HBSE 12th Class Hindi विशेष लेखन-स्वरूप और प्रकार

Haryana State Board HBSE 12th Class Hindi Solutions विशेष लेखन-स्वरूप और प्रकार Questions and Answers, Notes.

Haryana Board 12th Class Hindi विशेष लेखन-स्वरूप और प्रकार

प्रश्न 1.
विशेष लेखन किसे कहते हैं? समाचारपत्रों में विशेष लेखन की क्या उपयोगिता है?
उत्तर:
आधुनिक युग में पाठकों की रुचियाँ बहुत व्यापक हो चुकी हैं। वे साहित्य से लेकर विज्ञान तक तथा व्यवसाय से लेकर खेल तक सभी विषयों की ताजा जानकारी चाहते हैं। कुछ ऐसे भी पाठक हैं जो विज्ञान, खेल अथवा सिनेमा में गहरी दिलचस्पी रखते हैं। अतः वे अपने मन-पसंद विषय को विस्तार से पढ़ना चाहते हैं। फलस्वरूप समाचारपत्रों तथा अन्य जनसंचार माध्यमों को सामान्य समाचारों के साथ-साथ कुछ विशेष विषयों के बारे में भी जानकारी देनी पड़ती है, इसी को हम विशेष लेखन कहते हैं।

एक परिभाषा के अनुसार-“सामान्य लेखन से हटकर किसी खास विषय पर लिखा गया लेख विशेष लेखन कहलाता है।” अधिकांश समाचारपत्रों और पत्रिकाओं के अतिरिक्त टी०वी० तथा रेडियो चैनलों में विशेष लेखन के लिए एक अलग डेस्क रहता है, जहाँ विशेष लेखन से संबंधित पत्रकारों का समूह बैठता है। यही नहीं, विभिन्न जनसंचार के माध्यम के कार्यालयों में अलग-अलग डेस्क बने रहते हैं, जहाँ अलग-अलग विभागों के उपसंपादक तथा संवाददाता बैठकर काम करते हैं।

यह एक सर्वविदित तथ्य है कि समाचार अनेक प्रकार के होते हैं। ये राजनीतिक, आर्थिक, अपराध, खेल जगत, फिल्म जगत, न या किसी और विषयों से संबंधित होते हैं। संवाददाताओं के मध्य उनकी रुचि और ज्ञान को देखते हए कार्य का बंटवारा किया जाता है। मीडिया की भाषा में इसे बीट कहते हैं। उदाहरण के रूप में एक संवाददाता की बीट खेल जगत है तो इसका मतलब यह है कि वह अपने शहर तथा क्षेत्र में होने वाले खेलों तथा उनसे संबंधित घटनाओं की रिपोर्टिंग करेगा। अखबार की ओर से वही खेल रिपोर्टिंग के लिए जिम्मेवार होगा और जवाबदेही होगा।

इसी प्रकार यदि कोई संवाददाता आर्थिक या कारोबार से जुड़ी खबरों की जानकारी रखता है तो उसे आर्थिक रिपोर्टिंग का काम सौंपा जाएगा। यदि किसी की रुचि कृषि में है और वह पूरी जानकारी रखता है, तो वह कृषि जगत से संबंधित रिपोर्टिंग का काम करेगा। इसके लिए आवश्यक यह है कि विशेष लेखन से संबंधित संवाददाता को अपने विषय के बारे में समुचित जानकारी होनी चाहिए और उसे अपनी भाषा-शैली पर समुचित अधिकार होना चाहिए। समाचारपत्र का संपादक ही अपने संवाददाताओं की रुचियों और जानकारियों के हिसाब से बीट का वितरण करता है, जिससे सही व्यक्ति सही विषय के बारे में सही-सही जानकारी देने में समर्थ होता है।

प्रश्न 2.
बीट रिपोर्टिंग और विशेषीकृत रिपोर्टिंग में क्या अन्तर है? स्पष्ट करें।
उत्तर:
संवाददाताओं के मध्य उनकी रुचि और ज्ञान को देखते हुए उनके कार्य का बंटवारा किया जाता है। मीडिया की भाषा में इसे ही बीट कहा जाता है। विशेष लेखन या रिपोर्टिंग बीट रिपोर्टिंग से व्यापक होता है। इन दोनों में निम्नलिखित अन्तर हैं-

बीट रिपोर्टिंग विशेषीकृत रिपोर्टिंग
1. संवाददाता की रुचि के क्षेत्र विशेष की रिपोर्टिंग को बीट रिपोर्टिंग कहा जाता है। 1. किसी घटना या समस्या के विश्लेषण अथवा छानबीन से संबंधित रिपोर्टिंग को विशेषीकृत रिपोर्टिंग कहा जाता है।
2. संवाददाता अपनी रुचि के विषयों से सम्बन्धित सूचना ही देता है। 2. इसमें संवाददाता को विशेष विषयों के सम्बन्ध में विशेष समाचार विस्तारपूर्वक लिखने पड़ते हैं।
3. बीट रिपोर्टिंग में संवाददाता को अपने क्षेत्र से सम्बन्धित सामान्य समाचार ही लिखने होते हैं। 3. इसमें संवाददाता को विशेष विषय को चुनकर उनसे संबंधित समाचार लिखने होते हैं।
4. बीट रिपोर्टिंग देने वाले रिर्पोटर को संवाददाता कहते है। 4. विशेषीकृत रिपोर्टिंग करने वाले को विशेष संवाददाता कहते हैं।
5. बीट रिपोर्टिंग में भाषा के प्रयोग के लिए संवाददाता स्वतंत्र रहता है। 5. विशेषीकृत रिपोर्टिंग लेखन में विशेष संवाददाता को विषय से संबंधित शब्दावली का ही प्रयोग करना पड़ता है।

HBSE 12th Class Hindi विशेष लेखन-स्वरूप और प्रकार

प्रश्न 3.
विशेष लेखन की भाषा और शैली पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
सामान्य लेखन के समान विशेष लेखन की भी अपनी भाषा-शैली होती है। विशेष लेखक को प्रायः सहज, सरल तथा पाठकों को समझ में आने वाली भाषा का प्रयोग करना चाहिए, परंतु विशेष लेखन का संबंध जिस किसी विषय या क्षेत्र से होता है उसी से संबंधित तकनीकी शब्दों का अधिकतर प्रयोग किया जाता है जो कि सामान्य पाठकों के लिए समझना कठिन होता है। इसलिए विशेष लेखन की भाषा और शैली सर्वथा सामान्य लेखन से अलग प्रकार की होती है।

उल्लेखनीय बात यह है कि जिस विषय पर विशेष लेखन किया जाता है, उसी विषय से संबंधित विशेष तकनीकी शब्दावली का प्रयोग करना उचित होता है। अतः विशेष लेखन करने वाले पत्रकार को उस विषय की विशेष तकनीकी शब्दावली का उचित ज्ञान होना चाहिए अन्यथा वह विषय के साथ न्याय नहीं कर पाएगा। उदाहरण के रूप में, व्यापार तथा वाणिज्य पर विशेष लेखन करने वाले पत्रकार को उस शब्दावली का समुचित ज्ञान होना चाहिए, जिसका प्रयोग इसमें किया जाता है। कारोबार तथा व्यापार में इस प्रकार के शब्दों का प्रयोग होता है

तेजड़िए, मंदड़िए, ब्याज दर, व्यापार घाटा, मुद्रास्फीति, बिकवाली, राजकोषीय घाटा, राजस्व घाटा, वार्षिक योजना, विदेशी संस्थागत निवेशक, आवक, निवेश, एफ०डी०आई०, आयात-निर्यात आदि शब्द। इसी प्रकार से सोने में भारी उछाल, चाँदी लुढ़की या आवक बढ़ने से लाल मिर्च की कड़वाहट घटी, शेयर बाज़ार ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़े, सेंसेक्स आसमान पर आदि शब्दावली का प्रयोग कारोबार और व्यापार से जुड़े हुए विशेष लेखन में प्रयुक्त होता रहता है। इसी प्रकार पर्यावरण के तकनीकी शब्द अन्य प्रकार के, विज्ञान के अन्य प्रकार के, राजनीति के अन्य प्रकार के और कृषि जगत के अन्य प्रकार के हैं।

संक्षेप में, हम कह सकते हैं कि विशेष लेखन की भाषा विषयानुसार ही होनी चाहिए, क्योंकि विशेष लेखन के पाठक भी अलग-अलग प्रकार के होते हैं। जहाँ तक शैली का प्रश्न है, विशेष लेखन की कोई निश्चित शैली नहीं होती, यदि बीट से जुड़ा कोई विशेष समाचार लिखा जा रहा होता है, तो उसके लिए उलटा पिरामिड-शैली का प्रयोग किया जाता है। फीचर के लिए कथात्मक-शैली का प्रयोग किया जाता है। लेख अथवा टिप्पणी के लिए फीचर की शैली का प्रयोग किया जा सकता है।

वस्तुतः शैली कोई भी अपनाई जाए, परंतु किसी विशेष विषय पर लिखा गया लेख अलग प्रकार से होना चाहिए। कारण यह है कि विशेष लेख को प्रत्येक पाठक नहीं पढ़ता। अन्य शब्दों में, हम कह सकते हैं कि विशेष लेखन का पाठक वर्ग अलग प्रकार का होता है। उदाहरण के रूप में, कारोबार तथा व्यापार का पृष्ठ वही लोग पढ़ते हैं जो कोई कारोबार या व्यापार करते हैं अथवा शेयर मार्किट में रुचि रखते हैं। इसलिए इस प्रकार के विशेष लेख की भाषा-शैली अन्य सभी प्रकार के लेखों, समाचारों अथवा विशेष प्रकार की ही होगी।

प्रश्न 4.
विशेष लेखन के क्षेत्र कौन-कौन से हैं? संक्षेप में लिखें।
उत्तर:
विशेष लेखन के अनेक क्षेत्र हैं। प्रायः सामान्य रिपोर्टिंग अथवा बीट के अतिरिक्त सभी क्षेत्र विशेष लेखन से संबंधित हैं और इनमें विशेषज्ञता की आवश्यकता होती है। किसी विषय का विशेषज्ञ ही उस विषय पर विशेष लेखन लिख सकता है। विशेष लेखन के अनेक क्षेत्र हैं-

  1. अर्थ-व्यापार
  2. खेल
  3. विज्ञान-प्रौद्योगिकी
  4. कृषि
  5. विदेश
  6. रक्षा
  7. पर्यावरण
  8. शिक्षा
  9. स्वास्थ्य
  10. फ़िल्म-मनोरंजन
  11. अपराध
  12. सामाजिक मुद्दे
  13. कानून
  14. धर्म और समाज
  15. फैशन

आज के समाचार पत्रों में खेल, कारोबार, सिनेमा, मनोरंजन, फैशन, स्वास्थ्य, विज्ञान, पर्यावरण, शिक्षा, जीवन-शैली और रहन-सहन आदि विषयों पर काफी विशेष लेखन हो रहा है। इसके साथ-साथ विदेशनीति, राष्ट्रीय सुरक्षा और विधि आदि क्षेत्रों पर विशेषीकृत रिपोर्टिंग को प्राथमिकता दी जा रही है। कारण यह है कि इन सभी विषयों से लोगों का सरोकार है। फिर भी यह कहना अनुचित न होगा कि पिछड़े भू-भागों और उनकी समस्याओं पर विशेष लेखन हो रहा है जो कि उचित नहीं है। .

प्रश्न 5.
विशेष लेखन के लिए विशेषज्ञता कैसे हासिल की जा सकती है?
उत्तर:
विशेष लेखन कोई सहज कार्य नहीं है। वस्तुतः आज की पत्रकारिता में ऐसे बहुत-से पत्रकार हैं, जिन्हें हम कह सकते हैं ‘जैक ऑफ ऑल ट्रेड्स, बट मास्टर ऑफ नन’ अर्थात् जो सभी विषयों के जानकार तो हैं, परंतु किसी एक विषय के विशेषज्ञ नहीं हैं, परंतु यह माँग उठती जा रही है कि विषय का विशेषज्ञ होना नितांत आवश्यक है। अतः प्रश्न यह उठता है कि विषय में विशेषज्ञता कैसे हासिल की जा सकती है। इसके लिए निम्नलिखित उपाय अपनाए जा सकते हैं-
(1) पहली बात तो यह है कि व्यक्ति जिस किसी विषय में विशेषज्ञता हासिल करना चाहता है, उसकी उसमें पर्याप्त रुचि होनी चाहिए।

(2) उच्चतर, माध्यमिक तथा स्नातक स्तर पर उसी विषय की पढ़ाई करनी चाहिए।

(3) विषय में पत्रकारीय विशेषज्ञता हासिल करने के लिए उस विषय से संबंधित पुस्तकों का गंभीर अध्ययन करना चाहिए।

(4) विशेष लेखन के क्षेत्र में जो लोग सक्रिय हैं, उन्हें स्वयं को अपडेट अर्थात् उनके पास विषय की आधुनिकतम जानकारी होनी चाहिए। इसके लिए विषय से जुड़ी खबरों और रिपोर्टों की फाइल बनाई जा सकती है तथा विषय के प्रोफेशनल विद्यार्थियों, विशेषज्ञों के लेखों एवं विश्लेषणों की कटिंग संभालकर रखी जानी चाहिए।

(5) उस विषय से संबंधित शब्दकोश तथा इनसाइक्लोपीडिया भी विद्यार्थियों के पास होनी चाहिए।

(6) विषय में विशेषज्ञता हासिल करने वाले उस विषय से संबंधित सरकारी तथा गैर-सरकारी संगठनों और संस्थाओं की सूची, उनकी वेब साइट, उनके टेलीफोन नंबर तथा विशेषज्ञों के फोन नंबर और पते भी उसके पास होने चाहिएँ।

(7) यदि कोई व्यक्ति आर्थिक विषयों में विशेषज्ञता हासिल करना चाहता है, तो उसके पास वित्त मंत्रालय तथा वहाँ के अधिकारियों, प्रसिद्ध अर्थशास्त्रियों और बाज़ार विशेषज्ञों के नाम और उनके फोन नंबर और उनके पते भी उसके पास होने चाहिए।

(8) कोई भी व्यक्ति अपनी रुचि अनुसार अध्ययन आदि के माध्यम से विशेषज्ञता हासिल कर सकता है।

(9) विशेषज्ञता प्राप्त करने में काफी समय लग सकता है। इसके लिए लंबे अनुभव की आवश्यकता होती है। यदि किसी व्यक्ति की किसी विषय में निरंतर सक्रियता बनी रहती है, तो वह उस विषय का निश्चय से विशेषज्ञ बन सकता है।

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प्रश्न 6.
कारोबार और व्यापार के महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
जो लोग प्रतिदिन समाचारपत्र पढ़ते हैं, उन्हें इस बात का पूरा ध्यान होगा कि समाचारपत्र में कारोबार तथा व्यापार से संबंधित एक पृष्ठ होता है। कुछ समाचारपत्रों में इसके लिए दो पृष्ठ निर्धारित किए जाते हैं, एक में शेयर मार्किट से संबंधित खबरें दी जाती हैं, दूसरे में विभिन्न कंपनियों के कारोबार की खबरें प्रकाशित की जाती हैं। इसी प्रकार खेल के लिए भी एक अलग पृष्ठ निर्धारित किया जाता है। इसलिए यह कहना अनुचित नहीं होगा कि कारोबार तथा खेल संबंधी समाचारों के बिना समाचार पत्र अधूरा है।

हम सभी इसी तथ्य से अवगत हैं कि धन के बिना मानव-जीवन अधरा है। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में धन का विशेष महत्त्व होता है। हमें बाज़ार से कुछ खरीदने के लिए पैसा चाहिए। जो कुछ हम कमाते हैं, उसमें से कुछ पैसे बैंक में जमा कराते हैं, बचत करते हैं। अथवा किसी नए व्यवसाय को आरंभ करने की योजना बनाते हैं। इसके लिए हमें बैंक से ऋण लेना पड़ सकता है और हम अपनी बचत के पैसे भी उसमें लगा सकते हैं। इस प्रकार आर्थिक लाभ-हानि की बातें होती रहती हैं। इन सबका संबंध कारोबार व्यापार तथा अर्थ जगत से है। अतः इन विषयों से जुड़ी खबरों में पाठकों की काफी रुचि होती है।

सेंसेक्स का बढ़ना, सोने-चाँदी के भाव, विदेशी मुद्रा (जैसे-डॉलर, पौंड, आदि) की कीमत जरूरी उपभोक्ता वस्तुओं की कीमत या कृषि से जुड़ी वस्तुओं जैसे-अनाज, दालें आदि की कीमत आदि के कारण कारोबार और व्यापार में कीमतें गिरती भी रहती हैं और बढ़ती भी रहती हैं। इसलिए पाठकों को कारोबारी सूचनाओं को प्राप्त करना पड़ता है, परंतु कारोबार तथा व्यापार का क्षेत्र बहुत व्यापक है। इसमें कृषि जगत, उद्योग जगत, व्यापार जगत, शेयर बाज़ार और देश की अर्थव्यवस्था से जुड़े सभी पहलू सम्मिलित हैं। इन सभी क्षेत्रों में एक साथ विशेषता होना काफी कठिन कार्य है। अतः इसमें बैंकिंग विशेषज्ञ अलग होता है, शेयर बाज़ार का विशेषज्ञ अलग होता है तथा निवेश का विशेषज्ञ अलग होता है।

पिछले कुछ वर्षों से आर्थिक पत्रकारिता काफी लोकप्रिय होती जा रही है। इसका कारण है कि देश की राजनीति, देश की अर्थव्यवस्था से जुड़ी हुई है। हमारे देश में आर्थिक उदारीकरण तथा खुली अर्थव्यवस्था लागू हो चुकी है, जिससे राजनीति भी निरंतर प्रभावित हो रही है। इसलिए कारोबार तथा व्यापार से संबंधित आर्थिक पत्रकार को राजनीति का समुचित ज्ञान होना चाहिए, परंतु यहाँ इस बात का उल्लेख करना अनिवार्य होगा कि आर्थिक पत्रकारिता सामान्य पत्रकारिता से काफी जटिल होती है।

आर्थिक पत्रकारिता की अपनी शब्दावली है जो आम व्यक्ति की समझ में नहीं आती। आर्थिक पत्रकार को चाहिए कि वह अपने क्षेत्र की तकनीकी शब्दावली को आम व्यक्ति की समझ में आने वाली शब्दावली बनाए, तभी आर्थिक समाचार अधिक लोकप्रिय हो सके। दूसरी ओर, आर्थिक समाचारों के कुछ ऐसे पाठक होते हैं जो इसी क्षेत्र से जुड़े होते हैं। अतः आर्थिक पत्रकार को दोनों वर्गों के पाठकों में तारतम्य स्थापित करना चाहिए।

कारोबार तथा आर्थिक बाज़ार से जुड़ी हुई खबरें उलटा पिरामिड-शैली में ही लिखी जाती हैं। यही नहीं, कारोबार तथा व्यापार से फीचर भी लिखे जा सकते हैं। ऐसे फीचर अकसर समाचारपत्रों में प्रकाशित किए जाते हैं।

कारोबार तथा व्यापार के लेखन का एक उदाहरण देखिए-
निर्यात घटने से चीन चिंतित:
चीन से निर्यात होने वाली सभी वस्तुओं पर डंपिग विरोधी शुल्क लगा दिया गया है जिससे चीन का निर्यात घटने लगा है। इससे चीन की औद्योगिक इकाइयाँ अत्यधिक चिंतित हैं। इससे पहले चीन का निर्यात तीव्र गति से बढ़ रहा था। दूसरी ओर अमेरिका तथा यूरोपीय संघ के देशों में बेरोज़गारी दर बढ़ती जा रही थी। फलस्वरूप इस साल चीनी निर्यातकों को संरक्षणवाद का सामना करना पड़ रहा है। विश्व व्यापार संगठन में चीन के राजदूत सन झेन्यु ने अपनी इसी चिंता को व्यक्त किया। के उच्चकोटि के राजनीतिक सलाहकार समूह के सदस्य हैं तथा चीन के आयात-निर्यात के भी ज्ञाता हैं।

चीन-व्यापार वार्ताओं को आगे बढ़ाना चाहता है, परंतु हालात चीन के अनुकूल नहीं हैं। ऐसी बहुत कम संभावना है कि वैश्विक व्यापार की ये वाताएँ इस वर्ष पूरी हो सकेंगी। चीन पिछले कुछ सालों से वस्तुएँ विश्व के बाजार में सस्ते मूल्य पर झोंक रहा है। इससे उसके व्यापार में काफी वृद्धि हुई थी। परंतु पिछले कुछ सालों से भारत के अतिरिक्त कुछ अन्य देशों ने चीनी वस्तुओं के विरुद्ध 118 मामले शुरू कर दिए, जिससे 13 अरब डॉलर का चीनी निर्यात अत्यधिक प्रभावित हुआ है। इन देशों में अमेरिका का रुख बड़ा ही आक्रामक था। उसने चीन के विरुद्ध 23 मामले शुरू किए। फलस्वरूप चीन का 7.6 अरब डॉलर का व्यापार प्रभावित हुआ।

सन झेन्यु ने यह चिंता जताई कि अधिकतर मामलों में चीन को ही बलि का बकरा बनाया गया है। कारण यह है कि कुछ देश व्यापार घाटे की अपनी आर्थिक समस्या के लिए सीधे-सीधे चीन को ही दोषी मानते हैं। यद्यपि यह ठीक नहीं है। अमेरिका ने पिछले महीने ही तेल के कुएँ खोदने के लिए चीन से ड्रिल पाइप का आयात किया था, साथ ही उस पर डंपिग विरोधी तथा सबसिडिटी का मामला शुरू कर दिया, जिससे चीन के निर्यात को गहरा धक्का लगा। इस प्रकार यूरोपीय समुदाय के कुछ देशों ने कोटिड फाइन पेपर तथा कुछ अन्य उत्पादों के विरुद्ध डंपिग विरोधी मामला तय कर दिया। इस प्रकार के कदम चीनी अर्थव्यवस्था को गहरा धक्का पहुँचा रहे हैं। विश्व के देशों को चीन की समस्याओं को समझना होगा और इस प्रकार के कदम उठाना बंद करना होगा।

प्रश्न 7.
समाचारपत्रों में खेलों का क्या महत्त्व है? संक्षेप में लिखिए।
उत्तर:
खेल जगत आज का सर्वाधिक लोकप्रिय क्षेत्र है। खेल हमारे जीवन में एक नई ऊर्जा संचरित करता है। बचपन से प्रत्येक बच्चे की खेलों में रुचि होती है। हमारे में से अधिकतर के अंदर एक खिलाड़ी अवश्य होता है, परंतु जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, तो जीवन की भागदौड़ तथा ज़िम्मेदारियों के कारण उसके अंदर का खिलाड़ी मर जाता है। फिर भी खेलों में हमारी रुचि बनी रहती है। जो लोग नियमित समाचारपत्र पढ़ते हैं, वे अकसर क्रिकेट, हॉकी, टेनिस अथवा फुटबॉल ओलंपिक या एशियाई खेलों के समाचारों को बड़े ध्यान से पढ़ते हैं। यद्यपि हॉकी हमारे देश का राष्ट्रीय खेल है, परंतु क्रिकेट ने तो देश में क्रांति उत्पन्न कर दी है। यही नहीं, आज समाचारपत्रों तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में खेल समाचारों को अत्यधिक महत्त्व दिया जाता है। समाचारपत्र तथा पत्रिकाएँ न केवल खेलों पर विशेष लेखन प्रकाशित करते हैं, बल्कि खेल विशेषांक और खेल परिशिष्ट भी प्रकाशित करते हैं। इसी प्रकार रेडियो और टेलीविज़न पर भी इसके कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं।

खेल पत्रकार के लिए यह आवश्यक है कि उसे खेल के नियमों, खेल की तकनीक तथा उसकी बारीकियों का समुचित ज्ञान हो। खेल पत्रकार के लिए खेल समाचार अथवा विशेष लेखन लिखना कोई सहज कार्य नहीं है। क्रिकेट का जानकार केवल क्रिकेट के बारे में ही सही समाचार लिख सकता है। इसी प्रकार हॉकी की बारीकियों को समझने वाला व्यक्ति अलग होता है और फुटबॉल का विशेषज्ञ भी अलग होता है और वॉलीबाल का अलग होता है।

अतः यदि कोई व्यक्ति खेल में विशेषज्ञता हासिल करना चाहता है तो उसे उस विषय की समुचित जानकारी होनी चाहिए। उस खेल में कौन-कौन से कीर्तिमान स्थापित हो चुके हैं, उसका भी पता होना चाहिए। अब तो इस कार्य के लिए इंटरनेट की भी सुविधा ली जा सकती है, परंतु खेल पत्रकार को खेल संबंधी जानकारियाँ रोचक ढंग से प्रस्तुत करनी चाहिए। खेल संबंधी विशेष प्रदर्शन, खेल तकनीक आदि सभी का विश्लेषण करना लेखन को रोमांचक बनाता है। खेलों की रिपोर्टिंग तथा लेखन की भाषा-शैली भी अलग प्रकार की होती है। यह पाठक में ऊर्जा, उत्साह तथा रोमांच

उत्पन्न करती है। खेल संबंधी समाचार या रिपोर्ट आरंभ में उलटा पिरामिड-शैली में शुरू होती है। इसके बाद वह कथात्मक-शैली का रूप धारण कर लेती है।

प्रश्न 8.
सूचनाओं के विभिन्न स्रोत कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
सूचनाओं के विभिन्न स्रोत निम्नलिखित हैं-

  1. मंत्रालय के सूत्र
  2. प्रेस कॉन्फ्रेंस और विज्ञप्तियाँ
  3. साक्षात्कार
  4. सर्वे
  5. जाँच समितियों की रिपोर्ट
  6. क्षेत्र विशेष में सक्रिय संस्थाएँ और व्यक्ति
  7. इंटरनेट और दूसरे संचार माध्यम
  8. संबंधित विभागों और संगठनों से जुड़े व्यक्ति
  9. स्थायी अध्ययन प्रक्रिया

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पाठ से संवाद

प्रश्न 1.
विज्ञान के क्षेत्र में काम कर रही भारत की पाँच संस्थाओं के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. भौतिक अनुसंधानशाला, अहमदाबाद
  2. गणित एवं विज्ञान संस्थान, चेन्नई
  3. साहा नाभिकीय भौतिक संस्थान, कोलकाता
  4. भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्
  5. नेशनल रिसर्च डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन
  6. रक्षा अनुसंधान एवं विज्ञान संगठन

प्रश्न 2.
पर्यावरण पर छपने वाली किन्हीं तीन पत्रिकाओं के नाम लिखें।
उत्तर:

  1. डाऊन टू अर्थ
  2. पर्यावरण बचाओ
  3. हमारा पर्यावरण

प्रश्न 3.
व्यावसायिक शिक्षा के दस विभिन्न पाठ्यक्रमों के नाम लिखें और इनका ब्योरा एकत्र करें।
उत्तर:

  1. बैंकिंग पाठ्यक्रम
  2. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान
  3. भारतीय विज्ञान संस्थान
  4. भारतीय प्रबंधन संस्थान
  5. मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन
  6. चार्टर्ड अकाऊन्टैंसी
  7. मास्टर ऑफ़ कंप्यूटर एपलीकेशन
  8. राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान
  9. इन्स्टीच्यूट ऑफ़ फूड टेक्नोलॉजी
  10. भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर अपने शब्दों में आलेख लिखें-
(क) सानिया मिर्जा के खेल के तकनीकी पहलू
(ख) शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाए जाने के परिणाम
(ग) सर्राफे में आई तेजी
(घ) फिल्मों में हिंसा
(ङ) पल्स पोलियो अभियान सफलता या असफलता
(च) कटते जंगल
(छ) ग्रहों पर जीवन की खोज
उत्तर:
(च) कटते जंगल
वह भी समय था, जब पृथ्वी पर घने जंगल थे। उस समय वर्षा समय पर होती थी और स्वच्छ नदियाँ धरती को सींचती हुई सागर की गोद में समा जाती थीं। जंगली जानवरों को भरपेट भोजन मिलता था और अनेक प्रकार के पक्षी चहचहाते थे। मानव को भी जंगलों में पर्याप्त भोजन और आश्रय प्राप्त होता था। धीरे-धीरे विकास की चाह ने मानव को सभ्य बनाया। वह जंगल काटकर नगा। अनेक गाँव बस गए और नगरों का विकास होने लगा। फिर आया वैज्ञानिक युग। धीरे-धीरे जंगल तेजी के साथ काटे जाने लगे और पृथ्वी का हरा-भरा भू-भाग नंगा तथा बूचड़ हो गया, रेगिस्तानी क्षेत्र का विस्तार हुआ। भू-वैज्ञानिकों के अनुसार संसार का सबसे बड़ा सहारा रेगिस्तान कभी हरा-भरा जंगल था। लेकिन आज वहाँ के लोगों का जीवन नरक-तुल्य बना हुआ है।

मध्य प्रदेश में कुछ ही वर्ष पहले घने जंगल होते थे। यहाँ के आदिवासी इन हरे-भरे जंगलों पर आश्रित थे। उन्हें जड़ी-बूटियाँ आसानी से मिल जाती थीं, जिन्हें बेचकर वे कुछ रुपये कमा लेते थे। कुछ शिकार पर आश्रित थे और कुछ खेती पर। वे सुखद जीवन-यापन कर रहे थे। फिर तेजी के साथ जंगलों का सफाया होने लगा। नए-नए औद्योगिक प्लांट लगे और मीलों तक पाइप लाइनें बिछीं। सड़कों के जाल के कारण गाँव भी उजड़ने लगे। रोज़गार की तलाश में ग्रामीणों ने शहरों की ओर मुँह किया। कोई चंबल की घाटियों में डाकुओं के गिरोह में शामिल होकर पुलिस की गोली का शिकार बन गया। नगरों में आकर ये ग्रामीण युवक अपना स्वास्थ्य खो बैठे। कोई रिक्शा चलाता है, कोई पत्थर ढोता है और कोई छोटी-मोटी मजदूरी करके अपनी आजीविका चलाता है। अब संपूर्ण मध्य प्रदेश में वर्षा बहुत कम होती है, नदियाँ गर्मी आने से पहले ही सूख जाती हैं और नगर के लोग सरकार पर दोष मड़ते रहते हैं। कोई नहीं सोचता कि जंगलों को काटने के दुष्परिणाम तो उन्हें भोगने ही पड़ेंगे।

यह स्थिति केवल मध्य प्रदेश की ही नहीं, पूरे भारत तथा एशिया के अधिकांश देशों की है। पहले हरियाणा तथा पंजाब पूरे भारत को अनाज देने में सक्षम थे। लेकिन यहाँ पर भी अब पानी की किल्लत महसूस की जा रही है। अनाज और दूध का उत्पादन घट गया है। जंगलों की कटाई यहाँ पर भी अधिक मात्रा में हुई है। जनसंख्या वृद्धि की ओर कोई सरकार ध्यान नहीं देना चाहती। राजनीतिक पार्टियाँ केवल वोट बैंक पर नज़र गड़ाये रहती हैं। अब तो जंगलों के साथ-साथ कृषि उपयोगी भूमि का भी सफाया होने लगा है। समाज के सुविधाभोगी लोग नगर से बाहर भव्य कालोनियों का विकास करने में लगे हुए हैं। कोई नहीं सोचता कि जंगलों की यह अंधाधुंध कटाई पूरी मानव जाति को निगल जाएगी।

HBSE 12th Class Hindi विशेष लेखन-स्वरूप और प्रकार

जंगलों की कटाई संपूर्ण मानव जाति के लिए हानिकारक है। जंगलों के स्थान पर जो उद्योग स्थापित किए जा रहे हैं, उससे कार्बन-डाइआक्साइड जैसी विषैली गैस वातावरण को दूषित कर रही है। उद्योगों से निकलने वाला गंदा पानी जल तथा भूमि प्रदूषण को बढ़ावा दे रहा है। ऑक्सीजन की मात्रा घटती जा रही है। इसी प्रकार पृथ्वी के चारों ओर ओज़ोन की परत में भी छेद हो चुके हैं, परंतु हम यह भूल चुके हैं कि ऑक्सीजन ही हमारे लिए प्राण वायु है और यह घने जंगलों से ही उत्पन्न होती है। जंगलों के वृक्ष जहरीली गैसों को सोख लेते हैं और उन्हें ऑक्सीजन में परिवर्तित कर देते हैं। घने जंगलों के कारण ही भरपूर वर्षा होती है और नदियों का पानी कभी नहीं सूखता। जंगलों के कुछ अदृश्य लाभ भी हैं। यही विभिन्न प्रकार की ऊर्जा उत्पन्न करते हैं, जंगली जानवरों को भोजन देते हैं और पृथ्वी को शोभायमान बनाते हैं। आज जिस पेट्रोल, रसोई गैस, कोयले को हम प्राप्त कर रहे हैं वे सब जंगलों की ही देन है।

जंगलों की कटाई प्राणियों के अस्तित्व के लिए खतरा है। यदि और जंगल कटने लगे तो हमारा संपूर्ण पर्यावरण अस्त-व्यस्त हो जाएगा। वायु का तापमान बढ़ जाएगा और ग्लेशियर पिघल जाएँगे। फलस्वरूप नदियों में बाढ़ आ जाएगी और सागर का जल स्तर बढ़ जाएगा, जिससे पृथ्वी का एक बहुत बड़ा भू-भाग पानी की गोद में समा जाएगा। समय रहते हमें अधिकाधिक जंगल लगाने चाहिए और अपनी तथा भावी पीढ़ी की रक्षा करनी चाहिए। हम इस बात का ध्यान रखें कि जंगल ही मानव जाति को सुखद जीवन दे सकते हैं।

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