HBSE 8th Class Social Science Solutions Civics Chapter 6 हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली

Haryana State Board HBSE 8th Class Social Science Solutions Civics Chapter 6 हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 8th Class Social Science Solutions Civics Chapter 6 हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली

HBSE 8th Class Civics हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली Textbook Questions and Answers

HBSE 8th Class Chapter 6 हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली Civics प्रश्न 1.
पीसलैंड नामक शहर में फिएस्ता फुटबॉल टीम के समर्थकों को पता चलता है कि लगभग दूर पास के एक शहर में जो वहाँ से लगभग 40 कि.मी. है, जुबली फुटबॉल टीम के समर्थकों ने खेल के मैदान को खोद दिया है। वहीं अगले दिन दोनों टीमों के बीच अंतिम मुकाबला होने वाला है। फिएस्ता के समर्थकों का एक झुंड घातक हथियारों से लैस होकर अपने शहर के जुबली समर्थकों पर धावा बोल देता है। इस हमले में दस लोग मारे जाते हैं, पाँच औरतें बुरी तरह जख्मी होती हैं, बहुत से घर नष्ट हो जाते हैं और पचास से ज्यादा लोग घायल होते हैं।
कल्पना कीजिए कि आप और आपके सहपाठी आपराधिक न्याय व्यवस्था के अंग हैं। अब अपनी कक्षा को इन चार समूहों में बाँट दीजिए :
1. पुलिस
2. सरकारी वकील
3. बचाव पक्ष का वकील
4. न्यायाधीश।
नीचे दी गई तालिका के दाएँ कॉलम में कुछ जिम्मेदारियाँ दी गई हैं। इन जिम्मेदारियों को बाईं ओर दिए गए अधिकारियों की भूमिका के साथ मिलाएँ। प्रत्येक टोली को अपने लिए उन कामों का चुनाव करने दीजिए जो फिएस्ता समर्थकों की हिंसा से पीड़ित
लोगों को न्याय दिलाने के लिए आवश्यक हैं। ये काम किस क्रम में किए जाएंगे?

भूमिकाएँ कार्य
पुलिस
सरकारी वकील
बचाव पक्ष का वकील
न्यायाधीश
गवाहों को सुनना
गवाहों के बयान दर्ज करना
गवाहों से बहस करना
जले हुए घरों की तस्वीरें लेना
सबूत दर्ज करना
फिएस्ता समर्थकों को गिरफ्तार करना
फैसला लिखना
पीड़ितों का पक्ष प्रस्तुत करना
यह तय करना कि आरोपी कितने
साल जेल में रहेंगे
अदालत में गवाहों की जांच करना
फैसला सुनाना
हमले की शिकार महिलाओं की
डॉक्टरी जाँच कराना
निष्पक्ष मुकदमा चलाना
आरोपी व्यक्तियों से मिलना

अब यही स्थिति लें और किसी ऐसे विद्यार्थी को उपरोक्त सारे काम करने के लिए कहें जो फिएस्ता क्लब का समर्थक है। यदि आपराधिक न्याय व्यवस्था के सारे कामों को केवल एक ही व्यक्ति करने लगे तो क्या आपको लगता है कि पीड़ितों को न्याय मिल पाएगा? क्यों नहीं?
आप ऐसा क्यों मानते हैं कि आपराधिक न्याय व्यवस्था में विभिन्न लोगों को अपनी अलंग-अलग भूमिका निभनी चाहिए? दो कारण बताएँ।

HBSE 8th Class Social Science Solutions Civics Chapter 6 हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली
उत्तर :
1. कॉलमों का मिलान :

भूमिकाएँ कार्य
पुलिस गवाहों को सुनना
जले घरों की तस्वीरें लेना
सबूत दर्ज करना
फिएस्ता समर्थकों को गिरफ्तार करना
हमले की शिकार महिलाओं की डॉक्टरी
जाँच कराना
सरकारी वकील पीड़ितों का पक्ष प्रस्तुत करना
निष्पक्ष मुकदमा चलाना
बचाव पक्ष का वकील गवाहों से बहस करना
आरोपी व्यक्तियों से मिलना
न्यायाधीश गवाहों को सुनना
फैसला लिखना
यह तय करना कि आरोपी कितने साल
जेल में रहेंगे
अदालत में गवाहों की जाँच करना
फैसला सुनाना

2. कामों का क्रम :
फिएस्ता समर्थकों को गिरफ्तार करना
जले हुए घरों की तस्वीरें लेना
हमले की शिकार महिलाओं की डॉक्टरी
जाँच कराना
गवाहों के बयान दर्ज करना
आरोपी व्यक्तियों से मिलना
निष्पक्ष मुकदमा चलाना
गवाहों को सुनना
अदालत में गवाहों की जाँच करना
यह तय करना कि आरोपी कितने साल
जेल में रहेंगे
फैसला लिखना
फैसला सुनाना

3. क्या आपके विचारानुसार दीवानी न्याय प्रणाली से जुड़े मुकदमें की प्रक्रिया के अंतर्गत आने वाले सभी कार्यों को केवल एक व्यक्ति करे तो पीड़ित लोगों को न्याय मिल सकता है ? क्यों नहीं?
उत्तर :
मेरे विचारानुसार पीड़ितों को न्याय नहीं मिलेगा यदि आपराधिक न्याय व्यवस्था से जुड़े सभी कार्यों को केवल एक ही व्यक्ति करेगा। जहाँ तक दूसरे प्रश्न अर्थात् क्यों नहीं का प्रश्न है तो इसका उत्तर बड़ा सरल एवं स्पष्ट है। क्योंकि फौजदारी मुकदमे की प्रक्रिया से जुड़े विभिन्न कार्यों को करने के लिए विभिन्न कुशल व शिक्षित (well trained) लोगों या समूहों की आवश्यकता होती है। पुलिस में अनेक लोग होंगे जो कई बार दुर्घटना या घटना के स्थलों पर निशान लगाते हैं, फोटो खींचते हैं। मौके-वारदात पर पड़ी वस्तुओं की जाँच-अँगुलियों के निशान, खून के धब्बे, फाँसी के फंदे आदि की बारीकी से जाँच करते हैं। पीड़ित महिलाओं, बच्चों तथा पुरुषों की डॉक्टरी जाँच की यदि आवश्यकता पड़ेगी तो उन्हें अलग-अलग विशेषज्ञ ही जाँचेंगे।

बचाव पक्ष का वकील पीड़ित या दोषारोपित व्यक्ति को दोषी या निर्दोष कुछ भी साबित करने की कोशिश कर सकता है। न्यायाधीश को कानून विशेषज्ञों या वकीलों की बहस तथा गवाहियों की परीक्षा लेनी होती है। रिकार्डिंग करानी होती है। समय-समय एक क्लर्क से श्रुतलेख “(dictation) देनी होती है। वह निर्णय लेकर उसे लिखवाता है। कुछ समय के लिए सुरक्षित रख उससे संबंधित फैसला सुनाता है। दोषारोपित व्यक्ति को छोड़ा जा सकता है, जुर्माना किया जा सकता है, सजा-ए-मौत या आजीवन कारावास का दंड दिया जा सकता है या दोनों सजायें दी जा सकती हैं। स्पष्ट है कि इतनी जटिल प्रक्रिया को उचित ढंग से कार्यरूप देने के लिए अनेक व्यक्तियों की आवश्यकता होती है।

4. मैं सोचता हूँ कि हमारे देश में अपराधिक न्याय व्यवस्था के अंतर्गत आने वाली विभिन्न तरह की कार्यवाहियों को पूरा करने के लिए विभिन्न व्यक्तियों को भूमिका निभानी चाहिए। इसके दो कारण निम्न हैं:
(क) आपराधिक न्याय व्यवस्था में किसी भी व्यक्ति के जीवन, उसके परिवार, उसके भविष्य आदि की आशाएँ दाँव पर लगी होती हैं। न्यायाधीश द्वारा सुनाया गया फैसला उसका जीवन तबाह कर सकता है। विभिन्न स्तरों पर जब अलग-अलग लोग होंगे, तो यह प्रक्रिया विकेंद्रित होगी और इससे अन्याय की संभावना भी कम होगी। कहीं न कहीं झूठ का पर्दाफाश अवश्य होगा।

(ख) जब विभिन्न लोग अलग-अलग अपनी भूमिकाएँ निभाएँगे तो इससे भेदभाव या पूर्वागृह से कोई काम करने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगेगा।

HBSE 8th Class Social Science Solutions Civics Chapter 6 हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली

HBSE 8th Class Civics हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरीय प्रश्न

हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली HBSE 8th Class Civics प्रश्न 1.
जब हम देखते हैं कि कोई व्यक्ति कानून का हनन कर रहा है, तो हम सर्वप्रथम क्या करते हैं?
उत्तर :
उस समय हम तुरंत ही पुलिस को सूचना देने के बारे में विचार करते हैं।

प्रश्न 2.
एक व्यक्ति की गिरफ्तारी के उपरांत यह कौन तय करता है कि आरोपित व्यक्ति अपराधी है अथवा नहीं? भारतीय संविधान में इसके लिए क्या व्यवस्था की गयी है ?
उत्तर :
किसी व्यक्ति की गिरफ्तारी के उपरांत शीघ्र से शीघ्र (कुछ ही घंटों में) पुलिस को आरोपित व्यक्ति को किसी न्यायालय (मजिस्ट्रेट) के समक्ष उपस्थित करना होता है। पूरी सुनवाई प्रक्रिया के बाद यह न्यायालय तय करता है कि वह व्यक्ति अपराधी है अथवा नहीं।
भारतीय संविधान में दी गयी व्यवस्था के अनुसार हर व्यक्ति का यह अधिकार है कि वह स्वतंत्र तथा निष्पक्ष न्याय प्राप्त करे।

प्रश्न 3.
भारतीय संविधान की कौन-सी धाराओं के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को एक वकील के जरिए अपना बचाव करने का मौलिक अधिकार प्राप्त है ?
उत्तर :
(क) भारत के संविधान की धारा 22 के अनुसार – हर व्यक्ति को अपने बचाव के लिए एक वकील रखने का मौलिक अधिकार प्राप्त है।
(ख) भारतीय संविधान की धारा 39-एके अनुसार यह राज्य (सरकार) का कर्तव्य है कि वह प्रत्येक ऐसे व्यक्ति को एक वकील प्रदान करे जो अपनी गरीबी अथवा किसी भी अन्य कारण से अपने बचाव के लिए एक वकील की व्यवस्था नहीं कर सकता।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सरकारी वकील की क्या भूमिका होती है ? संक्षेप में चर्चा कीजिए।
उत्तर :
सरकारी वकील (Public Prosecutor) की भूमिका :
(i) न्यायालय में सरकारी वकील ही राज्य के हितों की रक्षा करता है। सरकारी अधिवक्ता की भूमिका तभी से शुरू हो जाती है जबकि आरोपित व्यक्ति के विरुद्ध पुलिस अपनी जाँच-पड़ताल पूरी करके उसके खिलाफ एक केस पंजीकृत कर न्यायालय में एक चार्जशीट (Charge Sheet) या आरोप पत्र दाखिल करती है।

(ii) सरकारी वकील को जाँच (Investigation) में कोई भी भूमिका नहीं निभानी होती। वह राज्य या सरकार की ओर से ही। मुकदमे में भागीदारी करता है।

(ii) न्यायालय के एक अधिकारी के रूप में उसे निष्पक्ष रूप से अपनी भूमिका निभानी होती है। उसे मुकदमे से जुड़े सभी तथ्य, गवाह एवं सबूत न्यायालय में पेश करने होते हैं ताकि वह (कोर्ट) मुकदमे के बारे में अपना निर्णय।

HBSE 8th Class Social Science Solutions Civics Chapter 6 हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली

प्रश्न 2.
एक न्यायाधीश की क्या भूमिका होती है ?
उत्तर :
(i) एक न्यायाधीश की भूमिका एक मुकदमे में अंपायर (Empire) या रेफरी (Referee) के समान होती है। उससे उम्मीद की जाती है कि वह पूर्णतया निष्पक्ष, स्वतंत्र एवं निडर होकर अपनी भूमिका का निर्वाह करे।
(ii) न्यायाधीश सभी गवाहों से सुनता है तथा सबूतों की या कैद की जाँच-पड़ताल करता है।
(iii) न्यायाधीश ही प्रस्तुत किये गये सभी तथ्यों, गवाहों आदि के आधार पर निष्पक्ष होकर तय करता है कि आरोपित व्यक्ति वास्तव में दोषी है अथवा नहीं।
(iv) यदि आरोपित व्यक्ति पर दोष साबित हो जाते हैं तो वह उसे सजा सुनाता है। वह कानून के अनुसार अपराधी पर जुर्माना सजा अथवा दोनों तरह की सजायें (जुर्माना तथा जेल या मृत्युदंड) दे सकता है।

दीर्घ उत्तरातमक प्रश्न

प्रश्न 1.
एक अपराध के अन्वेषण में पुलिस की क्या भूमिका होती है ?
उत्तर :
अपराध की खोज-बीन करने में पुलिस की भूमिका :
(i) सर्वप्रथम जब पुलिस के पास दूरभाष या प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) के माध्यम से सूचना आती है तो वह तुरंत ही अपराध स्थल पर पहुँच कर, उससे संबंधित फोटो लेना, जाँच-पड़ताल करना, तथ्य एकत्र करना, अपराध से प्रभावित व्यक्तियों की आवश्यकतानुसार डॉक्टरी जाँच कराना, रिपोर्ट प्राप्त करना, अपराध स्थल के निशान (जैसे अंगुलियों के चिह्नFinger Prints) कैमरे से उतारना तथा घटित अपराध से जुड़ी अन्य आवश्यक सूचनायें इकट्ठी करती है।

(ii) वह जाँच-पड़ताल करते वक्त आस-पास के लोगों (पड़ोसियों) के बयान, चश्मदीद गवाहों के बयान, उनका परिचय संबंधी तथ्य ले लेती है।

(iii) विभिन्न प्रकार की जाँच-पड़ताल तथा तथ्यों के आधार पर पुलिस को अपराधी के बारे में एक राय बनानी पड़ती है।

(iv) यदि पुलिस यह सोचती है कि पर्याप्त प्रमाण, सबूत, तथ्य आदि इस बात को साबित करते हैं कि आरोपित व्यक्ति ने कानून को अपने हाथ में लिया है या कानून की दृष्टि से अपराध किया है तो दोषी व्यक्ति के विरुद्ध एक आरोप-पत्र (charge sheer) तैयार करके या तो अपराधी को स्वयं गिरफ्तार करके या न्यायालय के माध्यम से उसे रिमांड पर ले लेती है।

प्रश्न 2.
पुलिस द्वारा किसी अपराध के बारे में जाँच करने के दौरान कानून की क्या भूमिका होती है?
उत्तर :
(i) कानून का शासन है (There is a Rule of Law)। इस कथन या वाक्य का अभिप्राय है कि देश में सबसे बड़ा कानून है तथा सभी के लिए कानून है जिसमें पुलिस भी शामिल होती है अर्थात् कोई भी व्यक्ति या विभाग मनमानी नहीं कर सकता।

(ii) पुलिस को अपराध से जुड़ी हुई छानबीन कानून द्वारा निर्धारित सीमाओं में रहकर ही करनी होती है तथा उसे सदैव ही मानव अधिकारों का पूरा-पूरा ख्याल रखना होता है।

(iii) देश के सबसे बड़े न्यायालय अर्थात् सर्वोच्च न्यायालय के उन दिशानिर्देशों को ध्यान में रखना ही पड़ेगा जो उसके मार्गदर्शक के रूप में न्यायालय ने पुलिस विभाग के लिए जारी किए हैं।

(iv) इन दिशानिर्देशों के अनुसार पुलिस की जाँच के दौरान किसी को भी सताने, पीटने या गोली मारने का अधिकार नहीं है। किसी छोटे से छोटे अपराध के लिए भी पुलिस किसी को कोई सजा नहीं दे सकती।

प्रश्न 3.
एफ.आई.आर. (FIR) अथवा प्रथम सूचना रिपोर्ट क्या है ? इसकी प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
उत्तर :
एफ.आई.आर, से संबंधित प्रमुख शर्ते तथा विशेषताएँ :
1. कानून में कहा गया है कि किसी संज्ञेय अपराध की सूचना मिलने पर थाने के प्रभारी अधिकारी को फौरन एफ.आई. आर. दर्ज करनी चाहिए। पुलिस को यह सूचना मौखिक या लिखित, किसी भी रूप में मिल सकती है।

2. एफ.आई.आर. में आमतौर पर वारदात की तारीख, समय और स्थान का उल्लेख किया जाता है। उसमें वारदात के मूल तथ्यों और घटनाओं का विवरण भी लिखा जाता है। अगर . अपराधियों का पता हो तो उनके नाम तथा गवाहों का भी उल्लेख किया जाता है।

3. एफ.आई.आर. में शिकायत दर्ज कराने वाले का नाम और पता लिखा होता है। एफ.आई.आर. के लिए पुलिस के पास एक खास फॉर्म होता है। इस पर शिकायत करने वाले के दस्तख्त कराए जाते हैं।

4. शिकायत करने वाले को पुलिस से एफ.आई.आर. की एक नकल मुफ्त पाने का कानूनी अधिकार होता है।

5 एफ.आई.आर. लिखने के बारे में सर्वोच्च न्यायालय ने कड़े निर्देश दे रखें हैं। वाजिब केसों में यदि इसका हनन होता है तो पीड़ित न्यायालय जा सकता है।

HBSE 8th Class Social Science Solutions Civics Chapter 6 हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली

हमारी आपराधिक न्याय प्रणाली Class 8 HBSE Notes in Hindi

1. आरोपी (Accused) : अध्याय के संदर्भ में उस व्यक्ति को आरोपी कहा गया है जिस पर अदालत में किसी अपराध के लिए मुकदमा चल रहा हो।
2. विचारणीय या संज्ञेय (Congnizable) : जिनके लिए पुलिस किसी व्यक्ति को न्यायालय की अनुमति के बिना ही कैद कर सकती है।
3. जिरह / बहस (Cross-examine) : जब कोई गवाह अदालत में अपना बयान देता है तो दूसरे पक्ष का वकील भी उससे कुछ सवाल पूछता है जिससे उसके पिछले बयान को सही या गलत साबित किया जा सके।
4. हिरासत (Detention) : किसी को गैरकानूनी ढंग से हिरासत में रखना।
5. निष्पक्ष (Impartial) : स्पष्ट या न्यायसंगत व्यवहार करना और किसी एक पक्ष का समर्थन न करना।
6. अपराध (Offence): ऐसा कार्य जिसे कानून गैरकानूनी कार्य (या क्राइम) मानता है।
7. किसी अपराध का आरोप लगाना (To be charged of a crime) : जब न्यायाधीश आरोपी को लिखित रूप से सूचित करता है कि उस पर किस अपराध के लिए मुकदमा चलाय जाएगा तो इसे अपराध का आरोप लगाना कहा जाता है।
8. गवाह (Witness) : वह व्यक्ति जिसे अदालत में यह बयान देने के लिए बुलाया जाता है कि उसने मामले के संबंध में क्या देखा, सुना या जाना है, उसे गवाह कहा जाता है।
9. एफ.आई.आर. (FIR) : प्रथम सूचना रिपोर्ट।
10. सब-इंस्पेक्टर (Sub-Inspector) या उप-निरीक्षक।
11. सरकारी वकील (Public Prosecutor) : वह अधिवक्ता या वकील जो किसी मुकदमे में राज्य की तरफ होता है।
12. अधिवक्ता/वकील (Advocate) : किसी भी मामले के पक्ष-विपक्ष में न्यायालय में जिरह करने वाले को वकील कहते हैं।

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