HBSE 7th Class Social Science Solutions History Chapter 8 ईश्वर से अनुराग

Haryana State Board HBSE 7th Class Social Science Solutions History Chapter 8 ईश्वर से अनुराग Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Social Science Solutions History Chapter 8 ईश्वर से अनुराग

HBSE 7th Class History ईश्वर से अनुराग Textbook Questions and Answers

फिर से याद करें

ईश्वर से अनुराग प्रश्न उत्तर HBSE Class 7 प्रश्न 1.
निम्नलिखित में मेल बैठाएँ :

बुद्धनामघर
शंकर देवविष्णु की पूजा
निज़ामुद्दीन औलियासामाजिक अंतरों पर सवाल उठाए
नयनारसूफी संत
अलवारशिव की पूजा

उत्तर:

बुद्धसामाजिक अंतरों पर सवाल उठाए नामघर
शंकर देवसूफी संत
निज़ामुद्दीन औलियाशिव की पूजा
नयनारविष्णु की पूजा
अलवारसामाजिक अंतरों पर सवाल उठाए नामघर

Class 7 History Chapter 8 Question Answer In Hindi HBSE प्रश्न 2.
रिक्त स्थानों की पूर्ति करें:
(क) शंकर …………………. के समर्थक थे।
(ख) रामानुज …………………. के द्वारा प्रभावित हुए थे।
(ग) …………………. और …………………. वीरशैव मत के समर्थक थे।
(घ) …………………. महाराष्ट्र में भक्ति परंपरा का एक महत्त्वपूर्ण केंद्र था।
उत्तर:
(क) अद्वैतवाद
(ख) अलवार
(ग) बसवन्ना, अल्लमा और अक्क महादेवी
(घ) पंढरपुर।

ईश्वर से अनुराग HBSE Question Answer In Hindi Class 7 प्रश्न 3.
नाथपंथियों, सिद्धों और योगियों के विश्वासों और आचार व्यवहारों का वर्णन करें।
उत्तर:
(i) इस काल में अनेक ऐसे धार्मिक समूह उभरे जिन्होंने साधारण तर्क-वितर्क का सहारा लेकर, रूढ़िवादी धर्म के कर्मकांडों, आडंबरों और अन्य बनावटी पहलुओं और समाज-व्यवस्था की आलोचना की।

(ii) उनमें नाथपंथी, सिद्धाचार और योगी जन उल्लेखनीय हैं। उन्होंने संसार के परित्याग एवं संन्यास लेने का समर्थन किया। उनके विचार से, निराकार परम सत्य का चिंतन-मनन और उसके साथ एक हो जाने की अनुभूति ही मोक्ष का मार्ग है। इसके लिए उन्होंने योगासन, प्राणायाम और चिंतन-मनन जैसी क्रियाओं के माध्यम से मन एवं शरीर को कठोर प्रशिक्षण देने की आवश्यकता पर बल दिया।

(iii) ये समूह खासतौर पर ‘नीची’ कही जाने वाली जातियों में बहुत लोकप्रिय हुए।

(iv) उनके द्वारा की गई रूढ़िवादी धर्म की आलोचना ने भक्तिमार्गीय धर्म के लिए आधार तैयार किया, जो आगे चलकर उत्तरी भारत में एक लोकप्रिय शक्ति बना।

HBSE 7th Class Social Science Solutions History Chapter 8 ईश्वर से अनुराग

HBSE 7th Class Social Science Chapter 8 ईश्वर से अनुराग प्रश्न 4.
कबीर द्वारा अभिव्यक्त प्रमुख विचार क्या-क्या थे? उन्होंने इन विचारों को कैसे अभिव्यक्त किया?
उत्तर:
कबीर द्वारा अभिव्यक्त प्रमुख विचार:

  • धर्मों का अंतर अथवा भेदभाव मानव द्वारा बनाया गया है।
  • हिंदू और मुसलमान एक ही ईश्वर की संतान हैं।
  • प्रत्येक व्यक्ति को ईश्वर के प्रति प्रेम-भाव रखना चाहिए।
  • हिंदू और इस्लाम धर्म में व्याप्त कुरीतियों की आलोचना की।
  • भक्ति के माध्यम से ही मोक्ष यानी मुक्ति प्राप्त हो सकती है।
  • कबीर निराकार परमेश्वर में विश्वास करते थे।

आइए समझें

प्रश्न 5.
सूफियों के प्रमुख आचार-व्यवहार क्या थे?
उत्तर:
(i) सूफी मुसलमान रहस्यवादी थे। वे धर्म के बाहरी आडंबरों को अस्वीकार करते हुए, ईश्वर के प्रति प्रेम और भक्ति तथा सभी मनुष्यों के प्रति दयाभाव रखने पर बल देते थे।

(ii) सूफी लोगों ने मुस्लिम धार्मिक विद्वानों द्वारा निर्धारित विशद कर्मकांड और आचार संहिता को बहुत कुछ अस्वीकार कर दिया। वे ईश्वर के साथ ठीक उसी प्रकार जुड़े रहना चाहते थे जिस प्रकार एक प्रेमी, दुनिया की परवाह किए बिना, अपनी प्रियतमा के साथ जुड़े रहना चाहता है।

(iii) संत-कवियों की तरह सूफी लोग भी अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए काव्य रचना किया करते थे। गध में एक विस्तृत साहित्य तथा कई किस्से-कहानियाँ इन सूफी संतों के इर्द-गिर्द विकसित हुई। .

(iv) मध्य एशिया के महान सूफी संतों में गज्जाली, रूमी और सादी के नाम उल्लेखनीय हैं। नाथपंथियों, सिद्धों और योगियों की तरह, सूफी भी यही मानते थे कि दुनिया के प्रति अलग नजरिया अपनाने के लिए दिल को सिखाया-पढ़ाया जा सकता है।

(v) उन्होंने किसी औलिया या पीर की देख-रेख में, जिक्र (नाम का जाप),चिंतन, समा (गाना), रक्स (नृत्य), नीति-चर्चा, साँस पर नियंत्रण आदि के जरिये प्रशिक्षण की विस्तृत रीतियों का विकास किया। इस प्रकार, सूफी उस्तादों की पीढ़ियों, सिलसिलाओं का प्रादुर्भाव हुआ; इनमें से हरेक सिलसिला निर्देशों व धार्मिक क्रियाओं का थोड़ा-बहुत अलग तरीका अपनाता था।

प्रश्न 6.
आपके विचार से बहुत से गुरुओं ने उस समय प्रचलित धार्मिक विश्वासों तथा प्रथाओं को अस्वीकार क्यों किया?
उत्तर:
बहुत से गुरूओं ने उस समय प्रचलित धार्मिक विश्वासों तथा प्रधाओं को निम्न कारणों से अस्वीकार कर दियाः

  • प्राचीन काल से चले आ रहे धार्मिक रीति-रिवाज एवं प्रथाओं में काफी जटिलताएँ आ गई थीं।
  • प्राचीन काल से चले आ रहे ऐसे धार्मिक कर्मकांड जिसमें कई तरह की कुरीतियाँ व्याप्त हो गई थीं।
  • उस समय प्रचलित धार्मिक विश्वास तथा प्रथाएँ समानता पर आधारित नहीं थीं। कई वर्गी के साथ काफी भेदभाव किया जाता था।

प्रश्न 7.
बाबा गुरु नानक की प्रमुख शिक्षाएँ क्या थी?
उत्तर:
बाबा गुरु नानक की प्रमुख शिक्षाएँ निम्न हैं:

  • एक ईश्वर की उपासना करनी चाहिए।
  • जाति-पाति और लिंग-भेद की भावना से दूर रहना चाहिए।
  • ईश्वर की उपासना करनी चाहिए, दूसरों का भला करना चाहिए तथा अच्छे आचार-विचार अपनाने चाहिए।
  • उनके उपदेशों को नाम-जपना, कीर्तन करना और बंड-छकना के रूप में याद किया जाता है।

आइए चर्चा करें

प्रश्न 8.
जाति के प्रति वीरशैवों अथवा महाराष्ट्र के संतों का दृष्टिकोण कैसा था? चर्चा करें।
उत्तर:
जाति के प्रति वीरशैवों का दृष्टिकोण : तमिल भक्ति आंदोलन के वीरशैवों ने सभी मानव प्राणियों की समानता के पक्ष में और जातिप्रथा के विरोध में आवाज उठाई। महाराष्ट्र के संतों का जाति प्रथा के प्रति दृष्टिकोण : उन्होंने जन्म पर आधारित सामाजिक अंतरों का विरोध किया। वे उसी को भगवान का भक्त मानते थे जो अन्य सभी प्राणियों की पीड़ा को समझते थे। वे चाहते थे कि तथाकथित नीची जाति के लोगों के साथ भी लोग पुत्र के समान प्यार और सद्व्यवहार करें।

HBSE 7th Class Social Science Solutions History Chapter 8 ईश्वर से अनुराग

प्रश्न 9.
आपके विचार से जन-साधारण ने मीरा की याद को क्यों सुरक्षित रखा?
उत्तर:
हमारे विचार से जनसाधारण ने मीराबाई की याद को निम्न कारणों से सुरक्षित रखा:

  • मीराबाई एक राजपूत राजकुमारी थी और उसका विवाह मेवाड़ के राजपरिवार में हुआ था, फिर भी उन्होंने रविदास जो अस्पृश्य जाति से संबंधित थे, को अपना गुरु बनाया।
  • उन्होंने भगवान कृष्ण की उपासना में अपने-आप को समर्पित कर दिया था। उन्होंने अपने गहरे भक्ति-भाव को कई भजनों में अभिव्यक्त किया है।
  • उनके गीतों ने उच्च जातियों के रीतियों-नियमों को खुली चुनौती दी तथा ये गीत राजस्थान व गुजरात के जनसाधारण में बहुत लोकप्रिय हुए। आइए करके देखें

प्रश्न 10.
पता लगाएं कि क्या आपके आस-पास भक्ति परंपरा के संतों से जुड़ी कोई दरगाह, गुरद्वारा या मंदिर है। इनमें किसी एक को देखने जाइए और बताइए कि वहाँ आपने क्या देखा और सुना।
उत्तर:
हाँ, हमारे पड़ोस में और घर के आस-पास भक्ति परंपरा के संतों से जुड़ी कुछ दरगाहें, गुरुद्वारे और मंदिर हैं। हम प्रायः सभी परिवारजन समय-समय पर इन्हें देखने जाते रहते हैं। हम धर्मनिरपेक्षता में विश्वास करते हैं।
→ लोग दरगाहों पर जाकर प्रसाद और कुछ सिक्के चढ़ाते हैं। प्रसाद आते-जाते लोगों और भक्तों के बीच बाँटते हैं। दरगाह की मजार पर सिर झुकाते हैं और वे मौन होकर ईश्वर की इबादत या प्रार्थना करते हैं।

→ गुरुद्वारे में जाने वाले लोग माथा टेकते हैं। कुछ लोग रुपए या सिक्के और फूलों के हार भी चढ़ाते हैं, कढ़ा प्रसाद खाते हैं, गुरुद्वारे के अंदर सभी भक्तों का सिर रूमाल या किसी वस्त्र से ढका होता है।

→ मंदिर में अनेक प्रतिमाएँ देवी-देवताओं की होती हैं। जगह-जगह धूप-अगरबत्ती से सुगंधित वातावरण होता है। कुछ लोग कोनों में बैठकर माला जपते हुए या नेत्र बंद करके प्रार्थना करते हुए दिखाई देते हैं तो कुछ लोग आरती करते हुए या। शिवलिंग पर दूध मिला जल चढ़ाते हैं। कुछ लोग प्रसाद बाँटते हैं, कुछ लोग श्रीमद्भगवत गीता या रामायण का अध्ययन करते हुए भी दिखाई पड़ते हैं।

प्रश्न 11.
इस अध्याय में अनेक संत कवियों की रचनाओं के उद्धरण दिए गए हैं। उनकी कृतियों के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करें और उनकी उन कविताओं को नोट करें जो यहाँ नहीं दी गई। पता लगाएं कि क्या ये गाई जाती हैं। यदि हाँ, तो कैसे गाई जाती हैं और कवियों ने इनमें किन विषयों पर लिखा था।
उत्तर:
मैंने इस अध्याय में अनेक भक्त संतों और सूफी पीरों के विषय में अध्ययन किया है। मैंने कबीर, बाबा गुरु नानक देव, मीराबाई, गोस्वामी तुलसीदास, सूरदास, रविदास, चैतन्य महाप्रभु आदि के बारे में भी पड़ा है। मैं मानता हूँ कि कुछ दरगाहों में सूफी संत बाजे और अन्य संगीत उपकरणों के साथ कव्वालियाँ गाते हैं। कुछ लोग मंदिरों और गुरुद्वारे में शब्द कीर्तन, कविताएँ और शब्द गाते हैं या उनका रसास्वादन लेते हैं। मैं कई बार अखबारों में भी भजनों और भक्तिभावना वाली कविताओं को पढ़ता हूँ। रेडियो और दूरदर्शन पर भक्ति संगीत, भजनों, शब्दों, दोहों और चौपाइयों को सुनता हूँ या लोगों को गाते हुए देखता हूँ। मैंने विभिन्न धर्मों से संबंधित धार्मिक पुस्तकों को पढ़ा है जिनमें मीरा, दादू, नामदेव, तुलसीदास, सूरदास, नानक और कबीर आदि की रचनाएँ अधिक प्रसिद्ध हैं।

प्रश्न 12.
इस अध्याय में अनेक संत-कवियों के नामों का उल्लेख किया गया है परन्तु कुछ की रचनाओं को इस अध्याय में शामिल नहीं किया गया है। उस भाषा के बारे में कुछ और जानकारी प्राप्त करें जिसमें ऐसे कवियों ने अपनी कृतियों की रचना की। क्या उनकी रचनाएँ गाई जाती थीं? उनकी रचनाओं का विषय क्या था ?
उत्तर:
(i) सभी मराठी संतों जैसे कि ज्ञानेश्वर, नामदेव, एकनाथ और तुकाराम ने मराठी में भक्ति संगीत और काव्य रचनाएँ लिखीं और उनमें से अपनी कुछ रचनाओं को अपने अनुयायियों सहित गाया। आज भी उनके अनुयायी उन्हें गाते हैं और अपने ईश्वर के प्रति अनुराग और प्रेम की अभिव्यक्ति करते हैं।

(ii) नरसी मेहता ने गुजराती में लिखा और गाया है। उदाहरण के लिए उनका एक गीत (भजन) जिसके बोल हैं कि, “वैष्णों जन तो तेरे कहिए जो पीर पराई जान रे” हमारे राष्ट्रपिता मोहनदास कर्मचंद गाँधी को सबसे प्रिय था।

(iii) गोस्वामी तुलसीदास ने अवधी भाषा में ‘रामचरितमानस’ सहित अनेक गद्य और काव्य ग्रंथों की रचना की है। आज तक रामभक्त अनेक हिंदू और अन्य लोग उसे गाते हैं. सुनते हैं और कई स्थानों पर आधारित उस पर रामलीलाएँ आयोजित की जाती हैं।

(iv) सूरदास ने हिंदी भाषा की एक बोली ब्रजभाषा में अनेक काव्य लिखे।

(v) मीराबाई ने राजस्थानी और ब्रजभाषा में अनेक भजन और रचनाएँ लिखीं।

(vi) महान संत कबीर ने सर्वसाधारण की भाषाओं और बोलियों से अनेक शब्द लिए जिसे लोग खिचड़ी भाषा कहते हैं क्योंकि उसमें अवधी, ब्रज, हिंदी, उर्दू, पंजाबी और भारत की अन्य अनेक भाषाओं के शब्द मिलते हैं।

(vi) गुरु नानक देव जी ने जनसाधारण की भाषा में लिखा जिनमें हिंदी और पंजाबी प्रमुख हैं।

HBSE 7th Class Social Science Solutions History Chapter 8 ईश्वर से अनुराग

बहुविकल्पी प्रश्न

प्रश्न 1.
उचित विकल्प चुनें:
(i) अलवार संतों की संख्या थी:
(क) 63
(स) 12
(ग) 18
उत्तर:
(ख) 12

(ii) जीवात्मा व परमात्मा दोनों को एक माना है:
(क) द्वैतवाद ने
(ख) अद्वैतवाद ने
(ग) सगुण भक्ति धारा ने
उत्तर:
(ख) अद्वैतवाद ने।

(iii) रामानुज ने किस सिद्धांत का प्रतिपादन किया?
(क) द्वैतवाद
(ख) अद्वैतवाद
(ग) विशिष्टताद्वैतवाद
उत्तर:
(ग) विशिष्टताद्वैतवाद।

(iv) “वैष्णव जन तो तेने कहिए जो पीर पराई जाने रे।” इस भजन के रचनाकार हैं:
(क) नरसी मेहता
(ख) कबीर
(ग) सूरदास
उत्तर:
(क) नरसी मेहता।

(v) 16वीं शताब्दी बंगाल के एक सूफी संत थे:
(क) चैतन्य देव
(ख) ज्ञानेश्वर
(ग) तुलसीदास
उत्तर:
(क) चैतन्य देवा

प्रश्न 2.
रिक्त स्थान भरो:
(i) ………………. के आरंभ से विभिन्न प्रकार के भक्ति तथा सूफी आंदोलनों का उदय होने लगा था।
(ii) अलवार और नयनार संत ………………. और ……………….. के कटु आलोचक थे।
(ii) शंकराचार्य ………………. के समर्थक थे।
(iv) रामानुज ……………. संतों से बहुत प्रभावित थे।
(v) सूफी संत की दरगाह एक …………………. के रूप में स्थापित है।
उत्तर:
(i) 8वीं शताब्दी
(ii) बौद्धों, जैनों
(iii) अद्वैतवाद
(iv) अलवार
(v) तीर्थस्थल।

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प्रश्न 3.
सही गलत छाँटो:
(i) वीरशैव आंदोलन का आरंभ केरल में हुआ।
(i) मुस्लिम विद्वानों ने ‘शरियत’ नाम से एक धार्मिक कानून बनाया।
(iii) चैतन्यदेव ने कृष्ण-राधा के प्रति निष्काम भक्तिभाव का उपदेश दिया।
(iv) नामघर स्थापित करने की पद्धति असम के शंकर देव ने चलाई।
(v) तुलसीदास ने रामचरितमानस की रचना अवधी भाषा में की है।
उत्तर:
(i) X
(ii) √
(iii) √
(iv) √
(v) X

HBSE 7th Class Civics ईश्वर से अनुराग Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भक्ति आंदोलन के दौरान किन्हीं तीन महत्त्वपूर्ण देवी-देवताओं के नाम लिखिए, जिन्हें आराध्य देवी-देवताओं के रूप में याद किया या पूजा-अर्चना की गई।
उत्तर:

  • शिव
  • दुर्गा
  • विष्णु
  • कृष्ण
  • राम। [कोई तीन लिखिए]

प्रश्न 2.
भारत के उन दो धर्मों या धार्मिक मतों के नाम लिखिए जो आठवीं से बारहवीं शताब्दी के मध्य विकसित हुए तथा भक्ति विचारधारा से बहुत प्रभावित हुए।
उत्तर:
हिंदुओं के अतिरिक्त भक्ति विचारधारा निम्नलिखित दो धर्मावलंबियों में भी बहुत ज्यादा लोकप्रिय हुई:

  • बौद्धों के मध्य और
  • जैनियों के मध्या

प्रश्न 3.
दक्षिण भारत में जो दो विद्वानों के विद्यालय या वैचारिक समूह भक्ति आंदोलन के दौरान बहुत ज्यादा पॉपुलर हुए उनके नाम लिखिए।
उत्तर:

  • नयनार (शैव भक्त)
  • अलवार (विष्णु भक्त)।

प्रश्न 4.
प्रारंभिक तमिल भाषा साहित्य संकलन का नाम लिखिए।
उत्तर:
संगम साहित्य।

प्रश्न 5.
धार्मिक जीवनी (संत जीवनी लेखन) का अर्थ लिखिए।
उत्तर:
दक्षिण भारत के नयनार और अलवार संतों की धार्मिक जीवनियों को संत जीवनी लेखन या धार्मिक जीवनी लेखन कहते हैं।

प्रश्न 6.
खानकाह किसे कहते हैं?
उत्तर:
यह एक सूफी संस्था है जहाँ प्रायः सूफी पीर/फकीरसंत रहते हैं और लोग वहाँ पर अपनी आस्था, भक्ति अभिव्यक्त करने के लिए जाते हैं।

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लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
सूफियों के चिश्ती सिलसिले पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
ग्यारहवीं शताब्दी से अनेक सूफी जन मध्य एशिया से आकर हिंदुस्तान में बसने लगे थे। दिल्ली सल्तनत की स्थापना के साथ यह प्रक्रिया उस समय और भी मजबूत हो गई जब उपमहाद्वीप में सर्वत्र बड़े-बड़े अनेक सूफी केंद्र विकसित हो गए। चिश्ती सिलसिला इन सभी सिलसिलों में सबसे अधिक प्रभावशाली था। इसमें औलियाओं की एक लंबी परंपरा थी; जैसे, अजमेर के ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती, दिल्ली के कुत्युद्दीन बख्तियार काकी, पंजाब के बाबा फ़रीद, दिल्ली के ख्वाजा निजामुद्दीन औलिया और गुलबर्ग के बंदानवाज गिसुदराज।

प्रश्न 2.
सूफी खानकाहों के आयोजन और गतिविधियों पर संक्षिप्त नोट लिखिए।
उत्तर:
सूफी संत अपने खानकाहों में विशेष बैठकों का आयोजन करते थे। सभी प्रकार के भक्तगण, जिनमें शाही घरानों के लोग तथा अभिजात और आम लोग भी शामिल होते थे, इन खानकाहों में आते थे। वे आध्यात्मिक विषयों पर चर्चा करते थे। अपनी दुनियादारी की समस्याओं को सुलझाने के लिए संतों से आशीर्वाद माँगते थे अथवा संगीत तथा नृत्य के जलसों में ही शामिल होकर चले जाते थे।

प्रश्न 3.
आम आदमी प्रायः सूफी संतों और दरगाहों से किस प्रकार जुड़ गए?
उत्तर:
अक्सर आम लोग यह समझते थे कि सूफी औलियाओं के पास चमत्कारिक शक्तियाँ होती हैं जिनसे आम लोगों को बीमारियों और तकलीफों से छुटकारा मिल सकता है। सूफी संत की दरगाह एक तीर्थ स्थल बन जाता था जहाँ सभी ईमान-धर्म के लोग हजारों की संख्या में इकट्ठे होते थे।

प्रश्न 4.
एक महान दार्शनिक के रूप में शंकर का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
भारत के सर्वाधिक प्रभावशाली दार्शनिकों में से एक शंकर का जन्म आठवीं शताब्दी में केरल प्रदेश में हुआ था। वे अद्वैतवाद के समर्थक थे, जिसके अनुसार जीवात्मा और परमात्मा (जो परम सत्य है) दोनों एक ही हैं। उन्होंने यह शिक्षा दी कि ब्रह्मन् अर्थात् परम सत्य परमात्मा एक है, वह निर्गुण और निराकार है। शंकर ने हमारे चारों ओर के संसार को मिथ्या या माया माना और संसार का परित्याग करने अर्थात् संन्यास लेने और बह्मन् की सही प्रकृति को समझने और मोक्ष प्राप्त करने के लिए । ज्ञान के मार्ग को अपनाने का उपदेश दिया।

दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
तेरहवीं शताब्दी के बाद उत्तर भारत में हिंदुओं के धार्मिक रीति-रिवाजों, परंपराओं आदि में जो बदलाव देखे गए उनका उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
उत्तर भारत में धार्मिक बदलाव:
(i) तेरहवीं सदी के बाद उत्तरी भारत में भक्ति आंदोलन की एक नयी लहर आई। यह एक ऐसा युग था जब इस्लाम, ब्राह्मणवादी हिंदू धर्म, सूफीमत, भक्ति की विभिन्न धाराओं और नाथपंथियों, सिद्धों तथा योगियों ने परस्पर एक-दूसरे को प्रभावित किया।

(ii) कबीर और गुरु नानक जैसे कुछ संतों ने सभी आडंबरपूर्ण रूढ़िवादी धर्मों को अस्वीकार कर दिया। तुलसीदास और सूरदास जैसे कुछ अन्य संतों ने उस समय विद्यमान विश्वासों तथा पद्धतियों को स्वीकार करते हुए उन्हें सबकी पहुँच में लाने का प्रयत्न किया। तुलसीदास ने ईश्वर को राम के रूप में धारण किया।

(iii) सूरदास कृष्ण के अनन्य भक्त थे। उनकी रचनाएँ सूरसागर, सूरसारावली, साहित्य लहरी में संगृहीत हैं और उनके भक्ति भाव को अभिव्यक्त करती हैं।

(iv) असम के शंकर देव ने विष्णु की भक्ति पर बल दिया और असमिया भाषा में कविताएँ तथा नाटक लिखे। उन्होंने ही ‘नामघर’ (कविता पाठ और प्रार्थना गृह) स्थापित करने की पद्धति चलाई, जो आज तक चल रही है। इस परंपरा में दादू दयाल, रविदास और मीराबाई जैसे संत भी शामिल थे।

(v) मीराबाई एक राजपूत राजकुमारी थीं जिनका विवाह सोलहवीं शताब्दी में मेवाड़ के एक राजसी घराने में हुआ था। मीराबाई, रविदास, जो ‘अस्पृश्य’ जाति के माने जाते थे, की अनुयायी बन गई: वे कृष्ण के प्रति समर्पित थीं और उन्होंने अपने गहरे भक्ति-भाव को कई भजनों में अभिव्यक्त किया।

प्रश्न 2.
भक्त संतों और रचनाकारों ने साहित्यिक क्षेत्र में क्या महत्त्वपूर्ण योगदान दिया ? उनके गीतों से साधारण लोग और संस्कृति कैसे जुड़ गई?
उत्तर:
(i) गोस्वामी तुलसीदास ने अवधी भाषा में ‘रामचरितमानस’ जैसे महाकाव्य की रचना की। उनकी यह रचना भक्तिभाव और साहित्य दोनों की दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण है।

(ii) सूरदास की रचनाएँ ‘सूरसागर’, ‘सूर सूरावली’, ‘साहित्य लहरी’ में संगृहीत हैं और उनके भक्तिभाव को अभिव्यक्त करती है।

(iii) असम के शंकर देव ने असमिया भाषा में कविताएँ और नाटक लिखे।

(iv) मीराबाई और रविदास ने भजन लिखे। उनके गीतों में ‘उच्च’ जातियों की रीतियों व नियमों को खुली चुनौती दी गई जो राजस्थान व गुजरात के जनसाधारण में बहुत लोकप्रिय हुए।

(v) भक्त संतों में से अधिकांश का विशिष्ट अभिलक्षण यह है कि इनकी कृतियाँ क्षेत्रीय भाषाओं में रची गई और इन्हें आसानी से गाया जा सकता था। इसीलिए ये बेहद लोकप्रिय हुई और पीढ़ी दर पीढ़ी मौखिक रूप से चलती रहीं।

(vi) प्रायः इन गीतों के प्रसारण में सर्वाधिक निर्धन, सर्वाधिक वंचित समुदाय और महिलाओं की भूमिका रही है। प्रसारण की इस प्रक्रिया में यह सभी लोग अक्सर अपने अनुभव भी जोड़ देते थे। इस तरह आज मिलने वाले गीत संतों की रचनाएँ तो हैं ही, साथ-साथ उन पीढ़ियों के लोगों की रचनाएँ मानी जा सकती हैं जो उन्हें गाया करते थे। वे हमारे जीती-जागती जन संस्कृति का अंग बन गई हैं।

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ईश्वर से अनुराग Class 7 HBSE Notes in Hindi

1. आठवीं शताब्दी में शुरू होने वाले ईश्वर से अनुराग संबंधी दो आंदोलनों के नाम:

  • भक्ति आंदोलन
  • सूफी आंदोलना

2. हिंदुओं का एक धार्मिक ग्रंथ : श्रीमद्भगवत गीता।

3. मुसलमानों का एक धार्मिक ग्रंथ : कुरान।

4. सिक्खों का एक धार्मिक ग्रंथ : आदि ग्रंथ या गुरु ग्रंथ साहिब।

5. नयनार : शैव संत।

6. अलवार : वैष्णव संता

7. भुलैया और पनार : दो अस्पृश्य समझी जाने वाली जातियों के नाम।

8. प्राचीनतम तमिल साहित्य : संगम साहित्य।

9. कुल मिलाकर नयनार सतो का सख्या: 63

10. कुल मिलाकर अलवार सतो का सख्या: 12

11. नयनार संतों के गीतों के दो प्रसिद्ध संकलन : तेवरम और तिरुवाचकम्।

12. आदि गुरु शंकर या शंकराचार्य : केरल प्रदेश में जन्मे भारत के आठवीं सदी के सबसे प्रभावशाली दार्शनिक।

13. अद्वैतवाद : इस विचारधारा के अनुसार जीव आत्मा और परमात्मा (जो परम सत्य है) दोनों एक ही हैं)।

14. विशिष्टतात के सिद्धांत : ग्यारहवीं शताब्दी के भक्त संत रामानुज के द्वारा बताए गए इस सिद्धांत के अनुसार आत्मा परमात्मा से जुड़ने के बाद भी अपनी अलग सत्ता बनाए रखती है।

15. बसवन्ना का वीरशैववाद : कर्नाटक के बारहवीं शताब्दी के महान भक्त संत जिन्होंने मानव की समानता का समर्थन किया और जातिगत, लैंगिक, धार्मिक कर्मकांडों और मूर्तिपूजा का विरोध किया।

16. नरसी मेहता : एक प्रसिद्ध गुजराती संत।

17. नाथपंथी, सिद्ध और योगी : आठवीं से बारहवीं शताब्दी के मध्य लोकप्रिय तीन धार्मिक समूह।

18. इस्लाम का रहस्यवादी आंदोलन : सूफी मुस्लिम संतों द्वारा प्रेरित और प्रसारित आंदोलन जो ईश्वर के प्रति प्रेम और भक्ति के साथ-साथ सभी मनुष्यों के प्रति दयाभाव रखने पर जोर देता है।

19. उलेमा : मुस्लिम विद्वान।

20. शरियत : मुसलमानों के धार्मिक कानूनों के संकलन।

21. नमाज : अल्लाह के प्रति व्यक्तिगत और सामूहिक प्रार्थना।

22. गज्जाली, रूमी और सादी : मध्य एशिया के तीन महान सूफी संत।

23. औलिया : सूफी पीर या संत।

24. जिक्र : नाम का जाप।

25. समा : गाना।

26. रक्स : नृत्य।

HBSE 7th Class Social Science Solutions History Chapter 8 ईश्वर से अनुराग

27. सिलसिला : आश्रम एवं संप्रदाय।

28. खानकाह : सूफी संस्था जहाँ सूफी संत अवसर रहते भी हैं।

29. दरगाह : सूफी संतों की मजार जो प्रायः भक्तों के लिए तीर्थस्थल बने।

30. जलालुद्दीन रुमी : ईरान का तेरहवीं सदी में फारसी में काव्य की रचना करने वाला सूफी शायर।

31. चैतन्य देव : सोलहवीं शताब्दी के बंगाल के एक भक्त संत।

32. रामचरितमानस : तुलसीदास द्वारा अवधी भाषा में लिखा गया महाकाव्य।

33. सूरसागर और सूर सूरावली : ब्रजभाषा के महान कवि सूरदास की भक्ति रचनाएँ।

34. शंकर देव : पंद्रहवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में विष्णु के भक्त और साहित्यकार।

35. नामघर : शंकरदेव द्वारा स्थापित कवितापाठ और प्रार्थना गृह।

36. मीराबाई : राजस्थान के राजपूत घराने से जुड़ी एक महान कृष्ण भक्त संत और कवयित्री।

37. रविदास : महान कृष्ण भक्त और मीरा के गुरु।

38. कबीर : पंद्रहवी-सोलहवीं सदी में बनारस और उसके समीपवर्ती क्षेत्र के महान भक्त संत और कवि।

39. बाबा गुरु नानक का जीवन काल : 1469-1539 ई.।

40. ननकाना साहब : बाबा गुरु नानक का जन्म स्थान जो मूलत: तलवंडी कहलाता था तथा देश विभाजन के बाद पाकिस्तान का हिस्सा है।

41. लंगर : साँझी रसोई।

42. धर्मसाल : गुरुद्वारा।

43. लहणा : गुरु नानक देवजी के अनुयायी, गुरु अंगद का पूर्ववर्ती नाम।

44. गुरुमुखी : पंजाबी भाषा की लिपि।

45. पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब का प्रारंभिक संकलन : 1604

46. सिक्खों के नौवें गुरु : गुरु तेग बहादुर।

47. सिक्खों के दसवें गुरु : गुरु गोविंद सिंह।

48. हरमंदर साहब : अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर।

49. रामदासपुर : अमृतसर शहर।

50. जहाँगीर ने गुरु अर्जुनदेव को मृत्युदंड दिया : 1606 ई।

51. खालसा की नींव रखी गई : गुरु गोविंद सिंह जी द्वारा 1699 में।

52. गुरु नानक द्वारा अपने उपदेशों को जिन तीन शब्दों में सूक्ष्म रूप में अभिव्यक्त किया गया:

  • नाम (अर्थात् सही उपासना)
  • दान (अर्थात् दूसरों का भला करना).
  • इस्नान (अपने आचार-विचारों को पवित्र रखना)।

53. मार्टिन लूथर : 16वीं सदी का एक यूरोपीय धार्मिक सुधारक जिसने रोमन कैथोलिक की अनेक बुराइयों का विरोध किया। उसे प्रोस्टेंट ईसाई संप्रदाय का जन्मदाता माना जाता है।

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