HBSE 8th Class Social Science Solutions Civics Chapter 7 हाशियाकरण की समझ

Haryana State Board HBSE 8th Class Social Science Solutions Civics Chapter 7 हाशियाकरण की समझ Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 8th Class Social Science Solutions Civics Chapter 7 हाशियाकरण की समझ

HBSE 8th Class Civics हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली Textbook Questions and Answers

हाशियाकरण की समस्या HBSE 8th Class Civics प्रश्न 1.
‘हाशियाकरण’ शब्द से आप क्या समझते हैं? अपने शब्दों में दो या अधिक वाक्य लिखिए।
उत्तर:
किसी व्यक्ति या समुदाय को समाज के मुख्य धारा से अलग करना या हो जाना या उस स्थिति तक पहुँच जाना ही हाशियाकरण है। इसका संबंध न्यूनतम सामाजिक स्थिति, स्तर, हानियों को अनुभव करते रहने, पूर्वाग्रहों या अविचारपूर्वक निर्णयों/पक्षपातों/ हानिदायक फैसलों/अन्यायपूर्ण धारणाओं एवं शक्तिहीनता से होता है।

इसी के परिणामस्वरूप कुछ समुदाय या एक ही समुदाय के कुछ समूह जैसे मुस्लिम या दलित (विशेषकर हिन्दू दलित) को निम्नतम सामाजिक स्तर प्राप्त है। वे शैक्षिक एवं अन्य संसाधनों के प्रति समान पहुँच नहीं रखते।

हाशियाकरण की समझ प्रश्न उत्तर HBSE 8th Class Civics प्रश्न 2.
आदिवासी लगातार हाशिये पर क्यों खिसकते जा रहे हैं ? दो कारण बताइए।
उत्तर:
कारण (Reasons):
1. आदिवासी लोग इसलिए सामाजिक-आर्थिक तथा अन्य दृष्टियों से हाशिये पर निरंतर खिसकते जा रहे हैं क्योंकि वे अपनी भूमियाँ (भू-खंडों) एवं वनों (जंगलों) को खोते जा रहे हैं। इन दोनों चीजों (भूमि तथा वन) के खोने के कारण उनकी रोजी-रोटी तथा भोजन प्राप्ति के साधन (या संसाधन) उनके हाथों से निकलते जा रहे हैं।

2. वर्षों से (या दशाब्दियों से) वे अपने पारंपरिक आवासों को खोते जा रहे हैं। आदिवासियों को अपनी रोजी-रोटी तथा आजीविका दूढंने एवं प्राप्ति के लिए शहरों तथा कस्बों की ओर पलायन करना पड़ रहा है। वहाँ उनकी हाशिये या किनारे पर लाने वाली स्थिति का शोषण करने वाले शहरी मालिक या कंपनियाँ उन्हें बहुत निम्न मजदूरी पर काम पर रखते हैं। उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य, उचित दर की दुकानों के राशन आदि की सुविधाएँ नहीं मिलतीं। कई बार इन आदिवासियों (पुरुषों तथा महिलाओं एवं उनके किशोर बच्चों को भी) भवन निर्माण संबंधी स्थानों पर मजदूरी करनी पड़ती है। उन स्थानों पर इन्हें रेत, मिट्टी मिश्रित वायु में सांस लेना पड़ता है, दूषित जल पीना पड़ता है तथा अस्थायी रूप से बनायी गई छोटी-छोटी झुग्गियों में रातें गुजारनी पड़ती हैं। इस तरह वे निरंतर निर्धनता तथा वंचितता (Deprivation) के कुचक्र में फंसते चले जाते हैं।

HBSE 8th Class Social Science Solutions Civics Chapter 7 हाशियाकरण की समझ

हाशियाकरण की समझ Notes HBSE 8th Class Civics प्रश्न 3.
आप अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा के लिए संवैधानिक सुरक्षाओं को क्यों महत्त्वपूर्ण मानते हैं ? इसका एक कारण बताइए।
उत्तर:
अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा या हिफाजत के लिए संवैधानिक सुरक्षाएँ इसलिए आवश्यक एवं महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि हमारे राष्ट्र में संविधान कानून एवं प्रशासनिक व्यवस्था करने वाली सर्वोच्च वैधानिक पुस्तक है। यह हमारे देश के धार्मिक एवं भाषायी, जातीय अल्पसंख्यकों को मौलिक अधिकारों के हिस्से के रूप में भी संरक्षण प्रदान करती है। कोई भी सरकार (राज्य) या राजनीतिक दल किसी भी नागरिक से मौलिक अधिकार नहीं छीन सकती।

प्रत्येक नागरिक को देश के सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंच का अधिकार प्राप्त है। देश में सर्वोच्च न्यायालय के साथ-साथ सभी उच्च न्यायालय मौलिक अधिकारों को संरक्षण प्रदान करते हैं। संवैधानिक सुरक्षाओं को अनदेखा नहीं किया जा सकता।

Hasiyakaran Ki Samajh Notes HBSE 8th Class Civics प्रश्न 4.
अल्पसंख्यक और हाशियाकरण वाले हिस्से को दोबारा पढ़ें। अल्पसंख्यक शब्द से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
अल्पसंख्यक शब्द (या पद) का सर्वाधिक प्रयोग उन समुदायों के लिए किया जाता है जिनकी संख्या प्रायः (बहुसंख्यक समुदाय से) गिनती में कम होती है। वैसे हमारे देश के संविधान में भाषायी दृष्टि से कम लोगों के समूहों को भी विभिन्न राज्यों या क्षेत्रों में अल्पसंख्यक माना जाता है। यह पद (कम संख्या) शक्ति की समस्या, संसाधनों तक पहुँच एवं सामाजिक तथा सांस्कृतिक क्षेत्रों (dimentions) से भी जुड़ी हुई। कश्मीर में हिंदू अल्पसंख्यक है।

हाशियाकरण की समझ कक्षा 8 HBSE Civics प्रश्न 5.
आप एक बहस में हिस्सा ले रहे हैं जहाँ आपको इस बयान के समर्थक में तर्क देने हैं: ‘मुसलमान एक हाशियाई समुदाय है।’ इस अध्याय में दी गई जानकारियों के आधार पर दो तर्क पेश कीजिए।
उत्तर:
‘मुसलमान एक हाशियाई समुदाय है।’ इस कथन के समर्थन में मैं निम्नलिखित कारणों का प्रयोग करूँगाः
1. 63.6 प्रतिशत मुसलमान कच्चे घरों में रहते हैं। दूसरी ओर बहुसंख्यक अर्थात् हिन्दू लोगों में केवल 55.2 प्रतिशत लोग ही कच्चे घरों में रहते हैं।
2. केवल 30 प्रतिशत मुसलमानों को ही बिजली की सुविधा तक पहुँच है जबकि 43.2 प्रतिशत हिन्दू विद्युत का प्रयोग करते
3. शुद्ध वायु के उपरांत शुद्ध पेय जल दूसरी मूलभूत आवश्यकता है। मुस्लिम आबादी में से केवल 19.4 प्रतिशत ही पाइप का पानी उपयोग कर पाते हैं. दूसरी ओर 25.3 प्रतिशत हिन्दू इसका उपयोग करने की स्थिति में हैं।
4. यदि हम देश के सभी समुदायों के शिक्षित होने के प्रतिशत का अध्ययन करें तो हमें यह स्वीकार करना पड़ेगा कि सबसे निम्नतम शिक्षित दर मुसलमानों में (केवल दो) ही है।

हाशियाकरण की समझ HBSE 8th Class Civics प्रश्न 6.
कल्पना कीजिए कि आप टेलीविजन पर 26 जनवरी की परेड देख रहे हैं। आपकी एक दोस्त आपके नजदीक बैठी है। वह अचानक कहती है, “इन आदिवासियों को तो देखो, कितने रंग-बिरंगे हैं। लगता है सदा नाचते ही रहते हैं।” उसकी बात सुनकर आप भारत में आदिवासियों के जीवन से संबंधित क्या बातें उसको बताएंगे? उनमें से तीन बातें लिखें।
उत्तर:
1. हमेशा अपने मस्तिष्क में याद रखें कि ये आदिवासी परदेशी या अलग-अलग बिल्कुल भी नहीं हैं। वास्तव में, वे हमारे देश के मूल (Original) निवासी हैं।

2. आदिवासी सदियो से जंगलों में रहे थे और प्रायः अब भी उन्हीं (जंगलों में) से गहरे संबंध रखते हुए हैं।

3. आदिवासी एक जैसी (एकरूपता) प्रतिभा या एक जैसे स्तर या रूप वाली जनसंख्या नहीं है। हमारे देश में 500 से भी ज्यादा आदिवासी समूह हैं। वे जिन राज्यों में बहुसंख्यक या बड़ी संख्या में रहते हैं, वे हैं-छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, आंध्र प्रदेश तथा पश्चिमी बंगाल। उत्तरी-पूर्वी भारत के अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड एवं त्रिपुरा में भी ये बड़ी संख्या में पाये जाते।

4. आदिवासी समाज सर्वाधिक भिन्न इसलिए भी दिखाई देते हैं क्योंकि उनमें कुल परंपरा की मान्यता अधिक है। यह उन्हें उन लोगों से पृथक करती है जिनके जाति या वर्ग के सिद्धांतों पर संगठन पाये जाते हैं या जो राजाओं द्वारा शासित किए गये थे।

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प्रश्न 7.
चित्रकथा-पट्ट में आपने देखा कि हेलेन होप आदिवासियों की कहानी पर एक फिल्म बनाना चाहती है। क्या आप आदिवासियों के बारे में एक कहानी बना कर उसकी मदद कर सकते हैं?
उत्तर:
हाँ, मैं आदिवासियों पर एक लघु-कथा लिखकर उसे मदद कर सकता हूँ।
1. मैं उसे बताऊँगा कि एक विदेशी कंपनी ने आदिवासियों के क्षेत्र में एक धातु संबंधी फैक्ट्री लगाने की योजना बनाई थी।

2. उन्हें उनके मूल-निवास स्थान से, जहाँ पर वे अनेक पीढ़ियों से रह रहे थे, भारत के विभिन्न भागों में जाने के लिए विवश किया गया। उन आदिवासियों ने जिला प्राधिकरण तक पहुँच की। एक आदमी तथा उसकी एक महिला मित्र ने एक संगठन बनाने का निर्णय किया। वे लोग न केवल जिला प्रशासन बल्कि राज्य सरकार तथा अंततः केन्द्रीय सरकार तक भी पहुंचे।

3. उनके नेतृत्व में आदिवासियों ने तीन चीजों की माँग की-जंगल, जल एवं जीविका। उनके एक लंबे संघर्ष के बाद मानव अधिकार आयोग आगे आता है एवं उनकी मांगें मान ली जाती हैं। उन्हें जंगल भूमि का एक बड़ा भाग सौंप दिया जाता है।

उन्हें भूमियों के साथ-साथ जल आपूर्ति एवं कंपनी में रोजगार देने के साथ-साथ अनेक छोटे-छोटे उद्योग आदि शुरू करने के लिए नाममात्र के व्याज पर सरकार द्वारा ऋण प्रदान किए जाते हैं ताकि उन्हें रोजी-रोटी मिल सके।

प्रश्न 8.
क्या आप इस बात पर सहमत हैं कि आर्थिक और सामाजिक हाशियाकरण आपस में जुड़े हुए हैं ? क्यों ?
उत्तर:
हाँ, मैं इस बात से पूर्णतया सहमत हूँ कि आर्थिक एवं सामाजिक हाशियाकरण परस्पर जुड़े हैं। मैं निम्न तर्क या कारण प्रस्तुत कर रहा हूँ
(i) उचित आर्थिक स्थिति तक पहुंचे बिना कोई भी व्यक्ति अपने तथा अपने परिजनों के लिए एक घर नहीं बनवा सकता।

(ii) बिना धनराशि के यह संभव नहीं कि कोई व्यक्ति अपने निवास स्थान पर बिजली लगवा सके तथा समय-समय पर हर महीने आने वाले बिजली के बिल का भुगतान कर सके। उसके लिए यह भी संभव नहीं कि वह अपने घर के लिए विद्युत से चलने वाले उपकरण जैसे रेडियो, टी.वी., फ्रिज, इलैक्ट्रिक प्रेस, वाशिंग मशीन, पंखे, ए.सी., गीजर आदि लगवा सके।

(iii) बिना धन के कोई भी व्यक्ति अपने यहाँ जलापूर्ति कनेक्शन नहीं ले सकता। घर के अंदर जल संबंधी विभिन्न सुविधाएँ नहीं प्रदान कर सकता। प्रत्येक महीने या बीच-बीच में जल आपूर्ति बिल के भुगतान के लिए भी धनराशि की आवश्यकता पड़ती है।

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HBSE 8th Class Civics हाशियाकरण की समझ Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
क्या आप अपने राज्य में रहने वाली कुछ जनजाति समुदायों के नाम बता सकते हैं ?
उत्तर:

  1. मीणा
  2. मुंडा
  3. संथाल
  4. गोंड आदि।

प्रश्न 2.
वे कौन-कौन सी भाषाएँ बोलते हैं ?
उत्तर:
वे हिन्दी भाषा, राजस्थानी बोली, मुंडा तथा संथाली भाषा बोलते हैं।

प्रश्न 3.
क्या वे वनों के समीप रहते हैं?
उत्तर:
हाँ, उनमें से अधिकांश जंगलों के समीप ही रहते हैं लेकिन कुछ जनजाति समुदायों ने नई बस्तियों, समीप के छोटे-छोटे गाँवों, कस्बों तथा बड़े शहरों में भी बसा लिया है।

प्रश्न 4.
क्या वे काम की तलाश में अन्य स्थानों में जाते है?
उत्तर:
में प्रवास करने के लिए विवश होना पड़ता है। जंगल तथा भूमियों के छिनने के बाद वे प्राय: बेरोजगार होते चले जाते हैं।

प्रश्न 5.
दड़बाकरण क्या है ? इस प्रक्रिया के लिए जिम्मेवार कारकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
दड़बाकरण (Ghettoisation) का अर्थ होता है किसी स्थान विशेष पर ही किसी समुदाय का बड़ी संख्या में जमावड़ा होना। किसी समुदाय के दबाकरण अथवा विशेष स्थल पर जमावड़े के लिए अनेक सामाजिक, सांस्कृतिक एवं आर्थिक कारक उत्तरदायी होते हैं। भय या प्रभुत्वशाली लोगों के अत्याचार भी उन्हें किसी स्थल या क्षेत्र विशेष पर ही बड़ी भारी संख्या में साथ-साथ निवास करने के लिए विवश कर सकते हैं क्योंकि वे बड़ी संख्या में साथ-साथ रहकर स्वयं को अधिक सुरक्षित अनुभव करते हैं।

वस्तुत:
घेट्टो (घेरेबंद बस्तियों) से किसी भी समुदाय के लोगों के बाहर निकलने के बहुत कम विकल्प रह जाते हैं क्योंकि वे यदि ऐसा करते हैं तो वे स्वयं को नये स्थान पर शेष लोगों में अजनबी जैसा महसूस करते हैं। इस स्थिति में वे कुंठित हो जाते हैं और इससे घृणा तथा हिंसा का जन्म होता है।

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प्रश्न 6.
सामाजिक रूप से हाशिये पर होने का क्या अर्थ है ? उन विभिन्न कारकों को बताइए जिनकी वजह से इसका अनुभव किया गया है।
उत्तरः
सामाजिक दृष्टि से हाशिये पर पहुंचना या आ जाने का तात्पर्य है कि समाज में की मुख्यधारा या केन्द्र में स्थित न होकर सामाजिक ढाँचे या स्थिति पर एक तरफ या किनारे या सीमा के पास आ जाना।

उदाहरणार्थ:
यदि आप अपनी कक्षण के अन्य विद्यार्थियों की तरह नहीं हैं, आप सबसे अलग-थलग दिखाई देते हैं या आपकी रुचियाँ एवं उपलब्धियाँ या असफलताएँ ही आपको शेष विद्यार्थियों से बिल्कुल एक किनारे पर खड़ा कर देती हैं तो हम कहेंगे कि आपकी स्थिति हाशिये पर आ गयी है। मान लीजिए कि आपकी पढ़ने में रुचि नहीं है। आप संगीत या फिल्मों में ही रुचि रखते हैं। आपके अंक (परीक्षा में) बहुत ही कम आते हैं या आप बहुत ज्यादा अंक सभी विषयों में ले लेते हैं या खेल के मैदान पर आपकी उपलब्धि बहुत ही हटकर है तो आपकी स्थिति कक्षा के शेष विद्यार्थियों से अलग-थलग होगी वे आपको ‘अपने बीच का’ नहीं मानेंगे। आप भी महसूस करेंगे कि आप दूसरों से अलग हैं।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
आज के भारत में कौन-कौन सी धातुएँ महत्त्वपूर्ण हैं ? क्यों ? वे कहाँ से आती हैं ? क्या वहाँ पर आदिवासी जनसंख्या है ?
उत्तर:
(क) आज के भारत के लिए लोहा-इस्पात, टिन, ताँबा, सोना, चाँदी, मैगनीज आदि धातुएँ बहुत ही महत्त्वपूर्ण हैं।
(ख) विभिन्न प्रकार की धातुएँ देश के बहुमुखी विकास के लिए, इमारतों के निर्माणों से जुड़ी योजनाओं, सड़कों, पुलों, रेलवे विस्तार एवं निर्माण, जहाजरानी निर्माण, वायुयान निर्माण, बाँधों के निर्माण आदि के लिए महत्त्वपूर्ण एवं आवश्यक हैं।
(ग) हमारे देश में अधिकांश धातुएँ खानों से खोदकर तथा विभिन्न क्षेत्रों से आती हैं। कुछ धातुएँ विदेशों से भी हम आयात करते हैं।
(घ) हमारे ज्यादातर खनन क्षेत्र व औद्योगिक क्षेत्र छोटा नागपुर पठार में स्थित हैं। यह प्रदेश सदियों से आदिवासियों का गढ़ रहा है। इसके अंतर्गत आने वाले राज्यों यथा झारखंड, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ आदि में अभी भी बड़ी संख्या में आदिवासी लोग रहते हैं।

प्रश्न 2.
“आदिवासी एवं अपरिवर्तनशीलता” नामक विषय के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
(i) प्रस्तावना (Introduction):
नि:संदेह अनुसूचित जनजातियाँ एवं आदिवासी प्रायः बिना परिवर्तन या प्रचलित छवियों एवं परंपरागत जीवन शैली में ही रहना पसंद करते हैं। हमने अपने विद्यालयों में होने वाली विभिन्न उत्सवों या घटनाओं के समय रंगमंच पर, दूरदर्शन के पर्दे पर, पुस्तकों के पृष्ठों पर और यहाँ तक कि विभिन्न फिल्मों के माध्यम से उन्हें नाचते-गाते, रंग-बिरंगी पोशाके पहने हुए, लोक संगीत एवं नाच-गाने व अन्य गतिविधियों के बारे में देखा, सुना और पढ़ा होगा।

(ii) उनके रहने-सहने का ढंग (They way of living):
उनकी जीवनशैली, संस्कृति, सभ्यता आदि के बारे में पूरा ज्ञान एवं जानकारी प्राप्त किये बिना ही हम कह देते * कि वे हमारे लिए विदेशी/परदेशी या अजनबी हैं। वे आदि मान की तरह जंगली शैली में रहते हैं एवं वे पिछड़े हुए है। आदिवासियों पर प्रायः यह दोषारोपण लगा दिया जाता है कि वे परिवर्तन के विरुद्ध हैं और वे शीघ्रता से नये ज्ञान, विचारों एवं विज्ञान-तकनीकी को मंजूर नहीं करते। इसीलिए वे हमें पुरातनवादी लकीर के फकीर, पिछड़े दिखाई देते हैं जो वस्तुतः गलत है। वे प्रकृति को प्यार करते हैं।

वे पर्यावरण संरक्षण, वन एवं वन्य प्राणियों तथा पेड़-पौधों की रक्षा करने एवं उनकी प्रजातियों एवं अस्तित्व को बनाये रखने के पक्षधर हैं। हर समुदाय या मानव प्रजाति या समूह की अपनी-अपनी भाषा, जीवन-शैली, संस्कृति, सामाजिक व्यवस्था, अर्थव्यवस्था तथा राजनीति होती है। वे परिवर्तन चाहते हैं लेकिन केवल मात्र परिवर्तन के लिए ही बदलाव नहीं चाहते। उनके जीवन व अस्तित्व के लिए जंगल, जीविका एवं जल अत्यंत आवश्यक है।

प्रश्न 3.
आदिवासियों के जीवन पर जंगलों तथा भूमि के खोने से उत्पन्न विपरीत प्रभावों का उल्लेख करें।
उत्तर:
जंगलों तथा भूमि के खोने (या बर्बादी) के विपरीत प्रभावः
(i) अपनी भूमियों से बेदखल होने तथा जंगलों में घूमने के अधिकार खो देने का अर्थ है कि आदिवासियों ने अपनी रोजी-रोटी एवं भोजन प्राप्ति के मुख्य स्रोत ही खो दिए हैं।

(ii) अपने मूल निवास स्थानों, घरों आदि को खो देने तथा रोजी-रोटी के स्रोतों से बेदखल आदिवासियों को विवश होकर बड़े-बड़े शहरों में काम की तलाश में निकलना पड़ा। वहाँ स्थित बड़े-बड़े कारखानों में उन्हें गंदी परिस्थितियों में बहुत कम मजदूरी पर लम्बे घंटों तक काम करना पड़ता है।

(iii) वन नहीं रहे, जमीन छिन गई। वनों से उत्पाद इकडे करने के पारंपरिक अधिकार भी नहीं रहे। फलस्वरूप आदिवासी निर्धनता, बेरोजगारी तथा खानाबदोशी के कुचक्र में घिर गये।

(iv) आज हाल यह है कि लगभग 45 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी तथा 35 प्रतिशत शहरी क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी निर्धनता की रेखा से नीचे का जीवन यापन कर रहे हैं। इसके कारण ही उनके जीवन में दुःख तथा निराशा एवं अन्य बुराइयों ने घर कर लिया।
(v) अनेक आदिवासी बच्चे (जो राष्ट्र की बहुमूल्य संपदा हैं) कुपोषण के शिकार हो गये हैं। शिक्षा का अनुपात भी आदिवासियों में बहुत ही निम्न है।
(vi) आदिवासी धीरे-धीरे अपनी परंपराएँ एवं रीति-रिवाज भी खोते जा रहे हैं। उन्हें उनके गाँवों, घरों, श्मशान भूमियों, मंदिरों, तालाबों आदि से दूर कर दिया गया है।

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दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
वनों (जंगलों) का आदिवासियों के जीवन एवं विकास में क्या महत्त्व है ? विचार-विमर्श कीजिए।
उत्तर:
आदिवासियों के जीवन तथा विकास में जंगलों की महत्ता (Importance of Forest in Life and Development of Adivasis):

1. जब से मानव जाति का हमारे ग्रह पृथ्वी पर अस्तित्व सामने आया, लगभग तभी से जंगलों ने मानव जीवन एवं विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी है। इनकी भूमिकाओं को आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक जीवन-आयामों के साथ-साथ राज्यों, साम्राज्यों एवं स्थायी निवास बनने एवं सभ्यताओं के विकास में देखा गया है। नि:संदेह आदिवासी भी इस विश्वव्यापी सत्य एवं यथार्थ का अपवाद नहीं हो सकते।

2. धातु अयस्क जैसे कि लोहा एवं तांबा, टिन एवं कांस्य, सोना तथा चाँदी खनिज संपदायें जैसे कि कोयला, हीरे, बहुमूल्य जंगली लकड़ियाँ, अनेकानेक औषधियाँ एवं जड़ी-बूटियाँ एवं जानवरों के द्वारा प्रदान किये जाने वाले उत्पाद (जैसे कि चर्बी, मोम, हड्डियाँ, हाथी दाँत, सींग, चमड़ा, लाख, शहद आदि) और यहाँ तक कि अनेक तरह के पशु-पक्षी आदि जंगलों से आते थे।

3. आदिवासियों का जीवन तो बहुत ही व्यापक ढंग से जंगलों पर अवलंबित रहा है। वनों से हमें हरियाली. शुद्ध एवं ताजी हवा तथा ये ही हमारी नदियों को समय-समय पर लबालब भरी रहने एवं पुनः उन्हें जीवन देने में अहम भूमिका का निर्वाह करते हैं। ये नदियाँ भारत के विभिन्न राज्यों, क्षेत्रों एवं अन्य स्थानों पर फैली हुई हैं। यद्यपि नासमझ भारतीयों ने बिना सोचे-समझे अनेक जंगलों को काट डाला है और इसी कारण हमें अच्छी स्वच्छ हवा एवं शुद्ध पेयजल का अभाव महसूस होता जा रहा है।

4. 19वीं शताब्दी तक हमारे देश का मुख्य भू-भाग अधिकतर जंगलों से ही ढका हुआ था। आदिवासियों का जंगलों पर पूर्ण नियंत्रण था। वे जहाँ चाहते थे वन-स्थलों में विचरण किया करते थे। उन्हें विभिन्न वनस्पतियों तथा वन्य प्राणियों की पूर्ण जानकारी थी। वे वनों से ही अपनी जीविका अर्जित करते थे।

उनकी अर्थव्यवस्था कृषि, पशुपालन, छोटे-छोटे धन्धे, लघु पैमाने पर चलने वाला व्यापार सभी पूर्णतया जंगलों पर ही निर्भर था। उन्हें बड़े-बड़े राज्यों या साम्राज्यों पर आश्रित नहीं रहना पड़ता था। वे -नरेशों तथा सम्राटों के मोहताज नहीं थे अपितु यह कहना अतिश्योक्तिपूर्ण नहीं होगा कि जंगली लकड़ी (टिम्बर), हाथियों, जड़ी-बूटियों तथा वनों से अनेक तरह के उत्पादों को पाने के लिए नरेश तथा सम्राट उन्हीं पर आश्रित हुआ करते थे।

प्रश्न 2.
‘अल्पसंख्यक’ पद (शब्द) के अर्थ की व्याख्या कीजिए। आप क्यों सोचते हैं कि अल्पसंख्यकों के लिए सुरक्षात्मक प्रावधानों की जरूरत है?
उत्तर:
I. अल्पसंख्यक (Minorities):
प्रायः अल्पसंख्यक संज्ञा का प्रयोग उस समुदाय/संप्रदाय/भाषायी समूह आदि के लिए किया जाता है जो देश की कुल जनसंख्या में अपनी संख्या के कारण बहुत कम गिनती वाले हैं। जो भी हो, यह अवधारणा केवल संख्या तक ही सीमित नहीं है, यह उससे भी आगे निकल जाती है। यह शक्ति के मामलों से भी संबंधित है। संसाधनों तक उनकी पहुँच से भी जुड़ी हुई है और अल्पसंख्यक का दायरा (या क्षेत्र/फैलाव) सामाजिक एवं सांस्कृतिक पहलुओं तक भी है।

अल्पसंख्यकों के लिए सुरक्षात्मक प्रावधानों की आवश्यकता के उत्तरदायी कारण:
(i) भारत का संविधान मौलिक अधिकारों के जरिए ही धार्मिक, |जातीय एवं भाषायी अल्पसंख्यकों को सुरक्षा प्रदान करता है।

(ii) भारतीय संविधान यह मानता है कि बहुसंख्यक समुदाय की संस्कृति, समाज एवं सरकार को प्रभावित कर सकती है। ऐसे मामलों में छोटा आकार हानिकारक हो सकता है और अल्पसंख्यक या छोटे समुदाय हाशिये पर जा सकते हैं। इसलिए संरक्षण व्यवस्थाओं की आवश्यकता अल्प संख्यकों को बचाने के लिए होती है ताकि वह संभावना खत्म हो सके जिसके अन्तर्गत बहुसंख्यक सांस्कृतिक रूप से वर्चस्व स्थापित न कर सकें।

(ii) भारत का संविधान सभी नागरिकों की समानता में यकीन करता है। यह सभी तरह के अल्पसंख्यकों को किसी भी तरह के भेदभाव से संरक्षण देता है और उन हानियों से जिन्हें उनका सामना करना पड़ता है, बचाता है। अल्पसंख्यक समुदाय जिनकी संख्या शेष समाज के लोगों से कम होती है, वे स्वयं को असुरक्षित महसूस कर सकते हैं। यह असुरक्षा उन्हें अपने जीवन, संपत्ति एवं कल्याण के क्षेत्र में भी महसूस हो सकती है। यही असुरक्षा की भावना अल्पसंख्यकों एवं बहुसंख्यक समुदाय के लोगों में परस्पर अविश्वास एवं फूट को बढ़ावा देती है।

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प्रश्न 3.
आदिवासी कौन हैं ? उनकी जनसंख्या के आकार, निवास स्थान तथा अन्य विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
1. आदिवासियों का अर्थ (Meaning of the Adivasis):
इस शब्द या पद का शाब्दिक अर्थ है “मूल निवासी”। ये वे समुदाय हैं जो सदियों से जंगलों के समीप रहते आ रहे हैं तथा आज भी उनके समीप ही रह रहे हैं। उनका जंगलों से सर्वाधिक गहरा लगाव होता है।

2. आदिवासी समरूप जनसंख्या नहीं है (Adivasis are not a homogeneous population):
आदिवासी लोग सभी जगह एक स्वरूप नहीं रखते तथा न ही वह एक समान बसे हैं। उनकी जनसंख्या जिन राज्यों में बड़ी संख्या में पायी जाती है, वे हैं छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, आन्ध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल। इनके साथ-साथ उत्तर-पूर्वी राज्यों में मुख्यतया अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड एवं त्रिपुरा में भी मिलते हैं।

3. भारत की जनसंख्या का प्रतिशत (Percentage of India’s Population):
आंकड़ों पर दृष्टि डालने से स्पष्ट हो जाता है कि भारत की जनसंख्या में 8 प्रतिशत आदिवासी हैं। प्रायः वे अपने पूर्वजों की अर्चना-पूजा करने में व्यस्त रहते हैं। वे गाँवों तथा प्राकृतिक आत्माओं की भी पूजा करते हैं। वे विभिन्न धर्मो तथा उनके सिद्धान्तों से प्रभावित हुए हैं जैसे कि शाक्त, बौद्ध, वैष्णव, भक्ति एवं ईसाई धर्म।

4. भाषाएँ (Languages):
आदिवासियों की कई भाषाएँ एवं बोलियाँ हैं जो उनके द्वारा बोली जाती हैं या प्रयोग में लायी जाती हैं। संथाली उनकी एक मुख्य भाषा है। उनमें कुछ बंगाली भी बोलते हैं। कुछ आदिवासी राजस्थानी, हिन्दी, गुजराती, मराठी. असमिया तथा उड़िया बोलते हैं।

हाशियाकरण की समझ Class 8 HBSE Notes in Hindi

1. ऊँच-नीच अथवा पदक्रम (Hierarchy): व्यक्तियों या चीजों की एक क्रमिक व्यवस्था। आमतौर पर ऊँच-नीच की सीढ़ी के सबसे निचले पायदान पर वे लोग होते हैं जिनके पास सबसे कम ताकत है। जाति व्यवस्था ऊँच-नीच की व्यवस्था है जिसमें दलितों को सबसे नीचे माना जाता है।

2. दड़बाकरण (Ghettoisation): यह शब्द आमतौर पर ऐसे इलाके या बस्ती के लिए इस्तेमाल होता है जिसमें मुख्य रूप से एक ही समुदाय के लोग रहते हैं। दड़बाकरण इस स्थिति तक पहुंचने वाली प्रक्रिया को कहा जाता है। यह प्रक्रिया विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक कारणों पर आधारित हो सकती है। ‘दड़बे में घिरे’ समुदाय के पास आमतौर पर वहाँ से निकल पाने के ज्यादा विकल्प नहीं होते हैं जिसके कारण वे शेष समाज से कटते चले जाते हैं।

3. मुख्य धारा (Mainstream): इसका सामान्य अर्थ किसी नदी या जलधारा के मुख्य बहाव को कहा जाता है। इस अध्याय में यह शब्द एक ऐसे सांस्कृतिक संदर्भ के लिए इस्तेमाल हुआ है जिसमें वर्चस्वशाली समुदाय के रीति-रिवाजों और प्रचलनों को ही सही माना जाता है। इसी क्रम में उन लोगों या समुदायों को भी मुख्यधारा कहा जाता है जिन्हें समाज का केंद्र माना जा रहा है, जैसे प्राय: सर्वसंज्ञासंपन्न या वर्चस्वशाली समूह।

4. विस्थापित (Displaced): इस अध्याय के संदर्भ में यह उन लोगों की ओर इशारा करता है जिन्हें किसी विकास की योजना जिसमें बाँधो का निर्माण, खनन आदि शामिल है आदि के कारण अपने स्थान छोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है या उन्हें विवश होना पड़ता है। इन विस्थापितों के अन्यत्र जाकर बसना पड़ता है।

5. कुपोषित या अपर्याप्त खाद्यान्न प्राप्त करने वाले (Malnourished): एक वह व्यक्ति या जनसंख्या अथवा जनसंख्या का वह विभाग (Section) जिसे या तो पेट भर पूरा खाद्यान्न या भोजन न मिले अथवा वह भोजन स्वास्थ्य की दृष्टि से पर्याप्त पौष्टिक न हो।

6. आदिवासी (Adivasis): साहित्यिक या शाब्दिक दृष्टि से किसी स्थान के मूल निवासियों को आदिवासी कहा जाता है। हमारे, देश के संदर्भ में देश के अनेक क्षेत्रों एवं राज्यों में रहने वाले वे लोग जो प्रायः आदिकाल से जंगलों में रहते आ रहे हैं, जो अपने ढंग से पहले स्थानांतरण कृषि करने, पशुओं को पालने, घुमाने, वनों के उत्पादनों का प्रयोग करने वाले, अपनी विभिन्न परम्पराओं, सांस्कृतिक, रीति-रिवाजों तथा जीवन-निर्वाह के ढंगों का स्वतंत्र रूप से पालन करते आ रहे हैं। कई बार इन समुदायों या जातियों के लोगों को अपनी पंचायतों के निर्णयों तथा निर्देशों का भी पालन करना पड़ता है। अनुसूचित जातियों के समान ही आदिवासियों को तीव्र विकास के लिए अनेक तरह की सुविधाएँ दी जा रही हैं।

HBSE 8th Class Social Science Solutions Civics Chapter 7 हाशियाकरण की समझ

7. सामाजिक रूप से हाशिये पर होना (Socially Marginalised): किसी ढाँचे या व्यवस्था या चीज का केन्द्र न होकर उसके किनारे या एक छोर पर पहुंच जाना। हाशिये पर होना से तात्पर्य है किसी को हाशिये पर ढकेल देना जहाँ उसके लिए कोई संभावना नहीं करती।

8. संथाली (Santhali): मुख्य रूप से संथाल आदिवासियों द्वारा बोली जाने वाली भाषा।

9. जनजातियाँ (Tribals): सामान्य तौर पर सुदूर जंगलों में रहने वाली जातियों को जनजातियाँ आदिवासी शब्द से भी संबोधित किया जाता है।

10. अनुसूचित जनजातियाँ (Scheduled Tribes): हमारे देश के वे सम्माननीय, प्रिय आदिकाल से रह रही जनजातियों के लोग जिन्हें स्वतंत्रता के उपरांत शीघ्र विकास एवं मुख्यधारा से स्वैच्छिक रूप से जोड़ने के लिए विभिन्न जनजातियों को सूचीबद्ध किया गया है। अनेक विभागों तथा राज्यों में उनके तीव्र विकास के लिए उन्हें सूचीबद्ध किया गया है।

11. अनुसूचित जातियाँ (Scheduled Castes): वे दलित जिन्हें स्वराज्य के लिए चल रहे संघर्ष के दौरान मोहनदास करमचन्द गाँधी ने हरिजन की संज्ञा प्रदान की थी अथवा एन.सी.ई.आर.टी. की हाल की कुछ पाठ्यपुस्तकों में उनके लिए ‘दमित’ शब्द का भी प्रयोग किया गया है। भारतीय संविधान में अनुसूचित जातियों की संज्ञा दी गयी है।

12. पशु उत्पाद (Animal Products): मोम, लाख, शहद, चमड़ा, अस्थियाँ (या हड़ियाँ), माँस, दूध, अंडे, सींग आदि पशु उत्पाद कहलाते हैं।

13. भारत के प्रमुख धार्मिक समूह (Main Religious Groups of India):

  • हिन्दू
  • मुस्लिम
  • ईसाई
  • सिक्ख
  • जैन
  • बौद्ध
  • पारसी तथा
  • यहूदी।

14. कुछ मौलिक अथवा आधारभूत आवश्यकताएँ (Basic Amenities):

  • भोजन
  • वस्त्र
  • मकान
  • स्वच्छ पेय, जल
  • विद्युत
  • सड़कें
  • यातायात के साधन
  • संवादवहन के साधन
  • मनोरंजन के साधन
  • शिक्षा सुविधाएँ
  • स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएँ।

15. भारतीय जनसंख्या में मुस्लिम प्रतिशत (Muslim’s percentage in India’s population): 13.4

16. सच्चर समिति (Sachar Committee): सरकार ने सन् 2005 में मुसलमानों की आर्थिक, सामाजिक स्थिति का आंकलन करने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया था। इसकी अध्यक्षता न्यायमूर्ति राजिन्दर सच्चर ने की थी।

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