HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

Haryana State Board HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Geography Important Questions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

भाग-I : सही विकल्प का चयन करें

1. दहन के लिए आवश्यक वह कौन-सी गैस है जिसे औद्योगिक सभ्यता का आधार कहा जाता है?
(A) ओज़ोन
(B) नाइट्रोजन
(C) ऑक्सीजन
(D) आर्गन
उत्तर:
(C) ऑक्सीजन

2. रंगहीन, गंधहीन और स्वादहीन ऐसी कौन-सी गैस है जिसके अभाव में मनुष्य व जीव-जंतुओं के ऊतक जलकर नष्ट हो जाते हैं?
(A) हीलियम
(B) क्रिप्टान
(C) हाइड्रोजन
(D) नाइट्रोजन
उत्तर:
(D) नाइट्रोजन

3. वह कौन-सी गैस है जिससे मिलकर पौधे स्टार्च व शर्कराओं का निर्माण करते हैं?
(A) जीनोन
(B) नियोन
(C) कार्बन-डाईऑक्साइड
(D) ओज़ोन
उत्तर:
(C) कार्बन-डाईऑक्साइड

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4. उस गैस का नाम बताइए जो चूने की चट्टानों पर कार्ट स्थलाकृति की रचना करती है और ग्रीन हाऊस प्रभाव उत्पन्न करती है।
(A) ऑक्सीजन
(B) कार्बन-डाईऑक्साइड
(C) नाइट्रोजन
(D) हाइड्रोजन
उत्तर:
(B) कार्बन-डाईऑक्साइड

5. पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर लेने वाली ओजोन गैस वायुमंडल में किस ऊंचाई पर मिलती है?
(A) 80 कि०मी० पर
(B) 50 से 100 कि०मी० तक
(C) 10 से 50 कि०मी० तक
(D) 8 से 16 कि०मी० तक
उत्तर:
(C) 10 से 50 कि०मी० तक

6. वायुमंडल में कार्बन-डाईऑक्साइड किस ऊंचाई तक पाई जाती है?
(A) 50 कि०मी०
(B) 90 कि०मी०
(C) 120 कि०मी०
(D) 30 कि०मी०
उत्तर:
(B) 90 कि०मी०

7. वायुमंडल का कौन-सा घटक इंद्रधनुष और प्रभामण्डल जैसे मनभावन दृश्य विकसित करने में भूमिका निभाता है?
(A) कण
(B) गैस
(C) उल्कापात
(D) जलवाष्प
उत्तर:
(D) जलवाष्प

8. अधिकांश मौसमी घटनाएँ किस मण्डल में घटित होती हैं?
(A) क्षोभमण्डल
(B) समतापमण्डल
(C) आयनमण्डल
(D) ओज़ोन मण्डल
उत्तर:
(A) क्षोभमण्डल

9. वायुमंडल की किस परत को “मौसमी परिवर्तनों की छत” कहा जाता है?
(A) समतापमण्डल
(B) समताप सीमा
(C) मध्यमण्डल सीमा
(D) क्षोभसीमा
उत्तर:
(D) क्षोभसीमा

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10. वायुमंडल की कौन-सी परत पृथ्वी की ओर से भेजी गई रेडियो तरंगों को परावर्तित करके पुनः पृथ्वी पर भेज देती है?
(A) तापमण्डल
(B) समतापमण्डल
(C) मध्यमण्डल
(D) क्षोभमण्डल
उत्तर:
(A) तापमण्डल

11. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन असत्य है?
(A) पृथ्वी की ओर आ रहे उल्कापिंड समतापमण्डल में जलकर नष्ट हो जाते हैं।
(B) मध्यमण्डल सीमा को ‘मुक्त मेघों की जननी’ कहा जाता है।
(C) समतापमण्डल में उड़ते जेट विमान से छूटती सफेद पूंछ वास्तव में इंजन से निकली नमी होती है।
(D) वायुमंडल गतिशील, लचीला, संपीड्य और प्रसारणीय है।
उत्तर:
(B) मध्यमण्डल सीमा को ‘मुक्त मेघों की जननी’ कहा जाता है।

12. निम्नलिखित में से कौन-सी गैस वायुमण्डल में सबसे कम मात्रा में मौजूद है?
(A) ऑक्सीजन
(B) कार्बन-डाइऑक्साइड
(C) नाइट्रोजन
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(B) कार्बन-डाइऑक्साइड

भाग-II : एक शब्द या वाक्य में उत्तर दें

प्रश्न 1.
वायुमंडल की सबसे निचली परत में कौन सी गैस पाई जाती है?
उत्तर:
कार्बन-डाइऑक्साइड।

प्रश्न 2.
वह कौन-सी गैस है जिसके बिना आग नहीं जलाई जा सकती?
उत्तर:
ऑक्सीजन।

प्रश्न 3.
कौन-सी गैस पौधों व वनस्पति का भोजन बनाने में काम आती है?
उत्तर:
नाइट्रोजन।

प्रश्न 4.
वायुमंडल की कौन-सी गैस पराबैंगनी विकिरण को सोख लेती है?
उत्तर:
ओज़ोन।

प्रश्न 5.
मानव तथा धरातलीय जीवों के लिए कौन-सी परत सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर:
क्षोभमण्डल।

प्रश्न 6.
क्षोभमण्डल की ध्रुवों तथा भूमध्यरेखा पर ऊँचाई क्रमशः कितनी है?
उत्तर:
8 कि०मी० व 18 कि०मी०।

प्रश्न 7.
वायुमंडल की कौन-सी परत द्वारा रेडियो तरंगों का पृथ्वी की ओर परावर्तन होता है?
उत्तर:
आयनमण्डल द्वारा।

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प्रश्न 8.
जेट विमानों के उड़ान की आदर्श स्थिति किस मण्डल में है?
उत्तर:
समतापमण्डल में।

प्रश्न 9.
ऊँचाई के साथ तापमान किस मण्डल में बढ़ता है?
उत्तर:
समतापमण्डल में।

प्रश्न 10.
क्षोभमण्डल को समतापमण्डल से अलग करने वाली पतली परत का नाम बताइए।
उत्तर:
क्षोभ सीमा।

प्रश्न 11.
ध्रुवीय प्रकाश के दर्शन वायुमंडल की किस परत में होते हैं?
उत्तर:
आयनमण्डल में।

प्रश्न 12.
वायुमंडल की सबसे निचली परत का नाम बताएँ।
उत्तर:
क्षोभमण्डल।

प्रश्न 13.
वायुमंडल की किस परत में मौसमी दशाएँ अथवा वायुमंडलीय विघ्न पाए जाते हैं?
उत्तर:
क्षोभमण्डल में।

प्रश्न 14.
वायुमंडल की किस परत में तापमान स्थिर रहता है?
उत्तर:
समतापमण्डल में।

प्रश्न 15.
कौन-सी गैस ‘काँच घर का प्रभाव’ उत्पन्न करती है?
उत्तर:
कार्बन-डाइऑक्साइड।

प्रश्न 16.
वायुमंडल पृथ्वी के साथ किस शक्ति के कारण से टिका हुआ है?
उत्तर:
पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण।

प्रश्न 17.
आधुनिक खोजों के अनुसार वायुमंडल की ऊँचाई कितनी है?
उत्तर:
32,000 कि०मी० से अधिक।

प्रश्न 18.
निम्नलिखित में से प्रत्येक के लिए पारिभाषिक शब्द लिखिए-

  1. समतापमण्डल को क्षोभमण्डल से अलग करने वाली परत।
  2. वायुमंडल का वह संस्तर जिसमें वायुयानों को उड़ाने के लिए आदर्श दशाएँ मौजूद हैं।
  3. वायुमंडल का वह संस्तर जो पृथ्वी से प्रेषित रेडियो तरंगों को परावर्तित करके पुनः पृथ्वी के धरातल पर वापस भेज देता है।
  4. हवा का वह विस्तृत आवरण जो पृथ्वी को चारों ओर से पूर्णतः ढके हुए हैं।
  5. वायुमंडल का वह संस्तर जो समतापमण्डल और आयनमण्डल के बीच स्थित है।
  6. वायुमंडल का सबसे ऊपरी संस्तर।

उत्तर:

  1. क्षोभ सीमा
  2. समतापमण्डल
  3. आयनमण्डल
  4. वायुमंडल
  5. मध्यमण्डल
  6. बाह्यमण्डल।

अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
वायुमंडल किन तत्त्वों से बना हुआ है?
उत्तर:
अनेक गैसों, जलवाष्प तथा कुछ सूक्ष्म ठोस कणों से।

प्रश्न 2.
जीवन के लिए कौन-सी गैसें महत्त्वपूर्ण हैं?
उत्तर:
मनुष्य और जानवरों के लिए ऑक्सीजन तथा पेड़-पौधों के लिए कार्बन-डाइऑक्साइड।

प्रश्न 3.
वायुमंडल की प्रमुख परतों के नाम बताइए।
उत्तर:

  1. क्षोभमण्डल
  2. समतापमण्डल
  3. मध्यमण्डल
  4. आयनमण्डल तथा
  5. बाह्यमण्डल।

प्रश्न 4.
क्षोभमण्डल में तापमान की सामान्य ह्रास दर कितनी है?
उत्तर:
165 मीटर के लिए 1° सेल्सियस या 1 कि०मी० के लिए 6.4° सेल्सियस।

प्रश्न 5.
वायुमंडल में नाइट्रोजन व ऑक्सीजन गैसों का कितना-कितना प्रतिशत है?
उत्तर:
क्रमशः 78 प्रतिशत व 21 प्रतिशत।

प्रश्न 6.
वायुमंडल का हमारे लिए क्या महत्त्व है?
उत्तर:
वायुमंडल के कारण ही पृथ्वी पर जीवन सम्भव हुआ है।

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प्रश्न 7.
ओज़ोन गैस का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
यह गैस सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों के कुछ अंश को अवशोषित कर लेती है।

प्रश्न 8.
ओजोन परत के छिलने या कम होने के दो कारण बताओ।
उत्तर:

  1. कार्बन-डाइऑक्साइड गैस का अधिक औद्योगिक उपयोग।
  2. वनों की अत्यधिक कटाई।

प्रश्न 9.
ओज़ोन परत धरातल से कितनी ऊँचाई पर स्थित है?
उत्तर:
10 से 50 कि०मी० की ऊँचाई पर।

प्रश्न 10.
आयतन के हिसाब से वायुमंडल में वाष्प की कितनी मात्रा पाई जाती है?
उत्तर:
अति ठण्डे व अति शुष्क क्षेत्रों में हवा के आयतन के एक प्रतिशत तक तथा भूमध्य रेखा के पास उष्ण व आर्द्र क्षेत्रों में हवा के आयतन के 4 प्रतिशत तक।

प्रश्न 11.
मौसम के प्रमुख तत्त्व कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
तापमान, वर्षा, पवनों की दिशा, पवनों की गति, आर्द्रता व मेघ इत्यादि।

प्रश्न 12.
जलवाष्प के मुख्य स्रोत कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
वाष्पीकरण तथा पेड़-पौधों व मिट्टी से वाष्पोत्सर्जन।

प्रश्न 13.
जलवाष्पों के मुख्य कार्य कौन-से होते हैं?
उत्तर:
वाष्प ही संघनित होकर ओस, कुहासा, कोहरा तथा बादल बनाते हैं।

प्रश्न 14.
धूलकणों का वायुमंडल में क्या महत्त्व है?
उत्तर:
ये ताप का अवशोषण करते हैं तथा धुंध, धूम कोहरा व बादल बनाते हैं।

प्रश्न 15.
ऐरोसोल क्या होता है?
उत्तर:
वायुमंडल में धूल, पराग व नमक आदि के ठोस कणों को ऐरोसोल कहा जाता है।

प्रश्न 16.
क्षोभमण्डल की ऊँचाई भूमध्य रेखा पर अधिक क्यों होती है?
उत्तर:
ध्रुवों पर क्षोभमण्डल की ऊँचाई 8 किलोमीटर और भूमध्य रेखा पर 18 किलोमीटर है। भूमध्य रेखा पर क्षोभमण्डल की अधिक ऊँचाई का कारण यह है कि वहाँ पर चलने वाली तेज़ संवहन धाराएँ ऊष्मा को धरातल से अधिक ऊँचाई पर ले जाती हैं। यही कारण है कि जाड़े की अपेक्षा गर्मी में क्षोभमण्डल की ऊँचाई बढ़ जाती है।

प्रश्न 17.
विषममण्डल (Heterosphere) से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
विषममण्डल एक परतदार उष्ण मण्डल है जो मध्यमण्डल से ऊपर स्थित है। इस मण्डल में तापमान तेज़ी से बढ़ता है। यहाँ 350 कि०मी० की ऊँचाई पर तापमान 900° सेल्सियस तक पहुँच जाता है।

प्रश्न 18.
पृथ्वी का अंग न होते हुए भी वायुमंडल पृथ्वी से क्यों जुड़ा हुआ है?
उत्तर:
वायुमंडल का अधिकतर भाग भू-पृष्ठ से केवल 32 कि०मी० की ऊँचाई तक सीमित है। पृथ्वी का अंग न होते हुए भी वायुमंडल- पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के कारण पृथ्वी से जुड़ा हुआ है।

प्रश्न 19.
वायुमंडल की सक्रिय व निष्क्रिय गैसें कौन-सी हैं?
उत्तर:
वायुमंडल में ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, कार्बन-डाइऑक्साइड तथा ओज़ोन गैसें सक्रिय गैसें हैं, परन्तु कुछ गैसें अत्यन्त कम मात्रा में मिलती हैं और रासायनिक प्रतिक्रियाओं में शामिल नहीं होतीं। ऐसी निष्क्रिय गैसों में जेलोन, क्रिप्टॉन, नियॉन तथा आर्गन इत्यादि आती हैं।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
वायुमंडल की प्रमुख विशेषताओं का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
वायुमंडल की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  1. वायुमंडल की वायु एक रंगहीन, गंधहीन तथा स्वादहीन पदार्थ है।
  2. वायुमंडल को हम देख नहीं सकते। वर्षा, ओले, तूफ़ान, बादल, तड़ित व धुंध जैसी घटनाओं से हम इसकी उपस्थिति का अनुभव कर सकते हैं।
  3. नवीनतम खोजों के अनुसार वायुमंडल 32,000 कि०मी० से भी अधिक ऊँचाई तक फैला हुआ है। कभी इसकी ऊँचाई केवल 800 कि०मी० मानी जाती थी।
  4. वास्तव में वायुमंडल की कोई ऐसी ऊपरी सीमा तय नहीं हो सकी जो इसे अन्तरिक्ष (Universe) से अलग करती हो।
  5. भू-तल के निकट वायु सघन (Dense) होती है जो ऊँचाई बढ़ने के साथ उत्तरोत्तर विरल (Rare) और हल्की होती जाती है।
  6. यह पता ही नहीं चल पाता कि कहाँ वायुमंडल समाप्त होकर अन्तरिक्ष में विलीन हो गया।

प्रश्न 2.
वायुमंडल किन-किन तत्त्वों से मिलकर बना है? उन तत्त्वों की प्रतिशत मात्रा लिखिए।
उत्तर:
वायुमंडल विभिन्न गैसों का एक मिश्रण है जिसमें ठोस तथा तरल पदार्थों के कण असमान मात्रा में तैरते रहते हैं। शुद्ध शुष्क वायु में नाइट्रोजन 78.08%, ऑक्सीजन 20.95%, कार्बन-डाइऑक्साइड 0.036% और हाइड्रोजन 0.01% तथा ओज़ोन इत्यादि गैसें होती हैं। वायुमंडल में गैसों के अतिरिक्त जलकण तथा धूलकण होते हैं। वायु का संघटन विभिन्न स्थानों तथा विभिन्न समयों में भिन्न होता है। विश्व की जलवायु तथा मौसमी दशाएँ इसी पर आधारित होती हैं।

शुद्ध शुष्क वायु निम्नलिखित तत्त्वों से बनी होती है:

वायु में विभिन्न गैसों की प्रतिशत मात्रा (आयतन)
नाइट्रोजन (N2) 78%
ऑक्सीजन (O2) 21%
आर्गन (Ar) 0.93%
कार्बन-डाइऑक्साइड (CO2) 0.03%
अन्य 0.04%

प्रश्न 3.
वायुमंडल में ऑक्सीजन व कार्बन-डाइऑक्साइड के महत्त्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ऑक्सीजन का महत्त्व-

  • यह एक जीवनदायिनी गैस है। मनुष्य और जानवर श्वसन में ऑक्सीजन को ही ग्रहण करते हैं।
  • ऑक्सीजन दहन के लिए आवश्यक है। इसके बिना आग नहीं जलाई जा सकती। इस प्रकार ऑक्सीजन ऊर्जा का प्रमुख साधन व औद्योगिक सभ्यता का आधार है।
  • शैलों के रासायनिक अपक्षय में सहयोग देकर ऑक्सीजन अनेक भू-आकारों की उत्पत्ति का कारण बनती है।

कार्बन-डाइऑक्साइड का महत्त्व-

  • जीवित रहने के लिए पौधे कार्बन-डाइऑक्साइड पर निर्भर करते हैं।
  • हरे पौधे वायुमंडल की कार्बन-डाइऑक्साइड से मिलकर स्टार्च व शर्कराओं का निर्माण करते हैं।
  • यह गैस प्रवेशी सौर विकिरण को तो पथ्वी तल तक आने देती है किन्त पथ्वी से विकिरित होने वाली लम्बी तरंगों को बाहर जाने से रोकती है। इससे पृथ्वी के निकट वायुमंडल का निचला भाग गर्म रहता है। इस प्रकार कार्बन-डाइऑक्साइड ‘काँच घर का प्रभाव’ उत्पन्न करती है।
  • औद्योगिक क्रान्ति के बाद जैव ईंधन (लकड़ी, कोयला, पेट्रोल व गैस) के अधिक जलने से वायुमंडल में कार्बन-डाइऑक्साइड की मात्रा 10 प्रतिशत बढ़ी है जिससे भू-मण्डलीय ऊष्मा में वृद्धि हुई है।
  • वर्षा जल में घुलकर कार्बन-डाइऑक्साइड तनु अम्ल बनाती है और चूने की चट्टानों पर ‘कार्ट स्थलाकृति’ की रचना करती है।

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प्रश्न 4.
वायुमंडल में धूलकणों का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
वायुमंडल में उपस्थित धूल के कण निम्नलिखित रूप से महत्त्वपूर्ण हैं-

  1. धूलकण सौर ताप के कुछ भाग को सोख लेते हैं तथा कुछ भाग को परावर्तित कर देते हैं जिससे वायुमंडल का तापमान अधिक नहीं बढ़ता।
  2. वायुमंडल में उपस्थित धूलकण आर्द्रताग्राही केन्द्र का कार्य करते हैं। इनके चारों ओर ही जलवाष्प केन्द्रित होते हैं जिससे कोहरा तथा बादल आदि का निर्माण होता है और वर्षा होती है।
  3. धूलकणों के कारण वायुमंडल की दर्शन क्षमता कम होती है।
  4. धूलकणों के कारण ही सूर्योदय, सूर्यास्त तथा इन्द्रधनुष आदि रंग-बिरंगे दृश्यों का निर्माण होता है।

प्रश्न 5.
वायुमंडल में नाइट्रोजन व ओज़ोन गैस का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
नाइट्रोजन का महत्त्व-

  • नाइट्रोजन वायु में उपस्थित ऑक्सीजन के प्रभाव को कम करती है। यदि वायुमंडल में नाइट्रोजन न होती तो वस्तुएँ इतनी तेज़ी से जलती कि उस पर नियन्त्रण करना कठिन होता।
  • नाइट्रोजन के अभाव में मनुष्य तथा जीव-जन्तुओं के शरीर के ऊतक भी जलकर नष्ट हो जाते हैं।
  • मिट्टी में नाइट्रोजन की उपस्थिति प्रोटीनों का निर्माण करती है जो पौधों और वनस्पति का भोजन बनते हैं।
  • नाइट्रोजन की उपस्थिति के कारण ही वायुदाब, पवनों की गति तथा प्रकाश के परावर्तन का आभास होता है।

ओज़ोन गैस का महत्त्व ओजोन गैस सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों के कुछ अंश को अवशोषित कर लेती है जिससे स्थलमण्डल एक उपयुक्त सीमा से अधिक गर्म नहीं हो पाता। इस प्रकार यह गैस एक छलनी (Filter) का कार्य करती है जिसकी अनुपस्थिति में सब कुछ जलकर समाप्त हो जाता है।

प्रश्न 6.
वायुमंडल में जलवाष्प के महत्त्व का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
वाष्प ही संघनित होकर ओस, कुहासा, कोहरा तथा बादलों का सृजन करते हैं। धरती पर वर्षा और हिमपात भी इन्हीं के कारण होता है। वायुमंडल में जलवाष्प की उपस्थिति के कारण ही इन्द्रधनुष तथा प्रभा-मण्डल जैसे मनभावन दृश्य विकसित होते हैं।

वाष्प की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण क्रिया उसकी पारदर्शिता पर आधारित होती है। इसी पारदर्शिता के कारण लघु तरंगों के रूप में सूर्य की ऊष्मा धरती पर पहुँच सकती है किन्तु लम्बी तरंगों के रूप में विकिरित ऊष्मा वायुमंडल को चीरकर बाहर नहीं जा पाती। अतः वायुमंडल में वाष्पों की उपस्थिति के कारण पृथ्वी गर्म रह पाती है। इस प्रकार वाष्प विशाल कम्बल की भाँति कार्य करते हैं। वाष्प या जल के अन्य रूपों द्वारा छोड़ी गई गुप्त ऊष्मा (Latent Heat) अनेक मौसमी दशाओं को जन्म देती है।

प्रश्न 7.
वायुमंडल में पाए जाने वाले ठोस कण और आकस्मिक रचक कौन-कौन से होते हैं?
उत्तर:
गैस तथा वाष्प के अतिरिक्त वायु में कुछ सूक्ष्म ठोस कण भी पाए जाते हैं जिनमें धूलकण सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण होते हैं। ये कण सौर विकिरण का कुछ अंश अवशोषित कर लेते हैं साथ ही सूर्य की किरणों का परावर्तन (Reflection) और प्रकीर्णन (Scattering) भी करते हैं। इसी के परिणामस्वरूप हमें आकाश नीला दिखाई पड़ता है। किरणों के प्रकीर्णन के कारण ही सूर्योदय और सूर्यास्त के समय आकाश में लाल और नारंगी रंग की छटाएँ बनती हैं। इन्हीं धूल कणों के कारण ही धुंध (Haze) व धूमकोहरा (Smog = Smoke + Fog) बनता है।

वायुमंडल में कुछ आकस्मिक रचक (Accidental Component) और अपद्रव्य (Impurities) भी शामिल होती हैं। इनमें धुएँ की कालिख (soot), ज्वालामुखी राख, उल्कापात के कण, समुद्री झाग के बुलबुलों के टूटने से मुक्त हुए ठोस लवण, जीवाणु, बीजाणु तथा पशुशालाओं के पास की वायु में अमोनिया के अंश इत्यादि पदार्थ आते हैं।

प्रश्न 8.
गुप्त ऊष्मा क्या होती है तथा मौसम पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है?
अथवा
“गुप्त ऊष्मा प्रचण्ड मौसमी दशाओं का इंजन कहलाती है।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
केवल जल में निराली विशेषता होती है कि वह तापमान के अनुसार गैस, तरल व ठोस अवस्था में बदल सकता है। जल जब एक अवस्था से दूसरी अवस्था में बदलता है तो यह या तो ऊष्मा छोड़ता है या ग्रहण करता है। इसके बिना जल की अवस्था बदल नहीं सकती। इस ऊष्मा को गुप्त ऊष्मा (Latent Heat) कहते हैं। वाष्पन (Evaporation) की प्रक्रिया में जलवाष्प ऊष्मा को ग्रहण करते हैं जबकि संघनन की प्रक्रिया में ऊष्मा का त्याग होता है। प्रायः त्यागी गई ऊष्मा, ग्रहण की गई ऊष्मा के लगभग समान होती है। पवनें गुप्त ऊष्मा का स्थानान्तरण करती हैं। जब गुप्त ऊष्मा अत्यधिक मात्रा में निकलती है तो वायु में असन्तुलन की दशाएँ उत्पन्न हो जाती हैं। फलस्वरूप बिजली की कड़क, बादलों का गरजना, उष्ण-कटिबन्धीय चक्रवात और तड़ित-झंझावात जैसी प्रचण्ड घटनाएँ घटित होती हैं।

प्रश्न 9.
मनुष्य के लिए वायुमंडल का क्या महत्त्व है?
उत्तर:
वायुमंडल मनुष्य के लिए निम्नलिखित प्रकार से महत्त्वपूर्ण है-

  1. वायुमंडल में उपस्थित ऑक्सीजन गैस मानव-जीवन का आधार है।
  2. पेड़-पौधों का जीवन वायुमंडल की कार्बन-डाइऑक्साइड पर निर्भर करता है।
  3. वायुमंडल सूर्यातप को अवशोषित करके एक काँच घर (Glass House) का कार्य करता है।
  4. वायुमंडल में उपस्थित धूलकण वर्षा का आधार बनते हैं।
  5. वायुमंडल का विभिन्न खाद्यान्नों, मौसम, जलवायु तथा वायुमार्गों पर भी प्रभाव पड़ता है।

प्रश्न 10.
क्षोभमण्डल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
भू-तल के सम्पर्क में क्षोभमण्डल वायुमंडल की सबसे निचली परत है जिसका घनत्व सर्वाधिक है। ध्रुवों पर इस परत की ऊँचाई 8 किलोमीटर और भूमध्य रेखा पर 18 किलोमीटर है। भूमध्य रेखा पर क्षोभमण्डल की अधिक ऊँचाई का कारण यह है कि वहाँ पर चलने वाली तेज़ संवहन धाराएँ ऊष्मा को धरातल से अधिक ऊँचाई पर ले जाती हैं। यही कारण है कि जाड़े की अपेक्षा गर्मी में क्षोभमण्डल की ऊँचाई बढ़ जाती है। संवहन धाराओं की अधिक सक्रियता के कारण इस परत को प्रायः संवहन क्षेत्र भी कहते हैं। इस मण्डल में प्रति 165 मीटर की ऊँचाई पर 1° सेल्सियस तापमान गिर जाता है। ऊँचाई बढ़ने पर तापमान गिरने की इस दर को सामान्य हास दर कहा जाता है। मानव व अन्य धरातलीय जीवों के लिए यह परत सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है। ऋतु व मौसम सम्बन्धी लगभग सभी घटनाएँ; जैसे बादल, वर्षा, भूकम्प आदि जो मानव-जीवन को प्रभावित करती हैं, इसी परत में घटित होती हैं। क्षोभमण्डल में ही भारी गैसों, जलवाष्प, धूलकणों, अशुद्धियों व आकस्मिक रचकों की अधिकतम मात्रा पाई जाती है।

क्षोभमण्डल की ऊपरी सीमा को क्षोभ सीमा (Tropopause) कहते हैं। यह क्षोभमण्डल व समतापमण्डल को अलग करती है। लगभग 11/2 से 2 किलोमीटर मोटी इस परत में ऊँचाई के साथ तापमान गिरना बन्द हो जाता है। इस भाग में हवाएँ व संवहनी धाराएँ भी चलना बन्द हो जाती हैं।

प्रश्न 11.
क्षोभ सीमा क्या है?
उत्तर:
भू-तल से ऊपर की ओर जाते हुए तापमान असमान दर से परिवर्तित होता है। 15 कि०मी० की ऊँचाई तक तापमान के घटने की दर धीमी होती है। 80 कि०मी० तक तापमान में परिवर्तन नहीं होता, परन्तु 80 कि०मी० के पश्चात् तापमान में तेज़ी से वृद्धि होती है। क्षोभमण्डल से ऊपर समतापमण्डल आरम्भ हो जाता है। समतापमण्डल तथा क्षोभमण्डल को अलग करने वाला संक्रमण क्षेत्र क्षोभ सीमा कहलाता है।

प्रश्न 12.
क्षोभ सीमा पर ध्रुवों की अपेक्षा विषुवत् रेखा के ऊपर न्यूनतम तापमान क्यों पाया जाता है?
उत्तर:
पृथ्वी पर न्यूनतम तापमान ध्रुवीय क्षेत्रों में मिलता है, परन्तु वायुमंडल में क्षोभ सीमा पर न्यूनतम तापमान विषुवत् रेखा पर मिलता है। विषुवत् रेखा पर क्षोभ सीमा में न्यूनतम तापमान -80° सेल्सियस तथा ध्रुवों पर -45° सेल्सियस पाया जाता है। इसका प्रमुख कारण क्षोभ सीमा की ऊँचाई है। विषुवत रेखा पर इसकी ऊँचाई 18 कि०मी० तथा ध्रुवों पर केवल 8 कि०मी० होती है। वायुमंडल में भू-तल से ऊपर की ओर जाते हुए प्रति 165 मी० पर तापमान 1° सेल्सियस कम होता है। भूमध्य रेखा से क्षोभ सीमा की ऊँचाई अधिक होने के कारण वहाँ तापमान न्यूनतम होता है।

प्रश्न 13.
वायुमंडलीय प्रक्रम क्या होते हैं तथा उनका जलवायु के तत्त्वों से क्या सम्बन्ध होता है?
उत्तर:
वायुमंडलीय प्रक्रमों का अर्थ वायुमंडल में होने वाली उन घटनाओं से है जो दीर्घकाल तक वायुमंडल और पृथ्वी के बीच ताप और आर्द्रता के विनिमय होने के फलस्वरूप घटित होती हैं। भूमण्डलीय पवन-प्रवाह, वाष्पन, द्रवण, ऊष्मा का संचरण एवं विकिरण, जलीय चक्र इत्यादि वायुमंडलीय प्रक्रम हैं जो जैवमण्डल को सर्वाधिक प्रभावित करते हैं। वायुमंडल के सभी प्रक्रम कुछ जलवायवीय तत्त्वों पर निर्भर करते हैं; जैसे तापमान, वायुदाब, आर्द्रता, वायु की दिशा एवं गति तथा जलवायु परिवर्तन आदि।

प्रश्न 14.
आयनमण्डल पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
आयनमण्डल-मध्यमण्डल सीमा से परे स्थित आयनमण्डल 80 से 400 किलोमीटर की ऊँचाई तक विस्तृत है। इस परत में विद्यमान गैस के कण विद्युत् आवेशित होते हैं। इन विद्युत् आवेशित कणों को आयन कहा जाता है। ये आयन विस्मयकारी विद्युतीय और चुम्बकीय घटनाओं का कारण बनते हैं। इसी परत में ब्रह्माण्ड किरणों का परिलक्षण होता है। आयनमण्डल पृथ्वी की ओर से भेजी गई रेडियो-तरंगों को परावर्तित करके पुनः पृथ्वी पर भेज देता है। इसी मण्डल से उत्तरी ध्रुवीय प्रकाश (Aurora Borealis) तथा दक्षिणी ध्रुवीय प्रकाश (Aurora Australis) के दर्शन होते हैं।

प्रश्न 15.
जलवायु के मुख्य नियन्त्रक कौन-कौन से हैं?
अथवा
किसी स्थान की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?
उत्तर:
किसी स्थान की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक हैं-

  1. अक्षांश
  2. समुद्र तल से ऊँचाई
  3. जल व स्थल का वितरण
  4. वायुदाब
  5. प्रचलित पवनें
  6. सागरीय धाराएँ
  7. स्थलीय अवरोध।

प्रश्न 16.
ओज़ोन पर टिप्पणी लिखिए। यह परत क्यों छिज रही है? परत के पतला होने के सम्भावित नुकसान बताइए।
उत्तर:
ओजोन परत-ओज़ोन गैस ऑक्सीजन का ही एक विशिष्ट रूप है जो समतापमण्डल में 20 से 50 कि०मी० की ऊँचाई , में पाई जाती है। ओज़ोन गैस सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों (Ultra-Violet Rays) के कुछ अंश को अवशोषित कर लेती है जिससे स्थलमण्डल एक उपयुक्त सीमा से अधिक गर्म नहीं हो पाता। इस प्रकार यह गैस एक छलनी (Filter) का कार्य करती है जिसकी अनुपस्थिति में सब कुछ जलकर समाप्त हो जाता है। कार्बन-डाइऑक्साइड, अन्य रसायनों तथा अणु शक्ति के परीक्षणों से ओज़ोन की मात्रा घट रही है। सन् 1980 में अंटार्कटिका महाद्वीप के ऊपर ओजोन परत में एक सुराख देखा गया था। इस सुराख से पराबैंगनी किरणें पृथ्वी पर पहुँच सकती हैं जिससे त्वचा का कैंसर व अन्धापन बढ़ सकता है।

प्रश्न 17.
कौन-सी गैस अल्प मात्रा में होते हुए भी वायुमंडलीय प्रतिक्रियाओं के लिए महत्त्वपूर्ण मानी जाती है?
उत्तर:
वायुमंडल में 0.03 प्रतिशत होते हुए भी कार्बन-डाइऑक्साइड अनेक वायुमंडलीय प्रतिक्रियाओं में शामिल होती है। यह गैस ऊष्मा का अवशोषण करती है जिससे निचला वायुमंडल प्रवेशी सौर विकिरण तथा पार्थिव विकिरण द्वारा गर्म हो पाता है। प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया के दौरान हरे पौधे वायुमंडल से कार्बन-डाइऑक्साइड का प्रयोग करते हैं।

HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

प्रश्न 18.
निम्नलिखित शब्दों के अर्थ स्पष्ट कीजिए-
(1) संघनन
(2) इन्द्रधनुष
(3) प्रभामण्डल
(4) धूम कोहरा
(5) प्रकीर्णन
(6) उल्काएँ
(7) मौसम और जलवायु में अंतर
(8) ध्रुवीय प्रकाश
(9) इंटरनेट।
उत्तर:
(1) संघनन-उस ताप को जिस पर वायु अपने में विद्यमान जलवाष्प से संतृप्त हो जाती है, ओसांक (dew point) कहते हैं। वायु का ताप ओसांक से नीचे गिरने पर उसमें विद्यमान जल-वाष्प द्रव जल में बदल जाता है जो ओस या कुहासे के रूप में प्रकट होता है। जलवाष्प के द्रव जल में परिणित होने की घटना संघनन कहलाती है।

(2) इन्द्रधनुष बहुरंजित प्रकाश की एक चाप, जो वर्षा की बूंदों द्वारा सूर्य की किरणों के आन्तरिक अपवर्तन तथा परावर्तन द्वारा निर्मित होती है।

(3) प्रभामण्डल-सूर्य अथवा चन्द्रमा के चारों ओर एक प्रकाश-वलय जो उस समय बनता है जब आकाश में पक्षाभ-स्तरी मेघ की एक महीन परत छायी रहती है। जब सौर प्रभामण्डल बन जाता है, तब वह सूर्य को चमक के कारण दिखाई नहीं देता, परन्तु गहरे रंग के शीशे से आसानी से देखा जा सकता है।

(4) धूम कोहरा अत्यधिक धुएँ से भरा कोहरा धूम कोहरा (Smog) कहलाता है, जो सामान्य रूप से औद्योगिक तथा घने बसे नगरीय क्षेत्रों में पाया जाता है। अंग्रेजी भाषा के इस शब्द की रचना दो शब्दों स्मोक व फॉग (Smoke + Fog) को मिलाकर की गई है।

(5) प्रकीर्णन-लघु तरंगी सौर विकिरण का वायुमंडल के धूलकण व जलवाष्पों से टकराकर टूटना।

(6) उल्काएँ उल्काएँ पत्थर व लोहे के पिण्ड हैं जो अन्तरिक्ष में तेज गति से घमते रहते हैं। कभी-कभी उल्काएँ वायमंडल में खिंच आती हैं और वायु के साथ घर्षण से उत्पन्न ऊष्मा से जल उठती हैं। ऐसी अवस्था में आकाश में प्रकाश की रेखा भी खिंचकर लुप्त हो उठती है। ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे एक तारा टूटकर गिर रहा हो। इस घटना को उल्कापात कहते हैं। उल्काओं की उत्पत्ति का कुछ नहीं पता।

(7) मौसम और जलवायु में अन्तर-मौसम किसी स्थान की दिए हुए समय में वायुमंडलीय दशाओं; जैसे तापमान, आर्द्रता, वायु इत्यादि का वर्णन है। उदाहरण, आज सुबह ठण्ड थी, दोपहर को बादल छाए थे व शाम का मौसम सुहावना था इत्यादि। लेकिन 35 वर्षों तक पाई जाने वाली मौसमी दशाओं की औसत होती है। उदाहरणतः, राजस्थान की जलवायु शुष्क व पश्चिम बंगाल की आई है या इण्डोनेशिया की जलवायु उष्ण एवं आर्द्र है।

(8) ध्रुवीय प्रकाश-आयनमण्डल में विद्युत्-चुम्बकीय घटना (Electromagnetic Phenomenon) का एक प्रकाशमय प्रभाव, जो उच्च अक्षांशों में रात के समय पृथ्वी से 100 किलोमीटर की ऊँचाई पर लाल, हरे व सफेद चापो के रूप में दिखाई पड़ता है, ध्रुवीय प्रकाश कहलाता है। दक्षिणी गोलार्द्ध में यह प्रकाश दक्षिण ध्रुवीय प्रकाश (Aurora Australis) व उत्तरी गोलार्द्ध में उत्तर ध्रुवीय प्रकाश (Aurora Borealis) के नाम से जाना जाता है।

(9) इंटरनेट (Internet)-एक ऐसी विद्युतीय व्यवस्था जिसमें सूचना के महामार्ग (Information Superhighway) पर बैठे लाखों, करोड़ों लोगों द्वारा आपस में जुड़े हुए कम्प्यूटरों द्वारा सूचनाओं का आदान-प्रदान होता है।

निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पृथ्वी पर जीवन के लिए वायुमंडल के महत्त्व को स्पष्ट करें।
अथवा
“वायुमंडल की उपस्थिति ने ही पृथ्वी को सौरमण्डल में विलक्षणता प्रदान की है।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
पर्यावरण रूपी समग्र इकाई के चार प्रमुख अंगों यथा वायुमंडल, स्थलमण्डल, जलमण्डल और जैवमण्डल में वायुमंडल सबसे महत्त्वपूर्ण और गतिशील अंग है। सच तो यह है कि वायुमंडल की उपस्थिति ने ही पृथ्वी को सौरमण्डल में विलक्षणता प्रदान की है।

पृथ्वी पर जीवन के लिए वायुमंडल का महत्त्व-
1. जीवन का अनिवार्य तत्त्व-जल, थल और नभ में रहने वाला कोई भी प्राणी वायु के बिना जीवित नहीं रह सकता। वायु जीवन का मूलाधार है। मनुष्य और जानवरों के लिए ऑक्सीजन तथा पौधों के लिए कार्बन-डाइऑक्साइड वायुमंडल से ही प्राप्त होती है। पृथ्वी पर वायुमंडल की उपस्थिति ही इसे अन्य ग्रहों की अपेक्षा श्रेष्ठता प्रदान करती है।

2. ताप-सन्तुलन-गैसों का आवरण एक विशाल चंदोवे या कम्बल की भाँति कार्य करता हुआ सूर्य से आने वाली सम्पूर्ण ऊष्मा को पृथ्वी पर आने से रोकता है और रात्रि के समय पृथ्वी से विकिरित होने वाली ऊष्मा को अन्तरिक्ष में जाने से रोकता है। इस प्रकार वायुमंडल पृथ्वी पर 35° सेल्सियस का औसत तापमान बनाए रखता है। यदि वायुमंडल न होता तो पृथ्वी पर दिन का तापमान 100° सेल्सियस व रात का तापमान -200° सेल्सियस तक पहुँच जाता। ऐसी असहनीय दशाओं में जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती।

3. मौसम तथा जलवायु-वायुमंडल के असमान गर्म होने की विशेषता के कारण ही वायु का क्षैतिज प्रवाह उच्च दाब से न्यून दाब की ओर होता है। इसी से वायुमंडल में मौसम सम्बन्धी सभी घटनाएँ घटती हैं; जैसे वाष्पीकरण, धुंध, कोहरा, बादल, वर्षा, हिमपात व आंधियाँ इत्यादि। इस प्रकार जल का ठोस, द्रव और गैस तीनों रूपों में, तीनों ही मण्डलों का संचरण होता है।

4. हानिकारक विकिरण से बचाव-वायुमंडल में उपस्थित ओज़ोन गैस सूर्य से आने वाली खतरनाक पराबैंगनी किरणों का अवशोषण करके जीव-जगत को अनेक बीमारियों से बचाती है।

5. उल्काओं से रक्षा-अन्तरिक्ष से पृथ्वी पर गिरती हुई उल्काएँ वायु के सम्पर्क में आकर घर्षण (Friction) पैदा करती हैं और इससे उत्पन्न हुई ऊष्मा में पूरी तरह से या कुछ भाग में जलकर राख बन जाती हैं। इससे उनकी पृथ्वी पर ‘मारक शक्ति’ कम हो जाती है।

6. रेडियो-तरंगें-रेडियो तरंगें आयनमण्डल से टकराकर वापस धरती पर लौट आती हैं। इससे दूर-संचार सम्भव हो पाता है। . आज दूरदर्शन, रेडियो, इंटरनेट, ई० मेल व ई० कॉमर्स जैसी सुविधाएँ इसी से सम्भव हो पाई हैं।

7. वायमार्ग-वायमंडल तीव्र वेग से चलने वाले वायुयानों व जेट विमानों को उड़ान सम्भव बनाता है।

8. जैविक विविधता-पृथ्वी पर जलवायु की क्षेत्रीय विभिन्नताओं को जन्म देने में वायुमंडलीय कारक ही प्रमुख हैं, जिनके कारण धरातल पर जैविक विविधता पाई जाती है।

HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 8 वायुमंडल का संघटन तथा संरचना

प्रश्न 2.
“वैज्ञानिक व तकनीकी विकास के साथ-साथ मानव की वायुमंडलीय प्रक्रमों के प्रेक्षण की क्षमता बढ़ती जाती है।” इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
जैसे-जैसे आधुनिक और विकसित यन्त्रों और विधियों द्वारा वायुमंडलीय घटनाओं का प्रेक्षण तथा अभिलेखन तीव्र और आसान होने लगा वैसे-वैसे प्राप्त आँकड़ों की सहायता से मौसम सूचक मानचित्र बनाए जाने लगे। इन मौसम सूचक मानचित्रों की सहायता से विभिन्न समय और स्थानों के मौसम की तुलना सम्भव होने लगी। विश्व का पहला अधिकृत मौसम सम्बन्धी मानचित्र सन् 1686 में बना जिसे ब्रिटेन के नक्षत्र-विज्ञानी एडमण्ड हैले ने बनाया था। इससे उत्साहित होकर अनेक विकसित देशों ने मौसम-सूचक मानचित्रों और मौसम का पूर्वानुमान प्रकाशित करना आरम्भ किया। भारत में मौसम विज्ञान सम्बन्धी सेवा सन् 1864 में आरम्भ हुई। वर्तमान में हमारे देश में 350 से अधिक मौसम-प्रेक्षणशालाएँ हैं जो मौसम सम्बन्धी तत्त्वों की जानकारी व आँकड़े पुणे स्थित मौसम विभाग के मुख्यालय को भेजती हैं। सन् 1951 में स्विट्ज़रलैण्ड के जेनेवा नगर में विश्व मौसम विज्ञान सस्थान की स्थापना की गई। यह संस्थान संयुक्त राष्ट्र संघ का एक विशिष्ट अभिकरण है जिसके माध्यम से विश्व के लगभग सभी देश मौसम-सम्बन्धी सूचनाओं का आदान-प्रदान करते हैं।

ऊपरी वायुमंडल की छानबीन-17वीं शताब्दी तक वायुमंडल के बारे में वैज्ञानिकों का ज्ञान केवल पृथ्वी के निकट स्थित वायु की परतों तक सीमित था। 18वीं शताब्दी के आरम्भ में वायुमंडल की ऊपरी परतों का तापमान ज्ञात करने के लिए अनेक उपकरणों से सुसज्जित मानव-सहित गुब्बारों को उड़ाया गया। सन् 1804 में फ्रांसीसी वैज्ञानिक लुज़ाक एक गुब्बारे के माध्यम से आकाश में 7 किलोमीटर की ऊँचाई तक उड़ा और पाया कि ऊँचाई पर वायु का रासायनिक संघटन एक जैसा ही रहता है। सन् 1904 में मारकोनी द्वारा रेडियो के आविष्कार से वायुमंडल का और अधिक ऊँचाई पर अध्ययन सम्भव हुआ। इसके बाद क्षोभमण्डल और समतापमण्डल की निचली परतों की जानकारी के लिए मानव-रहित गुब्बारों की सहायता ली जाने लगी।

रेडियो संचरण का प्रयोग करने वाले गुब्बारों का प्रयोग 30 किलोमीटर से अधिक ऊँचाई पर नहीं किया जा सकता था। परिणामस्वरूप 1940 के दशक में वैज्ञानिकों ने वायुमंडल की और अधिक ऊपरी परतों का अध्ययन करने के लिए वायुयानों, जेट विमानों, रॉकेटों व राडारों का प्रयोग आरम्भ कर दिया। सन् 1950 के बाद स्वचालित मौसम केन्द्रों की संख्या में काफ़ी वृद्धि हुई।

1960 के दशक में वायुमंडलीय प्रक्रमों के प्रेक्षण हेतु कृत्रिम उपग्रहों व इलेक्ट्रॉनिक युक्तियों का सहारा लिया गया। अनेक देशों ने अन्तरिक्ष में विशेष मौसम उपग्रह छोड़े। सन् 1960 में संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा छोड़े गए मौसम उपग्रह ने 700 किलोमीटर की ऊँचाई से बादलों और वायुमंडलीय दशाओं के चित्र भेजे। आजकल मौसम उपग्रहों का उपयोग सभी देशों के लिए आसान हो गया है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने मुम्बई में अपना एक केन्द्र स्थापित किया है जो रोज़ाना INSAT 2E के माध्यम से बादलों के चित्र व प्रक्रमित आँकड़े प्राप्त करता है। मौसम सम्बन्धी इन्हीं सूचनाओं और पूर्वानुमानों को हम दूरदर्शन और समाचार पत्रों में देखते हैं।

आधुनिक युग में सुपर कम्प्यूटर और संवेदनशील उपग्रहों के प्रयोग ने हमारी वायुमंडलीय प्रक्रमों के प्रेक्षण की क्षमता को पहल से बेहतर किया है। आज हम पर्याप्त शुद्धता तक मौसम का पूर्वानुमान लगा सकते हैं किन्तु फिर भी इस दिशा में काफी कुछ करना शेष है।

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