Haryana State Board HBSE 11th Class Physical Education Solutions Chapter 6 विभिन्न शारीरिक संस्थान तथा उन पर व्यायामों के प्रभाव Textbook Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 11th Class Physical Education Solutions Chapter 6 विभिन्न शारीरिक संस्थान तथा उन पर व्यायामों के प्रभाव
HBSE 11th Class Physical Education विभिन्न शारीरिक संस्थान तथा उन पर व्यायामों के प्रभाव Textbook Questions and Answers
दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न (LongAnswer Type Questions)
प्रश्न 1.
विभिन्न शारीरिक संस्थानों या प्रणालियों का संक्षिप्त वर्णन करें।
अथवा
मानवीय शरीर में कौन-कौन-से संस्थान होते हैं? संक्षेप में वर्णन करें।
उत्तर:
मानवीय शरीर में निम्नलिखित संस्थान होते हैं
1. अस्थिपिंजर/कंकाल संस्थान (Skeleton System):
मानवीय शरीर में छोटी, बड़ी, पतली, लंबी, चपटी व आकारहीन आदि अनेक तरह की 206 हड्डियाँ होती हैं जो मिलकर एक पिंजर का निर्माण करती हैं। इस पिंजर की भिन्न-भिन्न हड्डियाँ मिलकर जब शरीर के लिए विभिन्न कार्य करती हैं तो हम इनको अस्थिपिंजर या कंकाल संस्थान कहते हैं। यह शरीर के अंदर कोमल अंगों को सुरक्षित रखता है। यह शरीर में लीवर का काम करता है और अस्थियों के साथ माँसपेशियों को जुड़ने के लिए स्थान बनाता है।
2. माँसपेशी संस्थान (Muscular System):
माँसपेशी संस्थान एक मशीन की तरह है जो रासायनिक ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित कर देता है। यह संस्थान लगभग 639 माँसपेशियों से बना है। यदि हमारे शरीर की ऊपरी त्वचा को उधेड़कर देखा जाए तो उसके नीचे हमें लाल रंग के माँस के लोथड़े या धागे (Fibres) दिखाई देंगे। इनको ही हम माँसपेशियाँ (Muscles) कहते हैं। ये माँसपेशियाँ अनेक छोटी-छोटी जीवित कोशिकाओं (Cells) से बनी होती हैं। ये हड्डियों, कार्टिलेज और लिगामेंट्स त्वचा से जुड़ी होती हैं। इनके सिकुड़ने व फैलने से शरीर में गति पैदा होती है, जिससे शरीर के भिन्न-भिन्न अंग कार्य करते हैं।
3. रक्त-प्रवाह संस्थान (Circulatory System):
रक्त-प्रवाह या परिसंचरण संस्थान ऐसे अंगों का वह समूह है जो शरीर की कोशिकाओं के बीच रक्त के माध्यम से पोषक तत्त्वों का प्रवाह करता है। इससे रोगों से शरीर की रक्षा होती है तथा शरीर का ताप स्थिर व नियंत्रित बना रहता है। इस संस्थान का मुख्य कार्य शरीर के प्रत्येक अंग या भाग में रक्त को पहुँचाना है जिससे शरीर को पोषण एवं ऑक्सीजन (O,) प्राप्त हो सके। इस संस्थान का केंद्र हृदय है जो रक्त का निरंतर प्रवाह करता रहता है और धमनियाँ वे रक्त वाहिनियाँ हैं जिनमें से होकर रक्त शरीर के अंगों या भागों में पहुँचता है तथा केशिकाओं द्वारा वितरित होता है। अतः रक्त-प्रवाह में सहायक विभिन्न अंगों के समूह को रक्त-प्रवाह संस्थान कहा जाता है।
4. श्वसन संस्थान (Respiratory System):
ऑक्सीजन हमारे शरीर के लिए बहुत आवश्यक होती है। इसके बिना हमारा जीवन संभव नहीं है। जब हम साँस लेते हैं तो ऑक्सीजन हमारे शरीर में प्रवेश करती है और जब साँस छोड़ते हैं तो दूषित वायु अर्थात् कार्बन-डाइऑक्साइड शरीर से बाहर निकलती है। साँस लेने की क्रिया को हम श्वास अंदर खींचने की क्रिया (Inhalation) और साँस बाहर छोड़ने की किया (Exhalation) को श्वास छोड़ने की क्रिया कहते हैं । अतः साँस अंदर लेने और बाहर छोड़ने की क्रिया को श्वसन प्रक्रिया कहते हैं। इस प्रक्रिया में सहायक अंगों के समूह को श्वसन संस्थान कहते हैं। इस संस्थान के द्वारा हमारे शरीर में गैसों का आदान-प्रदान होता है।
5. नाड़ी या तंत्रिका संस्थान (Nervous System):
तंत्रिका या स्नायु संस्थान हमारे शरीर का वह संस्थान है जिसके द्वारा हमारा संपूर्ण शरीर नियंत्रित रहता है। इसके अंतर्गत हमारे संपूर्ण शरीर में महीन धागे के समान तंत्रिकाएँ फैली रहती हैं, जो शरीर के विभिन्न भागों के बीच कार्यात्मक समन्वय स्थापित करती हैं।
6. उत्सर्जन संस्थान (Excretory System):
शरीर की कोशिकाओं में, उपापचय के फलस्वरूप कार्बन-डाइऑक्साइड, अमोनिया, यूरिया, यूरिक अम्ल, लवण आदि कई ऐसे अपशिष्ट पदार्थ बनते रहते हैं जो हमारे शरीर के लिए हानिकारक होते हैं। उत्सर्जन संस्थान एक ऐसा संस्थान है जो इन अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने में सहायक होता है। वे अंग जो विशेष रूप से उत्सर्जन प्रक्रिया में सहायक होते हैं, उन्हें इस संस्थान का एक हिस्सा माना जाता है।
7. पाचन संस्थान (Digestive System):
पाचन प्रक्रिया वह रासायनिक प्रक्रिया है जिसमें जीव एंजाइम की सहायता से भोजन के बड़े अवयवों; जैसे प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट्स को सरल अवयवों; जैसे प्रोटीन को अमीनो अम्ल में एवं कार्बोहाइड्रेट्स को ग्लूकोज में परिवर्तित कर शरीर के अवशोषण के योग्य बना देते हैं। इस प्रक्रिया के फलस्वरूप भोजन पचता है और हमारे शरीर को ऊर्जा व शक्ति मिलती है। अत: पाचन संस्थान हमारे शरीर का ऐसा संस्थान है जिसके माध्यम से विभिन्न प्रकार के भोजन के अवयव तरल पदार्थ के रूप में परिवर्तित हो जाते हैं और वे रक्त का हिस्सा बनकर हमारे शरीर को ऊर्जा व शक्ति प्रदान करते हैं।
प्रश्न 2.
माँसपेशी संस्थान से आपका क्या अभिप्राय है? इसके प्रकारों व कार्यों का वर्णन कीजिए। माँसपेशियाँ कितने प्रकार की होती हैं? इनके कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर:
माँसपेशी संस्थान का अर्थ (Meaning of Muscular System):
माँसपेशी संस्थान एक मशीन की तरह है जो रासायनिक ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में परिवर्तित कर देता है। यह संस्थान लगभग 639 माँसपेशियों से बना है। यदि हमारे शरीर की ऊपरी त्वचा को उधेड़कर देखा जाए तो उसके नीचे हमें लाल रंग के माँस के लोथड़े या धागे (Fibres) दिखाई देंगे। इनको ही हम माँसपेशियाँ कहते हैं। ये माँसपेशियाँ अनेक छोटी-छोटी जीवित कोशिकाओं (Cells) से बनी होती हैं। इनके सिकुड़ने व फैलने से शरीर में गति पैदा होती है, जिससे शरीर के भिन्न-भिन्न अंग कार्य करते हैं।
माँसपेशियों के प्रकार (Types of Muscles): माँसपेशियाँ निम्नलिखित तीन प्रकार की होती हैं
1. ऐच्छिक माँसपेशियाँ (Voluntary Muscles):
ऐच्छिक माँसपेशियों को धारीदार माँसपेशियाँ व आज्ञाकारी माँसपेशियाँ भी कहते हैं । जो माँसपेशियाँ मनुष्य की इच्छानुसार कार्य करती हैं, उन्हें ऐच्छिक माँसपेशियाँ कहते हैं। इनका संबंध मस्तिष्क से होता है। इन माँसपेशियों पर हमारी इच्छा का पूरा नियंत्रण रहता है। ये हमारे आदेश के बिना कोई कार्य नहीं करतीं। इन माँसपेशियों में धारियाँ होती हैं।
2. अनैच्छिक माँसपेशियाँ (Involuntary Muscles):
अनैच्छिक माँसपेशियों को गैर-धारीदार व सपाट माँसपेशियाँ भी कहते हैं । जो माँसपेशियाँ हमारी इच्छा के अनुसार कार्य न करके स्वचालित रूप से कार्य करें, उन्हें अनैच्छिक माँसपेशियाँ कहते हैं। ये माँसपेशियाँ हमारी इच्छा के नियंत्रण में नहीं रहतीं। ये स्वतंत्र रूप से अपना कार्य करती हैं।
3. हृदयक माँसपेशियाँ (Cardiac Muscles):
हृदयक माँसपेशियाँ हमारे हृदय में होती हैं। इन माँसपेशियों में ऐच्छिक व अनैच्छिक माँसपेशियों का मिश्रण होता है। इनमें भी ऐच्छिक माँसपेशियों की तरह ही धारियाँ होती हैं। ये माँसपेशियाँ अनैच्छिक माँसपेशियों की तरह पूर्ण रूप से स्वतंत्र होती हैं और अपनी इच्छानुसार कार्य करती हैं। इनमें अनैच्छिक माँसपेशियों के गुण ऐच्छिक माँसपेशियों के गुणों की तुलना में अधिक होते हैं।
माँसपेशी संस्थान के कार्य (Functions of Muscular System): माँसपेशी संस्थान के अंतर्गत हमारे शरीर की विभिन्न प्रकार की माँसपेशियाँ निम्नलिखित कार्य करती हैं
- माँसपेशियाँ शरीर के विभिन्न अंगों को गति प्रदान करती हैं अर्थात् इनके कारण शरीर के विभिन्न अंग क्रिया करते हैं।
- माँसपेशियाँ शरीर के व्यर्थ पदार्थों को बाहर निकालने का कार्य करती हैं।
- सपेशियाँ हमारे शरीर में उत्तोलक (Lever) की तरह कार्य करती हैं।
- माँसपेशियाँ हमारे जीवन के विभिन्न अंगों में संतुलन बनाए रखती हैं।
- माँसपेशियों द्वारा हमें खाने, पीने, श्वास लेने और बोलने आदि’ की क्रियाओं में सहायता मिलती है।
- वास्तव में माँसपेशियों के बिना शरीर का कोई अंग क्रिया नहीं कर सकता, क्योंकि हमारे शरीर की हड्डियाँ इनसे जुड़ी होती हैं।
- माँसपेशियाँ रक्त द्वारा लिए गए पदार्थ का भोजन के रूप में प्रयोग करती हैं।
- बड़ी माँसपेशियाँ हड्डियों को सुरक्षा प्रदान करती हैं।
- ये हृदय की पम्पिंग क्रिया में सहायक होती हैं।
- ये शरीर को आकृति भी प्रदान करती हैं।
प्रश्न 3.
माँसपेशी संस्थान या माँसपेशियों पर व्यायाम के पड़ने वाले प्रभावों का वर्णन करें।
उत्तर:
माँसपेशी संस्थान या माँसपेशियों पर व्यायाम के निम्नलिखित प्रभाव पड़ते हैं
- व्यायाम करने से माँसपेशियाँ फैलती हैं, जिनके कारण उनमें लचक आ जाती है।
- व्यायाम करने से माँसपेशियाँ मोटी, ठोस और लंबी हो जाती हैं।
- व्यायाम करने से शरीर की कोशिकाओं में वृद्धि होती है। कोशिकाएँ बढ़ने से शरीर आरोग्य, तंदुरुस्त और माँसपेशियों को रक्त अधिक मात्रा में मिलता है।
- व्यायाम से माँसपेशियाँ सशक्त बनती हैं और इसका सीधा प्रभाव श्वास क्रिया पर पड़ता है।
- व्यायाम माँसपेशियों की शक्ति व कार्यक्षमता में वृद्धि करते हैं।
- व्यायाम से भिन्न-भिन्न माँसपेशियों में तालमेल बढ़ता है। अगर माँसपेशियों का तालमेल ठीक न हो तो प्रत्येक कार्य करना असंभव हो जाता है।
- व्यायाम से हृदयक माँसपेशियाँ मजबूत बनती हैं। इनकी मजबूती से रक्त सारे शरीर में उचित मात्रा में पहुँचता है।
- व्यायाम माँसपेशियों के आकार में वृद्धि करते हैं।
- व्यायाम से माँसपेशियों की प्रतिक्रिया में बढ़ोतरी होती है।
- व्यायाम से जहाँ माँसपेशियों को ताकत मिलती है, वहीं जोड़ भी मजबूत होते हैं। जोड़ों से जुड़े लिगामेंट्स (तंतु) मजबूत होते हैं। कठिन परिश्रम के लिए माँसपेशियों और जोड़ों का मजबूत होना बहुत आवश्यक है।
- व्यायाम करने से माँसपेशियाँ मजबूत बनती हैं। मजबूत माँसपेशियाँ शरीर की हड्डियों की रक्षा करती हैं। ये उनके लिए कवच का कार्य करती हैं। मजबूत माँसपेशियाँ हड्डियों से जुड़कर व्यक्ति का आसन (Posture) ठीक रखती हैं।
- नियमित व्यायाम करने से माँसपेशियों का रंग बदल जाता है, क्योंकि नई केशिकाओं का निर्माण होने लगता है जिसके परिणामस्वरूप रक्त-संचार की कार्यक्षमता अच्छी हो जाती है।
- नियमित व्यायाम करने से माँसपेशियों की अतिरिक्त वसा नियंत्रित रहती है, जिस कारण शरीर का मोटापा नियंत्रित रहता है।
- नियमित व्यायाम करने से माँसपेशियों की गति में सुधार होता है।
- नियमित व्यायाम करने से माँसपेशियों की शक्ति बढ़ती है जिसके कारण आसन संबंधी विकृतियाँ दूर होती हैं।
प्रश्न 4.
रक्त-प्रवाह संस्थान के अंगों पर व्यायामों के क्या-क्या प्रभाव पड़ते हैं? वर्णन करें।
अथवा
रक्त-परिसंचरण संस्थान से आपका क्या अभिप्राय है? इस पर व्यायाम के पड़ने वाले प्रभावों का वर्णन करें।
उत्तर:
रक्त-प्रवाह या रक्त-परिसंचरण संस्थान का अर्थ (Meaning of Circulatory System): रक्त-प्रवाह या परिसंचरण संस्थान ऐसे अंगों का वह समूह है जो शरीर की कोशिकाओं के बीच रक्त के माध्यम से पोषक तत्त्वों का प्रवाह करता है। इससे रोगों से शरीर की रक्षा होती है तथा शरीर का ताप स्थिर व नियंत्रित बना रहता है। इस संस्थान का मुख्य कार्य शरीर के प्रत्येक अंग या भाग में रक्त को पहुँचाना है जिससे शरीर को पोषण एवं ऑक्सीजन प्राप्त हो सके। इस संस्थान का केंद्र हृदय है जो शरीर में रक्त का निरंतर प्रवाह करता रहता है और धमनियाँ वे रक्त वाहिनियाँ हैं जिनमें से होकर रक्त शरीर के अंगों या भागों में पहुँचता है तथा केशिकाओं द्वारा वितरित होता है। अतः रक्त-प्रवाह में सहायक विभिन्न अंगों के समूह को रक्त-प्रवाह संस्थान कहा जाता है।
रक्त-प्रवाह संस्थान के अंग (Organs of Circulatory System): रक्त-प्रवाह संस्थान में निम्नलिखित अंग हैं
- हृदय (Heart),
- धमनियाँ (Arteries),
- शिराएँ (Veins),
- केशिकाएँ (Capillaries)।
रक्त-प्रवाह संस्थान पर व्यायाम के प्रभाव (Effects of Exercises on Circulatory System): रक्त-प्रवाह संस्थान पर व्यायाम के निम्नलिखित प्रभाव पड़ते हैं
- व्यायाम करने से हृदय की माँसपेशियाँ अधिक कार्य करती हैं, जिसके कारण ये शक्तिशाली और मजबूत हो जाती हैं।
- व्यायाम करने से रक्त का शरीर के प्रत्येक भागों में पर्याप्त मात्रा में प्रवाह होता है। इससे शरीर का तापमान नियंत्रित एवं स्थिर रहता है।
- व्यायाम करने से हृदय का आकार बढ़ जाता है जिससे हृदय में रक्त की मात्रा बढ़ जाती है।
- रक्त हमारे जीवन का आधार है। व्यायाम करने से रक्त अधिक बनता है। व्यायाम करने से रक्त के बीच वाले सफेद कण उचित मात्रा में रहते हैं।
- व्यायाम करने से धमनियों और शिराओं की दीवारें मजबूत और शक्तिशाली बन जाती हैं।
- व्यायाम करने से रक्त-वाहिनियों में वृद्धि होती है जिससे शरीर के बीच वाले मल पदार्थ मल त्याग अंगों द्वारा बाहर निकल जाते हैं।
- व्यायाम करने से रक्त का प्रवाह शरीर के सभी अंगों में बढ़ जाता है जिसके कारण भोजन और ऑक्सीजन का प्रवाह भी शरीर को अधिक मात्रा में मिलना शुरू हो जाता है।
- व्यायाम करने से रक्त तेजी से प्रवाह करता है जिसके कारण रक्तचाप और नाड़ियों की बीमारियों से बचा जा सकता है।
- व्यायाम करने से हृदय में रक्त का दबाव और सिकुड़न क्रिया में बढ़ोतरी होती है। इससे रक्त की गति तेज हो जाती है।
- व्यायाम करते समय शरीर ऑक्सीजन की अधिक मात्रा की आवश्यकता अनुभव करता है जिसके परिणामस्वरूप कार्बन-डाइऑक्साइड की मात्रा शरीर में से अधिक निकलती है और ऑक्सीजन तेजी से शरीर में प्रवेश करती है।
- व्यायाम रक्त-संचार संस्थान की कार्यक्षमता में वृद्धि करते हैं।
- व्यायाम करने से केशिकाओं की संख्या तथा उनकी कार्यक्षमता में वृद्धि होती है और इससे असक्रिय केशिकाएँ पुनः सक्रिय हो जाती हैं।
- नियमित व्यायाम करने से हम अपने शरीर को नीरोग रख सकते हैं। व्यायाम करने से हृदय एवं उच्च रक्तचाप संबंधी बीमारियाँ दूर हो जाती हैं।
- नियमित व्यायाम करने से धमनियों में लचकता बढ़ती है।
प्रश्न 5.
श्वसन संस्थान के बारे में आप क्या जानते हैं? इस पर व्यायामों का क्या प्रभाव पड़ता है?
अथवा
श्वसन संस्थान के अंग बताते हुए इन पर व्यायाम के पड़ने वाले प्रभावों का वर्णन करें।
उत्तर:
श्वसन संस्थान का अर्थ (Meaning of Respiratory System):
ऑक्सीजन हमारे शरीर के लिए बहुत आवश्यक होती है। इसके बिना हमारा जीवन संभव नहीं है। जब हम साँस लेते हैं तो ऑक्सीजन हमारे शरीर में प्रवेश करती है और जब साँस छोड़ते हैं तो दूषित वायु अर्थात् कार्बन-डाइऑक्साइड शरीर से बाहर निकलती है। साँस लेने की क्रिया को हम श्वास अंदर खींचने की क्रिया (Inhalation) और साँस बाहर छोड़ने की क्रिया को श्वास छोड़ने की क्रिया (Exhalation) कहते हैं। अतः साँस अंदर लेने और बाहर छोड़ने की क्रिया को श्वसन प्रक्रिया कहते हैं । इस प्रक्रिया में सहायक अंगों के समूह को श्वसन संस्थान कहते हैं। इस संस्थान के द्वारा हमारे शरीर में गैसों का आदान-प्रदान होता है।
श्वसन संस्थान के अंग (Organs of Respiratory System): श्वसन संस्थान में विभिन्न अंग अपना महत्त्वपूर्ण कार्य करते हैं। इनका विवरण निम्नलिखित है
- नाक (Nose),
- स्वर यंत्र/कण्ठ (Larynx),
- ग्रसनिका (Pharynx),
- वायु-नलियाँ या श्वसनियाँ (Bronchi),
- श्वासनली (Trachea),
- फेफड़े (Lungs)।
श्वसन संस्थान पर व्यायाम के प्रभाव (Effects of Exercises on Respiratory System): श्वसन संस्थान पर व्यायाम के निम्नलिखित प्रभाव पड़ते हैं
- व्यायाम करने से फेफड़ों को अधिक कार्य करना पड़ता है। इससे फेफड़ों की कार्य करने की क्षमता बढ़ जाती है।
- व्यायाम करने से फेफड़े अपने अंदर ऑक्सीजन अधिक खींचकर लंबे समय तक अपने अंदर ऑक्सीजन की मात्रा रख सकते हैं।
- व्यायाम करने से शरीर से दूषित वायु अर्थात् कार्बन-डाइऑक्साइड बाहर निकलती है और उसके स्थान पर ऑक्सीजन अधिक मात्रा में अंदर जाती है।
- व्यायाम करने से फेफड़ों में वायु का आदान-प्रदान तेजी से होता है।
- व्यायाम करने से छाती के फैलाव में वृद्धि होती है।
- व्यायाम करने से शरीर की श्वसन संस्थान की शक्ति में वृद्धि होती है।
- नियमित व्यायाम करने से व्यक्ति की इच्छा-शक्ति में वृद्धि होती है।
- नियमित व्यायाम करने से व्यक्ति की श्वसन क्रिया की दर सामान्य रहती है।
- नियमित व्यायाम करने से व्यक्ति की सहनशीलता में वृद्धि होती है। वह कोई भी कार्य बिना किसी कठिनाई के लम्बे समय तक करने में समर्थ हो जाता है।
- नियमित रूप से व्यायाम करने से श्वसन संस्थान संबंधी बीमारियाँ दूर हो जाती हैं, क्योंकि व्यायाम करने से श्वसन संस्थान के अंगों की कार्यक्षमता सुचारू रूप से चलती है।
प्रश्न 6.
तंत्रिका या नाड़ी संस्थान के बारे में बताएँ। इस पर व्यायामों के पड़ने वाले प्रभावों का वर्णन करें।
अथवा
तंत्रिका या स्नायु संस्थान कितने भागों में विभाजित होता है? इस पर व्यायामों के पड़ने वाले प्रभावों का वर्णन करें।
उत्तर:
तंत्रिका या स्नायु संस्थान का अर्थ (Meaning of Nervous System):
तंत्रिका संस्थान हमारे शरीर का वह संस्थान है जिसके द्वारा हमारा संपूर्ण शरीर नियंत्रित रहता है। इसके अंतर्गत हमारे संपूर्ण शरीर में महीन धागे के समान तंत्रिकाएँ फैली रहती हैं, जो शरीर के विभिन्न भागों के बीच कार्यात्मक समन्वय स्थापित करती हैं।
तंत्रिका या स्नायु संस्थान के भाग (Organs of Nervous System): तंत्रिका तंत्र तीन भागों में विभाजित होता है
(क) केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (Central Nervous System): यह तंत्रिका तंत्र का वह भाग होता है जो हमारे सारे शरीर तथा स्वयं तंत्रिका तंत्र पर नियंत्रण रखता है। यह दो भागों या अंगों से मिलकर बना होता है-मस्तिष्क और मेरुरज्जु।
1. मस्तिष्क (Brain):
मानव मस्तिष्क का वजन लगभग 1400 ग्राम होता है। यह पूरे शरीर का समन्वय केंद्र है। मस्तिष्क कपाल में सुरक्षित रहता है। यह तीन झिल्लियों से ढका हुआ होता है। इन झिल्लियों के बीच में ऐसा द्रव पदार्थ भरा रहता है जो
प्रमस्तिष्क: खोपड़ी मस्तिष्क को आघात से बचाता है। हमारे मस्तिष्क के तीन भाग होते हैं:
(i) अग्र-मस्तिष्क,
(ii) मध्य-मस्तिष्क,
(iii) पश्च-मस्तिष्क।
(i) अग्र-मस्तिष्क (Fore Brain):
अग्र-मस्तिष्क में -मध्य-मस्तिष्क प्रमस्तिष्क तथा घ्राण पिंड होते हैं। प्रमस्तिष्क बहुत ही जटिल तथा विशिष्ट भाग होता है। यह दो अर्ध गोलाकार भागों से मिलकर बनता है। प्रमस्तिष्क बुद्धिमता, संवेदना तथा स्मरण शक्ति का केंद्र है। संवेदी अंग; जैसे आँखें, कान, त्वचा, जिह्वा आदि उससे प्रत्यक्ष रूप पीयूष ग्रंथि से जुड़े होते हैं। ऐच्छिक गतिविधियों का केंद्र होने के कारण यह नफरत, ईर्ष्या या द्वेष, प्यार तथा सहानुभूति का भी केंद्र है। चीजों को याद रखना व संचित करना मस्तिष्क के इसी भाग के कार्य हैं।
(ii) मध्य-मस्तिष्क (Mid Brain):
यह मस्तिष्क के अग्र और पार्श्व भागों को मिलाता है। यह आँख की पलकें, आयरिस के प्रतिवर्त क्रियाओं को नियंत्रित करता है और कान से संवेदना की सूचना प्रमस्तिष्क तक पहुँचाता है।
(iii) पश्च-मस्तिष्क (Hind Brain):
पश्च-मस्तिष्क अनु-मस्तिष्क, पॉन्स और मेडुला ऑब्लांगेटा (Medulla Oblongata) आदि भागों से बना होता है। यह उपापचय, रक्तदाब, हृदय की धड़कनों को नियंत्रित करता है। यह शरीर को संतुलित बनाए रखता है।
2. मेरुरज्जु या सुषुम्ना नाड़ी (Spinal Cord):
वयस्क मानव में सुषुम्ना नाड़ी लगभग 42 से 45 सें०मी० लंबी तथा 2 सें०मी० मोटी होती है। यह लगभग बेलनाकार किन्तु अधर व पृष्ठ तलों पर कुछ चपटी-सी होती है। यह मेडुला ऑब्लांगेटा से शुरू होकर नीचे की ओर जाती है। इसकी मोटी दीवार दो स्तरों में विभाजित होती है-बाहर की ओर श्वेत द्रव्य तथा भीतर की ओर धूसर द्रव्य। मेरुरज्जु का श्वासनली से सीधा संबंध होता है। अतः इसके आंतरिक भाग में खराबी से श्वास आना बंद हो जाने से मृत्यु की संभावना बन जाती है।
(ख) परिधीय तंत्रिका तंत्र (Peripheral Nervous System):
परिधीय तंत्रिका तंत्र में शाखान्वित तंत्रिकाएँ आती हैं जिनका हमारे शरीर में जाल-सा फैला होता है। ये केंद्रीय तंत्रिका तंत्र अर्थात् मस्तिष्क व मेरुरज्जु को शरीर के विभिन्न भागों में स्थित संवेदांगों एवं संपादी या अपवाहक अंगों व ऊतकों से जोड़कर शरीर में एक विस्तृत संचार प्रणाली स्थापित करती हैं। .
(ग) स्वायत्त तंत्रिका तंत्र (Autonomic Nervous System):
तंत्रिका तंत्र के उस भाग को जो शरीर के भीतरी भागों या अंगों; जैसे हृदय, छोटी-बड़ी आंत, वृक्क, मूत्राशय व रक्त वाहिनियों आदि को स्वतःचालित और नियंत्रित करता है, उसे स्वायत्त तंत्रिका तंत्र कहते हैं। इसके दो भाग होते हैं-अनुकम्पी तंत्रिका तंत्र और परानुकम्पी तंत्रिका तंत्र।
1. अनुकम्पी तंत्रिका तंत्र (Symphathetic Nervous System):
इससे तंत्रिका की शाखाएँ निकलकर अपने-अपने अंगों के भीतरी भाग में प्रवेश करती हैं और उनकी क्रियाओं का संचालन करती हैं। अनुकम्पी तंत्रिका तंत्र त्वचा में उपस्थित रक्त वाहिनियों को संकीर्ण करता है। यह हृदय स्पंदन व श्वसन दर को तीव्र करता है। यह रक्त का थक्का बनाने में सहायक होता है।
2. परानुकम्पी तंत्रिका तंत्र (Parasymphathetic Nervous System):
परानुकम्पी तंतु मस्तिष्क व मेरुरज्जु से निकलकर गुच्छिकाओं में प्रवेश करती है और इन गुच्छिकाओं से तंत्रिका तंतु निकलकर शरीर के भीतरी अंगों में फैल जाती है। इस यंत्र का कार्य सामान्यतया अनुकम्पी तंत्रिका तंत्र के कार्य के विपरीत है।
नाड़ी या स्नायु संस्थान पर व्यायाम के प्रभाव (Effects of Exercises on Nervous System): तंत्रिका या नाड़ी संस्थान पर व्यायाम के पड़ने वाले प्रभाव निम्नलिखित हैं
- प्रतिदिन व्यायाम करने से नाड़ी-माँसपेशियों का तालमेल ठीक हो जाता है।
- व्यायाम करने से नाड़ियों को संदेश और आज्ञा जल्दी-जल्दी मिलने लगते हैं।
- व्यायाम से हमारे कुछ कार्य प्रतिवर्त हो जाते हैं अर्थात् प्रतिवर्त क्रियाओं की संख्या बढ़ जाती है, जो हमारे शरीर की सुरक्षा के लिए ठीक होती हैं। इससे ताकत भी कम खर्च होती है।
- व्यायाम से नाड़ी नियंत्रण अधिक होने के कारण माँसपेशियों की सिकुड़ने की शक्ति अधिक होती है, जिसके कारण ऊर्जा
की बचत हो जाती है। - व्यायाम करते समय यह संस्थान और इसके भाग अधिक प्रयोग में आते हैं, जिसके कारण इनके दोष दूर होते हैं और इनकी थकावट कम होती है।
- व्यायाम करने से इस संस्थान की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है। इसमें शक्ति एवं ऊर्जा का संचार होता है।
प्रश्न 7.
पाचन संस्थान क्या है? पाचन संस्थान को व्यायाम किस प्रकार से प्रभावित करते हैं? अथवा पाचन प्रक्रिया में सहायक अंग बताते हुए इन पर व्यायामों के प्रभावों का वर्णन करें।
उत्तर:
पाचन संस्थान का अर्थ (Meaning of Digestive System):
पाचन प्रक्रिया वह रासायनिक प्रक्रिया है जिसमें जीव एंजाइम की सहायता से भोजन के बड़े अवयवों; जैसे प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट्स को सरल अवयवों; जैसे प्रोटीन को अमीनो अम्ल में, कार्बोहाइड्रेट्स को ग्लूकोज में परिवर्तित कर शरीर के अवशोषण के योग्य बना देते हैं। इस प्रक्रिया के फलस्वरूप भोजन पचता है और हमारे शरीर को ऊर्जा व शक्ति मिलती है। अतः पाचन संस्थान हमारे शरीर का ऐसा संस्थान है जिसके माध्यम से विभिन्न प्रकार के भोजन के अवयव तरल पदार्थ के रूप में परिवर्तित हो जाते हैं और वे रक्त का हिस्सा बनकर हमारे शरीर को ऊर्जा व शक्ति प्रदान करते हैं।
पाचन संस्थान के अंग (Organs of Digestive System): पाचन संस्थान के अंग निम्नलिखित हैं
- मुँह या मुख (Mouth),
- आहार-नली या भोजन-नली (Gullet),
- आमाशय (Stomach),
- पक्वाशय (Duodenum),
- यकृत या जिगर (Liver),
- छोटी आंत (Small Intestine),
- बड़ी आंत (Large Intestine),
- मलाशय या गुदा (Retum and Anus)।
पाचन संस्थान पर व्यायामों के प्रभाव (Effects of Exercises on Digestive System): पाचन संस्थान पर व्यायामों के निम्नलिखित प्रभाव पड़ते हैं
- भोजन के उपरांत कई बार आंतों में अपचय खाना रह जाता है, जिसके कारण गैस तथा कई प्रकार की बीमारियाँ पैदा हो जाती हैं। नियमित व्यायाम पाचन क्रिया को ठीक रखता है और कब्ज होने से बचाता है।
- लार गिल्टियाँ खाए हुए भोजन को पचाने में सहायता करती हैं। व्यायाम से लार गिल्टियों की कार्यक्षमता में बढ़ोतरी होती है।
- व्यायाम करने से आंतें, गुदा, तिल्ली और यकृत स्वस्थ रहते हैं, जिसके कारण ये अपना कार्य सुचारू रूप से करते रहते हैं।
- नियमित व्यायाम करने से दैनिक आहार एवं खुराक का भरपूर प्रयोग होता है जिससे मोटापा नियंत्रित रहता है।
- व्यायाम केवल भूख ही नहीं बढ़ाता, बल्कि स्वास्थ्य और इसके सभी पक्षों में बढ़ोतरी भी करता है।
- नियमित व्यायाम करने से भी असाध्य रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है।
- व्यायाम हमारी बड़ी आंत की मालिश करने में सहायक होता है, जिसके कारण इसकी कार्य करने की क्षमता बढ़ जाती है।
- व्यायाम करने से पेट संबंधी दोषों को दूर करने में सहायता मिलती है।
- व्यायाम पाचन संस्थान और इसके अंगों की कार्यक्षमता में वृद्धि करता है।
- नियमित रूप से व्यायाम करने से प्रतिरोधक शक्ति में वृद्धि होती है जो हमारे शरीर को बीमारियों से बचाती है।
- व्यायाम करने से शरीर के लिए आवश्यक तत्त्वों; जैसे ग्रंथियों में वृद्धि होती है। ग्रंथियाँ पाचन क्रिया को ठीक रखने में सहायक होती हैं।
प्रश्न 8.
व्यायाम से आप क्या समझते हैं? व्यायाम करने से होने वाले लाभों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
व्यायाम का अर्थ (Meaning of Exercise):
कुछ विशेष तथा तेज शारीरिक क्रियाएँ जो मनुष्य अपनी इच्छानुसार करता है, व्यायाम कहलाता है। जिस प्रकार भोजन, जल और वायु जीवन के लिए आवश्यक हैं उसी प्रकार व्यायाम भी शरीर के लिए बहुत आवश्यक है। व्यायाम न करने से शरीर आलसी एवं रोगी हो जाता है, जबकि व्यायाम करने से शरीर चुस्त, फुर्तीला व सक्रिय बनता है। व्यायाम करने से शरीर नीरोग रहता है।
व्यायाम करने के लाभ (Advantages of doing Exercise)-एस०मिसेल कार्टराइट (S. Michael Cortwright) के अनुसार, “व्यायाम आपके मन, शरीर और आत्मा के लिए अच्छा है।” इसलिए हमें नियमित रूप से व्यायाम करने चाहिएँ, क्योंकि व्यायाम करने से हमारा शरीर और मन स्वस्थ एवं शांत रहता है। संक्षेप में, व्यायाम करने से होने वाले लाभ निम्नलिखित हैं
- व्यायाम करने से शरीर की माँसपेशियाँ लचकदार तथा मजबूत बनती हैं। शरीर में कार्य करने की क्षमता बढ़ जाती है।
- व्यायाम करने से शरीर हृष्ट-पुष्ट रहता है और बुढ़ापा देर से आता है।
- व्यायाम करने से भूख अधिक लगती है। पाचन क्रिया ठीक रहती है।
- व्यायाम करने से क्षयरोग, दमा और कब्ज आदि नहीं हो सकते। अतः व्यायाम करने से शरीर नीरोग रहता है।
- व्यायाम करने से रात को नींद अच्छी आती है।
- व्यायाम करने से शरीर के सभी अंग सुचारू रूप से कार्य करते हैं।
- व्यायाम करने से रक्त का संचार तेज होता है। वृक्क (Kidneys) में रक्त के अधिक पहुँचने से उसके सारे विषैले पदार्थ
मूत्र के द्वारा बाहर निकल जाते हैं। - व्यायाम करने से नाड़ी प्रणाली स्वस्थ रहती है। ज्ञानेंद्रियों की शक्ति बढ़ जाती है।
- व्यायाम करने से फेफड़ों में ऑक्सीजन अधिक पहुँचती है और कार्बन-डाइऑक्साइड भी बाहर निकलती है।
- व्यायाम शरीर की बहुत-सी कमियों तथा जोड़ों के रोगों को दूर करने में सहायक होता है।
- व्यायाम से हृदय बलशाली हो जाता है तथा धमनियाँ, शिराएँ और केशिकाएँ आदि मजबूत बनती हैं।
- व्यायाम करने से टूटी कोशिकाओं को ऑक्सीजन तथा ताजा रक्त मिलता है। इस प्रकार इनकी मुरम्मत हो जाती है।
- व्यायाम करने से शरीर में फुर्ती बढ़ती है और आलस्य दूर होता है।
- व्यायाम करने से स्मरण शक्ति, तर्क शक्ति एवं कल्पना शक्ति बढ़ती है।
प्रश्न 9.
व्यक्तित्व पर व्यायामों के पड़ने वाले प्रभावों का वर्णन कीजिए।
अथवा
व्यक्तित्व के विकास में शारीरिक क्रियाओं के योगदान पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
प्रत्येक व्यक्ति में कुछ विशेष गुण या विशेषताएँ होती हैं जो सभी में नहीं होती। इन्हीं गुणों या विशेषताओं के कारण प्रत्येक व्यक्ति दूसरे से अलग होता है। व्यक्ति के इन गुणों या विशेषताओं का समुच्चय ही व्यक्ति का व्यक्तित्व कहलाता है जो उसकी पहचान बनता है। संक्षेप में, व्यक्तित्व व्यक्ति की उस संपूर्ण छवि का नाम है जो वह दूसरों के सामने बनाता है।
व्यक्तित्व के विकास में वंशानुक्रम (Heredity) और परिवेश का महत्त्वपूर्ण योगदान होता है । वंशानुक्रम व्यक्ति को जन्मजात प्राप्त है परन्तु परिवेश अर्जित होता है। परिवेश का क्षेत्र बहुत व्यापक है जो व्यक्तित्व को प्रभावित करता है। व्यक्ति पर शारीरिक क्रियाओं या व्यायामों का बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है, क्योंकि शारीरिक व्यायामों का उद्देश्य व्यक्ति का सर्वांगीण विकास करना है । व्यक्तित्व पर शारीरिक क्रियाओं या व्यायामों के पड़ने वाले प्रभाव को निम्नलिखित तथ्यों द्वारा स्पष्ट किया गया है
1. शरीर को स्वस्थ एवं नीरोग बनाए रखने के लिए नियमित व्यायाम करना बहुत आवश्यक है। बिना शारीरिक स्वास्थ्य के जीवन में कोई भी उपलब्धि प्राप्त नहीं की जा सकती। कमजोर व्यक्ति का न तो कोई भविष्य होता है और न ही व्यक्तित्व। इसलिए स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए शारीरिक व्यायाम करना बहुत आवश्यक है तभी हमारे व्यक्तित्व
का विकास होगा।
2. व्यायाम करने से मनुष्य में धैर्य एवं संयम का विकास होता है। संयम का अर्थ है-शक्तियों को अपव्यय से बचाना और संग्रहित शक्तियों को अच्छे कार्य हेतु नियोजित करना। संयम के द्वारा हम अपने व्यक्तित्व को शक्तिशाली बना सकते हैं।
3. शारीरिक क्रियाएँ या व्यायाम व्यक्ति की छवि को सकारात्मक बनाने में सहायक होते हैं। हम दूसरों की प्रशंसा के पात्र तभी बन सकते हैं जब हमारी छवि सकारात्मक व अच्छी होगी। यदि हमारी छवि नकारात्मक है तो हम अपमान के पात्र होंगे और इससे हमारे व्यक्तित्व पर अच्छा प्रभाव नहीं पड़ेगा।
4. शारीरिक व्यायाम करने से शरीर मजबूत, चुस्त एवं फुर्तीला रहता है जिस कारण व्यक्ति की शारीरिक संरचना आकर्षक एवं सुंदर दिखती है।
5. व्यक्तित्व न केवल अच्छी शारीरिक संरचना या बनावट को कहा जाता है बल्कि यह ज्ञान, अभिव्यक्ति, सहनशीलता, धैर्य, गंभीरता आदि गुणों के समन्वय से बनता है। शारीरिक व्यायाम व्यक्ति में इन सभी गुणों के विकास में सहायक होते हैं।
6. शारीरिक व्यायाम करने से हमारे मन को शांति मिलती है और हमारी सोच व चिंतन सकारात्मक व उच्च बनते हैं जिससे हमें मानसिक संतुष्टि व शांति प्राप्त होती है। एक प्रसिद्ध कहावत है-“जो व्यक्ति जैसा सोचता है और करता है वह वैसा ही बन जाता है।” निश्चित रूप से व्यक्ति की उच्च सोच से व्यक्तित्व अच्छा एवं प्रभावशाली बनता है।
7. आदतें हमारे व्यक्तित्व की पहचान होती हैं। इसलिए ये हमारे व्यक्तित्व को बहुत प्रभावित करती हैं। कुछ बुरी आदतें जिनसे हमारे व्यक्तित्व एवं चरित्र पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और व्यक्तित्व का विकास बाधित होता है; जैसे बड़ों का सम्मान न करना, बार-बार गाली देना, देर से भोजन करना, रात को देर से सोना, सुबह देर से उठना आदि। शारीरिक क्रियाएँ करने से हमारे अंदर अच्छी आदतों का विकास होता है। नियमित व्यायाम करने से हमारा आलस्य दूर होता है और अच्छी आदतों के कारण हमारे व्यक्तित्व का विकास होता है।
8. स्वस्थ व्यक्ति दूसरों को अधिक प्रभावित करता है, क्योंकि वह अपने सभी कार्य आसानी से करने में सक्षम होता है। अच्छा स्वास्थ्य सबसे अधिक शारीरिक क्रियाओं पर निर्भर करता है। इस प्रकार व्यक्तित्व पर स्वास्थ्य का भी काफी प्रभाव पड़ता है।
प्रश्न 10.
अस्थिपिंजर या कंकाल संस्थान से आप क्या समझते हैं? इसके कार्यों तथा इस पर व्यायामों के पड़ने वाले प्रभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
अस्थिपिंजर/कंकाल संस्थान का अर्थ (Meaning of Skeleton System):
मानवीय शरीर में छोटी, बड़ी, पतली, लंबी, चपटी व आकारहीन आदि अनेक तरह की 206 हड्डियाँ होती हैं जो मिलकर एक पिंजर का निर्माण करती हैं। इस पिंजर की भिन्न-भिन्न हड्डियाँ मिलकर जब शरीर के लिए विभिन्न कार्य करती हैं तो हम इनको अस्थिपिंजर या कंकाल संस्थान कहते हैं।
अस्थिपिंजर/कंकाल संस्थान के कार्य (Functions of Skeleton System): अस्थिपिंजर संस्थान अथवा हड्डियों के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं
- मानवीय अस्थिपिंजर शरीर को एक खास प्रकार की रूपरेखा प्रदान करता है।
- यह शरीर के कोमल अंगों को सुरक्षा प्रदान करता है।
- यह माँसपेशियों को जुड़ने का आधार प्रदान करता है।
- यह लाल रक्त कणिकाओं के निर्माण में भी सहायक होती है।
- यह बाहरी दबावों, रगड, झटकों व चोटों आदि से अंतरांगों की रक्षा करता है।
- हड्डियों की गति के अनुसार ही शरीर के अंगों या भागों में गति होती है।
- विभिन्न प्रकार की कंकाल-संधियाँ शरीर के विभिन्न भागों की विशिष्ट गतियों को नियंत्रित करती हैं।
- हड्डियाँ शरीर को चलने-फिरने तथा अन्य कार्यों को करने में सहायता प्रदान करती हैं।
- हड्डियाँ उत्तोलकों (Levers) का कार्य करती हैं।
- ये शरीर को सीधा रखने में सहायता प्रदान करती हैं।
अस्थिपिंजर संस्थान पर व्यायाम के प्रभाव (Effects of Exercises on Skeleton System): अस्थिपिंजर संस्थान पर व्यायाम के पड़ने वाले प्रभाव निम्नलिखित हैं
- नियमित व्यायाम या शारीरिक क्रियाएँ करने से जोड़ों की लचक में वृद्धि होती है अर्थात् जोड़ों में लोचशीलता बढ़ जाती है।
- व्यायाम करने से शारीरिक क्षमता में वृद्धि होती है।
- व्यायाम करने से जोड़ों तथा हड्डियों से संबंधी विकार दूर होते हैं।
- नियमित व्यायाम करने से आसन संबंधी विकृतियों को दूर किया जा सकता है।
- नियमित व्यायाम करने से अस्थिपिंजर संस्थान ठीक तरह से कार्य करता है। यदि यह संस्थान ठीक से कार्य न करे तो इसका अन्य शारीरिक संस्थानों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए नियमित व्यायाम करने से शारीरिक संस्थानों पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।
- नियमित व्यायाम करने से रीढ़ की हड्डी संबंधी विकारों को दूर किया जा सकता है।
- नियमित व्यायाम करने में पित्त संबंधी विकारों को कम किया जा सकता है।
- नियमित व्यायाम करने से हड्डियाँ एवं जोड़ मजबूत एवं लचकदार बनते हैं जिस कारण ये अधिक दबाव एवं तनाव सहन करने में समर्थ हो जाते हैं।
- नियमित व्यायाम करने से व्यक्ति के संपूर्ण शरीर में वृद्धि होती है। इससे व्यक्ति की लम्बाई और हड्डियों की लम्बाई में भी वृद्धि होती है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न (Short Answer Type Questions) |
प्रश्न 1.
मस्तिष्क के भागों व उनके कार्यों का उल्लेख करें।
उत्तर:
मस्तिष्क खोपड़ी की अस्थियों के खोल खोपड़ी (क्रेनियम) में बंद रहता है, जो बाहरी आघातों से मस्तिष्क को बचाता है। इसका वजन लगभग 1400 ग्राम होता है। मस्तिष्क हमारे शरीर की प्रत्येक क्रिया को नियंत्रित करता है। इसके विभिन्न भाग एवं उनके कार्य निम्नलिखित हैं
1. अग्र-मस्तिष्क:
यह मस्तिष्क का सबसे अधिक विकसित एवं बड़ा भाग है। इसमें प्रमस्तिष्क (Cerebrum) एवं घ्राण पिंड होते हैं। यह दो अर्ध-गोलाकार भागों से मिलकर बना होता है। अग्र-मस्तिष्क बुद्धिमता, स्मृति, इच्छा-शक्ति, ज्ञान, वाणी व चिंतन का केंद्र होता है। यह ऐच्छिक माँसपेशियों के कार्यों को समन्वित करता है।
2. मध्य-मस्तिष्क:
यह मस्तिष्क के अग्र और पार्श्व भागों को मिलाता है। यह आँख की पलकें, आयरिस की प्रतिवर्त क्रियाओं को नियंत्रित करता है और कान से संवेदना की सूचना प्रमस्तिष्क तक पहुँचाता है।
3. पश्च-मस्तिष्क-पश्च:
मस्तिष्क अनु-मस्तिष्क, पॉन्स और मेडुला ऑब्लांगेटा (Medulla Oblongata) आदि भागों से बना होता है। यह उपापचय, रक्तदाब, हृदय की धड़कनों को नियंत्रित करता है। यह शरीर को संतुलित बनाए रखता है।
प्रश्न 2.
सुषुम्ना नाड़ी या मेरुरज्जु (Spinal Cord) के कार्यों का उल्लेख करें।
उत्तर:
सुषुम्ना नाड़ी भूरे व सफेद रंग के पदार्थ से बनी हुई एक बेलनाकार संरचना है। सुषुम्ना नाड़ी में मस्तिष्क की तरह ही तीन झिल्लियों की परत होती है। इसके मध्य भाग में एक प्रकार का तरल पदार्थ रहता है जो मस्तिष्क से शरीर के विभिन्न अंगों को प्रेरणा का संदेश पहुँचाता है। इसके प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं
- शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों से प्राप्त स्पर्श वेदनाओं; जैसे ठण्ड, गर्मी आदि को मस्तिष्क की ओर भेजना।
- मस्तिष्क से निकलने वाले संदेशों को प्राप्त करके उन्हें नाड़ी तंतुओं द्वारा माँसपेशियों को भेजना।
- प्रतिवर्त क्रियाओं या स्वाभाविक क्रियाओं पर नियंत्रण एवं इनका संचालन करना।
प्रश्न 3.
श्वसन क्रिया हमारे शरीर के लिए किस प्रकार महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर:
श्वसन क्रिया जीवन का मूल आधार है। हम भोजन के बिना कुछ दिनों तक जीवित रह सकते हैं लेकिन साँस के बिना हमारा जीवन संभव नहीं है। यह हमारे लिए निम्नलिखित प्रकार से महत्त्वपूर्ण है
- यह शरीर के तापमान को उचित करने में सहायक होती है।
- इस क्रिया से हमारे शरीर से व्यर्थ पदार्थों का निकास होता है।
- श्वसन क्रिया द्वारा मिली हुई ऑक्सीजन रक्त से मिलकर शरीर को ऊर्जा एवं शक्ति प्रदान करती है।
- साँस की प्रक्रिया हमारे जीवित रहने के लिए अति आवश्यक है।
प्रश्न 4.
मनुष्य के शरीर में रक्त के कार्यों का उल्लेख करें।
अथवा
रक्त-प्रवाह संस्थान के क्या कार्य हैं?
उत्तर:
मनुष्य के शरीर में रक्त के कार्य निम्नलिखित हैं
- रक्त शरीर के अंगों को भोजन पहुँचाता है।
- रक्त अंगों को ऑक्सीजन देकर कार्बन-डाइऑक्साइड वापिस ले लेता है।
- रक्त कण रोगों से शरीर को बचाते हैं।
- रक्त शरीर के अंगों को पुष्ट रखने का कार्य करता है।
- रक्त शरीर के फालतू बचे हुए पदार्थों को बाहर निकालता है।
- रक्त शरीर के तापमान को नियमित करने में सहायता करता है।
प्रश्न 5.
यकृत या लीवर पर संक्षिप्त नोट लिखें। अथवा मानव यकृत के क्या कार्य हैं?
उत्तर:
यकृत हमारे शरीर की सबसे बड़ी ग्रंथि है। यह लगभग 15 सें०मी० लंबा व 22 सें०मी० चौड़ा होता है। यह शरीर के लिए अनावश्यक व हानिकारक व्यर्थ पदार्थों; जैसे अमोनिया व अतिरिक्त प्रोटीन को यूरिया व यूरिया अम्ल में बदलकर गुर्दे के माध्यम से मूत्र के रूप में उत्सर्जित करने में सहायक होता है। इसके अतिरिक्त यह विखण्डित लाल रक्त कण के हीमोग्लोबिन को लाल या हरा पित्त में परिवर्तित कर पक्वाशय में छोड़ देता है और जहाँ से वह भोजन अवशेष के साथ हमारे शरीर से बाहर निकल जाता है। यकृत के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं
- यह भोजन को एकत्रित कर पचाने में सहायक होता है।
- यह भोजन-नली विशेषतौर पर आंतड़ियों से आए जहरीले पदार्थों के प्रभाव को नष्ट कर ऐसे पदार्थ बना देता है जो शरीर के लिए लाभदायक हों।
- यह प्रोटीन के व्यर्थ पदार्थों को नष्ट कर यूरिन (Urine) बनाता है जो गुर्दो की सहायता से शरीर से बाहर निकलता है।
प्रश्न 6.
माँसपेशी प्रणाली के मुख्य कार्य लिखें। अथवा माँसपेशियों के कार्य बताएँ।
उत्तर:
माँसपेशी प्रणाली के अंतर्गत हमारे शरीर की विभिन्न प्रकार की माँसपेशियाँ निम्नलिखित कार्य करती हैं
- माँसपेशियाँ शरीर के विभिन्न अंगों को गति प्रदान करती हैं अर्थात् इनके कारण शरीर के विभिन्न अंग क्रिया करते हैं।
- माँसपेशियाँ शरीर के व्यर्थ पदार्थों को बाहर निकालने का कार्य करती हैं।
- माँसपेशियाँ हमारे शरीर में उत्तोलक (Lever) की तरह कार्य करती हैं।
- माँसपेशियाँ हमारे जीवन के विभिन्न अंगों में संतुलन बनाए रखती हैं।
- माँसपेशियों द्वारा हमें खाने, पीने, श्वास लेने और बोलने आदि क्रियाओं में सहायता मिलती है।
- वास्तव में माँसपेशियों के बिना शरीर का कोई अंग क्रिया नहीं कर सकता, क्योंकि हमारे शरीर की हड्डियाँ इनसे जुड़ी होती हैं।
- माँसपेशियाँ रक्त द्वारा लिए गए पदार्थ का भोजन के रूप में प्रयोग करती हैं।
- बड़ी माँसपेशियाँ हड्डियों को सुरक्षा प्रदान करती हैं।
- ये हृदय की पम्पिंग क्रिया में सहायक होती हैं।
- ये शरीर को आकृति भी प्रदान करती हैं।
प्रश्न 7.
रक्त-वाहिकाएँ कितने प्रकार की होती हैं? संक्षेप में बताएँ। उत्तर-रक्त-वाहिकाएँ तीन प्रकार की होती हैं
1. धमनी:
वे रक्त वाहिकाएँ जो हृदय से रक्त लेकर शरीर के सभी भागों में पहुँचती हैं, उन्हें धमनियाँ (Arteries) कहते हैं। इनमें शुद्ध रक्त होता है।
2. शिराएँ:
वे रक्त-वाहिकाएँ जो शरीर के विभिन्न भागों से अशुद्ध रक्त को इकट्ठा करके हृदय में ले आती हैं, उन्हें शिराएँ (Veins) कहते हैं। इनमें अशुद्ध रक्त होता है। .
3. केशिकाएँ:
धमनियों की छोटी-छोटी शाखाओं को केशिकाएँ (Capillaries) कहते हैं। ये बहुत पतली दीवार वाली रक्त-वाहिकाएँ हैं जो धमनियों से शुद्ध रक्त लेकर केशिकाओं को देती हैं और केशिकाओं का अशुद्ध रक्त शिराओं तक पहुँचाती हैं।
प्रश्न 8.
केंद्रीय नाड़ी संस्थान क्या है? इसके अंगों के नाम लिखें।
उत्तर:
केंद्रीय नाड़ी संस्थान-केंद्रीय नाड़ी संस्थान, तंत्रिका संस्थान का वह भाग है जो संपूर्ण शरीर पर नियंत्रण रखता है। केंद्रीय नाड़ी संस्थान के अंग-मनुष्य की केंद्रीय नाड़ी संस्थान दो अंगों से मिलकर बनी होती है; जैसे
1. मस्तिष्क-मस्तिष्क केंद्रीय नाड़ी संस्थान का बहुत ही महत्त्वपूर्ण भाग है। यह मानव शरीर की संचार व्यवस्था का नियंत्रण कक्ष (Control Room) है।
2. मेरुरज्जु (सुषुम्ना नाड़ी)- मेरुरज्जु एक दंडाकार संरचना है। यह मेडुला ऑब्लांगेटा से शुरू होकर नीचे की तरफ जाता है। इसका श्वासनली के साथ सीधा संबंध होता है।
प्रश्न 9.
व्यायाम का शरीर के संस्थानों पर प्रभाव लिखें।
उत्तर:
व्यायाम का शरीर के संस्थानों पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ते हैं
- व्यायाम करने से सभी शारीरिक संस्थानों की क्रियाशीलता पर अच्छा प्रभाव पड़ता है।
- नियमित व्यायाम या शारीरिक क्रियाएँ करने से जोड़ों की लचक में वृद्धि होती है और हड्डियाँ व माँसपेशियाँ मजबूत बनती हैं।
- व्यायाम करने से रक्त का प्रवाह सुचारु रूप से होता है।
- व्यायाम सभी शारीरिक संस्थानों की शक्ति व कार्यक्षमता में वृद्धि करते हैं।
- व्यायाम से सभी संस्थानों और उनके अंगों संबंधी बीमारियाँ दूर होती हैं।
प्रश्न 10.
नियमित व्यायाम करने से रक्त-प्रवाह संस्थान पर पड़ने वाले कोई चार प्रभाव बताएँ।
उत्तर:
नियमित व्यायाम करने से रक्त-प्रवाह संस्थान पर पड़ने वाले चार प्रभाव निम्नलिखित हैं
- व्यायाम करने से रक्त-वाहिनियों में वृद्धि होती है जिससे शरीर के बीच वाले मल पदार्थ मल त्याग अंगों द्वारा बाहर निकल जाते हैं।
- व्यायाम करने से रक्त का प्रवाह शरीर के सभी अंगों में बढ़ जाता है जिसके कारण भोजन और ऑक्सीजन का प्रवाह भी शरीर को अधिक मात्रा में मिलना शुरू हो जाता है।
- व्यायाम करने से रक्त तेजी से प्रवाह करता है जिसके कारण रक्तचाप और नाड़ियों की बीमारियों से बचा जा सकता है।
- व्यायाम करने से हृदय में रक्त का दबाव और सिकुड़न क्रिया में बढ़ोतरी होती है। इससे रक्त की गति तेज हो जाती है।
प्रश्न 11.
व्यायाम का स्वास्थ्य पर प्रभाव स्पष्ट करें।
उत्तर:
व्यायाम का स्वास्थ्य पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ता है
- व्यायाम करने से शरीर की माँसपेशियाँ लचकदार तथा मजबूत बनती हैं। शरीर में कार्य करने की क्षमता बढ़ जाती है।
- व्यायाम करने से शरीर हृष्ट-पुष्ट रहता है और बुढ़ापा देर से आता है।
- व्यायाम करने से भूख अधिक लगती है। पाचन क्रिया ठीक रहती है।
- व्यायाम करने से क्षयरोग, दमा और कब्ज आदि नहीं हो सकते। अत: व्यायाम करने से शरीर नीरोग रहता है।
- व्यायाम करने से रात को नींद अच्छी आती है।
- व्यायाम करने से शरीर के सभी अंग सचारु रूप से कार्य करते हैं।
- व्यायाम करने से रक्त का संचार तेज होता है। वृक्क में रक्त के अधिक पहुँचने से उसके सारे विषैले पदार्थ यूरिन के द्वारा बाहर निकल जाते हैं।
- व्यायाम करने से नाड़ी प्रणाली स्वस्थ रहती है। ज्ञानेंद्रियों की शक्ति बढ़ जाती है।
प्रश्न 12.
नियमित व्यायाम करने से श्वसन संस्थान पर पड़ने वाले कोई चार प्रभाव बताएँ। उत्तर-नियमित व्यायाम करने से श्वसन संस्थान पर पड़ने वाले चार प्रभाव निम्नलिखित हैं
- व्यायाम करने से शरीर से दूषित वायु अर्थात् कार्बन-डाइऑक्साइड बाहर निकलती है और उसके स्थान पर ऑक्सीजन अधिक मात्रा में अंदर जाती है।
- व्यायाम करने से फेफड़ों में वायु का आदान-प्रदान तेजी से होता है।
- व्यायाम करने से छाती के फैलाव में वृद्धि होती है।
- व्यायाम करने से व्यक्ति की श्वसन क्रिया की दर सामान्य रहती है।
प्रश्न 13.
जोड़ों के प्रकार स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जोड़ों के कार्य और उनकी बनावट के आधार पर इन्हें तीन भागों में बाँटा जाता है:
1. अचल जोड़:
इन्हें रेशेदार जोड़ (Fibrous Joints) भी कहते हैं। वे जोड़ जिनमें अस्थियों के तल धागों जैसे बारीक रेशों से बँधे होते हैं। ये जोड़ गतिहीन होते हैं। इन जोड़ों में किसी प्रकार की कोई गति नहीं होती । इस प्रकार के जोड़ चेहरे और खोपड़ी में पाए जाते हैं।
2. थोड़ी गति वाले जोड़:
इस प्रकार की हड्डियों के जोड़ों में गति सीमित होती है अर्थात् ये जोड़ थोड़ा बहुत हिल सकते हैं। इस प्रकार के जोड़ों में हड्डियों के किनारे एक-दूसरे में फंसे होते हैं; परन्तु जोड़ों में खाली जगह पाई जाती है। ये जोड़ दो प्रकार के होते हैं:
- सिम्फसिस जोड़ (Symphysis Joints),
- सिन्कोंड्रोसिस जोड़ (Synchondrosis Joints)
इस प्रकार के जोड़ कूल्हे व रीढ़ की हड्डियों में पाए जाते हैं, क्योंकि रीढ़ की हड्डी में कम गति होती है।
3. गति वाले या चल जोड़:
इन्हें रिसावदार जोड़ (Synovial Joints) भी कहते हैं। हमारे शरीर के अधिक जोड़ इसी भाग के अंतर्गत आते हैं। टाँगों व बाजुओं के जोड़ इसी प्रकार के जोड़ों के उदाहरण हैं । इन जोड़ों में बहुत ही मुलायम सिनोवियल झिल्ली होती है। इस प्रकार के जोड़ों के कारण शरीर में हरकतें होती हैं। इस प्रकार के जोड़ों की संख्या शरीर में बहुत अधिक होती है। ऐसे जोड़ों में हड्डियों के दोनों किनारों पर कार्टिलेज की परत चढ़ी होती है, जिसके कारण हड्डियों के सिरे आपस में रगड़ नहीं खाते।
प्रश्न 14.
व्यायाम से शरीर में लचीलापन कैसे बढ़ता है?
उत्तर:
व्यायाम से शरीर में लचकता निम्नलिखित कारणों से बढ़ता है
- व्यायाम करने से माँसपेशियाँ फैलती हैं, जिनके कारण उनमें लचक आ जाती है।
- व्यायाम करने से शरीर के जोड़ों, हड्डियों व मांसपेशियों को मज़बूती मिलती है और इनकी कार्यक्षमता में वृद्धि होती है। इससे शरीर में लचीलापन आता है।
- व्यायाम करने से शरीर की कोशिकाओं में रक्त एवं पोषक तत्त्व बिना किसी अवरोध के पहुंचते हैं। इससे शरीर में ऊर्जा, स्फूर्ति एवं लचकता में वृद्धि होती है।
- व्यायाम के दौरान स्ट्रेचिंग की क्रिया शरीर को लचीला एवं फुर्तीला बनाती है। यह क्रिया माँसपेशियों के तनाव को कम करती है और आसन में सुधार करती है।
- नियमित रूप से व्यायाम करने से न केवल आपके शरीर में लचकता बढ़ेगी, बल्कि आप मोटापे से भी छुटकारा पा सकोगे।
प्रश्न 15.
अस्थियों/हड्डियों के प्रमुख कार्यों का वर्णन कीजिए। अथवा अस्थिपिंजर प्रणाली के मुख्य कार्य लिखें।
उत्तर:
अस्थियों/हड्डियों के प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं
- हड्डियाँ शरीर को एक खास प्रकार की रूपरेखा प्रदान करती हैं।
- ये शरीर के कोमल अंगों को सुरक्षा प्रदान करती हैं।
- ये माँसपेशियों को जुड़ने का आधार प्रदान करती हैं।
- ये लाल रक्त कणिकाओं के निर्माण में भी सहायक होती हैं।
- ये बाहरी दबावों, रगड़ों, झटकों व चोटों आदि से अंतरांगों की रक्षा करती हैं।
- विभिन्न प्रकार की कंकाल-संधियाँ शरीर के विभिन्न भागों की विशिष्ट गतियों को नियंत्रित करती हैं।
- ये शरीर को चलने-फिरने तथा अन्य कार्यों को करने में सहायता प्रदान करती हैं।
- ये शरीर को सीधा रखने में सहायता प्रदान करती हैं।
प्रश्न 16.
नियमित व्यायाम करने से पाचन संस्थान को क्या-क्या फायदे होते हैं? कोई चार बताएँ।
उत्तर;
नियमित व्यायाम करने से पाचन संस्थान को निम्नलिखित फायदे होते हैं
- व्यायाम केवल भूख ही नहीं बढ़ाता, बल्कि स्वास्थ्य और इसके सभी पक्षों में बढ़ोतरी भी करता है।
- नियमित व्यायाम करने से भी असाध्य रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है।
- व्यायाम पाचन संस्थान और इसके अंगों की कार्यक्षमता में वृद्धि करता है।
- नियमित रूप से व्यायाम करने से पेट संबंधी बीमारियाँ दूर होती है; जैसे कब्ज, गैस की समस्या आदि।
प्रश्न 17.
नियमित व्यायाम करने से उत्सर्जन संस्थान पर पड़ने वाले कोई चार प्रभाव बताएँ।
उत्तर:
नियमित व्यायाम करने से उत्सर्जन संस्थान पर पड़ने वाले चार प्रभाव निम्नलिखित हैं
- व्यायाम करने से शरीर को अधिक पसीना आता है और पसीने के माध्यम से हमारे शरीर के व्यर्थ पदार्थों का बाहरी ओर निकास होता है।
- व्यायाम करने से इस संस्थान संबंधी समस्याएँ दूर होती हैं।
- उत्सर्जन संस्थान का मुख्य कार्य हमारे शरीर के अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकालना है। यदि हम नियमित रूप से व्यायाम करते हैं तो यह कार्य उत्सर्जन संस्थान अधिक क्षमता से करेगा।
- व्यायाम करने से फेफड़ों में वायु आदान-प्रदान अधिक तेजी से होता है जिससे फेफड़ों की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है।
प्रश्न 18.
नियमित व्यायाम करने से अस्थिपिंजर संस्थान पर पड़ने वाले कोई चार प्रभाव बताएँ।
उत्तर:
नियमित व्यायाम करने से अस्थिपिंजर संस्थान पर पड़ने वाले चार प्रभाव निम्नलिखित हैं
- नियमित व्यायाम या शारीरिक क्रियाएँ करने से जोड़ों की लचक में वृद्धि होती है अर्थात् जोड़ों में लोचशीलता बढ़ जाती है।
- व्यायाम करने से शारीरिक क्षमता में वृद्धि होती है।
- व्यायाम करने से हड्डियों से संबंधी विकार दूर होते हैं।
- नियमित व्यायाम करने से आसन संबंधी विकृतियों को दूर किया जा सकता है।
प्रश्न 19.
धमनियों तथा शिराओं में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
धमनियों तथा शिराओं में निम्नलिखित अंतर हैंधमनियाँ
धमनियाँ | शिराएँ |
1. धमनियाँ (Arteries) वे रुधिर वाहिकाएँ हैं जिनमें रुधिर हुदय से दूसरे अंगों की ओर जाता है। | 1. शिराएँ (Veins) वे रक्त वाहिकाएँ हैं जिनमें रुधिर हृदय की ओर बहता है। |
2. इसकी दीवारें तन्य, मोटी तथा पेशीयुक्त होती हैं। | 2. इनकी दीवारें पतली, रेशेदार तथा तन्य नहीं होतीं। |
3. ये सिकुड़ सकती हैं। | 3. ये सिकुड़ नहीं•सकतीं। |
4. इनमें रुधिर झटके के साथ बहता है। | 4. इनमें रुधिर बिना झटके से बहता है। |
5. ये शरीर में गहराई में स्थित होती हैं। | 5. ये ऊपरी सतह पर स्थित होती हैं। |
6. इसमें रुधिर उच्च दाब के साथ बहता है। | 6. इनमें रुधिर अपेक्षाकृत कम दाब के साथ बहता है। |
7. इनमें अंदर की गुहिका छोटी होती है। | 7. इसकी गुहिका बड़ी होती है। |
8. इसमें वाल्व नहीं होते। | 8. इसमें वाल्व होते हैं। |
9. फुफ्फुसीय धमनी के अतिरिक्त सभी धमनियों में ऑक्सीजन युक्त रुधिर बहता है। | 9. फुफ्फुसीय शिरा के अतिरिक्त सभी शिराओं में अशुद्ध रुधिर बहता है। |
प्रश्न 20.
ऐच्छिक व अनैच्छिक माँसपेशियों में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
ऐच्छिक व अनैच्छिक माँसपेशियों में निम्नलिखित अंतर हैंऐच्छिक माँसपेशियाँ
ऐच्छिक माँसपेशियाँ | अनैच्छिक माँसपेशियाँ |
1. ऐच्छिक माँसपेशियाँ बेलनाकार व धारीदार होती हैं। | 1. अनैच्छिक माँसपेशियाँ तुर्काकार व गैर-धारीदार होती हैं। |
2. ये स्वतंत्र नहीं होतीं। | 2. ये स्वतंत्र होती हैं। |
3. ये जल्दी थकान महसूस करती हैं। | 3. ये थकान महसूस नहीं करतीं। |
4. ये बहुकेन्द्रीय होती हैं। | 4. ये एक केन्द्रीय होती हैं। |
5. इनमें संकुचन तेजी से व थोड़े समय के लिए होता है। | 5. इनमें संकुचन धीरे-धीरे काफी समय तक होता है। |
अति-लघत्तरात्मक प्रश्न (Very Short Answer Type Questions)|
प्रश्न 1.
शरीर संस्थान (Body System) से आपका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जब मानवीय शरीर के भिन्न-भिन्न अंग या भाग मिलकर एक प्रकार का कार्य करते हैं, तो उनके संग्रह या समूह को शरीर संस्थान कहते हैं।
प्रश्न 2.
रक्त-प्रवाह संस्थान किसे कहते हैं?
उत्तर:
रक्त-प्रवाह या परिसंचरण संस्थान ऐसे अंगों का वह समूह है जो शरीर की कोशिकाओं के बीच रक्त के माध्यम से पोषक तत्त्वों का प्रवाह करता है। इससे रोगों से शरीर की रक्षा होती है तथा शरीर का ताप स्थिर व नियंत्रित बना रहता है। इस संस्थान का मुख्य कार्य शरीर के प्रत्येक अंग या भाग में रक्त को पहुँचाना है जिससे शरीर को पोषण एवं ऑक्सीजन प्राप्त हो सके। प्रश्न
3. श्वसन संस्थान किसे कहते हैं?
उत्तर:
ऑक्सीजन हमारे शरीर के लिए बहुत आवश्यक होती है। इसके बिना हमारा जीवन संभव नहीं है। जब हम साँस लेते हैं तो ऑक्सीजन हमारे शरीर में प्रवेश करती है और जब साँस छोड़ते हैं तो दूषित वायु अर्थात् कार्बन-डाइऑक्साइड शरीर से बाहर निकलती है। साँस लेने की क्रिया को हम श्वास अंदर खींचने की क्रिया और साँस बाहर छोड़ने की क्रिया को श्वास छोड़ने की क्रिया कहते हैं। अतः साँस अंदर लेने और बाहर छोड़ने की क्रिया को श्वसन प्रक्रिया कहते हैं। इस प्रक्रिया में सहायक अंगों के समूह को श्वसन संस्थान कहते हैं। इस संस्थान के द्वारा हमारे शरीर में गैसों का आदान-प्रदान होता है।
प्रश्न 4.
पाचन क्रिया किसे कहते हैं? अथवा पाचन संस्थान क्या है?
उत्तर:
पाचन क्रिया वह रासायनिक प्रक्रिया है जिसमें जीव एंजाइम की सहायता से भोजन के बड़े अवयवों; जैसे प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट्स को सरल अवयवों; जैसे प्रोटीन को अमीनो अम्ल में एवं कार्बोहाइड्रेट्स को ग्लूकोज में परिवर्तित कर शरीर के अवशोषण के योग्य बना देते हैं। इस प्रक्रिया के फलस्वरूप भोजन पचता है और हमारे शरीर को ऊर्जा व शक्ति मिलती है। अत: पाचन संस्थान हमारे शरीर का ऐसा संस्थान है जिसके माध्यम से विभिन्न प्रकार के भोजन के अवयव तरल पदार्थ के रूप में परिवर्तित हो जाते हैं और वे रक्त का हिस्सा बनकर हमारे शरीर को ऊर्जा व शक्ति प्रदान करते हैं।
प्रश्न 5.
अस्थि संस्थान क्या है?
उत्तर:
मानवीय शरीर में छोटी, बड़ी, पतली, लंबी, चपटी व आकारहीन आदि अनेक तरह की 206 हड़ियाँ होती हैं जो मिलकर एक पिंजर का निर्माण करती हैं। इस पिंजर की भिन्न-भिन्न हड्डियाँ मिलकर जब शरीर के लिए विभिन्न कार्य करती हैं तो हम इनको अस्थि या कंकाल संस्थान कहते हैं। यह शरीर के अंदर कोमल अंगों को सुरक्षित रखता है। यह शरीर में लीवर का काम करता है और अस्थियों के साथ माँसपेशियों को जुड़ने के लिए स्थान बनाता है।
प्रश्न 6.
माँसपेशियाँ किन्हें कहते हैं?
उत्तर:
हमारे शरीर की ऊपरी त्वचा को उधेड़कर देखा जाए तो उसके नीचे हमें लाल रंग के माँस के लोथड़े या धागे (Fibres) दिखाई देंगे। इनको ही हम माँसपेशियाँ (Muscles) कहते हैं। ये माँसपेशियाँ अनेक छोटी-छोटी जीवित कोशिकाओं (Cells) से बनी होती हैं। ये हड्डियों, कार्टिलेज, लिगामेंट्स, त्वचा से जुड़ी होती हैं। इनके सिकुड़ने व फैलने से शरीर में गति पैदा होती है, जिससे शरीर के भिन्न-भिन्न अंग कार्य करते हैं।
प्रश्न 7.
नाड़ी संस्थान किसे कहते हैं?
उत्तर:
तंत्रिका या स्नायु संस्थान हमारे शरीर का वह संस्थान है जिसके द्वारा हमारा संपूर्ण शरीर नियंत्रित रहता है। इसके अंतर्गत हमारे संपूर्ण शरीर में महीन धागे के समान तंत्रिकाएँ फैली रहती हैं, जो शरीर के विभिन्न भागों के बीच कार्यात्मक समन्वय स्थापित करती हैं।
प्रश्न 8.
किन्हीं चार शारीरिक संस्थानों ( प्रणालियों) के नाम बताएँ।
उत्तर:
- पाचन संस्थान,
- रक्त संचार संस्थान,
- माँसपेशी संस्थान,
- अस्थिपिंजर संस्थान।
प्रश्न 9.
पाचन संस्थान के मुख्य अंगों के नाम बताएँ।
उत्तर:
मुँह, भोजन-नली, आमाशय, पक्वाशय, यकृत, छोटी आंत, बड़ी आंत, मलाशय व गुदा।
प्रश्न 10.
श्वास संस्थान के अंगों के नाम बताएँ।
उत्तर:
नाक, स्वर यंत्र/कण्ठ, ग्रसनिका, श्वासनली, वायु-नलियाँ या श्वसनियाँ, फेफडे।
प्रश्न 11.
रक्त-प्रवाह संस्थान के अंगों के नाम बताएँ।
उत्तर:
हृदय, धमनियाँ, शिराएँ, केशिकाएँ।
प्रश्न 12.
उत्सर्जन संस्थान के मुख्य अंग कौन-कौन-से हैं?
उत्तर:
गुर्दे या वृक्क, त्वचा, मूत्रवाहिनियाँ, मूत्राशय, मूत्रमार्ग, फेफड़े।
प्रश्न 13.
माँसपेशी के कौन-कौन-से भाग होते हैंउत्तर-माँसपेशी के तीन भाग होते हैं जो इस प्रकार हैं
1. पेट-माँसपेशी के सबसे आंतरिक अर्थात् मोटे भाग को पेट (Belly) कहते हैं।
2. जोड़-माँसपेशी का एक भाग गतिशील हड्डी के साथ जुड़ा हुआ होता है जो कि जोड़ (Insersion) कहलाता है।
3. जड़-माँसपेशी का दूसरा भाग अचल हड्डी से जुड़ा हुआ होता है जो कि जड़ (Origin) कहलाता है।
प्रश्न 14.
ऐच्छिक माँसपेशियाँ क्या होती हैं? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
वे माँसपेशियाँ जो हमारी इच्छा के अनुसार कार्य करती हैं, उन्हें ऐच्छिक माँसपेशियाँ कहते हैं। ये माँसपेशियाँ ढीली और सिकुड़ने वाली होती हैं और हड्डियों से जुड़ी होती हैं; जैसे हाथ, पैर, कंधे, कूल्हे आदि की माँसपेशियाँ।
प्रश्न 15.
अनैच्छिक माँसपेशियाँ क्या होती हैं? उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
वे माँसपेशियाँ जो हमारी इच्छा पर निर्भर नहीं रहतीं और स्वयं ही कार्य करती हैं, उन्हें अनैच्छिक माँसपेशियाँ कहते हैं; जैसे गुर्दे, हृदय आदि की माँसपेशियाँ।
प्रश्न 16.
हृदयक माँसपेशियों से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
ये माँसपेशियाँ हमारे हृदय (Heart) में होती हैं। हृदयक माँसपेशियों में ऐच्छिक व अनैच्छिक माँसपेशियों का मिश्रण होता है। इनमें भी ऐच्छिक माँसपेशियों की तरह ही धारियाँ होती हैं। ये माँसपेशियाँ अनैच्छिक माँसपेशियों की तरह पूर्ण रूप से स्वतंत्र होती हैं और अपनी इच्छानुसार कार्य करती हैं। इनमें अनैच्छिक माँसपेशियों के गुण ऐच्छिक माँसपेशियों के गुणों की तुलना में अधिक होते हैं, परंतु फिर भी इनको ऐच्छिक माँसपेशियाँ माना जाता है।
प्रश्न 17.
तंत्रिका या स्नायु तंत्र के कितने भाग होते हैं?
उत्तर:
तंत्रिका तंत्र तीन भागों में विभाजित होता है
- केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (Central Nervous System)
- परिधीय तंत्रिका तंत्र (Peripheral Nervous System)
- स्वायत्त तंत्रिका तंत्र (Autonomic Nervous System)।
प्रश्न 18.
स्वायत्त तंत्रिका तंत्र क्या है?
उत्तर:
तंत्रिका तंत्र का वह भाग जो शरीर के भीतरी भागों या अंगों; जैसे हृदय, छोटी-बड़ी आंत, वृक्क, मूत्राशय व रक्त वाहिनियों आदि को स्वत:चालित और नियंत्रित करता है, स्वायत्त तंत्रिका तंत्र कहलाता है।
प्रश्न 19.
शरीर के सभी अंगों को रक्त की आवश्यकता क्यों होती है?
उत्तर:
रक्त शरीर के सभी अंगों को अवशोषित भोजन व ऑक्सीजन पहुँचाने का कार्य करता है। साथ ही रक्त सभी अंगों से अपशिष्ट पदार्थ एकत्रित कर बाहर निकालने का कार्य करता है। यह शरीर के अंगों को संक्रमण से भी बचाता है।
प्रश्न 20.
शरीर की परावर्तित/स्वाभाविक क्रियाएँ क्या होती हैं? उदाहरण दें। अथवा प्रतिक्षेप/प्रतिवर्त प्रतिक्रियाएँ क्या हैं?
उत्तर:
शरीर की परावर्तित/स्वाभाविक क्रियाएँ वे क्रियाएँ होती हैं जो स्वचालित होती हैं अर्थात् ये क्रियाएँ अपने-आप कार्य करती रहती हैं। जब कोई व्यर्थ पदार्थ हमारे नाक या गले में चला जाता है तो उसी समय स्वयं ही परावर्तित क्रियाएँ चलना शुरू कर देती हैं जिसके कारण खाँसी या छींक आती है। उदाहरण-खाँसना (Coughing), छींकना (Sneezing), उबासी (Yawning) आदि।
प्रश्न 21.
अन्तःस्त्रावी या नलीरहित ग्रंथियाँ क्या हैं?
उत्तर:
शरीर की कुछ विशिष्ट प्रकार की ग्रंथियों की कोशिकाएँ कुछ ऐसे पदार्थों का संश्लेषण करके इन्हें ऊतक द्रव्य में स्रावित करती हैं जो संकेत सूचनाओं को वहन करते हैं । ऊतक द्रव्य से ये पदार्थ रक्त में चले जाते हैं। इन ग्रंथियों को ही अन्तःस्रावी या नलीरहित ग्रंथियाँ कहा जाता है।
प्रश्न 22.
व्यायाम (Exercise) से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
सामान्य शब्दों में, हमारे द्वारा शारीरिक क्रियाएँ; जैसे उठना, बैठना, दौड़ना, कूदना आदि करने को व्यायाम कहते हैं। अत: व्यायाम से तात्पर्य उन शारीरिक क्रियाओं को करने से है जो हम अपने स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए करते हैं। इसमें शरीर के विभिन्न अंगों या भागों को शामिल किया जाता है।
प्रश्न 23.
शिराओं (Veins) के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
शिराएँ पतली नलियाँ होती हैं। इनकी दीवारें झिल्ली द्वारा बनी होती हैं और दीवारों के साथ-साथ विभिन्न स्थानों पर प्याले की भाँति चंद्रमा की शक्ल के कपाट (Valve) बने होते हैं। इनकी सहायता से रक्त ऊपरी भाग से निचले भाग में जाता है। ये हृदय की ओर अशुद्ध रक्त लेकर जाती हैं। अशुद्ध रक्त के कारण ही इनका रंग नीला होता है, परंतु फेफड़ों वाली शिराएँ (Pulmonary Veins) शुद्ध रक्त, दिल के ऊपरी भाग में ले जाती हैं।
प्रश्न 24.
केशिकाओं (Capillaries) के बारे में आप क्या जानते हैं?
उत्तर:
रक्त-प्रवाह प्रणाली का एक महत्त्वपूर्ण अवयव केशिकाएँ होती हैं । धमनियों और शिराओं के बीच में केशिकाओं का समूह स्थित होता है। जब हृदय से रक्त धमनियों में आता है तो धमनियाँ
छोटे-छोटे भागों या शाखाओं में विभाजित हो जाती हैं, जिन्हें केशिकाएँ कहते हैं।
प्रश्न 25.
उत्सर्जन प्रक्रिया में त्वचा क्या कार्य करती है?
उत्तर:
त्वचा उत्सर्जन संस्थान का एक महत्त्वपूर्ण अंग है। यह शरीर के अंदर वाले व्यर्थ पदार्थ; जैसे यूरिया, व्यर्थ खनिज, नमक आदि को पसीने द्वारा बाहर निकालकर रक्त को साफ करने का कार्य करती है। त्वचा एक सूझ इंद्रिय का कार्य भी करती है। यह शरीर में रोगाणुओं को दाखिल होने से रोकती है और शरीर के तापमान को सामान्य बनाए रखती है।
HBSE 11th Class Physical Education विभिन्न शारीरिक संस्थान तथा उन पर व्यायामों के प्रभाव Important Questions and Answers
वस्तनिष्ठ प्रश्न (Objective Type Questions)
भाग-I : एक वाक्य में उत्तर दें
प्रश्न 1.
हमारे शरीर में कुल कितनी हड्डियाँ होती हैं?
उत्तर:
हमारे शरीर में कुल 206 हड्डियाँ होती हैं।
प्रश्न 2.
मानव शरीर का सबसे व्यस्त अंग कौन-सा है?
उत्तर:
मानव शरीर का सबसे व्यस्त अंग हृदय है।
प्रश्न 3.
रक्त प्रवाह में सहायक अंगों के समूह को क्या कहते हैं?
उत्तर:
रक्त प्रवाह में सहायक अंगों के समूह को रक्त संचार संस्थान कहते हैं।
प्रश्न 4.
साँस अंदर लेने और बाहर छोड़ने की क्रिया को क्या कहते हैं?
उत्तर:
साँस अंदर लेने और बाहर छोड़ने की क्रिया को श्वास प्रक्रिया कहते हैं।
प्रश्न 5.
मेरुरज्जु किस संस्थान का अंग है?
उत्तर:
मेरुरज्जु केंद्रीय तंत्रिका संस्थान का अंग है।
प्रश्न 6.
मानव हृदय का औसतन भार कितना होता है?
उत्तर:
मानव हृदय का औसतन भार 300 ग्राम होता है।
प्रश्न 7.
यकृत किस संस्थान का अंग है?
उत्तर:
यकृत पाचन संस्थान का अंग है।
प्रश्न 8.
माँसपेशियों के प्रकार लिखें।
उत्तर:
- ऐच्छिक माँसपेशियाँ,
- अनैच्छिक माँसपेशियाँ,
- हृदयक माँसपेशियाँ।
प्रश्न 9.
हमारे शरीर में कितनी माँसपेशियाँ पाई जाती हैं?
उत्तर:
हमारे शरीर में लगभग 639 माँसपेशियाँ पाई जाती हैं।
प्रश्न 10.
जो माँसपेशियाँ मनुष्य की इच्छानुसार कार्य करती हैं, उन्हें क्या कहा जाता है?
उत्तर:
जो माँसपेशियाँ मनुष्य की इच्छानुसार कार्य करती हैं, उन्हें ऐच्छिक माँसपेशियाँ कहा जाता है।
प्रश्न 11.
ऐच्छिक माँसपेशियों का संबंध किससे होता है?
उत्तर:
ऐच्छिक माँसपेशियों का संबंध दिमाग से होता है।
प्रश्न 12.
जो माँसपेशियाँ मनुष्य की इच्छानुसार कार्य नहीं करतीं, उन्हें क्या कहते हैं?
उत्तर:
जो माँसपेशियाँ मनुष्य की इच्छानुसार कार्य नहीं करतीं, उन्हें अनैच्छिक माँसपेशियाँ कहते हैं।
प्रश्न 13.
कौन-सी माँसपेशियाँ निद्रावस्था में भी कार्य करती हैं?
उत्तर:
अनैच्छिक माँसपेशियाँ निद्रावस्था में भी कार्य करती हैं।
प्रश्न 14.
धारीदार माँसपेशियाँ कौन-सी होती हैं?
उत्तर:
धारीदार माँसपेशियाँ ऐच्छिक माँसपेशियाँ होती हैं।
प्रश्न 15.
व्यायाम से क्या बढ़ता है?
उत्तर:
व्यायाम से शरीर की माँसपेशियों की कार्यक्षमता बढ़ती है।
प्रश्न 16.
हृदय की माँसपेशियों पर शरीर का कौन-सा संस्थान नियंत्रण रखता है?
उत्तर:
हृदय की माँसपेशियों पर शरीर का स्नायु संस्थान नियंत्रण रखता है।
प्रश्न 17.
मनुष्य के शरीर में सबसे ज्यादा रक्त की मात्रा कहाँ विद्यमान रहती है?
उत्तर:
मनुष्य के शरीर में सबसे ज्यादा रक्त की मात्रा हृदय में विद्यमान रहती है।
प्रश्न 18.
प्रतिवर्त क्रियाओं के कोई दो उदाहरण दें।
उत्तर:
छींकना, खाँसना।
प्रश्न 19.
धमनियाँ कहाँ से आरंभ होती हैं?
उत्तर:
धमनियाँ हृदय से आरंभ होती हैं।
प्रश्न 20.
जोड़ों के कितने प्रकार होते हैं?
उत्तर:
जोड़ों के तीन प्रकार होते हैं:
- अचल जोड़,
- थोड़ी गति वाले जोड़,
- चल जोड़।
प्रश्न 21.
फेफड़ों और शरीर के दूसरे भागों से रक्त हृदय तक किसके द्वारा पहुँचता है?
उत्तर:
फेफड़ों और शरीर के दूसरे भागों से रक्त हृदय तक शिराओं द्वारा पहुँचता है।
प्रश्न 22.
अशुद्ध रक्त का संचार किसके द्वारा होता है?
उत्तर:
अशुद्ध रक्त का संचार शिराओं द्वारा होता है।
प्रश्न 23.
फेफड़ों की कार्यकुशलता बनाए रखने के लिए क्या करना चाहिए?
उत्तर:
फेफड़ों की कार्यकुशलता बनाए रखने के लिए एरोबिक व्यायाम करने चाहिए।
प्रश्न 24.
व्यायाम करने से फेफड़ों पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर:
व्यायाम करने से फेफड़ों में हवा भरने की शक्ति बढ़ जाती है जिसके कारण फेफड़ों में ज्यादा लचक आती है।
प्रश्न 25.
लाल रक्त कणों का निर्माण कहाँ होता है?
उत्तर:
लाल रक्त कणों का निर्माण अस्थि मज्जा (Bone Marrow) में होता है।
प्रश्न 26.
रक्त के सफेद कणों का मुख्य कार्य क्या है?
उत्तर:
रक्त के सफेद कणों का मुख्य कार्य शरीर को बीमारियों से बचाना है।
प्रश्न 27.
रक्त के लाल कणों का मुख्य कार्य क्या है?
उत्तर:
रक्त के लाल कणों का मुख्य कार्य ऑक्सीजन और भोजन तत्त्वों को शरीर के सैलों तक पहुँचाना है।
प्रश्न 28.
जीवन धारिता मापने वाले यंत्र का नाम बताएँ।
उत्तर:
जीवन धारिता मापने वाले यंत्र का नाम स्पाइरोमीटर है।
प्रश्न 29.
हमारी छाती में कितनी पसलियाँ होती हैं?
उत्तर:
हमारी छाती में 24 पसलियाँ होती हैं।
प्रश्न 30.
माँस तन्तुओं का समूह क्या कहलाता है?
उत्तर:
माँस तन्तुओं का समूह माँसपेशियाँ कहलाता है।
प्रश्न 31.
केंद्रीय तंत्रिका तंत्र किन अंगों से मिलकर बना है?
उत्तर:
मस्तिष्क, मेरुरज्जु।
प्रश्न 32.
मुख किस संस्थान का अंग है?
उत्तर:
मुख पाचन संस्थान का अंग है।
प्रश्न 33.
फेफड़े किस संस्थान के अंग हैं?
उत्तर:
फेफड़े श्वसन संस्थान के अंग हैं।
प्रश्न 34.
आंतें किस संस्थान की अंग हैं?
उत्तर:
आंतें पाचन संस्थान की अंग हैं।
प्रश्न 35.
हृदय किस संस्थान का अंग है?
उत्तर:
हृदय रक्त-प्रवाह संस्थान का अंग है।
भाग-II : सही विकल्प का चयन करें
1. निम्नलिखित में से माँसपेशियों के प्रकार हैं
(A) ऐच्छिक माँसपेशियाँ
(B) अनैच्छिक माँसपेशियाँ
(C) हृदयक माँसपेशियाँ
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी
2. व्यायाम का माँसपेशियों पर प्रभाव पड़ता है
(A) माँसपेशियों में लचक आना
(B) माँसपेशियों के आकार में वृद्धि होना
(C) माँसपेशियों का मजबूत व सशक्त होना
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी
3. निम्नलिखित में से उत्सर्जन संस्थान का अंग नहीं है
(A) त्वचा
(B) हृदय
(C) फेफड़े
(D) गुर्दे
उत्तर;
(B) हृदय
4. श्वसन संस्थान का अंग है
(A) नाक
(B) स्वर तंत्र
(C) श्वासनली
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी
5. मनुष्य के शरीर में कुल हड्डियाँ होती हैं
(A) 200
(B) 206
(C) 270
(D) 320
उत्तर:
(B) 206
6. वृक्क किस संस्थान का अंग है?
(A) उत्सर्जन संस्थान का
(B) रक्त संचार संस्थान का
(C) पाचन संस्थान का
(D) स्नायु संस्थान का
उत्तर:
(A) उत्सर्जन संस्थान का
7. रक्त-प्रवाह संस्थान का अंग है
(A) हृदय
(B) धमनियाँ
(C) शिराएँ
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी
8. श्वसन संस्थान का अंग नहीं है
(A) नाक
(B) कंठ
(C) हृदय
(D) फेफड़े
उत्तर:
(C) हृदय
9. किस प्रकार तंत्रिकाएँ शरीर के विभिन्न भागों की संवेदनाओं को मस्तिष्क तक पहुँचाती हैं?
(A) संवेदी तंत्रिकाएँ
(B) प्रेरक तंत्रिकाएँ
(C) मिश्रित तंत्रिकाएँ
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(A) संवेदी तंत्रिकाएँ
10. माँसपेशियाँ शरीर को प्रदान करती हैं
(A) आकार
(B) गति
(C) लचक
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी
11. निम्नलिखित में से माँसपेशियों का भाग है
(A) पेट
(B) जोड़
(C) जड़
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी
12. अनैच्छिक माँसपेशियों का कार्य है
(A) रक्त का संचार करना
(B) पाचन-क्रिया में सहायता करना
(C) श्वास-प्रक्रिया में सहायता करना
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी
13. गैर-धारीदार माँसपेशियाँ होती हैं
(A) ऐच्छिक माँसपेशियाँ
(B) अनैच्छिक माँसपेशियाँ
(C) हृदयक माँसपेशियाँ
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) अनैच्छिक माँसपेशियाँ
14. पाचन संस्थान का अंग है
(A) मुँह
(B) पेट
(C) आंतें
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी
15. नियमित व्यायाम करने से नाड़ी संस्थान पर प्रभाव पड़ता है
(A) नाड़ियों का तालमेल ठीक होना
(B) नाड़ियों को संदेश व आज्ञा जल्दी-जल्दी मिलना
(C) नाड़ियों की कार्यक्षमता में वृद्धि होना
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी
16. नियमित व्यायाम करने से पाचन संस्थान पर प्रभाव पड़ता है
(A) भोजन को पचाने में सहायता करना
(B) लार गिल्टियों की कार्यक्षमता में बढ़ोतरी करना
(C) भूख में वृद्धि होना
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी
17. नियमित व्यायाम करने से श्वसन संस्थान पर प्रभाव पड़ता है
(A) फेफड़ों की कार्य करने की क्षमता बढ़ना
(B) छाती के फैलाव में वृद्धि होना
(C) फेफड़ों में वायु की प्रक्रिया तेज होना
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(D) उपर्युक्त सभी
18. कौन-सी तंत्रिकाएँ मस्तिष्क से संदेश लेकर विभिन्न मांसपेशियों तक पहुँचाती हैं?
(A) संवेदी तंत्रिकाएँ
(B) प्रेरक तंत्रिकाएँ
(C) मिश्रित तंत्रिकाएँ
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर;
(B) प्रेरक तंत्रिकाएँ
19. साँस छोड़ने की क्रिया को कहते हैं
(A) श्वसन
(B) श्वसन खींचने की क्रिया
(C) श्वसन छोड़ने की क्रिया
(D) श्वसन संस्थान
उत्तर:
(C) श्वसन छोड़ने की क्रिया
20. साँस लेने की क्रिया को कहते हैं
(A) श्वसन
(B) श्वसन खींचने की क्रिया
(C) श्वसन छोड़ने की क्रिया
(D) श्वसन संस्थान
उत्तर:
(B) श्वसन खींचने की क्रिया
भाग-III : निम्नलिखित कथनों के उत्तर सही या गलत अथवा हाँ या नहीं में दें
1. अनैच्छिक माँसपेशियों को धारीदार माँसपेशियाँ व आज्ञाकारी माँसपेशियाँ भी कहा जाता है। (सही/गलत)
उत्तर:
गलत,
2. व्यायाम रक्त शोधन में सहायक होता है। (सही/गलत)
उत्तर:
सही,
3. व्यायाम से भूख में वृद्धि होती है। (हाँ/नहीं)
उत्तर:
हाँ,
4. हमारा शरीर विभिन्न तंतुओं एवं अंगों से मिलकर बना है जिनका निर्माण कोशिकाओं द्वारा होता है। (सही/गलत)
उत्तर:
सही,
5. मानव शरीर में छह ज्ञानेंद्रियाँ होती हैं । (सही/गलत)
उत्तर:
गलत,
6. रक्त शरीर के अंगों को भोजन पहुँचाता है। (हाँ/नहीं)
उत्तर:
हाँ,
7. व्यायाम करने से फेफड़ों में हवा भरने की शक्ति बढ़ती है। (हाँ/नहीं)
उत्तर:
हाँ,
8. अनैच्छिक माँसपेशियों पर हमारी इच्छा का पूरा नियंत्रण रहता है। (सही/गलत)
उत्तर:
गलत,
9. व्यायाम माँसपेशियों की शक्ति एवं कार्यक्षमता में कमी करते हैं। (हाँ/नहीं)
उत्तर:
नहीं,
10. व्यायाम से शरीर की क्षमता बढ़ती है। (हाँ/नहीं)
उत्तर:
हाँ,
11. व्यायाम करने से रक्त-संचार संस्थान की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है। (हाँ/नहीं)
उत्तर:
हाँ,
12. व्यायाम करने से लचीलापन बढ़ता है। (हाँ/नहीं)
उत्तर:
हाँ,
13. व्यायाम करने से फेफड़ों में वायु का आदान-प्रदान धीमा होता है। (हाँ/नहीं)
उत्तर:
नहीं,
14. व्यायाम से स्वास्थ्य ठीक रहता है। (सही/गलत)
उत्तर:
सही,
15. अस्थियाँ शरीर को सहारा देती हैं। (हाँ/नहीं)
उत्तर:
हाँ,
16. व्यायाम से माँसपेशियों में लचक आती है। (हाँ/नहीं)
उत्तर:
हाँ,
17. व्यायाम करने से प्रतिवर्त क्रियाओं की संख्या कम हो जाती है। (सही/गलत)।
उत्तर:
गलत,
18. प्रतिदिन व्यायाम करने से नाड़ी-माँसपेशियों का तालमेल ठीक हो जाता है। (हाँ/नहीं)
उत्तर:
हाँ,
19. व्यायाम करने से जोड़ों में लचकता आती है। (हाँ/नहीं)
उत्तर:
हाँ,
20. व्यायाम करने से पेट संबंधी बीमारियाँ बढ़ जाती हैं। (सही/गलत)
उत्तर:
गलत,
21. सिर में 22 हड्डियाँ होती हैं। (सही/गलत)
उत्तर:
गलत,
22. सभी प्रकार की माँसपेशियाँ अपनी इच्छानुसार कार्य करती हैं। (सही/गलत)
उत्तर:
गलत,
23. अस्थियाँ (हड्डियाँ) शरीर को आकृति प्रदान करती हैं। (हाँ/नहीं)
उत्तर:
हाँ,
24. हड्डियों के पाँच प्रकार होते हैं। (सही/गलत)
उत्तर:
सही,
25. व्यायाम शरीर के लचीलेपन में सहायक है। (हाँ/नहीं)
उत्तर:
हाँ,
भाग-IV : रिक्त स्थानों की पूर्ति करें
1. व्यायाम करने से माँसपेशियों की कार्यक्षमता में …………… होती है।
उत्तर:
वृद्धि,
2. व्यायाम करने से हृदय का आकार …………….. जाता है।
उत्तर:
बढ़,
3. व्यायाम करते समय …………….. ऑक्सीजन की अधिक मात्रा खींचते हैं।
उत्तर:
फेफड़े
4. व्यायाम करने से नींद …………….. आती है।
उत्तर:
अच्छी,
5. हृदयक माँसपेशियों में ऐच्छिक व अनैच्छिक माँसपेशियों का ………….. होता है।
उत्तर:
मिश्रण,
6. हमारे शरीर में कुल …………… हड्डियाँ होती हैं।
उत्तर:
206,
7. ……………. शरीर के सभी अंगों को ऑक्सीजन पहुँचाने का कार्य करता है।
उत्तर:
रक्त,
8. शरीर की प्रतिवर्त क्रियाएँ वे होती हैं जो …………….. होती हैं।
उत्तर:
स्वचालित,
9. वे रक्त वाहिनियाँ हैं जिनमें रक्त हृदय की ओर बहता है।
उत्तर:
शिराएँ,
10. ………… माँसपेशियाँ इच्छानुसार कार्य करती हैं।
उत्तर:
ऐच्छिक,
11. …………. तंत्रिकाएँ शरीर के विभिन्न भागों की संवेदनाओं को मस्तिष्क तक पहुँचाती हैं।
उत्तर:
संवेदी,
12. …………. शरीर को एक विशेष प्रकार का ढाँचा (रूपरेखा) प्रदान करती हैं।
उत्तर:
हड्डियाँ,
13. व्यायाम करने से भूख में ……………. होती है।
उत्तर:
वृद्धि,
14. व्यायाम से हड्डियाँ …………. होती हैं।
उत्तर:
मजबूत,
15. गुर्दे ……………….. संस्थान के अंग हैं।
उत्तर:
उत्सर्जन।
विभिन्न शारीरिक संस्थान तथा उन पर व्यायामों के प्रभाव Summary
विभिन्न शारीरिक संस्थान तथा उन पर व्यायामों के प्रभाव परिचय
हमारा शरीर बहुत-से तंतुओं व अंगों से मिलकर बना है जिनका निर्माण कोशिकाओं द्वारा होता है। शरीर के सभी अंगों या भागों में 206 हड्डियाँ होती हैं। हमारे शरीर में कोमल अंगों की रक्षा इन्हीं के द्वारा होती है। जीवित रहने के लिए मानवीय शरीर को पानी, भोजन और वायु की अति आवश्यकता होती है जिनके बिना हमारा जीवन सम्भव नहीं है। शरीर के अंदर पानी, भोजन, वायु और अन्य कार्यों को व्यवस्थित करने के लिए अनेक शारीरिक संस्थान निरंतर कार्यरत रहते हैं; जैसे माँसपेशी संस्थान, पाचन संस्थान, श्वसन संस्थान व उत्सर्जन संस्थान आदि।
ये सभी शारीरिक संस्थान अपने-अपने अंगों संबंधी कार्य करते रहते हैं, ताकि हमारा शरीर सुचारू रूप से चलता रहे। हमारे शारीरिक संस्थानों को निरंतर सुचारू रूप से कार्य करने में व्यायाम क्रियाएँ महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इन क्रियाओं का हमारे शारीरिक संस्थानों पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है। इनके करने से शारीरिक संस्थानों और उनके अंगों की कार्यक्षमता में वृद्धि व बढ़ोतरी होती है। इसलिए शारीरिक स्वास्थ्य हेतु हमें नियमित व्यायाम करते रहना चाहिए। व्यायाम का हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है
इसकी पूर्णरूपेण जानकारी हेतु हमें शरीर के विभिन्न अवयवों की रचना तथा कार्यों से अवगत होना अनिवार्य हो जाता है। हमारा शरीर एक सुंदर और पेचीदे यंत्र के समान है जिसे हम अपनी सुविधानुसार कई भागों में विभाजित कर सकते हैं। ये सभी भाग सुचारू रूप से कार्य करें तभी शरीर स्वस्थ रह सकता है। किसी एक भाग के कार्य में विघ्न पड़ने से रोगाणु उत्पन्न हो जाते हैं और वे शरीर की क्षमता को प्रभावित करने लग जाते हैं क्योंकि सभी भाग एक-दूसरे से संबंधित हैं। अतः शरीर के विभिन्न भागों अथवा प्रणालियों के पृथक्-पृथक् अध्ययन करने से ही हम शरीर की क्रियाओं को समझ सकते हैं।