HBSE 8th Class Social Science Solutions Civics Chapter 4 कानूनों की समझ

Haryana State Board HBSE 8th Class Social Science Solutions Civics Chapter 4 कानूनों की समझ Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 8th Class Social Science Solutions Civics Chapter 4 कानूनों की समझ

HBSE 8th Class Civics कानूनों की समझ Textbook Questions and Answers

कानूनों की समझ प्रश्न उत्तर HBSE 8th Class प्रश्न 1.
‘कानून का शासन’ पद से आप क्या समझते हैं? अपने शब्दों में लिखिए। अपना जवाब देते हुए कानून के उल्लंघन का कोई वास्तविक या काल्पिनक उदाहरण भी दें।
उत्तर:
कानून का शासन का अभिप्राय (Meaning of the Rule of Law):
कानून के शासन का तात्पर्य है कि देश के सभी नागरिकों पर समान रूप से कानून लागू होते हैं। कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है। न तो सरकारी अधिकारी न ही कोई धनी व्यक्ति यहाँ तक कि देश का प्रथम नागरिक एवं संवैधानिक रूप से राष्ट्र प्रमुख राष्ट्रपति भी कानून से ऊपर नहीं है। विधि द्वारा निर्मित कानूनों से ही देश का प्रशासन संचालित होता है।

उदाहरण (Example):
विलियम बाहर से (पड़ोसी देश) आया हुआ एक व्यक्ति है। वह हिन्दी (भाषा) विभाग का एक विद्यार्थी है। वह दिल्ली विश्वविद्यालय के “धूम्रपान निषेध क्षेत्र” (No smoking zone) में सिगरेट पीते हुए पकड़ा गया। कानून के अनुसार यह दंडनीय है किंतु उस पर कोई फाइन (आर्थिक दंड) या जुर्माना नहीं लगाया गया है। दूसरी ओर रोजा एक मुस्लिम लड़की है लेकिन वह धूम्रपान की आदी है। धूम्र विरोधी दस्ते के द्वारा उस लड़की को बस में धूम्रपान करते हुए पकड़ा गया तथा उस पर जुर्माना किया गया है। यह कानून का शासन नहीं है।

HBSE 8th Class Social Science Solutions Civics Chapter 4 कानूनों की समझ

कानूनों की समझ HBSE 8th Class प्रश्न 2.
इतिहासकार इस दावे को गलत ठहराते हैं कि भारत में कानून का शासन-अंग्रेजों ने शुरू किया था। इसके कारणों में से दो कारण बताइए।
उत्तर:
सामान्यतया यह यकीन किया जाता रहा कि औपनिवेशिक राज्य के संस्थापक अंग्रेजों ने ही भारत में कानून का शासन लागू किया था। इतिहासकारों में इस दावे को लेकर मतभेद हैं। वे कई आधारों पर ऐसा कहते हैं, जिनमें से दो निम्नलिखित पहला, औपनिवेशिक राज्यकाल में कानून को मनमाने इंग से लागू किया जाता था। कुछ भी सुनिश्चित या तय नहीं था। हर बात या कानून को अंग्रेज अधिकारियों या न्यायाधीशों की मर्जी पर छोड़ दिया जाता था।

दूसरा, भारत के राष्ट्रवादियों ने ब्रिटिश भारत में कानून के विकास में बहुत ही उपयोगी योगदान दिया। उन्होंने ही आधुनिक ढंग की अदालतें तथा नये कानूनों की माँग की। वे कानून के शासन तथा कानून की समानता के पक्षधर थे। उन्होंने 1909 के एक्ट से पहले ही कानूनों की मांग की। कई समाज सुधारकों, बाल कन्या विरोधी, सती विरोधी, पैतृक संपत्ति में समानता तथा बाल विवाह आदि का विरोध किया। संक्षेप में उन्होंने ब्रिटिश भारत में कानून के क्षेत्र में विकास के लिए पर्याप्त योगदान दिया।

कानूनों की समझ Answer HBSE 8th Class प्रश्न 3.
घरेलू हिंसा पर नया कानून किस तरह बना? महिला संगठनों ने इस प्रक्रिया में अलग-अलग तरीके से जो भूमिका निभाई, उसे अपने शब्दों में लिखें।
उत्तर:
1. भारत के लोगों को अपने प्रत्येक एवं परोक्ष अनुभवों, अन्वेषणों एवं विभिन्न स्रोतों से प्राप्त होने वाले समाचारों तथा कालांतर में जन संचार माध्यमों से ज्ञात हुआ कि भारतीय महिलाओं के साथ समानता का व्यवहार नहीं किया जाता है और न ही उनके साथ उनकी हर भूमिका से सद्व्यवहार ही होता है। न तो उनके घरों पर तथा न ही कार्य करने के स्थानों (कार्यालयों, मिलों, कारखानों, भवन-निर्माण क्षेत्रों) आदि पर ही उनके साथ – समानता का व्यवहार किया जाता है।
(i) कई पति अपनी पत्नियों को मारते थे।

(ii) कुछ वृद्ध महिलाओं से दुर्व्यवहार किया जाता है। इसमें उनके पति, बेटे तथा पुत्र वधुएँ (जो स्वयं भी महिलाएँ होती हैं।) भी न केवल मारती हैं बल्कि उन्हें भगवान की दया पर जीवन में रेंगने के लिए छोड़ देते हैं या देती हैं।

(iii) कई महिलाओं को (जो अविवाहित रह जाती हैं विधवा हो जाती हैं या जिन्हें बहु विवाहों/आसान तलाकों के गलत रिवाजों या नि:सन्तान होने पर मौखिक रूप से कई तरह के निन्दनीय, अभद्र शब्द, अपमानजनक ताने आदि पड़ोसनों तथा पड़ोसी पुरुषों एवं निजी रिश्तेदारों से भी सुनने पड़ते हैं (बांझ तथा दुश्चरित्र शब्द आज 21वीं शताब्दी में भी सुनाई पड़ता है।)

(iv) यहाँ तक की जो (औरतें) बार-बार पुत्रियों को जन्म देती हैं, उन्हें – पुत्रों को जन्म देने वाली महिलाएं भी ताने ही देती हैं। उन्हें मानसिक तनाव से जीवन गुजारना पड़ता है।

(v) कई महिलाओं को तो घर की चारदीवारी में ही, नई पत्नी ले आऊँगा, दहेज न लाने की स्थिति में तलाक तथा जीवित जलाकर मारने की धमकी मिलती रहती है।

2. भारतीय महिलाओं ने घरेलू हिंसा के विरुद्ध संरक्षण (हिफाजत) की माँग की। घर पर रहकर निवास स्थान में हिस्सेदारी की मांग की गयी, पैतृक संपदा में हिस्से की माँग की गयी तथा घरों पर हर तरह की हिंसा से रक्षा की मांग की गयी जिसमें शारीरिक, आर्थिक, यौवन संबंधी एवं मौखिक तथा भावनात्मक दुर्व्यवहार आदि शामिल है।

3. कुछ गैर-सरकारी संगठनों तथा महिलाओं के आन्दोलनों में लगे लोगों ने घरेलू हिंसा से संबंधित नये कानूनों की मांग की। उन्होंने जोरदार आवाज उठायी कि सरकार तुरंत ही इसे देश की संसद के पटल पर एक बिल (विधेयक) के रूप में रखे। अंततः विधेयक संसद में 2002 में रखा गया लेकिन उसमें वह सब कुछ नहीं था जो महिला संगठन या समूह मांग कर रहे थे या सुझाव दे रहे थे।

इसलिए जिस पहले रूप में बिल संसद में रखा गया, उसके उसी रूप में जोरदार विरोध किया गया। महिलाओं के प्रतिनिधि उस परिभाषा से संतुष्ट नहीं थे जो प्रस्तावित विधेयक में घरेलू हिंसा के लिए दी गई थी।

4. दिसम्बर 2002 में स्टेंडिग कमेटी ने अपनी सिफारिशें राज्यसभा को सौंपी। इन्हें लोकसभा पटल पर रखा गया। इस कमेटी ने महिलाओं के समूहों तथा संगठनों की अधिकांश सिफारिशें मान

5, अंत में 2005 में एक नया विधेयक संसद में पुनः रखा गया। संसद के दोनों सदनों में जब वह विधेयक पास हो गया तो उसे राष्ट्रपति के पास उनकी स्वीकृति के लिए भेजा गया। इस तरह से महिलाओं के लिए घरेलू हिंसा से संरक्षण अधिनियम सन् 2006 में प्रभावशाली हुआ।

HBSE 8th Class Social Science Solutions Civics Chapter 4 कानूनों की समझ

कानूनों की समझ Class 8 HBSE प्रश्न 4.
अपने शब्दों में लिखिए कि इस अध्याय में आए निम्नलिखित वाक्य (पृष्ठ 44-45) से आप क्या समझते हैं: अपनी बातों को मनवाने के लिए उन्होंने संघर्ष शुरू कर दिया। यह समानता का संघर्ष था। वे ऐसे कानून नहीं चाहते थे जिनका उन्हें हर हालत में पालन करना पड़े। वे ऐसे कानून चाहते थे जो न्याय के विचार पर आधारित हों।
उत्तर:
(i) उपर्युक्त अनुच्छेद में शब्द (पद) वे तथा उन्होंने का प्रयोग भारतीय राष्ट्रवादियों के लिए किया गया है जो ब्रिटिश शासन के दौरान भारत की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष में जुटे हुए थे।

(ii) विदेशी सरकार के गलत कानूनों का उन्होंने विरोध किया एवं उसकी आलोचना की। अंग्रेजों की मनमानी का एक उदाहरण वह कानून था जो उन्होंने 1820 मे राजद्रोह एक्ट (Sedition Act) नाम से लागू किया था। राजद्रोह का विचार इसी अधिनियम में दी गयी परिभाषा के विकृत रूप में समझा जा सकता था। किसी भी व्यक्ति को यदि वह ब्रिटिश सरकार की निन्दा करता हुआ या उसकी आलोचना करता हुआ पकड़ लिया गया तो उसे बिना किसी उचित ट्रायल (न्याय प्रक्रिया) के ही जेल में डाला जा सकता था।

(iii) भारतीय राष्ट्रवादियों ने और ज्यादा जोर देकर ब्रिटिश सरकार की निन्दा की, उसकी आलोचना की, विरोध किया तथा वे भारतीयों व अंग्रेजों के कानून के क्षेत्र में और अधिक समानता की स्थापना में संघर्षरत हो गये। कानूनों (नियमों) के समूह से वे कानून निकालने की मांग करने लगे जो जबर्दस्ती भारतीयों पर कानून के नाम पर लाद दिए गये थे तथा भारतीयों के लिए भी पूरी न्यायिक प्रक्रिया तथा निष्पक्ष न्याय की मांग की।

(iv) 19वीं शताब्दी का अंत आते-आते बड़ी संख्या में भारतवासियों ने भी कानून की शिक्षा से बड़ा नाम पाया तथा वे बड़ी संख्या में मिलकर औपनिवेशिक न्यायालयों में अपने देशवासियों के लिए पर्याप्त सम्मान की मांग करने लगे।

(v) भारतीय कानून विशेषज्ञों ने कानूनी अधिकारों की भारतीयों के लिए रक्षा किए जाने की मांग की तथा शीघ्र ही भारतीय न्यायाधीशों ने भी निर्णय करने में और बड़ी भूमिकाएं निभानी शुरू की।

(vi) इसी प्रकार अनेक ऐसे रास्ते थे जिनमें भारतीयों ने एक प्रमुख भूमिका निभायी। यह भूमिका औपनिवेशिक कालांश (पीरियड) में उद्विकास लाने में महत्त्वपूर्ण रही।

HBSE 8th Class Civics कानूनों की समझ Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

कानूनों की समझ पाठ के प्रश्न उत्तर HBSE 8th Class प्रश्न 1.
भारत में कानून द्वारा लड़कियों तथा लड़कों के विवाह की आयु क्या निर्धारित की गयी है?
उत्तर:
लड़कियों के लिए यह 18 वर्ष है। लड़कों के लिए यह 21 वर्ष है। कुछ दिनों पूर्व जनसंचार माध्यमों ने इस लिंग आधारित भेदभाव को समाप्त करने की सूचना दी थी कि शीघ्र ही दोनों के लिए निर्धारित न्यूनतम आयु समान ही होगी।

HBSE 8th Class Social Science Solutions Civics Chapter 4 कानूनों की समझ

प्रश्न 2.
‘स्वतंत्र भारत में कानून’ को लागू करने के – संबंध में संविधान सभा का क्या नजरिया था?
उत्तर:
संविधान सभा के सदस्य इस बात पर सहमत थे कि स्वतंत्र भारत में कानून का प्रयोग मनमाने ढंग से नहीं होना चाहिए। इसलिए उन्होंने संविधान में अनेक ऐसी व्यवस्थाएँ कर दी जो स्वतंत्र जाति में कानून का शासन (या राज्य) स्थापित करेगा। सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण बात यह थी कि स्वतंत्र भारत में कानून के समक्ष सभी लोग बराबर होंगे।

प्रश्न 3.
अंग्रे द्वारा मनमाने ढंग से कानून उपयोग किये जाने का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
ब्रिटिश शासन काल के दौरान कानून के क्षेत्र में – अंग्रजों की मनमानी जारी रही। इसका एक उदाहरण दि सेडीशन एक्ट 1870 (The Sedition Act of 1870) था। राजद्रोह के नाम से इस अधिनियम की विषय सामग्री को देखने मात्र से यह स्पष्ट हो जाता है कि कोई भी व्यक्ति ब्रिटिश सरकार का विरोध करते हुए या उसकी आलोचना करने मात्र से ही बिना आवश्यक कानूनी प्रक्रिया के ही सलाखों के पीछे डाला जा सकता था।

प्रश्न 4.
घरेलू हिंसा से आप क्या समझते हैं? उन दो अधिकारों की सूची बनाइए जिनसे यह साबित हो कि नए कानून ने औरतों को घरेलू हिंसा से अपनी रक्षा करने में सहायता पहुंचाई।
उत्तर:
I.अर्थ (Meaning): घरेलू हिंसा का अर्थ है घर पर पति द्वारा, ससुराल वालों द्वारा या पुत्र एवं पुत्रवधू द्वारा. मारना-पीटना, गाली-गलौच करना एवं दुर्व्यवहार करना। इसके अधीन किसी भी प्रकार का उत्पीड़न-शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक या आर्थिक आदि आते हैं।

II.दो अधिकार (Two Rights):
1. स्वतंत्रता का अधिकार एवं
2. समानता का अधिकार।

III. पारित किए गए कानून (Passed Laws):
1. घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा अधिनियम, 20051
2. हिन्दू उत्तराधिकार संशोधन अधिनियम, 20051

प्रश्न 5.
“खोमचे वालों तथा फेरी लगाने वालों द्वारा शहरों में निवास करने वाले लोगों को उपयोगी सेवाएँ मिलती हैं।” इस कथन की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
नि:संदेह इस बात से कोई इंकार नहीं करता कि रेहड़ी वालों, खोमचे वालों, फेरी लगाने वालों द्वारा शहरी जनता को अधिक सस्ती एवं तुरंत प्रदान होने वाले उपयोगी सेवाएँ दी जाती हैं। वे लोग को जो ऐसे छोटे-छोटे व्यवसायों में लगे हैं मेहनत करके अपनी रोजी-रोटी भी कमा लेते हैं। इस तरह से लोगों के काम-धंधे शहरों में रहने वालों तथा स्वयं रेहड़ी-खोमचों तथा फेरीवालों एवं उनके परिवारजनों के लिए लाभकारी हैं।

HBSE 8th Class Social Science Solutions Civics Chapter 4 कानूनों की समझ

प्रश्न 6.
यदि नये कानून समाज के एक समूह के लिए तो लाभकारी हैं परंतु दूसरे समूह के लिए वे लाभकारी नहीं हैं तो लोगों का उनके प्रति क्या रवैया होगा? संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
निःसंदेह केवल वे ही कानून आम सहमति से बनाये जा सकते हैं जो सभी वर्गों या समूहों के लिए उपयोगी हों। यदि कोई नया कानून केवल एक समूह को तो फायदा पहुंचाये तथा अन्य वर्गों के लिए वह मुसीबत खड़ी करे तो लोग उनका तुरंत विरोध करेंगे। जिन लोगों के हित में नहीं होगा वे न्यायालय में जाकर नये कानून को लागू नहीं होने देंगे। यदि वह कानून संविधान की आत्मा या भावना के खिलाफ है तो न्यायपालिका को यह अधिकार है कि वह विधायिका को ऐसे कानून बदलने या आवश्यक संशोधन करने के निर्देश दे।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
“वर्तमान भारत में कानून की समानता है।” कैसे? संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
निसंदेह वर्तमान भारत एक उदारवादी लोकतंत्र है। यहाँ सभी के लिए कानून (एवं न्यायालय) समान है। कोई भी व्यक्ति कानून से ऊपर नहीं है-चाहे वह व्यक्ति सरकारी अधिकारी हो, नेता हो, धनी व्यक्ति हो या निर्धन। कोई भी व्यक्ति जो कानून को तोड़ता है या कोई अपराध करता है तो उसे पुलिस द्वारा हिरासत में लिया जायेगा। संविधान या कानून के द्वारा स्थापित व्यवस्था के अनुसार उस पर मुकदमा चलेगा तथा जुर्म साबित होने पर ही कानून के अनुसार अपराधी को दण्ड मिलेगा।

प्रश्न 2.
‘घरेलू हिंसा महिला सुरक्षा कानून, 2006’ के महत्त्व को बताइए।
उत्तर:
1. महिलाओं के लिए घरेलू हिंसा सुरक्षा कानून, 2006 बहुत ही महत्त्वपूर्ण है क्योंकि इसने महिलाओं के इस अधिकार को मान्यता दे दी है कि वे घर में रहने के लिए हिस्सेदारी कर सकती हैं। अब कोई भी उन्हें घर से निकाल नहीं सकता।
2 परिवार का कोई भी सदस्य यदि उनके साथ हिंसात्मक यवहार करे तो वे तुरंत कानून के द्वारा सुरक्षा प्राप्त कर सकती हैं।
3. इस कानून के द्वारा महिलाएं अपने जीवनयापन तथा. चिकित्सा उपचार के लिए तुंरत ही आर्थिक सहायता प्राप्त कर सकती हैं।
4. यह एक दीवानी कोनून है जो करोड़ों महिलाओं को राहेन । प्रदान करेगा। बहुत सी पत्नियाँ, माँओं, बेटियों और बहनों को अपने घरों में हिंसा से निजात दिलाने में यह कानून मदद करेगा।

HBSE 8th Class Social Science Solutions Civics Chapter 4 कानूनों की समझ

दीर्घ उनरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय राष्ट्रवादियों द्वारा रॉलेट एक्ट क्यों नहीं पसंद किया गया था? इस काले कानून के बनने के बाद क्या घटित हुआ था?
उत्तर:
1. भारत में अंग्रेजी राज्य के दौरान, प्रथम विश्व युद्ध के उपरांत “रॉलेट एक्ट” नामक एक विधेयक सन् 1919 में रखा गया। इस कानून में प्रशासन चलाने तथा कानून को लादने का तरीका एवं स्वरूप असमान एवं गलत था। इस कानून में व्यवस्था की गयी थी कि ब्रिटिश सरकार जब चाहे किसी को भी कैद में डाल सकती थी। ऐसा उस व्यक्ति को न्याय की उचित प्रक्रिया का अवसर दिये बिना ही सरकार कर सकती थी। भारत के सभी राष्ट्रवादी नेताओं ने जिनमें महात्मा गाँधी भी शामिल थे पूरे देश में रॉलेट एक्ट के विरुद्ध आंदोलन छोड़ दिया। इस सबके बावजूद भी ब्रिटिश सरकार ने रॉलेट एक्ट को पास कर इसे 10 मार्च, 1919 से लागू कर दिया।

2. इस काले कानून के लागू होने पर पंजाब में सर्वाधिक सक्रिय रूप से आंदोलन चलाया गया। सरकार घबरा गई। उसने अप्रैल 10, 1919 को पंजाब के दो जनप्रिय नेताओं-(i) डॉ. सत्यपाल तथा (ii) डॉ. सैफुद्दीन किचलू को कैद कर लिया। इस गिरफ्तारी ने पहले से ही रॉलेट एक्ट विरोधी आंदोलन में “आग में घी” डालने जैसा काम किया। इन दोनों महान नेताओं की गिरफ्तारी के विरोध में बैशाखी के दिन 13 अप्रैल, 1919 को जलियाँवाला बाग, अमृतसर (पंजाब) में एक जन सभा का आयोजन किया गया। वह सभा पूर्णतया अहिंसात्मक ढंग से शांतिपूर्ण विरोध करने के लिए ही बुलायी गयी थी। जनरल डायर शीघ्र ही वहाँ अपनी पुलिस टुकड़ी के साथ पहुँच कर उस पार्क को घेर लिया। उसमें निकासी का एक छोटा सा मार्ग था। कई मिनटों तक निहत्थे लोगों पर गोलियाँ चली। कई सौ व्यक्ति शहीद हो गये। इस निन्दनीय तथा मनमानी अत्याचारपूर्ण कार्यवाही को आज भी जलियाँवाला हत्याकांड के नाम से याद किया जाता है। इस दर्दनाक हत्याकांड की झलक चित्र में दिखाई गई है।

प्रश्न 2.
एक कारण बताइए कि आप राजद्रोह एक्ट, 1870 (The Sedition Act of 1879) को मनमाना क्यों मानते है? किस रूप में यह अधिनियम “कानून के शासन के सिद्धांत का उल्लंघन करता है?
उत्तर:
कहने को तो अंग्रेज स्वयं को आधुनिक लोकतंत्र की |जननी-इंग्लैंड के निवासी बताते थे। उनके चापलूस इतिहासकारों ने उन्हें भारत में कानून का शासन तथा कानून की समानता लाने वाले बताया है लेकिन तारीख कुछ और ही बताती है। उन्होंने 1857 के विद्रोह के बाद कई काले कानून बनाये। इनमें से ही राजद्रोह एक्ट, 1870 भी था। यह कानून इसलिए मनमाना था क्योंकि ब्रिटिश सरकार इसके अंतर्गत किसी भी भारतवासी को कैद कर सकती थी तथा जेल में बंद कर सकती थी। इसके द्वारा किसी को भी राजद्रोह के संदेह में गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया जाता था। किसी तरह की कानून प्रक्रिया का संरक्षण नहीं था। बिना कानून के झूठे संदेह में ही मनमाने जंग से भारतीयों पर इस काले अधिनियम या कानून ने जुल्म ढाए। यह कानून केवल भारतीयों पर ही लागू किया गया था। कानून का शासन ऐसी गलत व्यवस्था नहीं करता। वह तो हर बड़े से बड़े अपराधी को यह जानने का अवसर देता है कि उसे क्यों कैद किया गया है तथा उसे उचित न्यायिक प्रक्रिया के बाद ही निर्णय हो जाने पर जेल में बंद किया जा सकता हैं।

कानूनों की समझ Class 8 HBSE Notes in Hindi

1. कानून का हनन (Violation of Law): कानून के विरुद्ध कुछ कार्य करना या स्थापित कानून का उल्लंघन करना।
2. कानून का शासन (Rule of Law): विधि द्वारा निर्मित या संचालित राज्यव्यवस्था (Polity)
3. कानून के समक्ष समानता (Equality of the Line): कानून के सामने सभी लोगों को बराबर समझना। सरकार या शासन कानून की दृष्टि से किसी भी व्यक्ति के साथ किसी भी आधार पर भेदभाव नहीं कर सकते।
4. राजद्रोह अधिनियम (The Sedition Act): यह अधिनियम 1870 ई. में भारत की ब्रिटिश सरकार द्वारा पास किया जाता था। इस अधिनियम का अर्थ यह था कि कोई भी व्यक्ति यदि सरकार के खिलाफ विरोध करता है या उसकी आलोचना करता है तो उसे बिना न्यायालय में पेश किये या उस पर बिना मुकद्दमा चलाये ही उसे कैद किया जा सकता था।
5. रॉलेट एक्ट (Rowlan Act): इस अधिनियम को भारत की अंग्रेजी सरकार ने 10 मार्च, 1919 को पास किया था।
6. डॉ. सत्यपाल एवं डॉ. सैफुद्दीन किचलू (Dr Satyapal and Dr Saifuddin Kitchlew): ये दोनों पंजाब के प्रसिद्ध राष्ट्रवादी नेता थे। इन्हें अंग्रेजी सरकार ने रॉलेट एक्ट विरोधी आंदोलन के दौरान कैद कर लिया था।
7. जलियाँवाला बाग हत्याकांड (Jalliamwala Bagh Massacre): जनरल डायर के आदेश पर यह नरसंहार अमृतसर स्थित छोटे से बाग में बैशाखी के दिन 13 अप्रैल 1919 को हुआ था।
8. जनरल डायर (General Dyer): यह वह अंग्रेज अधिकारी था जो जलियाँवाला बाग में हुए नरसंहार की घटना के लिए पूर्णतया उत्तरदायी था।
9. भारतीय संविधान को अपनाया गया (Adoptation of the Indian Constitution): 26 जनवरी 1950 को।
10. हिन्दू उत्तराधिकार संशोधन अधिनियम पारित किया गया था (Hindu Succession Amendment Act was passed in): 2005 में।
11. मनमाने (Arbitrarily) ढंग से: यहाँ इसका अर्थ है कानून के अनुसार कार्य न करना। जब कुछ भी निर्धारित नहीं होता तथा हर चीज या निर्णय या फैसले को मनमाने ढंग से अंजाम दिया जाता है।
12. राजद्रोह (Sedition): जब किसी सरकार या शासन को ऐसा लगता है कि उसके खिलाफ प्रतिरोध पैदा हो रहा है या विद्रोह किया जा रहा है तो उसे राजद्रोह कहा जाता है। ऐसी स्थिति में सरकार को किसी की गिरफ्तारी के लिए ठोस सुबूत की जरूरत नहीं होती। 1870 के राजद्रोह एक्ट के अंतर्गत अंग्रेज सरकार किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करके जेल में डाल सकते थे। राष्ट्रवादी नेता इस कानून को मनमाना मानते थे क्योंकि बहुत सारे लोगों को गिरफ्तारी से पहले वजह भी नहीं बताई जाती थी। उन्हें बिना मुकदमा चलाए ही जेल में डाल दिया जाता था।
13. आलोचना (Criticize): किसी चीज या व्यक्ति में कमियाँ निकालकर उसे अस्वीकार करना। इस अध्याय में आलोचना
शब्द का इस्तेमाल सरकार के कामकाज पर नागरिकों की ओर से होने वाली आलोचना के लिए किया गया है।
14. विकासक्रम करना (Evolution): सरल से जटिल रूप तक विकास की प्रक्रिया को विकासक्रम कहा जाता है। आमतौर पर इस शब्द का इस्तेमाल पौधों या पशुओं की किसी प्रजाति के विकास का वर्णन करने के लिए किया जाता है। इस अध्याय में विकासक्रम का मतलब इस बात से है कि महिलाओं को घरेलू हिंसा से सुरक्षा प्रदान करने का विचार किस तरह एक ‘ ‘अखिल भरतीय कानून के रूप में विकसित हुआ।
15. वमनकारी (Repressive): स्वतंत्र और स्वाभाविक विकास या अभिव्यक्ति को रोकने के लिए सख्ती से नियंत्रण स्थपित करना। इस अध्याय में उन कानूनों को दमनकारी कहा गया है जो लोगों को बहुत निर्मम ढंग से नियंत्रित करते हैं और उन्हें सभा करने व अपनी बात कहने सहित मौलिक अधिकारों का इस्तेमाल करने से भी रोक देते हैं।
16. घरेलू हिंसा से महिलाओं को संरक्षण देने के लिए अधिनियम (एक्ट) प्रभाव में आया था: सन् 2006 ई. में।
17. रोसा पास (Rosa Parks): एक अफ्रीकी अमेरिकी महिला जिसने एक बस में अपनी सीट 1 दिसम्बर, 1955 को एक श्वेत आदमी के लिए छोड़ने से साफ-साफ मना कर दिया था। वह रंग के आधार पर भेदभाव करने वाले कानून का विरोध कर रही थी।
18. सिविल मुकदमें (Civil Cases): वे सभी देश (मुकदमें) जिनका संबंध संपत्ति, करों तथा ठेकेदारियों आदि से होता है।
19. क्रिमिनल मुकदमें (Criminal Cases): वे मुकदमें जो कानून की नजर में हिंसात्मक गतिविधियों या कार्यों से जुड़े होते हैं जैसे कि हत्या, चोरी तथा डकैती आदि।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *