HBSE 8th Class Social Science Solutions Civics Chapter 2 धर्मनिरपेक्षता की समझ

Haryana State Board HBSE 8th Class Social Science Solutions Civics Chapter 2 धर्मनिरपेक्षता की समझ Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 8th Class Social Science Solutions Civics Chapter 2 धर्मनिरपेक्षता की समझ

HBSE 8th Class Civics धर्मनिरपेक्षता की समझन Textbook Questions and Answers

धर्मनिरपेक्षता की समझ प्रश्न उत्तर HBSE 8th Class  प्रश्न 1.
अपने आस-पड़ोस में प्रचलित धार्मिक क्रियाकलापों की सूची बनाइए। आप विभिन्न प्रकार की प्रार्थनाओं, विभिन्न देवताओं की पूजा, पवित्र स्थानों, विभिन्न प्रकार की धार्मिक संगीत और गायन आदि को देख सकते है। क्या इससे धार्मिक क्रियाकलापों की स्वतंत्रता का पता चलता है?
उत्तर:
हाँ, ये सभी विभिन्न प्रकार के धार्मिक व्यवहार, रीति-रिवाज, पूजा-अर्चना, इबादत के ढंग आदि हमारे पड़ोस में पाये जाते हैं। मैं अपने परिवार सहित चाँदनी चौक क्षेत्र में रहता हैं। यह एक ऐतिहासिक क्षेत्र एवं बाजार है। ऐतिहासिक लाल किले के सामने पुरानी दिल्ली में यह क्षेत्र स्थित है। इसमें जैन मंदिर, गौरीशंकर मंदिर, कैथोलिक चर्च तथा ऐतिहासिक जामा मस्जिद कुछ अन्य ऐतिहासिक मस्जिदों के साथ-साथ सीसगंज गुरुद्वारा भी है। जैनी अपने पैगंबरों एवं तीर्थंकरों को अपने ढंग से पूजते हैं। गौरी शंकर मंदिर में हिन्दू लोग अपने ढंग से पूजा-अर्चना, आरती, भजन गायन, फूल तथा पुष्पहार आदि अर्पण करते हुए देखे जा सकते हैं, सुने जा सकते हैं।

त्योहार आदि के अवसर पर लंबी-लंबी कतारें देखी जा सकती हैं। चर्च में रविवार को खास भीड़ होती है। वहाँ ईसाई लोग अपने ढंग से पूजा करते हैं। उनके धार्मिक चिह ‘+’ (cross) को दूर से ही चर्च के ऊपर देखा जा सकता है। सीसगंज गुरुद्वारे में शबद-कीर्तन तथा सजे हुए गुरु के दीवान एवं गुरु ग्रंथ साहिब को देखा जा सकता है। यहाँ सामूहिक लंगर, प्रसाद का वितरण तथा लोगों को अल्पकाल के लिए ‘वाहे गुरु’ का ध्यान करते हुए देखा जा सकता है। गुरुद्वारे में सिक्खों के साथ-साथ हिन्दु भी बड़ी संख्या में आते-जाते देखे जा सकते हैं। फतेहपुरी की मस्जिद, जामा मस्जिद, सूफी संतों की मजारों पर इबादत के नये ढंग, नमाज अदा करते हुए शिया, सुन्नी तथा सूफी मुस्लिम देखे जा सकते हैं। इस क्षेत्र को धार्मिक दृष्टि से धर्मनिरपेक्षता का अप्रतिम उदाहरण कहा जा सकता है।

HBSE 8th Class Social Science Solutions Civics Chapter 2 धर्मनिरपेक्षता की समझ

धर्मनिरपेक्षता की समझ HBSE 8th Class प्रश्न 2.
अगर किसी धर्म के लोग यह कहते हैं कि उनका धर्म नवजात शिशुओं को मारने की छूट देता है तो क्या सरकार किसी तरह का दखल देगी या नहीं? अपने उत्तर के समर्थन में कारण बताएँ।
उत्तर:
सरकार को जैसे ही पता चलेगा कि कोई धार्मिक समूह धर्म की आड़ लेकर बाल या कन्या वध करके अपने देवी/देवता को प्रसन्न करने का निन्दनीय प्रयास करेगा तो सरकार तुरंत ही हस्तक्षेप करेगी। मैं अपने उत्तर के समर्थन में निम्नलिखित कारण दे सकता हूँ:
यथार्थ और सत्य तो यह है कि विश्व में कोई भी धर्म बलि की अनुमति नहीं देता। यह कुप्रथा तो केवल स्वार्थी, धर्मान्ध, हिंसावादी, धर्म के ठेकेदारों ने अंधविश्वास के रूप में ही फैलाई हुई है। भारत तो सदियों से नहीं युगों से शांतिप्रिय तथा अहिंसावादी देश रहा है। देश के अंदर ही विकसित होने वाले कई धर्म तो अहिंसा को सर्वाधिक महत्त्व देते हैं। हिंदू धर्म तो न केवल मानवजाति पर अपितु पशुओं, परिन्दों पर भी दया करने की शिक्षा/उपदेश देते हुए कहता है, “दया धर्म का मूल है, पाप मूल अभिमान।”

धर्म की जड़ ही दया है। सभी पर दया करो, आप स्वतः ही धर्म मार्ग पर चलते चलोगे। यदि आप दया का त्याग करोगे तो आप पाप के मार्ग पर चलते हुए पापी कहलाओगे । वह आगे कहता है-‘अहिंसा परमोधर्मः।’ जैन धर्म तो अहिंसा पर इतना अधिक जोर देता है कि सूर्य उदय के बाद तथा सूर्य अस्त से पूर्व भोजन करने, जल तक को छान कर पीने, नंगे पाँव चलने एवं अहिंसा को अपने धर्म का प्रथम सिद्धांत मानता है। उसमें तो माँस खाना, किसी को मारना, किसी को सताना आदि भी गैर-धार्मिक है। इसी तरह बौद्ध धर्म भी अहिंसा पर जोर देता है। ईसाई धर्म के प्रवर्तक ईसा मसीह तो स्वयं ही दया तथा अहिंसा के महान पुजारी थे। उन्हें फांसी पर लटकाने वालों के लिए भी उन्होंने गॉड (God) से प्रार्थना की कि-हे! प्रभु इन्हें क्षमा कर देना। ये सभी नादान हैं। इन्हें यह पता नहीं कि वे क्या कर रहे हैं?

धर्मनिरपेक्षता पाठ के प्रश्न उत्तर Class 8 HBSE प्रश्न 3.
निम्नलिखित सारिणी को पूरा करें:

उद्देश्य यह महत्त्वपूर्ण क्यों है? इस उद्देश्य के उल्लंघन का एक उदाहरण
(a) एक धार्मिक समुदाय दूसरे समुदाय पर प्रभुत्व नहीं जमाता है।
(b) राज्य न तो किसी धर्म को लागू करता है और न ही लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता छीनता है।
(c) एक ही धर्म के कुछ लोग अपने ही धर्म के अन्य लोगों पर अपना प्रभाव नहीं डालते।

उत्तर:
(क) महत्त्व (Importance): एक धार्मिक समुदाय दूसरे समुदाय पर इसलिए वर्चस्व नहीं रखता क्योंकि प्रत्येक को देश के संविधान का सम्मान करना चाहिए जो सभी को समानता तथा सभी को स्वतंत्रता का अधिकार देता है।
उदाहरण (Example): कई इस्लामिक देशों में शिया-सुन्नी विवाद इस उद्देश्य के उल्लंघन का परिणम है।

(ख) महत्त्व (Importance): धार्मिक समानता महत्वपूर्ण हैं क्योंकि
→ इससे भाईचारे को बढ़ावा मिलता है। सांप्रदायिक सद्भाव एवं पारस्परिक सहयोग को प्रोत्साहन प्राप्त होता है।
→ इससे धार्मिक (संख्या की दृष्टि से) अल्पसंख्यकों को सुरक्षा की भावना एवं सम्मानपूर्वक समान अवसरों के अंतर्गत जीवनयापन का अवसर मिलता है।

उदाहरण (Example): सऊदी अरब तथा इजराइल जैसे देशों में धार्मिक स्वतंत्रता सभी को प्राप्त नहीं है।

(ग) महत्त्व (Importance):
यह महत्त्वपूर्ण है कि एक ही धर्म के अनुयायी विभिन्न जातियों के लोगों में समरसत्ता बनी रहे। इसकी जड़ में छुआछूत की गंदी प्रथा समायी रहती जिसका कि संविधान द्वारा आंशिक निमूर्लन किया जा चुका है।

उदाहरण (Example): हमारे देश के बहुत से राज्यों में प्रायः ऊँची जाति के लोग तथाकथित निम्न जाति के लोगों को दबाते हैं। इससे ओपसी संघर्ष की स्थिति बनती है।

Understand Secularism Class 8 HBSE प्रश्न 4.
अपने स्कूल की छुट्टियों के वार्षिक कैलेण्डर को देखिए। उनमें से कितनी छुट्टियाँ विभिन्न धर्मों से संबंधित हैं? इससे क्या संकेत मिलता है?
उत्तर:
अवकाशों (छुट्टियों) की सूची (List of Holidays, in Calender year of 2007 (जो पंचाग 2007 के वर्ष पर आधारित है।)

हिंदुओं से संबंधित अवकाश (Holidays related with Hindus): लोहड़ी, पोंगल अथवा मकर संक्रांति, बसंत पंचमी, रविदास जयंती, शिवरात्रि, होली, धुलेंडी, उगादी (Ugadh), रामनवमी, वैशाखी, रक्षाबंधन, कृष्ण जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी, अनंत चौदस, दशहरा, वाल्मीकि जयंती. दीपावली. गोवर्धन पूजा, भैया दूजा

मुसलमानों अथवा इस्लाम धर्म से संबंधित अवकाश की सूची (List of Holidays pertaining to Islam or the Muslims): ईद-उल-जुहा, मुहर्रम, मिलाद-उल-नबी, ईद-उल-फित्तर, ईद-उल-जुहा।

ईसाई धर्म अथवा ईसाइयों से संबंधित अवकाश (छुट्टियों) की सूची (List of the Holidays pertaining to Christianity): गुड फ्राइडे, क्रिसमस दिवस।

सिक्खों अथवा सिख धर्म से जुड़ी छुट्टियों की सूची (List of Holidays related with the Sikhs or Sikhism): होला-मौहल्ला (होली एवं धुलेंडी), बैशाखी. दीवाली, गुरु पर्व या गुरु नानक जन्म दिवस।

बौद्ध धर्म से संबंधित अवकाश (List of holiday pertaining to Buddhism): बुद्ध पूर्णिमा।
जैन धर्म से संबंधित अवकाश (List of the Holiday related with the Jainism or Jain): महावीर जयंती।

संकेत (Indication): उपर्युक्त विभिन्न धर्मों से जुड़ी छुट्टियों की सूची से निम्नलिखित बातें/तथ्य स्पष्ट हो जाते हैं:
→ भारत अनेक धर्मों एवं संप्रदायों की भूमि है।
→ भारत एक सच्चा धर्म (या पंथ) निरपेक्ष राष्ट्र है। भारत में विभिन्न धर्मावलंबियों की भावनाओं एवं इच्छाओं का पर्याप्त ध्यान रखा जाता है। कलेंडर इस बात का संकेत देता है कि संविधान की भावनाओं के अनुरूप ही राज्य सभी धर्मों के प्रमुख त्योहारों को अपने प्रपत्र में स्थान देता है तथा दिन विशेष को सरकारी अवकाश घोषित किया जाता है।

HBSE 8th Class Social Science Solutions Civics Chapter 2 धर्मनिरपेक्षता की समझ

Dharmnirpekshta Ki Samajh Class 8 प्रश्न 5.
एक ही धर्म के भीतर अलग-अलग दृष्टिकोणों के कुछ उदाहरण हैं?
उत्तर:
हाँ, एक ही धर्म के भीतर में विभिन्न तरह के दृष्टिकोण हो सकते हैं। हमें एक ही धर्म के विभिन्न प्रकार के समूह या समुच्चय (Groups or sects) दिखाई पड़ते हैं। उदाहरणार्थ हिन्दुओं में कुछ लोग स्वयं को आर्यसमाजी कहते हैं तो कुछ लोग स्वयं को द्रविड़समाजी कहते हैं। कुछ लोग शैव मतावलंबी हैं तो कुछ विष्णु संप्रदाय के अनुयायी हैं। वे स्वयं को सनातन धर्मवलंबी मानते हैं।

कुछ निर्गुण संप्रदाय के समर्थक तो कुछ सगुण भक्ति के समर्थक है। कुछ मूर्तिपूजक हैं तो कुछ केवल हवन-यज्ञ करते हैं। उन्हें मूर्ति पूजा से परहेज है। कुछ स्वयं को लिंगायत संप्रदाय के तो कुछ स्वयं को शक्ति के पुजारी मानते हैं। कुछ पूर्णतया शाकाहारी हैं तो कुछ मांसाहारी हैं। इसी प्रकार से इस्लाम के कुछ अनुयायी स्वयं को सुन्नी तो कुछ स्वयं को शिया तथा कुछ स्वयं को अहमदिया सूफी मानते हैं। सिखों में कुछ केशधारी हैं तो कुछ नामधारी। ईसाइयों में कुछ कैथोलिक हैं तो कुछ प्रोटेस्टेंट आदि।

जैन धर्म में कुछ लोग श्वेतांबर संप्रदाय के अनुयायी हैं तो कुछ दिगंबर संप्रदाय के। बौद्ध धर्म भी इससे अछूता नहीं है। इसके समर्थकों में भी कुछ लोग हीनयान तथा कुछ महायान को मानते हैं।

धर्मनिरपेक्षता की समझ Notes HBSE 8th Class प्रश्न 6.
भारतीय राज्य धर्म से फासला भी रखता है और उसमें हस्तक्षेप भी करता है। यह उलझाने वाला विचार लग सकता है। इस पर कक्षा में एक बार फिर चर्चा कीजिए। चर्चा के लिए इस अध्याय में दिए गए उदाहरणों के अलावा आप अपनी जानकारी के अन्य उदाहरणों का भी सहारा ले सकते हैं।
उत्तर:
(i) भारत में केन्द्र सरकार तथा राज्य स्तरों की सरकारें दोनों ही ऐसे कई अवकाश (छुट्टियाँ) घोषित करती हैं जिनका सीधा संबंध धर्मों से होता है लेकिन किसी भी धार्मिक उत्सव को केन्द्र या राज्य सरकारें स्वयं मनाने के लिए उत्सवों का आयोजन नहीं करती हैं।

(ii) देश का राष्ट्राध्यक्ष अर्थात् राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, लोकसभा का स्पीकर, प्रधानमंत्री, कैबिनेट स्तर के मंत्रीगण, राज्यों में गवर्नर (राज्यपाल). मुख्यमंत्री तथा अन्य मंत्रीगण विभिन्न धार्मिक उत्सवों से पूर्व या उसके मनाये जाने वाले दिन पर देशवासियों/संप्रदाय या धर्मावलंबियों को शुभकामनायें/बधाई तथा संदेश या उस त्योहार के प्रमुख संदेश दे सकते हैं परंतु वे सरकारी या अपने कार्यकारिणी या पद की स्थिति में स्वयं उनमें शामिल नहीं होते। यदि होते भी हैं तो वे निजी तौर पर अपने (स्वयं द्वारा) अपनाये हुए धर्म के उत्सव में परिजनों के साथ ही शामिल होते हैं, सरकार या उसके प्रतिनिधि की हैसियत से नहीं।

(iii) राज्य धर्मनिरपेक्ष होते हुए भी गलत धार्मिक कृत्यों विशेषकर महिलाओं तथा बच्चों के लिए हानिकारक बातों में हस्तक्षेप करती है जो राष्ट्र समाज एवं बच्चों/बालिकाओं के जीवन या स्वास्थ्य के लिए बहुत ही खतरनाक या हानिकारक होती हैं। उदाहरण के लिए बाल वध या कन्या वध या भ्रूण हत्या, सती, पोलियों के टीके का बहिष्कार करने के लिए धार्मिक मंत्रों से संदेश देना या परिवार नियोजन कार्यक्रम का बहिष्कार करना। इसके साथ-साथ यदि एक ही धर्म के अनुयायियों को धार्मिक स्थान में घुसने से रोका जाता है जैसे कि कुछ जातियों के हिन्दुओं को पुजारी लोग मंदिरों में जाने से रोके तो सरकार तुरंत हस्तक्षेप कर सकती हैं।

HBSE 8th Class Social Science Solutions Civics Chapter 2 धर्मनिरपेक्षता की समझ

Dharmnirpekshta Ki Samajh Question Answer HBSE 8th Class प्रश्न 7.
साथ में दिया गया यह पोस्टर ‘शांति’ के महत्त्व को रेखांकित करता है। इस पोस्टर में कहा गया है कि “शांति कभी न समाप्त होने वाली प्रक्रिया है…..। यह प्रक्रिया हमारी आपसी भिन्नताओं और साझा हितों को नजरअंदाज करके नहीं चल सकती।” ये वाक्य क्या बताते हैं? अपने शब्दों में लिखिए। धार्मिक सहिष्णुता से इसका क्या संबंध है?
HBSE 8th Class Social Science Solutions Civics Chapter 2 धर्मनिरपेक्षता की समझ-1
इस अध्याय में आप ही की उम्र के विद्यार्थियों ने भी धार्मिक सहिष्णुता पर तीन तस्वीरें बनाई हैं। धार्मिक सहिष्णुता को ध्यान में रखते हुए अपने साथियों को दिखाने के लिए खुद एक पोस्टर बनाइए।
उत्तर:
शांति सभी को प्रिय होती है। सभी धर्मों के द्वारा शांति का उपदेश दिया जाता है। अहिंसा, मानवता, एवं भाईचारे को भी सभी धर्मों, संप्रदायों आदि द्वारा पसंद किया जाता है। प्रत्येक के लिए समाज में शांति, सुरक्षा, संपदा की हिफाजत, सभी लोगों द्वारा सम्मानपूर्वक जीवन व्यतीत करने के लिए भी शांति आवश्यक मानी जाती है। सांझे हित के लिए शांति आवश्यक है। शांति को किसी भी संप्रदाय के लोगों द्वारा अनदेखा नहीं किया जा सकता। आतंकवाद की हम सभी के द्वारा निंदा की जानी चाहिए।

धार्मिक सहिष्णुता:
शांति की प्राप्ति के लिए धार्मिक सहिष्णुता अत्यंत आवश्यक हैं। धार्मिक सहिष्णुता हमें दूसरे धर्मों के प्रति उदार बनने का पाठ पढ़ाती हैं। धर्म सहिष्णु व्यक्ति/समाज/राष्ट्र दूसरे धर्मों के प्रति सहनशील रहकर अनावश्यक विवादों/संघर्षों से बचता है। धार्मिक सहिष्णुता का एक अच्छा उदाहरण देखने को मिलता है जब एक त्योहार को विभिन्न धर्मावलंबी एक साथ मनाते हैं।

चित्र (Pleture):
एक मानव श्रृंखला (Human Chain) बनायी जा सकती है जिसमें विभिन्न धर्मों के अनुयायियों को उनकी परंपरागत वेशभूषा, पहचान चिह्नों के साथ-साथ, हाथ मिलाते हुए पोस्टर में दिखाया जा सकता है। इसी तरह एक ऐसा पोस्टर बनाया जा सकता है जिसमें राष्ट्रीय त्योहारों को सभी धर्मावलंबी मिलकर मना रहे हों। छात्र इन्हें बनाने का प्रयास करें।

HBSE 8th Class Civics धर्मनिरपेक्षता की समझ Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

Dharmnirpekshta Ki Samajh Class 8 Question Answer HBSE प्रश्न 1.
धर्मनिरपेक्षता का परमावश्यक तत्व या निचोड़ क्या है?
उत्तर:
धर्मनिरपेक्षता का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण तत्त्व यह है कि किसी के प्रति भी धार्मिक व्यवहार एवं विश्वासों के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। धर्म से संबंधित सभी तरह की हेकड़ी या वर्चस्व समाप्त होना चाहिए।

धर्मनिरपेक्षता की समझ कक्षा 8 HBSE प्रश्न 2.
धार्मिक भेदभाव का एक ऐतिहासिक उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
प्रथम विश्व युद्ध के बाद से लेकर द्वितीय विश्व युद्ध के अंत तक जर्मनी में (जो नाजियों अथवा एडोल्फ हिटलर का शासनकाल था) यहूदियों (जो जर्मनी में रहा करते थे) के साथ बड़े ही जुल्म किए गये तथा बड़े ही दर्दनाक ढंग से उन्हें मारा गया एवं उन्हें अपने ही देश से भाग जाने के लिए विवश किया गया।

प्रश्न 3.
दो गैर-धर्मनिरपेक्ष अथवा किसी धर्म विशेष के समर्थक या पक्षधर राज्यों अथवा देशों के नाम लिखिए।
उत्तर:
1. इजराइल (यह यहूदी धर्म का पक्षधर देश है) तथा
2. सकदी अरब (यह इस्लाम का पक्षधर देश है।)

प्रश्न 4.
क्या भारत में राज्य किसी भी पुरुष या महिलासे उसके धर्म के कारण भेदभाव कर सकता है?
उत्तर:
नहीं, भारत में राज्य किसी भी व्यक्ति (स्त्री या पुरुष) से उसके धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकता

प्रश्न 5.
यू. एस. (संयुक्त राज्य अमेरिका) से एक उदाहरण दीजिए जिसे वहाँ के सरकारी विद्यालयों में कुछ बच्चों के प्रति धार्मिक कथनों के कारण आपत्तिजनक समझा जाता है।
उत्तर:
संयुक्त राज्य अमेरिका में सरकारी विद्यालयों (स्कूलों) के अधिकांश बच्चे अपना दिन “वफादारी की शपथ” को गाकर |शुरू करते हैं। इस शपथ में “ईश्वर की छत्रछाया” शब्द शामिल । हैं। 60 वर्ष पूर्व यह तय किया गया था कि यह शपथ यदि किसी बच्चे के धार्मिक विश्वासों के साथ टकराती है तो उन्हें इसे दोहराने की आवश्यकता नहीं होगी। इसके बावजूद अनेक कानूनी चुनौतियाँ दी गई कि यह पद “ईश्वर की छत्रछाया” चर्च एवं राज्य के मध्य किए गए पृथक्करण का उल्लंघन करता है।

प्रश्न 6.
तीन पूर्व फ्रांसीसी उपनिवेशों के नाम लिखिए जिनमें मुस्लिम अधिसंख्या में पाये जाते हैं।
उत्तर:
1. अल्जीरिया
2. टुनिसिया, एवं
3. मोरक्को।

HBSE 8th Class Social Science Solutions Civics Chapter 2 धर्मनिरपेक्षता की समझ

लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
धर्मनिरपेक्षता क्या है?
उत्तर:
धर्मनिरपेक्षता वह विचारधारा है जो इस अवधारणा में यकीन रखती है कि धर्म प्रत्येक व्यक्ति का निजी मामला है। आजकल प्रत्येक राज्य को धर्मनिरपेक्ष राज्य ही होना चाहिए। एक धर्मनिरपेक्ष राज्य वह होता है जो किसी भी एक धर्म को राज्य-धर्म के रूप में मान्यता नहीं देता है या उसे बढ़ावा नहीं देता है। उदाहरणार्थ भारत धर्मनिरपेक्षता में विश्वास करता है। इसका संविधान सभी नागरिकों को समान रूप से धार्मिक स्वतंत्रता एवं समानता प्रदान करता है।

भारतीय संविधान हमें ऐसी धार्मिक स्वतंत्रता, समानता तथा संरक्षण का अधिकार देता है जो न केवल राज्य के धार्मिक क्षेत्र में हस्तक्षेप से हमारी रक्षा करता है बल्कि साथ ही साथ धार्मिक दृष्टि से बहुसंख्यक लोगों की मनमानी, हेकड़ी या वर्चस्व एवं अन्याय से भी हमें बचाता है। भारतीय संविधान हर नागरिक को अपनी इच्छानुसार धर्म ग्रहण करने, पूजा पद्धति अपनाने एवं अपने धार्मिक विश्वासों एवं व्यावहारिक आचार-विचार आदि के साथ पूर्णतया स्वतंत्र रूप से रहने की आजादी देता है। धार्मिक स्वतंत्रता की युद्ध-कौशल एवं कला को ध्यान में रखकर धर्मनिरपेक्ष भारतीय राज्य एवं संविधान धर्म एवं राज्य को अलग-अलग करता है।

प्रश्न 2.
भारतीय धर्मनिरपेक्षता क्या है?
उत्तर:
भारतीय संविधान ने निर्णय लिया है कि भारत एक धर्म (या पंथ) निरपेक्ष राज्य होगा। संविधान के अनुसार केवल एक धर्मनिरपेक्ष राज्य ही निम्नलिखित उद्देश्यों को प्राप्त कर सकता है:
1. एक धार्मिक संप्रदाय दूसरे धार्मिक सम्प्रदाय पर अपना वर्चस्व स्थापित नहीं करेगा।
2. एक धर्म के कुछ सदस्य अपने ही धर्म के अन्य सदस्यों पर अपना वर्चस्व नहीं चलायेंगे।
3. राज्य किसी खास धर्म को प्रोत्साहित नहीं करेगा तथा वह (राज्य) अन्य धर्मावलंबियों की धार्मिक स्वतंत्रता उनसे नहीं छीनेगा।

प्रश्न 3.
धर्मनिरपेक्ष भारत के संविधान के एक समान उद्देश्य को विश्व के किसी भी हिस्से के अन्य धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक देश के संविधान की एक विशेषता से तुलना कीजिए।
उत्तर:
कई लोकतांत्रिक धर्मनिरपेक्ष देशों के संविधानों की व्यवस्थाएँ एवं कानून भारतीय संविधान से मिलती-जुलती हैं। उदाहरणार्थ संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान में जो प्रथम संशोधन किया गया उसमें ऐसे कानून बनाने पर पाबंदी लगा दी गई जो किसी धर्म से जुड़ी किसी संस्था को स्थापित करने पर पाबंदी लगाने वाला हो अथवा ऐसा कानून जो स्वतंत्रतापूर्वक धर्म से जुड़े किसी भी रीति-रिवाज या अभ्यास करने को कम करता हो या उन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाता हो।

प्रश्न 4.
संक्षेप में चर्चा (या उल्लेख) करें कि भारतीय समाज में मौलिक अधिकारों का हनन कैसे होता है।
उत्तर:
समय-समय पर भारतीय समाज में कई बार धर्म निरपेक्षता से जुड़े मौलिक अधिकारों का हनन होता रहा है। हम ऐसा बिल्कुल भी दावा नहीं कर सकते कि भारत में एक भी ऐसा उदाहरण नही हैं, जो यह साबित करे कि यहाँ धर्मनिरपेक्षता से जुड़े मौलिक अधिकार का बिल्कुल भी हनन या उल्लंघन नहीं हुआ। कई बार धार्मिक दृष्टि से अल्पसंख्यक अन्तर्राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग या भारतीय मानव अधिकार आयोग के पास जाते रहे हैं। उदाहरणार्थ कई धार्मिक संस्थाएँ लालच देकर धर्म परिवर्तन कराती रहती हैं। कई धार्मिक स्थानों या स्थलों पर आक्रमण होते रहते हैं। ये सब इतने छोटे आकार पर होते हैं कि उन्हें प्राय: अनदेखा कर दिया जाता है।

कुछ लोग या नेता चाहते हैं कि संविधान में ऐसा संशोधन किया जाये कि धर्मनिरपेक्षता से जुड़ी स्वतंत्रता या समानता की व्यवस्थाओं पर बिल्कुल भी आँच न आये। हमें कई बार समाचार पत्रों, टी.वी. तथा अन्य जनसंचार माध्यमों से बच्चों के अधिकारों के हनन, नारी अधिकारों के हनन, अभिव्यक्ति के अधिकार आदि के हनन के बारे में सुनने तथा पढ़ने-देखने को मिलता है। ऐसी घटनायें लोगों की धार्मिक भावनाओं को जागृत कर देती हैं। लोग क्रोध में आ जाते हैं तथा ऐसा होने पर वे घटनायें मौलिक अधिकारों के हो रहे हनन की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करती हैं।

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दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
राज्य से धर्म को पृथक रखना क्यों महत्त्वपूर्ण
उत्तर:
धर्मनिरपेक्षता का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण पहलू धर्म को राज्य से अलग करना ही है। ऐसा निम्नलिखित कारणों से है:
(i) धर्म को राज्य से पृथक करना इसलिए महत्त्वपूर्ण है ताकि देश लोकतांत्रिक ढंग से बिना किसी रुकावट अथवा गंभीर समस्या के कार्य कर सके।

(ii) विश्व के करीब-करीब सभी देशों में अनेक धर्मावलंबी (धर्मों को मानने वाले) रह रहे हैं। इन धार्मिक समूहों के साथ बहुत ज्यादा संभावना है कि इनमें से एक समूह बहुसंख्यक है। यदि यह बहुसंख्यक धार्मिक समूह राज्य शक्ति तक पहुंच रखेगा तो यह बहुत ही आसानी से उस शक्ति को तथा वित्तीय संसाधनों को अन्य लोगों के साथ भेदभाव करने के लिए प्रयोग कर सकेगा तथा अन्य धर्मों के लोगों को दबाकर रखेगा।

(ii) यदि किसी भी राज्य को प्रत्यक्ष रूप से बहुसंख्या वाले धार्मिक समूह प्रभावित कर सकें (अथवा मतों की राजनीति का लाभ उठाकर पर्याप्त संख्या वाले अल्पसंख्यक धार्मिक समूह की) तो किसी भी राज्य/देश अथवा क्षेत्र में बहुसंख्यक धार्मिक समूह अथवा अल्पसंख्यक धार्मिक समूह आतंक (या गुंडागर्दी) फैला सकते हैं। इसका परिणाम आतंक का राज्य या अल्पसंख्यकों की बड़ी संख्या में जाति या धर्म के आधार पर व्यापक विषमता या भेदभाव दिखाई देगा। ऐसा किसी क्षेत्र या राज्य अथवा पूरे राष्ट्र में भी हो सकता है।

प्रश्न 2.
भारतीय धर्मनिरपेक्षता अन्य लोकतांत्रिक देशों की धर्मनिरपेक्षता से किस प्रकार से अलग है?
उत्तर:
1. एक दृष्टि से लोकतांत्रिक संयुक्त राज्य अमेरिका तथा लोकतांत्रिक भारत की धर्मनिरपेक्षता में जो बड़ा अंतर है वह यह कि जहाँ सं. रा. अमेरिका में धर्म तथा राज्य को बड़ी कठोरता तथा जटिलता से एक-दूसरे से पृथक किया गया है वहीं भारत में कुछ विशेष धार्मिक मामलों में राज्य हस्तक्षेप कर सकता है।

2. भारत में संविधान बहुत थोड़े से मामलों में ही राज्य को धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करने की अनुमति देता है।
उदाहरणार्थ:
(अ) छुआछूत के उन्मूलन के लिए तथा देश में सामाजिक न्याय के संविधान की प्रस्तावना में उल्लेखित आदर्श के कारण हस्तक्षेप करता है ताकि हिन्दू धर्म के विभिन्न अनुयायियों में व्याप्त छुआछूत या ऊँच-नीच की भावना को रोका जा सके। संविधान सभी नागरिकों को बराबर मानता है।

(ब) यह सुनिश्चित करने के लिए कि संपत्ति के उत्तराधिकार संबंधी अधिकार में लिंग के आधार पर (लड़कियों तथा लड़कों में) किसी भी तरह का भेदभाव न हो तो भी राज्य किसी भी धार्मिक समुदाय के व्यक्तिगत नियमों या कानूनों (Personal Law) में हस्तक्षेप कर सकता है तथा यदि उस धर्म के नेतागण विरोध करें तो देश का न्यायालय या राज्य उन्हें समझा सकता है कि लिंग (gender) पर आधारित भेदभाव पैतृक संपत्ति के उत्तराधिकार के अधिकार को कोई भी मनमाने ढंग से तय नहीं कर सकता।

उपर्युक्त उल्लेखित आदर्श (सामाजिक तथा आर्थिक न्याय) इस बात की जाँच-पड़ताल करते हैं कि क्या राज्य धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के अनुसार कार्य कर रहा है अथवा नहीं।

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धर्मनिरपेक्षता की समझ Class 8 HBSE Notes in Hindi

1. बलपूर्वक अथवा जोर-जबरदस्ती (Coereion): इसका अर्थ है किसी को कुछ करने के लिए मजबूर करना। इस अध्याय के संदर्भ में इस शब्द का तात्पर्य उस शक्ति से है जो एक कानूनी प्राधिकरण (सत्ता – authority) जैसे कि राज्य द्वारा प्रयोग की जाती है।
2. व्याख्या की स्वतंत्रता (Freedom to interprer): इसके अंतर्गत प्रत्येक व्यक्ति को अपने ही ढंग से चीजों को समझने की स्वतंत्रता होती है। इस अध्याय के संदर्भ में एक व्यक्ति को अपने धर्म को अपने ढंग से समझने एवं उसके अर्थ को जानने की स्वतंत्रता है।
3. हस्तक्षेप करना (Intervene): अध्याय के संदर्भ में इसका अर्थ संविधान के सिद्धांतों के अनुरूप किसी मामले को प्रभावित करने के लिए राज्य की ओर से होने वाला प्रयास।
4. भारत के विभिन्न धर्म (Various Religious of India): 1. हिन्दु धर्म, 2. इस्लाम, 3. बौद्ध धर्म, 4. जैन धर्म, 5. सिख धर्म, 6. ईसाई धर्म, 7. यहूदी धर्म, तथा 8. पारसी धर्म। 5. धर्मनिरपेक्ष (Secular): सभी धर्मों को समान आदर देना अथवा किसी धर्म विशेष के प्रति आसक्तिरहित दृष्टिकोण।
6. सभी के लिए न्याय (Justice for all): देश का कानून एवं न्यायपालिका सभी लोगों से समान तथा निष्पक्षता से व्यवहार करती है।
7. आधुनिक विश्व में दो धर्मान्य राज्य (Two Fanatic States in Modern World): (O इजराइल तथा (1) सऊदी अरब।
8. बहुसंख्यकों की गुंडागर्दी (या आतंक) (Tyranny of the Maioritv): किसी भी देश अथवा राज्य में उन लोगों द्वारा जो वहाँ संख्या में बहुत ज्यादा हैं (या बहुसंख्यक हैं) शक्ति का निरंकुशता से प्रयोग करना।
9. अस्पृश्यता (या छुआछूत) (Untouchability): हिंदुओं में यह वह गलत एवं कुत्सित अवधारणा है जिसके अंतर्गत एक ही धर्म के लोग (प्रायः ऊँची जाति के हिंदु) अपने ही धर्म के अन्य (प्रायः निचली जातियों) लोगों को दबाते हैं।
10. अहस्तक्षप की नीति (Policy of Non-interference): इसका अर्थ है सभी धर्मों की भावनाओं का सम्मान करने और उसके धार्मिक क्रियाकलापों में दखल न देने के लिए राज्य द्वारा कुछ विशेष धार्मिक समुदायों को छूट देना।

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