HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास

Haryana State Board HBSE 11th Class Geography Important Questions Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास Important Questions and Answers.

Haryana Board 11th Class Geography Important Questions Chapter 2 पृथ्वी की उत्पत्ति एवं विकास

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

भाग-I : सही विकल्प का चयन करें-

1. सौरमण्डल में कितने ग्रह हैं?
(A) 8
(B) 7
(C) 9
(D) 11
उत्तर:
(A) 8

2. सौरमण्डल का सबसे बड़ा ग्रह कौन-सा है?
(A) बृहस्पति
(B) शनि
(C) मंगल
(D) शुक्र
उत्तर:
(A) बृहस्पति

3. सौरमण्डल का सबसे छोटा ग्रह कौन-सा है?
(A) बुध
(B) शुक्र
(C) शनि
(D) बृहस्पति
उत्तर:
(A) बुध

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4. निम्नलिखित में से चन्द्रमा एक है
(A) नीहारिका
(B) क्षुद्रग्रह
(C) उपग्रह
(D) ग्रह
उत्तर:
(C) उपग्रह

5. सूर्य का निकटतम ग्रह कौन-सा है?
(A) शुक्र
(B) बुध
(C) मंगल
(D) पृथ्वी
उत्तर:
(B) बुध

6. निम्नलिखित में से पार्थिव ग्रह नहीं है-
(A) बुध
(B) मंगल
(C) शनि
(D) शुक्र
उत्तर:
(C) शनि

7. सूर्य से अधिकतम दूरी पर कौन-सा ग्रह है?
(A) शनि
(B) बुध
(C) नेप्च्यून
(D) यूरेनस
उत्तर:
(C) नेप्च्यून

8. चन्द्रमा किस ग्रह का प्राकृतिक उपग्रह है?
(A) शुक्र
(B) बुध
(C) पृथ्वी
(D) मंगल
उत्तर:
(C) पृथ्वी

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9. पृथ्वी की उत्पत्ति से संबंधित नीहारिका परिकल्पना किसने प्रस्तुत की?
(A) लाप्लेस ने
(B) काण्ट ने
(C) प्लूटो ने
(D) जेम्स जीन्स ने
उत्तर:
(A) लाप्लेस ने

10. सौरमण्डल का जनक माना जाता है-
(A) बोने ग्रह को
(B) प्राक्रतिक उपग्रह को
(C) तारों को
(D) नीहारिका को
उत्तर:
(D) नीहारिका को

भाग-II : एक शब्द या वाक्य में उत्तर दें

प्रश्न 1.
आधुनिक समय में ब्रह्मांड की उत्पत्ति संबंधी सर्वमान्य सिद्धांत का नाम क्या है?
उत्तर:
बिग बैंग सिद्धांत।

प्रश्न 2.
बिग बैंग की घटना कब हुई?
उत्तर:
आज से 13.7 अरब वर्षों पहले।

प्रश्न 3.
प्रकाश की गति कितनी है?
उत्तर:
3 लाख कि०मी० प्रति सैकेंड।

प्रश्न 4.
‘प्रकाश वर्ष’ किस इकाई का मापक है?
उत्तर:
खगोलीय दूरी का।

प्रश्न 5.
पृथ्वी की उत्पत्ति के बारे में प्रारंभिक मत किस दार्शनिक ने दिया?
उत्तर:
इमैनुअल कान्ट।

प्रश्न 6.
सूर्य का निकटतम ग्रह कौन-सा है?
उत्तर:
बुध।

प्रश्न 7.
पृथ्वी की सूर्य से औसत दूरी कितनी है?
उत्तर:
14 करोड़, 95 लाख, 98 हजार कि०मी०।

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प्रश्न 8.
पृथ्वी की उत्पत्ति से संबंधित ‘नीहारिका परिकल्पना’ किसने प्रस्तुत की?
उत्तर:
लाप्लेस ने।

प्रश्न 9.
पृथ्वी की उत्पत्ति कब हुई?
उत्तर:
लगभग 460 करोड़ वर्ष पूर्व।

प्रश्न 10.
पृथ्वी पर जीवन लगभग कितने वर्ष पूर्व विकसित हुआ?
उत्तर:
लगभग 380 करोड़ वर्ष पूर्व।

प्रश्न 11.
श्रेष्ठ ग्रह किन्हें कहा जाता है?
उत्तर:
बाहरी ग्रहों को श्रेष्ठ ग्रह कहा जाता है।

प्रश्न 12.
पहले पृथ्वी किस अवस्था में थी?
उत्तर:
तरल अवस्था में।

प्रश्न 13.
लाप्लेस ने ‘नीहारिका संकल्पना’ कब प्रस्तुत की?
उत्तर:
लाप्लेस ने ‘नीहारिका संकल्पना’ सन् 1796 में प्रस्तुत की।

प्रश्न 14.
ग्रहों के आकार, रचक सामग्री तथा तापमान में अन्तर क्यों पाया जाता है?
उत्तर:
सूर्य से सापेक्षिक दूरी के कारण।

प्रश्न 15.
पृथ्वी का औसत घनत्व कितना है?
उत्तर:
5.517 ग्राम प्रति घन सें०मी०।

प्रश्न 16.
पृथ्वी के एकमात्र उपग्रह का क्या नाम है?
उत्तर:
चंद्रमा।

प्रश्न 17.
सूर्य केन्द्रित परिकल्पना को प्रस्तुत करने वाले प्राचीन भारतीय विद्वान् का नाम बताइए।
उत्तर:
आर्यभट्ट।

प्रश्न 18.
तुच्छ ग्रह (Inferior Planets) किन्हें कहा जाता है?
उत्तर:
आन्तरिक ग्रहों को तुच्छ ग्रह कहा जाता है।

प्रश्न 19.
उस पौधे का नाम लिखिए जिसके जीवाश्म सभी महाद्वीपों में मिलते हैं।
उत्तर:
ग्लोसोपैट्रिस।

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प्रश्न 20.
सौरमण्डल के एक बाहरी ग्रह का नाम लिखें।
उत्तर:
बृहस्पति।

प्रश्न 21.
सौरमण्डल के एक आन्तरिक/भीतरी ग्रह का नाम लिखें।
उत्तर:
पृथ्वी।

प्रश्न 22.
पृथ्वी के कितने उपग्रह हैं?
उत्तर:
पृथ्वी का एक ही उपग्रह है।

प्रश्न 23.
जलीय ग्रह (Watery Planet) किसे कहा जाता है?
उत्तर:
पृथ्वी को।

प्रश्न 24.
पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति इसके निर्माण के कौन-से चरण में हुई?
उत्तर:
पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति इसके निर्माण के अंतिम चरण में हुई।

प्रश्न 25.
पृथ्वी अथवा चन्द्रमा में से आयु में कौन छोटा है?
उत्तर:
दोनों की आयु बराबर है क्योंकि दोनों की रचना एक ही समय हुई थी।

प्रश्न 26.
चंद्रमा की उत्पत्ति कब हुई?
उत्तर:
लगभग 4.4 अरब वर्षों पहले।

अति-लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
भू-केन्द्रित (Geo-Centric) परिकल्पना से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
भू-केन्द्रित परिकल्पना का अर्थ है कि पृथ्वी ब्रह्माण्ड का केन्द्र है और सूर्य, चन्द्रमा तथा ग्रह इत्यादि आकाशीय पिण्ड पृथ्वी की परिक्रमा करते हैं।

प्रश्न 2.
सूर्य-केन्द्रित (Helio-Centric) सौरमण्डल का क्या अर्थ है?
उत्तर:
इसका अर्थ यह है कि सौरमण्डल का केन्द्र सूर्य है। सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा करते हैं।

प्रश्न 3.
सौरमण्डल आंतरिक या पार्थिव ग्रह कितने हैं? उनके नाम लिखिए।
उत्तर:
सौरमण्डल आंतरिक या पार्थिव ग्रह चार हैं-बुध, शुक्र, पृथ्वी एवं मंगल।

प्रश्न 4.
सौरमण्डल में कुल कितने ग्रह हैं? उनके नाम लिखिए।
उत्तर:
हमारे सौरमण्डल में 8 ग्रह हैं-बुध, शुक्र, पृथ्वी और मंगल बृहस्पति, शनि, अरुण एवं वरुण।

प्रश्न 5.
सौरमण्डल के बाहरी या जोवियन ग्रहों के नाम लिखिए।
उत्तर:
बृहस्पति, शनि, अरुण (Uranus) तथा वरुण (Neptune)।

प्रश्न 6.
मन्दाकिनी क्या होती है? हमारी मन्दाकिनी का नाम बताइए।
उत्तर:
लाखों-करोड़ों तारों के कुन्ज को मन्दाकिनी कहा जाता है। हमारी मन्दाकिनी का नाम आकाशगंगा (Milky Way) है।

प्रश्न 7.
‘पोलर वन्डरिंग’ क्या होती है?
उत्तर:
विभिन्न युगों में ध्रुवों की स्थिति का बदलना पोलर वन्डरिंग (Polar Wandering) कहलाता है।

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प्रश्न 8.
ग्रहाणु क्या होते हैं?
उत्तर:
एक परिकल्पना (चेम्बरलिन व मोल्टन) के अनुसार सूर्य तथा निकट से गुजरते तारे के टकराव के कारण गैसीय पदार्थ एक फ़िलेमेन्ट के रूप में पूर्व स्थित सूर्य से छिटककर जिहा आकार के पदार्थ छोटे-छोटे टुकड़ों में बिखर गए। ये टुकड़े ठण्डे पिण्डों के रूप में उड़ते हुए सूर्य के चारों ओर कक्षाओं में घूमने लगे, इन्हें ही ग्रहाण (Planetisimols) कहा जाता है।

प्रश्न 9.
आदि तारा (Protostar) क्या है?
उत्तर:
तप्त गैसों के बादल से बनी नीहारिका में जब विस्फोट हुआ तो अभिनव तारे की उत्पत्ति हुई। इस तारे के सघन भाग अपने ही गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव से विखण्डित हो गए। सघन क्रोड विशाल तथा अधिक गरम होता गया। इसे आदि तारा कहते हैं जो अन्त में सूर्य बन गया।

प्रश्न 10.
स्पष्ट कीजिए कि चन्द्रमा की उत्पत्ति पृथ्वी के साथ ही हुई थी।
उत्तर:
चन्द्रमा से प्राप्त शैलों के नमूनों के काल निर्धारण (Radiomatric Dating) से ज्ञात होता है कि चन्द्रमा और पृथ्वी का जन्म एक-साथ हुआ था क्योंकि दोनों की रचना एक-जैसी चट्टानों से हुई है।

प्रश्न 11.
पार्थिव एवं जोवियन ग्रहों में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर:
पार्थिव और जोवियन ग्रहों में निम्नलिखित अंतर हैं-

पार्थिव ग्रह जोवियन ग्रह
1. पार्थिव का अर्थ है-पृथ्वी की तरह। ये ग्रह पृथ्वी की तरह ही शैलों एवं धातुओं से बने हैं। 1. जोवियन का अर्थ है-बृहस्पति की तरह। ये ग्रह बृहस्पति की तरह पर्थिव ग्रहों से विशाल हैं।
2. इन ग्रहों को आंतरिक ग्रह कहा जाता है। 2. इन ग्रहों को बाहरी ग्रह कहा जाता है।
3. ये ग्रह अधिकतर चट्टानी हैं। 3. ये ग्रह अधिकतर गैसीय हैं।

प्रश्न 12.
नेबुला या नीहारिका किसे कहते हैं?
उत्तर:
धूल तथा गैसों से बने एक विशालकाय बादल को नेबुला कहते हैं।

प्रश्न 13.
पृथ्वी का निर्माण कब और कैसे हुआ?
उत्तर:
आज से लगभग 4 अरब 60 करोड़ वर्ष पहले अन्तरिक्ष में यह विशालकाय नेबुला भंवरदार गति से घूम रहा था। यह अपनी ही गुरुत्व शक्ति के कारण धीरे-धीरे सिकुड़ने लगा तथा इसकी आकृति एक चपटी डिस्क के समान हो गई। एक बहुमान्य परिकल्पना के अनुसार, इस नेबुला के ठण्डे होने तथा सिकुड़ने से ही पृथ्वी का निर्माण हुआ।

प्रश्न 14.
अपकेन्द्री बल (Centrifugal Force) के अर्थ को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
किसी तीव्र गति से घूमती वस्तु के केन्द्र से बाहर की ओर उड़ने था छिटक जाने की प्रवृत्ति को पैदा करने वाला बल अपकेन्द्री बल (Centrifugal Force) कहलाता है। इसके विपरीत अभिकेन्द्री बल (Centripetal force) होता है, जिसमें वस्तु केन्द्र की ओर जाने की प्रवृत्ति रखती है।

लघूत्तरात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
कोणीय संवेग के संरक्षण से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
प्राकृतिक पिण्ड ग्रहों की भंवरदार गति को नापने की इकाई कोणीय संवेग कहलाती है। यह वस्तु के आकार तथा उसकी घूमने की गति पर निर्भर करती है।
कोणीय संवेग = ग्रह का द्रव्यमान x परिक्रमण गति x कक्ष की त्रिज्या।
कोणीय संवेग के संरक्षण के सिद्धान्त के अनुसार, किसी भी पदार्थ के विभिन्न भागों के आपस में टकराने से उसकी परिभ्रमण गति प्रभावित नहीं होती तथा न ही गतिहीन पदार्थ में गति उत्पन्न होती है।

प्रश्न 2.
सौर परिवार के आन्तरिक ग्रह भारी क्यों हैं?
उत्तर:
जब नीहारिका चपटी तश्तरी (Flat Disc) बनकर घूम रही थी तो उसमें अपकेन्द्री शक्ति बढ़ गई। अपकेन्द्री शक्ति के कारण नीहारिका एक जुट नहीं रह पाई और छोटे-छोटे गैसीय पिण्डों के रूप में बँट गई। नीहारिका का बचा हुआ भाग धीरे-धीरे घूमता हुआ तारा बन गया जिसे हम सूर्य कहते हैं। नीहारिका से अलग हुआ प्रत्येक पिण्ड सूर्य का चक्कर लगाने लगा। विकिरण के कारण इन पिण्डों का ऊपरी भाग ठण्डा होकर सिकुड़ने लगा लेकिन केन्द्रीय भाग तप्त होता गया।

समय के साथ धूल के भारी कण सूर्य के निकट और हल्के तत्त्व तथा गैसें सूर्य से दूर वितरित हो गए। इन्हीं पदार्थों से 8 ग्रहों का निर्माण हुआ। इसी कारण सौर-मण्डल के बाहरी ग्रह गैसों से बने विशालकाय पिण्ड हैं; जैसे बृहस्पति, शनि, अरुण और वरुण। जबकि सूर्य के निकट स्थित आन्तरिक ग्रह चट्टानों से निर्मित और भारी हैं; जै तारक ग्रह चट्टाना स रानामत और भारी है; जैसे बुध, शुक्र, पृथ्वी तथा मंगल। इसी कारण सौर परिवार के आन्तरिक ग्रह भारी है।

प्रश्न 3.
पृथ्वी का विकास किस प्रकार हुआ?
उत्तर:
पृथ्वी का विकास अनेक अवस्थाओं में से गुजरने के पश्चात् हुआ है। पृथ्वी गैस और द्रव अवस्था से होती हुई वर्तमान ठोस अवस्था में परिवर्तित हो गई। इसकी ऊपरी सतह पर हल्के पदार्थ ठण्डे होकर ठोस रूप धारण करते गए तथा भारी पदार्थ पृथ्वी के केन्द्र में जमा हो गए। धीरे-धीरे पृथ्वी की ऊपरी सतह ठोस चट्टानों की बन गई। पृथ्वी के आन्तरिक भाग के ठण्डा होने तथा सिकुड़ने से पृथ्वी की बाह्य भू-पर्पटी पर सिलवटें पड़ गईं। इससे पर्वत श्रेणियों तथा द्रोणियों का निर्माण हुआ। उसी समय हल्की गैसों से वायुमण्डल का निर्माण हो गया। वायुमण्डल में गरम गैसीय पदार्थों के ठण्डा होने से बादल बने। इन बादलों से हजारों वर्षों तक वर्षा हुई और द्रोणियों में जल के भर जाने से महासागरों का निर्माण हो गया।

प्रश्न 4.
भू-पृष्ठ (Crust of the Earth) का निर्माण कैसे हुआ?
उत्तर:
पृथ्वी की उत्पत्ति गैस और धूल के एक धधकते हुए गोले के रूप में हुई थी। कुछ समय पश्चात् पृथ्वी ने ठण्डी होकर तरल रूप धारण कर लिया। इस तरल रूपी पृथ्वी के पदार्थों ने अपने घनत्व (Density) के अनुसार स्थिति ग्रहण कर ली। हल्के पदार्थ ऊपर की ओर आ गए और सबसे भारी पदार्थ पृथ्वी के भीतर चले गए। इस प्रकार तरल पृथ्वी भिन्न-भिन्न घनत्व के पदार्थों से बनी कई परतों में बँट गई। पृथ्वी की सबसे ऊपरी पपड़ी ठण्डी होकर कठोर बन गई। ठोस शैलों से बनी इस ऊपरी परत को हम भू-पृष्ठ (Crust of the Earth) कहते हैं।

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प्रश्न 5.
पर्वत श्रेणियाँ, कटकें व द्रोणियाँ किस प्रकार अस्तित्व में आए?
उत्तर:
भू-पृष्ठ के निर्माण के बाद उसका नीचे वाला भाग भी ठण्डा होकर सिकुड़ने लगा। इससे पृथ्वी की ऊपरी पट्टी अर्थात भू-पृष्ठ पर बल पड़ने लगे। धरती पर जो भाग ऊपर उठ गए वे पर्वत श्रेणियाँ व कटकें कहलाईं और जो भाग द्रोणियों बन गए वे द्रोणियाँ (Basins) कहलाईं।

प्रश्न 6.
पृथ्वी पर जीवन का विकास किस प्रकार आरम्भ हुआ?
उत्तर:
पृथ्वी अपने जन्म से अब तक के लम्बे इतिहास में लगभग आधी अवधि तक उजाड़ पड़ी रही। इस पर जीवन के किसी भी रूप का अस्तित्व नहीं था। फिर पता नहीं किस प्रकार महासागरों में जीवन शुरू हुआ। कहा जाता है कि जल में किसी बड़े अणु ने किसी प्रकार अपने जैसा दूसरा अणु पैदा कर लिया। इस प्रकार पृथ्वी पर पौधों और प्राणियों के आश्चर्यजनक संसार के रूप में जीवन की शुरुआत हुई। पृथ्वी पर यह जीवन कैसे शुरू हआ- आज भी अस्पष्ट है। यह माना जाता है कि पृथ्वी पर जीवन का विकास लगभग 380 करोड़ वर्ष पहले आरंभ हुआ।

प्रश्न 7.
पृथ्वी के उच्चतम भाग तथा महासागरों के निम्नतम भाग में कितना अन्तर है?
उत्तर:
पृथ्वी के उच्चतम भाग तथा महासागरों के निम्नतम भाग में लगभग बीस किलोमीटर का अन्तर है। पृथ्वी पर उच्चतम भाग हिमालय पर्वत श्रृंखला में माऊंट एवरेस्ट है जिसकी ऊँचाई 8,848 मीटर है। महासागरों में निम्नतम भाग प्रशान्त महासागर में मैरियाना च में चैलेंजर गर्त है जिसकी गहराई 11,022 मीटर है। इस तरह माऊंट एवरेस्ट तथा चैलेंजर गर्त की गहराई में अन्तर 8,848 + 11,022 = 19,870 मीटर है जो लगभग बीस किलोमीटर है।

प्रश्न 8.
पृथ्वी पर नवीनतम वलित पर्वत हिमालय पर्वत, आल्पस पर्वत श्रृंखला तथा रॉकी-एण्डीज़ पर्वत श्रृंखला का निर्माण कैसे हुआ?
उत्तर:
कार्बोनिफेरस युग (लगभग 35 करोड़ वर्ष पूर्व) के अन्त में पेन्जिया का विभंजन आरम्भ हुआ। गुरुत्वाकर्षण बल, प्लवनशीलता बल (Force of Buoyancy) तथा ज्वारीय बल के कारण पेन्जिया का कुछ भाग पश्चिम की ओर तथा कुछ भाग भूमध्य रेखा की ओर खिसकने लगा। उत्तर के लारेशिया भू-खण्ड तथा दक्षिण के गोण्डवानालैण्ड के खिसकने से वे एक-दूसरे के निकट आए और उनके बीच जो टेथीज़ सागर था, वह संकरा होता चला गया तथा उसमें जमे अवसाद में बल पड़ने से आल्पस तथा हिमालय पर्वतों का निर्माण हुआ। उत्तरी तथा दक्षिणी अमेरिका के पश्चिम की ओर खिसकने से उनके पश्चिमी किनारों पर वलन पड़ गए। उनसे रॉकीज़ तथा एण्डीज़ पर्वत-शृंखलाओं की उत्पत्ति हुई।

प्रश्न 9.
ग्रहों की सूर्य से दूरी, घनत्व एवं अर्धव्यास की दृष्टि से तुलना करें।
उत्तर:

ग्रह सूर्य से दूरी(gm/cm³) घनत्व अर्धव्यास
बुध 0.387 5.44 0.383
शुक्र 0.723 5.245 0.949
पृथ्वी 1.000 5.517 1.000
मंगल 1.524 3.945 0.533
बृहस्पति 5.203 1.33 11.19
शनि 9.539 0.70 9.460
अरुण 19.182 1.17 4.11
वरुण 30.058 1.66 3.88

प्रश्न 10.
चन्द्रमा की उत्पत्ति कैसे हुई? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
चन्द्रमा की उत्पत्ति के बारे में दो सम्भावनाएँ व्यक्त की गई हैं-
पहली-चन्द्रमा सूर्य से गैसीय रूप में बाहर आया और बहुत ही छोटा होने के कारण पृथ्वी की आकर्षण शक्ति द्वारा अपनी ओर खींच लिया गया।

दूसरी-पृथ्वी पर एक विशाल उल्कापिण्ड गिरा और टक्कर के कारण पथ्वी का पदार्थ टटकर अलग हो गर उल्कापिण्ड गिरा, एक महान गर्त बना जिसमें पानी भर जाने से प्रशान्त महासागर की रचना हुई। वह भूखण्ड जो टूटकर अन्तरिक्ष में फैल गया, चन्द्रमा बन गया।

प्रश्न 11.
सूर्य पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
उत्तर:
सौरमण्डल का प्रमुख तथा केन्द्रीय पिण्ड, एक बृहद् दीप्त गोला, जिसका व्यास 13,92,000 किलोमीटर है जो पृथ्वी के व्यास से 109 गुना है। सूर्य में हमारी पृथ्वी जैसे 13 लाख पिण्ड समा सकते हैं। विश्वास किया जाता है कि इसका आन्तरिक भाग तरल अवस्था में एवं बाह्य भाग गैस का आवरण है। सूर्य के धरातल का तापमान 6000°C है व इसके केन्द्र पर 15,000,00°C तापमान पाया जाता है।

प्रश्न 12.
अन्तरिक्ष से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अन्तरिक्ष का न कोई आदि है और न ही अन्त। अन्तरिक्ष में छोटे व बड़े आकार की अरबों मन्दाकिनियाँ अथवा तारकीय समूह (Galaxies) हैं। प्रत्येक तारकीय समूह में लाखों सौरमण्डल हैं। अनुमान है कि अन्तरिक्ष में 2 अरब सौरमण्डल हैं। औसतन एक मन्दाकिनी का व्यास 30,000 प्रकाश वर्षों (Light years) की दूरी जितना होता है। दो मन्दाकिनियों के बीच 10 लाख प्रकाश वर्ष जितनी औसत दूरी होती है। हमारा सौरमण्डल आकाशगंगा नामक मन्दाकिनी में है, जो अन्तरिक्ष में नगण्य-सा स्थान रखती है, जबकि इसमें सूर्य जैसे तीन खरब तारे होने का अनुमान है।

निबंधात्मक प्रश्न

प्रश्न 1.
पृथ्वी की उत्पत्ति का विस्तारपूर्वक वर्णन कीजिए।
उत्तर:
ऐसी मान्यता है कि लगभग 460 करोड़ वर्ष पहले अन्तरिक्ष में धूलकणों और गैसों से बना एक बहुत बड़ा बादल भंवरदार गति से घूम रहा था। भँवरदार गति या घूर्णन को कोणीय संवेग (Angular Momentum) नामक भौतिक राशि द्वारा मापा जाता है। कोणीय संवेग किसी पदार्थ के घूमने की गति और उसके आकार पर निर्भर करता है। आकाश में तेजी से घूमने के कारण इस गरम धधकते वायव्य महापिण्ड या नीहारिका (Nebula) का ऊपरी भाग विकिरण से ठण्डा होने लगा, किन्तु इसका भीतरी भाग गर्मी से धधकता रहा। नीहारिका का ऊपरी ठण्डा हुआ भाग अपने ही गुरुत्व बल से धीरे-धीरे सिकुड़ने लगा।

सिकुड़ने के साथ ही नीहारिका की आकृति एक चपटी तश्तरी (Flat disc) के समान होती गई। गति विज्ञान (Dynamics) के नियमानुसार, सिकुड़ती हुई वस्तु का परिभ्रमण वेग बढ़ जाता है। अतः जैसे-जैसे नीहारिका सिकुड़कर छोटी होती गई वैसे-वैसे कोणीय संवेग को बनाए रखने के लिए उसके घूर्णन की गति और तेज होती गई। घूमने की गति बढ़ जाने के कारण नीहारिका (Nebula) में अपकेन्द्री शक्ति (Centrifugal force) बढ़ गई।

अपकेन्द्री शक्ति के कारण तेज़ी से घूमते हुए पिण्ड से पदार्थ के केन्द्र से बाहर छिटक जाने की प्रवृत्ति पैदा हो जाती है। इससे नीहारिका एकजुट नहीं रह पाई, बल्कि छोटे-छोटे गैसीय पिण्डों के रूप में विभक्त हो गई। नीहारिका का बचा हुआ भाग बहुत धीरे-धीरे घूमता हुआ एक तारे का रूप धारण कर गया, जिसे हम सूर्य कहते हैं। नीहारिका से अलग हुए पिण्डों में मूल नीहारिका के कोणीय संवेग का 98% भाग बचा हुआ था। इन पिण्डों से आठ ग्रहों का निर्माण हुआ। प्रत्येक पिण्ड सूर्य का चक्कर लगाने लगा तथा विकिरण के कारण उनका ऊपरी भाग भी ठण्डा होकर सिकुड़ने लगा। इस प्रक्रिया में उनका केन्द्रीय भाग तप्त होता गया।

समय के साथ धूल के भारी कण सूर्य के निकट और हल्के तत्त्व तथा गैसें सूर्य से दूर वितरित हो गए। इसी कारण सौरमण्डल के बाहरी ग्रह गैसों से बने विशालकाय पिण्ड हैं, जबकि सूर्य के निकट स्थित आन्तरिक ग्रह चट्टानों से निर्मित और भारी हैं। जिस प्रकार नीहारिका से ग्रहों की रचना हुई, उसी प्रकार ग्रहों से उपग्रह भी बने।

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