Haryana State Board HBSE 10th Class Home Science Solutions Chapter 7 भोजन-पौष्टिक तत्त्व, संवर्धन तथा संरक्षण Textbook Exercise Questions and Answers.
Haryana Board 10th Class Home Science Solutions Chapter 7 भोजन-पौष्टिक तत्त्व, संवर्धन तथा संरक्षण
अति लघु उत्तरीय प्रश्न –
प्रश्न 1.
भोजन हमारे शरीर में कौन-कौन से काम आता है ? सूची बनाओ।
उत्तर :
भोजन प्राणियों को जीवित रखने के अतिरिक्त शरीर में निम्नलिखित कार्य करता है
1. शरीर को शक्ति देता है-मशीनों की तरह मानवीय शरीर को भी शक्ति की आवश्यकता होती है जोकि भोजन से प्राप्त होती है।
2. शरीर की वृद्धि-जन्म से लेकर जवानी तक मानवीय शरीर में लगातार वृद्धि होती है। इस वृद्धि के पीछे भोजन की शक्ति ही कार्य करती है।
3. टूटे तन्तुओं की मुरम्मत- भोजन शरीर के नष्ट हुए तन्तुओं के स्थान पर नए तन्तु बनाता है।
प्रश्न 2.
भोजन से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर :
वे सभी पदार्थ जो हम खाते हैं (दवाइयां और शराब को छोड़कर) जिनसे हमारा शरीर बनता और बढ़ता है, को भोजन कहा जाता है। भोजन से हमारे शरीर में गर्मी और ऊर्जा पैदा होती है। इससे शरीर अपनी क्रियाएं करने के योग्य हो जाता है और अपने टूटे हुए सैलों की मरम्मत भी कर सकता है।
प्रश्न 3.
भोजन के कौन-से पौष्टिक तत्त्वों से हमें ऊर्जा मिलती है ?
उत्तर :
भोजन के कार्बोज, चिकनाई और प्रोटीन से शरीर को ऊर्जा मिलती है।
प्रश्न 4.
भोजन जीवन का मूल आधार माना जाता है। क्यों ?
उत्तर :
भोजन शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और शरीर की अन्दरूनी तोड़-फोड़ की मरम्मत करता है। ऊर्जा से शरीर अपनी आवश्यक क्रियाएं करने योग्य होता है और साथ साथ शरीर की मरम्मत भी होती रहती है। ये दोनों क्रियाएं शरीर को जीवित रखती हैं। इसलिए भोजन को जीवन का मूल आधार कहा जाता है।
प्रश्न 5.
शक्ति या ऊर्जा देने वाले भोज्य पदार्थों के नाम लिखें।
अथवा
ऐसे पौष्टिक तत्त्व के नाम बताएं जिनसे हमें ऊर्जा प्राप्त होती है। हर एक तत्त्व की प्राप्ति का एक उत्तम साधन भी बताएं।
उत्तर :
शक्ति निम्नलिखित भोजन पदार्थों से मिलती है, जैसे –
1. कार्बोज़ युक्त पदार्थ-गुड़, शक्कर, चीनी और जड़ों वाली सब्जियां।
2. चिकनाई युक्त पदार्थ- भोजन पदार्थ जैसे मक्खन, घी, तेल और तले हुए भोजन पदार्थ।
3. प्रोटीन युक्त पदार्थ-भोजन पदार्थ जैसे दूध, दही, मक्खन, अण्डे, मीट आदि।
प्रश्न 6.
शरीर का निर्माण तथा टूटी-फूटी कोशिकाओं की मुरम्मत करने के लिए कौन-से पौष्टिक तत्त्वों की आवश्यकता होती है तथा कौन-से भोजन पदार्थो से प्राप्त किए जा सकते हैं ?
उत्तर :
भिन्न-भिन्न शारीरिक क्रियाएं करते समय शरीर के सैल टूटते, घिसते और नष्ट होते रहते हैं। इसलिए नये सैलों के निर्माण के लिए हमें प्रोटीन युक्त भोजन पदार्थ खाने चाहिएं जैसे अण्डा, दूध, मीट, मछली, अनाज। सोयाबीन प्रोटीन का एक मुख्य और सस्ता स्रोत है।
प्रश्न 7.
भोजन के पौष्टिक तत्त्व कौन-से हैं ? उनके नाम लिखो।
उत्तर :
पौष्टिक तत्त्व भोजन का महत्त्वपूर्ण अंग है ये भिन्न-भिन्न रासायनिक तत्त्वों का मिश्रण होते हैं। इनकी शरीर को काफ़ी मात्रा में आवश्यकता होती है। एक सन्तुलित भोजन में निम्नलिखित पौष्टिक तत्त्व होते हैं-प्रोटीन, कार्बोज, चिकनाई, विटामिन, लवण और पानी।
प्रश्न 8.
प्रोटीन कौन-से तत्त्वों का मिश्रण है ?
उत्तर :
प्रोटीन पौष्टिक तत्त्वों में एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। इसको मानवीय जीवन का आधार कहा जाता है। प्रोटीन कई प्रकार के अमीनो अम्लों के मिश्रण से बनता है। यह अमीनो अम्ल, कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और कई सल्फर के संयोग से बनते हैं।
प्रश्न 9.
कौन-सा तत्त्व केवल प्रोटीन में ही मिलता है ?
उत्तर :
नाइट्रोजन तत्त्व केवल प्रोटीन में ही मिलता है।
प्रश्न 10.
कार्बोहाइड्रेट के मुख्य स्त्रोत कौन-से हैं ?
उत्तर :
यह हाइड्रोजन, ऑक्सीजन और कार्बन का मिश्रण है। यह शरीर को गर्मी और शक्ति देने का सबसे सस्ता स्त्रोत है। कार्बोहाइड्रेट, गेहूँ, चावल, मक्की, जौ, फल, सूखे मेवे, गुड़, शक्कर, चीनी, शहद आदि से प्राप्त होता है।
प्रश्न 11.
विटामिन हमारे जीवन तत्त्व क्यों हैं ?
उत्तर :
विटामिन पौष्टिक तत्त्वों में एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व हैं। ये बढ़िया स्वास्थ्य, शारीरिक वृद्धि और बीमारियों का मुकाबला करने के लिए आवश्यक हैं। ये हमारे शरीर को थोड़ी मात्रा में चाहिए। परन्तु शरीर इनकी रचना नहीं कर सकता है। इसलिए इनको भोजन में शामिल करना आवश्यक है।
प्रश्न 12.
पानी में घुलनशील विटामिन कौन-कौन से हैं ?
उत्तर :
घुलनशीलता के आधार पर विटामिनों को दो भागों में विभाजित किया जाता है-चर्बी में घुलनशील और पानी में घुलनशील विटामिन। पानी में घुलनशील विटामिनों का एक ग्रुप बी समूह होता है जो पानी में घुल जाता है। इसके अतिरिक्त विटामिन ‘सी’ तथा विटामिन ‘बी’ भी पानी में घुलनशील हैं।
प्रश्न 13.
पोषक तत्त्व क्या हैं ?
उत्तर :
पोषक तत्त्व भोजन में रहने वाले वह रासायनिक पदार्थ हैं जो शरीर को पोषण प्रदान करते हैं।
प्रश्न 14.
पोषक तत्त्व कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर :
पोषक तत्त्व दो प्रकार के होते हैं –
1. सूक्ष्म पोषक तत्त्व।
2. वृहद पोषक तत्त्व।
प्रश्न 15.
सूक्ष्म एवं वृहद पोषक तत्त्वों में अन्तर उदाहरण सहित समझाएं।
उत्तर :
सूक्ष्म पोषक तत्त्व भोजन में अल्प मात्रा में रहते हैं, पर शरीर के लिए बहुत आवश्यक हैं। खनिज व विटामिन सूक्ष्म पोषक तत्त्व हैं। वृहद पोषक तत्त्व भोजन में बड़ी मात्रा में उपस्थित रहते हैं। यह तत्त्व शरीर के लिए बड़ी मात्रा में ही चाहिये होते हैं। कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन व वसा वृहद पोषक तत्त्व हैं।
प्रश्न 16.
प्राणिज प्रोटीन व वनस्पति प्रोटीन में क्या अन्तर है ?
अथवा
प्राणिज प्रोटीन और वनस्पतिक प्रोटीन के दो-दो उदाहरण दें।
उत्तर :
प्राणिज प्रोटीन-हमें दूध, मछली, मांस आदि से मिलते हैं। वनस्पति प्रोटीन हमें गेहूँ, सोयाबीन, मटर, दाल आदि से मिलते हैं।
प्रश्न 17.
वसा के दो स्रोत कौन-से हैं ?
उत्तर :
वसा के दो स्रोत हैं प्राणिज वसा- पशु जन्य पदार्थों आदि से मिलता है। वनस्पति वसा-मूंगफली, नारियल, सरसों आदि से मिलता है।
प्रश्न 18.
आभाव जन्य रोग से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
यह एक ऐसी स्थिति है जो शरीर में तब उत्पन्न होती है जब कोई पोषक तत्त्व हमारे दैनिक आहार में शामिल नहीं होता है। यदि हम उस पोषक तत्त्व का सेवन दुबारा करना शुरू कर देते हैं तो यह दूर हो जाते हैं।
प्रश्न 19.
भोजन पकाने का क्या महत्त्व है ?
उत्तर :
भोजन पकाने के अनेक फायदे हैं, जैसे –
- पकाने से भोजन आसानी से पचता है।
- पकाने से खाद्य पदार्थों की दिखावट, प्रकृति, रंग, गन्ध और स्वाद में सुधार होता है।
- पकाने से आप खाद्य पदार्थों से अनेक प्रकार के व्यंजन बना सकते हैं।
- पकाने से खाद्य पदार्थ अधिक देर तक रखने में सहायता मिलती है।
- पकाने से भोजन सुरक्षित और रोगाणुरहित बन जाता है।
प्रश्न 20.
संवर्धन से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर :
विशेष विधियों से खाद्य पदार्थों के पोषकों में सुधार लाने की प्रक्रिया संवर्धन (Enrichment) कहलाती है। इससे खाद्य पदार्थों के स्तर में सुधार आता है एवं उसकी पौष्टिकता बढ़ती है।
प्रश्न 21.
उस विटामिन का नाम लिखें जो प्रकाश और गर्मी से जल्दी नष्ट हो जाता है और उस विटामिन का एक मुख्य कार्य भी बताएं।
उत्तर :
राइबोफ्लेविन (विटामिन B2) गर्मी और रोशनी से शीघ्र नष्ट हो जाते हैं। यह हमारी त्वचा तथा मांसपेशियों को स्वस्थ रखता है।
प्रश्न 22.
कौन-कौन से खनिज पदार्थ हमारे शरीर के लिए आवश्यक हैं ? नाम बताओ।
उत्तर :
हमारे शरीर को दो प्रकार के खनिज पदार्थों की आवश्यकता होती है। एक मैक्रोमिनरल्ज़ जैसे कैल्शियम, फॉस्फोरस, सल्फर, सोडियम और क्लोरीन आदि। दूसरे माइक्रोमिनरल्ज़ हैं जैसे लोहा, आयोडीन, तांबा, जिंक, कोबाल्ट आदि।
प्रश्न 23.
निशास्ते में कौन-सा पौष्टिक तत्त्व होता है और यह तत्त्व और कौन से भोजन पदार्थों से प्राप्त किया जा सकता है ?
उत्तर :
निशास्ते में कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं। यह अनाजों, जड़ों वाली सब्जियां और कंदमूल जैसे शकरकंदी और आलू में होता है।
प्रश्न 24.
कैल्शियम के कार्य बतायें।
उत्तर :
देखें प्रश्न 22 लघु उत्तरीय प्रश्न का उत्तर।
प्रश्न 25.
पोषक तत्त्वों के संवर्धन की किसी एक विधि के बारे में लिखें तथा यह बताएं कि इस विधि से कौन-कौन से पौष्टिक तत्त्वों की वृद्धि होती है ?
उत्तर :
दालों या अनाज को अंकुरित करना। इससे इनमें विटामिन और खनिज काफी बढ़ जाते हैं।
प्रश्न 26.
विटामिन ‘सी’ की कमी से बच्चों में कौन-सा रोग होता है ? उस रोग के मुख्य लक्षण लिखें।
उत्तर :
इसकी कमी से स्कर्वी नामक रोग हो जाता है।
1. जिससे मसूड़े सूज जाते हैं।
2. कोशिकाओं में से खून बहने लगता है।
प्रश्न 27.
कार्बोज़ का संगठन क्या है ?
उत्तर :
कार्बोज़ एक कार्बनिक यौगिक है। यह कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन के रासायनिक संयोग से बना होता है। इसमें हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन का वही अनुपात होता है जो पानी में इन दोनों का होता है।
प्रश्न 28.
कार्बोज़ कितने प्रकार के होते हैं ?
उत्तर :
कार्बोज़ तीन प्रकार के होते हैं।
- मोनोसेकेराइड – ग्लूकोज़, लेक्टोस
- डाइसेकेराइड – सुक्रोज, माल्टोज
- पॉलीसेकेराइड – स्टार्च, सैलुलोज़।
प्रश्न 29.
लोहे के उचित पोषण के लिए कौन-सा विटामिन आवश्यक है ?
उत्तर :
विटामिन सी लौह खनिज को फैरस अवस्था में बदल देता है।
लघु उत्तरीय प्रश्न –
प्रश्न 1.
विटामिन ‘ए’ की कमी से शरीर को क्या हानि होती है ?
उत्तर :
विटामिन ‘ए’ की कमी से शरीर पर हानिकारक प्रभाव होता है जो इस प्रकार है –
1. अन्धराता (Night Blindness) – विटामिन ‘ए’ की कमी से मनुष्य की अन्धेरे में देखने की शक्ति कम हो जाती है। रोशनी वाले स्थान या बाहर तेज़ धूप से अन्धेरे या अन्दर कमरे में आने पर कुछ समय के लिए देखने में रुकावट आती है। इसकी कमी से रंगों को ठीक तरह पहचानने में भी रुकावट होती है।
2. जीरोसिस (Xerosis) – विटामिन ‘ए’ की कमी से आंसू ग्रन्थियां सूख जाती हैं। आँखों के सफेद भाग पर धुंधलापन और कार्निया (Cornea) पर छोटे-छोटे दाने हो जाते हैं। इनमें सफेद चिपचिपा पदार्थ निकलता है और पलकें बन्द हो जाती हैं। अधिक समय तक विटामिन’ की कमी से मनुष्य अन्धा हो जाता है।
3. चमड़ी का खुरदरापन (Toad’s Skin)
4. प्रजनन क्रिया पर प्रभाव (Effect on Reproduction System)
5. गुर्दे में पत्थरी की सम्भावना (Chances of Stone Formation in Kidney)
6. वृद्धि में रुकावट (Effect on Growth)
7. दांतों और हड्डियों के विकार (Effects on Teeth and Bones) इसके अतिरिक्त गर्भ के समय और बच्चे को दूध देते समय विटामिन ‘ए’ की आवश्यकता अधिक होती है और ताजी सब्जियों में बासी सब्जियों से अधिक विटामिन ‘ए’ मिलता है। शरीर में इसका अधिक होना भी नुकसानदायक होता है।
प्रश्न 2.
अन्धराता रोग किस पौष्टिक तत्त्व की कमी से होता है ? उसके लक्षण भी दें।
उत्तर :
देखें उपरोक्त प्रश्न नं० 1.
प्रश्न 3.
क्या विटामिन ‘के’ पानी में घुलनशील है ? इसका सबसे सस्ता स्त्रोत कौन-सा है ?
उत्तर :
नहीं, विटामिन ‘के’ पानी में घुलनशील नहीं बल्कि यह चर्बी में घुलनशील है। यह अधिकतर वनस्पति वर्ग में पाया जाता है। इस की कमी से बहते खून का बन्द होना कठिन हो जाता है, क्योंकि यह खून के जमने में सहायक है। यह हरी पत्तेदार सब्जियों में पाया जाता है। इसका सबसे सस्ता स्रोत फूलगोभी, बन्द गोभी और गण्ढ गोभी है।
प्रश्न 4.
आयोडीन नमक लेने का क्या महत्त्व है ?
उत्तर :
जिन स्थानों पर ज़मीन में आयोडीन की कमी हो वहां सभी व्यक्तियों को आयोडाइज्ड नमक (Iodised Salt) ही प्रयोग करना चाहिए। भारत में पोटाशियम आयोडेट से नमक को आयोडाइज्ड किया जाता है। जिन स्थानों पर जमीन में आयोडीन की कमी है वहां केवल यही नमक बेचा जा सकता है। वयस्कों में 100-150 माइक्रो ग्राम आयोडीन की आवश्यकता होती है। विशेष हालतों जैसे कि गर्भ अवस्था में इसकी आवश्यकता बढ़ जाती है। गिल्लड़ होने की स्थिति में आयोडीन की गोलियां दी जाती हैं।
प्रश्न 5.
पानी की कमी से हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर :
पानी की कमी का प्रभाव (Effects of Deficiency of Water)-जिस मात्रा में पानी शरीर में से निकलता है उतनी मात्रा में द्रव्य पदार्थों या भोज्य पदार्थों द्वारा यदि पूरा न किया जाए तो हानिकारक प्रभाव होता है। इससे शरीर के पानी की मात्रा कम हो जाती है और शरीर के द्रव्य पदार्थों में परिवर्तन आ जाते हैं। शरीर की क्रियाओं की गति कम हो जाती है और फोक पदार्थों का विकास नहीं हो सकता। यदि पानी की बहुत कमी हो जाए तो मृत्यु भी हो सकती है।
प्रश्न 6.
बढ़ने वाले बच्चों के भोजन में प्रोटीन का होना क्यों आवश्यक है ?
उत्तर :
बढ़ रहे बच्चों को प्रोटीन की अधिक आवश्यकता होती है क्योंकि उनके शरीर में नए सैलों का निर्माण होता है और बच्चों के शरीर में सैलों की तोड़-फोड़ भी अधिक होती है। इसीलिए नए सैलों को बनाने और टूटे सैलों की मरम्मत के लिए बच्चों को प्रोटीन
की आवश्यकता अधिक होती है।
प्रश्न 7.
प्रोटीन के मुख्य कार्य क्या हैं तथा इसकी कमी का शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर :
प्रोटीन के कार्य (Functions of Protein)-प्रोटीन एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व है, यह हमारे शरीर में निम्नलिखित कार्य करती है
- शरीर की सुरक्षा और विकास का कार्य
- शरीर को ऊर्जा देने का कार्य
- रोगों से मुकाबला करने के लिए शक्ति को बढ़ाना
- खून बनाने में सहायक
- अम्ल और क्षार में सन्तुलन रखना
- हार्मोन्ज़ और एन्जाइमज़ (Enzymes) बनाने का कार्य
- मानसिक शक्ति प्रदान करना।
प्रोटीन की कमी से होने वाले नुकसान (Effect of Deficiency of Protein) (H.B. 2019) – प्रोटीन की कमी का प्रभाव बच्चों, गर्भवती औरतों और दूध पिलाने वाली माताओं पर अधिक पड़ता है। इसकी कमी से अग्रलिखित नुकसान होते हैं –
- शरीर की वृद्धि और विकास में रुकावट-प्रोटीन की कमी से शरीर की वृद्धि और बढ़ौत्तरी की रफ्तार कम हो जाती है। इससे शरीर कमजोर हो जाता है और बच्चों में शारीरिक वृद्धि रुक जाती है।
- खून की कमी – भोजन में प्रोटीन की कमी से खून की कमी के कारण अनीमिया (Anemia) हो जाता है।
- रोग प्रतिरोधक (Antibodies) पदार्थ की कमी-प्रोटीन शरीर में रोग प्रतिरोधक तत्त्वों का निर्माण करता है। प्रोटीन की कमी से शरीर से बीमारियों में मुकाबला करने की शक्ति कम हो जाती है जिससे कई रोग लग जाते हैं।
- हड्डियां कमज़ोर होना-इसकी कमी हड्डियों को भी कमजोर करती है। इसलिए इनके जल्दी टूटने का डर रहता है।
- चमड़ी का खुश्क होना-शरीर में प्रोटीन की कमी से चमड़ी खुश्क हो जाती है और इससे शरीर पर झुर्रियां पड़ जाती हैं।
- बच्चे का कमज़ोर पैदा होना-गर्भवती और दूध पिलाने वाली औरतों में इसकी कमी होने से बच्चा कमजोर होता है और उसकी वृद्धि ठीक नहीं होती।
- प्रोटीन की कमी से बच्चे क्वाशियोरकॉर और मरास्मस (सूखा) रोगों का शिकार हो जाते हैं।
प्रश्न 8.
प्रोटीन की कमी से बच्चे किस रोग का शिकार होते हैं ? उसके लक्षण भी बताएं।
उत्तर :
क्वाशियोरकॉर तथा सूखा रोग।
प्रश्न 9.
प्रोटीन के स्त्रोत कौन-कौन से हैं ?
उत्तर :
प्रोटीन की प्राप्ति के स्त्रोत (Sources of Protein)
1. पशु जगत से प्राप्त होने वाले प्रोटीन (Animal Sources) – जैसे दूध और दूध से बने पदार्थ, पनीर, दही, खोया, मक्खन तथा अन्य पशु जन्य पदार्थ।
2. वनस्पति जगत से प्राप्त होने वाले प्रोटीन (Vegetable Sources) – जैसे दालें, सोयाबीन, मूंगफली, तिल, बादाम, पिस्ता, नारियल, मटर और अनाज आदि।
प्रश्न 10.
कार्बोहाइड्रेट्स हमारे शरीर में क्या काम करते हैं ?
अथवा
कार्बोहाइड्रेट्स के हमारे शरीर में दो महत्त्वपूर्ण कार्य बताएं।
उत्तर :
- शक्ति प्रदान करना-कार्बोहाइड्रेट का मुख्य कार्य शारीरिक कार्यों के लिए गर्मी और शक्ति देना है। एक ग्राम कार्बोहाइडेट से 4 कैलोरी ऊर्जा मिलती है।
- शरीर को शक्ति प्रदान करने के लिए यह सबसे अच्छा स्रोत है। भोजन से प्राप्त होने वाली शक्ति का 50% से 60% भाग कार्बोहाइड्रेट द्वारा ही प्राप्त होता है।
- प्रोटीन एक महंगा स्रोत है और कार्बोहाइड्रेट प्रोटीन की बचत करते हैं ताकि प्रोटीन शरीर के निर्माण का कार्य कर सकें।
- यह चिकनाई की कमी को भी पूरा करते हैं और चिकनाई के पाचन में भी सहायक हैं।
- ग्लूकोज़ आवश्यक अमीनो एसिड के निर्माण में भी सहायक होता है।
- कार्बोहाइड्रेट्स भोजन को स्वादिष्ट बनाते हैं।
- सैलुलोज फोक का कार्य करता है जिससे शरीर में से मल निकालने के लिए सहायता मिलती है और कब्ज दूर होती है।
- कार्बोहाइड्रेट चिकनाई से मिल कर भूख की तृप्ति (Satiety) महसूस करते हैं। इससे काफ़ी देर भूख महसूस नहीं होती।
प्रश्न 11.
भोजन में कार्बोहाइड्रेट्स की उचित मात्रा होना क्यों जरूरी है ?
उत्तर :
कार्बोहाइड्रेट्स का मुख्य कार्य शरीर को ऊर्जा प्रदान करना है। इसकी कमी के कारण शरीर में प्रोटीन और चर्बी इस कार्य के लिए प्रयोग की जाती है और शरीर कमजोर होना शुरू हो जाता है। भोजन में कार्बोहाइड्रेट्स की लगातार कमी होने से शारीरिक वृद्धि रुक जाती है और मरास्मस नाम का रोग हो जाता है। इसलिए कार्बोज़ का भोजन में उचित मात्रा में होना बहुत आवश्यक है।
प्रश्न 12.
कार्बोहाइड्रेट्स की कमी का हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है?
उत्तर :
कार्बोहाइड्रेट्स की कमी का प्रभाव (Effect of Deficiency of Carbohydrates) – कार्बोहाइड्रेट्स की कमी प्रायः कम ही देखने को मिलती है परन्तु यदि इसकी कमी हो जाए तो शरीर पर कई तरह से प्रभाव होता है।
1. बच्चों पर कार्बोहाइड्रेट्स की कमी का प्रभाव (Effect of Deficiency of Carbohydrates on Children) – प्रायः पांच साल से कम आयु के बच्चों में इसकी कमी के लक्षण दिखाई देते हैं। जहां बच्चों से दूध छुड़वाया जाता है, तो उनके भोजन में पूर्ण पौष्टिक तत्त्व शामिल नहीं किए जाते या अधिक समय के लिए बच्चों को माँ के दूध पर ही रखे जाने से भी शरीर में इसकी कमी हो जाती है। ऐसी स्थिति में शरीर कार्बोहाइड्रेट के स्थान पर ऊर्जा के लिए प्रोटीन का प्रयोग करता है और इससे प्रोटीन की कमी भी आ जाती है। इस अवस्था को मरास्मस या सूखा (Marasmus) कहा जाता है।
2. भार की कमी (Loss of Weight) – भोजन में जब कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम हो जाए तो शरीर कमजोर हो जाता है। इससे काम करने को दिल नहीं करता। भार कम होने लग पड़ता है और थकावट महसूस होती है।
3. किटोसिस (Ketosis) – कार्बोहाइड्रेट्स की कमी से शरीर में प्रोटीन-बॉडीज़ (Ketone Bodies) बढ़ जाती है। खून में अम्ल की मात्रा बढ़ जाती है। इससे मनुष्य को बेहोशी होने लगती है और मृत्य भी हो सकती है।
4. मांसपेशियों का ढीला पड़ना (Loosening of Muscles) – कार्बोहाइड्रेट्स की कमी का प्रभाव मांसपेशियों पर भी दिखाई देता है। चमड़ी ढीली पड़ने के कारण झुर्रियां पड़ जाती हैं और चेहरे की चमक भी कम हो जाती है। कार्बोहाइड्रेट्स की उचित मात्रा ही लेनी चाहिए। आवश्यकता से अधिक कार्बोज़ खाने से यह शरीर में जाकर चर्बी का रूप धारण करके कोशिका में इकट्ठा हो जाता है और मोटापे का रोग हो जाता है। इससे आदमी आलसी हो जाता है और खून का दौरा तेज़ होने का डर रहता है।
प्रश्न 13.
चर्बी हमारे शरीर में क्या काम करती है ?
उत्तर :
चर्बी के कार्य (Functions of Fat) – चर्बी हमारे शरीर में निम्नलिखित कार्य करती है –
- ऊर्जा का साधन (Source of Energy)
- आवश्यक वसा अम्लों का साधन (Sources of Essential Fatty Acids)
- चर्बी में घुलनशील विटामिनों का स्रोत (Source of Fat Soluble Vitamins)
- कोमल अंगों की सुरक्षा (Protection of Sensitive Body Organs)
- भोजन को स्वादिष्ट बनाती है (Help in Making Food Tasty)
- सन्तुष्टि देती है (Give satisfaction)
- शरीर का तापमान बनाए रखती है (Helps in Regulating Body Temperature)
- चमड़ी के स्वास्थ्य के लिए (For healthy skin)।
प्रश्न 14.
चर्बी की कमी तथा अधिक मात्रा का हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर :
चर्बी की कमी से हानियां (Effects of Deficiency of Fats) – चर्बी की कमी से निम्नलिखित नुकसान होते हैं
- चर्बी की कमी से चिकनाई में घुलनशील विटामिन शरीर को नहीं मिलते और उनकी कमी से होने वाले रोग हो जाते हैं।
- आवश्यक वसा अम्लों (Fatty Acids) की कमी हो जाती है, जिसका असर आँखों और चमड़ी पर पड़ता है। इसलिए चमड़ी खुश्क हो जाती है। दाद और खुजली रोग होने का डर रहता है।
- चर्बी की कमी से शारीरिक ऊर्जा के लिए प्रोटीन का प्रयोग शुरू हो जाता है जिससे शारीरिक निर्माण का कार्य रुक जाता है।
- इसकी कमी से पाचन प्रणाली पर भी प्रभाव पड़ता है और कब्ज रहने लग जाती
- चर्बी की कमी से मनुष्य का शरीर हड्डियों का ढांचा बन जाता है।
एक बात ध्यान रखने योग्य यह है कि यदि चर्बी का अधिक प्रयोग किया जाए, तो मोटापा हो जाता है और हाजमा भी खराब हो जाता है। आज-कल की खोजों से यह सिद्ध हुआ है कि चिकनाई से प्राप्त की कोलेस्ट्रॉल स्वास्थ्य के लिए गम्भीर समस्या पैदा कर सकती है। जिससे खून का दबाव बढ़ जाता है और दिल का रोग होने की सम्भावना बढ़ जाती है। इसलिए हमें वनस्पति तेलों का प्रयोग अधिक करना चाहिए।
प्रश्न 15.
विटामिन ‘ए’ का मुख्य काम क्या है तथा भोजन स्त्रोत बताएं।
अथवा
विटामिन ‘ए’ के कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर :
विटामिन ‘ए’ के कार्य (Functions of Vitamin ‘A’) शरीर में विटामिन ‘ए’ निम्नलिखित कार्यों के लिए आवश्यक है
- शारीरिक विकास के लिए (For Physical growth)
- स्वस्थ आँखों के लिए (For healthy eyes)
- स्वस्थ चमड़ी के लिए (For Healthy Skin)
- प्रजनन क्रिया के लिए (For Reproduction)
- छूत के रोगों की रक्षा के लिए (For Protection against Contagious Diseases)
- स्वस्थ हड्डियों और दाँतों के लिए (For Healthy Bones and Teeth)
विटामिन ‘ए’ के स्त्रोत (Sources of Vitamin ‘A’) –
- पशु जन्य साधन दूध, मक्खन और देसी घी।
- हरे पत्ते वाली सब्जियां।
- पीले, संतरी और लाल फल और सब्जियां जैसे आम, पपीता, अनानास, बेर, गाजर और टमाटर में यह विटामिन कैरोटीन के रूप में पाया जाता है।
प्रश्न 16.
विटामिन ‘डी’ के कार्य तथा कमी के बारे में बताएं।
उत्तर :
विटामिन ‘डी’ शरीर के लिए निम्नलिखित कार्य करता है –
- कैल्शियम और फॉस्फोरस के अवशोषण में मदद करता है। (Helps in Absorption of Calcium and Phosphorus)
- हड्डियों के विकास के लिए (For Development of Bones)
- शरीर के पूर्ण विकास के लिए (For Development of Body)।
विटामिन ‘डी’ की कमी के प्रभाव (Effects of the Deficiency of Vitamin ‘D’)
विटामिन ‘डी’ की कमी से निम्नलिखित रोग हो जाते हैं –
- रिकेट्स रोग (Rickets)
- ओस्टोमलेशिया (Osteomalacia)
- ओस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis)।
प्रश्न 17.
(क) विटामिन ‘ई’ का मुख्य कार्य क्या है ?
(ख) विटामिन ‘ई’ की कमी का हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर :
(क) विटामिन ‘ई’ के कार्य-शरीर में विटामिन ‘ई’ निम्नलिखित कार्य करता है –
- प्रजनन क्रिया में सहायता करता है।
- मांसपेशियों के विकास के लिए आवश्यक है।
- विटामिन ‘ए’ के बनने में सहायता करता है।
(ख) विटामिन ‘ई’ की कमी के शरीर पर प्रभाव –
- प्रजनन सम्बन्धी विकार (Effect on Reproduction System)
- गर्भपात (Miscarriage)
- भ्रूण की हत्या (Death of the Foetus)
- दिल का रोग (Disease of Heart) ।
प्रश्न 18.
विटामिन ‘के’ का मुख्य काम क्या है तथा इसकी कमी का हमारे शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर :
विटामिन ‘के’ भी मनुष्य के पोषण के लिए भी बहुत ज़रूरी है क्योंकि यह खून को जमाने में सहायता करता है। विटामिन ‘के’ के कार्य (Functions of Vitamin ‘K’) – इसका मुख्य कार्य खून को जमाने में सहायता करना है। विटामिन ‘के’ की कमी के प्रभाव-प्रायः विटामिन ‘के’ की कमी कम ही होती है क्योंकि यह विटामिन छोटी आंत में बनता है। सल्फा दवाइयों का अधिक प्रयोग करने से शरीर में इसका निर्माण रुक जाता है और यदि खून बहने लगे तो रुकता नहीं।
प्रश्न 19.
विटामिन ‘बी’ समूह में कौन-कौन से विटामिन आते हैं ? नाम बताएं।
उत्तर :
ग्यारह विटामिन ‘बी’ समूह को बनाते हैं परन्तु इनमें सात बहुत महत्त्वपूर्ण हैं-थायामिन, राइबोफ्लेविन, निकोटिनिक एसिड, पैंटोथिनिक एसिड, पिरिडाक्सिन, फौलिक एसिड, विटामिन ‘बी’ 12, कोलीन, इनोसीटोल और बायोटिन आते हैं। ये सभी विटामिन पानी में घुलनशील होते हैं।
प्रश्न 20.
निम्नलिखित के काम और स्त्रोत लिखें (1) थायामिन (2) राइबोफ्लेविन।
उत्तर :
1. थायामिन (B1) यह विटामिन पनीर, साबुत दालें, अनाज, अंकुरित दालों और चावलों की ऊपरी सतह पर काफ़ी मात्रा में होता है। यह विटामिन तन्त्रिका प्रणाली (Nervous System) के लिए शरीर की वृद्धि और विकास के लिए और रोगों से मुकाबला करने की शक्ति के लिए चाहिए। इस की कमी से मनुष्य को बेरी-बेरी रोग हो जाता है। यह रोग दो प्रकार का होता है। सूखी बेरी-बेरी और गीली बेरी-बेरी। सूखी बेरी-बेरी में भूख कम लगती है, कब्ज हो जाती है, टांगें, बाहें ठण्डी पड़ जाती हैं और जोड़ों में दर्द होने लग जाता है।
गीली बेरी-बेरी में टांगों और पेट में पानी भर जाता है। सांस लेने में कठिनाई होती है और दिल की धड़कन तेज़ हो जाती है और कई बार दिल की गति रुक जाने की सम्भावना होती है। अधिक सख्त कार्य करने वालों में, गर्भवती और बच्चे को दूध देने वाली माताओं को इस विटामिन की आवश्यकता अधिक होती है। चावल पालिश करने से थायामिन कम हो जाती है। साबुत दालों और अन-छने आटे का प्रयोग करना चाहिए, क्योंकि इसमें थायामिन होती है। खाना अधिक देर तक पकाने और उसमें सोडे का प्रयोग करने से भी थायामिन नष्ट हो जाता है।
2. राइबोफ्लेविन (B2) – यह विटामिन पानी में घुलनशील है और प्रकाश से जल्दी नष्ट हो जाता है। भोजन को उबालने और भूनने के दौरान यह विटामिन काफ़ी मात्रा में नष्ट हो जाता है। यह विशेषकर पट्ठों और नसों में काम करता है। इसकी कमी से आँखों और चमड़ी पर बुरा प्रभाव पड़ता है। होठों के कोने फट जाते हैं, चमड़ी सूखी और खुश्क हो जाती है। यह विटामिन दूध या दूध से बने पदार्थ, मूंगफली, खमीर, दालों और हरे पत्ते वाली सब्जियों में होता है।
प्रश्न 21.
(क) विटामिन ‘सी’ के कार्य, स्त्रोत तथा कमी का प्रभाव बताओ।
(ख) विटामिन ‘सी’ के कोई चार कार्य लिखें।
उत्तर :
यह पानी में घुलनशील है और इसको एस्कार्बिक एसिड भी कहा जाता है।
(क) 1. विटामिन ‘सी’ के कार्य
शरीर में विटामिन ‘सी’ निम्नलिखित कार्य करता है –
1. यह कोलेजन के निर्माण के लिए कार्य करता है। (It helps in the Formation and Maintenance of Collagen) कोलेजन एक प्रकार का सीमेंट जैसा पदार्थ है जो शरीर की कोशिकाओं को स्थिर रखता है। हड्डियों और दांतों के सख्त पदार्थ मैट्रिक और डैन्टाइन का निर्माण भी करता है। जख्मों के जल्दी भरने और टूटी हड्डियों को जोड़ने के लिए भी विटामिन ‘सी’ ही कार्य करता है।
2. फौलिक अम्ल के पाचन के लिए (For the Metabolism of Folic Acid)
3. कैल्शियम और लोहे के अवशोषण करने के लिए (For the Absorption of Calcium and Iron)
4. टाइरोसिन के ऑक्सीकरण के लिए (For the Oxidation of Tyrosine)
5. रोगों से लड़ने की शक्ति देता है (Give Resistance against Disease)।
2. विटामिन ‘सी’ के स्त्रोत –
1. सबसे अधिक विटामिन ‘सी’ आंवले में मिलता है। इसके अतिरिक्त खट्टे फल जैसे नींबू, संतरा, गलगल, चिकोतरा आदि।
चित्र-विटामिन ‘सी’ के स्रोत –
2. हरे पत्ते वाली सब्जियां और टमाटर आदि।
3. अंकुरित दालें और अनाज।
4. माँ का दूध।
विटामिन ‘सी’ की कमी से होने वाले रोग –
- इसकी कमी से स्कर्वी नामक रोग हो जाता है जिससे मसूड़े सूज जाते हैं और कोशिकाओं में से खून बहने लग जाता है।
- दांतों में पाइयोरिया नामक रोग हो जाता है और दांत हिलने लग जाते हैं।
- जख्म जल्दी ठीक नहीं होते।
- खून कम और अशुद्ध हो जाता है।
- हड्डियां और शरीर कमजोर हो जाता है।
- थकावट महसूस होती है।
(ख) – देखें भाग (क)।
प्रश्न 22.
कैल्शियम तथा फॉस्फोरस महत्त्वपूर्ण खनिज पदार्थ हैं। कैसे ?
उत्तर :
1. कैल्शियम – यह बहुत महत्त्वपूर्ण खनिज लवण हैं। शरीर में पाए जाने वाले कुल लवणों का 75% भाग कैल्शियम और फॉस्फोरस में होता है। शरीर के कुल कैल्शियम का 99% भाग हड़ियों और दांतों में पाया जाता है।
कैल्शियम के कार्य (Functions of Calcium) – कैल्शियम के दो महत्त्वपूर्ण कार्य हैं
(i) हड्डियों और दांतों का निर्माण (Building Bones and Teeth) कैल्शियम और फॉस्फोरस दोनों मिल कर हड्डियों और दांतों का निर्माण करते हैं। इससे हड्डियों और दांतों का ढांचा मज़बूत होता है। दांतों के डैनटिन (Dentin) में 27 प्रतिशत कैल्शियम और एनैमल (Enamel) में 36 प्रतिशत कैल्शियम होता है।
(ii) शारीरिक क्रियाओं को चलाना (Regulating body Process) शरीर में होने वाली क्रियाओं के लिए कैल्शियम फॉस्फोरस के साथ मिलकर सहायता करता है। ये क्रियाएं इस प्रकार हैं –
(क) कैल्शियम खून को जमाने में सहायता करता है।
(ख) पेशियों के सिकुड़ने पर दिल की गति को बनाए रखने के लिए भी कैल्शियम आवश्यक है।
कैल्शियम की प्राप्ति के साधन-भोजन में कैल्शियम निम्नलिखित साधनों से प्राप्त होता है
- दूध और दूध से बने पदार्थ ।
- हरे पत्ते वाली सब्जियां जैसे पालक, सरसों, पुदीना, मूली और गाजर आदि।
- छोटी मछलियां जो हड्डियों समेत खाई जाती हैं।
कैल्शियम की कमी के प्रभाव (Effects of Deficiency of Calcium)
- बच्चों के दांत देरी से निकलते हैं या ठीक नहीं निकलते।
- हड्डियां कमजोर होकर टेढ़ी हो जाती हैं।
- बच्चों में रिकेट्स (Rickets) और बड़ों में औस्टोमलेशिया (Osteomalacia) रोग हो जाता है।
2. फॉस्फोरस (Phosphorus) – कैल्शियम के साथ-साथ फॉस्फोरस का भी बहुत महत्त्व है। फॉस्फोरस लगभग शरीर के भार का 1 प्रतिशत भाग होता है। यह कैल्शियम में मिल कर हड्डियों और दांतों का निर्माण करता है। फॉस्फोरस के कार्य (Functions of Phosphorus) शरीर की रचना के लिए फॉस्फोरस बहुत कार्य करता है, जैसे –
- हड्डियों और दांतों का निर्माण (Building Bones and Teeth)
- कोशिकाओं की बनावट (Formation of Cells)
- एन्ज़ाइम बनाना (Formation of Enzymes)
फॉस्फोरस की कमी के प्रभाव (Effects of Deficiency of Phosphorus) फॉस्फोरस की कमी बहुत कम होती है क्योंकि यह अनाज में काफ़ी मात्रा में पाया जाता है। परन्तु यदि कहीं इसकी कमी हो जाए, तो हड्डियां और दांत कमजोर हो जाते हैं। इसकी कमी से कोशिकाओं के बनने की प्रक्रिया में खराबी आ जाती है।
प्रश्न 23.
(A) कैल्शियम की कमी से होने वाले रोगों का वर्णन करें।
(B) कैल्शियम के कार्य और साधन बताएं।
उत्तर :
देखें प्रश्न 22 का उत्तर।
प्रश्न 24.
लोहे की दैनिक आवश्यकता बहुत कम होने के बावजूद यह बहुत महत्त्वपूर्ण खनिज पदार्थ है। कैसे ?
अथवा
लोहे के दो मुख्य कार्य तथा दो मुख्य साधन बताएं।
उत्तर :
लोहा (Iron) शरीर में लोहा बहुत कम पाया जाता है। परन्तु शरीर की वृद्धि और शारीरिक क्रियाओं को ठीक ढंग से चलाने के लिए इसका बहुत योगदान है।
लोहे के कार्य (Functions of Iron) – लोहा हमारे शरीर मे निम्नलिखित कार्य करता है –
- हीमोग्लोबिन का निर्माण।
- मांसपेशियों का आवश्यक तत्त्व।
- ऑक्सीकरण की क्रियाओं के लिए यह फेफड़ों के लिए ऑक्सीजन कोशिकाओं तक और कोशिकाओं से फेफड़ों तक पहुंचाता है।
लोहे की प्राप्ति के स्त्रोत (Sources of Iron) – लोहे की प्राप्ति के स्रोत निम्नलिखित हैं –
1. गुड, शक्कर और सूखे मेवे।
2. हरे पत्ते वाली सब्जियां तथा पशु जन्य साधन।
प्रश्न 25.
आयोडीन की कमी से क्या होता है तथा प्राप्ति के साधनों के बारे में बताओ।
उत्तर :
आयोडीन की कमी से –
1. घेघा रोग हो जाता है।
2. थाइराइड ग्रन्थियों में थायराक्सिन कम निकलता है जिससे बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास पूरा नहीं होता। बालिग व्यक्तियों में भी मानसिक विकास कम हो जाता है। शरीर सूज जाता है और ढीला पड़ जाता है।
3. अधिक कमी होने से मिक्सोडीमा हो जाता है। आँखें बाहर को आ जाती हैं।
4. बच्चों में क्रेटीनिज़्म (Cretinism) अर्थात् बच्चे बौने और भद्दे लगते हैं। चमड़ी मोटी और खुरदरी हो जाती है। जीभ बढ़ जाने से मुंह बन्द नहीं होता। आयोडीन की प्राप्ति के स्त्रोत-आयोडीन की आवश्यक मात्रा का 75% भाग ज़मीन पर पैदा हुई सब्जियों, दालों और अनाज से पूरी हो जाती है और शेष पानी से। परन्तु कई पहाड़ी स्थानों पर ज़मीन और पानी में आयोडीन नहीं होती, वहां आवश्यक आयोडाइज्ड नमक खाना चाहिए। अधिक नमी की स्थिति में इसकी गोलियां दी जाती हैं।
प्रश्न 26.
पानी मनुष्य के शरीर के लिए कैसे महत्त्वपूर्ण है ?
उत्तर :
पानी (Water) – पानी हमारे भोजन का एक बड़ा भाग है। यद्यपि पानी को हम भोजन नहीं कह सकते क्योंकि न तो यह शक्ति देता है और न ही शरीर में होने वाली क्रियाओं का निर्माण करता है। परन्तु फिर भी हर कोशिका (Cell) में पौष्टिक तत्त्व पहुंचाने
का कार्य पानी ही करता है। शरीर के भार का लगभग 61% भाग पानी ही है।
पानी के कार्य (Functions of Water) (H.B. 2009)
पानी हमारे शरीर में निम्नलिखित कार्य करता है –
- घोलक के रूप में (Water acts as a Solvent)
- पाचन क्रियाओं में सहायता (Helps in the Process of Digestion)
- फोक को बाहर निकालने में सहायता (Helps in the Removal of Waste Products)
- कोमल अंगों की सुरक्षा (Helps in the Protection of Sensitive Organs)
- तापमान को स्थिर रखने में सहायता करना (Helps in the Temperature Regulation)
- स्नेहक के रूप में कार्य करता है (Acts as a Lubricant)।
प्रश्न 27.
फोक का अपना महत्त्व कैसे है तथा प्राप्ति के क्या स्त्रोत हैं ?
अथवा
रुक्षांश (फोक) का क्या महत्त्व है ?
उत्तर :
फोक (Roughage) – फल और सब्जियों के रेशे और अनाजों के छिलके फोक बनाते हैं, यह स्टार्च के कणों को बाँध कर रखते हैं। ये पदार्थ आप नहीं पचते इनको चाहे जितना भी पचाया जाए फिर भी ये घुलते नहीं। फोक के कार्य (Functions of Roughage) – ये शरीर को कई पौष्टिक तत्त्व नहीं देते फिर भी इनका शरीर के लिए बहुत महत्त्व है।
- इनसे भोजन की मात्रा बढ़ जाती है।
- फोक से भोजन को पाचन प्रणाली को चलाने में सहायता मिलती है।
- आंतों और पट्ठों को क्रियाशील रखने में मदद करते हैं।
- पाचन के पश्चात् मल बाहर निकालने में सहायता करते हैं।
- कब्ज़ को दूर करते हैं।
- ये कुछ ऐसे जीवाणु के बनने में सहायता करते हैं जोकि पित एसिड को तोड़ते हैं।
फोक की प्राप्ति के स्रोत (Sources of Roughage) –
- हरी सब्जियाँ जैसे बन्द गोभी, गाजर के पत्ते, हरा धनिया, कढ़ी पत्ता, पुदीना आदि।
- फल जैसे-अंजीर, संतरा, टमाटर, अंगूर और अमरूद।
- सम्पूर्ण अनाज।
प्रश्न 28.
लोहे की कमी से कौन-सा रोग हो जाता है ? लोहे के हमारे शरीर में क्या कार्य हैं ?
उत्तर :
लोहे की कमी से अनीमिया हो जाता है। खून में हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है। इससे भूख कम लगना, सांस फूलना, दिल की धड़कन का बढ़ना, नाखून सफेद होना और शारीरिक कमजोरी हो जाती है।
यह रोग विटामिन बी कम्पलैक्स की कमी से भी हो जाता है। लोहे के कार्य –
- हीमोग्लोबिन का निर्माण।
- मांसपेशियों की आवश्यकता।
- ऑक्सीकरण की क्रियाओं के लिए ये फेफड़े के लिए ऑक्सीजन और कोशिकाओं से ऑक्सीजन फेफड़ों तक पहुंचाता है।
प्रश्न 29.
वृहद पोषक तत्त्वों द्वारा हमारे शरीर में किए गए कार्य एवं उनके स्रोतों का वर्णन करें।
उत्तर :
प्रश्न 30.
पानी में कोई पोषक तत्त्व नहीं है। फिर भी यह हमारे लिए क्यों आवश्यक है ?
उत्तर :
पानी निम्नलिखित कारणों से आवश्यक है –
- यह शरीर की कोशिकाओं को अपना कार्य करने में सहायता करता है।
- यह भोजन पचाने में सहायता करता है और खाद्य के पोषक तत्त्वों को शरीर की कोशिकाओं तक पहुंचाता है।
- यह हमारे शरीर के ताप को स्थिर रखता है। गर्मियों में पसीने द्वारा शरीर की गर्मी निकल जाती है।
- हमारे शरीर में उत्पन्न जलीय पदार्थों को मूत्र के रूप में निष्कासित करता है। हमें प्रतिदिन सात या आठ गिलास पानी पीना चाहिए।
प्रश्न 31.
वसा के कोई चार कार्य लिखें।
उत्तर :
- ऊर्जा का स्रोत।
- चर्बी में घुलनशील विटामिनों का स्रोत ।
- शरीर का तापमान बनाए रखना।
- चमड़ी के स्वास्थ्य के लिए।
- आवश्यक वसा अम्लों का स्रोत।
प्रश्न 32.
खाद्य पदार्थों का अंकुरण करने के क्या लाभ हैं ?
उत्तर :
- खाद्य पदार्थों को पचाने की क्षमता में वृद्धि होती है।
- दालें तथा चने नर्म हो जाते हैं तथा जल्दी पकते हैं।
- पौष्टिक मूल्य बढ़ता है।
प्रश्न 33.
कार्बोज के किन्हीं दो मुख्य कार्यों का उल्लेख करें।
उत्तर :
1. ऊर्जा प्रदान करना।
2. प्रोटीन को अपना सही काम करने में सहायता करता है। यदि कार्बोज़ की कमी हो तो शरीर प्रोटीन से ऊर्जा प्राप्त करने लगता है तथा प्रोटीन निर्माण कार्य नहीं कर पाता।
प्रश्न 34.
विटामिन ‘सी’ की कमी से होने वाले रोग के लक्षण लिखें।
उत्तर :
- दाँत, मसूड़े तथा हड्डियां कमज़ोर हो जाती हैं।
- घाव जल्दी नहीं भरते।
- स्कर्वी रोग हो जाता है।
प्रश्न 35.
कैल्शियम की कमी के लक्षण बताएं।
उत्तर :
- बच्चों के दाँत देर से निकलते हैं।
- हड्डियां कमज़ोर होकर टेढ़ी हो जाती हैं।
- बच्चों में रिकेट्स तथा बड़ों में औस्टोमलेशिया रोग हो जाता है।
प्रश्न 36.
सोडियम की प्राप्ति, कार्य तथा महत्त्व के बारे में बताएं।
उत्तर :
सोडियम की प्राप्ति साधारण नमक जो हम प्रतिदिन, भोजन, दालों, सब्जियों में डालकर खाते हैं से हो जाती है।
कार्य तथा महत्त्व –
- सोडियम शरीर में क्षार तथा अम्ल का संतुलन बनाए रखता है। इससे शरीर में होने वाली विभिन्न रसायनिक क्रियाएं सुचारु ढंग से होती हैं।
- मांसपेशियों के संकुचन में सहायक है।
- शरीर में रसाकर्षण दबाव को ठीक रखने में सहायक है।
- शरीर में पानी की मात्रा के संतुलन में सहायक है।
- स्नायु द्वारा प्राप्त उत्तेजना को नियन्त्रित रखने में सहायक है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न –
प्रश्न 1.
भोजन के पौष्टिक तत्त्व कौन-कौन से हैं ? प्रोटीन के कार्य, कमी के परिणाम और स्त्रोत लिखो।
उत्तर :
पौष्टिक तत्त्व, वे रासायनिक तत्त्व हैं जो हमें भोजन से प्राप्त होते हैं और ये शारीरिक क्रियाओं के लिए आवश्यक ऊर्जा और शरीर के प्रत्येक कोश की बनावट और देखभाल के लिए आवश्यक योगदान देते हैं।
पौष्टिक तत्त्व निम्नलिखित हैं –
- प्रोटीन (Protein)
- कार्बोहाइड्रेट्स (Carbohydrates)
- चर्बी (Fat)
- विटामिन (Vitamin)
- खनिज पदार्थ (Mineral)
- पानी (Water)
- फोक (Roughage)
लाभ – पौष्टिक तत्त्वों में से प्रोटीन एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। इसको मानवीय जीवन का आधार कहा जाता है जैसे मकान बनाने के लिए ईंटें, सीमेंट और मिट्टी की आवश्यकता होती है ठीक उसी तरह ही शरीर की रचना के लिए कोशों (Cells) की आवश्यकता होती है। इन कोशों के अन्दर प्रोटोप्लाज्म (Protoplasm) होता है जिस को जीवन का आधार माना जाता है। प्रोटोप्लाज्म प्रोटीन से ही बनता है।
प्रोटीन कई प्रकार के अमीनो अम्लों (Amino acids) के मिश्रण से बनता है। ये अमीनो अम्ल कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन और कई सल्फर के संयोग से बनते हैं। अमीनो अम्ल दो प्रकार के होते हैं –
(क) आवश्यक (Essential)
(ख) अनावश्यक (Non-essential)
(क) आवश्यक (Essential) ये शरीर के निर्माण के लिए आवश्यक अमीनो अम्ल हैं जिनको भोजन में से लेना आवश्यक हो जाता है। बच्चों के लिए 10 और बड़ों के लिए अमीनो अम्ल आवश्यक हैं। बच्चों में इन 8 अमीनो अम्लों के अतिरिक्त हिस्टीडीन (Histidin) और आरजनीन (Argnine) भी आवश्यक हैं। यह अमीनो अम्ल शारीरिक और मानसिक विकास करते हैं।
(ख) अनावश्यक (Non-Essential) – ये अम्ल शरीर में ही पैदा हो जाते हैं इसलिए खुराक में से लेने की आवश्यकता नहीं पड़ती परन्तु शरीर के लिए यह भी बहुत आवश्यक हैं।
प्रोटीन के वर्गीकरण का आधार – प्रोटीन का वर्गीकरण तीन बातों के आधार पर किया जाता है –
- साधन के आधार पर।
- गुणों के आधार पर।
- भौतिक और रासायनिक विशेषताओं के आधार पर।
1. साधन के आधार पर (On the Basis of Source) –
(क) वनस्पति से प्राप्त होने वाले प्रोटीन (Vegetables Protein) – जैसे दालें, अनाज, मूंगफली, सोयाबीन, तिल और मटर आदि।
(ख) पशु-जगत् से प्राप्त होने वाले प्रोटीन (Animal Protein) – जैसे दूध और दूध से बने पदार्थ तथा अन्य पशु जन्य साधन ।
2. गुणों के आधार पर (On the Basis of Qualities) –
(क) पूर्ण प्रोटीन (Complete Protein) – यह दूध तथा अन्य पशु जन्य साधनों में पाई जाती है। इसको ‘ए’ श्रेणी की प्रोटीन कहा जाता है।
(ख) अपूर्ण प्रोटीन (Incomplete Protein) – यह अनाज, दालों और सूखे मेवों में होती है। इसको ‘बी’ श्रेणी का प्रोटीन कहा जाता है।
(ग) अर्द्ध-पूर्ण प्रोटीन (Partial Protein) – यह घटिया किस्म की प्रोटीन होती है। यह मक्की की जीन और जैलेटिन में पाई जाती है।
3. भौतिक और रासायनिक विशेषताओं के आधार पर (On the basis of Physical and Chemical Properties) –
(क) साधारण प्रोटीन (Simple Protein) – यह अण्डे के सफेद भाग (Albumin) में पाई जाती है।
(ख) मिश्रित प्रोटीन (Conjugated Protein) – इस तरह की प्रोटीन में प्रोटीन के साथ और प्रोटीन पदार्थ मिले होते हैं जैसे दूध की केसीनोजन (फॉस्फोरस + प्रोटीन) खन की हीमोग्लोबिन (लोहा + प्रोटीन)।
(ग) प्राप्त की गई प्रोटीन (Derivated Protein) – ये पैप्टोन, पैप्टाइड और अमीनो अम्लों जैसे पदार्थ हैं।
प्रोटीन के कार्य (Functions of Protein) – प्रोटीन एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व है जो हमारे शरीर में अग्रलिखित कार्य करती है
- शरीर की सुरक्षा और विकास का कार्य
- शरीर को ऊर्जा देने का कार्य
- रोगों से लड़ने के लिए शक्ति बढ़ाना
- खून बनाने में सहायक
- अम्ल और क्षार में सन्तुलन रखना
- हार्मोन्ज़ और एन्ज़ाइम्ज़ (Enzymes) बनाने का कार्य
- मानसिक शक्ति प्रदान करना।
प्रोटीन की प्राप्ति के साधन (Sources of Protein) –
1. पशु जगत् से प्राप्त होने वाले प्रोटीन (Animal Sources) – जैसे दूध और दूध से बने पदार्थ, पनीर, दही, खोया, मक्खन तथा अन्य पशु जन्य साधन।
2. वनस्पति जगत् से प्राप्त होने वाले प्राप्त प्रोटीन (Vegetable Sources) – जैसे दालें, सोयाबीन, मूंगफली, तिल, बादाम, पिस्ता, नारियल, मटर और अनाज आदि।
प्रोटीन की कमी से होने वाले नुकसान (Effects of Deficiency of Protein) – प्रोटीन की कमी का प्रभाव बच्चों, गर्भवती औरतों और दूध पिलाने वाली माताओं पर अधिक पड़ता है। इसकी कमी से निम्नलिखित नुकसान होते हैं
- शरीर की वृद्धि और विकास में रुकावट – प्रोटीन की कमी से शरीर के विकास और वृद्धि की रफ्तार कम हो जाती है। इससे शरीर कमजोर हो जाता है और बच्चों में शारीरिक वृद्धि रुक जाती है।
- खून की कमी होना – भोजन में प्रोटीन की कमी से खून की कमी (Anaemia) हो जाती है।
- रोग प्रतिरोधक (Antibodies) पदार्थ की कमी – प्रोटीन शरीर में रोग प्रतिरोधक तत्त्वों का निर्माण करती है। प्रोटीन की कमी से शरीर में बीमारियों से लड़ने की शक्ति कम हो जाती है जिससे कई रोग लग जाते हैं।
- हड्डियां कमज़ोर होना – इसकी कमी हड्डियों को भी कमज़ोर करती है इसलिए इनके जल्दी टूटने का डर रहता है।
- चमड़ी का खुश्क होना – शरीर में प्रोटीन की कमी से चमड़ी खुश्क हो जाती है और इससे शरीर पर झुर्रियां पड़ जाती हैं।
- बच्चे का कमज़ोर पैदा होना – गर्भवती और दूध पिलाने वाली औरतों में इसकी कमी होने से बच्चा कमजोर होता है और उसकी वृद्धि ठीक नहीं होती।
- प्रोटीन की कमी से बच्चे क्वाशियोरकॉर और मरास्मस (सूखा) रोगों के शिकार हो जाते हैं।
प्रश्न 2.
प्रोटीन के कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर :
देखें प्रश्न 1 का उत्तर।
प्रश्न 3.
वसा का वर्गीकरण, कार्य, स्रोत आदि के बारे में बताएं।
उत्तर :
वसा (Fat) – वसा भी मनुष्य की खुराक का एक महत्त्वपूर्ण भाग है। यह हाइड्रोजन, कार्बन और ऑक्सीजन का मिश्रण है। यह शरीर को शक्ति प्रदान करती है और पानी में अघुलनशील है। इसमें कार्बोज़ प्रोटीन से दुगुनी शक्ति होती है। एक ग्राम वसा से 9 कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है। हमारे शरीर को 15 से 20 प्रतिशत ऊर्जा वसा से मिलनी चाहिए। मनुष्य को रोज़ाना 20 से 30 ग्राम वसा की आवश्यकता होती है। वसा में घुलनशील विटामिन ‘ए’, ‘डी’ और ‘के’ हैं।
वसा का वर्गीकरण-वसा को उसके स्रोत के आधार पर दो वर्गों में विभाजित किया जाता है –
1. पशु जन्य साधन या वसा (Animal Sources) – जैसे घी, मक्खन तथा अन्य पशु जन्य साधनों की वसा आदि।
2. वनस्पति साधन (Vegetable Sources) – जैसे मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी, सरसों, तिल, नारियल, बिनोले आदि के तेल।
वसा के कार्य (Functions of Fat)
वसा हमारे शरीर में निम्नलिखित कार्य करती है –
- ऊर्जा का स्रोत (Source of Energy)
- आवश्यक वसा अम्लों का स्रोत (Source of Essential Fatty Acids)
- वसा में घुलनशील विटामिनों का स्रोत (Source of Fat Soluble Vitamins)
- कोमल अंगों की सुरक्षा – (Protection of Sensitive Body Organs)
- भोजन को स्वादिष्ट बनाती है – (Helps in Making Food Tasty)
- सन्तुष्टि देती है – (Gives Satisfaction)
- शरीर का तापमान बनाए रखती है (Helps in Regulating Body Temperature)
- चमड़ी के स्वास्थ्य के लिए (For Healthy Skin)
वसा की प्राप्ति के स्रोत (Sources of Fat) – वसा निम्नलिखित भोजन पदार्थ में अधिक पाई जाती है –
- घी, मक्खन, क्रीम और तेल।
- वनस्पति तेल पदार्थ जैसे – सरसों, तिल, मूंगफली, नारियल, बिनौलों का तेल और वनस्पति घी।
- सूखे फल और मेवे जैसे – बादाम, अखरोट, सूखी गिरी और काजू तथा पशु जन्य पदार्थ।
- दूध और दूध से बने पदार्थ जैसे-दूध का पाऊडर और खोया आदि।
प्रश्न 4.
सूक्ष्म पोषक तत्त्व द्वारा शरीर में किए गए कार्य व उनके स्रोत बताओ।
उत्तर :
सूक्ष्म पोषक तत्त्व हैं – लवण (Minerals) एवम् विटामिन।
विटामिन – विटामिन कई प्रकार के होते हैं जैसे ए, बी, सी, डी आदि। इनमें से विटामिन ‘ए’ और ‘डी’ वसा में घुलते हैं। और विटामिन ‘बी’ और ‘सी’ पानी में घुलते है।
प्रश्न 5. (क)
विटामिन ‘बी’ समूह के कार्य तथा स्त्रोत लिखें।
उत्तर :
देखें उपरोक्त प्रश्न।
प्रश्न 5.
(ख) विटामिन ‘ए’ के कार्यों का वर्णन करें।
उत्तर :
देखें उपरोक्त प्रश्न।
प्रश्न 6.
विभिन्न पोषक तत्त्वों के अभाव से होने वाले रोगों के नाम लिखो एवम् उनके लक्षण भी बताओ।
उत्तर :
1. कार्बोहाइड्रेट्स (शर्करा)-यदि यह हमारे आहार में नहीं होता तो –
- वज़न में कमी आती है।
- ऊर्जा की कमी के कारण थकान अनुभव होती है।
- शर्करा में कमी के कारण प्रोटीन ऊर्जा की आवश्यकता पूरा करता है।
अत: यह शरीर की अभिवृद्धि में मदद नहीं कर पाता। इस प्रकार शर्करा की कमी से प्रोटीन की भी कमी हो जाती है। इस रोग को प्रोटीन-एनर्जी-मालन्यूट्रीशन कहते हैं। यह रोग बच्चों में ज्यादा होता है। भारत में इसको मैरसमस कहते हैं।
मरासमस के लक्षण –
- बच्चा हड़ियों का ढांचा बन जाता है। वह ठीक से नहीं बढ़ता।
- शरीर में पानी इकट्ठा होने के कारण पेट फूल जाता है।
- जिगर की कोशिकाएँ क्षतिग्रस्त हो जाती हैं।
- बच्चा पीला पड़ जाता है और चेहरे पर दाग पड़ जाते हैं।
- बच्चा सदा भूखा-सा लगता है।
2. प्रोटीन-जब प्रोटीन हमारे आहार में उचित मात्रा में नहीं होता तो –
- शरीर धीमी गति से बढ़ता है।
- घाव को ठीक होने में बहुत समय लगता है।
- हम मानसिक व शारीरिक रूप से थक जाते हैं।
- हमारी मांसपेशियाँ दुर्बल हो जाती हैं।
3. वसा (फैट्स)-जब वसा उचित मात्रा में हमारे आहार में नहीं होता तो –
- शरीर वसा में घुलनशील विटामिन को उचित रूप में प्रयोग नहीं कर पाता है।
- वजन कम हो जाता है।
- थकान व बेचैनी महसूस होती है।
- शरीर को ऊर्जा देने के लिए प्रोटीन का प्रयोग होने लगता है।
4. कैल्शियम-इसकी कमी से –
- हड्डियाँ दुर्बल और विकृत हो जाती हैं।
- अभिवृद्धि ठीक से नहीं होती।
- माँसपेशियों की गति पर कोई नियन्त्रण नहीं रहता।
5. लोहा-इसकी कमी से –
- शरीर द्वारा उचित मात्रा में रक्त नहीं बनता।
- त्वचा पीली पड़ जाती है क्योंकि लाल रंग देने वाले लोहे की कमी हो जाती है।
- रोग के कीटाणुओं से लड़ने की क्षमता नहीं रहती। इस रोग को हम ‘एनीमिया’ कहते हैं।
6. आयोडीन-इसकी कमी द्वारा –
- गले में थायराइड ग्लैंड सूज जाता है।
- बच्चे में अभिवृद्धि ठीक नहीं होती।
- इस रोग को हम ‘गौयटर’ कहते हैं।
7. विटामिन ए-इसकी कमी के कारण –
(i) अन्धेरे में हमें साफ दिखाई नहीं देता।
(ii) आँखों में सूखापन आने लगता है। यदि कमी ज्यादा दिन रहे तो व्यक्ति अन्धा हो सकता है। इस रोग को ‘रतौंधी’ (Night blindness) कहते हैं।
8. विटामिन ‘बी’-इसकी कमी से –
- व्यक्ति को भूख नहीं लगती और खाना पचाने में भी कठिनाई होती है।
- व्यक्ति को थकान महसूस होती है और सिर दर्द रहता है।
- होठों के किनारे पर त्वचा में दरारें पड़ जाती हैं।
- आँखों में जलन होती है।
- जीभ खुरदरी और लाल हो जाती है। इस रोग को ‘बेरी-बेरी’ (Beri-Beri) कहते हैं।
9. विटामिन ‘सी’- इसकी कमी के कारण –
- दाँत मसूड़े व हड्डियाँ कमज़ोर हो जाती हैं।
- मसूड़े सूज जाते हैं। अतः उनमें पस पड़ जाती है, खून निकलता है और दर्द होता
- घाव जल्दी नहीं भरते। इस रोग को ‘स्कर्वी’ (Scurvy) कहते हैं।
10. विटामिन ‘डी’-इसकी कमी से –
- दाँत स्वस्थ व मज़बूत नहीं रहते।
- पेट बड़ा हो जाता है।
- हड्डियाँ मज़बूत नहीं रहती। वह मुड़ जाती हैं अथवा विकृत हो जाती हैं। इस रोग को ‘रिकेट्स’ (Rickets) कहते हैं।
प्रश्न 7.
पकाने से कौन-कौन से पोषक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं ?
अथवा
पकाने से विभिन्न पौष्टिक तत्त्वों पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर :
पकाने के दौरान निम्नलिखित पोषक तत्त्व नष्ट हो जाते हैं –
(i) विटामिन ‘ए’ – जब भी हम विटामिन ‘ए’ युक्त सब्जियों को तलते हैं जैसे पालक या मेथी की पूड़ी या पकौड़े बनाते हैं, तब विटामिन ‘ए’ नष्ट हो जाता है। ऐसा इसीलिए होता है क्योंकि विटामिन ‘ए’ तलने पर तेल में सरलता से घुल जाता है चूंकि यह तेल में घुलनशील है।
(ii) विटामिन ‘बी’ – यह पानी में घुलनशील है। अत: जब हम चावल भिगोते हैं तो सारा ‘विटामिन बी’ पानी में चला जाता है। यदि हम वो पानी फैंक देते हैं तो विटामिन ‘बी’ भी साथ ही निकल जाता है। आप जितना चावल को रगड़ कर साफ करते हैं उतना ही ‘विटामिन बी’ पानी में बहा देते हैं। इसके अलावा कभी-कभी राजमा और चने जैसे खाद्य पदार्थों को नर्म बनाने के लिए मीठा सोडा प्रयोग किया जाता है। मीठा सोडा भी ‘विटामिन बी’ को नष्ट करता है।
(iii) विटामिन ‘सी’ – यह पकाने के दौरान सरलता से नष्ट हो जाता है। जब विटामिन-‘सी’ युक्त फल एवम् सब्जियों को काटा जाता हैं, तो यह नष्ट हो जाता है। यदि ‘विटामिन सी’ युक्त सब्जियों को ज्यादा पकाया जाता है अथवा उन सब्जियों का पानी फेंका जाता है, तो ‘विटामिन सी’ नष्ट हो जाता है। इसके अलावा ‘मीठा सोडा’ इस्तेमाल करने से भी ‘विटामिन सी’ नष्ट हो जाता है।
(iv) प्रोटीन – यदि प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों को बहुत उच्च तापमान पर पकाया जाता है, तो ये चमड़े जैसे और कठोर हो जाते हैं। इन्हें पचाना भी कठिन हो जाता है। अतः सभी प्रकार के प्रोटीन शरीर को नहीं मिल पाते।
(v) वसा – जब वसा अर्थात् घी एवम् तेल को पकौड़े या पूड़ियाँ आदि तलने में अधिक समय तक बार-बार गर्म किया जाता है तो इसकी पौष्टिकता में कमी आ जाती है। तब यह खाद्य पदार्थ में विद्यमान ‘विटामिन ए’ को नष्ट कर देता है।
(vi) खनिज – सोडियम, पोटाशियम आदि खनिज पानी में घुल जाते हैं। खाद्य पदार्थ को काटने, धोने तथा उबालने के बाद बचे अतिरिक्त पानी को फेंकने से नष्ट हो जाते हैं।
प्रश्न 8.
पोषक तत्त्वों के संरक्षण से आप क्या समझते हैं ? पोषक तत्त्वों का संरक्षण किस प्रकार किया जा सकता है?
उत्तर :
पकाने की प्रक्रिया के दौरान पोषकों का बचाव रखना संरक्षण कहलाता है। संरक्षण निम्नलिखित प्रकार से हो सकता है –
- सब्जियों को पहले धोएँ, फिर काटें इससे उनके खनिज व विटामिन नष्ट नहीं होते। खाद्य पदार्थ को आवश्यकता से अधिक न धोएं।
- सब्जियों का पतला-पतला छिलका ही उतारें क्योंकि छिलके के नीचे ही विटामिन पाए जाते हैं।
- सब्जियों के बड़े-बड़े टुकड़े काटिए और वह भी पकाने से बिल्कुल पहले। छोटे टुकड़े काटने का अर्थ है पोषक तत्त्वों की अधिक हानि।
- यदि सब्जियाँ पानी में पकानी हैं तो उन्हें केवल उबलते पानी में डालें।
- सब्जियों का बहुत पतला छिलका उतारें।
- पकाने के लिए उतना ही पानी प्रयोग करें जितना आवश्यक हो। अतिरिक्त पानी को फेंकने की बजाए कोई अन्य खाद्य पदार्थ बनाने में प्रयोग करें।
- मीठे सोडे का प्रयोग न करें। इसके बदले इमली या नींबू का रस विटामिनों को संरक्षित करने में सहायक है।
- चावल पकाने में उतना ही पानी प्रयोग करें जितना पकाने के दौरान सोख लिया जाए।
- ऐसे बर्तन (कड़ाही/पतीले) में पकाइए जिसका ढक्कन अच्छी तरह फिट हो सके। यदि आप बिना ढक्कन वाले बर्तन में खाद्य पदार्थ पकाएंगे तो पोषक तत्त्व अधिक मात्रा में नष्ट होंगे।
- खाद्य पदार्थ को आवश्यकता से अधिक मत पकाइए क्योंकि ऐसा करने से अनेक पोषक तत्त्व नष्ट हो जाएंगे।
प्रश्न 9.
पोषक तत्त्वों का संवर्धन किन विधियों द्वारा हो सकता है ? विस्तृत में समझाएँ।
अथवा
भोजन का पौष्टिक मान बढ़ाने की विधियों का महत्त्व लिखें।
उत्तर :
पोषक तत्त्वों का संवर्धन निम्नलिखित विधियों द्वारा होता है –
(i) मिश्रण
(ii) किण्वन
(iii) अंकुरण।
1. मिश्रण – यह पोषकों की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए विभिन्न खाद्य समूहों से सस्ते और सामान्य रूप से उपलब्ध खाद्य पदार्थों का मिश्रण करने की प्रक्रिया है। उदाहरण के लिए दाल चावल मिलाकर खाना चावल (अनाज) हमें ऊर्जा देते हैं और दाल प्रोटीन देती हैं।
इसके निम्नलिखित फायदे हैं –
- आप ऐसे आहार का सेवन कर सकते हैं जिसमें अच्छे स्तर के पोषक तत्त्व हों।
- आप सस्ते व सरलता से उपलब्ध होने वाले खाद्य पदार्थों का प्रयोग कर सकते हैं। इससे भोजन के पोषक तत्त्वों को पर्याप्त रूप से बढ़ावा मिलेगा।
- आप पूरे परिवार को संतुलित आहार दे सकते हैं।
2. किण्वन-यह ऐसी प्रक्रिया है जिसमें खाद्य पदार्थों में कूछ सूक्ष्म जीवाणु प्रवेशित कराए जाते हैं। वह खाद्य पदार्थ में पहले से विद्यमान पौष्टिक तत्त्वों को सरल और अधिक उत्तम रूप में परिवर्तित कर देते हैं और अन्य तत्त्वों का निर्माण भी करते हैं। कुछ किण्वित खाद्य पदार्थों के उदाहरण हैं-दही, डबलरोटी, ढोकला, इडली आदि। इनके निम्नलिखित लाभ हैं –
- सूक्ष्म जीवाणु जिनके कारण किण्वन होता है, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट को छोटे-छोटे कणों में विभाजित करते हैं जोकि सरलता से पच जाते हैं।
- किण्वन के दौरान मटर, फलियों जैसे अनाज और खाद्य पदार्थ, कैल्शियम, फॉस्फोरस और लौह जैसे खनिजों का स्तर अधिक अच्छा होता है। उस रूप में वह शरीर द्वारा सरलता से अवशोषित कर लिए जाते हैं।
- किण्वित खाद्य पदार्थ स्पंजी और नरम हो जाते हैं तथा छोटे बड़े सभी इन्हें पसन्द करते हैं।
3. अंकुरण-यह ऐसी प्रक्रिया है जिसमें दाल या अनाज को थोड़े-से पानी में भिगो कर रखने से उसमें छोटे-छोटे अंकुर निकल आते हैं।
उदाहरण-गेहूँ, बाजरा, राजमां, मटर आदि को अंकुरित किया जा सकता है। इसके निम्नलिखित लाभ हैं –
- इससे खाद्य पदार्थों को पचाने की क्षमता बढ़ती है।
- कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन छोटे-छोटे कणों में टूट जाते हैं जिन्हें पचाना आसानहोता है ।
- अंकुरण से चने और दालें नरम हो जाती हैं। अतः उन्हें पकाने में कम समयलगता है और आप उन्हें सरलता से पचा सकते हैं।
- बिना अतिरिक्त लागत के खाद्य पदार्थ का पौष्टिक मूल्य बढ़ जाता है।
- खाद्य पदार्थों को अंकुरित करने से उनमें कुछ विटामिन और खनिज काफ़ी बढ़ जाते हैं। ‘विटामिन बी’ की मात्रा दुगुनी हो जाती है और विटामिन ‘सी’ लगभग सौ गुणा बढ़ जाता है।
प्रश्न 10.
आहार का पौष्टिक मूल्य बढ़ाने का एक ढंग बताओ।
उत्तर :
स्वयं उत्तर दें।
प्रश्न 11.
आहार की पौष्टिकता कैसे बढ़ाई जा सकती है ?
उत्तर :
देखें प्रश्न 9 का उत्तर।
प्रश्न 12.
जल में घुलनशील विटामिन कौन-कौन से हैं ? मुख्य कार्य बताएं।
उत्तर :
देखें उपरोक्त प्रश्न नं० 4 में।
प्रश्न 13.
पौष्टिक मान बढ़ाने की विधियां बताएं।
या हम खाद्य पदार्थों का मूल्य कैसे बढ़ा सकते हैं ?
उत्तर :
देखें प्रश्न नं० 8 का उत्तर।
एक शब्द/एक वाक्य वाले प्रश्न –
(क) निम्न का उत्तर एक शब्द में दें –
प्रश्न 1.
गर्मी तथा प्रकाश में नष्ट होने वाला विटामिन बताएं।
उत्तर :
विटामिन B2.
प्रश्न 2.
आँखों से सम्बन्धित विटामिन का नाम बताओ।
उत्तर :
विटामिन A.
प्रश्न 3.
विटामिन सी की कमी से होने वाले रोग का नाम।
उत्तर :
स्कर्वी।
प्रश्न 4.
पानी में घुलनशील विटामिनों के नाम लिखें।
उत्तर :
विटामिन सी, विटामिन बी।
प्रश्न 5.
पूर्ण आहार किसे कहते हैं ?
उत्तर :
दूध को।
प्रश्न 6.
विटामिन A का स्त्रोत बताएं।
उत्तर :
दूध।
प्रश्न 7.
प्रोटीन प्राप्ति का वनस्पतिक स्त्रोत बताएं।
उत्तर :
दालें।
प्रश्न 8.
लोहे की कमी से कौन-सा रोग हो जाता है ? लोहे की प्राप्ति के दो मुख्य साधन बताएं।
उत्तर :
लोहे की कमी से अनीमिया रोग हो जाता है। लोहे के स्त्रोत-पालक, पुदीना, गुड़।
प्रश्न 9.
पानी में घुलनशील विटामिन कौन-कौन से हैं ?
उत्तर :
विटामिन बी तथा सी।
प्रश्न 10.
प्रोटीन के दो मुख्य स्त्रोत लिखें।
उत्तर :
दूध तथा दूध से बने पदार्थ।
प्रश्न 11.
टूटे-फूटे तन्तुओं की मुरम्मत के लिए कौन-सा पौष्टिक तत्त्व आवश्यक
उत्तर :
प्रोटीन।
प्रश्न 12.
बेरी-बेरी रोग किस पौष्टिक तत्त्व की कमी से होता है ?
उत्तर :
विटामिन ‘बी’ की कमी से।
प्रश्न 13.
एक स्वस्थ व्यक्ति के शरीर का सामान्य तापमान कितना होता है?
उत्तर :
37° C अथवा 98.6° F।
प्रश्न 14.
स्कर्वी रोग किस विटामिन की कमी से होता है ?
उत्तर :
विटामिन ‘सी’ की कमी से।
प्रश्न 15.
विटामिन ‘डी’ की कमी से कौन-सा रोग होता है ?
उत्तर :
रिकेट्स।
प्रश्न 16.
वसा में घुलनशील विटामिनों के नाम लिखें।
उत्तर :
विटामिन ‘ए’, विटामिन ‘डी’, विटामिन ‘के’ तथा विटामिन ‘ई’।
प्रश्न 17.
विटामिन ‘सी’ के कोई दो स्त्रोत लिखें।
उत्तर :
नींबू, संगतरा, हरी मिर्च, मौसम्मी आदि।
प्रश्न 18.
विटामिन ‘ए’ के मुख्य दो स्त्रोत लिखें।
उत्तर :
दूध, अण्डा, गाजर, पालक।
प्रश्न 19.
कार्बोज़ के दो मुख्य स्रोत लिखें।
उत्तर :
गेहूँ, शहद।
प्रश्न 20.
विटामिन ‘सी’ की कमी से बच्चों में कौन-सा रोग होता है ?
उत्तर :
स्कर्वी।
प्रश्न 21.
दालों में कौन-सा पौष्टिक तत्त्व पाया जाता है ?
उत्तर :
प्रोटीन।
प्रश्न 22.
विटामिन ‘के’ के मुख्य कार्य क्या हैं ?
उत्तर :
इसका मुख्या कार्य खून को जमाने में सहायता करना है।
प्रश्न 23.
बच्चों में कैल्सियम की कमी से होने वाले रोग का नाम लिखें व उस रोग का कोई एक लक्षण लिखें।
उत्तर :
रिकेट्स रोग हो जाता है, हड्डियां कमजोर हो जाती हैं।
प्रश्न 24.
कार्बोज़ के कोई दो मुख्य स्रोत बताएं।
उत्तर :
शक्कर, आलू, गेहूँ, शहद आदि।
प्रश्न 25.
आहारीय लोहे की प्राप्ति के कोई दो मुख्य साधन लिखिए।
उत्तर :
पालक, गुड़।
प्रश्न 26.
विटामिन ‘ए’ के कोई दो मुख्य स्रोत लिखें।
उत्तर :
गाजर, दूध।
प्रश्न 27.
वसा में घुलनशील विटामिनों के नाम लिखें।
उत्तर :
विटामिन A, विटामिन K.
प्रश्न 28.
जल में घुलनशील विटामिनों के नाम लिखें।
उत्तर :
विटामिन B, विटामिन C.
प्रश्न 29.
पोषक तत्त्वों के संवर्धन की विधियों के नाम लिखें। उत्तर–किण्वन, अंकुरण, मिश्रण।
(ख) रिक्त स्थान भरो –
1. प्रोटीन की कमी से ………… रोग हो जाता है।
2. वसा ………… का स्रोत है। ………..
3. संतरे में ……….. विटामिन होता है।
4. लोहे की कमी से ………… रोग हो जाता है।
5. विटामिन बी की कमी से ………… रोग हो जाता है।
6. दाँतों में पाइयोरिया ………. की कमी से होता है।
उत्तर :
1. क्वाशियोरकर
2. ऊर्जा
3. सी
4. अनीमिया
5. बेरो-बेरी
6. विटामिन सी।
(ग) ठीक/गलत बताएं –
1. वसा, शक्कर से आधी ऊर्जा प्रदान करती है।
2. दाँतों के डैनटिन में 27% कैल्शियम होता है।
3. प्रजनन सम्बन्धी विकार विटामिन ई की कमी से हो सकते हैं।
4. वसा की कमी से आवश्यक वसा अम्लों की कमी हो जाती है।
उत्तर :
1. (✗) 2. (✓) 3. (✓) 4. (✓)।
बहु-विकल्पीय प्रश्न –
प्रश्न 1.
निम्न में कार्बोज के स्त्रोत हैं –
(A) गेहूँ
(B) गुड़
(C) शहद
(D) सभी।
उत्तर :
सभी।
प्रश्न 2.
विटामिन सी के स्त्रोत हैं –
(A) संतरा
(B) मालटा
(C) नींबू
(D) सभी।
उत्तर :
सभी।
प्रश्न 3.
भोजन हमारे शरीर को …………….. देता है।
(A) शरीर को शक्ति देता है
(B) शरीर की वृद्धि
(C) टूटे तन्तुओं की मुरम्मत
(D) सभी ठीक।
उत्तर :
सभी ठीक।
प्रश्न 4.
निम्न में प्राणिज प्रोटीन है –
(A) गेहूँ
(B) मटर
(C) दूध
(D) दाल।
उत्तर :
दूध।
प्रश्न 5.
लोहे का स्त्रोत है –
(A) पालक
(B) गुड़
(C) अण्डे का पीला भाग
(D) सभी ठीक।
उत्तर :
सभी ठीक।
प्रश्न 6.
विटामिन ए की कमी से हानि है –
(A) चमड़ी का खुरदरापन
(B) प्रजनन क्रिया पर प्रभाव
(C) दांतों तथा हड्डियों के विकार
(D) सभी ठीक।
उत्तर :
सभी ठीक।
प्रश्न 7.
राइबोफ्लेबिन है –
(A) विटामिन ए
(B) विटामिन B2
(C) विटामिन सी
(D) विटामिन डी।
उत्तर :
विटामिन B2 ।
प्रश्न 8.
प्रोटीन के कार्य हैं –
(A) शरीर की सुरक्षा तथा विकास का कार्य
(B) मानसिक शक्ति प्रदान करना
(C) टूटे तन्तुओं की मुरम्मत
(D) सभी।
उत्तर :
सभी।
प्रश्न 9.
वसा के कार्य हैं –
(A) ऊर्जा का साधन
(B) सन्तुष्टि देती है
(C) चमड़ी के स्वास्थ्य के लिए
(D) सभी ठीक।
उत्तर :
सभी ठीक।
प्रश्न 10.
विटामिन डी की कमी का प्रभाव है –
(A) रिकेटस रोग
(B) ओस्टोमलेशिया
(C) ओस्टयोपोरोसिस
(D) सभी ठीक।
उत्तर :
सभी ठीक।
प्रश्न 11.
विटामिन K के मुख्य कार्य है
(A) घाव से निकलते खून को जमाना
(B) आंखों की सुरक्षा
(C) तन्तुओं का निर्माण
(D) ऊर्जा प्रदान करना।
उत्तर :
घाव से निकलते खून को जमाना।
प्रश्न 12.
कैल्शियम की प्राप्ति के साधन हैं –
(A) दूध से बने पदार्थ
(B) पालक
(C) मूली
(D) सभी।
उत्तर :
सभी।
प्रश्न 13.
ए श्रेणी का प्रोटीन है –
(A) अनाज
(B) दूध
(C) मक्की की जीन
(D) सूखे मेवे।
उत्तर :
दूध।
प्रश्न 14.
आयोडीन की कमी से होता है –
(A) थाइराइड गलैंड सूज जाता है
(B) बच्चों की अभिवृद्धि ठीक नहीं होती
(C) मिक्सोडीमा हो जाता है
(D) सभी ठीक।
उत्तर :
सभी ठीक।
प्रश्न 15.
निम्न में ठीक नहीं है –
(A) विटामिन डी की कमी से अन्धराता हो जाता है
(B) विटामिन E प्रजनन क्रिया में सहायक है
(C) लोहे का एक स्रोत पालक भी है
(D) आयोडीन की कमी से पेंघा रोग होता है।
उत्तर : विटामिन डी की कमी से अन्धराता हो जाता है।
प्रश्न 16.
विटामिन C की अधिक प्राप्ति होती है –
(A) मीठे पदार्थों से
(B) कड़वे पदार्थों से
(C) खट्टे पदार्थों से
(D) सभी ठीक है।
उत्तर :
खट्टे पदार्थों से।
भोजन-पौष्टिक तत्त्व, संवर्धन तथा संरक्षण HBSE 10th Class Home Science Notes
ध्यानार्थ तथ्य :
→ भोजन मानवीय जीवन का मूल आधार है।
→ भोजन शरीर को शक्ति प्रदान करता है।
→ भोजन शरीर की आन्तरिक मुरम्मत करता है।
→ सन्तुलित भोजन में शरीर के सभी आवश्यक पौष्टिक तत्त्व होते हैं।
→ प्रोटीन सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण तत्त्व है।
→ विटामिन शरीर को बीमारियों से बचाते हैं।
→ विटामिन ए की कमी से अन्धराता हो सकता है।
→ प्रोटीन, कार्बोज, चिकनाई, विटामिन, लवण और पानी शरीर के लिए आवश्यक पौष्टिक तत्त्व हैं।
→ कार्बोहाइड्रेट्स, गेहूँ, चावल, मक्की, सूखे मेवे, गुड़, शक्कर, चीनी, शहद आदि से प्राप्त होते हैं।
→ विटामिन B2 गर्मी और प्रकाश से नष्ट हो जाते हैं।
→ प्रोटीन की कमी से शारीरिक विकास रुक जाता है।
→ विटामिन ‘ए’ आँखों और चमड़ी के लिए लाभदायक होता है।
→ विटामिन ‘सी’ शरीर को बीमारियों से बचाता है और यह खट्टे फलों जैसे नींबू, संतरा, मालटा आदि में मिलता है।
→ विशेष विधियों द्वारा खाद्य पदार्थों के पोषकों में सुधार लाने की प्रक्रिया को संवर्धन कहते हैं।
→ भोज्य पदार्थों को अधिक तलने से विटामिन A नष्ट हो जाता है।
→ विटामिन B, C पानी में घुलनशील है।
→ पोषक तत्त्वों का संवर्धन करने के लिए मिश्रण, किण्वन तथा अंकुरण विधियों का प्रयोग होता है।
→ अंकुरण करने से विटामिन B तथा C की मात्रा में वृद्धि हो जाती है।