HBSE 7th Class Social Science Solutions Civics Chapter 9 बाज़ार में एक कमीज़

Haryana State Board HBSE 7th Class Social Science Solutions Civics Chapter 9 बाज़ार में एक कमीज़ Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 7th Class Social Science Solutions Civics Chapter 9 बाज़ार में एक कमीज़

HBSE 7th Class Civics बाज़ार में एक कमीज़ Textbook Questions and Answers

बाज़ार में एक कमीज़ HBSE 7th Class प्रश्न 1.
स्वप्ना ने अपनी कपास कुर्नूल के रुई-बाजार में न बेचकर व्यापारी को क्यों बेच दी?
उत्तर :
स्वप्ना ने अपनी कपास कुर्नूल के रुई-बाज़ार में न बेचकर व्यापारी को इसलिए बेच दी क्योंकि-
1. व्यापारी गाँव का एक शक्तिशाली आदमी है।
2. किसानों को ऋण के लिए (स्वप्ना को भी) उस पर निर्भर रहना पड़ता है।
3. स्वप्ना तथा सभी गरीब किसानों को न केवल खेती के लिए बल्कि दूसरी जरूरतों के लिए भी जैसे बीमारी, बच्चों की स्कूल की फीस इत्यादि के लिए ऋण उसी व्यापारी से लेना पड़ता है।
4. साल भर में कई बार ऐसा वक्त भी आता है जब कोई काम नहीं मिलता और किसानों को कोई आमदनी नहीं होती, उस समय केवल ऋण लेकर ही जीवित रहा जा सकता है।
5. कपास की पैदावार करके भी स्वप्ना की आमदनी उस आय से बस थोड़ी सी ही अधिक है जो वह मजदूरी करके कमा लेती।

Class 7th Civics Chapter 9 HBSE प्रश्न 2.
वस्त्र निर्यात फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों के काम के हालातों और उन्हें दी जाने वाली मज़दूरी का वर्णन कीजिए। क्या आप सोचते हैं कि मजदूरों के साथ न्याय होता है ?
उत्तर :
I. वस्त्र निर्यात फैक्ट्री में काम करने की हालत (या दशायें) (Working conditions in textile export factory): वस्त्र निर्यात करने वाले अपने कारखाने खर्च में कटौती करने की कोशिश करते हैं। वे मजदूरों को कम मजदूरी देते हैं तथा उनसे अधिकतम काम लेते हैं। फैक्ट्री में पर्याप्त रोशनी, शुद्ध वायु, साफ पेयजल, यातायात, चिकित्सा सम्बन्धी सुविधाओं का अभाव है। अधिकांश मजदूर महिलाएं हैं। इनमें से ज्यादातर अस्थायी रूप से काम पर लगायी गई हैं।

II. मजदूरी का वर्णन (Description ofwages) : फैक्ट्री के मालिक मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी देते हैं। कामगारों की मजदूरी उनके कौशल के अनुसार तय की जाती है। काम करने वालों में अधिकतम वेतन दर्जी को मिलता है जो करीब 3000 रुपए प्रति माह होता है। अधिकतर महिला मजदूर अस्थायी हैं। सभी मजदूरों की छंटनी की जा सकती है। स्त्रियों की सहायक के रूप में धागे काटने, बटन टाँकने, इस्तरी करने (प्रेस) और पैकिंग करने के लिए काम पर रखा जाता है। इन कामों के लिए न्यूनतम मजदूरी दी जाती है।

III. हम सोचते हैं कि मजदूरों के साथ न्याय नहीं होता। उन्हें काम के अच्छे हालात नहीं मिलते। उनका वेतन न्यूनतम है। उनसे अधिकतम काम लिया जाता है। माल में ज़रा सी भी कमी होने पर उनसे ठीक व्यवहार नहीं होता। काम में कमी होने पर तुरंत मजदूरों को नौकरी से बेदखल कर दिया जाता है।

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Civics Chapter 9 Class 7 HBSE  प्रश्न 3.
ऐसी किसी चीज़ के बारे में सोचिए जिसे हम सब इस्तेमाल करते हैं। वह चीनी, चाय, दूध, पेन, कागज, पेन्सिल आदि कुछ भी हो सकती है। चर्चा करिए कि ये वस्तु बाजारों की किस श्रृंखला से होती हुई आप तक पहुँचती है। क्या आप उन सब लोगों के बारे में सोच सकते हैं जिन्होंने इस वस्तु के उत्पादन व व्यापार में मदद की होगी?
उत्तर :
हाँ, हम चीनी, चाय, दूध, पैन, कागज, पेन्सिल आदि सभी वस्तुओं के बारे में सोच सकते हैं। चीनी को गन्ने से बनाया जाता है। गन्ना किसान उगाता है। गन्ना किसान चीनी मिल मालिक को बेचता है। वह चीनी बनाता है। चीनी को थोक व्यापारी मिल से उठाता है। उससे फुटकर या खुदरा व्यापारी खरीदता है। कुछ चीनी मिलों से सरकार उचित दर की दुकानों पर बेचने के लिए चीनी लेती है। हम चीनी खुदरा व्यापारी से खरीदते हैं।

चाय असम तथा दार्जीिलंग (पश्चिम बंगाल) की पहाड़ी ढलानों पर होती है। चाय मजदूर चाय की पत्तियाँ तोड़ते हैं। ये पत्तियाँ चाय बनाने वाले कारखानों में जाती हैं। बड़े-बड़े पूंजीपति चाय की पेटियाँ या छोटे पैकिंग से बंद कर देते हैं। चाय के थोक व्यापारी खरीदकर उन्हें छोटे व्यापारियों तथा खुदरा या मौहल्ले की दुकानदारों को बेचते हैं। उनसे उपभोक्ता तथा चाय बनाकर बेचने वाले छोटे-छोटे दुकानदार ग्राहकों से बनी-बनाई चाय बेचते हैं।

ग्वाले या किसान स्थानीय बाज़ारों या बड़े-बड़े दूध के थोक-व्यापारियों को दूध बेचते हैं। वे आसपास के शहरों, नगरों तथा कस्बों या खुदरा बाज़ारों में बेचते हैं। दूध से मिठाइयाँ, पनीर, घी, मक्खन, दही, क्रीम आदि बनाया तथा बेचा जाता है।

पेन, कागज तथा पेन्सिल आदि हम स्टेशनरी की दुकानों या पुस्तक विक्रेताओं की दुकानों से खरीदते हैं। पेन, कागज तथा पेन्सिल अलग-अलग फैक्ट्रियों में बनाई जाती हैं। थोक व्यापारी फैक्ट्रियों से खरीदते हैं तथा उनसे खुदरा व्यापारी या फेरीवाले या साप्तहिक बाज़ारों के दुकानदार खरीदते हैं। वे प्रत्यक्ष रूप से उपभोक्ता को वे वस्तुएँ बेच देते हैं। उपर्युक्त सभी लोगों-मजदूरों/किसानों, थोक व्यापारियों, उद्योगपतियों, खुदरा व्यापारियों तथा छोटे-छोटे दुकानदारों ने हम तक वस्तुएँ पहुँचने में मदद की है।

प्रश्न 4.
यहाँ दिए गए नौ कथनों को सही क्रम में जमाइए और फिर नीचे बने कपास की डोडियों के चित्रों में सही कथन के अंक भर दीजिए। पहले दो चित्रों में आपके लिए अंक भर दिए गए हैं।
1. स्वप्ना व्यापारी को रुई बेचती है
2. ग्राहक सुपर मार्केट में इन कमीजों को खरीदते हैं
3. व्यापारी जिनिंग मिलों को रुई बेचते हैं
4. गार्मेट निर्यातक कमीजें बनाने के लिए व्यापारियों से कपड़ा खरीदते हैं
5. सूत के व्यापारी बुनकरों को सूत देते हैं
6. वस्त्र निर्यातक संयुक्त राज्य अमेरिका के व्यवसायी को कमीजें बेचता है
7. सूत कातने वाली मिलें रुई खरीदती हैं और सूत के व्यापारी को सूत बेचती हैं
8. बुनकर कपड़ा तैयार करके लाते हैं
9. जिनिंग मिलें रुई को साफ करती हैं और उनके गट्ठर बनाती
HBSE 7th Class Social Science Solutions Civics Chapter 9 बाज़ार में एक कमीज़-1
उत्तर:
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बहुविकल्पी प्रश्न

प्रश्न 1.
सही विकल्प चुनें :

(i) स्वप्ना ने फसल उगाने के लिए व्यापारी से कर्ज लिए थे:
(क) 500 रुपए
(ख) 2500 रुपए
(ग) 2800 रुपए
उत्तर :
(ख) 2500 रुपए।

(ii) तमिलनाडु में सप्ताह में दो बार लगने वाला विश्व का विशालतम कपड़ा बाजार है :
(क) कुरुनूल बाजार
(ख) इरोड बाजार
(ग) तमिल बाजार
उत्तर :
(ख) इरोड बाजार।

(iii) एक करघे का मूल्य है :
(क) 200 रुपए
(ख) 2000 रुपए
(ग) 20,000 रुपए
उत्तर :
(ग) 20,000 रुपए।

(iv) दादन व्यवस्था मुख्यतया इस क्षेत्र में प्रचलित है :
उत्तर :
(क) कपड़ा बुनाई उद्योग।

(v) धनी व शक्तिशाली लोगों पर निर्भर रहने के कारण ही निर्धनों :
(क) को लाभ होता है
(ख) का शोषण होता है
(ग) का सम्मान होता है
उत्तर :
(ख) का शोषण होता है।

प्रश्न 2.
सही अथवा गलत छाँटो:
(i) स्वप्ना कुरनूल की छोटी किसान है।
(ii) व्यापारियों व बुनकरों के बीच की व्यवस्था दादन व्यवस्था कहलाती है।
(iii) कामगारों की मजदूरी उनके कौशल के अनुसार तय की जाती है।
(iv) इम्पेक्स गारमेंट फैक्टरी में 50 मजदूर काम करते हैं।
(v) वस्त्र निर्माण में विदेशी व्यापारियों ने सबसे कम लाभ कमाया।
उत्तर :
(i) स्वप्ना कुरनूल की छोटी किसान है।
(ii) व्यापारियों व बुनकरों के बीच की व्यवस्था दादन व्यवस्था कहलाती है।
(iii) कामगारों की मजदूरी उनके कौशल के अनुसार तय की जाती है।
(iv) इम्पेक्स गारमेंट फैक्टरी में 50 मजदूर काम करते हैं।
(v) वस्त्र निर्माण में विदेशी व्यापारियों ने सबसे कम लाभ कमाया।

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प्रश्न 3.
रिक्त स्थान भरें :
(i) कपास की खेती में बहुत अधिक ………….. करने की जरूरत पड़ती है।
(ii) तमिलनाडु में सप्ताह में दो बार लगने वाला …………. का कपड़ा बाजार संसार के विशाल बाजारों में से एक
(iii) बुनकरों को सूत खरीदने के लिए ………… नहीं लगाना पड़ता है।
(iv) व्यापारी कच्चा माल देता है और उसे तैयार माल प्राप्त होता है ………….. के उद्योग में दान व्यवस्था प्रचलित है।
(v) इरोड का व्यापारी, बुनकरों द्वारा निर्मित कपड़ा …………. के पास बने बनाए वस्त्र निर्यात करने वाले एक कारखाने को भेजता है।
उत्तर :
(i) निवेश
(ii) इरोड
(iii) अपना पैसा
(iv) कपड़ा बुनाई
(v) दिल्ली।

HBSE 7th Class Civics बाज़ार में एक कमीज़ Important Questions and Answers

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
कमीज की कहानी किस बिंदु से शुरू होती है और किस पर खत्म होती है ?
उत्तर :
कमीज की कहानी कपास के उत्पादन से प्रारंभ होती है और कमीज के बिकने पर समाप्त हो जाती है।

प्रश्न 2.
रुई की फसल इकट्ठा करने के लिए कई दिन का समय क्यों लगता है?
उत्तर :
सभी डोडे चटक कर एक साथ नहीं खुलते हैं इसलिए रुई की फसल इकट्ठा करने के लिए कई दिन का समय लगता है।

प्रश्न 3.
कपास की खेती करने के लिए छोटे किसानों को कर्ज क्यों लेना पड़ता है?
उत्तर :
कपास की खेती में बहुत अधिक निवेश करने की जरूरत पड़ती है इसलिए कपास की खेती करने के लिए छोटे किसानों को कर्ज लेना पड़ता है।

प्रश्न 4.
क्या स्वप्ना को रुई का उचित मूल्य प्राप्त हुआ?
उत्तर :
स्वप्ना को उसके उत्पाद का उचित मूल्य प्राप्त नहीं हुआ।

प्रश्न 5.
व्यापारी ने स्वप्ना को कम मूल्य क्यों दिया ?
उत्तर :
व्यापारी ने स्वप्ना को कम मूल्य इसलिए दिया क्योंकि उसे तुरंत ऋण चुकाना है और अपनी अन्य आवश्यकताएँ पूरी करनी हैं। वह स्थानीय व्यापारी से भयभीत भी है क्योंकि वह बड़ा आदमी है। वह स्वप्ना और स्वप्ना जैसे किसानों को खेती तथा अन्य कार्यों के लिए तुरंत कर्जा दे देता है।

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प्रश्न 6.
आपके विचार से बड़े किसान रुई कहाँ बेचेंगे? उनकी स्थिति स्वप्ना से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर :
मेरे विचारानुसार बड़े किसान अपनी रुई कुर्नूल (आंध्र प्रदेश) कपास मंडी में बेचेंगे क्योंकि वहाँ बड़े व्यापारी उन्हें तुरंत उचित कीमत दे देंगे। वहाँ प्रतियोगिता ज्यादा है।

लघु उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
‘इरोड का कपड़ा बाजार’ विषय पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर :
इरोड (तमिलनाडु) का वस्त्र बाजार (The cloth market of Erode (Tamil Nadu):
1. तमिलनाडु में इरोड का सप्ताह में दो बार लगने वाला कपड़ा बाजार संसार के विशाल बाजारों में से एक है।
2. इस बाजार में कई प्रकार का कपड़ा बेचा जाता है।
3. आस-पास के गाँवों में बुनकरों द्वारा बनाया कपड़ा भी इस बाजार में बिकने के लिए आता है।
4. बाजार के पास कपड़ा व्यापारियों के कार्यालय हैं, जो इस कपड़े को खरीदते हैं।
5. दक्षिण भारत के शहरों के अन्य व्यापारी भी इस बाजार में कपड़ा खरीदने आते हैं।
6. बाजार के दिनों में आपको वे बुनकर भी मिलेंगे जो व्यापारियों के ऑर्डर के अनुसार कपड़ा बनाकर यहाँ लाते हैं। ये व्यापारी देश व विदेश के वस्त्र निर्माताओं और निर्यातकों को उनके आर्डर के अनुसार कपड़ा उपलब्ध कराते हैं।
7. ये सूत खरीदते हैं और बुनकरों को निर्देश देते हैं कि किस प्रकार का कपड़ा तैयार किया जाना है।

प्रश्न 2.
दादन व्यवस्था में बुनकर किस प्रकार कपड़ा तैयार करते हैं ?
उत्तर :
दादन व्यवस्था में बुनकरों द्वारा कपड़ा तैयार करना (Cloth producing by weavers under putting out system):
1. कपड़ा उपलब्ध कराने के जो आर्डर मिलते हैं उनके आधार पर व्यापारी बुनकरों के बीच काम बाँट देता है।
2. बुनकर व्यापारी से सूत लेते हैं और तैयार कपड़ा देते हैं।
3. इस व्यवस्था से बुनकरों को स्पष्टतया दो लाभ प्राप्त होते हैं।
4. बुनकरों को सूत खरीदने के लिए अपना पैसा नहीं लगाना पड़ता। साथ ही तैयार कपड़ों को बेचने की व्यवस्था भी हो जाती
5. बुनकरों को प्रारंभ में ही पता चल जाता है कि उन्हें कौन-सा कपड़ा बनाना है और कितना बनाना है।

प्रश्न 3.
बुनकर कपड़ा व्यापारियों पर किस प्रकार से निर्भर हैं ?
उत्तर :
कच्चे माल को प्राप्त करने और तैयार माल की बिक्री के लिए भी व्यापारियों पर बनी निर्भरता के चलते व्यापारियों का बहुत वर्चस्व बन जाता है। वे आर्डर देते हैं कि क्या कपड़ा बनाया जाना है और इसके लिए वे बहुत कम मूल्य देते हैं। बुनकरों के पास यह जानने का कोई तरीका नहीं होता कि किस निर्यातक को, किस तरह के कपड़े की कितनी आवश्यकता (माँग) है। यह भी उसे व्यापारी बताता है।

प्रश्न 4.
विदेशों में खरीददार वस्त्र निर्यात करने वालों से क्या-क्या अपेक्षाएँ रखते हैं ? वस्त्र निर्यातक इन शर्तों को क्यों स्वीकार कर लेते हैं ?
उत्तर :
विदेशों में खरीददार वस्त्र निर्यात करने वालों से न्यूनतम मूल्य पर माल खरीदने की मांग करते हैं। साथ ही ये सामान की उच्चतम स्तर की गुणवत्ता और समय पर सामान देने की शर्त भी रखते हैं। सामान जरा सा भी दोष-युक्त होने पर या माल देने में जरा भी विलंब होने पर बड़ी सख्ती से निपटा जाता है। इसलिए निर्यातक इन शक्तिशाली ग्राहकों द्वारा निश्चित की गई शर्तों को भरसक पूरा करने की कोशिश करते हैं।

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दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
कपास उत्पादन से लेकर कपड़ा उत्पादन तक की प्रक्रिया को स्पष्ट करें।
उत्तर :
(i) किसान कपास उगाते हैं व उसे कपास मंडी में बेच देते हैं।
(ii) मिनिंग मिलें कपास खरीद लेती हैं।
(iii) मिलों में कपास से बीज अलग कर कपास को दबाकर उसके गट्ठर बनाए जाते हैं।
(iv) सूत कातने की मिलें कपास के गट्ठर खरीद लेती हैं।
(v) सूत कातने की मिलों में कपास से धागा बनाया जाता है।
(vi) यह धागा व्यापारियों को बेचा जाता है जिससे वस्त्र निर्माण करने वाली कंपनियाँ वस्त्रों का निर्माण करती हैं।

प्रश्न 2.
बुनकर सहकारी संस्थाएँ क्या होती हैं?
उत्तर :
बुनकरों को काम के लिए व धन के लिए व्यापारियों पर निर्भर रहना पड़ता है। ये लोग उन्हें काम के बदले में कम कीमत देते हैं। बुनकरों की आमदनी बढ़ाने व व्यापारियों पर उनकी निर्भरता कम करने के लिए समान हितों वाले व्यक्ति परस्पर मिलकर एक संस्था का निर्माण करते हैं जिसे सहकारी संस्था कहते हैं। ये संस्थाएँ परस्पर लाभ के लिए काम करती हैं। इसमें व्यापारी की भूमिका समाप्त हो जाती है एवं बुनकरों को कपड़े का उचित मूल्य प्राप्त होता है।

बाज़ार में एक कमीज़ Class 7 HBSE Notes in Hindi

1. जिनिंग मिल (Ginning Mill) : वह फैक्ट्री जहाँ रुई के गोलों से बीज अलग किए जाते हैं। रुई को दबाकर गट्ठर बनाए जाते हैं जो धागा बनाने के लिए भेज दिए जाते हैं।
2. निर्यातक (Exporter) : वह व्यक्ति जो विदेशों में माल बेचता है।
3. मुनाफा (Profit) : जो आमदनी हुई है उसमें से सारे खर्चों को घटा देने के बाद बचने वाली राशि। यदि खर्चे आमदनी से ज्यादा हो जाएँ, तो घाटा हो जाता है।
4. दादन व्यवस्था (Putting out system) : व्यापारी और बुनकरों के बीच की यह एक व्यवस्था हैजिसके अंतर्गत व्यापारी कच्चा माल देता है और उसे तैयार माल प्राप्त होता है। भारत के अनेक क्षेत्रों में कपड़ा बुनाई के उद्योग में यह व्यवस्था प्रचलित है।

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