HBSE 8th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 10 कामचोर

Haryana State Board HBSE 8th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 10 कामचोर Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 8th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 10 कामचोर

HBSE 8th Class Hindi कामचोर Textbook Questions and Answers

कहानी से

कामचोर’ कहानी के प्रश्न उत्तर HBSE 8th Class प्रश्न 1.
कहानी में मोटे-मोटे किस काम के हैं? किन के बारे में और क्यों कहा गया?
उत्तर:
कहानी में मोटे-मोटे घर के बच्चों के बारे में कहा गया। ऐसा इसलिए कहा गया क्योंकि वे कामचोर थे। यहाँ तक कि हिलकर पानी तक नहीं पीते थे। वे निठल्ले थे।

कामचोर पाठ के प्रश्न उत्तर HBSE 8th Class प्रश्न 2.
बच्चों के ऊधम मचाने के कारण घर की क्या दुर्दशा हुई?
उत्तर:
बच्चों ने काम करने के नाम पर जो ऊधम मचाया तससे सारे घर की दुर्दशा हो गई

  • मटके-सुराहियाँ इधर-उधर लुढ़क गए।
  • सारा घर धूल से अट गया।
  • धूल पर पानी छिड़कने से कीचड़ हो गई।
  • घर के सारे बर्तन अस्त-व्यस्त हो गए।
  • घर में मुर्गियों, भेड़ों को खूब धमा चौकड़ी मचने लगी।
  • मैंस ने भी घर का हुलिया बिगाड़ दिया।

HBSE 8th Class Hindi Solutions Vasant Chapter 10 कामचोर

पाठ 10 कामचोर के प्रश्न उत्तर HBSE 8th Class प्रश्न 3.
‘या तो बच्चा-राज कायम कर लो या मुझे ही रख लो।’ अम्मा ने कब कहा और इसका परिणाम क्या हुआ?
उत्तर:
बच्चों की हरकतों से घर में तूफ़ान उठ खड़ा हुआ था। घर का सारा सामान अस्त-व्यस्त तथा टूट-फूट गया था। बच्चों के पिता ने उन्हें काम करने का फरमान जारी किया था। अम्मा ने इस स्थिति को देखकर चुनौती भरे स्वर में कहा-‘या तो बच्चा-राज कायम कर लो या मुझे ही रख लो। नहीं तो मैं चली मायके।’

इसका परिणाम यह निकला कि सब बच्चों को कतार में खड़ा करके हिदायत दे दी गई-“अगर किसी बच्चे ने घर की किसी चीज को हाथ लगाया तो बस, रात का खाना बंद हो जाएगा।” और बच्चे काम करने से बच गए।

कामचोर class 8 HBSE प्रश्न 4.
‘कामचोर’ कहानी क्या संदेश देती है?
उत्तर:
‘कामचोर’ कहानी हमें यह संदेश देती है कि कोई भी काम करने के लिए समझदारी की आवश्यकता होती है। बिना सोचे-समझे किया गया काम मुसीबत खड़ी कर देता है।

प्रश्न 5.
क्या बच्चों ने उचित निर्णय लिया कि अब चाहे कुछ भी हो जाए, हिलकर पानी भी नहीं पिएंगे?
उत्तर:
नहीं, बच्चों ने यह उचित निर्णय नहीं लिया। उन्हें काम तो करना चाहिए. पर समझदारी के साथ। स्वयं हिलकर पानी भी न पीने का निश्चय उन्हें और भी कामचोर बना देगा।

कहानी से आगे

प्रश्न 1.
घर के सामान्य काम हों या अपना निजी काम, प्रत्येक व्यक्ति को अपनी क्षमता के अनुरूप उन्हें करना | आवश्यक क्यों है?
उत्तर:
यह सही है कि प्रत्येक व्यक्ति को प्रत्येक काम अपनी क्षमता के अनुरूप करना चाहिए, तभी उस काम में पूरी सफलता मिलती है। काम चाहे घर का सामान्य काम हो अथवा हमारा निजी काम, सफलता तभी मिलेगी जब हम अपनी क्षमता के अनुरूप करेंगे। क्षमता से बाहर जाकर काम करना सफल नहीं हो पाता।

प्रश्न 2.
भरा-पूरा परिवार कैसे सुखद बन सकता है और कैसे दुखद? ‘कामचोर’ कहानी के आधार पर निर्णय कीजिए।
उत्तर:
‘कामचोर’ कहानी में बताया गया है कि जब हम अपनी क्षमता को ध्यान में न रखकर काम करते हैं तब भरा-पूरा परिवार दुखी हो जाता है क्योंकि काम लाभदायक न होकर हानिकारक हो जाता है। जब सब मिल-जुलकर अपनी क्षमतानुसार काम करते हैं तब भरा-पूरा परिवार सुखद बन जाता है।

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प्रश्न 3.
बड़े होते बच्चे किस प्रकार माता-पिता के सहयोगी हो सकते हैं और किस प्रकार भार? ‘कामचोर’ कहानी के आधार पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर:
यह सही है कि बड़े होते बच्चे माता-पिता के सहयोगी हो सकते हैं। वे उनके काम-काज में हाथ बँटा सकते हैं। पर वे सहयोगी तभी तक हो सकते हैं जब वे अपनी क्षमता और बुद्धि के अनुसार काम करें। यदि वे अपनी क्षमता को ध्यान में रखे बिना काम करेंगे तो वे माता-पिता के लिए भार बन जाएंगे। इस स्थिति में वे काम को सुधारने की बजाय बिगाड़कर रख देंगे।

प्रश्न 4.
‘कामचोर’ कहानी एकल परिवार की कहानी है या संयुक्त परिवार की? उन दोनों तरह के परिवारों में क्या-क्या अंतर होते हैं।
उत्तर:
यह कहानी संयुक्त परिवार की है। एकल परिवार में व्यक्ति अपना, अपनी पत्नी और अपने बच्चों का ही ध्यान रखता है। संयुक्त परिवार में घर से सभी सदस्य दादा-दादी, चाचा-चाची, ताऊ-ताई, तथा उनके बच्चे एक साथ मिलकर रहते हैं। इसमें सभी को घर के काम करने पड़ते हैं।

अनुमान और कल्पना

1. घरेलू नौकरों को हटाने की बात किन-किन परिस्थितियों में उठ सकती है? विचार कीजिए।
उत्तर:
घरेलू नौकरों को हटाने की बात निम्नलिखित परिस्थितियों में उठ सकती है

  • जब नौकर कामचोर हों।
  • जब घरेलू नौकर आवश्यकता से अधिक हों।
  • जब घर की आर्थिक स्थिति डांवाडोल हो जाए।
  • जब नौकर ढंग से काम न करते हों।
  • जब वे मालिक की आज्ञा का पालन न करते हों।

2. कहानी में एक समृद्ध परिवार के ऊधमी बच्चों का चित्रण है। आपके अनुमान से उनकी आदत क्यों बिगड़ी होगी? उन्हें ठीक ढंग से रहने के लिए आप क्या-क्या सुझाव देना चाहेंगे?
उत्तर:
हमारे अनुमान से इनकी आदत इसलिए बिगड़ी होगी

  • उनके हर काम को घरेलू नौकर कर देते होंगे।
  • उनके माता-पिता उनके प्रति लापरवाह होंगे।
  • उन्हें उचित शिक्षा नहीं मिली होगी।
  • इन्हें ठीक ढंग से रहने के लिए हम ये सुझाव देना चाहेंगे
  • पहले इन बच्चों से छोटे-छोटे काम करवाए जाएं, जिन्हें वे आसानी से कर लें।
  • उन्हें तरीके से काम करना सिखाया जाए।
  • उचित शिक्षा की व्यवस्था की जाए।

3. किसी सफल व्यक्ति की जीवनी से उसके विद्यार्थी जीवन की दिनचर्या के बारे में पढ़ें और सुव्यवस्थित कार्यशैली पर एक लेख लिखें।
→ यह कार्य विद्यार्थी स्वयं करें। वे महात्मा गाँधी की आत्मकथा पढ़ सकते हैं।

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भाषा की बात

“धुली-येधुली बालटी लेकर आठ हाथ चार थनों पर पिल पड़े।” धुली शब्द से पहले ‘बे’ लगाकर ‘बेधुली’ बना है। जिसका अर्थ हुआ ‘बिना धुली’। ‘के’ एक उपसर्ग है। ‘बे’ उपसर्ग से बनने वाले कुछ और शब्द हैं-
बेतुका, बेईमान, बेघर, बेचैन, बेहोश आदि। आप भी नीचे लिखे उपसर्गों से बनने वाले शब्द खोजिए-
1. प्रा – ………………………..
2. आ – ………………………..
3. भर – ………………………..
4. बद – ………………………..
उत्तर:
1. प्र – प्रभाव, प्रयोग
2. आ – आजन्म, आमरण
3. भर – भरपेट, भरसक
4. बद – बदनाम, बदशक्ल

HBSE 8th Class Hindi कामचोर Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
झाडू देने पर क्या समस्या सामने आई?
उत्तर:
क्योंकि झाड़ एक थी और लेने वाले उम्मीदवार बहुत, इसलिए झण-भर में झाड़ के पुर्जे उड़ गए। जितनी सीके जिसके हाथ पड़ीं, वह उनसे ही उलटे-सीधे हाथ मारने लगा। अम्मा ने सिर पीट लिया। भई, ये बुजुर्ग काम करने दें तो इन्सान काम करे। जब जरा-जरा सी बात पर लगे तो बस, हो चुका काम!

प्रश्न 2.
मुर्गियों ने क्या तूफ़ान मचाया?
उत्तर:
मुर्गियाँ ऊट-पटौंग इधर-उधर कूदने लगी थीं। दो मुर्गियाँ खीर के प्यालों से, जिन पर आया चांदी के वर्क लगा रही थी. दौडती-फडफडाती हुई निकल गई। सारी खीर दीदी के कामदानी के दुपट्टे और ताजे धुले सिर पर लगी हुई है। एक बड़ा-सा मुर्गा अम्मा के खुले हुए पानदान में कूद पड़ा और कत्थे-चूने में लुथड़े हुए पंजे लेकर नानी अम्मा की सफेद दूध जैसी चादर पर छापे मारता हुआ निकल गया।

एक मुर्गी दाल की पतीली में छपाक मारकर भागी और सीधी जाकर मोरी में इस तेजी से फिसली कि सारी कीचड़ मौसीजी के मुंह पर पड़ी जो बैठी हुई हाथ-मुँह धो रही थीं। इधर सारी मुर्गियाँ बेनकेल का ऊँट बनी चारों तरफ़ दौड़ रही थीं। एक भी मुर्गी दड़बे में जाने को राजी न थी।

प्रश्न 3.
बच्चों की हरकतों से घर की क्या हालत हो गई?
उत्तर:
बच्चों की हरकतों से घर में तूफ़ान उठ खड़ा हुआ। ऐसा लगता था, जैसे सारे घर में मुर्गियाँ, भेड़ें. टूटे हुए तसले, बालटियाँ, लोटे, कटोरे और बच्चे थे। बच्चे बाहर किए गए। मुर्गियाँ बाग में हंकाई गई। मातम-सा मनाती तरकारी वाली के आँसू पौंछे गए और अम्मा आगरा जाने के लिए सामान बाँधने लगी।

कामचोर गद्यांशों पर आधारित अर्थग्रहण संबंधी प्रश्न

1. इतने में भेड़ें सूप को भूलकर तरकारीवाली की टोकरी पर टूट पड़ी। वह दालाम में बैठी मटर की फलियाँ तोल-तोल कर रसोइए को दे रही थी। वह अपनी तरकारी का बचाव करने के लिए सीना तान कर उठ गई। आपने कभी भेड़ों को मारा होगा, तो अच्छी तरह देखा होगा कि बस, ऐसा लगता है, जैसे सई के तकिए को कूट रहे हों। भेड़ को चोट ही नहीं लगती। बिलकुल यह समझकर कि आप उससे मजाक कर रहे हैं। वह आप ही पर चढ़ बैठेगी। जरा-सी देर में भेड़ों ने तरकारी छिलकों समेत अपने पेट की कड़ाही में झोंक दी।
प्रश्न:
1. सूप में क्या था?
2. सूप भूलकर भेड़ें किस पर, क्यों टूट पड़ीं?
3. तरकारीवाली ने बचाव का क्या उपाय किया?
4. भेड़ को चोट क्यों नहीं लगती?
5. भेड़ों ने तरकारी के साथ क्या किया?
उत्तर:
1. सूप में दाने थे। भेड़ें दिनभर की भूखीं थीं अत: वे सभी सूप पर झपट पड़ी थीं।
2. जब मेड़ों ने तरकारियों की भरी टोकरी देखी तो वे सूप को मूलकर उस पर टूट पड़ी।
3. तरकारीवाली अपनी सरकारी का बचाव करने के लिए सीना तान कर उठ खड़ी हो गई। उसने भेड़ों का पीटा भी, पर व्यर्थ रहा।
4. भेड़ के शरीर पर ऊन की मोटी परत होती है अत: उन्हें इंडे की चोट नहीं लगती। उन्हें पीटते समय लगता है कि हम रुई के तकिए को कूट रहे हैं।
5. भेड़ों ने सारी तरकारी छिलकों सहित अपने पेट में उतार ली अर्थात् उन्हें खा गई।

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2. तय हुआ कि मैंस की अगाड़ी-पिछाड़ी बांध दी जाए और फिर काबू में लाकर दूध दुह लिया जाए। बस, झूले की रस्सी उतारकर मैंस के पैर बांध दिए गए। पिछले वो पैर चाचा जी की चारपाई के पायों से बाँध, अगले दो पैरों को बाँधने की कोशिश जारी थी कि मैंस चौकन्नी हो गई। छूटकर जो भागी तो पहले चाचा जी समझे कि शायद कोई | सपना देख रहे हैं। फिर जब चारपाई पानी के दम से टकराई
और पानी छलककर गिरा तो समझे कि आंधी-तूफान में फंसे हैं। साथ में भूचाल भी आया हुआ है। फिर जल्दी ही | उन्हें असली बात का पता चल गया और पलंग की दोनों पटियाँ पको, बच्चों को छोड़ देनेवालों को बुरा-भला सुनाने लगे।
प्रश्न:
1. किसने, क्या तय किया?
2. इसके लिए क्या प्रयास किया गया?
3. चाचाजी ने क्या समझा?
4. बाद में उन्हें क्या बात पता चली?
5. उन्होंने किसे चुरा-भला कहा?
उत्तर:
1. बच्चों ने यह किया कि मैंस की अगाड़ी और पिछाड़ी बाँध दी जाए और इस प्रकार उसे काबू में लाकर दूध दुह लिया जाए।
2. इस योजना को पूरा करने के लिए झूले की रस्सी से मैंस के पैर बांध दिए गए। पिछले दो पैरों को चाचाजी की चारपाई से पायों से बांधकर अगले पैरों को बाँधने की कोशिश की गई. पर मैंस चौकन्नी होकर भाग ली।
3. जब चाचाजी की चारपाई आगे भागी तो उन्होंने समझा कि कोई सपना देख रहे हैं।
4. जब उनकी चारपाई पानी के इम से टकराई और पानी छलककर उन पर गिरा तो उन्होंने समझा कि वे किसी आँधी-तूफान में फंस गए हैं साथ में भूचाल भी आया हुआ है।
5. चाचाजी बच्चों को खुला छोड़ देने वालों को बुरा-भला सुनाने लगे।

कामचोर Summary in Hindi

कामचोर पाठ का सार

घर में काफी बहस के बाद यह तय हुआ कि नौकरों की छुट्टी कर दी जाए। घर के बच्चे इतने मोटे हैं और कोई काम खुद नहीं करते। ये तो हिलकर पानी तक नहीं पीते। ये कामचोर हो गए हैं। बच्चों को कहा गया कि तुम सिवाय कधम मचाने के कुछ महीं करते। बच्चों में हिल-हिलकर पानी पीने के प्रयास में मटकों, सुराहियों को इधर-उधर लुढ़का दिया। उन्हें फरमान हुआ-ओ काम नहीं करेगा, उसे रात का खाना हरगिज़ नहीं मिलेगा। बच्चों ने अपने लिए काम पूछा तो बताया गया-दरी को साफ करो, आँगन का कूड़ा हटाओ, पेड़ों में पानी दो।

बच्चे काम पर जुट गए। फर्शी दरी को चारों कोनों से पकड़कर झटकना शुरू कर दिया। सारा घर धूल से अट गया। खाँसते-खाँसते सब बेदम हो गए। जब झाड़ लगाने का फैसला हुआ तब झाड़ तो एक थी अतः झगड़े में झाड़ के पुर्जे उड़ गए। कहा गया कि पहले थोड़ा पानी छिड़कना चाहिए था। जब पानी छिड़का गया तो सारी धूल कीचड़ बन गई। अब निश्चय किया गया कि पेड़ों को पानी दिया जाए अतः सभी बच्चे कोई-न-कोई बरतन लेकर नल पर टूट पड़े। वहाँ खूब धक्का-मुक्की हुई। बच्चे कीचड़ से लथपथ हो गए।

अब बच्चे समझ गए कि सफाई और पेड़ों को पानी देने का काम उनके वश की बात नहीं है। उन्होंने सोचा कम-से-कम मुर्गियाँ ही बंद कर दें। अत: वे शाम से ही बाँस, छड़ी लेकर मुर्गियों को हाँकने लगे-‘चल दड़बे, दड़बे’ मुर्गियाँ इधर-उधर कूदने लगीं। दो मुर्गिर्चा खीर के प्यालों से दौड़ती-फड़फड़ाती निकल गई। बाद में पता चला कि प्याले खाली हैं और सारी खीर दीदी के कामदानी के दुपट्टे और ताजे धुले सिर पर लगी है। एक बड़ा-सा मुर्गा अम्मा के खुले पानदान में कूद पड़ा और कत्थे-चूने में पंजे सानकर नानी अम्मा की सफेद चादर पर छापा मारकर चला गया। एक मुर्गी दाल की पतीली में छपाक मारकर भागी और मोरी की कीचड़ को मौसीजी के मुंह पर फेंक गई। कोई भी मुर्गी दड़बे में जाने को तैयार न थी।

किसी को सूझी कि जो भेड़ें आई हुई हैं उन्हें दाना खिला दिया जाए। दिनभर की भूखी भेड़ें दाने सूप पर झपट पड़ी। वे तख्तों पर चढ़ गई। तश्त पर बानी दीदी का दुपट्टा फैला हुआ था। भेड़ों ने सब गड़बड़ कर दिया। हज्जन माँ एक पलंग पर दुपट्टे से मुंह ढंक कर सो रही थी। उन पर भेड़ें जा दौड़ी तो दुपट्टे में उलझी चिल्लाने लगीं ‘मारो-मारो’। इसके बाद भे. तरकारी वाली की टोकरी पर टूट पड़ीं। तरकारीवाली ने अपना बचाव करने के लिए भेड़ों को मारा, पर भला उन्हें चोट कहाँ लगने वाली थी। ऐसा लगता था कि रुई के तकिए कूटे जा रहे हों। भेड़ों ने सारी तरकारी अपने पैरों में उतार दी।

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अब मैंस का दूध निकालने का काम पूरा करने का सोचा गया। भैस बाल्टी को लात मारकर दूर जा खड़ी हुई। अब भैस के अगले-पिछले पैरों को बाँधने की बात सोची गई। झूले की रस्सी से बांधकर चाचा की चारपाई से पायों बाँध दिए गए। अगले पैर बाँधते समय मैंस चौकन्नी हो गई और छूटकर भागी तो चाचा की चारपाई पानी के इम से जा टकराई। फिर बछड़ा खोला गया। उसे देखकर मैंस ने अपने खुरों को ब्रेक लगा दिए। बछड़ा अपने काम में जुट गया।

दूध इधर-उधर बिखर गया। सारे घर में कोहराम-सा मच गया था। अब अम्मा ने चुनौती दे डाली-“या तो बच्चा राज कायम कर लो या मुझे ही रख लो। नहीं तो मैं चली मायके।” अब अम्मा ने अपना फैसला पलटकर कहा- “अगर किसी बच्चे ने घर की किसी चीज को हाथ लगाया तो बस, रात का खाना बंद हो जाएगा।” अब बच्चों ने भी निश्चय कर लिया कि चाहे कुछ भी हो जाए, वे हिलकर पानी भी नहीं पिएँगे।

कामचोर शब्चार्थ

वबैल = दबने वाले, कमजोर Weak), हरगिज कदापि (Seldom), फरमान राजाज्ञा (Order), तनख्याह = वेतन (Salary), हवाला = उद्धरण (Reference), धुऔधधार = ताबड़तोड़, लगातार (Continuous), कुमुक = फौजी टुकड़ी (Force), धींगामुस्ती जबर्दस्ती, धक्का-मुक्की (Forcefully), लश्टम-पश्टम जैसे-तैसे जल्दी में (In hurry), बेनकेल काबू से बाहर (Out of control).

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