HBSE 8th Class Social Science Solutions Civics Chapter 9 जन सुविधाएँ

Haryana State Board HBSE 8th Class Social Science Solutions Civics Chapter 9 जन सुविधाएँ Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 8th Class Social Science Solutions Civics Chapter 9 जन सुविधाएँ

HBSE 8th Class Civics जन सुविधाएँ Textbook Questions and Answers

जन सुविधाएँ HBSE 8th Class Civics प्रश्न 1.
आपको ऐसा क्यों लगता है कि दुनिया में निजी जलापूर्ति के उदाहरण कम हैं?
उत्तर:
1.निजी कंपनियाँ प्रायः विश्व भर के बाजारों में केवल लाभ प्राप्ति के लिए ही कार्यरत रहती हैं। नल के द्वारा शुद्ध, स्वच्छ जल बहुत कम दर या मुफ्त में ही देना नाममात्र के लिए लाभकारी होगा या बिल्कुल भी नहीं होगा।

2.यदि निजी कंपनियाँ पूर्णतया जल आपूर्ति का उत्तरदायित्व अपने ऊपर ले लेती हैं तो उन्हें स्थान- स्थान पर जल-पाइप बिछाने होंगे तथा वाटर-टैंक बनवाने होंगे, उन्हें समय-समय पर साफ करना होगा। इन सब पर तथा पाइपों एवं सार्वजनिक स्थानों …पर नल आदि बनाये रखने के लिए पर्याप्त व्यय वहन करना पड़ेगा। यही नहीं पानी को मलेरिया या डेंगू के मच्छरों से मुक्त – रखना होगा।

3.उपभोक्ता, सरकारी विभाग या उनकी एजेंसियाँ आदि छोटी-छोटी गलती पर भी निजी जल आपूर्ति करने वाली कंपनियों के खिलाफ न्यायालयों में मुकदमे डाल सकते हैं। ऐसी परिस्थिति में न्यायालय निजी कंपनियों तथा उनके प्रबंध-निर्देशकों पर भारी जुर्माने या कैद की सजा या दोनों तरह के दंड दे सकते हैं। ऐसी मुसीबत में भला निजी कंपनियाँ क्या हाथ डालना चाहेंगी?

HBSE 8th Class Social Science Solutions Civics Chapter 9 जन सुविधाएँ

जन सुविधाएँ प्रश्न उत्तर HBSE 8th Class Civics प्रश्न 2.
क्या आपको लगता है कि चेन्नई में सबको पानी की सुविधा उपलब्ध है और वे इसे खरीद सकते हैं? चर्चा करें।
उत्तर:
नहीं, चेन्नई में रहने वाले सभी लोगों को न तो पानी की सुविधा उपलब्ध है तथा न ही वह इसे खरीदने की क्षमता ही रखते हैं।
(i) चेन्नई में, अन्नानगर जैसा पॉश इलाका है जहाँ 24 घंटे पानी उपलब्ध रहता है जब पानी की आपूर्ति का अभाव होता है तो इस कॉलोनी के सरकारी अफसर जल निगम के उच्च अधिकारी से टेलीफोन (दूरभाष) पर बातचीत करते हैं तथा उनके पास जल आपूर्ति वाले टैंकर तुरंत ही उपलब्ध हो जाते हैं।

(ii) शहर के अधिकांश क्षेत्रों की भाँति ही सुब्रमण्यन अपार्टमेन्ट जो मैलापुर में है जल के अभाव से पीड़ित रहता है। इस क्षेत्र में दो दिन में केवल एक बार ही जल प्राप्त होता है। अपार्टमेन्ट को निजी बोरवैल द्वारा जल की आपूर्ति कर दी जाती है। बोरवैल का पानी खारा होता है। यह पीने योग्य नहीं है। इसलिए इस क्षेत्र के निवासी इस पानी को शौचालयों एवं धोने के काम में प्रयोग में लाते हैं। अन्य उपयोगों के लिए पानी टैंकर्स से खरीदा जाता है। इन टैंकरों से पानी खरीदने पर ही लोगों को 500 से 600 रुपये प्रति माह खर्च करने पड़ते हैं। कस्बे में सभी लोग इतने खर्च को सहन नहीं कर सकते।

(iii) मडीपाक्कम में जल आपूर्ति की दशा इससे भी ज्यादा बुरी है। यह चार दिनों में एक बार पानी प्राप्त करता है।

(iv) सैदापेट के पास गंदी बस्ती (या झुग्गी-झोपड़ी क्षेत्र) में 30 झुग्गियों में रहने वाले परिवारों के लिए एक सांझा नल है जो बस्ती के एक कोने पर लगा हुआ है जिसमें दिन में दो बार बोरवैल का पानी 20-20 मिनट के लिए आता है। इस समय (अवधि)के अंदर एक परिवार को ज्यादा से ज्यादा तीन बाल्टियाँ भरने का मौका मिलता हैं।

जन सुविधाएँ Notes HBSE 8th Class Civics प्रश्न 3.
किसानों द्वारा चेन्नई के जल व्यापारियों को पानी की बिक्री से स्थानीय लोगों पर क्या असर पड़ रहा है? क्या आपको लगता है कि स्थानीय लोग भूमिगत पानी के -इस दोहन का विरोध कर सकते हैं? क्या सरकार इस बारे में कुछ कर सकती है?
उत्तर:
(i) निजी कंपनियाँ अथवा जल आपूर्ति करने वाले टैंकरों के मालिक चेन्नई के आस-पास के क्षेत्रों जैसे पालूर, कारूनगिझी एवं अन्य गाँवों के किसानों को अग्रिम धनराशि (Advance money or amount) दे देते हैं ताकि वे अपने व्यापार के अनुसार उनके खेतों में स्थित जल-स्रोतों का शोषण कर सकें। ये कंपनियाँ शहरों को पानी की आपूर्ति करती हैं। 13000 से अधिक टैंकर इस काम में लगे हैं।

(ii) पानी के व्यापारियों को किसानों के द्वारा पानी की बिक्री कर देना स्थानीय लोगों पर बहुत ही प्रतिकूल प्रभाव डालता है। उन्हें पानी आपूर्ति करने वाली कंपनियों को पर्याप्त धनराशि का भुगतान करना पड़ता है। हर रोज भूमिगत जल का स्तर नीचे और नीचे चला जा रहा है।

(iii) इस तरह की जल आपूर्ति से स्थानीय कृषि पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है तथा जो ग्रामीण उसी आस-पास के पानी पर निर्भर हैं उन्हें जल उपभोक्ता के रूप में भी पर्याप्त कष्ट उठाने पड़ते हैं। भूमिगत जल का स्तर और अधिक नीचे चले जाने पर पानी की आपूर्ति भी कम हो जाती है।

(iv) हमारे विचार से स्थानीय लोग भूमिगत पानी के इस व्यावसयीकरण का विरोध कर सकते हैं। भूमिगत पानी एक सांझा संसाधन है। किसानों द्वारा अपने पानी को व्यापारियों के हाथों बेच देना गैरकानूनी है।

(v) सरकार इस बारे में बहुत कुछ कर सकती है। कई क्षेत्रों, राज्यों में सरकारों ने ऐसा किया भी है। भूमिगत जल के दोहन से संबंधित पंजीकरण व्यवस्था भी लागू की गई है।

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जन सुविधाएँ कक्षा 8 HBSE Civics प्रश्न 4.
ऐसा क्यों है कि ज्यादातर निजी अस्पताल और निजी स्कल कस्बों या ग्रामीण इलाकों की बजाय बड़े शहरों में ही है?
उत्तर:
I.निजी अस्पताल तथा बड़े शहर:
हमारे देश में आज आजादी के करीब 61 वर्षों के बाद भी अधिकांश निजी अस्पताल बड़े-बड़े शहरों में ही हैं तथा कस्बों एवं ग्रामीण क्षेत्रों में इनकी संख्या कम है। इसके कारण निम्नलिखित हैं:
1.अस्पतालों को विभिन्न प्रकार की बीमारियों के लिए विभिन्न प्रकार के विशेषज्ञ चिकित्सक (specialised doctors) या सर्जन चाहिए। यदि गाँव में एक अस्पताल होगा तो हर बीमारी का डॉक्टर छोटी आबादी के क्षेत्र में हर समय रोगियों के पास पहुँचने के संदेश नहीं प्राप्त करेगा जबकि बड़े शहरों में इतने ज्यादा अस्पताल होते हैं कि एक बीमारी से संबंधित विशेषज्ञ डॉक्टर या सर्जन को सुबह से शाम तक फुर्सत नहीं होती। इसलिए आज के भौतिक युग में डॉक्टर गाँव या छोटे शहरों में जाना या रहना पसंद नहीं करते।

2.हमारे देश में अधिकतर चिकित्सा क्षेत्र में लगे लोग धन कमाकर अपना क्लिनिक खोलना चाहते हैं। वे दिन-रात पैसा कमाने की धुन में पागल रहते हैं। सेवा भाव तो प्राचीन काल में ही खत्म हो गया था।

3.डॉक्टरों के परिवारजन, बच्चे भी अच्छे से अच्छे स्कूलों तथा कॉलेजों में शिक्षा पाना चाहते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों तथा छोटे कस्बों में जीवन की सभी आवश्यक सुविधाएँ तथा शहरी चहल-पहल नहीं होती।

4.निजी अस्पतालों के मालिक भी धन कमाने के लिए इसे एक व्यवसाय समझते हैं। आज के युग में चिकित्सा के काम आने वाली मशीनें, उपकरण तथा दवाइयाँ इतनी महंगी हैं कि उनका पर्याप्त स्टॉक हर वक्त रखना संभव नहीं होता।

5.अस्पतालों में नर्सिग स्टॉफ, कर्मचारियों के रहने की व्यवस्था का अर्थ है भारी धनराशि निवेश करना। अस्पतालों में 24 घंटे बिजली, जल आपूर्ति, नियमित रूप से कई बार सफाई कराना तथा महिला कर्मचारियों की सुरक्षा बहुत बड़ी समस्यायें बन जाती हैं। ये समस्याएँ बड़े शहरों में आसानी से सुलझा ली जाती है।

II.बड़े शहरों में स्कूलों का केन्द्रीयकरण होना तथा कस्बों एवं ग्रामीण क्षेत्रों में कम संख्या में स्कूलों का होना:
1.अधिकांश बड़े-बड़े निजी क्षेत्र के स्कूल बड़े शहरों में ही होते हैं। वे छोटे कस्बों तथा ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं होते क्योंकि स्कूलों को कई तरह की मूलभूत आवश्यकताएँ चाहिएं जो गाँव में या तो होती ही नहीं या कम होती हैं। जैसे बसें, कारें या निजी वाहन, उनके लिए पर्याप्त सी.एन.जी.या पेट्रोल या डीजल की आपूर्ति, पर्याप्त संख्या में वर्कशाप, टेलीफोन सुविधा, छपी हुई सामग्री, कंप्यूटर एवं उन्हें ठीक करने वाली कंपनियों की सेवाएँ आदि ये सेवाएँ कस्बों अथवा ग्रामीण क्षेत्रों में।

2.स्कूलों को अच्छे निपुण, सुरक्षित तथा कुशल प्रशिक्षित अध्यापक, कोच, विषय विशेषज्ञ, अच्छे प्रधानाचार्य चाहिए। सभी लोग गाँव से दूर रहना पसंद करते है।

3.विद्यार्थियों के लिए होस्टल-लड़कियों के लिए अलग, बालकों के लिए अलग, निजी ट्यूशन, 11वों तथा 12वीं वाले बच्चे से+/-साथ मेडिकल तथा इंजीनियरिंग की तैयारी करना चाहते हैं। ये सभी सुविधाएँ छोटे क्षेत्रों या ग्रामीण क्षेत्रों में प्राप्त नहीं होती।

4.स्कूलों की फीस निरंतर बढ़ रही है। स्कूल के स्टाफ की तनख्वाहें बढ़ रही हैं। स्कूलों को बनाये रखने के व्यय (Maintenance) बढ़ रहे हैं। गाँव में महँगी फीस अदा करने वाले बच्चे ज्यादा न हों तो निजी मालिक स्कूल बंद कर के चले जायेंगे।

प्रश्न 5.
क्या आपको लगता है कि हमारे देश में जनसुविधाओं का वितरण पर्याप्त और निष्पक्ष है? अपनी बात के समर्थन में एक उदाहरण दें।
उत्तर:
नहीं, मेरे विचारानुसार हमारे देश में जनसुविधाएँ न तो पर्याप्त हैं तथा न ही निष्पक्ष हैं।
उदाहरणार्थ:
(अ) शहरों में अधिकांश घर पक्के हैं लेकिन देश की अधिकांश जनसंख्या अब भी ग्रामीण क्षेत्रों तथा -छोटे-छोटे कस्बों में रहती है जहाँ कुछ ही लोग पक्के घरों में रहते हैं। वहाँ आज भी अधिकांश लोग कच्चे घरों में ही रहते हैं। यह विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र द्वारा लोक-कल्याण की स्थापना करने का दावा करने वाले देश के लिए अच्छी बात नहीं है।

(ब) हमारे देश में अनेकानेक ऐसे ग्रामीण एवं शहरों के साथ सटे हुए क्षेत्र हैं जहाँ न तो पक्की सड़कें एवं मार्ग हैं, न ही सुव्यवस्थित विद्यालय हैं, न ही अस्पताल, आज भी देश के ग्रामीण
क्षेत्री तथा नगरों में भी मूलभूत सुविधाओं का घोर अकाल है। जहाँ ये सेवाएँ उपलब्ध हैं वहाँ भी इनका निष्पक्ष वितरण नहीं है। राज्य के राजधानी शहर में बिजली की आपूर्ति यदि 24 घंटे है तो उससे सारे जिले में मात्र 18 घंटे विद्युत आपूर्ति की जाती है।

(स) लोगों को आज भी 61 वर्षों की आजादी के बाद भी अपनी पुत्रियों, पुत्रों तथा वरिष्ठ परिवारजनों को इलाज के लिए या कुछ परिवारजनों को पढ़ाई व व्यवसायिक प्रशिक्षण के लिए बड़े-बड़े शहरों में भेजना पड़ता है। वहाँ बहुत ज्यादा खर्च भी उन्हें ‘उठाना पड़ता है। उन्हें वहाँ अन्य कई समस्यायें भी झेलनी पड़ती हैं।

(द) देश की जीवन रेखा कही जाने वाली परिवहन प्रणाली शहरों में तो ठीक-ठाक है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों तथा कस्बों में साधन के इंतजार में घंटों बैठना पड़ता है। देश के एक बड़े भू-भाग में बिजली की व्यवस्था खराब है। खंभे लगे हैं, तार भी खिंचे हैं लेकिन बिजली आपूर्ति कुछ ही घंटों के लिए होती है। सारा क्षेत्र अंधेरे के साम्राज्य में डूबा रहता है।

उदाहरण (Example):
पाठ में इसका एक सटीक उदाहरण दिया गया है कि चेन्नई में पानी की आपूर्ति अन्नानगर जैसे पॉश इलाकों में तो 24 घंटे के लिए होती है जबकि दूसरे इलाकों में दो दिन में एक बार पानी दिया जाता है। जन सुविधाएँ की निष्पक्षता की मांग यही छूट जाता है।

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प्रश्न 6.
अपने इलाके की पानी, बिजली आदि कुछ जनसुविधाओं को देखें। क्या उनमें सुधार की कोई गुंजाइश है? ‘आपकी राय में क्या किया जाना चाहिए? इस तालिका को भरें।

सुविधा क्या यह उपलब्ध है? उसमें कैसे सुधार लाया जाए?
पानी
बिजली
सड़क
सार्वजनिक परिवहन

उत्तर:

सुविधा क्या यह उपलब्ध है? उसमें कैसे सुधार लाया जाए?
पानी केवल सीमित अवधि के लिए जल के उपयोग में कटौती तथा उसका संरक्षण करके सुधार किया जा सकता है। पेय जल का उपयोग दूसरे कामों जैसे शौचालय, साफ-सफाई आदि में नहीं किया जाना चाहिए
बिजली कुछ घंटों की कटौती के साथ बिजली की बचत बिजली का उत्पादन है। हमें यथानुसार इसकी बचत करनी ही चाहिए। जहाँ तक हो सके खुले में बैठकर कार्य करना चाहिए।
सड़क हाँ सड़क का विकास काफी हद तक संतोषजनक हैं। इस जनसुविधा की व्यवस्था करते समय इसका ठेका लेने वालों पर सरकार को कड़ी नजर रखनी चाहिए ताकि यथोचित पर्याप्त सामग्री से सड़कें बनाई जाएँ तो ज्यादा शित तक चलें।
सार्वजनिक परिवहन हाँ सार्वजनिक परिवहन की व्यवस्था शहरों में तो ठीक-ठाक है अर्थात् हर समय उपलब्ध हैं लेकिन दूरदराज के कस्बों तथा गाँवों में निजी वाहन के भरोसे है। सरकार द्वारा जनकल्याण को ध्यान में रखकर No Profit No Loss के आधार पर गाँवों के लिए अधिक साधन जैसे बसें आदि उपलब्ध करानी चाहिए।

प्रश्न 7.
क्या आपके इलाके के सभी लोग उपरोक्त जनसुविधाओं का समान रूप से इस्तेमाल करते हैं? विस्तार से बताएं।
उत्तर:
(क) नहीं, ऊपर उल्लेखित सभी जन-सुविधाओं का सभी लोग समान रूप से उपभोग नहीं कर रहे हैं। हमारे क्षेत्र में लगभग 20 प्रतिशत लोग निर्धनता रेखा से नीचे रहते हैं। वे अपने लिए शुद्ध पेयजल अथवा बिजली के बारे में सोच भी नहीं सकते।

(ख) क्षेत्र में 20 प्रतिशत लोग बहुत ही धनी तथा अच्छी आर्थिक स्थिति वाले हैं। वे घरों में नल-जल आपूर्ति की व्यवस्था रखते हैं। पानी साफ करने के लिए जल परिष्कृत यंत्र या छोटी सी मशीन है। कई परिवार तो पीने के लिए प्रसिद्ध कंपनी की सील लगी बोतलें भी खरीदते हैं।

(ग) हमारे क्षेत्र में लगभग 40 प्रतिशत लोग मध्यमवर्गीय है। वे जल निगम की जल आपूर्ति पर निर्भर करते हैं। कभी-कभी जब पानी नहीं आता तो वे निजी टैंकरों की सेवाएँ भी लेते हैं।

(घ) लगभग 20 प्रतिशत लोग निम्न वर्ग के हैं। उन्हें पानी या तो वोरवैल (Borenvel का मिलता है या पेयजल के लिए प्रतिदिन एक या दो घंटे के लिए कॉलोनी के कोने में लगे सार्वजनिक नल पर लाइन लगाना पड़ता है। यही स्थिति अन्य सुविधाओं के मामले में भी है। हाँ, सड़कों का उपयोग सभी लोग समान रूप से करते है। मुख्य शहरी क्षेत्र में बिजली की आपूर्ति ठीक-ठाक है लेकिन शहर की सीमा वाले क्षेत्रों के कटौती की मार झेलनी पड़ती है।

प्रश्न 8.
जनगणना के साथ-साथ कुछ जनसुविधाओं के बारे में भी आँकड़े इकट्ठा किए जाते हैं। अपने शिक्षक के साथ चर्चा करें कि जनगणना का काम कब और किस तरह किया जाता है।
उत्तर:
(i) हमारे देश में प्रत्येक दस वर्षों के बाद जनगणना की जाती है। अंतिम जनगणना 2001 में की गयी थी। संभवतः अगली जनगणना 2011 में होगी।

(ii) अनेक दृष्टियों से जनगणना का कार्य देश के लिए बहुत ही उपयोगी है। इससे हमें हमारे देश की कुल जनसंख्या, राज्यों के अनुसार जनसंख्या, महिलाओं तथा पुरुषों की जनसंख्या तथा उनमें लिंग अनुपात, देश में उपलब्ध जन सुविधाओं की स्थिति, उनमें हुए सुधार, तथा कमियों के आंकड़ों पर दृष्टिपात करके हमें समाज के विभिन्न वर्गों तथा श्रेणी के लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति के बारे में भी जानकारी मिलती है।

(iii) जनगणना के द्वारा ही हमें हमारे देश के शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों की स्पष्ट तस्वीर मिल जाती है। हम दोनों क्षेत्रों का विभिन्न मामलों में तुलनात्मक अध्ययन भी कर सकते हैं।

(iv) जनगणना के आंकड़ों के आधार पर देश में तीनों स्तरों की सरकारें-स्थानीय, राज्य तथा केन्द्र सरकारें भविष्य के लिए विकास कार्यक्रम, नीतियाँ तथा योजनाएं बना सकते हैं।

(v) अपने देश की जनगणना के आँकड़ों के आधार पर हमको अन्य देशों की सरकारों से उनके आँकड़े पाकर एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की तुलना तथा विभिन्न क्षेत्रों में भारत की स्थिति स्थान भी जान सकते हैं।

(vi) जनगणना का कार्य अत्यंत व्यापक है। इसके अंतर्गत – सभी राज्य सरकारें अपने कर्मचारियों (अध्यापक आदि) द्वारा घर-घर जाकर संबंधित आंकड़े एकत्र करती है। उन्हें संबंधित विभाग की सूची के अंतर्गत दर्ज कर संबंधित राज्य सरकार, केंद्र सरकार के जनगणना विभाग को भेजती है जिसका समुचित विश्लेषण करके केंद्र सरकार आंकड़े प्रकाशित करती है।

प्रश्न 9.
हमारे देश में निजी शैक्षणिक संस्थान-स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय, तकनीकी और व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थान-बड़े पैमाने पर खुलते जा रहे हैं। दूसरी तरफ सरकारी शिक्षा संस्थानों का महत्त्व कम होता जा रहा है। आपकी राय में इसका क्या असर हो सकता है? चर्चा कीजिए।
उत्तर:
1.मैं सोचता हूँ कि आने वाले समय में हमारे देश में शिक्षा पूर्णतया निजी क्षेत्र को दे दी जायेगी। सरकारी स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, प्रशिक्षण संस्थाओं से अध्यापक, प्रधानाचार्य, प्रवक्ता, प्रोफेसर आदि को या तो बलपूर्वक विवश किया जायेगा कि वे सेवानिवृत्त हो जायें या उन्हें VRS (Voluntary Retirement Scheme) की आकर्षित शतें देकर घर भेज दिया जायेगा।

2.निजी क्षेत्र के हाथों में शिक्षा आ जाने से शिक्षा और भी महंगी हो जायेगी। गरीब लोगों को उच्च शिक्षा प्राप्ति के लिए बहुत ज्यादा शुल्क, बहुत कीमती पुस्तकें तथा स्टेशनरी – खरीदने में बहुत ही कठिनाई होगी।

3.हमारे देश के संविधान में जो सामाजिक-आर्थिक न्याय देने का आदर्श रखा गया है उसे भी सदमा लगेगा। देश में शिक्षा तथा आर्थिक स्थिति में असमानता बढ़ेगी।

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HBSE 8th Class Civics जन सुविधाएँ Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
तमिलनाडु के राजधानी शहर का नाम लिखिए। चेन्नई में स्थित कॉलोनियों अथवा इसके आस-पास के क्षेत्रों के नाम लिखिए।
उत्तर:
चेनई (जिसे पहले हम मद्रास कहते थे) तमिलनाडु का राजधानी शहर है। – शहरों/कस्बों के नाम: () अन्नानगर, (10) सैदापेट, (111) मडीपाक्कम, (iv) मैलापुर, (४) मामूंदर.(vi) पालूर, (vi) कारुनगिझी चेन्नई के अंदर या उसके आस-पड़ोस के प्रसिद्ध क्षेत्र या कस्बे या छोटे नगर हैं।

प्रश्न 2.
चेन्नई में जल स्थिति के बारे में कुछ वाक्य लिखिए।
उत्तर:

  1. चेन्नई के कुछ धनिक आबादी वाले क्षेत्रों में किसी सीमा तक जल आपूर्ति की स्थिति को ठीक-ठाक माना जा सकता है लेकिन कभी-कभी इन अच्छे क्षेत्रों की जल आपूर्ति के अभाव की समस्या उठ खड़ी हो जाती है।
  2. कुछ इलाकों में तो अधिकतर जल आपूर्ति बोरवैल (Borewel) द्वारा शौचालय तथा धोने के लिए आपूर्ति की जाती है।
  3. कुछ बहुत धनी लोग या तो निजी कंपनियों के द्वारा जल-टैंकरों से पानी खरीदते हैं, कुछ सीलबंद बोतलें भी खरीदते हैं या जल शुद्धीकरण व्यवस्था घरों पर लगवाते हैं।
  4. कुछ गंदी बस्तियों, झुग्गी-झोपड़ियों या निर्धन लोगों की बस्तियों में जल आपूर्ति की व्यवस्था बहुत ही खराब एवं नाममात्र की ही है। गर्मी के दिनों में यह कठिनाई और भी बढ़ जाती है।

प्रश्न 3.
अध्याय में दिए गए विवरण में जल आपूर्ति के विभिन्न स्रोतों को चुनिए।
उत्तर:

  1. तालाब
  2. चलते-फिरते जल-तालाब
  3. बोरवैल
  4. नल
  5. टैंकरों से
  6. सीलबंद बोतलों या बड़े जारों का जल.
  7. नदियों, झीलों झरनों से पानी लेकर बड़े-बड़े जलाशयों या बनावटी कुओं में जल संग्रह करके उसे साफ करके आपूर्ति करना।

प्रश्न 4.
भारत के अधिकांश क्षेत्रों में गर्मी की ऋतु में जल का अभाव हो जाता है। जानकारी प्राप्त करें ऐसा क्यों होता है?
उत्तर:
भारत के अधिकतर भागों में ग्रीष्म ऋतु में कोई वर्षा नहीं होती। अधिकांश नदियाँ, झरने तथा झीलें व कुएँ आदि सूख जाते हैं। बाँध के लिए निर्मित जलाशयों में भी जल स्तर घट जाता है।

भूमिगत जल का स्तर भी नीचे चला जाता है। ग्रीष्म ऋतु में जल का उपभोग भी बड़ जाता है। इसलिए नलों में कम दबाव पर पानी आता है या बूंद-बूंद कर निकलता है। यही स्थिति प्राकृतिक जल-स्रोत या संसाधनों की भी हो जाती है।

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प्रश्न 5.
जल से संबंधित तीन बीमारियों के नाम लिखिए।
उत्तर:
(i) डायरिया (Diarrhea)
(ii) दस्त लगना (Dysentery) एवं
(iii) हैजा (Cholera) ।

प्रश्न 6.
संविधान की किस धारा के अंतर्गत जल तक सर्वव्यापी पहुँच को मान्यता दी गयी है? इसकी संवैधानिक स्थिति को बहुत संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
भारत के संविधान की धारा 21 के अंतर्गत जीवन के अधिकार (Right to Life) के अंग के रूप में जलप्राप्ति का सर्वव्यापी अधिकार (Universal Access to the Water) को मान्यता दी गयी है। इसका तात्पर्य यह है कि प्रत्येक व्यक्ति को चाहे वह अमीर हो या गरीब, प्रत्येक दिन इतना पानी अवश्य ही मिलना चाहिए जो उसकी मूलभूत जरूरतों को (जल संबंधी) पूरी कर सके। साथ ही जल उसे इतनी कीमत पर मिले जिसे स्त्री या पुरुष वहन कर सकें। अन्य शब्दों में पानी तक हर व्यक्ति की आसानी से पहुंच हो। बोलीबिया जैसे राष्ट्रों में जल कानून बने हैं।

प्रश्न 7.
संयुक्त राष्ट्र का जल के अधिकार के संबंध में क्या कहना है?
उत्तर:
सन् 2002 में संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों ने जलअधिकार के विषय में जो कथन जारी किया उसका आशय है कि प्रत्येक व्यक्ति को साफ-सुथरा, सुरक्षित, पर्याप्त मात्रा में, भौतिक रूप में पहुँच के भीतर तथा सस्ती कीमत पर उसकी निजी तथा घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जल मिलना ही चाहिए।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
आपके दृष्टिकोण या विचार में चेनई के दो निवासियों सुब्रमण्यम एवं पद्मा के अनुभवों में क्या समानता तथा भिन्नता है?
उत्तर:
I.एक जैसा अनुभव (Similar Experience):
(i) अपने-अपने क्षेत्रों में तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में रहने वाले ये दोनों व्यक्ति (सुब्रमण्यम तथा पद्मा) के सामने जल के अभाव (Shortage of Water) की समस्या है।
(ii) दोनों को ही लंबे समय तक जल टैंकर्स के लिए प्रतीक्षा करनी होती है।

II.भिन्न अनुभव (Different Experience):
1.सुब्रमण्यम (की) फ्लेटों वाली बस्ती में नगरपालिका द्वारा – दो दिनों में केवल एक बार पानी की आपूर्ति की जाती है।
दूसरी ओर पद्मा के क्षेत्र में कोई जल-नल की व्यवस्था (कनेक्शन) नहीं है। एक कोने पर एक सार्वजनिक नल लगाया गया है जहाँ से 30 झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वोले लोग पानी भरते हैं। वहाँ दिन में दो बार केवल 20-20 मिनटों के लिए ही जल आपूर्ति होती है। इस समय में एक परिवार को अधिक से अधिक केवल तीन बाल्टियाँ ही पानी भरने की अनुमति है।

2.सुब्रमण्यम अपार्टमेंट में कुछ जल आपूर्ति निजी बोरवैल (borewell) या कुएँ की जल आपूर्ति द्वारा भी होती है। यह पानी खारा है इसलिए इसे केवल शौचालय तथा धोने आदि के काम में ही उपयोग किया जाता है। .सुब्रमण्यम प्रत्येक माह 500-600 रुपये टैंकरों से पानी खरीदने पर व्यय करते हैं। कुछ लोगों ने अपने घर पर जलशोधन उपकरण की भी व्यवस्था कर रखी है।

3.दूसरी तरफ पद्मा एक साधनहीन महिला है। वह अपनी निर्धनता के कारण बोरवैल (कुएँ) का पानी धोने के साथ-साथ पीने के लिए भी उपयोग करती है। गर्मी के मौसम में तो बूंद-बूंद कर पानी टपकता है। इसलिए उसके परिवार को भी पैसा देकर ही पानी प्राप्त होता है। उसे जल टैंकरों के लिए काफी देर तक प्रतीक्षा (इंतजार) करनी पड़ती है।

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प्रश्न 2.
आप क्यों सोचते हैं कि जल प्रत्येक के लिए परमावश्यक है?
उत्तर:
1.यह एक लोकप्रिय कथन है कि “जल ही जीवन है। वस्तुतः शुद्ध वायु या ऑक्सीजन के बाद यदि मानव के लिए दूसरी परमावश्यक उपयोगी वस्तु है तो वह जल ही है। वस्तुतः जल पीने के लिए, भोजन के लिए, स्नान के लिए, कपड़े धोने के लिए तथा न जाने कितने दैनिक कार्यों को करने के लिए परमावश्यक है। वस्तुतः बिना जल के न तो मानव जीवन तथा न ही पशुपक्षियों के जीवन की कल्पना की जा सकती है। यही नहीं कि हमें पीने तथा अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए बल्कि इसके शुद्ध रूप में पर्याप्त जल मिलना हमारे स्वास्थ्य के लिए भी परमावश्यक है। साफ-शुद्ध तथा ताजा जल ही हमारे लिए अपेक्षित है। यदि अशुद्ध जल पीयेंगे तो हम बीमारियों को न्यौता देना होगा।

2.जीवन की सुरक्षा तथा अच्छे स्वास्थ्य को बनाये रखने के लिए शुद्ध, मीठा पानी आवश्यक है। साफ तथा सुरक्षित जल अनेक बीमारियों को रोकता है इसके विपरीत गंदा पानी पीने मात्र से ही डायरिया, हैजा तथा मलेरिया जैसी जानलेवा बीमारियाँ हो सकती हैं। हमारे देश भारत में दुनिया में शायद जल से होने वाली बीमारियाँ सबसे ज्यादा लोगों को हर वर्ष अपना शिकार बनाती हैं।

3.एक सर्वेक्षण के अनुसार भारत में शुद्ध जल के प्रति लोग जागरुक नहीं हैं। देश में 16000 भारतीय प्रतिदिन जल से होने वाली बीमारियों से ही मर जाते हैं जिनमें ज्यादातर 5 वर्ष से भी कम आयु के बच्चे होते हैं। यदि हम सभी शुद्ध एवं साफ पानी पीने की स्थिति में आ जायें तो ये सारी अकाल मौतें रोकी जा सकती हैं।

प्रश्न 3.
जन सुविधाओं की महत्त्वपूर्ण चारित्रिक विशेषताओं का उल्लेख करें।
उत्तर:
1.कोई भी जनसुविधा उपलब्ध होने पर प्रायः समाज के सभी लोग तुरंत उससे लाभ उठा सकते हैं। यह सुविधा किसी भी नागरिक में धर्म, जाति, क्षेत्र आदि के आधार पर भेदभाव नहीं करती। उदाहरण के लिए पक्की सड़क, सरकारी स्कूल, कॉलेज, पार्क, बिजली की सड़कों पर रोशनी की सुविधा आदि। हर व्यक्ति स्कूल जा सकता है, सड़क का प्रयोग कर सकता है तथा पार्क में सैर कर सकता है।

2.अनेक जनसुविधाएँ ऐसी होती हैं जिनके अभाव में अनेक सुविधाएँ कुप्रभावित होती हैं। उदाहरणार्थ बिजली की आपूर्ति के बिना सार्वजनिक स्थानों पर अंधेरा होगा। घरों में प्रकाश नहीं होगा। घर पर पंखे, टी.वी., वाशिंग मशीनें, गीजर, मिक्सी, रेडियो, फ्रिज आदि नही चलेंगे। दुकानों, मिलों, फैक्ट्रियों, उद्योगों आदि में हो रहे कार्यों तथा उत्पादन पर भी बिजली की अपर्याप्त आपूर्ति का प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

बिजली के बिना किसान अपने ट्यूबवैल नहीं चला सकते। गाँव में सारे काम ठप्प हो जाते हैं। यदि बिजली होगी तो गाँव में भी मनोरंजन के साधन तथा छोटे-बड़े उद्योग आदि लगाये जा सकते है। बिजली का कुव्यवस्था से ग्रामीण समाज क श्रम तथा कौशल का उचित उपयोग नहीं हो पाता।

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दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
जनसुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिए सरकार क्यों उत्तरदायी होनी चाहिए?
अथवा
जन-सुविधाएँ प्रदान करने में सरकार की क्या भूमिका होनी चाहिए? इस उत्तरदायित्व को सरकार को क्यों लेना चाहिए? चर्चा कीजिए।
उत्तर:
I.जन-सुविधाओं को प्रदान कराने में सरकार (The Government’s role in providing public facilities):
iनिःसंदेह हर स्थान तथा हर व्यक्ति के लिए जन-सुविधाएँ बहुत ही उपयोगी तथा परमावश्यक हैं। लोकतंत्र और वह भी उदारवादी लोकतंत्र, जैसा कि भारत में है इनका महत्त्व एवं आवश्यकता और भी ज्यादा है क्योंकि यह गरीबों का देश है, ग्रामीणों का देश है और यह देश अभी भी विकासशील देशों की श्रेणी में ही आता है।

2.निःसंदेह यह कार्य केवल सरकार ही कर सकती है। पूंजीवादी व्यवस्था हो या पूर्ण स्वतंत्र अर्थव्यवस्था हो, सभी व्यक्तियों, कंपनियों तथा संयुक्त उद्यमों का पहला तथा अंतिम उद्देश्य धन कमाना ही है। वे उपकार या कल्याण में विश्वास नहीं रखतीं। अपवाद हो सकता है। सरकार का यह उत्तरदायित्व कि वह सुनिश्चित करें कि जीवन की परमावश्यक जन-सुविधाएँ पर्याप्त संख्या/मात्रा में तथा प्रत्येक व्यक्ति तथा नागरिक को उपलब्ध हों।

II.सरकार के द्वारा इस उत्तरदायित्व को निर्वाह करने के कारण:
1.निजी क्षेत्र के लोग, समूह या कंपनियाँ जनसुविधाओं की व्यवस्था करने या उन्हें बनाये रखने तथा विस्तार में रुचि नहीं रखते। वे ठेके तो ले सकते हैं लेकिन गुणवत्ता पर जोर देना उन्हें पसंद नहीं। बात स्पष्ट है वे कम से कम सिरदर्दी तथा ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाना चाहते हैं, वह भी कम से कम समय में।

शौचालय, मूत्रालय, सड़कें, छायादार मार्ग, सभी स्थानों तथा सभी स्तर के लोगों को शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधाएँ प्रदान करना, विद्युत की आपूर्ति को उचित दरों पर उपलब्ध कराना, स्वच्छ एवं शुद्ध जल की आपूर्ति आदि को सभी के द्वारा सहनीय कीमत पर प्रदान करना निजी क्षेत्र के साहसी उद्यमी पसंद नहीं करेंगे। यह उत्तरदायित्व तो केवल सरकार ही वहन कर सकती है। उदाहरण के लिए एक निजी कंपनी को शहर की नालियाँ बनाने, उन्हें साफ रखने, कूड़े को प्रतिदिन कूड़ेदानों तक शहर के बाहर पहुंचाने में क्या भारी मुनाफा होने जा रहा है? नि:संदेह नहीं। निजी कंपनियाँ मलेरिया उन्मूलन, प्लेग उन्मूलन, आदि कार्यों को अपने अधीन लेने में रुचि नहीं लेंगी।

2.निजी कंपनियाँ यदि शिक्षा तथा स्वास्थ्य क्षेत्र की जन सुविधाएं देने के लिए राजी भी हो जायेंगी तो वे चाहेंगी कि ये जनसेवाएँ केवल बड़े-बड़े शहरों में ही वे प्रदान करें ताकि उन्हें भारी मुनाफे की रकमें मिलती रहे। उन्हें इन क्षेत्रों के विद्यालयों में बड़ी संख्या में विद्यार्थीगण, होस्टल में रहने वाले छात्र तथा अच्छे अध्यापक / अध्यापिकाएँ भी उचित वेतनों पर काम करने के लिए प्राप्त हो जायेंगे।
इसी तरह शहरी क्षेत्रों के अस्पतालों में भी उन्हें हर वक्त पर्याप्त संख्या में रोगी मिल जाएंगें।

निजी क्षेत्र के लोग या कंपनियाँ शिक्षा, स्वास्थ्य या शुद्ध पीने योग्य पानी धनी तथा निर्धन लोगों को समान दर पर ही प्रदान करना चाहेंगे। वे प्रायः पैसे के आधार पर लोगों या वर्गों में अंतर करना अनुचित मानते हैं जबकि सरकारें तो जनमत अपने पक्ष में बनाने या बनाये रखने के लिए वोटों की राजनीति करने के लिए स्वेच्छा से करेंगे।

3.आधुनिक लोकतंत्रीय युग में प्रायः हर देश का संविधान मानव अधिकारों तथा मूलभूत अधिकारों की गारंटी देता है। संयुक्त राष्ट्र तथा समय-समय पर बैठायी गयी कमेटियाँ तथा आयोग जीवन के अधिकार को एक महत्त्वपूर्ण अधिकार मानते हैं। कम से कम कीमत पर शुद्ध पीने योग्य पर्याप्त मात्रा में जल प्रदान करना सरकार का कर्तव्य माना जाता है। हर देशवासी को शिक्षा तथा स्वास्थ्य सुविधाएँ प्रदान करना व सभ्य तथा स्वस्थ जीवन निर्वाह की सुविधा उपलब्ध कराना आधुनिक सरकारों के लिए अनिवार्य बन गया है।

प्रश्न 2.
जन सुविधाओं के लिए सरकार धन-राशि कहाँ से प्राप्त करती है?
उत्तर:
1.बजट (Budget):
प्रत्येक वर्ष केन्द्रीय सरकार संसद (लोकसभा) या राज्य सरकारें विधानमंडलों (विधानसभाओं) में बजट प्रस्तुत करती हैं। इसमें आय तथा अनुमानित व्यय का ब्यौरा होता है। सरकार को इसमें यह भी बताना पड़ता है कि वह अनुमानित व्यय की मदों तथा विभागों पर किए जाने वाले, व्यय की राशि कहाँ से लायेगी। उसके स्रोत क्या-क्या होंगे।

  • बजट में सरकार बताती है कि वह अपने विभिन्न क्षेत्रों और मदों पर होने वाले खर्च को किन-किन स्रोतों से वसूल करेगी।
  • सरकार की आय का प्रमुख स्रोत राजस्व है जो वह विभिन्न तरह के करों के माध्यम से इकट्टा करती है। तीनों स्तरों की सरकारों (केन्द्र, राज्य तथा स्थानीय) को कर लगाने तथा उन्हें इकट्ठा करके व्यय का अधिकार हैं।

उदाहरण (Example):
सरकार किसी क्षेत्र/गाँव या शहर या जिले के लिए पेय जल आपूर्ति की योजना बनाती है। वह यह तय करती है कि जल संग्रह करने के लिए कहाँ-कहाँ जलाशय या टैंक बनाये जायेंगे। कितनी लंबी पाइपलाइनें बिछायी जायेंगी, कहाँ-कहाँ पानी की टकियाँ होंगी। गंदे पानी की निकासी कैसे होगी तथा अशुद्ध जल को किस प्रक्रिया द्वारा पीने योग्य शुद्ध तथा स्वच्छ बनाया जायेगा।

सरकार इस सेवा के लिए स्थानीय लोगों से कुछ भुगतान ले लेती है। कुछ धन वह अनुदानों में पंचायतों या जिला बोर्ड को दे देती है। जल आपूर्ति शुरू होने के बाद हर उपभोक्ता से प्रति माह जल बिल राशि ली जाती है। प्रायः कोशिश की जाती है कि जल की कीमत इतनी हो जिसका भुगतान गरीब से गरीब व्यक्ति भी सरलता से कर सके।

HBSE 8th Class Social Science Solutions Civics Chapter 9 जन सुविधाएँ

जन सुविधाएँ Class 8 HBSE Notes in Hindi

1.स्वच्छता (Sanitation): मानव मूल-मूत्र को सुरक्षित ढंग से नष्ट करने की सुविधा। इसके लिए शौचालयों का निर्माण किया जाता है और गंदे पानी की सफाई के लिए पाइप लगाए जाते हैं। खाद्य सामग्री को संक्रमण से बचाने के लिए ऐसा करना जरूरी होता है। ऐसा करना पर्यावरण या वातावरण को साफ-सुथरा बनाये रखने तथा मानव एवं अन्य प्राणियों को बीमारियों से बचाने के लिए परमावश्यक एवं अत्यंत उपयोगी है।

2.कंपनी (Company): कंपनी एक तरह की व्यावसायिक संस्था होती है जिसकी स्थापना कुछ लोग या सरकार करती है। जिन कंपनियों का संचालन और स्वामित्व निजी समूहों या व्यक्तियों के हाथ में होता है उन्हें निजी कंपनी कहा जाता है। उदाहरण के लिए टाटा स्टील एक निजी कंपनी है जबकि इंडियन ऑयल सरकार द्वारा संचालित कंपनी है।

3.सार्वभौमिक पहुँच (Universal Access): विश्वव्यापी या सार्वजनिक पहुँच में वे वस्तुएँ होती हैं जिन तक हर व्यक्ति पहुँच सकता है और उन्हें वह कीमतों की दृष्टि से खरीद भी सकता है। उदाहरण के लिए घर में नल में पानी आ रहा हो तो परिवार को पानी तक पहुँच मिल जाती है और अगर उसकी कीमत कम हो या वह मुफ्त उपलब्ध हो तो हर कोई उसका इस्तेमाल कर सकता है।

4.मौलिक आवश्यकताएँ अथवा मूलभूत सुविधाएँ (Basic Needs): वे सभी प्राथमिक आवश्यकताएँ या सुविधाएँ जो मानव के जीवित रहने के लिए बहुत ही जरूरी मानी जाती है, मौलिक आवश्यकताएँ कहलाती हैं। जैसे शुद्ध वायु, शुद्ध पेय जल, पौष्टिक भोजन, वस्त्र, रहने के लिए मकान, शिक्षा सुविधाएँ, सफाई, स्वास्थ्य सुविधाएँ आदि।

5. जन सुविधाएँ या परमावश्यक सुविधाएँ (Public Facilities or Essential Facilities): इसमें निम्नलिखित शामिल हैं:

  • शुद्ध जल आपूर्ति,
  • स्वास्थ्य सुविधाएँ,
  • सफाई सुविधाएँ,
  • विद्युत आपूर्ति,
  • सार्वजनिक यातायात,
  • सार्वजनिक शौचालय आदि,
  • शैक्षिक सुविधाएँ जैसे स्कूल तथा कॉलेज,
  • पार्क, बाग, पुस्तकालय आदि।

6. चेन्नई (Chennai): पहले इसका नाम मद्रास था। आज यह प्रान्त तमिलनाडु की राजधानी (शहर) तथा देश का चौथा बड़ा महानगर है।

7. जीवन का अधिकार (Right to Life): भारत का संविधान देश में रह रहे सभी नागरिकों को जीवन का अधिकार एक मौलिक अधिकार के रूप में प्रदान करता है।

8. संसद (Parliament): लोकसभा तथा राज्यसभा दोनों मिलकर हमारे देश की संसद को बनाते हैं। देश का राष्ट्रपति इसका अभिन्न अंग माना जाता/जाती है।

9. बजट (Budget): सरकार प्रत्येक वर्ष विभिन्न वस्तुओं तथा विभागों से होने वाली आय तथा व्यय का जो लेखा-जोखा तैयार करती है, उसे बजट कहते हैं। हमारे देश का बजट लोकसभा में रखा जाता है तथा उसके द्वारा पास हो जाने के बाद उसे राज्य सभा पास करती है। ब्रजट पर अंतिम रूप से राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होते हैं। (याद रहे प्रायः कई परिवार भी आय-व्यय का मासिक बजट बनाते हैं।)

10.पोतों एलेने (Porto Alegre): यह ब्राजील का एक शहर है। ब्राजील लैटिन अमारका का क्षेत्र की दृष्टि में सबसे बड़ा देश है।

11.सार्वजनिक परिवहन प्रणाली (Public Transport System): शहर या क्षेत्र विशेष में चलने वाली स्थानीय बसें, अंतर्राज्यीय बसें, स्थानीय ट्रेनें, ट्रामे, मेट्रो आदि प्रायः सार्वजनिक यातायात व्यवस्था कहलाती है। इसमें टैक्सी तथा त्रिपहिए वाहन भी शामिल होते हैं जो लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक लाते एवं ले जाते हैं।

12.सुलभ इंटरनेशनल (Sulabh International): यह एक गैर-सरकारी संगठन है जो भारत के पिछले तीन दशकों से सार्वजनिक शौचालय इकाइयाँ स्थापित कर गरीब व मेहनतकश वर्ग को उच्च कोटि की सफाई व्यवस्था उपलब्ध करा रहा है।

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