ी;
flickering (shining unsteadily)= अस्थिर चमकना;
drabdull =नीरस;
soldering (welding)= धातु जोड़ने का टांका;
suhaag (auspiciousness in marriage) = शादी का सौभाग्य;
dyed (coloured)= रग किया;
henna (mehandi) = मेंहदी।

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 2 Lost Spring

[Page 19]:
Entire (complete) = समूचा;
achieved (got) =प्राप्त करना;
echo (reflected sound)= अनुकरण ध्वनि गूँज;
organise (unite) = इकट्ठा करना;
vicious (wicked) = दुष्ट;
trapped (cheated)=छल-कपट;
hauled up (dragged ) = खींचना;
apathy (indifference) = विमुखता;
distinct (clear) = स्पष्ट।

[Page 20]:
Stigma (mark of disgrace) = धब्बा;
bureaucrats (officials) = नौकरशाही;
imposed (burdened forcibly) = प्रभावशाली दबाव;
flash (dazzle of light) = चमक;
murmur (grumble) = बड़बड़ाहट;
regret (repentance) = पश्चाताप;
hurtling (clattering) = बक-बक करना |

The Lost Spring Translation in Hindi

“Sometimes I find a Rupee in the garbage’ (कई बार मुझे कचरे में रुपया मिल जाता है।) “Why do you do this ?” I ask Saheb whom I encounter every morning scrounging for gold in the garbage dumps of my neighborhood. Saheb left his home long ago. Set amidst the green fields of Dhaka, his home is not even a distant memory. There were many storms that swept away their fields and homes, his mother tells him. That’s why they left, looking for gold in the big city where he now lives. “I have nothing else to do,” he mutters, looking away.

(“तुम यह काम क्यों करते हो ?” मैं साहेब से पूछती हूँ जब मैं प्रतिदिन कूड़े के ढेर में सोने की खोज करते हुए पड़ोस में उससे मिलती हूँ। साहब अपने घर से बहुत पहले ही आ गया था। ढाका के हरे खेतों के बीच में बने अपने घर की उसे जरा भी याद नहीं है। उसकी माँ उसे बताती है कि बहुत से तूफान आए जो उनके घरों और खेतों को बहाकर ले गए। यही कारण है कि वे सोने की तलाश में उस बड़े शहर में आ गए जहाँ वह अब रहता है। “मेरे पास और कोई काम नहीं है”, एक तरफ देखते हुए वह बड़बड़ाता है।)

“Go to school,” I say glibly, realising immediately how hollow the advice must sound. “There is no school in my neighbourhood. When they build one, I will go.” “If I start a school, will you come ?” I ask, half-joking. “Yes,” he says, smiling broadly. A few days later I see him running up to me. “Is your school ready ?” “It takes longer to build a school,” I say, embarrassed at having made a promise that was not meant. But promises like mine abound in every corner of his bleak world.

(“स्कूल जाओ”, मैं बिना विचारे कह देती हूँ परन्तु तुरन्त ही ध्यान आता है कि यह सलाह कितनी खोखली प्रतीत होती होगी। “मेरे आस-पास कोई स्कूल नहीं है। जब बन जाएगा तो मैं जाऊँगा।” “अगर मैं एक स्कूल शुरु करूँ तो क्या तुम आओगे ?” मैंने मजाकपूर्ण ढंग से पूछा। “हाँ,” एक चौड़ी मुस्कराहट से वह कहता है। कुछ दिन बाद मैं उसे भागकर अपने पास आता देखती हूँ। “क्या आपका स्कूल तैयार है ?” एक झूठे वायदे से असमंजस में पड़ी मैं कहती हूँ, “स्कूल बनाने में अधिक समय लगता है।” परन्तु मेरे जैसे वायदे तो उसकी अन्धेरी दुनिया में बहुत पड़े हैं।)’

After months of knowing him, I ask him his name. “Saheb-e-Alam,” he announces. He does not know what it means. If he knew its meaning-lord of the universe-he would have a hard time believing it. Unaware of what his name represents, he roams the streets with his friends, an army of barefoot boys who appear like the morning birds and disappear at noon. Over the months, I have come to recognise each of them. “Why aren’t you wearing chappals ?”I ask one. “My mother did not bring them down from the shelf,” he answers simply.

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 2 Lost Spring

(उसे जानने के कई महीने बाद मैं उससे उसका नाम पूछती हूँ। “साहब-ए-आलम,” वह कहता है। वह नहीं जानता कि इसका क्या अर्थ है ? अगर वह इसका अर्थ जानता होता-ब्रह्माण्ड का स्वामी तो उसे विश्वास करना मुश्किल हो जाता। अपने नाम के अर्थ से अनभिज्ञ, वह अपने मित्रों के साथ घूमता रहता है, यह नंगे-पैर वाले लड़कों की ऐसी सेना है जो सुबह पक्षियों की तरह नजर आते हैं और दोपहर होते-होते गायब हो जाते हैं। कई महीनों के बाद, अब मैं उनमें से प्रत्येक को पहचानने लगी हूँ। “तुमने चप्पल क्यों नहीं पहन रखी है ?” मैं उनमें से एक से पूछती हूँ। “मेरी माँ ने उन्हें सेल्फ से नीचे नहीं उतारा,” वह सादा-सा उत्तर देता है।)

“Even if she did he will throw them off,” adds another who is wearing shoes that do not match. When I comment on it, he shuffles his feet and says nothing. “I want shoes,” says a third boy who has never owned a pair all his life. Traveling across the country I have seen children walking barefoot, in cities, on village roads. It is not lack of money, but a tradition to stay barefoot is one explanation. I wonder if this is only an excuse to explain away a perpetual state of poverty.

(“यदि वह उतार भी देती तो ये उनको फेंक देता”, एक दूसरा कहता है जो ऐसे जूते पहने हुए है जो एक-दूसरे से मेल नहीं खाते। जब मैंने इस पर टिप्पणी की, तो वह कुछ नहीं कहता, बस एक पैर से दूसरे पर खड़ा होता है। “मुझे जूते चाहिएँ”, एक तीसरा लड़का कहता है जिसने अपने जीवन में कभी जूते नहीं पहने थे। देश का भ्रमण करते हुए मैंने शहरों में गाँव की सड़कों पर नंगे पैर घूमते बच्चों को देखा है। एक स्पष्टीकरण यह है कि यह पैसे की कमी के कारण नहीं है बल्कि नंगे पैर रहना परम्परा के कारण है। मैं हैरान हुई कि क्या यह एक लगातार चलती गरीबी को उचित ठहराने का बहाना है।)

I remember a story a man from Udipi once told me. As a young boy he would go to school past an old temple, where his father was a priest. He would stop briefly at the temple and pray for a pair of shoes. Thirty years later I visited his town and the temple, which was now drowned in an air of desolation. In the backyard, where lived the new priest, there were red and white plastic chairs. A young boy dressed in a grey uniform, wearing socks and shoes, arrived panting and threw his school bag on a folding bed.

Looking at the boy, I remembered the prayer another boy had made to the goddess when he had finally got a pair of shoes, “Let me never lose them.” The goddess had granted his prayer. Young boys like the son of the priest now wore shoes. But many others like the ragpickers in my neighbourhood remain shoeless.

(मुझे एक कहानी याद आती है जो मुझे उडीपी के एक व्यक्ति ने सुनाई थी। जब वह छोटा लड़का था तब एक मन्दिर के पास से गुजरते हुए स्कूल जाता था, जहाँ उसका पिता एक पुजारी था। वह मन्दिर में एक जोड़ी जूते के लिए प्रार्थना करने के लिए थोड़ी देर रुकता था। तीस वर्ष बाद मैं उसके कस्बे में और उस मन्दिर में गई, जो अब वीरान था। पीछे के आँगन में, जहाँ नया पुजारी रहता था, लाल और सफेद प्लास्टिक की कुर्सियाँ थीं। एक छोटा लड़का

भूरे रंग की ड्रेस पहने हुए, जूते व जुराबें पहने हुए हाँफता हुआ आया और अपना बैग फोल्डिंग चारपाई पर फेंक दिया। बच्चे को देखते ही मुझे एक दूसरे लड़के द्वारा जूतों की जोड़ी के लिए देवी को की गई वह प्रार्थना याद आई जब उसे अन्त में एक जोड़ी जूते मिल गए थे–“मेरे यह जूते कभी गुम न हो।” देवी उसकी प्रार्थना को स्वीकार कर चुकी थी। नौजवान लड़के अब पुजारी के बेटे की तरह जूते पहनते थे। परन्तु मेरे पड़ोस के कचरा बीनने वालों की तरह और भी हैं जो जूतों के बिना रहते हैं।)

My acquaintance with the barefoot ragpickers leads me to Seemapuri, a place on the periphery of Delhi yet miles away from it, metaphorically. Those who live here are squatters who came from Bangladesh back in 1971. Saheb’s family is among them. Seemapuri was then a wilderness. It still is, but it is no longer empty. In structures of mud, with roofs of tin and tarpaulin, devoid of sewage, drainage or running water, live 10,000 ragpickers. They have lived here for more than thirty years without an identity, without permits but with ration cards that get their names on voters’ lists and enable them to buy grain.

Food is more important for survival than an identity. “If at the end of the day we can feed our families and go to bed without an aching stomach, we would rather live here than in the fields that gave us no grain,” say a group of women in tattered saris when I ask them why they left their beautiful land of green fields and rivers. Wherever they find food, they pitch their tents that become transit homes. Children grow up in them, becoming partners in survival. And survival in Seemapuri means rag-picking. Through the years, it has acquired the proportions of a fine art. Garbage to them is gold. It is their daily bread, a roof over their heads, even if it is a leaking roof. But for a child it is even more.

(कूड़ा बीनने वालों से मेरी पहचान मुझे सीमापुरी ले आती है, जो ऐसा स्थान है जो दिल्ली के किनारे बसा है लेकिन रूपक के रूप में कहूँ तो दिल्ली से बड़ी दूर है। यहाँ रहने वाले वे अनाधिकृत निवासी हैं जो बहुत पहले 1971 में बांग्लादेश से आए थे। साहेब का परिवार भी उन्हीं में से एक है। सीमापुरी उन दिनों एक वीरान स्थान था। अभी भी है पर अब खाली नहीं है। यहाँ दस हजार कूड़ा बीनने वाले मिट्टी के ढाँचों में टिन और टारपालिन से बनी छतों के नीचे रहते हैं और यहाँ सीवेज, नालियाँ या पानी के कनेक्शन नहीं हैं। बिना किसी पहचान के वे यहाँ तीस से अधिक वर्षों से रह रहे हैं, उनके पास परमिट नहीं पर राशनकार्ड हैं जिनसे उनका नाम वोटर लिस्ट में आ जाता है और उससे वे अनाज खरीद सकते हैं।

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 2 Lost Spring

जिन्दा रहने के लिए पहचान से अधिक भोजन की जरूरत होती है। “अगर दिन ढलने पर हम अपने परिवार को खाना दे सकें और बिना खाली पेट के सो सकें तो उन खेतों की अपेक्षा पर जिनसे कोई अनाज नहीं मिलता था, हम यहाँ रहना अधिक पसन्द करेंगे,” फटी साड़ियाँ पहने औरतों का एक समूह यह बात तब मुझे बताता है जब मैं उनसे पूछती हूँ कि उन्होंने अपने हरे-भरे खेतों और नदियों को क्यों छोड़ दिया। जहाँ भी उन्हें भोजन मिलता है, वहाँ वे अपना टेंट गाड़ देते हैं जो उनका अस्थायी घर बन जाता है।

बच्चे वहाँ बड़े होते हैं और जीवित रहने की क्रिया के हिस्सेदार बन जाते हैं। और सीमापुरी में जीवित रहने का मतलब है कूड़ा बीनना। वर्षों के बीतने के साथ इसने एक ललित कला का रूप ले लिया है। कूड़ा उनके लिए सोना है। यह उनकी आजीविका है, उनके सिर के ऊपर की छत है फिर चाहे वह टपकती हुई क्यों न हो। परन्तु एक बच्चे के लिए यह और अधिक है।)

“I sometimes find a rupee, even a ten-rupee note,” Saheb says, his eyes lighting up. When you can find a silver coin in a heap of garbage, you don’t stop scrounging, for there is hope of finding more. It seems that for children garbage has a meaning different from what it means to their parents. For the children it is wrapped in wonder, for the elders it is a means of survival.

One winter morning I see Saheb standing by the fenced gate of the neighbourhood club, watching two young men dressed in white, playing tennis. “I like the game,” he hums, content to watch it standing behind the fence. “I go inside when no one is around,” he admits. “The gatekeeper lets me use the swing.”

(“कभी-कभी मुझे एक रुपया मिल जाता है, दस का नोट भी,” साहेब कहता है, उसकी आँखों में चमक है। अगर तुम्हें किसी कूड़े के ढेर में चाँदी का सिक्का मिल जाए तो तुम बीनना बन्द नहीं कर दोगे, क्योंकि और पाने की आशा बनी रहती है। ऐसा लगता है कि बच्चों के लिए कूड़े का अर्थ वह नहीं है जो उनके माँ-बाप के लिए है। बच्चों के लिए यह हैरानी से लिपटा है, बड़ों के लिए इसका अर्थ जीवित रहना है।

सर्दियों की एक सुबह पड़ोस के क्लब के बाड़ वाली गेट पर मैं साहेब को खड़ा देखती हूँ जो सफेद कपड़े पहने दो युवकों को टेनिस खेलता देख रहा है। “मुझे यह खेल पसन्द है,” बाड़े के पीछे खड़ा सन्तुष्टि से खेल को देखता हुआ वह कहता है। “जब कोई आस-पास नहीं होता तब मैं अन्दर चला जाता हूँ,” वह स्वीकार करता है। “चौकीदार मुझे झूला झूलने देता है।”)

Saheb too is wearing tennis shoes that look strange over his discoloured shirt and shorts. “Someone gave them to me,” he says in the manner of an explanation. The fact that they are discarded shoes of some rich boy, who perhaps refused to wear them because of a hole in one of them, does not bother him. For one who has walked barefoot, even shoes with a hole is a dream come true. But the game he is watching so intently is out of his reach.

(साहेब ने भी टेनिस के जूते पहने हुए हैं जो उसकी बदरंग कमीज और निक्कर के साथ अजीब लगते हैं। “किसी ने वे मुझे दिए थे,” वह सफाई देने के लहजे में कहता है। यह तथ्य कि वे किसी धनवान बच्चे के छोड़े हुए जूते थे जिसने उन्हें पहनने से मना कर दिया था, क्योंकि उनमें एक सुराख हो गया था, भी उसे परेशान नहीं करता। उस बच्चे के लिए जो नंगे पैर घूमता हो, सुराख वाले जूते भी उसका सपना पूरा होना जैसा है। परन्तु वह खेल जिसको वह इतने ध्यान से देख रहा था वह उसकी पहुँच से बाहर है।)

This morning, Saheb is on his way to the milk booth. In his hand is a steel canister. “I now work in a tea stall down the road,” he says, pointing in the distance. “I am paid 800 rupees and all my meals.” Does he like the job? I ask. His face, I see, has lost the carefree look. The steel canister seems heavier than the plastic bag he would carry so lightly over his shoulder. The bag was his. The canister belongs to the man who owns the tea shop. Saheb is no longer his own master!

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 2 Lost Spring

(आज सुबह साहेब मिल्क बूथ की तरफ जा रहा है। उसके हाथ में स्टील का एक डिब्बा है। “मैं अब सड़क के उस तरफ चाय की दुकान पर काम करता हूँ,” दूर इशारा करता हुआ वह कहता है। “मुझे 800 रुपए और पूरा भोजन मिलता है।” क्या उसे काम पसन्द है ? मैं पूछती हूँ। मैं देखती हूँ कि उसके चेहरे से बेफिक्री का भाव गायब हो गया है। स्टील का डिब्बा उस प्लास्टिक के बैग से भारी लगता है जिसे वह आराम से अपने कन्धे पर उठाया करता था। बैग उसका था। डिब्बा चाय की दुकान के मालिक का था। अब साहेब खुद का मालिक नहीं रह गया था!)

“I want to drive a car” . (“मैं एक कार चलाना चाहता हूँ”) Mukesh insists on being his own master. “I will be a motor mechanic,” he announces. “Do you know anything about cars ?” I ask. (मुकेश खुद का मालिक बनने की जिद्द करता है। “मैं एक मोटर मैकेनिक बनूँगा”, वह कहता है। “क्या तुम कारों के बारे में कुछ जानते हो ?” मैं पूछती हूँ।)

“I will learn to drive a car,” he answers, looking straight into my eyes. His dream looms like a mirage amidst the dust of streets that fill his town Firozabad, famous for its bangles. Every other family in Firozabad is engaged in making bangles. It is the center of India’s glass-blowing industry where families have spent generations working around furnaces, welding glass, making bangles for all the women in the land it seems.

(“मैं कार चलाना सीलूँगा,” सीधा मेरी आँखों में देखते हुए, वह उत्तर देता है। उसके सपने मृगतृष्णा की तरह गलियों की धूल से ऊपर उठे हुए हैं जो उसके शहर फिरोज़ाबाद को पूरी तरह भर देती है, फिरोज़ाबाद जो चूड़ियों के लिए प्रसिद्ध है। फिरोज़ाबाद में हर एक परिवार चूड़ियाँ बनाने के धन्धे में लगा हुआ है। यह भारत के ग्लास उद्योग का केन्द्र है जहाँ पर परिवारों ने, ऐसा प्रतीत होता है, भट्टियों के चारों ओर काम करते हुए ग्लास को वैल्ड करते हुए, यहाँ की सभी औरतों के लिए चूड़ियाँ बनाने में पीढ़ियाँ गुजार दी हैं।)

Mukesh’s family is among them. None of them know that it is illegal for children like him to work in the glass furnaces with high temperatures, in dingy cells without air and light; that the law, if enforced, could get him and all those 20,000 children out of the hot furnaces where they slog their daylight hours, often losing the brightness of their eyes. Mukesh’s eyes beam as he volunteers to take me home, which he proudly says is being rebuilt. We walk down stinking lanes choked with garbage, past homes that remain hovels with crumbling walls, wobbly doors, no windows, crowded with families of humans and animals coexisting in a primeval state.

He stops at the door of one such house, bangs a wobbly iron door with his foot, and pushes it open. We enter a half-built shack. In one part of it, thatched with dead grass, is a firewood stove over which sits a large vessel of sizzling spinach leaves. On the ground, in large aluminum platters, are more chopped vegetables. A frail young woman is cooking the evening meal for the whole family. Through eyes filled with smoke she smiles. She is the wife of Mukesh’s elder brother.

Not much older in years, she has begun to command respect as the bahu, the daughter-in-law of the house, already in charge of three men her husband, Mukesh and their father. When the older man enters, she gently withdraws behind the broken wall and brings her veil closer to her face. As custom demands, daughters-in-law must veil their faces before male elders. In this case, the elder is an impoverished bangle maker. Despite long years of hard labour, first as a tailor, then a bangle maker, he has failed to renovate a house, send his two sons to school. All he has managed to do is teach them what he knows the art of making bangles.

(मकेश का परिवार भी उन्हीं में से एक है। उनमें से कोई नहीं जानता कि हवा और प्रकाश से वंचित अन्धेरी कोठरियों में ऊँचे तापक्रम वाली शीशे की भट्टी पर काम करना उस जैसे बच्चों के लिए गैर-कानूनी है। अगर कानून लागू किया गया तो वह और उसके जैसे 20000 बच्चे उन गर्म भट्टियों से छुटकारा पा सकते हैं जहाँ वे अपना दिन का समय बिताते हैं और प्रायः अपनी आँखों की चमक खो देते हैं। मुझे अपने घर ले चलने का आग्रह करते हुए मुकेश की आँखों में चमक आ जाती है। गर्व के साथ वह कहता है कि उसके घर को फिर से बनाया जा रहा है। हम कूड़े से बन्द बदबूदार गलियों को पार करते हैं, गिरती हुई दीवारों वाली झोपड़ियाँ जिन्हें घर कहते हैं, इनके कमजोर दरवाजे हैं, खिड़कियाँ नहीं हैं, मानव और पशुओं के परिवार प्राचीन जमाने की हालत में साथ-साथ रहते हैं। ऐसे ही एक दरवाजे पर वह रुकता है, लोहे के एक कमजोर दरवाजे पर वह जोर से ठोकर मारता है और धक्का देकर खोलता है।

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 2 Lost Spring

हम एक अधबने झोपड़ी में प्रवेश करते हैं। सूखे घास के छप्पर से ढके इसके एक हिस्से में लकड़ी से जलने वाला चूल्हा है जिस पर एक बड़े बर्तन में पालक की पत्तियाँ उबल रही हैं। और कटी हुई सब्जियाँ बड़े एल्यूमीनियम के थालों में जमीन पर रखी हैं। एक कमजोर युवती पूरे परिवार का शाम का खाना बना रही है। धुएँ भरी आँखों से वह मुस्कुराती है। वह मुकेश के बड़े भाई की पत्नी है। उम्र में कोई खास अधिक नहीं है लेकिन घर की बहू के रूप में आदर पाना प्रारम्भ कर दिया है, तीन पुरुषों का दायित्व उसे मिल ही चुका है-उसका पति, मुकेश और इनके पिता का। जब बुजुर्ग व्यक्ति अन्दर आता है, वह धीरे से टूटी दीवार के पीछे चली जाती है और अपना धूंघट अपने चेहरे पर डाल लेती है। रिवाज की माँग है कि बहू को घर के बड़े पुरुषों के सामने मुँह ढकना चाहिए। यहाँ बुजुर्ग एक गरीब चूड़ी बनाने वाला है। पहले दर्जी और फिर चूड़ी निर्माता के रूप में वर्षों तक कठिन परिश्रम करने के बाद भी वह न तो अपने घर की मरम्मत करवा सका है और न ही अपने दोनों लड़कों को स्कूल भेज सका है। वह केवल इतना ही कर सका है कि उन्हें वह सिखा दे जो वह जानता है-चूड़ियाँ बनाने की कला।)

“It is his karma, his destiny,” says Mukesh’s grandmother, who has watched her own husband to blind with the dust from polishing the glass of bangles. “Can a god-given lineage ever be broken ?” she implies. Born in the caste of bangle makers, they have seen nothing but bangles-in the house, in the yard, in every other house, every other yard, every street in Firozabad. Spirals of bangles-sunny gold, paddy green, royal blue, pink, purple, every colour born out of the seven colours of the rainbow-lie in mounds in unkempt yards, are piled on four-wheeled handcarts, pushed by young men along the narrow lanes of the shanty town.

And in dark hutments, next to lines of flames of flickering oil lamps, sit boys and girls with their fathers and mothers, welding pieces of coloured glass into circles of bangles. Their eyes are more adjusted to the dark than to the light outside. That is why they often end up losing their eyesight before they become adults.

(“यह उसका कर्म है, उसका भाग्य,” मुकेश की दादी कहती है जिसने अपने पति को शीशे की चूड़ियों पर पालिश करने वाली धूल से अन्धे होते हुए देखा है। उसका अभिप्राय है, “क्या भगवान के लिखे प्रारब्ध को मिटाया जा सकता है ?” चूड़ी वालों की जाति में जन्म लेकर उन्होंने चूड़ियों के अलावा कुछ नहीं देखा है-घर में, आँगन में और हर दूसरे घर में, फिरोज़ाबाद की हर गली में। चूड़ियों के गुच्छे-धूप सी सुनहरी, धान सी हरी, गहरी नीली, गुलाबी, बैंगनी, हर उस रंग की जो इन्द्रधनुष के सात रंगों में होता है-बेतरतीब आँगनों में उनके ढेर लगे होते हैं, और उन चार पहियों वाली रेड़ियों पर ढेर लगा है जिन्हें इन गन्दे मकानों के शहर की गलियों में नवयुवक हाथ में खींचते हुए ले जाते हैं और अन्धेरी झोपड़ियों में टिमटिमाते तेल के लैम्पों की लौ के पास लड़के और लड़कियाँ अपनी माताओं और पिताओं के पास बैठे शीशे के रंगीन टुकड़ों को जोड़कर गोल चूड़ियाँ बनाते हैं। उनकी आँखें बाहर के प्रकाश की अपेक्षा अन्धेरे के अधिक अनुकूल हैं। यही कारण है कि प्रायः वयस्क होने के पहले ही वे अपनी आँखों की रोशनी खो देते हैं।)

Savita, a young girl in a drab pink dress, sits alongside an elderly woman, soldering pieces of glass. As her hands move mechanically like the tongs of a machine, I wonder if she knows the sanctity of the bangles she helps make. It symbolizes an Indian woman’s suhaag, auspiciousness in marriage. It will dawn on her suddenly one day when her head is draped with a red veil, her hands dyed red with henna, and red bangles rolled onto her wrists. She will then become a bride.

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 2 Lost Spring

Like the old woman beside her who became one many years ago. She still has bangles on her wrist, but no light in her eyes. “Ek waqt ser bhar khana bhi nahin khaya,” she says, in a voice drained of joy. She has not enjoyed even one full meal in her entire lifetime that’s what she has reaped! Her husband, an old man with a flowing beard, says, “I know nothing except bangles. All I have done is make a house for the family to live in.”

(फीके गुलाबी रंग की ड्रेस पहने सविता नाम की लड़की, एक बुजुर्ग महिला के पास बैठी शीशे के टुकड़ों को जोड़ रही है। किसी मशीन के चिमटे की तरह उसके हाथ यन्त्रवत चलते रहते हैं, मैं सोचती हूँ कि क्या उसे उन चूड़ियों की पवित्रता के बारे में कुछ पता है जिन्हें बनाने में वह सहायता कर रही है। यह एक भारतीय महिला के सुहाग की निशानी है और विवाह में शुभ मानी जाती है। इसका पता उसे एक दिन अचानक ही लगेगा जब उसके सिर पर लाल दुपट्टा होगा, उसके हाथ लाल मेंहदी से रंगे होंगे और लाल चूड़ियाँ उसके हाथों की कलाई में चढ़ा दी जाएँगी। तब वह दुल्हन बन जाएगी।

अपने पास बैठी उस बुजुर्ग महिला की तरह जो बहुत पहले दुल्हन बनी थी। उसके हाथों में अब भी चूड़ियाँ हैं पर आँखों में रोशनी नहीं है। “एक वक्त सेर भर खाना भी नहीं खाया,” प्रसन्नता रहित आवाज में वह कहती है। उसने अपने पूरे जीवन में कभी भर-पेट खाना नहीं खाया यह है उसकी कमाई। लहराती हुई दाढ़ी वाला उसका बूढ़ा पति कहता है, “मुझे चूड़ियों के अलावा कुछ नहीं पता। मैंने सिर्फ इतना किया है कि परिवार के रहने के लिए मकान बनवा लिया है।”)

Hearing him, one wonders if he has achieved what many have failed in their lifetime. He has a roof over his head!
The cry of not having money to do anything except carry on the business of making bangles, not even enough to eat, rings in every home. The young men echo the lament of their elders. Little has moved with time, it seems, in Firozabad. Years of mind-numbing toil have killed all initiative and the ability to dream. “Why not organise yourselves into a cooperative ?” I ask a group of young men who have fallen into the vicious circle of middlemen who trapped their fathers and forefathers.

“Even if we get organized, we are the ones who will be hauled up by the police, beaten and dragged to jail for doing something illegal,” they say. There is no leader among them, no one who could help them see things differently. Their fathers are as tired as they are. They talk endlessly in a spiral that moves from poverty to apathy to greed and to injustice.

(उसकी बात सुनकर लगता है कि उसने कुछ ऐसा पा लिया है जो बहुत से लोग अपनी जीवन में नहीं कर पाते हैं। उसके सिर के ऊपर छत है। चड़ी के धन्धे को चलाने के अतिरिक्त किसी अन्य काम के लिए धन का न होना, पेट भर भोजन के भी न होने की चीख हर घर में सुनाई देती है। नवयुवक भी अपने बड़ों के अफसोस को दोहराते हैं। लगता है कि फिरोज़ाबाद में समय के साथ कुछ नहीं बदला है। दिमाग को सुन्न कर देने वाले वर्षों के परिश्रम ने सारी नेतृत्व क्षमता और स्वप्न देखने की सामर्थ्य को नष्ट कर दिया है।

“तुम लोग स्वयं को इकट्ठा करके एक सहकारी संस्था क्यों नहीं बनाते ?” मैं नौजवानों के एक समूह से पूछती हूँ जो बिचौलियों के कभी न निकलने वाले जाल में फँस गए हैं जिनके जाल में उनके पिता और पूर्वज फँसे थे। “यदि हम संगठित हो भी जाते हैं, तो पुलिस हमें ही घसीटती है, पीटती है और जेल में फेंक देती है, कुछ गलत करने के जुर्म में, वे कहते हैं। उनका कोई नेता नहीं है, कोई नहीं जो उनकी कुछ अलग तरह से देखने में सहायता करें। उनके पिता भी इतने थके हुए हैं जितने कि वे खुद हैं। वे न खत्म होते हुए एक चक्कर में बातें करते हैं जो उनकी गरीबी से उनकी दयनीयता, लालच और अन्याय तक चलता रहता है।”)

Listening to them, I see two distinct worlds-one of the family, caught in a web of poverty, burdened by the stigma of caste in which they are born; the other a vicious circle of the sahukars, the middlemen, the policemen, the keepers of law, the bureaucrats and the politicians. Together they have imposed the baggage on the child that he cannot put down. Before he is aware, he accepts it as naturally as his father. To do anything else would mean to dare. And daring is not part of his growing up.

When I sense a flash of it in Mukesh I am cheered. “I want to be a motor mechanic,” he repeats. He will go to a garage and learn. But the garage is a long way from his home. “I will walk,” he insists. “Do you also dream of flying a plane ?” He is suddenly silent. “No,” he says, staring at the ground. In his small murmur there is an embarrassment that has not yet turned into regret. He is content to dream of cars that he sees hurtling down the streets of his town. Few airplanes fly over Firozabad.

(उनकी बात सुनकर मुझे दो भिन्न संसार नजर आते हैं-एक परिवार का, जो गरीबी में फंसा और अपने जन्म की जाति के कलंक से दबा है, दूसरा साहूकारों, दलालों, सिपाहियों, कानून के रखवालों, सरकारी अफसरों और राजनीतिज्ञों का है। इन सबने मिलकर बच्चे के ऊपर वह बोझ डाल दिया है जिसे वह नहीं उतार सकता। कुछ चेतना आने से पहले ही वह इसे अपने पिता की तरह स्वाभाविक रूप से स्वीकार कर लेता है। कुछ और करने का अर्थ होगा हिम्मत करना। और हिम्मत करना उसके पालन-पोषण का हिस्सा नहीं है।

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 2 Lost Spring

जब मैं मुकेश के अन्दर इसकी एक चिंगारी देखती हूँ तो मैं खुश हो जाती हूँ। “मैं एक मोटर मैकेनिक बनना चाहता हूँ,” वह दोहराता है। वह गैरेज में जाएगा और सीखेगा। पर गैरेज तो उसके घर से बहुत दूर है। “मैं पैदल चलूँगा,” वह जिद्द करता है। “क्या तुम जहाज उड़ाने का सपना भी रखते हो ?” वह अचानक चुप हो जाता है। “नहीं,” धरती की ओर देखता हुआ वह कहता है। उसकी इस छोटी-सी बुड़बुड़ाहट में एक असमंजस है जो अभी पश्चात्ताप में नहीं बदला है। वह उन कारों के सपनों से सन्तुष्ट है जिन्हें वह अपने शहर की गलियों में भागता देखता है। फिरोज़ाबाद के ऊपर जहाज बहुत कम उड़ते हैं।)

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo Chapter 2 Lost Spring Read More »

HBSE 12th Class Political Science Solutions Chapter 9 भारतीय राजनीति : नए बदलाव

Haryana State Board HBSE 12th Class Political Science Solutions Chapter 9 भारतीय राजनीति : नए बदलाव Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Political Science Solutions Chapter 9 भारतीय राजनीति : नए बदलाव

HBSE 12th Class Political Science भारतीय राजनीति : नए बदलाव Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
उन्नी-मुन्नी ने अखबार की कुछ कतरनों को बिखेर दिया है। आप इन्हें कालक्रम के अनुसार व्यवस्थित करें
(क) मण्डल आयोग की सिफ़ारिश और आरक्षण विरोधी हंगामा
(ख) जनता दल का गठन
(ग) बाबरी मस्जिद का विध्वंस
(घ) इन्दिरा गांधी की हत्या
(ङ) राजग सरकार का गठन
(च) संप्रग सरकार का गठन
(छ) गोधरा की दुर्घटना और उसके परिणाम।
उत्तर:
(क) इन्दिरा गांधी की हत्या (सन् 1984)
(ख) जनता दल का गठन (सन् 1988)
(ग) मण्डल आयोग की सिफ़ारिश और आरक्षण विरोधी हंगामा (सन् 1990)
(घ) बाबरी मस्जिद का विध्वंस (सन् 1992)
(ङ) राजग सरकार का गठन (सन् 1999)
(च) गोधरा की दुर्घटना और उसके परिणाम (सन् 2002)
(छ) संप्रग सरकार का गठन (सन् 2004)

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में मेल करें
(क) सर्वानुमति की राजनीति – (i) शाहबानो मामला
(ख) जाति आधारित दल – (ii) अन्य पिछड़ा वर्ग का उभार
(ग) पर्सनल लॉ और लैंगिक न्याय – (iii) गठबन्धन सरकार
(घ) क्षेत्रीय पार्टियों की बढ़ती ताकत – (iv) आर्थिक नीतियों पर सहमति
उत्तर:
(क) सर्वानुमति की राजनीति – (iv) आर्थिक नीतियों पर सहमति
(ख) जाति आधारित दल – (ii) अन्य पिछड़ा वर्ग का उभार
(ग) पर्सनल लॉ और लैंगिक न्याय – (i) शाहबानो मामला
(घ) क्षेत्रीय पार्टियों की बढ़ती ताकत – (iii) गठबन्धन सरकार

HBSE 12th Class Political Science Solutions Chapter 9 भारतीय राजनीति : नए बदलाव

प्रश्न 3.
1989 के बाद की अवधि में भारतीय राजनीति के मुख्य मुद्दे क्या रहे हैं ? इन मुद्दों से राजनीतिक दलों के आपसी जुड़ाव के क्या रूप सामने आए हैं ?
उत्तर:
1989 के बाद भारतीय राजनीति में जो मुद्दे उभरे, उनमें कांग्रेस का कमज़ोर होना, मण्डल आयोग की सिफारिशें एवं आन्दोलन, आर्थिक सुधारों को लागू करना, राजीव गांधी की हत्या तथा अयोध्या मामला प्रमुख हैं। इन सभी मुद्दों ने भारतीय राजनीति को एक नई दिशा प्रदान की तथा भारत में गठबन्धनवादी सरकारों का युग शुरू हुआ जो वर्तमान समय में भी जारी है।

1989 में वी०पी० सिंह की सरकार को आश्चर्यजनक ढंग से वाम मोर्चा एवं भारतीय जनता पार्टी दोनों ने ही समर्थन दिया, इसी तरह आगे चलकर अपने राजनीतिक हितों की पूर्ति के लिए कई ऐसे दलों ने आपस में समझौता किया, जोकि परस्पर कट्टर विरोधी थे, उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी एवं बहुजन समाज पार्टी का समझौता, भारतीय जनता पार्टी एवं बहुजन समाज पार्टी का समझौता तथा दक्षिण में कांग्रेस एवं डी० एम० के० पार्टी का समझौता इत्यादि। ये सभी समझौते 1989 के बाद बने गठबन्धन सरकारों के कारण ही हुए।

प्रश्न 4.
“गठबन्धन की राजनीति के इस नए दौर में राजनीतिक दल विचारधारा को आधार मानकर गठजोड़ नहीं करते हैं।’ इस कथन के पक्ष या विपक्ष में आप कौन-से तर्क देंगे ?
उत्तर:
इसके लिए अन्य महत्त्वपूर्ण प्रश्नों में (निबन्धात्मक प्रश्न) प्रश्न नं० 13 देखें।

प्रश्न 5.
आपात्काल के बाद के दौर में भाजपा एक महत्त्वपूर्ण शक्ति के रूप में उभरी। इस दौर में इस पार्टी के विकास-क्रम का उल्लेख करें।
उत्तर:
आपात्काल के बाद निस्संदेह भाजपा एक महत्त्वपूर्ण शक्ति के रूप में उभरी। सन् 1980 में अपनी स्थापना के बाद भाजपा भारतीय राजनीति में सदैव आगे ही बढ़ती रही। 1989 के नौवीं लोकसभा चुनाव में इसे 88 सीटें प्राप्त हुईं तथा इसके समर्थन से जनता दल की सरकार बनी। 1996 में हुए 11 वीं लोकसभा के चुनावों में भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभर कर सामने आई तथा अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व के केन्द्र में पहली बार सरकार का निर्माण किया।

1998 में हुए 12वीं लोकसभा के चुनावों में भाजपा ने सर्वाधिक 181 सीटें जीतकर पुन: वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार बनाई। 1999 में हुआ 13वीं लोकसभा का चुनाव भाजपा ने राजग के घटक के रूप में लड़ा तथा इस गठबन्धन ने पूर्ण बहुमत प्राप्त किया। अतः एक बार फिर वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा ने गठबन्धन सरकार बनाई। इस पार्टी ने अप्रैल-मई, 2004 में हुए 14वें लोकसभा चुनाव में 138 एवं अप्रैल-मई, 2009 में हुए 15वीं लोकसभा चुनाव में 116 सीटें जीतकर, दोनों बार लोकसभा में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी।

2014 एवं 2019 में हुए 16वीं एवं 17वीं लोकसभा के चुनावों में भाजपा ने क्रमश: 282 एवं 303 सीटें जीतकर लोकसभा में स्पष्ट बहुमत प्राप्त किया तथा श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार का निर्माण किया। केन्द्र के अतिरिक्त भाजपा ने समय-समय पर उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, अमस, त्रिपुरा, झारखण्ड, उत्तराखण्ड, दिल्ली, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश तथा हरियाणा में अपने दम पर सरकारें बनाई तथा पंजाब, महाराष्ट्र उड़ीसा, जम्मू-कश्मीर, बिहार तथा गोवा जैसे राज्यों में गठबन्धन सरकार का निर्माण किया।

प्रश्न 6.
कांग्रेस के प्रभुत्व का दौर समाप्त हो गया है। इसके बावजूद देश की राजनीति पर कांग्रेस का असर लगातार कायम है। क्या आप इस बात से सहमत हैं ? अपने उत्तर के पक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर:
देश की राजनीति पर से, यद्यपि कांग्रेस का प्रभुत्व समाप्त हो गया है, परन्तु अभी कांग्रेस का असर कायम है। क्योंकि अब भी भारतीय राजनीति कांग्रेस के इर्द-गिर्द ही घूम रही है तथा सभी राजनीतिक दल अपनी नीतियां एवं योजनाएं कांग्रेस को ध्यान में रखकर बनाते हैं। 2004 के 14वीं एवं 2009 में 15वीं लोकसभा के चुनावों में इसने अन्य दलों के सहयोग से केन्द्र में सरकार बनाई।

इसके साथ-साथ जुलाई, 2007 में हुए राष्ट्रपति के चुनाव में भी इस दल की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही। अतः कहा जा सकता है कि कमज़ोर होने के बावजूद भी कांग्रेस का असर भारतीय राजनीति पर कायम है। यद्यपि 2014 एवं 2019 में 16वीं एवं 17वीं लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस पार्टी को केवल 44 एवं 52 सीटें ही मिल पाई थीं।

प्रश्न 7.
अनेक लोग सोचते हैं कि सफल लोकतन्त्र के लिए दो-दलीय व्यवस्था ज़रूरी है। पिछले बीस सालों के भारतीय अनुभवों को आधार बनाकर एक लेख लिखिए और इसमें बताइए कि भारत की मौजूदा बहुदलीय व्यवस्था के क्या फायदे हैं ?
उत्तर:
भारत में बहुदलीय प्रणाली है। कई विद्वानों का विचार है कि भारत में बहु-दलीय प्रणाली उचित ढंग से कार्य नहीं कर पा रही है तथा यह भारतीय लोकतन्त्र के लिए बाधाएं पैदा कर रही है। अत: भारत को द्वि-दलीय प्रणाली अपनानी चाहिए। परन्तु पिछले बीस सालों के अनुभव के आधार पर यहा कहा जा सकता है कि बहु-दलीय प्रणाली से भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को निम्नलिखित फायदे हुए हैं

1. विभिन्न मतों का प्रतिनिधित्व-बहु-दलीय प्रणाली के कारण भारतीय राजनीति में सभी वर्गों तथा हितों को प्रतिनिधित्व मिल जाता है। इस प्रणाली से कच्चे लोकतन्त्र की स्थापना होती है।

2. मतदाताओं को अधिक स्वतन्त्रता-अधिक दलों के कारण मतदाताओं को अपने वोट का प्रयोग करने के लिए अधिक स्वतन्त्रताएं होती हैं। मतदाताओं के लिए अपने विचारों से मिलते-जुलते दल को वोट देना आसान हो जाता है।

3. राष्ट दो गुटों में नहीं बंटता-बहु दलीय प्रणाली होने के कारण भारत कभी भी दो विरोधी गुटों में विभाजित नहीं हुआ।

4. मन्त्रिमण्डल की तानाशाही स्थापित नहीं होती-बहु-दलीय प्रणाली के कारण भारत में मन्त्रिमण्डल तानाशाह नहीं बन सकता।

HBSE 12th Class Political Science Solutions Chapter 9 भारतीय राजनीति : नए बदलाव

प्रश्न 8.
निम्नलिखित अवतरण को पढ़ें और इसके आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दें
उत्तर:
भारत की दलगत राजनीति ने कई चुनौतियों का सामना किया है। कांग्रेस-प्रणाली ने अपना खात्मा ही नहीं किया, बल्कि कांग्रेस के जमावड़े के बिखर जाने से आत्म-प्रतिनिधित्व की नयी प्रवृत्ति का भी ज़ोर बढ़ा। इससे दलगत व्यवस्था और विभिन्न हितों की समाई करने की इसकी क्षमता पर भी सवाल उठे। राजव्यवस्था के सामने एक महत्त्वपूर्ण काम एक ऐसी दलगल व्यवस्था खड़ी करने अथवा राजनीतिक दलों को गढ़ने की है, जो कारगर तरीके से विभिन्न हितों को मुखर और एकजुट करें…
(क) इस अध्याय को पढ़ने के बाद क्या आप दलगत व्यवस्था की चुनौतियों की सूची बना सकते हैं ?
(ख) विभिन्न हितों का समाहार और उनमें एकजुटता का होना क्यों ज़रूरी है ?
(ग) इस अध्याय में आपने अयोध्या विवाद के बारे में पढ़ा। इस विवाद ने भारत के राजनीतिक दलों की समाहार की क्षमता के आगे क्या चुनौती पेश की?
उत्तर:
(क) इस अध्याय में दलगत व्यवस्था की निम्नलिखित चुनौतियां उभर कर सामने आती हैं

  • गठबन्धन राजनीति को चलाना
  • कांग्रेस के कमजोर होने से खाली हुए स्थान को भरना
  • पिछड़े वर्गों की राजनीति का उभरना
  • अयोध्या विवाद का उभरना
  • गैर-सैद्धान्तिक राजनीतिक समझौतों का होना
  • गुजरात दंगों से साम्प्रदायिक दंगे होना।

(ख) विभिन्न हितों का समाहार और उनमें एकजुटता का होना जरूरी है, क्योंकि तभी भारत अपनी एकता और अखण्डता को बनाए रखकर विकास कर सकता है।

(ग) अयोध्या विवाद भारत के राजनीतिक दलों के सामने साम्प्रदायिकता की चुनौती पेश की तथा भारत में साम्प्रदायिक आधार पर राजनीतिक दलों की राजनीति बढ़ गई।

भारतीय राजनीति : नए बदलाव HBSE 12th Class Political Science Notes

→ भारत में 1990 के दशक से लोकतान्त्रिक उमड़ एवं गठबन्धन राजनीति में वृद्धि हुई है।
→ 1989 तक भारत में केवल दो ही राजनीतिक दलों (कांग्रेस एवं जनता पार्टी) के पास सत्ता रही।
→ 1989 से लेकर अब तक सत्ता कई दलों में विभाजित रही।
→ भारतीय जनता पार्टी ने गठबन्धन राजनीति को अलग स्वरूप प्रदान करते हुए राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन का निर्माण किया।
→ 1989 के पश्चात् केन्द्र सरकार के निर्माण में क्षेत्रीय दलों का प्रभाव अधिक रहा।
→ 1988 में जनता दल की स्थापना हुई तथा 1989 के चुनावों में जीत हासिल कर के इस दल ने सरकार बनाई।
→ भारतीय जनता पार्टी की स्थापना 1980 में हुई।
→ 1989 के पश्चात् भारत में गठबन्धन या मिली-जुली सरकारों की अधिकता रही है।
→ गठबन्धनवादी सरकार के मुख्य उदाहरण राष्ट्रीय मोर्चा सरकार, संयुक्त मोर्चा सरकार, राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन की सरकार तथा संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन की सरकार है।
→ 2009 के 15वीं लोकसभा के चुनावों के पश्चात् केन्द्र में कांग्रेस के नेतृत्व में संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन की सरकार बनी।
→ 2014 के 16वीं लोकसभा के चुनावों के पश्चात् केन्द्र में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन की सरकार बनी।
→ 2019 के 17वीं लोकसभा के पश्चात् केन्द्र में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में पुनः राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबन्धन की सरकार बनी।

HBSE 12th Class Political Science Solutions Chapter 9 भारतीय राजनीति : नए बदलाव Read More »

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 8 क्षेत्रीय आकांक्षाएँ

Haryana State Board HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 8 क्षेत्रीय आकांक्षाएँ Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Political Science Important Questions Chapter 8 क्षेत्रीय आकांक्षाएँ

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
क्षेत्रवाद से आप क्या समझते हैं ? क्षेत्रवाद के विकास के क्या कारण हैं ?
उत्तर:
क्षेत्रवाद का अर्थ (Meaning of Regionalism):
भारत में स्वतन्त्रता के पश्चात् राजनीति में जो नए प्रश्न उभरे हैं, उनमें क्षेत्रवाद (Regionalism) का प्रश्न एक महत्त्वपूर्ण प्रश्न है। क्षेत्रवाद से अभिप्राय किसी देश के उस छोटे-से क्षेत्र से है जो आर्थिक, सामाजिक आदि कारणों से अपने पृथक् अस्तित्व के लिए जागृत है। प्रो० डी० सी० गुप्ता (D.C. Gupta) के अनुसार, “क्षेत्रवाद का अर्थ देश की अपेक्षा किसी विशेष क्षेत्र से प्यार है।” – फ्रॉसटर (Froster) के मतानुसार क्षेत्रवाद से अभिप्राय एक देश के उस छोटे से क्षेत्र से है जो आर्थिक, सामाजिक और भौगोलिक आदि से अपने अस्तित्व के प्रति जागरूक है।”

प्रो० एस० आर० माहेश्वरी (S.R. Maheshwari) के अनुसार, “क्षेत्रवाद के किसी खास क्षेत्र के पारस्परिक समानता और एकरूपता के अलावा बाकी देश से अलग विभिन्नता की भावना का होना ज़रूरी है।” भारत की राजनीति को क्षेत्रवाद और क्षेत्रीय आन्दोलनों ने बहुत अधिक क्षेत्रीय आकांक्षाएँ प्रभावित किया है और यह भारत के लिए एक जटिल समस्या बन रही है और आज भी विद्यमान है।

आज यदि किसी व्यक्ति से पूछा जाए कि वह कौन है तो वह भारतीय कहने के स्थान पर बंगाली, बिहारी, पंजाबी, हरियाणवी आदि कहना पसन्द करेगा। यद्यपि संविधान के अन्तर्गत प्रत्येक नागरिक को भारत की ही नागरिकता दी गई है तथापि लोगों में क्षेत्रीयता व प्रान्तीयता की भावनाएं इतनी पाई जाती हैं कि वे अपने क्षेत्र या प्रान्त के लिए राष्ट्रीय हित को बलिदान करने के लिए तत्पर रहते हैं। 1950 से लेकर आज तक क्षेत्रवाद की समस्या भारत सरकार को घेरे हए है और विभिन्न क्षेत्रों में आन्दोलन चलते रहते हैं।

क्षेत्रवाद के विकास के कारण (Reasons for development of Regionalism) क्षेत्रवाद भावना की उत्पत्ति एक कारण से न होकर अनेक कारणों से होती है, जिनमें मुख्य निम्नलिखित हैं

1. भौगोलिक एवं सांस्कृतिक कारण:
स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् जब राज्यों का पुनर्गठन किया गया तब राज्य की पुरानी सीमाओं को भुलाकर नहीं किया गया बल्कि उनको पुनर्गठन का आधार बनाया गया है। इसी कारण एक राज्य के रहने वाले लोगों में एकता की भावना नहीं आ पाई। प्रायः भाषा और संस्कृति क्षेत्रवाद की भावनाओं को उत्पन्न करने में बहुत सहयोग देते हैं।

2. ऐतिहासिक कारण:
क्षेत्रीयवाद की उत्पत्ति में इतिहास का दोहरा सहयोग रहा है-सकारात्मक सकारात्मक योगदान के अन्तर्गत शिव सेना का उदाहरण दिया जा सकता है और नकारात्मक के अन्तर्गत द्रविड़ मुनेत्र कड़गम का कहना है कि प्राचीनकाल से ही उत्तरी राज्य दक्षिणी राज्यों पर शासन करते आए हैं।

3. भाषा:”
भारत में सदैव ही अनेक भाषाएं बोलने वालों ने कई बार अलग राज्य के निर्माण के लिए व्यापक आन्दोलन किए हैं। भारत सरकार ने भाषा के आधार पर राज्यों का गठन करके ऐसी समस्या उत्पन्न कर दी है जिसका अन्तिम समाधान निकालना बड़ा कठिन होता है।

4. जाति:
जाति ने भी क्षेत्रवाद की उत्पत्ति में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। जिन क्षेत्रों में किसी एक जाति की प्रधानता रही, वहां पर क्षेत्रवाद का उग्र रूप देखने को मिलता है। यही कारण है कि महाराष्ट्र और हरियाणा में क्षेत्रवाद का उग्र स्वरूप देखने को मिलता है।

5. धार्मिक कारण:
धर्म भी कई बार क्षेत्रवाद की भावनाओं को बढ़ाने में सहायता करता है। पंजाब में अकालियों की पंजाबी सूबे की मांग कुछ हद तक धर्म के प्रभाव का परिणाम थी।

6. आर्थिक कारण:
क्षेत्रीयवाद की उत्पत्ति में आर्थिक कारण महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। भारत में जो थोड़ा बहुत आर्थिक विकास हुआ है उसमें बहुत असमानता रही है। कुछ प्रदेशों का अधिक विकास हुआ है और कुछ क्षेत्रों का विकास बहुत कम हुआ है। इसका कारण यह रहा है कि जिन व्यक्तियों के हाथों में सत्ता रही है उन्होंने अपने क्षेत्रों के विकास की ओर ही अधिक ध्यान दिया। अत: पिछड़े क्षेत्रों में यह भावना उभरी कि यदि सत्ता उनके पास होती तो उनके क्षेत्र पिछड़े न रह जाते। इसलिए इन क्षेत्रों के लोगों में क्षेत्रवाद की भावना उभरी और इन्होंने अलग राज्यों की मांग की।

7. राजनीतिक कारण:
क्षेत्रवाद की भावनाओं को भड़काने में राजनीतिज्ञों का भी हाथ रहा है। कई राजनीतिज्ञ यह सोचते हैं कि यदि उनके क्षेत्र को अलग राज्य बना दिया जाएगा तो इससे उनको राजनीतिक महत्त्वाकांक्षाओं की पूर्ति हो जाएगी अर्थात् उनके हाथ भी सत्ता लग जाएगा।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 8 क्षेत्रीय आकांक्षाएँ

प्रश्न 2.
पंजाब समस्या पर एक नोट लिखें।
उत्तर:
पंजाब उत्तर भारत का एक महत्त्वपूर्ण राज्य है। इस राज्य की अधिकांश जनसंख्या सिक्ख समुदाय से सम्बन्धित है। 1966 में पंजाब राज्य का विभाजन करके हरियाणा नाम का एक नया राज्य बना दिया गया। पंजाब में अकाली दल महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय राजनीतिक दल है। अकाली दल ने जनसंघ के साथ मिलकर 1967 एवं 1977 में पंजाब में अपनी सरकार बनाई। अकाली दल एवं कांग्रेस में सदैव मतभेद रहे हैं। 1980 में जब अकाली चुनाव हार गए तो उन्होंने केन्द्र में कांग्रेस के विरुद्ध आन्दोलन शुरू कर दिया। उस समय अकाली दल की मांग थी कि

  • चण्डीगढ़ को पंजाब की राजधानी बनाया जाए।
  • दूसरे राज्यों के पंजाबी भाषी क्षेत्र को पंजाब में मिलाया जाए।
  • पंजाब का औद्योगिक विकास किया जाए।
  • भाखड़ा नंगल योजना पंजाब के नियन्त्रणाधीन हो।
  • देश के सभी गुरुद्वारे शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी के प्रबन्ध में हों।

पंजाब में धीरे-धीरे अशांति बढ़ने लगी थी। अतः केन्द्र की श्रीमती इंदिरा गांधी की सरकार ने ‘आपरेशन ब्लू स्टार’ के अन्तर्गत पंजाब में कार्यवाही की। इसके विरोध में 31 अक्तूबर, 1984 को श्रीमती इन्दिरा गांधी की हत्या कर दी गई। जिससे दिल्ली में सिक्ख विरोधी दंगे शुरू हो गए। एक अनुमान के अनुसार इन दंगों में लगभग 2000 सिख पुरुष, स्त्री एवं बच्चे मारे गए। इस तरह पंजाब समस्या एवं सिक्ख विरोधी दंगों के कारण देश की एकता एवं अखण्डता के लिए खतरा पैदा हो गया।

इसीलिए प्रधानमन्त्री श्री राजीव ने पंजाब में शान्ति बनाये रखने के लिए अकाली नेताओं से समझौता किया। जिसे पंजाब समझौते के नाम से भी जाना जाता है। पंजाब समझौता-जन, 1985 में पंजाब के राज्यपाल अर्जन सिंह ने अकाली नेताओं से पंजाब समस्या पर प्रारम्भिक बातचीत शुरू कर दी। 24 जुलाई, 1985 की शाम भारतीय इतिहास की एक विशिष्ट शाम थी क्योंकि इस दिन बड़े लम्बे समय से चली आ रही पंजाब समस्या को हल किया गया।

प्रधानमन्त्री राजीव गांधी और अकाली नेताओं लौंगोवाल, सुरजीत सिंह बरनाला तथा बलवन्त सिंह) में समझौता हुआ। पंजाब समझौते का सभी राजनीतिक दलों और पंजाब की आम जनता ने स्वागत किया। 26 जुलाई, 1985 को अकाली दल ने आनन्दपुर में प्रधानमन्त्री राजीव गांधी और सन्त हरचन्द सिंह लौंगोवाल के बीच हुए समझौते को अपनी स्वीकृति दे दी।

20 अगस्त, 1985 को संगरूर से 4 किलोमीटर दूर शरंपुर गांव के एक गुरद्वारे में राजनीतिक भाषण के बाद सन्त लौंगोवाल हो रही अरदास में माथा टेकने के लिए नीचे झुके ही थे कि धड़ाधड़ गोलियां चलीं। सन्त लौंगोवाल को तीन गोलियां लगीं और संगरूर अस्पताल में उनका देहान्त हो गया। सन्त लौंगोवाल की हत्या का गहरा आघात न केवल अकाली दल को लगा बल्कि समस्त भारत शोक में डूब गया।

25 अगस्त को सुरजीत सिंह बरनाला को अकाली दल का कार्यकारी अध्यक्ष चुना गया। – प्रधानमन्त्री श्री राजीव गांधी और अकाली दल के अध्यक्ष श्री हरचन्द सिंह लौंगोवाल के बीच हुए समझौते का विवरण इस प्रकार है

1. मारे गए निरपराध व्यक्तियों के लिए मुआवज़ा:
एक सितम्बर, 1982 के बाद हुई किसी कार्यवाही या आन्दोलन में मारे गए लोगों को अनुगृह राशि के भुगतान के साथ सम्पत्ति की क्षति के लिए मुआवज़ा दिया जाएगा।

2. सेना में भर्ती:
देश के सभी नागरिकों को सेना में भर्ती का अधिकार होगा और चयन के लिए केवल योग्यता ही आधार रहेगा।

3. नवम्बर दंगों की जांच:
दिल्ली में नवम्बर में हुए दंगों की जांच कर रहे रंगनाथ मिश्र आयोग का कार्यक्षेत्र बढ़ाकर उसमें बोकारो और कानपुर में हुए उपद्रवों की जांच को भी शामिल किया जाएगा।

4. सेना से निकाले हुए व्यक्तियों का पुनर्वास:
सेना से निकाले हुए व्यक्तियों को पुनर्वास और उन्हें लाभकारी रोजगार दिलाने के प्रयास किए जाएंगे।

5. अखिल भारतीय गुरुद्वारा कानून:
भारत सरकार अखिल भारतीय गुरुद्वारा कानून बनाने पर सहमत हो गई। इसके लिए शिरोमणि अकाली दल और अन्य सम्बन्धियों के साथ सलाह-मश्वरा और संवैधानिक ज़रूरतें पूरी करने के बाद विधेयक लागू किया जाएगा।

6. लम्बित मकद्दमों का फैसला:
सशस्त्र सेना विशेषाधिकार कानन को पंजाब में लाग करने वाली अधिसचना वापस ली जाएगी। वर्तमान विशेष न्यायालय केवल विमान अपहरण तथा शासन के खिलाफ युद्ध के मामले सुनेगी। शेष मामले सामान्य न्यायालयों को सौंप दिए जाएंगे और यदि आवश्यक हुआ तो इसके बारे में कानून बनाया जाएगा।

7. सीमा विवाद:
चण्डीगढ़ का राजधानी परियोजना क्षेत्र और सुखना ताल पंजाब को दिए जाएंगे। केन्द्र शासित प्रदेश के अन्य पंजाबी क्षेत्र पंजाब को तथा हिन्दी भाषी क्षेत्र हरियाणा को दिए जाएंगे।

प्रश्न 3.
भारतीय सरकार किस प्रकार लोकतान्त्रिक बातचीत का रास्ता अपनाते हुए कश्मीर समस्या के समाधान की दिशा में प्रयत्नशील रही है ? व्याख्या कीजिए।
अथवा
कश्मीर समस्या पर एक विस्तृत नोट लिखिए।
उत्तर:
स्वतन्त्रता से पूर्व कश्मीर भारत के उत्तर-पश्चिमी कोने में स्थित एक देशी रियासत थी। 15 अगस्त, 1947 को भारत स्वतन्त्र हुआ और पाकिस्तान की भी स्थापना हुई। पाकिस्तान ने पश्चिमी सीमा प्रान्त के कबाइली लोगों को प्रेरणा और सहायता देकर 22 अक्तूबर, 1947 को कश्मीर पर आक्रमण कर दिया। कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने भारत से सहायता मांगी और कश्मीर को भारत में शामिल करने की प्रार्थना की।

भारत में कश्मीर का विधिवत् विलय हो गया, परन्तु पाकिस्तान का आक्रमण जारी रहा और पाकिस्तान ने कुछ क्षेत्र पर कब्जा कर लिया और अब भी उस क्षेत्र पर जिसे ‘आज़ाद कश्मीर’ कहा जाता है, पाकिस्तान का कब्जा है। भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना को खदेड़ दिया। भारत सरकार ने कश्मीर का मामला संयुक्त राष्ट्र को सौंप दिया और 1 जनवरी, 1949 को कश्मीर का युद्ध विराम हो गया। संयुक्त राष्ट्र संघ ने कश्मीर की समस्या को हल करने का प्रयास किया पर यह समस्या अब भी है।

इसका कारण यह है कि भारत सरकार कश्मीर को भारत का अंग मानती है जबकि पाकिस्तान कश्मीर में जनमत संग्रह करवा कर यह निर्णय करना चाहता है कि कश्मीर भारत में मिलना चाहता है या पाकिस्तान के साथ। परन्तु पाकिस्तान की मांग गलत और अन्यायपूर्ण है, इसलिए इसे माना नहीं जा सकता। भारत ने सदैव ही कश्मीर समस्या को हल करने का प्रयास किया है, परन्तु पाकिस्तान के अड़ियल रवैये के कारण इसमें सफलता नहीं मिली।

शिमला समझौता:
1972 में हुए शिमला समझौते के अन्तर्गत कश्मीर समस्या को बातचीत द्वारा हल करने की बात कही गई है, भारत ने इस दिशा में लगातार प्रयास भी किया है, परन्तु पाकिस्तान की और से कोई सकारात्मक संकेत नहीं मिले।

1. लाहौर घोषणा:
जनवरी, 1999 में भारतीय प्रधानमन्त्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी बस से लाहौर गए तथा जम्मू-कश्मीर समस्या को हल करने की पहल की।

2. आगरा शिखर वार्ता:
जम्मू-कश्मीर सहित अन्य समस्याओं पर बातचीत के लिए भारत ने पाकिस्तान के शासक जनरल परवेज मुशरफ को भारत आने का निमन्त्रण दिया तथा आगरा में दोनों देशों में शिखर वार्ता हुई। परन्तु पाकिस्तान के कारण यह बातचीत सफल न हो सकी।

महत्त्वपूर्ण नोट:
भारत सरकार ने 5-6 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर ने सम्बन्धित धारा 370 को समाप्त कर दिया तथा स्पष्ट किया, कि अब केवल पाकिस्तान के गैर-कानूनी कब्जे वाले (पी० ओ० के०-P.O.K.) पर ही बातचीत होगी।

प्रश्न 4.
उत्तर-पूर्वी राज्यों की चुनौतियों एवं उसकी अनुक्रियाओं पर एक नोट लिखें।
उत्तर:
भारत का उत्तर-पूर्वी क्षेत्र सात राज्यों (असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, नागालैण्ड, मिज़ोरम एवं त्रिपुरा) से मिलकर बनता है। इन सात राज्यों को सात बहनें भी कहकर बुला लिया जाता है। ये सातों राज्य भारत के अन्य राज्यों की तरह अधिक उन्नति नहीं कर पाए हैं। इसी कारण यहां पर आर्थिक तथा सामाजिक पिछड़ापन पाया जाता है जिसके कारण यहां पर विदेशी ताकतों के समर्थन पर कुछ अलगाववादी तत्त्व अशान्ति फैलाते रहते हैं।

इन राज्यों की अधिकतर जातियां पिछड़ी हुई हैं। संचार साधनों की कमी है, भाषा की विभिन्नता, यातायात के साधनों की कमी तथा अधिकांशतः बेरोज़गारी पाई जाती है, जिसके कारण यहां के स्थानीय निवास अलगाववादी गुटों के बहकावे में आ जाते हैं। इन सभी राज्यों में अपने अलग-अलग राजनीतिक दल हैं, जो सत्ता प्राप्ति के लिए संघर्ष करते हैं, इन क्षेत्रीय दलों का वर्णन इस प्रकार है

1. नागालैण्ड (Nagaland):
नागालैण्ड उत्तर-पूर्व का एक महत्त्वपूर्ण राज्य है। इसकी जनसंख्या लगभग 20 लाख है। इसकी राजधानी कोहिमा है। नागालैण्ड में अनेक जातियां एवं कबीले पाए जाते हैं। इसमें यूनाइटिड डेमोक्रेटिक फ्रण्ट, नागा नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी तथा नागा नेशनल सोशलिस्ट काऊंसिल जैसे राजनीतिक दल पाए जाते हैं। अन्तिम दल अलगाववादियों से सम्बन्धित है।

2. मणिपुर (Manipur):
मणिपुर की जनसंख्या लगभग 27 लाख है। इसकी राजधानी इम्फाल है तथा यहां की मुख्य भाषा मणिपुरी है तथा इसमें कुल 9 ज़िले हैं। मणिपुर 1972 में राज्य बना। इसमें मणिपुर हिल यूनियन, कूकी नेशनल एसेम्बली तथा मणिपुर जनमुक्ति सेना जैसे क्षेत्रीय दल पाए हैं। अन्तिम दल अलगाववादी दल है।

3. मेघालय (Meghalaya):
मेघालय भी उत्तर-पूर्वी क्षेत्र का एक महत्त्वपूर्ण राज्य है। इस राज्य की राजधानी शिलांग है। यहां की जनसंख्या लगभग 29 लाख है तथा यहां की मुख्य भाषा खासी, गारो तथा अंग्रेज़ी है। मेघालय के कुछ क्षेत्रीय दल आल पार्टी हिल लीडर्स कान्फ्रेंस तथा हिल स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी हैं।

4. त्रिपुरा (Tripura):
त्रिपुरा राज्य की राजधानी अगरतला है। यहां की जनसंख्या लगभग 36 लाख है। यहां की मुख्य भाषाएं बंगला और काकबरक है। त्रिपुरा में चार ज़िले हैं। त्रिपुरा को 1972 में राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ। यहां पर कई छोटे-छोटे क्षेत्रीय राजनीतिक दल हैं। इनमें त्रिपुरा उपजाति युवा समिति तथा त्रिपुरा जनमुक्ति संगठन सेवा प्रमुख हैं।

5. मिज़ोरम (Mizoram):
मिज़ोरम राज्य की राजधानी आइजोल है। इसकी जनसंख्या लगभग 10 लाख है तथा मिज़ो और अंग्रेज़ी यहां की मुख्य भाषाएं हैं। मिज़ोरम को 1987 में भारत का 23वां राज्य बनाया गया। मिज़ोरम के मुख्य क्षेत्रीय दल पीपुल्स कान्फ्रेंस तथा मिज़ो यूनियन पार्टी। मिज़ोरम में एक अलगाववादी संगठन मिजो नेशनल फ्रंट भी है, जो हिंसक कार्यवाहियों में संलग्न रहता है।

6. असम (Assam):
भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के राज्यों में सबसे बड़ा राज्य असम है। यहां की जनसंख्या लगभग 3 करोड़ है। यहां की मुख्य भाषा असमिया है तथा यहां की राजधानी दिसपुर है। असम में उल्फा नामक एक उग्रवादी एवं अलगाववादी संगठन पाया जाता है। असम का सबसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय दल असम गण परिषद् है।

प्रश्न 5.
‘असम आन्दोलन सांस्कृतिक गौरव और आर्थिक पिछड़ेपन की मिली-जुली अभिव्यक्ति था।’ इस कथन का औचित्य निर्धारित कीजिए।
उत्तर:
भारत का उत्तर-पूर्वी क्षेत्र सात राज्यों (असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, नागालैण्ड, मिज़ोरम एवं त्रिपुरा) से मिलकर बनता है। इन सात राज्यों को सात बहनें भी कहकर बुला लिया जाता है। ये सातों राज्य भारत के अन्य राज्यों की तरह अधिक उन्नति नहीं कर पाए हैं। इसी कारण यहां पर आर्थिक तथा सामाजिक पिछड़ापन पाया जाता है जिसके कारण यहां पर विदेशी ताकतों के समर्थन पर कुछ अलगाववादी तत्त्व अशान्ति फैलाते रहते हैं। इन राज्यों की अधिकतर जातियां पिछड़ती हुई हैं।

संचार साधनों की कमी है, भाषा की विभिन्नता, यातायात के साधनों की कमी तथा अधिकांशतः बेरोज़गारी पाई जाती है, जिसके कारण यहां के स्थानीय निवासी अलगाववादी गुटों के बहकावे में आ जाते हैं। इन सभी राज्यों में अपने अलग-अलग राजनीतिक दल हैं, जो सत्ता प्राप्ति के लिए संघर्ष करते हैं। असम पूर्वोत्तर भारत का एक महत्त्वपूर्ण राज्य है। असम राज्य में शामिल अलग-अलग धर्मों एवं भाषायी समुदायों ने सांस्कृतिक अभियान और आर्थिक पिछड़ेपन के कारण असम से अलग होने की मांग की।

इसे ही असम आन्दोलन कहा जाता है। आज़ादी के समय में मणिपुर एवं त्रिपुरा को छोड़कर शेष क्षेत्र असम कहलाता था। गैर-असमी लोगों को यह लगा कि असम सरकार हम पर असमिया भाषा थोपने का प्रयास कर रही है, तो इन लोगों ने असम सरकार के इस प्रयास का विरोध किया। इसके साथ-साथ गैर-असमी लोग यह सोचने को मजबूर हो गये कि आर्थिक तौर पर पिछड़ने का एक मुख्य कारण उनका गैर-असमी होना है।

अत: इन गैर-असमी लोगों ने असम से अलग होने की मांग उठाई। जिसके परिणामस्वरूप केन्द्र सरकार ने धीरे-धीरे असम को बांटकर मेघालय, मिज़ोरम और अरुणाचल प्रदेश नामक नये राज्य बनाये।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
क्षेत्रवाद क्या है ?
उत्तर:
क्षेत्रवाद से अभिप्राय किसी देश के छोटे-से क्षेत्र से है जो आर्थिक, सामाजिक आदि कारणों से अपने पृथक् अस्तित्व के लिए जागृत है। भारत में स्वतन्त्रता के पश्चात् राजनीति में जो नए प्रश्न उभरे हैं, उनमें क्षेत्रवाद का प्रश्न एक महत्त्वपूर्ण प्रश्न है। भारत की राजनीति को क्षेत्रवाद ने बहुत प्रभावित किया है। यह भारत के लिए एक जटिल समस्या बन रही है और आज भी विद्यमान है। आज यदि किसी व्यक्ति से पूछा जाए कि वह कौन है तो वह भारतीय कहने के स्थान पर बंगाली, बिहारी, पंजाबी, हरियाणवी आदि कहना पसन्द करेगा।

प्रश्न 2.
क्षेत्रीयवाद की प्रकृति के कोई चार दुष्परिणाम लिखें।
अथवा
भारतीय राजनीति पर क्षेत्रवाद’ के कोई चार प्रभाव लिखो।
अथवा
क्षेत्रीय राजनीति के कोई चार दुष्परिणाम बताइये।
उत्तर:
(1) क्षेत्रवाद के आधार पर राज्य केन्द्रीय सरकार से सौदेबाज़ी करते हैं। यह सौदेबाज़ी न केवल आर्थिक विकास के लिए होती है, बल्कि कई बार कई महत्त्वपूर्ण समस्याओं के समाधान के लिए भी होती है।

(2) क्षेत्रवाद ने कुछ हद तक भारतीय राजनीति में हिंसक विधियों को उभारा है। कुछ राजनीतिक दल इसे अपनी लोकप्रियता का साधन बना लेते हैं। ..

(3) चुनावों के समय भी क्षेत्रवाद का सहारा लिया जाता है। क्षेत्रीयता के आधार पर राजनीतिक दल उम्मीदवारों का चुनाव करते हैं और क्षेत्रीय भावनाओं को भड़का कर वोट प्राप्त करने की चेष्टा की जाती है।

(4) मन्त्रिमण्डल का निर्माण करते समय क्षेत्रवाद की प्रवृत्ति स्पष्ट रूप से देखने को मिलती है। मन्त्रिमण्डल में प्रायः सभी मुख्य क्षेत्रों के प्रतिनिधियों को लिया जाता है।

प्रश्न 3.
भारत में क्षेत्रवाद की उत्पत्ति के कोई चार कारण लिखिए।
अथवा
भारत में क्षेत्रवाद’ के कोई चार कारण लिखो।
अथवा
भारतीय क्षेत्रीयवाद के कोई चार कारण बताइये।
उत्तर:
(1) क्षेत्रवाद की उत्पत्ति का महत्त्वपूर्ण कारण भाषा का विवाद है। क्षेत्रीयवाद की समस्या स्पष्ट रूप से भाषा से सम्बन्धित है। भाषा के आधार पर अलग राज्य के निर्माण के लिए आन्दोलन होते रहते हैं।

(2) जाति ने क्षेत्रीयवाद की उत्पत्ति में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। जिन क्षेत्रों में किसी एक जाति की प्रधानता रही है, वहीं पर क्षेत्रीयवाद का उग्र रूप देखने को मिलता है।

(3) क्षेत्रीयवाद की उत्पत्ति में आर्थिक कारणों ने भी महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। अविकसित क्षेत्रों ने अलग राज्य की स्थापना के लिए आन्दोलन किए। पिछड़े क्षेत्रों में यह भावना उभरी कि यदि सत्ता उनके पास होती तो उनके क्षेत्र पिछड़े न रह जाते।

(4) धर्म भी कई क्षेत्रवाद की भावनाओं को बढ़ाने में सहायता करता है।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 8 क्षेत्रीय आकांक्षाएँ

प्रश्न 4.
क्षेत्रीय असन्तुलन क्या है ?
उत्तर:
भारत में संघीय शासन प्रणाली की व्यवस्था की गई है। भारत में 28 राज्य और 8 संघीय क्षेत्र हैं। क्षेत्रीय असन्तुलन का अर्थ यह है कि भारत के विभिन्न राज्यों तथा क्षेत्रों का विकास एक जैसा नहीं है। कुछ राज्यों का आर्थिक विकास बहुत अधिक हुआ है और वहां के लोगों का जीवन स्तर भी ऊंचा है जबकि कुछ राज्यों का विकास बहुत कम हुआ है तथा वहां के लोगों का जीवन स्तर भी बहुत निम्न स्तर का है।

भारत के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों के विकास स्तर और लोगों के जीवन स्तर में पाए जाने वाले अन्तर को क्षेत्रीय असन्तुलन का नाम दिया जाता है। उदाहरण के तौर पर पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र, केरल आदि राज्य अत्यधिक विकसित हैं। जबकि बिहार, उड़ीसा, मध्य प्रदेश आदि अति पिछड़े हुए क्षेत्र हैं।

प्रश्न 5.
क्षेत्रीय असन्तुलन भारतीय लोकतन्त्र पर क्या प्रभाव डाल रहा है ?
उत्तर:
क्षेत्रीय असन्तुलन भारतीय लोकतन्त्र पर मुख्य रूप से निम्नलिखित प्रभाव डाल रहा है

(1) पिछड़े क्षेत्रों के लोगों में असन्तुष्टता की भावना बड़ी तेजी से बढ़ रही है और ऐसे क्षेत्रों के लोगों का यह सोचना है कि उनके पिछड़ेपन के लिए सरकार जिम्मेवार है काफ़ी हद तक उचित प्रतीत होता है।

(2) क्षेत्रीय असन्तुलन से लोगों में क्षेत्रवाद की भावना उत्पन्न हो रही है। क्षेत्रवाद ने पृथक्कतावाद की भावना को जन्म दिया है।

(3) क्षेत्रीय असन्तुलन ने अनेक क्षेत्रीय दलों को जन्म दिया है और ये दल राष्ट्र की अपेक्षा अपने क्षेत्र के हित को अधिक महत्त्व देते हैं।

(4) क्षेत्रीय असन्तुलन के कारण कई क्षेत्रों में आतंकवाद का उदय हुआ है। आतंकवाद ने हमारे लोकतन्त्र को बुरी तरह से प्रभावित किया है।

प्रश्न 6.
भारत में क्षेत्रीय असन्तुलन के कोई चार कारण बताओ।
उत्तर:
(1) भौगोलिक विषमताओं ने क्षेत्रीय असन्तुलन पैदा किया है। परिस्थितियों के कारण भारत में एक ओर राजस्थान जैसा मरुस्थल है जो कम उपजाऊ है, तो दूसरी ओर पंजाब जैसे उपजाऊ क्षेत्र हैं।

(2) भाषा की विभिन्नता ने क्षेत्रीय असन्तुलन पैदा किया है।

(3) ब्रिटिश सरकार ने कुछ क्षेत्रों का विकास किया और कुछ का नहीं किया, जिससे क्षेत्रीय असन्तुलन पैदा हुआ। अंग्रेज़ों ने कोलकाता, मुम्बई और चेन्नई का अधिक विकास किया। इन क्षेत्रों के लोगों का जीवन स्तर अन्य क्षेत्रों से कहीं अधिक ऊंचा है।

(4) क्षेत्रीय असन्तुलन का एक महत्त्वपूर्ण कारण नेताओं की भूमिका है। जिस क्षेत्र का वह नेता है, अपने क्षेत्र के विकास की ओर अधिक ध्यान देता है जिससे अन्य क्षेत्र अविकसित रह जाते हैं।

प्रश्न 7.
क्षेत्रवाद को समाप्त करने के कोई चार सुझाव दीजिए।
अथवा
भारत में क्षेत्रीयवाद की बढ़ती प्रवृत्ति को समाप्त करने के कोई चार सुझाव दीजिए।
अथवा
भारत में क्षेत्रीयवाद को समाप्त करने के लिए कोई चार सुझाव दीजिए।
उत्तर:
(1) पिछड़े हुए क्षेत्रों के विकास के लिए विशेष प्रयास किए जाएं। पिछड़े क्षेत्रों में विशेषकर बिजली, यातायात व संचार के साधनों का विकास किया जाए।

(2) क्षेत्रवाद को बढ़ावा देने वाले दलों पर प्रतिबन्ध लगाना चाहिए।

(3) जो प्रशासनिक अधिकारी आदिवासी क्षेत्रों में नियुक्त किए जाएं उन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया जाए और उन्हीं को नियुक्त किया जाए जो इन क्षेत्रों के बारे में थोड़ा बहुत ज्ञान भी रखते हों।

(4) केन्द्रीय मन्त्रिमण्डल में सभी क्षेत्रों को उचित प्रतिनिधित्व दिया जाए।

प्रश्न 8.
‘क्षेत्रीय असन्तुलन भारत में क्षेत्रवाद के प्रमुख कारण हैं।’ व्याख्या करो।
उत्तर:
क्षेत्रीय असन्तुलन से अभिप्राय विभिन्न क्षेत्रों के बीच प्रति व्यक्ति आय, साक्षरता दरों, स्वास्थ्य और चिकित्सा सेवाओं की उपलब्धता, औद्योगीकरण का स्तर आदि के आधार पर अन्तर पाया जाना है। भारत में विभिन्न राज्यों के बीच व्यापक पैमाने पर असन्तुलन पाया जाता है। क्षेत्रीय भिन्नताओं एवं असन्तुलन के कारण क्षेत्रीय भेदभाव को बढावा मिलता है।

भारत में क्षेत्रीय असन्तुलन के कारण क्षेत्रवादी भावनाओं को बल मिला है। इसके कारण कई क्षेत्रों ने पृथक राज्य की मांग की है। बिहार और पश्चिमी बंगाल में झारखण्ड, उत्तर प्रदेश में उत्तराँचल (उत्तराखंड) और मध्य प्रदेश में छत्तीसगढ़ राज्यों की मांग क्षेत्रीय असन्तुलन के कारण ही की गई थी। क्षेत्रीय असन्तुलन ने क्षेत्रवादी हिंसा, आन्दोलनों व तोड़-फोड़ को बढ़ावा दिया है। अनेक क्षेत्रीय दल क्षेत्रीय असन्तुलन के कारण ही बने हैं जो अब क्षेत्रवाद को बढ़ावा दे रहे हैं। क्षेत्रीय असन्तुलन ने अन्तर्राज्यीय विवादों को बढ़ावा दिया है जिससे क्षेत्रवादी भावनाएं और भी उग्र हो गई हैं।

प्रश्न 9.
क्षेत्रीय दल किसे कहते हैं ?
उत्तर:
चुनाव आयोग उस राजनीतिक दल को राज्य अथवा क्षेत्रीय स्तर के दल के रूप में मान्यता देता है जिसने लोकसभा अथवा विधानसभा के चुनावों में कुल पड़े वैध मतों का 6 प्रतिशत मत प्राप्त किया हो और विधानसभा में कम-से-कम 2 सीटें जीती हों, अथवा राज्य विधानसभा में कुल सीटों की कम-से-कम तीन प्रतिशत सीटें या कम से-कम तीन सीटें (इनमें से जो भी अधिक हो) प्राप्त की हों। जिस राजनीतिक दल ने लोकसभा के किसी आम चुनाव में या लोकसभा की प्रत्येक 25 सीटों पर एक जीत या इससे किसी अन्य आबंटित हिस्से में इसी अनुपात में जीत हासिल की हो।

इसके विकल्प के तौर पर सम्बन्धित राज्य में पार्टी द्वारा खड़े किये गए उम्मीदवारों को सभी संसदीय क्षेत्रों में मतदान का कम से कम 6 प्रतिशत मत प्राप्त होना चाहिए। इसके अलावा इसी आम चुनाव में पार्टी को राज्य में कम-से-कम एक लोकसभा सीट पर जीत भी हासिल होनी चाहिए। राज्य स्तरीय दल को क्षेत्रीय दल भी कहा जाता है और क्षेत्रीय दल का अस्तित्व राज्य के बाहर भी हो सकता है। चुनाव आयोग ने 53 राज्य स्तरीय दलों को मान्यता प्रदान की हई है।

प्रश्न 10.
क्षेत्रीय पार्टियों की उत्पत्ति के भारत में कारण बताएं।
उत्तर:
भारत में राष्ट्रीय दलों के साथ अनेक क्षेत्रीय दल भी पाए जाते हैं। चुनाव आयोग ने 53 दलों को राज्य स्तर के दलों के रूप में मान्यता दी हुई है। क्षेत्रीय दलों की उत्पत्ति के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं

1. भौगोलिक कारण:
भारत एक विशाल देश है। इसकी भौगोलिक बनावट में विभिन्नताएं पाई जाती हैं। मिज़ो हिल्स पीपुल्स युनियन तथा सिक्किम संग्राम परिषद जैसे दलों के लिए भौगोलिक कारण ही उत्तरदायी हैं।

2. जातिवाद:
भारत में विभिन्न जातियों के लोग रहते हैं। भारत में अनेक क्षेत्रीय राजनीतिक दलों का निर्माण जाति के आधार पर हआ है। उदाहरण के लिए तमिलनाड़ में डी० एम० के० तथा अन्ना० डी० एम० के० ब्राह्मण विरोधी या गैर-ब्राह्मण के दल हैं।

3. धर्म:
धर्म भी क्षेत्रीय दलों के निर्माण का एक महत्त्वपूर्ण कारण है।

4. आर्थिक पिछड़ापन:
भारत के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में पाई जाने वाली आर्थिक असमानताओं ने असंतुष्ट लोगों को क्षेत्रीय दलों में संगठित होने के लिए प्रोत्साहित किया है।

प्रश्न 11.
शिरोमणि अकाली दल की कोई चार नीतियां लिखिए।
उत्तर:

  • शिरोमणि अकाली दल ने आनन्दपुर साहिब के प्रस्ताव को राष्ट्रीय एकता को बढ़ाने वाला बताया है और इस प्रस्ताव में वर्णित सच्चे संघवाद को लागू करने की बात की है।
  • चण्डीगढ़ और हरियाणा की सीमा के साथ लगते पंजाबी भाषी क्षेत्रों को पंजाब में मिलाने की मांग की गई है।
  • शिरोमणि अकाली दल ने सतलुज-यमुना लिंक नहर परियोजना को रद्द करने की बात कही है।
  • पंजाब में हर हालत में शान्ति बनाई रखी जाएगी।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 8 क्षेत्रीय आकांक्षाएँ

प्रश्न 12.
अखिल भारतीय अन्नाद्रमुक दल की कोई चार नीतियां लिखिए।
उत्तर:

  • अन्ना डी० एम० के० श्री सी० एन० अन्नादुराय के सिद्धान्तों में पूरा विश्वास रखती है।
  • पार्टी ने अपने चुनाव घोषणा-पत्र में तमिलनाडु में ईमानदार और कुशल प्रशासन स्थापित करने का वायदा किया है।
  • यह दल लोकतन्त्र में विश्वास रखता है। इस दल का विश्वास है कि सरकार की शक्तियों का स्रोत जनता है और सरकार को अपनी नीतियों का निर्माण जनमत को ध्यान में रखकर करना चाहिए।
  • यह दल समाजवाद का समर्थन करता है। इस पार्टी का मुख्य उद्देश्य लोकतन्त्रीय समाजवाद की स्थापना करना है।

प्रश्न 13.
नेशनल कान्फ्रेंस पार्टी के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
नेशनल कान्फ्रैंस जम्मू-कश्मीर का एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय दल है। इस दल के वर्तमान अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला हैं। नेशनल कान्फ्रैंस राज्य स्वायत्तता के पक्ष में है। नेशनल कान्फ्रैंस ने जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय को स्थायी माना है, जिसे बदला नहीं जा सकता। परन्तु नेशनल कान्फ्रैंस अनुच्छेद 370 को रखने के पक्ष में है और इसमें किसी प्रकार का संशोधन करने के पक्ष में नहीं है।

पार्टी जम्मू-कश्मीर की एकता व अखण्डता को बनाए रखने के पक्ष में है। पार्टी धर्म-निरपेक्षता में विश्वास रखती है और राज्य में से कट्टरपंथियों को समाप्त करने के पक्ष में है। पार्टी राज्य में सभी समुदायों में साम्प्रदायिक सद्भावना बनाए रखने के लिए वचनबद्ध है। पार्टी देश की सुरक्षा, एकता व अखण्डता को बनाए रखने के लिए सभी तरह के प्रयास करने के लिए तैयार है।

पार्टी केन्द्र से टकराव की नीति अनुसरण करने के पक्ष में नहीं है और राज्य के विकास के लिए केन्द्र में हर तरह की सहायता चाहती है। आजकल जम्मू-कश्मीर की सरकार पृथक्कतावादी तत्त्वों को कुचलने में लगी हुई है।

प्रश्न 14.
1984 के सिक्ख विरोधी दंगों का संक्षिप्त रूप में विवेचन करें।
अथवा
इन्दिरा गांधी की हत्या तथा सिक्ख विरोधी दंगों पर संक्षिप्त नोट लिखें।
उत्तर:
सन् 1984 के सिक्ख विरोधी दंगों का प्रमुख कारण प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गांधी की हत्या करना था। इस हत्या के विरोध में दिल्ली एवं इसके आस-पास के क्षेत्रों में सिक्ख विरोधी दंगे आरम्भ हो गए। सिक्खों पर जानलेवा हमले किये गये, कई सिक्खों के बाल काट दिये गए तथा कई सिक्खों पर तेजाब फेंके गए। सिक्ख विरोधी हिंसा का यह दौर कई दिनों तक जारी रहा। इस हिंसा में लगभग 2000 सिक्ख मारे गए।

प्रश्न 15.
राजीव लोंगोवाल समझौते की मुख्य बातों का वर्णन करें।
अथवा
‘पंजाब समझौते’ पर एक नोट लिखिए।
अथवा
1985 के पंजाब-समझौते के ‘मुख्य प्रावधान’ क्या थे ?
उत्तर:
राजीव-लोंगोवाल समझौता 24 जुलाई, 1985 को हुआ था, जिसके मुख्य प्रावधान इस प्रकार हैं

1. मारे गए निरपराध व्यक्तियों के लिए मुआवज़ा:
एक सितम्बर, 1982 के बाद हुई किसी कार्यवाही का आन्दोलन में मारे गए लोगों को अनुग्रह राशि के भुगतान के साथ सम्पत्ति की क्षति के लिए मुआवज़ा दिया जायेगा।

2. सेना में भर्ती:
देश के सभी नागरिकों को सेना में भर्ती का अधिकार होगा और चयन के लिए केवल योग्यता ही आधार रहेगा।

3. नवम्बर दंगों की जांच:
दिल्ली में नवम्बर में हुए दंगों की जांच कर रहे रंगनाथ मिश्र आयोग का कार्यक्षेत्र बढाकर उसमें बोकारो और कानपुर में हए उपद्रवों की जांच को भी शामिल किया जायेगा।

4. सेना से निकाले हए व्यक्तियों का पनर्वास:
सेना से निकाले हए व्यक्तियों को पुनर्वास और उन्हें लाभकारी रोज़गार दिलाने के प्रयास किये जायेंगे।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
क्षेत्रीयवाद से क्या अभिप्राय है?
अथवा
क्षेत्रीयवाद के अर्थ को स्पष्ट करें।
उत्तर:
क्षेत्रवाद से अभिप्राय किसी देश के उस छोटे से क्षेत्र से है जो औद्योगिक, सामाजिक आदि कारणों से अपने पृथक् अस्तित्व के लिए जागृत है। क्षेत्रवाद केन्द्रीयकरण के विरुद्ध क्षेत्रीय इकाइयों को अधिक शक्ति व स्वायत्तता प्रदान करने के पक्ष में है।

प्रश्न 2.
‘क्षेत्रवाद’ के उदय के कोई दो कारण लिखें।
अथवा
क्षेत्रीयवाद के कोई दो कारण लिखिए।
उत्तर:
1. क्षेत्रवाद का एक महत्त्वपूर्ण कारण भाषावाद है। भारत में सदैव ही अनेक भाषाएं बोलने वालों ने कई बार अलग राज्य के निर्माण के लिए व्यापक आन्दोलन किए हैं।

2. जातिवाद-जातिवाद ने भी क्षेत्रीयवाद की उत्पत्ति में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। जिन क्षेत्रों में किसी एक जाति की प्रधानता रही है, वहां पर क्षेत्रवाद का उग्र रूप देखने को मिलता है।

प्रश्न 3.
क्षेत्रीयवाद को समाप्त करने के कोई दो सुझाव दीजिए।
उत्तर:

  • पिछड़े हुए क्षेत्रों के विकास के लिए विशेष प्रयास किये जाएं।
  • क्षेत्रीयवाद को बढ़ावा देने वाले दलों पर प्रतिबन्ध लगाना चाहिए।

प्रश्न 4.
अलगाववाद के अर्थ की व्याख्या करें।
उत्तर:
अलगाववाद से अभिप्राय एक राज्य से कुछ क्षेत्र को अलग करके स्वतन्त्र राज्य की स्थापना की मांग है। अर्थात् सम्पूर्ण इकाई से अलग अपना स्वतन्त्र अस्तित्व बनाए रखने की मांग अलगाववाद है। अलगाववाद का उदय तब होता है जब क्षेत्रवाद की भावना उग्र रूप धारण कर लेती है। उदाहरण के लिए भारत में मिज़ो आन्दोलन, नागालैण्ड आन्दोलन इत्यादि आन्दोलन भारतीय संघ से अलग होने के लिए चलाए गए। यह पृथक्कतावाद के उदाहरण हैं।

प्रश्न 5.
भारत में अलगाववाद आन्दोलन के दो उदाहरण लिखो।
उत्तर:
भारत में कई बार क्षेत्रीय आन्दोलन भारत से अलग होने के लिए किए जाते रहे हैं, जिनमें कुछ मुख्य निम्नलिखित हैं

  • 1960 में डी०एम०के० तथा अन्य तमिल दलों ने तमिलनाडु को भारत से अलग करवाने का आन्दोलन किया।
  • असम के मिज़ो हिल के लिए जिले के लोगों ने भारत से अलग होने की मांग की और इस मांग को पूरा करवाने के लिए उन्होंने मिज़ो नेशनल फ्रंट की स्थापना की।

प्रश्न 6.
अलगाववाद के दो कारण लिखें।
उत्तर:
1. राजनीतिक कारण:
अलगाववाद की भावनाओं को भड़काने में राजनीतिज्ञों का भी हाथ रहा है। कई राजनीतिज्ञ यह सोचते हैं कि यदि उनके क्षेत्र को अलग राज्य बना दिया जाएगा तो इससे उनकी राजनीतिक महत्त्वाकांक्षाओं की पूर्ति हो जाएगी।

2. आर्थिक पिछड़ापन:
अलगाववाद की उत्पत्ति में आर्थिक पिछड़ापन महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। कुछ प्रदेशों का भारत में अधिक विकास हुआ है और कुछ क्षेत्रों का विकास बहुत कम हुआ है। अतः पिछड़े क्षेत्रों में यह भावना उभरती है कि यदि सत्ता उनके पास होती तो उनके क्षेत्र पिछड़े न रह जाते। इसलिए इन क्षेत्रों में अलग राज्य की मांग को लेकर अलगाववाद उत्पन्न होता है।

प्रश्न 7.
भारत में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के विकास के कोई चार कारण लिखिए।
उत्तर:
क्षेत्रीय दलों की उत्पत्ति के मुख्य कारण अग्रलिखित हैं

1. भौगोलिक कारण-भारत एक विशाल देश है। इसकी भौगोलिक बनावट में विभिन्नताएं पाई जाती हैं। मिज़ो हिल्स पीपुल्स यूनियन तथा सिक्किम संग्राम परिषद् जैसे दलों के लिए भौगोलिक कारण ही उत्तरदायी हैं।

2. जातिवाद-भारत में विभिन्न जातियों के लोग रहते हैं। भारत में अनेक क्षेत्रीय राजनीतिक दलों का निर्माण जाति के आधार पर हुआ है। उदाहरण के लिए तमिलनाडु में डी० एम० के० तथा अन्ना० डी० एम० के० ब्राह्मण विरोधी या गैर-ब्राह्मण के दल हैं।

3. धर्म-धर्म भी क्षेत्रीय दलों के निर्माण का एक महत्त्वपूर्ण कारण है।

4. आर्थिक पिछड़ापन-भारत के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में पाई जाने वाली आर्थिक असमानताओं ने असंतुष्ट लोगों को क्षेत्रीय दलों में संगठित होने के लिए प्रोत्साहित किया है।

प्रश्न 8.
भारत में दलगत व्यवस्था की कोई दो चनौतियां लिखिए।
उत्तर:

      • भारत में दलों के अन्दर संगठनात्मक चुनाव समय पर नहीं होते।
  • भारत में दलगत अनुशासनहीनता पाई जाती है।

प्रश्न 9.
प्रधानमन्त्री इन्दिरा गांधी की हत्या कब और किनके द्वारा की गई ?
उत्तर:
प्रधानमन्त्री इन्दिरा गांधी की हत्या 31 अक्तूबर, 1984 को उनके अंगरक्षकों द्वारा ही की गई।

प्रश्न 10.
भारत में उभरती क्षेत्रीय आकांक्षाओं से हमें क्या सीख मिलती है ?
उत्तर:

  • क्षेत्रीय आकांक्षाएं लोकतान्त्रिक राजनीति का अभिन्न अंग है।
  • क्षेत्रीय आकांक्षाओं का हल लोकतान्त्रिक संवाद से निकालना चाहिए।

प्रश्न 11.
धारा 370 किससे सम्बन्धित थी ?
उत्तर:
धारा 370 जम्मू-कश्मीर से सम्बन्धित थी। इस धारा के अन्तर्गत जम्मू-कश्मीर को अन्य राज्यों के मुकाबले विशेष दर्जा प्रदान किया गया था। जम्मू-कश्मीर का अपना संविधान था तथा अपना झण्डा था। भारतीय संविधान के सभी प्रावधान इस पर लागू नहीं होते। परन्तु 5-6 अगस्त, 2019 को धारा 370 को समाप्त कर दिया।

प्रश्न 12.
किन्हीं दो क्षेत्रीय दलों के नाम एवं उनके राज्य लिखिए।
अथवा
किन्हीं दो क्षेत्रीय दलों के नाम तथा उनसे सम्बन्धित राज्यों के नाम लिखें।
उत्तर:

  • नेशनल कान्फ्रेंस-यह दल जम्मू-कश्मीर राज्य में सक्रिय है।
  • डी० एम० के०-यह दल तमिलनाडु में सक्रिय है।

प्रश्न 13.
आस (AASU) का पूरा नाम लिखें।
उत्तर:
आसू (AASU) का पूरा नाम ऑल असम स्टूडेंटस यूनियन (All Asam Student Union) है।

प्रश्न 14.
1980 में अकाली दल की क्या मांगें थीं ?
उत्तर:

  • चण्डीगढ़ को पंजाब की राजधानी बनाया जाए।
  • दूसरे राज्यों के पंजाबी भाषी क्षेत्रों को पंजाब में मिलाया जाए।
  • पंजाब का औद्योगिक विकास किया जाए।
  • भाखड़ा-नंगल योजना पंजाब के नियन्त्रणाधीन हो।
  • देश के सभी गुरुद्वारे शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबन्धक कमेटी के प्रबन्ध में हों।

प्रश्न 15.
राजीव-लौंगोवाल समझौता कब हुआ ? इसका मुख्य उद्देश्य क्या था ?
अथवा
पंजाब समझौता कब हुआ? इसका क्या उद्देश्य था?
उत्तर:
राजीव-लौंगोवाल समझौता 24 जुलाई, 1985 को हुआ। इस समझौते का मुख्य उद्देश्य पंजाब में शान्ति स्थापित करना था।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 8 क्षेत्रीय आकांक्षाएँ

प्रश्न 16.
‘नक्सलवादी आन्दोलन’ क्या है ?
उत्तर:
सन् 1964 में साम्यवादी दल में फूट पड़ गई। दोनों दलों के संसदीय राजनीति में व्यस्त होने के कारण इन दलों के सक्रिय व संघर्षशील कार्यकर्ता दलों से अलग होकर जन कार्य करने लगे। सन् 1967 में बंगाल में साम्यवादी दल की सरकार बनी। इसी समय दार्जिलिंग में नक्सलवादी नामक स्थान पर किसानों ने विद्रोह कर दिया। यद्यपि पश्चिमी बंगाल की सरकार ने इसे दबा दिया। परंतु इस आंदोलन की प्रतिक्रिया पंजाब, उत्तर प्रदेश और कश्मीर में भी हुई। इससे नक्सलवादी आन्दोलन का विरोध किया गया जिसके परिणामस्वरूप मई, 1967 में भारी हिंसक घटनाएं हुईं। यह आन्दोलन तेज़ी से राज्य के अन्य क्षेत्रों में भी फैल गया।

प्रश्न 17.
श्रीमती इन्दिरा गांधी की मृत्यु कब हुई ?
उत्तर:
श्रीमती इन्दिरा गांधी की मृत्यु 31 अक्तूबर, 1984 को हुई।

प्रश्न 18.
किस स्थान पर हिन्दी को राजभाषा बनाने के खिलाफ आन्दोलन चला?
उत्तर:
तमिलनाडु में हिन्दी को राजभाषा बनाने के खिलाफ आन्दोलन चला।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. क्षेत्रवाद के उदय के मुख्य कारण हैं
(A) भौगोलिक एवं सांस्कृतिक कारण
(B) ऐतिहासिक कारण
(C) भाषावाद
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

2. निम्न में से कौन-सा क्षेत्रीय दल है ?
(A) डी० एम० के०
(B) अकाली दल
(C) तेलुगू देशम
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

3. डी० एम० के० पार्टी की स्थापना कब हुई ?
(A) 1956
(B) 1949
(C) 1955
(D) 1947
उत्तर:
(B) 1949

4. अन्ना डी० एम० के० पार्टी की स्थापना हुई
(A) 1972
(B) 1975
(C) 1967
(D) 1952
उत्तर:
(A) 1972

5. तेलगू देशम पार्टी की स्थापना कब हुई ?
(A) 1956
(B) 1977
(C) 1982
(D) 1961
उत्तर:
(C) 1982

6. शिरोमणि अकाली दल निम्नलिखित में से किस राज्य का प्रमुख क्षेत्रीय दल है ?
(A) जम्मू-कश्मीर
(B) पंजाब
(C) दिल्ली
(D) हरियाणा
उत्तर:
(B) पंजाब।

7. मास्टर तारा सिंह एवं सन्त फतेह सिंह इत्यादि ने किस वर्ष ‘पंजाबी सूबा’ की मांग के लिए आन्दोलन शुरू किया ?
(A) 1960
(B) 1965
(C) 1971
(D) 1963
उत्तर:
(A) 1960

8. शिरोमणि अकाली दल तथा जनसंघ ने किस वर्ष पंजाब में गठबन्धन सरकार का निर्माण किया ?
(A) 1967
(B) 1975
(C) 1952
(D) 1957
उत्तर:
(A) 1967

9. पंजाब समझौता कब हुआ ?
(A) 1971
(B) 1985
(C) 1988
(D) 2002
उत्तर:
(B) 1985

10. नेशनल कान्फ्रेंस सक्रिय क्षेत्रीय दल है
(A) हरियाणा में
(B) महाराष्ट्र में
(C) जम्मू-कश्मीर में
(D) लद्दाख में।
उत्तर:
(C) जम्मू-कश्मीर में।

11. निम्न में से कौन-सा राज्य उत्तर-पूर्वी क्षेत्र से सम्बन्धित है ?
(A) नागालैण्ड
(B) असम
(C) मणिपुर
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

12. असम गण परिषद् किस राज्य से सम्बन्धित है ?
(A) असम
(B) केरल
(C) त्रिपुरा
(D) मिजोराम।
उत्तर:
(A) असम।

13. श्रीमती इन्दिरा गांधी की हत्या कब हुई ?
(A) 1 जनवरी, 1986
(B) 30 जून, 1984
(C) 31 अक्तूबर, 1984
(D) 1 अगस्त, 1984
उत्तर:
(C) 31 अक्तूबर, 1984

14. भारत में राज्यों का पुनर्गठन किया गया है
(A) राजनीतिक आधार पर
(B) भाषाई आधार पर
(C) आर्थिक आधार पर
(D) धार्मिक आधार पर।
उत्तर:
(B) भाषाई आधार पर।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 8 क्षेत्रीय आकांक्षाएँ

15. भारत में कौन-सा भाषाई फार्मूला लागू किया गया है ?
(A) तीन-भाषाई फार्मूला
(B) दो-भाषाई फार्मूला
(C) एक-भाषाई फार्मूला
(D) चार-भाषाई फार्मूला।
उत्तर:
(A) तीन-भाषाई फार्मूला।

16. जम्मू एवं कश्मीर’ को भारतीय संविधान की किस धारा के द्वारा विशेष संवैधानिक दर्जा दिया गया था ?
(A) धारा 360
(B) धारा 365
(C) धारा 370
(D) धारा 3721
उत्तर:
(C) धारा 370

17. धारा 370 को कब समाप्त किया गया ?
(A) 5-6 अगस्त, 2019
(B) 5-6 अगस्त, 2018
(C) 5-6 अगस्त, 2017
(D) 5-6 अगस्त, 2016
उत्तर:
(A) 5-6 अगस्त, 2019

18. “Caste in Indian Politics” पुस्तक लिखी
(A) रजनी कोठारी ने
(B) पं० जवाहर लाल नेहरू
(C) मोरिस जोंस ने
(D) एंड्रे पेटीली (Andre Peteille) ने।
उत्तर:
(A) रजनी कोठारी ने।

19. निम्नलिखित में से कौन-सी भाषा भारत की सरकारी भाषा है ?
(A) इंग्लिश
(B) हिन्दी
(C) उर्दू
(D) संस्कृत।
उत्तर:
(B) हिन्दी।

20. भारतीय संघ के राज्यों की सरकारी भाषा निश्चित की जाती है
(A) संसद् द्वारा
(B) मन्त्रिमण्डल द्वारा
(C) मुख्यमन्त्री द्वारा
(D) राज्य विधानमण्डल द्वारा।
उत्तर:
(D) राज्य विधानमण्डल द्वारा।

21. भारतीय संविधान द्वारा कितनी भाषाओं को मान्यता दी गई है ?
(A) 18
(B) 25
(C) 17
(D) 22
उत्तर:
(D) 22

22. कौन-सा राज्य हिन्दी से अंग्रेजी को अधिक अधिमान देता है ?
(A) उत्तर प्रदेश
(B) मध्य प्रदेश
(C) तमिलनाडु
(D) बिहार।
उत्तर:
(C) तमिलनाडु।

23. डी० एम० के० एवं आल इंडिया अन्ना डी० एम० के० निम्नलिखित में से किस राज्य के महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय दल हैं ?
(A) आन्ध्र प्रदेश
(B) बिहार
(C) मध्य प्रदेश
(D) तमिलनाडु।
उत्तर:
(D) तमिलनाडु।

24. “भारत में नए संविधान का निर्माण करते समय सबसे प्रमुख कठिनाइयों में से एक भाषायी प्रदेशों की मांग को संतुष्ट करना तथा इसी प्रकार की दूसरी मांग को संतुष्ट करना होगा।” यह किसका कथन
(A) मोरिस जोन्स
(B) रजनी कोठारी
(C) बी० एन० राव
(D) श्री निवासन।
उत्तर:
(C) बी० एन० राव।

25. ‘मिजो नेशनल फ्रंट’ नामक पार्टी के संस्थापक निम्नलिखित में से कौन थे ?
(A) लालडेंगा
(B) बेअन्त सिंह
(C) पी० के० महन्त
(D) ममता बनर्जी।
उत्तर:
(A) लालडेंगा।

26. 1984 में ‘आपरेशन ब्लू-स्टार’ किस राज्य में चलाया गया ?
(A) बिहार
(B) पंजाब
(C) हरियाणा
(D) उड़ीसा।
उत्तर:
(B) पंजाब।

27. “भारत तो एक है, किंतु वे लोग कहां हैं, जिन्हें भारतीय कहा जा सके।” यह किसका कथन है ?
(A) पं० जवाहर लाल नेहरू
(B) श्री लाल बहादुर शास्त्री
(C) डॉ. राजेंद्र प्रसाद
(D) जय प्रकाश नारायण।
उत्तर:
(A) पं० जवाहर लाल नेहरू।

28. भारत में किस दशक को स्वायतत्ता की मांग के दशक के रूप में देखा जाता है ?
(A) 2000
(B) 1970
(C) 1980
(D) 1990
उत्तर:
(C) 1980

29. द्रविड़ आन्दोलन की बागडोर किसके हाथ में थी ?
(A) रामाराव
(B) करुणानिधि
(C) जयललिता
(D) ई० वी० रामास्वामी नायकर ‘पेरियार’।
उत्तर:

30. डी० एम० के० ने किस भाषा का विरोध किया ?
(A) पंजाबी
(B) अंग्रेज़ी
(C) हिन्दी
(D) तमिल।
उत्तर:
(C) हिन्दी।

31. नेशनल कान्फ्रेंस के किस नेता ने सन् 1974 में प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गांधी के साथ समझौता किया ?
(A) शेख अब्दुल्ला
(B) फारुख अब्दुल्ला
(C) कर्ण सिंह
(D) उमर अब्दुल्ला।
उत्तर:
(A) शेख अब्दुल्ला।

निम्न रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

(1) 1947 से पहले जम्मू-कश्मीर का शासक ……….. था।
उत्तर:
हरि सिंह

(2) नेशनल कांफ्रेंस ने ………….. के नेतृत्व में जन-आन्दोलन चलाया।
उत्तर:
शेख अब्दुल्ला

(3) ई० वी० रामास्वामी नायकर ………… के नाम से प्रसिद्ध थे।
उत्तर:
पेरियर

(4) ………… से जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी राजनीति ने सर उठाया।
उत्तर:
1989

(5)……….. के दशक को स्वायत्तता की मांग के दशक के रूप में देखा जा सकता है।
उत्तर:
1980

(6) 1966 में पंजाब और …………. के नाम के राज्य बनाए गए।
उत्तर:
हरियाणा

(7) धारा 370…………. राज्य से सम्बन्धित थी।
उत्तर:
जम्मू-कश्मीर

(8)…………. दक्षिण भारत का सबसे बड़ा आन्दोलन माना जाता है।
उत्तर:
द्रविड़ आन्दोलन

(9) 1984 में हरिमंदिर साहिब में हुई सैनिक कार्यवाही को ……….. के नाम से जाना जाता है।
उत्तर:
आप्रेशन बलू स्टार

(10) अक्तूबर, 1984 में प्रधानमन्त्री ………….. की हत्या की गई।
उत्तर:
श्रीमती इन्दिरा गांधी

एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
भारत में कौन-सा भाषाई फार्मूला लागू किया गया है ?
उत्तर:
भारत में त्रि-भाषाई फार्मूला लागू किया गया है।

प्रश्न 2.
नेशनल कांफ्रैंस कहां पर सक्रिय क्षेत्रीय दल है ?
उत्तर:
नेशनल कांफ्रैंस जम्मू-कश्मीर में सक्रिय क्षेत्रीय दल है।

प्रश्न 3.
बोडो आन्दोलन किस राज्य में चलाया गया ?
उत्तर:
बोडो आन्दोलन असम में चलाया गया।

प्रश्न 4.
5 जून, 1984 को ऑपरेशन ब्लूस्टार किस राज्य में चलाया गया था ?
उत्तर:
पंजाब में।

प्रश्न 5.
जम्मू कश्मीर को किस धारा के द्वारा विशेष संवैधानिक दर्जा दिया गया था ?
उत्तर:
संविधान की धारा 370 के द्वारा।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 8 क्षेत्रीय आकांक्षाएँ

प्रश्न 6.
तेलुगू देशम पार्टी किस राज्य का क्षेत्रीय दल है?
उत्तर:
आन्ध्र प्रदेश का।

प्रश्न 7.
धारा 370 किससे सम्बन्धित थी?
उत्तर:
जम्मू-कश्मीर से।

प्रश्न 8.
राजीव-लोगोंवाल समझौता कब हुआ?
उत्तर:
24 जुलाई, 1985 को।

प्रश्न 9.
1947 से पहले जम्मू-कश्मीर का शासक कौन था?
उत्तर:
1947 से पहले जम्मू-कश्मीर का शासक हरि सिंह था।

प्रश्न 10.
5 जून, 1984 को ऑपरेशन ब्लू स्टार किस राज्य में चलाया गया था?
उत्तर:
पंजाब में।

प्रश्न 11.
तमिलनाडु में कौन-से क्षेत्रीय दल की सरकार है ?
उत्तर:
तमिलनाडु में अन्नाद्रुमुक की सरकार है।

प्रश्न 12.
‘आनन्दपुर साहिब प्रस्ताव’ कब पास किया गया ?
उत्तर:
सन् 1973 में।

प्रश्न 13.
‘मिजो नेशनल फ्रंट’ नामक पार्टी के संस्थापक कौन थे ?
उत्तर:
‘मिजो नेशनल फ्रंट’ नामक पार्टी की स्थापना लाल डेंगा ने की थी।

प्रश्न 14.
डी० एम० के० तथा ए० आई० डी० एम० के० किस राज्य के महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय दल हैं ?
उत्तर:
तमिलनाडु।

प्रश्न 15.
भाषा के आधार पर पंजाब राज्य का पुनर्गठन कब हुआ ?
उत्तर:
सन् 1966 में।

प्रश्न 16.
उत्तराखण्ड, झारखण्ड एवं छत्तीसगढ़ राज्यों का गठन कब हुआ ?
उत्तर:
सन् 2000 में।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 8 क्षेत्रीय आकांक्षाएँ Read More »

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 8 सामाजिक आंदोलन

Haryana State Board HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 8 सामाजिक आंदोलन Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Sociology Important Questions Chapter 8 सामाजिक आंदोलन

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. समाज की कुरीतियां दूर करने के लिए कौन-सा आंदोलन शुरू होता है?
(A) समाज सुधार आंदोलन
(B) अभिव्यक्ति आंदोलन
(C) क्रांतिकारी आंदोलन
(D) क्रांतिकारी आंदोलन।
उत्तर:
समाज सुधार आंदोलन।

2. समाज सुधार आंदोलन का मुख्य उद्देश्य क्या होता है?
(A) समाज की व्यवस्था को बदलना
(B) समाज से कुरीतियों को दूर करना
(C) वर्तमान व्यवस्था को उखाड़ फेंकना
(D) कोई नहीं।
उत्तर:
समाज से कुरीतियों को दूर करना।

3. राजनीतिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए चलाए गए आंदोलन को क्या कहते हैं?
(A) सांस्कृतिक आंदोलन
(B) अभिव्यक्ति आंदोलन
(C) राजनीतिक आंदोलन
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
राजनीतिक आंदोलन।

4. इनमें से कौन-सी सामाजिक आंदोलन की विशेषता है?
(A) यह हमेशा समाज विरोधी होते हैं
(B) यह हमेशा नियोजित होते हैं
(C) इनका उद्देश्य समाज में सुधार लाना होता है
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 8 सामाजिक आंदोलन

5. इनमें से कौन-सी सुधार आंदोलन की विशेषता है?
(A) प्राचीन सामाजिक व्यवस्था में सुधार लाना
(B) इनकी गति काफी धीमी होती है
(C) इसमें शांतिपूर्ण ढंग प्रयोग होते हैं
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

6. सामाजिक आंदोलनों से भारतीय समाज में क्या परिवर्तन आए?
(A) सती प्रथा का खात्मा
(B) पर्दा प्रथा का खात्मा
(C) विधवा विवाह शुरू होना
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

7. जब आंदोलन करने वाला व्यक्ति अपने भीतर में अंसतोष को किसी दूसरे माध्यम से प्रकट करे तो उसे क्या कहते हैं?
(A) अभिव्यक्ति आंदोलन
(B) राजनीतिक आंदोलन
(C) सुधार आंदोलन
(D) अवरोधक आंदोलन।
उत्तर:
अभिव्यक्ति आंदोलन।

8. अमेरिका में 1950 तथा 1960 के दशकों में कौन-सा सामाजिक आंदोलन चला?
(A) समाजवादी आंदोलन
(B) नागरिक अधिकार आंदोलन
(C) महिला अधिकार आंदोलन
(D) सामाजिक आंदोलन।
उत्तर:
नागरिक अधिकार आंदोलन।

9. चिपको आंदोलन में किसने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी थी?
(A) सुंदर लाल बहुगुणा
(B) लाल बहादुर शास्त्री
(C) मेधा पाटकर
(D) अरुंधति राय।
उत्तर:
सुंदर लाल बहुगुणा।

10. प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक शोषण के विरुद्ध कौन-से आंदोलन चले थे?
(A) कामगारों के आंदोलन
(B) दलितों के आंदोलन
(C) कृषक आंदोलन
(D) पारिस्थितिकीय आंदोलन।
उत्तर:
पारिस्थितिकीय आंदोलन।

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जनजातीय आंदोलन क्यों शुरू हुए थे?
उत्तर:
जनजातीय आंदोलन अपनी संस्कृति को बचाने के लिए शुरू हुए थे ताकि वह औरों की संस्कृति में न मिल जाएं।

प्रश्न 2.
आधुनिक भारत का पिता (Father of Modern India) किसे कहा जाता है?
उत्तर:
राजा राममोहन राय को आधुनिक भारत का पिता (Father of Modern India) कहा जाता है।

प्रश्न 3.
समाज सुधार क्या होता है?
उत्तर:
जब समाज में चल रही कुरीतियों के विरुद्ध समाज के समझदार व्यक्ति कोई आंदोलन करें तथा उन कुरीतियों को बदलने का प्रयास करें तो उसे समाज सुधार कहते हैं।

प्रश्न 4.
समाज सुधार में गतिशीलता क्यों होती है?
उत्तर:
समाज सुधार में गतिशीलता इसलिए होती है क्योंकि समाज सुधार सभी समाजों तथा सभी युगों में एक समान नहीं होता। इसलिए यह गतिशील है।

प्रश्न 5.
समाज कल्याण क्या होता है?
उत्तर:
समाज कल्याण में उन संगठित सामाजिक कोशिशों या प्रयासों को शामिल किया जाता है जिनकी मदद से समाज के सारे सदस्यों को अपने आप को ठीक तरीके से विकसित करने की सुविधाएं मिलती हैं। समाज कल्याण के कार्यों में निम्न था पिछड़े वर्गों की तरफ विशेष ध्यान दिया जाता है ताकि समाज का हर तरफ से विकास तथा कल्याण हो सके।

प्रश्न 6.
समाज कल्याण के क्या उद्देश्य होते हैं?
उत्तर:

  1. पहला उद्देश्य यह है कि समाज के सदस्यों के हितों की पूर्ति उनकी ज़रूरतों के अनुसार होतो हैं।
  2. ऐसे सामाजिक संबंध स्थापित करना जिससे लोग अपनी शक्तियों का पूरी तरह विकास कर सके हैं।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 8 सामाजिक आंदोलन

प्रश्न 7.
भारत के आज़ादी के आंदोलन से हमें क्या मिला?
उत्तर:
भारत के आज़ादी के आंदोलन से हमें आजादी मिली। इस आंदोलन में भारत की सारी जनता बगैर किसी भेदभाव के एक-दूसरे से कंधे से कंधा मिलाकर लड़ी जिस वजह से उनमें राष्ट्रीयता की भावना का विकास हुआ। निम्न जातियों में भी चेतना आई तथा वह उच्च जातियों के समाज के समान खड़े हो गए।

प्रश्न 8.
किन्हीं तीन समाज सुधारकों के नाम बताओ।
उत्तर:

  1. राजा राममोहन राय
  2. सर सैयद अहमद खान
  3. स्वामी दयानंद सरस्वती
  4. स्वामी विवेकानंद।

प्रश्न 9.
बेसिक शिक्षा की धारणा किसने दी थी?
उत्तर:
बेसिक शिक्षा की धारणा महात्मा गांधी ने 1937 में दी थी।

प्रश्न 10.
समाज कल्याण तथा समाज सुधार में कोई मुख्य फर्क बताओ।
उत्तर:
समाज कल्याण तथा समाज सुधार में मुख्य फर्क यह है कि समाज कल्याण में समाज की निम्न जातियों, पिछड़े वर्गों के सर्वांगीण विकास के लिए कार्य किए जाते हैं जबकि समाज सुधार में समाज में फैली हुई कुरीतियों को दूर कर उनमें बदलाव लाने के प्रयास किए जाते हैं।

प्रश्न 11.
राजनीतिक आंदोलन क्या होता है?
उत्तर:
जो आंदोलन राजनीतिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए चलाए जाएं उन्हें राजनीतिक आंदोलन कहते हैं। जैसे भारत की आजादी का आंदोलन।

प्रश्न 12.
सांस्कृतिक आंदोलन क्या होता है?
उत्तर:
जो आंदोलन अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए चलाया जाए उसे सांस्कृतिक आंदोलन कहते हैं। जैसे जनजातीय आंदोलन।

प्रश्न 13.
आज़ादी से पहले जाति आंदोलन क्यों चलाए गए थे?
उत्तर:

  1. आजादी से पहले जाति आंदोलन इसलिए चलाए गए थे ताकि ब्राह्मणों की और जातियों के ऊपर श्रेष्ठता का विरोध किया जा सके।
  2. जाति स्तरीकरण में अपनी जाति की स्थिति को ऊपर उठाया जा सके।

प्रश्न 14.
भगत आंदोलन क्या होता है?
उत्तर:
भारत में निम्न जातियां उच्च जातियों के विचारों, तौर-तरीकों, व्यवहारों का अनुसरण करती हैं। इस प्रकार की रुचि तथा अनुसरण की प्रक्रिया को भगत आंदोलन कहते हैं।

प्रश्न 15.
सुधार आंदोलनों को सामाजिक आंदोलन क्यों कहते हैं?
उत्तर:
असल में सुधार आंदोलनों का मुख्य उद्देश्य समाज में पाई जाने वाली धार्मिक तथा सामाजिक कुरीतियों को दूर करना था इसलिए इन आंदोलनों को सामाजिक आंदोलन कहते हैं।

प्रश्न 16.
भारत में समाज सुधार आंदोलन क्यों शुरू हुए?
उत्तर:
अंग्रेजों के आने के बाद भारत में पश्चिमी शिक्षा का प्रसार हुआ। इस शिक्षा को ग्रहण करते-करते समाज के बहुत से सुलझे हुए लोगों को पता चला कि उनके समाज में जो रीतियां, जैसे सती प्रथा, बाल विवाह इत्यादि चल रही हैं। वह असल में रीतियां नहीं बल्कि कुरीतियां हैं। उन्हें पश्चिमी देशों में जाने तथा वहां के लोगों से बातें करने का मौका मिला जिससे उनकी आँखें खुल गईं तथा अपने समाज में फैली कुरीतियों, कुप्रथाओं, अंधविश्वासों को दूर करने के लिए सुधार आंदोलन चल पड़े।

प्रश्न 17.
गतिशीलकरण संसाधन (Resource Mobilisation) का क्या अर्थ है?
उत्तर:
गतिशीलकरण संसाधन एक विधि है जिसमें किसी सामाजिक आंदोलन को राजनीतिक प्रभाव, धन, मीडिया तक पहुंच तथा लोगों के सहयोग से शक्ति प्राप्त होती है।

प्रश्न 18.
प्रतिदानात्मक अथवा रूपांतरणकारी आंदोलन का क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
प्रतिदानात्मक अथवा रूपांतरणकारी सामाजिक आंदोलन वह सामाजिक आंदोलन होते हैं जिनका मुख्य उद्देश्य अपने व्यक्तिगत सदस्यों की व्यक्तिगत चेतना तथा गतिविधियों में परिविर्तन लाना होता है। उदाहरण के लिए केरल के इजहावा समुदाय के लोगों ने नारायण गुरु के नेतृत्व में अपनी सामाजिक प्रथाओं को परिवर्तित किया।

प्रश्न 19.
सुधारवादी आंदोलन कौन-से होते हैं?
अथवा
सुधार आंदोलन से आप क्या समझते हैं?
अथवा
सुधारवादी सामाजिक आंदोलन क्या है?
उत्तर:
उन आंदोलनों को सुधारवादी आंदोलन कहा जाता है जो वर्तमान सामाजिक तथा राजनीतिक विन्यास को धीमे प्रगतिशील चरणों द्वारा बदलने का प्रयास करता है। उदाहरण के लिए. 1960 के दशक में भारत के राज्यों को भाषा के आधार पर पुनर्गठित करने अथवा हाल के सूचना के अधिकार का अभियान।

प्रश्न 20.
क्रांतिकारी सामाजिक आंदोलन क्या हैं?
उत्तर:
क्रांतिकारी सामाजिक आंदोलन सामाजिक संबंधों के आमूल रूपांतरण का प्रयास करते हैं, आम तौर पर राजसत्ता पर अधिकार के द्वारा। उदाहरण के लिए 1789 की फ्रांसीसी क्रांति तथा 1919 की रूस की बोल्शेविक क्रांति।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 8 सामाजिक आंदोलन

प्रश्न 21.
सामाजिक आंदोलनों का सापेक्षिक वचन का सिद्धांत क्या है?
उत्तर:
सामाजिक आंदोलनों के सापेक्षिक वचन के सिद्धांत के अनुसार सामाजिक संघर्ष उस समय उत्पन्न होता है जब एक सामाजिक समूह यह अनुभव करे कि वह अपने इर्द-गिर्द के अन्य व्यक्तियों से खराब स्थिति में है। ऐसा संघर्ष सफल सामूहिक विरोध के रूप में सामने आ सकता है।

प्रश्न 22.
पारिस्थितिकीय आंदोलन क्यों चलाए गए थे?
उत्तर:
आधुनिक काल में विकास पर अधिक बल दिया गया जिस कारण प्राकृतिक संसाधनों का अनियंत्रित उपयोग हुआ तथा प्राकृतिक संसाधनों का अत्याधिक शोषण हुआ है। यह एक चिंता का विषय बन गया तथा पारिस्थितिकीय आंदोलन इस कारण ही चलाए गए थे।

प्रश्न 23.
स्वतंत्रता से पहले किसान आंदोलन क्यों चलाए गए थे?
उत्तर:
वैसे तो स्वतंत्रता से पहले चले हरेक किसान आंदोलन की प्रकृति अलग-अलग थी परंतु मुख्यता इनकी मुख्य मांग थी कि किसानों, कामगारों तथा अन्य सभी वर्गों को आर्थिक शोषण से मुक्ति मिल सके।

प्रश्न 24.
औपनिवेशिक काल में कामगारों के आंदोलन क्यों चले थे?
उत्तर:
औपनिवेशिक काल की प्रारंभिक अवस्थाओं में मजदूरी काफ़ी सस्ती थी क्योंकि औपनिवेशिक सरकार ने उनके वेतन तथा कार्य दशाओं के लिए कोई नियम नहीं बनाए थे। इस प्रकार मजदूरों को मालिकों के शोषण से बचाने के लिए कामगारों में आंदोलन चलाए गए थे।

प्रश्न 25.
मज़दूर आंदोलन की क्या हानियां हैं?
उत्तर:

  1. मज़दूर आंदोलन से उत्पादन बंद हो जाता है जिससे महँगाई बढ़ जाती है।
  2. अगर देश में मजदूर आंदोलन बार-बार होने लग जाए तो उससे विदेशी निवेश पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 26.
महिला आंदोलन से महिलाओं की स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
महिला आंदोलन महिलाओं में चेतना जगाने तथा उनके अधिकारों की प्राप्ति के लिए चलाया जाता है। इससे उन्हें कई प्रकार के अधिकार प्राप्त हो जाते हैं तथा समाज में उनकी स्थिति उच्च हो जाती है।

प्रश्न 27.
महिला आंदोलन से समाज पर क्या प्रभाव पड़ते हैं?
उत्तर:
महिला आंदोलन से समाज में परिर्वन आ जाता है। महिलाओं को आंदोलन के कारण अधिकार मिल जाते हैं जिससे उनकी स्थिति उच्च हो जाती है। इससे सामाजिक संस्थाओं विवाह, परिवार के स्वरूप में परिवर्तन आ जाता है तथा समाज में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ जाता है।

प्रश्न 28.
किसान आंदोलन क्या होते हैं?
उत्तर:
किसानों से संबंधित मुद्दे उठाने के लिए जो आंदोलन चलाए जाते हैं उन्हें किसान आंदोलन कहते हैं। उदाहरण के लिए गांधी जी द्वारा चलाया गया चंपारन सत्याग्रह।

प्रश्न 29.
स्वतंत्रता के पश्चात् हुए किसी महिला आंदोलन के बारे में बताएं।
उत्तर:
1970 के दशक के प्रारंभ में बिहार में छात्र अंसतोष उभरा जिसने जयप्रकाश नारायण की संपूर्ण क्रांति के आह्वान का समर्थन किया जिनके अनेक मुद्दे महिलाओं से संबंधित थे जैसे परिवार, कार्य वितरण, पारिवारिक हिंसा, पुरुष तथा स्त्रियों द्वारा संसाधनों पर असमान पहुँच इत्यादि।

प्रश्न 30.
भारत में अपराध के कोई तीन कारण बताइये।
उत्तर:

  1. लोग निर्धनता के कारण अपराध करते हैं।
  2. जायदाद प्राप्ति के लिए भी अपराध किए जाते हैं।
  3. कई लोगों को अपराध करने में मज़ा आता है।

प्रश्न 31.
बाल न्याय अधिनियम के तहत बाल अपराधी की कितनी आयु निर्धारित की गई है?
उत्तर:
इस अधिनियम के तहत बाल अपराधी की आयु 16 वर्ष निर्धारित की गई है।

प्रश्न 32.
किन्हीं दो मुस्लिम आंदोलनों के नाम लिखें।
उत्तर:
खिलाफ़त आंदोलन तथा सर सैय्यद अहमद खान द्वारा चलाया गया सुधार आंदोलन।

प्रश्न 33.
किन्हीं दो सिक्ख आंदोलनों के नाम लिखिए।
उत्तर:
गुरुद्वारा आंदोलन तथा पंजाबी सूबे के लिए आंदोलन।

प्रश्न 34.
बाल अपराध क्या है?
उत्तर:
एक निश्चित आयु से नीचे अपराध करने वाले अपराध को बाल अपराध कहा जाता है।

प्रश्न 35.
सामाजिक विचलन क्या है?
उत्तर:
जब सामाजिक व्यवस्था में अव्यवस्था फैल जाए, आदर्शहीनता की स्थिति फैल जाए, आदर्श, नियम तथा प्रतिमान खत्म हो जाए तो इस स्थिति को सामाजिक विचलन कहा जाता है।

प्रश्न 36.
कोई दो प्रकार के सामाजिक आंदोलन बताइए।
उत्तर:
अभिव्यक्ति आंदोलन, क्रांतिकारी आंदोलन, सुधारात्मक आंदोलन इत्यादि।

प्रश्न 37.
भू-दान आंदोलन किसने चलाया?
उत्तर:
भू-दान आंदोलन आचार्य विनोबा भावे ने चलाया था।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
समाज सुधार आंदोलनों की मदद से हम क्या परिवर्तन ला सकते हैं?
उत्तर:
भारत एक कल्याणकारी राज्य है जिसमें हर किसी को समान अवसर उपलब्ध होते हैं। पर कल्याणकारी राज्य का उद्देश्य जनता के जीवन को सुखमय बनाना है। पर यह तभी संभव है अगर समाज में फैली हुई कुरीतियों तथा अंध-विश्वासों को दूर कर दिया जाए। इन को दूर सिर्फ समाज सुधारक आंदोलन ही कर सकते हैं। सिर्फ कानून बनाकर कुछ हासिल नहीं हो सकता। इसके लिए समाज में सुधार ज़रूरी हैं। कानून बना देने से सिर्फ कुछ नहीं होगा।

उदाहरण के तौर पर बाल विवाह, दहेज प्रथा, विधवा विवाह, बच्चों से काम न करवाना। इन सभी के लिए कानून हैं पर ये सब चीजें आम हैं। दहेज लिया दिया, यहां तक कि मांग कर लिया जाता है, बाल विवाह होते हैं, विधवा विवाह को अच्छी नज़र से नहीं देखा जाता। हमारे समाज के विकास में ये चीजें सबसे बड़ी बाधाएं हैं। अगर हमें समाज का विकास करना है तो हमें समाज सुधार आंदोलनों की ज़रूरत है। इसलिए हम समाज सुधार आंदोलनों के महत्त्व को भूल नहीं सकते।

प्रश्न 2.
सामाजिक आंदोलन की कोई चार विशेषताएं बताओ।
अथवा
सामाजिक आंदोलन के दो लक्षण बताएँ।
अथवा
सामाजिक आंदोलन के लक्षण बताइए।
उत्तर:

  1. सामाजिक आंदोलन हमेशा समाज विरोधी होते हैं।
  2. सामाजिक आंदोलन हमेशा नियोजित तथा जानबूझ कर किया गया प्रयत्न है।
  3. इसका उद्देश्य समाज में सुधार करना होता है।
  4. इसमें सामूहिक प्रयत्नों की ज़रूरत होती है क्योंकि एक व्यक्ति समाज में परिवर्तन नहीं ला सकता।

प्रश्न 3.
सामाजिक आंदोलन की किस प्रकार की प्रकृति होती है?
उत्तर:

  1. सामाजिक आंदोलन संस्थाएं नहीं होते हैं क्योंकि संस्थाएं स्थिर तथा रूढ़िवादी होती हैं तथा संस्कृति का ज़रूरी पक्ष मानी जाती हैं। यह आंदोलन अपना उद्देश्य पूरा होने के बाद खत्म हो जाते हैं।
  2. सामाजिक आंदोलन समितियां भी नहीं हैं क्योंकि समितियों का एक विधान होता है। यह आंदोलन तो अनौपचारिक, असंगठित तथा परंपरा के विरुद्ध होता है।
  3. सामाजिक आंदोलन दबाव या स्वार्थ समूह भी नहीं होते बल्कि यह आंदोलन सामाजिक प्रतिमानों में बदलाव की मांग करते हैं।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 8 सामाजिक आंदोलन

प्रश्न 4.
जनजातीय आंदोलन क्यों शुरू हुए थे?
अथवा
जनजातीय आंदोलनों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
अथवा
जनजातीय आंदोलन के बारे में संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
भारत के विभिन्न क्षेत्रों में सैंकड़ों जनजातियों के लोग रहते हैं। इनकी अपनी विशिष्ट जीवन शैली होती है। उनकी ज़रूरतें भी कम होती हैं। वह अपनी संस्कृति व अलग जनजातीय पहचान बनाए रखने के प्रति बहुत सचेत होते हैं। यदि जनजाति के सदस्यों को लगे कि उनकी संस्कृति से छेड़छाड़ की जा रही है, इसमें परिवर्तन करने की कोशिश की जा रही है या उनकी मांगों की अनदेखी की जा रही है या उनकी अपनी अलग पहचान बनाए रखने में कोई खतरा है तो वे आंदोलन का रास्ता अपना लेते हैं। इसके अलावा अन्य समुदायों, धर्मों तथा वर्गों के लोगों के प्रभाव के कारण निश्चित तरह के परिवर्तन की इच्छा से भी जनजातियों के लोग आंदोलन करने लगते हैं।

उदाहरण पर बिहार से झारखंड राज्य अलग करने की मांग को लेकर आंदोलन हुआ। बिरसा मुंडा ने मुंडा जनजाति में ईसाइयत के विरुद्ध आंदोलन चलाया। बिरसा को मुंडा जनजाति के लोग बिरसा भगवान् कहते थे। उसके कहने के फलस्वरूप इस जनजाति के उन लोगों, जिन्होंने ईसाई धर्म अपना लिया था, ने हिंदू धर्म को पुनः अपना लिया तथा मूर्ति पूजा, हिंदू कर्म-कांडों तथा रीति-रिवाजों का
पालन करने लगे।

प्रश्न 5.
भारत में समाज सुधार आंदोलन क्यों शुरू हए?
उत्तर:
भारत में समाज सुधार आंदोलन निम्नलिखित कारणों से शुरू हुए-

  • भारतीय समाज में फैली कुरीतियों को धर्म के साथ जोड़ा हुआ था।
  • समाज का जातीय आधार पर विभाजन था तथा जाति धर्म के आधार पर बनी हुई थी। जाति के नियमों को तोड़ना पाप माना जाता था।
  • भारतीय समाज में स्त्रियों की दशा काफ़ी निम्न थी जिस वजह से उनका कोई महत्त्व नहीं रह गया था।
  • भारतीय समाज में अशिक्षा का बोलबाला था।
  • जाति प्रथा, सती प्रथा, बाल विवाह, विधवा विवाह की मनाही इत्यादि बहुत-सी कुरीतियां समाज में फैली हुई थीं।

इन सब कारणों की वजह से शिक्षित समाज सुधारकों ने समाज सुधार करने की ठानी तथा समाज सुधार अंट लन शुरू हो गए।

प्रश्न 6.
आज़ादी से पहले चले सामाजिक आंदोलनों की विशेषताएं क्या थी?
उत्तर:
आज़ादी से पहले चले सामाजिक आंदोलनों की निम्नलिखित विशेषताएं थीं-

  • आजादी से पहले चले सामाजिक आंदोलनों की पहली विशेषता यह थी कि हिंदू धर्म को तार्किक रूप से स्थापित करना क्योंकि इसने मुस्लिम शासकों तथा अंग्रेजों के कई थपेड़ों को झेला था।
  • महिलाओं, हरिजनों तथा शोषित वर्गों को ऊपर उठाना ताकि यह वर्ग भी और वर्गों की तरह सर उठाकर जी सकें।
  • ये आंदोलन परंपरागत रूढ़िवादी विचारधाराओं को समाप्त करके उनकी जगह नयी व्यवस्था स्थापित करना चाहते थे।
  • ये आंदोलन जाति व्यवस्था की असमानता की बेड़ियों को तोड़कर समानता तथा भाईचारे की भावना को स्थापित करना चाहते थे।
  • ये आंदोलन भारतीय जनता में प्यार, भाईचारे, सहनशीलता, त्याग आदि भावनाओं का विकास करना चाहते थे।

प्रश्न 7.
क्रांतिकारी आंदोलन की क्या विशेषताएं होती हैं?
उत्तर:
क्रांतिकारी आंदोलन की निम्नलिखित विशेषताएं होती हैं-

  • क्रांतिकारी आंदोलन प्रचलित पुरानी व्यवस्था को उखाड़ कर उसकी जगह नयी व्यवस्था को लागू करना चाहते हैं।
  • क्रांतिकारी आंदोलन में हिंसात्मक तथा दबाव वाले तरीके अपनाए जाते हैं।
  • क्रांतिकारी आंदोलन हमेशा तभी चलाए जाते हैं जब सामाजिक बुराइयों को दूर करना हो।
  • क्रांतिकारी आंदोलन हमेशा निरंकुश शासन में तथा उसे खत्म करने के लिए चलाए जाते हैं।
  • क्रांतिकारी आंदोलनों में हमेशा उग्रता तथा तीव्रता पाई जाती है।

प्रश्न 8.
सुधारवादी आंदोलन की क्या विशेषताएं होती हैं?
उत्तर:
सुधारवादी आंदोलन की निम्नलिखित विशेषताएं होती हैं-

  • सुधारवादी आंदोलन प्राचीन सामाजिक व्यवस्था में सुधार करना चाहता है।।
  • सुधारवादी आंदोलनों की गति हमेशा धीमी होती है।
  • सुधारवादी आंदोलनों में हमेशा शांतिपूर्ण तरीके अपनाए जाते हैं तथा यह समाज में शांतिपूर्ण परिवर्तन के लिए चलाए जाते हैं।
  • यह आम तौर पर प्रजातांत्रिक देशों में पाया जाता है।

प्रश्न 9.
सामाजिक आंदोलन के लक्षण बताएँ।
उत्तर:

  • सामाजिक आंदोलन में एक लंबे समय तक लगातार सामूहिक गतिविधियों की ज़रूरत होती है। ऐसी गतिविधियां मुख्यतः राज्य के विरुद्ध होती हैं तथा राज्य की नीति तथा व्यवहार में परिवर्तन की मांग करती हैं।
  • सामाजिक आंदोलन आम तौर पर किसी जनहित के मामले में परिवर्तन लाने के उद्देश्य से उत्पन्न होते हैं ताकि जनता को उनके अधिकार प्राप्त हो सकें।
  • जहां विरोध सामूहिक गतिविधि का सबसे अधिक मूर्त रूप है, वहीं सामाजिक आंदोलन समान रूप से अन्य महत्त्वपूर्ण ढंगों से भी कार्य करता है।
  • सामाजिक आंदोलनों से परिवर्तन अचानक नहीं आते बल्कि धीरे-धीरे लंबे समय के बाद आते हैं।

प्रश्न 10.
नए सामाजिक आंदोलनों तथा पुराने सामाजिक आंदोलनों में भिन्नता बताएं।
उत्तर:

  • पुराने सामाजिक आंदोलन किसी-न-किसी राजनीतिक दल के दायरे में काम करते थे परंतु नए सामाजिक आंदोलन समाज में सत्ता के विवरण के बारे में न होकर जीवन की गुणवत्ता जैसे स्वच्छ पर्यावरण के बारे में थे।
  • पुराने सामाजिक आंदोलन समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर हटाना चाहते थे तथा शोषण से छुटकारा प्राप्त करना चाहते थे परंतु नए सामाजिक आंदोलन अच्छे जीवन स्तर की चाह में चलाए गए हैं।
  • पुराने सामाजिक आंदोलनों में सामाजिक दलों की केंद्रीय भूमिका थी परंतु आज के आंदोलन औपचारिक राजनीतिक व्यवस्था से छूट गए हैं तथा राज्य पर वे बाहर से दबाव डालते हैं।

प्रश्न 11.
चिपको आंदोलन के बारे में आप क्या जानते हैं?
अथवा
चिपको आंदोलन क्या था?
उत्तर:
चिपको आंदोलन 1970 के दशक में उत्तराखंड (उस समय उत्तर प्रदेश) के पहाड़ी इलाकों में शुरू हुआ। यहाँ के जंगल वहाँ पर रहने वाले गाँववासियों की रोजी-रोटी का साधन थे। लोग जंगलों से चीजें इकट्ठी करके अपना जीवन यापन करते थे। सरकार ने इन जंगलों को राजस्व प्राप्त करने के लिए ठेके पर दे दिया। जब लोग जंगलों से चीजें, लकड़ी इकट्ठी करने गए तो ठेकेदारों ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया क्योंकि ठेकेदार स्वयं जंगलों को काटकर पैसा कमाना चाहते थे।

कई गांवों के लोग इसके विरुद्ध हो गए तथा उन्होंने मिलकर संघर्ष करना शुरू कर दिया। जब ठेकेदार जंगलों के वृक्ष काटने आते तो लोग पेड़ों के इर्द-गिर्द लिपट जाते या चिपक जाते थे ताकि वह पेड़ों को न काट सकें। महिलाओं तथा बच्चों ने भी इस आंदोलन में बढ़-चढ़ कर भाग लिया। प्रमुख पर्यावरणवादी सुंदर लाल बहुगुणा भी इस आंदोलन से जुड़ गए। लोगों के पेड़ों से चिपकने के कारण ही इस आंदोलन को चिपको आंदोलन कहा गया। अंत में आंदोलन को सफलता प्राप्त हुई तथा सरकार ने हिमालयी क्षेत्र के पेड़ों की कटाई पर 15 वर्ष की रोक लगा दी।

प्रश्न 12.
क्या लोग किसी सामाजिक आंदोलन में हानि अथवा लाभ के विषय में सोचकर भाग लेते हैं अथवा व्यक्तिगत लाभ के विषय में तर्क संगत गणना करके भाग लेते हैं?
उत्तर:
जब लोग किसी सामाजिक आंदोलन में भाग लेते है तो वह किसी हानि या लाभ या व्यक्तिगत विषय के बारे में नहीं सोचते हैं। कोई सामाजिक आंदोलन किसी व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं बल्कि सामूहिक हितों के लिए चलाया जाता हैं तथा लोग बिना किसी लाभ हानि की भावना के उसमें भाग लेते है। उदाहरण के लिए हमारी स्वतंत्रता का आंदोलन।

अगर हमने, महात्मा गांधी ने व्यक्तिगत हितों के बारे में सोचा होता तो हमारा स्वतंत्रता संग्राम सफल न हो पाता। परंतु उन्होंने तथा अन्य लोगों ने देश के हितों तथा संपूर्ण जनता के विषय के बारे में सोचा तथा आंदोलन शुरू किया। उन्हें बहुत कठिनाइयां आयीं तथा उन्हें जेल भी जाना पड़ा। परंतु फिर भी वह अपने मार्ग पर जुटे रहे तथा देश को स्वतंत्र करवा कर ही दम लिया। इस प्रकार यह किसी व्यक्तिगत हित के लिए आंदोलन नहीं था
बल्कि समूह अथवा संपूर्ण जनता के हितों के लिए आंदोलन था।

प्रश्न 13.
अपने क्षेत्र में पर्यावरण प्रदूषण के कुछ उदाहरणों का पता लगाइए
उत्तर:
आजकल पर्यावरण प्रदूषण काफी हो रहा है तथा यह बहुत से कारकों के कारण होता है। जब कोई अनचाही वस्तु पर्यावरण में मिल जाए तो उसे पर्यावरण प्रदूषण कहते हैं। बहुत से ऐसे कारक हैं जो प्रदूषण फैलाते हैं। आजकल इतने अधिक वाहन हो गए हैं तथा वह इतना अधिक धआँ छोडते हैं कि पर्यावरण प्रदषण फैल ही जाता है। बड़े-बड़े कारखानों, उद्योगों की चिमनियों से निकलता धुआँ प्रदूषण फैलाता है। उद्योगों से निकला कचरा, गर्म पानी इत्यादि पर्यावरण प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है।

इनके साथ ही घरेलू प्रयोग किया हुआ पानी, साफ़ पानी में गंदा पानी फेंकना, उद्योगों का कचरा नदियों में फेंकना, भूक्षरण, खेतों में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग, उवर्रक बनाने के कारखाने, चमड़ा बनाने के कारखाने, कीटनाशक दवाएं बनाने के कारखाने काफ़ी अधिक प्रदूषण फैलाते हैं। दिल्ली जैसे शहर में 50 लाख से अधिक वाहन हैं तथा हम यह सोच सकते हैं कि वह कितना प्रदूषण फैलाते होंगे।

निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सामाजिक आंदोलन क्या होता है? इसके प्रकारों का वर्णन करो।
अथवा
सामाजिक आंदोलन के अर्थ व प्रकारों की व्याख्या करें।
अथवा
सामाजिक आंदोलन किसे कहते हैं?
अथवा
सामाजिक आंदोलन क्या है?
अथवा
समाज सुधार आंदोलनों का सविस्तार वर्णन कीजिए।
अथवा
सामाजिक आंदोलन क्या है? प्रमुख प्रकार के सामाजिक आंदोलनों का संक्षिप्त वर्णन करें।
अथवा
आंदोलन क्या है? सामाजिक आंदोलन कितने प्रकार के हैं?
उत्तर:
सामाजिक आंदोलन का अर्थ (Meaning of Social Movements)-किसी भी समाज में सामाजिक आंदोलन तब जन्म लेता है जब वहाँ के व्यक्ति समाज में पाई जाने वाली सामाजिक परिस्थितियों से असंतुष्ट होते हैं तथा उसमें परिवर्तन लाना चाहते हैं। किसी भी तरह का सामाजिक आंदोलन बिना किसी विचारधारा (Ideology के विकसित नहीं होता है।

कभी-कभी सामाजिक आंदोलन किसी परिवर्तन के विरोध के लिए भी विकसित होता है। प्रारंभिक समाज-शास्त्री सामाजिक आंदोलन को परिवर्तन लाने का एक प्रयास मानते थे, परंतु आधुनिक समाज शास्त्री, आंदोलनों को समाज में परिवर्तन करने या फिर उसे परिवर्तन को रोकने के रूप में लेते हैं। विभिन्न विचारकों ने अपने-अपने दृष्टिकोणों से सामाजिक आंदोलन को निम्नलिखित रूप से समझाने का प्रयास किया है

मैरिल एवं एल्ड्रिज (Meril and Eldridge) के अनुसार “सामाजिक आंदोलन रूढ़ियों में परिवर्तन के लिए अधिक या कम मात्रा में चेतन रूप से किये गये प्रयास हैं।” हर्टन व हंट (Hurton and Hunt) के शब्दों में ‘‘सामाजिक आंदोलन समाज अर्थात् उसके सदस्यों में परिवर्तन लाने या उसका विरोध करने का सामूहिक प्रयास है।”

रॉज (Rose) के शब्दानुसार, “सामाजिक आंदोलन सामाजिक लक्ष्य की प्राप्ति के लिए लोगों की एक बड़ी संख्या के एक औपचारिक संगठन को कहते हैं, जो अनेक व्यक्तियों के सामूहिक प्रयास से प्रभुत्ता संपन्न, संस्कृत स्कूलों संस्थाओं या एक समाज के विशिष्ट वर्गों को संशोधित अथवा स्थानांतरित करता है।

हरबर्ट ब्लूमर (Herbert Blumer) के अनुसार, “सामाजिक आंदोलन जीवन की एक नयी व्यवस्था को स्थापित करने के लिए सामूहिक प्रयास कहा जा सकता है।” उपर्यक्त परिभाषाओं के आधार पर यह कहा जा सकता है कि सामाजिक आंदोलन समाज में व्यक्तियों दवारा किया जाने वाला सामूहिक व्यवहार है, जिसका उद्देश्य प्रचलित संस्कृति एवं सामाजिक संरचना में परिवर्तन करना होता है या फिर हो रहे परिवर्तन को रोकना होता है। अतः सामाजिक आंदोलन को सामूहिक प्रयास और सामाजिक क्रिया के प्रयास के रूप में समझा जा सकता है।

सामाजिक आंदोलनों के प्रकार (Types of Social Movements)-हर्टन एवं हंट (Hurton and Hunt) के अनुसार, सामाजिक आंदोलन का वर्गीकरण सरल नहीं है। क्योंकि कभी-कभी कोई आंदोलन दो आंदोलनों के बीच की स्थिति का होता है अथवा अपने विकास के विभिन्न स्तरों पर एक ही आंदोलन विभिन्न प्रकृति का होता है। विभिन्न विचारकों ने सामाजिक आंदोलनों का वर्गीकरण अपने-अपने दृष्टिकोण से निम्नलिखित प्रकार से किया है-
1. विशेष सामाजिक आंदोलन (Special Social Movements)-विशेष या विशिष्ट सामाजिक आंदोलनों के उद्देश्य पहले से ही निर्धारित तथा संगठित होते हैं। इन आंदोलनों के संचालन में अनुभवी नेताओं का हाथ होता है। विशेष सामाजिक आंदोलन के अंतर्गत क्रांतिकारी व सुधारवादी आंदोलन मुख्य रूप से आते हैं।

2. सामान्य सामाजिक आंदोलन (General Social Movements)-सामान्य सामाजिक आंदोलनों का संबंध समाज में प्रचलित सांस्कृतिक मूल्यों से होता है। इस प्रकार के आंदोलन सांस्कृतिक मूल्यों में होने वाले धीरे-धीरे परिवर्तनों के कारण विकसित होते हैं क्योंकि इन्हीं आंदोलनों के कारण परिवर्तित मूल्य, विचार व विश्वास आरंभ में अस्पष्ट होते हैं। महिला आंदोलन, दलित आंदोलन इस श्रेणी के आंदोलनों में आते हैं।

3. अभिव्यक्ति आंदोलन (Expresive Movements)-अभिव्यक्तात्मक सामाजिक आंदोलनों का मुख्य उद्देश्य किसी भी विषय में सामूहिक असहमति को प्रतीक रूप में प्रकट करना होता है, हरबर्ट ब्लूमर (Herbert Blumers) ने इस प्रकार के आंदोलनों को दो भागों में बांटा है-धार्मिक आंदोलन या भाषा आंदोलन।

4. अवरोधक आंदोलन (Resistence Movements)-अवरोधक आंदोलन क्रांतिकारी आंदोलन के सर्वथा विपरीत है। यह उसका भिन्न रूप है। अवरोधक आंदोलन का उद्देश्य परिवर्तन को रोकना या समाप्त करना होता है जबकि क्रांतिकारी आंदोलन में परिवर्तन एकमात्र उद्देश्य माना गया है। भारतवर्ष में इस प्रकार के कई अवरोधक आंदोलन पाए हैं। भारत समाज में जब हिंदू कोड बिल विभिन्न अधिनियमों के रूप में पारित किया गया तो इस तरह के कई आंदोलन शुरू हो गये।

5. काल्पनिक आंदोलन (Utopian Movements) काल्पनिक आंदोलनों के अंतर्गत वह आंदोलन आते हैं, जो महान विचारकों या दार्शनिकों द्वारा अपने काल्पनिक और आदर्श समाज की रचना के लिए आरंभ किये जाते हैं। कार्ल मार्क्स का साम्यवादी आंदोलन, विनोबा भावे का ग्राम दान व भू-दान आंदोलन काल्पनिक आंदोलन के अंतर्गत ही आते हैं।

6. देशांतर आंदोलन (Migratory Movements)-देशांतर आंदोलन युद्ध, बाढ़, अकाल व महामारी के कारण पैदा होते हैं। इस प्रकार के आंदोलन के अंतर्गत जनसंख्या का एक स्थान से दूसरे स्थान पर हस्तांतरण होता है। एक क्षेत्र या देश के लोग व्यापक असंतोष के कारण सामूहिक रूप से दूसरे देश में जाकर रहने का फैसला करते हैं। भारत-विभाजन और बांग्लादेश का निर्माण देशांतर आंदोलन का ही रूप है।

7. क्रांतिकारी आंदोलन (Revolutionery Movements)-क्रांतिकारी आंदोलनों का मुख्य उद्देश्य प्रचलित सामाजिक व्यवस्था को उखाड़ कर उसके स्थान पर नयी व्यवस्था की स्थापना करना होता है। क्रांतिकारी आंदोलन हिंसात्मक एवं अहिंसात्मक दो तरह के होते हैं। ये आंदोलन समाज में पाये जाने वाले असंतोष के परिणामस्वरूप जन्म लेते हैं। Hurton & Hunt क्रांतिकारी आंदोलन को इस प्रकार परिभाषित करते हैं-क्रांतिकारी आंदोलन वर्तमान सामाजिक व्यवस्था को उखाड़ कर, उसके स्थान पर विभिन्न व्यवस्था को प्रतिस्थापित करना चाहता है। क्रांतिकारी आंदोलन की मुख्य विशेषताएं तीव्रता, उग्रता, अहिंसा व कभी-कभी हिंसा भी है।

8. सुधारात्मक आंदोलन (Reformative Movements)-सुधारात्मक आंदोलनों का मुख्य उद्देश्य सामाजिक व्यवस्था में पाई जाने वाली बुराइयों को दूर कर उनमें सुधार लाना होता है। भारतीय समाज में ब्रह्म समाज, आर्य समाज, रामकृष्ण मिशन और प्रार्थना समाजों की स्थापना इत्यादि सुधारवादी आंदोलनों के अंतर्गत ही आते हैं। सुधार आंदोलन प्रजातांत्रिक प्रणाली में ही विकसित हो सकते हैं क्योंकि इस प्रणाली में ही सरकार स्वयं नये परिवर्तन एवं सुधारों में रुचि रखती है तथा वहां की जनता को सत्ताधारी या सरकार की आलोचना का पूरा अधिकार होता है। बहुमत की इच्छा से सरकार परिवर्तन करती जाती है।

प्रश्न 2.
सामाजिक आंदोलनों से भारतीय समाज में क्या परिवर्तन आए? उनका वर्णन करो।
अथवा
सामाजिक आंदोलनों का भारतीय समाज पर क्या प्रभाव पड़ा? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
भारतीय समाज में 19वीं सदी आते-आते बहुत-सी कुरीतियां फैली हुई थीं। इन कुरीतियों ने भारतीय समाज को बुरी तरह जकड़ा हुआ था। इसी समय भारत के ऊपर अंग्रेज़ कब्जा कर रहे थे। इसके साथ-साथ वह पश्चिमी शिक्षा का प्रसार भी कर रहे थे। बहुत से अमीर भारतीय पश्चिमी शिक्षा ले रहे थे।

शिक्षा लेने के बाद जब वह भारत पहुंचे तो उन्होंने देखा कि भारतीय समाज बहुत-सी कुरीतियों में जकड़ा हुआ है। इसलिए उन्होंने सामाजिक आंदोलन चलाने का निर्णय लिया ताकि इन कुरीतियों को दूर किया जा सके। इन सामाजिक आंदोलनों की जगह जो परिवर्तन भारतीय समाज में आए उनका वर्णन निम्नलिखित है-

(i) सती–प्रथा का अंत (End of Sati System)-भारत में सती प्रथा सदियों से चली आ रही थी। अगर किसी औरत के पति की मृत्यु हो जाती थी तो उसे जिंदा ही पति की चिता में जलना पड़ता था। इस अमानवीय प्रथा को ब्राह्मणों ने चलाया हुआ था। सामाजिक आंदोलनों की वजह से ब्रिटिश सरकार इस अमानवीय प्रथा के विरुद्ध हो गई तथा उसने 1829 में सती प्रथा विरोधी अधिनियम पास कर दिया तथा सती प्रथा को गैर-कानूनी घोषित कर दिया। इस तरह सदियों से चली आ रही यह प्रथा खत्म हो गई। यह सब सामाजिक आंदोलन के कारण ही हुआ।

(ii) बाल-विवाह का खात्मा (End of Child Marriage)-बहुत-से कारणों की वजह से भारतीय समाज में बाल विवाह हो रहे थे। पैदा होते ही या 4-5 साल की उम्र में ही बच्चों का विवाह कर दिया जाता था चाहे उन को विवाह का मतलब पता हो या न हो। सामाजिक आंदोलनों की वजह से ब्रिटिश सरकार ने विवाह की न्यूनतम आयु निश्चित कर दी। 1860 में ब्रिटिश सरकार ने कानून बना कर विवाह की न्यूनतम आयु 10 वर्ष निश्चित कर दी।

(iii) विधवा-पुनर्विवाह (Widow Remarriage)-सदियों से हमारे समाज में विधवाओं को पुनर्विवाह की इजाजत नहीं थी। विधवाओं की स्थिति बहुत बदतर थी। उनको किसी पारिवारिक समारोह में भाग लेने की इजाजत नहीं थी। वह घुट-घुट कर मरती रहती थी। उनको अपनी जिंदगी आराम से जीने का अधिकार नहीं था।

ईश्वर चंद्र विद्यासागर की कोशिशों की वजह से अंग्रेजों ने 1856 में विधवा पुनर्विवाह अधिनियम पास किया जिससे विधवाओं को दोबारा विवाह करने की इजाजत मिल गई। इस तरह विधवाओं को कानूनी रूप से विवाह करने तथा अपनी जिंदगी आराम से जीने का अधिकार मिल गया।

(iv) पर्दा-प्रथा की समाप्ति (End of Purdah System)-मुस्लिमों में बरसों से पर्दा प्रथा चली आ रही थी। औरतों को हमेशा पर्दे के पीछे रहना पड़ता था। वह कहीं आ जा भी नहीं सकती थीं। यह प्रथा धीरे-धीरे सारे भारत में फैल गई। बड़े-बड़े समाज सुधारकों ने पर्दा प्रथा के विरुद्ध आवाज़ उठायी। यहां तक कि सर सैय्यद अहमद खान ने भी इसके विरुद्ध आवाज़ उठायी। इस तरह धीरे-धीरे पर्दा प्रथा कम होने लग गई तथा समय आने के साथ यह भी खत्म हो गई।

(v) दहेज-प्रथा में परिवर्तन (Change in Dowry System)-दहेज वह होता है जो विवाह के समय लड़की का पिता अपनी खुशी से लड़के वालों को देता था। धीरे-धीरे इसमें भी बुराइयां आनी शुरू हो गईं। लड़के वाले दहेज मांगने लगे जिस वजह से लड़की वालों को बहुत तकलीफें उठानी पड़ती थीं। इसके विरुद्ध भी आंदोलन चले जिस वजह से ब्रिटिश सरकार ने तथा आजादी के बाद 1961 में सरकार ने दहेज लेने या देने को गैर-कानूनी घोषित कर दिया।

(vi) भारतीय समाज में बहुत समय से अस्पृश्यता चली आ रही थी। इसमें छोटी जातियों को स्पर्श भी नहीं किया जाता था। इन सामाजिक आंदोलनों में अस्पृश्यता के विरुद्ध आवाज़ उठी। जिस वजह से इसे गैर-कानूनी घोषित करने के लिए वातावरण तैयार हो गया तथा आज़ादी के बाद इसे गैर-कानूनी घोषित कर दिया गया।

(vii) भारतीय समाज में अंतर्जातीय विवाह पर प्रतिबंध था। इन सामाजिक आंदोलनों की वजह से अंतर्जातीय विवाह को बल मिला जिस वजह से आजादी के बाद इसे भी कानूनी मंजूरी मिल गई।

(vii) इन आंदोलनों की वजह से भारतीय समाज के आधार जाति व्यवस्था पर गहरी चोट लगी। सभी आंदोलनों ने जाति प्रथा के विरुद्ध आवाज़ उठायी जिस वजह से धीरे-धीरे जाति व्यवस्था खत्म होने लगी तथा आज भारत में जाति व्यवस्था अपनी आखिरी कगार पर खड़ी है।

(ix) सभी सामाजिक आंदोलन एक बात पर तो ज़रूर सहमत थे तथा वह थी स्त्री शिक्षा। हमारे समाज में स्त्रियों का स्तर काफ़ी निम्न था। उनको किसी भी चीज़ का अधिकार प्राप्त नहीं था। इन सभी आंदोलनों ने स्त्री शिक्षा के लिए कार्य किए जिस वजह से स्त्री शिक्षा को विशेष बल मिला। आज उसी वजह से स्त्री-पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़ी है। इन सब चीज़ों को देखकर यह स्पष्ट है कि भारत में 19वीं सदी से शुरू हुए सामाजिक आंदोलनों की वजह से भारतीय समाज में बहुत-से परिवर्तन आए।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 8 सामाजिक आंदोलन

प्रश्न 3.
भारत में समाज सुधारक आंदोलन चलाने के लिए क्या सहायक हालात थे?
उत्तर:
भारत में सदियों से बहुत-सी कुरीतियां चली आ रही थीं। भारतीयों को इन कुरीतियों में पिसते-पिसते सदियां हो चली थी पर भारतीय इनमें पिसते ही जा रहे थे तथा इनके खिलाफ कोई आवाज़ भी उठ नहीं रही थी। 18वीं सदी के आखिरी दशकों में अंग्रेजों ने भारत पर हकूमत करनी शुरू की। इसके साथ-साथ उन्होंने भारत में पश्चिमी शिक्षा का प्रसार भी शुरू किया।

भारतीयों ने पश्चिमी शिक्षा ग्रहण करनी शुरू की तथा धीरे-धीरे उन्हें समझ आनी शुरू हो गई कि भारतीय समाज में जो प्रथाएं चल रही हैं वह सब बेफिजूल की हैं जो कि ब्राह्मणों ने अपना स्वामित्व स्थापित करने के लिए चलाई थीं। जब अंग्रेजों ने भारत पर हकूमत करनी शुरू की तो उस समय भारत में कुछ ऐसे हालात पैदा हो गए जिनकी वजह से भारत में समाज सुधारक आंदोलनों की शुरुआत हुई। इन हालातों का वर्णन निम्नलिखित हैं-
(i) पश्चिमी शिक्षा (Western Education)-अंग्रेजों के भारत आने के बाद भारत में पश्चिमी शिक्षा का प्रसार भी शुरू हुआ। पश्चिमी शिक्षा प्राप्त करने के साथ-साथ उन्हें विज्ञान के बारे में यूरोप की प्रगति के बारे में भी पता चला। इस पश्चिमी शिक्षा प्राप्त करने का यह असर हुआ कि उनको पता चलने लग गया कि उनके समाज में जो प्रथाएं चल रही हैं उनका कोई अर्थ नहीं है। यही वजह है कि उन्होंने देश में सामाजिक आंदोलन चलाने शुरू किए और सामाजिक परिवर्तन आने शुरू हो गए।

(ii) यातायात के साधनों का विकास (Development of Means of Transport) अंग्रेज़ों ने भारत में चाहे अपने फायदे के लिए यातायात के साधनों का विकास किया पर उससे भारतीयों को भी बहुत फायदा हुआ। भारतीय इन यातायात के साधनों की वजह से एक-दूसरे के आगे आए तथा एक-दूसरे से मिलने लगे। पश्चिमी शिक्षा ग्रहण कर चुके भारतीय भी देश के कोने-कोने पहुँचे तथा उन्होंने लोगों को समझाया कि यह सब प्रथाएं उनके फायदे के लिए नहीं बल्कि नुकसान के लिए हैं जिससे लोगों को यह समझ आने लग गया। इस तरह यातायात के साधनों के विकास के साथ भी आंदोलनों के लिए हालात विकसित हुए।

(iii) भारतीय प्रेस की शुरुआत (Indian Press)-अंग्रेज़ों के आने के बाद भारत में प्रैस की शुरुआत हुई। दोलनों के संचालकों ने लोगों को समझाने के साथ छोटे-छोटे अखबार तथा पत्रिकाएं निकालनी भी शुरू की ताकि य इनको पढ़कर समझ सकें कि ये बुराइयां हमारे समाज में कितनी गहरी पैठ बना चुकी हैं तथा इनको यहां से निकालना बहुत ज़रूरी है। इस तरह प्रैस की शुरुआत ने भारतीयों को यह समझा दिया कि इन कुरीतियों को दूर करना कितना ज़रूरी है।

(iv) मिशनरियों का बढ़ता प्रभाव (Increasing Effect of Missionaries)-जब से अंग्रेज़ भारत में आए उन्होंने ईसाई मिशनरियों को भी सहायता देनी शुरू की। अंग्रेजों ने इनको आर्थिक सहायता के साथ राजनीतिक सहायता भी देनी शुरू की। इन मिशनरियों का कार्य ईसाई धर्म का प्रचार करना था पर इनका प्रचार करने का तरीका अलग था।

वह पहले समाज कल्याण का कार्य करते थे। लोगों की तकलीफ दूर करते थे फिर इनमें ईसाई धर्म का प्रचार करते थे। धीरे-धीरे लोग ईसाई धर्म को अपनाने लग गए। इससे समाज सुधारकों को बड़ी निराशा हुई क्योंकि भारतीय लोग अपना धर्म छोड़ कर विदेशी धर्म अपनाने लग गए थे। इन समाज सुधारकों ने भारतीयों को मिशनरियों के प्रभाव से बचाने के लिए समाज सुधारक आंदोलन चलाने शुरू कर दिए। इस तरह ईसाई मिशनरियों के प्रभाव की वजह से भी यह आंदोलन शुरू हो गए।

(v) बहुत ज्यादा कुप्रथाएं (So many ills in Indian Society)-जिस समय भारत में सुधार आंदोलन शुरू हुए उस समय भारतीय समाज में बहुत-सी कुप्रथाएं फैली हुई थीं। सती प्रथा, बाल विवाह, विधवा विवाह पर प्रतिबंध, दहेज प्रथा, अस्पृश्यता इत्यादि कुप्रथाएं तथा इनके साथ जुड़े हुए बहुत से अंधविश्वास भी भारतीय समाज में फैले हुए थे। लोग भी इन सब से तंग आ चुके थे। जब यह आंदोलन शुरू हुए तो लोगों ने इन सुधारों को हाथों हाथ लिया जिस वजह से इन आंदोलनों को अच्छे हालात मिल गए तथा यह समाज सुधार के आंदोलन सफल हो गए।

प्रश्न 4.
भारत में महिलाओं में चले सुधार आंदोलन का वर्णन करो।
अथवा
महिला आंदोलनों की व्याख्या करें।
अथवा
स्वतः स्फूर्त महिला आंदोलन का उदय किस प्रकार हुआ?
उत्तर:
भारतीय समाज में समय-समय पर अनेक ऐसे आंदोलन शुरू हुए हैं जिनका मुख्य उद्देश्य स्त्रियों की दशा में सुधार करना रहा है। भारतीय समाज एक पुरुष-प्रधान समाज है जिसके परिणामस्वरूप महिलाओं ने अपने शोषण, उत्पीड़न इत्यादि के लिए अपनी स्थिति में सुधार के लिए आवाज़ उठाई है।

पारंपरिक समय से ही महिलाएं बाल-विवाह, सती-प्रथा, विधवा विवाह पर रोक, पर्दा प्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियों का शिकार होती आई हैं। महिलाओं को इन सब शोषणात्मक कुप्रथाओं से छुटकारा दिलवाने के देश के समाज सुधारकों ने समय-समय पर आंदोलन चलाये हैं।

इन आंदोलनों में समाज सुधारक तथा उनके द्वारा किये गए प्रयास सराहनीय रहे हैं। इन आंदोलनों की शुरुआत 19वीं शताब्दी के प्रारंभ में ही हो गई थी। राजा राममोहन राय, दयानंद सरस्वती, केशवचंद्र सेन, ईश्वरचंद्र विद्यासागर, ऐनी बेसेंट इत्यादि का नाम इन समाज सुधारकों में अग्रगण्य है।

सन् 1828 में राजा राममोहन राय द्वारा ब्रह्म समाज की स्थापना तथा 1829 में सती प्रथा अधिनियम का बनाया जाना उन्हीं का प्रयास रहा है। स्त्रियों के शोषण के रूप में पाये जाने वाले बाल-विवाह पर रोक तथा विधवा पुनर्विवाह को प्रचलित कराने का जनमत भी उन्हीं का अथक प्रयास रहा है।

इसी तरह महात्मा गांधी, स्वामी दयानंद सरस्वती, ईश्वरचंद्र, विद्यासागर जी ने भी कई ऐसे ही प्रयास किये जिनका प्रभाव महिलाओं के जीवन पर सकारात्मक महर्षि कर्वे स्त्री-शिक्षा एवं विधवा पुनर्विवाह के समर्थक रहे। इसी प्रकार केशवचंद्र सेन एवं ईश्वरचंद्र विद्यासागर के प्रयासों के अंतर्गत ही 1872 में ‘विशेष विवाह अधिनियम’ तथा 1856 में विधवा-पुनर्विवाह अधिनियम बना। इन अधिनियमों के आधार पर ही विधवा पुनर्विवाह एवं अंतर्जातीय विवाह को मान्यता दी गई। इनके साथ ही कई महिला संगठनों ने भी महिलाओं को शोषण से बचाने के लिए कई आंदोलन शुरू किये।

महिला आंदोलनकारियों में ऐनी बेसेंट, मैडम कामा, रामाबाई रानाडे, मारग्रेट नोबल आदि की भूमिका प्रमुख रही है। भारतीय समाज में महिलाओं को संगठित करने तथा उनमें अधिकारों के प्रति साहस दिखा सकने का कार्य अहिल्याबाई व लक्ष्मीबाई ने प्रारंभ से किया था। भारत में कर्नाटक में पंडिता रामाबाई ने 1878 में स्वतंत्रता से पूर्व पहला आंदोलन शुरू किया था तथा सरोज नलिनी की भी अहम् भूमिका रही है।

स्वतंत्रता प्राप्ति के पूर्व प्रचलित इन आंदोलनों के परिणामस्वरूप ही अनेक ऐसे अधिनियम पास किये गए जिनका महिलाओं की स्थिति सुधार में योगदान रहा है। महत्त्वपूर्ण इसी प्रयास के आधार पर स्वतंत्रता पश्चात् अनेक अधिनियम जिनमें 1955 का हिंदू विवाह अधिनियम, 1956 का हिंदू उत्तराधिकार का अधिनियम एवं 1961 का दहेज निरोधक अधिनियम प्रमुख रहे हैं।

इन्हीं अधिनियमों के तहत स्त्री-पुरुष को विवाह के संबंध में समान अधिकार दिये गए तथा स्त्रियों को पृथक्करण, विवाह-विच्छेद एवं विधवाओं को पुनर्विवाह की अनुमति प्रदान की गई है। इसी प्रकार संपूर्ण भारतीय समाज में समय-समय पर और भी ऐसे कई आंदोलन चलाए गए हैं जिनका एकमात्र उद्देश्य स्त्रियों को शोषण का शिकार होने से बचाना रहा है।

वर्तमान समय में स्त्री-पुरुष के समान स्थान व अधिकार पाने के लिए कई आंदोलनों के माध्यम से एक लंबा रास्ता तय करके ही पहुंच पाई है। समय-समय पर राजनेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं तथा महिला संगठनों के प्रयासों के आधार पर ही वर्तमान महिला जागृत हो पाई है।

इन सब प्रथाओं के परिणामस्वरूप ही 1975 को अंतर्राष्ट्रीय महिला वर्ष घोषित किया गया। इसके साथ ही विभिन्न राज्यों में महिला विकास निगम [Women Development Council (WDC)] का निर्माण किया गया है जिसका उद्देश्य महिलाओं को तकनीकी सलाह देना तथा बैंक या अन्य संस्थाओं से ऋण इत्यादि दिलवाना है।

वर्तमान समय में अनेक महिलाएं सरकारी एवं गैर-सरकारी क्षेत्रों में कार्यरत हैं। आज स्त्री सभी वह कार्य कर रही है जो कि एक पुरुष करता है। महिलाओं के अध्ययन के आधार पर भी वह निष्कर्ष निकलता है कि वर्तमान समय में महिला की परिस्थिति, परिवार में भूमिका, शिक्षा, आर्थिक स्वतंत्रता, राजनीतिक एवं कानूनी भागीदारी में काफ़ी परिवर्तन आया है।

आज महिला स्वतंत्र रूप से किसी भी आंदोलन, संस्था एवं संगठन से अपने आप को जोड़ सकती है। महिलाओं की विचारधारा में इस प्रकार के परिवर्तन अनेक महिला स्थिति सुधारक आंदोलनों के परिणामस्वरूप ही संभव हो पाये हैं। आज महिला पत्र-पत्रिकाएं प्रकाशित की जाती हैं तथा इसके साथ ही महिला सभाओं एवं गोष्ठियों का भी संचालन किया जा रहा है जिसका प्रभाव महिला की स्थिति पर पूर्ण रूप से सकारात्मक पड़ रहा है।

विभिन्न महिला आंदोलनों ने न केवल महिलाओं की स्थिति सुधार में ही भूमिका निभाई है, बल्कि इन आंदोलनों के आधार पर समाज में अनेक परिवर्तन भी आये हैं, अतः महिला आंदोलन सामाजिक परिवर्तन का भी एक उपागम रहा है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 8 सामाजिक आंदोलन

प्रश्न 5.
भारत में कृषक आंदोलन की भूमिका का वर्णन करो।
अथवा
कृषक आंदोलन पर एक नोट लिखिए।
अथवा
किसान आंदोलन पर प्रकाश डालिए।
अथवा
किसान आंदोलन की चर्चा कीजिए।
उत्तर:
कृषक या किसान आंदोलनों का संबंध किसानों तथा कृषि कार्यों के बीच पाए जाने वाले संबंधों से है। जब कृषि कार्यों को करने वालों तथा भूमि के मालिकों के बीच तालमेल ठीक नहीं बैठता तो कृषि करने वाले आंदोलनों का रास्ता अपना लेते हैं तथा यहीं से किसान आंदोलन की शुरुआत होती है। असल में यह आंदोलन किसानों के शोषण के कारण होते हैं। इनका मूल आधार वर्ग संघर्ष है तथा यह श्रमिक आंदोलन से अलग हैं।

डॉ० तरुण मजूमदार ने इसकी परिभाषा देते हुए कहा है कि, “कृषि कार्यों से संबंधित हरेक वर्ग के उत्थान तथा शोषण मुक्ति के लिए किए गए साहसी प्रयत्नों को कृषक आंदोलन की श्रेणी में रखा गया है।” इन आंदोलनों का महत्त्वपूर्ण आधार कृषि व्यवस्था होती है। भूमि व्यवस्था की विविधता तथा कृषि संबंधों ने खेतीहार वर्गों के बीच एक विस्तृत संरचना का विकास किया है। यह संरचना अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग रही है। भारत में खेतीहार वर्ग को तीन भागों में बांट सकते हैं-

  • मालिक (Owner)
  • किसान (Farmer)
  • मज़दूर (Labourer)

मालिक को भूमि का मालिक या भूपति भी कहते हैं। संपूर्ण भूमि का मालिक यही वर्ग होता है जिस पर खेती का ार्य होता है। किसान का स्थान भूपति के बाद आता है। किसान वर्ग में छोटे-छोटे भूमि के टुकड़ों के मालिक तथा ‘श्तकार होते हैं। यह अपनी भूमि पर स्वयं ही खेती करते हैं। तीसरा वर्ग मज़दूर का है जो खेतों में काम करके वेका कमाता है। इस वर्ग में भूमिहीन, कृषक, ग़रीब काश्तकार तथा बटईदार आते हैं। किसान आंदोलन अनेकों कारणों की वजह से अलग-अलग समय पर शुरू हुए।

औद्योगीकरण के कारण जब हार मज़दूरों की जीविका पर असर पड़ता है तो आंदोलनों की मदद से खेतीहार मज़दूर विरोध करते हैं। इसके थ ही खेती से संबंधित चीज़ों के दाम बढ़ने, मालिकों द्वारा ज्यादा लाभ प्राप्त करने के लिए विशेष प्रकार की खेती रवाना, अधिकारियों की नीतियां तथा शोषण की आदत का पाया जाना, खेतीहार मज़दूरों को बंधुआ मज़दूर रख र उनसे अपनी मर्जी का कार्य करवाना आदि ऐसे कारण रहे हैं जिनकी वजह से कृषक आंदोलन शुरू हुए।

किसान आंदोलनों की शुरुआत-19वीं शताब्दी से इन आंदोलनों की शुरुआत की गई थी जब अंग्रेज़ सरकार ने पने आपको कृषि व्यवस्था के साथ जोड़ा। 19वीं शताब्दी में ही अंग्रेजों के विरुद्ध संथाल विद्रोह हुआ। 1875 साहूकारों के दंगे, अवध विद्रोह तथा पंजाब में साहूकारों के विरोध में किसानों के संघर्ष ने किसान आंदोलन का प ले लिया। 1917-18 में गांधी जी ने किसानों तथा श्रमिकों के लिए अहिंसा का रास्ता अपनाया। 1923 किसान संगठनों तथा कृषक श्रम संघों का निर्माण हुआ।

उत्तर प्रदेश, बंगाल तथा पंजाब में किसान सभाओं का कास हुआ। गुजरात में 1928-29 में तथा 1930-31 में किसानों तथा श्रमिकों के बीच संघर्ष हुआ। पहला र्ष सरदार पटेल की मदद से किया गया जिस वजह से सरकार को उनकी मांगों को मानना पड़ा था। 1937 से लेकर 46 तक के समय में जागीरदार, ज़मींदार तथा बड़े भूपतियों के विरुद्ध अनेक आंदोलन शुरू किए गए। मैसूर तथा कसान आंदोलन, राजाओं, महाराजाओं तथा स्थानीय ठाकुरों के विरुद्ध हुए। उड़ीसा, उदयपुर, ग्वालियर जयपुर में हुए आंदोलन भारतीय कृषक आंदोलन के इतिहास में महत्त्वपूर्ण आंदोलन रहे हैं।

आजादी के बाद भी सरकार के अनेक प्रयासों के बावजूद भी कृषकों तथा कृषि श्रमिकों की समस्याएं कोई कम नहीं हो पाई हैं जिसके परिणामस्वरूप देश के अलग-अलग भागों में कृषक आंदोलनों की संख्या बढ़ी है। हैदराबाद तेलंगाना जिले में अखिल भारतवर्षीय किसान सभा ने आज़ादी की प्राप्ति के दौरान संघर्ष किया।

इसके साथ ही और अनेकों आंदोलन जैसे बिहार कृषक आंदोलन, उत्तर प्रदेश कृषक आंदोलन, दक्षिण भारत कृषक आंदोलन, बंगाल कृषक आंदोलन, महाराष्ट्र कृषक आंदोलन, राजस्थान कृषक आंदोलन मुख्य रहे हैं। इन सब आंदोलनों का उद्देश्य किसानों के हितों की रक्षा करना तथा शोषण का विरोध करना था। इन आंदोलनों का एकमात्र उद्देश्य किसानों को शोषण मुक्त करना तथा सामाजिक व आर्थिक न्याय दिलवाना रहा है।

प्रश्न 6.
कामगारों के आंदोलन का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर:
कामगारों का आंदोलन तथा कृषक आंदोलन वर्ग पर आधारित दो महत्त्वपूर्ण आंदोलन रहे हैं। भारतवर्ष में कारखानों के आधार पर उत्पादन सन् 1860 से प्रारंभ हुआ था। औपनिवेशिक शासन काल में यह व्यापार का एक सामान्य तरीका था जिसमें कच्चे माल का उत्पादन भारतवर्ष में किया जाता था।

कच्चे माल से वस्तुएं निर्मित की जाती थीं तथा उन्हें उपनिवेश में बेचा जाता था। प्रारंभिक काल में इन कारखानों को बंदरगाह वाले शहरों जैसे बंबई एवं कलकत्ता में स्थापित किया गया तथा उसके पश्चात धीरे-धीरे यह कारखाने मद्रास इत्यादि बड़े शहरों में भी स्थापित कर दिए गए।

औपनिवेशक काल के प्रारंभ में सरकार ने मजदूरों के कार्यों एवं वेतन को लेकर किसी भी प्रकार की कोई योजना नहीं बनाई थी जिसके फलस्वरूप उस काल में मज़दूरी बहुत सस्ती थी। लेकिन धीरे-धीरे समय के साथ कामगारों ने अपने शोषण को देखते हुए सरकार का विरोध करना शुरू कर दिया था अर्थात् मज़दूर संघ भी विकसित हुए लेकिन विरोध पहले से ही प्रारंभ हो चुका था। देश में कुछ एक राष्ट्रवादी नेताओं ने उपनिवेश विरोधी आंदोलनों में मज़दूरों को भी शामिल करना प्रारंभ कर दिया था।

देश में युद्ध के समय उद्योगों का बड़े स्तर पर विकास तो हुआ लेकिन इसके साथ ही साथ वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हो गई जिससे लोगों को खाने की भी कमी हो गई। परिणामस्वरूप हड़तालें होने लगी तथा बड़े-बड़े उद्योग एवं मिलें बंद हो गईं जैसे बंबई की कपड़ा मिल, कलकत्ता में पटसन कामगारों ने भी अपना काम बंद कर दिया। इसी तरह अहमदाबाद की कपड़ा मिल के कामगारों ने भी 50% वेतन वृद्धि की माँग को लेकर अपना काम बंद कर दिया।

कामगारों के इस विरोध को देखते हुए अनेक मज़दूर संघ स्थापित हुए। देश में पहला मजदूर संघ सन् 191 में बी० पी० वाडिया के प्रयास से स्थापित हुआ। उसी वर्ष महात्मा गांधी ने भी टेक्साइल लेबर एसोसिएशन (र्ट एल० ए०) की भी स्थापना की। इसी तर्ज पर सन् 1920 में बंबई में ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (All Inc Trade Union Congress), (ए० आई० ई० टी० सी०, एटक) की स्थापना भी की गई। एटक संगठन के सा विभिन्न विचारधाराओं वाले लोग संबंधित हुए जिसमें साम्यवादी विचारधारा मुख्य थी और इन विचारधाराओं वे समर्थक राष्ट्रवादी नेता जैसे लाला लाजपत राय तथा पं० जवाहर लाल नेहरू जैसे लोग भी शामिल थे।

एटक एक ऐसा संगठन उभर कर सामने आया जिसने औपनिवेशिक सरकार को मज़दूरों के प्रति व्यवहार को लेकर जागरूक कर दिया तथा फलस्वरूप कुछ रियासतों के आधार पर मज़दूरों में पनपे असंतोष को कम करने क प्रयास किया। इसके साथ ही सरकार ने सन् 1922 में चौथा कारखाना अधिनियम पारित किया जिसके अंतर्गत मज़दूरों की कार्य अवधि को घटाकर दस घंटे तक निर्धारित कर दिया। सन् 1926 में मजदूर संघ अधिनियम के तहत मजदूर संघों के पंजीकरण का भी प्रावधान किया गया। ब्रिटिश शासन काल के अंत तक कई संघों की स्थापन हो चुकी थी तथा साम्यवादियों ने एटक पर काफी नियंत्रण भी पा लिया था।

राष्ट्रीय स्तर पर कामगार वर्ग के आंदोलन के फलस्वरूप स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् क्षेत्रीय दलों ने भी अपने स्व के कई संघों का निर्माण करना प्रारंभ कर दिया। सन् 1966-67 जो कि अर्थव्यवस्था में मंदी का दौर था उत्पादन एवं रोजगार दोनों में कमी आई जिसके परिणामस्वरूप सभी ओर (असंतोष ही असंतोष था)।

इसके उदाहरण सामने थे जैसे 1974 में रेल कर्मचारियों की बहुत बड़ी हड़ताल, 1975-77 में आपात्काल के दौ सरकार ने मज़दूर संघों की गतिविधियों पर रोक लगा दी। धीरे-धीरे भूमंडलीकरण के प्रभाव के परिणामस्व कामगारों की स्थिति में काफ़ी परिवर्तन हो रहे हैं जोकि कामगारों की स्थिति में सुधारात्मक परिवर्तन हैं। इन सुधारात्मक परिवर्तनों के परिणामस्वरूप ही देश की अर्थव्यवस्था को एक मज़बूत आधार मिल सकता है।

प्रश्न 7.
पर्यावरण संबंधित आंदोलन का संक्षिप्त वर्णन दें।
अथवा
पर्यावरण आंदोलनों का वर्णन करें।
अथवा
पर्यावरण आंदोलनों के अर्थ की व्याख्या करें।
अथवा
किसी पर्यावरणीय आंदोलन का वर्णन करें।
उत्तर:
पर्यावरणीय आंदोलनों के बारे में जानने से पहले हमें पारिस्थितिकी का अर्थ जान लेना आवश्यक है। पारिस्थितिकी विज्ञान की वह शाखा है जो जीवन की किस्मों की एक-दूसरे के साथ और अपने आस-पास के साथ संबंधों के बारे में संबंधित है। पारिस्थितिकी पर्यावरण क्षेत्र में किसी भी एक संतुलित व्यवस्था की स्थिति को दिखलाती है। किसी भी पर्यावरण में जितनी भी वस्तुएं सजीव या निर्जीव होती हैं वे एक-दूसरे से संयोग करती हैं जिससे एक संतुलित व्यवस्था बनी रहती है।

आधुनिक समय में विकास पर अत्यधिक जोर दिया जा रहा है। विकास की बढ़ती माँग के कारण प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक शोषण एवं अनियंत्रित उपयोग के कारणों के फलस्वरूप विकास के ऐसे प्रतिमान पर चिंता प्रकट की जा रही है। वर्तमान समय में यह माना जाता रहा है कि विकास से सभी वर्गों के लोगों को लाभ पहुंचेगा परंतु वास्तव में बड़े-बड़े उद्योग धंधे कृषकों को उनकी आजीविका तथा घरों दोनों से दूर कर रहे हैं। उद्योगों के उत्तरोत्तर विकास के बढ़ने के कारण औद्योगिक प्रदूषण जैसी भयंकर समस्या सामने आ रही है।

औद्योगिक प्रदूषण प्रभाव को देखते हुए इससे बचाव कैसे किया जा सकता है। इसके लिए अनेक पारिस्थितिकीय आंदोलन शुरू हुए। न आंदोलनों में चिपको आंदोलन मुख्य आंदोलन रहा है। चिपको आंदोलन हिमालय की तलछटी में पारि दोलन का एक महत्त्वपूर्ण उदाहरण है। यह आंदोलन लोगों की विचारधाराओं एवं मिश्रित हितों का एक ज्वलंत हरण है। सन् 1970 में अनपेक्षित भारी वर्षा के कारण बाढ़ आ गई जिससे अलकनंदा घाटी की 100 वर्ग लोमीटर भूमि पानी में डूब गई। इस बाढ़ के कारण सैंकड़ों घर, व्यक्ति तथा पशु पानी में बह गए।

जान-माल की यधिक तबाही के कारण पूरा क्षेत्र शोक में डूब गया। इसी दौरान गाँववासी जिन्होंने बाढ़ की मार को झेला था वनों ‘ अंधाधुंध कटाई, भूस्खलन एवं बाढ़ के बीच संबंध को धीरे-धीरे समझने लगे। गाँववासियों ने देखा कि जो गाँव न जंगलों के अधिक समीप थे जिन वनों की कटाई कर दी गई थी वो भूस्खलन से अधिक प्रभावित हुए, उन गाँवों। अपेक्षा जो कटाई रहित वनों के समीप थे।

इस प्रकार बाढ़ के प्रभाव को देखते हुए गाँववासियों ने वनों की कटाई को रोकने के लिए आवाज़ उठानी शुरू र दी। प्रारंभिक विरोधों के बावजूद भी सरकार ने जंगलों की वार्षिक नीलामी कर दी। इस आंदोलन में गांववासियों एकता का सबूत दिया। जब ठेकेदार के आदमी अपने उपकरणों सहित जंगल की कटाई के लिए जा रहे थे तो गांव ‘महिलाओं ने इसका विरोध किया तथा मजदूरों से कटाई कार्य न शुरू करने की प्रार्थना की। शुरू में तो उन्हें काफ़ी ‘स्कार भी सहना पड़ा लेकिन अंततः मज़दूर लोगों को खाली हाथ ही वापिस जाना पड़ा। चिपको आंदोलन की तरह ही कई पारिस्थितिकीय आंदोलन विकसित हुए जिनका एकमात्र उद्देश्य पर्यावरण कोण रहित बनाना रहा है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 8 सामाजिक आंदोलन Read More »

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 6 सांस्कृतिक विविधता की चुनौतियाँ

Haryana State Board HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 6 सांस्कृतिक विविधता की चुनौतियाँ Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Sociology Important Questions Chapter 6 सांस्कृतिक विविधता की चुनौतियाँ

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
निम्न में से कौन-सा कथन सत्य है?
(A) भारत में अनेक जनजातियां हैं
(B) भारतीय समाज अनेक जातियों में विभाजित है
(C) भारत में विभिन्न धर्म और संप्रदाय हैं
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 2.
चक्रवर्ती नरेश बनने के लिए किस भारतीय शासक ने भारत के राजनीतिक एकीकरण का प्रयास किया था?
(A) चंद्रगुप्त मौर्य ने
(B) सम्राट अशोक ने
(C) हर्षवर्धन ने
(D) उपर्युक्त सभी ने।
उत्तर:
चंद्रगुप्त मौर्य ने।

प्रश्न 3.
केंद्र और राज्यों के बीच, अतिरिक्त सहायक सरकारी भाषा कौन-सी है?
(A) अंग्रेजी
(B) हिंदी
(C) राज्य-विशेष की भाषा
(D) उर्दू
उत्तर:
अंग्रेजी।

प्रश्न 4.
भारतीयों ने किस आधार पर विविधता बनाए रखी है?
(A) भाषा की विविधता के आधार पर
(B) व्यवहार की विविधता के आधार पर
(C) मूल्यों, आदर्शों व संस्कारों की विविधता के आधार पर
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
उपरोक्त सभी।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 6 सांस्कृतिक विविधता की चुनौतियाँ

प्रश्न 5.
भारतीय एकीकरण में बाधक कारक कौन-से हैं?
(A) अनेक भाषाएँ
(B) जातीय भिन्नताएं।
(C) धार्मिक विभिन्नताएं
(D) भाषावाद, धर्मवाद, जातिवाद इत्यादि।
उत्तर:
भाषावाद, धर्मवाद, जातिवाद इत्यादि।

प्रश्न 6.
वर्तमान राजनेताओं के कारण भारत में
(A) सामुदायिक सद्भाव बढ़ा है
(B) धार्मिक सद्भाव कम हुआ है
(C) जातीय सद्भाव बढ़ा है
(D) जातीय वैमनस्य कम हुआ है।
उत्तर:
धार्मिक सद्भाव कम हुआ है।

प्रश्न 7.
भारतीय समाज में किसे धार्मिक संस्कार माना जाता है?
(A) विवाह
(B) परिवार
(C) दहेज
(D) जाति प्रथा।
उत्तर:
विवाह।

प्रश्न 8.
राष्ट्रीय एकता को कैसे स्थापित किया जा सकता है?
(A) धर्म से जुड़े संगठनों पर प्रतिबंध लगाकर
(B) सारे देश की शिक्षा का एक ही पाठ्यक्रम बनाकर
(C) जातिवाद को खत्म करके
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
उपरोक्त सभी।

प्रश्न 9.
सन 2001 में हरियाणा की साक्षरता दर कितनी थी?
(A) 58%
(B) 63%
(C) 68%
(D) 73%
उत्तर:
68%

प्रश्न 10.
त्रि-दिवसीय राष्ट्रीय एकीकरण कांफ्रेंस का दिल्ली में आयोजन कब किया गया?
(A) सितंबर 28, 1961
(B) नवंबर 1960
(C) 1965
(D) 1962
उत्तर:
सितंबर 28, 1961.

प्रश्न 11.
वेद और पुराण कौन-सी भाषा में लिखे गये हैं?
(A) संस्कृत
(B) अवधी
(C) भोजपुरी
(D) उर्दू।
उत्तर:
संस्कृत।

प्रश्न 12.
हिंदू धर्म के चार धाम (मठ) किसने स्थापित किये थे?
(A) स्वामी दयानंद
(B) गांधी जी
(C) श्री शंकराचार्य
(D) ज० ला० नेहरू।
उत्तर:
श्री शंकराचार्य।

प्रश्न 13.
इनमें से कौन-सा समूह भारत में अल्पसंख्यक है?
(A) मुस्लिम
(B) सिक्ख
(C) पारसी
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 14.
मुसलमानों में सुधार आंदोलन किसने चलाया था?
(A) मोहम्मद अली
(B) जिन्नाह
(C) सर सैय्यद अहमद खान
(D) रहमत अली।
उत्तर:
सर सैय्यद अहमद खान।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 6 सांस्कृतिक विविधता की चुनौतियाँ

प्रश्न 15.
हमारे देश में सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समूह कौन-सा है?
(A) पारसी
(B) सिक्ख
(C) मुसलमान
(D) जैन।
उत्तर:
मुसलमान।

प्रश्न 16.
संविधान के किस अनुच्छेद के अनुसार धार्मिक तथा भाषायी अल्पसंख्यकों को शिक्षण संस्थाएं स्थापित करने तथा उनका प्रशासन करने का अधिकार है?
(A) अनुच्छेद 22
(B) अनुच्छेद 25
(C) अनुच्छेद 27
(D) अनुच्छेद 30
उत्तर:
अनुच्छेद 30

प्रश्न 17.
अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना कब हुई थी?
(A) 1980
(B) 1975
(C) 1976
(D) 1978
उत्तर:
1978

प्रश्न 18.
हमारे देश में अल्पसंख्यकों को किस समस्या का सामना करना पड़ता है?
(A) कम शिक्षा
(B) योग्य नेतृत्व की कमी
(C) असुरक्षा की भावना
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
उपरोक्त सभी।

प्रश्न 19.
भारत के प्राचीनतम निवासी कौन हैं?
(A) जनजातियां
(B) आर्य
(C) सिक्ख
(D) मुस्लिम।
उत्तर:
जनजातियां।

प्रश्न 20.
ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में भारतीय समाज को हम कितने कालों में विभाजित कर सकते हैं?
(A) 6
(B) 7
(C) 3
(D) 4
उत्तर:
6

प्रश्न 21.
निम्न में से कौन-सा स्थान धार्मिक स्थान नहीं है?
(A) अमृतसर
(B) अजमेर शरीफ
(C) वैष्णों देवी
(D) ताजमहल।
उत्तर:
ताजमहल।

प्रश्न 22.
भारत को धर्म-निष्पक्षता किसने प्रदान की है?
(A) राज्य
(B) सरकार
(C) जनता
(D) संविधान।
उत्तर:
संविधान।

प्रश्न 23.
उस देश को क्या कहते हैं जो किसी विशेष धर्म का नहीं बल्कि सभी धर्मों का सम्मान करता है?
(A) कल्याणकारी राज्य
(B) धर्म-निष्पक्ष
(C) लोकतांत्रिक
(D) तानाशाही।
उत्तर:
धर्म-निष्पक्ष।

प्रश्न 24.
इनमें से कौन-सा धर्म-निष्पक्षता का आवश्यक तत्त्व है?
(A) धार्मिक कट्टरवाद का बढ़ना
(B) धार्मिक गतिविधियों का बढ़ना
(C) धार्मिक कट्टरवाद का खात्मा
(D) धार्मिक गतिविधियां का खात्मा।
उत्तर:
धार्मिक कट्टरवाद का खात्मा।

प्रश्न 25.
इनमें से कौन-सा धर्म-निष्पक्षता का मख्य आधार है?
(A) धर्म
(B) तार्किकता तथा विज्ञान
(C) धार्मिक कट्टरवाद
(D) कोई नहीं।
उत्तर:
तार्किकता तथा विज्ञान।

प्रश्न 26.
किसने कहा था कि धर्म निष्पक्षता का अर्थ है सभी धर्मों का सम्मान तथा असमानता?
(A) गाँधी
(B) नेहरू
(C) मौलाना अबुल कलाम
(D) सरदार पटेल।
उत्तर:
गांधी।

प्रश्न 27.
इस्लाम ने हमारे समाज को किस प्रकार प्रभावित किया है?
(A) हमारे समाज में पर्दा प्रथा आयी
(B) जाति व्यवस्था की पाबंदियां अधिक कठोर हो गईं
(C) विवाह से संबंधित पाबंदियां और कठोर हो गईं
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 28.
धर्म-निष्पक्षता को अपनाने का क्या कारण है?
(A) कम होते धार्मिक संस्थान
(B) आधुनिक शिक्षा
(C) पश्चिमी संस्कृति को अपनाना
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 29.
धर्म-निष्पक्षता ने किस प्रकार हमारे देश के सामाजिक जीवन को प्रभावित किया है?
(A) पवित्रता तथा अपवित्रता के संकल्पों में परिवर्तन
(B) परिवार की संस्था में परिवर्तन
(C) ग्रामीण समुदाय में बहुत से परिवर्तन आए हैं
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 30.
परिवार की संस्था में धर्म-निष्पक्षता के कारण किस प्रकार के परिवर्तन आए हैं?
(A) संयुक्त परिवारों का टूटना
(B) एकांकी परिवारों का बढ़ना
(C) परिवार में बड़ों का कम होता नियंत्रण
(D) a + b + c
उत्तर:
a + b + c

प्रश्न 31.
धर्म-निष्पक्षता के कारण ग्रामीण समुदाय में किस प्रकार का परिवर्तन आया है?
(A) चुनी हुई पंचायतों का सामने आना
(B) समृद्धि पर आधारित सम्मान
(C) अंतर्जातीय विवाहों का बढ़ना
(D) a + b + c
उत्तर:
a + b + c

प्रश्न 32.
भारत में इस्लाम का प्रभाव पड़ना कब शुरू हुआ?
(A) 13वीं शताब्दी
(B) 14वीं शताब्दी
(C) 15वीं शताब्दी
(D) 16वीं शताब्दी।
उत्तर:
13वीं शताब्दी।

प्रश्न 33.
निम्नलिखित में से कौन-सा अल्पसंख्यक नहीं है?
(A) मुसलमान
(B) क्षत्रिय
(C) सिक्ख।
उत्तर:
क्षत्रिय।

प्रश्न 34.
हरियाणा में निम्नलिखित में से कौन-सा धार्मिक समुदाय अल्पसंख्यक नहीं है?
(A) ईसाई
(B) सिख
(C) हिंदू
(D) मुस्लिम।
उत्तर:
हिंदू।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 6 सांस्कृतिक विविधता की चुनौतियाँ

प्रश्न 35.
निम्नलिखित में से किसका गठन शहरी क्षेत्रों में नहीं किया जाता है?
(A) ग्राम सभा
(B) ग्राम पंचायत
(C) ब्लाक समिति
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

प्रश्न 36.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना किस वर्ष हुई?
(A) 1757
(B) 1857
(C) 1885
(D) 1985
उत्तर:
1885

प्रश्न 37.
पंचायती राज संस्थाओं की निम्नोक्त में से कौन-सी इकाई का गठन जिला स्तर पर किया गया है?
(A) ग्राम सभा
(B) ग्राम पंचायत
(C) खंड समिति
(D) जिला परिषद्।
उत्तर:
जिला परिषद्।

प्रश्न 38.
भारत में निम्नलिखित में से कौन धार्मिक अल्पसंख्यक नहीं हैं?
(A) सिख
(B) ईसाई
(C) जैन
(D) हिंदू।
उत्तर:
हिंदू।

प्रश्न 39.
निम्नोक्त में से कौन-सी भारतीय एकता के लिए चुनौती नहीं है?
(A) संप्रदायवाद
(B) जातिवाद
(C) भाषावाद
(D) राष्ट्रवाद।
उत्तर:
राष्ट्रवाद।

प्रश्न 40.
निम्नलिखित में से धार्मिक संप्रदाय भारत में अल्पसंख्यक है?
(A) मुस्लिम
(B) सिख
(C) ईसाई
(D) इनमें से सभी।
उत्तर:
इनमें से सभी।

प्रश्न 41.
संप्रदायवाद का संबंध निम्नलिखित में से किससे हैं?
(A) जाति से
(B) धर्म से
(C) भाषा से
(D) क्षेत्र से।
उत्तर:
धर्म से।

प्रश्न 42.
भारत में सबसे ज्यादा जनजातीय लोग किस प्रदेश में निवास करते हैं?
(A) पंजाब में
(B) हरियाणा में
(C) मध्य प्रदेश में
(D) दिल्ली में।
उत्तर:
मध्य प्रदेश में।

प्रश्न 43.
भारत की राजकीय भाषा क्या है?
(A) हिंदी
(B) उर्दू
(C) पंजाबी
(D) मराठी।
उत्तर:
हिंदी।

प्रश्न 44.
वर्तमान समय में भारत में कुल कितने राज्य हैं?
(A) 20
(B) 25
(C) 30
(D) 28
उत्तर:
28

प्रश्न 45.
इस्लाम धर्म के प्रवर्तक कौन हैं?
(A) गुरु नानक देव जी
(B) हज़रत मुहम्मद
(C) गौतम बुद्ध
(D) महावीर।
उत्तर:
हज़रत मुहम्मद।

प्रश्न 46.
राज्य कौन-सी संस्था है?
(A) राजनीतिक
(B) सामाजिक
(C) धार्मिक
(D) सांस्कृतिक।
उत्तर:
धार्मिक।

प्रश्न 47.
‘वॉट इज सेक्युलरिज्म’ नामक पुस्तक किसने लिखी है?
(A) राजीव भार्गव
(B) मैक्स वैबर
(C) डेविड मिल्लर
(D) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
राजीव भार्गव।

प्रश्न 48.
‘स्त्री-पुरुष तुलना’ नामक पुस्तक किसने लिखी?
(A) ताराबाई शिंदे
(B) गोबिंद रानाडे
(C) सावित्री बाई फूले
(D) राजा राम मोहन राय।
उत्तर:
ताराबाई शिंदे।

प्रश्न 49.
भारत में जैन धर्म में लोगों की प्रतिशतता क्या है?
(A) 1.9%
(B) 0.8%
(C) 2.3%
(D) 0.4%
उत्तर:
0.4%.

प्रश्न 50.
पुरुषों और स्त्रियों के बीच असमानता का क्या कारण है?
(A) प्राकृतिक
(B) सामाजिक
(C) जैविक
(D) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
सामाजिक।

प्रश्न 51.
इनमें से कौन-सी चुनौती भारत में विविधता के कारण उत्पन्न हुई है?
(A) क्षेत्रीयता
(B) जातीयता
(C) सांप्रदायिकता
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
उपरोक्त सभी।

प्रश्न 52.
इंडिया गेट स्थित है :
(A) मुंबई में
(B) आगरा में
(C) कोलकता में
(D) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
इनमें से कोई नहीं।

प्रश्न 53.
निम्न में से किस सिद्धांत के अनुसार किसी क्षेत्र विशेष में लोगों के समूह को स्वतंत्रता एवं सम्प्रभुता प्राप्त होती है?
(A) समाजवादी
(B) राष्ट्रवादी
(C) भौतिकवादी
(D) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
राष्ट्रवादी।

प्रश्न 54.
सामाजिक संसाधनों तक असमान पहुँच कहलाती है :
(A) सामाजिक विषमता
(B) आर्थिक विषमता
(C) राजनीतिक विषमता
(D) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
सामाजिक विषमता।

प्रश्न 55.
इनमें से भारतीय उपमहाद्वीप की किस विशेषता से विद्वान् आकर्षित हुए हैं?
(A) संयुक्त परिवार
(B) जाति
(C) एकल परिवार
(D) उपर्युक्त सभी।
उत्तर:
उपर्युक्त सभी।

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत में कितने प्रमुख धर्म पाए जाते हैं तथा यहाँ पाया जाने वाला प्रमुख धर्म कौन-सा है?
उत्तर:
भारत में सात प्रमुख धर्म पाए जाते हैं तथा यहाँ पर पाया जाने वाला प्रमुख धर्म हिंदू धर्म है।

प्रश्न 2.
भारत में कितनी प्रमुख भाषाएँ बोली जाती हैं तथा यहाँ कितने प्रतिशत लोगों की मातृभाषा हिंदी है?
उत्तर:
भारत में 22 प्रमुख भाषाएँ बोली जाती हैं तथा यहाँ पर 40% लोगों की मातृभाषा हिंदी है।

प्रश्न 3.
भारत में कौन-से राज्यों का जनसंख्या घनत्व सबसे अधिक तथा सबसे कम है?
उत्तर:
पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक जनसंख्या घनत्व है तथा सबसे कम घनत्व अरुणाचल प्रदेश में है।

प्रश्न 4.
भारत में कितने प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों तथा नगरीय क्षेत्रों में रहती है?
उत्तर:
भारत में 66% जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रों में तथा 34% जनसंख्या नगरीय क्षेत्रों में रहती है।

प्रश्न 5.
भारतीय संविधान में कितनी भाषाओं को मान्यता प्राप्त है तथा हिंदी के बाद कौन-सी भाषा सबसे अधिक प्रयुक्त होती है?
उत्तर:
भारतीय संविधान में 22 भाषाओं को मान्यता प्राप्त है तथा हिंदी के बाद सबसे अधिक प्रयुक्त होने वाली भाषा बांग्ला है।

प्रश्न 6.
भारत में सबसे कम प्रचलित धर्म कौन-सा है तथा किस राज्य में बौद्ध धर्म सबसे अधिक प्रचलित है?
उत्तर:
भारत में सबसे कम प्रचलित धर्म पारसी धर्म है तथा महाराष्ट्र में बौद्ध धर्म सबसे अधिक प्रचलित है।

प्रश्न 7.
2001 में भारत का जनसंख्या घनत्व कितना था तथा भारत में 1000 पुरुषों के पीछे कितनी महिलाएं हैं?
उत्तर:
2001 में भारत का जनसंख्या घनत्व 324 था तथा भारत में 1000 पुरुषों के पीछे 927 महिलाएं हैं।

प्रश्न 8.
भारत के किन राज्यों में सबसे कम तथा सबसे अधिक जनसंख्या है?
उत्तर:
सिक्किम राज्य में सबसे कम तथा उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक जनसंख्या है।

प्रश्न 9.
इस्लाम धर्म के संस्थापक कौन थे तथा इस्लाम धर्म की धार्मिक पुस्तक कौन-सी है?
उत्तर:
इस्लाम धर्म के संस्थापक मोहम्मद साहब थे तथा कुरान इस्लाम धर्म की धार्मिक पुस्तक है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 6 सांस्कृतिक विविधता की चुनौतियाँ

प्रश्न 10.
सिक्ख धर्म के संस्थापक कौन थे तथा सिक्ख धर्म की धार्मिक पुस्तक का नाम बताएं।
उत्तर:
गुरु नानक देव जी सिक्ख धर्म के संस्थापक थे तथा सिक्ख धर्म की धार्मिक पुस्तक गुरु ग्रंथ साहिब है।

प्रश्न 11.
बौद्ध धर्म तथा जैन धर्म के संस्थापक कौन थे?
उत्तर:
गौतम बुद्ध बौद्ध धर्म के संस्थापक थे तथा महावीर जैन जैन धर्म के संस्थापक थे।

प्रश्न 12.
हिंदी भाषा को संविधान में मान्यता कब प्राप्त हुई थी तथा भारत के कितने राज्यों की राजकीय भाषा हिंदी
उत्तर:
14 सितंबर, 1949 को हिंदी भाषा को संविधान ने मान्यता प्रदान की तथा भारत के 6 राज्यों की राजकीय भाषा हिंदी है।

प्रश्न 13.
किस राज्य में पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं सबसे अधिक तथा किस राज्य में सबसे कम हैं?
उत्तर:
केरल में पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं सबसे अधिक तथा हरियाणा में सबसे कम हैं।

प्रश्न 14.
अब तक कितनी लोकसभाएं गठित हो चुकी हैं तथा लोकसभा के कितने सदस्य हो सकते हैं?
उत्तर:
अब तक 14 लोकसभाएं गठित हो चुकी हैं तथा लोकसभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या 550 हो सकती है।

प्रश्न 15.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जीवन का अंतिम लक्ष्य …………….. है।
उत्तर:
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जीवन का अंतिम लक्ष्य मोक्ष प्राप्त करना है।

प्रश्न 16.
कोंकण तथा मालाबार किसे कहते हैं?
उत्तर:
भारत में समुद्री तट के उत्तरी भाग को कोंकण कहते हैं तथा समुद्री तट के दक्षिणी भाग को मालाबार कहा जाता है।

प्रश्न 17.
इंडो यूरोपियन तथा प्राविड़ियन भाषा परिवार भारत के किन क्षेत्रों में पाए जाते हैं?
उत्तर:
इंडो यूरोपियन भाषाएं उत्तर भारत में तथा द्राविड़ियन भाषा परिवार दक्षिण भारत में पाए जाते हैं।

प्रश्न 18.
भारत में सबसे उपजाऊ मैदान कौन-सा है तथा भारत में मरुस्थल कहाँ पर है?
उत्तर:
भारत में सबसे उपजाऊ मैदान सिंधु-गंगा का मैदान है तथा भारत में मरुस्थल राजस्थान में है।

प्रश्न 19.
उत्तर भारत तथा दक्षिण भारत में कौन-से धाम है?
उत्तर:
बद्रीनाथ-केदारनाथ धाम उत्तर भारत में है तथा रामेश्वरम दक्षिणी भारत में है।

प्रश्न 20.
पूर्वी भारत तथा पश्चिमी भारत में कौन-से धाम हैं?
उत्तर:
जगन्नाथपुरी पूर्वी भारत का धाम है तथा द्वारिकापुरी पश्चिमी भारत का धाम है।

प्रश्न 21.
क्षेत्रवाद का क्या अर्थ है?
उत्तर:
जब लोग अपने क्षेत्र को प्यार करते हैं तथा दूसरे क्षेत्रों से नफरत करते हैं तो उसे क्षेत्रवाद कहा जाता है।

प्रश्न 22.
भारत में पुरुषों तथा महिलाओं की साक्षरता दर कितनी है?
उत्तर:
भारत में पुरुषों की साक्षरता दर 82% है तथा महिलाओं की साक्षरता दर 65% है।

प्रश्न 23.
भारत में राष्ट्रीय एकता में कौन-सी रुकावटें हैं?
उत्तर:
जातिवाद, सांप्रदायिकता, आर्थिक असमानता इत्यादि ऐसे कारक हैं जो राष्ट्रीय एकता के रास्ते में रुकावटें है।

प्रश्न 24.
देश में राष्ट्रीय एकता को कैसे स्थापित किया जा सकता है?
उत्तर:
देश के धर्म से जुड़े संगठनों पर प्रतिबंध लगाकर, सारे देश में शिक्षा का एक ही पाठ्यक्रम बनाकर तथा जातिवाद को खत्म करके देश में राष्ट्रीय एकता को स्थापित किया जा सकता है।

प्रश्न 25.
भारत में साक्षरता दर ………………. है।
उत्तर:
भारत में साक्षरता दर 74.04% है।

प्रश्न 26.
क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का संसार में कौन-सा स्थान है?
उत्तर:
क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का संसार में सातवां स्थान है।

प्रश्न 27.
भारत के ………………. राज्य की साक्षरता दर सबसे अधिक है।
उत्तर:
भारत के केरल राज्य की साक्षरता दर सबसे अधिक है।

प्रश्न 28.
भारत में प्रचलित चार वेदों के नाम बताएं।
उत्तर:
भारत में प्रचलित चार वेदों के नाम हैं-ऋग्वेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद तथा सामवेद।

प्रश्न 29.
भारत का सबसे प्राचीन वेद कौन-सा है?
उत्तर:
ऋग्वेद भारत का सबसे प्राचीन वेद है।

प्रश्न 30.
भारत में जनगणना ………………… वर्षों के बाद होती है।
उत्तर:
भारत में जनगणना दस वर्षों के बाद होती है।

प्रश्न 31.
भारतीय संविधान कब लागू हुआ था?
उत्तर:
भारतीय संविधान 26 जनवरी, 1950 को लाग हुआ था।

प्रश्न 32.
भारत सरकार का औपचारिक मुखिया कौन होता है?
उत्तर:
भारत सरकार का औपचारिक मुखिया राष्ट्रपति होता है।

प्रश्न 33.
भारतीय समाज को कितने कालों में विभाजित किया जा सकता है?
उत्तर:
भारतीय समाज को चार कालों में विभाजित किया जा सकता है।

प्रश्न 34.
किस लिपि को सभी भारतीय भाषाओं की जननी कहते हैं?
उत्तर:
ब्रह्मी लिपि।

प्रश्न 35.
वर्तमान में भारत में कितने राज्य तथा केंद्र शासित प्रदेश हैं?
उत्तर:
भारत में 29 राज्य तथा सात केंद्र शासित प्रदेश हैं।

प्रश्न 36.
भारत का सबसे ऊँचा पर्वत कौन-सा है?
उत्तर:
हिमालय पर्वत।

प्रश्न 37.
भौगोलिक दृष्टि से भारत को कितने भागों में बांटा जा सकता है?
उत्तर:
भौगोलिक दृष्टि से भारत को पाँच भागों में बांटा जा सकता है।

प्रश्न 38.
धर्म शास्त्रों के अनुसार जीवन में ………………. आश्रम होते हैं।
उत्तर:
धर्म शास्त्रों के अनुसार जीवन में चार आश्रम होते हैं।

प्रश्न 39.
चार आश्रमों के नाम बताएं।
उत्तर:
चार आश्रम हैं-ब्रह्मचर्य आश्रम, गृहस्थ आश्रम, वानप्रस्थ आश्रम तथा संन्यास आश्रम।

प्रश्न 40.
भारतीय समाज का प्राचीनकाल कब से कब तक चला था?
उत्तर:
3000 ई० पू० से 700 ई० पू० तक।

प्रश्न 41.
धार्मिक बहुलतावाद का क्या अर्थ है?
उत्तर:
अगर किसी स्थान पर कई धर्मों को मानने वाले लोग रहते हों तो इसे धार्मिक बहुलतावाद का नाम दिया जाता है।

प्रश्न 42.
परसंस्कृति ग्रहण किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब लोग अपनी संस्कृति को खोए बिना दूसरी संस्कृति के तत्त्वों को ग्रहण करते हैं तो उसे परसंस्कृति ग्रहण कहते हैं।

प्रश्न 43.
विभिन्नता से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
जब किसी चीज़ में बहुत-से प्रकार मिलें तो उसे विभिन्नता कहते हैं।

प्रश्न 44.
युग्मन का क्या अर्थ है?
उत्तर:
वह प्रक्रिया जिससे समाज के अलग-अलग अंग इकट्ठे होते हैं उसे युग्मन कहते हैं।

प्रश्न 45.
हरियाणा की साक्षरता दर कितनी है?
उत्तर:
हरियाणा की साक्षरता दर 68% है।

प्रश्न 46.
पश्चिमी तट मैदान के उत्तरी भाग को क्या कहते हैं?
उत्तर:
पश्चिमी तट मैदान के उत्तरी भाग को कोंकण कहते हैं।

प्रश्न 47.
जैनियों के कितने तीर्थंकर हुए हैं?
उत्तर:
जैनियों के चौबीस तीर्थंकर हुए हैं-प्रथम ऋषभदेव से लेकर चौबीसवें वर्धमान महावीर तक।

प्रश्न 48.
भारत की सभी भाषाओं को कितने भाषा परिवारों में बांटा जा सकता है?
उत्तर:
भारत की सभी भाषाओं को मुख्यता छ: भाषा परिवारों में बांटा जा सकता है।

प्रश्न 49.
भारत का सबसे प्रमुख भाषा परिवार कौन-सा है?
उत्तर:
भारत का सबसे प्रमुख भाषा परिवार इंडो-आर्यन भाषा परिवार है।

प्रश्न 50.
………………. भाषा को देववाणी भी कहा जाता है।
उत्तर:
संस्कृत भाषा को देववाणी भी कहा जाता है।

प्रश्न 51.
किस भारतीय सम्राट् ने चक्रवर्ती नरेश बनने के लिए भारत के राजनीतिक एकीकरण का प्रयास किया था?
उत्तर:
चंद्रगुप्त मौर्य ने।

प्रश्न 52.
संस्कृतियों के सात्मीकरण का क्या अर्थ है?
उत्तर:
संस्कृतियों के एकीकरण को संस्कृतियों के सात्मीकरण का नाम दिया जाता है।

प्रश्न 53.
अल्पसंख्यक का अर्थ बताएं।
अथवा
अल्पसंख्यक से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
जब समाज में जनसंख्या में कुछ लोगों का प्रतिनिधित्व कम होता है तो उसे अल्पसंख्यक कहते हैं।

प्रश्न 54.
भारत का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समूह कौन-सा है?
अथवा
भारत में अल्पसंख्यकों में सर्वाधिक जनसंख्या किसकी है?
उत्तर:
मुस्लिम समुदाय।

प्रश्न 55.
भारत में कौन-सा समुदाय अल्पसंख्यक नहीं है?
उत्तर:
हिंदू समुदाय।

प्रश्न 56.
भारत में कुछ अल्पसंख्यक समुदायों के नाम बताएं।
उत्तर:
मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, पारसी, बौद्ध, जैनी इत्यादि समुदाय भारत में अल्पसंख्यक हैं।

प्रश्न 57.
भारत के किस राज्य में सबसे अधिक मुसलमान रहते हैं?
उत्तर:
उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक मुसलमान रहते हैं।

प्रश्न 58.
भारत के किन राज्यों में सबसे अधिक सिक्ख तथा ईसाई रहते हैं?
उत्तर:
पंजाब में सबसे अधिक सिक्ख तथा केरल में सबसे अधिक ईसाई रहते हैं।

प्रश्न 59.
भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री किस समुदाय से संबंध रखते हैं?
उत्तर:
भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिंदू समुदाय से संबंधित हैं।

प्रश्न 60.
भारत की राष्ट्र भाषा कौन-सी है?
उत्तर:
हिंदी।

प्रश्न 61.
भारत में कौन-सी भाषा सबसे अधिक बोली जाती है?
उत्तर:
हिंदी भाषा भारत में सबसे अधिक बोली जाती है।

प्रश्न 62.
भारत में अल्पसंख्यक आयोग ……………… में बना था।
उत्तर:
भारत में अल्पसंख्यक आयोग 1978 में बना था।

प्रश्न 63.
मुस्लिम लीग की स्थापना ………………….. में हुई थी।
उत्तर:
मुस्लिम लीग की स्थापना सन् 1906 में हुई थी।

प्रश्न 64.
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का दोबारा गठन कब हुआ था?
उत्तर:
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का दोबारा गठन सन् 2000 में हुआ था।

प्रश्न 65.
भारत की कुल जनसंख्या का कितने प्रतिशत लोग हिंदू तथा मुस्लिम हैं?
उत्तर:
भारत की कुल जनसंख्या का 79.5% लोग हिंदू तथा 13.6% लोग मुसलमान हैं।

प्रश्न 66.
भारत में कितने प्रतिशत ईसाई तथा सिक्ख रहते हैं?
अथवा
भारतीय समुदाय में ईसाई समुदाय की प्रतिशतता क्या है?
उत्तर:
भारत में 2.4% ईसाई तथा 1.7% सिक्ख रहते हैं।

प्रश्न 67.
सिक्ख धर्म की स्थापना …………….. ने की थी।
उत्तर:
सिक्ख धर्म की स्थापना गरु नानक देव जी ने की थी।

प्रश्न 68.
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के कितने सदस्य होते हैं?
उत्तर:
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के सात सदस्य होते हैं।

प्रश्न 69.
शिरोमणि गुरद्वारा प्रबंधक कमेटी का गठन किस दशक में हुआ था?
उत्तर:
1920 वाले दशक में।

प्रश्न 70.
सिक्खों के गुरुद्वारों को महंतों के कब्जे से छुड़ाने के लिए किस धार्मिक संस्था का गठन हुआ था?
उत्तर:
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 6 सांस्कृतिक विविधता की चुनौतियाँ

प्रश्न 71.
सिक्ख शब्द का क्या अर्थ है?
उत्तर:
सिक्ख शब्द का अर्थ है शिष्य।

प्रश्न 72.
भारत में मिलने वाले मुख्य धर्म कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
भारत में इस समय सात प्रकार के धर्म मुख्य रूप से पाए जाते हैं। हिंदू (79.8%), मुसलमान (13.6%), इसाई (2.4%), सिक्ख (1.7%), बौद्ध (0.8%), जैन (0.4%), पारसी तथा अन्य जनजातीय धर्म (0.4%)।

प्रश्न 73.
भारत में कौन-कौन सी प्रमुख भाषाएं बोली जाती हैं?
उत्तर:
भारत में मुख्य रूप से 22 भाषाएं बोली जाती हैं-

  • हिंदी
  • पंजाबी
  • मराठी
  • कोंकणी
  • तमिल
  • तेलुगू
  • कन्नड़
  • कश्मीरी
  • मलयालम
  • संस्कृत
  • गुजराती
  • बंगला
  • उड़िया
  • उर्दू
  • सिंधी
  • नेपाली
  • मणिपुरी
  • असमी
  • डोगरी
  • संथाली
  • मैथिली
  • बोडो भाषा।

प्रश्न 74.
विभिन्नता में एकता से क्या अर्थ है?
उत्तर:
विभिन्नता में एकता से हमारा अर्थ है बहुत सारी विभिन्नता होते हुए भी सभी आपस में एकजुट हैं। जैसे हमारे देश में कई प्रकार के धर्म, संस्कृतियाँ, प्रजातियाँ पाई जाती हैं पर फिर भी यह सब एक-दूसरे के साथ बंधे हुए हैं। भारत की विभिन्नताओं में जो एकता है वह कहीं और देखने को नहीं मिल सकती।

प्रश्न 75.
भारत को कई प्रजातियों का घर क्यों कहते हैं?
उत्तर:
भारत को कई प्रजातियों का घर इसलिए कहते हैं क्योंकि यहाँ पर कई प्रकार की प्रजातियां रहती हैं। शुरू में भारत में द्रविड़ रहते थे। फिर यहाँ पर आर्य लोग आए। फिर भारत पर कई प्रकार की प्रजातियों ने आक्रमण किया और यहाँ पर बस गए। धीरे-धीरे ये सभी प्रजातियाँ यहाँ के समाज में समा कर उसका अंग बन गईं। इस तरह अगर भारत को प्रजातियों का अजायबघर भी कहा जाए तो इसमें अतिशयोक्ति नहीं होगी।

प्रश्न 76.
धार्मिक बहुलतावाद क्या होता है?
उत्तर:
अगर किसी जगह पर कई प्रकार के धर्मों को मानने वाले लोग रहते हों तो उसे धार्मिक बहुलतावाद कहते हैं। भारत एक धार्मिक बहुलतावाद वाला देश है क्योंकि इसमें कई प्रकार के धर्मों के लोग एक साथ मिलकर एक ही जगह पर रहते हैं।

प्रश्न 77.
क्षेत्रीय विभिन्नता प्राचीन संस्कृति को कैसे बचाती है?
उत्तर:
यह ठीक है कि क्षेत्रीय विभिन्नता प्राचीन संस्कृति को बचाती है। अगर सारे देश की संस्कृति एक-सी हो जाए तो अलग-अलग संस्कृतियों की महत्ता ही खत्म हो जाएगी। अलग-अलग क्षेत्रों में हम अलग-अलग प्रकार के पहनावे, रहने-सहने के ढंग, खाने के तरीके देख सकते हैं तथा उससे यह जान सकते हैं कि वह किस प्रदेश का रहने वाला है। इससे संस्कृति भी महफूज रह जाती है।

प्रश्न 78.
क्षेत्रवाद (Regionalism) क्या होता है?
अथवा
क्षेत्रवाद को परिभाषित करें।
अथवा
क्षेत्रवाद का अर्थ बताएं।
अथवा
क्षेत्रवाद किसे कहते हैं?
अथवा
क्षेत्रवाद क्या है?
उत्तर:
जब कोई अपने क्षेत्र को प्यार करने लगे और दूसरे क्षेत्रों से नफ़रत करने लगे तो उल्ले क्षेत्रवाद कहते हैं। अपने क्षेत्र के लोगों को बढावा देना भी क्षेत्रवाद का एक रूप है। इसमें दूसरे क्षेत्र के लोगों को विदेशी समझा जाता है। उदाहरण के तौर पर पंजाब में बिहारी को विदेशी समझा जाता है।

प्रश्न 79.
क्षेत्रवाद को कैसे दूर किया जा सकता है?
उत्तर:

  • कानून की सहायता से
  • यातायात तथा संचार के साधनों को बढ़ाकर
  • यात्राओं को बढ़ावा देकर
  • भारत की एक ही भाषा का विकास करके
  • राष्ट्रीय एकता में कार्यक्रम बनाकर
  • सांस्कृतिक सम्मेलन करवाकर इत्यादि।

प्रश्न 80.
क्षेत्रीयता राष्ट्रीय एकता में किस तरह रुकावट बनती है?
उत्तर:
क्षेत्रीयता में अपने क्षेत्र को प्राथमिकता दी जाती है तथा दूसरे क्षेत्र को विदेशी समझा जाता है। दूसरे क्षेत्र के व्यक्ति से घृणा की जाती है। इस तरह क्षेत्रीयता से आपसी समानता तथा भाई-चारे की भावना खत्म हो जाती है। इसमें मानवतावाद न होकर क्षेत्रवाद की भावना पनपती है जोकि भारत जैसे देश की एकता में एक बहुत बड़ी रुकावट है।

प्रश्न 81.
भारत की एकता को कैसे स्थाई रखा जा सकता है?
उत्तर:
भारत की एकता को स्थाई रखने का एक उपाय है क्षेत्रवाद की भावना से ऊपर उठ कर राष्ट्रीय भावना को अपनाना। अगर हम अपने क्षेत्र की परवाह और हितों का ध्यान रखेंगे तो देश की एकता टूट जाएगी पर अगर हम अपने हितों को त्याग कर देश के हितों के बारे में सोचेंगे तथा उसके लिए काम करेंगे तो देश की एकता को स्थाई रखा जा सकता है।

प्रश्न 82.
भारत की भौगोलिक विभिन्नता के बारे में कुछ बताएं।
उत्तर:
भारत में भौगोलिक विभिन्नता पाई जाती है। उत्तर भारत में बर्फ से ढके हिमालय पर्वत हैं। दक्षिण में पठार है। भारत तीन तरफ से सागर से घिरा हुआ है। यहाँ मरुस्थल (राजस्थान) भी है तथा यहाँ संसार के उपजाऊ प्रदेशों में से एक गंगा का मैदान भी है। कई क्षेत्रों में बहुत कम वर्षा (राजस्थान) होती है तथा कई स्थानों (मेघालय) में सबसे ज्यादा वर्षा होती है। कई क्षेत्रों में घनी जनसंख्या है तथा कई क्षेत्रों में बहुत कम जनसंख्या है।

प्रश्न 83.
भारत में खाने-पीने में किस प्रकार की विभिन्नता मिलती है?
उत्तर:
भारत में खाने-पीने में भी विभिन्नता पाई जाती है। उत्तर भारत में गेहूँ के साथ सब्जियाँ तथा दालें खाई जाती हैं। दक्षिण भारत में चावल का अधिक सेवन होता है। तटीय क्षेत्रों में चावल के साथ मछली का ज्यादा सेवन होता है। हरेक क्षेत्र में अपने अलग-अलग खाना पकाने तथा खाना खाने के ढंग हैं।

प्रश्न 84.
राष्ट्रीय एकता में भाषा का महत्त्व बताओ।
उत्तर:
अगर किसी देश में राष्ट्रीय एकता को बरकरार रखना है तो उसमें भाषा का बहुत बड़ा महत्त्व है। एक भाषा होने से अलग-अलग प्रदेशों के लोग आपस में बात कर सकते हैं, एक-दूसरे से अपने विचार बाँट सकते हैं जिससे उनके मन की बात बाहर आ सकती है जिससे वह क्षेत्रीयता की भावना से ऊपर उठकर राष्ट्र के बारे में सोचने लगते हैं। इस तरह राष्ट्रीय एकता में भाषा का काफ़ी महत्त्व होता है।

प्रश्न 85.
राष्ट्रीय एकीकरण में कौन-कौन सी रुकावटें होती हैं?
उत्तर:
राष्ट्रीय एकीकरण में जातिवाद, भाषावाद, क्षेत्रवाद, सांप्रदायिकता, आतंकवाद, इत्यादि के साथ-साथ हड़तालें, जातीय दंगे प्रमुख रुकावटें होती हैं।

प्रश्न 86.
राष्ट्रीय एकीकरण कैसे किया जा सकता है?
उत्तर:
राष्ट्रीय एकीकरण के लिए ज़रूरी है अपने निजी हितों को छोड़कर देश के हितों की तरफ ध्यान देना। अगर सभी लोग, राजनीतिक दल, जातियां, धार्मिक संस्थाएं अपने-अपने हित छोड़कर राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखकर काम करें तो यह हो सकता है। वोट की राजनीति से ऊपर उठ कर देश की समस्याओं तथा एकीकरण के बारे में सोचना चाहिए।

प्रश्न 87.
भारत में धार्मिक विभिन्नता के दुष्परिणाम कौन-से हो सकते हैं?
उत्तर:

  • धार्मिक कट्टरवादिता
  • विभिन्न धर्मों का विरोध
  • सामाजिक असंतुलन एवं विघटन
  • प्रगति में रुकावट
  • धर्म परिवर्तन
  • राष्ट्रीय एकता में बाधक
  • हिंसा को बढ़ावा
  • सांप्रदायिकता।

प्रश्न 88.
भारत की इंडो आर्यन भाषा परिवार तथा द्रविड़ भाषा परिवार के बारे में बताओ।
उत्तर:
इंडो आर्यन भाषाएं आर्यों के भारत आने के साथ आईं। यह सबसे बड़ा भाषायी समूह है। हिंदी, पंजाबी, बंगाली, गुजराती, मराठी, असामी, उड़िया, उर्दू, संस्कृत, कश्मीरी, सिंधी, पहाड़ी, राजस्थानी, बिहारी इस समूह की प्रमुख भाषाएं हैं। इस तरह संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त 22 भाषाओं में से दक्षिण भारत की चार भाषाएं द्रविड़ भाषायी हैं बाकी इंडो आर्यन हैं।

प्रश्न 89.
भारत की भाषाओं को कितने भागों में बाँटा गया हैं?
उत्तर:
भारत की भाषाओं को चार भागों में बांटा गया है

  • इंडो यूरोपियन जिसमें उत्तर भारतीय भाषाएं आती हैं।
  • द्रविड़ भाषा परिवार जिसमें मध्य तथा दक्षिण भारत की भाषाएँ आती हैं।
  • आस्ट्रिक भाषा परिवार जिसमें अंडमान निकोबार की भाषाएं आती हैं।
  • चीनी तिब्बती भाषा परिवार जिसमें हिमालय की ढालों पर रहने वाले लोग आते हैं।

प्रश्न 90.
भारत के किन-किन क्षेत्रों में एकता पाई जाती है?
उत्तर:

  • संस्कृतियों में एकता
  • धार्मिक एकता
  • भौगोलिक एकता
  • भाषायी एकता
  • सामाजिक एकता
  • कला के संबंध में एकता।

प्रश्न 91.
कर्मफल क्या होता है?
उत्तर:
कर्म का मतलब होता है काम। कर्म का भारतीय संस्कृति में काफ़ी महत्त्व है। भारतीय शास्त्रों में यह लिखा है कि व्यक्ति का जन्म उसके पिछले जन्म में किए कर्मों पर निर्भर करता है। अगर आपने अच्छे कर्म किए हैं तो आपका जन्म अच्छे परिवार में होगा तथा यह भी हो सकता है कि आपको जन्म मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाए। अगर आपके कर्म बुरे हैं तो आपको अपने अगले जीवन में दुःख देखने पड़ेंगे तथा हो सकता है कि आपको मुक्ति भी न मिले। इसी को कर्मफल कहते हैं। कर्मों के अनुसार ही मनुष्य को अगला जन्म प्राप्त होता है।

प्रश्न 92.
सांप्रदायिकता का अर्थ बताएँ।
अथवा
संप्रदायवाद को परिभाषित करें।
अथवा
संप्रदायवाद क्या हैं?
अथवा
सांप्रदायिकता क्या है?
उत्तर:
सांप्रदायिकता और कुछ नहीं बल्कि एक विचारधारा है जो जनता में एक धर्म के धार्मिक विचारों का प्रचार करने का प्रयास करता है तथा यह धार्मिक विचार और धार्मिक समूहों के धार्मिक विचारों के बिल्कुल ही विपरीत होते हैं। यह एक विचारधारा है जो यह कहती है कि एक धर्म के सदस्य एक समुदाय के सदस्य हैं तथा अलग-अलग धर्मों के सदस्य एक समुदाय का निर्माण नहीं कर सकते।

प्रश्न 93.
संविधान के निर्माता भारत को एक धर्म-निरपेक्ष राज्य क्यों बनाना चाहते थे?
उत्तर:
संविधान के निर्माता भारत को एक धर्म-निरपेक्ष राज्य बनाना चाहते थे क्योंकि उन्हें सांप्रदायिकता का भय था। भारत में बहुत-से धर्म पाए जाते हैं तथा वह चाहते थे कि किसी भी धर्म को दूसरे धर्म से अधिक महत्त्व न दिया जाए। सभी धर्मों को समान महत्त्व दिया जाए ताकि समाज में सांप्रदायिक दंगे न भड़कें।

प्रश्न 94.
जाति-प्रथा का क्या अर्थ है?
उत्तर:
जाति प्रथा समाज में विभाजन की एक व्यवस्था है जिसमें खाने-पीने, रहने, पेशे, सामाजिक रिश्तों से संबंधित नियम दिए गए हैं। जाति प्रथा में चार मुख्य जातियां पाई जाती हैं तथा व्यक्ति को उसके जन्म के आधार पर जाति प्राप्त होती हैं। व्यक्ति योग्यता होते हुए भी अपनी जाति को बदल नहीं सकता है।

प्रश्न 95.
जातिवाद का क्या अर्थ है?
उत्तर:
जब राजनेता चुनावी लाभ के लिए जातिगत चेतना का लाभ उठाने का प्रयास करते हैं तो इस प्रक्रिया को जातिवाद कहा जाता है। जाति के नेता जाति से संबंधित चेतना को जगाते हैं ताकि उनकी जाति के लोग उन्हें वोट दें। यह जातिवाद है।

प्रश्न 96.
जातिवाद के हमारे समाज पर पड़ने वाले दो प्रभाव बताएं।
उत्तर:

  • जातिवाद को बढ़ावा देना धर्म निरपेक्षता तथा धर्म-निरपेक्ष समाज के विकास में सबसे बड़ा बाधक है।
  • जातिवाद राष्ट्रीय एकता को कमज़ोर करता है क्योंकि यह अलग-अलग जातियों में जाति से संबंधित चेतना को जागृत करता है।

प्रश्न 97.
जाति प्रथा को कैसे ख़त्म किया जा सकता है?
उत्तर:

  • जाति प्रथा से संबंधित कानूनों को ठीक ढंग से लागू करके जाति प्रथा को ख़त्म किया जा सकता है।
  • राजनेताओं को जातिगत राजनीति करनी बंद कर देनी चाहिए।
  • राजनीति में जातिवाद का प्रयोग करने वालों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही होनी चाहिए।
  • अलग-अलग जातियों के बीच अंतर्जातीय विवाह को अधिक-से-अधिक प्रोत्साहित करना चाहिए।

प्रश्न 98.
प्रदत्त पहचान से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जो पहचान व्यक्ति को उसकी योग्यता से नहीं बल्कि जन्म से प्राप्त होती है उसे प्रदत्त पहचान कहते हैं। इसमें संबंधित व्यक्तियों की पसंद या नापसंद शामिल नहीं होती। इस प्रकार की पहचान व्यक्ति को अपने परिवार जाति अथवा समुदाय से प्राप्त होती है।

प्रश्न 99.
राष्ट्र क्या है? इसकी एक परिभाषा दीजिए।
अथवा
राष्ट्र किसे कहते हैं?
अथवा
राज्य को पारिभाषित करें।
अथवा
राष्ट्र की परिभाषा दीजिए।
उत्तर:
सरल शब्दों में राष्ट्र एक प्रकार का बड़े स्तर का समुदाय ही होता है, यह कई समुदायों से मिलकर बना एक समुदाय है। राष्ट्र के सदस्य एक ही राजनीतिक सामूहिकता का हिस्सा बनने की इच्छा रखते हैं। मैक्स वैबर के अनुसार, “राष्ट्र एक ऐसा निकाय होता है जो एक विशेष क्षेत्र में विधि सम्मत एकाधिकार का सफलतापूर्ण दावा करता है।

प्रश्न 100.
विशेषाधिकार अल्पसंख्यक कौन होते हैं?
उत्तर:
हरेक देश में कुछ धार्मिक, भाषायी अथवा किसी और आधार के समूह होते हैं जिन्हें अल्पसंख्यक कहा जाता है। इस प्रकार जब किसी अल्पसंख्यक समूह के साथ कोई विशेषक जोड़ दिया जाता है तो उसे विशेषाधिकार प्राप्त अल्पसंख्यक कहते हैं।

प्रश्न 101.
अल्पसंख्यक का समाजशास्त्रीय अर्थ बताइए।
अथवा
धार्मिक अल्पसंख्यक से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
अल्पसंख्यक शब्द का समाज शास्त्रीय अर्थ यह है कि अल्पसंख्यक वर्ग के सदस्य एक सामूहिकता निर्मित करते हैं अर्थात् उनमें अपने समूह के प्रति एकात्मता, एकजुटता तथा उससे संबंधित होने की प्रबल भावना होती है। यह भावना हानि या असुविधा से जुड़ी होती है क्योंकि पूर्वाग्रह तथा भेदभाव का शिकार होने का अनुभव साधारणतया अपने समूह के प्रतिनिष्ठा और दिलचस्पी की भावनाओं को बढ़ाता है।

प्रश्न 102.
73वें संवैधानिक संशोधन दुवारा – – – के लिए पंचायती राज संस्थाओं में 33% सीटें आरक्षित की गई।
उत्तर:
73वें संवैधानिक संशोधन द्वारा महिलाओं के लिए पंचायती राज संस्थाओं में 33% सीटें आरक्षित की गईं।

प्रश्न 103.
श्रीमद्भागवत् गीता किसने लिखी?
उत्तर:
श्रीमद्भागवत् गीता महर्षि वेद व्यास ने लिखी थी।

प्रश्न 104.
गुरु ग्रंथ साहिब किस समुदाय की धार्मिक पुस्तक है?
उत्तर:
गुरु ग्रंथ साहिब सिख समुदाय की धार्मिक पुस्तक है।

प्रश्न 105.
बौद्ध धर्म के संस्थापक कौन थे?
उत्तर:
गौतम बुद्ध बौद्ध धर्म के संस्थापक थे।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 6 सांस्कृतिक विविधता की चुनौतियाँ

प्रश्न 106.
ऋग्वेद किस धर्म की धार्मिक पुस्तक है?
उत्तर:
ऋग्वेद हिंदू धर्म की धार्मिक पुस्तक है।

प्रश्न 107.
जैनों के 24वें तीर्थंकर का क्या नाम है?
उत्तर:
जैनों के 24वें तीर्थंकर का नाम महावीर हैं।

प्रश्न 108.
भारत की राजकीय भाषा कौन-सी है?
उत्तर:
हिंदी भारत की राजकीय भाषा है।

प्रश्न 109.
विश्व की प्राचीनतम पुस्तक का क्या नाम है?
उत्तर:
ऋग्वेद विश्व की प्राचीनतम पुस्तक है।

प्रश्न 110.
सिखों के दसवें गुरु कौन थे?
उत्तर:
गुरु गोबिंद सिंह सिखों के दसवें गुरु थे।

प्रश्न 111.
– – – रामकृष्ण मिशन के संस्थापक हैं?
उत्तर:
स्वामी विवेकानंद रामकृष्ण मिशन के संस्थापक हैं।

प्रश्न 112.
सिख धर्म के पहले गुरु कौन थे?
उत्तर:
गुरु नानक देव जी सिख धर्म के पहले गुरु थे।

प्रश्न 113.
हिंदुओं की किसी एक धार्मिक पुस्तक का नाम बताइए।
उत्तर:
रामायण हिंदुओं की धार्मिक पुस्तक है।

प्रश्न 114.
स्वामी दयानंद ने सन् 1875 में …………………. समाज की स्थापना की।
उत्तर:
स्वामी दयानंद ने सन् 1875 में आर्य समाज की स्थापना की।

प्रश्न 115.
भारत के किसी एक धार्मिक अल्पसंख्यक का नाम बताइए।
उत्तर:
इसाई भारत में धार्मिक अल्पसंख्यक हैं।

प्रश्न 116.
हिंदू भारत में धार्मिक अल्पसंख्यक हैं या बहुसंख्यक?
उत्तर:
हिंदू भारत में धार्मिक बहुसंख्यक हैं।

प्रश्न 117.
दिल्लीवासी होना जातिवाद/क्षेत्रवाद/भाषावाद/संप्रदायवाद में किसको दर्शाता है?
उत्तर:
दिल्लीवासी होना क्षेत्रवाद को दर्शाता है।

प्रश्न 118.
संप्रदायवाद, क्षेत्रवाद तथा वैज्ञानिक सोच में से कौन-सी भारत के प्रगति में बाधा नहीं हैं?
उत्तर:
वैज्ञानिक सोच भारत की प्रगति में बाधा नहीं है।

प्रश्न 119.
सूचना का अधिकार अधिनियम कब पास हुआ?
उत्तर:
सूचना का अधिकार अधिनियम सन् 2005 में पास हुआ।

प्रश्न 120.
भारत में ………………….. राज्य हैं।
उत्तर:
भारत में 29 राज्य हैं।

प्रश्न 121.
भाषायी राज्य भारतीय एकता को मज़बूत करने में सहायता देते हैं। (सत्य या असत्य)।
उत्तर:
भाषायी राज्य भारतीय एकता को मजबूत करने में सहायता देते हैं-सत्य।

प्रश्न 122.
ब्रह्म समाज की स्थापना किस वर्ष में हुई थी?
उत्तर:
ब्रह्म समाज की स्थापना सन् 1829 में हुई थी।

प्रश्न 123.
आत्मसात्करणवादी नीतियाँ भारत को जोड़ने में मदद करती हैं। (सत्य या असत्य)।
उत्तर:
आत्मसात्करणवादी नीतियाँ भारत को जोड़ने में मदद करती हैं-सत्य।

प्रश्न 124.
भारत का संविधान कब पारित किया गया था?
उत्तर:
संविधान सभा ने संविधान को 26 नवंबर, 1949 को पारित कर दिया था परन्तु यह 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था।

प्रश्न 125.
भारतीय राष्ट्र राज्य में कितनी भाषाएं व बोलियाँ बोली जाती हैं?
उत्तर:
भारतीय राष्ट्र राज्य में 1652 भाषाएं व बोलियाँ बोली जाती हैं।।

प्रश्न 126.
क्या भारतीयों ने अंग्रेज़ी भाषा में उत्कृष्ट साहित्यिक रचनाएँ की हैं? (हाँ/नहीं)
उत्तर:
नहीं।

प्रश्न 127.
‘इंडिया गेट’ एक दरगाह है। (सही/गलत)
उत्तर:
गलत।

प्रश्न 128.
नववर्ष का त्योहार ‘पोंगल’ केरल में मनाया जाता हैं। (सही/गलत)
उत्तर:
गलत।

प्रश्न 129.
भारत को अंग्रेज़ी माध्यम में शिक्षा की सुविधा ब्रिटिश शासन की देन नहीं है। (सही/गलत)
उत्तर:
गलत।

प्रश्न 130.
महिलाओं को पारिवारिक संपत्ति में बराबर की हिस्सेदारी दिलाने में कौन सहायता करता है?
उत्तर:
कानून इस कार्य में सहायता करता है।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में कौन-कौन सी विभिन्नताएं पाई जाती हैं?
उत्तर:
भारत की भौगोलिक विभिन्नता की वजह से भारत में कई प्रकार की विभिन्नताएं पाई जाती हैं जिनका वर्णन निम्नलिखित है-
1. खाने-पीने की विभिन्नता-भारत के अलग-अलग क्षेत्रों में खाने-पीने में बहुत विभिन्नता पाई जाती हैं। उत्तर भारत में लोग गेहूं का ज्यादा प्रयोग करते हैं। दक्षिण भारत तथा तटीय प्रदेशों में चावल का सेवन काफ़ी ज्यादा है। कई राज्यों में पानी की बहुतायत है तथा कहीं पानी की बहुत कमी है। कई प्रदेशों में सर्दी बहुत ज्यादा है इसलिए वहाँ गर्म कपड़े पहने जाते हैं तथा कई प्रदेश गर्म हैं या तटीय प्रदेशों में ऊनी वस्त्रों की ज़रूरत नहीं पड़ती। इस तरह खाने-पीने तथा कपड़े डालने में विभिन्नता है।

2. सामाजिक विभिन्नता-भारत के अलग-अलग राज्यों के समाजों में भी विभिन्नता पाई जाती है। हर क्षेत्र में बसने वाले लोगों के रीति-रिवाज, रहने के तरीके, धर्म, धर्म के संस्कार इत्यादि सभी कुछ अलग-अलग हैं। हर जगह अलग-अलग तरह से तथा अलग-अलग भगवानों की पूजा होती है। उनके धर्म अलग होने की वजह से रीति-रिवाज भी अलग-अलग हैं।

3. शारीरिक लक्षणों की विभिन्नता- भौगोलिक विभिन्नता की वजह से यहाँ के लोगों में विभिन्नता भी पाई जाती है। मैदानी क्षेत्रों के लोग लंबे चौड़े तथा रंग में साफ होते हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में लोग नाटे पर चौड़े होते हैं तथा रंग भी सफेद होता है। दक्षिण भारतीय लोग भूमध्य रेखा में निकट रहते हैं इसलिए उनका रंग काला या सांवला होता हैं।

4. जनसंख्या में विभिन्नता-भारत में जनसंख्या में भी काफ़ी विभिन्नता है। जहाँ कई राज्य जैसे पंजाब, हरियाणा काफ़ी घनी आबादी वाले क्षेत्र हैं वहीं राजस्थान, मेघालय जैसे प्रदेशों में जनसंख्या काफी कम है।

प्रश्न 2.
एकता की भावना को धर्म कैसे कम करता है?
उत्तर:
धर्म को हम एक सामाजिक नियंत्रण के साधन के रूप में देखते हैं पर फिर भी इसकी करनी और कथनी में अंतर है। आजकल धर्म का प्रयोग राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए होता है। धर्म को कई प्रकार से एकता की भावना को कम करने के लिए प्रयोग किया जाता है जैसे-

  • कई धार्मिक संगठन अपने धर्म के लोगों को अपनी तरफ करने के लिए उनकी भावनाओं को भड़काते हैं जिससे लोगों की एकता कम होती है।
  • जो शिक्षण संस्थाएं किसी धर्म से संबंधित होती हैं वह अपने धर्म का ज्यादा प्रचार करते हैं तथा और धर्मों को ऊपर नहीं आने देते।
  • नेता लोग वोट प्राप्त करने के लिए लोगों को भड़काते हैं तथा अपनी राजनीति करते हैं जिससे लोग धर्म के नाम पर एक-दूसरे के साथ लड़ते रहते हैं।
  • कई जातियों ने राजनीतिक दलों में अपने समूह बना लिए जो अपनी जाति या धर्म के लिए काम करते हैं जिससे एकता कम होती है।

प्रश्न 3.
भारत की सांस्कृतिक विविधता के बारे में बताएं।
उत्तर:
भारत में कई प्रकार की जातियां तथा धर्मों के लोग रहते हैं जिस कारण से उनकी भाषा, खान-पान, रहन-सहन, परंपराएं, रीति-रिवाज इत्यादि अलग-अलग हैं। हर किसी के विवाह के तरीके, जीवन प्रणाली इत्यादि भी अलग-अलग हैं। हर धर्म के धार्मिक ग्रंथ अलग-अलग हैं तथा उनको सभी अपने माथे से लगाते हैं।

जिस प्रदेश में चले जाओ वहाँ का नृत्य अलग-अलग है। वास्तुकला, चित्रकला में भी विविधता देखने को मिल जाती है। हर जाति या धर्म के अलग-अलग त्योहार, मेले इत्यादि हैं। सांस्कृतिक एकता में व्यापारियों, कथाकारों, कलाकारों इत्यादि का भी योगदान रहा है। इस तरह यह सभी सांस्कृतिक चीजें अलग-अलग होते हुए भी भारत में एकता बनाए रखती हैं।

प्रश्न 4.
भारतीय समाज की रूप-रेखा के बारे में बताएं।
उत्तर:
भारतीय समाज को निम्नलिखित आधारों पर समझा जा सकता है-
1. वर्गों में विभाजन-पुराने समय में भारतीय समाज जातियों में बँटा हुआ था पर आजकल यह जाति के स्थान पर वर्गों में बँट गया है। व्यक्ति के वर्ग की स्थिति उसकी सामाजिक स्थिति पर निर्भर करती है। शिक्षा, पैसे इत्यादि की वजह से अलग-अलग वर्गों का निर्माण हो रहा है।

2. धर्म-निरपेक्षता-पुराने समय में राजा महाराजाओं के समय में धर्म को काफ़ी महत्त्व प्राप्त था। राजा का जो धर्म होता था उसकी ही समाज में प्रधानता होती थी पर आजकल धर्म की जगह धर्म-निरपेक्षता ने ले ली है। व्यक्ति अन्य धर्मों को मानने वालों से नफ़रत नहीं बल्कि प्यार से रहता है। हर कोई किसी भी धर्म को मानने तथा उसके रीति-रिवाजों को मानने को स्वतंत्र है। समाज या राज्य का कोई धर्म नहीं है। भारतीय समाज में धर्म-निरपेक्षता देखी जा सकती है।

3. प्रजातंत्र-आज का भारतीय समाज प्रजातंत्र पर आधारित है। पुराने समय में समाज असमानता पर आधारित था पर आजकल समाज में समानता का बोलबाला है। देश की व्यवस्था चुनावों तथा प्रजातंत्र पर आधारित है। इसमें प्रजातंत्र के मूल्यों को बढ़ावा मिलता है। इसमें किसी से भेदभाव नहीं होता तथा किसी को उच्च या निम्न नहीं समझा जाता है।

प्रश्न 5.
आश्रम व्यवस्था के बारे में बताएं।
उत्तर:
हिंदू समाज की रीढ़ का नाम है-आश्रम व्यवस्था। आश्रम शब्द श्रम शब्द से बना है जिसका अर्थ है प्रयत्न करना। आश्रम का शाब्दिक अर्थ है जीवन यात्रा का पड़ाव। जीवन को चार भागों में बाँटा गया है। इसलिए व्यक्ति को एक पड़ाव खत्म करके दूसरे में जाने के लिए खुद को तैयार करना होता है। यह पड़ाव या आश्रम है। हमें चार आश्रम दिए गए हैं-
1. ब्रह्मचर्य आश्रम-मनुष्य की औसत आयु 100 वर्ष मानी गई है तथा हर आश्रम 25 वर्ष का माना गया है। पहले 25 वर्ष ब्रह्मचर्य आश्रम के माने गए हैं। इसमें व्यक्ति ब्रह्म के अनुसार जीवन व्यतीत करता है। वह विद्यार्थी बन कर अपने गुरु के आश्रम में रह कर हर प्रकार की शिक्षा ग्रहण करता है तथा गुरु उसे अगले जीवन के लिए तैयार करता है।

2. गृहस्थ आश्रम-पहला आश्रम तथा विद्या खत्म करने के बाद व्यक्ति गृहस्थ आश्रम में प्रवेश करता है। यह 26-50वर्ष तक चलता है। इसमें व्यक्ति विवाह करवाता है, संतान उत्पन्न करता है, अपना परिवार बनाता है,जीवन यापन करता है, पैसा कमाता है तथा दान देकर लोगों की सेवा करता है। इसमें व्यक्ति अपनी इच्छाओं की पूर्ति करता है।

3. वानप्रस्थ आश्रम-यह तीसरा आश्रम है जोकि 51-75 वर्ष तक चलता है। जब व्यक्ति इस उम्र में आ जाता है तो वह अपना सब कुछ अपने बच्चों को सौंपकर भगवान् की भक्ति के लिए जंगलों में चला जाता है। इसमें व्यक्ति घर की चिंता छोड़कर मोक्ष प्राप्त करने में ध्यान लगाता है। जरूरत पड़ने पर वह अपने बच्चों को सलाह भी दे सकता है।

4. संन्यास आश्रम-75 साल से मृत्यु तक संन्यास आश्रम चलता है। इसमें व्यक्ति हर किसी चीज़ का त्याग कर देता है तथा मोक्ष प्राप्ति के लिए भगवान की तरफ ध्यान लगा देता है। वह जंगलों में रहता है, कंद मूल खाता है तथा मोक्ष के लिए वहीं भक्ति करता रहता है तथा मृत्यु तक वहीं रहता है।

प्रश्न 6.
जाति व्यवस्था की कोई चार विशेषताएं बताएं।
उत्तर:

  • जाति की सदस्यता जन्म के आधार द्वारा
  • जाति में सामाजिक संबंधों पर प्रतिबंध होते हैं।
  • जाति में खाने-पीने के बारे में प्रतिबंध होते हैं।
  • जाति में अपना कार्य पैतृक आधार पर मिलता है।
  • जाति एक अंतर-वैवाहिक समूह है, विवाह संबंधी बंदिशें हैं।
  • जाति में समाज अलग-अलग हिस्सों में विभाजित होता है।
  • जाति प्रणाली एक निश्चित पदक्रम है।

प्रश्न 7.
जाति चेतनता क्या है?
उत्तर:
जाति व्यवस्था की यह सबसे बड़ी त्रुटि थी कि उसमें कोई भी व्यक्ति अपनी जाति के प्रति ज़्यादा सचेत नहीं होता था और यह कमी हर व्यवस्था में भी पाई जाती थी। क्योंकि इस व्यवस्था में व्यक्ति की स्थिति उसकी जाति के आधार पर निश्चित होती इसलिए व्यक्तिगत तौर पर उतना जागरूक ही नहीं होता।

जब कि उसकी स्थिति एवं पहचान उनके जन्म के अनुसार ही होनी है, तो उसे पता होता था कि उसे कौन-कौन से कार्य और कैसे करने हैं। यदि कोई व्यक्ति उच्च जाति में जन्म ले लेता है तो उसे पता होता था कि उसके क्या कर्तव्य हैं, यदि उसका जन्म निम्न जाति में हो जाता था, तो उसे पता ही होता था कि उसे सारे समाज की सेवा करनी है और इस स्वाभाविक। प्रक्रिया में दखल-अंदाज़ी नहीं करता था और उसी को दैवी कारण मानकर अपना जीवन-यापन करता जाता था।

प्रश्न 8.
जाति सामाजिक एकता में रुकावट है। कैसे?
उत्तर:
इस व्यवस्था से क्योंकि समाज का विभाजन कई भागों में हो जाता है, इसलिए सामाजिक संतुलन बिगड़ जाता है। इस व्यवस्था में हर जाति के अपने नियम एवं प्रतिबंध होते हैं। इस तरह से अपनी जाति के अलावा दूसरी जाति से कोई ज्यादा लगाव नहीं होता, क्यों जो उन्हें पता होता है कि उन्हें नियमों के अनुसार आचरण करना होता है। इस प्रथा में हमेशा उच्च वर्ग, निम्न वर्ग के लोगों का शोषण करते हैं।

इस प्रकार से जाति भेद होने के कारण एक दूसरे के प्रति नफरत की भावना भी उजागर हो जाती है। इस तरह से यह भेदभाव समाज की एकता में बाधक बन जाता है और इस व्यवस्था की यह कमी थी, कोई व्यक्ति अपनी योग्यता के आधार पर भी अपनी जाति को बदल नहीं सकता, सामाजिक ढांचे का संतुलन बिगड़ जाता है और यही समाज की उन्नति में बाधक बन जाती है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 6 सांस्कृतिक विविधता की चुनौतियाँ

प्रश्न 9.
सांप्रदायिक राजनीति का क्या अर्थ है?
उत्तर:
सांप्रदायिक राजनीति का अर्थ है राजनीति में धर्म का प्रयोग तथा इसमें कहा जाता है कि एक धर्म धर्म से श्रेष्ठ है। इसमें एक धर्म दूसरे धार्मिक समूह से बिल्कुल ही विपरीत होता है तथा उनकी माँगें भी एक-दूसरे से विरुद्ध होती हैं। सांप्रदायिक राजनीति का एक ही आधार होता है कि धर्म के आधार पर समुदायों का निर्माण भी हो सकता है।

यह कहता है कि एक धर्म के लोग एक ही समुदाय से संबंधित होते हैं तथा उनके विचार भी एक जैसे ही होते हैं। यह सांप्रदायिक राजनीति यह भी कहती है कि अलग-अलग धर्मों के अनुयायी एक समुदाय का निर्माण नहीं कर सकते। अपने घटिया दृष्टिकोण से सांप्रदायिक राजनीति यह कहती है कि अलग-अलग धर्मों के लोग एक समान नहीं होते तथा एक विशेष क्षेत्र में मिल-जुल कर नहीं रह सकते।

प्रश्न 10.
‘सांप्रदायिकता का विचार बहुत खतरनाक है।’ टिप्पणी करें।
उत्तर:
सांप्रदायिकता का मूल विचार है कि एक विशेष धर्म का और धर्मों की कीमत पर उत्थान। यह एक विचारधारा है जो यह कहती है कि एक धर्म के सदस्य एक समुदाय के सदस्य हैं तथा अलग-अलग धर्मों के सदस्य एक समुदाय का निर्माण नहीं कर सकते। भारत जैसे देश में, जहां कई धर्म रहते हैं, सांप्रदायिकता बहुत ही ख़तरनाक है। क्योंकि-

  • राजनीतिक नेता अधिक-से-अधिक मत प्राप्त करने के लिए धर्म का प्रयोग करते हैं तथा इससे समाज का धर्म के अनुसार सामाजिक विभाजन हो जाता है।
  • सांप्रदायिकता में, एक धर्म की मांगें दूसरे धर्मों की मांगों से बिल्कुल ही विपरीत होती हैं जिस कारण अलग अलग धर्मों के अनुयायियों में तनाव तथा अविश्वास उत्पन्न हो जाता है।
  • सांप्रदायिकता यह कहती है कि एक विशेष धर्म और धर्मों से श्रेष्ठ है जिस कारण सांप्रदायिक तनाव बढ़ सकता है।

प्रश्न 11.
जाति व्यवस्था के राजनीति में प्रयोग करने की क्या हानियां हैं?
उत्तर:
जाति व्यवस्था उनके लिए काफ़ी लाभदायक है जो इसका प्रयोग राजनीतिक लाभ प्राप्त करने के लिए करते हैं, परंतु साधारणतया इसकी कई हानियां अथवा नकारात्मक प्रभाव हैं जोकि निम्नलिखित हैं

  • अगर जाति व्यवस्था को राजनीति में प्रयोग किया जाए तो राजनीतिक दल अलग-अलग जातियों में बँट जाएंगे जिससे अलग-अलग जातियों में संघर्ष बढ़ जाता है।
  • राजनीतिक दलों तथा अलग-अलग जातियों में विभाजन से जातीय संघर्ष बढ़ जाता है।
  • अलग-अलग जातियों के नेता एक-दूसरे के विरुद्ध प्रचार करते हैं जिससे अलग-अलग जातियों में तनाव बढ़ जाता है। इससे हमारा ध्यान और महत्त्वपूर्ण मुद्दों जैसे कि निर्धनता, बेरोजगारी, शिक्षा इत्यादि से हट जाता है।

प्रश्न 12.
सांप्रदायिकता के क्या आधार हैं?
उत्तर:
सांप्रदायिकता एक विचारधारा है जो जनता में एक ही धर्म के धार्मिक विचारों को फैलाती है तथा यह विचार और धार्मिक समूहों के विचारों से बिल्कुल ही विपरीत होते हैं। इसके मुख्य आधार हैं-

  • यह विचारधारा कहती है कि अलग-अलग धर्मों के लोग एक ही समुदाय से संबंधित नहीं होते।
  • यह विचारधारा कहती है कि एक ही धर्म के लोग एक ही समुदाय से संबंधित होते हैं तथा उनके मौलिक हित भी एक जैसे ही होते हैं।
  • यह विचारधारा कहती है कि अलग-अलग धर्मों के लोगों में कोई भी समानता नहीं होती है। उनके हित निश्चित तौर पर अलग-अलग होते हैं।

प्रश्न 13.
जाति व्यवस्था की वर्तमान स्थिति क्या है?
उत्तर:
यह ठीक है कि सरकार और समाज द्वारा जाति प्रथा के प्रभाव को कम करने के लिए बहुत-से कदम उठाए गए, परंतु फिर भी हम इसके प्रभाव को महसूस कर सकते हैं। लोग अभी भी अपने बच्चों का विवाह अपनी ही जाति में करना पसंद करते हैं। हम अभी भी देश की प्राचीन जाति व्यवस्था का प्रभाव महसूस कर सकते हैं।

अस्पृश्यता अभी भी ख़त्म नहीं हुई है। यह अभी भी चल रही है। निम्न जातियों के लोग अभी भी अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं दे पा रहे हैं जिस कारण वह और समाज से पिछड़े हुए हैं। उच्च जातियों के लोगों का अभी भी देश की राजनीति और समाज पर गहरा प्रभाव है। यह ठीक है कि जाति प्रथा का प्रभाव पहले से कम फिर भी हम कह सकते हैं कि देश में जाति प्रथा व्याप्त है।

प्रश्न 14.
लोकतांत्रिक व्यवस्था में जाति व्यवस्था हानिकारक है। क्यों?
उत्तर:
लोकतांत्रिक व्यवस्था में जात-पात का संकल्प हानिकारक है क्योंकि-

  • असल में यह संकल्प लोकतंत्र के मूल नियमों-स्वतंत्रता, समानता तथा भाईचारे के विरुद्ध है।
  • यह संकल्प वोट बैंक की राजनीति को बढ़ावा देता है तथा इस कारण ही अलग-अलग जातियों के नेताओं ने आर्थिक मुद्दों को पीछे धकेल दिया है।
  • यह संकल्प जाति के हितों को बढ़ावा देता है तथा राष्ट्रीय एकता के विरुद्ध है।
  • यह संकल्प एक ही जाति के हितों को महत्त्व देता है जिस कारण और जातियों के हितों की अनदेखी हो जाती है।

प्रश्न 15.
भारत में सांप्रदायिकता के अलग-अलग कारणों का वर्णन करें।
अथवा
संप्रदायवाद की समस्या के कारण क्या हैं? बताइये।
अथवा
भारत में सांप्रदायिकता के प्रमुख कारण क्या हैं?
अथवा
भारत में साम्प्रदायिकता के मुख्य कारण कौन-से हैं?
उत्तर:
सांप्रदायिकता और कुछ नहीं बल्कि एक विचारधारा है जो लोगों में एक ही धर्म के धार्मिक विचारों को बढ़ावा देती है तथा यह विचार और धार्मिक समूहों के धार्मिक विचारों से बिल्कुल ही विपरीत होते हैं। इसके मुख्य कारण इस प्रकार हैं-
(i) सबसे पहले ब्रिटिश लोगों ने भारत में सांप्रदायिकता को बढ़ावा दिया। वह भारत पर राज्य करना चाहते थे जिस कारण उन्होंने भारत में ‘बांटो तथा राज्य करो’ की नीति प्रयोग की। उनकी इस नीति ने भारत में सांप्रदायिकता के बीज बो दिए।

(ii) राजनीतिक दल भी इसके लिए उत्तरदायी है। हरेक राजनीतिक दल अपना वोट बचाना चाहता है। इसलिए ही वह एक विशेष धर्म की भावनाओं को भड़का देते हैं तथा इसका परिणाम देश में सांप्रदायिक दंगों के रूप में सामने आता है।

(iii) हमारे राजनेता भी सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने के लिए उत्तरदायी हैं। वह चुनाव जीतने के लिए अपने धर्म के लोगों की भावनाओं को भड़काते हैं तथा इससे सांप्रदायिकता बढ़ जाती है।

(iv) ब्रिटिश लोगों ने कांग्रेस का मुकाबला करने के लिए मुसलमानों को बढ़ावा दिया। यहां तक कि मुस्लिम लीग भी बना दी गई। उनकी मुस्लिमों को बढ़ावा देने की नीति ने देश में सांप्रदायिकता के बीज बो दिए।

प्रश्न 16.
‘भारतीय राजनीति से जाति व्यवस्था को अलग नहीं किया जा सकता।’ इस कथन की व्याख्या करें।
उत्तर:
यह ठीक है कि भारतीय राजनीति से जाति व्यवस्था को अलग नहीं किया जा सकता क्योंकि यह भारतीय राजनीति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह कथन ठीक है क्योंकि-
(i) हमारे देश में निम्न जातियों के हितों की रक्षा के लिए बहुत-से राजनीतिक दल आगे आए। इन निम्न जातियों के नेताओं को मंत्री पद भी दिए गए ताकि वे जातियां उन दलों के प्रति वफादार रहें।

(ii) देश में कुछ दबाव समूह ऐसे भी हैं जो विशेष जातियों से संबंधित होते हैं। वे सरकार पर अपनी मांगें मनवाने के लिए दबाव डालते हैं। ये राजनीतिक दलों के टिकटों के वितरण के समय महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं तथा चुनाव के समय तो और भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये अपनी ही जाति के नेता के पक्ष में चुनाव प्रचार भी करते हैं।

(iii) अनुसूचित जातियों को शैक्षिक संस्थाओं तथा सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिया गया है। यहां तक कि राजनीतिक दल भी उन्हें और आरक्षण दिलाने का प्रयास करते हैं ताकि उनकी वफ़ादारी को जीता जा सके।

इस प्रकार इस व्याख्या को देख कर हम कह सकते हैं कि जाति व्यवस्था को भारतीय राजनीति से अलग नहीं किया जा सकता। यह हमारी राजनीतिक व्यवस्था का एक अभिन्न अंग है।

प्रश्न 17.
स्वतंत्रता के बाद भारत की भाषा नीति पर विचार करें।
उत्तर:
(i) भाषायी राज्यों का गठन-स्वतंत्रता के बाद राज्यों के पुनर्गठन की मांग उठी तथा सरकार ने एक कमीशन की सिफ़ारिशें मंजूर कर ली कि राज्यों का भाषायी आधार पर पुनर्गठन किया जाए। इसलिए ही कई राज्यों का भाषायी आधार पर गठन किया गया जैसे कि आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, तमिलनाडु इत्यादि। इससे भारतीय राज्यों में एकता बढ़ी है तथा अलग-अलग राज्यों में तनाव की संभावना कम हुई है।

(ii) भाषा से संबंधित नीति-भारत एक बहुभाषायी देश है जहाँ पर लोग बहुत-सी भाषाएँ बोलते हैं। चाहे हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है परंतु फिर भी भारतीय संविधान में 22 भाषाएँ दी गई हैं। हरेक राज्य अपनी भाषा तथा संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए स्वतंत्र है। अगर कोई व्यक्ति केंद्र सरकार की कोई परीक्षा दे रहा है तो वह किसी भी दी गई भाषा में परीक्षा दे सकता है।

राज्यों की अपनी ही भाषा होती है। चाहे 1965 में अंग्रेजी भाषा का प्रयोग बंद कर दिया गया परंतु राज्यों ने माँग की कि इसे चालू रखा जाए। केंद्र सरकार ने भी ऐसा ही किया। इस प्रकार संघीय सरकार की भाषा से संबंधित नीति ने भारत को जोड़ने में सहायता की तथा यहाँ पर श्रीलंका जैसी स्थिति पैदा होने के अवसर काफ़ी हद तक ख़त्म कर दिए।

प्रश्न 18.
क्षेत्रवाद को कैसे कम किया जा सकता है?
अथवा
क्षेत्रवाद को दूर करने के लिए दो सुझाव दीजिए।
उत्तर:

  • सरकार को हरेक क्षेत्र, हरेक राज्य को समान तथा उस क्षेत्र की मांगों के अनुसार अनुदान तथा सहायता देनी चाहिए ताकि उनमें असंतोष न फैले।
  • किसी विशेष क्षेत्र को और क्षेत्रों के ऊपर अधिक महत्त्व न दिया जाए ताकि और क्षेत्रों के लोगों में हीनता की भावना न आए।
  • देश में शिक्षा की दर बढ़ानी चाहिए तथा उन्हें उच्च शिक्षा लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ताकि लोग पढ़-लिख कर क्षेत्रवाद की भावना से ऊपर उठ कर देश के हितों के लिए कार्य करें।
  • देश में अधिक-से-अधिक रोज़गार के साधन उपलब्ध करवाए जाने चाहिए ताकि लोगों का ध्यान इस ओर न जाए।

प्रश्न 19.
प्रदत्त पहचानों तथा सामुदायिक भावना की तीन विशेषताएं बताएं।
उत्तर:

  • लोग प्रदत्त पहचानों तथा सामुदायिक भावना से काफ़ी गहरे रूप से जुड़े होते हैं। यह हमारी दुनिया को सार्थकता प्रदान करते हैं तथा हमें एक पहचान प्रदान करते हैं कि हम कौन हैं।
  • प्रदत्त पहचाने तथा सामुदायिक भावनाएँ सर्वव्यापक होते हैं। प्रत्येक व्यक्ति की एक मातृ-भूमि होती है। एक मातृ-भाषा होती है, उनका एक परिवार होता है तथा निष्ठा भी होती है।
  • हम सभी अपनी अपनी प्रदत्त पहचानों के प्रति समान रूप से प्रतिबद्ध तथा वफादार होते हैं। चाहे हरेक की प्रदत्त पहचानों में कुछ अंतर होता है। परंतु फिर भी प्रतिबद्धता की संभावना लगभग अधिकांश लोगों में पाई जाती हैं।
  • प्रदत्त पहचान संबंधी द्वंद्व या विवाद की स्थिति में परस्पर सम्मत सच्चाई के किसी भाव को स्थापित करना बहुत कठिन होता है।

प्रश्न 20.
भारत एक धर्म-निरपेक्ष राज्य है। कैसे?
उत्तर:
यह सच है कि भारत एक धर्म-निरपेक्ष राज्य है। संविधान में यह घोषणा की गई है कि भारत एक धर्म निरपेक्ष राज्य होगा। परंतु धर्म, भाषा तथा अन्य कारकों को सार्वजनिक क्षेत्र में पूर्णतया निष्कासित नहीं किया गया है। सच तो यह है कि इन समुदायों को व्यक्त रूप से मान्यता दी गई है। अंतर्राष्ट्रीय मानकों की दृष्टि से अल्पसंख्यक धर्मों को अत्यंत प्रबल संवैधानिक सुरक्षा प्रदान की गई है।

संविधान ने हरेक धर्म को उसकी संस्कृति को बचा कर रखने, उसके प्रचार प्रसार करने की आज्ञा दी है। हरेक व्यक्ति को कोई भी धर्म मानने तथा अपनाने की आज्ञा दी गई है। संविधान में यह भी कहा गया है कि सभी धर्म कानून की दृष्टि में समान हैं तथा किसी भी धर्म के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा। सरकार तथा राज्य का कोई धर्म नहीं होगा। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि भारत एक धर्म निरपेक्ष राज्य है।

प्रश्न 21.
सिक्खों में सुधार आंदोलन कैसे तथा कब चले?
उत्तर:
सिक्ख धर्म की स्थापना गुरु नानक देव जी ने की थी। 19वीं शताब्दी आते-आते सिक्ख धर्म में काफ़ी बुराइयां आ चुकी थीं। गुरुद्वारों पर महंतों का कब्जा था तथा उन्होंने गुरुद्वारों को अपनी अय्याशी का अड्डा बनाया हुआ था। इन महंतों के ऊपर अंग्रेज़ों का हाथ था। सबसे पहले 1880 के दशक में सिंह सभा की स्थापना हुई तथा इन की स्थापना कई जगहों पर हुई। इन का मुख्य उद्देश्य सिक्खों को ईसाई बनने से रोकना, सिक्खों को अपने धर्म पर टिके रहना तथा सिक्ख धर्म का प्रचार करना था।

इसके बाद 1920 वाले दशक में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की स्थापना हुई ताकि गुरुद्वारों को महंतों के चंगुल से छुड़ाया जा सके। बहुत संघर्ष के बाद इनको सफलता मिल गई। उसके बाद यह कमेटी सिक्खों में सुधार तथा धर्म प्रचार का कार्य करती आयी है।

प्रश्न 22.
सिक्ख धर्म की विशेषताएं बताओ।
उत्तर:
सिक्ख शब्द का अर्थ है शिष्य या चेला। इसका मतलब है कि जो भी कोई सिक्ख बनेगा वह अपने गुरु की आज्ञा तथा सीख का पालन करेगा। इस तरह सिक्खों में दस गुरुओं से सिक्ख धर्म का विकास हुआ। इनका पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब है जिनमें गुरुओं की बाणी दर्ज है। सिक्ख धर्म के अनुसार ईश्वर एक है तथा उसी में आस्था रखनी चाहिए, सारे लोग ईश्वर की नज़र में समान हैं इसलिए हमें ऊँच-नीच की भावना को त्याग देना चाहिए। हमें मानव तथा मानवता से प्रेम करना चाहिए, अगर गुरु या ईश्वर को पाना है तो हमें भक्ति का मार्ग अपनाना चाहिए तथा सांसारिक जीवन में रहते हुए ही भक्ति भी करनी चाहिए।

प्रश्न 23.
मुसलमानों में सुधार आंदोलन किस ने तथा कब चलाया?
उत्तर:
मुसलमानों में सुधार आंदोलन चलाने वाले व्यक्ति का नाम था सर सैय्यद अहमद खान। उन्होंने 1857 में बाद देखा कि किस तरह अंग्रेज़ मुसलमानों को दबा रहे हैं। उन्होंने मुसलमानों से अंग्रेजों का वफ़ादार बनने की अपील की ताकि अंग्रेज़ मुसलमानों को ऊपर उठाने के कार्य कर सकें। वह मुसलमानों को एक मंच पर लाए तथा उन्होंने मुसलमानों को अंग्रेजों के विरुद्ध न जाने के लिए कहा। उन्होंने कई स्कूल कॉलेज खोले जिनमें अलीगढ़ कॉलेज सबसे प्रसिद्ध हुआ।

उन्होंने औरतों की शिक्षा पर जोर दिया। उन्होंने पर्दा प्रथा तथा तीन बार कहने पर तलाक हो जाने का विरोध किया ताकि मुस्लिम महिलाओं को ऊपर उठाया जा सके। उन्होंने कई अनाथ आश्रमों की स्थापना भी की। इसके अलावा अहमदिया आंदोलन भी चला जिसने इस्लाम धर्म में सुधार करने का बीड़ा उठाया। खान अब्दुल गफ्फार खान ने भी N.W.F.P. में मुसलमानों के उद्धार के लिए काफ़ी काम किया।

प्रश्न 24.
देश में एकता कायम रखने में अल्पसंख्यक क्या भूमिका निभा सकते हैं?
उत्तर:

  • अल्पसंख्यक को पढ़ना-लिखना चाहिए ताकि वे अपने आपको धर्म-जाति जैसी चीजों से ऊपर उठा सकें।
  • हिंदू तथा मुसलमानों में लगातार मेल-जोल बढ़ते रहना चाहिए ताकि सांप्रदायिक दंगे न हो।
  • मुसलमानों को ज्यादा शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए ताकि वे आर्थिक तौर पर सुदृढ़ हो सकें तथा दंगों के बारे में न सोचें।
  • सरकार को अल्पसंख्यकों को हर प्रकार की सुरक्षा देनी चाहिए ताकि वे अपने आपको सुरक्षित महसूस करके देश की एकता के लिए काम करें।

प्रश्न 25.
अल्पसंख्यकों को किस प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है?
उत्तर:

  • यूं तो हमारे देश में धार्मिक आधार पर कोई भेदभाव नहीं है पर फिर भी अल्पसंख्यक यह महसूस करते हैं कि उनके साथ धर्म के आधार पर भेदभाव होता है जिस वजह से वह हमेशा असुरक्षा की भावना में जीते हैं।
  • अल्पसंख्यकों में शिक्षा का बहुत ज्यादा अभाव है। भारत के सबसे बड़े अल्पसंख्यक समूह मुसलमानों में साक्षरता दर सबसे कम है। शिक्षा न होना कई और समस्याओं जैसे बेरोज़गारी, गरीबी इत्यादि को जन्म देती है।
  • सांस्कृतिक पृथक्कता की वजह से अल्पसंख्यक समूह अपने आपको और समूहों से अलग रखने का प्रयास करते हैं जिस वजह से वह मुख्य धारा से दूर हो जाते हैं।
  • आर्थिक तौर पर भी अल्पसंख्यक गरीब हैं क्योंकि साक्षरता दर कम होने की वजह से उनको अच्छा काम जिसमें ज्यादा पैसा ही मिल नहीं पाता तथा वह गरीब रह जाते हैं।

प्रश्न 26.
अल्पसंख्यक आयोग के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
सन् 1978 में अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना की गई थी। इसका एक अध्यक्ष तथा एक सदस्य होता है जोकि अल्पसंख्यक समूह से ही होता है। आयोग अल्पसंख्यकों की शिकायतों को सुनता है, अल्पसंख्यकों की स्थिति का समय-समय पर मूल्यांकन करता है। उनमें सदस्यों के कल्याण के लिए सरकार के सामने सुझाव पेश करता है। भाषाई अल्पसंख्यकों के लिए भी एक भिन्न आयोग होता है। 1993 में अल्पसंख्यक आयोग की जगह राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की स्थापना की गई थी।

प्रश्न 27.
सूचना के अधिकार में नागरिकों को क्या अधिकार दिए हैं?
उत्तर:
सूचना के अधिकार में नागरिकों को अधिकार हैं-

  • किसी भी सूचना के लिए अनुरोध करने
  • दस्तावेजों की प्रतिलिपियाँ लेने
  • दस्तावेज़ों, कार्यों और अभिलेखों का निरीक्षण करने
  • कार्य की सामग्रियों के प्रमाणित नमूने लेने का अधिकार है।

निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
प्राचीन भारत में एकता के कौन-कौन से तत्त्व थे?
उत्तर:
भारत का समाज बहुत प्राचीन है। इतिहासकारों के अनुसार यह 3000 ईसा पूर्व से शुरू होकर 700 ई० तक चला। इस तरह यह लगभग 3700 साल तक चला तथा इन सैंकड़ों सालों के दौरान भारतीय संस्कृति ने बहुत तरक्की की। इसी समय के दौरान भारतीय समाज की मूल परंपराएं विकसित हुईं। इसी समय भारतीय सामाजिक संगठन के आधारों तथा परंपराओं का भी विकास हुआ। वर्ण व्यवस्था, आश्रम व्यवस्था, जाति व्यवस्था इत्यादि आधारशिलाएं इसी समय दौरान पैदा हुईं तथा धर्म, कर्म, पुरुषार्थ, पुनर्जन्म इत्यादि विचारधाराएं भी इस समय आगे आईं।

चाहे प्राचीन काल के आधारों और विचारधाराओं तथा आज के आधारों तथा विचारधाराओं में काफ़ी परिवर्तन आ चुके हैं पर फिर भी भारतीय समाज में किसी-न-किसी तरह इन संस्थाओं का महत्त्व देखने को मिल जाता है। इनकी वजह से ही कई प्रकार की विभिन्नताओं के होते हुए भी भारत में एकता नज़र आती है। इस तरह प्राचीन भारत में एकता के निम्नलिखित तत्त्व थे-
1. ग्रामीण समाज-प्राचीन भारत ग्रामीण समाज पर आधारित था। जीवन पद्धति ग्रामीण हुआ करती थी। लोगों का मुख्य कार्य कृषि हुआ करता था। काफ़ी ज्यादा लोग कृषि या कृषि से संबंधित कार्यों में लगे रहते थे। जजमानी व्यवस्था प्रचलित थी। धोबी, चर्मकार, लोहार इत्यादि लोग सेवा देने का काम करते थे। इनको सेवक कहते थे। बड़े बड़े ज़मींदार सेवा के बदले पैसा या फसल में से हिस्सा दे देते थे। यह जजमानी व्यवस्था पीढ़ी दर पीढ़ी चलती थी। इस सबसे ग्रामीण समाज में एकता बनी रहती थी। नगरों में बनियों का ज्यादा महत्त्व था पर साथ ही साथ ब्राह्मणों इत्यादि का भी काफ़ी महत्त्व हुआ करता था। यह सभी एक-दूसरे से जुड़े हुआ करते थे जिससे समाज में एकता रहती थी।

2. संस्थाएं-समाज की कई संस्थाओं में गतिशीलता देखने को मिल जाती थी। परंपरागत सांस्कृतिक संस्थाओं में से नियुक्तियाँ होती थीं। शिक्षा के विद्यापीठ हुआ करते थे और बहुत सारी संस्थाएं हुआ करती थीं जो कि भारत में एकता का आधार हुआ करती थीं। ये संस्थाएं भारत में एकता का कारण बनती थीं।

3. भाषा-सभी भाषाओं की जननी ब्रह्म लिपि रहती है। हमारे सारे पुराने धार्मिक ग्रंथ जैसा कि वेद, पुराण इत्यादि सभी संस्कृत भाषा में लिखे हुए हैं। संस्कृत भाषा को पूरे भारत में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। इस को देववाणी भी कहते हैं क्योंकि यह कहा जाता है कि देवता की भी यही भाषा है।

4. आश्रम व्यवस्था- भारतीय समाज में एकता का सबसे बड़ा आधार हमारी संस्थाएं जैसे आश्रम व्यवस्था रही है। हमारे जीवन के लिए चार आश्रमों की व्यवस्था की गई है जैसे ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ तथा संन्यास। व्यक्ति को इन्हीं चार आश्रमों के अनुसार जीवन व्यतीत करना होता था तथा इनके नियम भी धार्मिक ग्रंथों में मिलते थे। यह आश्रम व्यवस्था पूरे भारत में प्रचलित थी क्योंकि हर व्यक्ति का अंतिम लक्ष्य है मोक्ष प्राप्त करना जिसके लिए सभी इसका पालन करते थे। इस तरह यह व्यवस्था भी प्राचीन भारत में एकता का आधार हुआ करती थी।

5. पुरुषार्थ-जीवन के चार प्रमुख लक्ष्य होते हैं जिन्हें पुरुषार्थ कहते हैं। यह है धर्म, अर्थ, काम तथा मोक्ष। शुरू में सिर्फ ब्राह्मण हुआ करते थे। पर धीरे-धीरे और वर्ण जैसे क्षत्रिय, वैश्य तथा शूद्र सभी का अंतिम लक्ष्य परमात्मा की प्राप्ति या मोक्ष प्राप्त करना होता था तथा सभी को इन पुरुषार्थों के अनुसार अपना जीवन व्यतीत करना होता था। धर्म का योग अपनाते हुए, अर्थ कमाते हुए, समाज को बढ़ाते हुए मोक्ष को प्राप्त करना ही व्यक्ति का लक्ष्य है। सभी इन की पालना करते थे। इस तरह यह भी एकता का एक तत्त्व था।

6. कर्मफल-कर्मफल का अर्थ होता है काम। कर्म का भारतीय संस्कृति में काफ़ी महत्त्व है। व्यक्ति का अगला जन्म उसके पिछले जन्म में किए गए कर्मों पर निर्भर है। अगर अच्छे कर्म किए हैं तो जन्म अच्छी जगह पर होगा नहीं तो बुरी जगह पर। यह भी हो सकता है कि अच्छे कर्मों की वजह से आपको जीवन मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाए। इसी को कर्म फल कहते हैं। यह भी प्राचीन भारतीय समाज में एकता का एक तत्त्व था।

7. तीर्थ स्थान-प्राचीन भारत में तीर्थ स्थान भी एकता का एक कारण हुआ करते थे। चाहे ब्राह्मण हो या क्षत्रिय या वैश्य सभी हिंदुओं के तीर्थ स्थान एक हुआ करते थे। सभी को एकता के सूत्र में बाँधने में तीर्थ स्थानों का काफ़ी महत्त्व हुआ करता था। मेलों, उत्सवों, पर्वो पर सभी इकट्ठे हुआ करते थे। तीर्थ स्थानों पर विभिन्न जातियों के लोग आया करते थे, संस्कृति का आदान-प्रदान हुआ करता था।

इस तरह वह एकता के सूत्र में बँध जाते थे। काशी, कुरुक्षेत्र, हरिद्वार, रामेश्वरम्, वाराणसी, प्रयाग, चारों धाम प्रमुख तीर्थ स्थान हुआ करते थे। इस तरह इन सभी कारणों को देख कर हम कह सकते हैं कि प्राचीन भारत में काफ़ी एकता हुआ करती थी तथा उस एकता के बहुत-से कारण हुआ करते थे जिनका वर्णन ऊपर किया गया है।

प्रश्न 2.
भारतीय समाज में विभिन्नता में एकता का वर्णन करो।
उत्तर:
भारत की सांस्कृतिक धरोहर इसके बहुजातीय, बहुधर्मी और बहुप्रजातीय समूहों की देन है। इस देश में जहाँ पर सोलह सौ से ज्यादा मातृभाषाएं अथवा बोलियां हैं और तीन हजार से ज्यादा जातियों में समाज का विभाजन हुआ है। उनके विश्वास, मान्यताएं, आदर्श और मूल्यों में काफ़ी भिन्नताएं हैं। इन भिन्नताओं के बाद भी इस देश में एकता दिखाई देती है। इन विविधताओं के बाद भी यह देश एकता के सूत्र में बंधा है इसके विभिन्न कारण हैं, उन्हें हम निम्न आधार पर देखेंगे-
1. भौगोलिक कारक (Geographical Factors)-भौगोलिक दृष्टि से भारत एक भिन्नताओं एवं विविधताओं का देश है। देश के उत्तर में विश्व की सबसे ऊँची पर्वत श्रेणी हिमालय है। सिंधु, गंगा तथा ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र भारत में बहुत बड़े मैदानी क्षेत्र का निर्माण करते हैं। भारत में विश्व के सर्वाधिक वर्षा वाले क्षेत्र जैसे-गारो, खासी, मेघालय, पालमपुर आदि पाए जाते हैं तथा बहुत शुष्क मरुस्थल जैसे-थार भी पाए जाते हैं। यहाँ बहुत-से उपजाऊ क्षेत्रों के होने के साथ-साथ बंजर क्षेत्र भी हैं। पूरे वर्ष बर्फ से ढके क्षेत्र, शुष्क, मरुस्थलीय क्षेत्र भी पाए जाते हैं। कई बहुत घनी जनसंख्या क्षेत्र जैसे-उत्तर प्रदेश और कई निम्न घनत्व वाले क्षेत्र जैसे-सिक्किम भारत में हैं।

2. सामाजिक कारक (Social Factors)-सामाजिक भिन्नताओं में समाज की मूलभूत संस्था विवाह के भिन्न भिन्न स्वरूप देखने को मिलते हैं। कई जातियों में भ्रातृक बहुपति विवाह तो मुसलमानों में बहुपत्नी विवाह की प्रथा पाई जाती है। संयुक्त परिवार तथा एकाकी परिवार भी सामाजिक विविधता को दर्शाते हैं। कुछ ऐसे समूह हैं जिनके सदस्यों में ‘हम की भावना’ पाई जाती है जैसे परिवार, नातेदारी, पड़ोस आदि और कई ऐसे भी समूह हैं जिनकी सदस्यता सैंकड़ों, लाखों में है।

जैसे नगरीय समुदाय, राजनीतिक दल, औद्योगिक केंद्र। शहरी समुदायों में वर्षों पड़ोस में रहने के बावजूद एक दूसरे को नहीं पहचानते जबकि गांवों में पड़ोसी से संबंधित प्रत्येक पहलू का ध्यान एवं ज्ञान होता है। भारतीय समाज जातीय आधार पर भी हज़ारों समूहों में बंटा है परंतु इन विविधताओं के बावजूद भी समाज में विभिन्न आधारों पर एकता पाई जाती है।

भारत में विवाह एवं संयुक्त परिवार मुख्य परिवार व्यवस्थाएँ हैं। लेकिन अधिकांश स्थानांतरित व्यक्ति अपने परिवार व अन्य सदस्यों से त्यौहारों, उत्सवों पर मिलते हैं। राष्ट्रीय पर्यों तथा सामाजिक पर्यों को देश भर में मनाया जाना अपने आप में एकता का प्रतीक है।

3. धार्मिक कारक (Religious Factors)-भारत में हिंदू, बौद्ध, जैन, सिक्ख, मुस्लिम धर्म के लोग वैदिक एवं महाकाव्य काल से ही रह रहे हैं। फिर मुग़लों के पतन के पश्चात् अंग्रेजों के भारत आगमन के कारण इसाई धर्म भी भारतीय समाज का अभिन्न अंग बन गया। हिंदू तीन हजार से अधिक जातियों, मुसलमान 94 जातियों में बँटे हैं। इसी तरह इसाइयों में प्रोटेस्टेंट एवं कैथोलिक, बौद्ध धर्म में हीनयान एवं महायान, जैनों में पीतांबर एवं श्वेतांबर संप्रदाय हैं।

परंतु विभिन्न धार्मिक समूहों में कई बार दंगे भी भड़क उठते हैं। जैसे-27 फरवरी, 2002 में गुजरात में ‘गोधरा कांड’ देश की धार्मिक विविधता के अकार्य हैं। इन सबके बावजूद भी भारत की धार्मिक विविधता में भी आंतरिक एकता पाई जाती है। कहने को तो हिंदू, बौद्ध, जैन एवं सिक्ख चार अलग-अलग धर्म हैं परंतु यह सभी धर्म हिंदू धर्म से ही निकले हैं।

भारतीय मुसलमानों का भी काफ़ी भारतीयकरण हुआ है। भारत में इसाइयों की संख्या भले ही अधिक लगती हो परंतु इसाई मिशनरियों ने भारी संख्या में हिंदुओं को ईसाई बनाया है परंतु धर्म परिवर्तन से उनके विश्वासों एवं मूल्य-आदर्शों में परिवर्तन नहीं हुआ है। होली, दिवाली, दशहरा, ईद, गुरुपर्व, क्रिसमिस, गुडफ्राई-डे सभी भारतीय हर्षोल्लास से मनाते हैं।

4. जातीय कारक (Caste Factors)-प्रायः सभी धर्मों के अनुयायी अनेक जातियों एवं उपजातियों में बँटे हुए हैं। वैदिक काल से प्रारंभ हए कर्म एवं गण के आधार पर चार वर्ण अंतःवर्ण (Intra-Varna) से हजारों जातियों में परिवर्तित हो गए। अहीर जाति में 1700 तथा ब्राह्मणों की 639 की उपजातियां थीं। वर्तमान समय में 3000 जातियां पाई जाती हैं। केवल हिंदुओं में ही नहीं बल्कि मुसलमानों में भी 94 जातियाँ पाई जाती हैं।

बौद्धों में हीनयान-महायान, जैनों में श्वेतांबर-पीतांबर, ईसाइयों में प्रोटेस्टैंट तथा कैथोलिक संप्रदाय भी हिंदुओं की जातियों की तरह ही विभाजित हैं। प्रत्येक जाति के अपने-अपने विश्वास, मान्यताएं एवं महापुरुष रहे हैं। स्वतंत्रोपरांत सरकार द्वारा जातीय समूह को चार श्रेणियों में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अन्य पिछड़े वर्गों तथा सामान्य (general) श्रेणी में वर्गीकृत कर दिया गया है।

पिछड़े वर्ग एवं जातियों के विभिन्न संस्थाओं में आरक्षण के कारण जातीय स्तरीकरण काफ़ी कम हुआ है। विभिन्न जातियों के सदस्यों द्वारा बसों-गाड़ियों में एक साथ सफर करने, शैक्षणिक संस्थाओं में इकट्ठे शिक्षा ग्रहण करने एवं सरकारी कार्यालयों तथा औदयोगिक केंद्रों में इकट्ठे काम करने से जातीय बंधनों में शिथिलता आई है।

5. जनजातीय कारक (Tribal Factor)-देश के पहाड़ों, जंगलों तथा दुर्गम क्षेत्रों में सैंकड़ों जनजातीय समूह निवास करते हैं। भारतीय संविधान में ही 560 जनजातियों का उल्लेख किया गया है जोकि देश में जनजातीय विविधता का परिचायक है। जैसे-गौंड, भील, मुंडा, नागा आदि। जनजाति अपनी पहचान बनाने हेतु आंदोलन का सहारा भी लेती हैं।

नवंबर, 2000 में झारखंड, छत्तीसगढ़, उत्तरांचल तथा स्वतंत्रता के बाद में मिज़ोरम, नागालैंड, मेघालय आदि प्रदेशों का निर्माण जनजातीय संघर्ष एवं आंदोलनों का प्रतिफल है। जनजातीय विविधता के कारण खतरा तब पैदा होता है जब वह अलग होने के लिए आंदोलन का रास्ता अपनाती हैं।

तीय विविधता में भी एकता का निवास है। लगभग 90% जनजातीय सदस्यों का हिंदकरण हो गया है। ये लोग हिंदू देवी-देवताओं की आराधना करते हैं। इतनी बड़ी आबादी द्वारा जनजातियों द्वारा हिंदू धर्म के विश्वासों तथा अनुष्ठानों का अनुकरण करना जनजातीय विभिन्नता में एकता को दर्शाता है।

6. भाषायी कारक (Linguistic Factors)-भारत एक बहुभाषी समाज है और भारतीय संविधान में 14 भाषाओं को मान्यता प्रदान की है। कुछ सालों पश्चात् सिंधी, नेपाली, कोंकणी और मणिपुरी को संविधान में संम्मिलित कर लिया गया। हिंदी को राष्ट्रीय या राजकीय भाषा, अंग्रेज़ी को संपर्क भाषा के रूप में मान्यता मिली। भाषा के आधार पर भारतीय समाज कितना विभाजित है इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि सन् 1953 में तमिलनाडु से अलग कर तेलगू भाषी आंध्र प्रदेश की स्थापना की गई थी।

दक्षिण भारत के लोग हिंदी भाषा को अपनाने के समर्थ में नहीं हैं। परंतु इतनी विविधता के बावजूद भाषाई एकता पाई जाती है। देश के अधिकांश लोग हिंदी बोलते, पढ़ते, लिखते व समझते हैं। दक्षिण भारत में मुख्यतः द्रविड़ भाषाओं (तमिल, तेलुगू, कन्नड़, मलयालम) और उत्तरी व पश्चिमी भारत में इंडो आर्यन भाषाओं का प्रयोग होता है। भारत में शिक्षा प्रचार प्रसार के कारण ही यह संभव हुआ है कि देश के सभी लोग हिंदी या अंग्रेजी में आपस में विचार-विमर्श कर सकते हैं।

7. सजातीय कारक (Ethnic Factors)-भारतीय समाज को यदि प्रजातियों का अजायबघर कहा जाए तो यह गलत नहीं होगा। भारतीय समाज बहुजनीय (Polygenetico) है। यह कई प्रजातियों का मिश्रण है। भारत में मुख्य तौर पर छः प्रजातियों-प्रोटो ऑस्ट्रेलायड, द्रविड़ (मैडिट्रेनियन), नीग्रिटो, मंगोलायड, नौर्डिक आर्य तथा ब्राची सेफाल के लक्षण पाए जाते हैं परंतु श्वेत एवं अश्वेतों के बीच अफ्रीका एवं अमेरिका आदि देशों की तरह भारतीय प्रजातियों में संघर्ष नहीं पाए जाते हैं। वास्तव में विभिन्न प्रजातियों के सदस्य अंतः प्रजातीय विवाह तथा सांस्कृतिक रूप से इस प्रकार घुल-मिल गए हैं कि उनकी पूर्णतः अलग प्रजाति के रूप में पहचान करना कठिन है।

8. सांस्कृतिक कारक (Cultural Factors)-लोकरीतियों, प्रथाओं, आदर्शों, मूल्यों, नियमों, विश्वासों, भाषाओं तथा साहित्य आदि सभी में सांस्कृतिक आधार पर काफ़ी भिन्नताएं पाई जाती हैं। विभिन्न नृत्यों जैसे हिमाचल में नाटी, पंजाब में भांगड़ा एवं गिद्दा, तमिलनाडु में भरतनाट्यम, कर्नाटक में कत्थक आदि में भी विविधता पाई जाती है।

विभिन्न धर्मों में, मेलों में, त्योहारों में, उत्सवों को मनाने के आधार पर भी भारत में विभिन्नताएँ पाई जाती हैं। दक्षिण भारत में पोंगल, गणेश चतुर्थी आदि और उत्तर भारत में दीवाली, लोहड़ी, भूमर आदि बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं। इसी प्रकार वेशभूषा के आधार पर दक्षिण भारत में लुंगी, राजस्थान में धोती-कुर्ता व सिर पर साफा, पंजाब में सलवार-कुर्ता आदि पहनने का प्रचलन है।

इस प्रकार भारतीय संस्कृति बहुरंगी माला की तरह है। वास्तव में भारतीय समाज में विदेशियों के (अंग्रेज़ों) आगमन पर अपने सांस्कृतिक तत्त्वों का भारतीयकरण करके अपनाया। लेकिन सहिष्णुता, शिष्टाचार, भारतीयता में आस्था एवं विश्वास ऐसे सांस्कृतिक तत्त्व हैं जो पूरे देश में साझे रूप में देखने को मिलते हैं। हमारे वेद, पुराण, ग्रंथ, उपनिषद् आदि भी पूरे देश को एक सूत्र में पिरोते हैं।

9. कलाएँ, साहित्य एवं शिक्षा (Arts, Literature and Eduction)-भारतीय समाज में कलाओं के आधार पर नृत्य, संगीत, मूर्तिकला, चित्रकला आदि में काफ़ी भिन्नताएँ पाई जाती हैं। नृत्यों में कथकली, गिद्दा, भांगड़ा, गरबा, कुची पुड़ी इत्यादि नाम उल्लेखनीय हैं। अलग-अलग भाषाओं में लोकगीत, कीर्तन, भजन, गज़ल, टप्पा आदि विभिन्नता दर्शाते हैं। संस्कृत, अंग्रेज़ी, उर्दू, हिंदी, बंगाली, मराठी आदि उदाहरण साहित्यिक क्षेत्र में विविधता दर्शाते हैं।

साक्षरता के आधार पर या शैक्षणिक आधार पर प्रकांड पंडित, प्राध्यापक, डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक आदि व्यावसायिक तथा दूसरी तरफ निरक्षर, अज्ञानी लोग शैक्षणिक विविधता दर्शाते हैं। इन विविधताओं के बावजूद कलाओं, साहित्य एवं शिक्षाओं में एकता झलकती है। कालिदास का संस्कृत में, टैगोर का बंगाली में, राधाकृष्णन का अंग्रेज़ी में साहित्य भारतवासियों के लिए उत्तम उदाहरण हैं।

10. भावनात्मक कारक (Emotional Factors)-भावनात्मक विविधता में लोगों की निष्ठा जातीय, धार्मिक, भाषायी, क्षेत्रीय तथा सामुदायिक आदि आधारों पर बँटी हुई है। भारतीय व्यक्ति अपने आप को भारतीय कहने की अपेक्षा, बंगाली, मराठी, पंजाबी, हिमाचली, राजपूत, पारसी, ब्राह्मण आदि कहने में ज्यादा गौरव महसूस करता है। वह स्वयं को सबसे पहले जाति, धर्म, क्षेत्र आदि से संबंधित मानता है और इसके उपरांत ही भारत का नागरिक समझता है।

भारत दो सौ सालों के उपरांत गुलामी की जंजीरें तोड़कर आज़ाद हुआ और स्वतंत्रता की स्वर्ण जयंती मना पाया क्योंकि देशवासियों में भावनात्मक एकता पाई जाती रही है। विशेष परिस्थितियों में जैसे युद्ध के समय, खेल अवसरों पर, प्राकृतिक त्रासदियों (जैसे सुनामी) के समय भारतीयों में देशभक्ति, देशप्रेम, आत्म-समर्पण, बलिदान, त्याग, राष्ट्रवादिता तथा भारतीयता की भावना स्पष्ट दिखाई देती है। कारगिल संघर्ष के दौरान भारतीयों में अभूतपूर्व भावनात्मक एकता देखने को मिली जब देशवासियों ने तन-मन-धन से अपने देश के हितों की रक्षा, एकता व अखंडता के लिए सेवा व समर्पण भाव दिखाया। क्रिकेट जैसे खेलों में भी समाज में भावनात्मक एकता दृष्टिगोचर होती है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 6 सांस्कृतिक विविधता की चुनौतियाँ

प्रश्न 3.
भारत में धार्मिक विविधता के कौन-से कारक हैं?
उत्तर:
धर्म में विविधता दो प्रकार की है-

  • आंतर धार्मिक विविधता (Intra-religious diversity)
  • अंतः धार्मिक विविधता (Inter-religious diversity)

1. आंतर धार्मिक विविधता (Intra-religious Diversity)-भारत के विभिन्न धर्मों (हिंदू, इस्लाम, ईसाई, सिक्ख, जैन, बौदध) में अनेकता के अनेक कारक विदयमान हैं। हिंदू धर्म में आर्य समाज, ब्रहम समाज, शैव, शाक्त, वैष्णव, वाम पंथी, कृष्ण भक्त, हनुमान भक्त, पेड़-पौधों की, पशुओं आदि की पूजा करने वाले लोग हैं। जातीय संस्तरण में ब्राह्मण सबसे उच्च स्थान पर थे। हिंदू धर्म में उच्च जातियों के लोगों को पवित्र और निम्न जातियों के लोगों को निम्न और अपवित्र माना जाता था।

निम्न जातियों को पूजा-पाठ, हवन-यज्ञ आदि करने पर रोक है। कई वेदों, उपनिषदों, मनुस्मृति में उल्लेख है किं ब्रह्मा के मुख से ब्राह्मण, क्षत्रिय भुजाओं से, वैश्य टांगों से तथा निम्न जातियां पैरों से पैदा हुए थे जिसके कारण जातीय आधार पर अस्पृश्यता पाई जाती थी। इस्लाम धर्म में शिया और सुन्नी, इसाई धर्म में प्रोटेस्टेंट एवं कैथोलिक संप्रदाय पाए जाते हैं। इसी प्रकार सिक्ख धर्म में नामधारी, अकाली, निरंकारी, सेवापंथी आदि संप्रदाय पाए जाते हैं। बौद्ध धर्म में हीनयान तथा महायान और जैनों में श्वेतांबर तथा पीतांबर प्रमुख संप्रदाय हैं।

2. अंतःधार्मिक भिन्नता (Inter-Religious Diversity) भारतीय समाज में हिंदू, मुसलमान, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन तथा पारसी आदि प्रमुख धर्मों के अनुयायी पाए जाते हैं। इन धर्मों में विविधता एवं अनेकता अग्रलिखित आधारों पर पाई जाती है-
(i) अलग भगवान् (Different Gods)-प्रत्येक धर्म के अपने-अपने इष्ट देवता हैं जैसे हिंदुओं मे ब्रह्मा, विष्णु, महेश, शक्ति, कृष्ण, राम आदि, मुसलमानों में हज़रत मुहम्मद, ईसाइयों में ईसा मसीह, सिक्खों के गुरु नान लेकर गुरु गोबिंद तक दस गुरु, बौदधों के महात्मा बुद्ध; जैनों के चौबीस तीर्थंकर-प्रथम ऋषभदेव से लेकर चौबीसवें वर्धमान महावीर तथा पारसियों जरथस्त्र ईश्वर, भगवान एवं धार्मिक गुरु माने जाते हैं।

(ii) धार्मिक ग्रंथ (Religious Books)-धार्मिक पुस्तकों में हिंदुओं में वेद, पुराण, उपनिषद, रामायण, महाभारत, श्रीमद्भगवत गीता आदि धार्मिक पुस्तकें हैं। इसी प्रकार ईसाइयों में बाइबल, मुस्लिमों में कुरान, सिक्खों में गुरु ग्रंथ साहिब तथा पारसियों में अवेस्तां पवित्र धार्मिक पुस्तकें हैं।

(iii) एकैश्वरवाद तथा बहुदेववाद (Monotheism and Polythesism)-ईश्वरों की संख्या पर आधारित हिंदुओं में ब्रह्मा, विष्णु, शिव, राम, कृष्ण, नरसिंह, शक्ति आदि विभिन्न भगवान् के रूपों की पूजा की जाती है। सिक्खों में दस गुरु, मुस्लिमों में अल्ला आदि। लेकिन सिक्ख, ईसाई, मुसलमान तथा पारसी एक ईश्वर में विश्वास रखते हैं। बौद्ध धर्म के लोग ईश्वर के अस्तित्व संबंधी कोई टिप्पणी नहीं करते जबकि जैन धर्म के अनुयायी ईश्वर के अस्तित्व में विश्वास नहीं करते।

(iv) मूर्ति-पूजा (Idol Worship)-मूर्ति-पूजा के आधार पर हिंदू अपने सभी देवताओं की परिकल्पना एक निश्चित आकार की मूर्ति के रूप में करते हैं, परंतु ईसाई एवं मुसलमान मूर्ति-पूजा का कड़ा विरोध करते हैं।

(v) धार्मिक विश्वासों में विविधता (Diversity in Religious Beliefs)-विश्वासों के आधार पर हिंदू पुनर्जन्म, आत्मा की अनश्वरता, पाप-पुण्य तथा धार्मिक अनुष्ठानों में विश्वास रखते हैं। परंतु मुस्लिम पुनर्जन्म में विश्वास नहीं करते। ईसाइयों का मानना है कि ईसा मसीह ईश्वर के पुत्र एवं दूत हैं। इसी प्रकार सिक्ख कर्मकांडों का विरोध करते हैं। गुरु नानक देव जी ने हिंदुओं के अनुष्ठानों का कड़ा विरोध किया है। बौद्ध पुनर्जन्म में विश्वास करते हैं परंतु जैन धर्म के अनुयायी इस बात में विश्वास नहीं करते कि ईश्वर है। उनके अनुसार शरीर को कठोर कष्ट दिया जाना चाहिए।

(vi) पारस्परिक विरोधी (Mutually Opposing) भारतीय धर्मों के अनेक तत्त्व अन्य धर्मों का विरोध करते हैं या फिर अन्य धार्मिक मान्यताओं से विपरीत हैं। हिंदू धार्मिक मान्यतानुसार ब्राह्मण सभी जातियों में सर्वोच्च हैं। हिंदू पशु-पक्षियों की पूजा करते हैं, चढ़ते सूर्य को जल चढ़ाते हैं, मूर्तिपूजा करते हैं और पुनर्जन्म में भी विश्वास रखते हैं। मुसलमान व ईसाई मूर्ति पूजा के विरुद्ध हैं। बौद्ध, सिख एवं जैन ब्राह्मणों की सर्वोच्च स्थिति के कट्टर विरोधी हैं तथा हिंदू धार्मिक अनुष्ठानों एवं कर्मकांडों का विरोध करते हैं।

इन सबसे सिद्ध होता है कि धार्मिक विश्वासों में भिन्नता, अनेकता एवं पारस्परिक धार्मिक विरोधाभास पाए जाते हैं। कई बातों में एक धर्म विश्वास करता है तो दूसरा अविश्वास।

प्रश्न 4.
भारत में धार्मिक एकता के कारण बताओ।
उत्तर:
भारत में पाए जाने वाले विभिन्न धर्मों में आंतरिक एकता पाई जाती है जिनका वर्णन निम्नलिखित है-
1. एक हिंदू धर्म में आंतरिक एकता (Internal Unity in Hinduism) यद्यपि हिंदू धर्म के लोग विभिन्न देवी-देवताओं, असंख्य समाजों को, विभिन्न संप्रदायों में, विश्वासों में बँटे हुए हैं तथापि हिंदू धर्म में आंतरिक एकता पाई जाती है। ब्रह्मा, विष्णु, शिव, त्रिदेव के रूप हैं, विष्णु अवतार-राम, कृष्ण, नरसिंह, वाराह आदि एक ही रूप हैं और एक ही ईश्वर है।

वास्तव में हिंदू धर्म बहुत व्यापक धर्म है और वृहद् अवधारणा हैं। यह केवल पवित्र वस्तुओं में, अनुष्ठानों में विश्वास करने तक ही सीमित नहीं है। इसमें समाज द्वारा मान्यता प्राप्त मूल्यों एवं आदर्शों की अनुपालना भी शामिल है जैसे बड़ों का आदर करना, छोटों को प्यार करना, ज़रूरतमंदों की सहायता करना आदि। अतः हिंदू धर्म में विविधताओं में एकता की अनूठी व्यवस्था है।

2. भारतीय मूल के धर्मों में एकता (Unity among Religions of Indian Origin)-हिंदू, बौद्ध, जैन तथा सिक्ख धर्मों में ऐतिहासिक कारणों तथा व्यावहारिक कारणों से एकता के अनेक तत्त्व विद्यमान हैं। बौद्ध धर्म के संस्थापक महात्मा बुद्ध स्वयं एक हिंदू क्षत्रिय थे। जैन धर्म के तीर्थंकर (चौबीसवें) महावीर जैन भी क्षत्रिय थे।

सिक्ख धर्म के संस्थापक गरु नानक जी ने हिंद धर्म के लोगों के कारण ही सिक्ख धर्म को स्थापित किया था। परंत इन सभी ने हिंदू धर्म में प्रचलित आडंबरों का विरोध किया। हिंदू एवं सिख धर्म में मौलिक एकता का अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि असंख्य हिंदू अपने एक पुत्र को हिंदू तथा दूसरे को सिक्ख बनाते हैं। हिंदू विवाह अधिनियम (Hindu Marriage Act) सभी धर्मों के अनुयायियों पर समान रूप से लागू होते हैं।

3. भारतीय एवं गैर-भारतीय मल के धर्मों में एकता (Unity between Religions of Indian and Non-Indian Orisin)-हिंद. बौदध, सिक्ख एवं जैन भारतीय मल के धर्म हैं। परंत इस्लाम, ईसाई तथा पारसी गैर-भारतीय मल के धर्म हैं। हिंदू तथा विदेशी मूल के धर्मों में कई समानताएँ पाई जाती हैं। पारसी धर्म के लोग हिंदुओं की तरह उपनयन अथवा जनेऊ संस्कार करते हैं। उनमें यज्ञ, हवन, आहुतियों, आचमन, दान तथा अनेक हिंदुओं के अनुष्ठानों का प्रचलन है।

वे पित्रों का श्राद्ध भी करते हैं। कई भारतीय ईसाइयों एवं निम्न वर्ग के लोगों ने जातीय स्थिति से छुटकारा पाने हेतु धर्म परिवर्तन भी किया और कई लोग धर्मांतरण के कारण हिंदुओं से ईसाई भी बने लेकिन व्यवहार में मूल धर्म, धार्मिक ग्रंथों, मूल्यों, देवी-देवताओं में उनकी आस्था बनी रही। भारतीय मुसलमानों का भी काफ़ी भारतीयकरण हुआ है। अतः भारत में धर्मों की आपस में एकता के काफ़ी तत्त्व विद्यमान हैं।

4. धार्मिक त्योहारों एवं राष्ट्रीय पर्यों को मिलकर मनाना (To celebrate Religious and National festivals together)-देश के विभिन्न धार्मिक समुदायों के धार्मिक त्योहार-दीवाली, दशहरा, जन्माष्टमी, राम नवमी, महाशिवरात्रि, ईद-उल-जुहा, ईद-उल-फितर, क्रिसमिस, गुड फ्राइडे, गुरु नानक जन्म दिवस और राष्ट्रीय त्योहार जैसे गणतंत्र दिवस, गांधी जयंती, स्वतंत्रता और राष्ट्रीय त्योहार जैसे गणतंत्र दिवस, गांधी जयंती, स्वतंत्रता दिवस आदि आपस में मिल-जुल कर, खुशियों से मनाते हैं। पूरा भारतवर्ष इन त्योहारों को मनाने हेतु बढ़-चढ़ कर भाग लेता है।

5. धर्म-निरपेक्षवाद एवं समतावाद (Secularism and Equalitarianism)-भारत एक धर्म-निरपेक्ष राष्ट्र है। सभी धर्मों के अनुयायी अपने-अपने धर्म के विकास एवं प्रचार के लिए स्वतंत्र हैं। सभी धर्मों को समान मौलिक अधिकार दिए गए हैं। संविधान में हर धर्म के हितों की रक्षा हेतु कई प्रावधान भी प्रदान किए गए हैं। संविधान में अनुच्छेद 25 से 28 द्वारा धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार दिए गए हैं। इस अनुच्छेद के अनुसार कोई भी व्यक्ति किसी भी धर्म को स्वीकार कर उसका प्रचार प्रसार कर सकता है। आयोग संविधान में धार्मिक अल्पसंख्यकों संबंधी प्रावधानों का मूल्यांकन करता है तथा उन्हें लागू करवाने हेतु यथोचित कदम भी उठाता है।

प्रश्न 5.
कौन-से भाषायी कारकों की वजह से भारत में विविधता पाई जाती है?
उत्तर:
भाषा अपनी बात कहने का अथवा अपना पक्ष रखने का प्रमख साधन है। यह प्रथम सांस्का संस्कृति की प्रमुख वाहक है। भाषा विचारों के आदान-प्रदान की मूलाधार है परंतु यह एक बहुत ही जटिल व्यवस्था स और अमेरिका के भाषाविदों के अनुसार विश्व में कुल 2796 भाषाएं बोली जाती हैं जिनमें से 1200 भाषाएँ अमरीकी एवं भारतीय जन-जातियों के लोग बोलते हैं। मंदारिन (Mandarin) भाषा विश्व की सबसे अधिक लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा है।

उसके बाद अंग्रेजी और तृतीय स्थान पर हिंदी सर्वाधिक व्यक्तियों द्वारा बोली जाने वाली भाषाएँ हैं। भारत में राष्ट्रीय, स्थानीय और प्रांतीय स्तर पर भिन्न-भिन्न भाषाएं बोली जाती हैं। भारतीय समाज में बोली जाने वाली भाषाओं के आँकड़ों के मुताबिक भारत में कुल मातृ भाषाएँ 16 52 हैं। इनमें से केवल 22 भाषाओं को ही संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त है। देश में बोली जाने वाली कुल 826 भाषाओं में से 723 भारतीय मूल की तथा 103 विदेशी मूल अथवा गैर-भारतीय भाषाएँ हैं।

प्रमुख भाषाओं के नाम (Names of Main Languages)
भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अनेक भाषाएँ बोली जाती हैं। उनमें से प्रमुख भाषाओं के नाम अग्रलिखित सारणी में दिए गए हैं-
HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 6 सांस्कृतिक विविधता की चुनौतियाँ 1
संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त भाषाएँ (Languages Recognised by Constitution)-भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में भाषाओं की सूची दी गई है। पहले मान्यता प्राप्त भाषाओं की संख्या 1 4 थी परंतु 1992 में संविधान में तबदीली के तहत इन भाषाओं की संख्या बढ़कर 18 हो गई। देवनागरी लिपि (Devanagri script) में हिंदी को 14 सितंबर, 1949 को राजकीय भाषा (official language) के रूप में अपनाया गया। 2003 में आठवीं अनुसूची में संशोधन करके चार अन्य भाषाओं को मान्यता दी गई।

गैर-सवैधानिक मान्यता प्राप्त प्रमुख भाषाएँ (Non-Constitutionally Recognised Major Languages) भारतीय संविधान में मान्यता प्राप्त भाषाओं के अलावा तालिका में निर्दिष्ट तेरह भाषाएँ पाँच लाख या इससे अधिक लोगों द्वारा बोली जाती हैं। इनमें से हिमाचल प्रदेश में बोली जाने वाली पहाड़ी भाषा प्रमुख है। एक-से लोग मंडयाली तथा सिरमारी हि० प्र० के क्रमशः मंडी व सिरमौर जिले में बोलते हैं। 673 अन्य भारतीय भाषाएँ तथा 10 3 गैर–भारतीय भाषाएँ अपेक्षाकृत कम लोगों द्वारा बोली जाती हैं।

भारत के भाषा परिवार (Indian Language Families)-भारत की सभी भाषाओं को मुख्य रूप से छः भाषा परिवारों में बाँटा जा सकता है

  • नीग्रोइट (Negroid)
  • ऑस्ट्रिक (Austric)
  • चीनी-तिब्बती (Sino-Tibetan)
  • द्रविड़ (Dravadian)
  • इंडो-आर्यन (Indo-Aryan)
  • अन्य भाषा परिवार (Other Language Families)

इन छः भाषा परिवारों में भी भारत में बोली जाने वाली अधिकांश भाषाएँ दो भाषा परिवारों से संबंधित है जिनका वर्णन निम्नलिखित ह-
1. इंडो-आर्यन भाषा परिवार (Indo-Aryan Language Family)-आर्यों के आगमन के साथ इंडो-आर्यन भाषाओं का आगमन हुआ। यह एक ऐसा भाषाई समूह है जो देश की कुल आबादी का तीन-चौथाई हिस्सा घेरे हुए है।
इस समूह की प्रमुख भाषाएँ-

  • हिंदी
  • पंजाबी
  • बंगाली
  • गुजराती
  • मराठी
  • असमी
  • उड़िया
  • उर्दू
  • संस्कृत
  • कश्मीरी
  • सिंधी
  • पहाड़ी
  • राजस्थानी तथा
  • भोजपुरी।

इनसे स्पष्ट है कि संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त 22 भाषाओं में से दक्षिण की चार भाषाओं को छोड़कर सभी इंडो-आर्यन भाषा परिवार से संबंधित हैं।

2. द्रविड़ भाषा परिवार (Dravid Language Family) तमिल, तेलुगू, कन्नड़ एवं मलयालम प्रमुख द्रविड़ भाषाएँ हैं।
प्रमुख भाषाओं की भारत में स्थिति (Position of Major Languages in India)-हिंदी भाषा सबसे अधिक लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा है। यह भाषा करीब 30% लोगों द्वारा बोली जाती है जो लगभग 24.78 करोड़ लोगों का समूह है। इसके बाद तेलगू भाषा, फिर बंगला भाषा और मराठी का चौथे पर स्थान है। भोजपुरी एवं राजस्थानी ही ऐसी दो भाषाएँ हैं जो 3 करोड़ से अधिक व्यक्तियों द्वारा बोली जाती हैं परंतु इन भाषाओं को संविधान से मान्यता प्राप्त नहीं है।

भारत की प्रमुख भाषाओं की विभिन्न राज्यों में स्थिति (Position of different languages in Indian States) हिंदी भाषा छः प्रदेशों की राजकीय भाषा है-हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश दिल्ली दि। हिंदी के अतिरिक्त विभिन्न राज्यों की राजकीय भाषा को निम्नलिखित सारिणी में दर्शाया जा सकता है-

राज्यराजकीय भाषा
1. असमअसमी
2. पशिचमी बंगालबंगाली
3. गुजरातगुजराती
4. महाराष्ट्रमराठी
5. उड़ीसाउड़िया
6. पंजाबपंजाबी
7. जम्मू-कश्मीरउर्दू
8. तमिलनाडुतमिल
9. आंध्र प्रदेशतेलुगू
10. कर्नाटककन्नड़
11. केरलमलयालम

इसके अतिरिक्त असम में आसामी भाषा लगभग 57% लोग बोलते हैं, कर्नाटक में कन्नड़ 65% जनसंख्या बोलती है, 55% जम्मू-कश्मीर के लोग कश्मीरी बोलते हैं, जबकि उर्दू यहाँ की राजकीय भाषा है। अंग्रेजी भाषा भारत की संपर्क भाषा है परंतु राजकीय भाषा नहीं। यह भाषा संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त भाषाओं में से नहीं है।

प्रश्न 6.
किस तरह भारत में भाषाई विविधता में एकता पाई जाती है?
उत्तर:
भाषाई विविधता में एकता विद्यमान है और इस तथ्य को प्रमाणित करने के लिए इसे निम्नलिखित शीर्षकों के अंतर्गत स्पष्ट किया गया है-
1. हिंदी एवं भाषाई एकता (Hindi and Liguistic Unity)-ग्यारहवीं शताब्दी में हिंदी भाषा की नींव रखी गई। साहित्यकारों ने अपनी लेखनी के माध्यम से इसे काफ़ी समृद्ध किया। तुलसीदास, कबीर, सूरदास, तिलक, दयानंद, बंकिमचंद्र चैटर्जी तथा महात्मा गांधी आदि ने हिंदी में साहित्य लिखकर इसे काफ़ी लोकप्रियता दी है। इस भाषा को हमारी भारतीय जनसंख्या का सबसे बड़ा हिस्सा समझता, बोलता एवं लिखता है। अपने घरों में टी०वी० मनोरंजन का साधन हिंदी ही प्रयोग करता है। यह सरल और आम बोलचाल की भाषा है।

14 सितंबर, 1949 के दिन हिंदी भाषा को संविधान से मान्यता प्राप्त हुई। छः राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में हिंदी को राजकीय भाषा घोषित किया गया। पूरे भारत में लोग हिंदी बोलते, समझते हैं और अहिंदी भाषा प्रदेशों में भी इसका काफ़ी प्रचलन है। देश की प्रथम पत्रिका का प्रकाशन हिंदी में ही हुआ था। हालांकि हिंदी पूर्णतः राष्ट्रीय भाषा नहीं बन पाई है। मगर यह देश की सामान्य भाषा अथवा लोक भाषा है।

2. इंडो-आर्यन भाषा परिवार एवं भाषाई एकता (Indo-Aryan Language Family and Linguistic Unity) इंडो-आर्यन भाषा परिवार भारतीय समाज का सबसे बड़ा भाषाई समूह है। हिंदी, पंजाबी, कश्मीरी, पहाड़ी, संस्कृत आदि इस भाषा समूह के अंतर्गत आते हैं। काफ़ी शब्द ऐसे हैं जो बिल्कुल कम परिवर्तन के साथ उसी रूप में प्रचलित हैं।

जैसे-माता को पंजाबी, हिमाचली, बंगाली, आसामी आदि सभी भाषाओं में ‘माँ’ बोला जाता है। उसी प्रकार ‘पानी’ को भी इन सभी भाषाओं में ‘पानी’ ही कहा जाता है। इसीलिए इन भाषाओं को समझना कठिन नहीं है। इन भाषाओं में शायद ही ऐसे कोई तकनीकी शब्द हों जो किसी की समझ में न आते हों।

वास्तव में भारत के छोटे जनजातीय समूहों में ही देश की अधिकांश भाषाएँ प्रचलित हैं। ये भाषाएँ भाषाई दर्शाती हैं, परंतु विभिन्न भाषाओं में आंतरिक एकता पाई जाती है। भाषाई विविधता एक समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न अंग है।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 6 सांस्कृतिक विविधता की चुनौतियाँ

प्रश्न 7.
धर्म-निरपेक्षता क्या होती है? धर्म-निरपेक्षता के क्या कारण हैं?
अथवा
धर्म-निरपेक्षवाद से आपका क्या अभिप्राय है?
अथवा
धर्म-निरपेक्षवाद क्या है?
अथवा
‘धर्म-निरपेक्षवाद’ पर संक्षिप्त नोट लिखें।
अथवा
धर्म निरपेक्षता से आप क्या समझते हैं? इसका विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
धर्म-निरपेक्षता का अर्थ (Meaning of Secularism) भारतीय समाज 20वीं शताब्दी से ही पवित्र समाज (Sacred Society) से एक धर्म निरपेक्ष (Secular Society) में परिवर्तित हो रहा है। इस शताब्दी के अनेक विद्वानों, विचारकों एवं राजनीतिज्ञों ने यह महसूस किया कि धर्म-निरपेक्षता के आधार पर ही विभिन्न धर्मों का देश भारत संगठित रह पाया है। धर्म-निरपेक्षता के आधार पर राज्य के सभी धार्मिक समूहों व धार्मिक विश्वासों को एक समान माना जाता है।

निरपेक्षता का अर्थ समानता या तटस्थता से है। राज्य सभी धर्मों को समानता की दृष्टि से देखता है तथा किसी के साथ भी धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता है। धर्म-निरपेक्षता ऐसी नीति या सिद्धांत है, जिसके अंतर्गत लोगों को किसी विशेष धर्म को मानने या पालन करने के लिए बाध्य नहीं किया जाता है।

धर्म निरपेक्षीकरण का अर्थ (Meaning of Secularization)-धर्म निरपेक्षीकरण को उस सामाजिक एवं सांस्कतिक प्रक्रिया के रूप में समझा जा सकता है जिनके दवारा धार्मिक एवं परंपरागत व्यवहारों में धीरे-धीरे तार्किकता या वैज्ञानिकता का समावेश होता जाता है। अनेक विद्वानों ने धर्म निरपेक्षीकरण को अग्रलिखित परिभाषाओं से परिभाषित किया है

डॉ० एम० एन० श्रीनिवास (Dr. M.N. Srinivas) के शब्दों में, “धर्म निरपेक्षीकरण या लौकिकीकरण शब्द का यह अर्थ है कि जो कुछ पहले धार्मिक माना जाता था, वह अब वैसा नहीं माना जा रहा है, इसका अर्थ विभेदीकरण की प्रक्रिया से भी है जो कि समाज के विभिन्न पहलुओं, आर्थिक, राजनीतिक, कानूनी और नैतिक के एक-दूसरे से अधिक पृथक् होने से दृष्टिगोचर होती है।” डॉ० राधा कृष्णन (Dr. Radha Krishnan) के अनुसार, “लौकिकीकरण या धर्म निरपेक्षीकरण, धार्मिक निरपेक्षता व धार्मिक सह-अस्तित्ववाद है।”

उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर धर्म-निरपेक्षीकरण एक सांस्कृतिक एवं सामाजिक प्रक्रिया है, जिसमें मानव के व्यवहार की व्याख्या धर्म के आधार पर नहीं, अपितु तार्किक आधार पर की गई है। इस प्रक्रिया के अंतर्गत धर्म का प्रभाव कम हो जाता है तथा घटनाओं को कार्य-कारण संबंधों के आधार पर समझा जाता है।

आत्मगतता व भावुकता (Subjectivity and Emotionality) का स्थान वस्तुनिष्ठता (Objectivity) एवं वैज्ञानिकता ने ले ली है। अतः धर्म-निरपेक्षीकरण की प्रक्रिया में, धार्मिकता का ह्रास, बुद्धिवाद के महत्त्व, विभेदीकरण, वैज्ञानिकता, वस्तुनिष्ठता तथा व्यक्ति को किसी भी धर्म या धार्मिक सोपान की सदस्यता प्राप्त करने की स्वतंत्रता व अधिकार होता है।

धर्म निरपेक्षीकरण के कारण (Factor of Secularization)-धर्म-निरपेक्षीकरण से भारतीय समाज में सामाजिक एवं सांस्कृतिक दोनों ही दृष्टिकोणों में काफ़ी परिवर्तन किये गये हैं। इन क्षेत्रों में प्रभाव को देखने से पहले उन कारणों को जानना ज़रूरी है जिन्होंने धर्म निरपेक्षीकरण को संभव बनाया है। धर्म-निरपेक्षीकरण के विकास के निम्नोक्त कारक हैं-

1. धार्मिक संगठनों में कमी (Lack of Religious Organisations) धार्मिक निरपेक्षीकरण की प्रक्रिया का विकास धार्मिक संगठनों का अभाव भी रहा है। भारतीय समाज में अनेक धर्मों के संप्रदाय पाए जाते हैं। इन संप्रदायों में हिंदू धर्म ही एक ऐसा संप्रदाय है जिनके अनेक मत पाये जाते हैं। बाकी धर्मों जैसे सिक्ख, ईसाई, मुस्लिम, इन सभी में एक ही मत व संप्रदाय होता है। इसी कारण ये लोग अपने संप्रदाय के प्रति काफ़ी कट्टर विचारधारा के होते हैं।

इसके विपरीत हिंदू धर्म में अनेक मतों के कारण कोई अच्छा संगठन नहीं है। एक हिंदू दूसरे हिंदू की धार्मिक आधार पर निंदा या आलोचना करता है। इस सबका प्रभाव हिंदू धर्म पर पड़ा। एक ओर तो लोग ब्राह्मणों के अत्याचारों एवं शोषण से दुःखी होकर हिंदू धर्म को अपनाया दूसरी ओर पढ़े-लिखे हिंदू इस धार्मिक कट्टरता से दूर होते चले गये। ये लोग हिंदू धर्म में पाये जाने वाले विश्वासों, अंधविश्वासों, कर्मकांडों, आदर्शों व मूल्य का विरोध कर रहे हैं। भारतीय समाज में ये सभी कारण धर्म निरपेक्षीकरण की प्रक्रिया में सहयोग देते आ रहे हैं।

2. भारतीय संस्कृति (Indian Culture)-भारतीय संस्कृति का अपने आप ही निरपेक्षीकरण हो रहा है क्योंकि भारतवर्ष एक धर्म निरपेक्ष (Secular Republic) गणराज्य है। एक धर्म निरपेक्ष राज्य होने के कारण अनेक धम जातियों के संप्रदाय एक-दूसरे के नज़दीक आते रहते हैं तथा एक-दूसरे संप्रदाय की अच्छाइयां व बुराइयों का भी ज्ञान अर्जित करते रहते हैं तथा उनका मूल्यांकन करते रहते हैं। इसके अतिरिक्त पाश्चात्य संस्कृति ने भी धर्म निरपेक्षीकरण के आधार पर परिवर्तनों में अहम् भूमिका निभाई है।

3. यातायात एवं संचार (Transportation and Communications)-यातायात व संचार की सुविधाओं में उन्नति होने से समाज में गतिशीलता को बढ़ावा मिला है। इन्हीं साधनों की वजह से नये-नये नगरों, व्यवसायों व उदयोगों का भी विकास हुआ। इन विभिन्न साधनों के द्वारा विभिन्न प्रकार के धर्म, जाति, प्रदेश व देश के लोग एक दूसरे के संपर्क में आते हैं। संपर्क में आने से ही आपसी विचारों का आदान-प्रदान हुआ। इससे विभिन्न धर्मों की तार्किक आलोचना की प्रवृत्ति को भी बढ़ावा मिला। इससे पवित्र-अपवित एवं छुआछूत के विचारों में कमी आई। ये सभी तत्त्व धर्म-निरपेक्षीकरण के विकास को प्रोत्साहित करते हैं।

4. पाश्चात्य संस्कृति (Western Culture)-भारतीय संस्कृति के ऊपर भी पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। पाश्चात्य संस्कृति ने भारतीय जीवन के सभी पहलओं पर प्रभाव डाला है। यहां के धर्म, कला, साहित्य, सामाजिक, पारिवारिक, आर्थिक जीवन में कई परिवर्तनों को पाश्चात्य संस्कृति के संदर्भ में समझा जा सकता है। वास्तव में धर्म-निरपेक्षीकरण की प्रक्रिया के विकास में पाश्चात्य संस्कृति का ही मूल रूप से सहयोग रहा है।

5. आधुनिक शिक्षा (Modern Education) वर्तमान समय की शिक्षा पद्धति ने भी धर्म-निरपेक्षीकरण की प्रक्रिया के विकास में सर्वोपरि भूमिका निभाई है। भारतवर्ष में आधुनिक शिक्षा पद्धति पाश्चात्य शिक्षा का ही रूप है। शिक्षा पद्धति में पाश्चात्य मूल्यों के विकास के साथ भारतीय मूल्यों में भी परिवर्तन हुआ। इसका प्रभाव सबसे अधिक धार्मिक विश्वासों व मूल्यों पर पड़ा आधुनिक शिक्षित व्यक्ति केवल मात्र धर्म के आधार पर अंध-विश्वासों, नियमों या बंधनों को नहीं अपनाता।

मूल्यांकन के पश्चात् ही अपने आपको उन बंधनों से बांधता है। वर्तमान शिक्षा पद्धति ने व्यक्ति की सोच को व्यावहारिकता व वैज्ञानिकता के आधार पर विकसित किया है। इसके साथ ही स्त्री शिक्षा को भी बढ़ावा मिला है। शिक्षा पद्धति में आये हुए परिवर्तनों के कारण ही भारतीय समाज में लिप्त कई बुराइयों जैसे-छुआछूत, अस्पृश्यता की भावना, जातीय आधार, उच्च शिक्षा आदि में कमी आई है। सहशिक्षा (Co-education) को भी अवसर दिया जाता है।

6. नगरीयकरण (Urbanization)-नगरीयकरण ने धर्म निरपेक्षीकरण में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। शहरों व नगरों में ही धर्म निरपेक्षवाद सबसे अधिक विकसित हुआ। नगरों में ऐसे वह सब साधन मौजूद होते हैं, जैसे विकसित यातायात व संचार की सुविधाएं, उच्च शिक्षा, भौतिकवाद, तार्किकतावाद या विवेकवाद, व्यक्तिवादिता, फैशन, पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव इत्यादि जो मिलकर धर्म-निरपेक्षीकरण की प्रक्रिया का विकास करते हैं।

प्रश्न 8.
धर्म निरपेक्षता के भारतीय सामाजिक जीवन पर क्या प्रभाव पड़े?
उत्तर:
भारतीय सामाजिक और सांस्कृतिक, जीवन पर धर्म निरपेक्षता के प्रभाव (Impact of Secularization on Indian Social and Cultural Life)-डॉ० एम० एन० श्रीनिवास ने अपनी सुप्रसिद्ध कृति Social change in Modern India में धर्म-निरपेक्षीकरण के भारतीय सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन पर पड़े अनेक प्रभावों एवं परिणामस्वरूप होने वाले परिवर्तनों का सविस्तार उल्लेख किया जिसका वर्णन निम्नवत् है-
1. पवित्रता एवं अपवित्रता की धारणा में परिवर्तन (Change in the Concept of Purity and Pollution)-धर्म निरपेक्षीकरण के परिणामस्वरूप भारतीय समाज में पवित्रता एवं अपवित्रता की धारणा काफ़ी परिवर्तित हुई है। इसके प्रभाव के कारण, जाति, व्यवसाय, खान-पान, विवाह, पूजा-अर्चना, संबंधी अनेक धारणाओं में धर्म का प्रभाव कम हुआ है तथा अपवित्रता संबंधी कट्टर विचारों में भी कमी आई है। विभिन्न जातियों के व्यक्ति आपस में इकट्ठे होकर रेल, बस आदि में यात्रा करते हैं।

मिलकर रैस्टोरैंट या रेस्तरां आदि में खाते-पीते हैं। एक जाति दूसरी जाति के व्यवसाय को अपना रही है। निम्न जाति के व्यक्ति उच्च जाति के व्यवसायों को अपना रहे हैं जिससे उनकी सामाजिक स्थिति भी पहले से बेहतर हुई है। संस्कृतिकरण की प्रक्रिया के आधार पर भी निम्न जातियों ने उच्च जाति की उच्च जीवन-शैली को अपनाया है।

वर्तमान समय में परंपरागत पवित्रता एवं अपवित्रता संबंधी विचारधारा में परिवर्तन हुआ है। अब लोग किसी भी चीज़ को तार्किकता व स्वास्थ्य नियमों के आधार पर स्वीकार या अस्वीकार करने लगे हैं। इन सब तथ्यों के आधार पर स्पष्ट है कि धर्म निरपेक्षीकरण ने भारतीयों की विचारधारा में अनेक आधारों पर परिवर्तन किये।

2. जीवन चक्र एवं संस्कार में परिवर्तन (Change in Life Cycle and Rituals)-संस्कार हिंदू धर्म का मूल हैं। भारतीय समाज में मुख्यतः हिंदू धर्म में प्रत्येक कार्य का आरंभ संस्कारों के आधार पर ही होता है। हिंदू धर्म के अंतर्गत जब एक बच्चा अपनी मां के गर्भ में आता है, तभी ही गर्भदान संस्कार पूरा कर दिया जाता है तथा इसके पश्चात् समय-समय पर दूसरे संस्कार जैसे-चौल, नामकरण, उपनयन (जनेऊ संस्कार), समावर्तन, विवाह आदि किए जाते हैं। जब व्यक्ति अपना शरीर त्याग देता है तो भी अंतिम संस्कार (अंत्येष्टि) किया जाता है अर्थात् हिंदू समाज की नींव संस्कारों के बीच ही गड़ी हुई है।

वर्तमान समय में बढ़ते धर्म निरपेक्षीकरण के बढ़ते प्रभाव के कारण इन संस्कारों का संक्षिप्तिकरण हो रहा है। कुछ एक संस्कारों को ही पूरा किया जाता है तथा अन्य संस्कार जैसे-नामकरण, चौथ एवं उपाकर्म इत्यादि को पूरा नहीं किया जाता। ब्राह्मणों एवं उच्च जातियों में विधवा का मुंडन संस्कार किया जाता था जो अब लगभग न के बराबर है।

इसके साथ ही कुछ एक संस्कारों को एक साथ ही मिला दिया गया है; जैसे-उपनयन संस्कार विवाह के आरंभ में ही संपन्न करवा दिया जाता है। वर्तमान समय में दैनिक जीवन के कर्मकांड जैसे-स्नान, पूजा, अर्चना, वेद, पाठ, भजन-कीर्तन इत्यादि के लिये भी व्यक्ति नाम मात्र समय देता है। ये सब परिवर्तन बढ़ते धार्मिक निरपेक्षीकरण के कारण ही हैं।

3. परिवार में परिवर्तन (Change in Family)-भारतीय समाज में संयुक्त परिवार (Joint family) पारिवारिक व्यवस्था का महत्त्वपूर्ण रूप है। सामाजिक जीवन में परिवार एक महत्त्वपूर्ण सामाजिक संस्था माना जाता है। कृषि मुख्य व्यवसाय होने के कारण भारतीय समाज में संयुक्त परिवार व्यवस्था को ही उचित व्यवस्था माना जाता था। परिवार में सभी सदस्य मिलकर साझे रूप से ज़मीन पर खेती करते तथा साझे रूप से ही अपनी आवश्यकता पूर्ति के लिये अपनी आय का खर्च करते थे।

संयुक्त परिवार में संपूर्ण पारिवारिक सदस्य सामान्य हित के लिये कार्य करते थे। संयुक्त परिवार में एक साथ तीन या अधिक पीढ़ियों के सदस्य इकट्ठे घर (एक) में ही रहते थे। वर्तमान में बदलती परिस्थितियों के अनुसार संयुक्त परिवार में भी परिवर्तन हुआ। आज संयुक्त परिवारों का विघटन हो रहा है। इनकी जगह एकांगी परिवार विकसित हो रहे हैं।

संयुक्त परिवारों में जो कार्य पारिवारिक सदस्य मिल-जुल कर एक-दूसरे के सहयोग से पूरा करते थे, आज वही कार्य अनेक दूसरी समितियों व संस्थाओं को हस्तांतरित हो रहे हैं। वर्तमान समय में परिवार के वरिष्ठ सदस्यों के विचारों को कोई महत्त्व नहीं दिया जाता।

इसके साथ अब बड़े-बूढ़े भी अपनी विचारधारा को नयी पीढ़ी के साथ परिवर्तित कर रहे हैं। परिवारों में जिन त्योहारों को धार्मिकता के आधार पर परंपरागत रूप से मनाया जाता था। उन त्योहारों को धार्मिक तथा सामाजिक अवसर अधिक माना जाता है। इन सब आधारों पर स्पष्ट हो जाता है कि पारिवारिक संस्था को धर्म-निरपेक्षीकरण ने पूर्णतः प्रभावित किया है।

4. ग्रामीण समुदाय में परिवर्तन (Change in Rural Community)-धर्म-निरपेक्षीकरण का प्रभाव नगरों के साथ-साथ ग्रामीण समुदाय में भी देखने को मिलता है। ग्रामीण समुदायों में जातीय पंचायतों के स्थान पर निर्वाचित पंचायतों का विकास हो रहा है। जहां पर भी ये जातीय पंचायतें अगर हैं भी तो वहां पर ये धार्मिक लक्ष्यों के आधार पर नहीं बल्कि राजनैतिक उद्देश्यों को लेकर संगठित की गई हैं। ग्रामीण समाज में प्रतिष्ठा व सम्मान जातीय या धार्मिकता के आधार पर होता था, वहां अब धन व संपत्ति के आधार पर होने लगा है।

वर्तमान समय में निम्न जातियों के व्यक्तियों को भी धन के आधार पर उच्च जाति के व्यक्तियों से अधिक सम्मान दिया जाने लगा है। ग्रामीण समाजों पर परिवार व विवाह संबंधों में भी धम-निरपेक्षीकरण के परिणामस्वरूप अंतर्विवाह (Intercaste-marriage) का प्रचलन बढ़ा है। ग्रामों में धार्मिक उत्सव को धार्मिकता के आधार पर कम तथा सामाजिक उत्सवों के रूप में अधिक मनाया जाने लगा है।

उपर्युक्त विवरण के आधार पर यह बात स्पष्ट हो जाती है कि धर्म-निरपेक्षीकरण की प्रक्रिया ने भारतीय समाज के सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन को मूल रूप से प्रभावित किया है। इस प्रक्रिया ने एक और नये सांस्कृतिक मूल्यों के विकास में योगदान दिया है तो दूसरी ओर भारतीय प्रथागत अथवा परंपरागत मूल्यों, आदर्शों को भी विघटित करने में अपनी भूमिका निभाई है।

प्रश्न 9.
भारतीय समाज पर जातिवाद का क्या प्रभाव पड़ा? जातिवाद को कैसे समाप्त किया जा सकता है?
अथवा
जातिवाद की समस्या को दूर करने के लिए सुझाव दीजिए।
उत्तर:
भारतीय समाज पर जातिवाद के प्रभाव:

  • जातिवाद के कारण भारतीय समाज हज़ारों जातियों तथा उप-जातियों में विभाजित हो गया जिनके अपने ही नियम, परिमाप थे।
  • जातिवाद के कारण भारतीय समाज को स्थिरता प्राप्त हुई तथा समाज बाहरी हमलों के कारण खिन्न-भिन्न होने से बच गया।
  • मध्य काल में भारतीय समाज पर अनेकों आक्रमणकारियों ने आक्रमण किए। जातिवाद के कारण भारतीय समाज की संस्कृति न केवल सुरक्षित रही बल्कि इसने विदेशी संस्कृतियों का भी आत्मसात कर लिया।
  • जाति प्रथा ने अपने आपको विदेशी प्रभाव से बचाने के लिए अलग-अलग जातियों पर कई प्रकार के प्रतिबंध लगा दिए ताकि उनकी संस्कृति के प्रभाव से समाज को बचाया जा सके।
  • आधुनिक समय में जातिवाद के कारण उच्च तथा निम्न जातियों में द्वेष बढ़ गया है। निम्न जातियों को सरकार द्वारा कई सुविधाएं प्राप्त हैं जिस कारण उच्च जातियों को उनसे ईर्ष्या होने लगी है तथा उनमें ईर्ष्या बढ़ गई है।
  • निम्न जातियों को सरकार द्वारा जातिवाद के कारण ही हरेक स्थान पर आरक्षण प्राप्त हुआ है जिस कारण उनकी सामाजिक स्थिति ऊँची हो रही है।
  • जातिवाद के कारण अलग-अलग जातियों के नेता अपनी नेतागिरी चमकाने के लिए जातीय भावनाओं को भड़काते हैं ताकि अपनी जाति के लोगों की वोटें प्राप्त की जा सकें। इस कारण जातीय दवेष बढ़ रहा है।

जातिवाद को समाप्त करने के उपाय:

  • सभी राजनीतिक दलों को चाहिए कि वह जातिवाद का प्रयोग चुनावों में न करें ताकि जातिगत द्वेष बढ़ने की बजाए कम हो सके।
  • लोगों को अच्छी शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए ताकि वह जातिगत भावना से ऊपर उठ कर ठीक नेता का चुनाव कर सकें जो उनके विकास की बातें करे न कि अपनी नेतागिरी चमकाने की।
  • सरकारी कानूनों को ठीक ढंग से लागू करना चाहिए ताकि जातिगत भावनाओं को भड़काने वालों को कठोर दंड दिया जा सके।
  • अगर सरकार जातीय आधार पर कोई वित्तीय सहायता प्रदान करती है तो उसे तत्काल ही समाप्त कर देना चाहिए।
  • जनता भी इसमें अच्छी भूमिका निभा सकती है। जनता स्वयं ही ऐसे नेताओं तथा भावनाओं का बहिष्कार कर सकती है जो जातिवाद का प्रयोग करते हों।

प्रश्न 12.
भारतीय समाज में अल्पसंख्यकों का वर्णन करें।
अथवा
भारत के विभिन्न धार्मिक समूहों का संक्षिप्त वर्णन करें।
उत्तर:
अगर किसी देश में अल्पसंख्यक सबसे ज्यादा हैं तो वह है भारत। भारत की लगभग 18% जनसंख्या अल्पसंख्यक है जो कि जनसंख्या के मुकाबले काफ़ी ज्यादा है। इनका वर्णन निम्नलिखित है-

राष्ट्रीय स्तर पर अल्पसंख्यक (Minorities at National Level)-भारतीय समाज में लगभग छः धार्मिक अल्पसंख्यक तथा सैकड़ों भाषाई अल्पसंख्यक समूह हैं। इन दोनों का वर्णन निम्नलिखित है-
1. धार्मिक अल्पसंख्यक (Religious Minorities)-भारत में धर्म के आधार पर शेष बाकी धर्म अल्पसंख्यक हैं क्योंकि और धर्मों की जनसंख्या के मुकाबले हिंदुओं की जनसंख्या काफ़ी ज्यादा है। निम्नलिखित तालिका से यह स्पष्ट हो जाएगा-

2011 में (प्रतिशत)
(a)हिंदू79.5 %
(b)मुस्लिम13.4 %
(c)ईसाई2.4 %
(d)सिक्ष2.1 %
(e)बौद्ध0.8 %
(f)जैन0.4 %
(g)पारसी तथा अन्य0.4 %

इस तालिका से हमें यह पता चलता है कि-

  • भारत में हिंदुओं को छोड़कर बाकी और धर्म अल्पसंख्यक है।
  • सबसे बड़ा अल्पसंख्यक समूह मुस्लिम समुदाय है।
  • ईसाई दूसरे तथा सिक्ख तीसरे स्थान पर आते हैं।
  • बौद्ध, पारसी तथा जैन ऐसे अल्पसंख्यक समूह हैं जिनकी जनसंख्या हरेक की एक करोड़ से भी कम है।
  • मुस्लिम, पारसी तथा ईसाई विदेशी मूल में अल्पसंख्यक हैं तथा सिक्ख, बौद्ध तथा जैन भारतीय मूल के अल्पसंख्यक हैं।
  • पिछले आंकड़ों से पता चलता है कि ईसाइयों की जनसंख्या लगातार कम हो रही है।
  • हिंदू बहुसंख्यक हैं जो कि कुल जनसंख्या का 82% हैं।
  • हिंदुओं की जनसंख्या प्रतिशत में भी कमी हो रही है।

2. भाषाई अल्पसंख्यक (Linguistic Minorities)-भारतीय समाज में सैंकड़ों भाषाई अल्पसंख्यक समूह हैं क्योंकि यह कहा जाता है कि हर 12 कोस के बाद भाषा बदल जाती है। भारत में सबसे ज्यादा हिंदी बोली जाती है। प्रमुख भारतीय भाषाओं में से 2 करोड़ से ज्यादा किसी भाषा को बोलने वालों की सारणी निम्नलिखित है-

क्रमांकभाषाबोलने वालों की संख्या (करोड़ों में)
(a)हिंदी24.78
(b)तेलुगू7.20
(c)बंगला7.17
(d)मराठी6.62
(e)तमिल6.06
(f)उर्दू4.61
(g)गुजराती4.13
(h)मलयालम3.53
(i)कन्नड़3.47
(j)उड़िया3.17

इस तरह हमारे संविधान में कुछ भाषाओं का जिक्र है जिनको मान्यता प्राप्त है। वे हैं-आसामी, बांग्ला, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, मलयालम, मराठी, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, तमिल, तेलुगू, उर्दू, नेपाली, मणिपुरी, कोंकणी तथा डोगरी, संथाली, बोडो, मैथिली, सिंधी। ऊपर दी हुई तालिका में से निम्नलिखित बातें स्पष्ट होती हैं-

  • देश में सबसे ज्यादा हिंदी भाषा बोली जाती है।
  • 30% लोग हिंदी बोलते हैं।
  • तेलुगू, बंगला, मराठी तथा तमिल सबसे बड़े भाषाई अल्पसंख्यक समूह हैं।
  • भारत में 826 भाषाएं बोली जाती हैं।
  • भारतीय संविधान ने 22 भाषाओं को मान्यता दी है।
  • भारत में 700 से अधिक भारतीय मूल की भाषाओं को बोलने वाले अल्पसंख्यक समूह हैं।
  • देश में 100 से ज्यादा विदेशी मूल के भाषाएं बोलने वाले अल्पसंख्यक समूह हैं।

इस तरह हम देख सकते हैं कि भारत में बहुसंख्यक समूह हिंदू समुदाय का है तथा भाषा भी सबसे ज्यादा हिंदी ही बोली जाती है। बाकी सब धार्मिक तथा भाषाई समूह अल्पसंख्यक हैं।

प्रश्न 13.
अल्पसंख्यकों के उत्थान के लिए क्या संवैधानिक प्रावधान किए गए हैं?
अथवा
धार्मिक अल्पसंख्यकों के संरक्षण के लिए क्या-क्या कदम उठाए गए हैं? वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अल्पसंख्यकों को देश की मुख्य या राष्ट्रीय धारा से जोड़ने के लिए अनेक संवैधानिक प्रावधान तथा सरकारी प्रयास किए गए हैं जिनका वर्णन निम्नलिखित है-
(i) सभी भारतीयों को धर्म, जाति, लिंग, जन्म स्थान के भेद के बिना समान मौलिक अधिकार प्राप्त हैं। अनुच्छेद 14 से 18 द्वारा सभी भारतीयों को समानता का अधिकार दिया गया है तथा धर्म, जाति, भाषा इत्यादि के आधार पर किसी भी व्यक्ति से कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता।

(ii) अनुच्छेद 25 से 28 के अंतर्गत सभी भारतीय नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है। अनुच्छेद 25 के अनुसार व्यक्ति किसी भी धर्म को अपना सकता है तथा धर्म प्रचार कर सकता है।

(iii) अनुच्छेद 29 तथा 30 के अनुसार सभी भारतीयों को शोषण के विरुद्ध अधिकार प्राप्त है। अनुच्छेद 29 के तहत कोई भी धर्म के आधार पर भेदभाव के बिना किसी भी शिक्षण संस्थान में प्रवेश पा सकता है तथा अपनी भाषा, लिपि तथा संस्कृति को बनाए रख सकता है।

(iv) अनुच्छेद 30 के अनुसार धार्मिक तथा भाषाई अल्पसंख्यकों को अपनी शिक्षा संस्थाएं स्थापित करने का अधिकार प्राप्त है। इसके अलावा भारत को धर्म निरपेक्ष राज्य घोषित किया गया है। इसलिए राज्य का न तो अपना धर्म है तथा किसी भी धार्मिक समूह को राज्य का सरंक्षण प्राप्त नहीं है।

(v) अनुच्छेद 300 के अनुसार राज्य भी शिक्षण संस्था को सहायता देते समय किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करेगा।

(vi) अनुच्छेद 350 के अनुसार देश के अल्पसंख्यकों में बच्चों को प्राथमिक शिक्षा उनकी मातृ भाषा में दी जाए।

इसके अलावा एक अल्पसंख्यक आयोग का 1978 में गठन किया गया जिसका एक अध्यक्ष तथा एक सदस्य होता है जोकि अल्पसंख्यक समूह से ही होता है। आयोग अल्पसंख्यकों की शिकायतों को सुनता है, उनकी स्थिति का समय-समय पर मूल्यांकन करता है। उनके सदस्यों की समस्याओं के समाधान के लिए सरकार को सुझाव पेश करता है। भाषाई अल्पसंख्यकों के लिए भी एक भिन्न आयोग है जोकि उनकी शिकायतों, समस्याओं तथा उनसे संबंधित मुददों का अध्ययन करता है। 1993 में अल्पसंख्यक आयोग की जगह राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का गठन किया गया है। इसके बाद सन् 2000 में इसका फिर पुनर्गठन किया गया। इसके कार्य हैं

  • अल्संख्यकों के लिए संरक्षणों की क्रियाशीलता का मूल्यांकन करना।
  • सभी संरक्षण क लागू तथा अधिक कारगर बनाने के लिए सुझाव देना।
  • अल्पसंख्यकों को सुरक्षा तथा अधिकारों से वंचित किए जाने संबंधी शिकायतों को सुनना।
  • इनके साथ होने वाले भेदभाव के प्रश्न संबंधी अध्ययन तथा शोध कार्य करना।
  • अल्पसंख्यकों के लिए सही वैधानिक तथा कल्याणकारी कदमों के लिए सुझाव देना।
  • सरकार को समय-समय पर रिपोर्ट देना।

इस तरह अल्पसंख्यकों के लिए संवैधानिक प्रावधान किए गए हैं ताकि वह बहुसंख्यकों के साथ इकट्ठे रह सकें तथा अपने आपको असुरक्षित महसूस न करें।

HBSE 12th Class Sociology Important Questions Chapter 6 सांस्कृतिक विविधता की चुनौतियाँ Read More »

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo & Vistas Haryana Board

Haryana Board HBSE 12th Class English Solutions Flamingo & Vistas

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo

HBSE Haryana Board 12th Class English Flamingo Prose

HBSE Haryana Board 12th Class English Flamingo Poem

HBSE 12th Class English Solutions Vistas

HBSE Haryana Board 12th Class English Supplementary Reader Vistas

HBSE Class 12 English Reading Comprehension

HBSE Class 12 English Grammar

HBSE Class 12 English Composition

HBSE 12th Class English Question Paper Design

Class: 12th
Subject: English (Core)
Paper: Annual or Supplementary
Marks: 80
Time: 3 Hrs.

1. Weightage to Objectives:

ObjectiveKUASTotal
Percentage of Marks48.7523.75207.5100
Marks391916680

2. Weightage to Form of Questions:

Forms of QuestionsESAVSAOTotal
No. of Questions5754 (part-wise)21
Marks Allotted2521102480
Estimated Time70561836180

3. Weightage to Content:

Units/Sub-UnitsMarks
1. Section – A (Reading Skills)
Unseen Passages with internal choice (300 words) having MCQ
4
2. Note-Making (300 words) Title-1, Notes-45
3. Section – B (Grammar and Writing Skills)
Attempt any two from each of the five subparts
(Narration, articles, modals, voice, and tenses with internal choice) (2 × 5)
10
4. Attempt any two (Notice, Advertisement, and Posters) (2 × 3)6
5. Attempt any one (Paragraphs, Reports) (1 × 5)5
6. Letter writing (1 × 5)5
7. Section – C (Main Reader ‘Flamingo’)
Prose (a) One passage for comprehension with internal choice (1 × 5)
(b) One Essay type question (1 × 5)
(c) Five short answer type questions (2 × 5)
20
8. Poetry (a) One stanza with internal choice (1 × 5)
(b) Two questions short answer type questions with internal choice (2 × 3)
11
9. Section – D (Vistas supplementary Reader)
(a) One Essay type question with internal choice (1 × 5)
(b) Three short answer type questions with internal choice (3 × 3)
14
Total80

4. Scheme of Sections: A, B, C, D

5. Scheme of Options: Internal Choice in Long Answer Questions i.e. Essay Type in two questions.

6. Difficulty level:
Difficult: 10% marks
Average: 50% marks
Easy: 40% marks

Abbreviations: K (Knowledge of elements of language), C (Comprehension), E (Expression), A (Appreciation), S (Skill), E (Essay Type), SA (Short Answer Type), VSA (Very Short Answer Type), O (Objective Type)

HBSE 12th Class English Solutions Flamingo & Vistas Haryana Board Read More »

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 5 कांग्रेस प्रणाली : चुनौतियाँ और पुनर्स्थापना

Haryana State Board HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 5 कांग्रेस प्रणाली : चुनौतियाँ और पुनर्स्थापना Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Political Science Important Questions Chapter 5 कांग्रेस प्रणाली : चुनौतियाँ और पुनर्स्थापना

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पं० जवाहर लाल नेहरू के बाद राजनीतिक उत्तराधिकार पर एक नोट लिखें।
उत्तर:
पं० जवाहर लाल नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री थे। वे इस पद पर 1947 से 1964 तक रहे। मई, 1964 में पं० नेहरू की मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु के समय देश की राजनीतिक एवं आर्थिक परिस्थितियां ठीक नहीं थीं। राजनीतिक तौर पर 1962 में चीन से हार, भारत में पैदा हुई राजनीतिक अस्थिरता तथा आर्थिक स्तर पर भारत में बढ़ती हुई ग़रीबी एवं पड़ने वाला भयंकर अकाल। इन परिस्थितियों में पं० नेहरू का जाना भारत के लिए एक त्रासदी से कम नहीं था।

पं० नेहरू की मृत्यु के पश्चात् उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी को लेकर तरह-तरह के प्रश्न उठने लगे। कुछ विदेशी विद्वानों का यह मत था कि पं० नेहरू की मृत्यु के पश्चात् भारत में लोकतन्त्र समाप्त हो जाएगा तथा पाकिस्तान की तरह सैनिक तानाशाही स्थापित हो जाएगी क्योंकि भारत में पं० नेहरू के पश्चात् ऐसा कोई भी नेता नहीं है, जो पं० नेहरू की तरह प्रजातन्त्र एवं संसदीय प्रणाली में पूरी तरह विश्वास रखता हो तथा उसे चला सकता हो।

परन्तु विदेशी विद्वानों की ऐसी भविष्यवाणियां सच साबित नहीं हुईं, बल्कि पं० नेहरू की मृत्यु के पश्चात् भारतीय लोकतन्त्र और अधिक मज़बूत होकर विश्व परिदृश्य पर उभरा। पं० नेहरू के राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में पहले श्री लाल बहादुर शास्त्री तथा बाद में श्रीमती इन्दिरा गांधी ने सफलतापूर्वक कार्य किया।

1. श्री लाल बहादर शास्त्री-पं० जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु 27 मई, 1964 को हुई और प्रधानमन्त्री का पद रिक्त हो गया, परन्तु प्रधानमन्त्री पद के लिए कांग्रेस में कोई बड़ा घमासान या संघर्ष नहीं हुआ। कांग्रेस के मुख्य नेताओं में प्रधानमन्त्री पद के लिए एकमतता न होने के कारण श्री लाल बहादुर शास्त्री को एक मध्यमार्गी उम्मीदवार के रूप में भारत का प्रधानमन्त्री बनाया गया। इस एक घटना से भारत सहित पूरे विश्व में यह सन्देश पहुंचा कि कांग्रेस पार्टी एक राजनीतिक दल के रूप में परिपक्व हो गई है तथा भारत पं० नेहरू के पश्चात् भी लोकतन्त्र एवं संसदीय प्रणाली में गहरा विश्वास रखता है।

शास्त्री जी नेहरूवादी समाजवादी थे, वे उदारवादी, सरल भाषी परन्तु दृढ़ संकल्पी थे। उन्होंने 9 जून, 1964 को प्रधानमन्त्री के पद का कार्यभार सम्भाला। पं० नेहरू के मन्त्रिमण्डल में वे एक प्रधान समझौताकर्ता, मध्यस्थ तथा समन्वयकार के रूप में जाने जाते थे। पं० नेहरू के आग्रह पर शास्त्री जी ने असम में भाषायी दंगों एवं श्रीनगर में हज़रत बल दरगाह से चोरी हुए एक पवित्र समृति चिह्न से उत्पन्न हुई समस्याओं को कुशलतापूर्वक सुलझाया। शास्त्री जी ने जब देश की बागडोर सम्भाली, उस समय भारत विकट समस्याओं में घिरा हुआ था।

भारत में अकाल पड़ने से खाद्यान्न की कमी अनुभव हो रही थी। अतः शास्त्री जी ने कृषि पर विशेष ध्यान दिया। इसलिए उन्होंने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा दिया। शास्त्री जी की सरल एवं उदार छवि के कारण पाकिस्तान ने अपनी सैनिक शक्ति से भारत को डराने का प्रयास किया तथा 1965 में जम्मू कश्मीर पर भयंकर आक्रमण भी कर दिया।

परन्तु शास्त्री जी की सूझ-बूझ एवं कुशल नेतृत्व से भारत ने न केवल पाकिस्तान का साहसपूर्वक सामना ही किया, बल्कि युद्ध में विजयी होकर उभरे। सोवियत संघ के प्रयासों से 1966 में भारत-पाकिस्तान के बीच ताशकंद में समझौता हुआ और ताशकन्द में ही जनवरी, 1966 में शास्त्री जी की संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गई। शास्त्री जी लगभग 20 महीने ही देश के प्रधानमन्त्री रहे थे, परन्तु इस छोटी सी अवधि में भी उन्होंने देशवासियों पर गम्भीर छाप छोड़ी।

2. श्रीमती इन्दिरा गांधी-शास्त्री जी की असामयिक मृत्यु के पश्चात् देश एवं कांग्रेस के सामने पुनः यह प्रश्न पैदा हो गया कि देश का प्रधानमन्त्री कौन बने। अधिकांश कांग्रेसी नेताओं की यह राय थी कि पं० नेहरू की बेटी श्रीमती इन्दिरा गांधी को देश का प्रधानमन्त्री बनाया जाए क्योंकि पं० नेहरू की बेटी होने के कारण उन्हें देश एवं विदेश में ख्याति एवं सम्मान प्राप्त है। परन्तु कांग्रेस में मोरारजी देसाई इस पक्ष में नहीं थे कि श्रीमती इन्दिरा गांधी को देश का प्रधानमन्त्री बनाया जाए, बल्कि वह स्वयं देश का प्रधानमन्त्री बनना चाहते थे।

अत: उन्होंने मत विभाजन का सुझाव दिया। अतः 19 जनवरी, 1966 को कांग्रेस में नेतृत्व के लिए पहली बार मतदान हुआ। यह देश एवं कांग्रेस के लिए एक ऐतिहासिक दिन था, क्योंकि पं० नेहरू के जीवनकाल में इस प्रकार के मत-विभाजन के विषय में सोचा भी नहीं जा सकता था। इस मत विभाजन में श्रीमती इन्दिरा गांधी के पक्ष में 355 एवं विपक्ष में 169 वोट पड़े। मत विभाजन से स्पष्ट पता चलता है कि अधिकांश कांग्रेसी पं० नेहरू की बेटी श्रीमती इन्दिरा गांधी को ही देश का प्रधानमन्त्री बनाना चाहते थे।

कुछ विद्वानों का यह मत है कि अधिकांश कांग्रेसियों ने श्रीमती गांधी को इसलिए प्रधानमन्त्री बनाया, क्योंकि वे केन्द्र में अपने लिए एक अहानिकारक व्यक्ति को प्रधानमन्त्री के रूप में देखना चाहते थे। इस दृष्टिकोण में श्रीमती गांधी, मोरारजी देसाई के मुकाबले कांग्रेसी नेताओं के लिए कम हानिकारक थीं। 1967 में होने वाले लोकसभा के चुनावों में भी जीतकर श्रीमती गांधी देश की प्रधानमन्त्री बनी रहीं। अपने प्रधानमन्त्रित्व काल में श्रीमती गांधी ने ऐसे कई कार्य किए जिससे कांग्रेस प्रणाली- चुनौ देश प्रगति कर सके।

उन्होंने कृषि कार्यों को बढ़ावा दिया। ग़रीबी को हटाने के लिए कार्यक्रम घोषित किया तथा देश की सेनाओं का आधुनिकीकरण किया तथा 1974 में पोखरण में ऐतिहासिक परमाणु विस्फोट किया। श्रीमती गांधी को 1971 में असामान्य परिस्थितियों का सामना करना पड़ा जब पूर्वी पाकिस्तान के कारण भारत एवं पाकिस्तान के मध्य भयंकर युद्ध शुरू हो गया। परन्तु 1971 का युद्ध भारत एवं श्रीमती गांधी के लिए एक निर्णायक युद्ध साबित हुआ तथा इस युद्ध के जीतने पर विश्व में भारत की प्रतिष्ठा बहुत बढ़ गई। उपरोक्त वर्णन से स्पष्ट है कि पं० नेहरू के बाद भी उनके राजनीतिक उत्तराधिकारियों ने देश को कुशल नेतृत्व प्रदान किया तथा देश को विकास के पथ पर ले गए।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 5 कांग्रेस प्रणाली : चुनौतियाँ और पुनर्स्थापना

प्रश्न 2.
1967 के गैर-कांग्रेसवाद एवं चुनावी बदलाव का वर्णन करें।
उत्तर:
1967 के चौथे आम चुनाव भारतीय राजनीति में ऐतिहासिक महत्त्व रखते हैं। इन चुनावों में पहली बार कांग्रेस को ऐसा अनुभव हुआ कि जनता पर से उसकी पकड़ ढीली हो रही है। इन चुनावों में भारतीय मतदाताओं ने कांग्रेस को वैसा समर्थन नहीं दिया जो पहले तीन आम चुनावों में दिया था। केन्द्र में जहां कांग्रेस मुश्किल से बहुमत प्राप्त कर पाई, वहीं 8 राज्य विधानसभाओं (बिहार, केरल, मद्रास, उड़ीसा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर-प्रदेश तथा पश्चिम का सामना करना पड़ा। परिणामस्वरूप कांग्रेस 8 में से 7 राज्यों में सरकार बनाने में असफल रही।

उत्तर प्रदेश में उसने जोड़-तोड़ करके सरकार बनाई, परन्तु वह अधिक समय तक नहीं चल पाई। केन्द्र में कांग्रेस पार्टी को मुश्किल से ही बहुमत प्राप्त हो पाया था। 1967 के चौथे आम चुनावों में लोकसभा की 520 सीटों के लिए मतदान हुआ, जिसमें विभिन्न दलों की स्थिति इस प्रकार रही
HBSE 12th Class Political Science Solutions Chapter 5 Img 2
चौथी लोकसभा की दलीय स्थिति से यह स्पष्ट पता चलता है कि जिस कांग्रेस पार्टी ने पहले तीन आम चुनावों में जिन विरोधी दलों को बुरी तरह से हराया, वे दल चौथे लोक सभा चुनाव में बहुत अधिक सीटों पर चुनाव जीत गए। इसी तरह राज्यों में भी कांग्रेस की स्थिति 1967 के आम चुनाव में ठीक नहीं थी। 16 राज्यों की जिन विधानसभाओं के लिए चुनाव हुए उनमें से 8 राज्य विधानसभाओं में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। 1967 में हुए राज्य विधानसभाओं के चुनावों वाले राज्यों में से कुछ राज्य विधानसभाओं में दलीय स्थिति अग्र प्रकार
से रही
HBSE 12th Class Political Science Solutions Chapter 5 Img 1
उपरोक्त दलीय स्थिति (मध्य प्रदेश को छोड़कर) को देखकर यह कहा जा सकता है कि 1967 के चुनाव बहुत बड़े उल्ट फेर वाले रहे। इस चुनाव में केन्द्र में कांग्रेस जहां अपनी सरकार बनाने में सफल रही, वहीं 7 राज्यों में गैर कांग्रेसी सरकारें बनीं। इससे पहली बार भारत में बड़े पैमाने पर गैर-कांग्रेसवाद की लहर चली तथा राज्यों में कांग्रेस का एकाधिकार समाप्त हो गया।

प्रश्न 3.
1969 में कांग्रेस में विभाजन के क्या कारण थे ?
उत्तर:
1969 का वर्ष कांग्रेस पार्टी के आन्तरिक राजनीति के लिए ऐतिहासिक वर्ष रहा। प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गांधी द्वारा भूमि सुधार लागू करना, बैंकों का राष्ट्रीयकरण करना तथा राष्ट्रपति के पद के लिए कांग्रेस के अधिकारिक उम्मीदवार (नीलम संजीवा रेड्डी) के विरुद्ध अपना उम्मीदवार (वी० वी० गिरी) खड़ा करना, जैसी कुछ ऐसी घटनाएं थीं, जिन्हें निजलिंगप्पा तथा सिंडीकेट ने पसन्द नहीं किया। इसीलिए कांग्रेस में धीरे-धीरे आन्तरिक कलह बढ़ती रही, जो आगे चलकर विभाजन के रूप में सामने आई। 1969 में कांग्रेस में विभाजन के मुख्य कारण इस प्रकार थे

1. दक्षिण-पंथी एवं वामपंथी विषय पर कलह (Tussle over drift to Right or Left):
1967 के चौथे आम चुनाव में कांग्रेस को कई राज्य विधानसभाओं में हार का सामना करना पड़ा। अतः कांग्रेस में यह मंथन होने लगा, कि किस तरह कांग्रेस को राज्यों में मज़बूत किया जाए। कांग्रेस के कुछ सदस्यों का यह विचार था कि राज्यों में कांग्रेस को दक्षिण-पंथी विचारधारा वाले दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहिए, जबकि कुछ अन्य कांग्रेसियों का यह मत पा कि कांग्रेस को दक्षिण-पंथी विचारधारा की अपेक्षा वामपंथी विचारधारा वाले दलों के साथ मिलकर चलना चाहिए। इस प्रकार की कलह 1969 में कांग्रेस के विभाजन का एक मुख्य कारण बनी।।

2. राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के विषय में मतभेद (Difference over the candidate of the post of President):
कांग्रेस में 1967 में होने वाले राष्ट्रपति के चुनाव को लेकर भी मतभेद था। श्रीमती इन्दिरा गांधी जहां ज़ाकिर हसैन को राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनाना चाहती थी, वहीं कामराज जैसे कांग्रेसियों ने इसका विरोध किया।

3. युवा तुर्क एवं सिंडीकेट के बीच कलह (Tussle between Yuva Turks and Syndicate):
1969 में कांग्रेस पार्टी के विभाजन का एक कारण युवा तुर्क (चन्द्रशेखर, चरणजीत यादव, मोहन धारीया, कृष्ण कान्त एवं आर० के० सिन्हा) तथा सिंडीकेट (कामराज, एस० के० पाटिल, अतुल्य घोष एवं निजलिंगप्पा) के बीच होने वाली कलह थी। जहां युवा तुर्क बैंकों के राष्ट्रीयकरण एवं राजाओं के प्रिवी पों को समाप्त करने के पक्ष में था, वहीं सिंडीकेट इसका विरोध कर रहा था।

4. 1969 का राष्ट्रपति चुनाव (Election of President 1969):
कांग्रेस के विभाजन का एक अन्य महा पूर्ण कारण 1969 में हुआ राष्ट्रपति का चुनाव था। मई, 1969 में राष्ट्रपति जाकिर हुसैन की मृत्यु के पश्चात् देश का राष्ट्रपति कौन बनेगा, एक विषय पर कांग्रेस में मतभेद थे। 1971 में होने वाले लोकसभा चुनावों के विषय में कांग्रेस एवं दलों का यह अनुमान था कि 1971 के चुनावों में यदि किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता तो उस स्थिति में राष्ट्रपति की भमिका महत्त्वपर्ण हो जायेगी. क्योंकि तब राष्ट्रपति अपने विवेक के आधार पर किस बनाने के लिए आमन्त्रित करेगा।

अत: प्रत्येक राजनीतिक दल अपनी पसन्द का राष्ट्रपति चाहते थे। प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गांधी ने पार्टी की संसदीय बोर्ड की बैठक में जगजीवन राम का नाम राष्ट्रपति पद के लिए उठाया, परन्तु सिंडीकेट ने इसका विरोध किया तथा उन्होंने नीलम संजीवा रेड्डी का नाम राष्ट्रपति पद के लिए अनुमोदित किया, जिसे स्वीकार कर लिया। परन्तु श्रीमती गांधी इससे सन्तुष्ट नहीं हुईं तथा उन्होंने अपनी ही पार्टी के अधिकारिक उम्मीदवार के विरुद्ध अपना उम्मीदवार (वी० वी० गिरी) खड़ा कर दिया तथा वी० वी० गिरी चुनाव जीत भी गए। इस घटना से कांग्रेस के आन्तरिक मतभेद बढ़ गए।

5. मोरारजी देसाई से वित्त विभाग वापिस लेना (Taking away Finance Department from Morarji Desai):
1969 में कांग्रेस के विभाजन का एक अन्य कारण प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गांधी द्वारा मोरारजी देसाई से वित्त विभाग वापिस लेना था। मोरारजी देसाई ने इस पर अपना विरोध दर्ज कराते हुए मन्त्रिमण्डल से त्याग-पत्र दे दिया। सिंडीकेट ने प्रधानमन्त्री की इस कार्यवाही का विरोध किया। मोरारजी देसाई से वित्त विभाग वापिस लेने के बाद मन्त्रिमण्डल ने सर्वसम्मति से बैंकों के राष्ट्रीयकरण के प्रस्ताव को पास कर दिया

6. सिंडीकेट पर दक्षिणपंथियों के साथ गुप्त समझौते का आरोप (Alleged secret deal of the Syndicate with Rightist Parties):
कांग्रेस ने जब राष्ट्रपति पद के लिए नीलम संजीवा रेड्डी को आधिकारिक उम्मीदवार घोषित किया, तो कार्यवाहक राष्ट्रपति वी० वी० गिरी ने भी राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। सिंडीकेट को यह लगा कि वी० वी० गिरी ने श्रीमती इन्दिरा गांधी के कहने पर घोषणा की है, जबकि श्रीमती इन्दिरा गांधी ने ऐसे किसी भी घटनाक्रम से अपने आप को अलग बताया। परन्तु सिंडीकेट को यह आभास हो गया कि राष्ट्रपति चुनावों में कांग्रेस के आधिकारिक उम्मीदवार (नीलम संजीवा रेडी) के लिए राह आसान नहीं है।

अतः निजलिंगप्पा ने इस विषय में जनसंघ तथा स्वतन्त्र पार्टी से बातचीत करनी शुरू की तथा उनसे अनुरोध किया, कि यदि आप नीलम संजीवा रेड्डी के लिए पहली प्राथमिकता नहीं डाल सकते, तो दूसरी प्राथमिकता (Preference) अवश्य डालें। इस पर जगजीवन तथा फखरुद्दीन अली अहमद ने निजलिंगप्पा से यह पूछा कि उन्होंने किस आधार पर उन दलों से बातचीत की। इन दोनों नेताओं ने सिंडीकेट पर दक्षिणपंथियों के साथ गुप्त समझौता करने का आरोप लगाया। इससे कांग्रेस का आन्तरिक वातावरण और खराब हो गया।

7. श्रीमती इन्दिरा गांधी पर साम्यवादियों का साथ देने का आरोप (Alleged Truce of Indira with Communists):
जिस प्रकार जगजीवन राम तथा फखरुद्दीन अली अहमद ने सिंडीकेट पर यह आरोप लगाया कि उन्होंने दक्षिणपंथियों से गुप्त समझौता कर रखा है, वहीं सिंडीकेट ने श्रीमती इन्दिरा गांधी पर यह आरोप लगाया कि वह कांग्रेस में वामपंथ को बढ़ावा दे रही है। इस विषय पर सिंडीकेट एवं श्रीमती इन्दिरा गांधी के समर्थकों के बीच विवाद गहराता जा रहा था।

8. सिंडीकेट द्वारा श्रीमती इन्दिरा गांधी को पद से हटाने का प्रयास (Syndicate tried for removal of Indira from the Post of EM.):
1969 में कांग्रेस के आधिकारिक उम्मीदवार के राष्ट्रपति चुनावों में हार जाने के बाद सिंडीकेट ने प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गांधी को पद से हटाने का प्रयास किया। परन्तु इसके विरोध में 60 से अधिक कांग्रेसी सदस्यों ने निजलिंगप्पा के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाने की बात की। 23 अगस्त, 1969 को हुई संसदीय बोर्ड की बैठक में अधिकांश सदस्यों ने श्रीमती गांधी के पक्ष में विश्वास व्यक्त किया। उपरोक्त घटनाओं के कारण कांग्रेस की आन्तरिक कलह इतनी बढ़ गई कि नवम्बर, 1969 में कांग्रेस का विभाजन हो गया।

प्रश्न 4.
1971 में पांचवें लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत पर एक नोट लिखें।
अथवा
1970 के दशक के प्रारम्भ में इन्दिरा गांधी की सरकार किन कारणों से लोकप्रिय हुई ?
उत्तर:
1971 के पांचवें लोकसभा चुनाव कई पक्षों से ऐतिहासिक थे। श्रीमती गांधी को जहां व्यक्तिगत स्तर पर लोगों का विश्वास जीतना था, वहीं पर अपनी नीतियों के प्रति लोगों की राय भी जाननी थी। 1971 के लोकसभा चुनावों के परिणामों की जब घोषणा की गई, तो श्रीमती गांधी को लोगों का अभूतपूर्व समर्थन मिला। श्रीमती गांधी को लोकसभा की 518 सीटों में से 352 सीटें प्राप्त हुईं। 1971 के पांचवें लोकसभा की दलीय स्थिति इस प्रकार है
HBSE 12th Class Political Science Solutions Chapter 5 Img 3
1971 के पांचवें लोकसभा की दलीय स्थिति से साफ पता चलता है कि लोगों ने श्रीमती गांधी को जीताकर उन्हें एक राष्ट्रीय नेता के रूप में स्वीकार कर लिया था। वास्तव में 1971 की कांग्रेस विजय, श्रीमती गांधी की ही विजय मानी जाती है। क्योंकि श्रीमती गांधी ने चुनाव प्रचार में एक तरह से स्वयं को भी एक मुद्दा बना रखा था।

जहां श्रीमती गांधी ने ‘ग़रीबी हटाओ’ का नारा दिया, वहीं उनके विपक्षियों ने ‘इन्दिरा हटाओ’ का नारा दिया। चुनाव परिणामों से स्पष्ट हो गया कि लोगों ने ‘ग़रीबी हटाओ’ के नारे को अधिक पसन्द किया तथा श्रीमती गांधी को पूर्ण बहुमत प्रदान किया। 1971 के पांचवें लोकसभा चुनावों में श्रीमती इन्दिरा गांधी एवं कांग्रेस (आर०) की जीत के निम्नलिखित कारण थे

1. श्रीमती गांधी का चमत्कारिक नेतृत्व (Chrismatic Leadership of Mrs. Gandhi):
1971 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की जीत का सबसे बड़ा कारण श्रीमती गांधी का चमत्कारिक नेतृत्व था। 1969 में कांग्रेस के विभाजन के बाद श्रीमती गांधी ने कांग्रेस को कुशलता से पुनर्जीवित किया तथा देश के विकास के लिए कई नीतियां बनाईं। उन्होंने बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया तथा महाराजाओं के प्रिवी पर्सी को बन्द कर दिया। 1971 के चुनावों में श्रीमती गांधी ने व्यक्तिगत स्तर पर मतदाताओं से सम्पर्क साधा तथा मतदाताओं को अपनी नीतियों एवं कार्यक्रमों से अवगत कराया।

2. समाजवादी नीतियां (Socialistic Policies):
1971 के चुनावों में कांग्रेस की जीत का एक अन्य महत्त्वपूर्ण कारण श्रीमती गांधी द्वारा अपनाई गई समाजवादी नीतियां थीं। उन्होंने प्रत्येक चुनाव रैली में समाजवाद के विषय में बढ़-चढ़ कर बातें की। जब किसी ने उनसे जानना चाहा कि वे समाजवाद पर इतना अधिक जोर क्यों दे रही हैं, तो श्रीमती गांधी का उत्तर था कि लोग यही सुनना पसन्द करते हैं। अतः श्रीमती गांधी ने अपने समाजवादी भाषणों तथा नीतियों से 1971 का चुनाव जीता था।

3. ग़रीबी हटाओ का नारा (Slogan of Garibi Hatao):
1971 में श्रीमती गांधी की जीत का एक सबसे महत्त्वपूर्ण कारण उनके द्वारा दिया गया, ‘ग़रीबी हटाओ’ का नारा था। इस नारे के बल पर श्रीमती गांधी ने अधिकांश ग़रीबों के वोट अपनी झोली में डाल लिए। जहां श्रीमती गांधी ने ‘ग़रीबी हटाओ’ का नारा दिया वहीं उनके विरोधियों ने ‘इन्दिरा हटाओ’ का नारा दिया, जिसे मतदाताओं ने पसन्द नहीं किया और भारी संख्या में लोगों ने कांग्रेस को वोट डालें। ग़रीबी हटाने के लिए श्रीमती गांधी ने चुनाव घोषणा पत्र में नीतियों एवं कार्यक्रमों का वर्णन किया।

4. कांग्रेस दल पर श्रीमती गांधी की पकड़ (Hold of Mrs. Gandhi on Congress Party):
1971 में श्रीमती गांधी की जीत का एक अन्य कारण यह था कि श्रीमती गांधी की अपने दल पर पूरी पकड़ एवं प्रभाव था। 1969 में कांग्रेस पार्टी के विभाजन के पश्चात् श्रीमती गांधी पूरी तरह पार्टी पर छा गईं। कांग्रेस पार्टी में कोई भी नेता उनकी आज्ञा की अवहेलना करने का साहस नहीं कर सकता था।

5. श्रीमती गांधी के पक्ष में वोटों का ध्रुवीकरण (Polarisation of vote in favour of Mrs. Gandhi):
1971 के चुनावों में श्रीमती गांधी की जीत का एक अन्य कारण यह था कि इन चुनावों में वोटों का ध्रुवीकरण श्रीमती गांधी एवं उनकी पार्टी के पक्ष में हुआ। समाज के सभी वर्गों ने श्रीमती गांधी के पक्ष में वोट डाले। यही कारण था, कि श्रीमती गांधी 1971 के चुनावों में प्रथम तीन चुनावों का इतिहास दोहरा सकीं। उपरोक्त वर्णन से स्पष्ट है कि 1971 के चुनावों में श्रीमती गांधी ने मतदाताओं की इच्छाओं को भांप लिया था तथा उसी के अनुसार अपनी नीतियां एवं कार्यक्रम बनाए, जिसके कारण श्रीमती गांधी को इतनी बड़ी चुनावी सफलता मिली।

प्रश्न 5.
‘ग़रीबी हटाओ’ की राजनीति से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
1971 के पांचवें लोकसभा चुनाव कई पक्षों से ऐतिहासिक माने जाते हैं। इन चुनावों में भारी बहुमत से जीतकर श्रीमती गांधी जहां कांग्रेस की निर्विवाद नेता बन गई हैं, वहीं उन्होंने भारतीय राजनीति में एक नये नारे को जन्म दिया, जिसे ‘ग़रीबी हटाओ’ कहा जाता है। चुनाव विश्लेषकों के अनुसार श्रीमती गांधी की चुनावी विजय में इस नारे की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी।

इस नारे के बल पर श्रीमती गांधी ने अधिकांश ग़रीबों के वोट अपनी झोली में डाल लिए। जहां श्रीमती गांधी ने ‘ग़रीबी हटाओ’ का नारा दिया वहीं उनके विरोधियों ने ‘इन्दिरा हटाओ’ का नारा दिया। परन्तु मतदाताओं ने ‘ग़रीबी हटाओ’ के नारे को अधिक पसन्द करते हुए श्रीमती गांधी को भारी बहुमत से विजय दिलाई। श्रीमती गांधी के इस नारे ने जहां मतदाताओं को प्रभावित किया वहां पुनर्गठन के दौर से गुजर रही कांग्रेस में नये रक्त का संचार भी किया। श्रीमती गांधी ने ‘ग़रीबी हटाओ’ के नारे के अन्तर्गत ग़रीबों के निरन्तर विकास की बात कही।

‘ग़रीबी हटाओ’ कार्यक्रम के अन्तर्गत 1970-71 से नीतियां एवं कार्यक्रम बनाये जाने लगे तथा इस कार्यक्रम पर अधिक से-अधिक धन खर्च किया जाने लगा। इससे मतदाताओं को यह आभास हुआ कि कांग्रेस पार्टी वास्तव में ही ग़रीबों की ग़रीबी दूर करना चाहती है, अतः उन्होंने बाकी सभी दलों को हराते हुए श्रीमती गांधी एवं उनके दल को विजयी बनाया।

परन्तु 1971 के चुनावों के पश्चात् भारत एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कुछ ऐसी घटनाएं घटीं कि श्रीमती गांधी के लिए अब ‘ग़रीबी हटाओ’ के अन्तर्गत शुरू किये गए कार्यक्रमों के लिए आबंटित धन में कमी करना आवश्यक हो गया। 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध, बढ़ती हुई महंगाई एवं मुद्रा स्फीति की दर तथा 1973 में विश्व स्तर पर पैदा हुए तेल संकट ने श्रीमती गांधी के ‘ग़रीबी हटाओ’ कार्यक्रम को गहरा आघात पहुंचाया। 1974-1975 में श्रीमती गांधी ने ग़रीबी उन्मूलन के लिए जो धन आबंटित किया था, उनमें एक तिहाई की कटौती कर दी गई। परन्तु इसके साथ ही श्रीमती गांधी ने कुछ अन्य प्रयास भी किए। श्रीमती गांधी ने 1975 में ग़रीबी हटाने के लि शुरुआत की, जिसके द्वारा गरीबी को (विशेषकर ग्रामीण ग़रीबी को) दूर करने का प्रयास किया गया। परन्तु ये उपाय पर्याप्त नहीं थे।

जब श्रीमती गांधी का ‘ग़रीबी हटाओ’ का नारा कमजोर पड़ने लगा, तब जनता ने जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व में श्रीमती गांधी के विरुद्ध आन्दोलन शुरू कर दिया तथा श्रीमती गांधी की राजनीतिक विफलताओं एवं कमजोरियों को लोगों के सामने लाना शुरू कर दिया। दूसरे शब्दों में जय प्रकाश नारायण ने श्रीमती गांधी के लिए राजनीतिक एवं संवैधानिक संकट खड़ा कर दिया।

इसी समय इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उनके निर्वाचन को अवैध घोषित कर दिया। परिस्थितियां इतनी तेजी से बदलने लगीं कि अन्ततः श्रीमती गांधी को आपात्काल की घोषणा करनी पड़ी। केवल पांच साल के अन्दर ही श्रीमती गांधी की ‘गरीबी हटाओ’ की राजनीति असफल हो गई तथा 1977 के चुनावों में लोगों ने श्रीमती गांधी को ऐतिहासिक पराजय का सामना करवाया तथा सत्ता जनता पार्टी को सौंप दी।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 5 कांग्रेस प्रणाली : चुनौतियाँ और पुनर्स्थापना

प्रश्न 6.
1960 के दशक की कांग्रेस पार्टी के सन्दर्भ में सिंडीकेट’ से क्या अभिप्राय है ? सिंडीकेट ने कांग्रेस पार्टी में क्या भूमिका निभाई ?
उत्तर:
1960 के दशक में कांग्रेस पार्टी में एक समूह बहुत अधिक शक्तिशाली था, जिसे सिंडीकेट कहा जाता है। सिंडीकेट में अनुभवी कांग्रेसी नेता शामिल थे, जिनमें कामराज, एस० के० पाटिल, अतुल्य घोष एवं निजलिंगप्पा शामिल थे। सिंडीकेट ने कांग्रेस की नीतियों एवं कार्यक्रमों एवं निर्णयों को सर्वाधिक प्रभावशाली ढंग से प्रभावित किया।

मई, 1964 में पं० जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु के पश्चात् किसे देश का प्रधानमन्त्री बनाया जाए, यह बहुत बड़ा प्रश्न था। इस समस्या को हल करने में सिंडीकेट ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। सिंडीकेट ने श्री लाल बहादुर शास्त्री को प्रधानमन्त्री बनवाने में कांग्रेस में सहमति बनाई। जनवरी, 1966 में श्रीमती इन्दिरा गांधी को भारत की प्रधानमन्त्री बनाने में सिंडीकेट ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। अधिकांश कांग्रेसी नेताओं तथा मुख्यमन्त्रियों ने श्रीमती इन्दिरा गांधी को भारत की प्रधानमन्त्री बनना स्वीकार कर लिया, परन्तु मोरारजी देसाई स्वयं प्रधानमन्त्री बनाना चाहते थे।

अत: उन्होंने नेतृत्व के लिए प्रतियोगिता करने का निर्णय किया। सिंडीकेट ने इस बात को सुनिश्चित किया कि मत विभाजन के समय श्रीमती इन्दिरा गांधी की जीत निश्चित हो। अतः सिंडीकेट की सहायता से ही श्रीमती इन्दिरा गांधी कांग्रेस संसदीय दल की नेता चुनी गईं। इस प्रकार श्री जाकिर हुसैन को राष्ट्रपति बनवाने में तथा अलग-अलग राज्यों में मुख्यमन्त्री एवं राज्यपालों के सम्बन्ध में निर्णय लेने में भी इस संगठन ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पं० जवाहर लाल नेहरू के राजनीतिक उत्तराधिकार पर एक नोट लिखें।
उत्तर:
पं०. जवाहर लाल नेहरू भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री थे। वे इस पद पर 1947 से 1964 तक रहे। मई, 1964 में पं० नेहरू की मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु के समय देश की राजनीतिक एवं आर्थिक परिस्थितियां ठीक नहीं थीं। राजनीतिक तौर पर 1962 में चीन से हार, भारत में पैदा हुई राजनीतिक अस्थिरता तथा आर्थिक स्तर पर भारत में बढ़ती हुई ग़रीबी एवं पड़ने वाला भयंकर अकाल, इन परिस्थितियों में पं० नेहरू का जाना भारत के लिए एक त्रासदी से कम नहीं था। पं० नेहरू की मृत्यु के पश्चात् उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी को लेकर तरह-तरह के प्रश्न उठने लगे।

कुछ विदेशी विद्वानों का यह मत था कि पं० नेहरू की मृत्यु के पश्चात् ऐसा कोई भी नेता नहीं है, जो पं० नेहरू की तरह प्रजातन्त्र एवं संसदीय प्रणाली में पूरी तरह विश्वास रखता हो तथा उसे चला सकता हो। परन्तु विदेशी विद्वानों की ऐसी भविष्यवाणियां सच साबित नहीं हुईं, बल्कि पं० नेहरू की मृत्यु के पश्चात् भारतीय लोकतन्त्र और अधिक मज़बूत होकर विश्व परिदृश्य पर उभरा। पं० नेहरू के राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में पहले श्री लाल बहादुर शास्त्री तथा बाद में श्रीमती इन्दिरा गांधी ने सफलतापूर्वक कार्य किया।

प्रश्न 2.
श्री लाल बहादुर शास्त्री के विषय में आप क्या जानते हैं ?
अथवा
पं० नेहरू के उत्तराधिकारी के रूप में श्री लाल बहादुर शास्त्री पर एक नोट लिखें।
उत्तर:
पं० नेहरू की मृत्यु के पश्चात् कांग्रेस के मुख्य नेताओं में प्रधानमन्त्री पद के लिए एकमतता न होने के कारण श्री लाल बहादुर शास्त्री को एक मध्यमार्गी उम्मीदवार के रूप में भारत का प्रधानमन्त्री बनाया गया। इस एक घटना से श्व में यह सन्देश पहंचा कि कांग्रेस पार्टी एक राजनीतिक दल के रूप में परिपक्व हो गयी है तथा भारत पं० नेहरू के पश्चात् भी लोकतन्त्र एवं संसदीय प्रणाली में गहरा विश्वास रखता है। शास्त्री जी नेहरूवादी समाजवादी थे, वे उदारवादी, सरलभाषी परन्तु दृढ़ संकल्पी थे। उन्होंने 9 जून, 1964 को प्रधानमन्त्री के पद का कार्यभार सम्भाला। पं० नेहरू के मन्त्रिमण्डल में वे एक प्रधान समझौताकर्ता, मध्यस्थ तथा समन्वयकार के रूप में जाने जाते थे।

पं० नेहरू के आग्रह पर शास्त्री जी ने असम में भाषायी दंगों एवं श्रीनगर में हजरत बल दरगाह से चोरी हुए एक पवित्र स्मृति चिह्न से उत्पन्न हुई समस्याओं को कु पूर्वक सुलझाया। शास्त्री जी ने जब देश की बागडोर सम्भाली, उस समय भारत विकट समस्याओं से घिरा हुआ था। भारत में अकाल पड़ने से खाद्यान्न की कमी अनुभव हो रही थी।

अतः शास्त्री जी ने कृषि पर विशेष ध्यान दिया। इसीलिए उन्होंने जय जवान जय किसान का नारा दिया। शास्त्री जी ने अपनी सूझ-बूझ से न केवल 1965 में पाकिस्तान के आक्रमण का सामना ही किया, बल्कि युद्ध में पाकिस्तान को हराया। सोवियत संघ के प्रयासों से 1966 में भारत-पाकिस्तान के बीच ताशकन्द में समझौता हुआ और ताशकन्द में ही जनवरी, 1966 में शास्त्री जी की संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गई। शास्त्री जी लगभग 20 महीने ही देश के प्रधानमन्त्री थे, परन्तु इस छोटी-सी अवधि में भी उन्होंने देशवासियों पर गम्भीर छाप छोड़ी।

प्रश्न 3.
श्री लाल बहादुर शास्त्री के उत्तराधिकारी के रूप में श्रीमती इन्दिरा गांधी पर एक नोट लिखें।
उत्तर:
श्री लाल बहादुर शास्त्री की असामयिक मृत्यु के पश्चात् देश एवं कांग्रेस के सामने पुन: यह प्रश्न पैदा हो गया कि देश का प्रधानमन्त्री कौन बने। अधिकांश कांग्रेसी नेताओं की यह राय थी कि पं० नेहरू की बेटी श्रीमती इन्दिरा गांधी को देश का प्रधानमन्त्री बनाया जाए। परन्तु मोरारजी देसाई भी प्रधानमन्त्री बनने के इच्छुक थे, इसलिए उन्होंने मत विभाजन का सुझाव दिया।

मत विभाजन में श्रीमती गांधी के पक्ष में 355 एवं विपक्ष में 169 वोट पड़े। कुछ विद्वानों का यह मत था कि अधिकांश कांग्रेसियों ने श्रीमती गांधी को इसलिए प्रधानमन्त्री बनाया क्योंकि वे केन्द्र में अपने लिए एक अहानिकारक व्यक्ति को प्रधानमन्त्री के रूप में देखना चाहते थे। इस दृष्टिकोण से श्रीमती गांधी, मोरारजी देसाई के मुकाबले कांग्रेसी नेताओं के लिए कम हानिकारक थीं।

1967 में होने वाले लोकसभा के चुनावों में भी जीतकर श्रीमती गांधी देश की प्रधानमन्त्री बनी रहीं। अपने प्रधानमन्त्रित्व काल में श्रीमती गांधी ने ऐसे कई कार्य किये जिससे देश प्रगति कर सके। उन्होंने कृषि कार्यों को बढ़ावा दिया। ग़रीबी को हटाने के लिए कार्यक्रम घोषित किया तथा देश की सेनाओं का आधुनिकीकरण किया तथा 1974 में पोखरण में ऐतिहासिक परमाणु विस्फोट किया। श्रीमती गांधी को 1971 में असामान्य परिस्थितियों का सामना करना पड़ा, जब पूर्वी पाकिस्तान के कारण भारत एवं पाकिस्तान के मध्य भयंकर युद्ध शुरू हो गया। परन्तु 1971 का युद्ध भारत एवं श्रीमती गांधी के लिए एक निर्णायक युद्ध साबित हुआ तथा इस युद्ध के जीतने पर विश्व में भारत की प्रतिष्ठा बहुत बढ़ गई।

प्रश्न 4.
1967 के गैर-कांग्रेसवाद एवं चुनावी बदलाव का वर्णन करें।
अथवा
1967 में हुए चौथे आम चुनाव पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
1967 के चौथे आम चुनाव भारतीय राजनीति में ऐतिहासिक महत्त्व रखते हैं। इन चुनावों में पहली बार कांग्रेस को यह अनुभव हुआ कि जनता पर से उसकी पकड़ ढीली हो रही है। इन चुनावों में भारतीय मतदाताओं ने कांग्रेस को वैसा समर्थन नहीं दिया जो पहले तीन आम चुनावों में दिया था। केन्द्र में जहां कांग्रेस मुश्किल से बहुमत प्राप्त कर पाई. वहीं 8 राज्य विधानसभाओं (बिहार, केरल, मद्रास, उडीसा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश तथा पश्चिम बंगाल) में हार का सामना करना पड़ा।

लोकसभा की कुल 520 सीटों में से कांग्रेस को केवल 283 सीटें ही मिल पाईं। अत: जिस कांग्रेस पार्टी ने पहले तीन आम चुनावों में जिन विरोधी दलों को बुरी तरह से हराया, वे दल चौथे लोकसभा चुनाव में बहुत अधिक सीटों पर चुनाव जीत गए। इसी तरह राज्यों में भी कांग्रेस की स्थिति 1967 के आम चुनावों में 1967 के आम चुनाव बहुत बड़े उलट-फेर वाले रहे। इससे पहली बार भारत में बड़े पैमाने पर गैर कांग्रेसवाद की लहर चली तथा राज्यों में कांग्रेस का एकाधिकार समाप्त हो गया।

प्रश्न 5.
कांग्रेस में फूट के मुख्य कारण क्या थे ?
उत्तर:
1. दक्षिण पंथी एवं वामपंथी विषय पर कलह-1967 के चौथे आम चुनाव में कांग्रेस को कई राज्य विधानसभाओं में हार का सामना करना पड़ा। अत: कांग्रेस के कुछ सदस्यों का यह विचार था कि राज्यों में कांग्रेस को दक्षिण-पंथी विचारधारा वाले दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ना चाहिए, जबकि कुछ अन्य कांग्रेसियों का यह मत था कि कांग्रेस को वामपंथी विचारधारा वाले दलों के साथ मिलकर चलना चाहिए।

2. राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के विषय में मतभेद-कांग्रेस में 1967 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव को लेकर मतभेद था। श्रीमती इन्दिरा गांधी जहां जाकिर हुसैन को राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनाना चाहती थीं, वहीं कामराज जैसे कांग्रेसियों ने इसका विरोध किया।

3. युवा तुर्क एवं सिंडीकेट के बीच कलह-1969 में कांग्रेस पार्टी के विभाजन का एक कारण युवा तुर्क तथा सिंडीकेट के बीच होने वाली कलह थी। जहां युवा तुर्क बैंकों के राष्ट्रीयकरण एवं राजाओं के प्रिवी पों को समाप्त करने के पक्ष में था, वहीं सिंडीकेट इसका विरोध कर रहा था।

4. मोरारजी देसाई से वित्त विभाग वापिस लेना-1969 में कांग्रेस के विभाजन का एक अन्य कारण प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गांधी द्वारा मोरारजी देसाई से वित्त विभाग वापिस लेना था। मोरारजी देसाई ने इस पर अपना विरोध दर्ज कराते हुए मन्त्रिमण्डल से त्याग-पत्र दे दिया। सिंडीकेट ने प्रधानमन्त्री की इस कार्यवाही का विरोध किया।

प्रश्न 6.
1971 में पांचवें लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी की जीत के क्या कारण थे ?
अथवा
1970 के दशक में इन्दिरा गांधी की सरकार किन कारणों से लोकप्रिय हई थी?
उत्तर:
1. श्रीमती गांधी का चमत्कारिक नेतृत्व-1971 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की जीत का सबसे बड़ा कारण श्रीमती गांधी का चमत्कारिक नेतृत्व था। 1969 में कांग्रेस के विभाजन के बाद श्रीमती गांधी ने कांग्रेस को कुशलता से पुनर्जीवित किया। श्रीमती गांधी ने व्यक्तिगत स्तर पर मतदाताओं से सम्पर्क साधा तथा मतदाताओं को अपनी नीतियों एवं कार्यक्रमों से अवगत कराया।

2. समाजवादी नीतियां-1971 के चुनावों में कांग्रेस की जीत का एक अन्य महत्त्वपूर्ण कारण श्रीमती गांधी द्वारा अपनाई गई समाजवादी नीतियां थीं। उन्होंने प्रत्येक चुनाव रैली में समाजवाद के विषय में बढ़-चढ़ कर बातें की। जब किसी ने उनसे जानना चाहा कि वे समाजवाद पर इतना अधिक ज़ोर क्यों दे रही है, तो श्रीमती गांधी का उत्तर था, कि
लोग यही सुनना पसन्द करते हैं।

3. ग़रीबी हटाओ का नारा-1971 में श्रीमती गांधी की जीत का एक सबसे महत्त्वपूर्ण कारण उनके द्वारा दिया गया, ‘ग़रीबी हटाओ’ का नारा था। इस नारे के बल पर श्रीमती गांधी ने अधिकांश ग़रीबों के वोट अपनी झोली में डाल लिए। जहां श्रीमती गांधी ने ‘ग़रीबी हटाओ’ का नारा दिया, वहीं उनके विरोधियों ने ‘इन्दिरा हटाओ’ का नारा दिया, जिसे मतदाताओं ने पसन्द नहीं किया।

4. कांग्रेस दल पर श्रीमती गांधी की पकड़-1971 में श्रीमती गांधी की जीत का एक अन्य कारण यह था कि श्रीमती गांधी की अपने दल पर पूरी पकड़ एवं प्रभाव था। 1969 में कांग्रेस पार्टी के विभाजन के पश्चात् श्रीमती गांधी पूरी तरह पार्टी पर छा गई। कांग्रेस पार्टी में कोई भी नेता उनकी आज्ञा की अवहेलना करने का साहस नहीं कर सकता था।

प्रश्न 7.
‘ग़रीबी हटाओ’ की राजनीति का वर्णन करें।
अथवा
‘ग़रीबी हटाओ’ का अर्थ स्पष्ट करें।
उत्तर:
1971 के चुनावों में श्रीमती गांधी ने ‘ग़रीबी हटाओ’ का नारा दिया। चुनाव विश्लेषकों के अनुसार श्रीमती गांधी की चुनावी विजय में इस नारे की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। श्रीमती गांधी ने जहां ‘ग़रीबी हटाओ’ का नारा दिया, वहीं उनके विरोधियों ने ‘इन्दिरा हटाओ’ का नारा दिया। परन्तु मतदाताओं ने ‘ग़रीबी हटाओ’ के नारे को अधिक पसन्द कांग्रेस प्रणाली-चुनौतियां और पुनर्स्थापना । करते हुए श्रीमती गांधी को भारी बहुमत से विजय दिलाई। ‘ग़रीबी हटाओ’ कार्यक्रम के अन्तर्गत 1970-71 से नीतियां एवं कार्यक्रम बनाये जाने लगे तथा इस कार्यक्रम पर अधिक-से-अधिक धन खर्च किया जाने लगा।

परन्तु 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध एवं विश्व स्तर पर पैदा हुए तेल संकट के कारण श्रीमती गांधी ने ग़रीबी हटाओ कार्यक्रमों के लिए आबंटित धन में कमी करनी शुरू कर दी। जब श्रीमती गांधी का ‘ग़रीबी हटाओ’ का नारा कमजोर पड़ने लगा, तब जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व में लोगों ने श्रीमती गांधी के विरुद्ध आन्दोलन करके राजनीतिक एवं संवैधानिक संकट पैदा कर दिया।

इसी समय इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने श्रीमती गांधी के निर्वाचन को अवैध घोषित कर दिया। परिस्थितियां इतनी तेजी से बदलने लगी कि अन्ततः श्रीमती गांधी को आपात्काल की घोषणा करनी पड़ी। केवल पांच साल के अन्दर ही श्रीमती गांधी की ‘ग़रीबी हटाओ’ की राजनीति असफल हो गई तथा 1977 के चुनावों में लोगों ने श्रीमती गांधी को ऐतिहासिक पराजय का सामना करवाया तथा सत्ता जनता पार्टी को सौंप दी।

प्रश्न 8.
क्या 1969 में कांग्रेस विभाजन को रोका जा सकता था ? यदि विभाजन नहीं होता तो यह किस प्रकार 1970 की राजनीति को प्रभावित करता।
उत्तर:
1969 की तत्कालीन परिस्थितियों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि उस समय कांग्रेस के विभाजन को रोका नहीं जा सकता था, क्योंकि कांग्रेस के दोनों गुटों में तनाव एवं अविश्वास बहुत बढ़ चुका था। परन्तु यदि कांग्रेस का विभाजन न होता, तो कांग्रेस 1970 की राजनीति को और अधिक ढंग से प्रभावित कर सकती थी। उदाहरण के लिए कांग्रेस 1971 के चुनावों में और अधिक प्रभावशाली जीत दर्ज कर सकती थी। श्रीमती इन्दिरा गांधी सम्भवत: इतनी शक्तिशाली एवं सर्वमान्य नेता बन जाती है कि उन्हें आपात्काल लगाने की आवश्यकता न पड़ती तथा जनता पार्टी का इस प्रकार उदय न होता।

प्रश्न 9.
निम्नलिखित किस सन्दर्भ में हैं
(क) जय जवान, जय किसान
(ख) गरीबी हटाओ
(ग) इन्दिरा हटाओ
(घ) ग्रैंड एलाइंस ?
उत्तर:
(क)जय जवान, जय किसान-जय जवान, जय किसान का नारा भारत के प्रधानमन्त्री श्री लाल बहादुर शास्त्री ने 1960 के दशक में दिया, क्योंकि उस समय भारत को युद्धों का सामना भी करना पड़ रहा था तथा साथ ही भारत में खाद्यान्न संकट भी पैदा हुआ था।

(ख) गरीबी हटाओ-गरीबी हटाओ का नारा श्रीमती इन्दिरा गांधी ने सन् 1971 में दिया ताकि भारत में गरीबी को कम किया जा सके।

(ग) इन्दिरा हटाओ-इन्दिरा हटाओ का नारा सन् 1971 में श्रीमती इन्दिरा गांधी के विरोधी दलों एवं सिंडीकेट ने दिया था, ताकि श्रीमती गांधी को चुनावों में हराकर उनकी शक्ति को कम किया जा सके।

(घ) ग्रैंड एलाइंस-1971 के चुनावों से पहले श्रीमती इन्दिरा गांधी को हराने के लिए विरोधी दलों ने गठबन्धन किया जिसे ग्रैंड एलाइंस कहा गया।

प्रश्न 10.
1960 के दशक को ‘खतरनाक’ दशक क्यों कहा जाता है ?
उत्तर:
1960 के दशक को ‘खतरनाक’ दशक इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इस दशक में भारत को कई पक्षों से समस्याओं का सामना करना पड़ा। राजनीतिक स्तर पर पं० जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु तथा 1966 में उनके उत्तराधिकारी श्री लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु भारत के लिए अपूर्णनीय क्षति थी। इसके साथ-साथ इस दशक में भारत को दो युद्धों का सामना करना पड़ा।

1962 में चीन ने भारत पर आक्रमण किया तथा 1965 में पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण किया। इसी दशक में भारत में भारी खाद्यान्न संकट पैदा हुआ। इसी दशक में भारत में गरीबी, असमानता, साम्प्रदायिकता तथा क्षेत्रीय विवाद भी अनसुलझे थे। इसके अतिरिक्त 1969 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी का विभाजन हो गया। इसीलिए 1960 के दशक को खतरनाक दशक कहा जाता है।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 5 कांग्रेस प्रणाली : चुनौतियाँ और पुनर्स्थापना

प्रश्न 11.
‘कांग्रेस प्रणाली’ के पुनर्स्थापन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
1971 के पांचवें लोकसभा की दलीय स्थिति से साफ पता चलता है कि लोगों ने लोगों ने श्रीमती गांधी को जीत दिला कर उन्हें एक राष्ट्रीय नेता के रूप में स्वीकार कर लिया था। वास्तव में 1971 की कांग्रेस विजय, श्रीमती लोगों ने लोगों ने श्रीमती गांधी को राजनीतिक विज्ञान । गांधी की ही विजय मानी जाती है।

क्योंकि श्रीमंती गांधी ने चुनाव प्रचार में एक तरह से स्वयं को भी एक मुद्दा बना रखा था। जहां श्रीमती गांधी ने ‘ग़रीबी हटाओ’ का नारा दिया, वहीं उनके विपक्षियों ने ‘इंदिरा हटाओ’ का नारा दिया। चुनाव परिणामों से स्पष्ट हो गया कि लोगों ने ‘ग़रीबी हटाओ’ के नारे को अधिक पसंद किया गया तथा श्रीमती गांधी को पूर्ण बहुमत प्रदान किया।

1972 में कई राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए जिनमें वे अधिकतर राज्यों में श्रीमती इन्दिरा गांधी की पार्टी ने ही चुनाव जीता। इन दो लगातार जीतों ने कांग्रेस के पुनर्स्थापन में सहायता की। परन्तु कांग्रेस के 1971 से पहले के प्रभुत्व एवं बाद के प्रभुत्व में अन्तर था, जिनका वर्णन इस प्रकार है

(1) श्रीमती गांधी की कांग्रेस पार्टी नये अंदाज में बनी थी तथा इन्दिरा गांधी ने जो कुछ भी किया वह पुरानी कांग्रेस को पुनर्जीवित करने का काम नहीं था।

(2) इन्दिरा गांधी की कांग्रेस पार्टी को उसी प्रकार की लोकप्रियता प्राप्त थी जो लोकप्रियता पुरानी कांग्रेस को अपने शुरुआती दौर में प्राप्त थी। परन्तु नहीं कांग्रेस पुरानी कांग्रेस से कई मायनों में अलग थी। नई कांग्रेस अपने नेता की लोकप्रियता पर निर्भर थी। इस पार्टी का ढांचागत संगठन भी कमज़ोर था। इस पार्टी में कई गुट नहीं थे। इस प्रकार कहा जा सकता है कि इन्दिरा गांधी ने कांग्रेस प्रणाली को पुनर्स्थापित अवश्य किया, परन्तु उसकी प्रकृति को बदलकर।

(3) पुरानी कांग्रेस प्रत्येक तनाव एवं संघर्ष को सहन कर लेती थी, परन्तु नई कांग्रेस में इसका अभाव था।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
पं० नेहरू का उत्तराधिकारी कौन बना ?
उत्तर:
पं० नेहरू के उत्तराधिकारी श्री लाल बहादुर शास्त्री बनें। श्री लाल बहादुर शास्त्री एक प्रधान समझौताकर्ता, मध्यस्थ तथा समन्वयकार थे। शास्त्री जी ने ‘जय जवान, जय किसान’ का नारा दिया। शास्त्री जी ने अपनी सूझ-बूझ से न केवल 1965 में पाकिस्तान के आक्रमण का सामना किया, बल्कि युद्ध में पाकिस्तान को हराया। सोवियत संघ के प्रयासों से 1966 में भारत-पाकिस्तान के बीच ताशकंद में समझौता हआ और ताशकंद में ही 1966 में शास्त्री जी की संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो गई।

प्रश्न 2.
श्री लाल बहादुर शास्त्री जी का राजनीतिक उत्तराधिकारी कौन था ?
उत्तर:
श्री लाल बहादुर शास्त्री की उत्तराधिकारी श्रीमती इन्दिरा गांधी बनी। मोरार जी देसाई के आग्रह पर प्रधानमन्त्री पद के लिए कराये गए मत विभाजन में अधिकांश कांग्रेसी नेताओं ने श्रीमती गांधी के पक्ष में मत दिया। प्रधानमन्त्री बनने के बाद श्रीमती गांधी ने कृषि क्षेत्र को बढ़ावा दिया, ग़रीबी को हटाने के लिए कार्यक्रम घोषित किया, देश की सेनाओं का आधुनिकीकरण किया तथा 1974 में पोखरण में ऐतिहासिक परमाणु विस्फोट किया। 1971 में भारत ने पाकिस्तान को युद्ध में हराया, जिसके कारण बांग्लादेश नाम का एक नया देश अस्तित्व में आया।

प्रश्न 3.
लाल बहादुर शास्त्री के काल में भारत को जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ा उनमें से किन्हीं दो के नाम लिखें।
अथवा
कोई दो चुनौतियाँ बताइये जिनका सामना लाल बहादुर शास्त्री के काल में भारत को करना पड़ा ?
उत्तर:

  • भारत में अकाल पड़ने से खाद्यान्न की कमी हो गई थी।
  • भारत को सन् 1965 में पाकिस्तान से युद्ध लड़ना पड़ा।

प्रश्न 4.
भारत में चौथे आम चुनाव कब हुए और उसमें क्या परिणाम निकले ?
अथवा
चौथे आम चुनाव कब हुए थे ?
उत्तर:
भारत में चौथे आम चुनाव 1967 में हुए। इन चुनावों में भारतीय मतदाताओं ने कांग्रेस को वैसा समर्थन नहीं दिया, जो पहले तीन आम चुनावों में दिया था। लोकसभा की कुल 520 सीटों में से कांग्रेस को केवल 283 सीटें ही मिल पाईं। इसके साथ-साथ कांग्रेस को 8 राज्य विधानसभाओं में भी हार का सामना करना पड़ा। इससे पहली बार भारत में गैर कांग्रेसवाद की लहर चली तथा राज्यों में कांग्रेस का एकाधिकार समाप्त हो गया।

प्रश्न 5.
सन् 1969 में कांग्रेस पार्टी में हुए विभाजन का मुख्य कारण क्या था ?
उत्तर:
(1) 1967 के चुनावों में मिली हार के बाद कुछ कांग्रेसी दक्षिणपंथी दलों के साथ जबकि कुछ कांग्रेसी वामपंथी दलों के साथ समझौते का समर्थन कर रहे थे, जिसमें कांग्रेस में मतभेद बढ़ा।

(2) कांग्रेस में 1967 में होने वाले राष्ट्रपति के चुनावों को लेकर मतभेद था। श्रीमती गांधी डॉ. जाकिर हुसैन को राष्ट्रपति बनना चाहती थीं, वही कामराज जैसे कांग्रेसियों ने इसका विरोध किया।

प्रश्न 6.
दल विरोधी अधिनियम कब पास करवाया गया?
उत्तर:
दल विरोधी अधिनियम सन् 1985 एवं 2003 में पास किये गए।

प्रश्न 7.
गरीबी हटाओ का क्या अर्थ है ?
उत्तर:
गरीबी हटाओ का नारा 1971 के पांचवें लोक सभा चुनाव में श्रीमती इन्दिरा गांधी ने दिया। श्रीमती गांधी ने ‘गरीबी हटाओ’ के नारे के अन्तर्गत ग़रीबों के निरन्तर विकास की बात कही। ‘गरीबी हटाओ’ कार्यक्रम के अन्तर्गत 1970-71 से नीतियां एवं कार्यक्रम बनाये जाने लगे तथा इस कार्यक्रम पर अधिक-से-अधिक धन खर्च किया जाने लगा। इससे मतदाताओं को यह आभास हुआ कि कांग्रेस पार्टी वास्तव में ही गरीबों की गरीबी दूर करना चाहती है, अत: उन्होंने बाकी सभी दलों को हराते हुए श्रीमती गांधी एवं उनके दल को विजयी बनाया।

प्रश्न 8.
1969 में कांग्रेस विभाजन के पश्चात् बने दो राजनीतिक दलों के नाम बताएं।
उत्तर:
1969 में कांग्रेस विभाजन के पश्चात् जो दो दल सामने आए, उनके नाम कांग्रेस (आर) (Congress (R) Requisitioned) तथा कांग्रेस (ओ) (Congress (O)-organisation) थे। कांग्रेस (आर) का नेतृत्व श्रीमती गांधी कर रही थीं, वहीं कांग्रेस (ओ) का नेतृत्व सिंडीकेट कर रहा था।

प्रश्न 9.
सन् 1969 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में इंदिरा गांधी ने किसे अपना उम्मीदवार बनाया था?
उत्तर:
सन् 1969 में हुए राष्ट्रपति चुनाव में इंदिरा गांधी ने श्री० वी० वी० गिरी को अपना उम्मीदवार बनाया था।

प्रश्न 10.
सन् 1971 में हुए चुनावों में कांग्रेस पार्टी मुख्य रूप से किस पर निर्भर थी ?
उत्तर:
सन् 1971 में हुए चुनाव में कांग्रेस पार्टी मुख्य रूप से श्रीमती इन्दिरा गांधी पर निर्भर थी।

प्रश्न 11.
श्री लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के पश्चात् भारत का प्रधानमंत्री कौन बना ?
उत्तर:
श्री लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के पश्चात् भारत का प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गांधी बनी।

प्रश्न 12.
‘आया राम, गया राम’ का मुहावरा कब और कहां से मशहूर हुआ ?
उत्तर:
‘आया राम, गया राम’ का मुहावरा सन् 1967 से हरियाणा से मशहूर हुआ।

प्रश्न 13.
किन्हीं चार राज्यों के नाम लिखिए जहां, 1967 के चुनावों के बाद पहली बार गैर-कांग्रेसी सरकारें बनीं ?
उत्तर:

  • बिहार
  • पंजाब
  • उड़ीसा
  • राजस्थान।

प्रश्न 14.
सन् 1971 में हुए चुनावों में कांग्रेस पार्टी मुख्य रूप से किस-किस पर निर्भर थी ?
उत्तर:
सन् 1971 में हुए चुनावों में कांग्रेस पार्टी इन्दिरा गांधी पर मुख्य रूप से निर्भर थी।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 5 कांग्रेस प्रणाली : चुनौतियाँ और पुनर्स्थापना

प्रश्न 15.
प्रिवी पर्सेस की समाप्ति पर एक टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय देशी रियासतों के भारत में विलय के समय सरकार ने राज परिवारों को यह आश्वासन दिया था कि रियासतों के तत्कालीन शासक परिवार को निश्चित मात्रा में निजी सम्पदा रखने का अधिकार होगा। इसके साथ ही सरकार की तरफ से उन्हें कुछ विशेष भत्ते भी दिए जाएंगे। ये दोनों चीजें इस बात को आधार मानकर निश्चित की जाएंगी कि जिस राज्य का विलय भारत में किया जाना है, उसका विस्तार, राजस्व और क्षमता कितनी है। इस व्यवस्था को ही ‘प्रिवी पर्स’ कहा गया।

प्रश्न 16.
सन् 1971 में हुए लोकसभा चुनावों के बाद भारत का प्रधानमन्त्री कौन बना ?
उत्तर:
सन् 1971 में हुए लोकसभा चुनावों के बाद भारत का प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गांधी बनीं।

प्रश्न 17.
उन दो नेताओं के नाम लिखें, जिन्होंने निम्नलिखित नारे दिए ?
(1) ‘जय जवान जय किसान’ तथा
(2) ‘गरीबी हटाओ’।
उत्तर:
जय जवान जय किसान का नारा श्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने तथा ग़रीबी हटाओ का नारा श्रीमती इन्दिरा गांधी जी ने दिया था।

प्रश्न 18.
पं० नेहरू जी की मृत्यु के बाद कौन भारत के प्रधानमन्त्री बने ?
उत्तर:
पं० नेहरू जी की मृत्यु के बाद लाल बहादुर शास्त्री भारत के प्रधानमन्त्री बने।

प्रश्न 19.
‘ग्रैंड-एलायंस’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
1967 के चुनावों में मिली असफलता एवं 1969 में राष्ट्रपति के चुनाव को लेकर कांग्रेस में हुए विभाजन के कारण श्रीमती गांधी पूरी क्षमता से अपनी सरकार नहीं चला पा रही थी। अतः 1971 में उन्होंने मध्यावधि चुनाव करवाने की घोषणा की। इस चुनाव में सभी विपक्षी दलों ने मिलकर एक विशाल गठबन्धन बनाया, जिसे ‘ग्रैंड एलायंस’ कहा जाता है।

इस ग्रैंड एलायंस में भारतीय जनसंघ, स्वतन्त्र पार्टी, भारतीय क्रान्ति दल तथा एस० एम० पी० जैसे विरोधी दल शामिल थे। इन दलों ने ‘इन्दिरा हटाओ’ का नारा दिया, जबकि श्रीमती इन्दिरा गांधी ने ‘ग़रीबी हटाओ’ का नारा दिया। चुनावों में मतदाताओं ने श्रीमती गांधी को भारी जनसमर्थन प्रदान किया तथा ‘ग्रैंड एलायंस’ को चुनावों में निराशा हाथ लगी।

प्रश्न 20.
‘आया राम, गया राम’ का मुहावरा किस तरह की राजनीति से सम्बन्धित है?
उत्तर:
आया राम, गया राम’ का मुहावरा दल-बदल की राजनीति से सम्बन्धित है। इस तरह की परिस्थितियों ने भारत में राजनीतिक अस्थिरता पैदा की है।

प्रश्न 21.
सन् 1971 का चुनाव, कांग्रेस पार्टी ने किस चुनाव निशान पर लड़ा था?
उत्तर:
सन् 1971 का चुनाव, कांग्रेस पार्टी ने गाय-बछड़ा, चुनाव निशान पर लड़ा था।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न 

1. पं० जवाहर लाल नेहरू का उत्तराधिकारी बना?
(A) डॉ० राजेन्द्र प्रसाद
(B) श्री लाल बहादुर शास्त्री
(C) डॉ० राधा कृष्ण
(D) श्रीमती इन्दिरा गांधी।
उत्तर:
(B) श्री लाल बहादुर शास्त्री।

2. 1967 के लोकसभा के चुनावों में कांग्रेस को कितनी सीटें मिली थी ?
(A) 283
(B) 330
(C) 350
(D) 400
उत्तर:
(A) 283

3. 1971 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी को सीटें मिली थी ?
(A) 300
(B) 325
(C) 352
(D) 390
उत्तर:
(C) 352

4. लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के बाद भारत का प्रधानमन्त्री कौन बना ?
(A) चौ० चरण सिंह
(B) मोरार जी देसाई
(C) इन्दिरा गांधी
(D) जगजीवन राम।
उत्तर:
(C) इन्दिरा गांधी।

5. कांग्रेस का विभाजन कब हुआ ?
(A) 1968
(B) 1969
(C) 1970
(D) 1971
उत्तर:
(B) 1969

6. युवा तुर्क में कौन शामिल था ?
(A) चन्द्रशेखर
(B) मोहनधारिया
(C) कृष्ण कांत
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

7. सिंडीकेट में कौन शामिल था ?
(A) कामराज
(B) निजलिंगप्पा
(C) एस० के० पाटिल
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

8. 1969 के राष्ट्रपति चुनावों में कांग्रेस पार्टी का उम्मीदवार था
(A) नीलम संजीवा रेड्डी
(B) वी० वी० गिरी
(C) मोरार जी देसाई
(D) श्रीमती इन्दिरा गांधी।
उत्तर:
(A) नीलम संजीवा रेड्डी।

9. 1969 के राष्ट्रपति चुनावों में श्रीमती गांधी ने किस उम्मीदवार का समर्थन किया ?
(A) जगजीवन राम
(B) नीलम संजीवा रेड्डी
(C) वी० वी० गिरी
(D) मोरार जी देसाई।
उत्तर:
(C) वी० वी० गिरी।

10. पांचवीं लोकसभा चुनाव में किस दल को जीत प्राप्त हुई ?
(A) कांग्रेस
(B) स्वतन्त्र दल
(C) जनसंघ
(D) जनता पार्टी।
उत्तर:
(A) कांग्रेस।

11. 1971 के पांचवीं लोकसभा चुनाव में ‘ग़रीबी हटाओ’ का नारा किसने दिया ?
(A) कामराज
(B) श्रीमती इन्दिरा गांधी
(C) श्री० अटल बिहारी बाजपेयी
(D) मोरार जी देसाई।
उत्तर:
(B) श्रीमती इन्दिरा गांधी।

12. कांग्रेस में प्रथम बार फूट पड़ी
(A) 1968 में
(B) 1969 में
(C) 1967 में
(D) 1970 में।
उत्तर:
(B) 1969 में।

13. 1969 में कांग्रेस विभाजन का मुख्य कारण था ?
(A) कांग्रेस में दक्षिणपंथी एवं वामपंथी विषय पर कलह
(B) राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के विषय में मतभेद
(C) युवा तुर्क एवं सिंडीकेट के बीच कलह
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 5 कांग्रेस प्रणाली : चुनौतियाँ और पुनर्स्थापना

14. 1971 के चुनावों में कांग्रेस पार्टी की विजय का कारण था-
(A) श्रीमती गांधी का चमत्कारिक नेतृत्व
(B) कांग्रेस की समाजवादी नीतियां
(C) ग़रीबी हटाओ का नारा
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

15. “जय जवान जय किसान” का नारा किसने दिया था ?
(A) इन्दिरा गांधी
(B) चौ० चरण सिंह
(C) लाल बहादुर शास्त्री
(D) महात्मा गांधी।
उत्तर:
(C) लाल बहादुर शास्त्री।

16. चौथी लोकसभा के चुनाव निम्नलिखित वर्ष में हुए
(A) 1971 में
(B) 1969 में
(C) 1967 में
(D) 1966 में।
उत्तर:
(C) 1967 में।

17. कांग्रेस पार्टी द्वारा ‘गरीबी हटाओ’ का नारा कौन-से लोक सभा चुनाव में प्रमुख था?
(A) 1971
(B) 1977
(C) 1980
(D) 1984
उत्तर:
(B) 1971

18. लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु हुई
(A) 1965 में
(B) 1967 में
(C) 1966 में
(D) 1970 में
उत्तर:
(C) 1966 में।

19. ‘गरीबी हटाओ’ का नारा निम्नलिखित राजनीतिक दल में से किसने दिया था?
(A) कम्युनिस्ट पार्टी
(B) कांग्रेस पार्टी
(C) जनसंघ पार्टी
(D) बहुजन समाज पार्टी।
उत्तर:
(B) कांग्रेस पार्टी।

20. 1967 के चौथे लोकसभा चुनाव में जनसंघ को सीटें मिलीं
(A) 35
(B) 42
(C) 55
(D) 47
उत्तर:
(A) 35

21. स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद कांग्रेस का पहली बार विभाजन किस वर्ष हुआ ?
(A) 1967 में
(B) 1969 में
(C) 1970 में
(D) 1965 में।
उत्तर:
(B) 1969 में।

22. ‘पांचवां आम-चुनाव’ कब हुआ ?
(A) 1967 में
(B) 1969 में
(C) 1971 में
(D) 1972 में।
उत्तर:
(C) 1971 में

23. वर्ष 1971 में भारत में कौन-सा आम चनाव हआ था ?
(A) चौथा
(B) पांचवां
(C) छठा
(D) सातवां।
उत्तर:
(B) पांचवां।

24. प्रीवी पर्स की समाप्ति कब की गई ?
(A) 1971 में
(B) 1972 में
(C) 1973 में
(D) 1974 में।
उत्तर:
(A) 1971 में।

25. श्रीमती इन्दिरा गांधी की मृत्यु कब हुई थी ?
(A) 30 अक्तूबर, 1982
(B) 31 अक्तूबर, 1984
(C) 31 अक्तूबर, 1985
(D) 31 अक्तूबर, 1986
उत्तर:
(B) 31 अक्तूबर, 1984

26. 1967 के चुनावों को ‘गैर-कांग्रेसवाद’ का नाम किसने दिया था ?
(A) राम मनोहर लोहिया
(B) मोरार जी देसाई
(C) जगजीवन राम
(D) चन्द्रशेखर।
उत्तर:
(A) राम मनोहर लोहिया।

27. राम मनोहर लोहिया की मृत्यु कब हुई थी ?
(A) 1935
(B) 1952
(C) 1962
(D) 1967
उत्तर:
(D) 1967

28. ‘आया राम गया राम’ की कहावत किस राज्य से सम्बन्धित है ?
(A) बिहार
(B) हरियाणा
(C) उत्तर-प्रदेश
(D) हिमाचल प्रदेश।
उत्तर:
(B) हरियाणा।

29. भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु हुई
(A) मई 1964 में
(B) मई 1967 में
(C) मई 1962 में
(D) मई 1965 में।
उत्तर:
(A) मई 1964 में।

30. पांचवें आम चुनाव के बाद भारत के प्रधानमन्त्री बने
(A) इन्दिरा गांधी
(B) राजीव गांधी
(C) अटल बिहारी वाजपेयी
(D) चन्द्रशेखर।
उत्तर:
(A) इन्दिरा गांधी।

31. ‘आया राम, गया राम’ का मुहावरा निम्नलिखित किस से सम्बन्धित है
(A) मिश्रित सरकार
(B) जातिवाद
(C) दल बदल
(D) साम्प्रदायिकता।
उत्तर:
(C) दल बदल।

रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

(1) 1971 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने ………….. का नारा प्रमुख नारा दिया है।
उत्तर:
ग़रीबी हटाओ

(2) ‘गरीबी हटाओ’ का नारा ………….. राजनैतिक दल ने दिया था।
उत्तर:
कांग्रेस पार्टी

(3) ‘आया राम गया राम’ का मुहावरा ……….. प्रकार की राजनीति से सम्बन्धित है।
उत्तर:
दल-बदल

(4) पांचवें आम चुनाव के बाद …………. भारत के प्रधानमंत्री बने।
उत्तर:
श्रीमती इन्दिरा गांधी

(5) सन् 1969 में ……………….. राष्ट्रीय दल में विभाजन हुआ।
उत्तर:
कांग्रेस

(6) दल-बदल विरोधी अधिनियम वर्ष ……….. में पास हुआ।
उत्तर:
1985 एवं 2003

(7) पं० नेहरू जी की मृत्यु के बाद ………………. भारत के प्रधानमंत्री बने।
उत्तर:
लाल बहादुर शास्त्री

(8) सन् 1971 का चुनाव कांग्रेस पार्टी ने …………. चुनाव निशान पर लड़ा था।
उत्तर:
गाय-बछड़ा

(9) 1967 में श्री मोरार जी देसाई को…………बना दिया गया ?
उत्तर:
उप-प्रधानमंत्री

(10) श्री लाल बहादुर शास्त्री ने ………… का नारा दिया था।
उत्तर:
जय जवान, जय किसान

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 5 कांग्रेस प्रणाली : चुनौतियाँ और पुनर्स्थापना

(11) ‘प्रिवी पर्स’ की समाप्ति सन् ………….. में की गई।
उत्तर:
1971

(12) ‘ग़रीबी हटाओ’ का नारा ………… नेता ने दिया था।
उत्तर:
श्रीमती इन्दिरा गांधी

(13) ‘आया राम गया राम’ का मुहावरा ……….. राज्य में मशहूर हुआ।
उत्तर:
हरियाणा

(14) सन् 1969 में हुए राष्ट्रपति के चुनाव में श्रीमती इन्दिरा गांधी ने ………….. को अपना उम्मीदवार बनाया था।
उत्तर:
श्री०वी०वी० गिरी

(15) पांचवां आम चुनाव सन् ………… में हुआ।
उत्तर:
1971

(16) नेहरू जी की मृत्यु के बाद …………. भारत के प्रधानमंत्री बने।
उत्तर:
श्री लाल बहादुर शास्त्री

(17) सोवियत संघ के ………… नगर में श्री लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु हुई।
उत्तर:
ताशकंद

(18) 1960 के दशक को ……………….. दशक कहा जाता है।
उत्तर:
खतरनाक

एक शब्द में उत्तर दें

प्रश्न 1.
चौथे आम चुनाव के बाद केन्द्र में किस दल की सरकार बनी ?
उत्तर:
चौथे आम चुनाव के बाद केन्द्र में कांग्रेस दल की सरकार बनी।

प्रश्न 2.
“जय जवान, जय किसान” का नारा किसने दिया ?
उत्तर:
“जय जवान, जय किसान” का नारा श्री लाल बहादुर शास्त्री ने दिया।

प्रश्न 3.
प्रिवी पर्स की समाप्ति कब की गई ?
उत्तर:
सन् 1971 में।

प्रश्न 4.
सन् 1971 में हुए लोकसभा चुनावों के बाद भारत का प्रधानमंत्री कौन बना था ?
उत्तर:
श्रीमती इन्दिरा गांधी।

प्रश्न 5.
किस वर्ष में इन्दिरा गांधी को अनुशासनहीनता के लिए कांग्रेस पार्टी से निष्कासित किया गया था ?
उत्तर:
सन् 1969 में।

प्रश्न 6.
श्रीमती इंदिरा गांधी ने कौन-सा नारा दिया?
उत्तर:
‘गरीबी हटाओ।

प्रश्न 7.
‘आया राम-गया राम’ का मुहावरा किससे सम्बन्धित है ?
उत्तर:
दल-बदल (हरियाणा) से।

प्रश्न 8.
‘ग़रीबी हटाओ’ का नारा किस नेता ने दिया ?
उत्तर:
श्रीमती इन्दिरा गांधी।

प्रश्न 9.
पं० नेहरू जी की मत्य के बाद भारत के प्रधानमन्त्री कौन बने ?
उत्तर:
श्री लाल बहादुर शास्त्री।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 5 कांग्रेस प्रणाली : चुनौतियाँ और पुनर्स्थापना Read More »

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 5 समकालीन दक्षिण एशिया

Haryana State Board HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 5 समकालीन दक्षिण एशिया Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Political Science Important Questions Chapter 5 समकालीन दक्षिण एशिया

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पाकिस्तान एवं नेपाल में लोकतन्त्रीकरण एवं इसके उलटाव की चर्चा करें।
उत्तर:
पाकिस्तान एवं नेपाल दक्षिण एशिया के दो महत्त्वपूर्ण देश हैं। इन देशों का दुर्भाग्य यह रहा है कि यहाँ कभी भी लम्बे समय तक लोकतन्त्र कायम नहीं रह पाया है। लोकतन्त्र की स्थापना के कुछ वर्षों के बाद ही इन दोनों देशों में क्रमशः सैनिक तानाशाही एवं राजशाही कायम हो जाती है।

1. पाकिस्तान में लोकतन्त्रीकरण एवं इसके उलटाव (Democratisation and its reversals in Pakistan) 1947 में पाकिस्तान के निर्माण के समय लोकतान्त्रिक पद्धति में विश्वास जताया गया, परन्तु शीघ्र ही इस प्रक्रिया में बाधा पहुंची जब अयूब खान ने पाकिस्तान में सैनिक तानाशाही लागू कर दी। तब से लेकर वर्तमान समय तक पाकिस्तान में कभी लोकतन्त्र सफलतापूर्वक कायम नहीं रह पाया। अयूब खान के बाद याहया खान तथा जिया उल हक ने पाकिस्तान में सैनिक तानाशाही को बनाये रखा। पाकिस्तान में लोकतन्त्र को कुछ हद तक सफलता 1990 के दशक में मिली, जब पहले नवाज़ शरीफ तथा बाद में बेनजीर भुट्टो ने लोकतान्त्रिक ढंग से चुनाव जीतकर अपनी-अपनी सरकारें बनाईं।

इन दोनों सरकारों के बनने से यह आशा बंधने लगी थी कि पाकिस्तान अब लोकतन्त्र के मार्ग पर बिना किसी बाधा के चलता रहेगा परन्तु यह आशा ज्यादा समय तक कायम नहीं रह पाई, क्योंकि अक्तूबर, 1999 में पाकिस्तानी सेना के जनरल परवेज मुशर्रफ ने नवाज शरीफ सरकार को हटाकर सत्ता अपने हाथों में ले ली। परवेज मुशर्रफ ने लोकतान्त्रिक ढांचे को समाप्त करके सम्पूर्ण शक्तियाँ अपने हाथों में ले लीं। उनके द्वारा समय-समय पर दिए गए बयानों से यह पता चलता है कि वह लम्बे समय तक पाकिस्तान के शासक बने रहना चाहते थे।

2007 के अन्त में मुशर्रफ ने सेना प्रमुख का पद छोड दिया तथा जनवरी, 2008 में चुनाव करवाने की घोषणा की परन्तु दिसम्बर, 2007 में बेनजीर भुट्टो की एक चुनाव रैली में हत्या कर दी गई। इससे पाकिस्तान में पुनः लोकतन्त्र की बहाली को एक ज़ोरदार झटका लगा। जनवरी में करवाए जाने वाले चुनावों को 18 फरवरी, 2008 को करवाये जाने की घोषणा की गई। इन चुनावों में मुस्लिम लीग एवं पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी को संयुक्त रूप से बहुमत प्राप्त हुआ तथा पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता सैयद यूसफ रजा गिलानी को प्रधानमन्त्री बनाया गया।

18 अगस्त, 2008 को परवेज मुशर्रफ ने लगातार बढ़ते दबाव के कारण राष्ट्रपति पद से त्याग-पत्र दे दिया। 6 सितम्बर, 2008 को पाकिस्तान के नये राष्ट्रपति का चुनाव हुआ। इस चुनाव में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता आसिफ अली जरदारी भारी बहुमत से राष्ट्रपति निर्वाचित हुए। इस प्रकार जनवरी, 2008 से लेकर सितम्बर, 2008 तक पाकिस्तान में पुनः लोकतन्त्र को स्थापित करने की प्रक्रिया चलती रही। अब पाकिस्तानी राजनीतिक दलों एवं नेताओं पर यह दायित्व है, कि वे अपने यहां लोकतान्त्रिक जड़ों को और मज़बूत करें।

2. नेपाल में लोकतन्त्रीकरण एवं इसके उलटाव (Democratisation and its reversals in Nepal) नेपाल भारत का एक महत्त्वपूर्ण पड़ोसी देश है। नेपाल में भी समय-समय पर लोकतन्त्र की स्थापना की गई, परन्तु वहां पर प्रायः लोकतन्त्र का उलटाव होता रहा है। 1959 में नेपाल में लोकतान्त्रिक व्यवस्था की स्थापना की गई, परन्तु 1962 में नेपाल नरेश महेन्द्र ने लोकतान्त्रिक व्यवस्था को समाप्त करके शासन सत्ता पर अपना अधिकार जमा लिया। नेपाल में लोकतान्त्रिक व्यवस्था की स्थापना को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों, छात्र संघों तथा श्रम संगठनों ने अनेक निरन्तर आन्दोलन जारी रखा। अन्ततः 1991 में नेपाल में पुनः लोकतान्त्रिक सरकार की स्थापना हुई।

परन्तु इस बार भी नेपाल में लोकतान्त्रिक व्यवस्था स्थिर होकर कार्य नहीं कर पाई। इसी दौरान नेपाल नरेश वीरेन्द्र एवं उसके परिवार की अज्ञात परिस्थितियों में सामूहिक हत्या कर दी गई। राजा वीरेन्द्र के पश्चात् उनके भाई ज्ञानेन्द्र नेपाल नरेश बने, इनके समय में नेपाल में लोकतन्त्र ठीक तरह से नहीं चल पाया तथा इन्होंने नेपाल में संसद् को भंग करके शासन की सभी शक्तियां अपने हाथ में ले लीं, जिसके विरोध में नेपाल में व्यापक विरोध आन्दोलन हुए। अन्ततः अप्रैल, 2006 में नेपाल नरेश को आपात्काल की घोषणा वापस लेनी पड़ी। संसद् को पुनः बहाल करना पड़ा तथा गिरिजा प्रसाद कोइराला को देश का प्रधानमन्त्री नियुक्त किया।

नेपाल के सात राजनीतिक दलों ने मिलकर नये संविधान की रचना की तथा 28 मई, 2008 को पिछले 240 वर्षों से चले आ रहे राजतंत्र को सदैव के लिए समाप्त कर दिया। 15 अगस्त, 2008 को संविधान सभा में प्रधानमन्त्री के निर्वाचन के लिए चुनाव हुआ। इस चुनाव में सी० पी० एन० (एम०) के नेता पुष्प कमल दहल ‘प्रचण्ड’ प्रधानमन्त्री चुने गए। प्रचण्ड राजशाही समाप्त होने के पश्चात् नेपाल के प्रथम प्रधानमन्त्री बने। परन्तु मई, 2009 में प्रचण्ड ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। उनके स्थान पर सी० पी० एन०-यू० एम० एल० गठबन्धन ने माधव कुमार को नेपाल का प्रधानमन्त्री बनाया।

परंतु माओवादियों के विरोध के कारण माधव कुमार नेपाल को जन, 2010 में अपने पद से त्याग-पत्र देना पड़ा। नेपाल में नवम्बर, 2013 में लोकतान्त्रिक ढंग से चुनाव हुए। इन चुनावों के परिणामों के आधार पर नेपाली कांग्रेस पार्टी के नेता श्री सुशील कोइराला नेपाल के प्रधानमन्त्री बने। 20 सितम्बर, 2015 संविधान लागू किया गया। यद्यपि वर्तमान समय में नेपाल में लोकतान्त्रिक व्यवस्था बहाल हुई है, परन्तु इसे लम्बे समय तक बनाये रखने की आवश्यकता है।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 5 समकालीन दक्षिण एशिया

प्रश्न 2.
भारत और श्रीलंका के बीच सहयोग और विवाद के क्षेत्रों का परीक्षण कीजिए।
अथवा
भारत के श्रीलंका के साथ पारस्परिक सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत और श्रीलंका के सम्बन्ध लगभग दो हज़ार वर्षों से अधिक पुराने हैं। भारत पर ब्रिटिश शासन स्थापित होने पर श्रीलंका भी इंग्लैण्ड के अधीन हो गया। 1962 में जब चीन ने भारत पर आक्रमण किया तब श्रीलंका ने भारत का समर्थन नहीं किया, जिससे भारतीयों की भावना को ठेस पहुंची। यद्यपि तब से लेकर अब तक दोनों के बीच सम्बन्धों में परिवर्तन आया है और सम्बन्ध सुधरे हैं परन्तु फिर भी दोनों देशों के बीच कुछ विषयों पर मतभेद पाया जाता है। दोनों देशों के बीच पाए जाने वाले विवाद और सहयोग का वर्णन इस प्रकार है

विवाद का विषय
1. श्रीलंका में भारतीय वंशजों की समस्या-भारत और श्रीलंका में तनाव का कारण श्रीलंका में बसे लाखों भारतीयों की समस्या रही है। श्रीलंका की स्वतन्त्रता के समय लगभग 10 लाख भारतीय मूल के नागरिक वहां रह रहे थे। श्रीलंका में 1949 में नागरिक अधिनियम पास कर दिया गया। लगभग सभी भारतीय मूल के निवासियों (8.2 लाख) ने इस अधिनियम के अन्तर्गत नागरिकता के लिए प्रार्थना की परन्तु अक्तूबर, 1964 तक केवल एक लाख 34 हजार व्यक्तियों को ही नागरिकता प्राप्त हुई। श्रीलंका सरकार ने जिन भारतीयों को नागरिकता प्रदान नहीं की थी उन्हें तुरन्त भारत चले जाने के लिए कहा। परन्तु सरकार का कहना था कि जो व्यक्ति कई पीढ़ियों से वहां रहे हैं उनको निकालना गलत है और वे वहीं के नागरिक हैं न कि भारत के। यह समस्या अब भी पूरी तरह से हल नहीं हुई है।

2. तमिल समस्या- भारत और श्रीलंका के सम्बन्धों में तनाव का महत्त्वपूर्ण कारण तमिल समस्या है। 1984 में म्भीर हो गई कि दोनों देशों के सम्बन्धों में काफ़ी तनाव रहा। तमिल समस्या से निपटने के लिए प्रधानमन्त्री राजीव गांधी ने शान्ति सेना भी भेजी। लेकिन आज भी यह समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है। तमिल शरणार्थी-मार्च, 1990 में श्रीलंका से कई हज़ार शरणार्थी भारत आए हैं। इन शरणार्थियों की समस्या आज भी बनी हुई है।

सहयोग के विषय
1. कच्चा टीबू द्वीप:
कच्चा टीबू द्वीप की समस्या को हल करने के लिए जून, 1974 में दोनों देशों के बीच एक समझौता हुआ, जिसके अनुसार कच्चा टीबू द्वीप श्रीलंका को दे दिया गया।

2. संयक्त आयोग की स्थापना:
दोनों देशों के विदेश मन्त्रियों ने जलाई, 1991 में संयक्त आयोग के गठन के समझौते पर हस्ताक्षर किए। 17 फरवरी, 1992 में संयुक्त आयोग की दो दिवसीय बैठक के बाद भारत और श्रीलंका ने व्यापार, आर्थिक और प्रौद्योगिक के क्षेत्र में आपसी सहयोग का दायरा बढ़ाने का फैसला किया।

3. द्विपक्षीय मुक्त व्यापार क्षेत्र:
दिसम्बर, 1998 में श्रीलंका के राष्ट्रपति चन्द्रिका कुमार तुंगा और भारतीय प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी के बीच दोनों देशों के मध्य एक मुक्त व्यापार क्षेत्र स्थापित करने का समझौता हुआ। इस समझौते के परिणामस्वरूप जहां दोनों देशों का व्यापार बढ़ेगा वहां इन देशों के आपसी सम्बन्ध भी मजबूत होंगे। जून, 2002 में श्रीलंका के प्रधानमन्त्री श्री रानिल विक्रमसिंघे चार दिन की सरकारी यात्रा पर भारत आए। श्री विक्रमसिंघे की इस यात्रा के दौरान भारत ने श्रीलंका को 3 लाख टन गेहूँ उपलब्ध कराने की पेशकश और साथ ही भारतीय उत्पादों की खरीद के लिए 10 करोड़ डॉलर की साख सुविधा की सहमति भी प्रदान की। इससे दोनों देशों के सम्बन्धों में सहयोग उत्पन्न हुआ।

2 जून, 2005 को श्रीलंका की राष्ट्रपति चन्द्रिका कुमार तुंगा भारत यात्रा पर आईं। उन्होंने भारतीय प्रधानमन्त्री डॉ० मनमोहन से द्विपक्षीय, क्षेत्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय महत्त्व के मुद्दों पर बातचीत की। अगस्त, 2008 में भारतीय प्रधानमन्त्री डॉ. मनमोहन सिंह 15वें सार्क सम्मेलन में भाग लेने के लिए श्रीलंका की यात्रा पर गए। इस यात्रा के दौरान भारतीय प्रधानमन्त्री श्रीलंका के राष्ट्रपति राजपाक्षे से मिले। इस बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने लिट्टे की समस्या सहित द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत की।

जून, 2011 में श्रीलंका के राष्ट्रपति महिन्द्रा राजपाक्षे भारत यात्रा पर आए तथा दोनों ने सुरक्षा एवं विकास से सम्बन्धित सात समझौतों पर हस्ताक्षर किये। मई, 2014 में भारतीय प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए श्रीलंका के राष्ट्रपति श्री महिन्द्रा राजपाक्षे भारत आए। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत की।

मार्च 2015 में भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने श्रीलंका की यात्रा की। इस यात्रा के दौरान उन्होंने श्रीलंका के लोगों को वीजा ऑन अराइवल देने की घोषणा की। अक्तूबर, 2016 में श्री लंका के राष्ट्रपति श्री सेना भारत हुए बिम्स्टेक सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारत आए। इस दौरान दोनों देशों ने द्विपक्षीय मुद्दों पर भी बातचीत की। मई 2017 में भारतीय प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी ने श्रीलंका की यात्रा की। इस दौरान दोनों देशों ने महत्त्वपूर्ण द्विपक्षीय मुद्दों चर्चा की।

अक्तूबर 2018 में श्रीलंका के प्रधानमन्त्री ने भारत की यात्रा की। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने बुनियादी स्तर के चलाए जाने वाले कार्यक्रमों को गति प्रदान करने पर सहमति प्रकट की। जून, 2019 में भारतीय प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी ने श्रीलंका की यात्रा की। इस दौरान दोनों देशों ने द्विपक्षीय व्यापार, क्षेत्रीय सुरक्षा एवं आतंकवाद पर चर्चा की। नवम्बर 2019 में श्री लंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने भारत की यात्रा की। इस दौरान दोनों देशों ने द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत की। फरवरी 2020 में श्रीलंका के प्रधानमंत्री ने भारत की यात्रा की। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने द्विपक्षीय सहयोग एवं सुरक्षा पर बातचीत की।

प्रश्न 3.
भारत तथा पाकिस्तान के सम्बन्धों का परीक्षण कीजिए।
उत्तर:
15 अगस्त, 1947 को भारत स्वतन्त्र हुआ, परन्तु साथ ही भारत का विभाजन भी हुआ और पाकिस्तान का जन्म हुआ। पाकिस्तान का जन्म ब्रिटिश शासकों की ‘फूट डालो और शासन करो’ की नीति का परिणाम था। पाकिस्तान भारत का पड़ोसी देश है, जिसके कारण भारत-पाक सम्बन्धों का महत्त्व है। विस्थापित, सम्पत्ति, देशी रियासतों की संवैधानिक स्थिति, नहरी पानी, सीमा-निर्धारण, वित्तीय और व्यापारिक समायोजन, जूनागढ़, हैदराबाद तथा कश्मीर और कच्छ के विवादों के लिए भारत और पाकिस्तान में युद्ध होते रहे हैं और तनावपूर्ण स्थिति बनी रही है।

कश्मीर विवाद (Kashmir Controversy)-स्वतन्त्रता से पूर्व कश्मीर भारत के उत्तर-पश्चिमी कोने में स्थित एक देशी रियासत थी। पाकिस्तान ने पश्चिमी सीमा प्रान्त के कबाइली लोगों (Tribesmen) को प्रेरणा और सहायता देकर कश्मीर पर आक्रमण करवा दिया। इस पर जम्मू-कश्मीर के राजा हरी सिंह ने 22 अक्तूबर, 1947 को कश्मीर को भारत में शामिल करने की प्रार्थना की। 27 अक्तूबर को भारत सरकार ने इस प्रार्थना को स्वीकार कर लिया। भारत ने पाकिस्तान से कबाइलियों को मार्ग न देने के लिए कहा परन्तु पाकिस्तान पूरी सहायता देता रहा। इस पर लॉर्ड माऊंटबेटन के परामर्श पर भारत सरकार ने 1 जनवरी, 1948 को संयुक्त राष्ट्र चार्टर की 34वीं और 38वीं धारा के अनुसार सुरक्षा परिषद् से पाकिस्तान के विरुद्ध शिकायत की और अनुरोध किया कि वह पाकिस्तान को आक्रमणकारियों की सहायता बन्द करने को कहें।

कश्मीर और संयुक्त राष्ट:
परन्तु सुरक्षा परिषद् कश्मीर विवाद का कोई समाधान करने में असफल रही। 21 अप्रैल, 1948 को सुरक्षा परिषद् ने 5 सदस्यों को भारत और पाकिस्तान के लिए संयुक्त आयोग (U.N.C.I.P.) की नियुक्ति की और 1 जनवरी, 1949 को कश्मीर में युद्ध विराम हो गया। सन् 1965 का पाक आक्रमण-सन् 1965 में भारत को दो बार पाकिस्तान के आक्रमण का शिकार होना पड़ा पहली बार अप्रैल में कच्छ के रणक्षेत्र में और दूसरी बार सितम्बर में कश्मीर में।

सितम्बर, 1965 में पाकिस्तानी सेनाओं ने अन्तर्राष्ट्रीय सीमा का उल्लंघन करके छम्ब क्षेत्र पर आक्रमण कर दिया। अन्त में सुरक्षा परिषद् के 20 सितम्बर के प्रस्ताव का पालन करते हुए दोनों पक्षों ने 22-23 सितम्बर की सुबह 3-30 बजे युद्ध बन्द कर दिया। इस समय तक भारतीय सेनाएँ लाहौर के दरवाजे तक पहंच चुकी थीं। ताशकन्द समझौता-10 जनवरी, 1966 को सोवियत संघ के प्रधानमन्त्री श्री कोसिगन के प्रयत्न से दोनों देशों में ताशकन्द समझौता हो गया जिसके द्वारा भारत के प्रधानमन्त्री तथा पाकिस्तान के राष्ट्रपति इस बात पर सहमत हो गए कि दोनों देशों के सभी सशस्त्र सैनिक 25 फरवरी, 1966 से पूर्व उस स्थान पर वापस बुला लिए जाएंगे जहां वे 5 अगस्त, 1965 से पूर्व थे तथा दोनों पक्ष युद्ध विराम रेखा पर युद्ध-विराम शर्तों का पालन करेंगे।

1969 में अयूब खां के हाथ से सत्ता निकल कर जनरल याहिया खां के हाथों में आ गई। याहिया खां ने भारत के साथ अमैत्रीपूर्ण नीति का अनुसरण किया। 1971 का युद्ध-1971 में पूर्वी पाकिस्तान (वर्तमान बंगला देश) में जनता ने याहिया खां की तानाशाही के विरुद्ध स्वतन्त्रता का आन्दोलन आरम्भ कर दिया। याहिया खां ने आन्दोलन को कुचलने के लिए सैनिक शक्ति का प्रयोग किया। भारत ने बंगला देश के मुक्ति संघर्ष में उसका साथ दिया। मुक्ति संघर्ष के समय लगभग एक करोड़ शरणार्थियों को भारत में आना पड़ा। इससे भारत की आर्थिक व्यवस्था पर बड़ा बोझ पड़ा।

पाकिस्तान ने 3 दिसम्बर, 1971 को भारत पर आक्रमण कर दिया। भारत ने पाकिस्तान को सबक सिखाने का निश्चय किया और पाकिस्तान के आक्रमण का डटकर मुकाबला किया। 5 दिसम्बर को श्रीमती इन्दिरा गांधी ने भारतीय संसद् में बंगला देश गणराज्य के उदय की सूचना दी। 16 दिसम्बर, 1971 में ढाका में जनरल नियाज़ी ने आत्म-समर्पण के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कर दिए और लगभग 1 लाख सैनिकों ने आत्म-समर्पण कर दिया।

शिमला सम्मेलन-3, जुलाई 1972 को दोनों देशों के बीच एक समझौता हुआ, जो शिमला समझौते के नाम से प्रसिद्ध हुआ। शिमला समझौते के पश्चात् द्वि-पक्षीय वार्तालाप के सिद्धान्तों को प्रोत्साहन दिया गया। मार्च, 1977 में जनता सरकार की स्थापना के पश्चात् भारत-पाक सम्बन्धों में और सुधार हुआ। श्रीमती गांधी सरकार और भारत-पाक सम्बन्ध श्रीमती इन्दिरा गांधी ने जनवरी, 1980 में प्रधानमन्त्री बनने पर भारत-पाक सम्बन्ध को सुधारने पर बल दिया, परन्तु सोवियत सेना के अफ़गानिस्तान में होने से स्थिति काफ़ी खराब हो गई। जनवरी-फरवरी, 1982 में पाकिस्तान के विदेश मन्त्री आगाशाह भारत आए और उन्होंने युद्ध-वर्जन सन्धि का प्रस्ताव पेश किया जिस पर श्रीमती इन्दिरा गांधी ने भारत-पाक में सहयोग बढ़ाने के लिए संयुक्त आयोग की स्थापना का सुझाव दिया।

श्री राजीव गांधी की सरकार और भारत-पाक सम्बन्ध सहयोग के प्रयास-1985 में भारत और पाकिस्तान के कई मन्त्रियों और अधिकारियों की एक-दूसरे के देशों में यात्राएं हुईं। व्यापार, कृषि, विज्ञान, तकनीकी और संस्कृति के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए कुछ समझौते भी हुए। प्रधानमन्त्री राजीव गांधी की पाकिस्तान यात्रा-29 दिसम्बर, 1988 को प्रधानमन्त्री राजीव गांधी दक्षेस (दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए पाकिस्तान गए और उनकी पाकिस्तान की प्रधानमन्त्री बेनजीर भुट्टो से भारत-पाक सम्बन्धों पर भी बातचीत हुई।

31 दिसम्बर, 1988 को भारत और पाकिस्तान ने आपसी सम्बन्ध सद्भावनापूर्ण बनाने के उद्देश्य से शिमला समझौते के करीब 16 वर्ष बाद तीन समझौतों पर हस्ताक्षर किए जिनमें एक-दूसरे के परमाणु संयन्त्रों पर आक्रमण नहीं करने सम्बन्धी समझौता काफ़ी महत्त्वपूर्ण है। राष्टीय मोर्चा सरकार और भारत-पाक सम्बन्ध दिसम्बर, 1989 में वी० पी० सिंह के नेतृत्व में राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार बनी। इस सरकार के अल्पकालीन कार्यकाल में भारत-पाक सम्बन्धों में कोई उल्लेखनीय प्रगति नहीं हुई।

नरसिम्हा राव की सरकार और भारत-पाक सम्बन्ध राष्ट्रमण्डल शिखर सम्मेलन में भाग लेने आए भारत और पाक के प्रधानमन्त्री ने 17 अक्तूबर, 1991 को हरारे में बातचीत की। 1 जनवरी, 1992 को भारत और पाकिस्तान द्वारा यह समझौता लागू कर दिया गया, जिससे एक-दूसरे के आण्विक ठिकानों और सुविधाओं पर हमला न करने की व्यवस्था की गई थी। पाक परमाणु कार्यक्रम-पाक परमाणु कार्यक्रम में भारत काफी समय से चिन्तित है। पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम से चिन्तित होकर भारत ने भी मई, 1998 में पांच परमाणु परीक्षण किए जिसके मुकाबले में पाकिस्तान ने छः परमाणु परीक्षण किए।

बस सेवा के लिए भारत-पाक समझौता-17 फरवरी, 1999 को भारत और पाकिस्तान ने नई दिल्ली और लाहौर के बीच बस सेवा प्रारम्भ करने के लिए एक समझौता किया। 20 जनवरी, 1999 को भारत-पाक सम्बन्धों में एक नया अध्याय उस समय खुला जब भारतीय प्रधानमन्त्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी स्वयं बस से लाहौर तक गए। ऐतिहासिक लाहौर घोषणा के अन्तर्गत भारत व पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर सहित सभी विवादों को गम्भीरता से हल करने पर सहमत हुए और दोनों ने एक-दूसरे के आन्तरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने का विश्वास व्यक्त किया।

कारगिल मुद्दा-पाकिस्तान ने लाहौर घोषणा को रौंदते हुए भारत के कारगिल व द्रास क्षेत्र में व्यापक घुसपैठ करवाई। अनंत धैर्य के पश्चात् 26 मई, 1999 को भारत ने पाकिस्तान के इस विश्वासघात का करारा जवाब दिया। 12 अक्तूबर, 1999 को पाकिस्तान में सेना ने शासन पर अपना कब्जा कर लिया। लेकिन पाकिस्तान के जनरल परवेज़ मुशर्रफ ने भी भारत के साथ सम्बन्धों में मधुरता का कोई संकेत नहीं दिया। आगरा शिखर वार्ता-पाकिस्तान के शासक परवेज मुशर्रफ भारत के आमन्त्रण पर जुलाई, 2001 में भारत आए। भारत में दोनों देशों के बीच शिखर वार्ता हुई, जिसमें कश्मीर समस्या का समाधान, प्रायोजित आतंकवाद, एटमी लड़ाई का खतरा, सियाचिन से सेना की वापसी, व्यापार की सम्भावनाएं, युद्धबन्दियों की रिहाई एवं सांस्कृतिक आदान-प्रदान मुख्य मुद्दे थे, परन्तु मुशर्रफ के अड़ियल रवैये के कारण यह वार्ता विफल रही।

भारतीय संसद् पर हमला-13 दिसम्बर, 2001 को पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठनों लश्कर-ए-तोइबा एवं जैश-ए-मोहम्मद ने भारतीय संसद् पर हमला किया जिससे दोनों देशों के सम्बन्ध बहुत खराब हो गये तथा दोनों देशों ने सीमा पर फौजें तैनात कर दी, परन्तु विश्व समुदाय के हस्तक्षेप एवं पाकिस्तान द्वारा लश्कर-ए-तोइबा एवं जैश-ए-मोहम्मद पर पाबन्दी लगाए जाने से दोनों देशों में तनाव कुछ कम हुआ।
प्रधानमन्त्री वाजपेयी की इस्लामाबाद यात्रा-जनवरी, 2004 में भारतीय प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी चार दिन के लिए ‘दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन’ (सार्क) के शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद गए।

अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमन्त्री वाजपेयी ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति व प्रधानमन्त्री से मुलाकात की। इस शिखर सम्मेलन से दोनों देशों के बीच तनाव में कमी आई और दोनों ने विवादित मुद्दों को बातचीत द्वारा हल करने पर सहमति व्यक्त की। मुम्बई पर आतंकवादी हमला—26 नवम्बर, 2008 को पाकिस्तानी समर्थित आतंकवादियों ने मुम्बई के होटलों पर कब्जा करके कई व्यक्तियों को मार दिया। भारत ने पाकिस्तान में चल रहे आतंकवादी शिविरों को बन्द करने की मांग की, जिसे पाकिस्तान ने नहीं माना, इससे दोनों देशों के सम्बन्ध और अधिक खराब हो गए। भारत एवं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुलाई 2009 में मिस्र में 15वें गुट-निरपेक्ष आन्दोलन के दौरान मिले तथा दोनों नेताओं ने परस्पर द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत की। इस बैठक के दौरान दोनों देशों ने विवादित मुद्दों को परस्पर बातचीत द्वारा हल करने की बात को दोहराया था।

25 फरवरी, 2010 को भारत एवं पाकिस्तान के विदेश सचिवों की नई दिल्ली में बातचीत हुई। इस बातचीत के दौरान भारत ने पाकिस्तान को वांछित आतंकवादियों को भारत को सौंपने को कहा। – अप्रैल, 2010 में भारत एवं पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री सार्क सम्मेलन के दौरान भूटान में मिले। इस बातचीत के दौरान दोनों नेताओं ने विवादित मुद्दों को बातचीत द्वारा हल करने पर सहमति जताई। नवम्बर 2011 में भारत एवं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री मालद्वीप मे 17वें सार्क शिखर सम्मेलन के दौरान मिले। इस बैठक में दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय सम्बन्धों पर बातचीत की।

दिसम्बर, 2012 में पाकिस्तान के आन्तरिक मंत्री श्री रहमान मलिक भारत यात्रा पर आए। इस दौरान दोनों देशों ने वीजा नियमों को और सरल बनाया। सितम्बर, 2013 में संयुक्त राष्ट्र अधिवेशन के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह एवं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने द्विपक्षीय मुलाकात की। इस दौरान दोनों देशों ने सभी विवादित मुद्दों को बातचीत द्वारा हल करने पर सहमति जताई। मई, 2014 में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ श्री नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए भारत आए। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत की।

जुलाई, 2015 में भारत एवं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान रूस के शहर उफा में मुलाकात की। इस बैठक में दोनों नेताओं ने आतंकवाद एवं द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत की। 25 दिसम्बर, 2015 को भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अचानक पाकिस्तान पहुंच कर दोनों देशों के सम्बन्धों में सुधार लाने का प्रयास किया। 2016 में पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने पठानकोट एवं उरी में आतंकवादी हमले किये, जिससे दोनों देशों के सम्बन्ध और अधिक खराब हो गए। भारत ने 29 सितम्बर, 2016 को सर्जीकल स्ट्राईक करके कई पाकिस्तानी समर्थित आतंकवादियों को मार गिराया।

नवम्बर, 2018 में भारत-पाकिस्तान ने करतारपुर कॉरिडोर को बनाने की घोषणा की। यह कॉरिडोर 9 नम्वम्बर, 2019 को खोला गया। करतारपुर साहब सिक्खों का पवित्र तीर्थ स्थल है, जहां गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन के 18 साल बिताए थे। नवम्बर 2018 में सिख समुदाय के लिए भारत एवं पाकिस्तान द्वारा करतारपुर कॉरिडोर खोलने के लिए बनी सहमति एक अच्छा कदम बताया जा सकता है।

14 फरवरी, 2019 को पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने पुलवामा में आंतकी हमला करके भारत के 40 सैनिक शहीद कर दिये, जिसके जवाब में भारत ने 26 फरवरी, 2019 को पाकिस्तान में स्थित आतंकवादी अड्डे बालाकोट में हवाई हमला करके 250 से 300 आतंकवादी मार गिराये। उपर्युक्त विवरण के आधार पर यह स्पष्ट्र रूप से कहा जा सकता है कि भारत और पाकिस्तान के सम्बन्ध न तो सामान्य थे, और न ही सामान्य हैं। समय के साथ-साथ दोनों देशों में कटुता बढ़ती जा रही है। यह खेद का विषय है कि दोनों देशों में इस कड़वाहट को दोनों देशों के पढ़े-लिखे नागरिक भी दूर करने में असफल रहे। वास्तव में दोनों देशों में मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध तब तक स्थापित नहीं हो सकते जब तक कि दोनों देशों के बीच अनेक विवादास्पद मुद्दों को हल नहीं किया जाता।

प्रश्न 4.
पाकिस्तान के साथ भारत के सम्बन्धों को किस प्रकार सुधारा जा सकता है ?
उत्तर:
भारत एवं पाकिस्तान दक्षिण एशिया के दो महत्त्वपूर्ण और पड़ोसी देश हैं। इन दोनों के सम्बन्ध अधिकांशतः तनावपूर्ण ही रहे हैं, इनके सम्बन्धों को निम्नलिखित ढंग से सुधारा जा सकता है

1. राजनीतिक स्तर पर प्रयास-भारत व पाकिस्तान दोनों राजनीतिक स्तर पर प्रयास करके आपसी सम्बन्धों को सुधार सकते हैं। दोनों देशों को सभी विवादित मुद्दों का शांतिपूर्ण हल खोजना चाहिए। पाकिस्तान को भारत विरोधी आतंकवादी गतिविधियां बन्द कर देनी चाहिएं। दोनों देशों के नेताओं को एक-दूसरे देश की अधिक-से-अधिक यात्राएं करके आपसी विश्वास बढ़ाना चाहिए। दोनों देशों को राजनीतिक समझौते करने चाहिएं। बस-सेवा, रेल सेवा तथा वायु सेवा की शुरुआत इसी प्रकार के समझौते हैं।

2. आर्थिक स्तर पर प्रयास-दोनों देशों को आपसी सम्बन्ध सुधारने के लिए न केवल राजनीतिक स्तर पर ही प्रयास करने चाहिए बल्कि आर्थिक स्तर पर भी प्रयास करने चाहिएं। दोनों देशों को मिलकर भारतीय उपमहाद्वीप में पाई जाने वाली बेरोज़गारी तथा ग़रीबी को दूर करने के प्रयास करने चाहिएं। दोनों देशों को एक-दूसरे की आर्थिक ज़रूरतों को पूरा करना चाहिए।

3. सामाजिक स्तर पर प्रयास- भारत और पाकिस्तान को अपने सम्बन्ध सुधारने के लिए सामाजिक स्तर पर प्रयास करने चाहिएं। दोनों देशों में एक-दूसरे के सगे-सम्बन्धी रहते हैं। दोनों सरकारों को चाहिए कि वे समय-समय इन लोगों को आपस में मिलने की सुविधा प्रदान करें, ताकि दोनों देशों में तनाव कम हो। इस स्तर पर दोनों सरकारों ने कुछ कदम उठाएं भी हैं, जैसे रेल सेवा, बस सेवा तथा वायु सेवा की पुनः शुरुआत इसी प्रकार के प्रयासों में शामिल हैं।

4. सांस्कृतिक स्तर पर प्रयास-दोनों देशों की सरकारों को अपने सांस्कृतिक सम्बन्ध भी सुधारने चाहिएं। दोनों देशों के बीच साहित्य-कला, संस्कृति तथा खेल गतिविधियों का आदान-प्रदान होना चाहिए। दोनों देशों को वीज़ा की सुविधा को और आसान बनाना चाहिए, ताकि कोई भी इच्छुक कलाकार, साहित्य प्रेमी, बुद्धिजीवी या पत्रकार को वीज़ा लेने में परेशानी न हो।

5. तकनीकी तथा चिकित्सा सेवा का आदान-प्रदान-दोनों देश तकनीकी ज्ञान तथा चिकित्सा के क्षेत्र में भी साथ काम करके आपसी सम्बन्ध सुधार सकते हैं। पिछले कुछ समय में कई पाकिस्तानी बच्चों तथा व्यक्तियों का सफल इलाज भारत में किया गया है। इसी तरह पाकिस्तान तकनीकी क्षेत्र में भी भारत की मदद ले सकता है। उपरोक्त प्रयासों का यदि ईमानदारी से पालन किया जाए तो यकीनी तौर पर भारत-पाकिस्तान के सम्बन्ध सुधर सकते हैं।

प्रश्न 5.
भारत तथा बांग्लादेश के बीच मधुर एवं तनावपूर्ण सम्बन्धों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
बांग्लादेश के अस्तित्व और उसकी स्वतन्त्रता का श्रेय भारत को है। 1971 में बांग्लादेश स्वतन्त्र देश बना। इससे पूर्व बांग्लादेश पाकिस्तान का हिस्सा तथा पूर्वी पाकिस्तान कहलाता था। बांग्लादेश की स्वतन्त्रता के लिए भारत के जवानों ने अपने प्राणों की आहुति दी। 6 दिसम्बर, 1971 को भारत ने बांग्लादेश को मान्यता दे दी।

1971 की मैत्री सन्धि:
शेख मुजीबुर्रहमान 12 जनवरी, 1972 को बांग्लादेश के प्रधानमन्त्री बने। फरवरी, 1972 में जब वे भारत आए तो उन्होंने कहा था, “भारत और बांग्लादेश की मित्रता चिरस्थायी है, उसे दुनिया की कोई ताकत तोड़ नहीं सकती।” 19 मार्च, 1972 को भारत और बांग्लादेश में 25 वर्ष की अवधि के लिए मित्रता और सहयोग की सन्धि हुई। इस सन्धि की महत्त्वपूर्ण बातें इस प्रकार थीं

  • आर्थिक, तकनीकी, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक क्षेत्रों में दोनों देश एक-दूसरे के साथ सहयोग करेंगे।
  • दोनों देश एक-दूसरे की अखण्डता व सीमाओं का सम्मान करेंगे।
  • दोनों देश एक-दूसरे के आन्तरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे।
  • दोनों देश किसी तीसरे देश को कोई ऐसी सहायता नहीं देंगे जो दोनों में किसी देश के हित के विरुद्ध हो।
  • दोनों देश उपनिवेशवाद का विरोध करेंगे।

बांग्लादेश को संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बनाने में भारत की सहायता-बांग्लादेश ने 9 अगस्त, 1972 को संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बनने के लिए प्रार्थना-पत्र भेजा। भारत के प्रयास के फलस्वरूप और रूस से सहयोग से बांग्लादेश . संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बन गया। शेख मुजीबुर्रहमान की भारत यात्रा-1974 में शेख मुजीबुर्रहमान ने भारत यात्रा की तथा 1975 में गंगा जल के . बंटवारे से सम्बन्धित विवाद को बातचीत द्वारा समाप्त करने की कोशिश की।

सम्बन्धों में परिवर्तन-15 अगस्त, 1975 को बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान की परिवार सहित हत्या कर दी गई। शेख की हत्या के बाद भारत-बांग्लादेश के सम्बन्धों में तेजी से परिवर्तन आ गया। नवम्बर, 1975 में जनरल ज़ियाउर्रहमान राष्ट्रपति बने। तब से बांग्लादेश में भारत-विरोधी प्रचार तेज़ हो गया।

जनता सरकार और भारत-बांग्लादेश देश सम्बन्ध-मार्च, 1977 में भारत में जनता पार्टी की सरकार बनी और दोनों देशों के सम्बन्धों में सुधार की किरण दिखाई दी। अक्तूबर, 1977 में फरक्का समझौता हुआ। जुलाई, 1983 में भारत तथा बांग्लादेश में तीस्ता (Teesta) नदी में जल-वितरण को लेकर एक तदर्थ समझौता हुआ। अक्तूबर, 1983 में बांग्लादेश के मुख्त मार्शल-ला प्रशासक जनरल इरशाद की दो दिवसीय भारतीय यात्रा से दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग के एक नए अध्याय का सूत्रपात हुआ।

नवम्बर, 1985 में भारत तथा बांग्ला देश ने फरक्का के पानी के बंटवारे के सम्बन्ध में अगले तीन वर्षों के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह 1982 के समझौते पर आधारित था। चकमा शरणार्थियों की समस्या-बांग्लादेश से अप्रैल, 1990 में लगभग 60 हजार चकमा शरणार्थी भारत आ चुके हैं। चकमा शरणार्थियों की वापसी के लिए कई बार बातचीत हुई परन्तु अभी तक कोई समझौता नहीं हुआ है। इसका कारण यह है कि बांग्लादेश की सरकार चकमा शरणार्थियों की सुरक्षा को विश्वसनीय गारण्टी नहीं देती।

तीन बीघा गलियारे का हस्तांतरण-26 मई, 1992 को बांग्लादेश की प्रधानमन्त्री बेगम खालिदा ज़िया भारत आईं। दोनों देशों में तीन बीघा पर एक समझौता हुआ जिसके अन्तर्गत 26 जून, 1992 को भारत ने तीन बीघा गलियारा बांग्लादेश को पट्टे पर सौंप दिया। परन्तु गलियारे पर प्रशासनिक अधिसत्ता भारत की ही रहेगी।

गंगा जल पर भारत व बांग्लादेश के बीच समझौता-12 दिसम्बर, 1996 को भारत और बांग्लादेश में फरक्का गंगा जल बंटवारे पर एक ऐतिहासिक समझौता हुआ जिससे पिछले दो दशकों से चले आ रहे विवाद का अन्त हो गया। इस समझौते से गंगा में पानी की कमी के मौसम में भी दोनों को बराबर मात्रा में पानी देने की व्यवस्था की गई है। ये समझौता 30 वर्षों के लिए किया गया।

प्रधानमन्त्री शेख हसीना वाजिद की भारत यात्रा-जून, 1998 में बांग्लादेश की प्रधानमन्त्री शेख हसीना वाजिद भारत आईं और उन्होंने प्रधानमन्त्री वाजपेयी से बातचीत की। दोनों देशों के प्रधानमन्त्रियों ने इस बात पर जोर दिया कि द्विपक्षीय समस्याओं का हल द्विपक्षीय वार्ता द्वारा होना चाहिए। जनवरी, 1999 में बांग्लादेश की प्रधानमन्त्री शेख हसीना वाजिद तीन दिन की यात्रा पर भारत आईं। प्रधानमन्त्री शेख हसीना वाजिद ने कहा कि उसकी सरकार पाकिस्तानी खुफिया एजेन्सी और भारत के आतंकवादियों को पड़ोसी देशों में गुप्त गतिविधियां चलाने के लिए अपने देश का इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं देगी।

19 जून, 1999 को भारत व बांग्लादेश के सम्बन्धों में सुधार लाने के लिए दोनों देशों के बीच बस सेवा प्रारम्भ की गई। स्वयं भारतीय प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी कोलकाता से चली इस बस की अगुवाई के लिए ढाका पहुंचे। अपनी इस बांग्लादेश की यात्रा के दौरान भारतीय प्रधानमन्त्री ने बांग्लादेश को ₹200 करोड़ का कर्ज देने का समझौता किया। इसके अतिरिक्त भारत ने बांग्लादेश से ‘प्रशुल्क रहित आयात’ के लिए भी सैद्धान्तिक रूप से स्वीकृति प्रदान की।

भारत और बांग्लादेश ने 9 अप्रैल, 2000 को अगरतला और ढाका के बीच एक नई बस सेवा चलाने का निर्णय किया। सन् 2000 में दोनों देशों के बीच आर्थिक सम्बन्ध और मजबूत हुए। भारत ने कुछ चुनिंदा बांग्ला देशी वस्तुओं को बिना किसी तटकर के देश में प्रवेश की इजाजत दी। जून, 2005 में दोनों देशों के विदेश सचिवों में अनेक समस्याओं पर बातचीत हुई और दोनों देशों के सम्बन्धों में सुधार हुआ। अप्रैल, 2008 में भारत व बांग्लादेश के बीच 43 वर्षों के पश्चात् कोलकाता तथा ढाका के मध्य ‘मैत्री एक्सप्रेस’ रेलगाड़ी चलाई गई। बांग्लादेश में 29 दिसम्बर, 2008 को आम चुनाव हुए।

इन चुनावों में शेख हसीना की पार्टी को जबरदस्त चुनावी सफलता मिली तथा शेख हसीना देश की प्रधानमन्त्री बनी। शेख हसीना के बांग्लादेश की प्रधानमन्त्री बनने से भारत-बांग्लादेश सम्बन्ध और अधिक घनिष्ठ होने की आशा बढ़ी है। बांग्लादेशी प्रधानमंत्री की भारत यात्रा-जनवरी, 2010 में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत यात्रा पर आईं।

इस यात्रा के दौरान भारत ने बांग्लादेश को 250 मेगावाट बिजली देने की घोषणा की तथा बांग्लादेश के 300 छात्रों को प्रतिवर्ष छात्रवृत्ति देने की घोषणा की। दूसरी ओर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने घोषणा की, कि वह अपने क्षेत्र का प्रयोग भारत विरोधी गतिविधियों के लिए नहीं होने देंगी। 6-7 सितम्बर, 2011 को भारतीय प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने बांग्ला देश की यात्रा की इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने पारस्परिक सहयोग के 4 समझौतों पर हस्ताक्षर किए।

जून, 2015 में भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने बांग्लादेश की यात्रा की। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने 22 समझौतों पर हस्ताक्षर किये। अक्तूबर, 2016 में बांग्लादेश की प्रधानमन्त्री शेख हसीना बिम्स्टेक में भाग लेने के लिए भारत आई। इस दौरान दोनों देशों ने द्विपक्षीय मुद्दों पर भी बातचीत की। अप्रैल 2017 में बांग्ला देश की प्रधानमन्त्री शेख हसीना भारत यात्रा पर आई। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने 22 समझौतों पर हस्ताक्षर किए। मई 2018 में बंगलादेशी प्रधानमंत्री भारत यात्रा पर आई।

इस दौरान दोनों देशों ने रोहिंय्या मुद्दे सहित द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत की। अक्तूबर, 2019 में बांग्लादेश की प्रधानमंत्री ने भारत की यात्रा की। इस दौरान दोनों देशों ने 7 महत्त्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किये। संक्षेप में भारत ने बांग्लादेश को हर परिस्थिति व समय पर सहायता दी है, लेकिन भारत को बांग्लादेश से वैसा सहयोग प्राप्त नहीं हुआ जिसकी भारत आशा रखता है। 17 दिसम्बर, 2020 को भारत एवं बांग्ला देश के प्रधानमन्त्रियों ने आभासी (Virtual) मुलाकात की। इस दौरान दोनों देशों ने आपसी सम्बन्धों एवं कोरोना महामारी पर चर्चा की।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 5 समकालीन दक्षिण एशिया

प्रश्न 6.
भारत और नेपाल के पारस्परिक सम्बन्धों का मूल्यांकन कीजिए।
अथवा
भारत और नेपाल के आपसी सम्बन्धों में विवाद और सहयोग के मुख्य मुद्दों का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
नेपाल, भारत और चीन के बीच तिब्बत क्षेत्र में स्थित है और चारों ओर से पहाड़ों से घिरा हुआ है। भारत और नेपाल धर्म, संस्कृति और भौगोलिक दृष्टि से एक-दूसरे के जितने करीब हैं, उतने विश्व के शायद ही कोई अन्य देश हों। नेपाल की अर्थव्यवस्था बहुत हद तक भारत पर निर्भर करती है। दोनों देशों के बीच खुली सीमा है। आवागमन पर कोई रोक नहीं है। सन् 1950 से 1960 तक दोनों देशों के सम्बन्ध बहुत मित्रतापूर्ण रहे। कश्मीर के प्रश्न पर नेपाल ने भारत का समर्थन किया तथा उसे भारत का अभिन्न अंग बताया। भारत ने आर्थिक क्षेत्र से नेपाल की बहुत सहायता की। 1952 में प्रारम्भ किया गया भारतीय सहायता कार्यक्रम धीरे-धीरे आकार तथा क्षेत्र में फैलता गया। नेपाली वित्त मन्त्रालय के एक वक्तव्य के अनुसार सन् 1951 से जुलाई, 1964 के बीच नेपाल द्वारा प्राप्त की गई विदेशी सहायता में संयुक्त राज्य अमेरिका तथा सोवियत संघ के बाद भारत का तीसरा स्थान है।

दोनों देशों में तनावपूर्ण काल-1960 में नेपाल महाराजा ने संसद् को भंग कर नेताओं को जेल में डाल दिया। इस पर भारत के प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरू ने नेपाल के महाराजा की आलोचना करते हुए कहा कि, “नेपाल से लोकतन्त्र समाप्त हो गया।” इससे दोनों देशों के सम्बन्ध मैत्रीपूर्ण नहीं रहे। सहयोग का काल-1975 में नेपाल नरेश भारत आए जिससे दोनों देशों में पुनः अच्छे सम्बन्ध स्थापित हो सके। दिसम्बर, 1977 में प्रधानमन्त्री मोरारजी देसाई ने नेपाल की यात्रा की और दोनों देशों में मित्रता बढ़ी। जनवरी, 1980 में श्रीमती इन्दिरा गांधी के पुनः सत्ता में आने पर भारत-नेपाल सम्बन्धों में सुधार हुआ। 3 फरवरी, 1983 को नेपाल के प्रधानमन्त्री भारत आए और दोनों देशों में मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध स्थापित हुए। भारत ने सड़क निर्माण, बिजली, संचार, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्रों में नेपाल की भरपूर मदद की है। 1987 में दोनों देशों ने संयुक्त आयोग के गठन पर समझौता किया।

तनावपूर्ण सम्बन्ध-भारत-नेपाल व्यापार तथा पारगमन सन्धि नवीकरण न होने से दोनों देशों के सम्बन्धों में कटुता आ गई। भारत एक समन्वित सन्धि के पक्ष में था जबकि नेपाल मार्च, 1989 तक जारी व्यवस्था के तहत दो अलग सन्धियाँ करने के लिए जोर देता रहा। 5 दिसम्बर, 1991 को नेपाल के प्रधानमन्त्री गिरिजा प्रसाद कोइराला भारत की दो दिन की यात्रा पर आए। यात्रा की समाप्ति पर 6 दिसम्बर, 1991 को दोनों देशों के बीच पांच सन्धियों पर हस्ताक्षर किए गए।

प्रधानमन्त्री नरसिम्हा राव की नेपाल यात्रा-19 अक्तूबर, 1992 को भारत के प्रधानमन्त्री नरसिम्हा राव तीन दिन की यात्रा पर नेपाल गए। भारत और नेपाल के विभिन्न क्षेत्रों में आपसी सहयोग बढ़ाने, भारत को नेपाल के उदार शो पर निर्यात वद्धि करने और विपल जल संसाधनों का दोनों देशों से साझे हित में प्रयोग करने पर सहमति व्यक्त की। इसके अलावा दोनों देशों में आपसी हित के कई मुद्दों पर बातचीत हुई। नेपाल के प्रधानमन्त्री की भारत यात्रा-अप्रैल, 1995 में नेपाल के प्रधानमन्त्री मनमोहन अधिकारी भारत की यात्रा पर आए और उनकी इस यात्रा से दोनों देशों के सम्बन्धों में सुधार हुआ।

नेपाल के प्रधानमन्त्री की भारत यात्रा-फरवरी, 1996 में नेपाल के प्रधानमन्त्री श्री शेर बहादुर दोऊबा भारत की यात्रा पर आए। नेपाल और भारत के मध्य आपसी सहयोग में कई समझौते हुए। नेपाल के प्रधानमन्त्री श्री दोऊबा ने कहा कि उनका देश शीघ्र ही नेपाल भारत के मध्य सम्पन्न 1950 की सन्धि की समीक्षा के लिए एक आयोग गठित करेगा। महाकाली सन्धि-29 फरवरी, 1996 को भारत और नेपाल ने सिंचाई और बिजली उत्पाद के लिए महाकाली नदी के पानी का उपयोग करने के लिए एक सन्धि पर हस्ताक्षर किए।

नेपाल के प्रधानमन्त्री की भारत यात्रा-दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने तथा अन्य विषयों पर बातचीत करने के उद्देश्य से अगस्त, 2000 में नेपाल के प्रधानमन्त्री गिरिजा प्रसाद कोइराला भारत की यात्रा पर आए। भारत की सुरक्षा चिन्ता को देखते हुए नेपाली प्रधानमन्त्री ने भारत को यह आश्वासन दिया कि वह अपनी भूमि से भारत के विरुद्ध कोई भी आतंकवादी गतिविधि नहीं चलने देगा और आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष में भारत का साथ देगा।। – नेपाल में आपातकाल एवं भारतीय प्रधानमन्त्री द्वारा मदद का आश्वासन-24 नवम्बर, 2001 को नेपाल में माओवादियों ने 50 सुरक्षा कर्मियों की हत्या कर दी, जिस कारण नेपाल में आपात्काल लागू कर दिया गया। 30 नवम्बर, 2001 को भारतीय प्रधानमन्त्री वाजपेयी ने नेपाल को हर सम्भव सहायता देने की बात की।

1 फरवरी, 2005 को नरेश ज्ञानेन्द्र ने शेर बहादुर दोऊबा सरकार को बर्खास्त करके सत्ता की कमान अपने हाथ में ले ली जिस पर भारत ने नेपाल को सैन्य सप्लाई रोक दी। 29 अप्रैल, 2005 को नरेश ज्ञानेन्द्र ने आपात्काल को हटा दिया और अनेक नेताओं को रिहा कर दिया। भारत ने नेपाल को आंशिक रूप से सैन्य सप्लाई बहाल करने की घोषणा की और नेपाल में शीघ्र ही बहुदलीय लोकतन्त्र की बहाली की उम्मीद जताई। 28 मई, 2008 को नेपाल में राजतन्त्र को सदैव के लिए समाप्त कर दिया गया तथा 15 अगस्त, 2008 को सी०पी०एन० (एम०) के नेता पुष्प कमल दहल ‘प्रचण्ड’ को प्रधानमंत्री चुना गया। सितम्बर, 2008 में नेपाली प्रधानमंत्री ‘प्रचण्ड’ भारत यात्रा पर आए, जिससे दोनों देशों के सम्बन्धों में और सुधार आया।

नेपाली राष्ट्रपति की भारत यात्रा-जनवरी, 2010 में नेपाल के राष्ट्रपति श्री राम बरन यादव भारत यात्रा पर आए। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग के चार समझौतों पर हस्ताक्षर किए। जनवरी-फरवरी-2011 में नेपाल के राष्ट्रपति पुनः भारत की 10 दिवसीय यात्रा पर भारत आए तथा भारतीय प्रधानमन्त्री से द्वि-पक्षीय मुद्दों पर बातचीत की, जिसमें भारत-नेपाल मैत्री सन्धि के नवीनीकरण का मुद्दा भी शामिल था।

मई, 2014 में भारतीय प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए नेपाल के प्रधानमन्त्री श्री सुशील कोइराला भारत यात्रा पर आए। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत की। अगस्त, 2014 में भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने नेपाल की यात्रा की। इस यात्रा के दौरान उन्होंने नेपाल को ₹ 61 अरब की मदद देने की घोषणा की।

अक्तूबर, 2016 में नेपाल के प्रधानमन्त्री पुष्प कमल ‘दहल प्रचण्ड’ बिम्स्टेक सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारत आए। इस दौरान दोनों देशों ने द्विपक्षीय मुद्दों पर भी बातचीत की। अगस्त 2017 में नेपाली प्रधानमन्त्री भारत यात्रा पर आए। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने 8 महत्त्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किये। अगस्त 2018 में भारतीय प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी ने बिम्स्टेक सम्मेलन में भाग लेने के लिए नेपाल की यात्रा की। इस दौरान दोनों देशों ने द्विपक्षीय मुद्दों पर भी बातचीत की। 17 अगस्त, 2020 को भारत एवं नेपाल के प्रधानमन्त्रियों के बीच आभासी (Virtual) मुलाकात हुई। इस दौरान दोनों देशों ने द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की।

प्रश्न 7.
दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (दक्षेस) की पृष्ठभूमि एवं इसकी स्थापना के लिए किए गए प्रयासों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) दक्षिण एशिया के आठ देशों-भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, मालदीव, अफगानिस्तान और श्रीलंका का एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन है। 14वें सार्क सम्मेलन में जोकि 2007 में भारत में हुआ था, अफगानिस्तान को सार्क का आठवां सदस्य बनाया गया था। इस संगठन की स्थापना आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, तकनीकी और वैज्ञानिक क्षेत्रों में आपसी सहयोग द्वारा दक्षिणी एशिया के लोगों के कल्याण के लिए की गई थी।

सार्क की स्थापना (Establishment of SAARC):
द्वितीय महायुद्ध के बाद विश्व दो गुटों-पूंजीवादी गुट और साम्यवादी गुट में बंट गया था। पूंजीवादी गुट का नेतृत्व अमेरिका जबकि साम्यवादी गुट का नेतृत्व सोवियत संघ करने लगा। विश्व में आर्थिक सहयोग और सुरक्षात्मक उद्देश्यों को लेकर क्षेत्रीय संगठन बनने लगे। आपसी संगठन बनाने की यह प्रक्रिया पूरे यूरोप और धीरे-धीरे विश्व भर में फैलने लगी। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बहुत-से देश स्वतन्त्र हुए थे। ये देश सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, वैज्ञानिक, शैक्षणिक आदि क्षेत्रों में अत्यन्त पिछड़े हुए थे। एक ओर ये नव-स्वतन्त्र देश महाशक्तियों की गुटीय राजनीति से अलग रहना चाहते थे और दूसरी ओर सामाजिक-आर्थिक विकास के लक्ष्य को प्राप्त करना चाहते थे।

इस दृष्टि से पिछड़े देशों (तीसरी दुनिया) में क्षेत्रीय संगठन बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई। विशेषतया एशिया में क्षेत्रीय संगठन बनाने की प्रक्रिया 1967 में आसियान (ASEAN) की स्थापना से प्रारम्भ हुई जिसमें-ब्रुनेई, इण्डोनेशिया, फिलीपीन्स, मलेशिया, सिंगापुर, दारुस्सलाम और थाइलैंड शामिल हुए। तुर्की, ईरान और पाकिस्तान ने भी विकास के लिए क्षेत्रीय सहयोग की व्यवस्था की। जुलाई, 1975 में व्यापारिक उद्देश्यों के लिए बांग्लादेश, भारत, फिलीपीन्स, लाओस, श्रीलंका, थाइलैंड आदि देशों ने समझौता किया।

दक्षिण एशियाई देशों में सामाजिक, जातीय, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक मूल्यों की सामान्य सांझ है और तीव्र विकास की इच्छा भी है लेकिन इनमें कई बातों पर आपसी अविश्वास की भावना भी देखी जा सकती है। विशेष रूप से इन देशों के सुरक्षात्मक हित, विभिन्न राजनीतिक संस्कृति भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद और इस क्षेत्र में भारत की विशेष स्थिति अत्यन्त महत्त्वपूर्ण स्थान रखते हैं। 70 के दशक के अंत में बांग्लादेश के दिवंगत राष्ट्रपति जिआउर्रहमान ने एक विचार दिया था कि दक्षिण एशिया के सात देशों को मिलकर इस क्षेत्र की समस्याओं पर विचार करना चाहिए और आर्थिक विकास के लिए प्रयास करना चाहिए।

आपसी सहयोग की प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग के लिए बांग्लादेश कार्यकारी पत्र (Bangladesh Working paper on South Asian Regional Cooperation) जारी किया गया जिसमें सहयोग के 11 प्रमुख बिन्दुओं पर बल दिया गया। ये 11 प्रमुख बिन्दु थे दूर संचार, यातायात, जहाजरानी, शैक्षणिक व सांस्कृतिक सहयोग, वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग, कृषि अनुसंधान, पर्यटन, संयुक्त उपक्रम, बाजार प्रोत्साहन मौसम विज्ञान।

दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संघ की स्थापना करने वाली घोषणा के अनुच्छेद 10 की पहली धारा में कहा गया है कि ‘सारे निर्णय सर्वसम्मति से होंगे।’ दूसरी धारा में से कहा गया है कि सार्क के दो सदस्यों के ‘द्विपक्षीय’ मामलों पर विचार नहीं किया जाएगा। सार्क कोई राजनीतिक संघ या मंच नहीं है। इस संघ का उद्देश्य सामूहिक सहयोग है। सभी सदस्य एक-दूसरे की सम्प्रभुता को मान्यता देते हैं और कोई देश किसी दूसरे के आन्तरिक मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा और सभी सदस्य सामूहिक हित के लिए काम करेंगे।

राजनीतिक विज्ञान अनेक अध्ययनों के पश्चात् 1-2 अगस्त, 1983 को दिल्ली में सात देशों-भारत, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, मालदीव और बांग्लादेश के विदेश मंत्रियों की एक बैठक हई। इस बैठक में सातों देशों के विदेश मन्त्रियों ने दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। समझौते की उद्घोषणा में कहा गया कि दक्षिणी एशिया में आपसी सहयोग लाभदायक, वांछनीय और आवश्यक है और इससे क्षेत्र के लोगों के जीवन को सुधारने में मदद और प्रोत्साहन मिलेगा।

अन्ततः दक्षिणी एशियाई देशों के शासनाध्यक्षों का प्रथम शिखर सम्मेलन बांग्ला देश की राजधानी ढाका में हुआ जिसमें 8 दिसम्बर, 1985 को सार्क घोषणा-पत्र (Charter) को स्वीकार किया गया। इस प्रकार औपचारिक रूप से दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) अस्तित्व में आया। इस संगठन की स्थापना में भारत की भूमिका अत्यन्त महत्त्वपूर्ण रही। इसके प्रथम शिखर सम्मेलन के अन्त तक भारत का योगदान इसमें विशेष स्थान रखता है। इसका प्रमुख कारण यह है कि भारत दक्षिणी एशिया का एक प्रमुख देश है और सार्क की सफलता या असफलता बहुत सीमा तक भारत के सक्रिय सहयोग पर ही निर्भर करती है।

निष्कर्ष (Conclusion):
इस प्रकार स्पष्ट है कि सार्क दक्षिणी एशिया के आठ देशों का एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय संगठन है। यह एक राजनीतिक संगठन नहीं है। यह सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, तकनीकी व वैज्ञानिक हितों की पूर्ति के लिए आपसी सहयोग पर आधारित अन्तर्राष्ट्रीय संगठन है। इस संगठन का उदय भी अन्तर्राष्ट्रीय घटनाओं से प्रेरित है। सार्क की स्थापना में भारत की सक्रिय भागीदारी रही है।

प्रश्न 8.
सार्क के लक्ष्य और सिद्धान्त क्या हैं ?
उत्तर:
सार्क दक्षिण एशिया के आठ देशों भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल, मालदीव, अफगानिस्तान और भूटान का एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन है। अप्रैल, 2007 में दिल्ली में 14वें सार्क सम्मेलन में अफगानिस्तान को सार्क का आठवां सदस्य बनाया गया था। इस संगठन की स्थापना भी बदलते हए अन्तर्राष्टीय वातावरण के सन्दर्भ में हई।

इस संगठन की स्थापना बांग्लादेश के दिवंगत शासनाध्यक्ष जिआउर्रहमान की पहल पर हई। इसके लिए 1-2 अगस्त, 1983 को नई दिल्ली में इन सात देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक हुई। इस बैठक में सदस्य देशों ने आपसी सहयोग के कुछ मुद्दों पर एक सहमति पत्र तैयार किया। इस सहमति पत्र के आधार पर दिसम्बर, 1985 में ढाका में सार्क देशों के शासनाध्यक्षों का प्रथम शिखर सम्मेलन हुआ। इस शिखर सम्मेलन में 8 दिसम्बर को सार्क का घोषणा-पत्र स्वीकार किया गया।

सार्क के सिद्धान्त (Principles of SAARC):
दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) की स्थापना करने वाली घोषणा के अनुच्छेद 10 की पहली धारा में कहा गया है कि सारे निर्णय सर्वसम्मति से होंगे। दूसरी धारा में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि सार्क के दो सदस्यों के ‘द्वि-पक्षीय’ मामलों पर विचार नहीं किया जाएगा। सार्क सदस्य देशों की प्रभुसत्ता, समानता, क्षेत्रीय अखण्डता और राजनीतिक स्वतन्त्रता का सम्मान करता है और किसी दूसरे देश के आन्तरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगा। सार्क एक राजनीतिक संघ या मंच नहीं है। इसका उद्देश्य आपसी सहयोग द्वारा विकास करना है। इसके लिए सदस्य देश आपसी सहयोग को प्राथमिकता देंगे।

सार्क के उद्देश्य (Objectives of the SAARC):
दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) के चार्टर में इसके निम्नलिखित उद्देश्यों का वर्णन किया गया है

  • दक्षिण एशियाई देशों के लोगों का कल्याण और जीवन में गुणात्मकता लाना।
  • आर्थिक वृद्धि, सामाजिक प्रगति और सांस्कृतिक विकास।
  • सामूहिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना।
  • अन्य देशों के साथ सहयोग करना।
  • आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, तकनीकी और वैज्ञानिक क्षेत्रों में आपसी सहयोग को बढ़ावा देना।
  • अन्य क्षेत्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग करना।
  • अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों में आपसी सहयोग को मजबूत बनाना।
  • एक-दूसरे की समस्याओं के लिए आपसी विश्वास, समझबूझ और सहृदयता विकसित करना।

निष्कर्ष (Conclusion):
इस प्रकार स्पष्ट है कि सार्क एक ऐसा संगठन है जो सदस्य देशों की प्रभुसत्ता, स्वतन्त्रता, समानता व अखण्डता में विश्वास रखते हुए क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देने के लिए आपसी सहयोग की अपेक्षा रखता है। सार्क क्षेत्रीय विकास एवं कल्याण के लिए बनाया गया संगठन है। यह कोई सैनिक या राजनीति गठबन्धन नहीं है। सार्क के घोषणा पत्र में यह स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि इसमें द्वि-पक्षीय मामलों पर बहस नहीं की जाएगी। किन्तु इसकी बैठकों में कई बार द्वि-पक्षीय मामले उठाने का भी प्रयास किया गया है। आमतौर पर पाकिस्तान की ओर से यह प्रयास अधिक होता है। भारत ने सदैव इसका विरोध किया है। सार्क क्षेत्रीय सहयोग के लिए बनाया गया है और यदि यह निर्धारित सिद्धान्तों का पालन करे तो घोषित उद्देश्यों को प्राप्त कर सकता है।

प्रश्न 9.
सार्क की महत्त्वपूर्ण गतिविधियां क्या रही हैं ? उनमें भारत की भूमिका क्या है ?
अथवा
दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) द्वारा अपने अस्तित्व में किए गए मुख्य कार्य कौन-से हैं ? इनमें भारत की भूमिका क्या रही है ?
उत्तर:
सार्क दक्षिण एशिया के आठ देशों का एक सहयोग संगठन है। इस संगठन का उद्देश्य इन देशों के बीच अधिकाधिक क्षेत्रों में सहयोग स्थापित करना है ताकि समस्याएं एक-दूसरे की सहायता से हल हो सकें। दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संघ की स्थापना करने वाली घोषणा के अनुच्छेद 10 की पहली धारा में कहा गया है कि ‘सारे निर्णय सर्वसम्मति से होंगे।

दूसरी धारा में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि सार्क के दो सदस्यों के द्विपक्षीय’ मामलों पर विचार नहीं किया जाएगा।’ सार्क कोई राजनीतिक संघ या मंच नहीं है। इस संघ का उद्देश्य सामूहिक सहयोग है। सभी सदस्य एक-दूसरे को सम्प्रभुता को मान्यता देते हैं और कोई देश किसी दूसरे के आन्तरिक मामले में हस्तक्षेप नहीं करेगा और सभी सदस्य सामूहिक हित के लिए काम करेंगे।

प्रथम शिखर सम्मेलन-दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संघ का प्रथम शिखर सम्मेलन 1985 में ढाका में हआ। इस सम्मेलन में सभी सदस्यों ने पारस्परिक सहयोग के लिए अपनी वचनबद्धता पर सहमति प्रकट की। द्वितीय शिखर सम्मेलन-द्वितीय शिखर सम्मेलन नवम्बर, 1986 में भारत में बंगलौर में हुआ।

इन देशों ने 1990 तक सार्वभौमिक प्रतिरक्षण, सार्वभौमिक प्राथमिक शिक्षा, मातृ-शिशु पोषाहार, साफ़ सुरक्षित पेय जल की व्यवस्था और 2000 से पूर्व समुचित आवास के लक्ष्य निर्धारित किए। तृतीय शिखर सम्मेलन-सार्क का तीसरा शिखर सम्मेलन नवम्बर, 1987 में काठमांडू में हुआ। इस सम्मेलन में तीन ऐतिहासिक निर्णय लिए गए

  • आतंकवाद को समाप्त करने का समझौता हुआ।
  • दक्षिण एशियाई खाद्य सुरक्षा भण्डार की स्थापना का निर्णय किया गया।
  • तीसरा महत्त्वपूर्ण निर्णय सार्क क्षेत्र के पर्यावरण की रक्षा के उपाय करने के लिए पर्यावरण सम्बन्धी अध्ययन करना है।

चौथा शिखर सम्मेलन-सार्क का चौथा सम्मेलन श्रीलंका की अशान्त स्थिति के कारण वहां न होकर 29 सितम्बर, 1988 को पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में हुआ। इस सम्मेलन का विशेष महत्त्व है क्योंकि यह सम्मेलन पाकिस्तान में लोकतन्त्र की बहाली के बाद हुआ। इस सम्मेलन में महत्त्वपूर्ण निर्णय लिए गए

(1) इस सम्मेलन में यह निर्णय लिया गया कि सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश, राष्ट्रीय संसदों के सदस्य एक विशेष सार्क पत्र दस्तावेज़ पर किसी भी देश की यात्रा कर सकेंगे तथा उन्हें वीज़ा लेने की ज़रूरत नहीं होगी।

(2) नशीले पदार्थों के ग़लत प्रयोग को रोकने हेतु जोरदार अभियान जारी रखने का संकल्प किया।

(3) इस सम्मेलन की एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि ‘सार्क 2000’ का निर्माण है। ‘सार्क 2000’ एक क्षेत्रीय योजना की अवधारणा है। इस योजना द्वारा शताब्दी के अन्त तक इस क्षेत्र के एक अरब से ज्यादा लोगों की आवास, शिक्षा और साक्षरता की आवश्यकताएं पूरी की जा सकें।

(4) संयुक्त राष्ट्र की घोषणा के अनुसार वर्ष 1989 को ‘बालिका वर्ष’ के रूप में मनाने का आह्वान किया ग

(5) परमाणु निःशस्त्रीकरण का भी निर्णय लिया गया।

(6) शिखर सम्मेलन के निर्णय के अनुसार इस क्षेत्र का कोई भी देश सार्क का सदस्य बन सकता है, यदि वह इसके घोषणा-पत्र के सिद्धान्तों एवं उद्देश्यों में विश्वास रखता है। कोलम्बो सम्मेलन-21 दिसम्बर, 1991 को सार्क का सम्मेलन कोलम्बो में हुआ। सार्क के सातों देश क्षेत्र में व्यापार को उदार बनाने पर सहमत हो गए। सातों सदस्य देशों ने नि:शस्त्रीकरण की सामान्य प्रवृत्तियों का स्वागत किया। घोषणा-पत्र में मानव अधिकारों की रक्षा की बात कही गई है।

ढाका शिखर सम्मेलन-12 दिसम्बर, 1992 को सार्क का शिखर सम्मेलन ढाका (बांग्लादेश) में होना था, परन्तु भारत के आग्रह पर स्थगित कर दिया गया और 13 जनवरी, 1993 को शिखर सम्मेलन होना निश्चित किया गया।13 जनवरी को भी यह सम्मेलन न हो सका। यह सम्मेलन 10 और 11 अप्रैल को ढाका में हुआ। इस सम्मेलन में दक्षेस राष्ट्रों के नेताओं ने सातों राष्ट्रों के बीच एक ‘महाबाज़ार’ का निर्माण करने तथा दक्षिण एशिया के स्वतन्त्र व्यक्तित्व पर विशेष बल दिया।

नई दिल्ली सम्मेलन-2 मई, 1995 को सार्क का आठवां शिखर सम्मेलन भारत की राजधानी नई दिल्ली में आरम्भ हुआ। इस सम्मेलन की मुख्य उपलब्धि आपसी सहयोग के क्षेत्र में दक्षिण एशियाई वरीयता व्यापार व्यवस्था (साप्टा) पर सदस्य राष्ट्रों की सहमति है। सभी सदस्य राज्यों ने वर्ष 1995 को ‘दक्षेस ग़रीबी उन्मूलन वर्ष’ मनाने का फैसला किया। नौवां शिखर सम्मेलन-मई, 1997 में मालदीव की राजधानी माले में सार्क का नौवां शिखर सम्मेलन हुआ। माले शिखर सम्मेलन में सन् 2001 तक दक्षेस में मुक्त व्यापार क्षेत्र (SAFTA) स्थापित करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया गया।

दक्षेस का दसवां शिखर सम्मेलन-दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन का दसवां शिखर सम्मेलन तीन दिन के लिए कोलम्बो में 28 जुलाई, 1998 को प्रारम्भ हुआ और 31 जुलाई को समाप्त हुआ। दक्षेस ने सदस्य देशों की सभी क्षेत्रों में स्मृद्धि के लिए व्यापक आर्थिक और सामाजिक कार्यसूची की घोषणा की। सदस्य देशों ने परमाणु हथियारों को पूरी तरह से नष्ट करने और प्रभावशाली अन्तर्राष्ट्रीय नियन्त्रण के तहत विश्वभर में परमाणु नि:शस्त्रीकरण को बढ़ावा देने की आवश्यकता की अपनी वचनबद्धता को दोहराया।

दक्षेस का 11वां शिखर सम्मेलन-दक्षेस का 11वां शिखर सम्मेलन नेपाल की राजधानी काठमांडू में भारत एवं पाकिस्तान के तनाव के बीच 5 एवं 6 फरवरी, 2002 को हुआ। इस सम्मेलन में अनेक महत्त्वपूर्ण निर्णय लिये गये, जैसे कि आतंकवाद को समाप्त करने एवं दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार क्षेत्र (साफ्टा) को शीघ्र लागू करने के फैसले लिए। इसके अतिरिक्त महिलाओं की खरीद-फरोख्त पर रोक और एड्स के मुकाबले के लिए सामूहिक पहल की बात भी दक्षेस घोषणा में कही गई।

12वां सार्क शिखर सम्मेलन, जनवरी-2004:
‘दक्षेस’ देशों का 12वां शिखर सम्मेलन 4 जनवरी, 2004 को इस्लामाबाद (पाकिस्तान) में हुआ। इस सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी ने किया। सम्मेलन के अन्त में 11 पृष्ठों का एक साझा घोषणा-पत्र (इस्लामाबाद घोषणा-पत्र) जारी किया गया। इस सम्मेलन की प्रमुख बातें निम्नलिखित रहीं

  • दक्षिणी एशियाई मुक्त व्यापार व्यवस्था’ (साफ्टा) को मन्जूरी दी गई। यह समझौता 1 जनवरी, 2006 से लागू होगा।
  • दक्षिणी एशिया से ग़रीबी, पिछड़ापन आदि दूर करने के लिए सामाजिक घोषणा-पत्र जारी किया गया।
  • 1987 में किए गए आतंकवाद निरोधक सार्क समझौते की समीक्षा की गई तथा आतंकवाद पर प्रभावी रोकथाम लगाने पर सहमति हुई।
  • दक्षेस पुरस्कार आरम्भ करने का निर्णय लिया गया।

13वां सार्क शिखर सम्मेलन:
सार्क का 13वां शिखर सम्मेलन नवम्बर, 2005 में ढाका में हुआ। इस सम्मेलन में एक जुट होकर आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष करने की घोषणा की गई।

14वां सार्क शिखर सम्मेलन:
सार्क का 14वां शिखर सम्मेलन अप्रैल, 2007 में भारत में हुआ। इस सम्मेलन में अफगानिस्तान को सार्क का आठवां सदस्य बनाया गया।

15वां सार्क शिखर सम्मेलन:
सार्क का 15वां शिखर सम्मेलन अगस्त, 2008 में श्रीलंका में हुआ। इस सम्मेलन में सार्क क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने एवं आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष करने की घोषणा की गई।

16वां सार्क शिखर सम्मेलन:
सार्क का 16वां शिखर सम्मेलन 28-29 अप्रैल, 2010 को भूटान की राजधानी थिम्पू में हुआ। सम्मेलन के दौरान 2011-2020 के दशक को ‘डिकेड ऑफ़ इन्ट्रीजनल कनेक्टिविटी इन सार्क के रूप में मानने का निर्णय लिया गया। सम्मेलन में आतंकवाद की आलोचना करते इसे समाप्त करने के लिए पारस्परिक सहयोग पर जोर दिया गया।

17वां सार्क शिखर सम्मेलन:
सार्क का 17वां शिखर सम्मेलन 10-11 नवम्बर, 2011 को मालदीव में हुआ। इस सम्मेलन में राष्ट्रों के आपसी व्यापार, आपदा प्रबन्धन, समुद्री दस्युओं से निपटने की समस्या व वैश्विक आर्थिक संकट के मुद्दों पर चर्चा हुई।

18वां सार्क शिखर सम्मेलन:
सार्क का 18वां शिखर सम्मेलन 26-27 नवम्बर, 2014 में नेपाल में हुआ। शिखर सम्मेलन के घोषणा-पत्र में 36 बिन्दुओं पर 15 साल के भीतर सहमति बनाते हुए आगे बढ़ने पर जोर दिया गया है। इसमें सार्क देशों में आतंकवाद, उग्रवाद और धार्मिक अतिवाद नियंत्रण के लिए तंत्र विकसित करने का उल्लेख किया गया है। साथ ही वीजा सरलीकरण एवं जन-सम्पर्क बढ़ाने पर जोर दिया गया है।

भारत की भूमिका:

  • सार्क का दूसरा सम्मेलन 1986 में श्री राजीव गांधी की अध्यक्षता में बैंगलौर में हुआ।
  • 1987 में भारत ने सार्क को ₹ 150 लाख की मदद दी।
  • सार्क द्वारा संरक्षित अन्न भण्डार कायम करने के लिए भारत ने 1,53,200 टन खाद्यान्न का योगदान दिया।
  • 1992 में दिल्ली में सार्क का प्रथम सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन हुआ।
  • पहली दक्षेस विदेश मन्त्रियों की बैठक 1996 को दिल्ली में हुई।
  • सार्क व्यापार मेले का आयोजन भी भारत में किया गया।
  • भारत ने सार्क देशों के समक्ष द्विपक्षीय मुक्त व्यापार का प्रस्ताव रखा।
  • भारत, नेपाल एवं भूटान के साथ मुक्त व्यापार कर रहा है।

लघु उत्तरीय प्रश्न 

प्रश्न 1.
दक्षिण एशिया से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर:
दक्षिण एशिया, एशिया महाद्वीप के दक्षिण में स्थित है। इसके उत्तर में हिमालय पर्वत, दक्षिण में हिन्द महासागर, पश्चिम में अरब सागर तथा पूर्व में बंगाल की खाड़ी स्थित है। इस क्षेत्र में भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल तथा श्रीलंका को शामिल किया जाता है। अफ़गानिस्तान तथा म्यांयार को भी प्रायः दक्षिण एशिया में ही मान लिया जाता है।

प्रश्न 2.
‘सार्क’ (SAARC) की स्थापना पर एक टिप्पणी लिखें।
उत्तर:
सार्क दक्षिण एशिया के आठ देशों का एक सहयोग संगठन है। इस संगठन की स्थापना 1-2 अगस्त, 1983 को सात देशों के विदेश मन्त्रियों की नई दिल्ली की बैठक में की गई। दक्षेस का प्रथम शिखर सम्मेलन 7-8 दिसम्बर, 1985 को ढाका में हुआ। इस प्रकार औपचारिक रूप से सार्क की स्थापना हुई। दक्षेस के सदस्य हैं भारत, मालदीव, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, भूटान और नेपाल। अप्रैल, 2007 में दिल्ली में हुए 14वें सार्क शिखर सम्मेलन में अफगानिस्तान को सार्क का आठवां सदस्य बनाया गया था।

प्रश्न 3.
सार्क के मुख्य उद्देश्य क्या हैं ?
अथवा
सार्क (SAARC) के मुख्य उद्देश्यों का वर्णन करें।
उत्तर:

  • दक्षिण एशिया के राज्यों में सहयोग बढ़े और एक-दूसरे के विकास में सकारात्मक सहायता प्रदान करें।
  • दक्षेस के राज्य अपनी आपसी समस्याओं का समाधान शान्तिपूर्ण ढंग से करें।
  • क्षेत्र की अधिक-से-अधिक सामाजिक और सांस्कृतिक उन्नति करना।
  • दक्षिण एशिया के देशों में सामूहिक आत्म-विश्वास पैदा करना।
  • अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों में आपसी सहयोग को मज़बूत करना।
  • अन्य क्षेत्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों में सहयोग करना।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 5 समकालीन दक्षिण एशिया

प्रश्न 4.
दक्षेस (SAARC) का क्या अर्थ है ? इसके महत्त्व का वर्णन करें।
उत्तर:
सार्क दक्षिण एशिया के आठ देशों का एक सहयोग संगठन है। इस संगठन की स्थापना अगस्त, 1983 में सात देशों के विदेश मन्त्रियों की नई दिल्ली में बैठक की गई। दक्षेस का प्रथम शिखर सम्मेलन दिसम्बर, 1985 में ढाका (बांग्ला देश) में हुआ। इस प्रकार 1985 में सार्क की औपचारिक स्थापना हो गई। सार्क का मुख्य उद्देश्य दक्षिण एशिया के राष्ट्रों की समस्याओं को शान्तिपूर्ण ढंग से निपटाना है और इन राष्ट्रों में राजनीतिक, सामाजिक तथा आर्थिक क्षेत्रों में विकास करना है।

महत्त्व:

  • सार्क के कारण दक्षिण एशिया के देश एक-दूसरे के समीप आए हैं और कुछ सामान्य समस्याओं को हल करने में सार्क सफल रहा है।
  • क्षेत्र के बाहर के देशों का हस्तक्षेप काफ़ी कम हो गया है।

प्रश्न 5.
दक्षिण एशियाई अधिमानिक व्यापार व्यवस्था (SAPTA) पर संक्षिप्त नोट लिखिए।
उत्तर:
दक्षिण एशिया क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) के सभी सदस्य देशों ने प्रारम्भ से ही व्यापारिक उद्देश्यों के लिए आपस में सहयोग करने पर बल दिया है। विशेषतया 90 के दशक में एशियाई क्षेत्र के देशों के लिए आर्थिक एवं व्यापारिक क्षेत्रों में सहयोग करना और भी आवश्यक था क्योंकि इस दौरान यूरोप व विश्व के भागों में व्यापारिक उद्देश्यों के लिए क्षेत्रीय संगठन बन रहे थे।

इससे दक्षिणी एशिया के देशों को उनके साथ व्यापार करने में अनेक बाधाओं का सामना करना पड़ रहा था। इस दृष्टि से 1993 में ढाका शिखर सम्मेलन में सार्क देशों ने आपस में एक ‘सुपर बाज़ार’ स्थापित करने पर बल दिया। इस सम्मेलन में सदस्य देशों ने ‘दक्षिण एशियाई वरीयता व्यापार व्यवस्था’ (साप्टा) पर हस्ताक्षर किए।

दिसम्बर, 1995 तक सभी सदस्य देशों ने साप्टा को स्वीकृति प्रदान कर दी और यह अस्तित्व में आया। ‘साप्टा’ के अन्तर्गत देशों ने आपसी व्यापार पर से विभिन्न वस्तुओं पर से मात्रात्मक एवं गुणात्मक प्रतिबन्ध हटा लिए हैं। अनेक व्यापारिक बाधाओं को हटा लिया गया है। इससे सार्क देशों के बीच सहयोग बढ़ने में सहायता मिली है।

प्रश्न 6.
दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र (SAFTA) पर टिप्पणी लिखिए।
अथवा
‘साफ्टा’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
‘साफ्टा’ का उद्देश्य सार्क देशों के मध्य व्यापारिक सहयोग को बढ़ाकर एक ‘दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार क्षेत्र’ (साफ्टा) की स्थापना करना है। मुक्त व्यापार क्षेत्र से अभिप्राय सदस्य देशों के बीच ऐसे व्यापार से है जो कस्टम और प्रशुल्क के प्रतिबन्धों से मुक्त हो अर्थात् ऐसा क्षेत्र जिसमें वस्तुओं का स्वतन्त्र आवागमन हो। ‘साफ्टा’ की स्थापना इसी उद्देश्य के लिए की गई थी।

यह भी आशा की गई थी कि 21वीं शताब्दी के शुरू होने से पहले ‘साप्टा’ का स्थान साफ्टा ले लेगा। सार्क के 10वें शिखर सम्मेलन (ढाका) में यह निर्णय लिया गया कि ‘साफ्टा’ के सम्बन्ध में एक विशेषज्ञ समिति की स्थापना की जाए जो 2001 की एक सन्धि तक पहुंचने के लिए अपना निष्कर्ष दे। जनवरी, 2004 में इस्लामाबाद (पाकिस्तान) में हुए 12वें सार्क शिखर सम्मेलन में सदस्य देशों ने दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र (साफ्टा) समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते के लागू होने से यह आशा की जा सकती है कि इससे दक्षिण एशिया की अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।

प्रश्न 7.
सार्क देशों के सम्मुख उपस्थित किन्हीं चार समस्याओं का वर्णन कीजिए।
अथवा
दक्षेस (सार्क) की किन्हीं चार प्रमुख समस्याओं का वर्णन करें।
अथवा
दक्षेस (सार्क) के सामने मुख्य समस्याएं क्या हैं ? उनका वर्णन कीजिए।
उत्तर:

  • सार्क की सफलता में सदैव भारत-पाक के कटु सम्बन्ध रुकावट पैदा करते हैं।
  • सार्क के सदस्य देश भारत जैसे बड़े देश पर पूर्ण विश्वास नहीं रख पा रहे हैं।
  • सार्क के अधिकांश देशों में आन्तरिक अशान्ति एवं अस्थिरता इसके मार्ग में रुकावट है।
  • सार्क देशों में अधिक मात्रा में अनपढ़ता, बेरोज़गारी तथा भूखमरी पाई जाती है, जोकि इसकी सफलता में बाधा पैदा करती है।

प्रश्न 8.
सार्क के सचिवालय की रचना का वर्णन करें।
उत्तर:

  • सार्क के चार्टर के अनुच्छेद 8 में सचिवालय की व्यवस्था की गई है। 16 जनवरी, 1987 को बैंगलौर (बंगलुरु) में हुए दूसरे सार्क सम्मेलन में सचिवालय की स्थापना की घोषणा की गई।
  • सार्क का सचिवालय नेपाल की राजधानी काठमाण्डू में बनाया गया है।
  • सार्क का एक महासचिव होता है, जोकि दो वर्ष के लिए सदस्य राष्ट्रों में से ही चुना जाता है।
  • सचिवालय अपने कार्यों को सात विभागों के माध्यम से सम्पन्न करता है।

प्रश्न 9.
‘शिमला समझौते’ पर एक संक्षिप्त लेख लिखें।
उत्तर:
दिसम्बर, 1971 में भारत ने पाकिस्तान को युद्ध में ऐतिहासिक मात दी। इस युद्ध के पश्चात् 3 जुलाई, 1972 को भारत-पाकिस्तान ने शिमला में एक समझौते पर हस्ताक्षर किये, जिसे शिमला समझौता कहा जाता है। इस समझौते की प्रमुख शर्ते इस प्रकार हैं

  • दोनों राष्ट्र अपने पारस्परिक झगड़ों को द्विपक्षीय बातचीत और मान्य शान्तिपूर्ण ढंगों से हल करने के लिए दृढ़-संकल्प हैं।
  • दोनों राष्ट्र एक-दूसरे की राष्ट्रीय एकता, क्षेत्रीय अखण्डता, राजनीतिक स्वतन्त्रता और सार्वभौम समानता का सम्मान करेंगे।
  • दोनों राष्ट्र एक-दूसरे की क्षेत्रीय अखण्डता और राजनीतिक स्वतन्त्रता के विरुद्ध बल प्रयोग या धमकी का प्रयोग नहीं करेंगे।
  • दोनों देशों द्वारा परस्पर विरोधी प्रचार नहीं किया जाएगा।
  • दोनों देश परस्पर सामान्य सम्बन्ध स्थापित करने के लिए प्रयत्न करेंगे।

प्रश्न 10.
दक्षिण एशिया में आर्थिक वैश्वीकरण के कोई चार प्रभाव लिखें।
उत्तर:

  • आर्थिक वैश्वीकरण के कारण दक्षिण एशिया में आर्थिक सुधार की प्रक्रिया शुरू हुई।
  • आर्थिक वैश्वीकरण के कारण इस क्षेत्र में सूचना क्रान्ति एवं प्रौद्योगिकी का विकास एवं विस्तार हुआ।
  • आर्थिक वैश्वीकरण के कारण इस क्षेत्र में निजी क्षेत्र को बढ़ावा मिला।
  • आर्थिक वैश्वीकरण के कारण इस क्षेत्र में विदेशी निवेश बढ़ा है।

प्रश्न 11.
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के कोई चार कारण बताइए।
उत्तर:
(1) कश्मीर के विषय में दोनों के विचार परस्पर विरोधी हैं तथा कश्मीर की समस्या का समाधान असम्भव प्रतीत होता है।

(2) पाकिस्तान अधिक मात्रा में अमेरिका से सैनिक सहायता प्राप्त करता है, जिसका भारत ने सदा विरोध किया है।

(3) पाकिस्तान भारत को आरम्भ से ही अपना राजनीतिक शत्रु मानता है तथा पाकिस्तान शासक स्वयं को शासन गद्दी पर सुशोभित रखने के लिए भारत विरोधी प्रचार करके पाकिस्तानी लोगों की भावनाओं को प्रायः उत्तेजित करते रहते हैं।

(4) पाकिस्तान की भारत के प्रति आतंकवादी गतिविधियां दोनों देशों में तनाव का कारण बनी रहती हैं।

प्रश्न 12.
दक्षेस (सार्क) की समस्याओं को दूर करने के लिये कोई चार सुझाव दीजिये।
अथवा
दक्षेस (SAARC) को सफल बनाने के लिए कोई चार सुझाव दीजिए।
उत्तर:

  • दक्षेस देशों को विश्वास बहाली प्रक्रिया के अन्तर्गत प्रतिरक्षा पर होते व्यय को कम करना चाहिए।
  • क्षेत्र में सांस्कृतिक सम्पर्क के कार्यक्रमों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
  • टकराव एवं द्वेष पैदा करने वाले मुद्दों को हल करने का प्रयास करना चाहिए।
  • दक्षेस देशों में व्याप्त ग़रीबी, भुखमरी, अशिक्षा, अन्धविश्वास एवं सामाजिक कुरीतियों इत्यादि को दूर करना चाहिए।

प्रश्न 13.
पाकिस्तान में लोकतन्त्र की असफलता के किन्हीं चार कारणों का वर्णन करें।
उत्तर:
पाकिस्तान में लोकतन्त्र की असफलता के निम्नलिखित कारण हैं

  • पाकिस्तान में लोकतन्त्र के मार्ग में सेना ने सदैव बाधा उत्पन्न की है।
  • पाकिस्तान में धार्मिक कट्टरता ने भी लोकतन्त्र को सफलतापूर्वक कार्य नहीं करने दिया।
  • पश्चिमी देशों ने अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए पाकिस्तान में लोकतन्त्र को सफल नहीं होने दिया।
  • पाकिस्तान में लोकतन्त्र की असफलता का एक अन्य कारण उसकी आन्तरिक ढांचागत संरचना है।

प्रश्न 14.
पाकिस्तान में सैनिक शासन की व्याख्या करें।
उत्तर:

  • पाकिस्तान में संविधान निर्माण के पश्चात् सैनिक शासक जनरल अयूब खान ने शासन पर अपना अधिकार जमा लिया।
  • अयूब खान के पश्चात् जनरल याहिया खान ने शासन सम्भाल लिया।
  • 1977 में जनरल जिया उल हक ने लोकतान्त्रिक सरकार को हटाकर शासन प्रणाली की बागडोर अपने हाथों में ले ली।
  • 1999 में जनरल परवेज मुशर्रफ ने प्रधानमन्त्री नवाज शरीफ का तख्ता पलट कर अपनी तानाशाही स्थापित कर ली।

प्रश्न 15.
बांग्लादेश में सैनिक शासन की व्याख्या करें।
उत्तर:
सन् 1975 में शेख मुजीबुर्रहमान ने संविधान में संशोधन करके संसदीय शासन प्रणाली की जगह अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली को अपनाया। उन्होंने अपनी अवामी लीग पार्टी को छोड़ कर बाकी सभी पार्टियों को समाप्त कर दिया। परन्तु अगस्त, 1975 में सेना ने उनके खिलाफ बगावत करके उन्हें जान से मार दिया। इसके पश्चात् सैनिक शासक जियाउर्रहमान बांग्लादेश के शासक बने, परन्तु कुछ समय पश्चात् उनकी भी हत्या कर दी गई तथा उनके स्थान पर लेफ्टीनेंट जनरल एच० एम० इरशाद ने बांग्लादेश में सैनिक शासन कायम किया। जनरल इरशाद 1990 तक बांग्लादेश पर शासन करते रहे।

प्रश्न 16.
भारत सरकार किन कारणों से बांग्लादेश सरकार से अप्रसन्न रहती है ?
उत्तर:
भारत सरकार निम्नलिखित कारणों से बांग्लादेश सरकार से नाराज़ रहती है

  • भारत में अवैध रूप से लाखों बांग्लादेशी रह रहे हैं, जिन पर बांग्लादेश की सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही है।
  • बांग्लादेश में भारत विरोधी कट्टरपंथी बढ़ते जा रहे हैं।
  • बांग्लादेश सरकार द्वारा भारतीय सेना को अपने क्षेत्र के प्रयोग की मनाही करना।
  • भारत एवं म्यांमार के बीच प्राकृतिक गैस समझौते को पूरा न होने देना।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न 

प्रश्न 1.
दक्षिण एशिया को परिभाषित कीजिए।
उत्तर:
दक्षिण एशिया सात देशों भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल तथा श्रीलंका का एक समूह है, जोकि एक ही भू-राजनीतिक धरातल पर स्थित है, परन्तु प्रत्येक देश अपनी विविधताओं एवं संस्कृतियों के कारण अपना विशिष्ट एवं विभिन्न स्थान रखता है।

प्रश्न 2.
सार्क (दक्षेस) से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
सार्क दक्षिण एशिया के आठ देशों का एक सहयोग संगठन है। इस संगठन की स्थापना 1985 में ढाका में की गई। सार्क में भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, नेपाल, श्रीलंका तथा अफगानिस्तान शामिल हैं। इस संगठन की स्थापना का मुख्य उद्देश्य सदस्य में आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है।

प्रश्न 3.
दक्षेस (SAARC) के कोई दो उद्देश्य लिखिए।
अथवा
‘सार्क’ (SAARC) की स्थापना के कोई दो उद्देश्य लिखिए।
उत्तर:

  • सार्क का मुख्य उद्देश्य यह है कि दक्षिण एशिया के राज्यों में सहयोग बढ़े और एक-दूसरे के विकास में सकारात्मक सहायता प्रदान करें।
  • सार्क का एक अन्य महत्त्वपूर्ण उद्देश्य यह है कि सार्क के सदस्य देश अपनी आपसी समस्याओं का समाधान शांतिपूर्ण ढंग से करें।

प्रश्न 4.
सार्क (SAARC) का क्षेत्रीय सहयोग के साधन के रूप में क्या प्रभाव पड़ा है ?,
उत्तर:

  • सार्क के कारण दक्षिण एशियाई देश एक-दूसरे के समीप आए हैं और कुछ सामान्य समस्याओं को हल करने में सार्क सफल रहा है।
  • क्षेत्र के बाहर के देशों का हस्तक्षेप काफ़ी कम हो गया है।
  • सार्क ने एक संरक्षित अन्न भण्डार की स्थापना की है जो सदस्य राष्ट्रों की आत्म-निर्भरता का सूचक है।

प्रश्न 5.
सीमा पारीय आतंकवाद पर नोट लिखिए।
उत्तर:
भारत पाकिस्तान की ओर से सीमा पारीय आतंकवाद से लम्बे समय से ग्रसित हैं। पाकिस्तान भारत को अस्थिर करने के लिए अपने यहां आतंकवादियों को प्रशिक्षित करके, उन्हें सीमा पार अर्थात् भारत भेज देता है, जो भारत आकर निर्दोष लोगों की हत्याएं करते हैं।

प्रश्न 6.
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के कोई दो कारण लिखें।
उत्तर:
भारत और पाकिस्तान में कभी भी मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध नहीं रहे। इन दोनों में तनाव के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं

(1) भारत-पाक सम्बन्धों में तनाव का एक महत्त्वपूर्ण कारण कश्मीर का मामला है। पाकिस्तान के नेताओं ने कई बार कश्मीर के मामले को संयुक्त राष्ट्र में उठाया है जिसे भारत नापसंद करता है।

(2) भारत और पाकिस्तान में तनावपूर्ण सम्बन्धों का एक कारण यह है कि पाकिस्तान पिछले कई वर्षों से पंजाब और कश्मीर के आतंकवादियों की सभी तरह से सहायता कर रहा है।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 5 समकालीन दक्षिण एशिया

प्रश्न 7.
फरवरी, 1996 में भारत और नेपाल के बीच हुई सन्धि का महत्त्व लिखें।
उत्तर:
फरवरी, 1996 में भारत और नेपाल में महाकाली घाटी के समन्वित विकास के लिए एक महत्त्वपूर्ण सन्धि पर हस्ताक्षर करके विकास का मार्ग प्रशस्त किया। इस सन्धि से दोनों देशों के बीच चला आ रहा विवाद समाप्त हो गया। इस सन्धि के बाद उम्मीद की जा रही है कि सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रों में दोनों देशों में अधिक समीपता आएगी। आर्थिक क्षेत्रों में भी दोनों देशों का विकास होगा।

प्रश्न 8.
‘सार्क’ देशों की एकजुटता में आने वाली किन्हीं दो बाधाओं या समस्याओं का उल्लेख करें।
उत्तर:

  • सार्क देशों की एकजुटता में सदा ही भारत-पाकिस्तान के कटु सम्बन्ध बाधा पैदा करते हैं।
  • सार्क के सदस्य देश भारत जैसे बड़े देश पर विश्वास नहीं कर पाते।

प्रश्न 9.
मार्च, 1972 में भारत और बांग्लादेश के बीच हुई 25 वर्ष की सन्धि की कोई दो बातें बताइए।
उत्तर:

  • दोनों देश एक-दूसरे की अखण्डता का सम्मान करेंगे।
  • दोनों देश एक-दूसरे के आन्तरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेंगे।

प्रश्न 10.
‘शिमला समझौता’ कब और किन के बीच हुआ ?
उत्तर:
शिमला समझौता 3 जुलाई, 1972 को भारत एवं पाकिस्तान के बीच हुआ।

प्रश्न 11.
सार्क को प्रभावशाली बनाने के लिए भारत द्वारा किए गए कोई दो प्रयास बताएँ।
उत्तर:

  • भारत ने 1987 में सार्क को 150 लाख रुपये की मदद दी।
  • भारत ने सार्क द्वारा संरक्षित अन्न भण्डार कायम करने के लिए 153200 टन खाद्यान्न का योगदान दिया।

प्रश्न 12.
दक्षिण एशियाई अधिमानिक व्यापार व्यवस्था (SAPTA) की व्याख्या करें।
उत्तर:
दक्षिण एशियाई अधिमानिक व्यापार व्यवस्था (SAPTA) जनवरी, 1996 में अस्तित्व में आया। साप्टा के अन्त में सार्क देशों ने आपसी व्यापार पर से विभिन्न वस्तुओं पर से मात्रात्मक एवं गुणात्मक प्रतिबन्ध हटा लिए हैं। इसके अन्तर्गत सार्क देशों ने अनेक व्यापारिक बाधाओं को हटा लिया, जिससे इन देशों में आर्थिक सहयोग को बढ़ावा मिला।

प्रश्न 13.
दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र (SAFTA) की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
‘साफ्टा’ का उद्देश्य सार्क देशों के मध्य व्यापारिक सहयोग को बढ़ाकर एक ‘दक्षिण एशिया मुक्त व्यापार क्षेत्र’ की स्थापना करना है। मुक्त व्यापार क्षेत्र से अभिप्राय सदस्य देशों के बीच ऐसे व्यापार से है, जो कस्टम और प्रशुल्क के प्रतिबन्धों से मुक्त हों अर्थात् ऐसा क्षेत्र जिसमें वस्तुओं का स्वतन्त्र आवागमन हो।

प्रश्न 14.
भारत एवं श्रीलंका के बीच किन्हीं दो समान विशेषताओं का वर्णन करें।
उत्तर:

  • भारत एवं श्रीलंका दोनों ही इंग्लैण्ड के उपनिवेश रहे हैं तथा दोनों देशों को दूसरे विश्व युद्ध के बाद स्वतन्त्रता प्राप्त हुई।
  • स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् दोनों ही देशों ने सफलतापूर्वक लोकतान्त्रिक व्यवस्था की स्थापना की।

प्रश्न 15.
नेपाल की शासन व्यवस्था की व्याख्या करें। नेपाल एवं बांग्लादेश की शासन व्यवस्थाओं का उदाहरण देते हुए बताएं कि दक्षिण एशियाई लोग किस प्रकार की शासन व्यवस्था चाहते हैं ?
उत्तर:
नेपाल में 2006 तक संवैधानिक राजतन्त्र था तथा राजा ही सभी शक्तियों का स्वामी था तथा राजा ने कई बार सरकार को बर्खास्त करके कार्यपालिका शक्तियां भी अपने हाथों में ले ली थीं। परंतु नेपाल के नागरिकों राजनीतिक दलों ने 2008 में वहां पर प्रजातान्त्रिक शासन व्यवस्था की स्थापना की। नेपाल एवं बांग्लादेश के उदाहरणों से स्पष्ट है कि दक्षिण एशियाई लोग लोकतान्त्रिक व्यवस्था चाहते हैं।

प्रश्न 16.
(क) SAFTA और (ख) SAARC का पूरा नाम लिखें। सार्क की स्थापना का मुख्य कारण क्या है ?
उत्तर:
(क) SAFTA-South Asia Free Trade Agreement.
(ख) SAARC-South Asian Association for Regional Cooperation. सार्क की स्थापना का कारण-सार्क की स्थापना का मुख्य कारण दक्षिण एशिया के देशों का आर्थिक विकास करना है।

प्रश्न 17.
भारत के कोई चार पड़ोसी देशों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  • चीन
  • पाकिस्तान
  • नेपाल
  • बांग्लादेश।

प्रश्न 18.
बांग्लादेश की स्थापना कब हुई ? इसका मुख्य कारण क्या था ?
उत्तर:
बांग्लादेश की स्थापना सन् 1971 में हुई। 1971 से पहले बांग्लादेश पाकिस्तान का ही एक भाग था। 1971 में पाकिस्तानी शासकों के तानाशाही रवैये के विरुद्ध बांग्लादेशियों ने आन्दोलन किया जिसे पाकिस्तान सरकार ने दबाने का भरपूर प्रयास किया। परन्तु भारत ने पाकिस्तान को युद्ध में हराकर बांग्लादेश राज्य की स्थापना में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

प्रश्न 19.
शान्ति सेना क्या थी, इसे सफलता क्यों नहीं मिली ?
उत्तर:
1987 में भारत-श्रीलंका के बीच हुए समझौते के अनुसार भारत ने लिट्टे के विरुद्ध अपनी सेनाएं भेजी, जिसे शांति सेना कहा जाता है। परन्तु धीरे-धीरे श्रीलंका में ही इस शांति सेना का विरोध होने लगा, परिणामस्वरूप 1989 से शान्ति सेना वापस भारत आने लगी।

प्रश्न 20.
श्रीलंका में जातीय संघर्ष के कोई दो कारण लिखिये।
उत्तर:

  • श्रीलंका में बहुसंख्यक सिंहलियों ने धर्म और भाषा के आधार पर एक नए राज्य के निर्माण के प्रयास शुरू किये गए, जिसका तमिलों ने विरोध किया।
  • श्रीलंका सरकार की तमिलों के प्रति भेदभाव तथा उपेक्षा की नीति ने भी जातीय संघर्ष को बढ़ाया।

प्रश्न 21.
दक्षिण एशिया में शान्ति की स्थापना के दो उपाय लिखिए।
उत्तर:
दक्षिण एशिया में निम्नलिखित ढंग से शान्ति स्थापना की जा सकती है

1. राजनीतिक स्थिरता-दक्षिण एशिया के अधिकांश देशों में राजनीतिक अस्थिरता पाई जाती है। अत: दक्षिण एशिया में शान्ति स्थापना के लिए आवश्यक है कि इन देशों में राजनीतिक स्थिरता पैदा की जाए।

2. आतंकवाद की समाप्ति-प्रायः सभी दक्षिण एशियाई देश आतंकवाद से प्रभावित हैं। अत: दक्षिण एशिया में शान्ति स्थापना के लिए आतंकवाद की समाप्ति आवश्यक है।

प्रश्न 22.
पाकिस्तान की स्थापना कब हुई थी ? इसका मुख्य कारण क्या था ?
उत्तर:
पाकिस्तान की स्थापना सन् 1947 में हुई। इसकी स्थापना का मुख्य कारण मुस्लिम लीग की हठधर्मिता एवं जिन्नाह का द्वि-राष्ट्र का सिद्धान्त था।

प्रश्न 23.
पाकिस्तान में लोकतन्त्रीकरण के मार्ग की कोई दो कठिनाइयां लिखिये।
उत्तर:

  • पाकिस्तान में सेना का प्रभाव बहुत अधिक है।
  • पाकिस्तान में धार्मिक कट्टरता अधिक पाई जाती है।

प्रश्न 24.
फरक्का समस्या का संबंध किन दो देशों से है ?
उत्तर:
फरक्का समस्या का संबंध भारत एवं बांग्लादेश से है।

प्रश्न 25.
‘सार्क’ (SAARC) के प्रारम्भिक सदस्य देशों की संख्या कितनी थी? इनके नाम लिखें।
उत्तर:
सार्क प्रारम्भिक सदस्य देशों की संख्या सात थी, जिसमें भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, मालद्वीप, नेपाल तथा श्रीलंका शामिल हैं।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

1. निम्नलिखित में से कौन-सा देश दक्षिण एशिया के देशों में शामिल हैं
(A) भारत
(B) पाकिस्तान
(C) श्रीलंका
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

2. सार्क एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय संगठन है
(A) यूरोप का
(B) दक्षिण एशिया का
(C) अफ्रीका का
(D) दक्षिण अमेरिका।
उत्तर:
(B) दक्षिण एशिया का।

3. 14वें सार्क सम्मेलन में किस देश को सार्क में शामिल किया गया ?
(A) अफ़गानिस्तान
(B) भारत
(C) चीन
(D) पाकिस्तान।
उत्तर:
(A) अफ़गानिस्तान।

4. वर्तमान में नेपाल किस प्रकार का राष्ट्र है ?
(A) हिन्दू राष्ट्र
(B) मुस्लिम राष्ट्र
(C) ईसाई राष्ट्र
(D) धर्म-निरपेक्ष राष्ट्र।
उत्तर:
(D) धर्म-निरपेक्ष राष्ट्र।

5. भारतीय संसद् पर आतंकवादी हमला कब हुआ ?
(A) 13 दिसम्बर, 1999 को
(B) 11 जनवरी, 2001 को
(C) 13 दिसम्बर, 2001 को
(D) 11 जनवरी, 2002 को।
उत्तर:
(C) 13 दिसम्बर, 2001 को।

6. सार्क की स्थापना कब की गई थी ?
(A) 1990
(B) 1985
(C) 1980
(D) 1979.
उत्तर:
(B) 1985.

7. ‘सार्क’ (SAARC) का प्रथम शिखर सम्मेलन निम्नलिखित देश में हुआ
(A) भारत में
(B) पाकिस्तान में
(C) बांग्लादेश में
(D) श्रीलंका में।
उत्तर:
(C) बांग्लादेश में।

8. ‘सार्क’ (SAARC) का मुख्यालय स्थित है
(A) नई दिल्ली (भारत) में
(B) कराची (पाकिस्तान) में
(C) काठमांडू (नेपाल) में
(D) कोलम्बो (श्रीलंका) में।
उत्तर:
(C) काठमांडू (नेपाल) में।

9. परवेज मुशर्रफ ने किस वर्ष प्रधानमन्त्री नवाज शरीफ का तख्ता पलट किया था ?
(A) 1999 में
(B) 2000 में
(C) 2001 में
(D) 2002 में।
उत्तर:
(A) 1999 में।

10. नेपाल में लोगों ने किस वर्ष राजतन्त्र के विरुद्ध सफल आन्दोलन किया ?
(A) 2007 में
(B) 2005 में
(C) 2006 में
(D) 2004 में।
उत्तर:
(C) 2006 में।

11. दक्षिण एशियाई देशों में सबसे लोकप्रिय खेल कौन-सा है ?
(A) हॉकी
(B) फुटबाल
(C) क्रिकेट
(D) बॉक्सिंग।
उत्तर:
(C) क्रिकेट।

12. मालदीव कब गणतन्त्र बना ?
(A) 1968 में
(B) 1969 में
(C) 1970 में
(D) 1971 में।
उत्तर:
(A) 1968 में।

13. श्रीलंका ने किस वर्ष स्वतन्त्रता प्राप्त की?
(A) 1947 में
(B) 1957 में
(C) 1948 में
(D) 1958 में।
उत्तर:
(C) 1948 में।

14. 1965 में भारत पर किस देश ने आक्रमण किया था ?
(A) पाकिस्तान
(B) चीन
(C) अमेरिका
(D) इरान।
उत्तर:
(A) पाकिस्तान।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 5 समकालीन दक्षिण एशिया

15. बांग्लादेश की स्थापना हुई :
(A) सन् 1950 में
(B) सन् 1965 में
(C) सन् 1971 में
(D) सन् 1981 में।
उत्तर:
(C) सन् 1971 में।

16. 1971 में बांग्लादेश के मुद्दे पर किस देश ने भारत पर आक्रमण किया ?
(A) श्रीलंका
(B) पाकिस्तान
(C) अमेरिका
(D) जापान।
उत्तर:
(B) पाकिस्तान।

17. निम्नलिखित में से कौन-सा भारत का पड़ोसी देश है ?
(A) पाकिस्तान
(B) अमेरिका
(C) इंग्लैण्ड
(D) रूस।
उत्तर:
(A) पाकिस्तान।

18. निम्न में से एक भारत का पड़ोसी देश नहीं है?
(A) पाकिस्तान
(B) चीन
(C) जापान
(D) बांग्लादेश।
उत्तर:
(C) जापान।

19. भारत का विभाजन कब हुआ ?
(A) 1919
(B) 1945
(C) 1949
(D) 1947.
उत्तर:
(D) 1947.

20. भारत के विभाजन से कौन-सा नया देश अस्तित्व में आया ?
(A) रूस
(B) जर्मनी
(C) पाकिस्तान
(D) जापान।
उत्तर:
(C) पाकिस्तान।

21. सन् 1971 में भारत-पाक युद्ध के समय भारत का प्रधानमन्त्री कौन था ?
(A) जवाहर लाल नेहरू
(B) इन्दिरा गांधी
(C) मोरारजी देसाई
(D) चरण सिंह।
उत्तर:
(B) इन्दिरा गांधी।

22. शिमला समझौता कब हुआ ?
(A) सन् 1962 में
(B) सन् 1972 में
(C) सन् 1974 में
(D) सन् 1976 में।
उत्तर:
(B) सन् 1972 में।

23. ‘शिमला समझौता’ किनके बीच हुआ था?
(A) भारत-चीन के
(B) चीन-पाकिस्तान के
(C) भारत-पाकिस्तान के
(D) भारत-रूस के।
उत्तर:
(C) भारत-पाकिस्तान के।

24. “भूटान अथवा नेपाल पर कोई भी आक्रमण भारत पर आक्रमण माना जायेगा।”यह किसका कथन है ?
(A) श्रीमती इन्दिरा गांधी
(B) सरदार पटेल
(C) पं० नेहरू
(D) राजगोपालाचार्य।
उत्तर:
(C) पं० नेहरू।

25. ‘सार्क’ (SAARC) की स्थापना कब हुई?
(A) 1982 में
(B) 1985 में
(C) 1986 में
(D) 1990 में।
उत्तर:
(B) 1985 में।

26. ‘कच्छथीव द्वीप’ विवाद का मसला किन देशों के मध्य है ?
(A) भारत-पाकिस्तान
(B) भारत-बांग्लादेश
(C) भारत-श्रीलंका
(D) भारत-नेपाल।
उत्तर:
(C) भारत-श्रीलंका।

27. सार्क के अब तक कितने सम्मेलन हो चुके हैं ?
(A) 10
(B) 11
(C) 12
(D) 18.
उत्तर:
(D) 18.

28. 18वां सार्क सम्मेलन कहां पर हुआ ?
(A) नेपाल
(B) पाकिस्तान
(C) भारत
(D) भूटान।
उत्तर:
(A) नेपाल।

29. सार्क का उद्देश्य है
(A) दक्षिण एशियाई देशों में सहयोग बढ़े
(B) दक्षेस के राज्य समस्याओं का समाधान शान्तिपूर्ण ढंग से करें
(C) दक्षिण एशिया के देशों में सामूहिक आत्मविश्वास पैदा करना
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

30. ‘सार्क’ (SAARC) के गठन का प्रारम्भिक विचार किस नेता ने दिया ?
(A) राजीव गांधी
(B) जिया उर-रहमान ने
(C) बेनजीर भुट्टो ने
(D) जी० पी० कोइराला ने।
उत्तर:
(B) जिया उर-रहमान ने।

31. सन् 1966 में भारत और पाकिस्तान के बीच कौन-सा समझौता हुआ ?
(A) लाहौर समझौता
(B) ताशकन्द समझौता
(C) शिमला समझौता
(D) आगरा समझौता।
उत्तर:
(B) ताशकन्द समझौता।

32. निम्नलिखित देशों में से सार्क (SAARC) का सदस्य है ?
(A) भारत
(B) इंग्लैण्ड
(C) अमेरिका
(D) रूस।
उत्तर:
(A) भारत।

33. निम्नलिखित देशों में से ‘सार्क’ (SAARC) का सदस्य नहीं है ?
(A) भारत
(B) पाकिस्तान
(C) बांग्लादेश
(D) चीन।
उत्तर:
(D) चीन।

34. साफ्टा को कब लागू करने का निर्णय लिया गया ?
(A) 1 जनवरी, 2002
(B) 1 जनवरी, 2003
(C) 1 जनवरी, 2004
(D) 1 जनवरी, 2006.
उत्तर:
(D) 1 जनवरी, 2006.

35. वर्तमान में ‘सार्क’ (SAARC) में कितने देश हैं ?
(A) छह
(B) सात
(C) आठ
(D) नौ।
उत्तर:
(C) आठ।

36. सार्क का 14वां शिखर सम्मेलन किस देश में हुआ ?
(A) भारत में
(B) पाकिस्तान में
(C) श्रीलंका में
(D) अफ़गानिस्तान में।
उत्तर:
(A) भारत में।

37. निम्न में से एक देश ‘सार्क’ का सदस्य नहीं है ?
(A) भारत
(B) पाकिस्तान
(C) भूटान
(D) चीन।
उत्तर:
(A) चीन।

38. अब नेपाल किस प्रकार का राष्ट्र है ?
(A) धर्म निरपेक्ष राष्ट्र
(B) मुस्लिम राष्ट्र
(C) हिन्दू राष्ट्र
(D) ईसाई राष्ट्र।
उत्तर:
(A) धर्म निरपेक्ष राष्ट्र।

39. फरक्का समस्या का सम्बन्ध है
(A) भारत-श्रीलंका से
(B) भारत-बांग्लादेश से
(C) भारत-भूटान से
(D) भारत-चीन से।
उत्तर:
(B) भारत-बांग्लादेश से।

रिक्त स्थान भरें

(1) सन् 2006 से, नेपाल एक ……………….. राज्य है।
उत्तर:
लोकतन्त्रीय,

(2) श्रीलंका ने अंग्रेजों से सन् …………….. में स्वतन्त्रता प्राप्त की।
उत्तर:
1948

(3) कच्चा टीबू द्वीप विवाद का मसला भारत और ………… के बीच है।
उत्तर:
श्रीलंका

(4) पाकिस्तान के वर्तमान प्रधानमन्त्री ………….. हैं।
उत्तर:
इमरान खान

(5) चकमा शरणार्थी समस्या भारत और ………….. के मध्य है।
उत्तर:
बांग्लादेश

(6) पाकिस्तान की स्थापना का मुख्य कारण भारत का ………… था।
उत्तर:
विभाजन

(7) मई 2014 में पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री श्री …………….. भारत आए।
उत्तर:
नवाज शरीफ

(8) नेपाल में सन् ……………. में लोकतन्त्र की स्थापना हुई।
उत्तर:
2006

(9) सार्क (SAARC) का सचिवालय …………… में स्थित है।
उत्तर:
काठमाण्डू।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर दें

प्रश्न 1.
सार्क (SAARC) के किस सदस्य देश में आज भी राजतंत्र मौजूद है ?
अथवा
किस सार्क (SAARC) देश में वर्तमान में भी राजतंत्र है ?
उत्तर:
भूटान में।

प्रश्न 2.
वर्तमान में SAARC (दक्षेस) के कुल कितने देश सदस्य हैं ?
उत्तर:
वर्तमान में दक्षेस के कुल आठ देश सदस्य हैं।

प्रश्न 3.
बांग्लादेश की स्थापना कब हुई ?
अथवा
बांग्लादेश कब अस्तित्व में आया ?
उत्तर:
बांग्लादेश की स्थापना सन्1971 में हुई।

प्रश्न 4.
दक्षिण एशिया का कौन-सा देश सैनिक तानाशाही से प्रभावित रहा है ?
उत्तर:
पाकिस्तान।

प्रश्न 5.
अमेरिका ने किस वर्ष अफगानिस्तान पर हमला किया ?
उत्तर:
अमेरिका ने अफगानिस्तान पर सन् 2001 में हमला किया।

प्रश्न 6.
भारतीय संसद् पर आतंकवादी हमला कब हुआ ?
उत्तर:
भारतीय संसद् पर आतंकवादी हमला दिसम्बर, 2001 में हुआ।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 5 समकालीन दक्षिण एशिया

प्रश्न 7.
चकमा शरणार्थी समस्या किन दो देशों के मध्य बनी हुई है ?
उत्तर:
भारत-बांग्लादेश के बीच।

प्रश्न 8.
जनसंख्या की दृष्टि से विश्व में भारत का कौन-सा स्थान है ?
उत्तर:
जनसंख्या की दृष्टि से विश्व में भारत का दूसरा स्थान है।

प्रश्न 9.
भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान में स्थित आतंकवादी ठिकाने बालाकोट पर कब हमला किया ?
उत्तर:
26 फरवरी, 2019 को।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 5 समकालीन दक्षिण एशिया Read More »

HBSE 12th Class Sociology Solutions Chapter 8 सामाजिक आंदोलन

Haryana State Board HBSE 12th Class Sociology Solutions Chapter 8 सामाजिक आंदोलन Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Sociology Solutions Chapter 8 सामाजिक आंदोलन

HBSE 12th Class Sociology सामाजिक आंदोलन Textbook Questions and Answers

पाठ्य-पुस्तक के प्रश्न

प्रश्न 1.
एक ऐसे समाज की कल्पना कीजिए जहाँ कोई सामाजिक आंदोलन न हुआ हो, चर्चा करें। ऐसे समाज की कल्पना आप कैसे करते हैं, इसका भी आप वर्णन कर सकते हैं।
उत्तर:
इस प्रश्न का उत्तर विद्यार्थी अपने अध्यापक की सहायता से स्वयं दें।

प्रश्न 2.
निम्न पर लघु टिप्पणी लिखें (i) महिलाओं के आंदोलन (i) जनजातीय आंदोलन
अथवा
जनजातीय आंदोलनों की संक्षेप में चर्चा कीजिए।
अथवा
महिला आंदोलन पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
(i) महिलाओं के आंदोलन-प्राचीन समय से ही महिलाओं से संबंधित बहुत सी कुरीतियां भारतीय समाज में व्यापत थीं। 20वीं शताब्दी की शुरुआत में राष्ट्रीय तथा स्थानीय स्तर के कई महिला संगठन सामने आए। विमेंस इंडिया एसोसिएशन 1971 आल-इंडिया विमेंस 1926, नेशनल कांऊसिल फॉर विमेंन इन इंडिया इत्यादि कई प्रमुख महिला संगठन थे। इनमें से कईयों की शुरुआत सीमित कार्यक्षेत्र में हुई परंतु इनका कार्यक्षेत्र समय के साथ साथ विस्तृत हो गया।

उदाहरण के लिए ए० आई० डब्ल्यू० सी० का कहना था कि महिला कल्याण तथा राजनीति का आपस में कोई संबंध नहीं है। कुछ सालों के बाद उसके अध्यक्ष ने कहा था कि, “क्या भारतीय पुरुष तथा स्त्री स्वतंत्र हो सकते हैं यदि भारत गुलाम रहे ? हम अपनी राष्ट्रीय स्वतंत्रता, जोकि सभी महान् सुधारों का आधार है के बारे में चुप कैसे रह सकते हैं ?” यह तर्क दिया जा सकता हैं कि सक्रियता का यह काल सामाजिक आंदोलन नहीं था। इसका विरोध भी किया जा सकता था।

आम तौर पर यह माना जाता है कि केवल मध्य वर्ग की पढ़ी-लिखी स्त्रियां ही सामाजिक आंदोलन में भाग लेती हैं। संघर्ष का एक भाग स्त्रियों के भाग लेने के अविश्वसनीय इतिहास को याद करता रहा है। अंग्रेजों के राज्य में कबाइली तथा ग्रामीण क्षेत्रों में शुरू होने वाले संघर्षों तथा क्रांतियों में महिलाओं ने मर्दो के साथ भाग लिया। उदाहरण के लिए बंगाल में विभागा आंदोलन, निज़ाम के पूर्वशासन का तेलंगाना सशस्त्र संघर्ष तथा महाराष्ट्र में वरली जनजाति के बंधुआ दासत्व के विरुद्ध क्रांति।

एक मुद्दा जो साधारणतया उठाया जाता है कि अगर स्वतंत्रता से पहले महिला आंदोलन चल रहे थे तो स्वतंत्रता के बाद उसका क्या हुआ। इसके पक्ष में यह कहा जा सकता है कि राष्ट्रीय आंदोलन में हिस्सा लेने वाली बहुत सी महिलाएँ राष्ट्र निर्माण के कार्यों में लग गईं। परंतु कई लोग विभाजन के आघात को इस आंदोलन के रुकने के लिए उत्तरदायी मानते हैं। 1970 के दशक के मध्य में भारत में महिला आंदोलन दोबारा चले। कुछ लोग इसे भारतीय महिला आंदोलन का दूसरा दौर कहते हैं।

चाहे बहुत सी समस्याएँ उसी प्रकार बनी रहीं परंतु फिर भी विचारधाराओं तथा संगठनात्मक राजनीति में कई परिवर्तन आए। स्वायत्त महिला आंदोलन कहे जाने वाले आंदोलन बढ़ गए। स्वायत्त का अर्थ उन महिला संगठनों से है जिनके संबंध राजनीतिक दलों से थे। यह स्वायत्तशासी अथवा राजनीतिक दलों से स्वतंत्र थी। यह महसूस किया गया कि राजनीतिक दलों की प्रवृत्ति महिलाओं के मुद्दों को अलग-अलग रखने की है।

संगठनात्मक परिवर्तन के अतिरिक्त कई और मुद्दों पर भी ध्यान दिया गया। उदाहरण के लिए महिलाओं के विरुदध हिंसा के बारे में वर्षों से कई अभियान चलाए गए हैं। आपने देखा होगा कि स्कूल के प्रर्थाना पत्र पर माता पिता दोनों के नाम होते हैं, यह आंदोलन के कारण ही हुआ है। इसी तरह महिलाओं के आंदोलन के कारण बहुत से महत्त्वपूर्ण कानूनी परिवर्तन हुए हैं। भूमि के स्वामित्व, रोज़गार के मुद्दों की लड़ाई, यौन उत्पीड़न तथा दहेज के विरुद्ध अधिकारों की माँग के साथ लड़ी गई हैं।

(ii) जनजातीय आंदोलन-देश भर में फैले अलग-अलग जनजातीय समूहों के मुद्दे समान हो सकते हैं परंतु उनके अंतर भी उतने ही महत्त्वपूर्ण हैं। जनजातीय आंदोलन मुख्यता मध्य भारत की जनजातीय बैल्ट में ही बने रहे जैसे कि छोटा नागपुर व संथाल परगना में स्थित संथाल, हो, ओरांव व मुंडा। नया गठित झारखंड राज्य भी इन्ही से बना है।

सन् 2000 में झारखंड राज्य को दक्षिण बिहार से काटकर बनाया गया था। इस राज्य की स्थापना के पीछे एक सदी से अधिक का विरोध है। बिरसा मुंडा ने अंग्रेजों के विरुद्ध एक बड़े विद्रोह का नेतृत्व किया था। उसके बाद वह इस आंदोलन का मुख्य प्रतीक बन गया। उसकी कहानियाँ तथा गीत पूरे झारखंड में पाए जाते हैं। ईसाई मिशनरियों ने इनके क्षेत्र में साक्षरता का प्रसार किया तथा साक्षर आदिवासियों ने अपने इतिहास बारे शोध करना शुरू किया। उन्होंने जनजातीय प्रथाओं के बारे में जानकारी एकत्र करके लिखी। इससे उन्हें संगठित चेतना तथा साझी पहचान मिली।

पढ़े-लिखे आदिवासियों को सरकारी नौकरियाँ प्राप्त हुईं जिससे एक मध्यवर्गीय आदिवासी बुद्धिजीवी वर्ग सामने आया। इसने अलग राज्य की माँग उठायी तथा इसका भारत और विदेशों में प्रचार किया। दक्षिण बिहार के आदिवासी इलाकों में प्रवासी व्यापारी तथा महाजन (दिक्कु) आकर बस गए तथा उन्होंने मूल निवासियों की संपदा पर अधिकार कर लिया।

मूल आदिवासी दिक्कुओं से घृणा करते थे। इन खनिज संपन्न क्षेत्रों में उद्योगों से मिलने वाले अधिकतर लाभ दिक्कु प्राप्त कर लेते थे। आदिवासियों ने इसे अलग-थलग करने की प्रक्रिया तथा अन्याय के बोध को समझा तथा झारखंड की सांझी पहचान बनाने के लिए सामूहिक कार्यवाही शुरू की। इस कारण ही अतः पृथक् राज्य का निर्माण हुआ।

HBSE 12th Class Sociology Solutions Chapter 8 सामाजिक आंदोलन

प्रश्न 3.
भारत में पुराने तथा नए सामाजिक आंदोलनों में स्पष्ट भेद करना कठिन है। क्यों?
उत्तर:
भारत में कृषकों, महिलाओं, दलितों, जनजातीय तथा और सभी प्रकार के सामाजिक आंदोलन हुए हैं। क्या इन आंदोलनों को नए सामाजिक आंदोलन कहा जा सकता है? गेल ऑमवेट ने अपनी पुस्तक रीइन्वेंटिंग रिवोल्यूशन में कहा है कि सामाजिक असमानता तथा संसाधनों के बारे में असमान वितरण के बारे में चिंताएँ इन आंदोलनों के आवश्यक तत्त्व थे।

कृषक आंदोलनों ने अपने उत्पाद के अधिक मूल्य तथा कृषि से संबंधित सब्सिडी हटाए जाने के विरुद्ध लोगों को गतिशील किया था। दलित आंदोलन में मजदूरों ने यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया कि उच्च जातियों के ज़मींदार तथा महाजन उनका शोषण न कर सकें। महिलाओं के आंदोलनों ने लिंग भेद के मुद्दे पर दफतरों तथा परिवार के अंदर जैसे अलग-अलग दायरों में कार्य किया है।

इसके साथ ही यह नए सामाजिक आंदोलन आर्थिक असमानता के पुराने मुद्दों के बारे में नहीं हैं तथा न ही यह वर्ग के आधार पर संगठित हैं। इनके आवश्यक तत्त्व हैं पहचान की राजनीति, सांस्कृतिक चिंताएँ तथा इच्छाएँ। हम इनकी उत्पत्ति को वर्ग आधारित असमानता में नहीं ढूँढ़ सकते। आमतौर पर यह सामाजिक आंदोलन वर्ग की सीमाओं के आर-पार से भागीदारों को एक जुट करते हैं।

उदाहरण के लिए महिलाओं के आंदोलन में ग्रामीण, नगरीय, गरीब, कृषक, पढ़ी-लिखी, अनपढ़ महिलाओं ने भाग लिया है। अलग राज्य की माँग करने वाले क्षेत्रीय आंदोलन लोगों के ऐसे अलग समूहों को अपने साथ मिलाते हैं जो एक ही जाति से संबंध नहीं रखते। सामाजिक आंदोलन में सामाजिक असमानता के प्रश्न, दूसरे समान रूप में महत्त्वपूर्ण मुद्दों को शामिल किया जा सकता है।

प्रश्न 4.
पर्यावरणीय आंदोलन प्रायः आर्थिक एवं पहचान के मुद्दों को भी साथ लेकर चलते हैं। विवेचना कीजिए।
उत्तर:
आधुनिक समय में सबसे अधिक जोर विकास तथा प्रगति पर दिया गया है। सदियों से ही संसाधनों का अनियंत्रित प्रयोग हो रहा है जिससे प्राकृतिक संसाधनों का अत्याधिक शोषण हो रहा है तथा यह ही चिंता का एक विषय बना हुआ है। विकास के इस प्रतिरूप की आलोचना का एक और कारण यह भी है कि यह मानता है कि विकास का सभी लोगों को समान लाभ प्राप्त होगा।

परंतु बड़े बाँध लोगों को उनके घरों तथा जीवन जीने के स्रोतों से दूर कर देते हैं तथा उद्योग किसानों को उनके घरों तथा खेतों से। औद्योगिक प्रदूषण की तो एक अलग ही कहानी है। यहाँ हम पारिस्थितिकीय आंदोलन से जुड़े विभिन्न मुद्दों का पता करने के लिए उसका केवल एक उदाहरण ले रहे है।

रामचंद्र गुहा की पुस्तक अनक्वाइट वुड्स में लिखा है कि गाँव के लोग अपने गाँवों के नज़दीक के ओक तथा रोहो डेंड्रोन के जंगलों को कटने से बचाने के लिए इक्ट्ठे होकर आगे आए। जब जंगल के ठेकेदार पेड़ों को काटने के लिए आए वो गाँवों के लोग, विशेषतया महिलाएँ, पेड़ों से चिपक गए ताकि वे पेड़ न काट सकें।

यहाँ पर गाँव के लोगों के जीवन जीने के साधन दाँव पर थे। सभी लोग जंगलों पर लकड़ी, चारा तथा और दैनिक ज़रूरतों के लिए निर्भर थे। इस संघर्ष के कारण गाँव वाले सरकार की जंगलों से राजस्व कमाने की इच्छा के आगे खड़े हो गए। यहां पर जीवन जीने की अर्थव्यवस्था मुनाफा कमाने की अर्थव्यवस्था के सामने आ खड़ी हुई।

सामाजिक असमानता के इस मुद्दे के साथ चिपको आंदोलन के रूप में पारिस्थितिकीय सुरक्षा का मुद्दा भी जुड़ गया। जंगलों को काटना प्रकृति का विनाश था जिसके परिणामस्वरूप गाँव में बाढ़ आयी तथा भूस्खलन हुए। गाँव के लोगों के लिए यह लाल तथा हरे मुद्दे अंतः संबंधित थे।

उनकी जीविका जंगलों पर निर्भर थी तथा वे जंगलों का सभी को लाभ देने वाली संपदा के रूप में आदर करते थे। इसके साथ ही चिपको आंदोलन ने दूर मैदानी क्षेत्रों के सरकारी दफतरों में बैठे अफसरों के प्रति अपना रोष तथा चिंताएँ प्रकट की। इस प्रकार चिपको आंदोलन के मुख्य आधार अर्थव्यवस्था, पारिस्थितिकीय तथा राजनीतिक प्रतिनिधित्व की चिताएँ थीं।

प्रश्न 5.
कृषक एवं नव किसान आंदोलनों के मध्य अंतर बताइए।
उत्तर:
कृषक आंदोलनों में जो मुद्दे उठे वह थे ज़मींदारी का उन्मूलन, भू-सुधार, किसानों का शोषण बंद करना, हदबंदी कानून इत्यादि तथा यह आंदोलन स्वतंत्रता से पहले चले थे। पंरतु नव किसान आंदोलन स्वतंत्रता के बाद चले थे तथा इनके मुख्य मुद्दे थे अपने उत्पादों का अधिक मूल्य प्राप्त करना, किसानों को मिलने वाली सब्सिडियां खत्म न होने देना, किसानों की खुशहाली तथा उनके कर्जे माफ करना। इस प्रकार कृषक तथा नव किसान आंदोलनों में उनकी प्रकृति के कारण अंतर पाया जाता है।

सामाजिक आंदोलन HBSE 12th Class Sociology Notes

→ आज के समय में सभी व्यक्तियों को सामान्य जीवन जीने के लिए कुछ अधिकार प्राप्त हैं। परंतु कम लोगों को ही यह पता है कि यह अधिकार लंबे संघर्ष तथा किसी न किसी सामाजिक आंदोलन के कारण लोगों को प्राप्त हुआ है।

→ सामाजिक आंदोलन न केवल समाज को बदलते हैं बल्कि यह अन्य सामाजिक आंदोलनों को भी प्रेरणा देते हैं। सामाजिक आंदोलन में एक लंबे समय तक निरंतर सामूहिक गतिविधियों की आवश्यकता होती है तथा मुख्यतः यह किसी जनहित मामले में परिवर्तन लाने के उद्देश्य से उत्पन्न होते हैं। उदाहरण के लिए राजा राम मोहनराय ने सती प्रथा के विरुद्ध लंबे समय तक आंदोलन चलाया तथा सती प्रथा को गैर-कानूनी घोषित करवा कर ही दम लिया।

→ सामाजिक आंदोलनों के कई प्रकार होते हैं जैसे कि सुधारवादी, प्रतिदानात्मक तथा क्रांतिकारी। सुधारवादी आंदोलन समाज में सुधार लाना चाहते हैं। प्रतिदानात्मक आंदोलन अपने व्यक्तिगत सदस्यों में व्यक्तिगत चेतना तथा गतिविधियों में परिवर्तन लाना चाहते हैं। क्रांतिकारी आंदोलन सामाजिक संबंधों के आमूल रूपांतरण का प्रयास करते हैं।

→ हमारे देश में समय-समय पर बहुत से आंदोलन चले। किसान आंदोलन वैसे तो 10वीं शताब्दी में शुरू हुए परंतु आज तक यह चल रहे हैं। इनका मुख्य उद्देश्य किसानों तथा कृषकों की स्थिति में सुधार लाना तथा उनकी माँगें सरकार के सामने उठा कर उन्हें सरकार द्वारा मनवाना होता है।

HBSE 12th Class Sociology Solutions Chapter 8 सामाजिक आंदोलन

→ कामगारों का आंदोलन कारखानों, फैक्टरियों में कार्य कर रहे मजदूरों की माँगों के लिए आवाज़ उठाना था ताकि उनकी निम्न स्थिति में कुछ सुधार किया जा सके।

→ इसी प्रकार दलित आंदोलन तथा पिछड़े वर्ग एवं जातियों के आंदोलन भी चले। इनका भी मुख्य उद्देश्य दलितों तथा पिछड़े वर्गों की सामाजिक स्थिति को ऊँचा उठाना तथा उन्हें समाज में ऊँचा स्थान दिलाना था।

→ दक्षिण बिहार को काटकर नवंबर 2000 में झारखंड राज्य का निर्माण किया गया था। इस राज्य का निर्माण लंबे समय तक चले जनजातीय आंदोलन का परिणाम था। इसी प्रकार पूर्वोत्तर राज्यों में जनजातीय आंदोलन चले तथा इनका मुख्य मुद्दा था जनजातीय लोगों का वन-भूमि से विस्थापन।

→ हमारे समाज में प्राचीन समय से ही महिलाओं से संबंधित बहुत सी कुरीतियां व्याप्त थीं। इन सब कुरीतियों को दूर करने के लिए तथा समाज में स्त्रियों की सामाजिक स्थिति को ऊँचा उठाने के लिए समय-समय पर महिला आंदोलन चले।

इस प्रकार अगर हम अपने देश के इतिहास की तरफ देखें तो हमें पता चलता है कि समय-समय पर देश में अलग-अलग प्रकार के सामाजिक आंदोलन चले ताकि देश के दबे, कुचले तथा निम्न वर्गों की स्थिति को ऊपर उठाया जा सके।

→ सार्वभौमिक वयस्क-प्रत्येक वयस्क के वोट देने के अधिकार को सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार कहते हैं।

→ प्रतिरोधी आंदोलन-सामाजिक आंदोलन के विरोध में तथा यथास्थिति बना कर रखने के लिए चलाए गए आंदोलन।

→ प्रतिदानात्मक सामाजिक आंदोलन-वह सामाजिक आंदोलन जिनका उद्देश्य अपने व्यक्तिगत सदस्यों की व्यक्तिगत चेतना तथा गतिविधियों में परिवर्तन लाना होता है।

→ सुधारवादी आंदोलन-वह आंदोलन जो परंपरागत मान्यताओं में सुधार लाने के लिए चलाए गए थे।

HBSE 12th Class Sociology Solutions Chapter 8 सामाजिक आंदोलन Read More »

HBSE 12th Class Political Science Solutions Chapter 5 समकालीन दक्षिण एशिया

Haryana State Board HBSE 12th Class Political Science Solutions Chapter 5 समकालीन दक्षिण एशिया Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Political Science Solutions Chapter 5 समकालीन दक्षिण एशिया

HBSE 12th Class Political Science समकालीन दक्षिण एशिया Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
देशों की पहचान करें
(क) राजतन्त्र, लोकतन्त्र-समर्थक समूहों और अतिवादियों के बीच संघर्ष के कारण राजनीतिक अस्थिरता का वातावरण बना।
(ख) चारों तरफ भूमि से घिरा देश।
(ग) दक्षिण एशिया का वह देश जिसने सबसे पहले अपनी अर्थव्यवस्था का उदारीकरण किया।
(घ) सेना और लोकतन्त्र-समर्थक समूहों के बीच संघर्ष में सेना ने लोकतन्त्र के ऊपर बाजी मारी
(ङ) दक्षिण एशिया के केन्द्र में अवस्थित। इन देशों की सीमाएँ दक्षिण एशिया के अधिकांश देशों से मिलती हैं।
(च) पहले इस द्वीप में शासन की बागडोर सुल्तान के हाथ में थी। अब यह एक गणतन्त्र है।
(छ) ग्रामीण क्षेत्र में छोटी बचत और सहकारी ऋण की व्यवस्था के कारण इस देश को गरीबी कम करने में मदद मिली है।
(ज) एक हिमालयी देश जहाँ संवैधानिक राजतन्त्र है। यह देश भी हर तरफ से भूमि से घिरा है।
उत्तर:
(क) नेपाल,
(ख) नेपाल,
(ग) श्रीलंका,
(घ) पाकिस्तान,
(ङ) भारत,
(च) मालद्वीप,
(छ) बांग्लादेश,
(ज) भूटान।

प्रश्न 2.
दक्षिण एशिया के बारे में निम्नलिखित में से कौन-सा कथन ग़लत है ?
(क) दक्षिण एशिया में सिर्फ एक तरह की राजनीतिक प्रणाली चलती है।
(ख) बांग्लादेश और भारत ने नदी-जल की हिस्सेदारी के बारे में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
(ग) ‘साफ्टा’ पर हस्ताक्षर इस्लामाबाद के 12वें सार्क-सम्मेलन में हुए।
(घ) दक्षिण एशिया की राजनीति में चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
उत्तर:
(क) दक्षिण एशिया में सिर्फ एक तरह की राजनीतिक प्रणाली चलती है।

प्रश्न 3.
पाकिस्तान के लोकतन्त्रीकरण में कौन-कौन सी कठिनाइयाँ हैं ?
उत्तर:
पाकिस्तान में सैनिक हस्तक्षेप, कट्टरतावाद, आतंकवाद, धर्मगुरु एवं भूस्वामी अभिजनों के सामाजिक प्रभाव ने लोकतन्त्र के मार्ग में कठिनाइयां पैदा की हैं। पाकिस्तान में विशेषकर सैनिक तानाशाही ने लोकतन्त्र के मार्ग में सर्वाधिक रुकावटें पैदा की हैं। पाकिस्तान और भारत के कड़वाहट भरे सम्बन्धों की आड़ में पाकिस्तानी सेना ने सदैव पाकिस्तान में अपना दबदबा बनाये रखा तथा किसी भी निर्वाचित सरकार को ठीक ढंग से काम नहीं करने दिया।

प्रश्न 4.
नेपाल के लोग अपने देश में लोकतन्त्र को बहाल करने में कैसे सफल हुए ?
उत्तर:
नेपाल में समय-समय पर लोकतन्त्र के मार्ग में कठिनाइयां आती रही हैं, 2002 में नेपाल के राजा ज्ञानेन्द्र ने प्रतिनिधि सभा को भंग करके शासन की बागडोर अपने हाथ में ले ली जिससे नेपाल में लोकतन्त्र का संकट पैदा हो गया। इसके विरोध में नेपाल में व्यापक आन्दोलन हुए। राजा ज्ञानेन्द्र ने फरवरी, 2005 में देश में आपात्काल की घोषणा कर दी। लोगों की स्वतन्त्रता को समाप्त करके नेताओं को नजरबन्द कर दिया गया। इसके विरोध में राजनीतिक दलों ने अपना आन्दोलन और तेज़ कर दिया।

अप्रैल, 2006 में सात राजनीतिक दलों ने 19 दिनों तक नेपाल नरेश के विरुद्ध जोरदार आन्दोलन चलाया, जिसमें 21 लोग मारे गए तथा लगभग 5000 लोग घायल हो गए। धीरे-धीरे नेपाल नरेश पर बाहरी दबाव भी पड़ना शुरू हो गया। अन्ततः अप्रैल, 2006 में नेपाल नरेश को आपात्काल की घोषणा वापस लेनी पड़ी।

संसद् को पुनः बहाल करना पड़ा तथा गिरिजा प्रसाद कोइराला को देश का प्रधानमन्त्री नियुक्त किया। नेपाल के सांत राजनीतिक दलों ने मिलकर नये संविधान की रचना की तथा 28 मई, 2008 को पिछले 240 वर्षों से चले आ रहे राजतन्त्र को सदैव के लिए समाप्त कर दिया। 15 अगस्त, 2008 को संविधान सभा में प्रधानमन्त्री के निर्वाचन के लिए चुनाव हुआ।

इस चुनाव में सी० पी० एन० (एम०) के नेता पुष्प कमल दहल ‘प्रचण्ड’ प्रधानमन्त्री चुने गए। प्रचण्ड राजशाही समाप्त होने के पश्चात् नेपाल के प्रधानमन्त्री बने। परन्तु मई, 2009 में प्रचण्ड ने त्यागपत्र दे दिया तथा उनके स्थान पर सी०पी० एन०-यू० एम० एल० गठबन्धन ने माधव कुमार को नेपाल का प्रधानमन्त्री बनाया।

परंतु माओवादियों के विरोध के कारण माधव कुमार नेपाल को जून, 2010 में अपने पद से त्यागपत्र देना पड़ा। नेपाल में नवम्बर, 2013 में लोकतान्त्रिक ढंग से चुनाव हुए। इन चुनावों के परिणामों के आधार पर नेपाली कांग्रेस पार्टी के नेता श्री सुशील कोइराला नेपाल के प्रधानमन्त्री बने। 20 सितम्बर, 2015 को नेपाल में नया संविधान लागू किया गया। यद्यपि वर्तमान समय में नेपाल में लोकतान्त्रिक व्यवस्था बहाल हुई है, परन्तु इसे लम्बे समय तक बनाये रखने की आवश्यकता है।

HBSE 12th Class Political Science Solutions Chapter 5 समकालीन दक्षिण एशिया

प्रश्न 5.
श्रीलंका के जातीय-संघर्ष में किनकी भूमिका प्रमुख है ?
अथवा
श्रीलंका में जातीय संघर्ष पर एक लेख लिखिए।
उत्तर:
श्रीलंका की जनसंख्या का लगभग 18% भाग भारतीय मूल के तमिल हैं, जो श्रीलंका के उत्तरी और पूर्वी प्रान्तों में बसे हुए हैं। श्रीलंका की स्वतन्त्रता के बाद बहुसंख्यक सिंहलियों ने धर्म और भाषा के आधार पर एक नए राज्य के निर्माण के प्रयास शुरू कर दिए जिसका स्वाभाविक रूप से तमिलों ने विरोध किया। श्रीलंका सरकार ने सिंहलियों के लिए नौकरियों तथा शिक्षण संस्थाओं आदि में सुविधाओं की व्यवस्था की जबकि तमिलों को इससे वंचित रखा। सरकार की तमिलों के प्रति भेदभाव तथा उपेक्षा की नीति ने तमिलों को संगठित किया।

1983 में तमिल उग्रवादियों ने तमिल लिबरेशन टाइगर्स नामक संगठन बनाया। इस संगठन ने हिंसात्मक कार्यवाहियां प्रारम्भ कर दी और सरकार से सीधे संघर्ष की ठान ली। 1991 में चुनाव प्रचार के दौरान तमिल उग्रवादियों ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी की हत्या कर दी। धीरे-धीरे श्रीलंका में जातीय संघर्ष तेज़ होने लगा और विस्फोटक तथा व्यापक हत्याएं की जाने लगीं।

भारत और श्रीलंका में इस जातीय संघर्ष के लिए काफ़ी प्रयास किए गए लेकिन सफलता प्राप्त नहीं हुई। सितम्बर, 2002 में नार्वे की मध्यस्थता से श्रीलंका में जातीय संघर्ष समाप्त करने के प्रयास प्रारम्भ किए गए। इससे श्रीलंका में दो दशक से चला आ रहा खूनी संघर्ष समाप्त होने की आशा जगी है। जनवरी- फरवरी, 2009 में श्रीलंका की सेना ने लिट्टे के विरुद्ध ज़बरदस्त सैनिक अभियान चलाकर लिट्टे का लगभग सफाया कर दिया तथा मई, 2009 में लिट्टे प्रमुख प्रभाकरण भी मारा गया।

प्रश्न 6.
भारत और पाकिस्तान के बीच हाल में क्या समझौते हुए ?
उत्तर:

  • 2004 में श्रीनगर-मुज्जफराबाद के बीच बस सेवा की शुरुआत पर दोनों देशों में सहमति बनी।
  • भारत-पाक ने परस्पर आर्थिक समझौते किये।
  • भारत-पाक ने साहित्य, कला एवं संस्कृति तथा खिलाड़ियों को वीजा देने के लिए आपस में समझौता किया।
  • भारत-पाक युद्ध के खतरे को कम करने के लिए परस्पर विश्वास बहाली के उपायों पर सहमत हुए हैं।

प्रश्न 7.
ऐसे दो मसलों के नाम बताएँ जिन पर भारत-बांग्लादेश के बीच आपसी सहयोग है और इसी तरह दो ऐसे मसलों के नाम बताएँ जिन पर असहमति है।
उत्तर:
1. सहयोग के मुद्दे
(क) भारत-बांग्लादेश ने दिसम्बर, 1996 में फरक्का गंगा जल बंटवारे पर समझौता किया।
(ख) आतंकवाद-भारत-बांग्लादेश आतंकवाद के मुद्दे पर सदैव एक रहे हैं।

2. असहयोग के मुद्दे
(क) चकमा शरणार्थी-भारत-बांग्लादेश के बीच असहयोग का एक मुद्दा चकमा शरणार्थी है।
(ख) भारत विरोधी गतिविधियां-बांग्लादेश में समय-समय पर भारत विरोधी गतिविधियां होती रहती हैं।

प्रश्न 8.
दक्षिण एशिया में द्विपक्षीय सम्बन्धों को बाहरी शक्तियां कैसे प्रभावित करती हैं ?
उत्तर:
दक्षिण एशिया में सदैव विश्व के महत्त्वपूर्ण देशों ने अपने प्रभाव को जमाने का प्रयास किया है। कालान्तर में फ्रांस, हालैण्ड तथा इंग्लैण्ड ने दक्षिण एशिया में कई वर्षों तक शासन किया। वर्तमान समय में अमेरिका एवं चीन दक्षिण एशिया में द्वि-पक्षीय सम्बन्धों को प्रभावित कर रहे हैं। उदाहरण के लिए पाकिस्तान के कहने पर अमेरिका ने सदैव भारत-पाक सम्बन्धों को ठीक करने के लिए अपनी इच्छा जताई है।

परन्तु भारत ने इसे कभी स्वीकार नहीं किया। इसी तरह चीन भी पाकिस्तान के साथ महत्त्वपूर्ण सम्बन्ध बनाए हुए तथा समय-समय पर दक्षिण एशिया के देशों के परस्पर सम्बन्धों को प्रभावित करने का प्रयास करता है, परन्तु भारत ने इस प्रकार के प्रयास को अधिक महत्त्व नहीं दिया।

प्रश्न 9.
दक्षिण एशिया के देशों के बीच आर्थिक सहयोग की राह तैयार करने में दक्षेस (सार्क) की भूमिका और सीमाओं का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें। दक्षिण एशिया की बेहतरी में ‘दक्षेस’ (सार्क) ज्यादा बड़ी भूमिका निभा सके, इसके लिए आप क्या सुझाव देंगे ?
उत्तर:
आज के तकनीकी यग में कोई देश आपसी सहयोग के बिना उन्नति नहीं कर सकता। विश्व के लगभग सभी राष्ट्र आर्थिक उन्नति के लिए एक-दूसरे पर निर्भर करते हैं। इसी आपसी सहयोग को बनाने एवं बढ़ाने के विचार से दक्षिण एशिया के सात देशों ने दक्षेस की स्थापना की। सार्क ने दक्षिण एशिया के सदस्य राष्ट्रों की आर्थिक उन्नति में महत्त्वपूर्ण भूमिका अभिनीत की है।

आर्थिक सहयोग को बढ़ाने के लिए 1995 में सार्क देशों ने साफ्टा को लागू किया। इस सहयोग को और अधिक बढ़ाने के लिए सार्क के 12वें शिखर सम्मेलन में साफ्टा को वर्ष 2006 से लागू करने की अनुमति दे दी है। आर्थिक क्षेत्र में सहयोग का महत्त्व-सार्क देशों द्वारा अपनाए गए आर्थिक सहयोग कार्यक्रम का महत्त्व निम्नलिखित है

  • दक्षिण एशियाई देशों द्वारा आर्थिक रूप से एक-दूसरे से सहयोग के कारण इस क्षेत्र के लोगों के जीवन स्तर में भारी सुधार आया है।
  • इसने आर्थिक विकास को गति प्रदान की है।
  • आर्थिक सहयोग के चलते सदस्य राष्ट्रों द्वारा एक-दूसरे पर से विभिन्न प्रकार के कर हटाने से व्यापार को बढ़ावा मिला है।
  • दक्षिण एशियाई देशों की अर्थव्यवस्था में सुधार आया है।
  • आर्थिक क्षेत्र में सहयोग से सार्क देशों के सम्बन्धों में अधिक मज़बूती आई है।

सार्क सीमाएं:

  • सार्क की सफलता में सदैव भारत-पाक के कटु सम्बन्ध रुकावट पैदा करते हैं।
  • सार्क के सदस्य देश भारत जैसे बड़े देश पर पूर्ण विश्वास नहीं रख पा रहे हैं।
  • सार्क के अधिकांश देशों में आन्तरिक अशान्ति एवं अस्थिरता इसके मार्ग में रुकावट है।
  • सार्क देशों में अधिक मात्रा में अनपढ़ता, बेरोज़गारी तथा भूखमरी पाई जाती है, जोकि इसकी सफलता में बाधा पैदा करती है।

सार्क की सफलता के लिए सुझाव:

  • भारत-पाक को अपने सम्बन्धों को सार्क से दूर रखना चाहिए।
  • सार्क देशों को भारत पर विश्वास करना चाहिए।
  • सार्क की सफलता के लिए सार्क देशों में शान्ति एवं स्थिरता आवश्यक है।
  • सार्क देशों को जल्द से जल्द इस क्षेत्र से अनपढता, बेरोज़गारी तथा भूखमरी को दूर करना होगा।

प्रश्न 10.
दक्षिण एशिया के देश एक-दूसरे पर अविश्वास करते हैं। इससे अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर यह क्षेत्र एकजुट होकर अपना प्रभाव नहीं जमा पाता। इस कथन की पुष्टि में कोई भी दो उदाहरण दें और दक्षिण एशिया को मजबूत बनाने के लिए उपाय सुझाएँ।
उत्तर:
दक्षिण एशिया के देश एक-दूसरे पर विश्वास नहीं करते जिसके कारण अन्तर्राष्ट्रीय मंचों में ये देश एक सुर में नहीं बोल पाते। उदाहरण के लिए अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत-पाक के विचार सदैव एक-दूसरे के विपरीत होते हैं। दूसरी ओर सार्क के अन्य सदस्य देशों को यह डर लगा रहता है कि, भारत कहीं बड़े होने का दबाव हम पर न बनाए। परन्तु यदि हम चाहते हैं कि दक्षिण एशिया के देश मज़बूत बनें, तो इन्हें सबसे पहले आपस में विश्वास करना होगा तथा परस्पर विवादों को दूर करना होगा।

HBSE 12th Class Political Science Solutions Chapter 5 समकालीन दक्षिण एशिया

प्रश्न 11.
दक्षिण एशिया के देश भारत को एक बाहबली समझते हैं जो इस क्षेत्र के छोटे देशों पर अपना दबदबा जमाना चाहता है और उनके अन्दरूनी मामलों में दखल देता है। इन देशों की ऐसी सोच के लिए कौन कौन सी बातें ज़िम्मेदार हैं ?
उत्तर:
दक्षिण एशिया के छोटे देश भारत जैसे बड़े देश से डरते हैं, इन देशों के डरने के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं

  • भारत दक्षिण एशिया की सर्वाधिक शक्तिशाली परमाणु एवं सैनिक शक्ति है।
  • भारत विश्व की बड़ी तेज़ी से उभरती आर्थिक व्यवस्था है।
  • भारत एक महाशक्ति बनने की ओर अग्रसर है।

समकालीन दक्षिण एशिया HBSE 12th Class Political Science Notes

→ विश्व राजनीति में दक्षिण एशिया को महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है।
→ दक्षिण एशिया में भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान तथा मालद्वीप शामिल हैं।
→ दक्षिण एशिया के 7 देशों ने क्षेत्र में आर्थिक विकास के लिए 1985 में सार्क की स्थापना की।
→ सार्क के 14वें सम्मेलन में अफगानिस्तान को सार्क का आठवां सदस्य बनाया गया।
→ पाकिस्तान में लोकतान्त्रिक व्यवस्थाओं पर सदैव सैनिक तानाशाही हावी रही है।
→ नेपाल में 2015 में नया लोकतान्त्रिक संविधान लागू किया गया।
→ श्रीलंका की सबसे महत्त्वपूर्ण समस्या जातीय संघर्ष है।
→ भारत में सदैव लोकतान्त्रिक संस्थाओं ने उचित ढंग से कार्य किया है।
→ आर्थिक वैश्वीकरण का दक्षिण एशिया पर सकारात्मक एवं नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
→ सार्क देशों में राजनीतिक उथल-पुथल एवं भारत-पाक के बीच हुए युद्धों ने इस क्षेत्र के आर्थिक विकास में बाधा पहुँचाई है।
→ क्षेत्र में आर्थिक विकास के लिए सभी देशों को अपने मतभेद भुलाकर परस्पर सहयोग से कार्य करना होगा।

HBSE 12th Class Political Science Solutions Chapter 5 समकालीन दक्षिण एशिया Read More »

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 4 सत्ता के वैकल्पिक केंद्र

Haryana State Board HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 4 सत्ता के वैकल्पिक केंद्र Important Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Political Science Important Questions Chapter 4 सत्ता के वैकल्पिक केंद्र

निबन्धात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
माओ युग के पश्चात् आर्थिक रूप में उभरे चीन की व्याख्या करो।
अथवा
किस आधार पर यह कहा जा सकता है, कि 2040 तक चीन दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति होगा जो अमेरिका से आगे निकल जाएगा ? विश्लेषण कीजिए।
उत्तर:
माओ-त्से-तुंग ने 1949 में साम्यवादी क्रांति द्वारा चीन में साम्यवादी शासन की नींव रखी। इसके पश्चात् साम्यवादी चीन ने बड़ी तेज़ी से अपना विकास किया है तथा अमेरिका के मुकाबले सत्ता के एक महत्त्वपूर्ण विकल्प के रूप में सामने आया है। माओ युग के पश्चात् 1978 से आर्थिक क्षेत्र में चीन की सफलता को एक महाशक्ति के रूप में देखा जा रहा है।

आर्थिक सुधारों को लागू करके चीन ने वर्तमान समय में ऐसी स्थिति प्राप्त कर ली है, कि कई आर्थिक विशेषज्ञों का यह अनुमान है कि 2040 तक चीन की आर्थिक व्यवस्था अमेरिका की आर्थिक व्यवस्था से भी आगे निकल जायेगी। चीन की विशाल जनसंख्या, विशाल क्षेत्र तथा तकनीक उसके आर्थिक विकास के लिए बहुत मददगार साबित हो रहे हैं।

1950 एवं 1960 के दशक में चीन अपना उतना आर्थिक विकास नहीं कर पा रहा था, जितना वह चाहता था, क्योंकि तब यही विशाल जनसंख्या रुकावट बन रही थी, कृषि परम्परागत ढंग से की जा रही थी, जिससे जनसंख्या के लिए पर्याप्त भोजन उपलब्ध नहीं हो पा रहा था। इसके साथ चीन की जनसंख्या लगातार तेजी से बढ़ रही थी जो उसकी आर्थिक विकास की दर में बाधा बन रही थी।

इन सभी बाधाओं को दूर करने के लिए 1970 के दशक में चीनी शासकों ने कुछ महत्त्वपूर्ण निर्णय लिए। 1972 में चीन ने अमेरिका से अपने राजनीतिक एवं आर्थिक सम्बन्ध बनाए। 1973 में तत्कालीन प्रधानमन्त्री चाऊ-एन-लाई ने कृषि, उद्योग, सेना तथा विज्ञान प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आधुनिकीकरण के चार प्रस्ताव पेश किये। 1978 में चीनी नेता देंग श्याओपेंग ने खुले द्वार (Open Door) की नीति की घोषणा करके आर्थिक सुधारों की शुरुआत की।

चीनी नेताओं ने विवेकपूर्ण निर्णय लेते हुए रूसी आर्थिक मॉडल ‘शॉक थेरेपी’ को न अपनाकर चरणबद्ध ढंग से अपनी अर्थव्यवस्था को विश्व बाज़ार के लिए खोला। 1982 एवं 1998 में चीन ने क्रमशः कृषि एवं औद्योगिकीकरण का निजीकरण किया, ताकि विदेशी निवेशकों को आकर्षित किया जा सके।

चीन ने आर्थिक विकास के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्रों की स्थापना की। कृषि एवं उद्योगों के निजीकरण से चीन की आर्थिक व्यवस्था को मजबूती मिली। चीन अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि प्राप्त करते हुए 2001 में विश्व व्यापार संगठन में भी शामिल हो गया। वर्तमान समय में चीन एशिया की एक ऐसी आर्थिक शक्ति बन गया है, कि विश्व के सभी बड़े देश चीन के साथ अपने आर्थिक सम्बन्ध बनाये रखना चाहते हैं। 1997 में आसियान देशों में आए आर्थिक संकट को समाप्त करने में चीनी अर्थव्यवस्था ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

यद्यपि विश्व स्तर पर चीन पिछले कुछ वर्षों से एक आर्थिक शक्ति के रूप में उभरा है, परन्तु फिर भी चीनी अर्थव्यवस्था में कुछ कमियां हैं। उदाहरण के लिए चीन में लगातार बेरोज़गारी बढ़ रही है। महिलाओं की आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति में कोई बहुत आर्थिक सुधार नहीं हुआ है। चीन में अमीरों एवं ग़रीबों में भी बड़ी तेजी से अन्तर बढ़ता जा रहा है।

चीन की आर्थिक स्थिति में जो कमियां हमें दिखाई दे रही हैं, वे कमियां अधिकांश देशों में पाई जाती हैं। इस आधार पर चीन की आर्थिक व्यवस्था में विकास को कम करके नहीं आंका जा सकता। यदि आज अधिकांश देश एवं बहुराष्ट्रीय कम्पनियां चीन के साथ मिलकर व्यापार करना चाहती हैं उद्योग लगाना चाहती हैं, तो इससे स्पष्ट पता चलता है कि वर्तमान समय में चीन ने तेजी से अपना आर्थिक विकास किया है।

प्रश्न 2.
यूरोपीय संघ की रचना एवं विस्तार की व्याख्या करें।
उत्तर:
द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली आदि का यूरोप से सैनिक महत्त्व समाप्त हो गया और यूरोप में केवल एक ही बड़ी शक्ति रह गई-सोवियत संघ । सोवियत संघ ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बड़ी तेजी से पूर्वी देशों को साम्यवादी रंग में रंगना शुरू कर दिया जिसके कारण पश्चिमी यूरोप के पूंजीवादी देशों में भय पैदा हो गया। इसे ध्यान में रखते हुए ब्रिटेन के भूतपूर्व प्रधानमन्त्री चर्चिल ने यूरोपीय समुदाय की व्यवस्था की स्थापना पर बल दिया। अन्य पश्चिमी देशों ने इस पर अपनी सहमति प्रकट कर दी। उन देशों द्वारा सहमति प्रकट करने के दो कारण थे। पहला अपनी सुरक्षा के लिए मिलकर कदम उठाना।

दूसरे सामाजिक व आर्थिक एकीकरण द्वारा अपने को शक्तिशाली व खुशहाल बनाना। सर्वप्रथम इस तरह की सन्धि मार्च, 1946 में इंग्लैंड-फ्रांस के मध्य जर्मन के सम्भावित आक्रमण को ध्यान में रखकर की गई। बाद में बेल्जियम, नीदरलैंड व लक्समबर्ग भी सन्धि में शामिल हो गए। सन्धि पर हस्ताक्षर करने वाले राष्ट्रों ने वचन दिया कि यदि हस्ताक्षर करने वाले सदस्य राष्ट्रों पर कोई देश आक्रमण सा आक्रमण अन्य राष्ट्रों पर भी किया गया आक्रमण समझा जाएगा। ऐसे समय में सन्धि पर हस्ताक्षर करने वाले अन्य देश उसे सैनिक तथा दूसरे तरह की सहायता देंगे। पश्चिमी राष्ट्रों को यह डर बैठ गया था कि सोवियत संघ उनकी सुरक्षा के लिए खतरा है।

इसी सन्धि में पश्चिमी यूरोप की समृद्धि व एकीकरण के लिए इन देशों में सामाजिक तथा आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए तीन समुदायों यूरोपीय कोयला एवं इस्पात समुदाय, यूरोपीय आर्थिक समुदाय तथा यूरोपीय आण्विक ऊर्जा समुदायों की स्थापना की जिनका विस्तृत वर्णन निम्नलिखित है

(क) यूरोपीय कोयला एवं इस्पात समुदाय-इस समुदाय की स्थापना 18 अप्रैल, 1951 में फ्रांस के विदेश मन्त्री शुमा के सुझाव पर की गई। इस समुदाय का मुख्य कार्य हस्ताक्षर करने वाले सदस्य राष्ट्रों के कोयले एवं इस्पात के उत्पादन व वितरण पर नियन्त्रण रखना और इसके मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करके सदस्य राज्यों के कोयले व इस्पात के साधनों की एक सामान्य मण्डी बनाकर उनके उपयोग की सुव्यवस्था करना।

(ख) यूरोपीय आर्थिक समुदाय-1947 में अमेरिकी विदेश मन्त्री मार्शल द्वारा प्रस्तुत योजना के आधार पर ही यूरोपीय राज्यों ने आर्थिक पुनर्निर्माण के लिए 1948 में एक यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन का निर्माण किया। इस पर फ्रांस, पश्चिमी जर्मनी, बेल्जियम, इटली आदि देशों ने हस्ताक्षर किए। इस समुदाय का मुख्य उद्देश्य सदस्य देशों में चुंगी की दीवारों को गिराना तथा खेती-बाड़ी, मज़दूरों, यातायात के सम्बन्ध में नीतियां बनाना है।

विश्व के विभिन्न प्रादेशिक आर्थिक संगठनों में यूरोपीय आर्थिक समुदाय सर्वाधिक सफल रहा है। इस संगठन के सभी सदस्य समृद्ध विकसित देश हैं। अमेरिकी राज्यों के संगठन की भांति कोई एक राष्ट्र इसमें सर्वाधिक शक्तिशाली नहीं है। इसीलिए यह राष्ट्र मिलकर आर्थिक एवं औद्योगिक दृष्टि से अमेरिका व सोवियत संघ से श्रेष्ठ हो गए हैं। जर्मनी के एकीकरण के बाद इसके 12 सदस्य राष्ट्रों ने इसकी अधिक सुदृढ़ता पर बल दिया।

(ग) यूरोपीय आण्विक शक्ति समुदाय-यह संगठन यूरोप में आण्विक शक्ति का शांतिपूर्ण ढंग से प्रयोग का पक्षधर है। इसकी स्थापना जनवरी, 1958 में हुई और इसके चार्टर पर फ्रांस, जर्मनी गणराज्य, इटली, हालैण्ड, बेल्जियम और लक्मसबर्ग ने हस्ताक्षर किए। इस समुदाय का सदस्य बनने के लिए ब्रिटेन ने भी आवेदन किया जिसे अस्वीकार कर दिया गया।

(घ) यूरोपीय मुक्त व्यापार समुदाय-इस प्रादेशिक संगठन की स्थापना ब्रिटेन के प्रयासों से हुई क्योंकि यूरोपीय सामान्य मंडी से ग्रेट ब्रिटेन के आर्थिक हितों को हानि पहुंची थी। इसके अन्तर्गत तट कर कम करने की व्यवस्था की है। इसके अतिरिक्त सदस्य राष्ट्रों को गैर-सदस्य राष्ट्रों से चुंगी लेने का अधिकार प्रदान किया गया है। परन्तु ब्रिटेन को राष्ट्र मण्डल के सदस्य देशों के साथ व्यापार करने की छूट दी गई।

(ङ) यूरोपीय प्रतिरक्षा समुदाय-इस सन्धि का उद्देश्य यूरोप में एक साझी सेना, साझा बजट और राष्ट्रीय हितों से उठा हुआ एक राजनीतिक संगठन बनाना था। इसकी स्थापना मई, 1952 में हुई। इस सन्धि के परिणामस्वरूप सम्भावित साम्यवादी आक्रमण के भय को पूर्णतः खत्म कर दिया गया। परन्तु शीघ्र ही इसको समाप्त कर दिया गया, क्योंकि

  • सोवियत नेता स्टालिन की मत्य से सम्भावित रूसी आक्रमण की आशंका कम हो गई थी,
  • आण्विक हथियारों के आविष्कार ने स्थल सेना के महत्त्व को कम कर दिया।

यूरोपियन संघ का संगठन (Organisation of European Union):
यूरोपियन संघ की स्थापना 1992 में हुई। 1992 में मैस्ट्रिच सन्धि के द्वारा यूरोपीय आर्थिक समुदाय को यूरोपियन संघ में परिवर्तित कर दिया गया। यूरोपियन संघ की संगठनात्मक व्यवस्था इस प्रकार है

1. आयोग (Commission):
यूरोपियन संघ के आयोग में सदस्यों की नियुक्ति सदस्य देश चार वर्ष की अधि के लिए करते हैं। आयोग परिषद् को कार्यवाही के प्रस्ताव भेजता है। आयोग परिषद् द्वारा लिए गए निर्णयों को लागू करता है। आयोग सन्धियों की सुरक्षा का भी कार्य करता है।

2. मन्त्रिपरिषद् (Council of Ministers):
मन्त्रिपरिषद् में निर्णय बहुमत के आधार पर लिए जाते हैं, मन्त्रिपरिषद् का प्रधान पद सदस्य देशों को बारी-बारी से प्राप्त होता है।

3. यूरोपीय संसद् (European Parliament):
यूरोपीय संसद् के सदस्यों का निर्वाचन सदस्य देशों द्वारा प्रत्यक्ष रूप में किया जाता है। यूरोपीय संसद् विभिन्न वैधानिक प्रस्तावों पर सलाह देती है।

4. यूरोपीय न्यायालय (European Court of Justice):
यूरोपीय न्यायालय विभिन्न सन्धियों के विषय में पैदा होने वाले मतभेदों का निपटारा करता है।

5. यूरोपियन संघ की आर्थिक एवं सामाजिक परिषद्-यूरोपियन संघ की आर्थिक एवं सामाजिक परिषद् यूरोपियन संसद् को आर्थिक एवं सामाजिक विषय में सलाह देती है।

6. यूरोपियन निवेश बैंक (European Investment Bank):
यूरोपियन निवेश बैंक का मुख्य उद्देश्य साझे बाजार के सन्तुलित विकास के लिए कार्य करना है। युरोपियन निवेश बैंक विभिन्न कार्यों के लिए धन देकर संघ के हितों की रक्षा करता है।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 4 सत्ता के वैकल्पिक केंद्र

प्रश्न 3.
यूरोपीय संघ एक अधिराष्ट्रीय संगठन के रूप में कैसे उभरा ? इसकी सीमाएं क्या हैं ?
उत्तर:
यूरोपीय संघ यूरोप के देशों का एक महत्त्वपूर्ण संगठन है। पिछले कुछ वर्षों में यूरोपीय संघ की शक्तियों में व्यापक वृद्धि हुई है, जिसके कारण यह संगठन एक अधिराष्ट्रीय संगठन के रूप में उभरा है। यूरोपीय संघ ने अपना राजनीतिक और कूटनीतिक प्रभाव स्थापित करने के लिए चौतरफा प्रयास किये हैं। यूरोपीय संगठन यूरोपीय देशों का एक क्षेत्रीय संगठन है। यूरोपीय संघ का अपना झण्डा, गान, स्थापना दिवस तथा मुद्रा दिवस है, जो इसे शक्तिशाली स्थिति प्रदान करते हैं।

यूरोपीय संघ का विश्व राजनीति में आर्थिक, राजनीतिक, कूटनीतिक तथा सैनिक महत्त्व बहुत अधिक है। यूरोपीय संघ की अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। फ्रांस संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद् का स्थायी सदस्य है तथा इसके पास परमाणु हथियार भी हैं। यूरोपीय संघ के पास विश्व की दूसरी सबसे बड़ी सेना है। ये सभी तत्त्व यूरोपीय संघ को एक अधिराष्ट्रीय संगठन के रूप में स्थापित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। परन्तु इसके साथ-साथ यूरोपीय संघ की कुछ सीमाएँ थीं, जिनका वर्णन इस प्रकार है

  • यूरोपीय संघ के अलग-अलग देशों की अलग-अलग विदेश नीति और रक्षा नीति है, जो प्रायः एक-दूसरे के विरुद्ध जाती हैं।
  • यूरोपीय संघ के कई देशों ने अपने यहां यूरो मुद्रा लागू नहीं की। ब्रिटेन की पूर्व प्रधानमन्त्री मारग्रेट थैचर ने ब्रिटेन को यूरोपीय बाजार से अलग रखा।
  • डेनमार्क और स्वीडन ने मास्ट्रिस्ट संधि का विरोध किया।
  • जून, 2016 में इंग्लैण्ड के लोगों ने जनमत संग्रह के द्वारा यूरोपीय संघ से अलग होने का निर्णय किया, जिससे यूरोपीय संघ की प्रगति बाधित हुई।

प्रश्न 4.
‘आसियान’ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
आसियान-दक्षिण-पूर्वी एशियाई राष्ट्रों की संस्था (ASEAN-Association of South East Asian Nations) है। इनकी स्थापना वियतनामी संकट, कम्बोडिया संकट व इस क्षेत्र के देशों के पारस्परिक प्रयत्नों से विकास करने की आवश्यकता ने मिलकर दक्षिण-पूर्वी राष्ट्रों को एक क्षेत्रीय संगठन बनाने के लिए प्रेरित किया।

अगस्त, 1967 में इण्डोनेशिया, फिलीपाइन्ज, मलेशिया, थाइलैण्ड तथा सिंगापुर ने इसकी स्थापना की। 1984 में ब्रुनई भी इसका सदस्य बन गया। 1995 में वियतनाम तथा 1997 में लाओस तथा म्यांमार भी इस संगठन के सदस्य बन गए। आगे चल कर कम्बोडिया भी इसका सदस्य बन गया। आसियान दक्षिण-पूर्वी राष्ट्रों द्वारा गठित एक असैनिक, आर्थिक व सांस्कृतिक समुदाय है। इसके गठन के समय इसके निम्नलिखित उद्देश्य स्थापित किए गए

  • सदस्य देशों में आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक तथा प्रशासनिक सहयोग को बढ़ाया जाए।
  • इस क्षेत्र में आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक विकास की गति में तेजी लाई जाए।
  • क्षेत्रीय शान्ति तथा सुरक्षा स्थापित करना।
  • कृषि व्यापार तथा उद्योग के विकास में सहयोग।

आसियान की सर्वोच्च प्रमुख संस्था शिखर सम्मेलन है। इसमें सदस्य राष्ट्रों के राज्याध्यक्ष एवं शासनाध्यक्ष भाग लेते हैं। इसकी दूसरी संस्था मन्त्री सम्मेलन है। इसमें सदस्य राज्यों के विदेश मन्त्री भाग लेते हैं और वर्ष में इसकी एक बार बैठक होना अनिवार्य है। इसका स्थाई सचिवालय इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में है।

इसके प्रशासकीय कार्य महासचिव द्वारा सम्पन्न किए जाते हैं। आसियान की आर्थिक गतिविधियां (Economic Activities of ASEAN)-आसियान दक्षिण पूर्वी देशों का एक महत्त्वपूर्ण आर्थिक संगठन है। 2003 में आसियान का संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 700 बिलियन डालर था, जोकि प्रतिवर्ष औसतन 4% की दर से बढ़ रहा है।

आसियान में विश्व जनसंख्या का 8% भाग शामिल है। आसियान देशों ने अपने क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए 1998 में ‘हनोई सम्मेलन’ में दक्षिण-पूर्वी एशिया में स्वतन्त्र व्यापार (AFTA-Asean Free Trade Area) को समय से पहले ही लागू करने पर सहमति जताई। इसके अन्तर्गत ‘विजन 2020’ के अन्तर्गत क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण, वित्तीय सहयोग तथा व्यापार उदारीकरण के विभिन्न उपायों पर जोर दिया गया।

1996 में भारत को आसियान में पूर्ण वार्ताकार का दर्जा प्राप्त हुआ। भारत का आसियान देशों से लगभग ₹ 30000 करोड़ का व्यापार होता है। यद्यपि आसियान ने आर्थिक क्षेत्र में कुछ महत्त्वपूर्ण सफलताएँ प्राप्त की हैं, परन्तु फिर भी समय-समय पर इसे कुछ समस्याओं का समाना करना पड़ा है। आसियान देश से आतंकवाद से जूझ रहे हैं, इण्डोनेशिया तथा मलेशिया में धार्मिक कट्टरता को बढ़ावा मिल रहा है तथा 1998 की तरह पैदा होने वाले आर्थिक संकट आसियान को निरन्तर चुनौती दे रहे हैं।

प्रश्न 5.
आसियान में भारत की भूमिका का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
आसियान में भारत की भूमिका का वर्णन इस प्रकार है

1. भारत आंशिक वार्ताकार के रूप में सन् 1991 में भारत आसियान का आंशिक वार्ताकार भागीदार सदस्य बना था।

2. भारत पूर्ण वार्ताकार के रूप में-1995 में भारत को आसियान में पूर्ण वार्ताकार भागीदार सदस्य बना लिया गया। भारत ने इस स्थिति से लाभ उठाकर आसियान देशों से सम्बन्ध मज़बत किये।

3. दूसरा भारत-आसियान शिखर सम्मेलन 2003-7-8 अक्तूबर, 2003 में बाली (इण्डोनेशिया) में दूसरा भारत-आसियान शिखर सम्मेलन सम्पन्न हुआ। इस सम्मेलन में भारत और आसियान ने मुक्त व्यापार क्षेत्र पर हस्ताक्षर किये। भारत ने आसियान के चार सदस्य देशों कम्बोडिया, लाओस, म्यांमार और वियतनाम के लिए आयात शुल्क में एक तरफ रियायतों की पेशकश की थी।

4. तीसरा भारत-आसियान शिखर सम्मेलन 2004-30 नवम्बर 2004 को तीसरा भारत-आसियान शिखर सम्मेलन लाओस की राजधानी बैन्शियाने में हुआ। इस सम्मेलन में भारत ने आसियान के साथ मिलकर एक एशियाई आर्थिक समुदाय बनाने का सुझाव दिया था, जिसमें चीन, जापान और दक्षिण कोरिया शामिल होंगे।

5. चौथा भारत-आसियान शिखर सम्मेलन 2005-10 दिसम्बर, 2005 को मलेशिया की राजधानी कुआलालम्पुर में चौथा भारत-आसियान शिखर सम्मेलन आयोजित हुआ। इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने आसियान देशों से भारत में चूंजी निवेश करने की अपील की। आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में आसियान देशों के मध्य परस्पर सहयोग का प्रस्ताव रखा।

6. पांचवां भारत-आसियान शिखर सम्मेलन-जनवरी, 2007 में फिलीपींस में पांचवां भारत-आसियान शिखर सम्मेलन आयोजित हआ। इस सम्मेलन में भारत ने भारत-आसियान सम्बन्धों को और मज़बूत करने पर जोर दिया।

7. छठा भारत-आसियान शिखर सम्मेलन-2007-21 नवम्बर, 2007 को सिंगापुर में छठा भारत-आसियान शिखर सम्मेलन आयोजित हुआ। इसमें प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने पर्यावरण सरंक्षण के लिए एक भारत आसियान ग्रीन फंड स्थापित करने का सुझाव दिया था तथा भारत की ओर से इस फंड में 50 लाख डालर देने की घोषणा की थी।

8. सातवां भारत-आसियान शिखर सम्मेलन-अक्तूबर, 2009 में थाइलैण्ड में सातवां भारत-आसियान शिखर सम्मेलन आयोजित हुआ था। इस सम्मेलन में भारत ने आसियान से सम्बन्ध और मजबूत करने के लिए भारत आसियान राउंड टेबल स्थापित करने की बात की।

9. आठवां भारत-आसियान शिखर सम्मेलन-भारत-आसियान के बीच 8वां शिखर सम्मेलन 29 अक्तूबर, 2010 को हनोई में हुआ। इस सम्मेलन में बोलते हुए प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा कि भारत एवं आसियान में व्यापक आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए ‘सेवा एवं निवेश समझौता’ (Service and investment Agreement) आवश्यक है।

10. नौवां भारत-आसियान शिखर सम्मेलन-नवम्बर, 2011 में भारत-आसियान के बीच नौवीं बैठक हई। इस बैठक में भारतीय प्रधानमंत्री ने 2012-15 के लिए भारत-आसियान के 82 सूत्रीय प्लान ऑफ एक्शन के तहत पारस्परिक सहयोग की कई परियोजनाएं प्रस्तावित की।

11. भारत-आसियान शिखर सम्मेलन 2012-नवम्बर, 2012 में भारत-आसियान के बीच 10वीं बैठक नामपेन्ह (कम्बोडिया) में हुई। इस सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए डॉ. मनमोहन सिंह ने आसियान देशों को भारत के ढांचागत क्षेत्र में निवेश का न्यौता देते हुए आग्रह किया कि विश्व की 1/4 आबादी वाले आसियान संगठन के सदस्य देश सेवा क्षेत्र में भारत की विशेषज्ञता का लाभ उठाएं। उन्होंने कहा कि सामुद्रिक सुरक्षा, आतंकवाद से लड़ाई एवं आपदा प्रबन्धन के विषय पर आसियान एवं भारत के हित साझा हैं।

12. 20-21 दिसम्बर, 2012 को भारत में भारत-आसियान यादगारी शिखर सम्मेलन (India-ASEAN Commemorative Summit) हुआ। इस शिखर सम्मेलन का आयोजन भारत-आसियान सम्बन्धों के 20 वर्ष पूर्ण इस अवसर पर भारत एवं आसियान के 10 देशों ने अन्तराष्ट्रीय कानून के आधार पर विवादित समुद्र में समुद्री सुरक्षा एवं आने-जाने की स्वतन्त्रता सम्बन्धी द्विपक्षीय सहयोग को मज़बूत किया। इस अवसर पर सेवा एवं निवेश के क्षेत्र में स्वतंत्र व्यापार समझौते (Free Trade Agreement) पर भी अन्तिम निर्णय लिया गया।

13. भारत-आसियान शिखर-सम्मेलन 2014- भारत-आसियान के बीच 12वां शिखर सम्मेलन नवम्बर, 2014 में म्यामांर में हआ। इस सम्मेलन में बोलते हुए भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आसियान देशों को भारत के आर्थिक विकास के नए सफर में भागीदार बनने का निमन्त्रण दिया।

14. भारत-आसियान शिखर सम्मेलन-2015-भारत-आसियान के बीच 13वां शिखर सम्मेलन 21 नवम्बर, 2015 को मलेशिया में हुआ। इस सम्मेलन में बोलते हुए भारतीय प्रधानमंत्री ने आतंकवाद को पूरी मानवता के लिए खतरा बताया।

15. भारत-आसियान शिखर सम्मेलन-2016- भारत-आसियान के बीच 14वां शिखर सम्मेलन सितम्बर 2016 में लाओस में हुआ। इस सम्मेलन में भारत-आसियान के बीच सहयोग के विभिन्न मुद्दों एवं साझा परियोजनाओं पर चर्चा की गई। भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए आतंकवाद को विश्व समुदाय के लिए खतरा बताया।

16. भारत-आसियान शिखर सम्मेलन-भारत-आसियान के बीच 15वां शिखर सम्मेलन नवम्बर, 2017 में फिलीपीन्स में हुआ था। इस सम्मेलन में क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद एवं आर्थिक विकास पर चर्चा की गई।

17. गणतन्त्र दिवस पर आसियान देश-26 जनवरी, 2018 को भारतीय गणतन्त्र दिवस पर सभी आसियान देशों के अध्यक्षों को मेहमान के रूप में बुलाया गया था। भारत में पहली बार गणतन्त्र दिवस पर मेहमानों को बुलाने में व्यक्तियों की अपेक्षा क्षेत्र को महत्त्व दिया गया।

18. भारत-आसियान के बीच, 16वां शिखर सम्मेलन नवम्बर, 2019 में बैंकाक (थाइलैण्ड) में हुआ। इस सम्मेलन में भारत-आसियान व्यापार, क्षेत्रीय सुरक्षा एवं आतंकवाद पर चर्चा की गई।

प्रश्न 6.
भारत के चीन के साथ बदलते हुए सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
भारत और चीन में पहले गहरी मित्रता थी परन्तु सन् 1962 में चीन ने भारत पर अचानक आक्रमण करके इसको शत्रुता में परिवर्तित कर दिया। आज भी चीन ने भारत की कुछ भूमि पर अपना अधिकार जमाया हुआ है। भारत चीन से सम्बन्ध सुधारने के लिए प्रयत्नशील है परन्तु चीन अभी भी शत्रुतापूर्ण रुख अपनाए हुए है। चीन के प्रति मैत्रीपूर्ण नीति-आरम्भ से ही भारत ने साम्यवादी चीन के प्रति मैत्रीपूर्ण और तुष्टिकरण की नीति अपनाई। पहले उसने चीन को मान्यता दी और फिर संयुक्त राष्ट्र में उसके प्रवेश का समर्थन किया।

29. अप्रैल, 1954 को चीन के साथ एक व्यापारिक समझौता करके भारत ने तिब्बत में प्राप्त बहिर्देशीय अधिकारों (Extra-territorial Rights) को चीन को दे दिया और स्वयं कुछ भी प्राप्त नहीं किया। समझौते के समय दोनों देशों ने पंचशील के सिद्धान्तों के प्रति विश्वास दिलाया। सन् 1955 में बांडुंग सम्मेलन में इन्हीं सिद्धान्तों का विस्तार किया गया। चीन के प्रधानमन्त्री चाऊ-एन-लाई, 1954 में भारत की यात्रा पर आए और पं० नेहरू ने चीन का दौरा किया। इसके पश्चात् भारत और चीन के सम्बन्धों में तनाव आना शुरू हो गया।

1962 का चीनी आक्रमण-चीन ने 20 अक्तूबर, 1962 को भारत पर बड़े पैमाने पर आक्रमण किया। भारत को इस युद्ध में अपमानजनक पराजय का मुंह देखना पड़ा और चीन ने भारत की हजारों वर्ग मील भूमि पर कब्जा कर लिया। इससे पं० नेहरू की शान्तिपूर्ण नीतियों को गहरी चोट पहुंची। कांग्रेस (इ) की सरकार और भारत-चीन सम्बन्ध (Government of Congress (I) and India-China Relations) भारत में सहयोग करने की चीनी नेताओं की इच्छा तथा सम्बन्ध सुधारने के लिए प्रयास-जनवरी, 1980 में श्रीमती गांधी के प्रधानमन्त्री बनने के बाद चीनी नेता कई बार भारत से सम्बन्ध सुधारने की इच्छा व्यक्त कर चुके हैं।

चीन के प्रधानमन्त्री झाओ जियांग ने अपनी पाकिस्तान यात्रा के दौरान 3 जून, 1981 को कहा कि एशिया के दो बड़े देश चीन और भारत को शांतिपूर्वक रहना चाहिए। यह क्षेत्रीय और विश्व के स्थायित्व दोनों के हित में है। 15 अगस्त, 1984 को भारत और चीन में व्यापारिक समझौता हुआ जो कि निश्चय ही महत्त्वपूर्ण घटना है। राजीव गांधी की सरकार और भारत-चीन सम्बन्ध–दिसम्बर, 1988 में प्रधानमन्त्री राजीव गांधी पांच दिन की यात्रा पर चीन पहुंचे। पिछले 34 वर्षों के दौरान किसी भी भारतीय प्रधानमन्त्री की यह पहली चीन यात्रा थी। राजीव गांधी की चीन यात्रा से दोनों देशों के आपसी सम्बन्धों में एक नया अध्याय शुरू हुआ।

11 दिसम्बर, 1991 को चीन के प्रधानमन्त्री ली फंग भारत की यात्रा पर आने वाले पिछले 31 वर्षों में पहले प्रधानमन्त्री हैं। दोनों देशों के प्रधानमन्त्रियों ने पंचशील के सिद्धान्त में आस्था दोहराते हुए इस बात पर बल दिया कि किसी देश को दूसरे देश के आंतरिक मामलों में दखल देने का अधिकार नहीं दिया जा सकता। दोनों नेताओं ने यह विश्वास व्यक्त किया है कि दोनों देशों के सीमा विवाद का ‘उचित’ और ‘सम्मानजनक’ हल निकलेगा और तीन दशक पुराना यह मुद्दा द्विपक्षीय सम्बन्ध मज़बूत बनाने में आड़े नहीं आएगा।

प्रधानमन्त्री पी० वी० नरसिम्हा राव की चीन यात्रा-सितम्बर, 1988 में भारत के प्रधानमन्त्री नरसिम्हा राव चार दिन की सरकारी यात्रा पर चीन गए। वहां पर चार ऐतिहासिक समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए, जिसके कारण भारत व चीन के मध्य सम्बन्धों में सुधारों का एक और अध्याय जुड़ गया।

चीन के राष्ट्रपति च्यांग जेमिन की भारत की यात्रा-28 नवम्बर, 1996 को चीन के राष्ट्रपति च्यांग ज़ेमिन भारत की यात्रा पर आए जिससे दोनों देशों के बीच सम्बन्धों का एक नया युग शुरू हुआ है। चीन के राष्ट्रपति च्यांग जेमिन की पहली भारत यात्रा के दौरान परस्पर विश्वास भावना और सीमा पर शान्ति कायम रखने के उपायों पर विस्तृत विचार-विमर्श के पश्चात् दोनों देशों ने चार महत्त्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए।

परमाणु परीक्षण तथा भारत-चीन सम्बन्ध-11 मई व 13 मई, 1998 को भारत ने पांच परमाणु परीक्षण किये। चीन ने परमाणु परीक्षणों को लेकर भारत की कड़ी निन्दा ही नहीं की बल्कि चीन ने अपने सरकारी न्यूज़ के जरिए फिर से अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा ठोंक कर पुराने विकार को जन्म दे दिया।

चीन ने यहां तक कहा कि भारत से उसके पड़ोसियों को ही नहीं बल्कि चीन को भी खतरा पैदा हो गया है। दलाईलामा की प्रधानमन्त्री वाजपेयी से मुलाकात-अक्तूबर, 1998 में तिब्बत के धार्मिक नेता दलाईलामा ने भारत के प्रधानमन्त्री वाजपेयी से बातचीत की जिस पर चीन ने कड़ी आपत्ति उठाई।

भारतीय राष्ट्रपति की चीन यात्रा-मई, 2000 में भारतीय राष्ट्रपति के० आर० नारायणन चीन की यात्रा पर गए। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग के अनेक विषयों पर बातचीत हुई। चीनी नेता ली फंग की भारत यात्रा-जनवरी, 2001 में चीन के वरिष्ठ नेता ली फंग भारत आए। उन्होंने भारत के प्रधानमन्त्री वाजपेयी से मुलाकात कर क्षेत्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय और द्विपक्षीय महत्त्व के मुद्दों पर विचार-विमर्श किया। चीनी नेता ने भारत की धरती में किसी भी रूप में और किसी भी स्थान में उठने वाले आतंकवाद की निंदा की।

चीन के प्रधानमन्त्री की भारत यात्रा-चीन के प्रधानमन्त्री झू रोंग्ली (Zhu Rongli) ने जनवरी, 2002 में भारत की यात्रा की। रूस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने आतंकवाद का मिलकर सामना करने की बात कही। इसके अतिरिक्त दोनों देशों के बीच अंतरिक्ष, विज्ञान और प्रौद्योगिकी और ब्रह्मपुत्र नदी पर पानी सम्बन्धी सूचनाओं के आदान-प्रदान से सम्बन्धित छ: समझौते किये गये। भारतीय प्रधानमन्त्री वाजपेयी की चीन यात्रा-जून, 2003 में भारतीय प्रधानमन्त्री वाजपेयी की चीन यात्रा से दोनों देशों के सम्बन्धों में और सुधार हुआ। जहां भारत ने तिब्बत को चीन का हिस्सा माना, वहीं पर चीन ने भी सिक्किम को भारत का हिस्सा माना।

चीन ने भारत में 50 करोड़ डालर निवेश करने के लिए एक (कोष) बनाने की घोषणा की। मई, 2004 में चीन ने सिक्किम को अपने नक्शे में एक अलग राष्ट्र दिखाना बन्द करके सिक्किम को भारत का अभिन्न अंग मान लिया। नवम्बर, 2004 में आसियान बैठक में भाग लेने के लिए भारतीय प्रधानमन्त्री डॉ. मनमोहन सिंह लाओस गए। वहां पर उन्होंने चीनी प्रधानमन्त्री वेन जियाबाओ के साथ बातचीत की। बातचीत के दौरान सीमा विवाद सुलझाने पर चर्चा के अतिरिक्त द्विपक्षीय व्यापार, सांस्कृतिक आदान-प्रदान व लोगों की एक-दूसरे के यहां आवाजाही बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया गया।

प्रधानमन्त्री डॉ. मनमोहन सिंह की चीन यात्रा-जनवरी, 2008 में भारतीय प्रधानमन्त्री डॉ. मनमोहन सिंह चीन यात्रा पर गए। इस दौरान दोनों देशों के बीच कई महत्त्वपूर्ण समझौते हुए। अक्तूबर, 2009 में चीन ने भारतीय प्रधानमन्त्री की अरुणाचल प्रदेश यात्रा पर आपत्ति उठाई थी तथा उसे अपने देश का भाग बताया था।

इसी तरह तिब्बतियों के धर्म गुरु दलाई लामा की तवांग यात्रा पर भी चीन ने आपत्ति जताई थी। परन्तु भारत ने इन दोनों आपत्तियों को नकारते हुए अरुणाचल प्रदेश को भारत का अभिन्न अंग बताया था। इसी सन्दर्भ में अक्तूबर, 2009 में दोनों देशों के प्रधानमन्त्री आसियान सम्मेलन के दौरान थाइलैण्ड में मिले। बैठक के दौरान दोनों देशों ने बातचीत द्वारा आपसी विवादों को हल करने की बात कही थी।

भारतीय राष्ट्रपति की चीन यात्रा- भारतीय राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल 26 मई से 31 मई, 2010 तक चीन यात्रा पर गई थीं। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने पारस्परिक सहयोग के तीन समझौतों पर हस्ताक्षर किए। चीनी प्रधानमन्त्री की भारत यात्रा-दिसम्बर, 2010 में चीनी प्रधानमन्त्री भारत यात्रा पर आए। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने 6 समझौतों पर हस्ताक्षर किये तथा 2015 तक द्विपक्षीय व्यापार 100 बिलियन डालर तक ले जाने पर सहमति प्रदान की।

चीनी प्रधानमन्त्री की भारत यात्रा-मई, 2013 में चीनी प्रधानमन्त्री भारत यात्रा पर आए। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने आठ समझौतों पर हस्ताक्षर किए। जुलाई 2014 में ब्राजील में हुए ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान भारतीय प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी एवं चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात हुई। प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस मुलाकात में सीमा विवाद समेत कई मुख्य मुद्दों को चीनी राष्ट्रपति के समक्ष उठाया । मई 2015 में भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने चीन की यात्रा की। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने रेलवे, खनन जैसे क्षेत्रों में 24 समझौतों पर हस्ताक्षर किये।

अक्तूबर 2016 में चीनी राष्ट्रपति शीन जिनपिंग भारत में आयोजित ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारत आए। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने द्विपक्षीय बातचीत में विभिन्न महत्त्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की। म्बर 2017 में भारतीय प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी चीन में आयोजित ब्रिक्स सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन यात्रा पर गए। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने द्विपक्षीय मुद्दों पर भी चर्चा की। जून 2018 में भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी चीन यात्रा पर गए। इस दौरान दोनों देशों ने महत्त्वपूर्ण द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत की।

अक्तूबर 2019 में चीनी राष्ट्रपति ने भारत की यात्रा की। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने आतंकवाद, परस्पर व्यापार तथा क्षेत्रीय सुरक्षा पर बातचीत की। 15-16 जून, 2020 की रात को गलवान घाटी में भारत एवं चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प में भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए, जबकि चीन के 45-50 सैनिक मारे गए। ये झड़प चीन की साम्राज्यवादी लालसा के कारण हुई, जिससे दोनों देशों के सम्बन्ध खराब हो गए।

संक्षेप में, भारत-चीन सम्बन्ध मैत्रीपूर्ण नहीं हैं, परन्तु उम्मीद है कि जब दोनों देश मतभेद दूर करके और मैत्री बढ़ाने की दिशा में ईमानदारी से आगे बढ़ेंगे तो वे सीमा विवाद का भी स्थायी हल ढूंढ लेंगे। दोनों देशों के आपसी मैत्री और सहयोग को मजबूत करने के वाणिज्य-व्यापार के क्षेत्रों में हुए समझौते से भी काफ़ी बल मिलेगा।

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
अमेरिका के मुकाबले में सत्ता के किन्हीं चार विकल्पों की चर्चा करें।
उत्तर:
1. यूरोपियन यूनियन-अमेरिका के मुकाबले यूरोपियन यूनियन सत्ता के एक बेहतर विकल्प के रूप में उभरा है, क्योंकि विश्व स्तर पर यूरोपियन यूनियन का आर्थिक, सैनिक, राजनीतिक तथा कूटनीतिक रूप में काफ़ी प्रभाव है।

2. आसियान-अमेरिका के मुकाबले दक्षिण पूर्वी देशों के संगठन आसियान को एक विकल्प के रूप में देखा जाता है। विश्व की 8% जनसंख्या इस संगठन से सम्बन्धित है।

3. चीन-चीन बड़ी तेजी से सैनिक एवं आर्थिक रूप से विकास करके अमेरिका के मुकाबले सत्ता के विकल्प के रूप में उभर रहा है।

4. भारत-1990 के दशक से भारत ने इतनी तेज़ी से अपना आर्थिक विकास किया है कि कई आर्थिक विशेषज्ञों ने आने वाले समय में भारत को भी सत्ता के एक विकल्प के रूप में देखना शुरू कर दिया है।

प्रश्न 2.
चीन के सन्दर्भ में आधुनिकीकरण के चार प्रस्तावों से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
1970 के दशक में चीन ने अपने आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए अमेरिका के साथ अपने सम्बन्धों को सुधारते हुए कई अन्य महत्त्वपूर्ण कदम उठाए। इसी कड़ी में 1973 में प्रधानमन्त्री चाऊ-एन-लाई ने कृषि, उद्योग, सेना और विज्ञान प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आधुनिकीकरण के चार प्रस्ताव रखे। 1978 में चीनी नेता देंग श्याओपेंग ने खुले द्वार (Open door) की नीति की घोषणा करके आर्थिक सुधारों की शुरुआत की।

चीनी नेताओं ने विवेकपूर्ण निर्णय लेते हुए रूसी आर्थिक मॉडल ‘शॉक थेरेपी’ को न अपनाकर चरणबद्ध ढंग से अपनी अर्थव्यवस्था को विश्व बाज़ार के लिए खोला। 1982 एवं 1998 में चीन ने क्रमश: कृषि एवं औद्योगिकीकरण का निजीकरण किया, ताकि विदेशी निवेशकों को आकर्षित किया जा सके।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 4 सत्ता के वैकल्पिक केंद्र

प्रश्न 3.
आपके अनुसार निम्न कार्टून में क्या सन्देश है ? इस कार्टून में दो पहिये किसका प्रतिनिधित्व कर रहे हैं ?
उत्तर:
उपरोक्त कार्टून में चीन के दोहरेपन को इंगित किया गया है, क्योंकि एक तरफ तो वह साम्यवादी विचारधारा वाले देशों का नेता होने की बात करता है, जबकि दूसरी ओर अपनी अर्थव्यवस्था में डालर को आमन्त्रित कर रहा है। कार्टून के दोनों पहियों में से एक साम्यवादी विचारधारा को प्रतिनिधित्व कर रहा है, तो दूसरा पहिया पूंजीवादी विचारधारा का प्रतिनिधित्व कर रहा है।

प्रश्न 4.
भारतीय प्रधानमन्त्री चीन की यात्रा पर जा रहे हैं और आपको उनके लिए एक संक्षिप्त नोट तैयार करने के लिए कहा गया है। आप अपने नोट में सीमा विवाद एवं आर्थिक सहयोग से सम्बन्धित भारत एवं चीन की स्थिति का एक-एक तर्क दें।
उत्तर:
भारत और चीन के सम्बन्ध यद्यपि 1960 के दशक में बहुत अच्छे नहीं रहे, परन्तु वर्तमान परिस्थितियों में दोनों देशों के आपसी सम्बन्धों का विशेष महत्त्व है। भारतीय प्रधानमन्त्री की चीन यात्रा पर कई महत्त्वपूर्ण विषयों पर बातचीत होनी है, जिसमें सीमा विवाद एवं आर्थिक सहयोग शामिल है। भारतीय स्थिति के अनुसार सीमा विवाद में चीन को थोड़ा पीछे हटना चाहिए तथा आर्थिक सहयोग को और अधिक बढ़ावा देना चाहिए। दूसरी तरफ चीन सीमा विवाद में भारत के पक्ष को गलत मानता है तथा आर्थिक क्षेत्र में अपने समान की बिक्री के लिए भारत से अधिक-से अधिक मदद की इच्छा रखता है।

प्रश्न 5.
यूरोपीय संघ के विस्तार की व्याख्या करें।
उत्तर:
यूरोपीय संघ निम्नलिखित चरणों के पश्चात् अपने वास्तविक रूप में सामने आया

1. यूरोपीय कोयला एवं इस्पात समुदाय- इस समुदाय की स्थापना 18 अप्रैल, 1951 में फ्रांस के विदेश मन्त्री शुमां के सुझाव पर की गई। इस समुदाय का कार्य सदस्य राज्यों के कोयले इस्पात के साधनों की एक सामान्य मण्डी बनाकर इनके उपयोग की व्यवस्था करना है।

2. यूरोपीय आर्थिक समुदाय–1947 में अमेरिकी विदेशी मन्त्री मार्शल द्वारा प्रस्तुत योजना के आधार पर ही यूरोपीय राज्यों ने आर्थिक पुनर्निर्माण के लिए 1948 में यूरोपीय आर्थिक समुदाय का निर्माण किया।

3. यूरोपीय मुक्त व्यापार समुदाय- इस संगठन की स्थापना ब्रिटेन के प्रयासों से की गई। 4. यूरोपीय संघ-1992 में अन्ततः यूरोपीय संघ की स्थापना की गई। 1992 में मैस्ट्रिच सन्धि के द्वारा यूरोपीय आर्थिक समुदाय को यूरोपियन संघ में परिवर्तित कर दिया गया।

प्रश्न 6.
आसियान की आर्थिक गतिविधियों को स्पष्ट करते हुए इसके सत्ता के एक विकल्प के रूप में उभरने की व्याख्या करें।
उत्तर:
आसियान दक्षिण-पूर्वी देशों का एक महत्त्वपूर्ण संगठन है। 2003 में आसियान का संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद (G.D.P.) 700 बिलियन डालर था, जो कि प्रतिवर्ष औसतन 4% की दर से बढ़ रहा है। आसियान में विश्व जनसंख्या का 8% भाग शामिल है। आसियान देशों ने अपने क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए 1998 में ‘हनोई सम्मेलन’ में दक्षिण-पूर्व एशिया में स्वतन्त्र व्यापार (AFTA-Asean Free Trade Area) को समय से ही लागू करने पर सहमति जताई।

इसके अन्तर्गत ‘विजन 2020’ के अन्तर्गत क्षेत्रीय आर्थिक समीकरण, वित्तीय सहयोग तथा व्यापार उदारीकरण के विभिन्न उपायों पर जोर दिया गया। 1996 में भारत को आसियान में पूर्णवार्ताकार का दर्जा प्राप्त हुआ। आसियान आर्थिक क्षेत्र में अपनी उपलब्धियों के कारण सत्ता के एक विकल्प के रूप में उभर रहा है।

प्रश्न 7.
‘आसियान’ (ASEAN) के किन्हीं चार प्रमुख उद्देश्यों का वर्णन करें।
उत्तर:
आसियान के चार उद्देश्य निम्नलिखित हैं

  • सदस्य देशों में आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक तथा प्रशासनिक सहयोग को बढ़ाया जाए।
  • इस क्षेत्र में आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक विकास की गति में तेजी लाई जाए।
  • क्षेत्रीय शान्ति तथा सुरक्षा स्थापित करना।
  • कृषि व्यापार तथा उद्योग के विकास में सहयोग।

प्रश्न 8.
यूरोपीय संघ की कोई चार साझी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  • यूरोपीय संघ की साझी मुद्रा, स्थापना दिवस, गान एवं झण्डा है।
  • यूरोपीय संघ का आर्थिक, राजनीतिक, कूटनीतिक एवं सैनिक प्रभाव बहुत अधिक है।
  • फ्रांस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् का स्थायी सदस्य हैं।
  • यूरोपीय संघ आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक मामलों में दखल देने में सक्षम है।

प्रश्न 9.
अमेरिकी डालर के प्रभुत्व के लिए यूरो कैसे ख़तरा बन सकता है ?
उत्तर:
वर्तमान समय में विश्व में डॉलर मुद्रा का प्रचलन ही अधिक है। इससे हमें अमेरिकन अर्थव्यवस्था के प्रभाव का पता चलता है, कि किस तरह अमेरिका ने सम्पूर्ण विश्व पर अपना आर्थिक प्रभुत्व जमा रखा है। परन्तु धीरे धीरे उसके इस आर्थिक प्रभुत्व को कुछ अन्य शक्तियां चुनौती दे रही हैं। उनमें से एक है, यूरोपियन यूनियन । अमेरिकन डॉलर के मुकाबले यूरो मुद्रा का प्रभाव बढ़ता जा रहा है।

2005 में यूरोपियन यूनियन विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी तथा इसका सकल घरेलू उत्पाद लगभग 12000 अरब डालर है, जोकि अमेरिका से ज्यादा था। विश्व व्यापार में भी यूरोपियन यूनियन की भागीदारी अमेरिका के मुकाबले तीन गुना अधिक है। यूरोपियन, यूनियन विश्व व्यापार संगठन में भी एक प्रभावशाली समूह के रूप में कार्य कर रहा है। अतः डॉलर के मुकाबले यूरो का प्रभाव बढ़ता ही जा रहा है।

प्रश्न 10.
द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् यूरोप के सामने आने वाली किन्हीं चार समस्याओं का वर्णन करें।
उत्तर:
द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् यूरोप के सामने निम्नलिखित समस्याएं आईं

  • यूरोप के सामने सबसे बड़ी समस्या अपने आर्थिक पुनर्निर्माण की थी, जोकि विश्व युद्ध में तहस-नहस हो चुकी थी।
  • यूरोपीय देश अपनी पारस्परिक शत्रुता को लेकर असमंजस में थे, कि वे शत्रुता को यहीं छोड़ दें, या उसे आगे बढ़ाएं।
  • यूरोपीय देशों के सामने विश्व स्तर पर अपने आर्थिक एवं राजनीतिक सम्बन्धों को नये ढंग से प्रतिपादित करने की भी समस्या थी।
  • यूरोपीय देशों के सामने यूरोपीय नागरिकों की नष्ट हुई मान्यताओं एवं मूल्यों को भी बहाल करने की समस्या थी।

प्रश्न 11.
यूरोपीय संघ के देशों के बीच पाए जाने वाले कोई चार मतभेद लिखें।
उत्तर:
यूरोपीय संघ के देशों के बीच निम्नलिखित मतभेद पाए जाते हैं

  • यूरोपीय देशों की विदेश एवं रक्षा नीति में परस्पर विरोध पाया जाता है।
  • यूरोप के कुछ देशों में यूरो मुद्रा को लागू करने के सम्बन्ध में मतभेद हैं।
  • इराक युद्ध का ब्रिटेन ने समर्थन किया, जबकि फ्रांस एवं जर्मनी ने विरोध किया।
  • डेन्मार्क तथा स्वीडन जैसे देशों ने मास्ट्रिस्ट सन्धि तथा यूरो मुद्रा के प्रचलन का विरोध किया।

प्रश्न 12.
भारत और आसियान के सम्बन्धों के किन्हीं चार बिन्दुओं की व्याख्या करें।
उत्तर:

  • भारत एवं आसियान परस्पर मुक्त व्यापार सन्धि करने के प्रयास में हैं।
  • भारत ने सिंगापुर एवं थाइलैंड से मुक्त व्यापार सन्धि कर ली है। ये दोनों देश आसियान के सदस्य हैं।
  • भारत आसियान की आर्थिक शक्ति के प्रति आकर्षित हुआ है।
  • हाल के वर्षों में भारत एवं आसियान ने कई व्यापारिक समझौते किए हैं।

प्रश्न 13.
साम्यवादी चीन ने 1949 के पश्चात् अपनी औद्योगिक अर्थव्यवस्था को मज़बूती प्रदान करने के लिए क्या प्रयास किए ? कोई चार प्रयास लिखें।
उत्तर:

  • चीन ने 1949 के पश्चात् अपने घरेलू आर्थिक संसाधनों द्वारा ही अपना औद्योगिक विकास किया है।
  • चीन ने सरकारी नियन्त्रण वाले बड़े उद्योगों को बढ़ावा दिया।
  • चीन में आयात किए हुए सामान को घरेलू स्तर पर तैयार किया।
  • सभी नागरिकों को रोज़गार एवं सामाजिक कल्याण की सुविधाओं का लाभ देने के क्षेत्र में लाया गया।

प्रश्न 14.
साम्यवादी चीन द्वारा 1970 के दशक में किये गए किन्हीं चार आर्थिक सुधारों का वर्णन करें।
अथवा
चीन द्वारा किए गये किन्हीं चार आर्थिक सुधारों का वर्णन कीजिये।
उत्तर:
साम्यवादी चीन द्वारा 1970 के दशक में निम्नलिखित आर्थिक सुधार किए गए

  • चीन में 1972 में संयुक्त राज्य अमेरिका से सम्बन्ध स्थापित करके राजनीतिक एवं आर्थिक एकांतवास को समाप्त किया।
  • 1973 में चीनी प्रधानमन्त्री चाऊ-एन-लाई ने कृषि, उद्योग, सेना एवं विज्ञान प्रौद्योगिकी के चार प्रस्ताव पेश किए।
  • 1978 में देंग-श्याओ-पेंग ने चीन में आर्थिक सुधारों और खुले द्वार की नीति को अपनाया।
  • चीन ने शॉक थेरेपी को न अपनाकर चरणबद्ध ढंग से अपनी अर्थव्यवस्था को खोला।

प्रश्न 15.
चीन द्वारा किए गए आर्थिक सुधारों के लाभों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए। (H.B. 2018)
उत्तर:

  • चीन द्वारा अपनाई गई आर्थिक नीतियों से गतिहीन हो चुकी अर्थव्यवस्था सम्भल गई।
  • कृषि का निजीकरण करने से कृषि उत्पादनों एवं ग्रामीण आय में वृद्धि हुई।
  • चीन द्वारा अपनाई गई आर्थिक नीतियों से ग्रामीण उद्योगों की संख्या में वृद्धि हुई।
  • कृषि एवं उद्योग दोनों ही क्षेत्रों में चीन की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर तेज़ रही।

प्रश्न 16.
चीन की अर्थव्यवस्था में पाई जाने वाली कोई चार कमियां बताएं।
उत्तर:
चीन की अर्थव्यवस्था में निम्नलिखित कमियां पाई जाती हैं

  • चीन में हुए आर्थिक सुधारों का लाभ सभी वर्गों को समान रूप से प्राप्त नहीं हुआ।
  • चीन में काफ़ी संख्या में महिला बेरोज़गारी पाई जाती है।
  • चीनी अर्थव्यवस्था से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिला तथा पर्यावरण खराब हुआ।
  • चीन द्वारा अपनाई गई अर्थव्यवस्था से ग्रामीण एवं शहरी नागरिकों में आर्थिक असमानता बढ़ी है।

प्रश्न 17.
मैकमोहन रेखा पर एक नोट लिखें।
उत्तर:
मैकमोहन रेखा द्वारा भारत-चीन सीमा का निर्धारण किया गया है। सर हैनरी मैकमोहन 1914 में भारत के विदेश सचिव थे। उन्होंने तिब्बती प्रतिनिधि मण्डल के साथ विचार-विमर्श करके इस सीमा का निर्धारण किया था। चीन इस सीमा निर्धारण के पक्ष में नहीं था, लेकिन उसे सीमा निर्धारण के बाद इसकी सूचना दे दी गई थी।

सन् 1956 तक चीन ने मैकमोहन रेखा से इन्कार करने की स्पष्ट रूप से घोषणा नहीं की थी, परन्तु 1956 के बाद उसने इस रेखा सम्बन्धी अपनी आपत्तियां जतानी शुरू कर दीं। चीन की सरकार ने मैकमोहन रेखा को कभी मान्यता नहीं दी और न ही दे रही है। इसलिए भारत-चीन में सीमा विवाद चला आ रहा है।

प्रश्न 18.
यूरोपीय संघ के मुख्य उद्देश्य क्या हैं ? इनकी व्याख्या कीजिए।
उत्तर:

  • यूरोप को बांटने वाले विवादों को हमेशा के लिए समाप्त करना।
  • यूरोप की प्रतिष्ठा को पुनः स्थापित करना एवं आर्थिक शक्ति तथा सांस्कृतिक परम्परा के अनुसार भूमिका को निभाना।
  • आर्थिक तथा मुद्रा स्थायित्व का प्रबन्ध करना।
  • सदस्य राज्यों की आर्थिक गतिविधियों को समन्वित करना।

प्रश्न 19.
भारत-चीन के मध्य विवाद के कोई दो मुद्दे बताएं।
अथवा
भारत और चीन के बीच तनाव के किन्हीं चार कारणों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1. तिब्बत की समस्या- भारत-चीन विवाद की सबसे बड़ी समस्या तिब्बत की समस्या है। चीन ने सदैव तिब्बत पर अपना दावा किया, जबकि भारत इस समस्या को तिब्बतवासियों की भावनाओं को ध्यान में रखकर सुलझाना चाहता है।

2. सीमा विवाद- भारत-चीन के बीच विवाद का एक कारण सीमा विवाद भी है। भारत ने सदैव मैकमोहन रेखा को स्वीकार किया, परन्तु चीन ने नहीं। सीमा विवाद धीरे-धीरे इतना बढ़ गया कि इसने आगे चलकर युद्ध का रूप धारण कर लिया।

3. भारत द्वारा दलाई लामा को राजनीतिक शरण देना।

4. चीन द्वारा भारत की चिन्ताओं की परवाह न करते हुए पाकिस्तान को परमाणु एवं सैनिक सहायता प्रदान करना।

प्रश्न 20.
‘आसियान’ (ASEAN) के किन्हीं चार कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर:

  • आसियान सदस्य देशों में आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं प्रशासनिक सहयोग को बढ़ावा देता है।
  • आसियान सदस्य देशों के हितों की रक्षा करता है।
  • आसियान अपने क्षेत्र में शान्ति एवं व्यवस्था बनाये रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
  • आसियान कृषि व्यापार एवं उद्योगों को प्रोत्साहित कर रहा है।

प्रश्न 21.
विश्व राजनीति में यूरोपीय संघ की भूमिका का वर्णन कीजिए।
उत्तर:

  • यूरोपीय संघ ने विश्व शान्ति के प्रयासों को बढ़ावा दिया है।
  • इसने विश्व राजनीति में से अमेरिकी प्रभुत्व को कम किया है।
  • इसने संयुक्त राष्ट्र संघ को प्रभावशाली बनाया है।
  • इसने यूरो मुद्रा की शुरुआत करके डालर के प्रभाव को कम किया है।

प्रश्न 22.
ब्रेक्सिट (BREXIT) से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
इंग्लैण्ड में 23 जून, 2016 को इस विषय पर मतदान हुआ, कि इंग्लैण्ड को यूरोपीय संघ में रहना चाहिए या नहीं। इस जनगत संग्रह में 52% लोगों ने यूरोपीय संघ से अलग होने के पक्ष में मतदान किया, जबकि 48% लोगों ने यूरोपीय संघ के साथ रहने के पक्ष में मतदान किया। इंग्लैण्ड के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री डेविड कैमरॉन यूरोपीय संघ में रहने के पक्ष में थे।

अत: उन्होंने BREXIT के मुद्दे पर त्याग पत्र दे दिया, तथा श्रीमती थेरेसा में (Smt. Theresha May) को इंग्लैण्ड का नया प्रधानमंत्री बनाया गया। इस प्रकार 43 साल तक यूरोपीय संघ का सदस्य रहने के पश्चात् इंग्लैण्ड ने इससे अलग होने का निर्णय किया। इस घटना को ही ब्रेक्सिट (BREXIT) कहा जाता है।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
यूरोपियन संघ क्या है ?
उत्तर:
यूरोपियन संघ यूरोप के देशों का एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय संगठन है। यूरोपियन संघ का आर्थिक, सैनिक, राजनीतिक तथा कूटनीतिक रूप में विश्व राजनीति में महत्त्वपूर्ण स्थान है और यहां अमेरिका के मुकाबले सत्ता के एक मज़बूत विकल्प के रूप में उभर रहा है।

प्रश्न 2.
आसियान से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
आसियान दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों की संस्था है। इसकी स्थापना वियतनामी संकट, कम्बोडिया संकट व इस क्षेत्र के देशों के पारस्परिक प्रयत्नों से विकास करने की आवश्यकता ने मिलकर दक्षिण-पूर्वी राष्ट्रों को एक क्षेत्रीय संगठन बनाने के लिए प्रेरित किया। अगस्त, 1967 में इण्डोनेशिया, फिलीपीन्स, मलेशिया, थाईलैण्ड तथा सिंगापुर ने इसकी स्थापना की।

प्रश्न 3.
भारत और चीन के आर्थिक सम्बन्धों की व्याख्या करें।
उत्तर:
भारत और चीन के आर्थिक सम्बन्ध राजनीतिक सम्बन्धों की अपेक्षा अधिक अच्छे हैं। 2006 में दोनों देशों के बीच लगभग 18 अरब डालर का व्यापार हो रहा था। आर्थिक सम्बन्धों को बढ़ावा देने के लिए दोनों देशों ने मतभेद को भुलाकर सहयोग का मार्ग चुना है। विश्व स्तर पर चीन एवं भारत ने विश्व व्यापार संगठन में एक जैसी नीतियां अपनाई हैं।

प्रश्न 4.
1978 से पहले एवं बाद में चीन की आर्थिक नीतियों में कोई दो अन्तर बताएं।
उत्तर:
(1) 1978 से पहले चीन ने आर्थिक क्षेत्र में एकान्तवास की नीति अपना रखी थी, जबकि 1978 के पश्चात् चीन ने आर्थिक क्षेत्र में खुले द्वार की नीति अपनाई।
(2) 1978 से पहले चीन में कृषि का निजीकरण नहीं हुआ था, परन्तु 1978 के बाद चीन में कृषि का निजीकरण कर दिया गया।

प्रश्न 5.
यूरोपीय संघ के निर्माण के कोई दो कारण बताएं।
उत्तर:

  • यूरोपीय संघ का निर्माण यूरोप के आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए किया गया।
  • यूरोपीय संघ का निर्माण इसीलिए भी किया गया, ताकि अमेरिका की आर्थिक शक्ति का मुकाबला किया जा सके।

प्रश्न 6.
अमेरिका के मुकाबले में सत्ता के किन्हीं दो विकल्पों की चर्चा करें।
उत्तर:
1. यूरोपियन यूनियन-अमेरिका के मुकाबले यूरोपियन यूनियन सत्ता के एक बेहतर विकल्प के रूप में उभरा है।
2. भारत-1990 के दशक से भारत ने इतनी तेजी से अपना आर्थिक विकास किया है कि कई आर्थिक विशेषज्ञों ने आने वाले समय में भारत को भी सत्ता के एक विकल्प के रूप में देखना शुरू कर दिया है।

प्रश्न 7.
यूरोपीय संघ के विस्तार के कोई दो चरण लिखें।
उत्तर:
1. यूरोपीय आर्थिक समुदाय-1947 में अमेरिकी विदेश मन्त्री मार्शल द्वारा प्रस्तुत योजना के आधार पर यूरोपीय राज्यों ने आर्थिक पुनर्निर्माण के लिए 1948 में यूरोपीय आर्थिक समुदाय का निर्माण किया।
2. यूरोपीय कोयला एवं इस्पात समुदाय-इस समुदाय की स्थापना 18 अप्रैल, 1951 में फ्रांस के विदेश मंत्री शुमां के सुझाव पर की गई।

प्रश्न 8.
यूरोपीय संघ और आसियान के किन्हीं दो समान सहयोगी निर्णयों की व्याख्या करें।
उत्तर:

  • यूरोपीय संघ और आसियान जैसे संगठनों ने अपने-अपने क्षेत्र में उत्पन्न होने वाले तनावों को कम करने का प्रयास किया है।
  • यूरोपीय संघ और आसियान ने अपने-अपने क्षेत्रों में आर्थिक विकास के लिए कई प्रकार के आर्थिक निर्णय लिए।

प्रश्न 9.
मार्शल योजना क्या थी ? इसने यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन के गठन का रास्ता कैसे बनाया ?
उत्तर:
मार्शल योजना अमेरिका द्वारा दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनाई गई थी, ताकि यूरोपीय देशों की अर्थव्यवस्था को पुनर्गठित किया जा सके। क्योंकि दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान अधिकांश यूरोपीय देशों की अर्थव्यवस्था ख़राब हो चुकी थी। मार्शल योजना के अन्तर्गत ही 1948 में यूरोपीय आर्थिक सहयोग संगठन की स्थापना की गई, जिसके माध्यम से पश्चिमी यूरोप के देशों को आर्थिक मदद दी गई।

प्रश्न 10.
यूरोपीय संघ में कितने सदस्य देश हैं ? सन् 2016 में किस देश में यूरोपीय संघ की सदस्यता छोड़ने के लिए जनमत संग्रह करवाया गया ?
उत्तर:
यूरोपीय संघ में 28 सदस्य देश हैं। सन् 2016 में इंग्लैण्ड में यूरोपीय संघ की सदस्यता छोड़ने के लिए जनमत संग्रह करवाया गया।

प्रश्न 11.
यूरोपीय संघ की मुद्रा का क्या नाम है ? इसका प्रचलन कब शुरू हुआ ?
उत्तर:
यूरोपीय संघ की मुद्रा का नाम यूरो है। इसका 2002 में शुरू हुआ।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 4 सत्ता के वैकल्पिक केंद्र

प्रश्न 12.
यूरोपीय कोयला एवं इस्पात समुदाय के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
यूरोपीय कोयला एवं इस्पात समुदाय की स्थापना 18 अप्रैल, 1951 में फ्रांस के विदेश मंत्री शुमां के सुझाव पर की गई। इस समुदाय का मुख्य कार्य हस्ताक्षर करने वाले सदस्य राष्ट्रों के कोयले एवं इस्पात के उत्पादन व वितरण पर नियन्त्रण रखना और इसके मार्ग में आने वाली बाधाओं को दूर करके सदस्य राज्यों के कोयले व इस्पात के साधनों की एक सामान्य मण्डी बनाकर उनके उपयोग की सुव्यवस्था करना था।

प्रश्न 13.
यूरोपीय संघ के झण्डे के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
यूरोपीय संघ के झण्डे में सोने के रंग के सितारों का एक घेरा है, जो यूरोप के लोगों की एकता और भाईचारे का प्रतीक है। इस झण्डे में 12 सितारे हैं, क्योंकि यूरोप में 12 की संख्या को पूर्णता, एकता और समग्रता का प्रतीक माना जाता है।

प्रश्न 14.
आसियान के झण्डे की व्याख्या करें।
उत्तर:
आसियान के झण्डे में धान की दस बालियों को दर्शाया गया है, ये दस बालियां दक्षिण पूर्व एशिया के दस देशों को दर्शाती हैं जो आपस में परस्पर मित्रता, एकता एवं भाईचारे का व्यवहार करते हैं। झण्डे में दिया गया गोला (वृत्त) आसियान की एकता का प्रतीक है।

प्रश्न 15.
चीन में खेती एवं उद्योगों का निजीकरण कब किया गया ?
उत्तर:
चीन में खेती का निजीकरण सन् 1982 एवं उद्योगों का निजीकरण सन् 1998 में किया गया।

प्रश्न 16.
‘आसियान’ (ASEAN) के वर्तमान सदस्य देशों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  • कंबोडिया
  • इंडोनेशिया
  • मलेशिया
  • म्यांमार
  • फिलीपींस
  • सिंगापुर
  • थाइलैंड
  • वियतनाम
  • ब्रूनेई
  • लाओस।

प्रश्न 17.
‘आसियान’ (ASEAN) के कोई दो उद्देश्य लिखिए।
उत्तर:

  • आसियान सदस्य देशों में आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक तथा प्रशासनिक सहयोग को बढ़ावा देता है।
  • आसियान का महत्त्वपूर्ण उद्देश्य क्षेत्रीय शान्ति तथा सुरक्षा स्थापित करना है।

प्रश्न 18.
चीन की ‘खुले द्वार की नीति’ को स्पष्ट करें।
उत्तर:
1978 में चीनी नेता श्याओपेंग ने ‘खुले द्वार’ (Open door) की नीति की घोषणा करके आर्थिक सुधारों की शुरुआत की, जिसके फलस्वरूप चीन ने लगातार उन्नति की तथा आगे चलकर एक आर्थिक शक्ति के रूप में उभरा। इससे चीन में तेजी से बदलती प्रवृत्तियों का पता चलता है।

प्रश्न 19.
चीन में विदेशी व्यापार की वृद्धि के कोई दो कारण बताएं।
उत्तर:

  • चीन में विदेशी व्यापार की वृद्धि का एक प्रमुख कारण 1978 में ‘खुले द्वार’ की नीति की घोषणा करना था।
  • चीन ने विदेशी निवेश एवं व्यापार को आकर्षित करने के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्रों (Special Economic Zone-SEZ) का निर्माण किया।

प्रश्न 20.
‘आसियान विजन-2020’ की कोई एक मुख्य बात लिखें।
उत्तर:
‘आसियान विजन -2020’ में अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय में आसियान की एक बर्हिमुखी भूमिका को प्रमुखता दी गई है।

प्रश्न 21.
चीन की नई आर्थिक नीति की कोई दो असफलताएं बताएं।
उत्तर:

  • चीन की नई आर्थिक नीति के अन्तर्गत जारी सुधारों का लाभ सभी क्षेत्रों को नहीं मिल पाया है।
  • चीन में नई आर्थिक नीति से बेरोज़गारी बढ़ी है। चीन में लगभग 10 करोड़ लोग बेरोज़गार हैं।

प्रश्न 22.
‘हिन्दी-चीनी भाई-भाई’ के नारे के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
‘हिन्दी-चीनी भाई-भाई’ का नारा 1950 के दशक में अस्तित्व में आया। इस नारे का उद्देश्य भारत-चीन सम्बन्धों को मजबूत करना था। चीन के प्रधानमन्त्री चाऊ-एन-लाई, की 1954 में भारत यात्रा के दौरान यह नारा और अधिक लोकप्रिय हो गया। परन्तु धीरे-धीरे भारत एवं चीन में सीमा विवाद बढ़ने तथा 1962 में चीन द्वारा भारत पर आक्रमण से यह नारा महत्त्वहीन हो गया।

प्रश्न 23.
चीन की बदलती व्यवस्था के कोई दो कारण लिखें।
उत्तर:
1. विदेशी सम्बन्धों में सुधार-चीन की बदलती व्यवस्था का प्रमुख कारण 1970 के दशक में चीन द्वारा विदेशी सम्बन्धों को बढ़ावा देना था। 1972 में चीन ने अमेरिका से सम्बन्ध बनाकर अपना एकांतवास समाप्त किया।

2. आधुनिकीकरण पर बल-चीन में आधुनिकीकरण पर बहुत बल दिया जा रहा है। इसीलिए 1982 के संविधान में जगह-जगह उन्नत विज्ञान व तकनीक, समाजवादी आधुनिकीकरण, वैज्ञानिक खोज, औद्योगिक अनुसन्धान व खोज आदि शब्दावली का प्रयोग किया गया है।

प्रश्न 24.
द्वि-धवीय व्यवस्था के टूटने के पश्चात् अमेरिका के वैकल्पिक सत्ता के रूप में उभरे किन्हीं दो क्षेत्रीय संगठनों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  • यूरोपीय यूनियन।
  • आसियान।

प्रश्न 25.
संयुक्त मुद्रा किसे कहते हैं ?
उत्तर:
संयुक्त मुद्रा से अभिप्राय ऐसी मुद्रा से है, जिसका प्रचलन दो या दो से अधिक देशों में हो। इस प्रकार की मुद्रा के प्रचलन के लिए सदस्य देश परस्पर समझौता करते हैं, ताकि सम्बन्धित देशों में उस मुद्रा को वैध माना जाए। यूरोप में संयुक्त मुद्रा जिसे ‘यूरो मुद्रा’ कहते हैं, का प्रचलन है।

प्रश्न 26.
चीन के सन्दर्भ में नेपोलियन ने क्या कहा था ?
उत्तर:
चीन के सन्दर्भ में नेपोलियन ने कहा था, कि “वहां एक दैत्य सो रहा है, उसे सोने दो, यदि वह जाग गया तो दुनिया को हिला देगा।”

प्रश्न 27.
‘एशिया का रोगी’ किस देश को कहा जाता था ?
उत्तर:
‘एशिया का रोगी’ चीन देश को कहा जाता था।

प्रश्न 28.
माओ के बाद चीन के उदय का एक कारण लिखें।
उत्तर:
माओ के बाद चीन के उदय का एक प्रमुख कारण चीन द्वारा खुले द्वार की नीति को अपनाना था।

प्रश्न 29.
चीन में साम्यवादी क्रान्ति कब और किसके नेतृत्व में हुई?
उत्तर:
चीन में साम्यवादी क्रान्ति सन् 1949 में माओ-त्से-तुंग के नेतृत्व में हुई।

प्रश्न 30.
भारत और चीन के बीच तनाव के कोई दो कारण लिखें।
अथवा
भारत और चीन के मध्य दो मुख्य विवाद कौन-से हैं ?
उत्तर:

  • भारत और चीन में महत्त्वपूर्ण विवाद सीमा का विवाद है। चीन ने भारत की भूमि पर कब्जा कर रखा है।
  • चीन का तिब्बत पर कब्जा और भारत का दलाई लामा को राजनीतिक शरण देना।

प्रश्न 31.
यूरोपीय संघ की स्थापना कब और किस संधि के द्वारा हुई ?
उत्तर:
यूरोपीय संघ की स्थापना सन् 1992 में मैस्ट्रिच संधि के द्वारा हुई।

प्रश्न 32.
आसियान शैली क्या है ?
उत्तर:
आसियान शैली आसियान सदस्यों के अनौपचारिक और सहयोगपूर्ण कामकाज का स्वरूप है।

वस्तुनिष्ठ प्रश्न 

1. अमेरिका के मुकाबले सत्ता के विकल्प के रूप में उभर कर सामने आया है
(A) यूरोपीय संघ
(B) आसियान
(C) भारत एवं चीन
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

2. आसियान संगठन है
(A) दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों का
(B) यूरोपीय देशों का
(C) दक्षिण एशिया के देशों का ।
(D) उत्तरी अमेरिका के देशों का।
उत्तर:
(A) दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों का।

3. चीन में आधुनिकीकरण के चार प्रस्ताव कब दिये गए ?
(A) 1965
(B) 1973
(C) 1985
(D) 1990.
उत्तर:
(B) 1973.

4. भारत एवं चीन के आर्थिक सम्बन्ध
(A) खराब हैं
(B) अच्छे हैं
(C) नहीं हैं
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(B) अच्छे हैं।

5. SEZ का अर्थ लिया जाता है ?
(A) Service Economic Zone
(B) Several Economic Zone
(C) Special Earth Zone
(D) Special Economic Zone.
उत्तर:
(D) Special Economic Zone.

6. मैस्ट्रिच सन्धि पर हस्ताक्षर कब हुए
(A) 25 अप्रैल, 1994
(B) 25 फरवरी, 2003
(C) 7 फरवरी, 1992
(D) 23 दिसम्बर, 2005.
उत्तर:
(C)7 फरवरी, 1992.

7. जनसंख्या की दृष्टि से चीन का विश्व में कौन-सा स्थान है ?
(A) प्रथम
(B) द्वितीय
(C) चतुर्थ
(D) दसवां।
उत्तर:
(A) प्रथम।

8. मार्शल योजना का संबंध निम्न में से किस देश से है ?
(A) ब्रिटेन
(B) संयुक्त राज्य अमेरिका
(C) भारत
(D) भू० पू० सोवियत संघ ।
उत्तर:
(B) संयुक्त राज्य अमेरिका।

9. एकल यूरोपियन अधिनियम (Single European Act) कब लागू हुआ ?
(A) मई, 1982
(B) जुलाई, 1987
(C) मार्च, 1990
(D) दिसम्बर, 2000.
उत्तर:
(B) जुलाई, 1987.

10. भारत तथा चीन के बीच तनाव का मुख्य कारण है:
(A) नदी जल बंटवारा
(B) घुसपैठ की समस्या
(C) सीमा विवाद
(D) सीमा पार आतंकवाद।
उत्तर:
(C) सीमा विवाद।

11. यूरोपीय संघ की स्थापना कब हुई ?
(A) 1987 में
(B) 1989 में
(C) 1992 में
(D) 1996 में।
उत्तर:
(C) 1992 में।

12. यूरोप में यूरो मुद्रा का प्रचलन कब शुरू हुआ ?
(A) 2000 में
(B) 2001 में
(C) 2002 में
(D) 2003 में।
उत्तर:
(C) 2002 में।

13. भारत-आसियान (ASEAN) के बीच ‘मुक्त व्यापार समझौता’ कब लागू हुआ ?
(A) 1 दिसम्बर, 2009 को
(B) 1 जनवरी, 2010 को
(C) 1 जनवरी, 2009 को
(D) 1 जनवरी, 2009 को।
उत्तर:
(B) 1 जनवरी, 2010 को।

14. यूरोपीय संसद् का पहला प्रत्यक्ष चुनाव कब हुआ ?
(A) सन् 1957 में
(B) सन् 1959 में
(C) सन् 1969 में
(D) सन् 1979 में।
उत्तर:
(D) सन् 1979 में।

15. ‘आसियान’ (ASEAN) की स्थापना कब हुई?
(A) 1961 में
(B) 1965 में
(C) 1967 में
(D) 1969 में।
उत्तर:
(C) 1967 में।

16. चीन में साम्यवादी क्रान्ति कब हुई ?
(A) 1949 में
(B) 1955 में
(C) 1957 में
(D) 1965 में।
उत्तर:
(A) 1949 में।

17. चीन ने ‘मुक्त द्वार’ की नीति कब प्रारम्भ की?
(A) 1968 में
(B) 1978 में
(C) 1984 में
(D) 1988 में।
उत्तर:
(B) 1978 में।

18. चीन में कृषि क्षेत्र का निजीकरण कब किया गया ?
(A) 1954 में
(B) 1972 में
(C) 1995 में
(D) 1982 में।
उत्तर:
(D) 1982 में।

19. चीन में उद्योगों का निजीकरण कब किया गया था ?
(A) 1991 में
(B) 1998 में
(C) 1999 में
(D) 2001 में।
उत्तर:
(B) 1998 में।

20. किस वर्ष चीन विश्व व्यापार संगठन का सदस्य बना ?
(A) 1997 में
(B) 2001 में
(C) 2003 में
(D) 2008 में।
उत्तर:
(B) 2001 में।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 4 सत्ता के वैकल्पिक केंद्र

21. इंग्लैण्ड में, यूरोपीय संघ से अलग (BREXIT) होने के लिए जनमत संग्रह कब हुआ था?
(A) 23 जून, 2016
(B) 23 जून, 2015
(C) 23 जून, 2014
(D) 23 जून, 2013.
उत्तर:
(A) 23 जून, 2016.

22. चीन द्वारा तिब्बत को अपने क्षेत्र में शामिल करने का प्रयास कब किया गया था ?
(A) 1950 में
(B) 1960 में
(C) 1970 में
(D) 1980 में।
उत्तर:
(A) 1950 में।

23. चीन ने भारत पर कब आक्रमण किया ?
(A) 1962 में
(B) 1965 में
(C) 1967 में
(D) 1971 में।
उत्तर:
(A) 1962 में।

24. ‘पंचशील समझौता’ किनके बीच हुआ?
(A) भारत-पाकिस्तान
(B) भारत-चीन
(C) भारत-रूस
(D) भारत-बांग्लादेश।
उत्तर:
(B) भारत-चीन।

25. भारतीय प्रधानमन्त्री श्री राजीव गांधी ने चीन यात्रा कब की ?
(A) 1985 में
(B) 1988 में
(C) 1990 में
(D) 1991 में।
उत्तर:
(B) 1988 में।

26. चीन में यातायात का सबसे लोकप्रिय साधन कौन-सा है ?
(A) साइकिल
(B) मोटर साइकिल
(C) कार
(D) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(A) साइकिल।

27. आसियान का उद्देश्य है
(A) सदस्य देशों में आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक एवं प्रशासनिक सहयोग को बढ़ाया जाए
(B) क्षेत्रीय शान्ति एवं सुरक्षा स्थापित की जाए
(C) कृषि, व्यापार एवं उद्योग में विकास एवं सहयोग किया जाए
(D) उपरोक्त सभी।
उत्तर:
(D) उपरोक्त सभी।

28. ‘आसियान’ (ASEAN) में सम्मिलित सदस्य देशों की संख्या कितनी है?
(A) 8
(B) 10
(C) 12
(D) 15.
उत्तर:
(B) 10.

29. भारत और चीन के मध्य अन्तर्राष्ट्रीय सीमा रेखा कौन-सी है ?
(A) मैकमोहन रेखा
(B) रेडक्लिफ रेखा
(C) नेहरू रेखा
(D) माओ-रेखा।
उत्तर:
(A) मैकमोहन रेखा।

30. जापान की अर्थव्यवस्था का विश्व में कौन-सा स्थान है ?
(A) प्रथम
(B) द्वितीय
(C) तृतीय
(D) दसवां।
उत्तर:
(C) तृतीय।

रिक्त स्थान भरें

(1) 20 अक्तूबर, 1962 को ……………. ने भारत पर आक्रमण किया।
उत्तर:
चीन

(2) चीन ने 1972 में ………………. के साथ दोतरफा संबंध शुरू किये (देश का नाम)।
उत्तर:
अमेरिका

(3) ‘चीन ने खुले द्वार’ की नीति सन् ………… में प्रारंभ की।
उत्तर:
1978

(4) चीन ने भारत पर सन् …………… में आक्रमण किया।
उत्तर:
1962

(5) चीन में सन् 1949 में श्री …………………. के नेतृत्व में साम्यवादी क्रान्ति हुई थी।
उत्तर:
माओ-त्से-तुंग

(6) यूरोपीय संघ के झण्डे में ………. …………. सितारे हैं।
उत्तर:
12

(7) यूरोपीय संघ की स्थापना …………………. वर्ष में हुई।
उत्तर:
1992

(8) 1954 में भारत और चीन के बीच ………………… समझौता हुआ।
उत्तर:
पंचशील

(9) सन् 1992 में यूरोपीय संघ की स्थापना ………………… सन्धि के द्वारा हुई।
उत्तर:
मैस्ट्रिच संधि

(10) आसियान (ASEAN) में शामिल सदस्य देशों की संख्या ……………….. है।
उत्तर:
दस

(11) भारत और चीन के मध्य ………… अन्तर्राष्ट्रीय सीमा रेखा है।
उत्तर:
मैकमोहन रेखा

(12) आसियान (ASEAN) में शामिल सदस्य देशों की संख्या …………. है।
उत्तर:
दस।

एक शब्द/वाक्य में उत्तर दें

प्रश्न 1.
आसियान (ASEAN) की स्थापना कब हुई ?
उत्तर:
सन् 1967 में।

प्रश्न 2.
जापान की अर्थव्यवस्था का विश्व में कौन-सा स्थान है ?
उत्तर:
जापान की अर्थव्यवस्था का विश्व में तीसरा स्थान है।

प्रश्न 3.
आसियान (ASEAN) में कितने देश सदस्य हैं ?
उत्तर:
आसियान के 10 देश सदस्य हैं।

प्रश्न 4.
यूरोपीय संघ की मुद्रा को किस नाम से जाना जाता है ?
अथवा
यूरोपीय संघ की मुद्रा का क्या नाम है ?
उत्तर:
यूरो मुद्रा।

प्रश्न 5.
चीन में कृषि क्षेत्र का निजीकरण कब किया गया ?
उत्तर:
सन् 1982 में।

प्रश्न 6.
भारत में चीन के मध्य अन्तर्राष्ट्रीय सीमा रेखा’ को किस नाम से जाना जाता है ?
अथवा
भारत और चीन के मध्य भारत द्वारा मान्यता प्राप्त सीमा रेखा कौन-सी है ?
उत्तर:
मैकमोहन रेखा।

प्रश्न 7.
क्या भारत ASEAN (आसियान) का सदस्य देश है ?
उत्तर:
नहीं, भारत आसियान का सदस्य नहीं है।

प्रश्न 8.
चीन में ‘साम्यवादी क्रान्ति’ कब हुई थी ?
उत्तर:
सन् 1949 में।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 4 सत्ता के वैकल्पिक केंद्र

प्रश्न 9.
चीन में ‘खुले द्वार की नीति’ की घोषणा कब की गयी थी ?
उत्तर:
सन् 1978.

प्रश्न 10.
जनसंख्या की दृष्टि से विश्व में भारत का कौन-सा स्थान है ?
उत्तर:
जनसंख्या की दृष्टि से विश्व में भारत का दूसरा स्थान है।

प्रश्न 11.
भारत ने पूरब की ओर देखो’ की नीति कब अपनायी ?
उत्तर:
सन् 1991 में।

प्रश्न 12.
‘पंचशील समझौते’ पर किन दो देशों ने हस्ताक्षर किए ?
उत्तर:
भारत एवं चीन ने।

HBSE 12th Class Political Science Important Questions Chapter 4 सत्ता के वैकल्पिक केंद्र Read More »