Haryana State Board HBSE 9th Class Science Solutions Chapter 14 प्राकृतिक सम्पदा Textbook Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 9th Class Science Solutions Chapter 14 प्राकृतिक सम्पदा
HBSE 9th Class Science प्राकृतिक सम्पदा Intext Questions and Answers
(पृष्ठ संख्या-217)
प्रश्न 1.
शुक्र और मंगल ग्रहों के वायुमंडल से हमारा वायुमंडल कैसे भिन्न है?
उत्तर:
हमारे वायुमंडल में जीवन वायु (प्राण वायु-ऑक्सीजन) के घटक विद्यमान हैं जबकि शुक्र और मंगल पर इसका अभाव है।
प्रश्न 2.
वायुमंडल एक कंबल की तरह कैसे कार्य करता है?
उत्तर:
वायुमंडल में स्थित वायु कुचालक है, जो वायुमंडल के औसत तापमान को दिन-रात व वर्ष-भर नियंत्रित रखती है; जैसे कंबल शरीर की गर्मी को बाहर जाने से रोकता है। ठीक उसी प्रकार वायुमंडल पृथ्वी की सतह की गर्मी को बाहर जाने से रोकता है और न ही तापमान को अचानक बढ़ने देता है। अतः वायुमंडल कंबल की तरह कार्य करता है।
प्रश्न 3.
वायु प्रवाह (पवन) के क्या कारण हैं?
उत्तर:
पृथ्वी के वायुमंडल के असमान विधियों से गर्म होने के कारण कहीं पर उच्च दाब का क्षेत्र और कहीं पर निम्न दाब का क्षेत्र विकसित हो जाता है। दाब के इस अंतर के कारण वायु प्रवाह होता है, इसे पवन या समीर कहते हैं।
प्रश्न 4.
बादलों का निर्माण कैसे होता है?
उत्तर:
वायुमंडल में जलवाष्प जब ठंडे क्षेत्रों से गुजरते हैं तो जलवाष्प पानी की बूंदों के रूप में संघनित हो जाते हैं। जल की यही बूंदें जमा होकर बादल बनाती हैं।
प्रश्न 5.
मनुष्य के तीन क्रियाकलापों का उल्लेख करें जो वायु प्रदूषण में सहायक हैं।
उत्तर:
मनुष्य के निम्नलिखित क्रियाकलापों से वायु प्रदूषण होता है
- जीवाश्म ईंधन के जलने से प्रदूषक बनते हैं, जो वायु में मिलकर वायु को प्रदूषित करते हैं।
- वाहनों से निकलने वाले धुएँ से भी वायु प्रदूषित होती है।
- मनुष्य द्वारा स्थापित कल-कारखानों से निकलने वाली गैसें वायु में मिलकर वायु को प्रदूषित करती हैं।
(पृष्ठ संख्या-219)
प्रश्न 1.
जीवों को जल की आवश्यकता क्यों होती है?
उत्तर:
जल प्रत्येक सजीव की मूलभूत आवश्यकता है। प्रत्येक जीव के शरीर का 75 प्रतिशत भाग जल होता है। जल से ही जीवों के शरीर में जैव रासायनिक प्रक्रियाएँ संचालित होती हैं। सभी कोशिकीय प्रक्रियाओं के लिए जलीय माध्यम का होना अनिवार्य है। जीवों के शरीर में पदार्थों का संवहन जल के माध्यम से होता है और उत्सर्जन का कार्य भी जल के द्वारा होता है। स्थलीय जीवों को जीवित रहने के लिए मीठे जल की आवश्यकता होती है। अनेकों जीवों का वास स्थान जल ही है।
प्रश्न 2.
जिस गाँव/शहर/नगर में आप रहते हैं वहाँ पर उपलब्ध शुद्ध जल का मुख्य स्रोत क्या है?
उत्तर:
गाँव, नगर और शहरों में उपलब्ध शुद्ध जल के स्रोत भूमिगत जल, तालाब, झील और नदियाँ हैं। विशेषकर पर्वतों से आने वाली नदियों में बर्फ के पिघलने से जल मिलता है। तालाब, झीलों आदि में भी अधिकतर वर्षा का ही जल होता है।
प्रश्न 3.
क्या आप किसी क्रियाकलाप के बारे में जानते हैं जो इस जल के स्रोत को प्रदूषित कर रहा है?
उत्तर:
सीवर का मल-जल अधिकतर जल-स्रोतों (नदियों, नहरों, झीलों) में डाल दिया जाता है, जिससे जल प्रदूषित होता है। नदियों के किनारे बसे बड़े-बड़े शहरों और नगरों के सीवर मल-जल, सीधे नदियों के जल में डाल दिए जाते हैं। इसी प्रकार गंगा के किनारे बसे लोग अधजले शव या बिना जले शवों को गंगा के जल में फेंक देते हैं, जिससे गंगा का जल प्रदूषित हो रहा है।
(पृष्ठ संख्या-222)
प्रश्न 1.
मृदा (मिट्टी) का निर्माण किस प्रकार होता है?
उत्तर:
चट्टानों के टूटने व पिसने-घिसने से मृदा या मिट्टी का निर्माण होता है। मिट्टी के निर्माण में चट्टानों के छोटे-छोटे टुकड़े, ताजी व गली-सड़ी पत्तियाँ, मृत जीव अवशेष व रेत के कण आदि मिलने से होता है। मृदा की ऊपरी परत को बनने में कम-से-कम 300 से 800 वर्ष का समय लगा है। मृदा निर्माण की प्रक्रिया सतत् है।
प्रश्न 2.
मृदा अपरदन क्या है?
उत्तर:
मिट्टी का किन्हीं भी कारणों से कट जाना या बह जाना, मिट्टी का अपरदन कहलाता है। मिट्टी अनेकों कारणों से कटती है; जैसे
- बाद मृदा अपरदन का प्रमुख कारण बाढ़ है, जिसके कारण मृदा एक स्थान से दूसरे स्थान पर बह जाती है।
- तेज हवाएँ-मृदा अपरदन का दूसरा प्रमुख कारण तेज गति से बहती हवाएँ हैं।
- वनों की कटाई-बढ़ती जनसंख्या तथा औद्योगीकरण के कारण वनों की कटाई अधिक होती है, जिस कारण मृदा-अपरदन बढ़ता है।
- अनियंत्रित तथा अत्यधिक पशुओं की चराई-अनियंत्रित तथा अत्यधिक पशुओं की चराई से मृदा-अपरदन बढ़ता है।
- खेती के अवैज्ञानिक तरीकों से अधिकतर किसान खेतों में लगातार एक ही प्रकार की फसल उगाते रहते हैं, जिससे उपजाऊ शक्ति कम होने के कारण मृदा का अपरदन बढ़ता है।
- खेती के लिए भूमि की गहरी जुताई से-खेती के लिए भूमि की गहरी जुताई से भी मृदा अपरदन बढ़ता है।
प्रश्न 3.
अपरदन को रोकने और कम करने के कौन-कौन से तरीके हैं?
उत्तर:
अपरदन को रोकने के निम्नलिखित तरीके हैं
1. घास लगाकर-घास के पत्ते तथा जड़ें पानी की गति को कम कर देते हैं, जिससे जल मिट्टी के कणों को बहाकर नहीं ले जा पाता।
2. खेत समतल करके ढलवाँ जगह को छोटे-छोटे समतल टुकड़ों में बाँटकर खेती करने से भी पानी की गति कम हो जाती है, जिससे भूमि का कटाव नहीं होता है।
3. वृक्ष लगाकर-वृक्षों की जड़ें मिट्टी को बाँधे रखती हैं, जिससे पानी मिट्टी को बहाकर नहीं ले जा पाता।
4. खेती के उचित ढंग ढलान की दिशा में हल न चलाकर दाएँ-बाएँ हल चलाने से जल की गति कम हो जाती है, जिससे मिट्टी नहीं कटती।
5. बाँध बनाकर-ढलान पर बने बाँध तेजी से बहते हुए पानी के वेग को कम करते हैं, जिससे कटाव नहीं होता।
6. सीढ़ीनुमा खेत बनाकर-पहाड़ी प्रदेशों में ढलान के विरुद्ध सीढ़ियाँ बनाकर खेती करनी चाहिए।
7. खाद डालकर-भूमि में खाद डालने से भूमि की जल रोकने की शक्ति बढ़ जाती है, जिससे कटाव नहीं होता।
8. वायुरोधक लगाकर-जहाँ रेतीली भूमि हो तथा तेज हवाएँ चलती हों, वहाँ खेत के चारों ओर घने पौधे लगा देने चाहिएँ ताकि तेज वायु मिट्टी के कणों को उड़ाकर न ले जा सके।
9. खेतों की मेड़ों को ऊँचा बनाकर खेतों की मेड़ें ऊँची हो जाने से खेतों का पानी खेतों से बाहर नहीं जा पाता और भूमि का कटाव भी नहीं हो पाता।
10. विशेष फसलें उगाकर-मूंगफली जैसी विशेष फसलों को उगाकर भी भूमि कटाव को कम किया जा सकता है।
(पृष्ठ संख्या-226)
प्रश्न 1.
जल-चक्र के क्रम में जल की कौन-कौन सी अवस्थाएँ पाई जाती हैं?
उत्तर:
जल-चक्र के क्रम में जल की निम्नलिखित तीन अवस्थाएँ पाई जाती हैं
- द्रव अवस्था में जल,
- वाष्प अवस्था में जल तथा,
- ठोस अवस्था में बर्फ।
वाष्पों से बादल बनते हैं, यही बादल वर्षा के रूप में पृथ्वी पर बरसते हैं और कई बार बादलों का जल जमकर बर्फ अर्थात् ओलों का रूप ले लेता है। पहाड़ों की चोटियों पर पड़ी बर्फ भी ठोस रूप में जल ही है, जो पिघलकर द्रव अवस्था में नदियों में आती है और वाष्प बनकर वायु में मिल जाती है।
प्रश्न 2.
जैविक रूप से महत्त्वपूर्ण दो यौगिकों के नाम दीजिए जिनमें ऑक्सीजन और नाइट्रोजन दोनों पाए जाते हों।
उत्तर:
नाइट्रेट्स और नाइट्राइट्स।
प्रश्न 3.
मनुष्य की किन्हीं तीन गतिविधियों को पहचानें जिनसे वायु में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती है।
उत्तर:
मनुष्य की गतिविधियों से वायु में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा निम्नलिखित प्रकार से बढ़ती है
- ईंधन के दहन द्वारा।
- वाहनों में पेट्रोलियम पदार्थों के इस्तेमाल से।
- श्वसन क्रिया में भी CO2 उत्पन्न होती है।
प्रश्न 4.
ग्रीन हाउस प्रभाव क्या है?
उत्तर:
पृथ्वी सूर्य से विभिन्न तरंगदैर्यों का प्रकाश प्राप्त करती है। वायुमंडल की ओज़ोन परत पराबैंगनी विकिरणों को सोखकर अन्य तरंगदैर्यों को जाने देती है, परंतु पृथ्वी की सतह पर पड़ने वाले प्रकाश में से कुछ भाग अवरक्त प्रकाश के रूप में परावर्तित होकर वापस चला जाता है।
CO2 के अणुओं में पृथ्वी की सतह से परावर्तित अवरक्त विकिरणों को सोख लेने की क्षमता है। अतः वायुमंडल में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड किसी कंबल के समान अवरक्त प्रकाश को प्रगृहीत कर सकती है, जिसके कारण वायुमंडल गर्म हो जाता है। वायुमंडल के इस प्रकार गर्म होने को ग्रीन हाउस प्रभाव या पौधा घर प्रभाव कहते हैं।
प्रश्न 5.
वायुमंडल में पाए जाने वाले ऑक्सीजन के दो रूप कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
O2 (ऑक्सीजन) तथा O3 (ओज़ोन)।
HBSE 9th Class Science प्राकृतिक सम्पदा Textbook Questions and Answers
प्रश्न 1.
जीवन के लिए वायुमंडल क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
जीवन वायुमंडल पर ही आधारित है क्योंकि
- वायुमंडल पृथ्वी के औसत तापमान को बनाए रखता है।।
- वायुमंडल में जीवन वायु के रूप में ऑक्सीजन पाई जाती है।
- वायुमंडल की ओज़ोन परत सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों से पृथ्वी को बचाती है।
- वायुमंडल उल्काओं से पृथ्वी को बचाता है, जिससे जीवन की भी सुरक्षा होती है।
- हरे पौधों के लिए प्रकाशसंश्लेषण क्रिया में प्रयुक्त होने वाली CO2 गैस भी वायुमंडल में ही पाई जाती है।
- वायुमंडल में जल, जलवाष्पों के रूप में पाया जाता है, जो जीवन का आधार है। अतः वायुमंडल जीवन के लिए आवश्यक है।
प्रश्न 2.
जीवन के लिए जल क्यों अनिवार्य है?
उत्तर:
जीवन के लिए जल अनिवार्य है क्योंकि मनुष्य की सभी कोशिकीय प्रक्रियाएँ जलीय माध्यम में होती हैं।
प्रश्न 3.
जीवित प्राणी मृदा पर कैसे निर्भर हैं? क्या जल में रहने वाले जीव संपदा के रूप में मृदा से पूरी तरह स्वतंत्र हैं?
उत्तर:
मिट्टी जीवन का आधार है। सभी जीवधारी मिट्टी पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से निर्भर करते हैं। पौधे मिट्टी से पोषण प्राप्त करते हैं जिनमें खनिज और जल प्रमुख हैं और सभी जंतु पौधों पर निर्भर करते हैं। पौधों से ही जंतुओं को भोजन व सांस लेने के लिए ऑक्सीजन मिलती है। पौधों के बिना प्राणियों का जीवन संभव ही नहीं है और पौधे मिट्टी के बिना जीवित नहीं रह सकते। जलीय जीव भी मिट्टी पर निर्भर करते हैं क्योंकि पौधों से ही ये अपने जीवन की आवश्यकताएँ पूरी करते हैं।
प्रश्न 4.
आपने टेलीविजन पर और समाचार-पत्र में मौसम संबंधी रिपोर्ट को देखा होगा। आप क्या सोचते हैं कि हम मौसम के पूर्वानुमान में सक्षम हैं?
उत्तर:
हाँ, मौसम के पूर्वानुमान में हम सक्षम हैं। मौसम संबंधी आँकड़े भू-कक्षा में स्थापित कृत्रिम उपग्रहों के माध्यम से प्राप्त कर, आने वाले समय में मौसम का अनुमान सहज से लगाया जा सकता है। INSAT- 1B के द्वारा प्रत्येक आधे-आधे घंटे पश्चात् चित्र व सूचनाएँ प्राप्त की जाती हैं। इन्हीं चित्रों से मौसम की भविष्यवाणी की जाती है, जो काफी कारगर सिद्ध हुई हैं।
प्रश्न 5.
हम जानते हैं कि बहुत-सी मानवीय गतिविधियाँ वायु, जल एवं मृदा के प्रदूषण-स्तर को बढ़ा रहे हैं। क्या आप सोचते हैं कि इन गतिविधियों को कुछ विशेष क्षेत्रों में सीमित कर देने से प्रदूषण के स्तर को घटाने में सहायता मिलेगी?
उत्तर:
हाँ, मानव की इन गतिविधियों को कुछ विशेष क्षेत्रों में सीमित कर देने से प्रदूषण स्तर को घटाने में मदद मिलेगी; जैसे
- वाहनों को जीवाश्म ईंधन पेट्रोलियम पर न चलाकर सौर ऊर्जा पर आधारित बैटरी से चलाने पर वायु प्रदूषण कम होगा।
- घरों में कोयले व एल०पी०जी० जैसे ईंधनों के उपयोग के स्थान पर सौर ऊर्जा का उपयोग भोजन पकाने, पानी को गर्म करने में, आदि से प्रदूषण नहीं होगा।
- कृषि क्षेत्र में रासायनिक उर्वरकों के स्थान पर कंपोस्ट खाद का उपयोग करने से मृदा प्रदूषण नहीं होगा।
- उद्योग-धंधों का कचरा सीधे जल-स्रोतों में मिलाने की बजाए ट्रीटमैंट प्लांट के द्वारा केवल उपयोगी पदार्थ उपयोग करने से जल प्रदूषण कम होगा।
प्रश्न 6.
जंगल वायु, मृदा तथा जलीय स्रोत की गुणवत्ता को कैसे प्रभावित करते हैं?
उत्तर:
जंगल पर्यावरण संतुलन में महत्त्वपूर्ण घटक हैं। जंगल वायु की रचना (78% नाइट्रोजन, 21% ऑक्सीजन) को संतुलित करते हैं। जंगलों के अभाव में यह संतुलन बिगड़ जाता है। वायु में CO2 और ठोस कणों की मात्रा बढ़ने से तापमान बढ़ जाता है, जबकि अधिक वन होने से वायु शुद्ध और शीतल रहती है। वन प्रदूषण घटता है।
वन मृदा अपरदन को रोकने के साथ-साथ मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाकर गुणवत्ता में सुधार लाते हैं। वनों के कटने से भूमि बंजर बन जाती है। वातावरण का तापमान बढ़ जाता है।
अधिक वनों से वर्षा भी अधिक होती है। जल-स्रोतों में जल की मात्रा बढ़ती है और उपयोगी मृदु जल अधिक मात्रा में उपलब्ध होता है। भूमिगत जल-स्तर में सुधार आता है। अतः जंगल वायु, मृदा और जलीय स्रोतों की गुणवत्ता सुधारते हैं।