HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 5 क्षेत्रीय सर्वेक्षण

Haryana State Board HBSE 12th Class Geography Solutions Practical Work in Chapter 5 क्षेत्रीय सर्वेक्षण Textbook Exercise  Questions and Answers.

Haryana Board 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 5 क्षेत्रीय सर्वेक्षण

बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न 1.
नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर का चुनाव कीजिए-
(i) क्षेत्र सर्वेक्षण की योजना के लिए नीचे दी गई विधियों में कौन-सी विधि सहायक है?
(क) व्यक्तिगत साक्षात्कार
(ख) द्वितीयक सूचनाएँ
(ग) मापन
(घ) प्रयोग
उत्तर:
(ख) द्वितीयक सूचनाएँ।

HBSE 12th Class Practical Work in Geography Solutions Chapter 5 क्षेत्रीय सर्वेक्षण

(ii) क्षेत्र सर्वेक्षण के निष्कर्ष के लिए क्या किया जाना चाहिए?
(क) आंकड़ा प्रवेश एवं सारणीयन
(ख) प्रतिवेदन लेखन
(ग) सूचकांकों का अभिकलन
(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं।
उत्तर:
(ख) प्रतिवेदन लेखन।

(iii) क्षेत्र सर्वेक्षण के प्रारंभिक स्तर पर अत्यंत महत्त्वपूर्ण क्या है?
(क) उद्देश्य का निर्धारण करना
(ख) द्वितीयक आंकड़ों का संग्रहण
(ग) स्थानिक एवं विषयक सीमाओं को परिभाषित करना (घ) निर्देशन अभिकल्पना।
उत्तर:
(क) उद्देश्य का निर्धारण करना

(iv) क्षेत्र सर्वेक्षण के समय किस स्तर की सूचनाओं को प्राप्त
करना चाहिए?
(क) बृहत् स्तर की सूचनाएँ
(ख) मध्यम स्तर की सूचनाएँ
(ग) लघु स्तर की सूचनाएँ
(घ) उपर्युक्त सभी स्तर की सूचनाएँ।
उत्तर:
(क) बृहत् स्तर की सूचनाएँ।

प्रश्न 2.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिए-
(i) क्षेत्र सर्वेक्षण क्यों आवश्यक हैं?
उत्तर:
क्षेत्र सर्वेक्षण विधि से किसी क्षेत्र के स्थानीय भूगोल के बारे में प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त होता है। इस विधि से विद्यार्थियों में आपसी सहयोग तथा नेतृत्व की भावना जागृत होती है। क्षेत्रीय कार्य से भूगोलवेत्ता स्वयं आँकड़े एकत्र करके मानचित्र बनाने का कार्य कर सकते हैं।

(ii) क्षेत्र सर्वेक्षण के उपकरण एवं प्रविधियों को सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर:
क्षेत्रीय सर्वेक्षण आयोजित किया जाता है जिसके लिए अलग-अलग किस्मों की विधियों की जरूरत होती है। इनमें मानचित्रों एवं अन्य आंकड़ों सहित द्वितीयक सूचनाएँ, क्षेत्रीय पर्यवेक्षण। लोगों के साक्षात्कार हेतु प्रश्नावलियों से आंकड़ा उत्पाद इत्यादि को शामिल किया जाता है।

(iii) क्षेत्र सर्वेक्षण के चुनाव से पहले किस प्रकार के व्याप्ति क्षेत्र की आवश्यकता पड़ती है?
उत्तर:
जाँच करने वाला खुद यह तय करेगा कि सर्वेक्षण सारी जनसंख्या के लिए जनगणना रूप में संचालित करना है या फिर कुछ चुनिन्दा सैम्पल पर आधारित होगा। अगर सर्वेक्षण का क्षेत्र ज्यादा विशाल न हो पर इसकी रचना विविध तत्वों की है तो अपेक्षा में सारी जनसंख्या का सर्वेक्षण होना चाहिए।

(iv) सर्वेक्षण अभिकल्पना को संक्षिप्त में समझाएँ।
उत्तर:
सैम्पल सर्वेक्षण की संरचना में हम इसके नाप तथा उसके अध्ययन के ढंग को शामिल करते हैं। ऐसे अध्ययन स्थितियों और प्रक्रियाओं की उनकी संपूर्णता और उनके घटना स्थल के परिप्रेक्ष्य में समझने में अन्वेषक को समर्थ बनाते हैं। यह सर्वेक्षण स्थानीय स्तर पर स्थानिक वितरण के प्रारूपों, उनके साहचर्य और संबंधों के बारे में हमारी समझ को बढ़ाते हैं।

(v) क्षेत्र सर्वेक्षण के लिए प्रश्नों की अच्छी संरचना क्यों आवश्यक है?
उत्तर:
क्षेत्र सर्वेक्षण के प्रश्नों की अच्छी संरचना आवश्यक है।
इससे हम पहले बनाए प्रश्न उस व्यक्ति से पूछ सकते हैं जिससे साक्षात्कार चलता है। यह प्रश्नावली सुरक्षित है। यह प्रश्न आर्थिक स्थिति से संबंधित होने चाहिए। ताकि उनकी मुश्किलों के उत्तर मिल सकें। यह बहुत जरूरी है कि उनसे उनकी स्थिति की सही जानकारी ले ली जाए। इस प्रकार एक अच्छी प्रश्नावली बहुत आवश्यक है।

अतिरिक्त प्रश्न (Other Questions)

प्रश्न 1.
क्षेत्रीय कार्य से क्या अभिप्राय है? भूगोल में क्षेत्रीय कार्य की क्या आवश्यकता है? इसके महत्त्व तथा उद्देश्य का वर्णन करो।
उत्तर:
भूगोल एक क्षेत्रीय विज्ञान है या क्षेत्र परक (field oriented) है जिसमें किसी क्षेत्र के विभिन्न भागों में प्राकृतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा आर्थिक तत्वों में विभिन्नताओं का अध्ययन किया जाता है। यह अध्ययन मानचित्रों की सहायता से किया जा सकता है, परंतु किसी क्षेत्र का विस्तारपूर्वक तथा व्यावहारिक ज्ञान अमुक क्षेत्र में स्वयं जाकर ही प्राप्त किया जा सकता है। क्षेत्रीय अध्ययन से हमें स्थाई जानकारी प्राप्त होती है। जैसे- प्रो० फेयरग्रीव ( Fairgrieve) के अनुसार-

‘भूगोल का ज्ञान व्यक्ति अपने जूतों के तले घिसकर प्राप्त करता है।” (Geography comes through the soles of one’s shoes.) प्रो० ई० ए० फ्रीमेन के अनुसार, “भूगोल यात्रा करने तथा स्वयं अपनी आँखों से देखने का विषय है।” (Geography is a matter of travel, a matter of seeing things with our own eyes.)

क्षेत्रीय अध्ययन (Field Work )-
क्षेत्रीय अध्ययन वह क्रिया है। जिसमें किसी क्षेत्र में घूम-फिर कर प्रेक्षण किया जाता है। विशेष रूप से बनाई गई प्रश्नमाला (Questionnaire) द्वारा लोगों से पूछताछ की जाती है तथा एकत्र किए आँकड़ों को मानचित्रों द्वारा व्यक्त किया जाता है।

आवश्यकता (Necessity )-
किसी क्षेत्र के बारे में सरकार द्वारा मुद्रित आँकड़े इतने पर्याप्त नहीं होते कि उनकी मदद से भौगोलिक अध्ययन किया जा सके। इसलिए मानवीय जीवन के विभिन्न तत्वों की प्रत्यक्ष जानकारी तथा विश्लेषण केवल क्षेत्रीय अध्ययन द्वारा ही संभव है। इस प्रकार क्षेत्रीय अध्ययन किसी क्षेत्र के सर्वेक्षण के लिए आवश्यक है। इसलिए वातावरण के प्राकृतिक तथा सांस्कृतिक लक्षणों का अध्ययन करने के लिए क्षेत्रीय कार्य भूगोल में आवश्यक है। क्षेत्र सर्वेक्षण के दो मौलिक चरण हैं-

  1. आँकड़ों का संग्रहण (Collection of Data)
  2. आँकड़ों का प्रसंस्करण (Processing of Data)

उपग्रह चित्र भौगोलिक अध्ययन के महत्त्वपूर्ण साधन हैं। परंतु क्षेत्र सर्वेक्षण नवीनतम सूचनाएं प्राप्त करने का महत्त्वपूर्ण स्रोत है।

महत्त्व तथा उद्देश्य (Importance and Objectives) –

  1. क्षेत्रीय अध्ययन से मानवीय क्रियाओं पर प्रभाव डालने वाले वातावरण के प्राकृतिक तथा सांस्कृतिक तत्वों के संबंध का ज्ञान होता है।
  2. इस विधि से किसी क्षेत्र के स्थानीय भूगोल (Local Geography) के बारे में प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त होता है।
  3. इस विधि से विद्यार्थियों में आपसी सहयोग (Team Spirit) तथा नेतृत्व (Leadership) की भावना जागृत होती है।
  4. इस विधि से लोगों के साथ साक्षात्कार करने का एक सुअवसर प्रदान होता है तथा निकट संबंध स्थापित होता है।
  5. क्षेत्रीय कार्य से भूगोलवेत्ता स्वयं आँकड़े एकत्र करके मानचित्र बनाने का कार्य कर सकता है।
  6. इस विधि से किसी क्षेत्र का व्यावहारिक ज्ञान (Practical knowledge) प्राप्त होता है जिससे यह कार्य सरल और रुचिकर हो जाता है।

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प्रश्न 2.
क्षेत्रीय कार्य की विभिन्न क्रियाओं का वर्णन करो।
उत्तर:
क्षेत्रीय कार्य की विभिन्न क्रियाएं क्षेत्र का निरीक्षण करने, आँकड़े एकत्र करने, विभिन्न प्रकार की जानकारी प्राप्त करने तथा उसे मानचित्रों पर व्यक्त करने पर निर्भर करती हैं। ये सभी कार्य विभिन्न अवस्थाओं में बांटकर एक क्रमबद्ध ढंग से किए जाते हैं। क्षेत्रीय अध्ययन की विभिन्न विधियां क्षेत्रीय अध्ययन के उद्देश्य तथा विषय पर निर्भर करती हैं। इस कार्य को निम्नलिखित चरणों (Stages) में बांटा जाता है-
1. प्रारंभिक अवस्था (Preliminary Stage )- इस चरण में क्षेत्रीय कार्य की योजना तैयार करके निम्नलिखित कार्य किए जाते हैं-

  1. अध्ययन क्षेत्र का चुनाव।
  2. विषय का चुनाव।
  3. क्षेत्र का एक आधार मानचित्र (Base Map) तैयार करना।
  4. आधार मानचित्र की कई प्रतिलिपियां तैयार करना।
  5. क्षेत्र का एक स्थलाकृतिक मानचित्र (Topographical Map)-प्राप्त करना। स्थलाकृतिक मानचित्र से हमें धरातल, जलप्रवाह, भूमि उपयोग, बस्ती प्रतिरूप परिवहन आदि का पता चलता है।

2. क्रियान्वयन अवस्था (Operational Stage )- इस अवस्था में निम्नलिखित कार्य किए जाते हैं-

  1. क्षेत्र में जाकर स्वयं निरीक्षण करना।
  2. विषय से संबंधित प्रश्नावली (Questionnaire) तैयार करना।
  3. नवीनतम आँकड़े एकत्रित करना।
  4. क्षेत्र से कुछ चुने हुए ( लगभग 20%) भागों के नमूने का सर्वेक्षण (Sample Survey) करना।
  5. स्थलाकृतिक मानचित्र से क्षेत्र की पूरी जानकारी प्राप्त करना।

3. परिकलन अवस्था (Tabulation Stage )- इस अवस्था में प्राप्त आँकड़ों को तालिकाओं (Tables) के रूप में लिखा जाता है। इन आँकड़ों की संख्या कम करके कुछ निष्कर्ष तथा औसत आँकड़े प्राप्ता किए जाते हैं।

4. मानचित्रण अवस्था ( Mapping Stage )-

  • आँकड़ों को विभिन्न आरेखों द्वारा प्रकट किया जाता है।
  • आँकड़ों की सहायता से विभिन्न मानचित्र तैयार किए जाते

5. रिपोर्ट विवरण चरण (Reporting Stage ) – सर्वेक्षण पूरा होने पर उस क्षेत्र का पूरा विवरण लिखा जाता है। उसके आधार पर कुछ निष्कर्ष निकाले जाते हैं तथा उद्देश्यों की पूर्ति संबंधी विवरण दिया जाता है।

प्रश्न 3.
क्षेत्रीय कार्य के लिए प्रश्नमाला तैयार करते समय किन- किन बातों का ध्यान रखा जाता है?
उत्तर:
आँकड़े एकत्र करने के लिए एक विशेष प्रकार की प्रश्नमाला तैयार करना आवश्यक है। इस प्रश्नमाला द्वारा लोगों से पूछताछ की जाती है। यह प्रश्नमाला ही वास्तव में क्षेत्रीय कार्य का आधार है। प्रश्नमाला बनाते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए-

  1. सर्वेक्षण का स्वयं निरीक्षण करके ही प्रश्नमाला बनानी चाहिए।
  2. सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य सदा ध्यान में रखना चाहिए।
  3. प्रश्न संक्षिप्त तथा सीधे होने चाहिए।
  4. प्रश्न सरल होने चाहिए ताकि उत्तर देने में कोई कठिनाई न हो।
  5. प्रश्न क्रमबद्ध तथा क्षेत्रीय कार्य से संबंधित हों।
  6. ऐसे प्रश्न नहीं होने चाहिएं जो निजी या धार्मिक हों, जिससे उत्तर देने वाले की भावना को ठेस पहुंचे।

सावधानियां (Precautions)

  1. सर्वेक्षक को उत्तर देने वाले लोगों से अच्छे संबंध स्थापित करने चाहिए।
  2. उत्तर संक्षिप्त लिखने चाहिए।
  3. प्रश्नमाला की प्रत्येक सूची का उत्तर लिखना चाहिए।
  4. अपने निजी विचार नहीं लिखने चाहिए।
  5. उत्तर देने वाले लोगों की सुविधा के अनुसार प्रश्नमाला भरने का समय निश्चित करना चाहिए।

प्रश्न 4.
प्रश्नावली से क्या अभिप्राय है? इसके विभिन्न प्रकार बताएं।
उत्तर:
प्रश्नावली (Questionnaire )
प्रश्नावली विधि में पहले से तैयार किए गए प्रश्नों को कुछ चुने हुए लोगों के समक्ष रखा जाता है। प्रश्नावली संरचनात्मक अथवा असंरचनात्मक हो सकती है जब एक संरचनात्मक प्रश्नावली का प्रयोग किया जाता है तो शोधकर्ता के लिए फेरबदल की कम गुंजाइश होती है, उसे यांत्रिक तरीकों से प्रश्नों को रखते हुए उनके उत्तर लिखने पड़ते हैं। संरचना विहीन प्रश्नावलियों में, सर्वेक्षण की आवश्यकतानुसार प्रश्नों के क्रम को बदला जा सकता है। उत्तर लिखने के साथ एक मानचित्र या रेखाचित्र बनाया जा सकता है। प्रत्येक प्रश्न के साथ कोष्ठक में कुछ टिप्पणियां दी जाती हैं जो उत्तरों को संशोधित करने में प्रेक्षक को मदद देती हैं। प्रश्नों के अनेक प्रकार होते हैं किस प्रकार के प्रश्न बनाए जाएं यह वांछित आँकड़ों की प्रकृति तथा प्रश्नोत्तर देने वाले लोगों की अपनी पृष्ठभूमि पर निर्भर करता है।

प्रश्नावलियों के प्रकार (Types of Questionnaire)-

  1. सरल चयन (Simple Choice Questions)
  2. बहुविकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions)
  3. क्रममापक उत्तर का प्रश्न (Semantic Scale Questions)
  4. मुक्तांत उत्तर का प्रश्न (Open ended Questions)

1. सरल चयन के प्रश्न (Simple Choice Questions ) सरल चयन वाले प्रश्नों के संदर्भ में, ‘हाँ’ या ‘नहीं’ में हो सकता है। उदाहरण के लिए इस प्रश्न- ‘क्या आप खेती करते हैं?’ का उत्तर ‘हाँ’ या ‘नहीं’ होगा। यह प्रश्न लोगों के व्यवसाय की जानकारी देता है।

2. बहुविकल्पी प्रश्न (Multiple Choice Questions ) – बहुविकल्प वाले प्रश्नों के उत्तर में, कुछ विकल्प दिए जाते हैं, किन्तु उनमें से केवल एक विकल्प ही सही उत्तर होता है। उदाहरण – X प्रदेश में A स्थान पर ही चीनी मिल क्यों स्थित है? इसका संभव्य उत्तर है-

  1. भूमि की उपलब्धता
  2. श्रम की उपलब्धता
  3. पूँजी की उपलब्धता
  4. बाजार की सुगमता
  5. मालिकों अथवा उभयकर्ता की स्थान के लिए अपनी व्यक्तिगत पसन्द।
  6. कोई अन्य कारण उपरोक्त उत्तरों में से केवल एक ही उत्तर सही है।

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3. क्रममापक उत्तर का प्रश्न (Semantic Scale Questions)-
यहां पर उत्तरदाता को सोचने की श्रेणी को बिंदुमापक पर अंकित किया जाता है उत्तरदाता की सोच पक्ष अथवा विपक्ष में कितनी शक्तिशाली है, इसलिए किया जाता है।
उदाहरण के लिए गरीबी हटाओ कार्यक्रम को सरकार द्वारा कैसे लागू किया जाता है?

  1. बहुत अच्छा
  2. अच्छा
  3. संतोषजनक
  4. खराब
  5. बहुत खराब यहां पर उत्तरदाता के कामों को लिख लिया जाता है।

4. मुक्तांत उत्तर का प्रश्न (Open Ended Questions )-
इस संदर्भ में, प्रश्नों को पूछा जाता है तथा उत्तरदाता के उत्तर को लिख लिया जाता है।
उदाहरण के लिए-ग़रीबी उन्मूलन हेतु सरकार को क्या कदम उठाने चाहिएं?
इस प्रश्न का उत्तर एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के बीच उनकी व्यक्तिगत, सामाजिक तथा आर्थिक पृष्ठभूमि के अनुसार अलग-अलग होगा।

प्रश्न 5.
क्षेत्र सर्वेक्षण संबंधी उपकरणों का वर्णन करें।
उत्तर:
क्षेत्र सर्वेक्षण हेतु आवश्यक व्यवस्था तथा उपकरण (Equipment)-सर्वेक्षण करने के लिए क्षेत्र में जाने से पहले, उससे संबंधित पुस्तकालयों में प्रकाशित जानकारी का अध्ययन आवश्यक होता है। इस प्रकार एकत्रित सूचनाएं, अध्ययन के आधार के रूप में कार्य करती हैं। यह क्षेत्र में मिलने वाले संभावित लक्षणों की पूर्व जानकारी प्रदान करता है। क्षेत्र में ठहरने के लिए समुचित व्यवस्था करना नहीं भूलना चाहिए।

क्षेत्र में जाते समय निम्न उपकरणों को ले जाना चाहिए-

  1. आवश्यक ड्राइंग सामग्री सहित एक लेखन पुस्तिका (Field Book)।
  2. कार्य की प्रकृति तथा शिक्षक द्वारा निर्देश अनुसार सर्वेक्षण- उपकरण (Survey Instruments)।
  3. मानचित्र पर प्रदर्शित लक्षणों का क्षेत्र के लक्षणों से तुलना करने के लिए क्षेत्र का स्थलाकृतिक सर्वेक्षण मानचित्र (Topographical Maps )
  4. विशिष्ट लक्षणों का फोटोचित्र प्राप्त करने के लिए कैमरा (Camera)।
  5. दूर से भूदृश्यों को सरलतापूर्वक देखने के लिए दूरबीन (Birnoculars)।
  6. शैल नमूने तोड़ने के लिए हथौड़ा (Hammer)।
  7. मिट्टी के नमूने लेने के लिए मृदा प्रतिदर्श (Rock Specimens)
  8. शैलों के नमूने रखने के लिए बैग (Bag)
  9. अन्य सामग्रियां।

प्रश्न 6.
किसी गांव का भूमि उपयोग सर्वेक्षण कैसे किया जाता है? इस सर्वेक्षण में प्रयोग की जाने वाली प्रश्नावली तैयार करो।
उत्तर:
भूमि उपयोग सर्वेक्षण (Land Use Survey)
1. परिचय (Introduction )-भारत एक कृषि प्रधान देश है। किसी क्षेत्र में कृषि की विशेषताएं प्रकार तथा भूमि उपयोग की जानकारी प्राप्त करने के लिए किसी एक गांव को इकाई मान कर भूमि उपयोग सर्वेक्षण किया जाता है।
2. उद्देश्य (Aims )-

  1. कृषि क्षेत्र में भूमि उपयोग की जानकारी प्राप्त करना।
  2. भूमि उपयोग को मानचित्र पर दिखाना।
  3. बोई जाने वाली फ़सलों की जानकारी प्राप्त करना।
  4. मिट्टी की किस्में तथा उत्पादकता ज्ञात करना।
  5. सिंचित क्षेत्र की जानकारी प्राप्त करना।

3. विधि (Method)-
(क) प्रारंभिक अवस्था सबसे पहले पटवारी से गांव का भूकर मानचित्र (Cadastral Map) प्राप्त किया जाता है जिस पर प्रत्येक खेत की सीमा तथा खसरा नंबर लिखा जाता है। इस मानचित्र की कई प्रतिलिपियां तैयार की जाती हैं। गांव की स्थिति निर्धारित की जाती है।

(ख) क्रियान्वयन अवस्था इसके पश्चात् गांव के पटवारी के रिकॉर्ड से निम्नलिखित जानकारी प्राप्त की जाती है-

क्रम संख्या भूमि का आकार
1. गांव की कुल भूमि
2. कृषि के लिए प्राप्त न होने वाली भूमि
3. अन्य अकृषित भूमि
4. कृषिकृत भूमि
5. कुल सिंचित भूमि
6. कुल असिंचित भूमि
7. खेतों की कुल संख्या
8. खेतों का औसत आकार

किसानों से पूछे जाने वाले प्रश्नों की सूची तैयार की जाती है। क्षेत्रीय कार्य की तिथि तथा समय निश्चित किया जाता है। खेतों को विभिन्न वर्गों में बांट दिया जाता है।
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(ग) क्षेत्रीय कार्य – गांव के खेतों का क्रमवार निरीक्षण किया जाता है। प्रत्येक किसान से खेतों के आकार, उनका उपयोग तथा फ़सलों की जानकारी प्राप्त की जाती है। इस जानकारी को प्रश्नमाला में लिख लिया जाता है। मुख्यतः आषाढ़ी (Rabi) तथा सावनी (Kharif) दो प्रकार की फ़सलें बोई जाती हैं। भूमि उपयोग तथा मिट्टियों को दिखाने के लिए विभिन्न रंगों तथा आभाओं का प्रयोग किया जाता है। विभिन्न फ़सलों को दिखाने के लिए चिह्नों तथा अक्षर प्रयोग किये जाते हैं।

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(घ) मानचित्र – आँकड़ों की सहायता से भूमि उपयोग दिखाने के लिए मानचित्र बनाए जाते हैं जिनमें विभिन्न प्रविधियां प्रयोग की जाती हैं। फ़सलों के लिए विभिन्न रंगों तथा आभाओं का प्रयोग किया जाता है।

(ङ) रिपोर्ट – इन मानचित्रों का विश्लेषण करके कुछ निष्कर्ष निकाले जाते हैं जिससे कई प्रकार की जानकारी प्राप्त होती है। जैसे-

  1. गांव में कृषि योग्य भूमि का क्षेत्रफल
  2. खेतों की कुल संख्या
  3. मिट्टी के मुख्य प्रकार
  4. आषाढ़ी तथा सावनी की मुख्य फ़सलें
  5. कृषिकृत क्षेत्रफल
  6. भूमि उपयोग की सघनता की त्रुटियां
  7. भूमि उपयोग में सुधार तथा अधिक विकास की संभावनाएं (8) कुल सिंचित क्षेत्र।

प्रश्न 7.
कृषि क्षेत्र में मृदा प्रदूषण, औद्योगिक क्षेत्र में वायु प्रदूषण तथा यातायात वाहनों द्वारा नगरीय क्षेत्र में प्रदूषण सर्वेक्षण का वर्णन करो।
उत्तर:
पर्यावरण प्रदूषण का सर्वेक्षण (Survey of Environmental Pollution )-पर्यावरण प्रदूषण में मृदा प्रदूषण, जलप्रदूषण, वायु प्रदूषण तथा शोर प्रदूषण सम्मिलित किए जाते हैं।
(क) सर्वेक्षण विधि –

  1. प्रदूषण के कारणों तथा प्रदूषित करने वाले ठोस अपशिष्ट पदार्थों के बारे में जानकारी क्षेत्र के निवासियों से बातचीत द्वारा प्राप्त की जा सकती है।
  2. प्रदूषण फैलाने वाले कारक, आस-पास के क्षेत्रों पर प्रदूषण का प्रभाव लोगों के द्वारा झेली गई कठिनाइयां तथा
  3. मिट्टी के अनुपजाऊ होने के बारे में भी बता सकते हैं।
  4. क्षेत्र सर्वेक्षण को अपशिष्ट पदार्थों के प्रबंधन में प्रयुक्त तकनीकों, विभिन्न लाभान्वित होने वाले लोगों की भूमिका, समस्या के समाधान के लिए किए गए प्रयासों एवं अभी तक के परिणामी विकास को भी देखना चाहिए।

1. औद्योगिक क्षेत्र में प्रदूषण – औद्योगिक क्षेत्र में ईंधन तथा रसायनों द्वारा प्रदूषण होता है।

उद्योगों द्वारा पर्यावरण के प्रदूषण की अनुसूची
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2. यातायात के साधनों द्वारा प्रदूषण – विभिन्न वाहन, जैसे- बसें, ट्रक, कारें, तिपहिया व दुपहिया वाहन आदि पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं। यह समस्या नगरीय इलाकों में अधिक होती है।
वाहनों द्वारा प्रदूषण की प्रश्नावली
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3. कृषि क्षेत्र में रासायनिक पदार्थों से प्रदूषण – कृषि | रसायनों का प्रयोग किया जाता है। इससे पर्यावरण का प्रदूषण क्षेत्र में कृषि की उपज को बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार के होता है।
मृदा प्रदूषण की प्रश्नावली
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प्रश्न 8.
किसी क्षेत्र में ग़रीबी का क्षेत्र सर्वेक्षण करने की विधि तथा उद्देश्य बताओ।
उत्तर:
गरीबी का क्षेत्र सर्वेक्षण (Field Study of Poverty )-गरीबी के मुख्य कारण बेरोजगारी तथा अशिक्षा हैं। गरीबी का सामाजिक अध्ययन किसी मलिन बस्तियों के प्रत्येक परिवार का अध्ययन हो सकता है।
गरीबी का मापदंड-

  1. लोगों की औसत आमदनी,
  2. उन को प्राप्त कैलोरी की मात्रा
  3. चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता
  4. व्यवसाय आदि
  5. क्षेत्र में जनसंख्या का वितरण
  6. मानव निवास-स्थान,
  7. भोजन, वस्त्र एवं सामाजिक- सांस्कृतिक संबंध।

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उद्देश्य –

  1. सरकार द्वारा विभिन्न गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों द्वारा किए जा रहे प्रयासों, उनका क्षेत्र के लोगों पर प्रभावों का भी प्रभावी प्रश्नावलियों के माध्यम से निश्चय किया जा सकता है।
  2. आँकड़ों का विश्लेषण तथा अध्ययन से क्षेत्र में गरीबी के स्तर का पता लगाया जा सकता है।
  3. गरीबी के मुख्य कारणों का पता लग सकता है।

गरीबी सर्वेक्षण की प्रश्नावली
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प्रश्न 9.
किसी क्षेत्र में मृदा ह्रास, सूखा तथा बाढ़ व ऊर्जा संबंधी अध्ययन की सर्वेक्षण विधि बताओ।
उत्तर:
मृदा ह्रास का अध्ययन (Soil Degradation ) -मृदा पर कृषि उपज तथा उत्पादकता निर्भर करती है। इसलिए मृदा ह्रास सर्वेक्षण आवश्यक है-
ऐसा अध्ययन संपन्न करने के लिए मिट्टी की विभिन्न सतहों पर मिट्टी के प्रतिदर्श (Sample) प्राप्त करने के लिए मृदा नमूना प्राप्त करने वाले उपकरण का प्रयोग किया जा सकता है। क्षेत्र के विभिन्न खेतों से मृदा-प्रतिदर्श प्राप्त किये जा सकते हैं प्रतिदर्शो के विभिन्न थैलों (Bags) में अथवा शीशे की नलियों (Glass Tubes) में रखकर स्थान का नाम तथा क्रमांक लिख देते हैं। ऊपरी मिट्टी (Top Soil), मध्यवर्ती मिट्टी ( Sub Soil), कड़ी तह एवं मूल शैलों (Parent Rocks) आदि को अलग-अलग प्रदर्शित करने के लिए उनकी आरेखीय परिच्छेदिकाएं बनानी चाहिए। मृद्रा ह्रास के मापदंड के लिए तत्व-

  1. क्षेत्र के फसल प्रारूप,
  2. भूमि उपयोग प्रतिरूप,
  3. सिंचाई सुविधाओं की उपलब्धता,
  4. अपवाह,
  5. जल भराव,
  6. खारापन तथा क्षारीय स्तर
  7. वनस्पतियों का अंकन करना। इनका मानचित्र, कटाव के स्तर के आधार पर किया जाता है। परिणाम का विवेचन करते समय क्षेत्र में मिट्टी की दशा के सुधार हेतु विभिन्न रणनीतियों का सुझाव भी देना होता है।

सूखा तथा बाढ़ का अध्ययन (Study of Droughts and Floods)-
सूखा तथा बाढ़ अक्सर आते रहते हैं। इनमें भी मात्रा में जन-धन की हानि होती है। बाढ़ क्षेत्रों तथा सूखाग्रस्त क्षेत्रों के मानचित्र तथा इनके प्रभावों को कम करने वाली योजनाओं को तैयार करना आज का महत्त्वपूर्ण कार्य हो गया है।

मुख्य पक्ष (Main Aspects )-
इन योजनाओं के तीन मुख्य पक्ष होने चाहिए

  1. दिये गए मानक स्तर पर आधारित अधिकतम सीमा तक खतरों में कमी करना (Reduction of Risk),
  2. सीमाओं के भीतर खतरों में अनुकूलतम कमी (Optimum Risk Reduction),
  3. जीवन तथा सम्पत्ति की रक्षा (Saving lives and property)।

मापदंड-

  1. किसी प्राकृतिक (Disaster) विपदा द्वारा की जा सकने वाली अधिकतम क्षति का मात्रात्मक तथा गुणात्मक दोनों ही रूपों में आकलन किया जाना।
  2. किसी प्रदेश की अनुकूलतम वहन क्षमता (Carrying Capacity) का भी आकलन तथा गणना।
  3. उन क्रिया-कलापों का जिनसे आपदाएँ उत्पन्न हो सकती हैं, उनकी सीमाओं को भी निर्धारित किया जाना चाहिए।
  4. नियंत्रक तरीकों को भी विकसित किया जाना चाहिए जिससे आपदाओं में प्रभावशाली तरीके से कमी भी की जा सके।
  5. लोगों की सक्रिय भागीदारी महत्त्वपूर्ण है।
  6. तकनीकी तथा अतकनीकी उपायों दोनों पर ही बल दिया जाना चाहिए।
  7. आपदा प्रवण क्षेत्र सर्वेक्षण द्वारा सांख्यिकीय एवं आंकिक विधियों का कंप्यूटर की सहायता से बने सूक्ष्म मानचित्रों के द्वारा पूर्वानुमान करना चाहिए।

ऊर्जा संबंधी अध्ययन (Study of Energy Issues )-
विद्यार्थियों द्वारा ग्रामीण तथा नगरीय ऊर्जा उपभोग प्रारूप की निगरानी करने वाले सर्वेक्षण किए जा सकते हैं। अनेक पारिस्थितिकी दृष्टि से कमजोर क्षेत्रों में तथा पर्वतीय क्षेत्रों, पहाड़ियों तथा वन क्षेत्रों में जलाऊ लकड़ी (Fire Wood) ईंधन का अभी भी महत्त्वपूर्ण साधन है। बहुत-से शोधकार्य का निष्कर्ष है कि ग्रामीण ईंधन उपभोग निर्वनीकरण का (Deforestation) महत्त्वपूर्ण कारण नहीं था, बल्कि यह बहुत कुछ शाखाओं तथा टहनियों को तोड़ने तक सीमित था।

किंतु नगरीय लकड़ी जलाऊ लट्ठों के रूप में प्राप्त की जाती थी जिसने सीधे जंगलों पर दबाव डाला ऐसा भारत में वर्तमान स्थिति के बाद विशेषज्ञों की राय में ग्रामीण ईंधन उपभोग की वर्तमान स्थिति की समीक्षा के बाद कहा गया जो एक नई रोचक जानकारी है। ऐसे नए मुद्दों पर लगातार सर्वेक्षण किया जा सकता है तथा लोगों के वृक्षारोपण संबंधी कार्य का नियमित सर्वेक्षण किया जा सकता है। सर्वेक्षण का एक अति महत्त्वपूर्ण क्षेत्र ईंधन के मूल्यों से संबंधित भी होगा।

मौखिक परीक्षा के प्रश्न
(Questions For Viva-Voce)

प्रश्न 1.
क्षेत्र सर्वेक्षण से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
जब हम स्वयं किसी क्षेत्र में जाकर अध्ययन करते हैं तो उसे क्षेत्र सर्वेक्षण कहते हैं।

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प्रश्न 2.
क्षेत्र सर्वेक्षण के दो चरण बताओ।
उत्तर:
आँकड़ों का संग्रहण तथा प्रसंस्करण |

प्रश्न 3.
स्थलाकृतिक मानचित्र क्या है?
उत्तर:
वे मानचित्र जो किसी क्षेत्र के धरातल, अपवाह तथा मानवीय लक्षणों को दिखाते हैं।

प्रश्न 4.
सैंपल सर्वेक्षण किसे कहते हैं?
उत्तर:
जब सारे क्षेत्र का सर्वेक्षण करने की बजाय उसके एक भाग का ही सर्वेक्षण करें, तो उसे सैंपल सर्वेक्षण कहते हैं।

प्रश्न 5.
मानचित्र दिक् विन्यास किसे कहते हैं?
उत्तर:
पृथ्वी की प्रमुख दिशाओं के अनुरूप मानचित्र सैट करना।

प्रश्न 6.
पर्यावरण के प्रमुख घटक बताओ।
उत्तर:
जल, स्थल, वायु, जीव-जंतु।

प्रश्न 7.
प्रदूषण के प्रमुख कारण बताओ।
उत्तर:
उद्योग, परिवहन, रसायन तथा अपशिष्ट पदार्थ।

प्रश्न 8.
मानचित्र दिक् विन्यास की तीन विधियां बताओ।
उत्तर:

  1. सूर्य की सहायता से
  2. ट्रफ कंपास की सहायता से
  3. वस्तुओं की सापेक्षिक तुलना से।

प्रश्न 9.
क्षेत्र सर्वेक्षण हेतु तीन उपकरण बताओ।
उत्तर

  1. नोट बुक
  2. स्थलाकृतिक मानचित्र
  3. कैमरा।

प्रश्न 10.
स्थिर तत्व के तीन उदाहरण दें।
उत्तर:
इमारतें, खेत, नहरें।

प्रश्न 11.
प्रश्नावलियों के चार प्रकार बताओ।
उत्तर:

  1. सरल प्रश्न
  2. बहुविकल्पी प्रश्न
  3. क्रममापक प्रश्न
  4. मुक्तांत प्रश्न।

प्रश्न 12.
आँकड़े निर्धारित करने की विधि बताओ।
उत्तर:
मिलान चिह्न।

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प्रश्न 13.
भू-उपयोग में विभिन्न फसलें किस प्रकार दिखाई जाती हैं?
उत्तर:
रंगों तथा आभाओं द्वारा।

प्रश्न 14.
भौमजल स्तर किसे कहते हैं?
उत्तर:
भूमिगत जल की ऊपरी सतह।

प्रश्न 15.
प्राकृतिक आपदाओं के दो उदाहरण दो।
उत्तर:
सूखा तथा बाढ़।

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